XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
02-27-2021, 12:40 PM,
#11
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 11

उन्हें मेरे पैंट में बने टेंट का आभास हो गया था मैंने भी ऐसे ही उन्हें झटका दिया और चाची के दोनों हाथों से ब्लाउज निकाल दिया और चाची के पीठ पर हाथ फैरते हुए उसे प्रेस भी किया. फिर मैंने चाची को फिर से लिटाया. हालांकि मुझे ब्लाउज निकालने की कोई जल्दी नहीं थी पर में यह देखना चाहता था की चाची क्या रेसिस्ट करती हे, पर चाची ने रोका नहीं बस एन्जॉय करने लगि, फिर मैंने अपने दोनों हाथो से चाची की पेन्टी में हाथ डालकर चाची की पेन्टी को निचे कर दिया और फिर अपने राईट हैंड से चाची की चुत में ऊँगली दाल दी, फिर से चाची के मुँह से मॉनिंग होने लागि, अब चाची भी अपने बॉब्स को सेहलाने लगी , इसीलिए मैंने अपने मुँह को चाची के चुत पे रक्खा और चाची की क्लीट को चूमने लगा और ऊँगली भी अंदर बाहर करने लगा. चाची जो अब पूरी तरह से सिड्यूस हो गयी थी, फिर मैंने चाची के चुत से ऊँगली हटायी और दो दो ऊंगली चुत में दाल कर चोदने लगा, इस बार में ऐसे चोद रहा था की जैसे बलात्कार कर रहा हू, मुझे दो दिन तक तडपाने की सजा जैसे दे रहा हू. अब वो भी उछल ने लगी थी और दर्द भरी आवाज़ में प्लीज प्लीज रुको कहने लगी पर मैंने एक न सुनि और चाची के चुत में से लिक्विड निकलना एक दम बढ गया, मैंने तक़रीबन १० मिनट तक ऐसे जोर जोर से ऊँगली से सेक्स किया बाद में जब मुझे लगा की अब चाची अकड ने लगी हे और कभी भी झड सकती हे तो मैंने जानबूझ कर ऊँगली निकाल दी और चाची को ऑर्गेजम होने से रोक दिया, चाची ने बैचैनी से मेरी और देखा तो मैंने अपनी टी-शर्ट निकल दी और पैंट भी खोलने लगा, फिर अंडरवेअर भी निकाल कर चाची के सामने खड़ा हो गया. मै बस खड़ा रह, चाची से लंड चूसने को नहीं कहा, क्यूँकि चाची को अगर चुदवाना हे और कहने में शर्म आती हे तो में क्यों कहूँ, फिर मुझे ऐसे देखकर चाची समझ गयी की में क्या चाहता हूँ और चाची ने मुस्कुराते हुए कहा
चाची : “सॉरी??रेशु
मैं- “किस बात के लिए सॉरी??चाची?
मैने अन्जान बनने का नाटक किया पर चाची ने कहा "चल अब नाटक मत कर और बेड पर आजा". मैं बेड पर आ गया और बेड पर चाची के पास बैठ गया और चाची ने मेरे लंड को पकड़ के हिलाने लगि, और दुसरे हाथों से मेरे दोनों बॉल्स से खेलने लगि, फिर उसने मेरे दोनों बॉल्स को जोर से दबा दिया, में दर्द के मारे चीख़ पडा, और चाची हंस पड़ी और कहा ??"जब मेरे निप्पल्स को दबाते हो तो हमें भी ऐसे ही होता हे"?? फिर उन्होंने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और मस्त चुस्ने लगी, फिर जोर जोर से अंदर बाहर करने लगि, एक बार मैंने अपने लंड को जैसे चाची ने अपने गले में लिया तो चाची का सर पकड़ के मैंने अपने ९ इंच को पूरे गले में उतार लिया और चाची को लंड बाहर नहीं निकालने दे रहा था वह छटपटाने लगी थी. मैंने चाची की और देखा, उनकी आँखों में दर्द दिख रहा था पर फिर वो बाद में अपने आप जोर लगाकर छुटि और गुस्सा दिखाने लगि, अब मेरा लंड रॉक सॉलिड हो चुक्का था इसीलिए मैंने चाची के ग़ुस्से की पर्वा न करते हुए चाची के पांव को पूरा फैला दिया और उनकी चुत पे अपना लंड रखा, थोड़ी देर लंड चुत पे घीसने के बाद मैंने चाची के चुत में अपना लंड दाल दिया, आधालंड चला गया और दूसरे झटके में पूरा लंड अंदर दाल कर आराम से चाची पर लेट कर धीरे धीरे चोदने लगा, थोड़ी देर आराम से चोदने के बाद में बेड पर बैठ गया और चाची को जोर लगा के चोदने लगा, मैंने चाची के दो दिनों को वसूलने का सोचा था फिर मैंने चाची को डॉगी स्टाइल में खड़ा किया और चोदने लगा.चाची भी जान चुकी थी की में उन्हें जोर से चोदना चाहता हूँ क्यूँकि उन्होंने मुझे तीन दिन तक तडपाया था इसीलिए वो भी और जोर से और जोर से कह कर मुझे उकसा रही थी, हालाँकि उनके मुँह से दर्द के मारे आवाज़ें आ रही थी पर वो मुझे उक्साने में लगी हुई थी. फिर मैंने चाची को दस मिनट तक चोदने के बाद, चाची को एक साइड से पाँव उठा के चोदना शुरू किया और उनके बॉब्स भी पिने लगा, थोड़ी देर ऐसे चोदने के बाद फिर से में मिशनरी स्टाइल में आ गया और चाची की कमर को पकड़ के उठा के जोर जोर से चोदने लगा, अब चाची से रहा नहीं जा रहा था वो अब जोर जोर से मॉनिंग कर रही थी, और अकड़ भी रही थी इसीलिए मुझे लगा की अब वो झड़ने वाली हे तो मैंने अपना लंड चाची के चुत में से निकल दिया, वो फिर से नाराज़ हो गयी पर मैंने चाची के चुत में अपनी ऊँगली दाल दी और उसे अंदर बाहर करके चोदने लगा, फिर मैंने चाची के जी-स्पॉट में मस्त जोर से चूसा तो चाची के चुत में से एक दम बहोत सारा लिक्विड निकला और चाची शांत हो गयी. मैं समझ गया की अब चाची सैटिस्फाइ हो गयी हे. फिर मैंने चाची को आफ्टर प्ले में फिर से सिड्यूस करना स्टार्ट किया और चाची के पूरे बॉडी पर किस करने लगा. अब वो भी जानती थी की में अब तक ऑर्ग्यजम पर नहीं पहुंचा तो वो भी मुझे कोऑपरेट करने लगि, मैंने फिर से चाची के मुँह में अपना लंड रख दिया और चाची भी चूसने लगी.
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02-27-2021, 12:41 PM,
#12
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अपडेट 12

चाची अपना हाथ आगे पीछे करके फिर से मेरे लंड को रॉक सॉलिड बना रही थी, फिर मैंने चाची के मुँह को दोनों हाथों से पकड़ा और जैसे माउथ-फूकिंग करने लगा. चाची के मुँह में पूरा लंड ड़ालने लगा और लंड चाची के मुँह में पूरी तरह जा रहा था और मेरे दोनों बॉल्स चाची की चिन को भी छू रहे थे, चाची भी यह पहली बार महसूस कर रही थी. फिर मैंने चाची के मुँह को चोदने के बाद चाची को फिर से डॉगी स्टाइल में बिठाया और चाची की चुत को चाटने लगा, चाची अब पूरी तरह थक चुकी थी, उनके बाल पसीने से बेहाल चेहरे पर चिपक गए थे, उनकी साँसे एक दम तेज़ चल रही थी. ऐसे में उन्होंने मुझसे अब बस करने को कहा पर मैंने मना कर दिया. फिर मैंने चाची के दोनों हिप्स को थोड़ा ऊपर उठाया और चाची के फेस को निचे तकिये पर रक्खा इस वजह से चाची की गांड चिक्स मेरे सामने खुल गयी, फिर मैंने चाची की चुत को चाटते हुए चाची की गांड के छेद में अपनी मिडिल फिंगर अंदर डाली. चाची एक दम से सटक गयी, उन्हें अब पता चल गया की में उनकी गांड मारना चाहता हू. वह उठना चाहती थी पर मैंने उठने नहीं दिया और उठकर चाची की बैक दबाकर चाची को फोर्स से रोक दिया, चाची का मुँह वाइट तकिये पर दर्द और थकावट से परेशान लग रहा था
चाची- “रेशु, यह नहीं करना मुझे??
मैं- “चाची एक बार करो, मुझे करना हे. चाची- “नहीं मैंने कहा ना..मुझे छोड़ दो, प्लीज में थक गयी हू”
मैं- “ऑफ़ कोर्स चाची, बस थोड़ा टाइम और दे दो मुझे”
ओर मैंने ऐसा कहते हुए पास में रक्खी तेल की बोतल उठाई और चाची की गांड पर थोड़ा तेल ड़ाला और अपनी मिडिल फिंगर अंदर बाहर करने लगा..पहले तो पूरी फिंगर ही अंदर नहीं जा रही थी पर तीन चार बार ट्राय करने से अब मेरी पूरी फिंगर अंदर बाहर होने लगी थी. चाची अब भी मना करते हुए गिडगिडा रही थी. मैंने चाची को आराम से नया एक्सपीरियंस करने को कहा. फिर अपनी दूसरी ऊँगली भी अंदर दाल दि, पहले थोड़ी तकलीफ हुई पर वो अंदर जाने में क़ामयाब रही. लेकिन जैसे ही मैंने अपनी ऊँगली अंदर डाली की चाची दर्द के मारे एक दम से चीख़ पड़ी वो एक दम से उठ गयी..मैने यह सोचा नहीं था में पहली बार कर रहा था लेकिन मैंने भी दूसरे ही सेकंड में एक झटके से फिरसे चाची को लिटा दिया और चाची के बॉब्स दबाने लगा, फिर में चाची के बिलकुल ऊपर आ गया और चाची को किस करने लगा और चाची के बॉब्स दबाने लगा. चाची मेरी ऊंगलियां बाहर निकल जाने से अब रिलीफ में थी. लेकिन उस दर्द से चाची की निप्पल्स फिर से कड़क हो गयी थी, लेकिन मैंने अपना लंड चाची की गांड पर घीसना शुरू कर दिया और चाची को फिर से गर्म करने लगा. फिर मैंने बड़े आराम से कहा
मैं- “चाची, प्लीज एक बार करते हे ना..
चाची- “नही, तुम पागल तो नहीं हो गए ना.. अब तक मैंने नहीं किया हे..
मैं- “प्लीज चाची.. एक बार बस ५ मिनट के लिये
चाची- “नहीं रेशु, में ५ मीनट तो क्या ५ सेकंड के लिए भीयह दर्द नहीं सेह पाऊंगी.
मैं- “चाची कुछ नहीं होगा..में बैठा हूँ ना”
चाची : “नहीं मैंने ना कहा ना”
मैं- “समझ गया औरतों की ना ही हा होती हे.ओर उठकर चाची के गांड क्रैक को फैला लिया और अपना लंड का सूपडा चाची के गांड पर रखा. चाची अभी भी ना ना कर रही थी. पर मैंने अपने लंड को जोर लगा कर चाची के अंदर डाला लेकिन वो जा नहीं रहा था फिर मैंने अपने लंड पर तेल लगाया और चाची की गांड पर भी. और फिर से ट्राय किया और इस बार चाची के गांड में मेरा सूपाडा चला गया. मैंने सोचा था की चाची अभी दर्द के मारे रोने लगेगी पर चाची के मुँह से कोई आवाज़ नहीं निकलि तो मैंने और जोर लगा कर लंड को पुश किया और जैसे ही मेरा लंड अंदर गया की चाची के मुँह से ऊऊओह्ह्ह????प्लीीीज रेशु??.क्या कर रहे होऊओ? प्लीज इसे निकालो , पर मैंने चाची की कमर को पकड़ा और अपनी और खिंचा और इधर अपने लंड को फिर से पुश किया, मेरा लंड अब शायद आधा अंदर था लेकिन इधर चाची रोने लगी थी,वह अपने हाथ बेड पे पछाड़ रही थीऔर कह रही थी की प्लीज मुझे यह नहीं करना हे. लेकिन में चाची को गर्म करने के लिए चाची के जी स्पोट पे हाथ फेरने लगा और चाची पे अपना जोर बढाता गया. अब चाची की सिचुएशन दोनों तरफ से फसने वाली थी, वो गर्म भी हो रही थी और दर्द तो बहुत सारा हो रहा था उनके मुँह से ओमाँममः??..येमाममहह????की आवाज़ें बंद होने का नाम नहीं ले रही थी. लेकिन में एक बात जानता था की कल फिर से शायद चाची नाटक करेगी की अब से यह सब नहीं करना और मुझे चाची से गांड फकिंग करना था इसीलिए में तो बड़ा बेक़रार था मैंने फिर चाची की गोरी गोरी कमर को चूमा और चाची को लगा की अब में थोड़ी देर फोरप्ले करूँगा इसीलिए उन्होंने सोचा की अब दर्द नहीं होगा और मैंने जोर से एक और पंच लगाया और चाची के गांड में अपना लंड पूरा दाल दिया. शायद इतनी जल्दी लंड जाता नहीं पर चाची ने सोचा नहींथा की में अभी धक्का लगाउंगा और मैंने जोर लगा के एक झटके में अंदर घूसा दिया, चाची भी चौक गयी और में भी की अब तक चाची चिल्लायी क्यों नहीं? और पहले तो चाची को पता नहीं चला पर जैसे ही उन्होंने समझ में आया तो उन्हें दर्द होने लगा. वह अब मेरे बस में नहीं थी और बेड पर बैठने को बेताब होने लगी पर मैंने चाची को पूरा लिटा दिया और खुद चाची पर ही लेट गया ता की वो मेरा मुश्क़िल से गया हुआ लंड बाहर कहीं न निकाल दे.. उनकी आँखों से आँसु बाहर बह रहे थे और वो मुझे मानो नफरत और ग़ुस्से से देख रही थी,
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02-27-2021, 12:41 PM,
#13
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पर मैंने आराम से चाची को किस करना शुरू किया, वो अब अपने लेफ्ट साइड से लेटी थी और में उनसे चिपका हुआ था अब मैंने चाची के कंधे पर प्यार से किस किया फिर चाची के निक पर और फिर चाची की चिन को पकड़ के चाची के फेस को अपनी और किया और चाची को किस करने लगा, अब शायद उनका दर्द कम हो रहा था और वो अब आराम कर रही थी. अब मैंने उन्हें किस करते हुए चाची को फिर से धीरे धीरे डॉगी स्टाइल में उठाया और उनके बॉब्स दबाने लगा और बॉब्स दबाते दबाते अब मैंने हलके हलके से चोदना शुरू किया और साथ ही साथ में चाची के बॉब्स और चाची की चुत को रब करने लगा. अभी तो वो दर्द के मारे चीख़ नहीं रही थी पर एन्जॉयमेंट के मारे मुँह से आह्ह्ह्ह..आआह्ह्ह की आवाज़ें निकाल रही थी. फिर मैंने चाची को कम्पलीट डॉगी स्टाइल में बिठाया और धक्के लगाने लगा और वो भी अब अपने आप ही आगे पीछे हो रही थी और हम दोनों की साँसों की आवाज़ेँ, एन्जॉयमेंट की आवाज़ें और हमारी थाय के मिलने की आवाज़ों से पूरा रूम भर गया था उनके सारे बाल बिखरे हुए थे और पूरा बदन तीन घंटे की लम्बी चुदाई से एक दम भीग चुक्का था और वो सचमुच थकान से बेहाल हो चुकी थी, इसीलिए मैंने अपने धक्को की स्पीड बधाई और अब चाची को दर्द भी होने लगा और वो अब ऊऊऊह्ह्.ऊऊऊऊम्मम कर के जोर जोर से चीखने लगी और में भी अब बहुत देर तक अपने आप को कण्ट्रोल नहीं कर सकता था इसीलिए मैंने चाची के जी-स्पॉट को फिर से सेहलाना चालू किया और साथ साथ अपनी स्पीड भी बढाई. अब में झड़ने वाला था इसीलिए मैंने चाची को जैसे चीर ही डालने जैसे फास्ट फास्ट स्पीड से धक्के लगाने लगा, अब चाची की गांड भी मेरे साथ टकराने से लाल हो गयी थी और उसे देखकर मैंने जोर से चाची की गांड पर एक स्लैप भी जड़ दिया और वोह एक सेकंड में खून से भर गया, फिर अब मेरे से रहा नहीं जा रहा था और मैंने भी आअह्ह्ह्हह??..ओहआ..आ????..आआअह्ह्ह्हह..करते हुए चाची की गांड में अपने लंड से पिचकारियां मारने लगा और चाची की गांड मेरे वाइट माल से भर गयी और मैंने अपना लंड जैसे ही बाहर निकाला तो चाची ने भी अपना माल भी फिर से छोड़ा और धड़ाम से बेड पर गिर पडी, वो बस पेट् के बल पर जैसे ही पड़ी तो मानो सारा भूल ही गयी, में भी काफी थक चुक्का था और में भी चाची पर ही लेट गया, और चाची को सेहलाने लगा , लेकिन चाची अब कुछ रिस्पांस नही दे रही थी, अब शायद वो बेहोश सी हो गयी थी, मैंने चाची के लिप्स पर भी किस किया पर चाची की और से कोई भी रिस्पांस नहीं मिला. मैं भी अब चाची के साइड में ही लेट गया और मैंने देखा तो मेरा लंड भी काफी छिल गया था और दर्द भी हो रहा था तो में उठा और बाथरूम में पहुँच कर अपना लंड साफ़ किया और किचन में से पाणी की बोतल ले कर बेड रूम में आया और पाणी पीते पीते लगा की चलो चाची की गांड भी साफ़ कर दुं, तो में चाची के पास बैठा और पास से टिश्यू पेपर उठाया और चाची के गांड पर से अपना सारा माल हटाया और साफ़ कर के देखा तो वो काफी लाल हो गया था और शायद कहीं से हल्का सा चीर भी गया और सुझ भी गया था तभी मैंने चाची की गांड पर बोतल से हल्का पाणी ड़ाला और चाची को अच्छे से पोछा, लेकिन तभी आईडिया आया की क्यों न चाची की गांड में यह बोतल डाली जाए, और इस गंदे और वाइल्ड आईडिया पर में हंस पडा, फिर उठकर किचन में जाने लगा पर लगा क्यों न ट्राय किया जाए, फिर सोचा की करू या नहीं करु? और इस कश्मक़श में मैंने चाची के गांड चिक्स को फिर से खोला और चाची की गांड के छेद पर बोतल रक्खि, बोतल जो थी वो कोल्ड-ड्रिंक के जैसे थी तो उसका अगला हिस्सा आराम से अंदर चला गया और मैंने और जोर लगाया और चाची की गांड में और भी अंदर बोतल अंदर डाली, पर हलकी ही अंदर जाने के बाद वो अटक गयी और मैंने बोतल बाहर निकाल ली और फिर से बोतल किचन में रखने जा रहा था की फिर से एक बार करने का आईडिया आया और मैंने फिर से चाची की गांड में बोतल लगा दी और चाची की गांड के छेद को दम लगा कर और भी चौड़ा कर दिया और बोतल का अगला पूरा हिस्सा अंदर दाल दिया और फिर बोतल को गोल गोल घुमाने लगा. चाची की तो हालत ख़राब हो रही थी, पर मैंने बोतल को ही अंदर बाहर करना शुरू किया और बोतल से चोदने लगा, चाची बेहोषी में दर्द शायद समझ रही थी, उनकी साँसे तेज़ हो रही थी , बॉब्स ऊपर निचे हो रहे थी और गांड एक दम लाल हो गयी थी, बाय गॉड मैंने कभी ऐसा सोचा नहीं था की में किसी के साथ ऐसा भी कर सकता हू, और वो भी अपनी बड़ी चाची के साथा पर सच में करने में मज़ा आ रहा था थोड़ी देर बोतल से फ़क करने के बाद मैंने थोड़ा और जोर लगा कर बोतल अंदर ड़ालना चाहा तो चाची की गांड से खून बहने लगा और वो देखकर मेरी हालत ख़राब हो गयी और मैंने फट से बोतल बाहर निकाली और चाची की गांड पर दवा लगायी और चाची के पास में ही सो गया.
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02-27-2021, 12:41 PM,
#14
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सूबह जब उठा तो चाची उठ चुकी थी और किचन में थी, चाचा भी आ चुके थे और ब्रेक फस्ट के लिए रेडी थे, दोनों डायनिंग टेबल पर थे, में भी फ्रेश हो कर ब्रेक फस्ट के लिए बैठा और देखा तो चाची ने गाउन पहना था जो की चाची कभी नहीं पहनती थी और अंदर कुछ नहीं पहनने से सब कुछ दिख रहा था फिर में उठकर किचन में गया, तो चाचा चाची से बोले “शिला, डार्लिंग यह गाउन कैसा पहना है, प्लीज चेंज करो. बहोत गन्दा लग रहा हे और, रेशु भी तुम्हे देख रहा था जवान लड़का हे कुछ ख्याल करो”. चाची भी शर्मिंदा थी और चाची ने शर्म से निचे देख कर कहा की वो अभी चेंज कर देगी “अब आपको लेट हो रहा होगा, प्लीज आप जाइये”. और चाचा निकल गए और जैसे ही में बाहर आया तो चाची, डाइनिंग टेबल पर से उठ रही थी और वो जैसे ही उठी तो दर्द के मारे उठ नहीं पायी और गिरने जैसे हो गयी और उसने टेबल पकड़ा और चाची का दूसरा हाथ मैंने पकड़ लिया और पूछा “चाची, आप ठीक तो है ना? और जोर से चाची ने मुझे थप्पड़ मरा और ग़ुस्से में मेरी और देखने लगी और में शर्म से निचे देख रहा था और चाची ने कहा “यह कैसी हालत मेरी कर के रख दी हे? ‘मेरे से चला भी नहीं जा रहा और तेरे चाचा के सामने मुझे ठीक होने का नाटक करना पड़ा और चाचा मुझे सिखा रहे हे की क्या पहनना चाहिए और क्या नही..?? वो बोले जा रही थी और मैंने चाची को अपनी बाँहों में भर लिया और चाची को सटा के उनके लिप्स मेरे मुँह में ले लिए और किस करने लगा, चाचीने पहले तो रेसिस्ट किया पर फिर ओ कोऑपरेट करने लागि, और मस्त लिप्स चुसते हुए मैंने चाची को डाइनिंग टेबल पर लीटा दिया और लिप्स चुस्ने लगा, मस्त तीन मिनट तक चुस्ने के बाद मैंने चाची से अपने लिप्स को अलग किया, वो तो किस करना छोड़ना नहीं चाहती थी, और मैंने चाची से स्माइल के साथ कहा “सॉरी..चाचि? और स्माइल दि, तो सामने से चाची ने भी कुछ न कहते हुए मेरे लिप्स को पकड़ के फिर से किस करने लगी..

कोमल दीदी की चुदाई
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फ़्रेंड्स, जैसे की मैंने पहले इंट्रोडक्शन में बताया था की मेरी बड़ी चाची का कोई बेटा नहीं सिर्फ एक बेटी हे, जो मुझसे तीन साल बड़ी हे, उन्हें में कोमल दीदी कहता हू. वो भी अपनी माँ की तरह ही बड़ी सुन्दर हे. वो अहमदाबाद में ही रहती हे, पर सिटी से दूर उन्होंने एक बंगलो बनाया हे, वहॉ रहने से वो अक्सर उनसे मुलाकात नहीं होती थी. वैसे भी उनसे मेरी इतनी खास पटती नहीं थी, वो मुझसे कुछ खास बात या कुछ शेयर नहीं करती थी. बात तब की हे, जब मेरे बड़े चाचा और बड़ी चाची अमरनाथ की यात्रा के लिए गए थे और २० दिनों के बाद सब तीरत घूम के आनेवाले थे में अब घर में अकेला था उनको गए 17 दिन हुए थे और मुझे चाची की याद आ रही थी और इतने में उनका कॉल आया
मैं- “हैलो..
चाची-“हाँ रेशु कैसे हो?
मैं-“ठीक हूँ पर आपके बगैर मन नहीं लगता.
चाची- “अच्छा.. अभी तो तीन दिन निकलने हे.. अच्छा सुणो मैंने इसीलिए कॉल किया हे की कल हमारे एक रिलेटिव की शादी हे और में और तुम्हारे चाचा नहीं आ सकेंगे, तो तुम हो कर आना”. तुम्हारी कोमल दीदी भी वहा होगी और तुम्हारी छोटी चाची भी आयेगी, उसके रिलेशन में कोई शादी हे”.
मैं- “अच्छा ठीक हे, मेरे माँ डैड आनेवाले हे?
चाची- “नहीं मेरी उनसे बात हो गयी हे, तुम हो आओगे तो उन्हें आना नहीं पड़ेगा, तो तुम टाइप पर पहुँच जाना.
मैं- “ठीक ओर फिर कॉल काट दिया और में कोमल दीदी के बारे में सोचने लगा, लेकिन उन पर हाथ नहीं मार सकता था क्यूँकि उनसे कोई धारदार रिलेशन नहीं था इसीलिए में कल का इंतज़ार करने लगा. दूसरे दिन सुबह होते हि, घर में अकेला होने से बार हो रहा था तो मैंने सोचा की क्यों न कहीं थिएटर में ब्लू फिल्म देखि जाये तो में एक थिएटर में पहुँच गया और मूवी मस्त एन्जॉय करने लगा. मूवी शाम को ५.३० को जैसे ही फिनिश हुई तो में फ़टाफ़ट निकला की कहीं शादी में देर न हो जाये और मैंने अपनी पल्सर स्टार्ट की और सट से निकला, जैसे ही मैंने बाइक थिएटर के गेट से निकाल के रोड पर ली की कहीं से एक रिक्षावाला आ गया और मेरी उससे टक्कर हो गयी, और जैसे ही टक्कर हुई मेरे से रहा नहीं गया और मेरे मुँह से गाली निकल गयी बहनचोद..!! और बाद में मेरी नज़र पड़ी तो रिक्षा में एक लड़की बैठी थी और उसको देखते ही मेरी फट गयी, वो मेरी कोमल दीदी थी, मैंने फ़टाफ़ट बाइक स्टार्ट की और वहॉ से भाग गया. बाइक इतनी तेज़ चल रही थी पर मेरे पसीने छूट रहे थे. मैं शादी की बजाये एक जगह बाइक खड़ी कर के आराम से सोचने लगा की अब क्या किया जाए, इतने में मेरी मम्मी और छोटी चाची का कॉल आया की कहा हो तुम और में फ़टाफ़ट शादी में पहुंच गया
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02-27-2021, 12:41 PM,
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अपडेट 15

मुझे यहाँ कोई फ़िक्र नहीं थी क्यूँकि यहाँ इतने लोगो के सामने वो मुझसे जवाब तलब नहीं करेंगी, क्यूँकि जो खुद कम बोलती हो वो ऐसे माहौल में कोई सीन नहीं क्रिएट कर सकती और में अंदर जा कर सबसे मिला. खास कर के छोटी चाची से, उनसे मेरी अच्छी बनती थी. वो भी बड़ी चाची की तरह मुझसे बातें करती थी और तक़रीबन सारी बातें शेयर भी करती थी. मैं उन्ही के पास जा कर बैठा पर वो मेरी दीदी के साथ ही बैठी थी, पर मैंने पर्वा नहीं की और चाची के पास जा कर मैंने चाची के पाँव छुये, दीदी ने भी देखा और में भी दीखाना चाहता था की में कितना ओबेडिएंट हू, लेकिन चाची ने कहा छोटीचाची : “आरे रेशु, अभी तू बड़ा हो गया हे, और तू ऐसे सबके सामने पाँव छू कर मुझे बूढ़ी साबित क्यों कर रहा हे? अभी तेरी और मेरी उमर में कोई जनरेशन ग्याप तो नहीं हे. बड़ा तो हो गया हे पर पता नहीं कब बड़ा होगा?
दीदी : “चाची.. अब यह साहब बहुत बड़े हो गए हे और कुछ ज्यादा ही इनको अकल आ गयी हे”.दीदी के ताने पर मैंने उनकी और देखा, तो वो भी मेरी और देखि तो मुझे अपनी नज़रें झुका लेनी पडी, लेकिन मेरे मन में यह ख्याल आ रहा था की दीदी शादी के बाद कुछ खूल सी गयी हे, कहीं वो चाची को सब बता ना दे. इसिलिये मैंने चाची को बातों में उलझाए रखा, इतने में मेरी दूर की कजिन मेरी दीदी को दुल्हन से मिलवाने ले गयी और चाची भी अपने रिलेटिव्स से मिलने चलि गयी, में भी अब थक चुका था इसीलिए खाने के डिपार्टमेंट में जाकर खाना खाने लगा. मैं दीदी के ही बारे में सोच रहा था की अगर किसी तरह दीदी को समझा दिया जाये तो बात बन जाए. लेकिन कैसे वो प्रश्न था थोडी देर पेटपूजा करने के बाद, में फिर से वही जगह पर आया और दीदी और चाची को ढूँढा तो वो दोनों मिलने पर कुछ परेशान सी नज़र आई और दीदी थोड़ी सी ज्यादा.मैने उनके पास जा कर उनसे पूछ, मैं- “क्या बात हे चाची? कुछ हुआ क्या?चाची- “आरे कुछ नही, तेरे जीजाजी आनेवाले थे इस फंक्शन पे पर उनको कुछ काम आ गया तो वो आ नहीं पाएँगे,.. “तो रेशु तुम एक काम करो, दीदी को अपने साथ अपने घर ले जाओ, फिर कल सुबह दीदी अपने घर चलि जाएगी.
मैं- “ठीक हे, चाची” जैसे ही मैंने कहा की ठीक हे तो दीदी ने तिरछी और ग़ुस्सैल नज़रों से देखा और मैंने जानबूझ कर दीदी को स्माइल किया.
चाची- “हाँ कोमल, यही ठीक हे. देखो आज तो मुझे यहीं पर रुकना पड़ेगा और फिर कल सुबह ही गाँव भी जल्द जाना हे,.”तो तुम रेशु के साथ चली जाओ”. दीदी भी बाद में मान गयी और वो लोग डिनर पर चले गयी, में वहीँ पर बैठा था और मैरिज में आई लड़कीओ को देख रहा था वो दोनों डिनर कर रही थी और तक़रीबन एक घंटे के बाद आई और चाची ने कहा
छोटी चाची :- “रेशु, दीदी को लेकर घर जाओ और कल दीदी को उसके घर भी छोड़ देना”.
मैं- “ठीक हे चाची”, कहकर में और दीदी बाहर निकले, मैंने अपनी बाइक निकाली और स्टार्ट करके दीदी के पास आया तो दीदी बाइक पर आराम से बैठ गयी. मैंने भी आराम से बाइक चलाने लगा, मन हो रहा था की दीदी से कुछ बात करू पर हिम्मत नहीं हो रही थी, थोड़ी ही देर में हम घर पहुंचे और जैसे ही हम पहुँचनेवाले थे की बारिश स्टार्ट हो गयी और हम भिगने लगे, और थैंक्स टू बारिश दीदी ने मुझसे बात की और कहा
दीदी : “रेशु, प्लीज जल्दी करो”.मैने भी स्पीड बढाई और दो ही मिनट में हम घर पहुंचे और दीदी फ़टाफ़ट से दौड कर बारामदे में आ गयी, में बाइक ठीक से लगा के वहीँ पहुंचा और फ़टाफ़ट से दरवाजा खोला और दीदी झट से अंदर आ गयी, मैंने बहुत चाहा पर हमारे कपडे गीले हो गए थे और दीदी उस बात से परेशान सी लगी. मुझे दीदी से बात करने में परेशानी सी हो रही थी पर फिर मैंने सोचा की जब तक बात नहीं करुँगा तब तक दीदी से थोड़ा सा मूटाव जारी रहेगा फिर मैंने दीदी से कहा “दीदि, आप प्लीज चेंज कर लीजिये” दिदिने कहा “लेकिन.. मेरे पास चेंज करने को कपडे नहीं है? दीदी ने थोड़े से शॉक में कहा “आप आंटी के कपडे ट्राई कर के देखिये” में ठीक सुझाव दिया “लेकिन माँ के पास साड़ीज के अलावा कुछ नहीं होगा”? “आप देख लीजिये अगर आप को सूटेबल हो तो पहन लीजिये” मैंने फिर से कहा दीदी फिर चाची के रूम में गयी और आधे घंटे के बाद दीदी ने चाची की एक साडी पहनी और बाहर आयी. दीदी ने चाची की डार्क ब्लू साड़ी पहनी थी और बाय गॉड मस्त लग रही थी. साडी में वो बिलकुल .ससुराल गेंदा फूल की सुहाना(रागिनी खन्ना). की तरह लग रही थी, बस थोड़ा सा स्वाभाव में चेंज था वो टोटली फ्रैंक हे और दीदी थोड़ी सी रिजर्व. अब मुझे बेचैनी सी होने लगि, मुझे किसी भी तरह दीदी से बात करनी थी और दीदी मुझसे ज्यादा बात नहीं करना चाहती थी. वो मेरे पास वाले सोफ़े पर आ कर बैठी, में टीवी देख रहा था इतने में टीवी पर मर्डर आने लगी और मैंने वो चैनल चेंज नहीं की और देखने लगा और उसमे एक किस सिन स्टार्ट हो गया, दीदी नेमेरी और देखा और मैंने दीदी की और. मैने फट से दीदी से नजरें हटायी और रिमोट से चैनल चेंज कर दिया, तो जैसे बरसो से बंद ज्वालामुखी फट जाये वैसे दीदी ने कहा.”क्यूँ चेंज कर दिया..? तुझे तो अच्छा लगता हे ना यह सब देखना”..
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02-27-2021, 12:41 PM,
#16
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
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मैं दीदी की और खिसका और दीदी से तक़रीबन चिपक ही गया था मेरी साँसे दीदी की राईट बाँह को टच कर रही थी, या यूँ कहिये में ऐसा कर रहा था फिर मैंने अपना पाँव दीदी के पाँव से टच किया, दीदी की तरफ से कोई रिएक्शन नहीं था दीदी बस अपने मोबाइल में कुछ पढ़ रही थी, शायद सेक्स स्टोरीज ही पढ़ रही थी, पर मैंने दीदी को पकड़ा नही. फिर मैंने अपना राईट हैंड कम्बल से बाहर निकला और दीदी के पेट् पर रखते हुए कहा.”दीदी तुम मुझसे नाराज़ नहीं हो ना”?. मैंने दीदी से कहा और इसी बहाने से मैंने दीदी के पेट् पर हाथ रखते हुए मैंने दीदी को अपने पास भी खिंचा. दीदी अब मोबाइल छोड़ कर मेरी और पलटि और उसके पलटने की वजह से मेरा पेट् वाला हाथ दीदी की बैक पर चला गया और दीदी के पलटने से अब दीदी और मेरे बीच कोई जगह नहीं थी. दीदी सब समझ रही थी पर उन्हें भी कुछ कुछ तो हो रहा था फिर उन्होंने मेरे बालों को सहलाते हुए कहा.”नहीं में तुझसे नराज़ नहीं हू. पर एक बात तो बता, तू यह कब से मूवीज देख रहा हे? . बस में यही चाहता था की बातों का सिलसिला चलता रहे और में दीदी को सिड्यूस कर सकू. .दीदी वैसे तो यह तीसरी मूवी ही मैंने बाहर देखि हे.. और गाली के लिए सॉरी हा”... मैंने ज्यादा ही ओबेडिएंट बनते हुए कहा,.अरे बाबा कितना सॉरी बोलगा तु. बहोत डर गया लगता हे.. आरे मुझे पता हे की इस उमर में सभी गाली बोलते हे, देख तेरे हाथ भी ठन्डे पड़ रहे है, इतना मत डरा कर, में कहीं तुझे खा नहीं जाने वाली”.. और ऐसा कहकर उन्होंने मुझे अपने और पास करते हुए अपने हाथ से मेरी पीठ को अपनी और खिंचा, और में भी मौके का फायदा उठाने के लिए दीदी के और पास आ गया. अब में ठीक और एडवांटेज लिया और दीदी ने जैसे ही समझाया की मैंने तुरंत दीदी के काण के निचे थैंक यु कह्के किस कर लिया और दीदी ने कोई भी रिएक्शन नहीं दिया तो मैंने और भी थैंक्स थैंक्स कहते हुए दीदी के गर्दन के पास किस करने लगा और कान के निचे से ले कर के दीदी के शोल्डर तक किस कर दिया और फिर दीदी के शोल्डर के निचे जो उनके साइड पे सोने की वजह से क्लीवेज बना था और साइड से बूब बाहर निकल आया था वहा पर मैंने अपने लिप्स रख दिए और दीदी ने भी आवेश में आते हुए अपने हाथ से मेरे सर के बालों को सहलाने के बहाने मेरे सर पे जोर देणे लगि, ताकि उनके बॉब्स मेरे मुँह में आ सके. फिर अब शायद दीदी को होश आ रहा था की यहाँ एक बेड पे वो अपने भाई के साथ क्या कर रही हे. इसिलिये उन्होंने मुझसे कह.”रेशु, तुम्हे कुछ ज्यादा ही ठण्ड नहीं लग रही..? उन्होंने मेरी सिचुएशन पर समझते हुए कहा. .हा..दीदी देखोना अब भी मेरे पाँव ठन्डे हे.. मैंने दीदी के पाँव से हलके से साड़ी उठाई और नीज तक रख दी और अपना पाँव दीदी के पैर के तलवे से अपना पाँव दीदी के पाँव पर घूमते हुए दीदी के नीज तक ले कर आया और फिर दीदी के पाँव पे फिर रक्खा और दीदी से कहा .दीदी पाँव ठन्डे है ना... मैंने दीदी की और देखा और कह्. दीदी ने मेरी आँखों में देखा और मैंने दीदी से नजरें मिलाने की बजाय नज़रें निचे कर ली तो मैंने दीदी के बॉब्स देखे. दीदी ने भी नोटिस किया, पर वो कुछ नहीं बोली और मैंने दीदी से कुछ न कहा और दीदी के शोल्डर पर फिर से अपना मुँह रक्खा और दीदी से और भी चिपक गया और दीदी की साडी जो नीज तक आ चुकी थी उस पाँव पर अपना राईट पाँव रक्खा और दीदी के थाइज़ पर अपना पाँव रक्खा और दीदी ने भी अपना पाँव नीज में से मोड़ लिया इससे दीदी की साडी और भी उठ गयी और दीदी का इशारा समझते हुए मैंने दीदी के शोल्डर पर फिर से किस किया और दीदी से कहा .दीदी एक बात कहूँ.”आप बुरा तो नहीं मानेंगी ना”?.
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02-27-2021, 12:41 PM,
#17
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”कहो ना रेशु.. जो कहना हे कहो”. दीदी की सांसो में भारीपन लग रहा था .”दीदी आप इस साडी में बहुत सेक्सी लग रही हो”.. और दीदी के ब्लाउज को अपना राईट हैंड जो दीदी के पीठ पर था उससे दीदी के शोल्डर पर से दीदी के ब्लाउज में अपनी एक ऊँगली डाल दी और उसे हलके से खिंच कर दीदी के पूरे शोल्डर पर किस करने लगा. दीदी का ब्लाउज अब दीदी के शोल्डर के किनारे आ चुक्का था और में अब शोल्डर से हल्का हल्का निचे दीदी के बॉब्स की और आ रहा था तभी दीदी ने कहा .”रेशु..मुझे नहीं लगता तुम्हे अब और ठण्डी लगनी चहिये”.. . दीदी ने कहा. मै अब दीदी से हल्का सा अलग हुआ और दीदी को देख, दीदी के बाल बिखरे हुए थे, कुछ लट उनके गाल पर भी आ रही थी. दीदी ने मेरी आंखों में देखा और मैंने भी दीदी की आँखों में देखा और मैंने सोचा कहीं दीदी यह एक्ट बंद न करवा दे तो मैंने दीदी से कहा “दीदी मुझे अब भी ठण्ड लग रही हे”. दीदी मेरी और देखति रही और फिर हल्का सा मुस्कुरायी और कहा की अगर और ठण्डी लग रही हे तो कुछ और ओढ़ लो”. तो मुझे न चाहते हुए भी दीदी से अलग होना पडा, पर दीदी से मैंने एक बात पूछ ली, .”दीदी एक रिक्वेस्ट करू.? .”हा..बोलो ना”. .दीदी..आप तीन दिन यही पर रुक जाइये ना. अब आपके साथ मज़ा आने लगा हे.. मैंने दीदी से स्माइल से कहा और दीदी भी मना नहीं कर सकी. मैं खुश तो हुआ पर दीदी से अलग नहीं होना चाहता था लेकिन मुझे अलग होनापडा मेरा मुँह लटक चुक्का था दीदी ने यह देखा और हंस पड़ी मैं फिर दीदी से साइड में हटा और अपने ऊपर से कम्बल हटा दिया..जन बूझ कर मैंने कम्बल हटाया और दीदी को मेरे शॉर्ट्स में बना हुआ टेंट दिखाया. उनकी नज़र मेरे क्रोटच पर ही थी, में उन्हें देख रहा था दीदी ने फिर अपना ध्यान हटाया और कहा.क्यूँ अब ठण्ड नहीं लग रही...? .नही..अब ठण्ड नहीं लग रही. और मैंने मुँह दूसरी तरफ लेते हुए कहा और दीदी फ़टाक से मेरी और पलटि और मेरा हाथ पकड़ के मुझे अपनी और खिंचा और इस बार में ठीक उनके ऊपर आ गया और वो मेरे ठीक निचे और उन्होंने मेरे दोनों गालों को दोनों हाथों से पकड़ा और कहा .”रेशु.. अब मुझे ठण्ड लग रही हे. क्या तुम थोड़ी देर ऐसे ही मुझसे चिपके रहोगे..पलसे? लेकिन प्लीज चुमना मत.सिर्फ लेटे रहो.. ओह माय गॉड में तो सरप्राइज के मारे मानो सांतवे आसमान में था और इसे एक ख्वाब मानते हुए में दीदी के ऊपर ही लेट गया. हालाँकि मन तो बहुत किया की दीदी को बस दबोच लू पर फिर मैंने अपने आप पर कण्ट्रोल किया और बस लेटा रहा. मै दीदी के ऊपर ही लिटा था लेकिन इस ख़ूबसूरत शॉक के मारे एक ग़लती हो गयी, जैसे ही में दीदी के ऊपर लेटा रहा था वैसे ही मैंने दीदी के बारे में फॅन्टसीज़े करने लगा, और हमारे बीच बातें बंद हो गयी, दीदी समझि की में सो गया हू. उन्होंने एक दो बार मेरे गाल पर अपना हाथ फेर कर देख, लेकिन में कुछ नहीं कर सकता था मैं चुपचाप लिटा रहा और दीदी ने थोड़ी देर बाद मुझे अपने साथ में लिटाया और मेरे पास में बैठ कर के मुझे देखति रही. मैं दीदी को ऑब्सेर्वे कर रहा था दीदी ने मुझे देखने के बाद मेरे शॉर्ट्स के पास मेरी थाइज़ पर हाथ रक्खा और मेरी और देखा की कहीं में जाग तो नहीं रहा, फिर उन्होंने मेरा कोई रिस्पांस न पा कर उन्होंने अपना हाथ मेरे लंड पर रक्खा और उस पर हाथ भी फेरा, पर फिर उसे तुरंत वापस ले लिया और बेड से उठकर खड़ी हो गयी, शायद उनके अंदर फिर से यह सब पाप हे ऐसा ख्याल आ गया होगा, इसीलिए वो उठी और फिर बाथरूम में चलि गयी, में कुछ देर तक राह देखता रहा पर वो लौटी नही, तो पता नहीं कैसे लेकिन देर रात होने से मुझे भी नींद आ गयी और दीदी की राह देखते देखते में सो गया. वेल फ्रेंड्स, नो नीड टू टेल्ल व्हाट शी वास डूइंग फॉर सो मच टाइम इन बाथरूम? आप समझ ही गए होंगे..
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02-27-2021, 12:42 PM,
#18
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लेकिन अगले दिन में दीदी से पहले उठ गया, पता नहीं कैसे क्यूँकि हमेशा दीदी ही पहले उठ जाती थी. मैं बाथरूम में गया और फ्रेश हो कर बाहर आया और कॉलेज जाने के लिए रेडी हो गया, ऑफ़ कोर्स जाने का मन नहीं था पर जाना भी जरूरी था लेकिन में किचन में जा कर फ़टाफ़ट चाय और ब्रेड सैंडविच बना डाली, बस दीदी को हसींन सरप्राइज देने के लिये, और फिर बेड रूम में गया, दीदी अब भी सोयी रही थी, फिर मैं दीदी के पास गया, दीदी सीधी लेटी हुई थी, में उनके शोल्डर के पास बैठा और दीदी का क्लीवेज देखने लगा, हर सांस के साथ बॉब्स ऊपर निचे हो रहे थे, फिर मैंने एक आईडिया सोचा और मैंने दीदी के ब्लाउज पर हाथ रक्खा और दीदी के ब्लाउज के ऊपर के दो हूक्स आराम से खोल दिए और कॉलेज चला गया. रस्ते में यही सोच रहा था की हालाँकि दीदी को ब्लाउज वाले इंसिडेंट पर गुस्सा नहीं आना चाहिए पर बय चांस अगर आ भी जाता हे तो चाय नाश्ता डाइनिंग टेबल पर देखकर शायद उतर जाएगा. मैं कॉलेज में पहुंचा पर कॉलेज में मन नहीं लग रहा था उधर घर पे दीदी क्या कर रही होगी, उसीमे मेरा सारा वक़्त बितने लगा, लेकिन अब दोपहर के तीन बज रहे थे और बस दो ही घंटे बाकि थे पर मेरे से सहे नहीं जा रहे थे, इसीलिए में क्लास बंक करके भागा और सीधा घर पहुंचा. मैंने घर जा कर डोरबेल बजाई, लेकिन दरवाजा नहीं खुला.. १० मिनट बाद दीदी ने पीछे से कहा.हट..चाबी मेरे पास हे.. दीदी ने मुझे हटाते हुए, दरवाजा खोला. दीदी कुछ अपसेट लग रही थी, कहीं ब्लाउज वाले इंसिडेंट से तो नही, में पूछ्ने से डर रहा था पर मैंने दीदी से पूछ लिया.क्या बात हे..? दीदी कुछ अपसेट लग रही हो.? मैंने थोड़ा डरते डरते पूछ..कुछ नही... दीदी ने मेरे से ख़फ़ा होने की एक्टिंग कर रही थी, एक्टिंग ही तो थी क्यूँकि मुझे उतना तो पता था की अगर दीदी ख़फ़ा होती तो बात नहीं करति. इसिलिये में जोश में आ गया और अपने साइड वाले सोफ़े पर जहाँ दीदी बैठी थी वहा पर कुद कर बैठ गया और अपना लेफ्ट हैंड दीदी के कंधे के पास से ले जा कर दूसरी तरफ घुमा लिया और उस तरफ से प्रेशर दे कर दीदी को अपनी और खिंचा और दीदी के कान में पूछा, क्या हुआ दीदी. तो वो खुल कर बोली .रेशु,,तुं आज कॉलेज नहीं जाता तो नहीं चलता क्या..एक तो मुझे यहाँ रोक लिया और खुद कॉलेज चले जाते हो. मैं कितना बोर हो रही थी, वो तो अभी अभी में सामनेवाली आंटी के वहा बातें करने के लिए बैठी की तुम आ गये. .अच्छा तो ठीक हे, में अभी फ्रेश हो जाता हूँ और हम अभी घुमने चलेंगे.. मैंने सेंटेंस ख़त्म किया और दीदी खुश हो गयी और मेरे चिक पर एक मस्त पप्पी दी और मैंने फ़ौरन अपना दूसरा गाल भी दे दिया, तो उन्होंने मेरे दुसरे गाल को भी चुमा. बाद में वो तुरंत खड़ी हो गयी, क्यूँकि वो जानती थी की में अब उन्हें मेरे लिप्स ऑफर करने वाला था इसीलिए मेरे इंटेंशन्स को समझते हुए वो जल्दी से खड़ी हो गयी और में भी उठकर मेरे रूम में चला गया. तभी दीदी ने कहा की पहले खाना खा लो बाद में तैयार होना. तो में किचन में आया और दीदी के पास खड़ा रहा और दीदी को देख रहा था दीदी समझ गयी थी की में क्या देख रहा था इसीलिए मेरी खिंचाई करने के लिए उन्होंने पूँछा.रेशु क्या देख रहे हो..? . मै तो हडबडा गया लेकिन मैंने भी दीदी को अपने जाल में फ़ासते हुए कह.कुछ नहीं दीदी..म्म्म्म.मम,,,,मै तो यह पसिना .ऊऊओफ़्फ़ आपको कितना पसिना आ रहा हे. लाओ में यह पसिना पोछ देता हू.. अब मुझे मेरे शतिर दिमाग पे अभिमान हुआ और मैंने अपना रूमाल निकला और दीदी की बैक पे ब्लाउज के ऊपर से पसिना पोंछने लगा और बड़े आराम से दीदी की पीठ सहलाने लगा. फिर में धीरे धीरे अपना हाथ ऊपर लेजाते हुए दीदी के शोल्डर पर रूमाल घुमाया और फिर दीदी की गर्दन को भी पोछा और फिर मैंने दीदी के दोनों आम की और अपना रूमाल घुमाय और धीरे धीरे निचे उतार रहा था की दीदी ने मेरी और देखा और मेरा हाथ रूक गया. रूमल नहीं छोट गया और मेरा हाथ स्लीप हो कर दीदी के ब्लाउज से हट गया. फिर दीदी ने अपने ब्लाउज में फसे मेरे रूमाल को देखा और मेरी और भी देखा और फिर कहा की रेशु..देख क्या रहे हो? इसे निकलो यहाँ से.. और में अपने रूमाल को हाथ में ले कर खींचने लगा पर जैसे भगवान को भी इस सीन में मज़ा आ रहा हो वैसे मेरा रुमाल दीदी के हुक में फ़ांस गया और दीदी मेरी और फिर से थोड़े से ग़ुस्से में देखने लगी और मैंने कहा की दीदी अब यह नहीं निकल रह, एक हुक खोलना पडेगा. वो मेरी और हैरत भरी नज़र से देख रही थी और में उन्हें स्माइल दे रहा था वो सोचने लगी और फिर अपने आँखें बंद कर ली और मुझसे कहा...”रेशु..जो चाहे वो करो पर इसे निकालो”.. दीदी ने कहा. मैने भी सोचा की रेशु यही टाइम हे तो मैंने भी फुल आराम से रूमाल निकालने की सोचा. मैं निचे अपने घूटनों के बल बैठ गया. यह प्लानिंग में नहीं था पर गॉडने जैसे मेरे पर मेहरबानी की हो, मैं निचे बैठा अब दीदी मेरे सामने थी और मैंने दीदी के कंधे से उनका पल्लू हटाया और दीदी के पल्लू निचे गिरा दिया, और दीदी के ब्लाउज में कैद ३६ के बॉब्स मेरे सामने थे,मन तो बहुत किया की यही पर निचोड लू लेकिन कर नहीं पाया, और शायद किया होता और दीदी को गुस्सा आता तो दीदी को मना भी लेता पर ऐसा मैंने किया नही. मैंने रूमाल का एक सिरा जो खुला था वो हाथ में लिया और उसे दीदी को अपने मुँह में दबाने को कहा, लेकिन मैंने ही दीदी के होठो में अपनी ऊँगली दे कर उसे दबा दिया. फिर मैंने दीदी के ब्लाउज पे अपने दोनों हाथ रक्खे और हुक खोलने की मशक़्क़त में कई बार बॉब्स मेरे हाथ में आ गये. लेकिन मेरी किस्मत इतनी भी अच्छी नहीं थी और हुक एक ही मिनट में खुल गया और सारे सीन का नाश हो गया. फिर दीदी ने बनावटी गुस्सा दिखाया और कहा की अब पसिना पसिना मत कर और जा के बैठ और खाना खा ले. दीदी ने मेरे लिए खाना लगाया और कहा की वो रेडी हो कर आती हे, इन सब बातों में चार बज चुके थे और मैंने खाना निपटाया और बाथरूम में गया और फ्रेश हो गया, बाद में अपने रूम में गया और अपने एक एक कपडे निकाल दीए, बस में अब उंडरवेयर में था और अपने कपबर्ड में से कपडे ढूंढ रहा था और अचानक दीदी मेरे रूम में आई और कहने लगी की
रेशु रेडी हो गया क्या...? दीदी मेरे कमरे में आ चुकी थी. मैं रेडी नहीं था और ऊपर से सिर्फ अंडरवेअर में था और वो भी कटाई वी शेप में था मैंने फ़टाक से कपबोर्ड का दरवाजा बंद किया और बाहर आया की दीदी की आँखें मुझे देखकर फट सी गयी. वो मुझे नहीं मेरे अंडरवेअर को ही देख रही थी और में इस बात से खुश था की वो अंडरवेअर में क्या ढूंढ रही थी. लेकिन उन्हें दो मिनट में ही होश आया की वो क्या देख रही हे, लेकिन बाद में वो शरमाने के बजाय, मुझसे पूछ्ने लगी की क्या हुआ. तो मैंने कहा की दीदी ढंग के कपडे नहीं मिल रहे तो दीदी ने कहा की लाओ में ढूंढ देती हू, और वो मेरे पास आ कर कपडे कप बोर्ड में ढूंढने लगी. वो अब मेरे सामने थी और में उनके पिछे, दीदी को देखते ही मेरा लंड पता नहीं क्यों उठ जाता हे. मैं दीदी के पीछे खड़ा रह कर कपडे चूस करने के बजाय दीदी के बारे में फ़न्तासीस कर रहा था मैं अपने ख़यालों में था की दीदी ने कहा कि, रेशु पास आओ और इस कॉम्बिनेशन को देखो तो. और मेरा ध्यान टूटा और में आगे गया और जानबूझ कर दीदी की गांड को छू रहा था मेरा लंड दीदी की गांड को बड़े प्यार से टच कर रहा था और मैंने देखा और कहा की दीदी यह पसंद नहीं और दीदी दूसरे कपडे देखने लगी, फिर मैंने दीदी के गांड पर जोर दिया और अब जा के उन्हें एहसास हुआ की उनकी गांड पर मेरा लंड था और दीदी मेरी और पलटि और निचे अपनी गांड की और देखा और निचे मेरे अंडरवेअर में बने टेंट को देखने लगी और फिर मेरी और देखा और हंसी.
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02-27-2021, 12:43 PM,
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अपडेट 20

मैंने दीदी के गांड पर जोर दिया और अब जा के उन्हें एहसास हुआ की उनकी गांड पर मेरा लंड था और दीदी मेरी और पलटि और निचे अपनी गांड की और देखा और निचे मेरे अंडरवेअर में बने टेंट को देखने लगी और फिर मेरी और देखा और हंसी.
लेकिन इग्नोर कर के फिर से मेरे कपडे ढूंढ ने लगी और में फिर से अपना लंड दीदी की गांड पर हल्का हल्का प्रेशर दे कर घुमने लगा, लेकिन मेरी दीदी तो दीदी ही हे, उन्होंने मेरे कपडे खुद ही पसंद किये और पीछे मूड कर मेरे हाथ में थमाते हुए कहा की लो यह पेहन ले और जल्दी रेडी हो जा. मैने अपने कपडे हाथ में लिये और जानबूझ कर पहले शर्ट पहनने लगा और दीदी कह रही थी की रेशु तुम भी ना..अपनी चीज़ ठीक से रखते नहीं और बाद में परेशान होते हो. और वो मेरा कप बोर्ड ठीक करने लगि, एक एक करके मेरे कपडे ठीक से मोड़ कर के अच्छे से रखने लगी और बाद में मेरे बुक्स भी अच्छे से अरेंज किये और बाद में मेरे कपबर्ड का निचे का शेल्फ अच्छे से ठीक करने के लिए निचे बैठी तो मेरे दिमाग की बत्ती जली की दीदी को रोक देना चाहिए पर बाद में तुरंत ख्याल आया की जाने दो, देखने दो, दीदी को पटाने का एक और टॉपिक मिल जाएगा. दीदी ने निचे के शेल्फ में मेरे कॉलेज का सामान जैसे ही बाहर निकाला की उसमे से पोर्न डीवीडी. बाहर निकल आई और में जैसे मानो पकड़ा न गया हो ऐसे दीदी के पीछे मूड कर अपने शर्ट के बटन बंद कर रहा था और लकीली सामने शीशे में दीदी का हाल दिखाई दे रहा था उन्होंने अपने हाथ में वो डीवीडी. ली और सब के ऊपर के नंगी लड़कियों के पोस्टर देखे और बाद में मेरी और देखा और उनकी नज़र मेरे शर्ट के अंदर मेरी गांड पर थी. फिर उन्होंने अपने दाँत से अपने होठ को पींसा और लिप्स को अंदर बाहर करने लगी. फिर मैंने भी अपने पैंट को उठाया लेकिन आईडिया आया और मैंने अपने अंडरवेअर में हाथ डाला और अपने उठे हुए लंड को ठीक करने के बहाने से मैंने अपने अंडरवेअर को हल्का सा निचे किया और दीदी को दिखाई दे इस तरह से मैंने अपने लंड को पकड़ा और उसे एडजस्ट करने लगा, लेकिन इस तरह दीदी को एक झलक लंड की दिखने में ग़लती हो गयी और मेरा अंडरवेअर मेरे थाय में से पता नहीं कैसे निचे गिर गया और दीदी ने मेरा पूरा लंड देख लिया और मैंने फ़टाक से निचे झुक के अपना अंडरवेअर उठाया और उसे पहन लिया और फिर सामने शीशे में देखा तो दीदी की आँखें फट सी गयी थी और वो अब भी मेरे लंड की और देख रही थी, और मैंने फिर आराम से दीदी की और देखा तो उन्होंने भी मुझे चिड़ाने के लिए अपनी आँखों पर अपने दोनों हाथ रख लिए और मुझे अपनी और देखता पा कर मुझसे चिड़ाने के सूर में कहा.”रेशु.दीदी ने कुछ नहीं देखा..हा”. दीदी मुस्कुरा पड़ी और मैंने भी नहले पर दहला मारते हुए, मौके को ठीक समझते हुए दीदी के सामने घूम गया और दीदी के सामने अपना अंडरवेअर झटके में उतार दिया और अपना उठा हुआ लंड दीदी के सामने खुला कर दिया और कहा .देख भी लिया तो क्या उखाड लिया...? दीदी ने शायद इस तरह की कुछ कल्पना भी नहीं की थी और मेरे इस तरह अंडरवेअर उतारने से उनकी समझ में नहीं आया की वो क्या करे इसीलिए वो उठ कर बाहर ड्राइंग रूम में भाग गयी और में भी जैसे बड़ा शेर मारा हो ऐसे दीदी के ख़यालों में अपने कपडे पहनने लगा और फिर बाथरूम में गया और एक बार मूठ मारी और फिर से अपने कपडे एडजस्ट कर रहा था की इतने में दीदी ने कार का हॉर्न बजाना शुरू कर दिया और में फ़टाफ़ट सारे कपडे पहन के बाहर आया और डोर लॉक कर के बाहर जा कर दीदी के पास बैठ गया और कहा दीदी.लेट में ड्राइव. मैंने दीदी से कहा...चुप चाप बैठो..में ड्राइव करूंग़ी, तुम बहुत तेज़ चलाते हो और फिर किसी से तकरा के गालियां बकते हो..दीदी ने फिर से ताना मारा.ओह..माय गॉड, मुझे तो ऐसा लगता हे, जैसे मैंने इतना बड़ा गुणाह किया हो, की मुझे इस तरह बहाने ढूंढ ढूंढ कर के ताने मारे जाते हे.. मैंने ताने का जवाब दिया.दीदी भी हंस पड़ी और में भी , इतने में दीदी ने कार ड्राइव की और हम कंकरिआ पहुंचे, तब तक ५ बज चुके थे उस दिन कोई रेगुलर डे था इसीलिए बहुत कम फॅमिली वाले लोग आये थे, कुछ कॉलेज कपल्स और कुछ नेवली मैरिड कपल्स आये थे. दीदी ने कहा की उन्हें एम्यूजमेंट पार्क में जाना हे तो हम उस और चले और उधर हमने बहुत एन्जॉय किया और खूब धमाल मस्ती की. दीदी अब जा के सच में खुश लग रही थी. फिर मैंने एक राइड की टिकट्स ली जो थोड़ी डरावनी थी, और उस राइड के दौरान में जान बूझ कर ऐसे बैठा की राइड के दौरन दीदी मुझ पर आ गिरे, और जैसे ही वो तूफ़ानी राइड शुरू हुई और दीदी मेरी और खिसकने लगी तो मैंने दीदी से कहा..”दीदी.बीहेवे योरसेल्फ, प्लीज.ऐसे पब्लिक प्लेस में क्या कर रही हो”.. दीदी तो सन्न हो गयी और वो जितना मुझसे दूर जाने की कोशिश करति, वो मेरे पास ही आ जाती थी, लेकिन मुझसे दूर बैठने के चक्कर में उन्हें रॉन्ग साइड पे बैठने से चक्कर जैसा लगने लगा. इसिलिये वो जैसे ही राइड ख़त्म हुई की वो ठीक से उतर भी न पाई और एक वॉचमन ने उन्हें गिरने से बचा लिया, फिर मैंने दीदी को दोनों हाथों से सहारा दिया और एक साइड बेंच पर बिठा दिया. और फिर उन्हें बिठा के पूँछा.”दीदी..दीदी आप ठीक तो हे..चक्कार जैसा लग रहा हे..क्य...? में बहुत ही घबरा गया था और टेंशन में मेरी हार्टबीट भी बढ गयी थी. दीदी ने भी कहा की हाँ उन्हें चक्कर आ रहे हे तो मैंने कहा की आप यही बैठीये में अभी कहीं से नीम्बू पाणी ले कर आता हू, और में उठकर बाहर की और गेट की तरफ भागा और इतने में दीदी ने कहा की .रेशुउऊउउउ.रुको.
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02-27-2021, 12:43 PM,
#20
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 21

में दीदी के चिल्लाने से रुक गया और भी टेंशन में आ गया की कहीं दीदी को कुछ और तो नहीं हो रहा, पर मैंने देखा तो वो हंस रही थी और उनकी हँसी रूक नहीं रही थी, में एक दम से शॉक हो गया, मेरा रंग ही उड़ गया, और में दीदी के पास गया तो दीदी ने हँसते हँसते हुए कहा की अपना चेहरा तो देख, कितना रंग उड़ गया है, कैसे पीला पड़ गया हे कुछ नहीं हुआ हे मुझे. अब मेरी जान में जान आई और में दीदी के सताने पर हलके से मारने लगा और फिर अपने पर ही हंस पड़ा और दीदी के पास में ही बैठ गया, अभी भी दीदी की हँसी रूक नहीं रही थी और फिर हँसते हुए कहा की .क्यूँ बेटे, तुम अपना अंडरवेअर उतार के नहले पर दहला मार सकते हो तो हम भी आपके नहले पर देहला मार करके आपका रंग उड़ा सकते हे.. और वो फिर से हंसने लगि, तो मैंने फिर से उन्हें मस्ती में मारना शुरू किया, लेकिन इतने में पार्क का वॉचमन कहीं से आया और बोला.है..क्या कर रहे हो आप लोग? शर्म नहीं आति, चलो हटो यहाँ से, . और तब जा के दीदी सीरियस हुई और हम बाहर निकल गये.बाहर निकलते ही सामने झु था तो दीदी ने कहा चलो न रेशु, हम झु में चलते हे, मैंने मना किया तो उसने कहा की चलो ना.. मुझे साँप देखना हे. तो मैंने उसी टाइम डबल मीनिंग लाइन कह दी की .दीदी साँप देखना हे तो वो तो मेरे पास भी हे.. और बोलने के बाद मुझे पता चला की में क्या कह गया. दीदी ने सही सुना, मेरी और पलट के देखा और वो भी समझ गयी की मैंने क्या कहा पर कुछ बोली नहीं और हम दोनों झु में गये, वहा कुछ देखने को था नहीं में तो बार हो गया, पर दीदी डिस्कवरी की फैन होने से मज़ा ले रही थी, में तो बस दीदी को ही देख रहा था मुझे अफ्रीकन लायंस और ऑस्ट्रलियन कबूतरों में कोई इंटरेस्ट नहीं था लेकिन दीदी सबके बारे में मानो सब जानती हो ऐसे सबके बारे में कुछ न कुछ क्वालिटी बताने लगी, में पक रहा था पर में सुन रहा था और ऐसे जाता रहा था की मुझे भी मज़ा आ रहा हे, तब जा के मुझे लगा की इन औरतों के साथ रहना कितना मुश्क़िल हो जाता हे, फिर मैंने अचानक एक साइड में एक कोने पर देखा की एक कच्छ का फेमस जंगली गधा (घोड़े और गधे के बीच की जाती) वो अपनी साथी गधी के साथ सेक्स कर रहा हे, अब झु के बंद होने का टाइम हो रहा था और मानसून का सीजन था इस्लिये अँधेरा भी हो रहा था तो झु में काफी काम लोग थे और दीदी एक और रींछ को देख रही थी तो में आटोमेटिक उस गधे के पींजरे की और जा कर खड़ा हो गया और उनकी चुदाई देखने लगा, वो गधे का पास कितना बड़ा लंड था और अमूमन फीमेल अनिमलस, चुदवाने पर आवाज़ नहीं करते, पर उस गढ़ी के मुँह में से दर्द की हलकी हलकी सी आवाज़ें आ रही थी. गधा तो मानो जंगलीपन पे उतार आया था और उसकी चुदाई एक दम तेज़ होते जा रही थी, में दीदी को भूल गया था और इतने में मेरे पास एक कौवा आ कर बैठा और वो भी गधे गाढ़ी की चुदाई देखने लगा, उसके आ के बैठने से मैंने अपने राईट साइड पर आँखें फेर कर के कौवे को देखा तो मुझे आँखों के किनारे से दीदी भी दिखाई दी और वो एक दम अदब से मेरी और देख रही थी की में उन्हें भूल गया हू. दीदी को देख कर में अंनदेखा नहीं कर सकता था चाहे वो कुछ भी हो तो मैंने दीदी की और देखा और उनकी और मुडा, और उनकी और चल पडा, दीदी भी बाहर की और चल पडी,, सब झु से बाहर ही जा रहे थे. हम दोनों में से कोई बात नहीं कर रहा था झु बहुत बड़ा था इसिलिये, हमें अभी १५ मिनट तक ऐसे चुप चाप चलना था और यकीन मानिये दोस्तोँ ऐसे चलना सच में मुश्क़िल हो जाता हे, जब आपके साथ कोई अपना हो और कोई उससे बात न हो रही हो, तो मैंने चलते चलते दीदी से कहा की .दीदी सॉरी... दीदी ने तुरंत कहा, की ऐसे काम ही क्यों करते हो की तुम्हे सॉरी हर बार कहना पडता हे.
दीदी का गुस्सा थोड़ी ही देर का था यह पता था पर उन्हें मनाने में मज़ा आ रहा था थोड़ी देर सॉरी बोलने के बाद वो मान गयी और फिर से नार्मल हो गयी. अब तक ७ बज चुके थे और अब हम वहा से निकल करके कार में बैठे और मैंने दीदी से कहा की अब हम कहाँ जा रहे हे तो उन्होंने कहा की बस तुम सिट बेल्ट बांध लो, गाड़ी अब उड़ने वाली हे और उन्होंने सट से झटके दे कर एक्सेलरेटर दिया और एक दम रफ़ कार चलाने लगी, में पहले झटके में जान ही नहीं पया की हो क्या रहा हे, पर दीदी मानो कार उड़ा रही हो वैसे तेज़ चला रही थी. दूसरी कार्स मानो उसके सामने कुछ नहीं थी. दाएं बाएं कर के वो तो बस कार चलाये जा रही थी, फिर दीदी ने नम्बर ८ पकड़ा और उधर तो मेरी मा चुद गयी, वो हैवी लोडेड ट्रक्स के बीचमे से क्या कार निकाल रही थी, में डर भी रहा था और बहुत हैरान भी, लेकिन दीदी को मेरी और देखने का टाइम नहीं था और केवल उन्होंने मुझे १५ मिनट में वहाँ से सिटी का एक छोर से दूसरे छोर पर पहुच गए जहाँ पर हमारा घर था फिर दीदी ने एक दम से रोड के साइड में ब्रीक्स लगायी और कार को स्लीप कराइ और एक पेड़ के पास रोक दि, जैसे ही कार रुकि दीदी के हाथ में स्टेयरिंग था और उन्होंने मेरी और देखा और कार रुकते ही मैंने दीदी की और देखा. दीदी मेरी और देख कर मुस्कुरायी और में भी. मैं- बस अब कुछ मत बोलना, में मान गया की तुम भी तेज़ कार चलाती हो. फिर उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रक्खा और कहा, जो तुम कर सकते हो, उसे तुम्हारी दीदी तुमसे बेटर कर सकती हे.
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