XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
05-06-2021, 03:31 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
मॉम - मंजू बाई





,"चल तेरा पीछे का छेद बच गया तो बच गया , आगे का नहीं छोडूंगी।

चल गांडू चाट मेरा लन्ड ,चूस अगर ढंग से चूस दिया न तो देखना खूब मोटे मोटे लन्ड मिलेंगे तुझे चूसने को मेरी गारंटी। "






चूसवाने की प्रैक्टिस तो मैंने ही उनकी शुरू करवाई थी , और डिटेल्ड इंस्ट्रक्शन के साथ ,

पहले गाजर और कच्चे केले के साथ , पहले छोटे फिर ५ इंच , ६ इंच के।
( आफ कोर्स ये दोनों ही खाने के मामले में उनकी नो नो लिस्ट में थे )

" दांत नहीं लगना चहिए, अगर दांत का निशान भी दिख गया न गांडू तो बहुत मार पड़ेगी तुझे , सिर्फ होंठो पकड़ो ,

हाँ ऐसे ,फिर हलके हलके चूसो, ... "



साथ में मैं खुद एक लॉलीपॉप ले के ,

पहले जीभ से जैसे सुपाड़े को छेड़ रही होऊं ,

वैसे लॉलीपॉप को छेड़ते ,चाटते चूसते ,फिर अपने गुलाबी मखमली होंठों से आधे लॉलीपॉप को दबा के चुभलाते ,चूसते गप्प कर लेती ,





फिर वही लॉलीपॉप मेरी तरह से वो भी ट्राई करते ,

फिर कैसे बैठना चाहिए ,

कैसे लन्ड पकड़ना चाहिए , कैसे शरारत के साथ मुस्कारते हुए छेडते हुए ,मर्द की आँखों में आँखों में आँखे डाल के मुस्कराते हुए ,

उसके औजार से खेलते हुए ,...


लेकिन जब मम्मी आगयीं तो तब से तो तो रोज

और साइज बढ़ के ७ इंच तक पहुँच गयी और ऊपर से १५ -२० मिनट से पहले मम्मी निकालने नहीं देती ऊपर से एकदम गले के एन्ड तक ,और चोकिंग रिफ्लेक्सेज को कैसे ओवरकम किया जाय ,

सीखने में तो नम्बर वन थे ही वो , और वो भी मम्मी से ,.. बस एक दो दिन में गैग रिफ्लेक्स को भी ओवरकम करना वो सीख गए।


और आज तो पूरे आठ इंच का था ,

लेकिन मम्मी के आगे कौन जीत सका है , पूरे के पूरे ८ इंच उनके मुंह में ठेल के वो मानी।




उनका बाल पकड़ के पहले तो पूरा मुंह खुलवाया जैसे डाक्टर खुलवाते हैं और उसके बाद , धीमे धीमे कर के ,...सरकाते ,पुश करते ,


और साथ में उनकी और मंजू बाई की गालियां ,

मैं कभी उनकी पीठ सहलाती तो कभी उनके गाल , लेकिन छेड़ने का मौका मैं भी क्यों छोडती ,

उनके कान में हलके हलके मैं बोल रही थी ,मस्त आवाज में ,

" मस्त चूस रही है तू जानम ,चल एक दिन हम दोनों साथ साथ लन्ड चूसेंगे फिर देखेंगे कौन पहले झाड़ता है। "



मुंह में मम्मी ने ८ इंच का ठेल रखा था और गांड में मंजू बाई की उँगलियाँ अंदर बाहर और जिस तेजी के साथ

क्या कोई लौण्डेबाज गांड मारेगा ,

" चल मेरा आशिरबाद है , तुझे मिलेंगे एक साथ दो दो लौंडेबाज , एक मुंह में ठेलेगा , एक गांड में पेलेगा। "


मंजू बाई ने गांड के छल्ले को रगड़ते दरेरते बोला।





" अरे इसकी माँ बहने तो सब एक साथ तीन तीन से पहले ही चुदवाती ,मरवाती हैं ,ये भी तो उन्ही की तरह पैदायशी हरामी खानदानी गांडू है।'

"मम्मी क्यों चुप रहतीं।

" अरे ये उनका भी नम्बर डकायेगा मरवाने में , देख लीजियेगा। जिस लन्ड को घोंटने में चार चार बच्चो की माँ को भोंसड़ीवालियों को पसीना आ जाता है न वो भी ये हंसते हँसते घोंट जाएगा देखियेगा , ... "

उनके गोरे गोरे नमकीन चूतड़ पे दूहथड लगाती मंजू बाई जोर जोर से बोली।


मैं सोच सकती थी उनकी क्या हाल हो रही होगी लेकिन न तो मंजू बाई छोड़ने वाली थीं न उनकी सास।

आधे घंटे के बाद ही वो छूटे ,

छूटे क्या

अब मंजू बाई ने स्ट्रैप आन लगा के आगे का मोर्चा सम्हाला और उनकी सास ने पीछे का ,



१५ -२० मिनट तक और , डबल रगड़ाई के बाद ही उन्हें छोड़ा गया।



और इंटरवल ही हुआ था ,



बिचारे
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05-06-2021, 03:32 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
रात अभी बाकी है










और इंटरवल ही हुआ था , बिचारे वो नहीं ,उनका वो।


रात आधी से ज्यादा गुजर गयी थी ,और वो वैसे का वैसे तना।


इतना मस्त तन्नाया खूंटा खड़ा हो ,

और दो दो प्रौढ़ाएँ , परफेक्ट , एम् आई एल ऍफ़ ,....

पहल मंजू बाई ने ही की ,

सच्च में उसके जोबन एकदम गदराये , रिकार्ड तोड़ , मेरे सास से भी एक दो नंबर बड़ी साइज के और उन्ही के तरह बिना ब्लाउज के भी हरदम कड़े , ज़रा भी झुकाव नहीं , खूब मांसल , ३८ डी डी से बड़े ही रहे होंगे ,



किसी मर्द की पक्की फैंटेसी ,

और उन्ही दोनों जुबना के बीच पकड़ कर , उनके खूंटे को ,

खुद रगड़ घस्स , रगड़ घस्स ,

वो कुछ नहीं कर रहे थे ,





और उन्होंने कुछ करने की कोशिश की भी तो मंजू बाई ने बरज दिया ,

वो खुद अपनी दोनों बड़ी बड़ी चूँचियों को पकड़ के जोर जोर से दबा कर रगड़ रही थी ,



उनके मोटे तन्नाए खूंटे पर ,...


जब उन्होंने मेरी सास बनी अपनी सास के ओखल से अपना मूसल निकाला था , आधे पौन घंटे से ज्यादा हो गया था ,


और ये दोनों लोग उनके पिछवाड़े के पीछे पड़ी थीं ,

मम्मी उन्हें डिलडो चूसने की ट्रेनिंग दे रही थीं , और मंजू बाई उनके पिछवाड़े , जबरदस्त ऊँगली ,...

और उनका खूंटा जस का तस भूखा ,

चूँची चोदन के साथ मंजू बाई कभी कभी अपनी जीभ निकाल कर उनके मोटे सुपाड़े को चाट लेती ,

तो कभी मुंह में लेकर चुभलाने लगती ,




ऐसे मस्त बड़े बड़े गदराये जोबन , जिन्हे सिर्फ छूने को ही मन ललक रहा हो ,

उसके बीच लंड को दबा कर मस्त चुदाई , ...


सोच कर ही ,... और दूसरा कोई होता तो शायद पांच छह मिनट में पर ये भी ,...




और आज मेरी सास के बारे में सोच कर कुछ ज्यादा ही जोश में थे , ...

पन्दरह मिनट तक हचक हचक कर मंजू बाई उन्हें अपनी बड़ी बड़ी चूँचियों से चोदती रही ,...




फिर उसने उन्हें उनकी सास के हवाले कर दिया ,

मैंने चिढ़ाते हुए मम्मी को कॉक रिंग की ओर इशारा किया ,

लेकिन उन्होंने साफ़ जोर जोर से मना कर दिया ,

अभी जबरदस्त रगड़ाई मंजू बाई और मम्मी की की थी , और उनकी जादुई लकड़ी वैसे की वैसे कड़ी , ...


मैं भी जानती थी , मेरा बाबू , मेरा सोना मोना , ..


बिना किसी कॉक रिंग के भी अपनी सास की ऐसी की तैसी करने में काफी है ,


और अबकी शुद्ध मिशनरी पोजीशन , सास नीचे दामाद ऊपर ,

मैं अपने ' उनके ; ओर

और मंजू बाई मम्मी की ओर , ....

कुछ देर तो उन्होने धक्के हलके लगाए ,




लेकिन फिर दोनों ओर से गालियों की बौछार , मम्मी भी मंजू बाई भी और अबकी गालियों का केंद्र ,


मेरी सास नहीं ननद थी , उनका बचपन का माल , वही गुड्डी ,...





" अरे भोंसड़ी के रंडी के जने , ये तेरी उस छिनार बहन गुड्डी की कसी कच्ची चूत नहीं है , लगा जोर जोर से धक्का , ... "


मम्मी नीचे से बोलीं ,




और मंजू ने भी आग लगाई ,



" स्साले , ले आएगा न उस कच्ची कली को देखना , महीने भर में भोसड़ा कर दूंगी , उसका पेल कस के "



" याद है , तुझे उसे गाभिन भी करना है , महीने भर के अंदर , अपने सामने करवाउंगी उसे गाभिन , ... तीन महीने में पेट फुलायेगी घूमेगी और नौ महीने में सोहर , ... "

मम्मी ने नीचे से धक्के लगाते उन्हें याद दिलाया ,




" एकदम फिर चुसूर चुसूर दूध पीना अपनी बहन का ,... पहिलौठी का दूध , और वो भी बहन का मस्त नशा होगा तुझे "

मंजू ने पीछे से उनकी पीठ सहलाते कहा


" अरे जैसे इनकर मामा , जब ई हुए थे तो इनकी माँ की चूँची से चूस चूस के पीते थे , "

नीचे से धक्के लगाते हुए उनकी सास ने जोड़ा ,




और मैं समझने लगी थी मंजू बाई और मम्मी की मिली जुली चाल ,

मेरे खसम ने इन दोनों लोगो को दो दो बार अच्छी तरह से झाड़ कर पिछली बार थेथर कर दिया था , बिना झड़े

और उनका झंडा ज़रा भी ढीला नहीं हुआ था ,



बस वही अबकी दोनों लोगो को यह डर सता रहा था की कहीं इस बार फिर , ... ये उन्हें झाड़ दें और खुद ,...

कम से कम अबकी इनकी सास और मंजू बाई चाहतीं थी ,... अबकी ये पहले झड़ें , ...

और इसके लिए वो दोनों लोग मिलकर ,... उनके धक्के धीमे थे , इसलिए दोनों को लग रहा था की इस बार फिर वो एक बार खूब देर तक , ...


इसलिए दोनों उन्हें उकसा रही थीं की पूरी तेजी से लगातार धक्के मारें जिससे वो जल्दी झड़ जाएँ ,...

पर मैं अपने शोना को जानती थी , ये दोनों प्रौढ़ाएँ चाहे जो कहें करे , ..

पर ये असर तो हुआ की , मारे जोश के उन्होंने अपनी सास को दुहरा कर दिया ,

अपने खूंटे को आलमोस्ट बाहर निकाल के क्या जोरदार धक्का मारा , सीधे बच्चेदानी पर




उनकी सास हिल गयीं ,

दूसरी बार फिर उसी तरह ऑलमोस्ट बाहर निकाल कर , पहली बार से भी ज्यादा करारा धक्का ,

सास ने उनकी दोनों हाथ से चादर पकड़ ली थी , और अब वो सिसक रहीं , मचल रही थीं ,

और ये फूल स्पीड में , .. दस बारह धक्के ,


मंजू मेरी ओर देख के मुस्करा रही थी , ...

इस तूफानी तेजी से तो वो भी सात आठ मिनट से ज्यादा , ...

और शर्तिया अपनी सास से पहले झड़ जाते , और उसके पहले मंजू ने पन्दरह मिनट तक जबरदस्त अपनी चूँची से रगड़ाई की थी ,... उसका भी तो असर होना था ,...

और मैं ये नहीं चाहती थी , मेरा बाबू ,... मेरा लाड़ला प्यारा शोना छोना ,... मैंने बस उनके कंधे को हलके से छू दिया , और मेरा इशारा काफी था ,
Reply
05-06-2021, 03:32 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
शोना छोना











और मैं ये नहीं चाहती थी , मेरा बाबू ,... मेरा लाड़ला प्यारा शोना छोना ,...

मैंने बस उनके कंधे को हलके से छू दिया , और मेरा इशारा काफी था ,




दो चार धक्के उसी तरह मारे उन्होंने , .... फिर सुपाड़ा भी करीब पूरा बाहर निकाला , ..


और क्या ताकत दिखाई उन्होंने , एकदम रगड़ते दरेरते , घसीटते , पूरी ताकत से ठेल दिया ,

और अबकी जिस ताकत से सुपाड़ा बच्चेदानी से टकराया ,...



उनकी सास की चीख निकल गयी , ... वो सिसक रही थीं , ..

और उनका लंड पूरी तरह उनकी सास के बुर में जड़ तक धंसा , जैसे किसी बोतल में डॉट अटक जाए , ...

और अबकी उन्होंने लंड के बेस से ही , गोल गोल चक्कर लगाना , रगड़ना , घिसना ,...

यही तो मैं चाहती थी ,...

उनके लंड के बेस से इनकी सास की क्लिट कस कस के रगड़ी जा रही थी ,




इतने दिनों में इन्हे अपनी सास के भी सारे प्वायंट मालूम हो गए थे , एक हाथ सास के जोबन पर , कस के मसल रहे थे , कभी निपल फ्लिक रहे थे ,... लेकिन उनका सबसे खतनाक हथियार था , उनक होंठ और जीभ ,

कभी कस के निप्स सक करते तो कभी जीभ से उसे फ्लिक करते ,



एक हाथ उनकी सास की दोनों फैली जाँघों के बीच , और जो क्लिट उनकी लंड के बेस से रगड़ी घिसी जा रही थी , उस पर उनकी हाथ की उँगलियाँ ,

जोबन और क्लिट पर हमला ,

और मोटा खूंटा जड़ तक धंसा हुआ , ...

कभी वो अंगूठे से क्लिट दबाते तो कभी , तर्जनी और अंगूठे से उसे रगड़ते ,

जादू के उस बटन का असर तो होना था ,...



उनकी सास आँखे बंद किये , ... बस सिसक रही थीं अपने बड़े बड़े नितम्ब चादर पर रगड़ रही थीं , ....


लग रहा था , अब गयीं , तब गयीं , ..



और उन्होंने अब बिना इन्तजार किये , एक बार फिर लंड बाहर निकाला , और अबकी धीरे धीरे रगड़ते , घिसटते ,... और वापस उसी तरह स्लो मोशन में , ... चार पांच मिनट ,

फिर एक बार क्लिट की रगड़ाई और फिर तूफानी धक्के ,

नतीजा वही हुआ जो होना था , ... तूफ़ान में पत्ते की तरह उनकी सास की देह काँप रही थी , देह एकदम ढीली हो गयी थी ,

वो भी रुक गए , ... और सास ने जब आँखे खोलीं तो दामाद की ओर देख कर मुस्करायीं ,

वो भी मुस्कराये और फिर दोनों लग कस के लिपट गए , चिपट गए , देर तक ,... ऐसे ही चिपटे रहे , पर खूंटा उसी तरह जड़ तक अंदर धंसा हुआ , उनकी

सास के , जैसे दूध में पानी मिला हो , वैसे ही चिपके , एक दूसरे में मिले घुले ,...

पर थोड़ी देर में एक बार फिर , ... और अबकी जैसे तूफ़ान के बाद , हलकी हलकी हवा चले ,



बस उसी तरह धक्के धीमे धीमे , उनका हाथ भी गदराये ३६ डी जोबन पर मस्ती से सहला रहे थे ,


लेकिन पांच छह मिनट में एक बार फिर से और अबकी मंजू भी मैदान में आ गयी थी ,

जबरदस्त गालियां , अबकी मेरी सास को ,... और मंजू बाई भी न , ... क्या जबरदस्त ,...


ये अपनी सास के ऊपर थे , और इनके ऊपर बस अपने बड़े बड़े कड़े कड़े गदराये जोबन ,


इनकी पीठ पर कभी छुला देती , तो कभी जोर से रगड़ देती ,



बेचारे , और इनकी सास भी तो , उन्होंने कस के दुलार से दामाद को अपनी ओर भींच लिया , बस जिस जोबन की याद में उनकी हालत ख़राब रहती थी , ब्लाउज के ऊपर से ही एक झलक पाने के लिए ये कुछ भी करने को तैयार रहते थे ,

वही जोबन इनके सीने से रगड़े जा रहे थे , दबाये कुचले जा रहे थे ,

और पीछे से बरछी कटार की तरह मंजू बाई के निपल , एकदम कड़े , बस उन्ही उत्तेजित निप्स से वो सीधे इनकी बैक बोन पर बस हलके से सहलाते , छुलाते , ...एकदम नीचे तक , ...

और दोनों जोबन कस के इनके चिकने मुलायम मांसल नितम्बो पर ,

और साथ में गालियां ,

" भोंसड़ी के एक बार बस इस गांड में मोटा लंड ले ले , मेरा आसिरबाद है , अपनी माँ बहन का नमबर डकायेगा , मरवाने में , ..एक साथ निहुर के तुम और तेरी माँ , बहन साथ मरवायेगी , ... "

और अबकी जब मंजू बाई के जोबन इनकी पीठ पर दबा रगड़ रहे थे , सीने पर इनकी सास के उरोज ,...


मंजू बाई के हाथों ने इनके नितम्ब का मोर्चा सम्हाल लिया ,

पहले तो कुछ देर तक हलके से वो चूतड़ सहलाती रही , फिर सीधे दो उँगलियाँ इनकी गांड के दरार पर , ...




एकदम कसी दरार ,


मुझसे नहीं रहा गया , ... झुक कर ,...

मैंने ढेर सारा थूक , इनके नितम्बो के दरार के ऊपरी भाग , और थोड़ी देर में सरक कर ,.. वो थूक का धागा इनकी दरार पर ,

और अब मंजू ने कस के ऊँगली रगड़ना शुरू कर दिया ,

इस दुहरे हमले का नतीजा हुआ ,

अब सब कुछ भूल कर वो हचक हचक कर अपनी सास की बुर चोद रहे थे , और इनकी सास भी तो यही चाहती थीं ,




हर धक्के का जवाब वो धक्के से दे रही थीं , नतीजा , कुछ देर बाद एक बार फिर से अब जब वो कगार पर पहुंची तो साथ में उनके दामाद भी ,

पहले मम्मी ने झड़ना शुरू किया और

मंजू शायद यही मौका देख रही थी ,


गच्चाक , एक साथ उसने अपनी दो मोटी मोटी उँगलियाँ इनकी गांड में पेल दी , और पूरी जड़ तक , ...




मैंने प्रोस्ट्रेट मसाज के बारे में सुना था , पढ़ा था , मम्मी ने समझाया भी , लेकिन

आज पहली बार देख रही थी

ये अपनी झड़ती हुयी सास के बिल में धक्के मार रहे थे और पीछे से मंजू इनकी गांड में , फिर जैसे चम्मच की तरह अंदर मोड़ कर उसने पूरी ताकत से इनके प्रोस्ट्रेट को दबाना शुरू किया



इनकी सास की बिल भी झड़ते हुए बार इनके लंड को निचोड़ रही थी , ये वैसे भी एकदम कगार पर थे ,

और इस दुहरे हमले का असर हुआ , ...

कुछ ही देर में , ...

ये देर तक , ... लंड इनका सास की बुर में गड़ा ,

और थक्के दार रबड़ी मलाई के फुहारे ,

कुछ ही देर में बुर के बाहर भी छलक कर , ..




मंजू बाई रुक गयी थी , लेकिन दो मिनट के बाद उसने दुबारा , अबकी पहली बार से भी जोर से

और ये एक बार फिर से झड़ रहे थे ,...


बड़ी देर तक ये और इनकी सास ऐसे लिपटे गुथे पड़े रहे , ... इनकी सास का भोंसड़ा रबड़ी मलाई से भरा , एकदम थक्केदार , कटोरी से कम नहीं रहा होगा , एकदम लबरेज , छलक रहा था




और जब इन्होने खूंटा निकाला तो इनकी सास ने इन्हे खींच कर अपनी खुली फैली जाँघों के बीच से




और खींच कर , इनका मुंह सीधे अपने भोंसडे पर ,...


मैंने मम्मी को बताया था की उनका दामाद एकदम पक्का कम स्लट है , मैं रोज अपनी बुर से इनकी मलाई इन्हे खिलाती थी

पर मम्मी ने बोला जब तक वो खुद न देख लें ,...





और अभी उनका दामाद उनके भोंसडे से , पहले जाँघों पर फैली , ...

फिर ऊपर लगी ,

और अंत में दोनों फांको को फैला कर , जीभ एकदम अंदर तक डाल कर

सपड़ सपड़





उन्होंने भले ही खूंटा अपनी सास की बिल से निकाल लिया हो , मंजू बाई ने अपनी दोनों उँगलियाँ इनके पिछवाड़े से नहीं निकाली थीं ,...

और अब गोल गोल ,... जैसे गाँड़ में मथानी चल रही हो जोर जोर से , ...

जैसे ही सास के भोंसडे से मलाई रबड़ी खा कर वो उठे ,

मंजू बाई ने एक हाथ से उनका गाल दबा कर मुंह खुलवा दिया और दूसरा हाथ जिसकी उँगलियाँ इनके पिछवाड़े मथ रही थीं , वो निकल कर सीधे इनके मुंह में लेकि सिर्फ एक पोर तक ,

" रबड़ी मलाई बहुत खा ली , अब ज़रा मक्खन भी चाट ले न , रंडी के जाने , गांडू , मादरचोद ,... "

मंजू बाई बोलीं।




उन्होंने आँख बंद कर ली थी पर एक पोर तक तो दोनों उँगलियाँ अंदर घुस ही गयी थीं , और वो भी जानते थे बिना साफ़ सूफ किये ,

ऊपर से उनकी सास , हँसते खिलखिलाते , जोर से उनके निपल स्क्रैच कर के बोलीं , अरे भंडुए के पूत , ... आँख खोल कर देख न , ... खोल आँख ,

और उन्होंने आँखे खोल दी , ... धीरे धीरे पूरी ऊँगली अंदर।



इनके पिछवाड़े से निकली , लीपड़ी चुपड़ी , सीधे इनके मुंह में हलक तक ,


कुछ देर तक तीनो लोग ऐसे ही पड़े रहे , लेकिन उसके बाद तो उन दोनों प्रौढ़ाओं ने उनकी ऐसी की तैसी की ,
Reply
05-06-2021, 03:32 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
एक के साथ दो ,...

एम् आई एल ऍफ़ ( मदर आई लव टू फ़क )







इनकी जबरदस्त फैंटेसी थी , एम् आई एल ऍफ़ वाली ( मदर आई लव टू फ़क ) ,

मैंने कितनी बार टीवी सीरयल में बड़ी उम्र की औरतों को देख कर उन्हें लार टपकाते नोटिस किया था ,




फिर जब बॉबी जासूस बन कर मैंने इनके डार्क वेब में सेंध लगाई , जिन साइट्स पर ये नाम बदल कर सर्फ़ और चैट करते थे , एकदम साफ़ हो गया इन्हे क्या पसंद है ,... कच्ची कलियाँ और उससे भी बढ़कर एम् आई एल ऍफ़ ,

खेली खायी ,... ज्यादा बड़ी नहीं लें ३५-४५ के उम्र के बीच की ,


गदरायी , खूब मांसल , बड़े बड़े जोबन वाली ,




जो थोड़ी जबरदस्ती भी करें ,...





मैंने ममी को बताया तो उलटे मुझे डांट पड़ गयी , मम्मी भी न मुझसे ज्यादा इनको फेवर करती थीं , अपने इकलौते दामाद को ,...

" ठीक तो है , सभी मर्द करते हैं , ... चल आने दे मुझे , ..."

लेकिन आने के पहले ही फोन पर ही , इनकी बर्थ डे के दिन , ... क्या खुल के गाली वाले सोहर , इनकी माँ को रंडी छिनार सब कुछ ,... और उस के बाद तो रोज चार पांच बार सास दामाद में , .... और जब मॉम के आने की बात हुयी तो सारा घर अपने हाथ से ,...



लेकिन आज तो हद पार हो गयी थी , किसी भी आदमी की जो हॉटेस्ट फैंटेसी हो सकती है उससे भी ज्यादा ,



दो ३५ -३८ के बीच की खूब मांसल भरे देह वाली , लेकिन ज़रा भी स्थूल नहीं , सेक्सी नहीं जबरदस्त सेक्सी , भरपूर जोबन , बड़े बड़े नितम्ब , ...

और उनके बीच एक आदमी , ... किसी की भी फैंटेसी हो सकती है

लेकिन आज ये फैंटेसी नहीं असलियत थी ,...

मंजू और मॉम ने मिलकर , ... क्या गत की इनकी , मम्मी दो बार झड़ चुकी थीं , ये भी एक बार , ...

खूंटा थोड़ा सोया थोड़ा जगा , पर ये दोनों उसे सोने देती तब न ,




दोनों लोग मिल के , कभी साथ साथ चाटती ,


कभी साथ चूसती ,


तो कभी एक के हवाले खूंटा और दूसरे के हवाले रसगुल्ले ,






कभी मम्मी कस के अपने दामाद का लंड चूसती तो मंजू इनके पिछवाड़े , ...

क्या मस्त वो गांड चाटती थी , जीभ एकदम अंदर तक , ये गिनगीना रहे थे




लेकिन न मंजू को कोई जल्दी थी न इनकी सास को ,

खूंटा एकदम खड़ा बेताब बेसबरा ,

पर ये कुछ कर भी नहीं सकते थे ,





थोड़ी देर की मस्ती के बाद , इनकी सास की ब्रा से मंजू ने इनके हाथ बाँध दिए , और उनकी पैंटी मुंह में ठूंस दी ,

आँखों में ब्लाइंडफोल्ड भी

फिर तो , कभी एक अपनी चूँचियों से उनका लंड चोदती कभी दूसरी ,...





कभी एक गाल एक के हाथ और दूसरा दूसरे के , ..साथ में हाथ से उनकी सास , मंजू मथानी की तरह खूंटे को , ...



मम्मी ने उनके मुंह से पैंटी को निकाल दिया और उन्हें बिस्तर पर धक्के देकर गिरा दिया और खुद उनके ऊपर चढ़ गयीं , फेस सिटिंग ,



मंजू साथ उनके लंड को कस के चूस रही थी ,

और फिर जब पॉजिशन बदली ने तो कुछ देर अपनी बुर चुसवाने के बाद उनका सर पकड़ कर सीधे अपने पिछवाड़े ,

" चल रानी चाट मेरी गांड , अरे मस्त चाटेगा न तो तेरी माँ के भोंसडे के साथ उसकी गांड भी दिलवा दूंगी ,... "

जोर जोर से उनके मुंह पर अपनी गांड रगड़ती वो बोली ,






आधे घंटे से भी ज्यादा , दोनों ,...उनकी सास और मंजू बाई ,...

मैं साथ बैठे बैठे देख रही थी , लेकिन मुझसे नहीं देखा गया , दो मस्त भोंसडे , और खूंटा तब भी भूखा ,...

मैंने चुपके से उनका हाथ खोल दिया और ब्लाइंड फोल्ड बस

वहीँ बिस्तर पर मंजू बाई को कुतीया बना के ,

क्या मस्त कुटाई की उन्होंने




मैं और उनकी सास सोफे पर बैठे देख रही थीं , बियर पी रही थी ,

लेकिन मान गयी मैं मंजू बाई को भी क्या मस्त धक्के मार रही थी , पीछे की ओर

फिर पोजीशन बदल के , साइड से , वो बिस्तर पर ये खड़े , ...





ये खूब खुश लग रहे थे


इस ख़ुशी के लिए तो मैं कुछ भी करने को तैयार थी , ...

पर मैंने एक फैसला कर लिए , जब इनकी ममेरी बहन को फंसा फुसला के यहाँ ले आउंगी , किसी भी बहाने से ,...

उसकी फटेगी तो है ही , चोदी भी जायेगी हचक के ,... लेकिन मैं लाऊंगी उसे , ...


इनकी रखैल बनाने के लिए ,

और रखैल कौन जो रंडी की तरह चुदवाना न जाने , ...


बस मैं उसे मंजू बाई और गीता के हवाले कर दूंगी , चुदाई की सब ट्रिक सिखाने को , ...



मंजू के झड़ने के साथ ही ये भी झड़े ,

सारी रात

पूरी रात घमासान चला।



इनकी इतनी रगड़ाई आज तक कभी नहीं हुयी , जीतनी उस रात हुयी।

उन्हें भी मजा रहा था ,


लेकिन सबसे ज्यादा मजा मुझे आया ,इनकी सारी शरम लाज , लिहाज ,झिझक सब कुछ ,इनकी और इनकी माँ बहनो के ,... में

मंजू बाई और मम्मी ने भी खूब मजे लिए।

लेकिन वो भी झड़े , वो भी पूरे तीन बार.

दो बार मंजू बाई के भोंसडे में , एकदम लबालब ,मलाई बाहर तक छलक रही थी।


एकदम गाढ़ी थक्केदार मलाई , और फिर मंजू बाई ने उनके ऊपर चढ़ कर उन्हें चटाई भी।





एकदम पक्के कम स्लट बन गए थे वो ,सडप सडप सब चाट गए।


और एक बार अपनी सास के अंदर भी ,


एकदम कटोरी भर मलाई।






सुबह तक सब थक के चूर हो गए



लेकिन सुबह सुबह सोने के पहले उन्हें 'बेड टी' मिली पीने को ,



वो भी दो कप पूरी।

मैं भले ही पांच दिन की छुट्टी के चक्कर में आउट आफ आर्डर थी ,

पर मंजू बाई और उनकी सास थीं न 'पिलाने को '


और ऊपर से हुकुम भी अगर एक बूँद भी बाहर छलकी तो ,

सच में नहीं छलकी ,सडप सडप सब सटक गए।


सोने को भी ,मैं और मम्मी सो गए , लेकिन मंजू बाई को जाना था और उन्हें सुबह का घर का काम ,फिर आज आफिस भी जाना था।

हाँ मंजू बाई ने थोड़ी हेल्प करा दी उन्हें ,


और चलते चलाते एक बार फिर सुनहरे शरबत की प्याली ,पिला दी।
Reply
05-06-2021, 03:33 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
जोरू का गुलाम भाग ५७ - ट्रेनिंग और प्लानिंग

मंजू , गीता और -- मेरी सास ,




प्लानिंग




सोने को भी ,मैं और मम्मी सो गए , लेकिन मंजू बाई को जाना था और उन्हें सुबह का घर का काम ,फिर आज आफिस भी जाना था।


हाँ मंजू बाई ने थोड़ी हेल्प करा दी उन्हें , और चलते चलाते एक बार फिर सुनहरे शरबत की प्याली ,पिला दी।

मंजू बाई न पक्की छिनार , एकदम किंकी ,



लेकिन उसकी बेटी गीता ( मेरी ननद गुड्डी से सिर्फ एक साल बड़ी थी ) उससे भी दस हाथ आगे ,



और मम्मी की खास चहेती ,चहेती तो वो मेरी भी थी और इनकी भी

असल में जब उन्होंने मंजू बाई को दो बार झाड़ा और अपनी सास को भी एक बार और झंडा वैसे ही तना रहा ,

मम्मी भी मान गयीं अपने दामाद को और मंजू भी , वैसे पहले भी कभी ये ' टू मिनट वंडर ' नहीं थे , मेरी सहेलियों और भाभियों ने जो अपना अपना हाल सुना के मुझे भेजा था , पहली रात को भी उनसे ज्यादा ही ,

लेकिन अब तो, एक तो उनकी सास और मंजू की ट्रेनिंग लेकिन सबसे ज्यादा असर था पहलौठी के दूध का, गीता का ,



और मम्मी और मंजू के साथ गीता भी मेरी सास के पीछे पड़ी थी , मादरचोद बस इसी नाम से इन्हे बुलाती थी , और इन्ही के सामने मेरी सास को एक से एक गन्दी गाली न सिर्फ देती बल्कि इन से दिलवाती भी थी ,

एक दिन वो आयी और दरवाजा खोलने में इन्हे थोड़ी देर हो गयी बस गीता चालू

" काहें मादरचोद , अपनी महतारी के लिए यार ढूढ़ रहे थे ,... "




" अरे अपनी माँ का सबसे बड़ा यार तो यही है " मम्मी को भी मौका मिल गया अपनी समधन की ऐसी की तैसी करने का।

" अरे उस भोंसड़ी वाली का एक से क्या होगा , वो तो पक्की रंडी है , पूछ लीजिये इन्ही से " गीता ने लेवल और बढ़ाया और इनसे ही रंडी कहलवाया।



लेकिन मम्मी भी और मम्मी को क्यों दोष दूँ इनकी मम्मी कौन कम थीं क्या ,...

रोज नाश्ते के समय मम्मी पहले अपने समधन को फोन लगाती थी और वो भी वीडियो काल , स्पीकर फोन पर

उफ़ क्या क्या बातें नहीं होती थीं , दोनों समधनों के बीच में , नहीं नहीं डबल मीनिंग नहीं एकदम खुल्लम खुल्ला, और मेरी सास इनकी सास से भी चार हाथ आगे थीं , और मुझे पक्का अंदाज है की मेरी सास को मालूम था की ये कान पारे एक एक बात सुन रहे हैं ,


बिना नागा रोज,... और कई बात देह तक भी पहुंच जाती थी , एक दिन मम्मी ने अपनी समधन को चिढ़ाया ( वीडियो काल थी ) अरे आपके आँचल में क्या लगा है ,
समझ तो मेरी सास भी गयी असली बात सीधे चोली को देखना है , पर हँसते हुए उन्होंने आँचल हटा दिया , मस्त गदराये रसीले जोबन ,

ये एकदम टकटकी लगा के देख रहे थे और मम्मी ने मेरी सास को चिढा चिढ़ा के गाना शुरू कर दिया ,

तेरे चिकने चिकने गाल मेरा दामाद चूमेगा , तेरी चोली की बड़ी बड़ी गेंद मेरा दामाद खेलेगा ,



और साथ ही पक्की प्लानिंग , जिस दिन मेरी सास आएँगी उस दिन ये कैसे चढ़ाई करेंगे , और उस प्लानिंग में मम्मी के साथ ये और गीता भी शामिल होते थे ,...

तय ये हुआ था की इन्हे ब्लाइंड फोल्ड कर दिया जायेगा ,




मातृभूमि का दर्शन करने को नहीं मिलेगा , बंद आँखों से पहले चूमें चाटे चूसे , चाहे तो जीभ अंदर डाल दें , और उसके बाद ,

मैंने सजेस्ट किया की मेरी सास के चूतड़ के नीचे मोटी मोटी तकिया कुशन पर इन्होने वीटो कर दिया ,


अरे पहले ही तेरी सास का पिछवाड़ा बहुत मांसल और गदराया है ,



पर मैंने भी बता दिया , लेकिन अपनी सास की बिल में अपने मर्द का खूंटा मैं ही सटाउंगी ,

ये मान गए पर उनकी सास ने हुकुम सुना दिया ,

पहले धक्के में ही सुपाड़ा पूरा अंदर होना चाहिए



एकदम, वो बोले और कुछ दिन में तो मम्मी थोड़ा सा प्रोग्राम बताती तो बाकी का ये खुद , कैसे निहुरा के , कैसे पीछे से ,

सच में मम्मी , मंजू और गीता ने मिल के उन्हें मन से तो पक्का मादरचोद बना दिया था ,

तन का बस मौके की बात थी ,

और गीता तो एकदम से मेरी सास के पिछवाड़े पड़ी थी , स्साले गाँड़ जरूर मारना ,




पर मम्मी भी उन्होंने एक छोटी सी शर्त लगा रखी थी ,


गांड किसी की भी मारने के पहले उनके दामाद को गाँड़ मरवानी होगी और कैसे किससे ये मेरे जिम्मे था




सोचने में भी और करने में भी , ... ये भी न एकदम उसके पक्के , ...

लेकिन मैं मान गयी गीता को , ... उनके खूंटे पे रोज , पहलौठी का दूध , ... बिना नागा , दोनों टाइम , ...







और उसे इस बात का फरक भी नहीं पड़ता था की मम्मी सामने बैठी हैं या , वहीँ खोल के , ..

पूरे दस पन्दरह मिनट तक , रगड़ रगड़ कर , ...


उस का असर भी इनके खूंटे पे दिख रहा था , एकदम लोहे का खम्भा हो रहा था , मोटाई भी पहले से बीस नहीं बाइस हो गयी थी ,


और कई बार दूध लगाने का काम गीता करती और मुठियाने का ये और कई बार गीता खुद ,...



साथ में गीता की गालियां ,

" साले रंडी के जाने , ये मोटा लंड तेरा जाएगा उसी रंडी के भोंसडे में जिससे तू गांडू निकला है , पहली बार में उस रंडी को गौने की रात की याद दिला देना या जब तेरे मामा के संग.... "

और मम्मी और गीता को हवा देतीं , " ये तो तू इसके मन की ही बात कह रही है और मेरी बेटी की सास की भी ,... "

अक्सर जब गीता का पहलौठी के दूध से मुठियाने का काम चलता तो मम्मी अपनी समधन से बतियाती रहतीं ,...

एक दिन तो मम्मी ने हद कर दी , गीता ने खूब दूध लगा दिया था और ये मुठिया रहे थे उसी समय मम्मी ने कैमरा मोबाइल का इनकी ओर कर दिया





और जब से तय हुआ था की मेरी सास आएंगी , उनके साथ , ..


सास को बेटा चोद और इन्हे मादरचोद बनाने का प्लान पक्का हो गया था ,
Reply
05-06-2021, 03:33 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
मादरचो





सास को बेटा चोद और इन्हे मादरचोद बनाने का प्लान पक्का हो गया था ,

मेरे और मम्मी से ज्यादा वो दोनों , मंजू बाई और गीता न , ...

एक दिन मम्मी कहीं सुजाता , मेरी सहेली , अपनी मुंहबोली छोटी बेटी के साथ गयी थीं , ... और घर में मैं अकेली थी , इन्हे भी कहीं आफिस के काम से जाना था ,

बस उसी समय मंजू बाई और गीता आ गयीं और फिर वही मेरी सास के बारे में प्लानिंग , ... एक से एक , और मैंने भी तय कर लिया ,

असल में मम्मी अपने समधियाने जाने वाली थीं , मेरी सास को लाने ( जिससे मेरी सासू जी के आने का प्लान किसी भी तरह फेल न हो ) , और एक बार सासू जी आ गयी उनके बेटे को उनके ऊपर चढाने से कोई रोक नहीं सकता था , ... मेरे लिए शायद मुश्किल होता , ....

पर उनकी सास इसी लिए अपने सामने , ...

और वो सपने में भी अपनी सास की बात नहीं टाल सकते थे , ...

प्रोग्राम ये था की तीन चार दिन मम्मी अपनी समधन के साथ ,... ये भी छुट्टी लेकर , ..


इसलिए दिन रात , मम्मी की समधन की ओखल में मम्मी के दामाद का मूसल चलेगा , ...



उसके बाद दो तीन दिन मम्मी की किसी जरुरी काम से मुंबई जाना था ,

बस उसी समय , शाम को ,...

उसी रात को , गीता बोली , ..वो दो तीन दिन , मंजू गीता और आफ कोर्स मैं भी सासू माँ की जबरदस्त रगड़ाई ,...

गीता का दिमाग , ... कोई भी किंक बचने वाला नहीं था , ...



उसके बाद , जब मम्मी लौटती तो दो तीन दिन और हम लोगो के साथ ,

उसके बाद मम्मी का प्रोग्राम था , अपनी समधन को अपने साथ हमारे गाँव ले जाने का , और वहां , मेरे चचा , मौसा , फूफा , गांव के सारे ,

गन्ने का खेत , अरहर का खेत , अमराई कुछ भी नहीं बचती




... रोज तो मम्मी अपनी समधन को उकसाती थीं , ...





और वो दो तीन जब मम्मी नहीं रहती , ...

उसी रात गीता का प्रोग्राम था , ...



उनके बेटे रहते लेकिन , वो सिर्फ कुर्सी पर बैठ कर , ... गीता थी न उनको ' कंट्रोल ' में करने के लिए , कुर्सी पे उन्हें बांध छान कर , ...

पूरे कपडे में , सिर्फ ; खूंटा बाहर निकला रहता ,



और बिस्तर पर उनकी माँ , ...

मैं और मंजू बाई मिल के उनकी स्ट्रिप टीज करतीं और फिर बिस्तर पे लेटा के , सबसे पहले मंजू बाई

मंजू एकदम किंकी , एक से एक गन्दी गर्हित आइडिया पता नहीं कहाँ से उसके दिमाग में आती थीं , ...

और मेरी सास के बारे में सोच कर तो उसको और , गीता तो और ,... वो दोनों सिर्फ प्लान करने में नहीं बल्कि , ...

मंजू मेरी सास के ऊपर चढ़कर न सिर्फ अपना भोंसड़ा जम के चुसवाने वाली थी ,






बल्कि उसने प्रॉमिस भी किया की मेरी सास को पक्की गांड चट्टों बना के छोड़ेगी ,





वो भी मेरे और इनके सामने , ये तो कुर्सी पर बंधे बैठे रहेंगे , ...गीता के कब्जे में बस चुपचाप ,... बोलने का सवाल नहीं था ,

गीता का प्लान था मेरी सास की ब्रा और पैंटी से ही उनके मुंह में , ...



पैंटी का गोला बना के उनके मुंह में ठूस देगी ऊपर से मेरी सास की ३६ डी डी की ब्रा से सास के बेटे का मुंह बाँध ,






वो सिर्फ देख सकते हैं , ...
,
और जब मंजू का भोंसड़ा मेरी सास के मुंह में ,... मेरी सास खाली नहीं बैठेंगी ,

मैं रहूंगी न उनकी , ' सेवा ' करने के लिए , मेरी चार चार उंगलिया मेरी साजन की ' मातृभूमी ' में घुसी पूरी जड़ तक , गोल गोल , पूरी ताकत से , ... हचक हचक कर , और उसके बाद वो दस इंच वाला स्टैप ऑन ,



उनके सामने उनकी माँ चोदूगी , खूब हचक हचक के , उन्हें दिखा दिखा के


जैसे उनके बेटे ने उन्हें चोदा होगा न उससे भी दस गुनी ताकत से , ...




हाँ बस मंजू ने साफ़ साफ़ बोला था , ... झड़ने मत देना छिनरा को , ...एकदम किनारे तक ले जा कर , बस कभी मंजू उनके निप्पल नोच लेगी , जैसे ही मेरी सास का झड़ना शुरू होगा , या क्लिट ,... दर्द के मारे उनकी मस्ती ख़तम हो जायेगी ,... लेकिन थोड़ी देर में मैं फिर मैं चालू हो जाउंगी , ...

कम से कम आधे एक घंटे तक , जब तक वो मंजू को चूस चूस कर दो तीन बार नहीं झाड़ लेंगी , और उसके बाद ,...


बस वही ,... सुनहली शराब , मंजू के भोंसडे से , ... मेरी सासु के मुंह में ,

और मंजू ने शर्त लगा दी , उसके बाद मैं और गीता , ... लेकिन सबसे खतरनाक आइडिया गीता का था , उनका खूंटा ,

ये नहीं था की उन्हें नहीं चुसवाया गया था , ...


लेकिन अबकी बजाय रबडी मलाई के उस खूंटे से भी सुनहली शराब ,.... वो कुछ झिझकते तो ,... गीता थी न

लेकिन सारी रात तड़पाने के बाद , ... अपनी सास की , भोर में ,... जब वो खुद बोलती तो उन्हें उनके खूंटे के ऊपर चढ़ाया जाता , वो ऊपर ,...

और ,उसके बाद ... मंजू की पूरी की पूरी मुट्ठी ,




उसके बाद




सच में इनकी सास कितनी जल्दी मेरी सास को ले कर आएं , ...




मैं इतना इन्तजार कर रही थी ,


मुझसे ज्यादा मंजू और गीता , ... लेकिन सबसे ज्यादा जो इन्तजार कर रहा था वो बोल नहीं रहा था , ...



लेकिन उनकी सास तो दिन में दस बार उन्हें चिढ़ा चिढ़ा कर याद दिलाती थीं , ...



और हम सब , ... मादरचोद बोल बोल के


दिन पंख लगा के उड़ रहे थे , मम्मी को जाने में बस अब कुछ दिन ही बचे थे।
Reply
05-06-2021, 03:33 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
उनकी ' लैंग्वेज





दिन पंख लगा के उड़ रहे थे , मम्मी को जाने में बस अब कुछ दिन ही बचे थे।


मन तो उनका नहीं कर रहा था , न उनका न मम्मी का। पर हमें इनके मायके जाना था और मम्मी के अपने इंगेज्मेंट्स।


थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी कभी भी ,की तर्ज पर मॉम की उनकी ट्रेनिंग , कहीं भी कभी भी जारी थी।


और उसका असर भी साफ दिखता था ,वो अच्छी तरह संस्कारी से ' सुसंस्कारी ' बन चुके थे।

मम्मी ने झाड़पोंछ के उनकी सारी ' बुरी बुरी ' अच्छी आदतें छुड़वा दी थीं।

सब झिझक ,लाज ,लिहाज ,हिचक ,नजरें झुका लेना नजरें चुराना एकदम गायब हो चुकीं थीं।


लेकिन एक प्रॉब्लम उनकी नहीं सुधर रही थी , ...


उनकी ' लैंग्वेज ' . ...

और उससे सबसे ज्यादा प्राबलम उनकी साली को थी , ... उनकी मुंहबोली साली , मेरी छोटी बहन की तरह पक्की सहेली , सुजाता को , ...





असल में , उसका मरद पंजाबी था , पक्का दिल्ली वाला ,

और बात बात में , मादरचो बहनचो , उसके बिना उसका सेंटेस पूरा होना मुश्किल था ,

और सिर्फ वही नहीं , मेरी बाकी हम उम्र सहेलियों के पति , सब की यही हालत थी ,



असल में थोड़ा बहुत सुट्टा मार लेना , एक दो पेग कम से कम सोशल ड्रिंक , बियर ,...


शुरू में तो ये सब ,... लेकिन ये तो मैं बता ही चुकी हूँ कैसे मैंने उन्हें पहले पहले सुट्टा मरवाया , और मम्मी ने तो पेसल वाली भी ,...




अब ड्रिंक से भी वो घबड़ाते नहीं थे ,

मैं और मम्मी मिल के , ... 'सुधारने की बहुत कोशिश उनकी जुबान , ...


सबसे पहले मम्मी




फिर मैंने और अब सबसे बढ़ कर मंजू और गीता ,


गाली सुन के उन्हें बुरा नहीं लगता बल्कि खास तौर से उनकी उस ममेरी बहन और अब मेरी सास का नाम लेके गाली देने में तो उनका एकदम टनटना जाता था , ...

और मम्मी और मंजू तो उन्हें मादरचोद ही कह के बुलाती थीं , ...

लेकिन उनकी जुबान अभी भी , उनके मुंह से गाली नहीं निकलती थी ,

हाँ मम्मी की बात अलग थी , वो तो रोज सुबह सुबह नाश्ते के पहले उनसे दस बार अपनी समधन का नाम ले ले के उनसे मोटी मोटी गालियां देती थीं , ...

और सबसे बढ़कर उनसे गालियां दिलवाती थीं , मेरी ननद और सास का नाम ले ले कर और उनका साथ देती थी गीता,



मेरी ननद के नाम के आगे छिनार लगाए बिना अगर इनके मुंह से निकला तो इनकी वो हालत खराब कर देती थी ,


पर परेशानी थी , घर के बाहर , बाहर निकलते ही वो अपने 'संस्कारी ' वाले कोकून में घुस जाते थे , फिर से 'अच्छे बच्चे '

लेकिन बात थी बात चीत में , उनके सुधारने की

हाँ तो मैं सुजाता की बात बता रही थी ,



एक दिन मैं उसके घर गयी थी और हम सब गप्पे मार रहे थे की उसके हबी आ गए , ...

बस किसी बात में उनके मुंह से मेरे सामने मादरचो निकल गया ,


और मैं हंसने लगी की वो बिचारे ,... फिर उनके मुंह से निकल गया सॉरी , अब तो मैं और , और साथ में सुजाता भी हंस के. बिचारे ,

और मैं उनकौ चिढ़ाते हुए बोली ,...

" जीजू , अरे साली को सॉरी नहीं बोलते , ... "




लेकिन वो झेंपते हुए बोले , " अरे यार वो आपके सामने , ... लेडीज के सामने , ... "

मैंने फिर उन्हें खींचा ,

" अरे मैं लेडीज कबसे हो गयी , मैं साली हूँ , साली रहूंगी , भले सुजाता मुझसे छोटी ही सही , लेकिन जीजू तो जीजू , ... "

अब कुछ सम्हलते हुए वो बोले , ...

" अरे स्साली मेरी लैंग्वेज , ... बहनचोद , बिना बात के मादरचो निकल जाता है , ... "

" तो निकल जाने दीजिये न , ... आपकी बहन , आपकी माँ , मेरी सुजाता की ननद , सास ही लगेगी न , तो आप चाहे , जितनी बार , जैसे भी , ... हम दोनों को कोई भी ऐतराज नहीं होगा , "




जब से इनका ' सुधार ' हुआ था , तब से हर वीकेंड में हम ' बच्ची पार्टी ' ( टाउनशिप में हम सब यंग कपल्स , २१ से २४ साल वाली जिनकी शादी के साल दो साल हुए थे अभी , कोई बच्चा वच्चा न था , न होने वाला था , ... बस एक ही काम था , फुल टाइम मस्ती , न कोई दिन देखता था न रात ) का एक पूल्ड डिनर होता था , ... ६-७ कपल्स थे , ...

हाँ , और सारे लड़के लोग , बिना गाली के , ...

बेचारे कोशिश बहुत करते थे लेकिन मुंह से ( सिवाय इनके , ..इनके लिए तो अबे साले से भी परहेज था ) बस हम लोगों ने एक ट्रिक कर रखी थी , गाली देना मना नहीं था , बस ,... जिसके मुंह से पहले गाली निकलती थी , स्वीट डिश उसके जिम्मे , ...





आधे से ज्यादा सुजाता को हम लोगों को आइसक्रीम खिलाना पड़ता था , ... हाँ ये ,...


सुजाता बार बार इन्हे चिढ़ाती थी , जीजू आपका नंबर कब आएगा , ...



और उनका नंबर आया लेकिन उसमें उनकी सास और उससे ज्यादा गीता का हाथ था , ...

गीता की गालियां भी एक से एक , एक दिन इन्होने कुछ बोला तो वो पलट के बोली ,


" इहै छाता तोहरी बहिनी की बुरिया में घुसेड़ के फैला दूंगी , .... "




अब सास ने इनकी , इन्हे उकसाया , जवाब देने को ,

और बड़ी मुश्किल से ये बोल पाए , ...

" स्साली छिनार ,.. "

गीता ने पलट के जवाब दिया , अब तक सोच सोच के हंसी आ जाती है



"अरे अगर नहीं बोल पाए न तो उ झाड़ू देख रहे हो , तोहरी गंडिया में पेल दूंगी , मोर बन के नाचोगे , इन्ही यही अंगनवा में "




तब जा के उनकी जुबान खुली , वो बोले ,

" मादरचोद , रंडी की औलाद , तेरी फाड़ के तेरी माँ के भोंसडे से भी चौड़ा कर दूंगा , ... अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों ,... "



खुश हो के एक गाल इनकी सास ने चूम लिया और एक गीता ने , ... फिर तो गीता के आते ही दोनों ओर से , यही

शुरू करते , ...

" मादरचोद कहाँ माँ चोदवा रही थी , ... "

और वो हंस के जवाब देती ,

" अरे भंडुवे , तेरा काम कर रही थी , तेरी माँ के लिए यार ढूंढ रही थी , ...




और दो चार दिन बाद ही उस दिन ये वर्क फार्म होम कर रहे थे , और चमचा नंबर तीन का फोन आया , और पहली बार मैंने इन्हे सुना ,

" स्साले , तुझे समझाया था , उस बंगालन के , ... "

उधर से कुछ उसने बोला तो उन्होंने उसकी माँ बहन एक कर दी और बोला ,

" मादरचोद , चाहे उसने अपनी गांड में छुपा रखा हो या भोंसडे में , उसके उस गांडू मर्द का , सारे डिटेल्स निकाल के शाम तक मुझे मेल कर , ... "

और ये बिना गुस्से के बोल रहे थे ,


अगले पूल डिनर में आइसक्रीम मुझे ही खिलानी पड़ी , सबसे पहले इन्ही के मुंह से , ... और वो एक से एक ,...

और आइसक्रीम खाते समय , दूकान पर , ...




सुजाता के हबी ने बोला ,

" मादरचोद , स्साला आइसक्रीम इसकी जबरदस्त होती है। "

पर इन्होने भूल सुधार किया ,

" अबे आदमी देख न स्साले , ... ( ४० -५० की उम्र रही होगी ) , इस भोंसड़ी वाले की तो बहनचोद , नहीं तो बेटी चोद , उमर देख के "

और मैंने मुस्करा के सुजाता की ओर देखा , सच में उसके जीजू ' सुधर ' गए थे।
Reply
05-06-2021, 03:33 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
कच्ची कलियाँ









हम लोगों के घर के पास ही एक गर्ल्स हाईस्कूल था , और आज उनका ' वर्क फ्रॉम होम ' वाला दिन था।


जहाँ वो बैठे थे , वहां से हाईस्कूल की किशोरियां आती जाती दिखती थीं।

मम्मी उनके बगल में बैठ के कभी उन्हें छेड़ रही थीं ,कभी उन्हें उकसा रही थीं

और आज टारगेट पर थी उनकी ममेरी बहन ,मेरी छुटकी ननदिया ,गुड्डी।

हाईस्कूल की एक लड़की स्कूल से निकली थी की उसे दिखाती मम्मी ने उन्हें उकसाया ,

" देख तेरे माल की तरह है न ,.. '



सच में गोरी चिट्ठी ,चेहरे पे लुनाई और वही उभरते जोबन।

पहले का जमाना होता तो शायद वो झिझक जाते पर आज टकटकी लगा के उसके कच्ची अमियों को देखने लगे है।

" है न एकदम पटाखा तेरे माल की तरह ,तेरी गुड्डी के भी तो कच्चे टिकोरे इसी तरह हैं न " मम्मी ने और आग लगाई।

" हाँ उसके भी इसी तरह , थोड़े छोटे ,... लेकिन इसी साइज के ,... "



उनके जिस तरह बोल फूटे मुझे तो कानों पे बिश्वास नहीं हुआ।

" अरे यही तो उमर होती है मिजवाने दबवाने की ,कचकचा के काटने की। एकबार दबाना मसलना काटना शुरू कर दोगे न तो खुदी खोल के तेरे हाथ में देगी। "

मम्मी ने और उनकी हिम्मत बढ़ाई।





वो लड़की अब उन्ही की ओर देख रही थी।

दूसरा मौक़ा होता तो तुरंत वो निगाहें फेर लेते या कुछ और काम का बहाना बना के उठ जाते।

मेरा पक्का एक्सपीरियन्स था की जैसे ही जवानी आती है ,जोबन के फूल आने लगते हैं ,लड़कियों का सिक्स्थ सेन्स भी एकदम से बढ़ जाता है , कोई उनके बारे में बाते करे ,उनके उभारों को घूर घूर के देखे ,चट से उन्हें अंदाज हो जाता है।



और उस लड़की को भी हो गया होगा , अब जिस तरह से वो उन्हें देख रही थी। लेकिन मॉम मेरी उनको उकसाने लगी ,

" अरे देख रही है तुझे लाइन मार , लाइन मार ,... "

मुझे लगा की अब वो निगाहें फेर लेंगे , हट जाएंगे लेकिन अब तो वो एकदम अपनी सास के गुलाम ,

उसी तरह उसके कच्चे टिकोरों को घूरते रहे ,और फिर एक हल्का सा फ़्लाइंग किस ,


मुझे लगा की अब वो लड़की या तो जाके प्रिंसिपल से शिकायत करेगी या सीधे हमारे घर आके ,

एक पल के लिए तो लगा भी , ... उस लड़की ने खूब बुरा सा मुंह बनाया , अपना चेहरा हटा लिया और दुपट्टे से अपने आते उभारों को ढक लिया और पीछे मुंड गयी।

तब तक उसके कालेज की बस आ गयी और वो बस में बैठने लगी। ये बेबस उसकी ओर ,... तभी वो फिर उनकी ओर मुड़ी और

.... अब उसके गोरे गोरे चेहरे पे मुस्कराहट थी , आँखों में शैतानी नाच रही थी ,सीधे उनके ओर देख रही थी। दुपट्टा एक बार फिर गले से एकदम चिपका ,दोनों उभार खूब उभरे कड़े,चुनौती देते खड़े , हलके से जैसे उसने उन्हें उभारा , रसीले होंठ गोल किये और बस चलने के पहले हलके से वेव किया।




" देख तू झूठ मूठ में डर रहा था , देखा उसे अच्छा लगा न। अरे किस लड़की को अपने जोबन की तारीफ़ अच्छी नहीं लगेगी। "

मम्मी ने उनके साथ हाई फाइव किया।


तब तक कुछ और लड़कियां निकलीं और मम्मी ने उनका टेस्ट चालू कर दिया ,



चल आगे वाले की साइज बोल ,

' २८ ' वो झट से बोले।

सहीजवाब , मम्मी बोलीं और अगला सवाल दाग दिया ,

" और उसके पीछे वाली का , "

" ३० " उन्होंने उसके आते हुए कच्चे टिकोरों को घूर के जवाब दिया।



" अच्छा बोल ,वो दबवाती होगी की नहीं। " मम्मी ने क्विज थोड़ी और टफ कर दी।

" नहीं नहीं अभी बहुत छोटी लगती है। "


उन्होंने हिचकिचाते हुए अंदाज लगाया और मॉम का एक तेज हाथ उनकी पीठ पर पड़ गया।

" तू न बुद्धू का बुद्धू ही रहेगा , इत्ता सीखा पढ़ाया , ... अरे पक्का दबवाती है ,अच्छा चल इसके पीछे वाले की साइज बता "

" ३२ , और हाँ ये दबवाती होगी ,पक्का। " उन्होंने तुरंत जवाब दे दिया।




सास दामाद की क्विज चलती रही जबतक लडकिया सब निकल नहीं गयी , और उसके बाद फाइनल क्वेश्चन मम्मी ने दाग दिया ,

" अच्छा बोल इसमें से कौन कौन दबवाने लायक थीं ? "




कुछ सोच के उन्होंने ४-५ के बारे में बताया।


और जबरदस्त डांट पड़ गयी। कोई बची नहीं उनकी मायकेवाली जिसका रिश्ता मम्मी ने गधे घोड़े से न जोड़ा हो ,

" अबे साल्ले, रंडी के पूत ,हरामी के जने,तेरी सारी बहनों की फुद्दी मारूँ ,उनकी गांड में गदहे कुत्ते का लन्ड , अरे ये सब की सब दबवाने लायक हैं।

बस ये सोचो की इस चूंचियां उठान में मीजने दबाने में कित्ता मजा आएगा ,तेरी उस छिनार ममेरी बहन से भी तो छोटी बहने हैं न तेरी ?"



वो क्या बोलते मैंने पूरी फेहरिस्त सुना दी , भला हो फेसबुक और व्हाट्सएप्प का ,



उनकी फुफेरी ,मौसेरी ,चचेरी सब की सब।





ज्यादातर वो जो इनकी माल से भी छोटी , कुछ की तो बस झांटे आ रही थीं ,




ब्रा साइज के साथ आखिर मेरी ननदें थी ,मेरी जिम्मेदारी थी उनके जोबन का हिसाब रखना।




मम्मी ने गुस्से का वाल्यूम थोड़ा कम किया ,

" अच्छा बोल ये जो तेरी माल है , जिस से मिलेगा २-३ दिन में , उसका दबाने का मन करता है न ?"

मम्मी से झूठ बोलने की उनकी हिम्मत थोड़ी थी , तुरंत कबूल किया , हाँ मम्मी बहुत मन करता है।

" अरे तो साल्ले दबाता क्यों नहीं , जल्दी से उसका नेवान कर ले वरना न जाने किससे अपना फीता कटवा ले , वैसे तेरी पसंद माननी पड़ेगी माल है बहुत मस्त। ले जरूर आना।




तेरी शादी में तो दो साल छोटी थी , लेकिन बारात में जो आयी थी तो अबतक तेरी ससुराल में उसके इत्ते दीवाने हैं , आज तक उसका नाम ले के मुट्ठ मारते हैं।

तुम मजे ले लेना तो फिर मैं लेजाऊंगी कुछ दिन के लिए अपने गाँव , सब गुण धर्म सीखा दूंगी। "

मम्मी ने हाल खुलासा बयान किया , उनकी ट्रेंनिंग, मेरी ननद के बारे में सास दामाद की ये ज्ञान भरी चर्चा मेरी कच्ची कली , कोरी ननदों के बारे में और चलती पर ,


, तब तक सुजाता का मेसेज आ गया ,सुजाता - मेरी सहेली ,इनकी एकलौती और फेवरिट साली और मम्मी की फेवरिट मुंहबोली बेटी।



सुजाता और मम्मी को एक मिशन पर जाना था ,


वही मिसेज मोइत्रा की गोरी गोरी कबूतरियों को दाना चुगाने का।


मम्मी खुद उन दोनों कबूतरियों को देखना चाहती थी।





मम्मी तैयार होने चली गयी , और वो बिचारे फिर आफिस के काम में लग गए।
Reply
05-06-2021, 03:34 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
समधन -समधन






मैं उन्हें आफिस के काम में हेल्प करा रही थी ,साथ ही मम्मी के बारे सोच रही थी।

वो भी न ,सुबह सुबह रोज की तरह ब्रेकफास्ट के साथ साथ अपनी समधन से ,


मस्तराम मात जिस तरह के संवाद दोनों के बीच हो रहे थे ,लेकिन आज शुरुआत मेरी सास ने ही की।

" देर हो गयी आज , लगता है रात भर खूब मूसल चला ओखली में। " उधर से मेरी सास की आवाज आयी ,










( आफ कोर्स स्पीकर फोन आन था )

बात एकदम सही थी , मेरी सास का सिक्स्थ सेन्स गजब का था।

तीर एकदम निशाने पर लगा ,मैं और वो मॉम की ओर देख के मुस्कराने लगे।


पर मॉम कौन सी कम थी ,पलटी मार के उन्होंने उल्टा हमला बोला।

" अरे घबड़ाती क्यों हैं , कुछ दिन की तो बात है , ले आउंगी न आपको यहाँ पे , फिर आपकी ओखल में भी दिन रात मूसल चलेगा यहां पर। "

मॉम बोली।





" अरे नेकी और पूछ पूछ , आपके मुंह में घी शक्कर , कब आएगा वो दिन , बहुत दिन से मेरी ओखल उपवास कर रही है। "

मेरी सास की खिलखलाती हुयी आवाज उधर से आयी।

" अरे वो मूसल भी बेताब हो रहा है आपकी ओखल की सेवा करने के लिए , "

खिलखिलाते हुए मॉम बोलीं और उनका आधा सोया आधा जागा मूसल उनके शार्ट से बाहर निकाल के रगड़ने मसलने लगीं।




" बहुत लंबा मोटा है मूसल आपकी आवाज सुन के खड़ा ,कड़ा हो रहा है। "

अपने दामाद को छेडते ,चिढाते मम्मी अपनी समधन से बोली।




" अरे रात भर आपने लन्ड घोंटा है आपको मालुम होगा कितना मोटा ,कितना कड़ा ,... और मेरी ओखल लंबे मोटे से नहीं डरती अगर मेरी समधन ने घोंट लिया है तोमैं भी घोंट लुंगी , निचोड़ के रख दूंगी उसको। "

हंसती हुयी मेरी सास की आवाज आयी और उन्होंने संवाद का लेवल एक लेवल और बढ़ाया।





" देखूंगी ताकत आपकी , अपने हाथ से पकड़ के मोटा मूसल आपके भोंसडे में घुंसवाऊँगी , और फिर आप लाख मना करे ,चीखें चिल्लाएं , अपने मोटे मोटे चूतड़ पटकें ,बिना आपको दो बार झाड़े ,झड़ने वाला लन्ड नहीं है ये। "

मम्मी ने भी उसी तरह जवाब दिया।




कुछ समधनों की बात चीत का असर , कुछ मम्मी की जादुई उँगलियों का ,उनका लन्ड एकदम मोटा ,पूरा ७ इंच का खड़ा कड़ा ,ताजादम हो गया था।





मम्मी ने एकझटके में खींच के सुपाड़ा भी खोल दिया और खूब मोटा ,गुलाबी भूखा सुपाड़ा बाहर।

" अरे मैं काहें मना करुँगी , मैं तो खुद घोंटने के लिए बेताब हूँ , और अच्छा हुआ आपने पहले चख के ट्राई कर के देख लिया छोटे पतले में मुझे तो पता ही नहीं चलेगा , जिस भोंसड़ी से दो दो बच्चे बाहर निकल चुके हों ,न जाने कितने अंदर बाहर हो चुके हों तो उसको तो लंबा मोटा ही ,... "

मेरी सास भी आज सब लिमिट पार कर रही थीं , उन्हें पक्का मालूम था उनका मुन्ना और बहू दोनों कान पारे सारी बातें सुन रहे होंगे , फिर भी आज वो सब कह ही देना चाहती थीं

लेकिन मेरी सास की बात काटते हुए ,मम्मी ने जोर से उनके लन्ड को मुठियाते अपनी समधन को भरोसा दिलाया ,

" गारंटी मेरी , आपको गौने की रात याद आ जाएगी ,ऐसे हचक हचक के , ... एकदम कड़क है। चलिए आपको इसकी फोटो भेजती हूँ आपके व्हाट्सएप्प पर फिर देख कर बोलियेगा, हाँ पसन्द आये तो जरूर दो चुम्मी लीजियेगा उस मूसल की। "




टेक्नीकल असिस्टेंस तो मैं थी ही ,झट से मॉम के मोबाइल से उनके कड़े लन्ड की मैंने दो तीन फोटुएं खींची ,''




एक पगलाए बौराये सुपाड़े का क्लोज भी और अपनी सास को व्हाट्सएप्प कर दिया।






३०-४० सेकेण्ड तक उधर से कोई नहीं आयी लगता है सासु जी उनके लन्ड का दर्शन करने में बिजी थीं ,और तभी दो मुआ मुआह ,..चुम्मियों की जबरदस्त आवाज आयी।


" पसन्द आया न " मम्मी ने पूछा।

" बहुत ,बस अब तो मन कर रहा है की कब अंदर घोटूं इसे। "

सासु की बेचैन आवाज आयी।


]

" बस आप तीरथ से लौट आइये , और हाँ वहां पंडों से खूब दबवाइयेगा ,मसलवाइयेगा लेकिन नीचे की कुठरिया पर खबरदार ,... अब तो वहां यहीं ,... आप जिसदिन लौटेंगी अगले दिन मैं आपके पास और उसके अगले दिन हम दोनों यहां बस ,... "

" एकदम ,..

हँसते हुए मेरी सास बोलीं , और पंडों की बात आपने एकदम सही कही ,तीर्थ का तो वो भी एक मजा है और बिना दबाये मसले ,

मीजे रगड़े तो वो छोड़ते भी नहीं है , लेकिन आप पक्का ,बल्कि जिस दिन मैं लौटूंगी उसी दिन आप आइये न और अगले दिन आपके साथ चल दूंगी। "


मेरी सास हँसते हुए बोली।




वो कान पारे मम्मी के बगल में बैठे सुन रहे थे और मैं भी ,तबतक मम्मी ने वो काम किया जिसे मैंने और उन्होंने सोचा भी नहीं था।
Reply
05-06-2021, 03:34 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
मेरी सास के बेटे का

मूसल







" अच्छा ज़रा फोन काटने के पहले मूसल वाले से बात तो कर लीजिये "


मम्मी धीरे से मेरी सास से बोलीं और उन्हें फोन पकड़ा दिया।






ऐसे डरते सकुचाते ,झिझकते उन्होंने फोन पकड़ा जाइए गौने की रात कोई नयी नवेली पहली बार लजाते डरते हिचकिचाते अपने पति का पहली बार लन्ड पकड़ती है।


स्पीकर फोन तो आन था ही , मम्मी मुझे मुस्करा के देख रही थीं और मैं उन्हें उकसा रही थी ,उनकी हिम्मत बढ़ा रही थी।

लेकिन हम दोनों एकदम चुपचाप ,सिर्फ मेरी सास और मेरे 'उनके' की आवाज ,

थोड़ा वात्सल्य और दुलार ,लेकिन उसके पीछे से छिपी छलकती वासना , कुछ मान मन्नौवल ,कुछ शिकवा शिकायत और ज्यादातर डबल मीनिंग डायलाग ,


साफ़ था आग दोनों तरफ लगी थी।


शुरुआत मेरी सास ने ही की ,

" तुम लोग दो तीन दिन में पहुंच रहे हो ,लेकिन मैं तो उसके एक दिन पहले ही चली जाउंगी ,तुझे देखने को बहुत मन था ,

बहू से भी मिलने का , पर ,.. "



उन्होंने कुछ टिपीकल छूट्टी नहीं मिलती , काम बहुत है टाइप बोलने की कोशिश की तो बात माँ जी ने ही सम्हाली ,

उनका मन रखते हिम्मत बढ़ाते बोलीं।

" अरे मुझे मालूम नहीं है क्या , लेकिन चलो तेरे आने से मेरा फायदा होगया न , वरना घर खाली छोड़ के कैसे मैं ,

अब तुम दोनों आओगे ,७-८ दिन रहोगे तो मेरा भी तीरथ जाने का इतने दिन से प्रोग्राम बना था , वो पूरा हो गया , वरना कैसे जा पाती।

फिर तेरी भाभी भी ,अकेले कैसे रह पातीं तुम दोनों रहोगे तो उनका भी मन लगा रहेगा। "




" हाँ बस ,कल परसों की बात है ,उसके अगले दिन , नरसों हम दोनों सुबह सुबह ही घर पहुँच जाएंगे। एक हफ्ते की मैंने पूरी छुट्टी ले ली है "

चहकते हुए वो बोले।


" चलो ठीक है ,पहले तुम यहाँ आ जाओ फिर तीरथ से लौटने के बाद , तुझे अपनी सास को धन्यवाद देना चाहिए ,ऐसी सास बहुत मुश्किल से मिलती हैं। तीर्थ से लौटने के बाद मैं आउंगी तुम लोगों के पास। उनसे बात हो गयी है , अब अकेले तो मुश्किल था लेकिन वो आएँगी तो उनके साथ आउंगी , फिर सारी थकान वहीँ उतारूंगी। खूब सेवा करवाउंगी तुम दोनों से। "

हंसते हुए मेरी सास बोलीं।





यहाँ हम सब समझ रहे थे वो 'किस सेवा' की बात कर रही थीं।

उन्होंने कुछ जवाब दिया लेकिन मैंने कमान अपने हाथ में ले ली।

फोन उनसे लेती हुयी मैं बोली , पहले प्रणाम किया फिर कहा ,

" एकदम आप बस आ जाइये , उसके आगे की बात हमारे हाथ पर छोड़ दीजिये , खूब सेवा होगी आपकी ,

ऐसी कहीं भी कभी भी हुई न होगी ,"





मैं बोली।




" अरे जीती रहो , तेरे मुंह में घी शक्कर बहू , अरे तेरे यही सब गुन लक्षन देख के तो तुझे मैं ले आयी थी ,

मुझे पूरा मालुम था तू इस घोंचू को ट्रेन करके ठीक कर देगी ,वरना मेरा मुन्ना तो , ...लेकिन एक बात समझ लो मैं तेरी माँ की तरह जल्दी और कम सेवा से संतुष्ट नहीं होनेवाली , कित्ते दिनों से ,... "

वो हँसते हुए बोलीं।




" बस आप आ जाइये ,फिर आप अपनी समधन और बहू पे छोड़ दीजिये , और आपका मुन्ना , वो तो अब अब एकदम बदल गए हैं बस यही सोचते है की कब आप आएं और कब , आप करवाते करवाते थक जाएंगी , वो करते करते नहीं थकेंगे आपकी बहू की गारंटी। "

मैं भी हँसते हुए बोली।




" बहुत तरफदारी करती है तू अपने पति की , मरद की चमची , एक बार ज़रा उससे भी तो बात कराओ , "

मैंने फिर उनको फोन पकड़ा दिया और खुद उनका टनटनाया खूंटा पकड़ लिया और लगी हुमच हुमच कर मुठियाने ,






" तू ज़रा भी परेशान न हो , हाँ लेकिन अपनी सासू और मेरी समधन को डबल बल्कि ट्रिपल थैंक्स दे देना ,

जरा अच्छी तरह से एक बार अपनी तरफ से और दो बार मेरी तरफ से , और उनकी और मेरी बहू की सब बातें मानना ,
वरना जब आउंगी न तो बहुत पिटाई होगी तेरी।
अरे बस दस दिन की बात है , फिर देखूंगी , बहुत दिन हो गया तुझे देखे हुए , चलती हूँ , नहाने को देर हो रही है। "


वो फोन रखती ,उसके पहले मुझसे नहीं रहा गया मैं बोल ही पड़ी ,

" अरे अभी अभी तो देखा है आपने , अभी तो मैंने व्हाट्सऐप किया था आपके फोन पे , हाँ इन एक्शन आइयेगा तो देख लीजियेगा। "

मैंने हँसते खिलखलाते बोला।




मेरी सास भी मॉम से कम नहीं थी , कुछ उधार नहीं रखती थीं , तुरंत सूद समेत लौटा देती थी।

" बहू तू भी न एकदम पक्की बदमाश है , बाप का तो पता नहीं लेकिन अपनी माँ पे गयी है. अरे आउंगी तो देखना दिखाना सब होयेगा ही। घबड़ा मत तुझसे भी सेवा करवाउंगी अच्छी तरह से और तेरे मरद से भी , मिलते हैं ब्रेक के बाद , दस दिन पर। और फिर आ रही हूँ न दस दिन में , देखा है लेकिन फिर तो अच्छी तरह, ...पकड़ कर , रगड़ कर , मसल कर एकदम पास से देखूंगी। " "

ये कहकर उन्होंने फोन रख दिया।

" मादरचोद ,अरे मेरी समधन की सेवा दस दिन के बाद करना लेकिन चल पहले मैंगो शेक बना के पिला और इसके बाद सासु की सेवा कर। "
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