XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
05-06-2021, 03:35 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
सासु की सेवा







" मादरचोद ,अरे मेरी समधन की सेवा दस दिन के बाद करना लेकिन चल पहले मैंगो शेक बना के पिला और इसके बाद सासु की सेवा कर। "


वो मैंगो शेक बनाने गए और मैं और मम्मी एक दूसरे को देख कर आँखों ही आँखों में मुस्करा रहे थे ,

बहुत दिन नहीं हुए थे , जब आम खाने और छूने को छोड़िये , नाम लेने से ये बिचकते थे ,

उनकी उस ममेरी बहन से




( जिसके ऊपर इन्हे चढाने का मेरा और मम्मी का पक्का प्लान था , बल्कि मम्मी ने तो यहाँ तक कह दिया था , उसे इनकी रखैल बनाने का , और इनसे गाभिन भी कराने का )

मेरी बाजी लगी थी ,


मैं इनके मायके में सबके सामने इन्हे आम खिलाऊंगी और उनके मायके में सब लोग मान गए थे की कोमल ये बाजी तो तू हार गयी।आम खाना तो दूर अगर टेबल पर भी आ जाए तो वो उठ जाते थे , नाम भी नहीं ले सकते थे , ऐसी जिद्द और हिचक थी इनकी





और अभी ये अपनी सास के लिए मैंगो शेक बनाने गए थे ,

और कुछ देर बाद , मैंगो शेक पीते पीते , मम्मी ने उन्हें पुचकारते उन बाल सहलाते कहा ,






"मैंगो शेक तो तूने बहुत अछ्छा बनाया है , चल मैं भी तो तुझे कुछ इनाम दे दूँ , चल चाट। "

मेरी मॉम भी न , थोड़ा सा इनाम कहीं भी कभी भी देने में बिश्वास करती थीं।




वहीँ सोफे पे , अपनी साडी उठा के उन्होंने कमर तक और अपना पिछवाड़ा सीधे उनके मुंह में रख के ,

मम्मी इनसे कहती थीं ,

" अरे सास की सैंडल तो हर दामाद चाटता है , ( मम्मी जिस दिन आयी थीं , उसी दिन उन्होंने ,... ) पर असली दामाद है जो सासू का पिछवाड़ा जम के चाटे , ..."



और मैं और आग में घी छोड़ती ,

" और मम्मी , असली दामाद , ... "

और वो उनके बाल सहलाते बोलतीं ,

" जैसा ये है , गाँड़ के अंदर तक ,... और ,... और अंदरवाला भी , ... क्यों हैं न "

और ये शरमा जाते लौंडिया माफिक , लेकिन बात मॉम की एकदम सही थी ,

और उनको चटवाने में परफेक्ट करने वाली मंजू बाई और उससे भी ज्यादा , गीता उसकी बेटी थी , वो भी एकदम एक्सपर्ट , ... मम्मी ने उससे भी ,...



मैं कभी उसकी तारीफ़ करती तो वो मुझसे भी कहती , बस एक बार अपनी उस कच्ची कली ननद को ले आइये , देखिये ,

पिछवाड़ा चाटने के मामले में मैं अपने से दस हाथ आगे , एकदम अंदर तक ,...



और मम्मी भी उसका साथ देतीं , ...


वो भी इशारा समझ जाते थे ,उनका मुंह पूरा खुला ,

दोनों होंठ पिछवाड़े के छेद के दोनों ओर , वैक्यूम पम्प को मात करते , और जीभ एकदम छेद के अंदर , गोल गोल घूमती,गीली गीली ,


मॉम ने गांड चाटने में उन्हें एकदम ट्रेन कर दिया था ,

लेकिन एक अच्छी ट्रेनर की तरह वो जल्दी सन्तुष्ट नहीं होती थीं ,

" अरे और अंदर घुसेड़ न मादरचोद , अभी तो तुझे मेरे समधन की भी गांड चाटनी है , गांडू , घुसेड़ और ,.. "




जोर जोर से अपने चूतड़ उनके मुंह पर रगडती वो बोलीं।

" अरे मम्मी इनकी माँ के चूतड़ तो और बड़े बड़े ,जानमारू एकदम चक्की की तरह चौड़े , खूब मरवाती होंगी पिछवाड़े। "




मैं क्यों मौक़ा चूकती।

" अरे तेरी सास तो बचपन से लौंडो की तरह गांड मरवाती है ,उनका गांड का छेद भी खूब चौड़ा और गहरा होगा , बहुत मजा आएगा तुझ चाटने में "

उनके बाल खींचते वो उनसे बोलीं , और उन्होंने बची खुची जीभ भी अंदर पेल दी।

मम्मी मुझे चिढाते बोलीं ,

" अरे तेरा ये भी तो , तू अपनी सास की गांड की तारीफ़ कर रही है न तो , ... तेरे इसकी भी ,... गांड किससे कम है। एकदम चिकना नमकीन लौंडा है ,साला मादरचोद गांडू मस्त। "



" लेकिन मम्मी अभी कोरी है इनकी ,एकदम इनके उस ममेरी बहन गुड्डी की तरह। "



मैंने बुरा सा मुंह बनाते बोला। हाँ मेरी उँगलियाँ इनके पिछवाड़े की कसी कोरी दरार को सहला रही थीं।

मम्मी भी पहला मौका देखते ही पाला बदल लेतीं थीं , बेटी मैं थी उनकी लेकिन अक्सर वो अपने दामाद की तरफ , इस बार फिर मुझे हड़काते बोलीं ,

" सारी गलती तेरी है , ननद बिना इंटरकोर्स के इंटर पास कर रही है ,



और ये बिचारा भी ,थोड़ा शर्माता ,झिझकता है तो क्या हुआ तेरी भी तो कुछ जिम्मेदारी है ,की खाली टाँगे उठा के सारी रात सेवा ही करवाओगी ? अरे इसकी बहन की कोरी कोरी फड़वाना और इसकी कोरी फड़वाना तेरा काम है। ये मना थोड़े ही करेगा , और मना करे तो जबरदस्ती करने की तुझे पूरी छूट है ,मेरी ओर से। "



और जैसे अपनी सास की बात की ताकीद करते वो और जोर से , उनकी जीभ मम्मी की गोलकुंडा के अंदर धंसी , छेद के अंदर घुसी , लपड़ सपड़ , जोर जोर से चाटते



मम्मी की बात हर बार की तरह एकदम सही थी।


तीन बार जब स्कूल में वो पढ़ते थे क्लास ८ से क्लास ११ के बीच ,

एकदम उसकी उमर में जब लौंडेबाज लड़के ,चिकने लड़कों को पक्का गांडू बना देते हैं ,

खुद कबूला था उन्होंने , तीन बार उनकी नेकर सरका दी गयी थी ,सटा दिया गया था लेकिन ऐन मौंके पर , बस बच ही गए वो।

और कमल जीजू मेरे ,

मेरी सबसे बड़ी मौसेरी बहन ,



चीनू के हस्बैंड , मम्मी की सबसे बड़ी बहन की बेटी के हस्बैंड ,... ...


वो भी उन्ही के स्कूल में पढ़ते थे ,



जब ये नौंवे में पहुंचे तो वो बारहवें में थे और फिर वो इंजिनयरिंग में चले गए , खुद भी नंबरी ,...

और रीनू की शादी की बात सोचते ही हंसी आ जाती है , सुहागरात की अगली सुबह , रीनू हस्पताल चली गयी , ' वहां ' चार चार टाँके लगे थे , उसे ,

खुद बताते हैं कमल जीजू अपने स्कूल के लौंडेबाजी के किस्से, बल्कि मुझसे तो उन्होंने अपनी शादी के दिन ही कबूला था की पहली बार कैसे किस, की नेकर, और अभी अभी शादी के बाद भी , ...कभी कोई चिकना दिख गया न तो बस छोड़ते नहीं है।

उनका स्कूल सच में मशहूर था लौंडेबाजी के लिए।

और इनकी भी , बस ,...

ये समझिये बच ही गयी ,... वरना जितने चिकने हैं ये , ...

खुद बताया था उन्होंने, उनके स्कूल में तो लौंडेबाजी, पहुँचते ही इन्हे अच्छी तरह मालूम पड़ गया था, और एक दिन इन्ही के क्लास का एक लड़का, इन्ही के घर,

ये अकेले थे, इनकी माँ भी कहीं गयी थीं दो चार घंटे के लिए,

सब कुछ होजाता, लेकिन ऐन मौके पर वो लौट आयीं पहले ही , और ये बच गए , ... दो चार बार और भी ऐसे

मेरी शादी में मेरी भावजों ने इन्हे भी और मुझे भी बहुत चिढ़ाया इस बात को लेकर , ...

और अब तो मम्मी ने शर्त भी लगा दी है की वो मेरी सास पर इन्हे तभी चढ़ायेंगी ,




जब मैं इनका कोरा पिछवाड़ा फड़वा दूँ , वो भी किसी पक्के लौण्डेबाज से जिसका खूंटा ८ इंच से कम का न हो , जो एकदम इनकी ,...

और अगर मैं ये न कर पायी तो इन्हे मेरी सास के ऊपर चढाने का प्लान कैंसल , ... और ये तो मैं कतई नहीं सोच सकती थी ,



लेकिन मेरे लिए परेशानी थी , कहाँ मिलेगा ऐसा , .. जैसा मम्मी ने कहा है , और कैसे उनके पिछवाड़े ,... पर कुछ भी हो अब तो कोमल को ये करना ही पडेगा ,



मम्मी तो आठ इंच वाले डिल्डो से उनके पिछवाड़े का उद्घाटन कर ही देती



पर मैंने ही बोला, और इनकी इस शर्त पर बची की सचुमच वाला , जो इस आठ इंच वाले से बीस हो , और साथ में स्टिल, वीडियो सारे सबूत

सच में मम्मी ने इन्हे , ...

मस्त चाटते थे ये , चूत चाट चाट के झाड़ने में तो ये शुरू से एकदम एक्सपर्ट थे लेकिन , पिछवाड़ा चाटने में ,... और वो भी सिर्फ चाटना नहीं चाट चाट के , बिना अगवाड़ा छुए , झाड़ देना , ... और उनकी सास तो वैसे भी ,... और एक बार झाड़ने से काम नहीं चलने वाला था उनका ,...




मैं काम कर रही थी पर कनखियों से देख भी रही थी ,

सच्च में , एकदम मस्त चाट रहे थे ये ,

दोनों नितम्बो को हाथ से कस के फैला के , ... जीभ देर तक पिछवाड़े की दरार में , ऊपर नीचे , ऊपर नीचे ,



और फिर गोल छेद के चारों ओर

बीच बीच में मुंह के थूक से जैसे बच्चे बबल गम का गोला बनाते हैं , एकदम उसी तरह ढेर सारा थूक लेकर और सीधे , गोल छेद पर ,





और उसका असर छेद पर भी हो रहा था , दुबदुबाता , ... सिकुड़ता फैलता , ... और फिर सिर्फ जीभ की टिप अंदर गोल गोल

लेकिन थोड़ी देर में सिर्फ टिप नहीं ,...आधी जीभ अंदर , और गांड के अंदर धंसी घुसी , दीवालों को चाटती ,


साथ में दोनों होंठ इनके सासु के पिछवाड़े चिपके जोर से सक करते एकदम वैक्यूम क्लीनर की तरह , ... जीभ भी क्या कोई लंड से गाँड़ मारेगा उसी तरह अंदर बाहर गोल गोल , ...

देर तक




ये मम्मी का काम कर रहे थे ,और लैपी पर इनका काम मैं कर रही थी।
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05-06-2021, 03:35 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
मॉम के दामाद







ये मम्मी का काम कर रहे थे ,और लैपी पर इनका काम मैं कर रही थी।



और मम्मी की कुछ कहने की जरुरत नहीं थी ,

वो मम्मी की बॉडी लैंग्वेज , आँख के इशारे से ही समझ जाते थे , और मेरी मम्मी भी न ,

उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता था दिन है या रात।

हम लोग बेड रूम में हैं या लिविंग रूम में या यहाँ तक की किचेन में , ...

और ये भी नहीं की कोई आ जाएगा ,

वो झिझक , हिचक जो मैं सपने में भी नहीं सोच सकती थी , सब उन्होंने छुड़ा दी थी ,



मैं देख रही थी थी कितनी मस्ती से वो अपनी सास की गांड चाट रहे थे ,

सीधे छेद के अंदर उनकी जीभ थी ,



चूत चटोरे तो ये शुरू से थे , लेकिन अब मम्मी ने इन्हे पक्का गांड चट्ट भी बना दिया था ,

और वो भी जबतक इनकी जीभ गाँड़ के अंदर दो ढाई इंच नहीं घुस जाती थी ,





तब तक , गाली तो छोड़िये ,



चटाक चटाक , स्पैंकिंग भी ,...

और एक और परेशानी की बात इनके लिए होती थी , मम्मी इनसे कुछ ही कहती , एक ग्लास पानी लाने को ही ,

इनका खूंटा तनना शुरू हो जाता , ...




और गांड चाटते समय तो एकदम लोहे का रॉड , ... लेकिन मम्मी उसे देख कर अनदेखा कर देती ,

और कुछ दिन बाद मैं समझी उन की ट्रिक ,

इसी बहाने उन के खूंटे को आदत हो गयी , घंटो तने रहने की खड़े रहने की , ...

ये नहीं की कुछ देर बाद झंडा झुकने लगा ,

आज मम्मी कुछ ज्यादा ही जोश में थीं , शायद समधन से बात का असर , रगड़ रगड़ के , ...

फिर सोफे से उतर कर , वहीँ ,

वो मम्मी का इशारा समझ गए ,

ड्राइंग रूम में फर्श पर ही कारपेट पर वो लेट गए और मम्मी एक बार फिर से उनके ऊपर चढ़ गयी ,

क्या कोई लड़का किसी लड़की का मुंह चोदेगा अपने लंड से ,




जिस तरह मम्मी अपनी गांड और बुर से उनके मुंह को चोद रही थीं ,

और वो बिना रुके चाट रहे थे , चूस रहे थे ,

खूंटा एकदम तना ,

मम्मी ने झुक के अपने हाथ से तने लंड को थोड़ी देर तक मसला , रगड़ा , ...




फिर वैसे ही छोड़ दिया , ...

दो बार मम्मी झड़ी तब जाके उनके ऊपर से उठीं ,


मम्मी ने झड़ने के बाद ही छोड़ा इनको।



कंप्यूटर बंद करके मैं सुबह के बारे में सोच रही थी ,

जब मॉम ने उनसे और मेरी सास से डायरेक्ट इंटरैक्शन करवा दिया था ,और मेरी चमक गयी।

…….

यही ट्रिक तो मैं उनकी छुटकी बहिनिया और अपनी छिनार ननदिया के साथ भी तो कर सकती थी ,

और बस अब तीन दिन ही तो बचे थे , भाई बहन की स्क्रिप्ट चालू होने में।




परसों सुबह मम्मी चली जाएंगी और उसके अगले दिन हम लोग उनके मायके , मेरे मन में उसकी बातें अभी फांस की तरह चुभती थी ,


" आप क्या जानेगी , मेरे भैय्या हैं मैं इतने दिनों से जानती हूँ इनको। "

" अरे भाभी आप आम खा रही है ,मेरे भैया तो इसका नाम भी नहीं सुन सकते , इत्ती चिढ है ,



अच्छी तरह से ब्रश करके जाइयेगा , माउथ वाश भी , न हो तो कुछ सौंफ वौंफ भी , ...अरे मुझसे पूछ लेती न पहले ,
मैं बता देती आपको। "




अब पता चलेगा ,

जब उसकी कच्ची अमिया चखाउँगी उन्हें।

थोड़ी उसकी मर्जी से थोड़ी जबरदस्ती ,बल्कि ज्यादा जबरदस्ती।


तभी वो लौटे तैयार होके ,सेकेण्ड हाफ में में आफिस जाना था उन्हें।

और मुझे फिर से समधन- समधन की और उनकी मेरी सासू से सुबह की फोन वार्ता याद आयी ,

और मैंने उनकी ओर फोन बढ़ा दिया ,
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05-06-2021, 03:36 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
जोरू का गुलाम भाग ५८

भाई -बहन संवाद





मैंने उनकी ओर फोन बढ़ा दिया ,

" हे ज़रा उस एलवल वाली को फोन लगाओ न "

(एलवल वो मोहल्ला था जहाँ ,उनका माल कम ममेरी बहन रहती थी ),

वो थोड़ा सा झिझके तो मैंने हड़का लिया ,

' अरे लगाओ न , फोन लगाने में इत्ता झिझक रहे हो तो उसकी चिकनी जाँघों के बीच कैसे लगाओगे , अरे लगा न ,
लगाना तुम बातें मैं करुँगी। और ये मत कहना की तुझे अपनी उस बहन का नम्बर नहीं मालुम है ,ब्रा तक का तो उसका नंबर मालूम है तुझे कप सहित तो फोन नम्बर , ... "



चुपचाप नंबर लगा के उन्होंने फोन मेरी ओर बढ़ा दिया , मैंने आँखों ही आँखों में उन्हें चुपचाप मेरे बगल में बैठने का इशारा किया।


दो बार घंटी भी नहीं बजी होगी की उधर से एक मीठी सुरीली सेक्सी आवाज आयी,

" भैय्या,... "




" भैय्या नहीं भाभी , "

खिलखिलाते हुए मैं बोली ,

" अरे दिन रात भैया को याद करती हो , कभी कभी भाभी को भी याद कर लिया कर न "



आफ कोर्स स्पीकर फोन आन था ,उनकी आँखे फोन से ऐसे चिपकी थीं जैसे उसकी आवाज न हो ,वो खुद हो।

" आज कल तो तेरे बड़े मजे हो रहे होंगे , इंटर का कोर्स हो गया और अभी छुट्टियां भी , खूब छैलों के साथ मजे लूट रही होगी मेरी ननदिया। "

मैंने उसे छेड़ा।



" अरे नहीं भाभी ,ऐसी कोई बात नहीं , अभी बस बोर हो रही हूँ , "

बुरा सा मुंह बना के वो बोली।




" मैं मान नहीं सकती तेरा ऐसा माल , ये रूप ये जोबन , और इंटर का कोर्स कर ले बिना इंटरकोर्स किये हुए,

अरे ये बता कितनों के साथ किया , आखिरी बार किसके साथ ,अरे यार भाभी तो सहेली की तरह होती है ,
उससे क्या छिपाना, बोल न ५,१० कितने चढ़े अबतक मेरी बांकी हिरनिया पर। "



मैंने छेड़ना जारी रखा।

" अरे भाभी आप ऐसी किस्मत सबकी थोड़ी होती है ,एक भी नहीं। आपकी ननद अभी तक कोरी है ,एकदम सच्ची। "


अब वो भी रंग में आ रही थी ,लगता है घर में कोई था नहीं।





" मैं मान नहीं सकती , तू तो मुझे जानती है न , एकदम ऊँगली डाल के टेस्ट करुँगी , अगर कोरी न निकली तो कोहनी तक पेल दूंगी अंदर। "

मैंने उसे हड़काया लेकिन मेरे मन की एक चिंता दूर होगयी की कहीं उसकी सोनचिरैया ने चारा तो नहीं चुग नहीं लिया।

और मैंने उनकी ओर देखा तो उनका चेहरा भी ख़ुशी से चमक रहा था।

और फोन पर दूध खील की तरह मेरी किशोर ननद गुड्डी की हंसी छलक रही थी ,दिन में भी कमरे में दूधिया चांदनी की तरह बरस रही थी।

और मेरी ननद थी भी ऐसी , सुरु के पेड़ की तरह छरहरी , ५-३ की लम्बाई , गोरी ऐसी की बस जैसे दूध में किसी ने दो बूँद गुलाबी रंग डाल दिया हो , तन्वंगी ,छरहरी लेकिन कटाव भराव उसके , बस उसके क्लास की लड़कियों से २० नहीं ,२१।



जब लड़कियों के उभार बस दिखने शुरू होते हैं उस समय भी टॉप फाड़ते थे और अब तो परफेक्ट ३२ सी ,

बस एकदम मुट्ठी में आ जाय वैसे ,



और बांकी हिरन सी पतली कमर पर वो और भरे भरे लगते। लंबे काले बाल सीधे नितम्ब तक , लेकिन सबसे कातिल थी उसकी जानमारू अदा ,बांकी चितवन ,जिस अंदाज से वो मुड़ देखती थी और हंसी , हँसते ही गोरे गोरे गालों में गड्ढे पड़ जाते थे।



अगर उसके भैया का दिल उसके ऊपर आ गया था तो उन से ज्यादा ज्यादा दोष उसकी नयी नयी आयी जवानी का था।

" मुझे मालुम है भाभी आप छोड़ने वाली नहीं मुझे अब तक होली की याद है। "


हंसते हुए वो बोली।
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05-06-2021, 03:36 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
होली की याद










" मुझे मालुम है भाभी आप छोड़ने वाली नहीं मुझे अब तक होली की याद है। "


हंसते हुए वो बोली।


सच में होली में , एक तो मेरी ननद रानी सुबह गीली होली के टाइम आयी नहीं ,मेरे कहने पर भी ,

आखिर मेरी एकलौती ननद थी वो और शाम को आयी भी तो एकदम ओढ़ बिढ़ कर।

रोज तो स्कर्ट ,या फ्राक पहनती थी पर उस दिन खूब मोटा मोटा शलवार कुर्ता





लेकिन उसे मालुम नहीं था की उसकी भौजाई किस हद तक जा सकती है , ससुराल में ये मेरी पहली होली थी।



मैंने बसन्ती को पटाया , कामवाली थी लेकिन रिश्ते में बहू होने के नाते वो भी भाभी लगती थी।मेरी समौरिया और मेरी पक्की सहेली भी, और फिर जहाँ ननदों की शलवार का नाड़ा खोलना हो , या ब्रा और होली का दिन हो , फिर तो सब भाभियाँ एक हो जाती हैं ,





बस।

मैंने गुड्डी को बातों में फुसलाया , डबल भांग की डोज वाली गुझिया


और ठंडाई खिलाई ,पिलाई।

" बस ज़रा सा गुलाल का टीका , मैं बोली। "



गुलाल से गाल पर पहले गुलाल पहुंचा फिर मेरे हाथ , और उसके बाद टाइट कुर्ते से झाँकती गोलाइयों का नम्बर था।





वो मेरा हाथ रोक पाती उसके पहले बंसती तैयार खड़ी थी , पीछे से गुड्डी के दोनों नाजुक कलाइयां , बसन्ती की संडसी ऐसी पकड़ में।

आराम से मैंने कुर्ते के सारे बटन खोले ,


फिर कुरता हटाकर ब्रा भी हटाई ,




वो छटपटाती रही ,

लेकिन वो भौजाई भी क्या जो होली में ननद के जोबन न मसले रगड़े ,

" अरे ननद रानी अपने भैया से तो न जाने कबसे मिजवा रगड़वा रही हो अब ज़रा भौजाई के साथ भी मजा ले लो न। "

मैं बोली।




तबतक बंसती ने उसके दुपटे से ही गुड्डी के हाथ बाँध दिए ,

फिर तो बसन्ती के भी दोनों हाथ खाली हो गए ,

वही निहुरा के जबरन उस कच्ची कली के मैंने शलवार का नाड़ा भी खोल दिया ,

फिर ऊपर की मंजिल बंसती के हाथ और गुलाबी परी मेरे हाथों में ,



पहले तो एक प्लेट गुलाल सीधे गुलाबी परी के ऊपर



और फिर मेरे हाथों ने उसे मसलना शुरू किया।

मेरी ननद बिचारि को क्या मालुम की कन्या रस के मामले में मैं ,...

बोर्डिंग में जो लड़कियां नयी नयी आती , उनकी रैगिंग कर के लेस्बियन कुश्ती सिखा के एकदम ,



कुछ देर उसकी कुँवारी चूत का रस लेने के बाद मैंने जब ऊँगली करने की कोशिश की तो मुझे मालुम पड़ गया की कैंडलिंग क्या ,

यहाँ तो कभी कानी ऊँगली का पोर भी नहीं घुसा है।



और घुसाता कौन , मेरी एकलौती ननद की एकलौती भौजाई भी तो मैं ही थी और ये हम दोनों की पहली होली थी।

एकदम टाइट , पूरी कसी ,कोरी।




गुड्डी उसी का जिक्र कर रही थी।

और हंसती खिलखिलाती उसने अपना सवाल दाग दिया ,

" और अगर होली में आपने जो चेक किया था , वैसे ही कोरी कसी निकली तो ? "




" तो मैं उसे बहुत दिन कोरी नहीं रहने दूंगी। बस दो दिन बाद आ रही हूँ मैं , परसों के बाद ,नरसों। "

मैं भी हंसते हुए बोली।



" ये तो बहुत अच्छा हुआ भाभी , यहाँ बहुत बोर हो रही थी मैं। "

गुड्डी बोली ,



" बोर ,मलतलब किसी से बोरिंग करवा रही थी क्या , लगता है मैंने गलत टाइम पे फोन कर दिया , "

गुड्डी को चिढाती हुयी मैंने बहुत सीरियस हो के बोला।

" भाभी ,आपको भी बस एक चीज , यहाँ मैं बोरियत की बात कर रही थी और आप भी न आप करवाती रहती है न दिन रात बोरिंग इसीलिए ,... "

बनावटी गुस्से में गुड्डी बोली।




" चल दो दिन की बात और है फिर तेरी सारी बोरियत दूर कर दूंगी ,मेरे साथ तेरे भैया भी आ रहे हैं और वो भी पूरे हफ्ते भर के लिए। "


" सच में भाभी ,..." उसकी ख़ुशी फोन से भी छलक रही थी। लेकिन फिर उदास आवाज में बोली , भैया तो मुझे याद भी नहीं करते।

मुझे मौका मिल गया अपनी ननद पर चढ़ाई करने का ,चिढाते हुए मैं बोली।

' अरी तू क्या जाने रोज याद करते हैं। "

मैं उसे खुश करने की कोशिश करते बोली।

" कब ,मुझसे तो कभी बोले नहीं ,फोन भी नहीं किया। " गुड्डी बोली।

" अरे मैं बताती हूँ न ,रोज रात को जब मेरे ऊपर चढ़ाई करते हैं न तो बस थोड़ी देर में मेरी जगह तेरा नाम ले के ,... ओह्ह गुड्डी बहुत मजा आ रहा है ओह्ह और जोर से धक्का मार न , कित्ते रसीले हैं तेरे ये होंठ तेरे जोबन , ... बोलते हैं। सच में न विशवास हो तो उन्ही से पूछ लेना। "

मैंने उसे चिढाया।



" धत्त भाभी ,आप भी न , ... " वो थोड़ी शरमाई लजायी।

" अरे इसलिए तो ला रही हूँ , उन्हें अगर तू कोरी मिली न बस समझ ले तेरा कोरापन बस उन्ही से दूर करवा दूंगी। बहुत प्यार से फाड़ेंगे तेरी।

" मैंने छेड़ा।

" अरे रहने दीजिये भाभी ,अगर ,... फिर आपका उपवास हो जाएगा। मेरे भैय्या आपको ही मुबारक। आप को हम तो लाये ही इसीलिए थे की आप पर चढ़ाई करें ,बोरिंग करें , रोज बिना नागा ,... "

हँसते हुए गुड्डी बोली। अब वो भी मेरी तरह खुल के मजाक के मूड में थी।

" अरे कोई उपवास वुपवास नहीं होगा मेरा ,कुछ रेस्ट मिल जाएगा तेरी भाभी को वरना तो तेरे भैया ५ दिन की छुट्टी में भी नहीं छोड़ते। "

मैंने और लेवल बढ़ाया।





" अरे भाभी तो इसमें मेरे भैया का क्या दोष ,मेरी प्यारी भाभी हैं ही इतनी अच्छी और फिर आप को छोड़ कर , .... " वो मूड में थी।


" चल लगी बाजी , अगर तेरी कोरी निकली तेरे भैया को मैं तेरे ऊपर चढ़ा के ही रहूंगी , अच्छा मौक़ा है अगर तुझे अपने भैया से अच्छा कोई मर्द दिखे तो फड़वा ले उससे अभी भी दो दिन है ,... " मैंने उनकी ओर देखते हुए तीर छोड़ दिया।

और गुड्डी का जवाब भी तुरंत मिल गया।


" अरे भाभी आप भी न ,... मेरे भैया से अच्छा कोई नहीं ,वो दुनिया में सबसे अच्छे हैं। " हँसते हुए मेरी ननदिया बोली। और उसने जोड़ा ,

" हाँ भाभी आप बाजी की बात कह रही हैं न तो आप कहीं भूल तो नहीं गयी पिछले साल की बाजी , ...बस सात आठ दिन बचे है ,अच्छा है आप आ रही हैं तो का भी फैसला हो जाएगा , जहां आप हारी , आप का हार मेरा। " गुड्डी ने मुझे याद दिलाया।

( पिछले साल इसी महीने में बाजी लगी थी , मैंने बोला था की ये सबके सामने न सिर्फ आम खाएंगे , बल्कि गुड्डी के हाथ से और उसे भी खिलाएंगे। अगर मैं हार गयी तो मेरे गले का हार उसका और वो हार गयी तो ८ घंटे तक उसे मेरी हर बात माननी होगी। ).
…………………..
एकदम याद है लेकिन देख कोई और तुझसे बात करना चाहता है , और मैंने फोन उन्हें पकड़ा दिया।

मैं चली गयी थी लेकिन भाई बहन का संवाद सुन रही थी ,
Reply
05-06-2021, 03:36 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
पहचान कौन ,





एकदम याद है लेकिन देख कोई और तुझसे बात करना चाहता है , और मैंने फोन उन्हें पकड़ा दिया।

मैं चली गयी थी लेकिन एक्सटेंसन पर भाई बहन का संवाद सुन रही थी ,


" हेल्लो ,... " मेरी ननद अपनी टिपिकल शहद घुली हस्की सेक्सी आवाज में बोली।

वो भी मूड में थे उसे छेड़ने के , चुप रहे।

' हेलो , कौन , ,... " फिर रुक के गुड्डी बोली , " अरे नाम तो बताओ न "




" पहचान कौन , ... " हलके से मुस्कारते वो बोले।

" उह्ह्ह ,... मुझे क्या मालूम , " बड़ी अदा से वो शोख टीनेजर बोली ,

" बोलो न ,कुछ तो हिंट दो न ".


" ऊँह , कुछ , चलो कुछ गेस करो न । "


मेरी और मेरी ननद की टेलीफ़ोन की बात सुन के वो भी मूड में आ गए थे।

" उन्हह ,अच्छा चल सोचती हूँ , टाल ,फेयर ,हैंडसम , मेरे खूब अच्छे वाले मीठे मीठे भैय्या। "

गुड्डी भी अब मूड में थी ,और दोनों कबुतरों में गुटरगूँ चालू हो गयी।




कुछ देर के बाद उनके मुंह से निकल गया ,

" मुझे मालूम था की इस समय तुम अकेली रहती हो इसलिए ,"

बात काट के वो जोर से खिलखिलाई और फिर उन्हें चिढाते बोली ,

" अच्छा तो अकेले जान के फायदा उठाया जा रहा है। "

वो बिचारे झेंप गए ,लेकिन बात उनकी ममेरी बहन ने ही आगे बढ़ाई ,उसी तरह हँसते हुए ,

" चलो भइय्या ,जब फायदा उठा सकते थे तब तो फायदा उठाया नहीं और अब ,... तेरे बस का नहीं है फायदा वायदा उठाना। "




कुछ मेरी और मम्मी की ट्रेंनिग का नतीजा और कुछ उनकी अपनी चाहत , अब उनकी भी हिम्मत खुल गयी थी , बोले ,

" अरे जब जागो तभी सबेरा , कोई जरूरी है जो काम पहले कोई चूक जाए वो दुबारा न करे , "

गुड्डी भी उन्ही की तरह इन्फार्मल और बोल्ड हो गयी थी ,बल्कि उनसे भी ज्यादा ,कुछ रुक के बोली ,

" एकदम जरूरी नहीं ,... "

" तू बुरा तो नहीं मानेगी। "


अब वो एकदम डायरेक्ट हो रहे थे ,यही तो मैं चाहती थी ,और मुझसे बढ़ कर उनकी सास।


" तेरी किसी बात का जो पहले बुरा माना है जो अब मानूँगी ,तुम भी न भैय्या "

फिर हंस के बोली ,

" और अगर बुरा मान भी गयी तो तू मेरे बुरा मानने का बुरा मत मानना ,और क्या। "



उन दोनों की बात सुनते मेरे मुंह से निकलते निकलते रह गया ,

"अरे बुर वाली की बात का क्या बुरा मानना और जब वो तेरा बचपन का माल और एकलौती बहन हो। "





गुड्डी को लगा की बात शायद आगे ज्यादा जा रही है इसलिए उसने बात बदलते हुए कहा ,

" भैय्या ,मेरी तो छुट्टियां चल रही है लेकिन लगता है आप को भी कोई काम धाम है नहीं। "


" अरे काम ही तो कर रहा हूँ ,तुझसे बात करना भी तो काम हुआ न , " वो बोले।

" ये कौन सा काम हुआ ,... "


अदा से वो शोख बोली ,पर उनका दिमाग सिंगल ट्रैक हो चुका था ,बोले ,

" तो कौन सा काम ,... तेरा मतलब कामसूत्र वाला काम ,... "

अबकी वो शरमाई , थोड़ा झिझकी और हलके से बोली ,

"धत्त ,... "




" अरे क्यों धत्त क्यों , वो भी तो काम हुआ न ,उसी से तो दुनिया चलती है और मज़ा भी कितना आता है उस काम में। "


वो अब एकदम खुल के मूड में आ गए थे।

और वो भी लगता है , पक्का मेरी ननद की उँगलियाँ उसकी कोरी बुलबुल पे चल रही होंगी , कुछ रुक के ,गहरी सांस लेती बोली ,

" तो करो न ,मैंने कौन सा मना किया है ,... "

वो बहुत धीमे से बोली। इससे ज्यादा कोई टीनेजर क्या सिग्नल देती।


" लेकिन इतनी दूर से कैसे करूँ , इसलिए फोन पर कर रहा हूँ ,जो कर सकता हूँ।

मेरी ननद भी एकदम पक्की थी ,एकबार फिर वो उनकी रगड़ाई करने के मूड में आ गयी थी ,चिढाते बोली।

" अरे तो उसके साथ करो न जिसके साथ रोज करते हो ,,,,,"

पर वो भी हारने वाले नहीं थे आखिर उनकी सास की ट्रेनिंग थी , छेड़ते हुए बोले ,


" क्या करता हूँ ज़रा खुल के तो बोलो न , मेरी समझ में नहीं आया। "

" पिटोगे तुम , बहुत जोर से पिटोगे " ,हँसते हुए वो शोख बोली



" अच्छा तो तेरे साथ कर लूँ , ... " हँसते हुए वो बोले।

" हे हे मैंने ऐसा तो नहीं कहा था। " वो उसी तरह शहद घुली आवाज में बोली।


" लेकिन तूने मना भी तो नहीं किया। " वो आज छोड़ने के मूड में नहीं थे ,

और मेरी ननद वो बात बोल गयी जो मुझे मालुम तो थी ,लेकिन उसी के मुंह से मैं सुनना चाहती थी।


" मना तो भैय्या मैंने पहले भी कभी नहीं किया। "


मेरी बांकी किशोर ननद के मुंह से निकल गया।



लेकिन उसकी बात अनसुनी करते वो बोले ,

" तूने सुना है ना कोई भी लड़की अगर न कहे तो उसका मतलब है शायद और अगर शायद कहे तो उसका मतलब हाँ ,... "

अबकी वो एकबार फिर से गुड्डी मूड में आ गयी थी ,जोर से खिलखलाती बोली ,

" शायद ,हां भैय्या ,... शायद ,शायद सुना है."

इससे ज्यादा कौन लड़की इशारा दे सकती है। वो भी , जोश में आ गए , ख़ुशी से बोल उठे ,

" हे तूने बोल दिया , शायद और जानती है लड़की शायद बोले तो क्या मतलब होता है। "

हँसते हुए वो फिर बोली ,

" बोल दिया तो क्या हुआ ,मैं तो फिर से बोल रही हूँ ,शायद ,शायद ,शायद। "



उनके मोबाइल पर आफिस का कोई मेल आ गया था ,किसी मीटिंग का रिमाइंडर ,

वो बोले ,

" हे अभी चलता हूँ लेकिन कल पक्का इसी समय मिलेंगे ,साढ़े तीन बजे। "

" एकदम पक्का भइया ,प्रामिस इसी समय साढ़े तीन बजे , मेरा मतलब है शायद ,

उन्हें चिढाते खिलखिलाती वो छोरी बोली और दोनों ने फोन रख दिया।


पीछे से मैंने उन्हें गपुच लिया और उनके गाल कचकचा के काटते बोली ,

" साढ़े तीन बजे गुड्डी जरूर मिलना ,साढ़े तीन बजे , अरे लौंडिया एकदम पट गयी है , बस अब उसे निहुराओ सटाओ और घुसेड़ दो , फाड़ दो एक धक्के में। "

मेरा हाथ उनके बल्ज पे था , रगड़ते हुए। एकदम तन्नाया था अपनी छुटकी बहिनिया से बात कर के।



……………………………………………….

" शाम को मैं और मम्मी तुझे आफिस से पिकअप करेंगे "

उनके निकलते निकलते मैंने उन्हें याद दिलाया।





" एकदम पक्का याद है ,मम्मी ने बोला था। "


वो बोले ,मम्मी की किसी बात को भूलने की हिम्मत थी क्या उनकी
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05-06-2021, 03:37 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
जोरू का गुलाम भाग ५९


[Image: Teej-tumblr-83f3a588883c4ebbbcdd390e320d...15-500.jpg]


ट्रेनिंग और इम्तहान,

खेली खायी , एम् आई एल ऍफ़



[Image: 41017fed419b0b4d37cc5c564ca7a7c1.jpg]


" शाम को मैं और मम्मी तुझे आफिस से पिकअप करेंगे " उनके निकलते निकलते मैंने उन्हें याद दिलाया।


" एकदम पक्का याद है ,मम्मी ने बोला था। " वो बोले ,मम्मी की किसी बात को भूलने की हिम्मत थी क्या उनकी ,


ये आफिस चले गए।

और मैं सोने , सिएस्टा का अपना ही मजा है और फिर रोज रात का रतजगा।

.....
शाम को वो फिर मम्मी के हवाले थे। उनकी 'आउटडोर ' ट्रेनिंग थी।

मम्मी ने उन्हें आफिस से ही पिक किया और फिर भीड़ भरे बाजारों में ,गलियों में ,सडकों पर और यहाँ तक की शाम की भीड़ भरी धक्कामुक्की सिटी बस में भी ,


बाजार में औरतों की भरी भीड़ में मॉम ने उन्हें टास्क दिया ,

पहचान किसका पिछवाड़ा मेरी समधन से बड़ा है और किसका मेरी समधन सा।


[Image: ass-saree-d30806b42344da9e31bc5fbfafe607e9.jpg]


स्टैटिक्स में तो वो एक्सपर्ट थे ही , मुश्किल से 2. 2 % मेरी सास के साइज के थे ,. 000 ८ % उनसे बड़े और बाकी सब छोटे।

और अगर साइज के साथ भराव ,कटाव ,गांड का गुदाजपन देखें तो मेरी सास ऐसे मुश्किल से ४-५ मिलीं।

अब वो समझ गए ,मम्मी ने आज सुबह अपनी समधन से उनकी सेटिंग करवा के ,...

तब तक मम्मी बोलीं , वो देख एकदम मेरी समधन जैसी ,ज़रा पीछे से चेक कर।

मैं घबड़ाई ,वो तो औरतों से बोलने में भी ,बड़ी मुश्किल से तो उन्होंने देखना घूरना शुरू किया था।

एक पल के लिए मॉम की और उन्होंने देखा और फिर हलके से पीछे से टच किया और मॉम कीओर देख के मुस्कराये ,


[Image: MIL-Backless-126199046-128800522362167-1...7306-n.jpg]




मतलब एकदम टँच माल।


मम्मी ने एकदम से हाई फाइव किया और फिर एकदम टाइट साडी की दरार में ऊँगली से हलके से रगडने का इशारा किया।


[Image: MIL-W-D4qr-YYDUEAA2-Ct9.jpg]



मुझे लगा की अब वो पिटे लेकिन ,

उन्होंने कर दिया ,

और वो पलटी ,

मैं डर कर भीड़ में छुप गयी , मैं उन्हें पिटते नहीं देख सकती थी।

थोड़ी देर बाद मैंने हिम्मत कर आँखे उनकी ओर की , वो औरत उनकी ओर देख रही थी ,लेकिन गुस्से से नहीं ,मुस्कराती हुयी।

तबतक एक भरी हुयी सिटी बस आयी , वो उसमें चढ़ गयी।

मॉम ने इशारा किया , और वो भी उसके पीछे पीछे ,




आगे मॉम को सिखाना नहीं पड़ा ,

बस में बस वो उसके पीछे और अब उनका तना तंबू ,


[Image: Bulge-C1hyehl-WIAAOk7-R.jpg]




गांड की दरार के बीच में सटा के खड़े थे ,कुछ देर तक तो बस के हिचकोले ,

पीछे की भीड़ और कुछ देर बाद उन्होंने भी पुश करना शुरू कर दिया।


[Image: MIL-aa8aadd091c9fd5e6e412775216384ea.jpg]


एक बार फिर उस ने देखा ,...मुस्करायी ,और बस आगे से भी उसने दरेरना शुरू कर दिया।

मैं समझ गयी जैसे कोई शेरनी अपने शावक को पहली बार शिकार पर लेजाती है

उसी तरह मम्मी ,उन्हें शिकार पहचानना , शिकार को फंसाना और शिकार को मजे ले ले के शिकार करना सीखा रही थीं।


[Image: MILa464412664dc8ae41fcafdea2eac7eff.jpg]



मुझे मालूम था उन्हें बड़े उम्र की , भारी बदन एम् आई एल ऍफ़ टाइप पसंद थी ,लेकिन वो इस हद तक ,

दो चार बार तो मम्मी ने उन्हें इशारा किया,

पिछवाड़े की दरार में ऊँगली करने के लिए , एकदम सट कर, बल्कि सटा कर पहले खड़े होने के लिए , फिर हलके हलके रगड़ने दरेरने के लिए,

लेकिन उसके बाद उन्हें सिखाने की जरूरत नहीं पड़ी , उससे भी आगे बढ़कर भीड़ भरी बाजार में , सिटी बस में दो चार बार तो उन्होंने हार्न भी दबा दिया,


[Image: Shraddha-Das-Hot-Saree-Photos-In-Product...-Event.jpg]


मैं और उनकी सास मुस्करा के रह गए,

उनकी बड़ी उमर की औरतों के प्रति लगाव न मुझसे छुपा था न उनकी सास से,

और मम्मी ने चुन चुन के सब औरतें एकदम अपनी समधन की तरह, उमर ४० के आसपास और अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों जबरदस्त,

अगवाड़ा भी उनका ३८ + से कम नहीं , लेकिन एकदम कड़ा और मांसल , खूब टनाटन, और अक्सर जब से इनकी सास से मस्ती चालू हुयी थी , अक्सर बिना ब्रा के और वो भी आलमोस्ट ट्रांसपेरेंट ब्लाउज ,


[Image: boobs-jethani-champa-15095573-1325382605...3502-n.jpg]




मुझे मालूम था वीडियो काल पर किसको जोबना छलकाती थीं,

एकदिन मैंने उनके जोबन को लेकर कुछ छेड़ा तो हंस के बोली, " अरे इसी का दूध पिला के, जो रोज बिना नागा मलाई खिलाता है ,... "

मैं क्यों छोड़ती मैंने कमरा तन्नाए खूंटे की ओर किया और चिढ़ाया, " आइये न आपको भी वही मलाई खिलाऊंगी ".

मैं और उनकी सास समझ रहे थे , जिन बड़ी उमर की औरतों के साथ साथ, मन में उनके मेरी सास ही है ,

दर्जनों, .... दो ढाई घंटे

... उन्होंने उस शाम और मजे की बात है कोई भी नाराज नहीं हुयी।



Reply
05-06-2021, 03:37 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
कच्ची कलियाँ









उसके बाद कच्ची कलियाँ ,एकदम मेरी छुटकी ननद की उम्र की एकाध तो उससे भी कच्ची।



भीड़ भरी बस में ही मैंने देखा ,एक किशोरी ,मेरी ननद की ही उम्र की होगी ,



वो उस के बगल में ,उन्होंने दोनों हाथ अपने सीने पे बाँध रखे थे लेकिन उससे आगे निकलते ,जैसे बहुत जल्दी में हों ,

और हलके से उन्होंने उसके उभरते उभार को ,दरेरते हुआ दबा दिया।


जहां वो उतरे , वहां वो लड़की भी उनके पीछे पीछे उतरी।




मैं तो एक बार डरी ,जब उस लड़की ने मुड़ के उनकी ओर देखा ,


लेकिन वो मुड़ी ,मुस्करायी उनकी ओर देखा और अपने रस्ते।



मैंने अपने साथ चल रही मॉम की ओर देखा ,वो जबरदस्त मुस्करा रही थीं और उन की ओर हाई फाइव कर रही थीं।



मतलब ये ट्रिक उन्हें मम्मी ने ही सिखाई थी।



कम से कम ८-१० लडकिया सब किशोरियां ,हाईस्कूल इंटर में पढने वाली ,


किसी को देख के मुस्करा के इशारा तो किसी को फ़्लाइंग किस , और ५-६ के उभारों की नाप जोख तो उन्होंने की ही होगी



१०० में १०० नम्बर दिए मम्मी ने उन्हें और आशीर्वाद भी ,

बहुत जल्द अपनी बहन की नथ उतारो।


और बहन सिर्फ वो नहीं , जिसने मुझसे सब के सामने आम खिलाने की बाजी लगाई थी , वो इंटर वाली,

उस की तो न सिर्फ ये फाड़ते बल्कि मम्मी का प्रोग्राम तो हम लोगों की पूरी गाँव को दावत जिमाने का था ,

चाहे मेरी ननद रानी की मर्जी से या जबरदस्ती,



उसकी तो उसी दिन लिख दी गयी थी जिस दिन उस ने मुझसे बाजी लगाई थी , बस हफ्ते भर की बात , और वो इनकी रखैल हो के,

सगी भले कोई न हो, लेकिन शादी में अपनी ही मैंने गिना था , बाद में भी भला हो फेसबुक व्हाट्सऐप ननद भौजाई ग्रुप का, दो दर्जन के आस पास ,

दो चार ही उस इंटरवाली से बड़ी होंगीं ,




पांच छह उस की समौरिया , बाकी तो उस से भी छोटी, कुछ के कच्चे टिकोरे बस आ ही रहे थे , झांटो के नाम पर केसर के धागे,



मौसेरी, फुफेरी, चचेरी, ...

और बस जिस ने बाजी लगाई थी उस की फट जाए , फिर तो सबका नंबर मैं लगवाने वाली थी

अब बहन बहन में तो अंतर करना तो ठीक नहीं है ( बल्कि ननद ननद के बीच , आखिर सेटिंग तो मैं ही करवाती )

मेरे कमल जीजू न छेद , छेद में भेद करते थे न जेंडर डिस्क्रिमेशन , और कोमल भी तो कमल जीजू की ही साली थी ,


,


लेकिन रात को एक बार फिर रात भर , ...


हाँ आज वो मम्मी के साथ एकदम अकेले , सिर्फ सास दामाद , यहां तक की मैं भी कमरे से बाहर थी।


वैसे भी मेरी वो ५ दिन वाली छुट्टियां चल रही थीं , और मैं सोना भी चाहती थी और उन दोनों को अकेले मौका भी भी देना चाहती थी।

वैसे भी कल मम्मी का आखिरी दिन था हमारे साथ ,

परसों सुबह ही उन्हें चले जाना था वापस ,

और उसके अगले दिन ,सुबह सुबह ,हम दोनों को उनके मायके।


अगले दिन उन्होंने छुट्टी ले रखी थी , जिससे मम्मी के साथ पूरा दिन बिता सकें।
Reply
05-06-2021, 03:37 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
मम्मी









अगले दिन उन्होंने छुट्टी ले रखी थी , जिससे मम्मी के साथ पूरा दिन बिता सकें।

……………………………………………………………………………..
अगले दिन उनकी तो छुट्टी थी , लेकिन सारा काम मेरे सर पे आया।

मंजू बाई भी नहीं आई

लेकिन अब गीता थी , उसकी लड़की , जो उसके न आने पर आती थी।





उसके बारे में तो आप सब को बता ही चुकी हूँ ,

मेरी छुटकी ननद से एकाध साल ही बड़ी , कुछ दिन पहले ही बियाई थी , लेकिन मायके उसकी सास ने अकेले ही आने दिया।

मेरी उससे खूब पटती थी , मिल के हम दोनों उनको खूब चिढाते थे।

मैंने और गीता ने मिल के सुबह का काम निपटाया।

वो और मम्मी देर तक सोते रहे , और बेड टी ,ब्रेकफास्ट सब मेरे जिम्मे।

ब्रेकफास्ट में भी वोऔर मम्मी चालू रहे।



मम्मी उनको जितनी ट्रिक सिखा सकती थीं , उससे भी कहीं ज्यादा सिखा रही थीं।

उनकी सारी झिझक शरम लिहाज सब कुछ तो उन्होंने कब की दूर कर दी थी ,चाहे गाली दे के बात करने की हो , लड़कियों औरतों पर लाइन मारने की हो , उन्हें पटाने के लिए स्किमिंग करने की हो या पटने पर उन पर चढ़ाई कैसे करनी है ,

सब कुछ और सबसे बढ़ कर , मम्मी से एकदम खुल के ,

उनकी जो जो फन्तासियाँ बचपन से मन के किसी कोने में बंद थी ,

जो मैंने उनके लैपटॉप के अंदर पासवर्ड से छुपी फाइलों और चैट रूम में देखी थी ,

फेम डाम की , सिसिफिकेशन की




जो एम् आई एल ऍफ़ और




कच्ची कलियों के फोटों का जखीरा उन्होंने छुपा रखा था ,





सब कुछ , ...

एकदम खुल के न उन के बारे में बातें करते थे बल्कि मजा लेते थे।

मम्मी से उनकी ट्यूनिंग इतनी परफेक्ट हो गयी थी की थी की मम्मी कुछ कहतीं उसके पहले ही वो काम कर भी देते।

बहुत से चीजें उन्हें ना पसंद थी , कर्टसी उनके मायकेवालियों के ,

मैंने उनमे से बहुत सी चीजें उन्हें चखा दी थीं ,शुरू करा दी थीं ,

थोड़ी जबरदस्ती थोड़ी मान मनऔवल लेकिन कर्टसी मम्मी अब वो उनकी पहली पंसद बन गयी थीं।

जैसे स्मोकिंग मैंने उन्हें शुरू कराई ,कुछ चिढा के कुछ चढ़ा के ( लेकिन बहुत कंट्रोल्ड ,सोशल स्मोकिंग , सिर्फ पार्टी वार्टी में या जब मैं कहती )


लेकिन मम्मी ने एक तो दम उन्हें ,... सिगरेट रोल करना भी और 'स्पेशल मसाले ' वाले भी ,




और उसका असर भी ,इस्तेमाल भी मम्मी ने अच्छी तरह समझा दिया था।

जब मैंने ब्रेकफास्ट के बाद टेबल समेट रही थी , तो मैं मुस्कराये बिना नहीं रह सकी।

वो 'स्पेशल वाली ' सिगरेट रोल कर रहे थे ,

और मम्मी उन्हें कुछ सिखा पढ़ा रही थीं ,और वो एकदम गुरु ज्ञान की तरह सुन रहे थे ,


" अपनी उस कच्ची कली को ,जब मायके जाओगे न अपने ,बस किसी तरह पटा के इस स्पेशल सिगरेट का एक दो सुट्टा लगवा देने खुद खोल के खड़ी हो जायेगी ,साली।




दिमाग का उसके रायता बन जाएगा ,

और फिर जो कुछ करोगे न उसकी नयी नयी आती चूंचियां मीजोगे ,




गुलाबी गली में ऊँगली करोगे ,सब करवाएगी और खुद ही पानी पानी हो जायेगी।

और एक बार जो उसे ये मजा मिल गया तो बस मौका पाते ही टांग उठा के , ...अरे कब से वो तेरे लिए चुदवासी है ,तुझे पता भी नहीं। "

" एकदम मम्मी ,मस्त आइडिया दिया आपने ,एकदम सही है ,

मन तो मेरा भी पहले बहुत करता था लेकिन पहले डर भी लगता था ,झिझक भी। पर ये आपने अच्छी ट्रिक बता दी। "



वो हंस के खुल के अपनी ममेरी बहन के बारे में बातें कर रहे थे।




मैं मुस्कराती हुयी किचेन में चली गयी।

जब थोड़ी देर बाद लौटी तो ५२ पत्ते की किताब खुली थी।
Reply
05-06-2021, 03:37 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
५२ पत्ते की किताब









जब थोड़ी देर बाद मैं लौटी तो सास - दामाद के बीच ५२ पत्ते की किताब खुली थी।



( शादी के बाद ,एक बार इनके घर में ज़रा सा कभी ताश का जिक्र कर लिया था तो ,

मेरी जिठानी और इनकी उस बहन कम माल ने वो हालत कर दी ,...



"भाभी आप ये सोच भी कैसे सकती है इस तरह के खेल ,और मेरे भैय्या तो ,..." }


थोड़ा बहुत ताश तो मैंने और मुझसे ज्यादा उनकी असली से भी ज्यादा बढकर पक्की साली ,मेरी सहेली सुजाता ने सिखा दिया ,

लेकिन तब भी वो कच्चे खिलाड़ी ही रहे ,पक्का खिलाड़ी उन्हें मॉम ने बनाया




और सिर्फ ताश में नहीं बल्कि दांव लगा के जुए की तरह खेलने में ,रमी हो ,तीन पत्ती हो या पोकर। एक बार तो उन्होंने सुजाता ,अपनी साली को हरा भी दिया था।

पर आज मम्मी ने तगड़ी शर्त लगाई थी , उन दोनों ने मुझे भी बुलाया पर मैं किचेन में आज बिजी थी ,

" साले गांडू ,रोज हार जाता है। ध्यान लगा के खेल अगर आज हार गया न तो अपनी समधन का नाम ले के तुझसे सड़का लगवाउंगी। "



हार तो वो उस बार भी गए लेकिन मम्मी ने उन्हें मेरी सास के नाम दस गाली दिलवा के छोड़ दिया ,

पर अगला राउंड उनके हाथ में ही रहा।



ये बात अलग थी की उस समय मैं आके उनके पास बैठ गयी थी ,

और कुछ मैंने उन्हें हिंट दी , कुछ नकल कराई , मम्मी के पत्ते भी इधर उधर से देख के उन्हें इशारे से बताये।

बिना बेईमानी के आखिर ताश के खेल का क्या मजा ,और आखिर मेरा पति सिर्फ मेरा है , और उसकी जीत में मेरी जीत थी।




लेकिन एक खतरनाक बात और थी मम्मी ने धमकी दी थी ,

अगर तू हारा न तो बस भले ही तेरी बीबी लाख बहाने बना के बचाने की कोशिश करे ,

उस दस इंच के डिलडो से मैं तेरी कुँवारी गांड मार के ही रहूंगी।



उनकी कोरी गांड बच गयी ,कम से कम आज।

मैंने मम्मी को चिढ़ाया भी,

" अरे मम्मी घबड़ाइये मत आपके दामाद का पिछवाड़ा फटेगा और जबरदस्त फटेगा, लेकिन किसी प्लास्टिक व्लास्टिक से नहीं असली जबरदंग मोटू से , कोई पैदयाशी लौण्डेबाज होगा उसके मूसल से ,...



और फिर तीसरी बाजी लग गयी थी ,दांव पर एक बार मेरी सास थीं ,

और अपनी सास को बचाने के लिए तो मैं उनकी हेल्प करने से रही।




लेकिन खेल वो अच्छा रहे थे।

तभी एक बार दो बार तीन बार घंटी बजी , मुश्किल से बाजी बीच में छोड़ के वो उठे और दरवाजा खोला।



गीता थी .



मॉम की ,ट्रेनिंग का असर , गीता को आज थोड़ी देर हो गयी थी , वो बोल उठे,

" कमीनी ,किससे चोदवा रही थी ,जो इतनी देर हो गयी आज ,... "

" हरामजादे ,, अरे तेरी माँ के यार से , चल हट। "



गीता कौन कम थी , अदा से जुबना उभार के , बड़े नखड़े से उसने जवाब दिया ,और किचेन की ओर चल दी।




" अरे अपनी माँ का सबसे बड़ा यार तो यही है , ... "

हँसते हुए मम्मी ने और आग में घी डाला , और गीता रुक गयी।

सीधे उनके शार्ट के ऊपर से ,उनके थोड़े सोये ,थोड़े जागे बल्ज को पकड़ते बोली ,



" अररे , ... तभी तो मैं कहूँ जिस बुर से निकला है उसी भोंसडे में , गपागप्प , ... जा जा के ये इतना मस्त मूसल हो गया है।

चल चेक करके देखतीं हूँ सारी ताकत उसी के भोंसडे में खर्च कर दी या कुछ मालमसाला बचा के भी रखा है। "

गीता हंस के उनका औजार पकड़ के ड्रैग करते बोली।



वो थोड़ा सकपकाए , हिचके पर गीता ने जोर से दबाते ,मसलते बोला ,

" अरे बहुत काम करवाना है तुझसे अभी ,चल। "

मैंने और मम्मी ने इशारा किया उन्हें आँख से ,लाइन क्लियर और गीता उन्हें खींचते किचन में ,


थोड़ी ही देर में किचेन से सडप सडप की आवाजे आ रही थीं।


मम्मी मुझे देख के मुस्करा रही थीं।

" मुन्ना दुध्धू पीना है तो नीचे अर्जी लगाना पडेगा। "

किचेन से गीता की आवाज आ रही थी।



और कुछ देर बाद टारगेट बदल गया , गीता ने उनके सर को दबाते बोला ,

" अरे बहन के यार ज़रा पिछवाड़े का भी तो स्वाद चख ले, हाँ हाँ अरे जीभ पूरी अंदर डाल के। "




लेकिन थोड़ी देर बाद उनकी मुराद पूरी हो गयी थी , गीता ने अपनी दूध से छलकती एक छाती उनके मुंह में लगा दी थी ,

यही नहीं , उस पहलौठी की बियाई ने थोड़ा सा दूध ले के उनके औजार पर भी लपेट कर हलके हलके मुठियाना शुरू कर दिया,




उधर वो सपड़ सपड़ कर गीता के छाती से दूध,

मम्मी ने उनके लिए शिलाजीत,अश्वगन्धा ,शतावर ,कौंच और न जाने क्या क्या मिला के ताकत का स्पेशल मलहम बनाया था ,

लेकिन उनका भी मानना था की पहलौठी के दूध का कोई मुकाबला नहीं ,

दस पंद्रह दिन भी लन्ड पे कस के लगाया जाए तो एकदम लोहे का खम्भा ,

और सच में उनकी हालत अब वही हो गयी थी। साइज में भी कड़े पन में भी,

" अरे अबकी मायके जाओगे न तो बस अपनी उस बहिनिया को पटा के लाना ,
बस आगे की जिमेदारी मेरी , कैसे उसे तेरे नीचे लिटाना है , कैसे तेरे वीर्य से उसे गाभिन कराना है ,

और एक बार गाभिन हो गयी न बस , ९ महीने बाद बियाएगी ,

फिर एक बार पहलौठी के दूध का मजा मिलेगा , ...सारी जिम्मेदारी मेरी,सीधे से नहीं मानेगी तो जबरन ,

गाभिन तो उसे करवा के रहूंगी मैं तुमसे , ... "

गीता उनके मोटे कड़े लन्ड पे अपने दूध की मालिश करती उन्हें समझा रही थी।






वो गयी लेकिन बिना उन्हें झाड़े।



बिचारे का एकदम तना ,खड़ा ,
Reply
05-06-2021, 03:40 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
जोरू का गुलाम भाग ६१

मॉम का आखिरी दिन









मॉम का आखिरी दिन था और वो कुछ भी कर रहे थे , बस मॉम किसी तरह खुश रहें।




और मॉम भी एकदम उन्हें चिपकाये, एक मिनट के लिए भी एक दूसरे को दोनों छोड़ नहीं रहे थे।

और साथ में मम्मी की ट्रेनिंग भी ,

उन्हें सिखाना पढ़ाना ,उनकी आदते सुधारना जारी था।

मम्मी का सारा सामान भी उन्होंने ही पैक किया अपने हाथ से।

मम्मी ने यहां तक की उस समय की अपनी पहनी ब्रा और पैंटी भी उन्हें उतार के दे दी ,





वो उसे चूम के अपनी वार्डरोब में रखने लगे तो ,

डाँट और चपत एक साथ पड़ गयी उन्हें ,

अरे बुद्धू तुझे पहनने के लिए दिया है , चल पहन अभी।


अरे तुझ तुझे इससे लगेगा न की मैं तेरे पास हूँ।




किचेन में भी मम्मी उनके साथ ,शाम का खाना उन्ही दोनों के जिम्मे था।

मम्मी उन्हें धीमी आंच पर मसाला भूनना सिखा रही थी ,




और साथ में मम्मी का एक हाथ उनके गुदाज गोरे चिकने पिछवाड़े को सहला रहा था , और एक अँगली का अंदर घुसा हुआ था , मम्मी कभी उनके इयर लोब्स को हलके से बाइट कर लेतीं ,कभी अपने भारी जोबन उनके पीठ पर रगड़ देतीं ,


और हलके हलके उनके कान में बोल रही थीं ,

मैं किचेन में किसी काम से गयी , और उन लोगों की फुसफुसाती आवाज,

" अरे तू फालतू में घबड़ाता है ,बेकार में झिझकता है। सिर्फ गांड मराने से कोई गे थोड़े ही हो जाता है।
फिर स्साले तुझे कुछ करना थोड़ी है , बस घोड़ी बन के निहुर जाना, कित्ती बार तो मेरे और मंजू के सामने, बस,.... फिर तो वो करेगा जो, और दर्द होगा तो होगा , बर्दास्त कर लेना, नहीं तो चीख चिल्ला लेना रो धो लेना, मैं छोड़ती थी तुझे क्या तेरे चीखने पर, ...मेरे आने के पहले ये फट जानी चाहिए, वरना सोच ले , ...मैं नहीं आउंगी,... मुझे बुलाना चाहते हो न ,... "





वो तुरंत बोले, " हां मम्मी , आपके लिए तो मैं कुछ भी , और कुछ भी का मतलब कुछ भी,.... "

मम्मी ने ज्ञान की बातें आगे बढ़ायीं ,

अरे तुझे तो बुर चोदने का इत्ता जबरदस्त शौक है और सच बोलूं तो तू चोदता भी जबरदस्त है।

और अभी अपने मायके जाएगा न , तो अपनी कच्ची कुँवारी बहन को ,

और फिर अब तो तेरी माँ के भोसड़े में घुसने का इंतजाम पक्का हो गया है , बस दस दिन बाद मैं आउंगी तो ले आउंगी , तो चोदना मेरी समधन को ,... "

" नहीं लेकिन ,... "

अभी भी उनमें कुछ झिझक थी। कढ़ाई में हलके हलके कलछुल चलाते वो बोले।

" नहीं लेकिन मतलब , क्या तू मेरी समधन को नहीं चोदना चाहता , "


मम्मी ने उनके गाल को हलके से बाइट करते पूछा और मुझे सुनते देख के हलके से आँख मार दी।


" नहीं नहीं , उन्हें तो मैं कब से , ... मेरा मतलब कब से चोदना चाहता हूँ ,जरूर पेलुँगा भले ही थोड़ी जबरदस्ती करनी पड़े ,मैं उस के बारे में सोच रहा था ,... "

वो बहुत हलके से बोले।

" अरे साफ़ साफ़ क्यों नहीं गांड मरवाने के बारे में सोच रहे थे।

अरे भंडुए ,मादरचोद , इसमें तुझे क्या सोचना है , तुझे तो बस निहुर जाना है , कुतिया बन के , लेट जाना है ,

बस आगे का काम तो गांड मारने वाला करेगा।

अरे कुछ दिन गांड मरवा लेगा न तो तू खुद ही लौंडेबाज ढूंढेगा। "




और ये बोलने के साथ मम्मी ने उनकी गांड में घुसी ऊँगली आधी और ठेल दी।

" नहीं लेकिन लोग , कुछ गलत नहीं है ,इसमें ,... "

उन्होंने अपने मन की आशंका साफ़ साफ़ उगल दी।

" गलत क्यों है ,देख तू अपनी बहना को फंसा के लाएगा , तो तेरी बीबी भी तो उससे मजे लेगी ,उससे अपनी चूत चटवायेगी। मैं भी कच्ची कलियों को तो खूब रगड़ रगड़ के भोगती हूँ ,लेकिन तेरे ऐसे लन्ड को देख के उसे भी नहीं छोड़ती हूँ , ज्यादातर औरतें लड़कियां ,शायद ही कोई ऐसी हों जिन्होंने एक दुसरे के देह का रस नहीं लिया हो। ननद भौजाई का तो रिश्ता है इस पर बना है। लेकिन इसका मतलब ये थोड़े है की वो हार्डकोर लेस्बियन हो गयीं और उन्हें लड़के नहीं पसन्द है।


अरे ऐसे के लिए ' बाई ' शब्द है , जो दोनों का मजा लेते है , तो बस उसी तरह से तू भी लड़कों का भी मजा ले और लड़कियों का भी।

अपनी माँ बहनों को चोद और गांड मरवाने का भी मजा ले। "

मम्मी ने फैसला सूना दिया था। लेकिन एक सवाल और दाग दिया ,

" तू जानता है किसी को जिसे गांड मारने ,मरवाने का शौक हो , ... "




अबकी उन्होंने ख़ुशी से अपना ज्ञान प्रदर्शित किया ,

हंस के बोले ,

' बहुतों को , अपने कमल जीजू ही, पूरे कालेज में मशहूर थे गांड मारने के लिए। शायद ही कोई चिकना माल बचता था उनसे ,

स्कूल में मुझसे तीन साल सीनियर थे ,


और जिसकी वो एक बार मार लेते थे खुद ही अगली बार उनके सामने पहुँच जाता था अपनी नेकर सरका के,

और आके सबको गाता था कित्ता मजा आया उसे मरवाने में। "



"एकदम, सही बोला तू लेकिन तुझे मालूम पहली रात ही उन्होंने चीनू की ऐसी फाड़ दी की , और अगली सुबह उसे टाँके लगवाना पड़ा। तो बोल न , वो गे थोड़े ही हो गए , अरे वो मैक्सिसमम मजे वाला है जैसे मैं हूँ मजे लेने का कोई मौका नहीं छोड़ती।

और जो लोग लड़कियों की गांड मारते है ,आधी ब्ल्यू फ़िल्में तो ऐनल सेक्स की होती हैं , तो वो क्या अननेचुरल है , फिर तो मुंह में चुसवाना , चूंची चोदना भी ,... अच्छा चल ये बोल तेरे साथ स्कूल में कोई था जो मरवाता था। "

मम्मी ने अगला सवाल पूछा।



ये कन्फेशन टाइम था ,

" अरे मम्मी ये पूछिये कौन नहीं था , मेरा स्कूल ,ब्वायज हाई स्कूल तो इसी बात के लिए मशहूर था। ८० % से ज्यादा लड़के , मेरी भी तो चार पांच बार , ,बहुत मेरे पीछे पड़े थे ,लेकिन बस मैं हर बार बाल बाल बच गया। मेरे कितने क्लोज फ्रेंड्स थे रेगुलर ,बिना नागा मरवाते थे"

लेकिन ,.. " लेकिन उनका पीछा नहीं छोड़ रहा था।

" अरे अब क्या लेकिन ,





मम्मी ने अब उन्हें हड़काते हुए जोर जोर से उनके चूतड़ पे दो चांटे जमाये।

" डर लगता है ,दर्द बहुत होगा पहली बार। "

वो हिचकते हुए बोले।



" अरे वो तो तेरी बहन को भी होगा जिस की तू कोरी चूत फाड़ेगा , तो क्या तू छोड़ेगा उसको दर्द के डर से। अरे डर तो मन का होता है ,चल तुझे दो ट्रिक बताती हूँ , पहले तो लन्ड को खूब चूसना ,खास तौर से सुपाड़े को ,खूब थूक लगा देना। एक तो वो चिकना हो जाएगा , दूसरा तेरे मन से लन्ड का डर निकल जाएगा।

एक बात और करना , गांड खूब ढीली रखना ,बस असली दर्द तो तब होता है जब गांड का छल्ला पार होगा ,लेकिन ढीली रखोगे तो चला जायेगा ,और जहाँ दो चार बार गया , फिर तो मजे ही मजे हैं। "




उन्हें चूमते मम्मी बोलीं।




मसाला भून गया था , वो कढाई उतारने में लग गए और मैं किचेन से बाहर चली आयी।
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