10-14-2019, 08:59 PM,
|
|
Game888
Junior Member
|
Posts: 20
Threads: 0
Joined: Sep 2019
|
|
RE: काला इश्क़!
|
|
10-14-2019, 10:28 PM,
|
|
kw8890
Member
|
Posts: 140
Threads: 2
Joined: Dec 2018
|
|
RE: काला इश्क़!
update 13
रात के एक बजे थे, खिड़की से आ रही चांदनी की रौशनी कमरे में फैली हुई थीकी तभी ऋतू बाथरूम से आई तो उसने पाया की मेरा लंड एक दम कड़क हो चूका है और छत की तरफ मुँह कर के सीधा खड़ा है और फुँफकार रहा है| दरअसल मैं उस समय कोई सेक्सी सपना देख रहा था जिस कारन लंड मियाँ अकड़ चुके थे| पता नहीं उसे क्या सूजी की वो मेरी टांगों के बीच आ गई और घुटने मोड़ के बैठ गई| मेरे लंड को निहारते हुए वो ऊपर झुकी और धीरे-धीरे अपना मुँह खोले हुए वो नीचे आने लगी| सबसे पहले उसने अपनी जीभ की नोक से मेरे लंड को छुआ और मेरी प्रतिक्रिया जानने के लिए मेरी तरफ देखने लगी| जब मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो उसने अपने मुँह को थोड़ा खोला और आधा सुपाड़ा अपने मुँह में भर के चूसा| ''सससससस''' नींद में ही मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई| उसने धीरे-धीरे पूरा सुपाड़ा अपने मुँह के भीतर ले लिया और रुक गई| "ससस...अह्ह्ह..." अब ऋतू से और नीचे जाय नहीं रहा था तो उसने आधा सूपड़ा ही अपने मुँह के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया| इधर मैं नींद में था और मेरे सपने में भी ठीक वही हो रहा तह जो असल में ऋतू मेरे साथ कर रही थी| पर ऋतू को अभी ठीक से लंड चूसना नहीं आया था, उसके मुँह में होते हुए भी मेरा लंड अभी तक सूखा था| जबकि उसे तो अभी तक अपने थूक और लार से मेरे लंड को गीला कर देना चाहिए था| पूरे दस मिनट तक वो बेचारी बीएस इसी तरह अपने होठों से मेरे लंड को अपने मुँह में दबाये हुए ऊपर-नीचे करती रही और अंत में जब मेरा गर्म पानी निकला तो मेरी आँख खुली और ऋतू को देख मैं हैरान रह गया| मेरा सारा रस उसके मुँह में भर गया था और वो भागती हुई बाथरूम में गई उसे थूकने| मैं अपनी पीठ सिरहाने से लगा कर बैठ गया और जैसे ही ऋतू बहार आई उसकी नजरें झुक गई| तो जान! ये क्या हो रहा था? आपके साथ तो मैं बिना कपडे के भी नहीं सो सकता?!" मैंने ऋतू को छेड़ते हुए कहा| वो एक दम से शर्मा गई और पलंग पर आ कर मेरे सीने पर सर रख कर बैठ गई| "वो न..... जब मैं उठी तो..... आपका वो...... मुझे देख रहा था!" ऋतू ने शर्माते हुए मेरे लंड की तरफ ऊँगली करते हुए कहा|
मैं: देख रहा था मतलब? इसकी आँख थोड़े ही है?
ऋतू: ही..ही...ही... पता नहीं पर उसे देखते ही मैं .... जैसे मैं अपने आप ही ..... (इसके आगे वो कुछ बोल नहीं पाई और शर्मा के मेरे सीने में छुप गई|)
मैं: चलो अब सो जाओ वरना अभी थोड़ी देर में फिर से आपको देखने लगा|
ये सुनते ही ऋतू के गाल लाल हो गए और हम दोनों फिर से एक दूसरे की बाहों में लेट गए और चैन से सो गए| सुबह मेरी नींद चाय की खुशबु सूंघ कर खुली और मैंने उठ के देखा तो ऋतू किचन में चाय छान रही थी| मैं पीछे से उसके जिस्म से सट कर खड़ा हो गया और अपनी बाँहों को उसके नंगे पेट पर लोच करते हुए उसकी गर्दन पर चूमा| "Good Morning जान!"
"सससस....आज तो वाकई मेरी Morning Good हो गई|" ऋतू ने सिसकते हुए कहा|
ऋतू: काश की रोज आप मुझे ऐसे ही Good Morning करते?
मैं: बस जान.... कुछ दिन और|
ऋतू: कुछ साल ...दिन नहीं|
मैं: ये साल भी इसी तरह प्यार करते हुए निकल जायेंगे|
ऋतू: तभी तो ज़िंदा हूँ|
इतना कह कर ऋतू मेरी तरफ मुड़ी और अपनी दोनों बाहें मेरे गले में डाल दी और अपने पंजों पर खड़ी हो कर मेरे होंठों को चूम लिया| मैंने अपनी दोनों हाथों से उसकी कमर को जकड़ लिया और उसे अपने जिस्म से चिपका लिया|
मैंने घडी देखि तो नौ बज गए थे और मुझे 11 बजे ऋतू को हॉस्टल छोड़ना था तो मैंने उससे नाश्ते के लिए पूछा| ऋतू उस समय बाथरूम में थी और उसने अंदर से ही कहा की वो बनाएगी| जब ऋतू बहार आई तो वो अब भी नंगी ही थी;
मैं: जान अब तो कपडे पहन लो?
ऋतू: क्यों? (हैरानी से)
मैं: हॉस्टल नहीं जाना?
ये सुनते ही ऋतू का चेहरा उतर गया और उसका सर झुक गया| मुझसे उसकी ये उदासी सही नहीं गई तो मैंने जा कर उसे अपने गले से लगा लिया और उसके सर को चूमा|
ऋतू: आज भर और रुक जाऊँ? (उसने रुनवासी होते हुए कहा|)
मैं: जान! समझा करो?! देखो आपको कॉलेज भी तो जाना है?
ऋतू: आप उसकी चिंता मत करो मैं साड़ी पढ़ाई कवर अप कर लूँगी|
मैं: और मेरे ऑफिस का क्या? आज की भी मुझे पूरे दिन की छुट्टी नहीं मिली|
ऋतू के आँख में फिर से आँसूँ आ गए थे| अब मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और उसे पलंग पर लिटाया और मैं भी उसकी बगल में लेट गया|
मैं: अच्छा तू बता मैं ऐसा क्या करूँ की तुम्हारे मुख पर ख़ुशी लौट आये?
ऋतू: आज का दिन हम साथ रहे|
मैं: जान वो पॉसिबल नहीं है, वरना मैं आपको मना क्यों करता?
ऋतू फिर से उदास होने लगी तो मैंने ही उसका मन हल्का करने की सोची;
मैं: अच्छा मैं अगर तुम्हें अपने हाथ से कुछ बना कर खिलाऊँ तब तो खुश हो जाओगी ना?
ऋतू: (उत्सुकता दिखाते हुए) क्या?
मैं: भुर्जी खाओगी?
ऋतू: Hawwwwww ... आप अंडा खाते हो? घर में किसी को पता चल गया न तो आपको घर से निकाल देंगे!
मैं: मेरे हाथ की भुर्जी खा के तो देखो!
ऋतू: ना बाबा ना! मुझे नहीं करना अपना धर्म भ्रस्ट|
मैं: ठीक है फिर बनाओ जो बनाना है| इतना कह कर मैं बाथरूम में घुस गया और नहाने लगा| नाहा-धो के जब तक मैं ऑफिस के लिए तैयार हुआ तब तक ऋतू ने प्याज के परांठे बना के तैयार कर दिए| पर उसने अभी तक कपडे नहीं पहने थे, मुझे भी दिल्लगी सूझी और मैं ने उसे फिर से पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा|
ऋतू: इतना प्यार करते हो फिर भी एक दिन की छुट्टी नहीं ले सकते| शादी से पहले ये हाल है, शादी के बाद तो मुझे time ही नहीं दोगे|
मैं: शादी के बाद तो तुम्हें अपनी पलकों अपर बिठा कर रखूँगा| मजाल है की तुम से कोई काम कह दूँ!
ऋतू: सच?
मैं: मुच्!
हमने ख़ुशी-ख़ुशी नाश्ता खाया और वही नाश्ता ऋतू ने पैक भी कर दिया| फिर मैंने उसे पहले उसके कॉलेज छोड़ा और उसके हॉस्टल फ़ोन भी कर दिया की ऋतू कॉलेज में है| फ़टाफ़ट ऑफिस पहुँचा और काम में लग गया| शाम को फिर वही 4 बजे निकला, ऋतू के कॉलेज पहुँचा और मुझे वहाँ देख कर वो चौंक गई| वो भाग कर गेट से बाहर आई और बाइक पर पीछे बैठ गई, हमने चाय पी और फिर उसे हॉस्टल के गेट पर छोड़ा|
अगले दिन सुबह-सुबह ऑफिस पहुँचते ही बॉस ने मुझे बताया की हमें शाम की ट्रैन से मुंबई जाना है| ये सुनते ही मैं हैरान हो गया; “सर पर अमिस ट्रेडर्स की GST रिटर्न पेंडिंग है!"
"तू उसकी चिंता मत कर वो अंजू (बॉस की बीवी) देख लेगी|" बॉस ने अपनी बीवी की तरफ देखते हुए कहा| ये सुन कर मैडम का मुँह बन गया और इससे पहले मैं कुछ बोलता की तभी ऋतू का फ़ोन आ गया और मैं केबिन से बाहर आ गया|
मैं: अच्छा हुआ तुमने फ़ोन किया| मुझे तुम्हें एक बात बतानी थी, मुझे बॉस के साथ आज रात की गाडी से मुंबई जाना है|
ऋतू: (चौंकते हुए) क्या? पर इतनी अचानक क्यों? और.... और कब आ रहे हो आप?
मैं: वो पता नहीं... शायद शनिवार-रविवार....
ये सुन कर वो उदास हो गई और एक दम से खामोश हो गई|
मैं: जान! हम फ़ोन पर वीडियो कॉल करेंगे... ओके?
ऋतू: हम्म...प्लीज जल्दी आना|
|
|
10-15-2019, 06:12 PM,
|
|
Game888
Junior Member
|
Posts: 20
Threads: 0
Joined: Sep 2019
|
|
RE: काला इश्क़!
Interesting update, excellent
|
|
10-15-2019, 06:56 PM,
|
|
kw8890
Member
|
Posts: 140
Threads: 2
Joined: Dec 2018
|
|
RE: काला इश्क़!
(10-15-2019, 06:12 PM)Game888 Wrote: Interesting update, excellent
शुक्रिया जी!
|
|
10-15-2019, 07:45 PM,
|
|
kw8890
Member
|
Posts: 140
Threads: 2
Joined: Dec 2018
|
|
RE: काला इश्क़!
update 14
ऋतू बहुत उदास हो गई थी और इधर मैं भी मजबूर था की उसे इतने दिन उससे नहीं मिल पाउँगा| मैं आ कर अपने डेस्क पर बैठ गया और मायूसी मेरे चेहरे से साफ़ झलक रही थी| थोड़ी देर बाद जब अनु मैडम मेरे पास फाइल लेने आईं तो मेरी मायूसी को ताड़ गईं| "क्या हुआ मानु?" अब मैं उठ के खड़ा हुआ और नकली मुस्कराहट अपने चेहरे पर लाके उनसे बोला; "वो मैडम ... दरअसल सर ने अचानक जाने का प्लान बना दिया| अब घर वाले ..." आगे मेरे कुछ बोलने से पहले ही मैडम बोल पड़ीं; "चलो इस बार चले जाओ, अगली बार से मैं इन्हें बोल दूँगी की तुम्हें एडवांस में बता दें| अच्छा आज तुम घर जल्दी चले जाना और अपने कपडे-लत्ते ले कर सीधा स्टेशन आ जाना|" तभी पीछे से सर बोल पड़े; "अरे पहले ही ये जल्दी निकल जाता है और कितना जल्दी भेजोगे?" सर ने ताना मारा| "सर क्या करें इतनी सैलरी में गुजरा नहीं होता| इसलिए पार्ट टाइम टूशन देता हूँ|" ये सुनते ही मैडम और सर का मुँह खुला का खुला रह गया| सर अपना इतना सा मुँह ले कर वापस चले गए और मैडम भी उनके पीछे-पीछे सर झुकाये चली गईं| खेर जैसे ही 3 बजे मैं सर के कमरे में घुसा और उनसे जाने की अनुमति माँगी| "इतना जल्दी क्यों? अभी तो तीन ही बजे हैं?" सर ने टोका पर मेरा जवाब पहले से ही तैयार था| "सर कपडे-लत्ते धोने हैं, गंदे छोड़ कर गया तो वापस आ कर क्या पहनूँगा?" ये सुनते ही मैडम मुस्कुराने लगी क्योंकि सर को मेरे इस जवाब की जरा भी उम्मीद नहीं थी| "ठीक है...तीन दिन के कपडे पैक कर लेना और गाडी 8 बजे की है, लेट मत होना|" मैंने हाँ में सर हिलाया और बाहर आ कर सीधा ऋतू को फ़ोन मिलाया पर उसने उठाया नहीं क्योंकि उसका लेक्चर चल रहा था| मैं सीधा उसके कॉलेज की तरफ चल दिया और रेड लाइट पर बाइक रोक कर उसे कॉल करने लगा| जैसे ही उसने उठाया मैंने उसे तुरंत बाहर मिलने बुलाया और वो दौड़ती हुई रेड लाइट तक आ गई|
बिना देर किये उसने रेड लाइट पर खड़ी सभी गाडी वालों के सामने मुझे गले लगा लिया और फूट-फूट के रोने लगी| मैंने अब भी हेलमेट लगा रखा था और मैं उसकी पीठ सहलाते हुए उसे चुप कराने लगा| "जान... मैं कुछ दिन के लिए जा रहा हूँ| सरहद पर थोड़े ही जा रहा हूँ की वापस नहीं आऊँगा?! मैं इस संडे आ रहा हूँ... फिर हम दोनों पिक्चर जायेंगे?" मेरे इस सवाल का जवाब उसने बीएस 'हम्म' कर के दिया| मैंने उसे पीछे बैठने को कहा और उसे अपने घर ले आया, वो थोड़ा हैरान थी की मैं उसे घर क्यों ले आया पर मैंने सोचा की कम से कम मेरे साथ अकेली रहेगी तो खुल कर बात करेगी| वो कमरे में उसी खिड़की के पास जा कर बैठ गई और मैं उसके सामने घुटनों के बल बैठ गया और उसकी गोद में सर रख दिया| ऋतू ने मेरे सर को सहलाना शुरू कर दिया और बोली;
ऋतू: संडे पक्का आओगे ना?
मैं: हाँ ... अब ये बताओ क्या लाऊँ अपनी जानेमन के लिए?
ऋतू: बस आप आ जाना, वही काफी है मेरे लिए|
उसने मुस्कुराते हुए कहा और फिर उठ के मेरे कपडे पैक करने लगी| मैंने पीछे से जा कर उसे अपनी बाँहों में जकड़ लिया| मेरे जिस्म का एहसास होते ही जैसे वो सिंहर उठी| मैंने ऋतू की नंगी गर्दन पर अपने होंठ रखे तो उसने अपने दोनों हाथों को मेरी गर्दन के पीछे ले जा कर जकड़ लिया| हालाँकि उसका मुँह अब भी सामने की तरफ था और उसकी पीठ मेरे सीने से चुपकी हुई थी| आगे कुछ करने से पहले ही मेरे फ़ोन की घंटी बज उठी और मैं ऋतू से थोड़ा दूर हो गया| जैसे ही मैं फ़ोन ले कर पलटा और 'हेल्लो' बोला की तभी ऋतू ने मुझे पीछे से आ कर जकड़ लिया| उसने मुझे इतनी जोर से जकड़ा की उसके जिस्म में जल रही आग मेरी पीठ सेंकने लगी| "सर मैं आपको अभी थोड़ी देर में फ़ोन करा हूँ, अभी मैं ड्राइव कर रहा हूँ|" इतना कह कर मैंने फ़ोन पलंग पर फेंक दिया और ऋतू की तरफ घूम गया| उसे बगलों से पकड़ कर मैंने उसे जैसे गोद में उठा लिया| ऋतू ने भी अपने दोनों पैरों को मेरी कमर के इर्द-गिर्द जकड़ लिया और मेरे होठों को चूसने लगी| मैंने अपने दोनों हाथों को उसके कूल्हों के ऊपर रख दिया ताकि वो फिसल कर नीचे न गिर जाए| ऋतू मुझे बेतहाशा चुम रही थी और मैं भी उसके इस प्यार का जवाब प्यार से ही दे रहा था| मैं ऋतू को इसी तरह गोद में उठाये कमरे में घूम रहा था और वो मेरे होठों को चूसे जा रही थी| शायद वो ये उम्मीद कर रही थी की मैं उसे अब पलंग पर लिताऊँगा, पर मेरा मन बस उसके साथ यही खेल खेलना चाहता था|
ऋतू: जानू...मैं आपसे कुछ माँगूँ तो मन तो नहीं करोगे ना? (ऋतू ने चूमना बंद किया और पलकें झुका कर मुझ से पूछा|)
मैं: जान! मेरी जान भी मांगोंगे तो भी मना नहीं करूँगा| हुक्म करो!
ऋतू: जाने से पहले आज एक बार... (इसके आगे वो बोल नहीं पाई और शर्म से उसने अपना मुँह मेरे सीने में छुपा लिया|)
मैं: अच्छा जी??? तो आपको एक बार और मेरा प्यार चाहिए???
ये सुन कर ऋतू बुरी तरह झेंप गई और अपने चेहरे को मेरी छाती में छुपा लिया| अब अपनी जानेमन को कैसे मना करूँ?
|
|
10-16-2019, 07:51 PM,
|
|
kw8890
Member
|
Posts: 140
Threads: 2
Joined: Dec 2018
|
|
RE: काला इश्क़!
update 15 (1)
मैंने ऋतू को गोद में उठाये हुए ही उसे एक खिड़की के साथ वाली दिवार के साथ लगा दिया| ऋतू ने अपने हाथ जो मेरी पीठ के इर्द-गिर्द लपेटे हुए थे वो खोल दिए और सामने ला कर अपने पाजामे का नाडा खोला| मैंने भी अपने पैंट की ज़िप खोली और फनफनाता हुआ लंड बाहर निकाला| ऋतू ने मौका पाते ही अपनी दो उँगलियाँ अपने मुँह में डाली और उन्हें अपने थूक से गीला कर अपनी बुर में डाल दिया| मैंने भी अपने लंड पर थूक लगा के धीरे-धीरे ऋतू की बुर में पेलने लगा| अभी केवल सुपाड़ा ही गया होगा की ऋतू ने खुद को मेरे जिस्म से कस कर दबा लिया, जैसे वो चाहती ही ना हो की मैं अंदर और लंड डालूँ| दर्द से उसके माथे पर शिकन पड़ गई थी, इसलिए मैं ने उसे थोड़ा समय देते हुए उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया| जैसे ही मैंने अपनी जीभ ऋतू के मुँह में पिरोई की उसने अपने बदन का दबाव कम किया और मैं ने भी धीरे-धीरे लंड को अंदर पेलना शुरू किया| ऋतू ने मेरी जीभ की चुसाई शुरू कर दी थी और नीचे से मैंने धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया था| पाँच मिनट हुए और ऋतू का फव्वारा छूट गया और उसने मुझे फिर से कस कर खुद से चिपटा लिया| पाँच मिनट तक वो मेरे सीने से चिपकी रही और अपनी उखड़ी साँसों पर काबू करने लगी| मैंने उसके सर को चूमा तो उसने मेरी आँखों में देखा और मुझे मूक अनुमति दी| मैंने धीरे-धीरे लंड को अंदर बहार करना चालू किया और धीरे-धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ाने लगा| ऋतू की बुर अंदर से बहुत गीली थी इसलिए लंड अब फिसलता हुआ अंदर जा रहा था| दस मिनट और फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए| ऋतू ने फिर से मुझे कस कर जकड़ लिया और बुरी तरह हाँफने लगी| उसे देख कर एक पल को तो मैं डर गया की कहीं उसे कुछ हो ना जाये| मैंने उसे अपनी गोद से उतारा और कुर्सी पर बिठाया और उसके लिए पानी ले आया| पानी का एक घूँट पीते ही उसे खाँसी आ गई तो मैंने उसकी पीठ थप-थापाके उस की खाँसी रुक वाई| "क्या हुआ जान? तुम इतना हाँफ क्यों रही हो? कहीं ये आई-पिल का कोई रिएक्शन तो नहीं?" मैंने चिंता जताते हुए पूछा|
"ओह्ह नो! वो तो मैं लेना ही भूल गई!" ऋतू ने अपना सर पीटते हुए कहा|
"पागल है क्या? वो गोली तुझे 72 घंटों में लेनी थी! कहाँ है वो दवाई?" मैंने उसे डाँटते हुए पूछा तो उसने अपने बैग की तरफ इशारा किया| मैंने उसका बैग उसे ला कर दिया और वो उसे खंगाल कर देखने लगी और आखिर उसे गोलियों का पत्ता मिल गया और मैंने उसे पानी दिया पीने को| पर मेरी हालत अब ख़राब थी क्योंकि उसे 72 घंटों से कुछ ज्यादा समय हो चूका था| अगर गर्भ ठहर गया तो??? मैं डर के मारे कमरे में एक कोने पर जमीन पर ही बैठ गया| ऋतू उठी अपने कपडे ठीक किये और मेरे पास आ गई और मेरी बगल में बैठ गई| "कुछ नहीं होगा जानू! आप घबराओ मत!" उसने अपने बाएं हाथ को मेरे कंधे से ले जाते हुए खुद को मुझसे चिपका लिया|
|
|
|