RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 102
कब वक़्त बड़ा बोरिंग होने वाला था घर में कोई नहीं था और सब जो गए थे वो शाम के अलावा वापस नहीं लौटने वाले थे, और मुझे और कोई काम नहीं था तो में घर से बाहर सोसाइटी के फ्रेंड्स के साथ क्रिकेट खेल्ने चला गया और एन्जॉय करने लगा, काफी अच्छे ख़ासे दोस्त थे मेरे, और सब के सब पक्के खिलाडी थे, तो मेरा टर्न आते आते दोपहर के १२ बज गये, साला गुस्सा आ गया था मुझे, फील्डिंग कर कर के थक भी गया था तो इतनी देर के बाद बैटिंग के आने से थोड़ा सा जोश में भी आ गया था तो मैंने जैसे ही बॉलर ने गेन्द फेंकि, तो जोर से घुमा के शॉट लगाया, और मेरा बदनसीब, की वो जा के सीधे आंटी को लगा. आंय गेस..साला उसी आंटी को लगा, जो चाची के सामने रहती थी और मुझे मूठ मारते हुए देख लिया था ओह्ह गोड़, मेरा तो वक़्त ही पता नहीं कैसा चल रहा था आंटी को बॉल लगा भी तो उनके बगल के निचे(आर्मपिट) के निचे लगा, आंटी तब अपने घर को जा रही थी, और सच में मैंने जोर से लगया था और, वो बिचारि, जैसे ही गेन्द लगी तो एक सेकंड के लिए तो वो चौंक गयी, लेकिन फिर तुरंत ही आंटी का हाथ अपने आर्मपिट पे गया और उनका हाथ वहा चोट की जगह पे सहलाने लगी. आंटी को सच में जोर से लगी थी, फिर आंटी ने बैट्समैन की और देखा और ऑफ़ कोर्स मेरे हाथ में बैट था और जैसे ही आंटी ने मेरी और देखा तो में तो वहीँ शर्म से पाणी पाणी हो गया, पर फिर स्टाइल मारने के लिये, आंटी के सामणे, बैट को फेंका और निचे बैठ गया.
आंटी को गुस्सा तो बड़ा आ रहा था पर उन्होंने कुछ कहा नही, और वो अपने घर में चलि गयी. लेकिन जाते जाते, मैंने ध्यान से देखा तो चोट की वजह से आंटी के आँखों में आंसू आ गए थे, फिर भी कुछ कहे बिना वो अपने घर में चलि गयी और में फिर से खेलने लगा. लेकिन कुछ देर बाद मैंने देखा तो वो अपने घर के बालकनी में आ के मेरी और ही देख रही थी,मैन समझ गया था की अब बड़ी चाची से मेरी एक और कंपलेंट आने वाली हे, लेकिन अब ख़ास परवा नहीं थी मुझे, क्यूँकि चाची खास डाँटने वाली नहीं थी, पर आज अगर माँ के सामने कंपलेंट कर दी तो माँ का शायद मूड ख़राब हो जायेगा.
आंटी ने मुझे कुछ कहा नही, तो में फिर से खेलने में लग गया, फिर जब वापस लौटा तो, वो आंटी अपने घर से बाहर आ रही थी, शायद फिर से कहीं उन्हें जाना था मैंने सोचा की सॉरी कहूँ ..या नहीं कहूँ और वो आंटी भी मुझे देख के हलकी सी रूक गयी, पर फिर मुझे अनदेखा कर के बाहर निकल गयी.मैं कहने ही वाला था की सुनिये आंटी कुछ कहना हे, पर वो झट से निकल गयी और मूड के भी नहीं देखा.
मै अपने रूम में आया, घर में टीवी देखा, लेकिन साला बोरीयत सी हो रही थी, में अपने कामरे में जा के सो गया, और लेटे लेटे माँ और चाची के बारे में सोचने लगा. बड़ी चाची ने भी मदद करने से मना कर दिया, वर्ना माँ को पटाने में थोड़ी सी आसानी हो जाति, और जब बड़ी चाची ने कहा की वो मदद नहीं करेंगी, तब सच में लगा की वो इस मामले में तो उनके बारे में सोचना बेकार हे. और माँ अगर रिलेटिव की खबर देख के जल्दी आ गयी, तो शायद आज के आज ही घर के लिए निकल जाएगी.और साला फिर पता नहीं कितना इंतज़ार करना पड़ेगा, लेकिन ये तो लग रहा था की शायद शाम के सात तो उनके बज ही जाएंगे. इतने में मेरा ध्यान माँ के बैग की और गया, और पता नहीं ख्याल आया की इसे खोल के देखूं.और में बैग उठाया, और खोला, पर उसमे कुछ नहीं था सिवाय ऑर्नामेंट्स और कपड़ों के.फिर जब मैंने माँ की ब्रा और पेन्टी देखि..कपडों के बीच में तो और एक शैतानी ख्याल आया और में झट से बालकनी में गया और माँ के इनरवेर को उठाया, जो सुबह ढोये थे वो सुख गये थे, मैंने सारे कपडे कलेक्ट कर लिए और सब ठीक से अरेंज कर दिए और लास्ट में माँ की पेन्टी उठा के उसे अपने पैंट में डाला और घीसने लगा, एक बार फिर से माँ को एहसास दिलाने के लिये, की उनका बेटा उनके बारे में क्या सोचता हे, इसीलिए मैंने माँ की पेन्टी को पैंट में डाला और घीसने लगा..आहे लंड उठ चुका था और ब्रा को मुँह पे रख के स्मेल करने लगा, अच्छा लग रहा था बड़ा घीसने के बाद मैंने माँ की पेन्टी में ही झड दिया. और फिर से सूखने रख दिया.
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