RE: vasna story मेरी बहु की मस्त जवानी
अब किसी बहाने से उसे छूने की कोशिश करता।। कामयाब भी हआ एक दोपहर मैं जब वो डाइनिंग हाल में सोफ़े पे कुछ पढ़ते पढ़ते सो गई तो मैंने उसकी खुली हुई नाभि देखि और मुझसे रहा नहीं गया।।
मैन बहु को नींद से जगाने के बहाने उसके पेट पे हाथ फेरा फिर उसकी सॉफ्ट डीप नावेल को भी।। और जब उसकी नींद टूटी तो मैं झट्ट से अपना हाथ उसके हाथ पे रख के उठाने लगा।। वो उठ के बाथरूम चलि गई।
ओ दिन मैं उसकी नावेल के बारे में सोच के ४-५ बार मास्टरबैंग किया।। अब मैं उसे पना चाहता था। उसके बूब्स को मसलना चाहता था, उसकी थाइस को रब करना चाहता था, उसकी जूसी चुत को चाटना चाहता था उसे ख्यालों में तो कई बार चोद चूका था लेकिन हकीकत में शायद अभी देरी थी।
दूसरे दिन सुबह मैंने बहु को मॉर्निंग वाक पे चलने के लिए राज़ी कर लिया। बहु अपने कमरे में गई और मैं बाहर इंतज़ार करता रहा, थोड़ी देर बाद वो एक पिंक कलर के टाइट टीशर्ट और ट्रैक पैंट में सामने आयी। टीशर्ट थोड़ी छोटी होने की वजह से उसकी नावेल मुझे नज़र आ रही थी और टाइट-थिन पैंट में उसकी मांसल थाइस और उसके जांघो के बीच में उसकी भरी-भरी चूत।
थोडी देर इंतज़ार के बाद शमशेर ने दरवाजे पे नॉक दिया और फिर हम तीनो वाक के लिए निकल पड़े।। शमशेर तो बहु के हिप्स का दिवाना था, इस्लिये वो सरोज के दो कदम पीछे चल रहा था।। ताकि वो बहु की मटकती गांड का लुफ्त उठा सके। मैंने साफ़-साफ़ शमशेर को अपना लंड एडजस्ट करते हुए देखा, मेरे भी लण्ड में थोड़ी इरेक्शन थी लेकिन मैं अपनी टाइट अंडरवियर के अंदर इरेक्शन छुपाने में कामयाब रहा।
धूप बहुत तेज़ थी और हम करीब १ घंटे बाद घर आ गए
घर पहुचते ही सरोज बेड पे लेट गई।
सरोज - ओह पापा। बहुत थक गई मैं, कितना धूप था बाहर मैं तो काली हो जाऊंगी।
सरोज बिस्तर पे लेटे हुए बोल रही थी, मैंने पीछे मुड के देखा तो उसकी टीशर्ट काफी ऊपर थी और उसकी नावेल खुली थी। मैं बहु के पास बैठ गया और वो लेटी रही। बहु को मैंने कभी इतने खुलते हुए कभी नहीं देखा था, मैं उसके करीब बैठा था और वो अपनी नावेल खोले मेरे बगल में बेशर्म हो के लेटी रही।
मै - हाँ बहु आज पता नहीं क्यों धूप बहुत तेज़ थी, तुम तो हांफ रही हो।।
सरोज - मुझे इसकी आदत नहीं है पापा, मेरी साँस फुल रही है, देखिये कितना हांफ रही हू। ( सरोज ने करवट लेते हुए अपने गाल से पसीना पोंछते हुए कहा। )
सरोज - पूरा अंदर तक भींग गई हूँ मैं ये देखिये मेरा पेट कितना गरम है।।
मैने बिना देरी किये अपनी हथेली से उसकी पेट को छूने लगा। और फिर उसकी नर्म मुलायम नावेल को छुआ।।
मै - हाँ बहु।। तुम तो बहुत गरम हो गई हो।। (मैंने जान बूझ के डबल मीनिंग में बात की। )
फिर बात करते करते मैंने अपना हाथ उसकी जांघो पे रखा और धीरे धीरे सहलाने लगा, उसकी तरफ से कोई ऑब्जेक्शन न देख मैंने अब अपना हाथ उसकी इनर थाइस पे रख दिया और सहलाने लगा। अपनी जवान बहु के मांसल थाइस मैंने पहली बार छुआ।। मैंने शायद ही किस्सी लड़की के इतनी मांसल थाइस देखि हो।। और मैं अपनी ही बहु के थाइस सहला रहा था।
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