XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
05-22-2020, 03:13 PM,
#51
RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
उस वक्त रात का एक बज रहा था जब एक लम्बा साया पीटर हाउस का चक्कर काटने के बाद इमारत के पिछले भाग की तरफ पहुंचा—सावधानी से उसने अपने चारों तरफ का अध्ययन किया, अंधेरे और नीरवता की ही हुकूमत थी— स्मिथ स्ट्रीट के सभी निवासी अपनी खिड़की और दरवाजे बन्द किए सर्दी से बचने के लिए लिहाफों में दुबके पड़े थे—लम्बा साया किसी बन्दर की तरह ‘रेनवाटर’ पाइप पर चढ़ने लगा।
अंधेरे में डूबी दूसरी मंजिल की एक खिड़की पर उसने सांकेतिक अंदाज में दस्तक दी।
खिड़की के उस पार से किसी ने पूछा— “इतनी सुबह कैसे आ गए?”
“तुमने सुबह ही तो बुलाया था?” लम्बे साए ने कहा। फिर लम्बा साया उस खिड़की के रास्ते अंधेरे कमरे में गुम हो गया— खिड़की बन्द हो गई, एक अन्य व्यक्ति ने ‘पेनटॉर्च’ ऑन की और फिर लम्बा साया उसी व्यक्ति के साथ खामोशी से आगे बढ़ गया पांच मिनट बाद वे पीटर हाउस के ग्राउण्ड फ्लोर पर स्थित एक कमरे में पहुंच गए।
कमरे में पहले से ही दो आदमी मौजूद थे और एक जीरो वॉट के बल्ब का मद्धिम प्रकाश वहां छिटका हुआ था, अचानक ही वहां आवाज गूंजी—“आओ प्यारे दिलजले, आओ!”
“आ तो गया हूं गुरु!” कहता हुआ विकास सोफे पर बैठ गया, उसे खिड़की से यहां तक लाने वाला विक्रम भी सोफे की एक कुर्सी पर बैठ गया था— लम्बे सोफे के एक कोने से पीठ टिकाए अशरफ अधलेटी-सी अवस्था में, चेहरे पर कुछ ऐसे निश्चिन्त भाव लिए सिगरेट पी रहा था जैसे अपने ही ड्राइंगरूम में बैठा हो—सचमुच, कोठी में मौजूद हर वस्तु का खूब इस्तेमाल कर रहे थे वे।
“अपनी बेवकूफी का नतीजा तो तुमने पढ़ ही लिया होगा प्यारे दिलजले?”
चौंकते हुए विकास ने पूछा—“कौन-सी बेवकूफी गुरु?”
“हथियारों की दुकान से स्टेनगन चुरा लाने वाली।”
“ओफ्फो गुरु, आप फिर वही बात लेकर बैठ गए—उस पर कल ही आप मुझे काफी कह चुके हैं, मानता हूं कि आपने ऑपरेशन पर भेजने से पहले मुझसे बार-बार कहा था कि हथियारों की दुकान से मैं केवल चार रिवॉल्वर और उनकी गोलियां ही लाऊं—कोई बड़ा हथियार नहीं, मगर मैं फिर भी एक स्टेनगन ले ही आया, इसमें ऐसी क्या आफत आ गई, गन मुझे अच्छी लगी—उसे अपने पास रखने का मैं लोभ संवरण न कर सका—मेरी समझ में नहीं आता कि उससे आखिर फर्क क्या पड़ गया?”
“इसका मतलब तुमने आज शाम का अखबार नहीं देखा है।”
“अखबार?”
अपनी जेब से उसने एक ‘तह’ किया हुआ अखबार निकालकर, सोफे के बीच पड़ी सेण्टर टेबल पर डाल दिया, बोला—“इसे पढ़ो प्यारे और समझने की कोशिश करो कि मैंने तुमसे बार-बार रिवॉल्वर की चोरी करने के लिए क्यों कहा था—और उसके बावजूद तुम्हारे स्टेनगन लाने से क्या फर्क पड़ा है?”
विकास ने अखबार उठा लिया, उसकी तहें खोलीं और मुख्य शीर्षक को देखते ही चौंक पड़ा।
शीर्षक था— ‘परसों’ रात दो बजे के लगभग जॉनसन स्ट्रीट स्थित एक दुकान में पड़ी हथियारों की डकैती का पूर्ण विवरण हम अपने कल के अंक में प्रकाशित कर चुके हैं—हमारे अखबार में घटना का पूर्ण विवरण पढ़कर ब्रिटेन के प्रसिद्ध जासूस मिस्टर जेम्स बाण्ड चौंक पड़े और उन्होंने तुरन्त ही इस डकैती के जांच अधिकारी मिस्टर जिम से सम्बन्ध स्थापित किया—स्मरण रहे कि इस कांड में डकैतों की गोली से एक इंस्पेक्टर की मृत्यु घटनास्थल पर ही हो गई थी और सब-इंस्पेक्टर कार्पेट लाठी के प्रहार से गम्भीर रूप से घायल हुआ था।
डबल ओ सेवन उस जीप के ड्राइवर से मिला जिसने घटना का विवरण देते हुए कल यह कहा था कि जीप में वे तीन ही आदमी थे, और सब-इंस्पेक्टर जीप से उतर चुके थे और वह जीप ही में था कि अचानक ही चौकीदार बने लुटेरे ने कार्पेट पर लाठी से प्रहार किया और अभी वह कुछ समझ भी नहीं पाया था कि हथियारों की दुकान से फायरिंग हुई, इंस्पेक्टर को गिरते उसने अपनी आंखों से देखा और घबरा गया, क्योंकि लुटेरों का मुकाबला करने के लिए स्वयं उसके पास भी कोर्ई हथियार नहीं था, अतः वहां से जीप लेकर भागा, हत्यारों ने उसे भी ज्यादा दूर तक नहीं जाने दिया और फायरिंग करके टायर बर्स्ट कर दिए, इसके बाद उसने जीप से कूदकर बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाई—ड्राइवर ने आज सुबह मिस्टर बाण्ड को भी यही बयान दिया है—बाण्ड ने पूछा कि क्या वह लुटेरों में से किसी को पहचान सकता है— ड्राइवर का जवाब नकारात्मक है।
इसके बाद मिस्टर बाण्ड चौकीदार से मिले, उसने ठीक अपना कल वाला ही बयान दिया है और कहा है कि शायद वह लुटेरों को न पहचान सके।
अस्पताल में जाकर मिस्टर बाण्ड कार्पेट से मिले, आज कार्पेट की हालत में सुधार है— डॉक्टरों ने उसे खतरे से बिल्कुल बाहर बताया है और बाण्ड के सामने कार्पेट ने दावा पेश किया है कि लाठी का प्रहार करने वाले लुटेरे को वह देखते ही पहचान लेगा।
इन सबके बयान लेने के बाद मिस्टर बाण्ड ने मिस्टर जिम से दुकान के अन्दर, दुकान के तालों, लाठी, टॉर्च और बाद में एक सुनसान स्थान पर खड़ी मिली लुटेरों द्वारा प्रयुक्त कार के अन्दर से प्राप्त उंगलियों के निशान मांगे हैं।
आप सोच रहे होंगे कि इस छोटी-सी डकैती की घटना में हमारे देश का सर्वोच्च जासूस इतनी दिलचस्पी क्यों ले रहा है, दरअसल यही सवाल हमारे दिमागों में भी गूंजा था, अतः ये संवाददाता विशेष रूप से बाण्ड से मिला, जब उनसे उपरोक्त सवाल किया गया तो उन्होंने मुस्कराते हुए जवाब दिया—“जिस घटना में एक इंस्पेक्टर का मर्डर हो गया, दूसरा इंस्पेक्टर गम्भीर रूप से घायल हुआ उसे आप छोटी-सी घटना कहते हैं?”
“निःसन्देह, घटना सनसनीखेज है, दुर्भाग्य वाली भी और यह भी स्पष्ट करती है कि हत्यारे दुःसाहसी थे, मगर फिर भी हम नहीं समझते कि इसमें आपकी दिलचस्पी के लिए कुछ है—हमारा मतलब ये है कि यदि आपके स्तर से देखा जाए तो घटना कुछ भी नहीं है।”
“जो हुआ है, दरअसल वह मेरे स्तर का नहीं है और न ही मैं उसके लिए इसमें दिलचस्पी ले रहा हूं—मैं तो उसमें दिलचस्पी ले रहा हूं जो अब होने वाला है।”
“क्या मतलब?” ये संवाददाता चौंक पड़ा।
“आप इस बात पर गौर क्यों नहीं करते कि डकैती किसी डायमंड की दुकान में नहीं, हथियारों की दुकान में पड़ी है—जरा सोचिए, लुटेरे हथियार किसलिए चाहते हैं—कोई बखेड़ा करने के लिए ही न?”
“गुड!”
“अगर डकैती में छोटे-मोटे हथियार जाते तो मैं ये अनुमान लगाता कि भविष्य में लुटेरे छोटा-मोटा ही क्राइम करने जा रहे हैं—मुझे चौंकाया स्टेनगन ने—स्टेनगन का मतलब है कि भविष्य में लुटेरों के इरादे खतरनाक हैं, वे लंदन में कोई बड़ा बखेड़ा खड़ा करना चाहते हैं—बस, मेरे इसी विचार ने मुझे इस डकैती में दिलचस्पी लेने के लिए प्रेरित किया है।”
“ओह, आप वाकई बहुत दूर की सोच रहे हैं मिस्टर बाण्ड!”
डबल ओ सेवन ने मुस्कराते हुए कहा—“फिर भी, लंदन की जनता को मेरे उपरोक्त शब्दों से आतंकित होने की जरूरत नहीं है—मैं अनुमान लगा सकता हूं कि वे क्या बखेड़ा खड़ा करने की सोच रहे हैं—और वादा करता हूं कि उन्हें, उन हथियारों को इस्तेमाल करने का मौका नहीं दूंगा।”
“आपके अनुमान से भविष्य में वे क्या कर सकते हैं?”
“फिलहाल इस बारे में कहना मैं जनहित में नहीं समझता—फिर भी इतना जरूर कहूंगा कि वे बेवकूफ शायद दुनिया के सबसे धनवान व्यक्ति बनने की कल्पना कर बैठे है।”
“थैंक्यू!” कहकर इस संवाददाता ने मिस्टर बाण्ड से लिया अपना ये छोटा-सा इण्टरव्यू समाप्त किया, हमें अपने सर्वोच्च जासूस पर पूरा भरोसा है और विश्वास के साथ कह सकते हैं कि सचमुच मिस्टर बाण्ड लुटेरों को हथियारों का इस्तेमाल करने का अवसर नहीं देंगे।’
बस, इस सम्बन्ध में अखबार में यही न्यूज थी।
पढ़कर विकास ने जब विजय की तरफ देखा तो इसमें शक नहीं कि उसके पास कहने के लिए कुछ भी नहीं था, जबकि विजय ने व्यंग्य भरी मुस्कान के साथ पूछा— “कहो प्यारे, क्या ख्याल हैं तुम्हारे?”
“क्या आप बार-बार इसी डर की वजह से रिवॉल्वर से बड़ा हथियार चुराकर न लाने के लिए कह रहे थे?”
“नहीं, बल्कि सिर्फ इस वजह से क्योंकि हमें स्टेनगन से डर लगता है।”
झेंपकर रह गया विकास।
“कदम-कदम पर सिर्फ वही करो प्यारे जो हम कहते हैं, जरा-सी गलती का नतीजा ये है कि मैदान में बाण्ड कूद पड़ा है और अब हमारा काम पहले से कई गुना ज्यादा कठिन हो गया है।”
अशरफ बोला— “एक बात कहूं विजय?”
“जरूर बको प्यारे झानझरोखे।”
“बाण्ड ने संवाददाता के अंतिम सवाल के जवाब में जो कहा है, क्या उससे यह ध्वनित नहीं होता कि वह हमारे इरादों से वाकिफ है?”
“बेशक यही ध्वनित होता है प्यारे और स्पष्ट है कि संवाददाता से ये पंक्तियां कहकर उसने खुले शब्दों में हमें चेतावनी दी है।”
“उसे हमारे इरादों की भनक कैसे लगी?”
“मेरे पास अलादीन का चिराग नहीं है प्यारे कि जिसे घिसूं और जिन्न हाजिर हो जाए—तब उससे कहूं कि जिन्न मास्टर, जरा पता करके जाओ कि बाण्ड को हमारे इरादों की भनक कैसे लगी?”
अशरफ ने बुरा-सा मुंह बनाया, बोला— “मेरा ये मतलब नहीं था!”
“फिर क्या मतलब था?”
“मेरा मतलब तो ये था कि क्या उसे यह भनक भी लग गई होगी कि यह सब कुछ ‘हम’ कर रहे हैं?”
“अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।”
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मुस्कराकर विकास ने व्यंग्य किया—“यह बात शायद आपको जिन्न बता गया है।”
“जिन्न हमारी आंखें और कान जैसी इन्द्रियां होती हैं प्यारे—इनका इस्तेमाल करने से ऐसी बहुत-सी बातें पता लग जाती हैं, जिन्हें अलादीन वाला ‘जिन्न’ भी नहीं बता सकता।”
“क्या मतलब?” इस बार विक्रम ने पूछा।
“आज दिन में बाण्ड अपनी आशा डार्लिंग से मिला था।”
“क...क्या?” एक साथ सभी चिहुंक उठे।
“नहीं कह सकते कि उनके बीच क्या बातें हुईं, क्योंकि उस वक्त हम इतनी दूर थे कि सिर्फ आंखों का ही इस्तेमाल कर सके थे, कानों का नहीं—फिर भी, हम दिमाग से इतना अनुमान तो लगा ही सकते हैं कि वजह वही रही होगी जिस वजह से उसमें के.एस.एस. वाले दिलचस्पी ले रहे थे।”
“वह तो सिर्फ के.एस.एस. का मैटर है, बाण्ड से क्या सम्बन्ध?”
“क्या के.एस.एस. सीक्रेट सर्विस से बाण्ड को नहीं मांग सकती?”
चौंकते हुए विकास ने कहा—“तो क्या आप यह कहना चाहते हैं गुरु कि इस केस में बाण्ड अंकल दिलचस्पी ले रहे हैं?”
“आशा डार्लिंग से उसकी मुलाकात तो यही संकेत देती है।”
“इसका मतलब ये कि खतरा बहुत ज्यादा बढ़ गया है।” अशरफ बुदबुदाया—“क्या आशा के चेहरे पर किया गया तुम्हारा मेकअप बाण्ड को धोखा दे सकेगा विजय?”
“फिलहाल तो हमारा मेकअप ही जीत गया लगता है।”
“कैसे?”
“अगर वह आशा को पहचान गया होता तो इस तरह उसे छोड़ न देता, गिरफ्तार कर लेता—उसे पहचाने या न पहचाने जाने से ही हमारा सम्पर्क भी है—यानी जिस क्षण वह आशा को पहचान लेगा उसी क्षण आसानी से यह भी समझ जाएगा कि हथियारों के चोर यानी हम कौन हैं?”
“म...मगर गुरु, इसका मतलब तो स्पष्ट है कि आशा आण्टी खतरे में हैं।”
“मैं एक बार फिर जोर डालकर कहूंगा कि फिलहाल हम उसकी कोई मदद नहीं कर सकते।”
“लेकिन, आशा का भेद खुलते ही बाण्ड अंकल समझ जाएंगे कि कोहिनूर के चक्कर में हम सब हैं।”
विजय ने सपाट स्वर में कहा—“जब किसी अपराधी ग्रुप का कोई सदस्य इनवेस्टिगेटर के चंगुल में इस कदर फंस जाता है कि उसके जरिए इनवेस्टिगेटर पूरे ग्रुप तक पहुंच सके तो ग्रुप अपने साथी को कत्ल कर देता है।”
“ग...गुरु!”
“मगर प्यारे, मैं आशा डार्लिंग को कत्ल करने की सलाह नहीं दे रहा हूं।”
“और क्या कह रहे हैं आप?” विकास का लहजा भभकने लगा था।
“केवल इस बात का प्रबन्ध करने की सलाह दे रहा हूं कि उसके जरिए बाण्ड हम तक न पहुंच सके।”
“यही तो मैं कह रहा हूं गुरु, क्यों न हम आशा आण्टी को होटल से गायब करके यहां ले आएं और यहीं छुपा दें, इससे न केवल आशा आण्टी पर मंडरा रहा खतरा खत्म हो जाएगा, बल्कि उनके जरिए बाण्ड के हम तक पहुंचने की हर सम्भावना भी धूल में मिल जाएगी।”
“वक्त आने पर यही करना होगा, मगर अभी नहीं है।”
“मतलब?”
“अभी हमारे पास केवल सम्भावनाएं-ही-सम्भावनाएं हैं, वास्तव में नहीं जानते कि बाण्ड हमारी सोची हुई पटरी पर ही चल रहा है या नहीं अथवा उतना खतरा है भी या नहीं, जितना हम सोच रहे हैं—ऐसा भी हो सकता है कि के.एस.एस. की तरह बाण्ड आशा को सिर्फ वॉच कर रहा हो।”
“तुम ठीक कह रहे हो।” अशरफ बोला।
“इसलिए मेरी राय पहले वस्तुस्थिति का पता लगाने और उसके बाद उसी के अनुसार कदम उठाने की है—और वस्तुस्थिति का पता लगाने की जिम्मेदारी मैं स्वयं लेता हूं।”
“ठीक है!” विकास संतुष्ट नजर आ रहा था।
“हमें बाण्ड या गोगियापाशा के चक्कर में उलझकर अपने असली मकसद को नहीं भूलना चाहिए, वरना होगा ये कि अपना लूमड़ कोहिनूर को लेकर गुम हो जाएगा और हम इन्हीं चक्करों में उलझे रहेंगे।”
“हम भूले कहां हैं, सुरक्षा-व्यवस्था को समझने की हमारे पास एक ही कुंजी है—चैम्बूर, आपके हुक्म पर पिछले दो दिन से मैं उसे लगातार वॉच कर रहा हूं और वह मुझे थोड़ा रहस्यमय-सा नजर आता है।”
“क्या मतलब?”
“ऐसा लगता है अंकल कि वह अलफांसे गुरु से मिला हुआ है।”
विकास का यह वाक्य सुनकर विजय की आंखें अचानक ही बुरी तरह चमक उठीं, बोला— “क्या देखा तुमने?”
“मैंने गार्डनर की कोठी के लॉन में उन्हें बात करते देखा है, सिर्फ वे दोनों ही थे—अन्य कोई नहीं और बातें करने का उनका अंदाज भी ऐसा था कि जैसे छुपकर मिल रहे हों—वे सतर्क-से थे—मानो वे न चाहते हों कि कोई उन्हें साथ और बात करते देखे, मैं उनके बीच होने वाली बातें न सुन सका।”
“वो मारा साले पापड़ वाले को!” विजय उछल ही जो पड़ा।
सभी एक साथ चौंककर उसका चेहरा देखने लगे, अशरफ ने पूछा—“क्या हुआ?”
“लड़का हुआ है प्यारे!”
विजय के जवाब पर विकास और विक्रम मुस्करा उठे, जबकि अशरफ ने ऐसा कड़वा-सा मुंह बनाया जैसे कुनैन की गोली जबरदस्ती उसके मुंह में ठूंस दी गई हो। विजय ने कहा—“हमारे दिमाग में शुरू से ही यह बात थी प्यारे कि यदि चैम्बूर से हमें सम्पूर्ण सुरक्षा व्यवस्था पता न लगी तो उस माध्यम को तलाश करने की कोशिश करेंगे, जिससे अपने लूमड़ को पता लगी है—मगर जो तुम कह रहे हो उससे लगता है कि चैम्बूर अपने लूमड़ से कही-न-कही जरूर जुड़ा हुआ है और चैम्बूर गार्डनर का दायां हाथ है, उसे बहुत कुछ मालूम होगा—इसी से धारणा बनती है कि सुरक्षा-व्यवस्था मालूम करने का लूमड़ का माध्यम भी चैम्बूर ही है।”
“इसका मतलब ये कि चैम्बूर सुरक्षा-व्यवस्था के साथ-साथ हमें अलफांसे गुरु की स्कीम भी बता सकता है।”
“बशर्ते कि हमारा अनुमान सही हो।”
विक्रम कह उठा—“चैम्बूर पर हाथ डालने में अब हमें बिल्कुल समय नष्ट नहीं करना चाहिए, वह इस सारे झमेले की कुंजी दिखाई देता है, यदि हमने देर की और बाण्ड को हमारे इरादों की भनक है तो वह चैम्बूर को लंदन से गधे के सींग की तरह गायब कर सकता है, उस स्थिति में हम फिर जीरो के अन्दर फंस जाएंगे।”
“हमें अपने पहले ही आक्रमण में चैम्बूर का किडनैप करके यहां लाना है—आक्रमण असफल होना या किसी झमेले में फंसकर मर जाना सारे गुड़ को गोबर कर सकता है, इसलिए मेहरबानों, कदरदानों—मेरी सलाह है कि चैम्बूर को किडनैप करने के लिए हम पहले ही से एक पुख्ता स्कीम तैयार कर लें और फिर सारा ऑपरेशन उसी स्कीम के मुताबिक करें।”
“स्कीम बनाने का काम तुम्हारा है।” विक्रम ने कहा।
“आइसक्रीम तो तभी बनाऊंगा न प्यारे जब अपना दिलजला ये बताएगा कि रात को वह किस स्थिति में होता है।”
“सिर्फ रात को?”
“इस काम के लिए हमें रात ही का वक्त चुनना होगा, क्योंकि किडनैप करके उसे सीधा यहां लाना है और जरा सोचो, दिन के प्रकाश में अपने इस राजमहल के मुख्य द्वार का उपयोग करना कितना खतरनाक होगा?”
“मैं समझ गया गुरु!”
“तो प्यारे, अब जल्दी से हो जाओ शुरू!”
“रात को तो वह भी वही करता है जो सब करते हैं यानि सोता है। क्लब से वह दस बजे के करीब लौटता है— ग्यारह बजे के करीब तक सो जाता है—उसका कमरा कोठी में दूसरी मंजिल पर स्थित है, मजे की बात ये है कि उस कमरे में कहीं कोई खिड़की या रोशनदान नहीं है, सिर्फ एक दरवाजा है, जिसे वह अन्दर से बन्द करके सोता है।”
“तुम्हारे कहने का तात्पर्य शायद ये है कि रात के समय उसके कमरे के अन्दर पहुंचना एक समस्या है?”
“हां!” विकास बोला—“चैम्बूर को किडनैप करने के लिए कम-से-कम कमरे के अन्दर जाना तो जरूरी है ही—और यदि मुख्य द्वार से जाया जाए तो बड़ी सीधी-सी बात है कि ऐसा तभी हो सकता है जब चैम्बूर अन्दर से दरवाजा खोले।”
“वह खोलेगा क्यों?” अशरफ बड़बड़ाया।
विजय ने सवाल किया—“चैम्बूर के परिवार में और कौन-कौन है?”
“चैम्बूर की पत्नी और एक लड़की, बस!”
“कोठी में उनके कमरों की सिच्युएशन क्या है?”
“उनके कमरे बराबर-बराबर ही में हैं, मगर चैम्बूर के कमरे से काफी दूर गैलरी का मोड़ क्रॉस करने के बाद—मगर हमें उनसे क्या मतलब है?”
“उनके कमरे में जाने के लिए कोई खिड़की आदि?”
“है—थोड़ी-सी कठिनाई के बाद उन कमरों में पहुंचा जा सकता है।”
“वैरी गुड!” विजय ने कहा—“तो प्यारे, अब सुनो किडनैप की बड़ी ही आसान-सी आइसक्रीम !”
तीनों उसका मुंह ताकने लगे।
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#53
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सुबह के छह बज रहे थे।
मिस्टर चैम्बूर लिहाफ में लिपटे पड़े थे और कमरे में उनके खर्राटों की आवाज गूंज रही थी—कमरे का एकमात्र दरवाजा अन्दर की तरफ से बन्द था, एकाएक ही—बेड के दाईं तरफ दीवार के सहारे रखी एक सेफ के ‘पट’ बहुत ही आहिस्ता से खुले और उसके अन्दर से जो व्यक्ति निकला, वह जेम्स बॉण्ड था।
सारी रात जागते रहने की वजह से उसकी आंखें लाल और सूजी हुई-सी दिखाई दे रही थीं।
बाण्ड ने सेफ बन्द की, घूमा और बेड के नजदीक जाकर चेम्बूर को जगाने की कोशिश करने लगा, थोड़ी-सी कोशिश पर ही मिस्टर चैम्बूर हड़बड़ाकर उठ बैठे तो धीमे से मुस्कराते हुए बाण्ड ने कहा— “छः बज गए हैं मिस्टर चैम्बूर, मैं जा रहा हूं—दरवाजा अन्दर से बन्द कर लीजिए।”
“आज रात भी कुछ नहीं हुआ?”
“आप देख ही रहे हैं।”
चैम्बूर ने पूछा—“क्या तुम आज शाम को फिर आओगे?”
“बेशक!”
“इस तरह आखिर तुम कितनी रातें उस सेफ में गुजारोगे?”
मुस्कराते हुए बाण्ड ने कहा—“जब तक कि वे बदमाश आप पर हाथ नहीं डालेंगे!”
“मैं फिर कहता हूं मिस्टर बाण्ड कि आप व्यर्थ ही परेशान होकर अपनी नींद हराम कर रहे हैं, वैसा कुछ होने वाला नहीं है जैसी आपको सम्भावना है—और यदि कोई गड़बड़ होगी भी तो मैं मिट्टी का माधो नहीं हूं, आप जानते ही हैं कि तकिए के नीचे रिवॉल्वर रखकर सोता हूं—किसी भी गड़बड़ी से खुद निबटने का हौसला भी है मुझमें।”
“वह मैं जानता हूं, लेकिन...!”
“लेकिन।”
“आप यह कैसे कह सकते हैं कि मेरी सम्भावना निर्मूल है?”
“क्या किसी को ख्वाब चमकेगा कि मेरा सम्बन्ध के.एस.एस. से है?”
“आपके ख्याल से ग्राडवे के बारे में क्या किसी को ख्वाब चमका था?”
इस प्रश्न पर चैम्बूर खामोश रह गया, शायद निरुत्तर हो गया था वह, बाण्ड की मुस्कान पहले से कहीं ज्यादा गहरी हो गई, बोला—“मिस्टर गार्डनर के नाम से आपके पास फोन आना ही इस बात का प्रमाण है कि इस बार ग्राडवे के हत्यारे की नजर आप पर है, उस फोन द्वारा वह जान चुका है कि आप गार्डनर से सम्बन्धित हैं, शायद यह भी कि आपका सम्बन्ध के.एस.एस. से हैं—इन्हीं सब बातों की वजह से मेरा अनुमान है कि वे आप पर हाथ जरूर डालेंगे और उन्हें रंगेहाथों पकड़ने के लिए ही मैं तब तक उस सेफ में रातें गुजारता रहूंगा जब तक कि अपने मकसद में कामयाब नहीं हो जाता।”
कन्धे उचकाकर चैम्बूर ने कहा—“तुम्हारी मर्जी, जिद्दी हो न—जानता हूं कि मेरी एक नहीं सुनोगे।”
“दरवाजा बन्द कर लीजिए।” कहकर वह मुस्कराता हुआ घूमा और दरवाजे की तरफ बढ़ गया—चैम्बूर ने उसे निकालकर दरवाजा बन्द किया और बाण्ड के जाते ही चैम्बूर के चेहरे पर अजीब-से भाव उभरे, जिस्म में बड़ी ही अनोखी-सी फुर्ती नजर आने लगी—फुर्ती से वह बेड की साइड ड्राअर पर रखे फोन के नजदीक पहुंचा।
रिसीवर उठाकर किसी के नम्बर डायल किए।
सम्बन्ध स्थापित होने पर दूसरी तरफ से बड़ी मोटी-सी रहस्यमय आवाज उभरी—“हैलो!”
“मैं चैम्बूर बोल रहा हूं।”
“बोलो!”
“वह अभी-अभी यहां से गया है।”
“रात कुछ हुआ?”
“जी नहीं।”
“गुड—क्या बाण्ड कल रात को भी सेफ में रहने के लिए कह गया है?”
“जी हां, म...मैं तो परेशान हो गया हूं उससे—उसकी मौजूदगी की वजह से मुझे भी ठीक से नींद नहीं आती।”
“तुम्हें ऐसा नहीं सोचना चाहिए—वह बेचारा तो सारी रात सेफ में खड़े-खड़े गुजार देता है, उसकी मौजूदगी में तुम उन अनजान लोगों के खतरे से बिल्कुल बाहर रहते हो, जो कोहिनूर के चक्कर में हैं।”
“बाण्ड भी तो मेरे लिए एक प्रॉब्लम ही है।”
“फिलहाल उसे आवश्यक खतरा समझकर सहन करने में ही तुम्हारी भलाई है और सुनो, उम्मीद है कि हमारी चेतावनी तुम्हें याद होगी?”
“ज...जी हां—बिल्कुल याद है!” चैम्बूर का चेहरा पीला पड़ गया।
“याद ही रखना, वह चाहे बाण्ड हो या वे अनजान लोग जिनकी नजर तुम पर है—किसी भी हालत में इनमें से किसी से भी हमारे बारे में बातें करने का अर्थ होगा—लंदन की दीवारों पर बेडरूम के फोटो चिपक जाना, लोग बड़ी आसानी से पहचान लेंगे कि वह बेडरूम किसका है और बेडरूम की मालकिन का फोटो तो स्पष्ट है ही, जरा सोचो—यदि लोगों ने उन दोनों को पहचान लिया तो।”
“प...प्लीज...प्लीज फोन पर ऐसी बात न कीजिए।” चैम्बूर गिड़गिड़ा उठा।
दूसरी तरफ से हल्के ठहाके की आवाज गूंजी फिर कहा गया—
“तुम केवल तभी तक सम्मानित और सुरक्षित हो जब तक किसी भी स्थिति में हमारे बारे में किसी को कुछ नहीं बताते।”
“म...मैं...मर जाऊंगा, लेकिन आपके बारे में कभी किसी को कुछ नहीं...!”
वाक्य अधूरा ही छोड़ दिया उसने, क्योंकि दूसरी तरफ से सम्बन्ध-विच्छेद किया जा चुका था—रिसीवर रखते वक्त न केवल हाथ बल्कि चैम्बूर का सारा जिस्म किसी सूखे पत्ते की तरह कांप रहा था, सख्त सर्दी के बावजूद फक्क पड़े हुए चेहरे पर पसीना-ही-पसीना नजर आ रहा था
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05-22-2020, 03:13 PM,
#54
RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
दूसरी मंजिल पर स्थित कमरे में खिड़की की चौखट पर एक पैर टिकाकर विकास ने हाथ में दबे रिवॉल्वर की मूठ का भरपूर वार शीशे पर किया—वातावरण में कांच टूटने और फिर फर्श पर टूटकर खील-खील हो जाने की आवाज गूंजती चली गई।
कांच कमरे के अन्दर फर्श पर गिरा था।
“क...कौन है?” एक स्त्री की हड़बड़ाई-सी आवाज गूंजी।
विकास ने फुर्ती से टूटे हुए कांच वाले स्थान से हाथ अन्दर डाल दिया। कमरे में अंधेरा व्याप्त था। हां—अन्दर हलचल का आभास अवश्य हो रहा था—फिर वातावरण में चिटकनी खुलने की आवाज उभरी।
‘कट’ से लाइट ऑन हुई।
यही वह क्षण था जब विकास खिड़की के पट खोलकर जिन्न की तरह कमरे में कूद पड़ा।
वातावरण एक नारी की चीख से झनझना उठा। यह चीख स्विच बोर्ड के समीप मौजूद करीब पच्चीस वर्षीय महिला के कंठ से विकास को देखकर निकली थी। उसके जिस्म पर नाइट गाउन था और वह खड़ी वह थर-थर कांप रही थी। रिवॉल्वर ताने विकास ने क्रूर अन्दाज में उसे घूरा।
विस्फारित-सी महिला जड़ होकर रह गई, जुबान तालू से जा चिपकी थी— चीख के बाद एक हल्की-सी आवाज भी उसके कंठ से न निकली, विकास उसके अत्यन्त समीप पहुंच गया—नाल उसके मस्तक पर रखकर गुर्राया—“चीखो, मैं कहता हूं जोर से चीखो।”
उसने बड़ी मुश्किल से कहा—“क...कौन हो तुम, क्या चाहते हो?”
“मैं चाहता हूं कि तुम चीखो, जोर से!”
महिला को लगा कि ये लम्बा और क्रूर लड़का उसके मुंह से चीख निकल जाने की वजह से गुस्से में है, कह रहा है कि अब चीखकर देखो, ये गोली तुम्हारा सिर तोड़ देगी, डर की वजह से चीखना तो दूर, वह ‘चूं’ भी न कर सकी, जबकि विकास गुर्राया—“मैं कहता हूं चीखो, अगर चुप रही तो गोली मार दूंगा।”
भिन्नाई हुई-सी महिला लड़के को देखती रही—ऐसा तो वह स्वप्न में भी नहीं सोच सकती थी कि वह वाकई उसे चीखने का हुक्म दे रहा है, जबकि विकास ने उसे चीखती न देखकर रिवॉल्वर के दस्ते का भरपूर वार उसके सिर पर किया और चीखा—“मैं कहता हूं चीखो, जोर से—किसी को मदद के लिए बुलाओ।”
तभी बराबर वाले कमरे से किसी लड़की के चीखने की आवाज ने कोठी को झंझोड़ डाला।
“बचाओ....बचाओ!” महिला भी हलक फाड़कर चिल्ला उठी।
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सेफ के अन्दर खड़ा जेम्स बाण्ड अभी इन चीखों का अर्थ ठीक से समझ भी नहीं पाया था कि चैम्बूर हड़बड़ाकर उठ बैठा, बौखलाए-से स्वर में उसने कहा—“य...ये क्या हो रहा है—ओह, ये चीखें तो जेनिफर और कलिंग की हैं—वे शायद किसी मुसीबत में हैं।”
इतना कहते हुए उन्होंने तकिए के नीचे से रिवॉल्वर निकाला, फुर्ती से दरवाजे की तऱफ लपका कि तभी, बाण्ड ने सेफ से बाहर जम्प लगाते हुए कहा— “अ...आप यहीं ठहरिए मिस्टर चैम्बूर, मैं देखता हूं।”
चैम्बूर ठिठक गया, चीखें अब भी गूंज रही थीं।
हाथ में रिवॉल्वर लिए बाण्ड आंधी-तूफान की तरह दरवाजे पर झपटा, चिटकनी खोलकर गैलरी में पहुंचा और फिर पागलों की तरह जेनिफर तथा कलिंग के कमरों की तरफ भागता चला गया।
हाथ में रिवॉल्वर लिए चैम्बूर दरवाजे के बीचो-बीच किंकर्तव्यविमूढ़-सा खड़ा था, एक मोड़ पर घूमने के बाद बाण्ड उसकी नजरों से ओझल हो गया और यही वह क्षण था जबकि एक थम्ब के पीछे से एक इंसान जिस्म तीर की तरह सनसनाता हुआ उसकी तरफ आया।
अभी वह कुछ समझ भी नहीं पाया था कि एक इंसानी सिर की टक्कर ‘फड़ाक’ से उसकी नाक पर पड़ी—वह बिलबिला उठा, रिवॉल्वर हाथ से निकलकर फर्श पर गिर पड़ा—और फिर हमलावर ने संभलने के लिए उसे एक क्षण भी तो नहीं दिया, चैम्बूर के कंठ से लगातार चीखें उबलने लगीं।
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#55
RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
जब विकास को यकीन हो गया कि इन चीखों ने चैम्बूर को कमरे से बाहर निकाल दिया होगा तो रिवॉल्वर लिए वह कमरे के बन्द दरवाजे की तरफ बढ़ा, चिटकनी खोलता हुआ बोला, “शाबाश, और जोर से चीखो—चीखती रहो, मुझे यकीन है कि तुम्हारी मदद के लिए जरूर कोई आएगा—जोर से चीखो।”
“बचाओ...बचाओ...बचाओ!” महिला हलक फाड़-फाड़कर अपनी पूरी ताकत से चीखती रही।
चीखने की वैसी ही आवाजें बराबर वाले कमरे से भी आ रही थीं। विकास दरवाजा खोलकर कमरे से बाहर निकल आया, गैलरी में आते ही दरवाजा बाहर से बन्द कर दिया— रिवॉल्वर बहुत ही आराम से उसने जेब में डाला।
गैलरी के मोड़ के उस पार से विकास ने भागते कदमों की आहट सुनी, कोई बहुत ही तेजी से आंधी-तूफान की तरह इसी तरफ भागा चला आ रहा था।
“गुरु ने भी अपना काम काफी जल्दी निपटा लिया महसूस होता है।” बड़बड़ाता हुआ विकास बराबर वाले कमरे के बन्द दरवाजे की तरफ बढ़ा, उसका विचार दरवाजे को नॉक करके अशरफ को ऑपरेशन की सफलता की सूचना देकर उसे बाहर बुला लेने का था।
भागते कदमों की आवाज बेहद नजदीक आ गई, उसने गैलरी के मोड़ की तरफ देखते हुए नॉक करने के लिए अभी हाथ उठाया ही था कि उसके तिरपन कांप गए।
हां, ये सच है कि उस एक पल के लिए विकास जैसे लड़के के होश फाख्ता हो गए थे। ऐसा वहां बाण्ड को मौजूद देखकर हुआ था।
उसने तो इस तरह भागकर इस तरफ आने की कल्पना केवल विजय के लिए ही की थी—बाण्ड को देखने से पहले, ऐसा तो वह ख्वाब में भी नहीं सोच सकता था कि वह बाण्ड होगा।
भागते कदमों की आवाज को उसने विजय के कदमों की आवाज ही समझ था।
सामने बाण्ड को देखते ही हतप्रभ-सा खड़ा रह गया वह, हक्का-बक्का—सोचने-समझने की शक्ति ही न रही उसमें— एक क्षण के लिए दिमाग मानो बिल्कुल शून्य हो गया था।
वह तब चौंका, जब दूर रिवॉल्वर ताने खड़ा बाण्ड गुर्राया—“कौन हो तुम?”
“त...तुम कौन हो?” विकास भी गुर्राया, बाण्ड की यहां मौजूदगी ने उसे किंकर्तव्यविमूढ़ कर दिया था।
जवाब में बाण्ड ने एकदम फायर झोंक दिया—“धांय!”
ऐसे नाजुक क्षण में विकास को गोली से बचने की अपनी संगआर्ट का प्रदर्शन करने के अलावा और सूझ भी क्या सकता था, संगआर्ट का प्रदर्शन करके उसने न सिर्फ खुद को गोली से बचाया—बल्कि हवा में उछला, किसी तीर की तरह सनसनाता हुआ बाण्ड पर लपका।
उसे गोली से बचता देखकर बाण्ड हक्का-बक्का रह गया, दूसरा फायर करने का होश ही न रहा था उसे और नतीजा ये निकला कि विकास की फ्लाइंग किक उसके सीने पर पड़ी।
एक चीख के साथ वह हवा में उछलकर पीछे फर्श पर जा गिरा, इस बीच रिवॉल्वर हाथ से छूटकर जाने कहां जा गिरा था—विकास ने उस पर पुनः जम्प लगा दी, परन्तु इस बीच बाण्ड भी स्वयं को संभाल चुका था—ऐन वक्त पर उसने अपना स्थान छोड़ दिया।
विकास मुंह के बल फर्श पर आकर गिरा।
बिजली के बेटे की तरह बाण्ड झपटकर उसके ऊपर चढ़ बैठा और विकास को कोई भी अवसर दिए बिना दोनों हाथ उसकी गर्दन पर जमा दिए, विकास छटपटाकर उसके बन्धन से निकलने की कोशिश कर रहा था, जबकि दांत भींचे बाण्ड उसकी गरदन दबाए चला जा रहा था, तभी—अपने पीछे उसने आहट सुनी। विकास को छोड़कर बाण्ड ने उछल पड़ने में बिजली की-सी फुर्ती दिखाई, परन्तु उसके संभलने से पहले ही किसी रिवॉल्वर के दस्ते का भरपूर वार कनपटी पर पड़ा—अगले ही क्षण असंख्य रंग-बिरंगे तारे उसकी आंखों के सामने चकरा उठे, वह लहराया—वातावरण में काली चादर खिंचती चली गई।
बाण्ड धड़ाम से फर्श पर गिर पड़ा।
“भागो यहां से—जल्दी।” ये आवाज अशरफ की थी।
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“हैलो—हैलो सर, मैं जेम्स बाण्ड बोल रहा हूं।”
ट्रांसमीटर पर दूसरी तरफ से मिस्टर एम की आवाज—“हां, हम बोल रहे हैं बाण्ड—रात के इस वक्त तुम्हें सम्बन्ध स्थापित करने की क्या जरूरत आ पड़ी और तुम इतने घबराए हुए—से क्यों हो?”
“म...मिस्टर चैम्बूर का अपहरण हो गया है सर!”
“क...क्या—कैसे?”
“फिलहाल विवरण बताने का समय नहीं है चीफ, उन लोगों से टकराव में मैं बेहोश हो गया था—दस मिनट बेहोश रहा, होश में आते ही आपसे बात कर रहा हूं— अभी मैं चैम्बूर की कोठी पर ही हूं, सीधा अपनी कोठी पर पहुंचूंगा, आप किसी के जरिए इसी वक्त भारतीय सीक्रेट सर्विस के एजेण्टों से सम्बन्धित फाइल मेरी कोठी पर भिजवा दीजिए.”
“उसकी तुम्हें क्या जरूरत आ पड़ी?”
“बाद में बताऊंगा सर, प्लीज—फिलहाल आप वह फाइल भेज दीजिए और हां, एलिजाबेथ होटल में रह रही वह जापानी लड़की हालांकि इस वक्त भी के.एस.एस. के जासूसों की नजरों में होगी, मगर मेरे ख्याल से अब वहां पहरा पर्याप्त नहीं रहा है—इसी वक्त से ब्यूटी के चारों तरफ सीक्रेट सर्विस एजेण्टों का सख्त-से-सख्त जाल बिछा दीजिए, मगर उस लड़की को इसका बिल्कुल इल्म न हो पाए— उससे किसी की कोई बात नहीं करनी है, सिर्फ इस बात पर नजर रखनी है कि वह किसी से या कोई उससे न मिल पाए— उसके इर्द-गिर्द संदिग्ध नजर आने वाले किसी भी व्यक्ति को तुरन्त गिरफ्तार कर लिया जाए—जासूसों की नजरों से एक पल के लिए ओझल न हो सके वह लड़की, मुझे उसकी हर सांस का हिसाब चाहिए।”
“हम सारा प्रबन्ध अभी कर देते हैं।”
मिस्टर एम के इस वाक्य को सुनने के बाद बाण्ड ने एक भी औपचारिक शब्द कहकर समय नहीं गंवाया, ट्रांसमीटर ऑफ करके जेब में रखता हुआ वह चैम्बूर के कमरे की तरफ भागा, कमरे में पहुंचकर उसने कोई नम्बर डायल किया—दूसरी तरफ घण्टी बजने लगी—बाण्ड रिसीवर कान से लगाए खड़ा रहा।
बैल बज रही थी, परन्तु रिसीवर नहीं उठाया जा रहा था।
बाण्ड कसमसा-सा रहा था, चेहरे पर झुंझलाहट के भाव उभरने लगे और केवल दो मिनट में यह झुंझलाहट इतनी बढ़ गई कि रिसीबर क्रेडिल पर पटकने ही जा रहा था कि दूसरी तरफ से रिसीवर उठाए जाने ती आवाज आई, बाण्ड ने बेचैन होकर शीघ्रता से कहा—“हैलो....हैलो!”
“कौन है?” एक नींद में डूबी अलसाई-सी आवाज!
“म...मैं बाण्ड हूं—डबल ओ सेविन—क्या मिस्टर जिम बोल रहे हैं?”
“अ...आप मिस्टर बाण्ड।” दूसरी तरफ से बोलने वाले का आलस्य गायब—“क्या बात है, रात के इस...।”
बाण्ड ने उसकी बात बीच ही में काटकर जल्दी-से-कहा— “हथियारों की दुकान में पड़ी डकैती से सम्बन्धित जितने भी निशान और सबूत आपने अभी इकट्ठे किए हैं, वे सभी लेकर फौरन मेरी कोठी पर पहुंचिए।”
“क्यों?”
“किसी किस्म के सवाल-जवाबों में उलझने का समय नहीं है, एक क्षण भी गंवाए बिना पहुंचिए।” कहने के बाद उसने दूसरी तरफ से किसी जवाब की प्रतीक्षा किए बिना रिसीवर क्रेडिल पर पटक दिया।
घूमा और फिर भागता हुआ बाहर निकल गया। कमरों में बन्द जेनिफर और कलिंग को बाहर निकालने तक की जहमत न उठाई थी उसने।
तीस मिनट बाद जब वह अपनी कोठी पर पहुंचा तो मिस्टर एम का भेजा हुआ आदमी वहां पहले ही से मौजूद था, उसके हाथ में भारतीय सीक्रेट सर्विस के एजेण्टों से सम्बधित फाइल थी— बाण्ड ने फाइल लेकर उसे विदा किया।
केवल पांच मिनट बाद मिस्टर जिम वहां पहुंच गए।
एक क्षण भी गंवाए बिना बाण्ड ने उनसे हथियारों की दुकान में हुई डकैती से सम्बन्धित फाइल ले ली, मिस्टर जिम ने कई प्रश्न किए परन्तु बाण्ड ने किसी भी प्रश्न का जवाब नहीं दिया तथा उन्हें कमरे ही में पड़े सोफे पर बैठने का इशारा करके स्वयं एक रीडिंग टेबल पर बैठ गया।
बाण्ड द्वारा एक बटन ऑन करते ही मेज के पृष्ठ भाग में कोई रॉड ऑन हो गई— मेज के बीच में लगा पारदर्शी शीशा बुरी तरह चमकने लगा, जिस पर लाई गई फाइल में से उसने चौकीदार की टॉर्च तथा लाठी पर से प्राप्त होने वाले फिंगरप्रिंट्स के निगेटिव्स शीशे पर रख दिए।
उंगलियों के निशान बिल्कुल साफ चमकने लगे।
अब बाण्ड ने मिस्टर एम द्वारा भेजी गई फाइल खोली और उसमें मौजूद विजय, विकास आदि की उंगलियों के निशानों से उन्हें मिलाने लगा।
यह बहुत बारीक काम था और बाण्ड इसे पूरी एकाग्रता के साथ कर रहा था।
विजय, विकास और परवेज की उंगलियों के निशान ने उसे निराश किया—परन्तु टॉर्च पर मौजूद निशानों के अशरफ के निशानों से मिलते ही उसकी आंखें बुरी तरह चमकने लगीं—फिर वह दुकान के तालों और शटर के हैंडिल से प्राप्त निशानों को विकास की उंगलियों के निशानों से मिलाने में कामयाब हो गया।
इस सारे काम में उसे पूरा एक घण्टा लग गया था, लेकिन जब वह उठा तब चेहरा सफलता की दमक से चमक रहा था, अब वह निश्चिंत नजर आ रहा था—बिल्कुल तनावरहित।
“क्या मैं पूछ सकता हूं मिस्टर बाण्ड कि आप क्या कर रहे थे?” जिम ने पूछा।
“ओह!” बाण्ड के होंठों पर उसकी सदाबहार आकर्षक मुस्कान उभर आई— “आप अभी तक यहीं हैं।”
“पूरे एक घण्टे बोर हुआ हूं, बीच में यह सोचकर नहीं बोला कि आप व्यर्थ ही डिस्टर्ब होंगे।”
बैठने के बाद एक सिगरेट सुलगाते हुए बाण्ड ने पूछा—“क्या जानना चाहते हैं आप?”
“उन उंगलियों के निशानों को आप किनकी उंगलियों के निशानों से मिला रहे थे?”
प्रश्न सुनकर थोड़ी देर चुप रहा बाण्ड, फिर बोला—“इस बात को छोड़िए मिस्टर जिम, आप केवल इतना ही जान लीजिए कि मैं हथियारों की दुकान में डकैती डालने वालों के नाम जान चुका हूं—अब केवल यही पता लगाना बाकी रह गया है कि वो लंदन में कहां रह रहे हैं, और यह पता लगाने के लिए भी मेंरे पास एक जबरदस्त क्लू या हथियार मौजूद है—आपके डाकू शीघ्र ही लंदन की जेल मैनजर आएंगे।”
“क्या आप मुझे उनके नाम नहीं बताएंगे?”
“जो बताया है, वह भी केवल इसलिए क्योंकि एक घण्टा आप यहां धैर्यपूर्वक बैठे रहे हैं— उनकी गिरफ्तारी से पहले मैं ये शब्द भी किसी अन्य से कहने वाला नहीं हूं और यदि आप सचमुच इन अपराधियों की गिरफ्तारी चाहते हैं तो वक्त से पहले मेरे शब्दों का जिक्र किसी और से न करें!”
जेम्स बाण्ड के चेहरे को देखता रह गया, कुछ बोल नहीं सका।
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05-22-2020, 03:14 PM,
#56
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पीटर हाउस के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित उस कमरे में पड़े सोफे पर चैम्बूर के बेहोश जिस्म को लिटाते हुए विजय ने एक लम्बी सांस ली, माथे से पसीना पोंछा और हांफता हुआ स्वयं भी ‘धम्म’ से सोफे पर गिर पड़ा—चैम्बूर को कन्धे पर लादकर रेनवाटर पाइप पर चढ़ने तथा फिर वहां से यहां तक लाने में उसकी सांस फूल गई थी।
सांसें विकास, अशरफ और विक्रम की भी अनियंत्रित थीं।
चैम्बूर की कोठी से यहां तक पहुंचने के लिए विक्रम ने कार आंधी के समान तेज चलाई थी, प्रत्येक पल यह खतरा लगा रहा था कि कहीं कोई गश्ती पुलिस टुकड़ी उन्हें रोक न ले।
मस्तिष्क तरह-तरह की आशकांओं के अधीन तनावग्रस्त रहे थे।
विक्रम ने कहा—“गाड़ी में तुम लोग बाण्ड के बारे में बात कर रहे थे, वह भला चैम्बूर की कोठी में कहां से पहुंच गया?”
“यही तो मेरी समझ में नहीं आ रहा है।” अशरफ ने कहा—“मैं तो ऑपरेशन की कामयाबी पर पूरी तरह आश्वस्त होकर कमरे से बाहर निकला था कि गैलरी का दृश्य देखते ही चौंक पड़ा, एक व्यक्ति से बाकायदा विकास का मल्लयुद्ध चल रहा था, तब—मेरे दिमाग में उस फायर की आवाज का आशय समझ में आया जो मैंने कलिंग के पास कमरे में रहते सुनी थी—बाण्ड को पहचानते ही तो मेरे होश फाख्ता हो गए और मैंने निश्चय कर लिया कि बाण्ड को बेहोश किए बिना हम यहां से नहीं निकल सकेंगे।”
“और आपने रिवॉल्वर के दस्ते से उसे बेहोश कर दिया!”
“हां, मगर समझ में नहीं आया—रात के इस वक्त बाण्ड आखिर वहां कर क्या रहा था?”
“हमारा इन्तजार!” विजय ने बड़े आराम से कहा। तीनों एक साथ चिहुंक पड़े, विकास बोला—“इन्तजार! क्या उन्हें मालूम तथा कि हम वहां पहुंचेंगे?”
“बेशक मालूम था!”
“कैसे?”
“इस बार चूक हमसे हो गई प्यारे, इसीलिए कहते हैं कि बड़े-बड़े धुरन्धर चूक जाते हैं।”
विकास ने पूछा—“क्या चूक हो गई आपसे?”
“तुमने चैम्बूर को गार्डनर के नाम से फोन किया और फिर उसकी आवाज सुनते ही बिना एक लफ्ज भी बोले रख दिया, यह छोटी-सी बात हमारे दिमाग में नहीं आई कि चैम्बूर और गार्डनर के बीच इस रहस्यमय फोन की चर्चा होनी कितनी स्वाभाविक है—गार्डनर ने चैम्बूर से कहा होगा कि उसने ऐसा कोई फोन नहीं किया था—फिर सवाल उठा कि फोन किसने किस मकसद से किया—तभी उन्हें ग्राडवे का कत्ल होने की बात स्पष्ट हो गई होगी—उसमें आशा का कोहिनूर देखना भी जुड़ गया— इन तीन वारदातों ने उन्हें बता दिया कि कुछ लोग कोहिनूर में दिलचस्पी ले रहे हैं—और शायद इसी केस पर काम करने के लिए के.एस.एस. ने एम से बाण्ड को इस केस पर नियुक्त करने को कहा—इस प्रकार बाण्ड के लिए यह समझ जाना कितना आसान है कि कोहिनूर में दिलचस्पी लेने वालों का अगला शिकार चैम्बूर है और इतना पता लगने पर भी बाण्ड चैम्बूर के इर्द-गिर्द न रहता?”
“ओह!”
“अगर हम उसी वक्त सोच लेते कि तुम्हारे फोन की उधर क्या प्रतिक्रिया होगी तो हमें बाण्ड की वहां मौजूदगी का पहले से ही आभास होता और इस तरह चौंकते नहीं।”
“क्या बाण्ड को वहां देखकर आप भी चौंके थे गुरु?”
“चौंक पड़ना तो स्वाभाविक ही था, हम थम्ब के पीछे घात लगाए खड़े थे कि कब दरवाजा खुले—दरवाजा खुलने से पहले ही हमें कमरे के अन्दर से आवाजें आईं— यह सोचकर हम चकराए कि कमरे में चैम्बूर यदि अकेला है तो वह बोल क्यों रहा है और यदि कोई दूसरा है तो कौन है— तभी एक झटके से दरवाजा खुला—अभी बाण्ड पर नजर पड़ते ही हमारी बुद्धि को जंग लगा, वह एक पल बौखलाया फिर गैलरी में ठिठके बिना भागता चला गया था—और उसी क्षण वे सारी बातें बिजली की तरह हमारे दिमाग में कौंध गईं जो थोड़ी देर पहले कह आए हैं।”
“और यदि सच कहा जाए गुरु तो मैं आज बाल-बाल बचा हूं।”
विकास ने कहा—“गैलरी के दूसरी तरफ से भागते कदमों की आहट सुनकर भी मैं लापरवाह बना रहा, यह सोचकर कि आप होंगे मगर आपके स्थान पर बाण्ड को देखते ही मैं भौंचक्का रह गया, उस वक्त मेरे सामने वहां बाण्ड आ खड़ा होगा, इस सच्चाई पर मैं तो अब भी ठीक से विश्वास नहीं कर पा रहा हूं— मेरे दिल वाले स्थान का निशाना लिया था, वह तो मैं खुद को संगआर्ट का प्रदर्शन करके...।”
“स...संगआर्ट?” विजय एकदम इस तरह उछल पड़ा जैसे उसे सैकड़ों बिच्छुओं ने एक साथ डांक मार दिए हों।
तीनों भौंचक्के-से उसकी तरफ देखने लगे।
“क्या हुआ गुरु?”
“तुमने संगआर्ट से खुद को उसकी गोली से बचाया था?”
“और नहीं तो क्या करता?”
“मारे गए मलखान!” कहकर विजय ने बहुत जोर से अपने माथे पर हाथ मारा और लहराकर इस तरह वापस ‘धम्म’ से सोफे पर गिर पड़ा जैसे माथे में गोली लगी हो, फिर उसने अपने सारे शरीर को इस तरह ढीला छोड़ दिया जैसे उसमें प्राण ही बाकी न रहे हो।
हैरत में डूबे तीनों उसे देख रहे थे।
“क्या हुआ गुरु?”
“सब कुछ हो गया है प्यारे—होने के लिए अब बाकी कुछ नहीं बचा है।” विजय की अवस्था उस सेठ जैसी दिखाई दे रही थी, जो रात को तिजोरी को नोटों से लबालब भरी छोड़कर सोया था और सुबह होते ही उसे बिल्कुल खाली पाया।
अशरफ चीख–सा पड़ा—“ऐसा क्या हो गया है विजय, बताते क्यों नहीं?”
“बाण्ड जान गया है प्यारे कि हम लोग कौन हैं?”
“क...कैसे?” विक्रम चीख उठा।
“जब ये लम्बू उसके सामने संगआर्ट का प्रदर्शन करेगा तो होगा ही क्या, किसी ने सच कहा है—साले लम्बों की अकल घुटने में ही होती है।”
और विजय के आशय को समझकर जहां विक्रम और अशरफ भौंचक्के रह गए, वहीं विकास का चेहरा बिल्कुल फक्क पड़ गया— सफेद—राख की तरह बिल्कुल निस्तेज—कुछ कहते नहीं बन पड़ा उस पर—यह तो उसने सोचा भी नहीं था कि वह इतनी बड़ी भूल कर चुका है—अशरफ और विक्रम की तरह वह भी केवल विजय के चेहरे को देखता रह गया।
“वह जानता है प्यारे कि संगआर्ट का इस्तेमाल दुनिया के गिने-चुने लोग ही कर सकते हैं—उन गिने-चुने लोगों में से अपनी विशेष लम्बाई के तुम अकेले ही हो— पुष्टि के लिए वह टॉर्च आदि से प्राप्त उंगलियों के निशानों को तुम्हारे और अशरफ के निशानों से मिला लेगा— जब तुम दोनों यहां हो तो वह बड़ी आसानी से लंदन ही में हमारी मौजूदगी की भी कल्पना कर लेगा।”
कोई कुछ नहीं बोला, जुबान पर ताले लटक गए थे।
विजय ने भन्नाए हुए स्वर में कहा—“अब मुंह लटकाए क्या बैठे हो?”
“सचमुच गुरु, बहुत बड़ी भूल हो गई।”
“इसमें भूल ही क्या करेगी प्यारे, गोली साली तुम्हारे दिल पर लपक रही थी—दो बातों में से एक तो होनी ही थी, या तो तुम्हारा कल्याण या ये भूल—कल्याण से फिर भी भूल अच्छी है।”
“वह तो ठीक है गुरु लेकिन...।”
“लेकिन?”
“गलती करने के बाद भी मुझे अहसास नहीं हुआ कि गलती हो चुकी है।”
“अब मुंह लटकाने या जो हो चुका है उस पर अफसोस करने से न तेल निकलने वाला है न तेल की धार—अब तो हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि अब इन नए हालात में हमारी स्थिति क्या है और हम क्या कर सकते हैं!”
“अब उसे केवल यह पता लगाना बाकी है कि लंदन में हम कहां रह रहे हैं?”
विकास बोला—“यह पता लगाने के लिए वह आशा आण्टी को गिरफ्तार कर सकता है।”
“आशा—ओह, प्यारो गए काम से!” इस क्षण विजय दूसरी बार पस्त हुआ—“हमारे नाम समझ में आते ही वह बहुत आसानी से समझ गया होगा कि वह ब्यूटी नहीं आशा है।”
“हमें आशा आण्टी को फौरन वहां से हटा देना चाहिए।” विकास ने जल्दी से कहा।
रिस्टवॉच पर नजर डालते हुए विजय ने कहा—“बहुत देर हो चुकी है।”
“क्या मतलब ?”
“बाण्ड के सिर पर रिवॉल्वर के दस्ते का वार हुए एक घण्टा गुजर चुका है, जबकि बाण्ड जैसी इच्छाशक्ति वाला उस चोट से पन्द्रह मिनट से ज्यादा तक बेहोश होने वाला नहीं है और होश में आते ही उसने आशा के चारों तरफ पहरा इतना कड़ा करा दिया होगा कि यदि हममें से किसी ने उस तक पहुंचने की मूर्खता की तो फौरन गिरफ्तार हो जाएगा।”
सभी के चेहरे लटक गए, अशरफ ने कहा—“लेकिन विजय, क्या जरूरी है कि जो हम सोच रहे हैं वही हुआ हो, ऐसा, भी तो हो सकता है कि बाण्ड के दिमाग में आशा का ख्याल ही न आया हो।”
“हालांकि सम्भावना बहुत कम है, लेकिन फिर भी ऐसा हो सकता है।”
“तो क्यों न हम आशा तक पहुंचने के लिए कम-से-कम एक बार ट्राई करें?” अशरफ ने कहा—“या कोई यही ताड़ने का रास्ता निकालें, कि आशा के चारों तरफ कोई पहरा है या नहीं?”
“गर्म खाने से मुंह जल जाता है प्यारे, इसलिए बुजुर्गों ने कहा है कि फूंक मार-मारकर ठंडा करके खाओ।”
“क्या मतलब?”
“यदि हमारा भेद जानने के बाद भी बाण्ड का ध्यान ब्यूटी के आशा होने पर अभी तक नहीं गया है तो यह ‘तय’ समझो कि भविष्य में बहुत जल्दी जाने वाला भी नहीं है—उस स्थिति में यदि आशा के चारों तरफ इस वक्त कोई पहरा न होगा तो हमें कल दिन में भी यही स्थिति मिलेगी—पहरा होगा तो वैसे ही हम कुछ नहीं कर सकेंगे— अतः कल दिन में ही सारी स्थिति को समझकर कोई कदम उठाना समझदारी है—इस वक्त हमारा लंदन की सड़कों पर निकलना वैसे भी मौत को दावत देने जैसा है।”
विजय की बात तर्कसंगत थी और विकास को जंच भी रही थी, परन्तु फिर भी यह उसे कुछ अजीब-सा लग रहा था कि इस वक्त आशा की खैर-खबर ही न ली जाए—फिर भी वह कुछ बोला नहीं— अपनी कोई राय पेश नहीं की उसने।
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05-22-2020, 03:14 PM,
#57
RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
“बोलो!” विकास गुर्राया—“अगर जान बचाना चाहते हो तो बोलो कि अलफांसे से तुम्हारे क्या सम्बन्ध हैं—इर्विन और गार्डनर से छुपकर तुम उससे क्या बातें करते हो?”
मगर चैम्बूर बेचारे को भला किसी सवाल का जवाब देने का होश कहां था?
बड़ी ही दयनीय अवस्था थी उसकी।
वह बेचारा तो चीख भी नहीं सकता था, मुंह पर सख्ती से एक टेप जो चिपका हुआ था।
कपड़े के नाम पर उसके जिस्म पर यह टेप ही एकमात्र रेशा था, वरना तो जन्मजात नग्न अवस्था में एक कुर्सी पर बंधा बैठा था— रेशम की डोरी की मदद से उसके हाथ कुर्सी के हत्थों के साथ बंधे थे और पैर कुर्सी के अगले दो पैरों के साथ।
पिछले दो घण्टे से बेचारे चैम्बूर की यही स्थिति थी।
जुबान खुलवाने का काम विकास को सौंपते हुए विजय ने चैम्बूर को उसके हवाले कर दिया था और विकास को जानने वाले सहज ही अनुमान लगा सकते हैं कि इन दो घण्टों में उसने चैम्बूर की क्या हालत कर दी होगी—मार-मारकर विकास ने उसका पूरा चेहरा सुजा दिया था।
जिस्म पर जगह-जगह नील पड़े हुए थे।
कई स्थानों पर सिगरेट से जलाए जाने के निशान भी थे।
ऐसे प्रत्येक अवसर पर चैम्बूर की अन्तरात्मा से मर्मान्तक चीखें उबल पड़तीं, परन्तु टेप के कारण हलक में ही घुटकर रह जातीं— विकास की यातनाएं सहता-सहता वह इन दो घण्टों में तीन बार बेहोश हो चुका था, विकास हर बार होश में लाकर उसे नए सिरे से टॉर्चर करना शुरू कर देता।
इतना सब कुछ होने के बावजूद भी चैम्बूर अभी तक टूटा नहीं था।
और जब विकास के इतने टॉर्चर करने के बाद कोई न टूटे, तब!
वह लड़का शैतान बन जाता है—बेरहम –क्रूर और वीभत्स। जिस कुर्सी के साथ चैम्बूर को बांधा गया था वह कमरे के ठीक बीचोबीच पड़ी थी, विकास अपना भभकता चेहरा लिए उसके सामने खड़ा था—कुर्सी से काफी हटकर तीन तरफ सोफा सेट की तीन कुर्सियां पड़ी थीं और उन पर अधलेटी-सी अवस्था में पड़े थे—विजय, अशरफ और विक्रम। वे बिल्कुल नॉर्मल अवस्था में, लापरवाह से पड़े थे, जैसे पता ही न हो कि कमरे में क्या हो रहा है—विक्रम किंग साइज की एक सिगरेट का धुंआ उड़ा रहा था, अशरफ अपनी दस उंगलियों पर एक माचिस को नचा रहा था तो विजय एक ऑलपिन से अपने दांत कुरेद रहा था।
विकास ने झपटकर चैम्बूर के बाल पकड़े, लाल-सुर्ख चेहरा लिए गुर्राया—“जब तक तुम मेरे सवालों का जवाब नहीं दोगे तब तक मैं तुम्हें न मरने दूंगा और न ही एक मिनट के लिए टॉर्चर करना बन्द करूंगा—तुम्हें बोलना ही होगा चैम्बूर—मेरे एक-एक सवाल का जवाब देना होगा तुम्हें—बताओ—जवाब दोगे या नहीं?”
घुटी-घुटी सी चीखों के साथ जब इस बार भी चैम्बूर ने नकारात्मक अंदाज में गरदन हिलाई तो विकास मानो आपे से बाहर हो गया— उसने सीधा घूंसा चैम्बूर की नाक पर मारा दर्द से बिलबिलाते हुए चैम्बूर की एक घुटी हुई चीख उभरी, उसकी नाक पिचक गई थी और वहां से परनाले का-सा रूप धारण करके खून बहने लगा था, परन्तु विकास रुकने वाला कहां था?
उसके दोनों हाथ बिजली की-सी गति से चलने लगे।
चैम्बूर के जिस्म पर वह इस तरह घूंसे बरसा रहा था, जैसे वह इंसान नहीं रुई की गठरी हो—पीछे हटा, नोकीले बूट की एक भरपूर ठोकर चैम्बूर की छाती पर जमाई।
वह कुर्सी ही उलटकर धड़ाम से फर्श पर जा गिरी, जिस पर वह बंधा था, किन्तु विकास पर तो जुनुन हो गया था, उसे भला इस बात का होश कहां?
उस स्थिति में भी बूट की ठोकरें चैम्बूर के जिस्म पर वह मारता ही रहा। उसे यह भी होश नहीं रहा था कि चैम्बूर एक बार फिर बेहोश हो गया है— उसके बेहोश जिस्म पर ही बेरहमी से चोट करता रहा वह तब विक्रम ने कहा— “वह बेहोश हो गया है विकास!”
विकास को जैसे होश आया, वह ठिठक गया।
वह बुरी तरह हांफ रहा था, सारा जिस्म पसीने से लथपथ हो गया था—कुछ ऐसी अवस्था थी विकास की जैसे मीलों लम्बी दौड़ लगाने के बाद अभी-अभी यहां पहुंचा हो—कुछ देर तक उसी अवस्था में फर्श पर पड़ी कुर्सी पर बंधे चैम्बूर को आग्नेय नेत्रों से घूरता रहा।
फिर अचानक ही उसने कुर्सी सीधी कर दी।
“मुझे नहीं लगता प्यारे दिलजले कि यह हमें एक लफ्ज भी बताएगा।” विजय ने कहा।
हवा के झोंके की तरह विजय की तरफ घूम गया लड़का—उसकी हालत देखकर अशरफ और विक्रम की रीढ़ की हड्डियों में मौत की सिहरन दौड़ गई, रोंगटे तो विजय जैसे व्यक्ति के भी खड़े हो गए थे— उसका पूरा चेहरा एक धधकती हुई भट्टी के समान नजर आ रहा था और आंखें मानो उस भट्टी में सुलगते हुए दो अंगारे थे—नर—पशु-सा नजर आ रहा था वह, भेड़िए की तरह गुर्राकर बोला—“चैम्बूर को बोलना होगा गुरु,एक-एक लफ्ज मैं इससे उगलवाकर ही दम लूंगा जो यह जानता है।”
“मगर कैसे?” विजय कह उठा—“पूरे सवा दो घण्टे हो गए हैं, इन सवा दो घण्टों में टॉर्चर का हर तरीका इस पर इस्तेमाल किया जा चुका है, मगर इसने एक...!”
“टॉर्चर के तरीके?” लड़का दांत भींचकर कह उठा— “इसका मतलहब ये हुआ अंकल कि टॉर्चर के तरीके अभी आपने देखे ही नहीं है, विकास सहने वालों की नहीं—देखने वालों की भी रूह कंपकंपा दिया करता है।”
“अब तुम्हारे पास आखिरी तरीका बचा है, ब्लेड वाला— ब्लेड से तुम प्याज के छिलके की तरह इसकी खाल उतार सकते हो, लेकिन उस तरीके को इस्तेमाल न करने की हिदायत तुम्हें विजय ने पहले ही दे दी है।”
“यही तो मुसीबत है।” विजय की तरफ देखते हुए विकास ने दांत भींचकर अपने दांए हाथ का घूंसा पूरी ताकत से बाईं हथेली पर मारा— “अगर विजय गुरु ने वह तरीका अवैध घोषित न किया होता तो...!”
“उस तरीके से यह मर सकता है प्यारे और अगर ये मर गया तो सारा खेल ही खत्म हो जाएगा।”
“मैं इस हरामजादे को मरने नहीं दूंगा गुरु, टॉर्चर चेयर पर बैठे लोग जुबान इसलिए खोलते हैं कि कहीं टॉर्चर करने वाला उन्हें मार ही न डाले, मगर ये इसलिए बोलेगा कि कहीं मैं इसे जिन्दा छोड़ दूं—मैं इसके अन्दर मरने की इच्छा इतनी प्रबल कर दूंगा कि जीवन का एक-एक क्षण इसे भारी हो जाएगा।”
“लेकिन यह होगा कैसे प्यारे?”
कुछ जवाब नहीं दिया विकास ने, रह-रहकर दाएं हाथ के घूंसे बाईं हथेली पर मारता रहा—अन्दाज ऐसा था जैसे बहुत जल्दी से कोई तरकीब सोच लेना चाहता हो।
वे तीनों अजीब-सी नजरों से उसे देखते रहे। अशरफ के हाथ में मौजूद माचिस पर से होती हुई डबल एक्स फाइव की दृष्टि उस ऑलपिन पर टिक गई, जिससे विजय अभी तक अपने दांत कुरेद रहा था, अचानक ही उसने चीख पड़ने की-सी अवस्था में पूछा—“ये ऑलपिन आपने कहां से लिया है गुरु?”
विजय ने कोने में रखे एक मेज की तरफ इशारा करके कहा—
“उसकी ऊपर वाली दराज से।”
“क्या वहां और ऑलपिन भी हैं?”
“पूरी डिब्बी भरी रखी है।”
“वैरी गुड!” कहने के साथ ही विकास ने झपटकर अशरफ के हाथ से माचिस छीन ली, वे विकास को हैरतअंगेज नजरों से देखते ही रह गए थे, जबकि वह लपकता-सा मेज के समीप पहुंचा। ड्राअर खोली। उसमें से ऑलपिन की डिब्बी निकालकर मेज पर रखी। माचिस खोलकर उसने सारी तीलियां मेज पर बिखेर दीं, वह बॉक्स, जिसमें तीलियां होती हैं, खाली करके पुनः माचिस के खोल में डाला— अब उसके हाथ में रिक्त मैच बॉक्स था।
विकास ने डिब्बी से एक ऑलपिन लेकर माचिस के फ्रंट में घुसेड़ दिया, ऑलपिन का नुकीला अग्रिम बाग माचिस के अन्दर से होता हुआ तीलियों वाली डिबिया को ‘क्रॉस’ करके पृष्ठ—भाग से बाहर निकल आया, ऑलपिन की पीठ माचिस के फ्रंट से उठ गई थी।
मानो किसी एक इंच मोटे लकड़ी के तख्ते पर दो इंच लम्बी कील पूरी तरह ठोक दी गई हो।
अब विकास जल्दी-जल्दी माचिस में इसी प्रकार ऑलपिन लगाने लगा—एक प्रकार से ऑलपिनों को माचिस में ठोकता जा रहा था वह—माचिस के पृष्ठ भाग में उभरी हुई ऑलपिनों की नोकों की संख्या बढ़ती ही गई।
उन्हें और बढ़ाने में व्यस्त विकास ने कहा—“चैम्बूर को होश में लाओ अशरफ अंकल!”
अशरफ अपने स्थान से उठ खड़ा हुआ।
विकास अपना ये नए किस्म का हथियार बनाने में व्यस्त था, अशरफ ने पानी से भरा एक जग उठाया और झटके से सारा पानी चैम्बूर के चेहरे पर फेंक दिया। पांच मिनट बाद जब चैम्बूर के जिस्म में हरकत हुई तो विकास पलट पड़ा— उस वक्त विकास की मुट्ठी में दबी माचिस को इन तीनों ने देखा और इसमें शक नहीं कि विजय जैसे व्यक्ति के जिस्म में भी झुरझुरी-सी दौड़ गई।
माचिस के पृष्ठ भाग से बीसों ऑलपिनों की नोकें झांक रही थीं। उनमें से किसी की भी तरफ देखे बिना विकास चैम्बूर के सामने पहुंच गया, चैम्बूर ने आंखें खोलीं और विकास ने आगे बढ़कर माचिस का पृष्ठ भाग हत्थे के साथ बंधी चैम्बूर की बाईं कलाई पर रख दिया, बीसों ऑलपिन चैम्बूर की कलाई में धंस गए।
चैम्बूर ने माचिस की तरफ देखा।
मुट्ठी से माचिस को पकड़े विकास उसे बेहरमी से हाथ की तरफ खींचता ही चला गया।
चैम्बूर के मुंह पर यदि टेप न लगा होता तो उसकी चीख से ‘स्मिथ स्ट्रीट’ का ये सारा इलाका दहल उठता—चीख घुटकर रह गई, वह रेत पर पड़ी मछली के समान बिलबिला उठा।
ऑलपिन की नोकें खाल, गोश्त और खून में लिसड़ गईं—चैम्बूर की कलाई पर उतनी ही समानान्तर खूनी रेखाएं बन गईं जितने वे ऑलपिन थे।
इसके बाद विकास ने उसके पूरे शरीर पर अपने इस अजीब शस्त्र का इस्तेमाल शुरू कर दिया।
इस टॉर्चर से वह मरने वाला नहीं था, और इस असहनीय पीड़ा को सहता कब तक?
ऑलपिनों के साथ ही माचिस भी खून से लिसड़ चुकी थी—जब विकास ने अपना ये शस्त्र उसके गाल पर रखा तो चैम्बूर ने रुक जाने का इशारा किया—इशारे से यह भी कहा कि वह सब कुछ बताने के लिए तैयार है। विकास ने न चीखने की चेतावनी देकर उसके मुंह से टेप हटा लिया।
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05-22-2020, 03:14 PM,
#58
RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
पहले सवाल के जवाब में चैम्बूर ने कहा—“मिस्टर अलफांसे के साथ मिलकर मैंने कोहिनूर को चोरी करने की स्कीम बनाई है।”
“अलफांसे से तुम्हारा परिचय कैसे हुआ?”
“यह तो आप जानते ही हैं कि मैं के.एस.एस. में मिस्टर गार्डनर का दायां हाथ हूं—कोहिनूर की सुरक्षा के लिए जो भी व्यवस्था की गई है, मैं उसके चप्पे-चप्पे से वाकिफ हूं— मैं अक्सर सोचा करता था कि ऐसी कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था में से भला कोई चोर कोहिनूर को चुराने की बात सोच ही कैसे सकता है—और सबसे बड़ी बात तो ये है कि चन्द आदमियों के अलावा कोई उस सुरक्षा-व्यवस्था से भी वाकिफ नहीं है— आज से एक साल पहले की बात है, मैं और गार्डनर कोहिनूर के चोरी हो जाने की सम्भावनाओं पर बातचीत कर रहे थे, गार्डनर ने मुझसे सलाह मांगी कि सुरक्षा की जो व्यवस्था कर दी गई है उसके अलावा और क्या व्यवस्था हो सकती है?”
इतनी कड़ी सुरक्षा तो हमने कर दी है कि एड़ी से चोटी तक का जोर लगाने के बावजूद भी कोई कोहिनूर तक नहीं पहुंच सकता, फिर और ज्यादा सुरक्षा की क्या जरूरत है?
यानी तुम सुरक्षा-व्यवस्था से सन्तुष्ट हो?
‘पूरी तरह!’
वे इस तरह मुस्कराए मानो मैंने उनकी तारीफ की हो, फिर बोले—‘अभी मैं सन्तुष्ट नहीं हूं, सोचता हूं कि यदि कोई शातिर कोशिश करे तो योजना बनाकर कोहिनूर को चुरा सकता है।’
“मैं उन्हें कोई सलाह तो नहीं दे सका—लेकिन सोचता रहा कि आखिर गार्डनर सन्तुष्ट क्यों नहीं है—जो व्यवस्थाएं थीं, मैं तो कल्पना भी नहीं कर सकता था कि कोई उनके रहते कोहिनूर तक पहुंच सकता है— जब किसी को व्यवस्थाओं की ही जानकारी नहीं होगी तो वह योजना क्या बनाएगा—कोई व्यवस्थाओं की जानकारी किस तरह हासिल कर सकता हैं, क्योंकि व्यवस्थाएं चन्द लोगों को पता हैं।
“यही सोचते-सोचते मेरे दिमाग में विचार कौंधा कि किसी चोर को व्यवस्थाओं की जानकारी केवल उन्हीं व्यक्तियों में से किसी से हो सकती है, जिन्हें पूर्ण व्यवस्था की जानकारी है—जैसे मैं!
“अपने बारे में सोचकर मेरा दिमाग हवा में नाचने लगा।
“विचार उठने लगा कि यदि मैं किसी शातिर को व्यवस्था की जानकारी दे दूं तो क्या वह योजना बनाकर सफलतापूर्वक कोहिनूर की चोरी कर सकता है—शायद नहीं, इतनी व्यवस्थाओं को वह कैसे पार करेगा—मगर मिस्टर गार्डनर तो कह रहे थे कि दुनिया में अभी ऐसे शातिर हैं—मैंने सोचा कौन है ऐसा शातिर?
“दिन गुजरते रहे, यह फितूर कोई नुकीले दांत वाला कीड़ा बनकर मेरे दिमाग की नसों को कुतरता रहा—सोते-जागते अक्सर मेरी आंखों के सामने कोहिनूर चकराने लगा, यदि मैं रुका हुआ था तो केवल इस भावना से, क्योंकि मुझे यकीन नहीं था कि व्यवस्था की पूर्ण जानकारी होने के बाद भी कोई कोहिनूर को सफलतापूर्वक चुराने की योजना बना सकता है।
“उन्हीं दिनों एक चोर म्यूजियम से कोहिनूर चुराने के चक्कर में पकड़ा गया— म्यूजियम की कुछ व्यवस्थाएं तो आपकी जानकारी में होंगी ही, उनके अलावा जो पूर्ण व्यवस्थाएं हैं मैं उनके बारे में भी जानता था और कल्पना भी नहीं कर सकता था कि उन्हें पार करके कोई म्यूजियम में नजर आने वाली कोहिनूर की परछाईं तक भी पहुंच सकता है।”
“परछाईं?” विकास ने चौंकते हुए पूछा।
“हां, म्यूजियम में कोहिनूर नहीं, बल्कि सिर्फ उसकी परछाईं है— कोहिनूर का प्रतिबिम्ब मात्र-दर्शक उसी को देखते हैं और ये सोचकर खुश हो लेते हैं कि उन्होंने कोहिनूर को देख लिया है।”
चैम्बूर की इस बात को सुनकर केवल विकास ही नहीं, विजय, अशरफ और विक्रम भी चौंक पड़े थे—हैरत में डूबे वे अपनी-अपनी कुर्सियों से उठ खड़े हुए और चैम्बूर की कुर्सी के नजदीक पहुंच गए।
विकास ने कहा—“हम समझे नहीं, इस बात को जरा विस्तार से बताओ।”
“दरअसल कोहिनूर को कहीं और ही रखा गया है, वैज्ञानिक रीति से ऐसा सिस्टम कर दिया गया है कि कोहिनूर का प्रतिबिम्ब उस जार में नजर आए—प्रतिबिम्ब भी ऐसा कि जिसे देखकर कोई प्रतिबिम्ब न कह सके—कोहिनूर ही समझे।”
उन चारों के चेहरों पर हैरत और व्यवस्था करने वालों के लिए प्रशंसा के भाव उभर आए।
विजय ने पूछा—“अगर वह मात्र कोहिनूर का प्रतिबिम्ब है चैम्बूर प्यारे तो फिर उसकी सुरक्षा के लिए म्यूजियम में इतने कड़े प्रबन्ध क्यों किए गए हैं?”
“वह इन्तजाम भी असल कोहिनूर की सुरक्षा व्यवस्था का ही एक अंग हैं।”
“क्या मतलब?”
“म्य़ूजियम की सिक्योरिटी तक का एक भी व्यक्ति यह नहीं जानता कि वो कोहिनूर की नहीं, केवल उसके प्रतिबिम्ब की हिफाजत कर रहे हैं, यानी वे सब भी उसे कोहिनूर ही समझते हैं— म्यूजियम में कोई भी उस कड़ी व्यवस्था को देखकर यही सोचता है कि वह कोहिनूर है, असल बात तो वह स्वप्न में भी नहीं सोच सकता—अतः अगर कोई कोहिनूर को चुराने की स्कीम बनाएगा तो दरअसल वह केवल प्रतिबिम्ब को ही चुराने की स्कीम बना रहा होगा—यदि स्कीम बनाकर कोई म्यूजियम में रखे कोहिनूर तक पहुंच भी गया तो प्रतिबिम्ब उसके हाथ नहीं आएगा और वह पकड़ा जाएगा।”
हैरत में डूबे वे चारों किंकर्तव्यविमूढ़-से खड़े थे।
चैम्बूर ने आगे कहा—“पकड़े जाने वाले चोर से भी सिर्फ प्रतिबिम्ब को कोहिनूर समझने की भूल हुई थी।”
“क्या मतलब?”
“म्यूजियम की पूरी सिक्योरिटी और प्रतिबिम्ब के चारों तरफ किए गए सभी इन्तजामों को योजना बनाकर उसने ऐसी खूबसूरती से धोखा दिया था कि सैकड़ों आंखों में से उसे एक भी आँख न देख सकी— पचासों इन्तजामों में से उसे एक भी इन्तजाम रोक नहीं सका, जार भी तोड़ डाला था उसने— गार्डनर तक को मानना पड़ा कि म्यूजियम में जार के अन्दर प्रतिबिम्ब के स्थान पर कोहिनूर होता तो वह चोर चोरी करने में सफल हो गया था, उसकी स्कीम बहुत सुलझी हुई और सुदृढ़ थी।”
“फिर?” अशरफ ने पूछा।
“मुझे मानना पड़ा कि यदि उसे पहले ही से पूर्ण व्यवस्था की जानकारी होती तो वह उस कोहिनूर की सफल चोरी जरूर कर लेता—अब मुझे यकीन हो गया कि दुनिया में ऐसे लोग हैं जो व्यवस्था की पूर्ण जानकारी होने पर कोहिनूर की सफल चोरी कर सकते हैं— व्यवस्था की जानकारी मैं ही दे सकता था—अतः मैं उस चोर जैसे ही किसी शातिर की तलाश में जुट गया—उन्हीं दिनों मैंने अखबार में पढ़ा कि अलफांसे आजकल अमेरिका में है—अलफांसे का नाम मैं अखबारों और दूसरे माध्यमों से बहुत पहले से सुनता आ रहा था।
“अचानक ही मेरे दिमाग में यह बात अटैक हुई कि अलफांसे मेरे काम का आदमी हो सकता है और मैं उसी वक्त वाशिंगटन पहुंच गया, अलफांसे एक होटल में ठहरा हुआ था—बड़ी मुश्किल से पता लगाकर मैं उससे मिला।
अलफांसे ने कहा— ‘सबसे पहले तुम अपना परिचय दो और फिर बताओ कि मुझसे क्यों मिलना चाहते थे।’
‘मेरा नाम बर्लिन है।’ मैंने उसे अपना गलत नाम बताया।
‘कहां के रहने वाले हो?’
‘लंदन का!’
‘क्या काम करते हो?’
‘वही जो आप बड़े स्केल पर करते हैं।’ मैंने कहा— ‘यानी पैसे के लिए कुछ भी कर सकता हूं—चोरी, डकैती, ठगी और मर्डर तक—आपमें और मुझमें केवल इतना फर्क है कि आपका क्षेत्र सारी दुनिया है और मेरा क्षेत्र पूरा लन्दन भी नहीं है।’
‘क्या तुम इतनी दूर केवल मुझसे मिलने आए हो?
‘जी हां!’
‘क्यों?’
‘मेरे पास एक ऐसा काम है जिसमें यदि सफलता मिल जाए तो न केवल वह दुनिया की सबसे बड़ी लूट होगी, बल्कि सफल होने वाला दुनिया का सबसे बड़ा धनवान व्यक्ति बन जाएगा।’
‘ऐसी क्या योजना है?’
‘योजना तो आपको बनानी होगी, मैं तो केवल रास्ते में आने वाली अड़चनों के बारे में बता सकता हूं।’
‘क्या मतलब?’
‘पहले आप मेरे साथ काम करने का वादा कीजिए, तब बताता हूं।’
एक पल अलफांसे ने जाने क्या सोचा, फिर बोला—‘खैर, मैं वादा करता हूं—अब बोलो।’
‘मैं कोहिनूर को चुराने की बात कर रहा हूं।’
‘क...क्या?’ अलफांसे एकदम उछल पड़ा, उसने विस्फारित नेत्रों से मेरी तरफ देखा—कुछ ऐसे अन्दाज में जैसे उसे लगा हो कि कहीं मैं पागल तो नहीं हूं, जबकि मैं अपने होंठ पर बड़ी ही रहस्यमय-सी मुस्कान बिखेरता हुआ बोला—‘सौदा फिफ्टी-फिफ्टी में होगा, कोहिनूर जितने का बिके उसमें से आधे मेरे, आधे आपके, कहिए?’
अलफांसे ने मुझे अविश्वसनीय-सी नजरों से देखते हुए कहा—‘कहीं तुम पागल तो नहीं हो?’
मैंने पूछा—‘आपके ऐसा सोचने की वजह क्या है?’
‘क्योंकि मुझे तुम इस स्तर के चोर नजर नहीं आ रहे हो, जो कोहिनूर को चुराने की बात सोच सके।’
‘आप तो इस स्तर के चोर हैं?’
‘क्या मतलब?’
‘यदि मुझ अकेले, में कोहिनूर को चुराने की क्षमता होती तो मैं लन्दन से इतनी दूर यहां, आपसे मिलने क्यों आता— क्यों व्यर्थ ही आपको फिफ्टी परसेंट का पार्टनर बनाता?’
अलफांसे ने अब भी अविश्वसनीय स्वर में कहा—‘क्या तुम वाकई सचमुच के कोहिनूर की बात कर रहे हो?’
‘जी हां, कोहिनूर की –उसके अक्स की नहीं।’
‘अक्स?’
‘वही, जो म्यूजियम में रखा नजर आता है और जिसे देखकर लोग समझते हैं कि उन्होंने कोहिनूर देख लिया है।’
‘क्या मतलब?’
जवाब में मैंने उसे म्यूजियम में रखे कोहिनूर की असलियत बता दी, मैंने जान-बूझकर अक्स की बात छेड़ी थी, ताकि मैं उसे अपनी जानकारी का छोटा-सा नमूना दिखा सकूं—ऐसा मैंने उस पर अपना प्रभाव जमाने के लिए कहा था और वही हुआ, उसके चेहरे पर हैरत के चिह्न उभर आए, मेरे चुप होने पर बोला— ‘तुम्हें यह जानकारी कैसे है?’
‘मुझे तो यह जानकारी भी है कि कोहिनूर कहां रखा है और उसकी सुरक्षा के लिए क्या-क्या इन्तजाम किए गए हैं—चप्पे-चप्पे की जानकारी है मुझे!’
‘ओह!’ अब अलफांसे के चेहरे पर सोचने के भाव उभर आए— ‘ये सब जानकारी तुम्हें कहां से मिलीं?’
“ये आप न पूछें—केवल कोहिनूर से मतलब रखें....।”
‘यानी तुम चाहते हो कि मैं कोई ठोस स्कीम बनाकर कोहिनूर को चुराऊं?’
‘यदि आप कर सकते हैं तो ऐसा जरूर करना चाहिए।’
उस वक्त पहली बार मैंने अलफांसें के होठों पर मुस्कान को उभरते देखा, जिसका जिक्र अक्सर अखबार में पढ़ा करता था, वह बोला— ‘दुनिया में ऐसा कोई काम है मिस्टर बर्लिन जिसे अलफांसे न कर सके?’
‘कोहिनूर की चोरी आपके लिए चुनौती बन सकती है।’
‘मैं इस चुनौती को मंजूर करता हूं, सुरक्षा-व्यवस्था बताओ।’
मैंने अच्छी तरह से ठोक बजाकर पहले अलफांसे से यह वादा लिया कि इस लूट में फिफ्टी परसेंट हिस्सा मेरा है, तब कहीं जाकर उसे समस्त सुरक्षा-व्यवस्थाओं की जानकारी दी—कुरेद-कुरेदकर उसने मुझसे सब कुछ पूछ लिया और जब उसने महसूस किया कि मुझसे मेरा सारा ज्ञान ले चुका है तो अचानक ही मेरे प्रति उसका व्यवहार बदल गया, बोला—‘पहले तो मुझे शक था, लेकिन अब यकीन हो गया कि तुम कोई परले दर्जे के पागल हो।’
‘क...क्या मतलब?’ मैं बुरी तरह चौंक पड़ा।
‘ये सुरक्षा-व्यवस्था और फिर तुम ये भी चाहते हो कि कोई कोहिनूर चुराने की स्कीम बनाए?’
‘हां।’
‘अगर तुम लन्दन से किसी को आत्महत्या की सलाह देने निकले हो तो उससे कहो कि किसी रेल की पटरी को तकिया बनाकर आराम से लेट जाए—इतना घुमावदार तरीका बताने की क्या जरूरत है?’
‘क्या आप कोहिनूर की चोरी की स्कीम बनाने को आत्महत्या करना कह रहे हैं?’
‘बेशक!’
'ऐसा क्यों?'
'क्योंकि दुनिया का बिरले से बिरला व्यक्ति भी उन व्यवस्थाओं को तोड़कर कोहिनूर तक पहुंचने की स्कीम नहीं बना सकता, जो तुमने बताई है।'
'तो कहिए कि आपने इस चुनौती के सामने घुटने टेक दिए हैं।'
'अगर तुम्हें यही सोचने से सन्तुष्टि होती है तो यही सही बर्लिन भाई, मैं हाथ जोड़ता हूं तुम्हारे—मुझे माफ कर दो।'
'म...मगर आपने वादा किया था कि सुरक्षा व्यवस्था सुनने के बाद....'
परन्तु वो हाथ जोड़े केवल चुप रहा।
'मैंने उसे तैयार करने की हर तरह से कोशिश की, मगर वह नहीं माना और अन्त में मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि यह व्यक्ति व्यवस्थाएं सुनकर घबरा गया है—सो, मैं उससे यह रिक्वेस्ट करके वापस आ गया कि मेरी और अपनी इस वार्ता के बारे में कभी किसी से कोई जिक्र न करे—अलफांसे को पस्त होता देखकर मेरे हौसले भी पस्त हो गए थे और फिर कभी मैंने इस बारे में नहीं सोचा—कोहिनूर को हासिल करने की बात ही दिमाग से निकाल दी।”
¶¶
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05-22-2020, 03:14 PM,
#59
RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
जब काफी प्रतीक्षा के बावजूद चैम्बूर आगे कुछ नहीं बोला तो अशरफ ने पूछा—“फिर क्या हुआ?”
चैम्बूर ने एक लम्बी सांस खींचने के बाद कहना शुरू किया—“आज से करीब तीन महीने पहले जब एक शाम मैं गार्डनर से मिलने उसकी कोठी पर गया तो वहां अलफांसे को देखकर बुरी तरह चौंक पड़ा।
“उसके वहां मौजूद होने की मैं कल्पना भी नहीं कर सकता था, मेरा दिमाग बुरी तरह झनझना रहा था और उस वक्त तो मैं कांप ही उठा जब दिमाग में यह ख्याल आया कि कहीं अलफांसे वाशिंगटन में हुई हमारी वार्ता का जिक्र गार्डनर से न कर दे?”
“मुझे देखर अलफांसे भी उतनी ही बुरी तरह चौंका था।”
“मगर हममें से किसी ने भी वहां ऐसा कोई भाव प्रकट नहीं किया, जिससे गार्डनर या इर्विन को हमारे पूर्वपरिचित होने का आभास होता।
“गार्डनर ने अलफांसे से मेरा परिचय अपने दोस्त के रूप में कराया और अलफांसे का परिचय उसके असली नाम और व्यक्तित्व से दिया—मेरा असली नाम सुनकर अलफांसे इस तरह मुस्कराया था जैसे उसने मेरी कोई बहुत बड़ी नब्ज पकड़ ली हो।
“कुछ ही देर बाद इर्विन और अलफांसे कहीं बाहर घूमने चले गए।
“उनके जाने के बाद मैंने गार्डनर से पूछा—“लेकिन सर, ये अन्तर्राष्ट्रीय मुजरिम यहां कैसे?”
“इर्विन का दोस्त बन गया है।” गार्डनर ने पूरी लापरवाही के साथ कहा।
“क...कैसे?”
उन्होंने बोगान के आदमियों से अलफांसे द्वारा इर्विन को बचाए जाने की घटना विस्तार से मुझे सुना दी, सुनते ही मैं इस नतीजे पर पहुंच गया कि वह सारी घटना मात्र संयोग नहीं, बल्कि अलफांसे की सोची-समझी स्कीम रही होगी और यह सारा ड्रामा उसन गार्डनर की कोठी में घुसने के लिए किया है।
उस वक्त मैं गार्डनर से इधर-उधर की दो-चार बातें करके उठ आया, परन्तु उसी रात गुप्त रूप से होटल एलिजाबेथ जाकर अलफांसे से मिला, मुझे देखकर ही वह मुस्कराया और बोला—“आओ मिस्टर बर्लिन, मैं जानता था कि तुम यहां आओगे।”
“मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि आप जैसा आदमी इतना नीच होगा।” यह वाक्य मैंने अत्यधिक उत्तेजना के कारण कहा था, परन्तु अलफांसे बिल्कुल भी उत्तेजित नहीं हुआ, उल्टे मुस्कराता हुआ बोला—“तुमने भी तो मुझसे झूठ बोला था मिस्टर चैम्बूर!”
“मैंने तो आपको केवल अपना नाम ही गलत बताया था, लेकिन आपने तो ठीक वही काम किया तो धूर्त डायरेक्टर-प्रोड्यूसर किसी गरीब लेखक के साथ करते हैं—पहले सारी कहानी सुन लेंगे, कुरेद-कुरेदकर कहानी का बारीक-से-बारीक प्वॉइट जान लेंगे और फिर कह देंगे कि ये स्टोरी फिल्म के लिए बेकार है—साल-दो साल बाद बेचारा लेखक किसी हॉल में बैठा अपनी स्टोरी पर बनी फिल्म देखकर आंसू बहा रहा होगा, क्योंकि कास्टिंग में वह लेखक के स्थान पर उसी डायरेक्टर या प्रोड्यूसर का नाम पढ़ रहा होगा। जिसे उसने स्टोरी सुनाई थी और जो उसे रिजेक्ट कर चुके थे।”
अलफांसे मुस्कराया, बोला—“अपनी बात को 'एक्सप्लेन' करने का अच्छा तरीका चुना है तुमने!”
“मैंने सुना था कि मुजरिमों के कुछ उसूल होते हैं और आप जैसे बड़े मुजरिम तो उसूलों के बहुत पक्के होते हैं, लेकिन आप—हूंह—आपके बारे में तो अखबार वाले बिल्कुल गलत ही छापते हैं—आपका कोई उसूल नहीं है, पूरा कोहिनूर हड़प कर जाने के चक्कर में आपने मुझसे झूठ बोला।”
“वार्ता के बीच में हम कोहिनूर का नाम नहीं लें तो अच्छा है मिस्टर चैम्बूर!”
“नाम, आप नाम लेने की बात करते हैं—मैं आपका भांडा फोड़ दूंगा—ज्यादा-से-ज्यादा क्या होगा, यही न कि आप वाशिंगटन में हुई मेरी और अपनी मुलाकात का खुलासा कर देंगे—मैं पकड़ा जाऊंगा—मुझे अपनी परवाह नहीं है, मगर अपनी आंखों से मैं चुपचाप यह नहीं देखता रह सकता कि आप अकेले कोहि...।”
“म...मिस्टर चैम्बूर!” अलफांसे की गुर्राहट ने मुझे एड़ी से चोटी तक कंपकंपा डाला, मैं आतंकित-सा उसके भभकते हुए चेहरे को देखता रह गया, जबकि उसने बड़ी शीघ्रता से अपनी उत्तेजना पर काबू पाया और संतुलित स्वर में बोला—“पहले मेरी बात भी सुन लो।”
“सुनने को अब रह ही क्या गया है?”
“तुम्हारे द्वारा मुझ पर लगाए गए आरोप सही हो सकते हैं, परन्तु सौ प्रतिशत सही नहीं हैं।”
“क्या मतलब?”
“जो भी हुआ है, वह सब कुछ मैंने जानकर नहीं किया।”
“मैं अब भी नहीं समझा।”
“वाशिंगटन में जो व्यवस्थाएं तुमने मुझे बताई थीं, उस वक्त मुझे वे वाकई बहुत सुदृढ़ दिखाई दी थीं और तत्काल मैं उन्हें भेदने की कोई स्कीम नहीं बना सका था—और वैसे भी तुमसे मेरी पहली भेंट थी और मैं यूं आंख मींचकर किसी पर विश्वास नहीं किया करता हूं, उसके साथ काम करना तो बहुत दूर की बात है—इसीलिए मैंने तुम्हें टाल दिया था—लेकिन जो व्यवस्थाएं तुम मुझे बता गए थे वे मेरे लिए एक चुनौती-सी बन गई थीं, जानते हो क्यों?”
“क्यों?”
“क्योंकि लगातार हफ्तों की माथा—पच्ची के बाद भी मैं उन व्यवस्थाओं को भेदकर कोहिनूर तक पहुचने की योजना नहीं बना सका था और फिर जब मुझे यह महसूस हुआ कि इन व्यवस्थाओं के सामने मैं वाकई पस्त हो रहा हूं तो मुझे स्कीम बनाने की जिद-सी चढ़ गई—मैंने निश्चय किया कि कोहिनूर की चोरी करूं या न करूं, लेकिन ऐसी स्कीम बनाकर ही दम लूंगा जिसके आधार पर कोई भी व्यक्ति उन व्यवस्थाओं को भेदता हूआ कोहिनूर की सफल चोरी कर सके और वह योजना बनाने के लिए मैं लन्दन आ गया—गार्डनर को वॉच किया, परन्तु कोई लाभ नहीं निकला और जब लाभ निकला तो मात्र एक संयोग से।”
“कैसा संयोग?”
“वही, बोगान के गुर्गों से मेरे द्वारा इर्विन को बचाए जाने की घटना।”
“वह संयोग था?”
“मैं जानता हूं कि तुम इस बात पर आसानी से यकीन नहीं करोगे, लेकिन सच मानो वह घटना एक संयोग ही थी, मुझे नहीं मालूम था कि इर्विन गार्डनर की लड़की है—मैंने तो उसकी पुकार सुनकर बोगान के गुण्डों से उसे बचाया था—मगर उस वक्त मैं दंग रह गया जब वह मुझे गार्डनर की कोठी में ले गई और मुझे वहां जाकर यह मालूम पड़ा कि वह गार्डनर की लड़की है।”
“चलो माने लेता हूं।” मैंने जैसे उस पर कोई एहसान किया।
“यह पता लगते ही कि इर्विन गार्डनर की लड़की है, मेरा दिमाग सक्रिय हो उठा और एक ही झटके में वह योजना बनती चली गई, जिसने मुझे महीनों से परेशान कर रखा था।”
“तुम्हारे दिमाग में क्या बात आई?”
“तुम मुझे बता ही चुके थे कि गार्डनर के.एस.एस. का डायरेक्टर है, उसी की कोठी के नीचे वह कंट्रोल रूम है, जहां से कोहिनूर पर नजर रखने वाले उपग्रह को कंट्रोल किया जाता है और उससे प्रसारित होने वाले संदेशों को नोट किया जाता है—इधर मैंने महसूस किया था कि इर्विन मुझमें दिलचस्पी ले रही है—यह बात बिजली की तरह मेरे मस्तिष्क में कौंध गई कि कोहिनूर तक पहुंचने के लिए गार्डनर की कोठी में डेरा डालना जरूरी है और कोठी में दाखिल होने के लिए इर्विन से सम्बन्ध बढ़ाना ही एकमात्र रास्ता है।”
“और आपने कदम आगे बढ़ा दिए?”
“बेशक!”
“अब आपका क्या विचार है?”
“सारे विचार तो प्रकट कर दिए हैं, अब रह ही क्या गया है?”
“मुझसे फिफ्टी परसेंट की पार्टनशिप के बारे में क्या ख्याल है?”
अलफांसे ने बहुत आराम से कहा—“विचार ही क्या होता, पार्टनरशिप पक्की है।”
उसकी इस बात पर कई क्षण तक मैं उसे देखता रहा, समझने की कोशिश कर रहा था कि कहीं इस बार भी वह मुझे बहलाकर धोखा तो नहीं दे रहा है, मैं अब आसानी से उस पर यकीन नहीं कर सकता था—अत: बोला—“मगर मुझे कैसे यकीन हो कि काम पूरा होने के बाद आप मुझे मेरा हिस्सा दे ही देंगे?”
“तुम जो कहो, मैं करने को तैयार हूं।”
“इसी वक्त आपको मुझे अपनी पूरी योजना बतानी होगी।”
मेरे इस वाक्य से असफांसे के दिमाग को एक झटका-सा लगा, स्कीम बताने में उसने काफी आनाकानी की—ये भी कहा कि मैं कोई दूसरी शर्त रख लूं, लेकिन मैं भी अड़ गया, स्पष्ट कह दिया मैंने कि इसी समय वह मुझे अपनी पूरी स्कीम बताएगा वरना अपनी परवाह किए बिना मैं गार्डनर को इर्विन से उसके सम्बन्ध बढ़ाने के रहस्य से अवगत करा दूंगा—अंत में अलफांसे को ही झुकना पड़ा।”
व्यग्र होकर अशरफ ने पूछा—“क्या स्कीम है उसकी?”
“न—न—प्यारे, इस तरह नहीं—क्रमबद्ध तरीके से चलो!” विजय ने कहा—“पहले सुरक्षा-व्यवस्था पूछो, उसके बाद उसे भेदती हुई स्कीम और यदि सच पूछा जाए तो ये सभी बातें बाद की हैं—सबसे पहला काम है, अपने चैम्बूर प्यारे की मरहम-पट्टी—देखो न, कितने गहरे जख्म हैं और फिर अपने चैम्बूर प्यारे बोल भी कितनी देर से रहे हैं—हलक सूख गया होगा, एक गिलास पानी की जरूरत होगी—क्यों चैम्बूर भाई, पिओगे पानी?”
विजय की बात सुनकर उसके होठों पर बहुत ही फीकी, अजीब-सी मुस्कान उभरी थी, वैसी हो जैसी फांसी पर लटकने वाले अपराधी के होंठों पर तब उभर सकती है, जब फांसी से एक क्षण पूर्व कोई उसे दीर्घायु होने का आर्शीवाद दे।
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05-22-2020, 03:15 PM,
#60
RE: XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी
किसी खटके से आशा की आंख खुल गई।
उसने कमरे में चारों तरफ नजर दौंड़ाकर अपनी नींद खुल जाने का कारण जानना चाहा, कमरे में नाइट बल्ब की मद्धिम रोशनी बिखरी पड़ी थी, किन्तु उसे कहीं भी कोई असामान्य बात नजर नहीं आई—उसने अपनी कलाई में बंधी रिस्टवॉच में समय देखा—सुबह के पांच बज रहे थे।
कमरे के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी।
आशा एकदम चौंककर उठ बैठी, अब आंख खुलने का कारण उसकी समझ में आ गया—दस्तक देने वाला इससे पहले भी कम-से-कम एक बार दस्तक दे चुका था और यह विचार दिमाग में आते ही बिजली की तरह सवाल कौंधा—“कौन हो सकता है?”
साहस करके आशा ने ऊंची आवाज में पूछा—“कौन है?”
“ये मैं हूं मिस ब्यूटी, जेम्स बॉण्ड—दरवाजा खोलिए!” यह आवाज बॉण्ड की ही थी और इस आवाज को सुनते ही आशा के रोंगटे खड़े हो गए। एक बार को तो दिल धक्क से रह गया, लेकिन फिर, पहले से कहीं ज्यादा तेज गति से धड़कने लगा—मस्तक पर पसीने की बूंदें उभर आईं थीं।
इतनी सुबह बॉण्ड यहां क्यों आया है—क्या वह उसका रहस्य जान गया है—यदि हां, तो अब वह उसके साथ क्या सलूक करेगा?
इसी किस्म के सैकड़ों सवाल उसके मस्तिष्क में चकरा उठे—फिर भी उसने काफी जल्दी कहा—“क्या बात है, इतनी सुबह-सुबह आप मेरी नींद खराब करने क्यों चले आए हैं?”
“आपसे कुछ जरूरी बातें करनी हैं।”
“ऐसी क्या जरूरी बातें हैं?” आशा ने क्रोधित स्वर में कहा—“आपको किसी की नींद खराब करने का कोई हक नहीं है मिस्टर बॉण्ड—प्लीज इस वक्त आप यहां से चले जाइए, आठ बजे मैं ब्रेकफास्ट लूंगी, आप को जो भी बातें करनी हैं तभी कीजिएगा।”  
“तब तक देर हो चुकी होगी मिस ब्यूटी, बातें अभी करनी जरूरी हैं।”
“ओफ्फो, क्या मुसीबत है—ठहरिए—कपड़े पहनकर खोलती हूं!” गुस्से में भुनभुनाने का अभिन्य करती हुई आशा ने इतनी जोर से कहा कि आवाज बाहर तक जा सके, साथ ही वह सचमुच बेड से उतर भी पड़ी थी, उसके जिस्म पर इस वक्त झीना-सा 'स्लीपिंग सूट' था।
वह कपड़े बदलने लगी।
इस बीच भी निरन्तर उसके दिमाग में यही प्रश्न चकराते रहे थे और वह स्वयं को सफलतापूर्वक बॉण्ड का सामना करने के लिए तैयार कर रही थी—कपड़े पहनने के बाद उसने दरवाजा खोला।
सामने ही बॉण्ड खड़ा था, जिसने बड़ी मोहक मुस्कान के साथ कहा—“हैलो मिस ब्यूटी, गुड मॉर्निंग!”
“हूंह—क्या खाक गुड मॉर्निंग?” आशा ने बुरा-सा मुंह बनाकर कहा—“मेरी मॉर्निंग तो आपने अपनी शक्ल दिखाकर खराब कर दी है।”
बॉण्ड के चेहरे पर नाराजगी का ऐसा एक भी भाव नहीं उभरा जिससे ये लगता कि उसने आशा के वाक्य को पसन्द नहीं किया है—उल्टे मुस्कराता हुआ बिना इजाजत लिए आशा को एक तरफ हटाकर, कमरे में दाखिल होता हुआ बोला—“विशेष रूप से लड़कियां उस दिन को बहुत मुबारक मानती हैं, जिस दिन की सुबह उन्हें बॉण्ड नजर आ जाए!”
“मैं उन कॉलगर्ल जैसी लड़कियों में से नहीं हूं।”
“ओह!” वह तेजी से आशा की तरफ घूमकर बोला—“आप तो अभी तक झुंझला रही हैं, शायद नींद के बीच में टूट जाने की वजह से लगता है कि नींद से आपको बहुत प्यार है?”
“हर स्वस्थ व्यक्ति को नींद से प्यार होता है।”
“नींद के बारे में मेरे विचार कुछ और हैं।”
आशा लगभग गुर्राई—“क्या आपने ये दरवाजा मुझे नींद के बारे में अपने विचार बताने के लिए खुलवाया है?”
“ऐसी बात नहीं है, लेकिन फिर भी—जब बात चली ही है तो मेरे विचार भी सुन लीजिए।”
इस बार आशा कुछ बोली नहीं, हां—चेहरे पर तमतमाकर उसे घूरती अवश्य रही—जो नजर आ रही थी, वह उसकी बाहरी स्थिति थी—आन्तरिक स्थिति तो ये थी कि बॉण्ड के सामने एक-एक पल नियंत्रण में रहकर खड़े रहना भी उसे भारी पड़ रहा था।
बॉण्ड ने उसकी चुप्पी का लाभ उठाकर कहा—“जिन लोगों को नींद से ज्यादा प्यार होता है, वे ज्यादातर सोते रहते हैं—अपनी जिंदगी का एक-तिहाई भाग वे सोकर ही गुजार देते हैं और इसीलिए अक्सर ऐसे लोग जिंदगी की दौड़ में बहुत पिछड़ जाते हैं मिस ब्यूटी, यहां तक कि मौत दबे पांव उनके बहुत करीब आ जाती है, वे सोते रहते हैं—मौत झपटकर उनका गला दबा देती है और वे सोते ही रहते हैं—फिर सोते ही रह जाते हैं।”
बॉण्ड के अंतिम शब्दों ने आशा के माधे पर पसीना छलछला दिया।
दिल किसी हथौड़े की तरह रह-रहकर पसलियों पर चोट करने लगा, हलक स्वयं ही सूखता चला जा रहा था और यह सब कुछ आशा के दिमाग में पनपे केवल इसी एक विचार के कारण हो रहा था कि आखिर बॉण्ड उससे ऐसी बातें क्यों कर रहा है?
साहस करके उसने पूछा ही लिया—“अ....आप मुझसे ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं?
“अरे—आप तो डर गईं, देखिए—आपके माधे पर पसीना उभर आया।” कहने के बीच ही उसने एक ठहाका लगाया और आगे बोला—“मैं तो सिर्फ ज्यादा सोने वालों के बारे में अपने विचार बता रहा था, खैर—मैं उन लोगों के बारे में अपने विचार प्रस्तुत कर सकता हूं, जो अक्सर जागते रहते हैं, जैसे मैं!”
आशा का मानो दिमाग फट गया, वह चीख पड़ी—“मुझे आपके विचार नहीं सुनने हैं।”
“आप इतनी नर्वस क्यों हो रही हैं?”
“त...तुम—तुम किस नीयत से आए हो यहां—वेटर, अरे कोई है?” आशा ने जोर से पुकारा।
बॉण्ड अपनी आंखें उसके चेहरे पर जमाए बड़ी ही स्थिर और दिलचस्प नजरों से आशा को देख रहा था, होंठों पर वैसी ही मुस्कान थी जैसी अपने जाल में छटपटा रही मछली को देखकर मछेरे के होंठों पर उभरती है—यह मुस्कान गहरी होती चली जा रही थी।
आशा कई बार चीखी परन्तु प्रत्युत्तर में कहीं से कोई आवाज नहीं उभरी, चारों तरफ छाए सन्नाटे में उसकी आवाज मात्र गूंजकर रह गई, झुंझलाकर वह बड़बड़ा उठी—“कैसा होटल है, कोई सुरक्षा नहीं—चाहे जो, चाहे जिसके कमरे में घुसा चला आए।”
“तुम्हारी आवाज बहुत-से लोग सुन रहे हैं मिस ब्यूटी, लेकिन वे आएंगे नहीं।”
“क्यों नहीं आएंगे?”
“क्योंकि वे जानते हैं कि आपके कमरे में मैं हूं और वे मुझे चाहे जो नहीं, जेम्स बॉण्ड कहते हैं।
“इसका क्या मतलब?” आशा ने गुर्राने की पूरी कोशिश की।
“मतलब जरूर समझाऊंगा, मगर—मैंने तो सुना ता कि जापानी लोग 'मैनर्स' मां के पेट से सीखकर आते हैं—आश्चर्य की बात है, मैं इतनी देर से आपके कमरे में खड़ा हूं और आपने अभी तक एक बार भी मुझसे बैठ जाने के लिए नहीं कहा।”
“हम जापानी लोग 'मैनर्स' का इस्तेमाल उन लोगों के लिए करते हैं, जिन्हें खुद भी 'मैनर्स' आते हों।” आशा ने तीखे स्वर में कहा—“और बिना इजाजत किसी के कमरे में घुसने से बड़ी बदतमीजी और क्या हो सकती है—विशेषरूप से किसी लड़की के कमरे में।”
वह आशा के चेहरे पर झुककर बड़े ही रहस्यमय स्वर में बोला—“इससे बड़ी बदतमीजी भी हो सकती है।”
“क...क्या?” यह शब्द बौखलाहट में आशा के मुंह से निकल गया।
“बिना इजाजात किसी लड़की के कमरे में बैठ जाना।” कहने के साथ ही बॉण्ड अपने जूते की एड़ी पर बहुत तेजी से घूमा और आगे बढ़कर धम्म् से सोफे पर बैठ गया।
उसकी इस हरकत ने आशा को अन्दर तक बुरी तरह हिलाकर रख दिया था।
प्रत्यक्ष में वह तमतमा उठी, आशा उतने ही गुस्से का प्रदर्शन कर रही थी जितने गुस्से में कि चाहकर भी एक लफ्ज नहीं कह पाता, जबकि उसकी तरफ से पूरी तरह लापरवाह बॉण्ड सोफे पर बैठा इत्मीनान से एक सिगरेट सुलगा रहा था।
होंठों पर अत्याधिक गुस्से के प्रतीक झाग भरकर आशा चीख पड़ी—“अब आपकी बदतमीजी सारी हदों से गुजरती जा रही है मिस्टर बॉण्ड!”
लाइटर ऑफ करते हुए बॉण्ड ने कहा—“जब आपने बदतमीज की ये पदवी मुझे दे ही दी है तो क्यों न पूरा प्रदर्शन करके यह साबित करूं कि मैं इसका हकदार था—वैसे यदि आप चाहें तो मैं बिना इजाजत किसी लड़की के कमरे में बैठ जाने से कहीं ज्यादा बदतमीजी का प्रदर्शन कर सकता हूं।”
आशा को बॉण्ड के इस व्यवहार से लग रहा था कि वह उसे पहचान चुका है और यह भयानक विचार उसे तोड़े दे रहा था, फिर भी—वह खुद पर काफी नियंत्रण रखकर बोली—“आप आखिर मुझसे चाहते क्या हैं?”
“यदि आप सचमुच यही जानना चाहती हैं तो आइए, आराम से बैठिए—मैं आपको समझाता हूं।” इस वाक्य के शब्दों के बीच-बीच में उसके मुंह और नाक से धुआं निकलता रहा था।
शायद बॉण्ड से जल्दी पीछा छुड़ाने की गर्ज से वह आगे बढ़ी और बॉण्ड के ठीक सामने वाले सोफे पर, सेण्टर टेबल के उस तरफ बैठ गई, बोली—“कहिए!”
बॉण्ड ने पूरी तन्मयता के साथ सिगरेट में एक कश लगाया और फिर इस कश के सारे धुएं को निगलता हुआ बोला—“हां, तो मैं आपको जागते रहने वाले व्यक्ति के बारे में बता रहा था।”
आशा भुनभुना उठी, लेकिन चुप रही।
बॉण्ड ने कहा—“जो जागते रहते हैं वे जिन्दगी में बहुत कुछ हासिल कर लेते हैं—ऐसी बहुत-सी बातें पता लगा लेते हैं, जिनके पता न लगने से उन्हें नुकसान उठाना पड़ता, बल्कि जिन्दगी की दौड़ में वह काफी पिछड़ जाता—जागने वाला व्यक्ति हमेशा सफल होता है, जैसे मैं—हां, अब मेरा ही उदाहरण लीजिए न मिस ब्यूटी—बिल्कुल ताजा-तरीन उदाहरण है—कई रातों से मैं बिल्कुल नहीं सोया, जागता ही रहा और उस जागते रहने का ही नतीजा है कि इस वक्त मैं यहां हूं।”
बॉण्ड का एक-एक शब्द सुनकर आशा के लिए नियंत्रण में रहना, बल्कि होश में रहना भारी पड़ रहा था, उसका प्रत्येक शब्द नुकीले तीर जैसा था जो उसे पस्त किए दे रहा था, फिर भी संभलकर उसने सामान्य स्वर में कहा—“मैं आपकी किसी बात का अर्थ नहीं समझ पा रही हूं मिस्टर बॉण्ड!”
“बड़े अफसोस की बात है।” बॉण्ड ने दुख प्रकट किया।
“प...प्लीज, आप वह काम बताइए, जिसकी वजह से इतनी सुबह-सुबह यहां आए हैं।”
“हां, याद आया—पिछली मुलाकात में मैंने आपसे कहा था कि आप खूबसूरत हैं, लेकिन यदि आपके ये बाल और आंखें काले रंग की होतीं तो कुछ ज्यादा ही खूबसूरत नजर आतीं—क्या आपने मेरी इस राय पर कुछ सोचा, आपका क्या विचार है?”
“मैंने इस बारे में कुछ नहीं सोचा।” आशा ने नियंत्रण में रहने की भरपूर कोशिश की।
“जरा सोचिए, या छोड़िए—सिर्फ सोचने की क्या जरूरत है—प्रेक्टिकल किया जाए तो बात ही कुछ और होती है, लंदन में 'मेकअप शॉप्स' की कमी नहीं है—एक से बढ़कर एक हैं—उनमें से कोई भी केवल एक घण्टे में आपके बालों और आंखों का रंग काला कर देगा, करा लीजिए और फिर देखिए कि आप आकाश से उतरी अप्सरा-सी नजर आती हैं या नहीं?”
दरअसल बॉण्ड के इस वाक्य का बिल्कुल सीथा और स्पष्ट संकेत था कि वह उसे पहचान गया है और इसीलिए आशा बुरी तरह आतंकित हो उठी, बॉण्ड के देखने पर आशा को लगता कि उसकी ब्लेड जैसी पैनी आंखें, उसके चेहरे पर मौजूद मेकअप की हर पर्त को उधेड़ती चली जा रही हैं—बॉण्ड का हर शब्द उसके अन्तर में किसी 'नश्तर' के समान उतरता चला जा रहा था।
“क्या बात है मिस ब्यूटी, आप क्या सोचने लगीं?”
“आं....क...कुछ नहीं, खैर—क्या आप सिर्फ यही बातें करने आए थे?”
“जी नहीं!”
आशा मानो बोर हो गई हो—“फिर आप वे बातें क्यों नहीं करते?”
“यदि आपकी ऐसी ही मर्जी है तो अब कर लेते हैं!”
“कीजिए!”
बॉण्ड ने सिगरेट में अन्तिम कश लगाया और उसे सेन्टर टेबल पर रखी ऐशट्रे में मसलने के बहाने झुका, सिगरेट मसलने के बाद उसी झुकी हुई स्थिति में उसने आंखें आशा के चेहरे पर गड़ा दीं—कुछ ऐसे अन्दाज में कि आशा उसके इस एक्शन को नोट कर ले और आशा ने नोट किया था।
उसने अपने चेहरे पर सामान्य भावों को समेटकर रखने की बहुत कोशिश की, मगर अब उसमें वह क्या कर सकती थी कि दिल सीने से किसी मेंढक की तरह उछल-उछलकर कंठ में वार करने लगा—हलक बुरी तरह सूख गया—बेचारी आशा के लाख संभालते-संभालते भी चेहरा फक्क पड़ने लगा, आंखों में आतंक के साए लहरा उठे—बॉण्ड ने अपने एक्शन से इसी सबकी अपेक्षा की थी।
इस वक्त आशा को वह 'जिन्न' सा नजर आया, ऐसा जिन्न जो अपना हाथ बढ़ाकर उसकी गर्दन पकड़ लेगा, आशा मन-ही-मन बुदबुदाई—“हे भगवान, अब आखिर ये जिन्न क्या कहने जा रहा है?”
बॉण्ड उसी स्थिति में उसे घूरे जा रहा था।
“क...कहिए न मिस्टर बॉण्ड?” वह बड़ी मुश्किल से बोली।
“कोहिनूर को चुराने की स्कीम बनाने वाले पकड़े गए।”
“धक्क!” एक बड़ी जोर की आवाज के बाद आशा के दिल ने मानो धड़कना बंद कर दिया—अवाक रह गई वह—आंखों के सामने अंधेरा-सा छाने लगा—दोनों कानों के पास 'सांय-सांय' की अजीब-सी आवाज उत्पन्न करता हुआ सन्नाटा गूंज रहा था।
“क्या हुआ मिस ब्यूटी?”
“आं!” वह चौंकी—“हां, क्या कहा आपने—वे लोग पकड़े गए जो कोहिनूर को चुराने का ख्वाब देख रहे थे—वैरी गुड—उन मूर्ख लोगों को तो मैं भी देखना चाहूंगी, और हां—अब तो आपको पता लगा होगा कि मेरा उनसे कोई सम्बन्ध नहीं है, आपको मुझ पर उनका साथी होने का शक था न?”
“उनमें से एक नाम विजय है!”
“धुम्म—धड़ाम्!”
आशा के मस्तिष्क में जैसे बम विस्फोट हुए, फिर भी वह संभलकर बोली—“कौन विजय?”
“क्या आपने उसका नाम नहीं सुना, भारत का उतना ही प्रसिद्ध जासूस है जितना ब्रिटेन का मैं, और उसके साथ ही विकास भी पकड़ा गया है, उसका शिष्य—उससे भी ज्यादा प्रसिद्ध।”
आशा बड़ी मुश्किल से खुद को बेहोश होने से रोक पा रही थी—जब बॉण्ड ने अशरफ का भी नाम लिया तो आशा, निराशा के समुद्र की गरहाइयों में डूबती चली गई।
“अब तो आपको मेरे बारे में गलतफहमी नहीं रही?” इस बार आशा ने स्वयं को बड़ी मुश्किल से संभाला।
उसे घूरते हुए बॉण्ड ने कहा—“मैंने उनसे आपके बारे में बात की थी।”
“क्या रहा?”
“उनका कहना है कि आप भी उनकी साथी हैं।”
“म...मैं?” उसके जिस्म के सभी मसामों ने एक साथ पसीना उगल दिया।
“उनका कहना है कि आप जापानी नहीं भारतीय हैं। आपका नाम भी ब्यूटी नहीं आशा है।”
आशा की उम्मीदें रेत के महल की तरह धड़धड़ाकर बिखर गईं, फिर भी वह पागलों की तरह चीखी—“नहीं, ये बकवास है—मैं ब्यूटी हूं, वे झूठ बोलते हैं, मैं किसी आशा को नहीं जानती।”
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