RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
जब काफी प्रतीक्षा के बावजूद चैम्बूर आगे कुछ नहीं बोला तो अशरफ ने पूछा—“फिर क्या हुआ?”
चैम्बूर ने एक लम्बी सांस खींचने के बाद कहना शुरू किया—“आज से करीब तीन महीने पहले जब एक शाम मैं गार्डनर से मिलने उसकी कोठी पर गया तो वहां अलफांसे को देखकर बुरी तरह चौंक पड़ा।
“उसके वहां मौजूद होने की मैं कल्पना भी नहीं कर सकता था, मेरा दिमाग बुरी तरह झनझना रहा था और उस वक्त तो मैं कांप ही उठा जब दिमाग में यह ख्याल आया कि कहीं अलफांसे वाशिंगटन में हुई हमारी वार्ता का जिक्र गार्डनर से न कर दे?”
“मुझे देखर अलफांसे भी उतनी ही बुरी तरह चौंका था।”
“मगर हममें से किसी ने भी वहां ऐसा कोई भाव प्रकट नहीं किया, जिससे गार्डनर या इर्विन को हमारे पूर्वपरिचित होने का आभास होता।
“गार्डनर ने अलफांसे से मेरा परिचय अपने दोस्त के रूप में कराया और अलफांसे का परिचय उसके असली नाम और व्यक्तित्व से दिया—मेरा असली नाम सुनकर अलफांसे इस तरह मुस्कराया था जैसे उसने मेरी कोई बहुत बड़ी नब्ज पकड़ ली हो।
“कुछ ही देर बाद इर्विन और अलफांसे कहीं बाहर घूमने चले गए।
“उनके जाने के बाद मैंने गार्डनर से पूछा—“लेकिन सर, ये अन्तर्राष्ट्रीय मुजरिम यहां कैसे?”
“इर्विन का दोस्त बन गया है।” गार्डनर ने पूरी लापरवाही के साथ कहा।
“क...कैसे?”
उन्होंने बोगान के आदमियों से अलफांसे द्वारा इर्विन को बचाए जाने की घटना विस्तार से मुझे सुना दी, सुनते ही मैं इस नतीजे पर पहुंच गया कि वह सारी घटना मात्र संयोग नहीं, बल्कि अलफांसे की सोची-समझी स्कीम रही होगी और यह सारा ड्रामा उसन गार्डनर की कोठी में घुसने के लिए किया है।
उस वक्त मैं गार्डनर से इधर-उधर की दो-चार बातें करके उठ आया, परन्तु उसी रात गुप्त रूप से होटल एलिजाबेथ जाकर अलफांसे से मिला, मुझे देखकर ही वह मुस्कराया और बोला—“आओ मिस्टर बर्लिन, मैं जानता था कि तुम यहां आओगे।”
“मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि आप जैसा आदमी इतना नीच होगा।” यह वाक्य मैंने अत्यधिक उत्तेजना के कारण कहा था, परन्तु अलफांसे बिल्कुल भी उत्तेजित नहीं हुआ, उल्टे मुस्कराता हुआ बोला—“तुमने भी तो मुझसे झूठ बोला था मिस्टर चैम्बूर!”
“मैंने तो आपको केवल अपना नाम ही गलत बताया था, लेकिन आपने तो ठीक वही काम किया तो धूर्त डायरेक्टर-प्रोड्यूसर किसी गरीब लेखक के साथ करते हैं—पहले सारी कहानी सुन लेंगे, कुरेद-कुरेदकर कहानी का बारीक-से-बारीक प्वॉइट जान लेंगे और फिर कह देंगे कि ये स्टोरी फिल्म के लिए बेकार है—साल-दो साल बाद बेचारा लेखक किसी हॉल में बैठा अपनी स्टोरी पर बनी फिल्म देखकर आंसू बहा रहा होगा, क्योंकि कास्टिंग में वह लेखक के स्थान पर उसी डायरेक्टर या प्रोड्यूसर का नाम पढ़ रहा होगा। जिसे उसने स्टोरी सुनाई थी और जो उसे रिजेक्ट कर चुके थे।”
अलफांसे मुस्कराया, बोला—“अपनी बात को 'एक्सप्लेन' करने का अच्छा तरीका चुना है तुमने!”
“मैंने सुना था कि मुजरिमों के कुछ उसूल होते हैं और आप जैसे बड़े मुजरिम तो उसूलों के बहुत पक्के होते हैं, लेकिन आप—हूंह—आपके बारे में तो अखबार वाले बिल्कुल गलत ही छापते हैं—आपका कोई उसूल नहीं है, पूरा कोहिनूर हड़प कर जाने के चक्कर में आपने मुझसे झूठ बोला।”
“वार्ता के बीच में हम कोहिनूर का नाम नहीं लें तो अच्छा है मिस्टर चैम्बूर!”
“नाम, आप नाम लेने की बात करते हैं—मैं आपका भांडा फोड़ दूंगा—ज्यादा-से-ज्यादा क्या होगा, यही न कि आप वाशिंगटन में हुई मेरी और अपनी मुलाकात का खुलासा कर देंगे—मैं पकड़ा जाऊंगा—मुझे अपनी परवाह नहीं है, मगर अपनी आंखों से मैं चुपचाप यह नहीं देखता रह सकता कि आप अकेले कोहि...।”
“म...मिस्टर चैम्बूर!” अलफांसे की गुर्राहट ने मुझे एड़ी से चोटी तक कंपकंपा डाला, मैं आतंकित-सा उसके भभकते हुए चेहरे को देखता रह गया, जबकि उसने बड़ी शीघ्रता से अपनी उत्तेजना पर काबू पाया और संतुलित स्वर में बोला—“पहले मेरी बात भी सुन लो।”
“सुनने को अब रह ही क्या गया है?”
“तुम्हारे द्वारा मुझ पर लगाए गए आरोप सही हो सकते हैं, परन्तु सौ प्रतिशत सही नहीं हैं।”
“क्या मतलब?”
“जो भी हुआ है, वह सब कुछ मैंने जानकर नहीं किया।”
“मैं अब भी नहीं समझा।”
“वाशिंगटन में जो व्यवस्थाएं तुमने मुझे बताई थीं, उस वक्त मुझे वे वाकई बहुत सुदृढ़ दिखाई दी थीं और तत्काल मैं उन्हें भेदने की कोई स्कीम नहीं बना सका था—और वैसे भी तुमसे मेरी पहली भेंट थी और मैं यूं आंख मींचकर किसी पर विश्वास नहीं किया करता हूं, उसके साथ काम करना तो बहुत दूर की बात है—इसीलिए मैंने तुम्हें टाल दिया था—लेकिन जो व्यवस्थाएं तुम मुझे बता गए थे वे मेरे लिए एक चुनौती-सी बन गई थीं, जानते हो क्यों?”
“क्यों?”
“क्योंकि लगातार हफ्तों की माथा—पच्ची के बाद भी मैं उन व्यवस्थाओं को भेदकर कोहिनूर तक पहुचने की योजना नहीं बना सका था और फिर जब मुझे यह महसूस हुआ कि इन व्यवस्थाओं के सामने मैं वाकई पस्त हो रहा हूं तो मुझे स्कीम बनाने की जिद-सी चढ़ गई—मैंने निश्चय किया कि कोहिनूर की चोरी करूं या न करूं, लेकिन ऐसी स्कीम बनाकर ही दम लूंगा जिसके आधार पर कोई भी व्यक्ति उन व्यवस्थाओं को भेदता हूआ कोहिनूर की सफल चोरी कर सके और वह योजना बनाने के लिए मैं लन्दन आ गया—गार्डनर को वॉच किया, परन्तु कोई लाभ नहीं निकला और जब लाभ निकला तो मात्र एक संयोग से।”
“कैसा संयोग?”
“वही, बोगान के गुर्गों से मेरे द्वारा इर्विन को बचाए जाने की घटना।”
“वह संयोग था?”
“मैं जानता हूं कि तुम इस बात पर आसानी से यकीन नहीं करोगे, लेकिन सच मानो वह घटना एक संयोग ही थी, मुझे नहीं मालूम था कि इर्विन गार्डनर की लड़की है—मैंने तो उसकी पुकार सुनकर बोगान के गुण्डों से उसे बचाया था—मगर उस वक्त मैं दंग रह गया जब वह मुझे गार्डनर की कोठी में ले गई और मुझे वहां जाकर यह मालूम पड़ा कि वह गार्डनर की लड़की है।”
“चलो माने लेता हूं।” मैंने जैसे उस पर कोई एहसान किया।
“यह पता लगते ही कि इर्विन गार्डनर की लड़की है, मेरा दिमाग सक्रिय हो उठा और एक ही झटके में वह योजना बनती चली गई, जिसने मुझे महीनों से परेशान कर रखा था।”
“तुम्हारे दिमाग में क्या बात आई?”
“तुम मुझे बता ही चुके थे कि गार्डनर के.एस.एस. का डायरेक्टर है, उसी की कोठी के नीचे वह कंट्रोल रूम है, जहां से कोहिनूर पर नजर रखने वाले उपग्रह को कंट्रोल किया जाता है और उससे प्रसारित होने वाले संदेशों को नोट किया जाता है—इधर मैंने महसूस किया था कि इर्विन मुझमें दिलचस्पी ले रही है—यह बात बिजली की तरह मेरे मस्तिष्क में कौंध गई कि कोहिनूर तक पहुंचने के लिए गार्डनर की कोठी में डेरा डालना जरूरी है और कोठी में दाखिल होने के लिए इर्विन से सम्बन्ध बढ़ाना ही एकमात्र रास्ता है।”
“और आपने कदम आगे बढ़ा दिए?”
“बेशक!”
“अब आपका क्या विचार है?”
“सारे विचार तो प्रकट कर दिए हैं, अब रह ही क्या गया है?”
“मुझसे फिफ्टी परसेंट की पार्टनशिप के बारे में क्या ख्याल है?”
अलफांसे ने बहुत आराम से कहा—“विचार ही क्या होता, पार्टनरशिप पक्की है।”
उसकी इस बात पर कई क्षण तक मैं उसे देखता रहा, समझने की कोशिश कर रहा था कि कहीं इस बार भी वह मुझे बहलाकर धोखा तो नहीं दे रहा है, मैं अब आसानी से उस पर यकीन नहीं कर सकता था—अत: बोला—“मगर मुझे कैसे यकीन हो कि काम पूरा होने के बाद आप मुझे मेरा हिस्सा दे ही देंगे?”
“तुम जो कहो, मैं करने को तैयार हूं।”
“इसी वक्त आपको मुझे अपनी पूरी योजना बतानी होगी।”
मेरे इस वाक्य से असफांसे के दिमाग को एक झटका-सा लगा, स्कीम बताने में उसने काफी आनाकानी की—ये भी कहा कि मैं कोई दूसरी शर्त रख लूं, लेकिन मैं भी अड़ गया, स्पष्ट कह दिया मैंने कि इसी समय वह मुझे अपनी पूरी स्कीम बताएगा वरना अपनी परवाह किए बिना मैं गार्डनर को इर्विन से उसके सम्बन्ध बढ़ाने के रहस्य से अवगत करा दूंगा—अंत में अलफांसे को ही झुकना पड़ा।”
व्यग्र होकर अशरफ ने पूछा—“क्या स्कीम है उसकी?”
“न—न—प्यारे, इस तरह नहीं—क्रमबद्ध तरीके से चलो!” विजय ने कहा—“पहले सुरक्षा-व्यवस्था पूछो, उसके बाद उसे भेदती हुई स्कीम और यदि सच पूछा जाए तो ये सभी बातें बाद की हैं—सबसे पहला काम है, अपने चैम्बूर प्यारे की मरहम-पट्टी—देखो न, कितने गहरे जख्म हैं और फिर अपने चैम्बूर प्यारे बोल भी कितनी देर से रहे हैं—हलक सूख गया होगा, एक गिलास पानी की जरूरत होगी—क्यों चैम्बूर भाई, पिओगे पानी?”
विजय की बात सुनकर उसके होठों पर बहुत ही फीकी, अजीब-सी मुस्कान उभरी थी, वैसी हो जैसी फांसी पर लटकने वाले अपराधी के होंठों पर तब उभर सकती है, जब फांसी से एक क्षण पूर्व कोई उसे दीर्घायु होने का आर्शीवाद दे।
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