08-02-2020, 01:07 PM,
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hotaks
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Thriller विक्षिप्त हत्यारा
"मैं मैड हाउस के वेटरों वगैरह से पूछताछ करूंगा । शायद किसी को मालूम हो कि मुकुल कहां रहता है । मुकुल के पिछले जीवन की तफ्तीश करने के लिये यूथ क्लब का एक आदमी बम्बई भी गया हुआ है । किसी भी क्षण उसकी रिपोर्ट आ सकती है शायद उस रिपोर्ट से ही मुकुल को तलाश करने में कोई सहायता मिले । वैसे मिसेज जायसवाल, सम्भावना यह भी है कि बिन्दु के घर ने लौटने में और पिछली रात मुकुल के मैड हाउस में न आने में कोई सम्बन्ध ही न हो ।"
"ऐसा नहीं हो सकता । मेरा मन कहता है कि वह हिप्पी ही बिन्दु को बरगला कर ले गया है ।"
"शायद ऐसा ही हो । बहरहाल आप सुनील सुपरिन्टेन्डेन्ट राम सिंह से फौरन सम्पर्क स्थापित कीजिये । अगर आपका ही सन्देह सच है तो देर करने से गड़बड़ हो जाने की सम्भावना है ।"
"ओके । मैं अभी पुलिस हैडक्वार्टर जाती हूं ।"
दूसरी ओर से सम्बन्धविच्छेद हो गया ।
सुनील ने रिसीवर को क्रेडल पर रख दिया ।
तत्काल टेलीफोन की घन्टी फिर बज उठी ।
सुनील ने दुबारा रिसीवर उठा लिया और बोला - "हल्लो ।"
"सुनील ?" - दूसरी ओर से रमाकांत का स्वर सुनाई दिया ।
"हां ।"
"रमाकांत बोल रहा हूं । जौहरी ने बम्बई से बाई एयर रिपोर्ट भेजी है । मैंने एक आदमी को आई.ए.सी. से कार्गो आफिस में भेजा है । वह वहां से रिपोर्ट लेकर सीधा तुम्हारे प्लैट पर आयेगा । वहीं रहना ।"
"अच्छा । कब तक आयेगा वह ?"
"बस, आता ही होगा ।"
सुनील ने रिसीवर रख दिया ।
उसने एक सिगरेट सुलगा लिया और प्रतीक्षा करने लगा ।
लगभग दस मिनट बाद फ्लैट की कालबैल बजी ।
सुनील ने उठकर द्वार खोला ।
द्वार पर यूथ क्लब का एक सुनील का जाना पहचाना वेटर खड़ा था । उसने सुनील को सलाम किया और एक मोटा-सा 4x9 इंच का लिफाफा सुनील की ओर बढा दिया ।
सुनील ने लिफाफा ले लिया ।
वेटर विदा हो गया ।
वापिस फ्लैट में आकर सुनील ने लिफाफा खोला । सुनील ने सारे कागजात बाहर निकाल लिये । रिपोर्ट के पहले पृष्ट पर जौहरी के हैण्डराइटिंग में लिखा था
गोपनीय रिपोर्ट
राम (चन्द्र) ललवानी
जन्म बम्बई । सन् 1929
सोलह मई सन 1941 को चोरी के इलजाम में गिरफ्तार हुआ । एक वर्ष की सजा हुई । बम्बई के रिफार्मेटरी स्कूल में रहा । फिर गिरफ्तार हुआ । कुल तीन साल रिफार्मेटरी स्कूल में रहा ।
दस सितम्बर, 1947 को सशस्त्र डकैती को इलजाम में गिरफ्तार हुआ । पुलिस उसके विरुद्ध पर्याप्त प्रमाण इकट्ठे नहीं कर सकी थी इसलिये केस डिसमिस हो गया ।
आठ जनवरी, 1950 को कत्ल के इलजाम में गिरफ्तरा हुआ । उसके खिलाफ जो चश्मदीद गवाह था, वह बड़े रहस्यपूर्ण ढंग से कहीं गायब हो गया । उसके बिना पुलिस का केस कमजोर पड़ गया । राम ललवानी बरी हो गया ।
पुलिस का विचार है कि राम ललवानी के ही आदमियों द्वारा चश्मदीद गवाह की हत्या कर दी गई थी और फिर लाश गायब कर दी गई थी ।
छः मार्च, 1952 को भिण्डी बाजार के मशहूर दादा गणपति की हत्या के सन्देह में गिरफ्तार किया गया । चार दिन बाद छोड़ा दिया गया । मुकददमा नहीं चल सका ।
सोलह दिसम्बर, 1953 को घड़ियों की स्मगलिंग के इलजाम में गिरफ्तरा हुआ । डेढ साल की कैद बामशक्कत ।
पच्चीस जून, 1956 में फिर पकड़ा गया । दो साल के लिये तड़ीपार का हुक्म ।
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08-02-2020, 01:08 PM,
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Thriller विक्षिप्त हत्यारा
Chapter 3
अगले दिन सुबह नौ बजे तैयार होकर सुनील अपने फ्लैट से निकलने ही वाला था कि फोन की घन्टी घनघना उठी ।
उसने रिसीवर उठा लिया ।
"हल्लो ।" - वह बोला ।
"मिस्टर सुनील देअर ?" - किसी स्त्री स्वर में प्रश्न किया ।
"स्पीकिंग ।"
"मिस्टर सुनील, मैं कावेरी बोल रही हूं ।" - दूसरी ओर से कावेरी का उत्तेजित स्वर सुनाई दिया । वह बहुत उत्तेजित स्वर से बोल रही थी इसलिये सुनील उसकी आवाज नहीं पहचान पाया था ।
"गुड मार्निंग, मिसेज जायसवाल ।" - सुनील शिष्ट स्वर में बोला ।
कावेरी ने उसकी बात की ओर ध्यान न दिया । वह पहले से भी अधिक उत्तेजित स्वर में बोली - "मिस्टर सुनील, बिन्दु गायब हो गई है ।"
"जी !" - सुनील चौंककर बोला ।
"जी हां । वह कल दोपहर से घर में नहीं है ।"
"तो फिर क्या हो गया ? कहीं मित्रों में चली गयी होगी ।"
"मैंने सारे राजनगर में हर ऐसे स्थान पर पूछताछ कर ली है जहा कि बिन्दु के होने की सम्भावना हो सकती है । बिन्दु कहीं नहीं है, मिस्टर सुनील ।"
"क्या वह पहले भी कभी आपको - या जब रायबहादुर साहब जीवित थे, उनको - बताये बिना यूं घर से चली जाती थी ?"
"नहीं । हरगिज नहीं । घर से तो वह किसी की इजाजत लिये बिना या किसी को बताये बिना अक्सर चली जाया करती थी लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि वह रात को वापिस न लौटी हो । और फिर वह अपने कपड़े वगैरह भी तो ले गई है ।"
"कपड़े !"
"जी हां । आज सुबह मुझे उसकी नौकरानी ने बताया है कि कल जब बिन्दु कोठी से गई थी तो अपने साथ एक सूटकेस भी लेकर गई थी । यह बात अगर मुझे नौकरानी ने कल बता दी होती तो मैं कल ही आपको फोन कर देती ।"
"नौकरानी ने आपको इस बात की सूचना पहले क्यों नहीं दी ?"
"क्योंकि उसे इसमें अश्वाभाविक कुछ भी नहीं लगा था । वह तो समझी थी कि बिन्दु जहां जा रही थी, मुझे बताकर जा रही थी । वह तो आज सुबह जिक्र आ गया तो उसने बताया कि वह कल अपने साथ एक सूटकेस भी लेकर गई थी । मिस्टर सुनील, मुझे एक शंका हो रही है ।"
"क्या ?"
"कहीं वह मुकुल के साथ तो नहीं चली गई !"
"आपने मुकुल से इस बारें में पूछा है ?"
"कैसे पूछती ? रात भर तो मुझे आशा ही लगी रही थी कि वह लौटकर आ जायेगी । रात के दो बजे के बाद तो वह मैड हाउस से घर कई बार आई है । उस समय मुझे यह बात नहीं मालूम थी कि इस बार हमेशा की तरह मनोरंजन के लिये नहीं गई है बल्कि अपना सामान भी साथ लेकर गई है । फिर अब जब नौकरानी ने सूटकेस के बारे में बताया तो मेरा दिल दहल गया । इस समय मैं मुकुल से इस विषय में कोई पूछताछ नहीं कर सकती । मैड हाउस तो शाम को ही खुलता है और मुझे यह मालूम नहीं है कि मुकुल रहता कहां है ?"
"मिसेज जायसवाल" - सुनील धीरे से बोला - "कल मुकुल मैड हाउस में नहीं था ।"
बात का महत्व तत्काल कावेरी की समझ में न आया ।
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08-02-2020, 01:08 PM,
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Thriller विक्षिप्त हत्यारा
सुनील पेट पकड़े प्रभूदयाल द्वारा निर्दिष्ट दिशा की ओर भागा । उधर बाथरूम था । सुनील को एक जोर की उल्टी आई और उसका सारा खाया-पिया बाहर निकल आया । वह लम्बी-लम्बी सांसें लेने लगा । फिर उसने कुल्ला किया, मुंह धोया, थोड़ा पानी पिया और बाथरूम से बाहर निकल आया ।
फ्लोरी की लाश की दिशा में दुबारा आंखें उठाये बिना वह बैडरूम से बाहर निकल आया ।
प्रभूदयाल भी उसके पीछे-पीछे कमरे से निकल आया । उसके संकेत पर एक सिपाही ने बैडरूम का दरवाजा बाहर से बन्द कर दिया ।
सुनील ने जेब से लक्की स्ट्राइक का पैकट निकाला और कांपते हाथों से एक सिगरेट सुलगा लिया ।
"कैसा लगा ?" - प्रभूदयाल ने धीरे से पूछा ।
"ऐसी की तैसी तुम्हारी ।" - सुनील झल्लाकर बोला - "यू... यू ब्लडी सैडिस्ट ।"
"तुम्हें वह वीभत्स दृश्य दिखाने से मुझे बड़ा फायदा हुआ है ।"
"तुम्हें क्या फायदा हुआ है ?"
"और सिर्फ मुझे ही नहीं तुम्हें भी फायदा हुआ है । मुझे इस बात पर विश्वास हो गया है कि फ्लोरी की हत्या तुमने नहीं की । तुम्हारे लिये वह दृश्य एकदम नया था । अगर फ्लोरी की वह हालत तुमने बनाई होती तो उसकी लाश को दुबारा देखकर तुम उल्टियां न करने लगते ।"
सुनील चुप रहा ।
"तुम्हारे ख्याल से हत्यारा कौन हो सकता है ?"
"मुझे क्या मालूम ?"
"लेकिन तुम्हें अनुमान लगाने की तो कोशिश करनी चाहिये । आखिर वह तुम्हारी सहेली थी ।"
"इतनी पक्की सहेली नहीं थी कि मैं उसके हर जानकार को जानता होऊं या मुझे उसकी निजी लाइफ की जानकारी हो ।"
"फिर भी !"
"फिर भी यह कि यह किसी नार्मल इन्सान की हरकत नहीं है । फ्लोरी की हत्या करने वाला जरूर कोई शत-प्रतिशत विकृत दिमाग का व्यक्ति था । इस विषय में मुझसे कुछ पूछने के स्थान पर उल्टे तुम्हें हैडक्वार्टर जाकर पुलिस का रिकार्ड टटोलना चाहिये कि क्या इस प्रकार के पैट्रन का कोई कत्ल कही और भी हुआ है और अगर हुआ है तो पहले वाला कत्ल किसने किया था !"
"मुझे सीख मत दो ।" - प्रभूदयाल बोला - "इस प्रकार का रिकार्ड हैडक्वार्टर पर पहले ही टटोला जा रहा है और सारे देश के पुलिस हैडक्वार्टर्स पर इन्क्वायरी भिजवाई जा चुकी है । हमें अगले चौबीस घन्टे में हत्यारे के मामले में किसी जानकारी हासिल कोने की आशा है ।"
सुनील चुप रहा । प्रभूदयाल भी कुछ न बोला ।
"अगर इजाजत हो तो मैं यहा से दफा हो जाऊं ?" - सुनील ने पूछा ।
प्रभूदयाल ने उत्तर न दिया ।
सुनील उसके बोलने की प्रतीक्षा करने लगा ।
"सुनील" - अन्त में प्रभूदयाल बोला - "तुम्हारे यहां आने ने मुझे एक नई सम्भावना पर विचार करने पर मजबूर कर दिया है ।"
"क्या ?"
"कहीं सोहन लाल और फ्लोरी की हत्या में कोई सम्बन्ध तो नहीं ! कहीं दोनों हत्यायें एक ही हत्यारे का काम तो नहीं ! सुनील, तुम वह धागा हो जो दोनों हत्याओं को एक सूत्र में पिरो रहा है । अपने कथनानुसार तुम सोहन लाल से मिलने उसके फ्लैट पर पहुंचे तो सोहन लाल मारा गया । फिर तुम फ्लोरी से मिलने यहा पहुंचे तो फ्लोरी की हत्या हो गई । इन तथ्यों से मैं एक ही नतीजे पर पहुंचा हूं कि सारे सिलसिले से तुम्हारा कोई बहुत गहरा सम्बन्ध है जिसके बारे में तुम हमें कुछ बता नहीं रहे हो ।"
"जो मुझे मालूम था, मैं तुम्हे पहले ही बता चुका हूं ।"
"तुमने हमें विशेष कुछ नहीं बताया है । तुमने हमें वही बातें बताई हैं जो हमें वैसे भी बड़ी आसानी से मालूम हो सकती थीं । अब मैं सारी कहानी सुनना चाहता हूं । इस वक्त तुम्हारे साथ सिरखापाई करने का मेरे पास समय नहीं है । कल ठीक दस बजे मैं पुलिस हैडक्वार्टर में तुम्हारा इन्तजार करूंगा । अगर तुम्हें वहां आने में कोई एतराज हो तो उसे अभी जाहिर कर दो ताकि मैं कोई दूसरा इन्तजाम करूं ।"
"दूसरा इन्तजाम क्या करोगे ?"
"मैं तुम्हें दो हत्याओं के सन्देह में गिरफ्तार कर लूंगा और हथकड़ी लगवाकर हैडक्वार्टर भेज दूंगा । रात भर तुम हैडक्वार्टर की हवालात में सड़ोगे फिर जब मुझे फुरसत होगी, मैं हवालात के लिये तुम्हें बुला लूंगा और, जैसा कि मैं दोपहर को भी तुम्हें बता चुका हूं, मैं बहुत व्यस्त हूं । मुझे मरने की फुरसत नहीं है सम्भव है, मैं कई दिन तुम्हारे लिये वक्त न निकाल पाऊं ।"
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