RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 97
मै माँ के पास जा के बैठा.अब की बारी में माँ के बहुत क्लोज जा के बैठा..इतना क्लोज में माँ से कभी नहीं बैठा.माँ ने सारे कपडे बेड पे रक्खे थे और चूस कर रही थी..में माँ की मदद करने लगा. माँ के बैग में मैंने माँ की पसंद की साड़ी रखने में मदद करने लगा, फिर माँ ने एक डार्क रेड कलर की साड़ी छोड़ दी तो मैंने माँ से कहा
“माँ आप ये साडी क्यों नहीं लेति, आप इसमें बड़े ही मस्त लगोगी”. में चाहता तो सेक्सी शब्द भी यूज़ कर सकता था पर नहीं किया, या यूँ कहे..मुझसे हुआ ही नही. “रेशु..में बिमार पेशेंट को देखने जा रही हू, मौज मज़े करने नहीं”. तो मैंने फिर उस साड़ी को छोड़ दिया पर माँ ने मेरी और देखा और फिर उसे बैग में रख दिया , मैंने उनकी और देखा तो वो मेरी और देख के मुस्कुरायी और कहा “खुश्”..तो मैंने पहली बार डेरिंग कर के माँ के गाल पे किस कर दिया. माँ ने ये एक्सपेक्ट नहीं किया था.न ही मैंने भी सोचा था
“खुश्..मॉम”. मैंने किस कर के जैसे ही माँ से कहा, तो माँ मेरे किस से शॉक तो हो ही गयी थी, पर असली शॉक की बारी अब मेरी थी, में माँ को किस कर के माँ की और नहीं देख रहा था पर माँ ने मेरे चेहरे पे प्यार से हाथ रक्खा और मुझे अपनी और करते हुए मेरे गाल पे किस किया और कहा
“एनीथिंग फॉर माय डार्लिंग सन”. बॉस मेरी तो चांदी लग गयी थी. फिर माँ किस कर के उठ के अल्मारी में जा के खड़ी हो गयी, उन्हें कुछ लेना नहीं था पर वो मुझे किस कर के शर्मा गयी थी. लेकिन माँ ने थोड़ी देर बाद अपने अंडरगार्मेन्ट्स बाहर निकाले.. और बेड पे मेरी और फ़ेंके और फिर से अल्मारी में मुँह कर के कुछ ढूंढ ने लगी. कल तक ऐसा लग रहा था की माँ को कैसे एप्रोच करू, पर आज कुछ ख़ास किये ही लग रहा था की माँ खुद ब खुद मेरे पास आ रही थी, शायद ये मेरी भेजीं हुई..एरोटिक स्टोरीज का असर भी हो सकता हे. लेकिन इस हलके से खुले पण का मतलब ये भी नहीं की माँ सेक्स के लिए रेडी हो जाएंगी..जब की में ये सोचता भी नही. ४ ब्रा और चार पेन्टी थी, उससे भी माँ के स्ट्रेंज बिहेवियर के बारे में पता चल रहा था क्यूँकि उसमे से दो जोड़ी थी वो सिंपल थी, जब की दूसरी दो थी ओ..डैम गुड नई पैटर्न थी.
“मोम..इन्हे बैग में रख दु”.. मैंने माँ से इनोसेंट बनते हुये, और इनोसेंट टोन में पूछा. माँ ने मेरी और पलट के देखा और मेरे हाथ में उनकी ब्रा देख के मुस्कुरायी और कहा हाँ रख दो. और मैंने झट से एक दो बार उसे सूंघा, और रख दि, मेरा ध्यान उस वक़्त माँ पे नहीं था पर मुझे ऐसा महसूस हुआ की शायद माँ ने तिरछी नज़र से मुझे देखा. और मैंने जैसे ही बैग में माँ के अंडरर्गारमेंट रक्खे की माँ ने अल्मारी में से ऑर्नामेंट्स निकाले और उसे बैग में रख ने लागी. जैसे की वो मेरी राह देख रही थी की कब में बैग बंद करू और वो पलटे.
मों ने मेरी और कई बार देखा, और अपने ऑर्नामेंट्स रखने लगी. इतने में पापा का कॉल आ गया और उन्होंने कहा की आप लोग निकलो, उन्हें देर लग जायेगी और वैसे भी मानसून हे , तो आराम से और अँधेरा होने से पहले पहूंचना सेफ हे. तो माँ ने ठीक हे कहा और मुझसे कहा की तुम रेडी हो, तो मैंने ओके कहा और हम माँ की कार में निकलपडे हाँ माँ के पास होण्डा सिटी हे, पर वो रेगुलरली इस्तेमाल नहीं करति. स्टार्टिंग में मैंने माँ से ड्राइविंग करने देणे के लिए कहा पर माँ ने मना कर दिया और कहा वो खुद ही ड्राइव करेंगी, और थोड़ी बहस के बाद हम शांत हो गये. लेकिन में बात नहीं कर रहा था या मुझे अभी क्या बात करनी चहिये, वो समझ में नहीं आ रहा था तो चुप बैठा था तो माँ ने ऐसा माना की में नाराज़ हो गया हूँ तो उन्होंने मेरे सर पे हाथ रक्खा और हाथ घूमाते हुये कहा
“अरे रेशु, इसमें नाराज़ होने वाली क्या बात हे? तुम्हारे पास लाइसेंस नही, तो ड्राइविंग भी नही.. माँ ने सिम्पली कहा और मैंने भी स्माइल दे के ये इशारे में कहा की कोई बात नही. और मैंने म्यूजिक चला दिया, बाहर बारिश हो रही थी, और मैंने मस्त रोमांटिक सांग्स स्टार्ट कर दिये, माँ को भी म्यूजिक पसंद हे तो वो भी एन्जॉय करने लगी. ऐसे ही राह कटती जा रही थी. ५ घंटे का रास्ता था और हमने आराम से तीन घंटे बिता दिए थे, पर अचानक बीच में कार धक्के खाने लगी और बंद हो गयी, माँ परेशान हो रही थी, बाहर बारिश हो रही थी, मैंने माँ से कहा की में देखता हू, में इंजन में देखने लगा, कुछ खास प्रॉब्लम नहीं था बस एक वायर निकला था उसे मैंने लगा दिया, लेकिन माँ से कार स्टार्ट करने को नहीं कहा, और जानबूझ के देर करने लगा. अबतक अँधेरा हो गया था रस्ते पे बारिश से कुछ ट्रैफिक नहीं था मुझे देर लगते देख माँ से रहा नहीं गया, वो अंदर से मुझे पुकारने लगी, पर मैंने जवाब नहीं दिया तो माँ बाहर आ ही गयी, मुझे बस माँ को बाहर लाना था माँ झट से उतरी और बारिश से बचने के लिए झट से मेरे पास इंजन कवर के निचे आ के खड़ी हो गयी, जाहिर सी बात हे की उसमे सिर्फ में ही खड़ा रह सकता था तो में नाटक करने लगा और माँ भीगने लगी.
“क्या हुआ, रेशु..?
“अरे मोम, आप बाहर क्यों आयी, में अभी कर देता हू, अभी हो जायेगा. आप अंदर बैठिये. बस ये वायर निकल गया था इसिलिये”..
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