XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
03-02-2021, 03:19 PM,
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
और माँ मेरी हाजिरजवाबी देख के माँ के चेहरे पे मुस्कराहट आ गयी और मैंने भी माँ को स्माइल दी. फिर में माँ के लिप्स की और झुका और माँ बेचैन सी हो गयी और अपना फेस टर्न कर लिया, तो में समझ गया की माँ रेडी नहीं हे, तो मैं रूक गया.
“मॉम प्लीज..एक बर, बस छू के वापस ले लूंगा...
“नही..रेरर...!!
मैंने माँ को बोलने से पहले ही कहा…
“मॉम प्लीज..आपको भी अच्छा लगेगा....! और माँ ने मेरी और टर्न किया और मेरी और देखने लगी. माँ ने कुछ कहा नही, पर मैंने माँ की आँखों में देखते देखते आगे फिर से झुका और किस करने ही जा रहा था की माँ ने कहा…
“रेशु तुम बस छुओगे, और कुछ करोगे तो नही...?
“नहीं मॉम...!
ओर मैंने फिर माँ के हाथ छोड़ दिए और अपने दोनों हाथों से माँ के गाल को पकड़ा और माँ के लिप्स पे अपने लिप्स रख दिए..और बस ऐसे ही लिप्स रख के लेटा रहा..और माँ की और देखा, माँ की आँखें बंद थी और फिर मैंने माँ के लिप्स को चूसना स्टार्ट किया..मुझे लगा की माँ आँखें बंद कर के मुझे रोकेगी, पर माँ ने ना ही कुछ रियेक्ट किया और न ही अपनी आँखें खोली..और में अपने लिप्स से माँ के लिप्स चूसने लगा. फिर मैंने माँ के लिप्स को चूसते हुए माँ के मुँह में अपनी जीभ देणे की ट्राय करने लगा, तो माँ ने मुँह तो पहले नहीं खोला..लेकिन फिर उनसे रहा नहीं गया तो उन्होंने भी अपना मुँह खोल के मेरी जीभ को अपने मुँह में ले लिया और अब तो वो भी रिस्पॉन्ड करने लगी, और मेरे लबो को चूसने लगी. माँ के हाथ अब मेरे सर पे और मेरे बैक पे घुमने लगे. फिर मैंने माँ के पीछे बैक पे अपना हाथ डाला और फिर माँ को पकड़ के पलटा लिया और फिर में निचे और माँ को अपने ऊपर ले लिया और अपने से माँ को कस के जकड लिया.. और दोनों पाँव को उठा के माँ की गांड के पास कैची लगा के माँ की गांड को मेरे लंड से जाम कर दिया. और अब तो माँ भी मस्ती में आ गयी थी, और ये यूजुअल हे..अगर किसी भी औरत को आप अपने सीने पे रख के उसे एक मौका दोगे तो वो जरूर मस्ती में आ जायेगी..क्यूँकि ज्यादातर मर्द औरत को ये चांस नहीं देते.

माँ की अब शायद सांस टूट रही थी, पर वो फिर भी मेरी जीभ से अपने जीभ को मिला रही थी और मेरे सलीवा को चूस रही थी, मैंने भी माँ की जीभ को पकड़ के मस्त चूसा और माँ भी और मेरे मुँह में अपनी जीभ देणे लगी. फिर माँ ने अचानक ही अपना मुँह उठा के एक गहरी सांस ली और मुँह ऊपर कर के आँख बंद करके सांस लेने लगी. माँ का क्लीवेज दिख रहा था अब मुझे लगा की माँ मस्त किस कर चुकी हे, अभी वो शायद नहीं करेगि..तो जैसे ही माँ ने मस्त गहरी सांस ली, माँ मस्त ऊपर की और हो के आँखें बंद कर के साँस ले रही थी और जैसे ही माँ ने आराम से सांस ली तो मैंने अपना हाथ माँ के गर्दन पे रख के माँ को पकड़ा और माँ को फिर से निचे करते हुए, फिर से माँ के लिप्स को पकड़ लिया और फिर माँ को पलटा के माँ को निचे कर दिया और में ऊपर हो गया. माँ अभी कुछ नहीं कह रही थी, पर मुझे लगा की माँ बाद में कुछ न कुछ तो जरूर कहेंगी, पर मैंने अभी उसके बारे में सोचना छोड़ के माँ को किस करने में लग गया..और अभी मैंने दोनों हाथ माँ के आर्मपिट के पास रक्खे थे..तो दोनों हाथ माँ के बॉब्स को टच कर रहे थे. माँ को भी पता था..और उन्होंने मुझे रोकने के लिये..उन्होंने भी अपने हाथ मेरे हाथ पे रक्खे थे. मैंने मस्त माँ के लिप्स को किस किया..और फिर मैंने माँ को छोड़ा पर माँ के ही सीने पे अपना सर रख के सोया रहा. और माँ भी मेरे सर को सहलाती रही. कुछ पल में और माँ ऐसे ही लेते रहै..में माँ की तेज़ चलति साँसों की वजह से उनके बॉब्स का उभार देख रहा था..और माँ भी शायद कुछ ज्यादा ही अपने बॉब्स को ऊपरनीचे कर रही थी. मेरे हाथ माँ के कमर के दोनों साइड थे. फिर मैंने माँ से कहा और कहते कहते ही मैंने माँ के बॉब्स की और सरक गया.
“थैंक्स..मॉम…..!
“रेशु..तुम ऐसे अपनी माँ से कब तक गलत काम करवाते रहोगे..में जितना तुम्हे रोकने की समझाने की कोशिश करती…… और मैंने माँ की और देखते हुए..उनके लिप्स पे अपनी मिडल फिंगर रख दी और ऊपर फिर से माँ के लिप्स की और खिसका..जिससे मेरा हाथ माँ के बॉब्स पे आ गया. माँ मेरी और देखति ही रही..
“मॉम यु हैव ब्यूटीफुल एंड जूसी लिप्स....मॉम मज़ा आ गया… प्लीज मॉम कुछ और के बारे में मत सोचिये. आप को जो अच्छा लगे वो कीजिये. आप बहुत अच्छी मॉम हो....!!
अब माँ कुछ भी बोल नहीं सकती थी..वो बस मेरी और देखति रही..शयद ये ऐसा पल था की अगर मैंने तब माँ के दोनों बॉब्स को दोनों हाथों में पकड़ के निचोड भी दिया होता तो माँ कुछ न कहती..और वो एन्जॉय भी करती और उन्हें अच्छा भी लगता. पर में ये सोच रहा था की माँ शुरुआत करे..तो में आगे कुछ करूँ, पर माँ तो मानो कुछ सोचने में खो चुकी थी. फिर माँ की नींद उड़ी और उनके चेहरे पे एक सटिस्फैक्शन के साथ एक मस्त मुस्कान आई और उन्होंने अपने दोनों हाथ उठाये और मुझे अपनी बाँहों में ले ही लिया था की इतने में घर की घण्टी बज गयी.
डैम इट साला इस टाइम पे कोन आगया? माँ डर के मारे उठी और अपने आप को ठीक करने लगी और में माँ को देखता रहा. माँ ने मुझे फिर दरवाजा खोलने को कहा, मैंने देखा तो माँ की नेबर सहेली आई थी और अब में समझ गया की माँ अब फ्री नहीं होगी. फिर कुछ देर बाद मैं भी बाई कह के निकल गया….
में जा रहा था और माँ सच में मुझे रोकना चाहती थी, पर पता नहीं वो कह नहीं पायी और में उनके कहने का इंतज़ार कर रहा था.

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03-02-2021, 03:19 PM,
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
मैं ४ घंटे के बाद में जब अहमदाबाद पहुंचा तो १० बज रहे थे, और चाचा और चाची दोनों मेरा ही वेट कर रहे थे. मैं फ्रेश हो के आया बाद में हम खाना खाने बैठे और मैंने नोटिस किया की चाची मुझसे बात नहीं कर रही, तो मैंने क्याजुअली पूछ लिया.
"क्या बात हे चाची..कुछ टेंशन में हो...?
मैंने ऐसे ही नॉर्मली पुछा.
"टेंशन में नहीं ग़ुस्से मे..."
चाचा ने चाची के मूड के बारे में बताया.
"अरे बाप रे..तब तो कोई मरने वाला है..कोन मरनेवाला हे चाची...?
"तुम्... "
चाचा ने चाची की बजाय फिर से जवाब दिया और मैंने चाची की और देखा तो वो सच में ग़ुस्से में थी. मैं एक ही सेकंड में समझ गया की शायद वो सेक्स के वजह से ही ग़ुस्से में है, तक़रीबन ३ महीने हो गये थे..
"रेशु, तुम भी बड़े अजीब हो, यहाँ होते हो तो बड़ी चाची का पल्लू नहीं छोड़ते, और कहीं बाहर जाते हो तो याद भी नहीं करता ४-४ दिन तक कोई कॉल नही..कोइ रिप्लाई भी नही.. खैर"
फिर चाचा ने बात को हँसी में उड़ा दिया और हमने डिनर निपटाया.

चाचा अपने रूम में चले गये..और चाची किचन में बर्तन धो रही थी. मैं किचन में गया और चाची को पता चल गया की पीछे में आया हू..एक सेकंड के लिए उनके हाथ बर्तन धोते धोते रुक गयी..और हलकी सी आँखें पीछे करके उन्होंने मेरी और देखा, और फिर अपने काम पे कंसन्ट्रेट करने लगी. मैं भी चाची के पास गया और कुछ कहा नही..और चाची जो प्लेट ढो रही थी, उसमे चाची का हाथ बटाने लगा..चाचि के हाथ को मेरा हाथ लगा की चाची का हाथ को मानो करंट लगा हो ऐसे वो फिर से एक बार प्लेट साफ़ करते करते रूक गयी और मेरी और देखा, मैंने भी चाची की और देखा और एक मस्त स्माइल दिया. चाची ने कोई रिप्लाई नहीं किया और नजरें निचे कर के अपना काम करने लागी. मैं भी बिना कुछ कहें उनकी मदद कर रहा था.कम से कम १५ मिनट हमने साथ साथ में बर्तन को साफ़ किया और कई बार चाची के हाथ को मैंने छुआ और कई बार चाची ने अपने बालों को सवारने के बहाने से मेरी और देखा..मैने हर बार मुस्कुराके वेलकम किया और वो नाराज़ होने का नाटक करने में लगी रही. वो १५ मिनट सच में अच्छा लगा. चाची को था की में उन्हें कोई सेक्सुअली हरकत कर के मनाऊँगा..और शायद मेरे ऐसा करने से वो मान भी जाती..पर में कुछ अलग करना चाहता था और चाची के बिहेवियर से लग रहा था की उन्हें भी ऐसे रूठने में मज़ा आ रहा था फिर बर्तन ख़त्म कर के में अपने कमरे में चला गया, और जाते जाते चाची की और देखा तो चाची मेरी ही और देख रही थी, और फिर मेरे देखते ही आँखें चुरा के अपना काम करने लगी, और में भी चाची के बचपने पे हँसते हुए अपने कमरे में चला गया..अभी में अपने कमरे में पहुंचा ही था की चाची ५ मिनट में मेरे रूम में आई और मेरे रूम में पाणी रख के चुपचाप चलि गयी. फिर नेक्स्ट डे में चाचा के जाने के बाद रूम से बाहर आया और किचन में देखा तो चाची लंच के लिए प्रेपर कर रही थी, में कुछ देर ऐसे ही चाची को देखता रहा फिर चाची किचन से बाहर आ रही थी की में चांस देख के किचन में इंटर हुआ और जानबूझ के जोर से चाची से टकरा गया. चाची सच में शॉक हो गयी और उनका चेहरा देखने वाला था और मैंने चाची को संभाल लिया, जैसे की वो गिरनेवाली हो..हालाँकि वो इम्बैलेंस बिल्कुल नहीं हुई थी, वो बस शॉक हो गयी थी, पर मैंने उन्हें दोनों हाथों से पकड़ा और अपने बाँहों में ले लिया. और चाची ने भी बिल्कुल छूटने का ट्राय नहीं किया. चाची ने भी मुझे पकड़ रक्खा था मैंने चाची की और देखा और कहा
"सॉरी..चाचि...?
"सॉरी किस के लिए बोल रहे हो..."
चाची ने सोच के मस्त अंदाज़ में पूछ, वो ये कहना चाह रही थी की अभी टकराने के लिए में सॉरी बोल रहा हूँ की उन्हें नाराज़ करने की वजह से में सॉरी बोल रहा हू, मैं चाची को समझने की कोशिश कर रहा था की चाची मेरी नासमझ पे मुस्कुरा पडी. मैंने चाची की बात समझने के बाद कहा..

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03-02-2021, 03:20 PM,
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
"तीन महीनो के इंतज़ार के लिये... !
चाची ने भी मेरे पॉइंट को समझ लिया की मैंने उनके नहले पे दहला मारा है. चाची ने फिर ठीक होते हुये मेरे हाथ से छूट के रूम से बाहर अपने रूम में जाने लगी.

"चाची....!
मैंने चाची को पुकारा और चाची मेरे पुकरते ही समझ गयी की में उनसे बात खींचना चाहता हूँ तो उन्होंने सामने से कहा
"रेशु..प्लीज, मुझे अभी एक फंक्शन में जाना हे... !
और बिना कुछ कहें वो अपने रूम में चलि गयी रेडी होने के लिए और रूम को लॉक भी कर दिया. मैं चाची का वेट करते बाहर बैठा और २०-२५ मिनट में चाची आई और मानो की जल्दी में हो ऐसे चाची बाहर आई और जाते जाते जल्दी जल्दी में कहा
"रेशु..प्लीज अब पढाई पे कंसन्ट्रेटे करो, और बेटा अब आगे से दूसरी चीजो के बारे में सोचना बंद कर के करियर पे ध्यान दो, ठीक हे, कोई हेल्प चाहिए तो में हू..ठिक है बाय..."
चाची बहुत फॉर्मल हो रही थी, और इंनडायरेक्टली मेसेज भी दे रही थी की में अब उनसे सेक्स के बारे में आगे मत सोचू, और में बस ध्यान से एक ही पोज़ में चाची को सुनता रह..और वो चली गयी.

मै चाची के जाने के बाद उनके बिहेवियर के बारे में सोच रहा था और मुझे लगा की वो कुछ ज्यादा कर रही थी, ठीक है तीन महीने हो गए पर मैंने जानबूझ के तो नहीं वेट करवाया था फिर मैंने चाची के आने का वेट किया और मुझे लगा की चाची चाहती हे की में उनसे सॉरी के साथ रिक्वेस्ट भी करू..तो मैंने वो भी ठीक समझा और उसके अकोर्डिंग प्लान किया. ३ बजे चाची की कार आई और में उनके रूम में चला गया और चाची अपने रूम में आई और वो थोड़ी सी थक गयी थी तो एक्सहोस्ट हो गयी हो ऐसे बेड पे आते ही लेट गयी, दोनों हाथ खुले थे..मस्त लग रही थी, बॉस चाची ने साड़ी में ब्लैक ग्रीनिश साड़ी पहनी थी, और ग्रीन ब्लाउज था फिर में अल्मारी के पीछे से बाहर निकला और सीधा चाची के ऊपर जम्प कर के चाची पे चढ गया. चाची एक दम से चौंक पडी और फिर मुझे देखते ही फिर से ग़ुस्से में आ गयी और उन्होंने सँभालने में वक़्त लगाया, पर फिर कुछ देर बाद चाची ठीक हुई और चाची ने मेरी और देखा और में तो बस बिना कुछ कहें चाची को देख ही रहा था मैंने अपने लेफ्ट हैंड से चाची के चेहरे पर से बाल हटाये और चाची की आँखों में आँखें डाल के कहा

"चाची प्लीज ऐसे तो मत नाराज़ होइये की मुझे आपको सॉरी कहना पडे.आप मुझे समझती हे, में आपको. तो क्या फिर मुझे आपको सॉरी कहने की जरूरत है...? बस यही कहना था और चाची से अब रहा नहीं गया और उन्होंने अपने दोनों हाथों से मुझे अपनी बाँहों में थाम लिया और मुझे ले के पलट के मेरे ऊपर आ गयी और

"सॉरी रेशु..एक्चुअली रेशु, रूठने के नाटक में पता नहीं कैसे में बहुत ज्यादा कर गयी, आई आल्सो डोंट नो.. !

ओर फिर मैंने चाची के लिप्स को अपने लिप्स में मस्ती से कैद कर दिया. और चाची भी मस्ती में आ के मेरे लिप्स को चूसने लगी..इस बार चाची ने पहल की और अपनी जीभ मेरे मुँह में देणे लगी, मैंने चाची की और देखा और अपनी जीभ से चाची की जीभ को मिला के दोनों को एक कर दिया..और क्या मज़ा आ रहा था,चूसने मे,
सच में बोसस, गॉड का अगर बेस्ट क्रिएशन है तो वो है सेक्स,इस दुनिया में सिवाय सेक्स के ऐसी कोई चीज़ नही, जिसमे इंसान अपना माइंड कंसन्ट्रेट कर सके, बस एक सेक्स ही है, की जिस टाइम वो सेक्स करता है तो वो रियल में सेक्स ही करता हे..बाकि ऐसा और कोई काम नहीं जिसके टाइम उसे और कुछ याद ना आये,खैर चलो ये फलसफा स्टोरी नही..आगे लिखता हू,

फिर कुछ देर बाद चाची की सांस थमने लगी, फिरभी वो किस का मज़ा नहीं छोड़ रही थी तो मैंने किस ब्रेक किया और चाची के चेहरे को चूमने लगा..और फिर अचानक मेरे दिमाग में एक आईडिया आया तो मैंने चाची के कान के पास किस करते करते चाची के कान को मस्त चूमने लगा..और चाची को अजीब सीडक्शन होने लगा तो वो अपने आप को रोक नहीं पायी और लेफ्ट साइड में हो गयी और कहा ..और करो मज़ा आ रहा हे..और फिर मैंने ऐसे ही थोड़ी देर चूमने के बाद मैंने अपना हाथ चाची के पेट् से हटा के चाची के दोनों बॉब्स के बीच में रख दिया और चाची के हुक को पकड़ लिया. इधर जैसे ही मैंने चाची के हुक को पकड़ा तो चाची ने मेरे हाथ को पकड़ लिया और मेरे हाथ को हटा के उठ गयी, और अपने गिरे पल्लू को उठा कर ठीक से कंधे पे लाते हुये कहा..
"रेशु..अब मुझे ये सब नहीं करना...!

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03-02-2021, 03:20 PM,
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मैंने अपना हाथ चाची के पेट् से हटा के चाची के दोनों बॉब्स के बीच में रख दिया और चाची के हुक को पकड़ लिया. इधर जैसे ही मैंने चाची के हुक को पकड़ा तो चाची ने मेरे हाथ को पकड़ लिया और मेरे हाथ को हटा के उठ गयी, और अपने गिरे पल्लू को उठा कर ठीक से कंधे पे लाते हुये कहा..
"रेशु..अब मुझे ये सब नहीं करना...!
और फिर एक नॉटी स्माइल दि, पहले तो में समझा नही, पर फिर जब स्माइल दी तब समझा की चाची चाहती है की सेक्स हो पर उनकी मरजी के साथ नही..में समझ गया, अब में झट से उठा और चाची रूम से बाहर जा ही रही थी की मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और वो छूटने का ट्राय कर रही थी, पर मैंने उन्हें पकड़ के दीवार से चिपका दिया और खुद भी उनसे चिपक गया और चाची के दोनों हाथो को भी पकड़ लिया और ऐसे ही पीछे से चाची को पकड़ के दबा के रखा. फिर में रफली चाची को गर्दन के पास, कंधे पे किस करने लगा, और फिर चाची के हाथों को छोड़ के मैंने चाची की गांड पे अपने दोनों हाथ टीका दिए और जोर से चाची की गांड को दोनों हाथों से पकड़ के दबा दिया..चाचि के मुँह से सच में जोर से आह निकली..मैने अपने दोनों हाथों से उनके दोनों गांड चिक्स को फैला के रक्खा था फिर मैंने उन्हें छोड़ा और चाची के नैवेल के पास से उनकी साड़ी को निकाला और चाची के कंधे पर से भी हटा के साड़ी को निकाल फ़ेंका..और फिर चाची के दोनों बॉब्स को अपने हाथ में ले लिया और उसे दबाने लगा..

"रेशु,प्लीज डोंट डु धीस..मुझे अच्छा नहीं लग रहा...!
पर फिर भी मैंने उनके बॉब्स को नहीं छोडा, में समझ गया था की चाची बस बोलने के लिए बोल रही है, क्यूँकि मैंने उनके हाथ तो कब के छोड़ रक्खे थे, पर उन्होंने छूटने का ट्राय नहीं किया था तो मैंने चाची के बॉब्स को दबाना और जोर जोर से ग्रोपिंग चालू रक्खा और बीच बीच में में चाची को चूम भी लेता और चाची के गांड से अपना लंड टीका के खड़ा था फिर मैंने चाची के निप्पल्स को पकड़ा और दोनों हाथों में पकड़ के उसे हल्का सा प्रेशर दिया और दोनों निप्पल्स को टटोलने लगा..हाय निप्पल्स पे ऊंगलियां घुमाने में सच में अच्छा लग रहा था और फिर बस दो तीन बार ऐसा करने से तो उनमे सख्ति आ गयी थी. वो अब सख्त बन रहे थे, और चाची के फेस के एक्सप्रेशंस भी बदल रहे थे, मैंने फिर चाची के निप्पल्स को छोड़ा और ब्लाउज के हुक को पकड़ के खोलने लगा और इस बार चाची ने कोई ओब्जेक्शन नहीं किया..एक एक करके मैंने चाची के ब्लाउज के सारे हुक ओपन कर दिये और चाची का ब्लाउज उतार दिया और फिर चाची के पेटीकोट को भी उतार दिया और अब चाची मेरे सामने ब्रा और पेन्टी में थी.

फिर मैंने चाची का हाथ पकड़ा और चाची के हाथ को पकड़ के उनके हाथ से मेरे पैंट की चैन खोली और चाची का हाथ मेरे पैंट में डाल दिया और चाची के हाथ से मेरे लंड को सहलाने लगा, मेरा लंड सॉलिड तो हो चुक्का था पर चाची को ऐसे मज़ा आ रहा था फिर कुछ देर ऐसे खेलने के बाद मैंने अपनी पैंट खोल दि और उतार दिया..अपनी टी-शर्ट भी निकल दि, अब चाची मेरी और घूमि और निचे बैठ गयी..जब कोई नाटक नहीं कर रही थी और वो निचे बैठी और मेरे लंड से खेलने लगी, मेरा लंड इतना सॉलिड हो चुका था की उसका टिप बाहर आ गया था,फिर चाची ने मेरा अंडरवेअर बड़े प्यार से निचे किया और तुरंत उसे पकड़ लिया, वो सच में बड़ी प्यासी थी, उन्होंने मेरे अंडरवेअर को पूरा निकालने की भी फुर्सत नहीं दिखाई और सीधे ही मेरे लंड पे टूट पडी.

एक हाथ से मेरे लंड को ऊपर निचे करने लगी और दुसरे हाथ से मेरे दोनों बॉल्स से खेलने लगी और थोड़ा टाइम ऐसे खेलने के बाद उन्होंने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और मस्त चूसने लगी, आह कितना हसीन लग रहा था चाची मेरे निचे बैठी मेरे लंड को इतना डीस्परेटली चूस रही होगी, सच में मैंने कभी ऐसे सोचा नहीं था और किसी ने सही कहा हे..
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03-02-2021, 03:20 PM,
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
लाइफ का हर ब्यूटीफुल पल आप प्लान नहीं कर सकते, और ये सब बिलकुल मैंने प्लान नहीं किया था, दो साल पहले में बस चाची को फेंटेसी करता था और उनके बारे में सोच सोच के मूठ मारता था और आज ये हाल हे की शायद ३ महीने से चाची मेरे नाम से मूठ मारती होगी, शायद नहीं मुझे पक्का यकीन है, मेरे दिमाग में ये सब चल रहा था और चाची लंड चूसने में मस्त थी, मेरे बिना कुछ जोर करे पूरा लंड अपने मुँह में ले लेती थी और बाहर लाती थी, मैं आराम से खड़ा था मुझे भी नशा चढ रहा था तो मैंने फिर चाची को कन्धो से पकड़ा और खड़ा किया और पकड़ के बेड पे उलटा गिरा दिया और ब्रा खोल दी..और साथ साथ में मैंने चाची की पेन्टी भी उतार दि, और अब चाची फुल नुड थी. मैं उनपे लेट गया और चाची से कहा .अब जितना उछलना हे उछलो.. और चाची कुछ नहीं बोलि, बस लेटी रही और में ऐसे ही आराम से चाची के ऊपर लेटे लेटे स्टोक करने लगा..अच्छा लग रहा था मैंने ऐसे लेटे लेटे पहले किसीको नहीं चोदा था पर अभी अच्छा लग रहा था और चाची को भी दर्द कम हो रहा था पर मज़ा आ रहा था उनके मुँह से मॉनिंग स्टार्ट हो गयी थी, कभी दायें तो कभी बाएं अपना सर घुमाति थी..में उनकी बैक को चूम रहा था फिर मैंने अपने हाथो से चाची के बॉब्स को पकड़ लिया और उन्हें मसलने लगा..चाचि के बॉब्स को बॉल की तरह दबा रहा था.फिर मैंने चाची की निप्पल को पकड़ा और उसे पिंच करने लगा और चाची की मॉनिंग और बढ गयी.....
"ऊऊओह्ह.आमममहह..ररररेशु,प्लीज,कक्ककुछकरो"
फिर भी मैंने चाची की निप्पल को नहीं छोड़ा और चाची की निप्पल को और भी दबा दिया.अब चाची से रहा नहीं गया तो वो ऊपर निचे हो ने लगी, फिर मैंने चाची को पकड़ा और ऊपर उठा के मैंने चाची के लिप्स को पकड़ लिया और उन्हें चूसने लगा..ईधर बॉब्स दबाने में मेरी स्पीड कम हो गयी थी तो मैंने अपनी चोदने की स्पीड भी अचानक बढा दी, अब तो चाची की किस में भी मॉनिंग होने लगी थी. और जोर से स्ट्रोक लेने पे किस कभी कभी ब्रोके हो जाया करती थी, पर चाची ने अपने आप को निचे नहीं किया..वो किस का मज़ा लेती रही..फर ऐसे कुछ देर मस्त जोर शोर से चोदने के बाद मेरे समझ में आ गया की चाची अब कुछ भी अपोज करने की सिचुएशन में नहीं हे..तो मैंने अपने लंड को बाहर निकाला और चाची को पलटने को कहा..और चाची एकदम आज्ञाकारी स्टूडेंट की तरह सीधी हो गयी और मैंने फिर चाची को अपनी बाँहों में भरते हुए चाची को किस किया..और फिर से कुछ देर लिप्स से खेल्ने के बाद मैंने चाची के बॉब्स को मस्त पकड़ा और चाची के बॉब्स को चूसने लगा..बहोत दिनों के बाद चाची के बॉब्स को चूस रहा था.आ है दबा के मुँह में लेना और फिर मुँह में ही जीभ से चाची की निप्पल्स से खेलना..चाचि भी मदहोश हो रही थी, मेरे सर के बालों को सहला रही थी..और कभी कभी मेरे बालों को छोड़ के अपने दोनों हाथ ऊपर कर के मचल रही थी. चाची के दोनों बॉब्स से मैंने बारी बारी खेला..और चाची के बॉब्स से मैंने खेल्ने के बाद मैंने चाची के बॉब्स को फिर से हाथों में पकड़ा और छोड़ने के बाद मैंने चाची की चुत में अपना मुँह डाल दिया और चाची के दोनों पाँव फैला के चाची की चुत की खुशबू लेने लगा. चाची के चुत की खुशबू में मेरे लंड की खुश्बू..मस्त दीवना बना रही थी. मैंने बस एक बार चाची की चुत पे अपना मुँह रक्खा और मस्त सूंघा..और एक दो बार फिर से किया..पर चाची ने अपने हाथसे मेरे मुँह को अपने चुत से सटा दिया और में भी फिर चाची की चुत को चाटने लगा..चाचि की गीली चुत और मेरे मुँह की सलीवा का मिलना सच में अच्छा लग रहा था..और मेरा लंड अब बेक़रार हो रहा था मैंने फिर चाची की चुत से मुँह बाहर निकला और चाची का हाथ पकड़ा और चाची की मिडिल फिंगर को पकड़ा और अपने मुँह में दाल के गीला किया और मेरे मुँह की सलीवा उस पे ले के मैंने अपने हाथ से चाची की मिडिल फिंगर को चाची की चुत में दाल दिया.

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03-02-2021, 03:20 PM,
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
चाची भी मेरी इस हरकत से थोड़ी सी हैरान हो गयी..और में चाची की फिंगर से चाची की चुत को चोदने लगा..और फिर चाची समझ गयी तो मैंने उनका हाथ छोड़ दिया और में उठा और चाची के मुँह में अपनी मिडिल फिंगर डाली और चाची ने भी मेरी ऊंगली को अपने मस्त सलीवा से गीला कर दिया. चाची मेरी ऊँगली चूसने में और अपनी चुत को सेहलाने में मस्त हो गयी थी, वो मेरी ऊंगली नहीं छोड़ रही थी, पर मैंने उनके मुँह से ऊंगली निकली और फिर चाची के एसहोल के पास आ गया और चाची की गांड के छेद को दुसरे हाथ से हल्का सा चौड़ा किया और अपनी ऊँगली उसमे दाल दी. जैसे ही मैंने चाची के गांड के छेद को चौड़ा करने के लिए छुआ तभी चाची समझ गयी की में क्या करने जा रहा हू..तो चाची मुझे रोकने को उठने गयी पर मैंने झट से ऊंगली दाल दी और चाची इससे पहले कुछ कहे..मैने उन्हें शांत रहने का इशारा किया और फिर से वो लेट गयी..और फिर चाची की चुत में से उनकी ऊंगली निकल के मैंने चाची की ऊँगली को अपने मुँह में फिर से लिया और चाची की ऊंगली को चाटा और मस्त चूसा भी, फिर अपने सलीवा से मैंने चाची की ऊंगली को भर के फिर से चाची की चुत में डाल दिया और चाची को सहलाने को कहा..और इधर मैंने धीरे धीरे चाची की गांड में अपनी ऊँगली अंदर बाहर करने लगा..पहले तो चाची को दर्द नहीं हुआ..पर कुछ देर बाद जैसे ही चाची की गांड में मैंने ऊंगली को थोड़ा स्पीड में अंदर बाहर करना शुरू किया..की चाची मचलने लगी..उनकी साँसे बड़ी तेज़ हो गयी..और वो रररस्सस्स्स्ससरेरेशू..प्लीज..स्टॉप बोल के सेंटेंस भी पुरा नहीं कर पायी.और इधर मैंने चाची की हालत देख के मैंने और भी स्पीड बढा दी और चाची तड़प के मरे और भी जोर से चिल्लने लागी..पर अभी वो रररस्सस्स्स्ससरेरेशू ही बोल पायी. फिर तो चाची ने चिल्लाना छोड़ दिया और वो बस मेरी शरण में हो ऐसे बस एन्जॉय कर रही थी, और एक वक़्त तो जितना स्पीड में में चाची की गांड में अपनी ऊँगली अंदर बाहर कर रहा था उससे भी तेज़ चाची अपनी ऊँगली अपनी चुत में अंदर बाहर कर रही थी.और उनकी स्पीड से पता चल रहा था की अब वो झाड़नेवाली हे.बॉस बड़ा अच्छा लग रहा था.फर थोड़ी देर बाद चाची ने अपनी ऊँगली अंदर हिलाना बंद कर दिया और एक दो सेकंड के लिए अपनी ऊँगली अंदर दाल के रुक गयी..मैने सोचा की अब वो झाड़नेवाली हे..पर वो फिर से ऊंगली अंदर बाहर करने लगी और फिर एकदम से ऊंगली बाहर निकल के मुझे चुत को चटने को कहा और जैसे ही मैंने चुत के पास मुँह रक्खा की चाची ने जोरदार दम लगा के स्क्वीरट किया..और झड गयी.
मास्त फव्वारे की झड़ी सी लग गयी, चाची ने एक एक कर के काम से काम ५ बार स्क्वीरट किया. मैंने अपने चेहरे से साफ़ किया और चाची अब चैन से लेटी थी. मैं उनके पास जा के बैठा..उन्होंने अपना सर मेरे गोद में रख दिया और में उन्हें सहलाने लगा..चाचि अब टोटली शांत हो गयी थी. पता नहीं मुझे इस हाल में भी अच्छा लग रहा था चाची मेरे गोद में वो भी स्क्वीरट करने के बाद फुल्ली नुड..मेरा लंड अभी भी तना हुआ था फिर कुछ देर बाद चाची को होश आया की में तो झडा ही नही..तो उन्होंने अपने आप मेरे बिना कोई फाॅर्स किये, और न ही बिना कोई हिंट दिये..अपना सर मेरे लंड के पास लाया और मैंने अपने पैर खोल दिया..और वो निचे आ के मेरे लंड को चूसने लगी. और वो तो हैंडजॉब इतनी अच्छे से कर रही थी, मुझे मज़ा आ रहा था मेरा लंड अब मस्त तन चुक्का था.चाचि भी मस्त अपने मुँह में डाल के अपनी जीभ से मेरे लंड से खेले जा रही थी..कुछ देर बाद मुझे लगा की अब जोर करने पे लंड से वीर्य निकल जायेगा तो मैंने चाची को रोक दिया.और मुस्कुरा के कहा
रेशु- "चाची..इतने जल्दी नही..अभी तो मज़ा बाकि हे...!

और चाची सरप्राइज हो के बैठ गयी और कहा..

चाची- "ओह गॉड नही..प्लीज रेशु, अब और नही, में थक गयी हू, और बाहर से भी में थक के आई थी, पता नहीं कैसे तुम ने ये सब स्टार्ट कर दिया..."!
और चाची मना करने लगी.

कहानी जारी रहेगी
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03-02-2021, 03:21 PM,
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
चाची निचे आ के मेरे लंड को चूसने लगी. और वो तो हैंडजॉब इतनी अच्छे से कर रही थी, मुझे मज़ा आ रहा था मेरा लंड अब मस्त तन चुक्का था.चाचि भी मस्त अपने मुँह में डाल के अपनी जीभ से मेरे लंड से खेले जा रही थी..कुछ देर बाद मुझे लगा की अब जोर करने पे लंड से वीर्य निकल जायेगा तो मैंने चाची को रोक दिया.और मुस्कुरा के कहा
रेशु- "चाची..इतने जल्दी नही..अभी तो मज़ा बाकि हे...!
और चाची सरप्राइज हो के बैठ गयी और कहा..
चाची- "ओह गॉड नही..प्लीज रेशु, अब और नही, में थक गयी हू, और बाहर से भी में थक के आई थी, पता नहीं कैसे तुम ने ये सब स्टार्ट कर दिया..."!
और चाची मना करने लगी.
मैने चाची को पकड़ा और चाची को डॉगी स्टाइल में बैठने को कहा और चाची ने ना चाहते हुये मेरे खातिर ऐसे बैठ गयी, और मैंने चाची की चुत पे अपना लंड आराम से ऊपर से निचे तक घिसा और चाची की चुत में लंड डाल दिया और चाची की गांड को पकड़ के मस्त धक्के लगाने लगा..चाचि को पहले तो असर नहीं हो रहा था क्यूँकि वो अभी अभी झड़ी थी, पर जैसे ही मेरे धक्को की स्पीड बढ़ती गयी, और मेरी साँसे बढ़ती गयी, चाची फिर से रंग में आने लगी थी. मेरे पूरे बदन से पसीना बह रहा था चाची भी अब
"आहमंम ऊऊओह्ह्ह ऊऊह्ह्ह"
कर के आहें भर रही थी. मैंने फिर चाची को तक़रीबन ऐसे १५ मिनट तक चोदने के बाद मैंने लंड को बाहर निकला और चाची को लगा की में अब थक गया हूँ तो वो उठने जा रही थी पर मैंने चाची को पकड़ के रक्खा और अपने लंड को चाची की गांड के छेद पे रखा. पता था की चाची ना कहेगी पर मैंने चाची को कहा..
"प्लीज चाची, मज़ा आयेगा"
और बिना उनकी परवाह किये हुए मैंने चाची की गांड में अपने लंड से प्रेशर करने लगा, चाची की गांड में मेरा पिंक पार्ट आराम से चला गया पर मेरा लंड नहीं जा रहा था फिर मैंने जोर से चाची की गांड को दोनों हाथ से दम लगा के चौड़ा किया और लंड अंदर डालने लगा. "ऊऊऊओह्ह्ह्हह्ह..."
चाचि के मूँह से जोरदार चीख़ निकल गयी और चाची जैसे जली हो ऐसे फ़ूंक मारने लगी,पर मैंने उन्हें नहीं छोडा..और अंदर डालने के चक्कर में मेरा लंड चाची की गांड में आधा हो चुक्का था और थोड़ा सा प्रेशर डाला तो और भी थोड़ा सा लंड अंदर चला गया, पर अभी भी तक़रीबन आधा बाकि था.पर मैंने ऐसे ही चाची को चोदना ठीक समझा..
"चाची..!!
"क्या....!!
चाची को मुझ पे बड़ा गुस्सा आ रहा था.
"प्लीज थोड़ी देर सह लो, फिर आपको भी मज़ा आयेगा.. चाची ने "ऊऊह्ह्हूऊऊयःहःहःहन" करते कहा
"पता नहीं और कितनी कैपेसिटी हे तेरि....!!
और में चाची की गांड को हलके हलके से धक्का मारने लगा, और ये भी ध्यान रखने लगा की चाची की गांड से लंड बाहर न निकल जाए..इसीलिये मैंने चाची को हल्का सा ऊपर भी उठा लिया..और चाची ऊपर आते ही मेरा लंड और भी अंदर जाने लगा..और चाची को मेरे हलके स्टोक्स से भी जलन होने लगी..पर वो आँखें बंद कर के फ़ूंक मारती रही और दर्द सहती रही..ऐसे तक़रीबन १०-१२ स्ट्रोक्स में मेरा पूरा ९ इंच लंड चाची की गांड में चला गया..और फिर में रूक गया..और चाची को ले के बेड पे गिरपडा थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद मैंने चाची की चुत के निचे तकिया रख दिए और चाची की गांड को चोदने लगा..चाचि समझ गयी की बिलकुल हलके स्ट्रोक से उनका बुरा हाल हो गया था तो अभी पता नहीं क्या होनेवाला था.
"रेशु..प्लीज धीरे धीरे करना...!!
और मैंने चाची की गांड को चौड़ा कर के चोदने लगा, शुरू शुरू में हलके स्ट्रोक के बाद मैंने चाची की गांड में अपने लंड से फायर करना स्टार्ट किया और चाची के मुँह से तो अब सिसकारियाँ बंद होने का नाम नहीं ले रही थी, बॉस वो अब तडप के मारे अपने हाथ बेड पे पछाडने लगी और बार बार..रेशु स्टोप,स्टॉप कहने लगी पर मैंने चाची को चोदने की स्पीड और भी बढा दी और चाची की तड़प बढ्ने लगी, आह एक दम कसी हुई चमड़ी में लंड डालने का मज़ा ही और है. मैं अब जैसे की चाची की चुत को चोद रहा हूँ ऐसे चाची को चोद रहा था और कुछ देर बाद मैंने नोटिस किया तो चाची की आहें अब बंद हो गयी थी..और वो अब तड़प की बजाय अब एन्जॉय कर रही थी..हालाँकि उनकी गांड के पास लाल लाल हो गया था पर अब वो ठीक से एन्जॉय कर रही थी, और फिर मैंने फिर से एक बार चाची का हाथ पकड़ा और चाची के हाथ से ही उनके जी-स्पॉट को मसलने लगा और चाची भी अब खुद ही अपने जी-स्पॉट को रगड़ने लगी और मैंने भी अपने स्ट्रोक की स्पीड बढा दी थी, में अब बुरी तरह से लंड से पिचकारियां मारनेवाला था मैंने चाची की गांड में ही अपने लंड से चोदते चोदते ही फायर कर दिया और चाची की गांड को वीर्य से भर दिया..
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03-02-2021, 03:21 PM,
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
चाचि अब तक जी-स्पॉट को मसल रही थी और मैंने सोचा था की अब तक चाची फिर से झड़ा जायेगी, पर वो अब भी मसल रही थी तो मैंने चाची के हाथ को हटाया और चाची के जी-स्पॉट को अपने लिप्स से बस एक बार प्यार से हलके से चूमा और चाची भी झड गयी...आह चाची इस बार भी बहुत झड़ी थी. मैं फिर चाची के पास लेट गया और चाची मुझे अपनी बाँहों में लेके मुझे चूमति रही और में और चाची सो गये. शाम को ६.३० को में उठा..चाचि किचन में थी, और डिनर प्रेपर कर रही थी, में फ्रेश हो के बाहर आया, तब चाची ड्राइंग रूम में बैठी थी और सब्जी काट रही थी. मैं उनके पास जा के बैठा और चाची के गाल पे किस किया और उनसे सट के बैठकर कहा
"चाची..मज़ा आ गया..आपको अच्छा लगा... .?
"हाँ भी और नहीं भी...!
"क्यूं...?
"बहोत दिनों के बाद ऐसे मस्ती से सेक्स किया हे..पर सच में तुमने मेरी गांड की हालत बिगाड के रख दी हे, ठीक से चला भी नहीं जा रहा... और फिर वो भी और में भी मुस्कुरा बैठे. फिर कुछ देर बाद चाची ने कहा
"रेशु..एक बात पुछू.?
मैंने ऑफ़ कोर्स हाँ में सर हिलाया और चाची ने पूछ
"अभी माँ के साथ कुछ तो नहीं किया ना...?
में जानता था की चाची मेरे मन की बात समझती हे, और वो ये सवाल पुछेगी और झूठ बोलूँगा तो तुरंत पकड़ लेगी..
"नहीं चाची..कुछ भी नहीं हुआ..."
"रेशु..प्लीज उसे कुछ मत करना..तेरी माँ सच में बड़ी प्यारी है, बहुत चाहती हे हम सब को..तूझे जो भी करना हे, मेरे साथ कर, प्लीज उससे ये सब गलत काम मत कर..."! चाची और माँ बड़ी अच्छी सहेलियां थी, और माँ के लिए उन्हें बड़ी फ़िक्र थी.
"चाची प्लीज डोंट वरी..में कुछ गलत नहीं करूंगा..मोम के लिए मेरे दिल में भी बड़ी इज्जत हे..पर क्या करू माँ को देखता हू, तो दिल बहक जाता हे....!!
फिर चाची ने सब्ज़ियाँ छोड़ि और मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और कहा..
"रेशु..प्लीज मेरी एडवाइस मान तो तेरी माँ के बारे में सोच ही मत,पता नही, तू कोई ऐसी वैसे हरकत करेंगा..तो वो शायद हर्ट हो जायेगी..इतने सालो से में उसे जानती हू, उसने कभी मुझे अपनी सेक्सलाइफ़ के बारे में बताया ही नहीं.वो हर्ट हो गयी तो माँ-बेटे के रिश्ते में खोट आ जायेगी...."!!
चाची माँ के बारे में ना सोचने के लिए मना रही थी..और माँ कसम खा के कहता हूं..में उसी वक़्त माँ को चोद रहा हूँ ऐसा सोच रहा था,
सॉरी बट दैट्स ट्रू.....
फिर चाची ने टॉपिक चेंज करते हुए कहा..
'रेशु..पढ़ई तो ठीक हे ना, कहीं इन सब में तुम अपना करियर तो नहीं बिगड रहे..' फ्रेंड्स मैंने चाची को मेरी इतनी फ़िक्र करते पहले कभी नहीं देखा ..और सही मायनों में यह सब थैंक्स टू सैक्सससससस........
'चाचि..प्लीज डोंट वरी, एग्जाम पास आ रही है, मुझे भी पता हे, और मैं फुल्ली प्रेपरड़ भी हू..'
मैं रात को खाना खाकर ऊपर बने कमरे में सोने चला गया, रात को आठ बजे आंटी बालकनी आ गयी शायद कपड़े निकालने आई थी,वह कपड़े निकालने लगी मैं खिड़की में खड़ा था, उन्होंने एक बार मेरी तरफ देखा और कपड़े समेट करअन्दर चली गई, उन्होंने अपनी गैलरी का दरवाजा बंद कर लिया,

मैंने जान लिया कि आज आंटी अकेली है और मैं समय खराब कर रहा हूँ, लेकिन क्या करूँ? ऐसे ही सोचते सोचते लंड को शॉर्ट से बाहर निकाल हिलाने लगा, बहोत दिनों से चुदाई नही की थी,चाची के पीरियड चालू थे,

मैंने फिर से खिड़की को खोल लिया था और उसी के कमरे की तरफ देखता हुआ लंड हिला रहा था, इस वक्त अँधेरा सा हो गया था, सिर्फ मेरे कमरे की बत्ती जल रही थी,
थोड़ी देर में उनका दरवाजा खुला, शायद वो पाणी पीने जा रही थी, अब उसे देख कर मैंने लंड हिलाने की स्पीड बढ़ा दी,
उन्होंने मुझे देख कर हाथ हिलाया कि क्या हुआ, मैंने गर्दन हिलायी- कुछ नहीं,
वो मुझे लंड हिलाते हुए देख रही थी, मेरा लंड तो उन्हे नहीं दिख रहा होगा, पर मेरा हाथ मुठ मारने के कारण आगे पीछे हो रहा था, जिससे उन्हें कुछ समझ आ गया होगा,

अब इस वक्त लंड पूरे उफान पर था, तो मेरा डर भी गायब हो गया था, वह समझ चुकी थी कि मैं उनको देख कर लंड हिला रहा था, इस पर हल्के से मुस्कुरा दी, उनको मुस्कुराते देखा तो मैंने इशारा किया कि तुम्हारे पास आ जाऊँ,

इस पर उन्होंने मुझे चांटा दिखाया और वापस कमरे में चली गई, मैं डर गया और लंड अंदर कर अन्दर जाकर लेट गया, अब मैं कल के बारे में सोच कर डर रहा था, मुझे लगा था कि मैं आंटी को अपना लंड दिखाकर सिड्यूस करूँगा पर यहा तो खेल ही दूसरा था अब मुझे नही पता कि उनपर कोई असर हुआ कि नही या फिर वापस चाची को मेरी शिकायत करती है ,पर मैंने जब उनकी ब्लू फिल्म की सीडी जो डीवीडी प्लेयर में फंसी थी वह निकाल कर दी थी और उनको किस भी किया था तो मुझे लगा कि वह मेरे साथ सेक्स को राजी होंगी पर बीच मे मैं मोम से मिलने गया था तो शायद उन्हें सोचने को वक्त मिला होगा, और वह अब मेरे साथ रिश्ता ना बनाना चाहती हो, मुझे फिर से शुरुआत करनी पड़ेगी, फिर मैं ये सोचते हुए सो गया कि जो होगा सो देखा जाएगा,

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03-02-2021, 03:21 PM,
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
सुबह उठकर मैं कॉलेज गया, दोपहर को मैं वापस आया तो देखा आंटी चाची के पास बैठी थी, उन्हे देख कर मेरी गांड फटकर हाथ में आ गई,
रेशु- “चाची, मुझे बाहर जाना है, मेरा खाना लगा दो”
चाची- “कोई बात हो गई क्या … जो इतनी जल्दी जाने को कह रहा है”?
रेशु- “नहीं कोई बात नहीं हुई … बस काम है मुझे”,
चाची- “ठीक है तुम नहा लो, तब तक खाना लगा देती हूँ”,
चाची उठकर रसोई में चली गई, तो आंटी भी उठकर जाने को हो गई,
मैं नहाने जाने लगा,
आंटी- “क्या हुआ, जो इतनी जल्दी जा रहे हो और रात को क्या इशारा कर रहे थे”?
इतना सुनते ही मैं सुन्न हो गया,
आंटी- “मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी … डरो मत और ज्यादा स्मार्ट मत बनो … सारी हेकड़ी निकल जायेगी,
मैं चुप रहा, वो फिर हंसी,
आंटी- “बस हो गया … इतना ही दम था”?
इतना सुनते ही मेरा डर गायब हो गया, मैंने चारों तरफ देखा और उनको आंख मारी यह देखकर वो शर्मा गई,
उधर मैंने चाची को कह दिया कि मैं अब नहीं जाऊंगा,
आंटी मेरी इस बात पर मुस्कुरा दी और गांड हिलाते हुए अपने घर चली गई,
ऐसे ही कुछ दिन गुजरे कुछ खास नही हुआ,
एक दिन मेरी चाची ने मुझको कहा कि, “आंटी के लैपटॉप में कुछ खराबी आ गयी है, क्या तुम कुछ कर सकते हो? प्लीज़ उनकी मदद कर दो ना,”

मैं भी ऐसे ही मौके की तलाश में था और मैंने फ़ौरन चाची से कहा, “आंटी से कहो कि अपना लैपटॉप हमारे घर पर ले आये, मैं लैपटॉप ठीक कर दुँगा,”

एक शाम को आंटी अपना लैपटॉप मेरे घर पर ले आयी, मैंने उनको जाँच कर पाया कि उनके कम्प्यूटर में कुछ “बैड सैक्टर” और वायरस आ गये हैं, मैंने आंटी को यह बात बता दी और कहा कि लैपटॉप को फोरमैट करना पड़ेगा, आंटी ने अपना लैपटॉप फोरमैट करने की सहमती दे दी, मैंने फिर उनसे पूछा, “कोई जरूरी फाइल तो नहीं है जिसका बैक-अप लेना है,”

आंटी- “कुछ वर्ड फाइल ‘मॉय डॉक्यूमेंट’ फोल्डर में है, हो सके तो उनका बैक-अप ले लो”

फिर वो मेरी चाची के साथ जा कर बातें करने लगी, सबसे पहले मैंने उनके लैपटॉप में एक पेन-ड्राईव लगाकर और उनके ‘मॉय डॉक्यूमेंट’ में से सारी फाइल उसमें ट्राँसफर कर दीं, फिर मैंने अपनी उत्सुक्ता से उनके लैपटॉप में कोई सैक्सी फाइल ढूँढने लगा और मुझको उनके लैपटॉप में छुपी फाइलों में कुछ नंगी तसवीरें और क्लिप मिली और साथ में एक फोलडर में करीब चालीस पचास सैक्सी कहानियाँ भी थीं, कहानियाँ इंगलिश, हिंदी और गुजराती तीनों भाषाओं में थीं, मैंने उन फाइलों को भी अपने कम्प्यूटर में कॉपी कर लिया,उनकी इंटरनेट हिस्ट्री में कईं पोर्न वेबसाईट भी मिलीं, और फिर उनके लैपटॉप को फोरमैट कर दिया, फिर मैंने विंडो कॉपी कर दी, उसके बाद मैंने उनकी सब फाइलें पेन-ड्राईव से उनके लैपटॉप पर कॉपी कर दी और साथ में अपने लैपटॉप से भी कुछ नंगी क्लिप और तसवीरों की फाइलें और कहानी की फाइलें भी कॉपी कर दी, इन सब काम में मुझको करीब दो घंटे लग गये और इस दौरान आंटी मेरे चाची से बातें करती रही,

मैंने सब काम खतम करने के बाद आंटी को बुलाया और अपने लैपटॉप को चैक करने के लिये कहा, वो मेरे कमरे में मेरी चाची के साथ आयी और बोली, आंटी- “तुम को तसल्ली है तो ठीक ही होगा,”

मैंने कहा, “हाँ मेरे ख्याल से आपका लैपटॉप अब बिल्कुल ठीक है और फिर आपको दिक्कत नहीं देगा,”

फिर मैंने चाची से लैपटॉप से धूल साफ़ करने के लिये एयर स्प्रे का कैन लाने को कहा, चाची कमरे के बाहर गयी,
रेशु- "आपकी वर्ड फाइलें सब उसी फोल्डर में हैं और आपके लैपटॉप में कुछ क्लिप और तसवीरें भी थीं, मैंने उनको भी आपके लैपटॉप में फिर से कॉपी कर दिया है,”

फिर मैंने उनके लैपटॉप पर वो तसवीरों की फाइल खोल दी, वो उन तसवीरों को देख कर बहुत हैरान हो गयी,
रेशु- “आपका संग्रह बहुत ही अच्छा है, खास कर कहानियों का संग्रह, मैंने आपके लैपटॉप से आपका संग्रह अपने लैपटॉप पर कॉपी कर लिया है, आशा है की आप बुरा नहीं मानेंगी”

मेरी इन सब बातों को सुन कर वो बहुत ही शर्मा गयी और मेरे से नज़रें चुराने लगी और अपनी नज़र को झुकाते हुए बोली,
आंटी- “प्लीज़ यह बात तुम किसी से भी मत कहो” उनकी ज़ुबान कुछ लड़खड़ा रही थी,
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03-02-2021, 03:21 PM,
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
रेशु- “आप बिल्कुल मत घबराइये, मेरे पास ऐसी बहुत सी क्लिप, तसवीरें और कहानियाँ हैं और उनमें से मैंने कुछ आपके लैपटॉप में कॉपी कर दी हैं”

फिर मैंने उनको अपने लैपटॉप स्क्रीन पर देखने को कहा, तब आंटी बोली, “प्लीज़ वो (मेरी चाची) आ रही है, लैपटॉप को बंद कर दो”

मैंने उनकी लैपटॉप की धूल एयर स्प्रे से साफ़ कर दी और वो अपना लैपटॉप लेके चली गयी, लेकिन उनके जाने से पहले मैंने उनको धीरे से कहा कि,
रेशु- “क्या हम अपने संग्रह की अदला-बदली कर सकते हैं? मुझको कहानियाँ चाहिये और मैं आपको क्लिप और तसवीरें दुँगा”
वो कुछ बोली नहीं और चली गयी, उसके बाद हमारे घर पर करीब एक हफ़्ते तक नहीं आयी,

एक हफ़्ते के बाद वो हमारे घर पर आयी, मैंने दरवाजा खोला, लेकिन वो मुझसे बिना नज़रें मिलाय अंदर चली गयी और मेरी चाची के पास बैठ कर उनसे बातें करने लगी, कुछ देर के बाद मेरी चाची मेरे कमरे में आयी और बोली,
चाची- “आंटी कह रही है कि उनको वी-जी-ए ड्राईवर की फाइल चाहिये और उन्होंने अपनी एक पेन-ड्राईव दी है फाइल कॉपी कर के देने के लिये”
मेरी चाची ने मुझे एक पेन-ड्राईव दी,

मैं फौरन बात समझ गया,
रेशु- “उनको रुकने के लिये बोलिये और मैं अभी फाइल कॉपी कर देता हूँ,”

जैसे ही मेरी चाची बाहर गयी, मैंने पेन-ड्राईव को अपने कम्प्यूटर से खोला और पाया की उसमें कुछ देसी वेबसाइट्स की कहानियाँ हैं, मैंने उन कहानियों को अपने कम्प्यूटर पर कॉपी कर लिया और अपने कम्प्यूटर से कुछ क्लिप और तसवीरों की फाइल आंटी की पेन-ड्राईव पर भी कॉपी कर दी, उनके बाद मैंने एक टेक्स्ट फाइल उनकी पेन-ड्राईव में बना कर लिखा,
“धन्यवाद, मैंने आपकी कहानियाँ पढ़ीं, कहानियाँ बहुत ही अच्छी और सैक्सी थी, आपको क्लिप कैसी लगीं?”

फिर मैं उनके पास गया और उनको पेन-ड्राईव दे दी, उन्होंने मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुरा कर मेरे से अपनी पेन-ड्राईव ले ली, इसके बाद कुछ दिन वो हमारे घर पर नहीं आयी, मेरी चाची ने मुझसे कहा,
“आंटी को फ़्लू हो गया है और वो घर पर है,”

फिर एक दिन सुबह फोन पर चाची के मायके में किसी के मरने की खबर मिली, पढ़ाई की वजह से मुझको छुट्टी नहीं मिल सकी तो चाचा चाची ने यह तय किया कि म चाचा चाची चली जायेंगे, मैं उसी सुबह चाची और चाचा को एयरपोर्ट छोड़ने चला गया और उनके जाने के बाद मैं घर वापस आ गया, हम लोगों को सुबह-सुबह जाते समय आंटी ने देख लिया था और जैसे ही मैं घर वापस आया वो हमारे घर पर पूछताछ करने आ गयी,

मैंने दरवाजा खोला और मुझको देखते ही वो शर्मा गयी, वोह काफी सज-धज कर आयी थी, मैंने उनको हेलो बोल कर अंदर आने के लिये कहा, अपने खाली घर में आंटी को अकेली देख कर मेरा लंड धीरे-धीरे खड़ा होना शुरू हो गया, आंटी ने मेरी चाची के बारे में पूछा तो मैंने उनको सारी बात बता दी, मेरी बात सुन कर और यह जान कर कि मेरी चाची घर पर नहीं है, वो मुझसे बोली,
आंटी- “मैं फिर आऊँगी,”
फिर उन्होंने मुझको एक पेन-ड्राईव दी और बाहर जाने के लिये मुड़ी,

रेशु- “सुनिये, मैं इस पेन-ड्राईव से आपकी फाइल अभी कॉपी कर लेता हूँ और आपको भी अपने लैपटॉप से कुछ फाइल कॉपी कर देता हूँ,”
मैंने उनसे कहा,

आंटी- “मैं बाद में ले लुँगी”
उन्होंने कहा,

मैं यह मौका चूकना नहीं चाहता था और उनसे पूछा, रेशु- “आप मुझसे डरती हैं क्या?”

आंटी- “न.... न... नहीं, असल में मुझे घर में कुछ काम करना है!”
उन्होंने कहा,

अब तक सुबह के साढ़े दस बज चुके थे और मुझको पता था कि उनके पति अपने ऑफिस जा चूके हैं,

रेशु- “मुझे मालूम है कि घर पर कोई काम नहीं है और आप मुझसे डर रही हैं,”
मैंने उनसे कहा लेकिन उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया और मुझसे नज़रें चुराने लगी,

रेशु- “आपके आने के पहले मैं चाय बना रहा था, चलिये हम लोग साथ बैठ कर चाय पीते हैं और मैं फाइलें कॉपी कर लेता हूँ,”
और उनके कुछ कहने के पहले मैंने घर का दरवाजा बंद कर दिया और उनसे कहा,

रेशु- “आइये बैठिये, हम मिल कर चाय पीते हैं,”

अब तक मैं यह समझ गया था कि उनको मेरे साथ रहना पसंद है, मैं आंटी को मेरे कमरे में लाया और अपने लैपटॉप को चालू कर दिया, मैंने उनकी पेन-ड्राईव को अपने लैपटॉप में डाला और उसमें से कहानियाँ कॉपी करने लगा, मैंने उनको एक कुर्सी दी और बैठने के लिये कहा, वो कुर्सी पर बैठ गयी, मैंने अपने लैपटॉप पर नंगी क्लिप्स का अपना संग्रह खोला और उनसे कहा,
रेशु- “मैं चाय लाने जा रहा हूँ, तब तक आप अपनी पसंद की फाइलें अपनी पेन-ड्राईव में कॉपी कर लिजिए,”
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