XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
03-20-2021, 11:56 AM,
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
“हां। तिलिस्म को देवा और मिन्नों ही तोड़ सकते हैं। ये दोनों ही सिर्फ वहां तक पहुंच सकते हैं। वहां फैली महाकाली की जादुई ताकतें सिर्फ देवा और मिन्नो को ही जथूरा तक पहुंचने की इजाजत देंगी।”
इस कारण तुम हमें चालाकियों से यहां तक लाए?”
पोतेबाबा ने सहमति से सिर हिलाकर कहा। “मजबूरी थी। ऐसा करना पड़ा मुझे। इसके अलावा मेरे पास कोई और रास्ता भी तो नहीं था। सीधे-सीधे तुमसे कहता कि पूर्वजन्म मैं तुम्हारी जरूरत है तो कोई भी आने को तैयार नहीं होता।”
“तुम चाहते हो कि अब हम जथूरा को कैद से आजाद कराएं।” मोना चौधरी बोली। ।
“हां। यही चाहता हूं मैं। मेरी सारी कोशिशें अब इसी बात पर आकर रुकती हैं।”
“तुमने कैसे सोच लिया कि हम तुम्हारी बात मानकर ये काम करेंगे।”
मेरा दिल कहता है कि तुम दोनों इनकार नहीं करोगे।”
खतरे वाले काम में हम हाथ क्यों डालेंगे तुम्हारे लिए?” पोतेबाबा मोना चौधरी को देखता रहा।
तुम्हें ये बात हमें पहले ही स्पष्ट तौर पर बता देनी चाहिए थीं।”
पोतेबाबा खामोश रहा।
तिलिस्म को तोड़ना खेल नहीं होता।” मोना चौधरी ने गम्भीर स्वर में कहा—“पूर्वजन्म में मैं भी नगरी की मालकिन रह चुकी हूं और तिलिस्म विद्या में माहिर थी। ये एक भारी खतरे वाला काम है। आसान नहीं है ये सब करना।” ।
तो मत करो।” तवेरा कह उठी।।
सबकी निगाह तवेरा की तरफ उठ गई। गरुड़ की खोज-भरी निगाह तवेरा के चेहरे पर फिरने लगी।
मखानी बोरियत-भरे अंदाज में चेहरा लटकाए कब से बैठा, रह-रहकर कमला रानी को देख रहा था। लम्बी तपस्या के बाद अब जाकर कमला रानी से नजरें मिली तो मखानी ने आंख के इशारे से उसे चलने को कहा।
कमला रानी ने इनकार में सिर हिलाया।।
मखानी ने झुंझलाकर, पुनः यहां से चुपके-से उठने का इशारा किया।
कमला रानी ने मुंह फेर लिया। | ‘औरत में यही खराबी है कि जब जरूरत पड़ती है तो नखरे दिखाने लगती हैं। ये कमला रानी तो औरतों की मां है। पहले तो मेरे कान में बोल दिया कि चुपके से कहीं जाकर प्यार कर लेंगे। मेरी तबीयत हरी है प्यार करने को तो, खुद उठने का नाम नहीं ले रहीं। मखानी बड़बड़ा उठा–‘साली एक बार हाथ पर चढ़ जाए तो हालत बिगाड़ दूंगा।'

“अगर तुम मेरे पिता को आजाद नहीं कराना चाहते तो न सही।” तवेरा लापरवाही से पुनः बोली।
ये तू क्या कह रही है मेरी बच्ची ।” पोतेबाबा के होंठों से निकला।
“गलत क्या कह दिया।”
देवा और मिन्नो जथूरा को आजाद करा सकते...।” ।
पोतेबाबा।” तवेरा गम्भीर स्वर में कह उठी “पिता की आजादी का मतलब है, मेरी आजादी खत्म। जब से वो कैद हैं तब से मेरा जीवन बदल गया है। मैं कहीं भी आ-जा सकती हूं। उनकी आजादी के बाद,..।”
वो तेरे पिता हैं।”
“मैं परवाह नहीं करती।” तवेरा ने कहा और पलटकर बाहर की तरफ बढ़ गई।
“मेरी बच्ची तुझे क्या हो गया है।” पीछे से पोतेबाबा ने कहा। परंतु तवेरा बाहर निकल गई थी।
“शायद बच्ची की तबीयत ठीक नहीं।” पोतेबाबा ने चिंतित स्वर में कहा और गरुड़ से बोला–“तुम उसे समझाओ गरुड़।”
जी। मैं अभी जाता हूं।” कहने के साथ ही गरुड़ पलटा और बाहर निकलता चला गया।
पास की कुर्सी पर बैठा रातुला धीमे स्वर में पोतेबाबा से कह उठा।।
“ये तुमने क्या किया पोतेबाबा। गरुड़ को तवेरा के पास भेज दिया।”
पोतेबाबा शांत भाव में मुस्कराकर बोला।
गरुड़ के बारे में मैं तवेरा को सब कुछ बता चुका हूं।”
ओह।” ।
तवेरा का ये सब कहना, उसकी किसी चाल का ही हिस्सा है। तुम इस बारे में निश्चिंत रहो रातुला।”
समझ गया।”
फिर पोतेबाबा ऊंचे स्वर में सबसे कह उठा।
तवेरा की बात का बुरा मत मानना। वो अपने पिता की कैद की वजह से बहुत परेशान है।” ।
“म्हारे को तो दूसरों ही स्टोरी लागे।” बांकेलाल राठौर ने सोच-भरे स्वर में कहा—“थारे को का लागे छोरे?”
“ये बात बाद में देखेला बाप ।”
ठीको ।”
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03-20-2021, 11:56 AM,
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सबकी नजरें पोतेबाबा पर थीं। “मैं चाहता हूं कि तुम दोनों जथूरा को आजाद कराओ महाकाली की कैद से।”
“जरूरी क्यों है जथूरा को कैद से निकालना?” देवराज चौहान बोला।
“बहुत जरूरी है, जथूरा के बिना हर नगरी की बढ़ोत्तरी रुक गई है। वो होता तो...।” ।
तुमने कालचक्र का हम पर इस्तेमाल किया?”
“हां।” ।
यानी कि जथूरा के बाद तुम उसकी हर चीज के मालिक हो?”
हां ।”
“और जथूरा के आ जाने पर तुम फिर से उसके नौकर बन जाओगे।” ।
मैं अब भी नौकर हूं। जथूरा का सेवक हूं।” पोतेबाबा ने कहा।
उसकी गैरमौजूदगी में तुम अपनी मनमानी कर रहे हो। वो आ गया तो मनमानी ख़त्म हो जाएगी तुम्हारी ।”
पोतेबाबा मुस्करा पड़ा।
“तुम इसे मनमानी कहते हो, जबकि मैं इसे बोझ कहता हूं। कामों के बोझ तले मैं दबा जा रहा...।”
मत करो काम। यहां जथूरा तो है नहीं जो तुम्हें काम...।”
तू मुझे समझता क्या है देवा। क्या मैं चोर सेवक हूं जो कामों से मन चुराता है या बेईमान हूं जो जथूरा की गैरमौजूदगी में सत्ता का फायदा उठाएगा। ऐसा सोचते हो तो गलत सोचते हो। मैं जथूरा का सच्चा सेवक हूं। जथूरा महान है। उस जैसा कोई दूसरा नहीं। मैं दिल से उसका कायल हूं। उसके द्वारा रचित हादसे कितने शानदार होते हैं। मैंने जथूरा से बहुत कुछ सीखा है।”
पर वो तो बेईमान होईला बाप।” ।
“कैसे?” पोतेबाबा ने रुस्तम राव को देखा।
जथूरा सोबरा का हक मारेला। बाप से मिला माल बराबर बांटेला मांगता।”
मैं इस बहस में नहीं पड़ना चाहता।”
ये बहस नेई होईला बाप । सच्चाई होईला। जथूरा को उसके पिता से ताकतें न मिलेला तो जथूरा इतना पॉवरफुल नेई बनेला। सारा कमाल तो उस ताकत का होईला बाप ।” रुस्तम राव ने कहा।
“तंम एकदमो फिटो कहो छोरे। जथूरो म्हारे को शुरू से ही हरामो लागे हो।”

खामोश बैठा रातुला कह चुका। जथूरा के बारे में आप लोगों के विचार बहुत गलत हैं।”
तंम म्हारे को गलत बोल्लो हो और म्हारे को कहो भी कि अंम जथूरो को बचावे ।।
“जथूरा महान है।” रातुला कह उठा
“उस जैसा दूसरा कोई नहीं।”
छोरे यो पूंछो तो सीधा न होवे।” । पोतेबाबा ने देवराज चौहान और मोना चौधरी को देखा।
“मैं आशा करता हूं कि तुम दोनों जथूरा को महाकाली की कैद से आजाद करा दोगे।”
“इसलिए कि वों और नए हादसे रचकर हमारी दुनिया के लोगों को...।”
इस बारे में जथूरा से बात की जा सकती है।” पोतेबाबा ने कहा।
“कैसी बात?” ।
“उसे आजाद कराने से पहले उससे वादा ले लेना कि वो नए हादसे नहीं रचेगा।”
वो हादसों का देवता है। हमारी बात क्यों मानेगा?”
उसे आजाद होना है तो जरूर मानेगा।” पोतेबाबा ने शांत स्वर में कहा।
दो पल के लिए चुप्पी छा गई वहां।
तुम आखिर चाहते क्या हो?” मोना चौधरी ने पूछा।
“जथूरा को आजाद करा लेना चाहता हूं।” पोतेबाबा गम्भीर था।
तुम्हारा मतलब कि इस शर्त पर जथूरा को महाकाली की कैद से आजाद कराए कि, वो नए हादसे रचकर हमारी दुनिया में नहीं भेजेगा?” | पोतेबाबा ने सहमति से सिर हिलाया।
“इस काम में बहुत खतरा है पोतेबाबा।” मोना चौधरी गम्भीर स्वर में कह उठी–“किसी के बांधे तिलिस्म को काट के मंजिल तक पहुंचना, खेल नहीं है। जबकि तिलिस्म बांधने वाला तंत्र-मंत्र का विशेष ज्ञानी हो।”
“महाकाली ने देवा और मिन्नो के नाम का तिलिस्म बांधा है। ऐसे में तुम दोनों के लिए तिलिस्म को तोड़ना खास खतरे वाली बात नहीं है।” पोतेबाबा ने गम्भीर स्वर में कहा-“इसलिए तुम दोनों...।”
“हम ये काम न करें तो?” देवराज चौहान बोला।
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03-20-2021, 11:56 AM,
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पोतेबाबा मुस्करा पड़ा।
तो क्या करोगे तुम सब लोग, जबकि पूर्वजन्म में तो आ ही चुके हो ।”
क्या कहना चाहते हो?” ।
“ये तो तुम लोग भी जानते हो कि पूर्वजन्म में प्रवेश कर लेने के बाद तुम लोगों की वापसी तभी हो सकती है, जब पूर्वजन्म का कोई बिगड़ा काम सुधार दो। या तो जथूरा को आजाद कराओ, या फिर तुम लोगों को कोई और बिगड़ा काम तलाश करना पड़ेगा, जिसे कि सुधार सको। क्या पता वो काम इससे भी ज्यादा खतरनाक हो।”
“तो ये चाल थी तुम्हारी ।” देवराज चौहान ने कहा-“तुम सब जानते हो कि पूर्वजन्म में प्रवेश कर आने के बाद हमें कोई एक बिगड़ा काम अवश्य सुधारना होगा, तभी हमारी वापसी के दरवाजे खुलेंगे। तुम सोचते हो कि तुमने हमें फंसा दिया कि ये काम हमें करना ही पड़ेगा। दूसरा बिगड़ा काम ढूंढ़ना भी तो आसान नहीं ।”
“गलत मत सोचो। मैंने तुम लोगों को फंसाया नहीं। अपने काम के लिए तुम्हें यहां लाया जरूर हूं, परंतु तुम लोग फैसला लेने को आजाद हो। नहीं काम करना चाहते तो मत करो।” पोतेबाबा ने कहा।
। “यो म्हारे को चक्करो में लयो हो।”
सोचने की बात होईला बाप ।”
“महाकाली है कहाँ?” नगीना ने पूछा।
उसके बारे में कोई नहीं जानता कि वो कहां है।” पोतेबाबा बोला—“परंतु जथूरा के बारे में पता है।”
कहां है वों?”
अपनी ताकतों से मायावी पहाड़ी बनाकर उसने जथूरा को वहां कैद कर रखा...।”
तभी देवराज चौहान ने टोका।
पूर्वजन्म में प्रवेश करने के बाद मुझे कुछ नजर आया था, यहीं का ही कुछ।” ।
“क्या?” पोतेबाबा ने उसे देखा।
“दो गुफाएं। परंतु बाद में पता लगा कि वो गुफाएं नहीं, नाक के छेद हैं। फिर पत्थर के होंठों को बोलते देखा, जो खुद को आजाद कराने के लिए कह रहा था—वो...।”
वो ही मायावीं पहाड़ी...।” पोतेबाबा गहरी सांस लेकर बोला।
“क्या मतलब?”
महाकाली ने अपनी ताकतों से वो ही मायावी पहाड़ी बनाकर, जथूरा को भीतर कैद कर रखा है। जो पत्थर की आकृति का चेहरा तुमने देखा, वो जथूरा का चेहरा है। जो कि पहाड़ी के ठीक ऊपर, इस तरह रखा है, जैसे वो आसमान को देख रहा हो। उसके नाक के छेद, जो कि गुफा की तरह हैं। उन्हीं में से रास्ता भीतर को जथूरा तक जाता है, परंतु जो भी उस रास्ते से भीतर प्रवेश करता है, वो जीवित लौट के नहीं आता।”
“मुझे कैसे जथूरा का वो चेहरा दिखा या उसके हिलते होंठ या फिर उसकी आवाज सुनाई दी?”
“जथूरा ने तुम लोगों की मौजूदगी का अपनी जमीन पर एहसास पा लिया होगा। तभी उसने खुद को आजाद कराने की पुकार लगाई होगी। ये अच्छी बात है कि जथूरा पूरी तरह अपने होश में है।” पोतेबाबा ने चैन की सांस ली। फिर मोना चौधरी से कह उठा–“क्या तुम्हें भी ऐसा कुछ एहसास हुआ मिन्नो?”
नहीं।”
तुम्हें भी ऐसा कोई एहसास होता तो बेहतर रहता। क्या पता अब हो जाए।” ।
तुम पहाड़ी के बारे में बता रहे थे।” महाजन कह उठा। पोतेबाबा ने सबको देखा। कुछ पल सोच के कह उठा।
क्या ये अच्छा नहीं होगा कि पहले तुम लोग ये फैसला ले लो कि जथूरा को आजाद कराओगे या नहीं?”
“अगर हमारा इनकार हुआ तो तुम हमारे साथ क्या व्यवहार करोगे?" पारसनाथ कह उठा।
“कोई भी अपने मन में बुरी आशंका न रखे।” पोतेबाबा मुस्कराकर बोला—“तुम लोगों के इनकार करने पर भी यहां किसी के मन में बुरी भावना नहीं आएगी। तुम सब जब तक चाहो, यहां मेहमान बनकर रह सकते हो।”
“यों म्हारे को अमूलो मकखनों लगा रहो हो ।” वो सब एक दूसरे को देखने लगे।
तुम लोगों को यहां तक लाना जरूरी था। वो मैं ले आया। अब आगे काम करना या न करना, तुम्हारी मर्जी पर है।”
“मुर्गोखाने में बिठा दयो म्हारे को, ईब मर्जी बोल्लो हो ।” पोंतेबाबा उठता हुआ बोला।
बाहर दरवाजे पर हर वक्त दो सेवक मौजूद रहेंगे। आप लोगों को किसी भी चीज की जरूरत हो तो उनसे कह सकते हैं। मुझे बुलाना हो तो भी उनसे कह सकते हैं। यहां आप कहीं भी जाने को आजाद हो। कोई रोक-टोक नहीं है।”

रातुला भी उठ खड़ा हुआ।
सोच-विचार में आप जितना भी वक्त लेना चाहें ले सकते हैं।” उसके बाद पोतेबाबा और रातुला वहां से बाहर निकल गए। उनके जाने के बाद खामोशी-सी आ ठहरी उधर।।
“मेरे खयाल में हमें जथूरा की आजादी के लिए कुछ करना चाहिए।” नगीना बोली-“वो मुसीबत में है। ऐसे में किसी के काम आना, बुरी बात नहीं है।”
“उसने सोबरा के साथ ज्यादती की है।” देवराज चौहान ने कहा-“उसने सोबरा का हक मारा है।”
“तो सोबरा ने उसे सजा भी दे दी। पचास सालों से वो बंदी बना हुआ है।” नगीना ने कहा।
“हमें क्या पता कि सोबरा इस वक्त उसकी सजा के बारे में क्या सोचता है।” देवराज चौहान ने नगींना को देखा।
तभी मोना चौधरी कह उठी। “सोबरा भी कम नहीं है।”
अंम भी यो हीं सोच्चो हो।” बांकेलाल राठौर बोला—“जथूरो को जादूगरनी कैद में फंसा दयो हो।”
“हम जथूरा को कैद से निकाले तो सोबरा को ये बात बुरी लग सकती है।” देवराज चौहान ने कहा-“ये दो भाइयों का मामला है। हमें बीच में नहीं आना चाहिए।”
बहुत कठोर हैं आप।” नगीना कह उठी।
बात कठोरता की नहीं नगीना, बात ये है कि जथूरा ने अपने पिता से प्राप्त ताकतों का इस्तेमाल करके, खुद बड़ी ताकत बन गया। जबकि सोबरा भी उन ताकतों को पाने का हकदार था। वो अपने अधिकार से वंचित रहा। इसी कारण सोबरा ने कालचक्र की आड़ में जथूरा को फंसा दिया। इसमें हमारे बीच में आने की गुंजाईश ही नहीं है।”
“सोबरा से बात की जाए?” महाजन बोला।
वो नहीं मानेगा।” देवराज चौहान ने कहा—“क्योंकि इस वक्त बाजी उसके हाथ में है।”
“तुम्हारे मन में क्या है देवराज चौहान ।” मोना चौधरी बोली_“इस काम को करने की इच्छा रखते हो या नहीं?” | अगर जथूरा सोबरा के साथ पिता की दी ताकतें बांटने पर राजी हो जाता है और हमारी दुनिया में नए हादसे रचकर नहीं भेजेगा तो, मैं ये करने को तैयार हो सकता हूं।” देवराज चौहान ने कहा।

“जथूरा तो सामने है नहीं कि उससे बात की जा सके।” मोना चौधरी बोली।
पोतेबाबा के शब्दों की कोई कीमत नहीं है।”
वो पहले ही कह चुका है कि जथूरा अगर शर्ते माने तो उसे आजाद करना, वरना नहीं ।”
पोतेबाबा चाहता है कि किसी भी तरह हम जथूरा को आजाद करने के लिए यहां से चल पड़े।”
हां। ऐसी ही बात है।”
लेकिन हमें पूर्वजन्म का कोई काम तो सुधारना ही पड़ेगा। तभी हम वापस अपनी दुनिया में जा सकेंगे। किसी बिगड़े काम को संवारना हमारे लिए भी अच्छी बात है। पूर्वजन्म के जो काम पहले जन्म में अधूरे रह गए थे, वो हम इस रूप में पूरे करेंगे।” महाजन कह उठा।
नगीना देवराज चौहान से बोली। “आपको ये काम करना होगा।”
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03-20-2021, 11:57 AM,
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“मुझे सोचने दो।” देवराज चौहान बोला।
बेहतर होगा कि हम ये काम करें ताकि हमारे लिए वापस अपनी दुनिया में जाने का रास्ता खुल सके।” मोना चौधरी बोली “हम जितना वक्त सोचने में लगाएंगे। हमें उतनी ही देर पूर्वजन्म में रहना पड़ेगा।”
। “मोना चौधरी ठीक कहती है।” नगीना ने तुरंत सिर हिलाया।
“अगर तुम सबकी यही मर्जी है तो, मैं तैयार हूं।” देवराज चौहान ने सोच-भरे स्वर में कहा।।
जथूरा तक अगर पहुंच गए तो उससे वो बातें कर लेंगे, जो हमारे मन में हैं ।” मोना चौधरी कह उठी।
। “छोरे।” बांकेलाल राठौर का हाथ मूंछ पर जा पहुंचा-अंम महाकाली को ‘वड' दयों।”
“पक्का बाप ।”
तंम म्हारे साथ हो ना?”
“पक्का बाप ।”
कमला रानी सब बातों को ध्यान से सुन रही थी। तभी उसने मखानी को देखा। मखानी उसे खा जाने वाली नजरों से घूर रहा था। कमला रानी मुस्करा पड़ी। वो उठी और बाथरूम की तरफ चल दी। चलते-चलते कमला रानी ने मखानी को देखा और आंख से इशारा कर दिया।
मखानी खिल उठा।

काम बन गया था।
ललचाई नजरों से वो कमला रानी को उस रास्ते पर जाते देखता रहा, जो खुले बाथरूम की तरफ जाता था। जब कमला रानी चली गई तो मखानी उठा और उसी रास्ते की तरफ बढ़ गया।
“तंम उसो को पीछो-पीछो क्यों खिसको हो?” बांकेलाल राठौर मखानी से कह उठा।
मखानी ने ऐसे दर्शाया, जैसे सुना ही न हो।
जाने दे बाप ।” रुस्तम राव ने बांके की टांग पर हाथ मारा–“उसने पीछे आने का इशारा किएला है।”
“फिरो ठीको। अॅम सोचो के कंई पे इज्जत लूटनो का केसो न तैयार हो जावे।”
तवेरा कमरे से निकली तो पीछे से आकर गरुड़ उसके साथ चलने लगा।
“तुम कैसी बातें कर रही हो तवेरा?” गरुड़ कह उठा। तुम्हें मेरी बातें पसंद नहीं तो, मेरे पास मत आओ।”
वो बात नहीं, मैं तुम्हारे साथ हूं।” गरुड़ जल्दी से बोला—“तुम नाराज मत होवो।”
दोनों आगे बढ़ते जा रहे थे। तवेरा ने चेहरे पर उखड़ापन ओढ़ रखा था।
कम-से-कम तुम्हें दूसरों के सामने तो अपनी भावनाएं छिपाकर रखनी चाहिए।” ।
“मैं नगरी की मालकिन हूं। मेरा जो मन चाहेगा, वो ही करूंगी।”
“ये बात तो तुम ठीक कह रही हो।”
सच?” चलते हुए तवेरा ने उसे देखा।

“हां-हां, मैं झूठ क्यों बोलूंगा?” ।
“मुझे लगता है कि कोई भी मेरे से सहमत नहीं होगा कि मैं पिता को वहीं कैद में रहने दें।”
ठीक कहती हो।”
“तुम सहमत हो?"
मैं तो तुम्हारे साथ हूं तवेरा।”
“सच कह रहे हो?”
मैं तुमसे झूठ नहीं बोलूंगा। तुम मुझे अच्छी लगती हो। तुम्हारी हर बात मुझे अच्छी लगती है।”
“ओह गरुड़। तुम कितने अच्छे हो।” तवेरा मुस्कराई।

गरुड़ भी मुस्कराया।
“मैंने कभी तुम पर ध्यान क्यों नहीं दिया। तुम बहुत समझदार हो ।”
गरुड़ मुस्कराता रहा।
अब तुम मुझे अच्छे लगने लगे हो।”
सच तवेरा।” ।
हां। तुममें वो सब बातें हैं जो नगरी को संभाल सको।” तवेरा कह उठी।।
क्या मतलब?”
सोचती हूं कि कहीं तुम ही तो मेरे सपनों के राजकुमार नहीं हो, जिसका मुझे इंतजार था।” ।
“ओह, तवेरा तुमने तो मेरे दिल की बात कह दी।” गरुड़ जल्दी से कह उठा।
क्या तुम भी मेरे बारे में कुछ ऐसा ही सोचते हो?”
हां तवेरा, तुम्हें लेकर तो मैंने कितने सपने ले रखे हैं, परंतु कभी कहने की हिम्मत नहीं पड़ी।”
तवेरा ठिठकी और गरुड़ को देखने लगी। गरुड़ भी रुका।।
तुम्हें मेरा साथ देना होगा गरुड़, अगर मेरे से ब्याह करना चाहते हो।” तवेरा ने कहा।
मैं तैयार हूं। बोलो क्या करूं?”
मैं अपने पिता की आजादी नहीं चाहती।”
“परंतु इस बारे में मैं क्या कर सकता हूं?”
“देवा-मिन्नो अगर पिताजी को आजाद कराने जाएं तो उनका काम बिगाड़ देना होगा।”
ये मैं कैसे करूंगा?”
तुम साथ रहना। हम किसी अच्छे मौके को ढूंढेंगे।”
“साथ रहना, मैं समझा नहीं?”
देवा-मिन्नो अगर पिताजी को आजाद कराने में महाकाली की पहाड़ी की तरफ जाने लगेंगे तो मैं भी साथ चलूंगी और बहाने से तुम्हें भी साथ ले लूंगी। मेरी बात को पोतेबाबा इनकार नहीं कर सकेगा।”
“समझ गया। तुमने जथूरा से चालाकियां हासिल की हैं।” गुरुड़ मुस्करा पड़ा।
“मैं अपने आप में भी कम नहीं हूं। तंत्र-मंत्र में मैंने महारथ हासिल की है।”

परंतु महाकाली से कम हो ।”
हाँ। वो तो बहुत बड़ी जादूगरनी है। अब तुम मेरे पास से जाओ। कोई देखेगा तो शक करेगा कि हममें इतनी देर तक क्या बातें हो रही हैं।” तवेरा कह उठी–“तुम कितने अच्छे हो गरुड़।” ।
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03-20-2021, 11:57 AM,
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
“बार-बार ये बात कहकर मुझे शर्मिंदा मत करो।” गरुड़ ने प्यार से कहा।
तवेरा मुस्कराई और आगे बढ़ गई। खुशी से गरुड़ के पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे।
वो तो तवेरा को शीशे में उतारना चाहता था, परंतु सारा काम अचानक ही उसके पक्ष में बन गया। तवेरा उससे ब्याह करने को तैयार थी।
वो नहीं चाहती थी कि उसके पिता महाकाली की कैद से आजाद हो।।
वो नगरी की मालकिन बनकर रहना चाहती थी और आजाद जिंदगी बिताना चाहती थी।
“ओह। गरुड़ बड़बड़ाया–“ये सब कितना अच्छा हो रहा है। बिल्कुल मेरी इच्छा की तरह। | गरुड़ सीधा अपने कमरे में पहुंचा और दरवाजा बंद करके अलमारी की तरफ बढ़ गया। वो इस बात को जरा भी महसूस नहीं कर सका कि उस कमरे में रातुला का आदमी पहले से ही छिपा हुआ
| गरुड़ ने अलमारी खोलकर वो किताब निकाली और उसके भीतर मौजूद यंत्र से सम्बंध बनाकर सोबरा से बात करने की कोशिश में लग गया।
सोबरा से बात हो भी गई। मैंने कर दिया सोबरा ।” गरुड़ खुशी से बोला।
क्या?” यंत्र में से महीन-सी सोबरा की आवाज उभरी।
“तवेरा मेरे से ब्याह करने को तैयार है।” गरुड़ ने कहा।
ये अच्छी खबर दी।”
“मेरी उससे स्पष्ट बात हुई है। परंतु अपने पिता के बारे में उसका व्यवहार अजीब-सा है।”
वो कैसे?
“तवेरा नहीं चाहती कि उसके पिता को आजादी मिले। वो पिता के बिना आजाद जीवन जीना चाहती है।”
सोबरा की तरफ से आवाज नहीं आई।

सोवरा ।” गरुड़ ने पुकारा।
सुन रहा हूं। सोच रहा हूं, तवेरा ऐसी तो नहीं थी।”
“हां, अचानक ही उसके व्यवहार में मैंने ये बदलाव पाया।”
मेरे खयाल में तुम्हें सतर्क हो जाना चाहिए गरुड़।”
क्या मतलब?”
“ये तवेरा की कोई चाल भी हो सकती है। हो सकता है कि उसे तुम पर शक हो गया हो।”
* “मुझे ऐसा नहीं लगता।” ।
“मुझे ऐसा ही लगता है। तवेरा तो जथूरा की भक्त है। अपने पिता की इच्छा के बिना कभी कोई कदम नहीं उठाती। ऐसे में वो एकाएक कैसे जथूरा के खिलाफ हो सकती है। अवश्य इसमें कोई रहस्य है।” सोबरा की आवाज यंत्र से निकल रही थी—“मेरे खयाल में तुम्हें तवेरा की बात पर यकीन नहीं करना चाहिए। परंतु उसके साथ ही रहो और चाल को पहचानो।”
समझ गया।” ।
“देवा और मिन्नो का क्या हुआ?”
वो और उनके साथी महल में आ पहुंचे...।”
जानता हूं, आगे की बात बताओ।” ।
“अभी तक देवा और मिन्नो जथूरा को महाकाली की कैद से छुड़ाने को तैयार नहीं हुए।”
क्या कहते हैं वे?”
गरुड़ ने वहां हुई बातचीत के बारे में बताया।
वो तैयार हो जाएंगे।” सारी बात सुनकर, उधर से सोबरा की आवाज आई–“इसके अलावा उनके पास अब दूसरा रास्ता नहीं।”
मैं क्या करूं?”
“तुम इसी तरह उनके बीच रहो। परंतु तवेरा के दिल में क्या बात है, उसे जानने की चेष्टा करो। मुझे तो ऐसा ही लगता है कि तवेरा को तुम पर किसी बात की वजह से शक हो गया है। वो शायद तुम्हें बातों से भटका रही हो।”
। “मुझे विश्वास नहीं होता तुम्हारी बात पर ।”
आने वाले वक्त का रुख देखो। शायद कोई नई बात पता चले।”
बातचीत खत्म करके गरुड़ ने किताब वापस अलमारी में रखी और कमरे से बाहर निकल गया। | कमरे में छिपा रातुला का आदमी छिपी जगह से बाहर निकला और गरुड़ को गया पाकर कमरे से बाहर आ गया।
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रातुला पोतेबाबा से मिला।

हमारी आशंका सही साबित हुई।” रातुला ने कहा-“गरुड़, यहां की खबरें सोबरा को दे रहा है। मेरे आदमी ने सारी बातचीत सुनी।”
“मुझे वो बातें बताओ।” रातुला ने अपने आदमी से सुनी सारी बातें बताईं।
गरुड़ गम्भीर अपराध कर रहा है। पोतेबाबा शांत स्वर में कह उठा।
“अति गम्भीर ।”
गरुड़ जन्म-भर की कैद का हकदार है। परंतु ये सजा अभी नहीं, जथूरा के आजाद होने के बाद देंगे।”
“सोबरा को शक है कि तवेरा कोई चाल चल रही है। उसने ई चाल चल रही है। उसने
“कोई बावधन किया है।
कोई बात नहीं, मैं तवेरा को इस बारे में सावधान कर दूंगा।”
“सोबरा आसानी से पहचान गया कि तवेरा कोई चाल खेल रही
“शक तो होना ही था, क्योंकि तवेरा ने अचानक ऐसी बात कह दी थी कि जिस पर फौरन विश्वास करना कठिन है। परंतु मुझे पूरा यकीन है कि तवेरा गरुड़ को धोखे में रखे रखेगी और सोबरा तक उल्टी खबरें पहुंचाएगी। तुम समझते हो कि ये बात यहीं खत्म हो गई। नहीं, अब सोबरा तवेरा के बारे में सोच रहा होगा कि वो उलट क्यों गई। वो सोच रहा होगा कि गरुड़ जब तवेरा से ब्याह कर लेगा तों, गरुड़ की आड़ लेकर, वो जथूरा की हर चीज का मालिक बन जाएगा। ऐसे ढेरों खयाल उसके भीतर से उठ रहे होंगे। यानी कि वो जो सोचना चाहता होगा, वो नहीं सोच पा रहा होगा। गरुड़ का सहारा लेकर हुमने उसकी सोचों को भटका दिया। इसका फायदा हमें आने वाले वक्त में मिलेगा।” पोतेबाबा ने कहा।
“क्या सोबरा को भटकाना आसान है?”
गरुड़ के द्वारा खबरें उस तक पहुंचेंगी तो आसान है। उसे गरुड़ पर भरोसा होगा। तभी तो वो ये खेल खेल रहा है।”
“गरुड़ ने हमें धोखा दिया।”
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03-20-2021, 11:57 AM,
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
*अवश्य। हम उसे जथूरा का सर्वश्रेष्ठ सेवक समझते रहे थे और वो भीतर ही भीतर सोबरा के लिए काम कर रहा था। मुझे कई बार लगता था कि सोबरा आसानी से हमारी चालों को पीट देता है। परंतु हमें कभी भी शक न हुआ कि गरुड़ ही वो भेदी है।”

देवा-मिन्नो की तरफ से कोई खबर आई?” रातुला ने पूछा। *अभी तक तो उनकी तरफ से कोई बुलावा नहीं आया।”
“क्या पता वो जथूरा को महाकाली की कैद से छुड़ाने को तैयार ही न हों। तब हम क्या करेंगे।”
“धैर्य रखो। वो अवश्य तैयार होंगे। इसके अलावा उनके पास कोई दूसरा रास्ता भी तो नहीं ।”
“देवा का कहना है कि जथूरा को पिता से मिली ताकतों का सोबरा के साथ बंटवारा करना चाहिए था।”
“ये हमारी समस्या नहीं है। इस बारे में देवा जाने, जथूरा जाने । हमें अपने कार्य की तरफ ध्यान देना है।”
जथूरा महान है।” रातुला ने कहा। “उस जैसा दूसरा कोई नहीं।” कहने के साथ ही पोतेबाबा आगे बढ़ गया।
पोतेबाबा तवेरा से मिला। सारी बात उसे बताई।
“सोबरा ने गरुड़ के मन में, तुम्हारे लिए शक डाला है कि तुम कोई चाल खेल रही हो।” पोतेबाबा ने कहा।
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।”
“तुम्हें सावधान रहकर, गरुड़ के साथ बातचीत करनी होगी मेरी बच्ची ।” ।
“मैं अवश्य सावधान रहूंगी।” तवेरा ने गम्भीर स्वर में कहा-“वो मेरे से ब्याह करने के लिए मरा जा रहा है।” ।
“ये सोबरा की योजना है। वो गरुड़ द्वारा जथूरा की हर चीज को अपने अधिकार में कर लेना चाहता है।” “उसका ये सपना कभी पूरा नहीं होगा।”
सोबरा का गरुड़ नाम का मोहरा हमारे बीच रहेगा तो खतरा बना रहेगा।” ।
गरुड़, मेरे द्वारा ही तो पिताजी का सब कुछ जीतना चाहता है।” तवेरा मुस्करा पड़ी–“आप निश्चिंत रहिए। सोबरा या गरुड़ को निशाना साधने के लिए मेरा कंधा नहीं मिलेगा।”
तुमने गरुड़ से ऐसी बातें कहनी हैं कि जिन्हें वो सोबरा को बताए और सोबरा की सोचें लक्ष्य से भटकें ।”
“ऐसा ही कर रही हूँ मैं।”
तुमने जो सोचा है, वो बताओ कि गरुड़ को कैसे इस्तेमाल करना चाहती हो?”

क्या देवा और मिन्नो तैयार हो गए, पिताजी को महाकाली की पहाड़ी से आजाद कराने के लिए।”
अभी तक तो नहीं ।”
क्या वो तैयार होंगे?”
मेरे ख़याल में तो अवश्य ।”
तो मैं उनके साथ जाऊंगी। साथ में गरुड़ को भी ले जाऊंगी। गरुड़ को मैं अपने साथ रखें तो बेहतर होगा।” तवेरा ने गम्भीर स्वर में कहा—“किसी मुनासिब मौके पर मैं गरुड़ को उसकी धोखेबाजी की सजा भी देंगी।
“ये काम तुम मत करना।”
क्यों?”
“तुम चूक गईं तो गरुड़ फिर तुम्हें नहीं छोड़ेगा ।”
तवेरा मुस्करा पड़ी। पोतेबाबा की निगाह तवेरा पर थी।
“क्या आपको लगता है कि गरुड़ को सजा देने में मेरे से चूक हो जाएगी।”
“हमारा लक्ष्य जथूरा की आजादी है।”
“मैं जानती हूं।”
ऐसी कोई हरकत मत कर देना मेरी बच्ची कि जथूरा की आजादी में समस्या पैदा हो जाए।” ।
“इस बात का मैं हमेशा ध्यान रखेंगी। क्योंकि मैं भी पिता की आजादी चाहती हूं।” तवेरा ने कहा-“आप किसी तरह देवा-मिन्नो को इस बात के लिए तैयार कीजिए कि वो पिताजी को आजाद कराने को तैयार हो जाएं।” ।
“मैंने अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी। अब उनकी तरफ से ही जवाब आना बाकी है।”
“पिताजी के बिना यहां मेरा मन नहीं लगता।” ।
“मुझे भी ऐसा ही लगता है। आशा है कि वे जल्दी आजादी पा जाएंगे।”
“मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि गरुड़ धोखेबाजी कर सकता है फिर भी हमें वक्त पर पता चल गया।” तवेरा कह रही थी—“मुझे इस बात की भी चिंता है कि महाकाली अपनी पूरी ताकत लगा देगी कि देवा-मिन्नो पिताजी को आजाद न कर सके।”
“उसने कैद में देवा-मिन्नों के नाम का तिलिस्म बांधा है, इस बात को हमेशा ध्यान रखो मेरी बच्चीं। देवा-मिन्नो समझदार हैं और अपनी समझदारी से वे तिलिस्म तोड़ते हुए जथूरा तक अवश्य पहुंच जाएंगे।” पोतेबाबा ने कहा।
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03-20-2021, 11:59 AM,
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“परंतु महाकाली कई नई समस्याएं उनके सामने खड़ी कर देगी।”
“खतरे की आशंका तो हर वक्त लगी रहेगी। इस बारे में चिंता करना व्यर्थ है। परंतु तुम उनके साथ रहोगी। तुम अपनी ताकतों के दम पर उन्हें रास्ते में पड़ने वाली कई समस्याओं से मुक्ति दिला सकोगी।”
“मेरे से जो होगा, वो मैं अवश्य करूंगी।” तवेरा गम्भीर थी। “जथूरा महान है।”
“सच में पिताजी जैसा दूसरा कोई नहीं ।” तवेरा ने गहरी सांस लेकर कहा।
पोतेबाबा बाहर चला गया। तवेरा अपने कमरे में पहुंची। वहां दो सेविकाएं पहले से ही मौजूद
थीं।।
तवेरा कुर्सी पर बैठी और हाथ में टेबल पर रखा फूल उठाकर मंत्रों का जाप करने लगी। आधा मिनट ही बीता होगा कि एकाएक फूल का रंग बदलने लगा। तवेरा ने फूल को टेबल पर रख दिया
और उसे देखने लगी। चंद पल बीते कि फूल का रंग बेहद तेजी से बदलने लगा। कभी कोई रंग तो, कभी कोई रंग। । “आह ।” जथूरा की आवाज वहां गूंजी–“मुझे दर्द हो रहा है।
क्या तुम हो तवेरा बेटी?” ।
“हां, पिताजी। बात करना जरूरी था। आपके लिए खुशखबरी
कहो, जल्दी कहो।”
देवा-मिन्नो महल में आ पहुंचे हैं। उनसे बात चल रही है, आपको कैद से छुड़ाने के लिए।”
ये खबर तो सच में अच्छी है। ये बात मैं पहले ही जान चुका हूं, जल्दी बात पूरी करो। मुझे अकेला छोड़ दो। तुम मुझसे बात करने के लिए अपनी ताकतों का इस्तेमाल करती हो तो मुझे बहुत दर्द होता है। देवा-मिन्नो तैयार हैं मुझे आजाद कराने के लिए?”
पोतेबाबा का कहना है कि वो तैयार हो जाएंगे।”
बहुत कष्ट में हूं मैं। महाकाली की सख्तियां बढ़ती ही जा रही हैं। वो मेरे से क्रूरता से पेश आती है।”
“सब ठीक हो जाएगा पिताजी। आप आराम कीजिए।”
अगले ही पल फूल का रंग बदलना रुक गया। तवेरा ने गहरी सांस ली और आंखें बंद कर ली। दोनों सेविकाएं अपनी जगह पर मौजूद थीं।

तभी महाकाली की आवाज वहां गूंजी तो, तवेरा ने तुरंत आंखें खोल दीं। । “तुमने अभी जथूरा से बात की ।”
“हां।” तवेरा ने हर तरफ नजरें घुमाईं तो टेबल पर उसे नन्ही-सी महाकाली की परछाई दिखी। ये देखकर तवेरा फौरन उठी और हाथ मारकर उस परछाई को नीचे गिरा दिया–“तेरे को कितनी बार कहा है कि तेरी जगह नीचे है, ऊपर नहीं ।”
महाकाली के हंसने की आवाज आई। बहुत नफरत करती है मुझसे ।”
बहुत ज्यादा।” तवेरा ने कठोर स्वर में कहा।
तू जानती है कि तू जब भी जथूरा से अपनी ताकतों द्वारा बात करेगी, उसे तकलीफ होगी। फिर भी तू बात करती है।”
तुझे क्या।”
मेरी शागिर्दी में आ जा। सब ठीक कर दूंगी मैं।”
कभी नहीं, तू अपनी ताकतों का बुरा इस्तेमाल करती है। मैं ऐसी नहीं हूं। मैंने तंत्र-मंत्र का ज्ञान हासिल किया है अपनी इच्छा से। किसी को दुख पहुंचाने के लिए नहीं। जथूरा की बेटी तेरी शागिर्दी नहीं कर सकती।”
बेशक तेरे पिता की तकलीफें बढ़ जाएं।”
तेरी ये बातें ज्यादा नहीं चलेंगी महाकाली । तेरा अंत हो के ही रहेगा।”
बेवकूफ! महाकाली को कोई नहीं मार सकता।” महाकाली के हंसने की आवाज आई–“मेरा कोई मुकाबला नहीं है। तू तो मेरे सामने नादान-सी बच्ची है। यदि तू मेरे पास आ जाए तो मैं तुझे निपुण बना देंगी—तुझे...।”
“तू चली जा यहां से।” तवेरा गुर्रा पड़ी।
महाकाली की तरफ से फौरन आवाज नहीं आई।
“ठीक है। एक बात तो बता कि तू कौन-सी चाल चल रही है?”
क्या मतलब?”
गरुड़ को तू कहती है कि तेरे को जथूरा की आजादी नहीं चाहिए और मुझसे दूसरी तरह बात करती है।”
तुझे गरुड़ वाली बात कैसे मालूम?” तवेरा चौंकी।
मुझे सब मालूम है।” महाकाली हँसी–“मैं जो चाहूं वो मालूम कर लेती हूं।”
तवेरा बेचैन दिखी।
क्या चाल खेल रही है तू गरुड़ से?”
“तुझे क्या?”

घबरा मत । तेरी चाल के बारे में मैं सोबरा को नहीं बताऊंगी। इधर की बात उधर करना मेरे काम का हिस्सा नहीं है।”
बेहतर होगा कि तू देवा-मिन्नो के बारे में सोच। वो....।”
वे दोनों तो मेरे बेवकूफ बच्चे हैं।”
“तूने पिताजी की आजादी को लेकर, तिलिस्म उन दोनों के नाम से बांध रखा है।”
“अवश्य। परंतु देवा-मिन्नो वहां तक पहुंच ही नहीं पाएंगे। रास्ते में मैं उनके लिए इतनी परेशानियां खड़ी कर दूंगी कि वे भटककर रह जाएंगे। भला जथूरा को मैं अपनी कैद से क्यों आजाद होने दूंगी।” महाकाली की परछाई ने कहा।

। “तूने तिलिस्म उनके नाम से बांधा है तो उनके लिए परेशानियां क्यों खड़ी करेगी?” ।
मेरा जो मन चाहेगा, वो करूंगी मैं ।” ।
“तू बेईमान है।” तवेरा दांत भींचकर कह उठी।।
बेईमान नहीं। ये ताकत है मेरी। मैं देवा-मिन्नो को इस तरह भटका दूंगी कि वे जान गवां बैठेंगे। तिलिस्म तक पहुंच ही नहीं पाएंगे। मेरी ताकत का तुझे अच्छी तरह अंदाजा है तवेरा।”
तवेरा होंठ भींचे खड़ी रही।
चलती हूँ। मेरे पास कामों का ढेर है, वो मुझे पूरे करने हैं।” इसके साथ ही महाकाली की परछाई लुप्त हो गई। तवेरा के चेहरे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट नजर आ रही थीं।
आप महाकाली से डरती क्यों हैं?” एक सेविका ने कहा। तवेरा ने सेविका को देखा फिर शब्दों को चबाकर कह उठी।
“डरना पड़ता है। वो है ही ऐसी। महाकाली की ताकतों से पार पाना आसान नहीं है। उसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। तभी तो आज वो विद्या के सबसे ऊंचे चबूतरे पर विराजमान है।”
“फिर तो वो देवा-मिन्नों की जान अवश्य ले लेंगी। वो जो चाहती है, करके रहेगी।”
गुस्से से भरी तवेरा कमरे में टहलने लगी।
मखानी जब वापस लौटा तो वो उस बिल्ले की तरह लग रहा था जो ढेर सारी मलाई तबीयत से चट करके आया हो। उसके चेहरे पर असीम शांति के भाव थे। वो कुर्सी पर आ बैठा।
बांके ने रुस्तम राव के कानों में कहा।
छोरे। जरो मखानो की फोटू तो खींचो। हरी-भरी घासो चरों के आयो हो ।”

“तू क्यों जलेला है बाप ।”
उधरो देखो, कमला रानी भी आ गयो हो। थकी-थकी सी लागे हो। लगो हो मखानी उधेड़ दयो हो उसको।”
“बुरी नजर मत डाईला बाप ।” ।
“अंम तो निरीक्षण करो। का पतो बलात्कारों की गवाही देना पड़ो जावे।”
रजामंद है बाप। निश्चिंत रहेला ।”
म्हारी लाटरो न लागो हो। घणों सूखो पड़ो हो इधरो तो।”
कमला रानी मखानी के पास वाली कुर्सी पर आ बैठी।
मखानी उसे देखकर मुस्कराया। “तूने तो थका दिया मुझे।” कमला रानी ने मीठी शिकायत की।
बहुत देर बाद जो हाथ लगी तू।”
अब तो शांत हो गया तू।" ।
क्यों न होऊंगा। पेट जो भर गया। तू अपने बारे में बता, मजा आया।”
क्यों न आएगा।” कमला रानी मुस्कराकर बोली-“तेरा साथ है तो मजा ही मजा है।”
फिर चलें?”
“पागल है। जान लेगा मेरी।”
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03-20-2021, 11:59 AM,
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क्यों न आएगा।” कमला रानी मुस्कराकर बोली-“तेरा साथ है तो मजा ही मजा है।”
फिर चलें?”
“पागल है। जान लेगा मेरी।”
थोड़ा आराम कर ले। दोबारा मौका मिलते ही फिर बाथरूम में जाएंगे।” ।
मेरा दिमाग खराब नहीं है।”
तू नखरे बहुत दिखाती है।”
नखरे नहीं दिखाऊंगी तो तू कैसे मानेगा कि मैं औरत हूं।”
“वो मैं मान जाऊंगा।”
कैसे?”
“बाथरूम में जाकर ।”
“भूतनी के, तेरे को कोई और खयाल नहीं आता।” कमला रानी ने बेहद मीठे स्वर में कहा।
ये बता, यहां पर क्या हो रहा है। देवा-मिन्नो जथूरा को आजाद कराने के लिए राजी हो गए?” ।
तेरे को नहीं पता। तेरे सामने ही तो बातें हो रही थीं।”
“मैंने नहीं सुना। तब मेरा ध्यान दूसरी बात पर था। बता यहां पर क्या चल रहा है?” मखानी ने कहा।
कमला रानी मखानी को सारा मामला बताने लगी। नगीना, देवराज चौहान से कह उठी।

अब ये तो तय है न कि आपने जथूरा को आजाद कराने जाना हां ।”
तो वक्त क्यों बर्बाद कर रहे हैं। इस बारे में पोतेवाबा से बात कीजिए, ताकि रवानगी तय हो सके।”
देवराज चौहान ने सामने बैठी मोना चौधरी को देखा।
मोना चौधरी ने भी बात सुन ली थी। उसने सहमति से सिर हिला दिया।
देवराज चौहान उठा और दरवाजे के पास जा पहुंचा। बाहर जथूरा के दो सेवक मौजूद थे।
पोतेबाबा को बुलाओ।” देवराज चौहान ने कहा।
जी, अभी बुलाते हैं।” कहने के साथ ही एक सेवक वहां से चला गया।
देवराज चौहान वापस लौटा।
कह दिया पोतेबाबा से मिलने के लिए?” नगीना ने पूछा।

हां।” देवराज चौहान वापस कुर्सी पर जा बैठा। सामने बैठी मोना चौधरी कह उठी।।
हमारे लिए आसान नहीं होगा, जथूरा तक पहुंचना। सोबरा के कहने पर महाकाली ने, जथूरा को अपनी कैद में रखा हुआ है और हम दोनों के काम का तिलिस्म बांध रखा है कि हमारे अलावा कोई जथूरा तक न पहुंच सके। परंतु हम भी आसानी से नहीं पहुंच सकते। क्योंकि महाकाली की मंशा है कि जथूरा आजाद न हो सके। हम इस काम के लिए आगे बढ़ेंगे तो महाकाली हमारे रास्ते में, खतरनाक से खतरनाक रुकावटें डालेगी। वो हमें जथूरा तक नहीं पहुंचने देगी।”
“इस काम को किए बिना हमारे पास कोई रास्ता भी तो नहीं।” देवराज चौहान बोला।।
“मैं तुम्हें ये बताना चाहती हूं कि हमारे लिए ये काम आसान नहीं होगा। महाकाली हमारी जान भी ले सकती है।” | मोना चौधरी की बात पर नगीना के चेहरे पर दृढ़ता के भाव उभरे।
जो भी हो, हम पीछे नहीं हटेंगे।” नगीना बोली। “मैं पीछे हटने को नहीं कह रही। आने वाले खतरों के बारे में आगाह कर रही हूं।” मोना चौधरी ने कहा।
उधर बांकेलाल राठौर मखानी के पास पड़ी खाली कुर्सी पर जा बैठा। यानी कि एक तरफ कमला रानी और दूसरी तरफ बांकेलाल राठौर। मखानी ने नापसंदगी वाली नजरों से बांकेलाल राठौर को देखा।
बांकेलाल राठौर मुस्कराया।
क्या है?” मखानी खा जाने वाले अंदाज में बोला।
“अकेलो-अकेलो जा के मक्खनो खा आयो। सारो मलाई चट कर दयो ।”
कौन-सी मलाई?” ।
जो थारी बगलों में बैठी हो।”
तुम...तुम से मतलब?” मखानी ने मुंह बनाया।
“थोड़ी मलाईयो म्हारी झोली में भी डाल दयो तो थारा का जावे।”
“तुम...तुम पागल तो नहीं हो।”
मन्ने का कै दिया जो थारे को पागल दिखू?” बांकेलाल राठौर ने भोलेपन से कहा।
मेरे पास कोई मक्खन-मलाई नहीं है।” मखानी ने मुंह बनाकर कहा।
थारे उधरो बैठी हौवे मलाईयो ।”
“तो उधर जाकर खा ले। मेरे से क्या मांगता है।”
अंम चाहो तंम म्हारी मलाईयों को म्हारी सिफारिशों कर दयो कि वो म्हारी मूंछ पे भी लग जावे ।”
“तुममें इतनी हिम्मत नहीं कि मलाई सामने पड़ी हो और उसे खा भी न सको।” मखानी ने व्यंग से बोला। ।
“यों वालो हिम्मत म्हारे में होती तो म्हारे दस-बीसों बच्चे खेलो होते अंगने में।” बांकेलाल राठौर ने गहरी सांस ली–“म्हारी गुरदासपुरो वाली वोत बारों कहो कि म्हारी मलाई मूंछ पे लगाई लयो। पर मन्ने हां कीं । नतीजो सामने हौवे । वो चारों बच्चों को पैदा करके दूसरो से ब्याह कर लयो। अंम मूंछों को संभालो के रखो हो अम्भी तक।” ।
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03-20-2021, 11:59 AM,
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
“तो अब क्यों पूंछ हिला रहा है। डिब्बे में बंद करके छ ।”
“मूछो ईब डिब्बो में न समायो। डिब्बो खड़-खड़ करो हो। बाहरो झांकने को मरो जावे।”
तभी कमला रानी मखानी से बोली। “क्या बात है?”
“मलाई मांग रहा है मूंछ पर लगाने के लिए।” मखानी कुढ़कर बोला।।
“मलाई, मूंछ पर लगाने के लिए?” कमला रानी उलझन में भर गई। फिर मुंह आगे करके बांकेलाल राठौर से कह उठी “क्यों भाई साहब, कौन-सी मलाई चाहिए आपको?”
“भायो ।” बांकेलाल राठौर हड़बड़ाकर बोला–“म्हारे को भायो बोल्लो हो ।”
भाई को भाई साहब ही कहूंगी न?”
बांकेलाल राठौर के चेहरे के भाव देखने लायक थे। मखानी उसे देखकर खुलकर मुस्कराया। बांकेलाल राठौर उठा और अपनी कुर्सी की तरफ बढ़ गया।
इसे क्या हो गया। मैंने ऐसा क्या कह दिया जो कि ये अचानक ही चल दिया।” कमला रानी मखानी से बोली।
“सब ठीक है। तुमसे बात करके उसकी मलाई खाने की इच्छा उड़न-छु हो गई।” मखानी ने व्यंग-भरे स्वर में कहा।
बांकेलाल राठौर अपनी कुर्सी पर बैठा तो रुस्तम राव कह उठा। “क्या होईला बाप?” “मलाईयो खा के आयो हो, तंम भी जाके खा लयो ।” ।
किधर होईला मलाई बाप?” रुस्तम राव ने मखानी और कमला रानी को देखा।
थारे को नेई दिखी?”
“नेई बाप ।”
तबो तो सारी अंम खा आयो ।” बांकेलाल राठौर ने गहरी सांस लेकर कहा।
पोतेबाबा और रातुला ने उस हाल के भीतर प्रवेश किया। बाहर अंधेरा छा चुका था। भीतर रोशनियां जगमगा उठी थीं। पोतेबाबा के चेहरे पर शांत मुस्कान छाई हुई थी।
“तुमने मुझे बुलाया देवा?” पोतेबाबा ने कहा।
“हां” देवराज चौहान बोला “हम जथूरा को महाकाली की कैद से निकालने की कोशिश करेंगे।”
“ये तो मेरे लिए सुखद समाचार है। मैं तो कब से ये शब्द सुनने को तरस रहा था।” पोतेबाबा कह उठा।
परंतु हमारी भी कुछ शर्ते हैं।” मोना चौधरी कह उठी। वो क्या मिन्नो?”
जथूरा को अपने पिता से मिली ताकतों का बंटवारा सोंबरा के साथ करना होगा।”
“इस बात से मेरा कोई मतलब नहीं। ये बात आप लोग जथूरा से तब कर लें जब उसे आजाद कराने जा रहे हों।” पोतेबाबा बोला।

जथूरा नए हादसे रचकर हमारी दुनिया में नहीं भेजेगा।” मोना चौधरी बोली।।
“ये बातें मौके पर जथूरा से हीं करें।” पोतेबाबा ने सिर हिलाया—“क्योंकि मेरी हाँ-ना का कोई महत्त्व नहीं है। अंतिम फैसला तो जथूरा का ही होगा। इस बात का जवाब मैंने स्पष्ट तौर पर दिया है।”
“ठीक है। हम ये बात जथूरा से ही करेंगे।” देवराज चौहान बोला “तुम हमें उस जगह के बारे में बताओ, जहां जथूरा कैद है।”
क्यों नहीं।” पोतेबाबा ने कहा और रातुला के साथ खाली कुर्सियों पर जा बैठा-“मैं बताता हूं महाकाली ने जथूरा को कहां कैद करके रखा है। इसके अलावा आप लोगों को जो भी जानकारी चाहिए, मिल जाएगी।”
सबकी नजरें पोतेबाबा पर जा टिकी थीं। रातुला खामोश सा बैठा सबकी देख रहा था।
जथूरा को कैद करने के लिए महाकाली ने अपनी शक्तियों से एक रहस्यमय मायावी पहाड़ी का निर्माण किया और उसके भीतर जथूरा को तिलिस्म में कैद कर लिया। पहाड़ी के ठीक ऊपर जथूरा की लेटी मुद्रा में बहुत बड़ी मूर्ति बना रखी थी। पहाड़ी के भीतर जाने का रास्ता, उस मूर्ति के नाक के छेदों में से है, जो कि गुफा की तरह लगते हैं।”
मैं वो देख चुका हूं।” देवराज चौहान बोला।। “पहाड़ी के भीतर क्या है?” मोना चौधरी ने पूछा।
मैं नहीं जानता। क्योंकि उसके भीतर गया कोई भी सैनिक कभी बाहर नहीं आया। परंतु उस पहाड़ी में भी अंजाने रहस्य मौजूद हैं। क्योंकि उसका निर्माण, महाकाली ने अपनी रहस्यमय जादुई ताकतों से किया है। ये काम तुम लोगों के लिए आसान नहीं होगा। क्योंकि पहाड़ी के भीतर, महाकाली ने ऐसी ताकतों को फैला रखा होगा कि जो भी भीतर आए वो फंस जाए। बेशक महाकाली ने देवा और मिन्नो के नाम का तिलिस्म बांधा है, परंतु तुम दोनों का भी जथूरा तक पहुंच पाना आसान नहीं, क्योंकि महाकाली ने सोबरा के कहने पर जथूरा को कैद कर रखा है। वो नहीं चाहेगी कि जथूरा आजाद हो। महाकाली ने इस बात का पूरा इंतजाम कर रखा होगा कि पहाड़ी में प्रवेश करने वाला कोई भी व्यक्ति जिंदा न बचे। महाकाली खुद में रहस्यमय शक्तियों से भरी ऐसी हस्ती है, जिसने आज तक हार का मुंह नहीं देखा। वो किसी को कैद करने वाले मामूली काम नहीं करती है। परंतु सोबरा के एक एहसान की वजह से, महाकाली ने उसके लिए ये काम किया।”

क्या यहां पर ऐसा कोई नहीं, जो महाकाली को टक्कर दे सके?” महाजन ने पूछा।
महाकाली के मुकाबले पर कोई नहीं आना चाहेगा।” रातुला कह उठा।
“महाकाली की उस पहाड़ी का फैलाव बहुत बड़ा है। भीतर जाने की बात तो दूर, पहाड़ी के ऊपर तक पहुंच पाना भी चुनौती भरा काम है, क्योंकि महाकाली ने अपनी ताकतें पहाड़ी पर छोड़ रखी हैं, वो किसी को पहाड़ी के ऊपर तक नहीं जाने देती। अगर कोई ऊपर तक पहुंच भी जाता है तो, नाकरूपी गुफा में प्रवेश करके फिर वापस कभी नहीं लौटता।”
“हम महाकाली की शक्तियों का मुकाबला कैसे करेंगे?” नगीना ने पूछा।
इसके लिए हम आपको बेहतरीन हथियार देंगे।”
“जैसे कि?”
तलवार, कटार, बछ-खंजर् ।”
“क्या इन हथियारों से महाकाली की शक्तियों का मुकाबला किया जा सकता है?”
“नहीं किया जा सकता। एक हद के बाद नहीं ।” पोतेबाबा ने गम्भीर स्वर में कहा।
फिर तो जथूरा को आजाद कराने की चेष्टा करना, बेवकूफी होगी।” पारसनाथ ने कहा।
यो तो म्हारे को ‘वडनो’ को तैयारो करो हो।”
“कुछ हद तक महाकाली की ताकतों का मुकाबला किया जा सके, इसके लिए आपके साथ तवेरा जाएगी।”
“तवेरा?” देवराज चौहान के होंठों से निकला।
वो तो पहले ही इस बात के हक में है कि जथूरा को आजाद न कराया जाए। ऐसे में वो क्यों...?”
“उसकी बात पर मत जाइए। वो आपकी पूरी सहायता करेगी।” पोतेबाबा ने कहा।
वो किस तरह से सहायता करेला बाप?” “तवेरा जादुई शक्तियों की अच्छी ज्ञाता है। महाकाली से कम ताकत रखती है, परंतु वो आप सबकी बहुत सहायता कर सकती है। महाकाली को भी तवेरा की ताकतों का एहसास है।” पोतेबाबा ने गम्भीर स्वर में कहा—“तवेरा पर आप सब पूरा भरोसा कर सकते हैं। वो अपने पिता को आजाद कराने के लिए, आपके साथ चलने को बेचैन है। उसके साथ जथूरा का सर्वश्रेष्ठ सेवक गरुड़ भी जाएगा। जो कि सिर्फ तवेरा के ही अधीन रहेगा।”
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03-20-2021, 11:59 AM,
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
चंद पलों के लिए वहां खामोशी आ ठहरी।। हम भी साथ जाएंगे।”
कमला रानी कह उठी। हां-हां हम भी जाएंगे।” मखानी ने तुरंत कहा।
वहां जान जाने का खतरा है।” रातुला बोला।
“हमें क्या खतरा। हम तो कालचक्र के हिस्से बन चुके हैं। मर गए तो फिर किसी अन्य शरीर में प्रवेश कर जाएंगे।”
“जैसी तुम दोनों की इच्छा।” तभी देवराज चौहान कह उठा।
तुमने उस पहाड़ी या जथूरा की कैद के बारे में कोई विशेष बात नहीं बताई।”
जो बताया है, उतनी ही जानकारी है मुझे ।”
जथूरा किन हालातों में भीतर कैद है?”
“नहीं मालूम। क्योंकि आज तक जो भी पहाड़ी के भीतर गया हैं, वो वापस नहीं लौटा कि उससे पता चलता।” पोतेबाबा ने कहा।
“तुम्हारी जानकारी अधूरी है।” देवराज चौहान ने कहा।
“पहाड़ी पर कैसे-कैसे खतरे हमारे सामने आ सकते हैं?” नगीना ने पूछा।
“इस बारे में तवेरा बेहतर बता सकती हैं। वो आपके साथ ही चलेगी। रास्ते में ये बात आप लोग उससे पूछ सकते हैं।”
तंम तो चाहो कि अंम अम्भी चल दयों पहाड़ों पे।”
“मुझे इस बात का दुख है कि मैं आपकी ज्यादा सहायता नहीं कर पा रहा हूं।” पोतेबाबा ने कहा-“हमने जब-जब जथूरा के बारे में जानकारी पाने की चेष्टा की, महाकाली ने अपनी शक्तियों से हमें पीछे धकेल दिया।”
“महाकाली की वो पहाड़ी कितनी दूर है?” मोना चौधरी ने पूछा।
लम्बा सफर है। घोड़ों पर सवारी करने से एक दिन लग जाएगा।” पोतेबाबा ने कहा-“आप लोग कब यहां से रवाना होना चाहते हैं, ये बता दें तो मुझे तैयारी करने में आसानी होगी।”
कल सुबह दिन का उजाला फैलते ही हम चल देंगे।” देवराज चौहान ने कहा।
“बेहतर। सुबह तक चलने की तैयारी पूर्ण मिलेगी। कुछ और किसी को कहना हो?” पोतेबाबा ने पूछा।
“मुझे अभी भी नहीं समझ आ रहा कि महाकाली की शक्तियों का मुकाबला हम कैसे करेंगे?” महाजन कह उठा। “तवेरा पर भरोसा रखिए।” पोतेबाबा ने कहा।
आखिर वो कब तक हमें महाकाली के वारों से बचाती रहेगी?”

“जब तक वो ऐसा कर पाएगी।” “उसके बाद क्या होगा?”
कोशिश करना आप लोगों का फर्ज है, बाकी ऊपर वाला जानता है कि क्या होगा।” ।
“बलि का बकरा बनाईला ये आपुन को ।”
छुरो म्हारी गर्दनो पर रखो के धीरो-धीरों काटो हो।”
जथूरा महान है।” पोतेबाबा कह उठा।
उस जैसा कोई दूसरा नहीं ।” रातुला ने कहा।। उसके बाद पोतेबाबा और रातुला वहां से बाहर निकल गए।
बांकेलाल राठौर की निगाह मखानी की तरफ उठी तो सकपका उठा। मखानी उसे ही घूर रहा था।
| बांकेलाल राठौर ने तुरंत नजरें फेर लीं और मूंछ पर हाथ लगाया, परंतु वहां मलाई नहीं लगी हुई थी।
म्हारी किस्मतो हीं धोखोबाजो हौवे ।” बांकेलाल राठौर बड़बड़ा उठा।
“क्या होईला बाप?” उसकी बड़बड़ाहट सुनकर रुस्तम राव ने पूछा। ।
“कोणो बातों नेई। अंम तो महाकाली को यादो करो हो कि उसो को ‘वड' दयो। तंम म्हारे साथ हो ना?”
पक्का बाप ।”
नगीना देवराज चौहान से बोली। इस काम में भारी खतरा है।”
जहां भी हमारे पांव पड़ते हैं, वहां खतरा पहले आ जाता है।” देवराज चौहान ने गम्भीर स्वर में कहा।
“महाकाली की ताकतों का मुकाबला करने के लिए हमारे पास कुछ भी तो नहीं है।” नगीना ने सोंच-भरे स्वर में कहा। ।
“मेरे खयाल में पोतेबाबा हमें मौत के मुंह में भेज रहा है।”
महाजन कह उठा।
मौत के मुंह में तो हम तभी आ गए थे, जब पूर्वजन्म की जमीन पर हमारे कदम पड़े थे।” देवराज चौहान ने महाजन को देखा।
“नगीना भाभी का कहना सही है कि हम महाकाली का मुकाबला ज्यादा देर तक नहीं कर पाएंगे।”
हमारे पास कोई दूसरा रास्ता भी नहीं ।” देवराज चौहान ने कहा-“पूर्वजन्म में आने के बाद हम तभी वापस जा सकते हैं, जब पूर्वजन्म का कोई बिगड़ा काम संवार दें।”

पोतेबाबा हमें धोखे से यहां लाया है।”
“वो बात खत्म हो चुकी है। अब सवाल ये सामने है कि वापस अपनी दुनिया में जाने के लिए इस जन्म का कौन-सा बिगड़ा काम ठीक करें?”
दो पल की सोच के बाद महाजन बाहरी सांस लेकर कह उठा। । “सच में हमें ये काम करना ही होगा क्योंकि हमारे सामने कोई और दूसरा बिगड़ा काम नहीं है। किसी दूसरे बिगड़े काम को ढूंढने लगे तो जाने कितना वक्त बीत जाए।”
तभी कमला रानी उठी और बाथरूम जाने वाले रास्ते की तरफ बढ़ गई।
बांकेलाल राठौर ने उसे जाते देखा। उसी पल उसने मख़ानी को उठकर कमला रानी के पीछे जाते देखा।
। “छोरे।” बांकेलाल राठौर अपने होंठों पर जीभ फेरकर
बोला–“म्हारा मनो मलाईयो खाने को करो हो ।”
पोतेबाबा से कहेला बाप, वो मलाई का टोकरा...।”
“मलायो का टोकरो।” ।
हां बाप टोकरा।” ।
मलाई टोकेरा में भरी जावे। थारी बुद्धि में दूधो वाली मलाई ही आवे ।” बांकेलाल राठौर ने मुंह बनाया।
और कौन-सी मलाई होईला बाप ।” बांके ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला। उसी पल सब पारसनाथ की तेज आवाज सुनकर चौंक पड़े।
“मोना चौधरी! क्या हुआ तुम्हें..,मोना चौधरी।” सबकी निगाह मोना चौधरी की तरफ उठी।
मोना चौधरी की आंखें फटकर फैल चुकी थीं। मुंह भी खुला था। वो जैसे हैरानी भरे अंदाज में सामने की दीवार को देखे जा रही थी। उसकी मुद्रा देखने लायक थी।
सबने दीवार की तरफ देखा। वहां कुछ भी नहीं था जो मोना चौधरी की ये हालत होती।।
देवराज चौहान और नगीना की नजरें मिलीं।।
क्या हो गया मोना चौधरी को?” नगीना के होंठों से निकला।
तुम देखो।” देवराज चौहान ने कहा। नगीना फौरन उठकर मोना चौधरी के पास पहुंची।
“मोना...मोना चौधरी ।” नगीना ने उसे कंधे से पकड़कर हिलाया-“क्या हो गया तुम्हें तुम...।”

तभी मोना चौधरी की गर्दन हिली और नगीना की तरफ घूमी।
मोना चौधरी की आंखों में देखते ही नगीना को कुछ डर-सा लगा। | लाल-सुर्ख आंखें थीं मोना चौधरी की। बूंखारुता से भरी हुईं। चेहरे पर दरिंदगी-सी घिरने लगी थी।
ये देखकर देवराज चौहान की आंखें सिकुड़ गईं।
“त बेला है।” मोना चौधरी के होंठों से खरखराती-सी मर्दानी आवाज निकली-“मिन्नो की बहन बेला...।”
नगीना हड़बड़ाकर एक कदम पीछे हो गई।
तु...तुम कौन हो?” नगीना के होंठों से निकला। सब हक्के-बक्के से मोना चौधरी को देखे जा रहे थे।
मैं।” मोना चौधरी के होंठों से पुनः खरखराती मर्दानी आवाज निकली-“नीलकंठ हूं।”
पहचाना नहीं तूने मुझे बेला?”
न...नहीं ।” नगीना की हालत देखने लायक थी। उसी पल मोना चौधरी के होंठों से निकला नीलकंठ का ठहाका वहां गूंज उठा।
सच में, इस वक्त तो सबकी हालत देखने लायक थी।
घबराहट, बदहवासी, परेशानी, हैरानी, उलझन के मिले-जुले भाव सबके चेहरों पर नाच रहे थे।


समाप्त
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