03-02-2021, 02:39 PM,
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desiaks
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RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 108
माँ को मेरी बात से ज्यादा अपनी बुक में इंटरेस्ट था ये साफ़ इशारा था की माँ से ये बात करने का सही टाइम नही, एक तो में जो रिक्वेस्ट करने वाला था वो ऐसे तो सोशली गलत, और ऊपर से गलत टाइम, तब तो रिजल्ट नेगेटिव होना था मुझे ये पता चल चुक्का था पर, फिर भी जब दिल में ऐसे सनसनी होती हे, और एक आईडिया आता हे, तो दिल बेचैन हो जाता हे..वईसा ही मेरे साथ था
“आपको दर्द हो रहा होगा ना.. अंदरूनी चोट हे, काफी तेज़ लगा होगा”..
एक ही लाइन में मैंने सवाल इसी तरह से पुछा की माँ को कहना ही पड़े की हाँ उन्हें दर्द हो रहा हे, फिर दुसरे सेंटेंस में मैंने रीज़न और तीसरे सेंटेंस में मैंने माँ के लिए अपनी कंसर्न भी दिखा दी. एक लाइन में तीन टॉपिक मस्त यूज किये थे तो फिर माँ को हाँ ही कहना था
“हा..रेशु, दर्द तो हो रहा हे, पर कोई चिंता की बात नही, तुम्हारी चाची ने उसी टाइम पैन किलर दे दी थी और अभी दूसरी दवाई भी ली हे, कल सुबह तक ठीक हो जाऊंगी.. माँ ने भी बड़े आराम से सेम मेरी तरह तीन बात कह दी. एक तो की हाँ दर्द हो रहा हे, ऊपर से कहा की चिंता की कोई बात नहीं क्यूँकि उन्होंने अपनेआप अच्छे से इलाज कर लिया हे, और तीसरा की मुझे चिंता न हो इसीलिए उन्होंने कहा की कल तक वो ठीक भी हो जाएगी. सच में माँ से ऐसे सडक्शन की लड़ाई में मुझे अब मज़ा आ रहा था छोटी चाची से क्या था की उन्हें पता चल गया था की में उनसे सेक्स करना चाहता हू, पर फिर भी वो अपने आप को बचा रही थी, बड़ा इंतज़ार करवाया पर हार तो गयी ओ. लेकिन ये सच में बड़ी इंटरेस्टिंग जंग थी, माँ के साथ. माँ को अन्देशा हो रहा था की में उन पे फ़िदा हू, और उन्हें बार बार एक टक देखता रहता हू, पर साफ़ नहीं था और मुझे ऐसे माँ को पाना था मस्त जंग थी. माँ भी इतनी ही इंटेलीजेंट की में जिस टोन में, जैसे बात करता था वैसे ही वो भी रिप्लाई करती थी पर उनका एन्ड पंच मेरी सारी गेम को उलटा कर देता था लेकिन अभी तो खेल शुरू हुआ हे, आगे देखते हे, कब तक माँ तडपती हे. खैर आज.., माँ ने फिर ऐसे कहा तो मैंने कैजुअली रिप्लाई किया.
“मोम..अगर आप कहें तो में मसाज कर दू क्य...?
मेरी आवाज़ में माँ की गांड को चोदने की बेक़रारी साफ़ थी. मों ने मेरी और देख, उनकी आँखों से साफ़ दिख रहा था की वो समझ चुकी हे मेरी बेक़रारी, पर फिर उन्होंने फिर से बुक में ध्यान लगा के मुझसे कहा
“नही..रेशु, ऐसी कोई जरूरत नहीं हे, दर्द नहीं हो रहा”.. .
“मगर मोम, अभी अभी तो आपने कहा की दर्द हो रहा हे..
मैंने एक बच्चे की तरह माँ की बात पकड़ने की कोशिश की. और माँ के लिए मेरा ये जवाब एक्सपेक्टेड था तो माँ ने कहा
“रेशु, बात मत पकडो, ऐसा लगेगा, तो में कह दूंगी, तुम आराम से सो जाओ..
माँ की आवाज़ में थोड़ी सी इर्रिटेशन थी, और जब ऐसे इशू पे कोई पकने लगे तो फिर आगे बात बन ही नहीं सकती, और मैंने भी माँ से फिर ज्यादा जिद करना ठीक नहीं समझा और अपना कम्बल ओढ़ के सो गया. लेकिन सोने में भी नींद नहीं आ रही थी, माँ के ही ख्याल आ रहे थे, और कम्बल में से भी माँ को ही देख रहा था,मॉ को ऐसे चुप चुप के देखने में भी सच में मज़ा हे, एक अजीब सी बेक़रारी हो रही थी, मन में और नींद तो आँखों से बिलकुल ही ग़ायब थी, समझ में नहीं आ रहा था की क्या करू की माँ मान जाए, पर माँ से आज तो बात करना ठीक नहीं था मैं बार बार करवटें बदल रहा था और माँ ने भी एक दो बार मेरी और देखा उन्हें भी लग रहा था की मुझे नींद नहीं आ रही हे, पर उन्होंने मुझसे कुछ नहीं कहा. और सच में अच्छा लगा, माँ को एक तरह की झीझक हो रही थी. और अब वो झिझक ही थी जो मेरे और माँ के बीच में थी, अगर वो झिझक ख़त्म हो जाए, तो फिर जा के माँ के बारे में कुछ कहा जा सकता था
और, ऐसे ही करवट बदलते बदलते रात बीत गयी, और में सुबह उठा माँ मेरे पास में ही अब तक सो रही थी, वैसे में आज जल्दी उठ गया था अभी ७ बज रहे थे, पर माँ तो हमेशा से ६ बजे ही उठ जाती थी, में उठा और बाथरूम हो के आया, माँ मेरी और पीठ कर के सो रही थू, और उनका एक पैर मूड़ा हुआ था माँ को देख के फिर से वो ही सेक्स के ख्याल आने लगे और मेरा दिमाग ना चाहते हुए भी उसी तरफ दौडने लगा.
मैं आराम से फिर से बेड पे आ के सो गया और थोडा, सा माँ के पास जा के सो गया, माँ शायद दवाई के वजह से सो रही थी, पर उठने का टाइम तो हो गया था मुझे एक इच्छा हो रही थी की माँ को एक बार छूलु, पर डर भी लग रहा था एक दो बार मैंने अपना हाथ माँ की कमर की और बढाया पर फिर वापस ले भी लिया, क्यूँकि एक डर ये भी था की बचपन से पता था की माँ की नींद बड़ी कच्ची थी, तो ये भी सोचना था पर फिर मैंने आराम से अपना हाथ बेड पे सरकाते हुए धीरे धीरे माँ की गांड के पास ले गया, और बस ऐसे हल्का सा मेरी ऊँगली माँ को छुऐ, ऐसे अपना हाथ बेड पे रख्खा, फिर भी चेन नहीं पडा, तो मैंने माँ की और हाथ फिर से सरका दिया, और फिर एक आईडिया आया, और मैंने सोने के बहाने, माँ की गांड पे माँ की और करवट बदलने के बहाने से माँ की और करवट ली और माँ की और घूम गया. माँ पहले से मेरी और पीठ कर के सो रही थी और वो भी अपना एक पैर मोड़ के, तो मैंने भी ठीक वैसे ही पैर मोड़ के माँ की गांड पे रख दिया, और करवट ले के माँ से और भी सट गया. लेकिन मेरा अंदाज़ा सही निकला, मेरी नीज जैसे ही माँ की गांड से लगी की माँ की नींद टूट गयी, और वो जग गयी, वो एकदम से मेरी और मूङी, पर में इसके लिए रेडी था मैंने सोने का नाटक किया, माँ ने मेरी और देखा, फिर मेरी नीज को देखा, और फिर अपने पाँव को ठीक करते हुए, मेरे पाँव को अपने से अलग किया, और मेरी और फिर से देखने लगी, ऐसे शॉक से ऊठने में उनका पल्लो सरक गया था तो उन्होंने अपना पल्लु अपने शोल्डर पे ठीक से रख्ख, अपना बाल भी बन्धे, वैसे ही बेड पे बैठे बैठे, अपनी साड़ी ठीक कि, फिर वो उठने के लिये, खड़ी हो रही थी की मेरी और पल्टी और मेरी और देखा, में माँ को समझ गया था की माँ कभी भी कुछ भी कर सकती हे, तो में ऐसे ही सोया रहा, और माँ फिर मेरी नजदीक आई और प्यार से मेरे सर पे हाथ फेर के मेरे गाल पे एक किस दिया और फिर बाथरूम में चलि गयी. मैं भी खुश हो गया, क्यूँकि ये कोई सिडक्टिव किस नहीं था बस एक प्यार भरा चुम्बन था,मुझे माँ के दिल में अपने लिये, प्यार होने पर ख़ुशी हुई. फिर माँ आधे घंटे में बाहर आयी, और बाहर आते ही मेरी और देखा, में सोया ही था में समझ गया की कल की हरकत से माँ को गुस्सा आ गया हे, लेकिन में सो रहा था और माँ नराज़ हो के बाहर चलि गयी, में जानता था की बाहर किसी से अगर वो बात करले तो फिर शायद उनका गुस्सा शांत हो जायेगा.
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