03-20-2019, 12:16 PM,
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RE: Maa Chudai Kahani आखिर मा चुद ही गई
अंजली विशाल के कदमो की आहट सुनती है तो उसके होंठो पर फिर से मुस्कुराहट फैल जाती है. उसका चेहरा और सुर्ख़ हो उठता है, वो अपने जिस्म की नस नस में छायी उस उत्तेजना से सिहरन सी महसूस करती है. उत्तेजना का ऐसा आवेश उसने शायद जिन्दगी में पहली बार महसूस किया था. उत्तेजना का वो आवेश और भी तीव्र हो जाता है जब माँ महसूस करती है के उसका बेटा उसे किचन के दरवाजे में खड़ा घूर रहा है.
विशाल रसोई की चौखट पर हाथ रखे अपने सामने उस औरत को घूर रहा था जिसे उसने जिन्दगी में हज़ारों बार देखा था. अपने जिन्दगी के हर दिन देखा था. कभी एक आम घरेलु गृहणी की तरह तोह कभी एक पतिव्रता पत्नी की तरह अपनी सेवा करते हुए तो कभी ममता का सुख बरसाते हुए एक स्नेहल, प्यारी माँ की तरह. जिन्दगी के विविध क़िरदारों को निभाती वो औरत हमेशा एक परदे में होती थी. वो पर्दा सिर्फ कपडे का नहीं होता था बल्कि उसमे लाज, शरम, समाज और धरम की मान मर्यादा का पर्दा भी सामील था, मगर आज वो औरत बेपरदा थी. शायद एक गृहणी का, एक पत्नी का बेपर्दा होना इतनी बड़ी बात नहीं होती मगर एक माँ का नंगी होना बहुत बड़ी बात थी. और बेटा अपनी नंगी माँ की ख़ूबसूरती में खो सा गया था. महज खूबसूरत कह देना शायद अंजलि के जानलेवा हुस्न का अपमान होता. उसका तोह अंग अंग तराशा हुआ था. विशाल की ऑंखे माँ के जिस्म के हर उतार चढाव, हर कटाव पर फ़िसलती जा रही थी. उसकी सांसो की रफ़्तार उसकी दिल की धड़कनों की तरह तेज़ होती जा रही थी. उसे खुद पर अस्चर्य हो रहा था के उसका ध्यान अपनी माँ की ख़ूबसूरती पर पहले क्यों नहीं गया.
"अब अंदर भी आओगे या वही खड़े खड़े मुझे घूरते ही रहोगे" अंजलि डाइनिंग टेबल पर प्लेट रखती हुयी कहती है और फिर कप्स में चाय ड़ालने लगती है. विशाल के चेहरे से, उसकी फ़ैली आँखों से, उसके झटके मारते कठोर लंड से साफ़ साफ़ पता चलता था की वो अपनी माँ की कामुक जवानी का दीवाना हो गया था.
"मैं तोह देख रहा था मेरी माँ कितनी सुन्दर है" विशाल अंजलि की तरफ बढ़ते हुए कहता है.
"ज्यादा बाते न बना...मुझे अच्छी तरह से मालूम है में कैसी दीखती हु...." अंजलि टेबल पर चाय रखकर सीधी होती है तोह विशाल उसके पीछे खडा होकर उससे चिपक जाता है. विशाल अपनी माँ की कमर पर बाहें लपेटता उससे सट जाता है. त्वचा से त्वचा का स्पर्श होते ही माँ बेटे के जिस्म में झुरझुरी सी दौड जाती है.
"उम्म्म क्या करते हो...छोड़ो ना......" विशाल के लंड को अपने नितम्बो में घुसते महसूस कर अंजलि के मुंह से सिसकारी निकल जाती है.
"मा तुम सच में बहुत सुन्दर हो.....मुझे हैरानी हो रही है आज तक मेंरा ध्यान क्यों नहीं गया की मेरी माँ इतनी खूबसूरत है" विशाल अंजलि के पेट पर हाथ बांध अपने तपते होंठ उसके कंधे से सटा देता है. उधऱ उसका बेचैन लंड अंजली के दोनों नितम्बो के बिच झटके खा रहा था. विशाल अपनी कमर को थोड़ा सा दबाता है तो लंड का सुपडा छेद पर हल्का सा दवाब देता है. अंजलि फिर से सिसक उठती है.
"उनननहहः.......तुम आजकल के छोकरे भी ना, बहुत चालक बनते हो......सोचते होगे थोड़ी सी झूठी तारीफ करके माँ को पटा लोगे.......मगर यहाँ तुम्हारी दाल नहीं गलने वालि" अंजलि अपने पेट पर कसी हुयी विशाल की बाँहों को सहलाती उलाहना देती है और अपना सर पीछे की तरफ मोड़ती है. विशाल तुरंत अपने होंठ अपनी माँ के गालो पर जमा देता है और ज़ोरदार चुम्बन लेता है.
"उम्म्माँणह्ह्हह्ह्......अब बस भी करो" अंजलि बिखरती सांसो के बिच कहती है. विशाल, अंजलि के कन्धो को पकड़ उसे अपनी तरफ घुमाता है. अंजलि के घूमते ही विशाल उसकी पतली कमर को थाम उसकी आँखों में देखता है.
"मैंने झूठ नहीं कहा था माँ...तुम लाखों में एक हो.....तुम्हे इस रूप में देखकर तो कोई जोगी भी भोगी बन जाए" विशाल नज़र निची करके अंजलि के भारी मम्मो को देखता कहता है जो उसकी तेज़ सांसो के साथ ऊपर निचे हो रहे थे. अंजलि के गाल और और भी सुर्ख़ हो जाते है. दोनों के जिस्मो में नाम मात्र का फरक था. अंजलि के निप्पल्स लगभग उसके बेटे की छाती को छू रहे थे.
"चलो अब नाश्ता करते है....कितनी...." अंजलि से वो कामोउत्तेजना बर्दाशत नहीं हो रही थी. उसने बेटे को टालना चाहा तोह विशाल ने उसकी बात को बिच में ही काट दिया. विशाल ने आगे बढ़कर अपने और अपनी माँ के बिच की रही सही दूरी भी ख़तम कर दि. अंजलि की पीठ पर बाहें कस कर उसने उसे ज़ोर से अपने बदन से भिंच लिया. अंजलि का पूरा वजूद कांप उठा. उसके मम्मो के निप्पल बेटे की छाती को रगडने लगे और उधर विशाल का लोहे की तरह कठोर लंड सीधा अपनी माँ की चुत से जा टकराया.
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03-20-2019, 12:17 PM,
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RE: Maa Chudai Kahani आखिर मा चुद ही गई
बेटा......उउउउउनंनहहः......बेटाआ........"अंजली ज़ोर से सिसक पड़ती है.
विशाल के होंठ अंजलि की चुत पर चुम्बनों की वर्षा करते जा रहे थे और अंजलि वासना में जलती, सिसकती सोफ़े के कवर को मुट्ठियों में भींच रही थी. आंखे बंद वो कमर उछाल अपनी चुत बेटे के मुंह पर दबा रही थी. वासना का ऐसा आवेश उसने जिन्दगी में शायद पहली बार महसूस किया था. विशाल की भी हालत पल पल बुरी होती जा रही थी. सुबह से उसका लंड बुरी तरह से आकड़ा हुआ था. सुबह से उसकी माँ उसकी आँखों के सामने पूरी नंगी घूम रही थी और उसके जानलेवा हुस्न ने उसके लंड को एक पल के लिए भी चैन नहीं लेने दिया था. विशाल का पूरा जिस्म कामोन्माद में तप रहा था और अपने अंदर उबल रहे उस लावे को वो जल्द से जल्द निकाल देना चाहता था. और अब जब उसकी आँखों के बिलकुल सामने उसकी माँ की गुलाबी चुत थी और उससे उठने वाली मादक सुगंध उसे बता रही थी के उसकी माँ अब चुदवाने के लिए एकदम तय्यार है तो विशाल के लिए अब सब्र करना नामुमकिन सा हो गया. विशाल अपनी जीभ निकाल चुत के रसिले, भीगे होंठो के बिच घुसाता है तोह अंजलि तडफ उठती है. अखिरकार माँ बेटे के सब्र का बांध टूट जाता है.
अंजलि बेटे के सर को थाम उसे ऊपर उठाती है, दोनों के होंठ अगले ही पल जुड़ जाते है. अंजलि बेटे की जीभ अपने होंठो में भर चुसने लगती है. वासना के चरम में वो नारी की स्वाभाविक लाज शर्म छोड़ पूरी तरह आक्रामक रुख धारण कर लेती है. बेटे के सर को अपने चेहरे पर दबाती उसकी जीभ चुस्ती उसके मुखरस को पीती वो उस वर्जित रेखा को पार करने के लिए आतुर हो उठि थी. विशाल भी माँ की आतुरता देख सब शर्म संकोच त्याग सब हद पार करने के लिए तय्यार हो जाता है. माँ के जीव्हा से अपनी जीव्हा लड़ाता वो सोफ़े से निचे लटक रही उसकी टांगो को उठता है और उन्हें मोढ़ कर उसके मम्मो पर दबाता है. अंजलि पहले से ही सोफ़े पर पीछे को अधलेटी सी हालत में थी और अब विशाल ने जब उसकी टांगे उठकर उसके मम्मो पर दबायी तोह उसकी गांड सोफ़े से थोड़ी उठ गयी. विशाल ने खुद अपनी एक तांग उठकर सोफ़े पर रखी और आगे झुककर अपना लंड माँ की चुत के मुहाने पर रख दिया.
अंजलि अपनी चुत पर बेटे के लंड का टोपा महसूस करते ही अपनी बाहें बेटे के गले में दाल उसे और भी ज़ोर से अपनी तरफ खींचती है. अब वो अपने सगे बेटे से चुदवाने जा रही थी, किसी भी पल बेटे का लंड उसकी चुत के अंदर घुस जाने वाला था और अब वो रुकने वाली नहीं थी. अगर पूरी दुनिया उसे रोकती अगर भगवन भी वहां आ जाता तोह भी वो रुकने वाली नहीं थी.
विशाल अपने कुल्हे आगे धकेल लंड का दवाब बढाता है. लंड का मोटा सुपाडा चुत के होंठो को फ़ैलाता अंदर की और बढ़ता है. अंजलि बेटे के होंठ काटती उसे अपनी जीभ पूरी उसके मुंह में दाल उसके मुख को अंदर से चुसने चाटने का प्रयत्न करती है. वासना में जलती तड़फती वो चाहती थी के जल्द से जल्द उसके बेटे का लंड उसकी चुत में घुस जाये वहीँ उसे यह भी एहसास हो रहा था के बेटे का लंड उसकी सँकरी चुत के मुकाबले कहीं अधिक मोटा है और वो इतनी आसानी से अंदर घूसने वाला नहीं था.
इस बात को विशाल भी भाँप चुका था की उसकी माँ की चुत बहुत टाइट है और इस बात से उसे बेहद्द ख़ुशी हो रही थी. आजतक उसने विदेश में गोरियों की ढीली चुत ही मारी थी ऐसी टाइट चुत उसे जिन्दगी में चोड़ने के लिए पहली बार मिली थी और वो भी अपनी ही माँ की.
विशाल अपना पूरा ध्यान लंड पर केन्द्रीत कर अधिक और अधिक ज़ोर लगाता है तोह उसका लंड चुत के मोठे होंठो को फ़ैलाता जबरदस्ती अंदर घूसने लगता है जैसे ही गेन्द जैसा मोटा सुपाडा चुत को बुरी तरफ फ़ैलाता अंदर घुसता है, अंजलि बेटे के मुंह से मुंह हटा लेती है. वो अपना सर पीछे को सोफ़े पर पटकती है और विशाल के कन्धो को ज़ोर से अपने हाथो से दबाती अपनी आंखे भींचने लगती है. उसे दर्द तोह इतना नहीं हो रहा था मगर लंड के इतने मोठे होने के कारन उसकी चुत बुरी तरह से खिंचति महसूस हो रही थी और विशाल जिस तरह दवाब दाल रहा था और लंड इंच इंच अंदर घुसते जा रहा था उससे उसे सांस लेने में तकलीफ महसूस हो रही थी.
विशाल को अंजलि के चेहरे से मालूम चल रहा था के वो असहज है मगर चुत का कोमल, मखमली स्पर्श उसे इतना अधिक आनन्दमयी लगा और वो कामोन्माद में इस कदर पागल हो चुका था के बिना रुके लंड को अंदर और अंदर पहुँचाता जा रहा था. ऊपर से चुत इतनी गीली थी, इतनी गरम थी की वो चाहकर भी रुक नहीं सकता था. अखिरकार उसने एक करारा झटका मारा और पूरा लंड जड़ तक अंदर ठोंक दिया.
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03-20-2019, 12:18 PM,
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RE: Maa Chudai Kahani आखिर मा चुद ही गई
विशाल को अंजलि के चेहरे से मालूम चल रहा था के वो असहज है मगर चुत का कोमल, मखमली स्पर्श उसे इतना अधिक आनन्दमयी लगा और वो कामोन्माद में इस कदर पागल हो चुका था के बिना रुके लंड को अंदर और अंदर पहुँचाता जा रहा था. ऊपर से चुत इतनी गीली थी, इतनी गरम थी की वो चाहकर भी रुक नहीं सकता था. अखिरकार उसने एक करारा झटका मारा और पूरा लंड जड़ तक अंदर ठोंक दिया.
"वूःहहहहहह बेत्ततत्तआ.........ओह्ह्ह मम्माआ......आआह्ह्ह्ह" अंजलि उस अखिरी झटके से चीख़ ही पढ़ी थी.
मगर अंजलि की चीख़ ने विशाल की आग में घी का काम किया और उसने तुरंत बिना एक पल की देरी किये अपना लंड बाहर खींच फिर से अंदर ठोंक दिया.
"बेटा...आआह्ह्ह्हह्ह्....धीररेरे........धीरेईई.........ऊफफफ्फ्फ्क" मगर बेटा अब कहाँ धीरे होने वाला था. माँ की चुत इतनी गरम हो, इतनी टाइट हो और बेटा पहली बार उसे चोद रहा हो तोह वो धीरे कैसे चोदेगा. कोई नामरद ही ऐसा कर सकता था और विशाल तोह भरपूर मरद था. वो घस्से पर घस्से मारने लगा. तेज़ तेज़ झटको से वो अपनी माँ को ठोकने लगा.
"उऊंणग्ग्घहहः........है भगवान......ओह मेरे भगवान... ओह ह ह..........बेटा आ........हाय ओ ओ.........आह बेटा." हर घस्से के साथ साथ अंजलि के मुंह से निकलने वाली सिसकियाँ गहरी और गहरी होता जा रही थी और साथ ही साथ विशाल के घस्से भी गहरे होते जा रहे थे, तेज़ होते जा रहे थे. अब चुत में उसका लंड थोड़ा आसानी से अंदर बाहर होने लगा था और इससे विशाल को अपनी रफ़्तार तेज़ करने में आसानी होने लगी. अंजलि की चुत अंदर इतनी दहक रही थी के विशाल का लंड जल रहा था. उसी आग की तपीश से विशाल को एहसास हुआ की उसकी माँ चुदवाने के लिए कितनी तडफ रही थी. मगर अब वो अपनी माँ को और तडफने नहीं देगा वो चोद चोद कर अपनी माँ की पूरी गर्मी निकालने वाला था. विशाल और भी खींच खींच कर झटके मारने लगा.
"उऊउउउउइइइइ..........हहहायीईइ बेटा बेटा ओह हहहह... आअह्हह्ह्....मार ही डालेगा क्या" विशाल ने जवाब देणे की बजाये अपनी माँ के हाथ अपने कन्धो से हटाये और उसके घुटनो के निचे रख दिये. अंजलि ने इशारा समज अपनी टांगे थाम ली और विशाल ने अपने हाथ माँ के मम्मो पर रख दिए जो उसके घस्सो के कारन बुरी तरह से उछाल रहे थे.
"जरा आराम आराम से करो ना.....में कहाँ भागि जा रही हु ..क्या.......उउउफफ इतनी ज़ोर से झटके मार रहे हो जैसे फिर माँ चुदने के लिए नहीं मिलेगी.....जितना चाहे चोद मगर प्यार से....." विशाल ने अपनी माँ की बात पूरी नहीं होने दी और उसके मम्मो को अपने हाथो में भींच एक करारा झटका मारा और लंड पूरा जड़ तक माँ की चुत में ठोंक दिया.
"ऊऊऊफफफफफफ...जान ही निकाल देगा..........ऊआह्ह्ह्हह.....हहहायियी........हाययी...." अंजलि अब की सिसकियाँ पूरे रूम में गूँज रही थी और वो हर झटके के साथ ऊँची होती जा रही थी. मगर अब उसकी सिसकियाँ पहले के तरह तकलीफ़देह नहीं थी अब वो सिसकियाँ आनंद के मारे सीत्कार रही उस माँ की थी जो पहली बार बेटे से चुदवाते हुए परमानन्द महसूस कर रही थी. उसकी सिसकियाँ क्या उसकी चुत से रिस्ते उस कामरस से पता चल रहा था की वो कितने आनंद में थी. उसके चुतरस से दोनों की जांघे गिली हो गयी थी और लंड बेहद्द तेज़ी और आसानी से अंदर बाहर हो रहा था. फक फक फक की तेज़ आवाज़ कमरे में गूंज रही थी.
"मा मज़ा आ रहा है ना.........बता माँ .....मजा आ रहा है ना..बेटे से चुड़वाने में" विशाल सांड की तरह अपनी माँ को ठोके जा रहा था अब तो तुम्हे दिन रात चोदूँगा मा बोल चुदेंगी ना माँ अपने बेटे से बोल ना माँ हा बेटा जब तू चाहे जहाँ तू चाहे मैं तो अब तुझसे ही चुदूँगी मेरे लाल मेरे साथ अमेरिका चलेगी ना माँ वहाँ सिर्फ हैम दोनो ही होंगे फिर तो जैसे चाहेंगे वैसे चोदा चोदी करेंगे करेगी ना माँ मेरे साथ चलेगी ना माँ हा चलूंगी मेरे लाल अब तेरे सिवा मैं कैसे रहूंगी मेरे बेटे मेरे लाल वह तो बाद कि बात है पहले मुझे चोद जोर से चोद मेरे लाल….मेरे …..बेटे….. आह ….आह …..ओह……
"ऊऊफफफफ पूछ मत्त...बस चोदे जा मेरे लाल......उउउफफग...चोदे जा.......ऐसा मज़ा ज़िन्दगी में पहले. ...उठहहहः...पहले..कभी नहीं आया.....बस तू ...चोद...मेरे लालल......उउउइइइइइमा.....चोद बेटा.......अपनी माँ चोद.......चोद मुझे....." अंजलि के उन अति अश्लील लफ़्ज़ों ने विशाल का काम कर दिया. वो मम्मो को बुरी तरह खींचता, दबाता, निचोड़ता पूरा लंड निकाल निकाल कर जितना सम्भव था, ज़ोर से झटके मारने लगा दोनों माँ बेटा एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे. विशाल माँ की आँखों में देखता पूरे ज़ोर से घस्सा मारता तोह अंजलि बेटे की आँखों में ऑंखे दाल ज़ोर से कराहती. तूफ़ान अपने चरम पर पहुच चुका था. दोनों के बदन पसीने से नहा चुके थे. उफनती सांसो के शोर के बिच चुदाई की मादक सिसकिया गूंज रही थी. जलद ही विशाल को एहसास हो गया के वो अब ज्यादा देर नहीं ठहरने वाला. उसके अंडकोषों में वीर्य उबल रहा था.
"मा अब बस्स.....बस मेरा छूटने वाला है..माँ...." विशाल के मुंह से वो अलफ़ाज़ निकले ही थे के उसे अपने अंडकोषों से वीर्य लंड के सुपाडे की और बहता महसूस हुआ.
"मेरे अंदर.....अंदर....डाल...भर दे मेरी चुत......." अंजलि अपनी टाँगे छोड़ विशाल के गले को अपनी बाँहों के घेरे में ले लेती है.
"मा....उहठ्ठ......माँ.......ऊआह्ह्ह्हह्ह्" विशाल के लंड से वीर्य की फुहारे निकलने लगती है. मगर विशाल रुकता नहि, वो लगातार घस्से मारता रहता है. वीर्य की तेज़ धारियों की छींटे अंजलि अपनी चुत में अच्छे से महसूस कर सकती थी. वो अपनी टाँगे उठा विशाल की कमर पर बांध उसे कसती जाती है. वो इतने ज़ोर से विशाल को अपनी बाँहों और टांगो में भींच रही थी के विशाल के झटके मंद पढ़ने लगे. अंजलि की पकड़ और मज़बूत होती गयी और इससे पहले वो महसूस करती उसका बदन ऐंठने लगा. चुत में सँकुचन होने लगा. वो झड रही थी. दोनी माँ बेटा झड रहे थे. अंजलि का पूरा जिस्म तड़फड़ा रहा था. विशाल माँ को अपनी बाँहों में समेट लेता है.
फिर तो हर दिन जब उसके पिता ऑफिस चले जाते उसके बाद माँ बेटा पूरे दिन घर मे नंगे ही रहते जब चाहा जहा चाहा शुरू हो जाते विशाल की छुट्टियां खतम हो गई अब उसे अमेरिका वापस जाना था पर वह अकेला नही जाना चाहता था इसलिए इसने अपने पापा से बात की तब उसके पापा ने कहा कि वह तो अपनी नोकरी की वजह से नही आ सकते वह चाहे तो अपनी माँ को अपने साथ ले जा सकता है वह यहां अकेले मैनेज कर लेंगे इस बात पर दोनों माँ बेटे एक दुसरे की की तरफ देख के मंद मंद हस रहे थे कि अब वह अमेरिका में जैसा चाहे वैसा रह सकते है
दोस्तो यह कहानी यही समाप्त होती है यह कहानी आपको कैसे लगी इस बारे में अपनी अनमोल कमेंट जरूर दे
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01-20-2020, 09:50 PM,
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lovelylover
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RE: Maa Chudai Kahani आखिर मा चुद ही गई
bahut hi erotica.
sexual, चुदास
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07-31-2020, 03:34 PM,
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Sanjanap
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RE: Maa Chudai Kahani आखिर मा चुद ही गई
(01-20-2020, 09:50 PM)lovelylover Wrote: bahut hi erotica.
sexual, चुदास
खुपच मनमोहक कहाणी आहे ही
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