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RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 10
पारस- वाह यार… तुम्हारा काम तो बहुत मजेदार है.
लड़का- क्या साहब… बहुत मेहनत का काम है…पारस- वो तो है यार देख मेरे कैसे पसीने छूट गए…और तेरे भी जाने कहाँ कहाँ से, सब जगह से गीला हो गया तू तो…
सलोनी- बस अब तो हो गया ना
पारस- हाँ जानेमन हो गया… अब स्कर्ट तो नीचे कर लो, क्या ऐसे ही ऊपर पकड़े खड़े रहोगी… हा हा?
लड़का- हा हा… क्या साहब?
सलोनी- उउऊऊनन्न्न मारूंगी मैं अब तुमको.. चलें अब…?
पारस- अभी कहाँ जान, क्या ब्रा नहीं लेनी?लड़का- हाँ मैडमजी, मम्मो का तो सही नाप आपको बहुत सेक्सी दिखाता है.
सलोनी- अब क्या यहाँ इसके सामने खुले में पूरी नंगी होऊँ मैं?
पारस- अरे क्या जान… बस ऊपर से टॉप कन्धों से नीचे कर लो, ऐसे… ठीक है मास्टरजी… इतने मम्मों से काम चल जायेगा ना?
लड़का- हाँ साहब, पहले मम्मों के ऊपर और नीचे वाले हिस्से से कमर का नाप लीजिये.
पारस- ओह जान, कितना हिल रहे हैं तुम्हारे मम्मे…
लड़का- नहीं साहब… यह तो पूरा फीता हिल गया.
पारस- यार तू ले ये नाप, मैं इन मम्मो को पकड़ कर रखता हूँ.
सलोनी- ओह नहीं पारस, यह तुम क्या कह रहे हो?
पारस- कुछ नहीं जान… मैं हूँ न, मैं अपना हाथ रखे रहूँगा, वो केवल फीता पकड़ेगा.
लड़का- हाँ साहब, बस ये ऐसे… इतना ही… ये यहाँ 32… और……यहाँ 30…वाह बहुत सेक्सी नाप है मैडमजी आपका…साहब जरा हाथ हटाइये… अब ये ऊपर से बस यहाँ से…
पारस- यहाँ से?
सलोनी- ऊऊऊऊउईईईईईईईई क्या करते हो…
पारस- ओह सॉरी डियर !
लड़का- वाओ साहब… ऊंचाई 37… बहुत मस्त है……मैडम जी… आप देखना अब… ये वाली ब्रा पहनकर आपकी सभी कपड़े कितने मस्त दिखेंगे…आप पूरी हिरोइन दिखोगी…
पारस- चल वे चल… मेरी जान तो हमेशा से ही हिरोइन को भी मात देती है…
सलोनी- अच्छा ठीक है… अब हो गया…
लड़का- बस मैडमजी… इन दोनों की गोलाई का नाप और ले लूँ.
सलोनी- वो क्यों?
लड़का- अरे मैडम जी… दोनों का नाप अलग-अलग होता है… फिर देखना आपको कितना आराम मिलेगा.
पारस- अरे यार… यह सही ही तो कह रहा होगा, कौन सा तुम्हारे मम्मों को खा जायेगा.
सलोनी- धत्त… जल्दी करो अच्छा…
लड़का- साहब जरा यहाँ से पकड़ लीजिये… बस देखा आपने साहब पूरे एक इंच का फ़र्क है. किसी किसी का तो 3-4 इंच तक का होता है
सलोनी- अब तो ऊपर कर लूँ कपड़े… हो गया ना?
पारस- तुम्हारी मर्जी जान, वैसे ऐसे ही बहुत गजब ढा रही हो. चाहो तो ऐसे ही चलें घर…?
सलोनी- हो हो… बड़े आये… तुम तो घर चलो फिर बताती हूँ…
लड़का- हा…हा…हा… क्या साहब… आप भी बहुत मजाकिया हो…मेमसाब आपकी निप्पल बहुत सेक्सी हैं… मैं आपको नोक वाले ब्रा दिखाऊंगा…आप वही पहनना…देखा कितनी मस्त दिखोगी…
सलोनी- हाँ, मैंने देखी थीं वो एक अपनी सहेली के पास… मैं तो उस जैसी ही चाहती थी, अच्छा हुआ तुमने याद दिला दिया… चलो अब… जल्दी से दो…
लड़का- मैडम जी, ये वाली तो मैं तैयार करवा दूंगा… 2-3 दिन लगेंगे…
सलोनी- तो अभी मैं क्या लूँगी?
पारस- तब तक जान ऐसे ही घूमो, किसे पता चलता है कि तुमने पहनी या नहीं पहनी.
सलोनी- मारूंगी अब मैं तुमको…
लड़का- हा…हा… साहब मुझे पता है…साहब एक बात बताऊँ…हमारे पहनने या न पहनने से किसी को फर्क नहीं पड़ता, पर लड़की का सबको पता चल जाता है, क्योंकि सब घूर घूर कर वहीं देखते हैं…
सलोनी- हाँ तो अब मैं क्या लूँ?
लड़का- मैडमजी जो, पहले आपने देखे थे उसी में से पसन्द कर लीजिये.
सलोनी- ठीक है…
पारस- ये और ये ले लो…
सलोनी- ओके भैया… ये वाले दे दो…ओके… फिर चलते हैं.. मैं 3-4 दिन बाद आऊँगी.. आपके पास सही नाप लेकर आ जायेंगे.…
…
…
पारस- ओह भाभी… फिर भूल गई वैसे ही बैठो न…
सलोनी- हाँ हाँ, मगर सब इधर ही देख रहे हैं, कितनी भीड़ है यहाँ…
पारस- तो क्या हुआ?…
…
कोई दूर से आवाज आ रही थी… जैसे कोई पीछे से बोल रहा हो…
अन्जान आवाज- …ओययय…ईईईए… बो देख उसने कच्छी नहीं पहनी…
कोई दूसरा- …क्याआआआ…?
पहला- …हाँ यार… मैंने उसकी फ़ुद्दी देखी… पूरी नंगी थी यार……चल पीछा करते हैं…
सलोनी- …देखा मना कर रही थी ना… क्या कह रहा है वो…
पारस- हा… हा… हाहाहाहा… मजा आया या नहीं… आपने सुना नहीं… कह रहा था कि ‘मैंने उसकी फ़ुद्दी देखी’ हा… हा… हाहाहा…
सलोनी- तू आज सबको मेरी चूत दिखा दिखा कर ही खुश होते रहना… पागल… सरफिरा…
पारस- भाभी… वो पीछे आ रहे हैं… जरा कस कर पकड़ लो, मैं बाइक तेज भगाने वाला हूँ…
सलोनी- माए गॉड, तू मरवा देगा आज… जल्दी चला…
पारस- अरे कुछ नहीं होगा भाभी… बस कसकर चिपक जाओ…
सलोनी- देख कितना चिल्ला रहे हैं वो…
पारस- भाभी अपनी स्कर्ट पकड़ो… वो गांड…गांड..क्या मस्त गांड है करके चिल्ला रहे हैं…
सलोनी- अब तुझे पकड़ू या स्कर्ट, तू तो भगा जल्दी और इन सबसे पीछा छुड़वा…
पारस- ओके भाभी… ये लोऊऊऊ…ओ… आआआआआ……
पारस- अब तो ठीक है ना भाभी, जरा देखो पीछे, अब तो नहीं आ रहे…
सलोनी- हाँ अब तो कोई नहीं दिख रहा… थैंक्स गॉड..…आज तो बच गई…
पारस- हा… हा… क्या भाभी, आप या आपकी गांड…
सलोनी- हाँ हाँ तुझे तो बहुत मस्ती सूझ रही है ना… ही ही… वैसे दोनों ही बच गई… कितना चिल्ला रहे थे वो, ना जाने क्या हाल करते…
पारस- यहाँ पर आप गलत हो भाभी, आप तो बच गई परन्तु गांड नहीं बचेगी… देखो मेरे लण्ड का क्या हाल है…
सलोनी- माई गॉड, ये जनाब तो पूरे टनटना रहे हैं…
पारस- हाँ भाभी प्लीज, जरा चैन खोलकर सहला दो न… अंदर दम घुट रहा है बेचारे का…
सलोनी- इस चलती रोड पर…
पारस- तो क्या हुआ भाभी… टी-शर्ट तो है न ऊपर…
सलोनी- वाओ… ये साहब तो कुछ ज्यादा ही बड़े और गर्म हो गए हैं…
पारस- आःआआ… हा… ह्ह्ह्हह्ह… कितना नरम हाथ है आपका… मजा आ गया…भाभी इसे अपनी गांड में ले लो न…
सलोनी- तो घर तो चल पागल… क्या यहीं डालेगा…
पारस- काश भाभी… आप आगे आकर दोनों पैर इधर-उधर कर मेरी गोदी में बैठ जाओ और मैं तुमको चोदता हुआ बाइक चलाऊँ… …आःआआ ह्ह्हह्ह्ह्ह…
सलोनी- अच्छा अच्छा… अब न तो सपना देख और ना दिखा… जल्दी से घर चल मुझे बहुत तेज सू सू आ रही है…
पारस- वाओ भाभी… क्या कह रही ही… आज तो आपको खुले में मुत्ती करवाएँगे…
सलोनी- फिर सनक गया तू… मैं यहाँ कहीं नहीं करने वाली…
पारस- अरे रुको तो भाभी, मुझे एक जगह पता है… वहाँ कोई नहीं होता… आप चिंता मत करो…
सलोनी- तू तो मुझे आज मरवा कर रहेगा.. सुबह से न जाने कितनों के सामने मुझे नंगी दिखा दिया… और तीन अनजाने मर्दों ने मेरे अंगों को भी छू लिया…
पारस- क्या… किस किस ने क्या क्या छुआ…झूठ मत बोलो भाभी…
सलोनी- अच्छा बच्चू… मैं कभी झूठ नहीं बोलती…सुबह उस कूरियर वाले ने मेरी चूची को नहीं सहलाया..? और फिर रास्ते में उस कमीने ने कितनी कसकर मेरे चूतड़ों पर मारा.. अभी तक कूल्हा लाल है… फिर तूने उस दुकानदार लड़के से… शैतान कितनी देर तक मेरे सभी अंगों को छूता रहा… उसने तो मेरी चूत को सहलाया था……देख़ा था ना तूने…
पारस- …हाँ भाभी… सच बताओ… मजा आया था ना…
सलोनी- अगर अच्छा नहीं लगता.. तो हाथ भी नहीं लगाने देती उसको… हा…हा… उस सबको सोचकर अभी भी रोमांच आ रहा है…
पारस- ओके भाभी… ठीक है… चलो उतरो.. वो जो पार्क है ना… वहाँ इस दोपहर में कोई नहीं होता, आओ वहीं झाड़ियों में मुत्ती करते हैं दोनों…
सलोनी- पागल है, अगर किसी ने देख लिया तो…
कहानी जारी रहेगी.
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RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 11
पारस- ओके भाभी… ठीक है… चलो उतरो.. वो जो पार्क है ना… वहाँ इस दोपहर में कोई नहीं होता, आओ वहीं झाड़ियों में मुत्ती करते हैं दोनों…
सलोनी- पागल है, अगर किसी ने देख लिया तो…सलोनी- अच्छा अच्छा… अब न तो सपना देख और ना दिखा… जल्दी से घर चल मुझे बहुत तेज सू सू आ रही है…
पारस- वाओ भाभी… क्या कह रही ही… आज तो आपको खुले में मुत्ती करवाएँगे…
सलोनी- फिर सनक गया तू… मैं यहाँ कहीं नहीं करने वाली…
पारस- अरे रुको तो भाभी, मुझे एक जगह पता है… वहाँ कोई नहीं होता… आप चिंता मत करो…
सलोनी- तू तो मुझे आज मरवा कर रहेगा.. सुबह से न जाने कितनों के सामने मुझे नंगी दिखा दिया… और तीन अनजाने मर्दों ने मेरे अंगों को भी छू लिया…
पारस- क्या… किस किस ने क्या क्या छुआ…झूठ मत बोलो भाभी…
सलोनी- अच्छा बच्चू… मैं कभी झूठ नहीं बोलती…सुबह उस कूरियर वाले ने मेरी चूची को नहीं सहलाया..? और फिर रास्ते में उस कमीने ने कितनी कसकर मेरे चूतड़ों पर मारा.. अभी तक कूल्हा लाल है… फिर तूने उस दुकानदार लड़के से… शैतान कितनी देर तक मेरे सभी अंगों को छूता रहा… उसने तो मेरी चूत को सहलाया था……देख़ा था ना तूने…पारस- …हाँ भाभी… सच बताओ… मजा आया था ना…
सलोनी- अगर अच्छा नहीं लगता.. तो हाथ भी नहीं लगाने देती उसको… हा…हा… उस सबको सोचकर अभी भी रोमांच आ रहा है…
पारस- ओके भाभी… ठीक है… चलो उतरो.. वो जो पार्क है ना… वहाँ इस दोपहर में कोई नहीं होता, आओ वहीं झाड़ियों में मुत्ती करते हैं दोनों…
सलोनी- पागल है, अगर किसी ने देख लिया तो…
पारस- तो क्या हुआ गिनती में एक और बढ़ा देना…हा… हा…
सलोनी- अरे तू अपना ये तो अंदर कर ले…
पारस- अरे चलो न भाभी… यहाँ कौन देख रहा है, फिर मूतने के लिए अभी बाहर निकालना ही है…
सलोनी- हे हे सही से चल न, इसको अंदर क्यों नहीं करता, कितना मस्ती में हिलाता हुआ चल रहा है…
पारस- किसको अंदर करूँ भाभी…
सलोनी- अरे अपने इस टनटनाते हुए पप्पू को जीन्स में कर न… कितना अजीब लग रहा है…
पारस- नहीं जानेमन, यह अब जीन्स में कहाँ जा पायेगा… ये अंदर ही जायेगा मगर अब तो आपकी इस गोलमटोल चिकनी गांड में… यहाँ…
सलोनी- ऊऊईईई… क्या करता है…
पारस- अरे उंगली ही तो की है जान… लण्ड तो अभी तक बाहर ही है… ये देखो…
सलोनी- तुझे हो क्या गया है आज…कितना बेशरम हो रहा है… एक ये छोटी सी स्कर्ट ही मेरी लाज बचाये है. और इसको भी बार बार हटा देता है…
पारस- रुको भाभी… यह जगह सही है… यहाँ आप आराम से मूत सकती हैं… वहाँ उस पेड़ के पीछे कर लो… .!
सलोनी- हम्म्म्म ठीक है… तू क्या करेगा…
पारस- हे… हे… मैं देखूंगा कि आपने कितनी की…
सलोनी- पागल है क्या… चल तू उधर देख… कि कोई आ न जाए…पहले मैं कर लेती हूँ फिर तू भी कर लेना..…
पारस- वाओ भाभी… मूतते हुए पीछे से आपकी गांड कितनी प्यारी लग रही है…सलोनी- तू अब इसे ही देखता रहेगा या इधर-उधर का भी ध्यान रखेगा…?
पारस- आप तो फालतू में नाराज हो रही हो… केवल अकेला मैं ही कौन सा देख रहा हूँ…
सलोनी- उउउफ्फ्फ्फ्फ़… तो और कौन देख रहा है…
पारस- हाहा वो देखो बेंच पर…वो जो अंकल बैठे हैं इधर ही देख रहे हैं…
सलोनी- देख कितना बेशरम है… लगातार घूर रहा है…
पारस- वाह भाभी… आपको करने में शर्म नहीं… मैं और वो देख रहे हैं तो बेशरम…
सलोनी- अब आज तो तू पक्का पिटने वाला है…अब जल्दी से चल यहाँ से…
पारस- एक मिनट न भाभी जी…जरा मुझे भी तो फ्रेश होने दो…
सलोनी- हाँ हाँ जल्दी कर……
सलोनी- देख अब कैसे चला गया…जब मैंने उसको घूरा… शर्म नहीं आती इन बुड्ढों को… राख में भी चिंगारी ढूँढ़ते रहते हैं…
पारस- हा हा भाभी क्या बात की है… वैसे आज तो उसको मजा आ गया होगा..इतनी चिकनी गांड देखकर…पता नहीं घर जाकर दादी का क्या हाल करेंगे… हा हा…
सलोनी- हाहा… तू भी ना…
पारस- भाभी…प्लीज जरा इसको सही तो कर दो… देखो जीन्स में जा ही नहीं रहा…
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08-08-2020, 12:53 PM,
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RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 13
सलोनी- चल अब जल्दी से घर चल… देर हो रही है.…
…
पारस- भाभी प्लीज माफ़ कर दो न… अच्छा अब कभी ऐसी गलती नहीं करूँगा…प्रोमिस…
सलोनी- अच्छा ठीक है… पर कुछ समय दूर रह… मेरा मूड बहुत ख़राब है…
पारस- ओके मेरी प्यारी भाभी… पुचच च च च……
पारस- भाभी, मैं अभी आता हूँ… जरा कुछ सामान लेना है बाजार से… भूल गया था……
…
…
काफी देर बाद…टेलीफोन की घण्टी की आवाज … ट्रिन ट्रिन… ट्रिन ट्रिन
सलोनी- हेल्लो…मेरी किस्मत अच्छी थी कि सलोनी ने फ़ोन स्पीकर पर कर लिया था..उसकी सहेली थी
नमिता- हेलो मेरी जान, कहाँ हो आजकल?
सलोनी- यहीं हूँ यार ! तू सुना.. कहाँ मस्ती मार रही है…?
नमिता- वाह, मस्ती खुद कर रही है और मेरे को बोल रही है…
सलोनी- ओह लगता है साहिल भाई नहीं हैं आजकल जो मुझसे लड़ने लगी…?
नमिता- उनको छोड़… तू ये बता… आज बाजार में किसके साथ मटक रही थी, बिल्कुल छम्मक छल्लो की तरह..?
सलोनी- अरे वो तो इनका छोटा भाई है.. मैं तेरी तरह नहीं हूँ जो किसी के भी साथ यूँ ही घूमने लगूँ…
नमिता- हाँ हाँ… मैं तो ऐसी वैसी हूँ… और तू कैसे घूम रही थी वो सब देखा मैंने… मेरी आवाज भी नहीं सुनी.. और अपने चूतड़ मटकाती हुई निकल गई…
सलोनी- अरे यार… मैंने सही में नहीं देखा, कहाँ थी तू…?
नमिता- उसी बाजार में जहाँ तू बिना कच्छी के अपने नंगे चूतड़ सबको दिखा रही थी… सलोनी- अरे यार… वो जरा वैसे ही हे… हे… जरा मस्ती का मूड था तो… और तू क्या कर रही थी वहाँ…?
नमिता- मैं तो साहिल के साथ शॉपिंग करने गई थी…
सलोनी- हाय !! तो क्या
साहिल भाई ने भी कुछ देखा..
नमिता- कुछ… अरे सब कुछ देखा… उन्होंने ही तो मुझे बताया… कि यह आज सलोनी को क्या हो गया है… उन्होंने तो तेरे उस भाई को तेरे नंगे चूतड़ों पर हाथ से सहलाते भी देखा… तभी तो मैं तुझसे कह रही हूँ…
सलोनी- ओ माय गॉड, क्या कह रही है तू…?नमिता- बिल्कुल वही जो हुआ… अब सच सच बता… क्या बात है?
सलोनी- यार, साहिल भाई कहीं इनसे तो कुछ नहीं कहेंगे?
नमिता- अरे नहीं यार वो ऐसे नहीं हैं… लेकिन तू मुझे बता… ये सब क्या है… और क्या क्या हुआ…?
सलोनी- अरे कुछ नहीं यार, बस थोड़ी मस्ती का मन था.… इसलिए बस और कुछ नहीं यार…
नमिता- हम्म्म… वो तो दिख ही रहा था.. तू बताती है या मैं कोई जासूस छोड़ूँ तेरे पीचे…?
सलोनी- जा कुतिया… कर ले जो तेरे से होता है… साली धमकी देती है? ब्लैकमेल करती है माँ की … … …?
नमिता- प्लीज बता ना यार… क्या क्या हुआ… और वो हैंडसम कौन था…?
सलोनी- बताया तो यार… मेरा देवर है॥…और बस थोडा मस्ती का मूड था तो ऐसे ही बाहर निकल लिए बस और कुछ नहीं हुआ… और तुझे मस्ती लेनी है तो तू भी बिना चड्डी के जाना, देखना बहुत मजा आएगा..
नमिता- अरे वो तो सही है.. तू बता न क्या हुआ मेरी जान.. कितनों ने उंगली की तेरी में… बता न यार..?
सलोनी- नहीं यार… ऐसा कुछ नहीं हुआ… बस जैसे तूने देखा… ऐसे ही किसी न किसी देखा होगा… बस… और तो कुछ नहीं हुआ…
नमिता- अच्छा और तुम्हारे देवर, वो कहाँ तक पहुँचे..?
सलोनी- कहीं तक नहीं यार… बस ऐसे ही थोड़ी बहुत मस्ती बस… और क्या मैं……
…
..
सॉरी दोस्तो, रिकॉर्डिंग ने धोखा दे दिया… लगता है यहाँ तक बैटरी थी…उसके बाद बैटरी खत्म !मगर इतना कुछ सुनकर मुझे यह तो लग गया था कि सलोनी को अब रोकना मुश्किल है..मैं कुछ देर तक बस सोच ही रहा था कि अब आगे क्या और कैसे करना चाहिए…
दोस्तो, आप भी अपना मशवरा दें कि आप ऐसी परिस्थिति में क्या करते…?आपके सुझाव के इन्तजार में…
आपका दोस्त…सलील
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08-08-2020, 12:53 PM,
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RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 14
सॉरी दोस्तो, रिकॉर्डिंग ने धोखा दे दिया… लगता है यहाँ तक बैटरी थी…उसके बाद बैटरी खत्म !मगर इतना कुछ सुनकर मुझे यह तो लग गया था कि सलोनी को अब रोकना मुश्किल है..मैं कुछ देर तक बस सोच ही रहा था कि अब आगे क्या और कैसे करना चाहिए…बहुत समय तक अनाप-शनाप सोचने के बाद मैंने सब विचारों को बाहर निकाल फैंका…फिर सोचा कि यार मैंने सलोनी को अब तक दिया ही क्या है…यह घर… ऐश्वर्य या कुछ जरूरी सामान… क्या ये सब ही काफ़ी था…?आखिर उसकी भी अपनी ज़िंदगी है… और सेक्स तो शरीर की प्राथमिक जरूरत है… मगर मैंने इस ओर कभी ध्यान ही नहीं दियापर अब मुझे इस और ध्यान देना होगा…मैंने एक ही पल में सब सोच लिया कि मैं अब सलोनी का पूरा ध्यान रखूँगा…वो जो भी चाहती है, जैसा भी चाहती है, मैं उसमें उसका साथ दूँगा… आखिर मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ.अब अगर उसने ये सब किया तो मैं नहीं समझता कि इसमें उसकी कोई गलती है… अगर उसको ये सब अच्छा लगता है तो उसको मिलना चाहिए…और मैं भी कौन सा दूध का धुला हूँ? अपनी क्लासमेट से लेकर… सेक्रेटरी से लेकर… साली तक… अनगिनत पड़ोसनों, कालगर्लों तक… न जाने कितनी चूतों को मार चुका हूँ.फिर अगर सलोनी मजे ले रही है तो यह उसका जायज हक़ है.अब यह सोचना था कि कैसे मैं उसको अपने विश्वास में लूँ.यह सब सोचते हुए मैं घर पहुँच गया.…
अब घर पहुँच कर मैंने घण्टी बजाई… घर्र्न्न… घर्र्न्न…
सलोनी- कौन है…?
मैं- खोल ना… मैं हूँ.दरवाजा खुलते ही…
सलोनी- क्या हुआ? बड़ी देर लगा दी… कहाँ रुक गए थे..
पारस का फोन आया कि वो तो 2 घंटे पहले ही निकल गया.. वो और मैं दोनों कॉल कर रहे थे पर आपका फोन ही नहीं लग रहा था… कहाँ थे..? कहीं कुछ हुआ तो नहीं… कितना घबरा रही थी मैं… कुछ हुआ तो नहीं… क्या तुम भी… एक कॉल भी नहीं कर सकते थे…ओह माय गॉड, मुझे याद आया… मैं अपना फोन कॉल ऑफ किया था… जब रिकॉर्डिंग सुन रहा था… और यहाँ ये सब कितने परेशान हो गए बेचारे…
मैं- ओह… जरा ठहर मेरी जान… ऐसा कुछ नहीं हुआ… बस कोई मिल गया था… और मेरा फोन गिरने से ऑफ हो गया था… मुझे पता ही नहीं चला…
सलोनी मेरे सीने से लग गई… मैंने कसकर उसे अपनी बाँहों में जकड़ लिया… मुझे उसके कमसिन शरीर का अहसास होने लगा.. जो पिछले 1-2 साल से मैंने खो दिया था.वाक़यी सलोनी एक बहुत खूबसूरत और काम-रति सम्पन्ना स्त्री है. .!उसका अंग अंग रस से भरा है… उसके उठे हुए नुकीले स्तन, चूची मेरे सीने में चुभ रहे थे..उनके निप्पल तक की चुभन का अहसास मुझे हो रहा था… मुझे पता था कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी…क्योंकि उसकी गहरी लाल रंग की ब्रा, कच्छी हमारे बेड के कोने में लैंप के पास रखीं थी.सलोनी अमूमन तो घर पर ब्रा कच्छी पहनती ही नहीं थी. और अगर पहनी हो तो रात को सोने से पहले वो उनको उतार वहीं रख देती थी.वो हमेशा मेरे सामने ही यह सब करती थी, मगर उसके प्रति मेरी रुचि बिल्कुल ख़त्म सी हो गई थी इसलिए मैं कोई ध्यान नहीं देता था.मगर आज की सारी घटनाओ ने मेरा नजरिया ही बदल दिया था. मुझे सलोनी संसार की सबसे प्यारी स्त्री लग रही थी.यकीन मानना… मेरा लण्ड उस रिकॉर्डिंग को सुनने के बाद से खड़ा था और बहुत दिनों बाद आज सलोनी के शरीर की गर्मी महसूस कर उसको छू रहा था.इसका एहसास सलोनी को भी हो रहा होगा…मैं अपना हाथ उसकी पीठ से लहराते हुए उसके गदराये चूतड़ों तक ले गया.कसम से इतने सेक्सी चूतड़ किसी के नहीं हो सकते… ऐसा मखमली अहसास जैसे मक्खन एक पर्वत को चूतड़ का आकार दे दिया गया हो…सलोनी ने सफ़ेद मिडी जैसा गाउन पहना था, जो उसके चूतड़ों से थोड़ा ही नीचे होगा… मेरा हाथ सरलता से उसके गाउन के अंदर उसके नग्न नितम्बों (चूतड़ों) के ऊपर पहुँच गया था.मैं उस मखमली एहसास से सराबोर हो गया था… सलोनी और कसकर मेरे से लिपट गई…उसकी इस अदा ने मेरे दिल में उसके प्रति और भी प्यार भर दिया…यह सच है कि वो कभी मुझे किसी बात के लिए मना नहीं करती थी.आज ना जाने उसने कितनी मस्ती की होगी, और कई बार सेक्स भी किया ही होगा… चाहती तो इस समय वो गहरी नींद सो रही होती…उसका शरीर इस समय तृप्त होना चाहिए, पर मेरे लिए वो फिर तैयार थी… वो कुछ मना नहीं कर रही थी..बल्कि मेरे बाहों में सिमटी आहें भर रही थी… उसको मेरी जरूरत का हर पल ख्याल रहता था…मैंने अपने हाथ को उसके चूतड़ों के चारों ओर सहलाकर, उसके दोनों उभारों को अपनी मुट्ठी में भरने के बाद अपनी दो उंगलियों से उसकी दरार को प्यार से सहलाया फिर अपनी उँगलियों को उसके गुदाद्वार यानि चूतड़ों के छेद पर ले गया जो एक गरम भाप छोड़ रहा था…फिर वहाँ से मेरी उँगलियों ने उसकी मखमली चूत तक का सफ़र बड़ी रंगीनी के साथ तय किया…
सलोनी- आअहाआ… ह्ह्ह्हह…बस उसके मुख से केवल आहें ही निकल रहीं थीं..क्या बताऊँ कितना नरम अहसास था… मैं गांड और चूत के मुख को
प्यार से ऐसे सहला रहा था कि इन दोनों बेचारो छेदों ने कितनी चोट सही हैं आज…मगर गांड की गर्मी और चूत के गीलेपन ने मुझे यह बता दिया कि वो फिर चोट सहने के लिए तैयार हैं…मैंने अपने मुंह से ही सलोनी के कन्धों पर बंधे स्ट्रैप खोल दिए… उसका गाउन नीचे गिर गया… वो अब पूर्ण नग्न-अवस्था में मेरी बाहों में थी…मैंने उसको थोड़ा पीछे कर उसके गदराये मम्मों को देखा… उन पर काफी सारे लाल लाल निशान थे… जो शायद आज हमारे पारस साब बनाकर गए होंगे…मगर सलोनी कभी कुछ छिपाने की कोशिश नहीं करती थी इसीलिए मुझे उस पर कभी कोई शक़ नहीं होता था..तभी सलोनी बोली- सुनो, आप कपड़े बदल लो… मैं दूध गर्म कर देती हूँ…मैं- हाँ मेरी जान, कितने दिन पारस के कारण हम कुछ नहीं कर पाये.. आज बहुत मन हो रहा है…सलोनी के मुख पर एक सेक्सी मुस्कराहट थी… वो एक नई नवेली दुल्हन की तरह शरमा रही थी… उसने रसोई में जाते हुए अपनी आँखों को झुकाकर एक संस्कारी स्त्री की तरह स्वीकृति दी…उसकी इस अदा को देखकर कोई सपने में भी विश्वास नहीं कर सकता था कि आज पूरे दिन उसने किस तरह अपना अंग प्रदर्शन किया और बुरी तरह से अपने पति के रहते किसी परपुरुष से चुदाई करवाई…यही होती हैं नारी की अदाएँ जिन्हें कोई नहीं समझ सकता.समझदार पुरुष को इन सबसे तालमेल बनाना ही होता है… वरना होता तो वही है जो नारी चाहती है..अब या तो आपकी ख़ुशी के साथ या फिर आपका जीवन बर्बाद करने के बाद…फिलहाल मैं कपड़े उतार हल्का सा शावर ले, एक रेशमी लुंगी पहन, अपने शरीर को डियो से महकाकर बिस्तर पर आ बैठ गया.मुझे ध्यान आया कि जब मैंने सलोनी को छोड़ा था तब वो पूरी नंगी थी.उसकी नाइटी अभी भी वहीं पड़ी थी… इसका मतलब वो रसोई में नंगी ही होगी.बस मैं उठकर रसोई की ओर जाने लगा.ऐसा नहीं है कि ऐसा पहले नहीं होता था, मगर मैं कभी इस सब रोमांच के बारे में नहीं सोचता था.पहले भी ना जाने कितनी बात सलोनी घर में नंगी ही और काम करती रहती थी मगर मैं उससे कोई रोमांस नहीं करता था और ना मुझे कोई अजीब लगता था. क्योंकि हम दोनों यहाँ अकेले ही रहते थे तो उस आज़ादी का फ़ायदा उठाते थे.मैं भी ज्यादातर पूरा नंगा ही सोता हूँ और घर पर काफी कम कपड़े ही पहनता हूँ.मैं जब रसोई में गया तो…
कहानी जारी रहेगी.
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RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 15
पहले भी ना जाने कितनी बार सलोनी घर में नंगी ही और काम करती रहती थी मगर मैं उससे कोई रोमांस नहीं करता था और ना मुझे कोई अजीब लगता था.
क्युकि हम दोनों यहाँ अकेले ही रहते थे.
तो उस आज़ादी का फ़ायदा उठाते थे.
मैं भी ज्यादातर पूरा नंगा ही सोता हूँ और घर पर काफी कम कपड़े ही पहनता हूँ.
मैं जब रसोई में गया तो सलोनी नीचे झुकी हुई कोई सामान निकाल रही थी.
और आज वो ना जाने क्यों इस समय दुनिया की सबसे ज्यादा सेक्सी औरत लग रही थी.
एक पूरी नंगी, मस्त मस्त अंगों वाली नारी जब झुकी हो तो पीछे से उसके नंगे चूतड़ और उसके दोनों भाग से झांकती उसकी सबसे सुन्दर चूत !
क्या बताऊँ दोस्तो, कितना जबर्दस्त दृश्य था.
मैंने अपनी लुंगी वहीं खोली और पीछे से उसको जकड़ लिया.
उसने बड़े आश्चर्य से पीछे घूमकर देखा, क्योंकि ऐसी अवस्था में शायद यह सब काफी समय बाद हुआ था.
शादी के 6 महीने या एक साल तक तो मैं ऐसा सब रोमांस करता भी था मगर तब सलोनी घर पर इस तरह नंगी भी नहीं रहती थी.
मगर जब वो इतना खुली रहने लगी तो मैं अपने बिज़नस में व्यस्त हो गया.
इसीलिए उसने मुझे इस तरह देखा मगर वो इतनी ज्यादा प्यारी है कि उसने कुछ नहीं कहा.
बल्कि मेरे लण्ड पर अपने सेक्सी चूतड़ को हिलाकर कहा- क्या हुआ?
आ तो रही हूँ…मैं- क्या कर रही हो मेरी जान? बहुत देर लगा दी.
सलोनी- बस आपके लिए केसर दूध और कुछ ड्राई फ्रूट तल रही थी.
मैं- वाह जान… मजा आ जायगा, क्या कुछ मीठा भी है घर पर…मैंने साइड खिड़की को खोलते हुए कहा…
हमारी रसोई की एक तरफ एक छोटी खिड़की है जो बाहर गैलरी में खुलती है.
वहाँ कॉलोनी के पीछे वाले रास्ते की सीढ़ी हैं तो दिन में ही वहाँ आना जाना होता है.
और वो भी बहुत कम !
गर्मी में वो खिड़की खुली ही रहती है, पहले मैं ही बंद कर देता था कि सलोनी रसोई में कुछ कम कपड़ों में काम करती थी तो कोई देखे ना…मगर आज ना जाने किस बात से प्रेरित हो मैंने ही वो खिड़की खोल दी थी.
और वो भी तब जब मैं और सलोनी दोनों ही रसोई मैं पूरे नंगे थे…
दोनों के शरीर पर एक कपड़ा नहीं था..मैं सलोनी से रोमांस भी कर रहा था… ऐसे में कोई हमको देख लेता तो शायद उसका पजामा गीला हो जाता.मूत से नहीं बल्कि…हा हा हा…
मेरे खिड़की खोलने पर भी सलोनी ने कुछ नहीं कहा, बल्कि हामी भरी…
सलोनी- अहा… कितनी गर्मी हो गई है ना… अच्छा किया आपने… घुटन कुछ कम होगी…मैंने उसको अपनी ओर करके उसके लाल रसीले लबों को अपने होठों में दबा लिया…सलोनी ने भी अपने होंठों को खोलकर और उचककर मेरे चुम्बन का जबाब दिया…
सलोनी की पीठ खिड़की की ओर थी और वो आँखें बंद कर मेरे चुम्बन में व्यस्त थी…मेरे हाथ उसकी नग्न चिकनी पीठ से फिसलते हुए उसके चूतड़ों तक पहुँच गए…तभी एक पल के लिए मेरी आँख खुली… वैसे तो बाहर पूरा अँधेरा था… मगर मुझे एक पल को लगा की जैसे कोई वहाँ खड़ा है !
क्योंकि मुझे सिगरेट की चिंगारी जलती नजर आई…?? कौन है वो..??..सलोनी मेरी बाहों में एक बेल की तरह लिपटी थी बिल्कुल नंगी, उसका गोरा, संगमरमरी जिस्म रसोई की दूधिया रोशनी में चमक रहा था.
और ये सब हमारी रसोई की खिड़की से कोई बावला देख रहा था.
मुझे नहीं पता कि वो कौन है,
हाँ यह निश्चित था कि कोई तो है… मैंने दो तीन बार सिगरेट जलती, बुझती देखी..इस समय उसने सिगरेट अपने हाथों के पीछे की हुई थी… और वो साइड में होकर… झुककर देख रहा था.
सलोनी ने होने होंठ अब मेरे गर्दन पर रगड़ते हुए मेरे कानों के निचले भाग पर पहुँचने की कोशिश की…
वाकई सेक्स के मामले में वो जबरदस्त थी, उसकी इस कोशिश से मेरा लण्ड पूरा खड़ा होकर उसकी चूत पर टकराने लगा.
बहुत गरम और मस्त अहसास था… मेरा लण्ड ज्यादा बड़ा तो नहीं, परन्तु 6 से 7 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा होगा.
खड़ा होने पर उसकी आगे की खाल खुद ऊपर हो जाती है और मोटा सुपारा बाहर आ जाता था, वो इस समय सलोनी की कसी हुई प्यारी चूत को छू रहा था.
तभी मेरे मन ने सोचा कि क्या सलोनी को इस आदमी के बारे में बताया जाये…मेरे दिल ने कहा- अरे… यही तो मौका है उसके दिल में खुद को सेक्स के मामले में बड़ा दिखाने का और आगे खुलकर मस्ती करने का…बस मैंने सलोनी को और कसकर अपनी बाहों में जकड़ा और अपना सीधा हाथ से उसका सर और बाएं हाथ से चूतड़ सहलाते हुए मैं बहुत धीरे से उसके कान में फुसफुसाया- जान… मुझे लग रहा है कि खिड़की से कोई हमको देख रहा है.
अचानक सलोनी ने कसमसाकर मेरी बाहों से निकलने की कोशिश करने लगी… उसकी हरकतों से साफ़ लगा कि वो अपने नग्न जिस्म को छुपाना चाह रही है..मैं फिर फुसफुसाते हुए- शांत रहो जान, मुझे देखने दो कि वो कौन है…
सलोनी- पर मैं नंगी हूँ…वो मुझसे भी धीमी आवाज में मेरे कान में बोली.
‘हाँ’ आश्चर्य रूप से उसका बदन शांत हो गया था अब उसमें खुद को छुपाने की जल्दबाजी नहीं थी.
मैंने वैसे ही उसको चिपकाये हुए उसको कहा- तो क्या हुआ जान, उसने तो हमको देख ही लिया है… अब जरा मैं भी तो देखूँ कि यह साला है कौन… तुम ऐसा करो वैसे ही प्यार करते हुए थोड़ा खिड़की के पास को खिसको… वो शायद थोड़ा साइड में है… और ऐसे जाहिर करना कि हमको कुछ नहीं पता…
मुझे कुछ अंदेशा सा था… मगर मेरी सारी आशाओं से विपरीत सलोनी पहले से भी ज्यादा कामुक तरीके से मेरे से लिपट गई…और उसने मेरी गर्दन में दांतों को गड़ाते हुए अपनी चूत को और भी तेजी से मेरे लण्ड पर लगड़ा और खिसकते हुए अपनी पतली सेक्सी कमर घुमाते हुए बहुत धीरे धीरे… खिड़की की ओर बढ़ने लगी…मैं भी उसके साथ लिपटा हुआ आगे हो रहा था… उसकी इस अदा मैं कुर्बान हो गया था…
ओह माय गॉड… यह क्या… मेरे लण्ड के टॉप ने सलोनी के चूत का गीलापन तो पहले ही पता चल रहा था मगर एक बार खिसकने में…मेरा लण्ड उसकी चूत के गर्म छेद से टिक गया…और तभी उसके सुपाड़े पर सलोनी की चूत का ढेर सारा पानी गिर गया…
यह क्या !
जो मेरी जान कई धक्कों के बाद और कभी कभी तो मेरे झड़ने के बाद भी अशांत रहती थी..आज मेरे लण्ड को घुसाये बिना… केवल लण्ड के छुअन से ही धराशायी हो गई थी…यह उसका आज का पारस का प्यार… या मेरा ऐसा प्यार करने का तरीका तो नहीं हो सकता…यह जरूर एक ऐसा एहसास था कि कोई उसको नंगी अवस्था में ऐसे चुदाई करते देख रहा है…वाह… दोस्तो… इस तरह के सेक्स ने यहाँ हमारे जीवन में अचानक ही एक नया मोड़ ला दिया था…सलोनी के चूत के पानी ने मेरे लण्ड को और भी जोश में ला दिया था…
मगर आश्चय यह था कि झड़ने के बाद भी सलोनी के जोश में रत्ती भर भी कमी नहीं आई थी…अब हम खिड़की के काफी निकट थे…
कहानी जारी रहेगी.
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08-08-2020, 12:53 PM,
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RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 17
मैंने बाएं हाथ से उसकी चूत को दो उंगलियों से बड़े प्यार से सहलाते हुए चोदने का इशारा दिया…उसने मेरे लण्ड को अपने मुलायम हाथ से आगे से पीछे तक पूरे लण्ड पर फिराते हुए, अपनी बड़ी-बड़ी झील जैसी आँखों को नचाया जैसे पूछ रही हो कि
‘कहाँ और कैसे…?’
मैंने उसके होंठो पर एक जोरदार चुम्मा लेते हुए उसे कहा- जान आज एक नया रोमांच करते हैं क्यों ना यहीं किचन में ही चुदाई करें…?
सलोनी- नहीं जानू, चलो ना बेडरूम में चलते हैं, वहीं चोदना आप अपनी जानू को…मैंने फिर से उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया… वो लगातार मेरे लण्ड को सहलाकर अपनी चुदाई का इन्तजार कर रही थी…मैं- अरे नहीं जान, यहीं चोदेंगे हम आज तो अपनी सलोनी की नन्ही सी बुर को…सलोनी- अच्छा ठीक है, फिर खिड़की बंद कर दो… यहाँ रोशनी है तो कोई बाहर से देख सक्ता है ना…तभी हम दोनों को लगा जो खिड़की के बहुत पास खड़ा था… वो थोड़ा खिसक कर पीछे को हो गया..मुझे सलोनी के चेहरे पर एक सेक्सी मुस्कराहट नजर आई…अब मैंने उसको स्लैब की ओर इशारा किया…वा… सलोनी ने खुद चुदाई का तरीका ढूंढ लिया था.. वैसे भी यह उसका पसन्दीदा तरीका था…वो बिल्कुल खिड़की के पास ही स्लैब पर दोनों हाथ टिकाकर अपने सेक्सी चूतड़ों को उठाकर झुककर खड़ी हो हो गई…उसका पिछला हिस्सा चीख-चीख कर कह रहा था कि आओ इनमें से किसी भी छेद में अपना लण्ड डाल दो…बस मैंने कुछ नहीं सोचा…और उसकी पतली कमर पर दोनों हाथ टिकाकर उसे दबाते हुए अपना तना हुआ लण्ड उसके पीछे से चिपका दिया…और मैं खिड़की के बाहर उस शख्स को ढूंढ़ने की कोशिश करने लगा जो शायद एक साइड में ही खड़ा था…तभी सलोनी खुद ही अपने सीधे हाथ को नीचे अपनी जांघो के बीच ले गई… और थोड़ा सा झुककर मेरे लण्ड को पकड़ अपने चूत के छेद के मुहाने पर रख अपनी उंगली के नाखून से लण्ड को दबाया…जो मेरे लिए धक्का लगाने का संकेत था… तभी मुझे वो जनाब भी दिख गए…वो बहुत मजे से बिल्कुल कोने में खड़े खिड़की की जाली से पूरा मजा ले रहे थे… उसकी नजर मेरी ओर नहीं थी, वो सीधे सलोनी की चूत को बदस्तूर घूर रहे थे…बस यही वो समय था जब मैंने अपनी कमर को एक झटका दिया…‘हाआप्प्प्प्प…’ की आवाज के साथ मेरे लण्ड का सुपारा चूत में चला गया…सलोनी ने हल्की सी सिसकारी के साथ अपने चूतड़ और भी ज्यादा पीछे को उभार दिए…मैंने इस बार थोड़ा और तेज धक्का लगाया और पूरा लण्ड उसकी चूत में समां गया…सलोनी- अहा !अब मैंने सलोनी की ओर देखा, साधारणतया वो बहुत तेज सिसकारी लेती है… मगर आज केवल अहा..?ऐसा नहीं कि दर्द के कारण वो ऐसा करती हो… बल्कि उसको बेडरूम में चुदाई के समय सेक्सी आवाजें निकलने अच्छा लगता था…और वो यह भी अच्छी तरह जानती थी कि इस तरह की आवाजों से उसका साथी ज्यादा उत्तेजित हो और भी तेज धक्के लगाकर चुदाई करता है…मगर आज हल्की आवाज का कारण वो आदमी था..मैंने देखा सलोनी बिना पलक झपकाए उसको देख रही है जो ऐसा लग रहा था कि बिल्कुल हमारे सामने बैठा हो…वो खिड़की के कोने में जाली से चिपका था… और कमबख्त की नजर पूरी तरह सलोनी की चूत पर ही थी…उसने उसकी चूत में मेरे लण्ड को घुसते हुए पूरा साफ़ देखा होगा…पर मेरी नजर तो सलोनी पर थी.. न जाने वो क्या सोच रही थी… उसकी नजर उस शख्स पर ही थी…मगर वो अपना कोई अंग छुपाने की कोई कोशिश नहीं कर रही थी… बल्कि और भी ज्यादा दिखा रही थी…ना जाने यह उसकी कैसी उत्तेजना थी…जो उसे ये सब करने को प्रेरित कर रही थी.अब मैंने लयबद्ध तरीके से उसकी कमर को पकड़ धक्के लगाने शुरू कर दिए…‘अहह… हआआ… ओहूऊओ… ओह… अहा… ह्ह्ह्ह… ओह्ह… ह्ह्ह्ह…’हम दोनों ही आवाज के साथ चुदाई कर रहे थे…और वो अजनबी हमारे हर धक्के का मजा ले रहा था, मुझे पूरा यकीन था कि वो जिस जगह था, उसको मेरा लण्ड चूत में अंदर बाहर जाता साफ़ दिख रहा होगा…यह सोचकर मेरे धक्कों में और भी ज्यादा गति आ गई और सलोनी की सिसकारियों में भी…अहहआ… आआह… ओह… हय… ह्हह्ह… आअह… ह्ह्ह… आआअ… ऊओ… ओह्ह… ह्ह्ह…हम पर तो इन आवाजों का पूरा असर हो रहा था… पता नहीं उस पर हो रहा था या नहीं…5 मिनट बाद सलोनी ने खुद आसन बदलने को कहा और घूम कर स्लैब पर बैठ गई… उसने बड़े स्टाइल से अपने दोनों पैर फ़ैला कर अपनी चूत का मुँह मेरे लण्ड के स्वागत के लिए खोल दिया…मैंने उसकी रस टपकाती चूत को हाथ से सहला एक बार जीभ से चाटा…और इस बार सामने से उसकी चूत में अपना लण्ड एक ही झटके में डाल दिया…आआआअह… ह्ह्ह्हाआआ आआ… ओहो… हो… हो… ह्हह्ह… अह्हा… हां…मगर इस तरह मुझे लगा कि उस बेचारे को अब केवल एक साइड ही दिख रही थी…मैंने सलोनी की दोनों टांगों के नीचे हाथ डाल उसको अपनी गोद में ले लिया…हाँ… इस सब में मैंने लण्ड एक इंच भी बाहर नहीं आने दिया… और अब सलोनी मेरी गोद में लण्ड पर बैठी थी..मैं उसको ऐसे ही पकड़े हुए खिड़की की ओर घूम गया..सलोनी मेरे से चिपकी थी और उसकी पीठ खिड़की की ओर थी…अब वो शख्स आसानी से चूत में लण्ड को आता जाता देख सकता था…और मैंने अपनी कमर हिलनी शुरू की.. इस बार सलोनी भी मेरा साथ दे रही थी वो भी मेरे लण्ड पर कूदने लगी…अह्हा… ओह… ह्ह्ह्ह… आह… आए… ह्ह्ह… ओह… ओह… ह्ह्ह…दोनों तरफ से धक्के हम दोनों ही झेल नहीं पाये और सलोनी ने मुझे जकड़ लिया…मैं समझ गया कि उसका खेल ख़त्म हो गया मेरा भी निकलने ही वाला था…
कहानी जारी रहेगी.
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08-08-2020, 12:54 PM,
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RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 18
सलोनी मेरे से चिपकी थी और उसकी पीठ खिड़की की ओर थी…अब वो शख्स आसानी से चूत में लण्ड को आता जाता देख सकता था…और मैंने अपनी कमर हिलनी शुरू की.. इस बार सलोनी भी मेरा साथ दे रही थी वो भी मेरे लण्ड पर कूदने लगी…अह्हा… ओह… ह्ह्ह्ह… आह… आए… ह्ह्ह… ओह… ओह… ह्ह्ह…दोनों तरफ से धक्के हम दोनों ही झेल नहीं पाये और सलोनी ने मुझे जकड़ लिया…मैं समझ गया कि उसका खेल ख़त्म हो गया मेरा भी निकलने ही वाला था…मैंने उसको फिर से स्लैब पर टिका दिया और अपना लण्ड बाहर निकाल कर सारा माल उसके पेट और चूची पर गिरा दिया…हमने अभी सांस भी नहीं ली थी कि तभी बाहर से किसी महिला की आवाज आई- अजी सुनते हो कहाँ हो…??आवाज का असर तुरंत हुआ… वो अजनबी जल्दी से सामने वाले फ्लैट की ओर लपका और साथ ही…‘श्ह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह्ह…’ कर रहा था जैसे उस महिला को चुप करा रहा हो…और सलोनी पूरी तरह खिड़की से चिपकी थी. उसको उस आदमी के बारे में जानने की कुछ ज्यादा ही उत्सुकता थी.उसको इस बात का भी ख्याल नहीं था कि हम रोशनी में हैं और बाहर वाले को अंदर का सब दिख रहा होगा..सलोनी किस अवस्था में थी यह तो आप सभी को पता ही है…तभी सलोनी के मुख से आवाज निकली- अरे ये तो अरविन्द आंटी थीं…मैं- क्याआ…??सलोनी- जरूर ये अरविन्द अंकल ही होंगे… मैंने पहले भी उनको कई बार इस जगह घूमते और स्मोक करते देखा है…स्लोनी को पूरी तरह यकीन था…अरविन्द अंकल एक रिटायर्ड अफसर थे, वो 3 साल पहले सेल्स इंस्पेक्टर से रिटायर हुए थे, अंकल और आंटी दोनों ही यहाँ रहते थे.अंकल तो 60 साल से ऊपर के थे पर आंटी जिनको मैं और सलोनी भाभी ही कहकर बुलाते थे…शायद 40 की ही थीं..अरविन्द अंकल की वो दूसरी बीवी थीं… पहली बीवी शायद बीमारी के कारण स्वर्ग सिधार गई थी…उनकी दूसरी बीवी जिनका नाम नलिनी है, बहुत खूबसूरत थी, उन्होंने खुद को बहुत मेन्टेन कर रखा था…मैंने और सलोनी दोनों ही ने एक बार अचानक उनको बिना कपड़ों के भी देख लिया था… लेकिन वो किस्सा बाद में !अरविन्द अंकल की दो बेटियाँ हैं, एक की शादी तो उन्होंने कनाडा की है और दूसरी अभी MBA कर रही है…दोनों ही उनकी पहली पत्नी से हैं… और बहुत ही मॉडर्न एवं खूबसूरत…यह उनका थोड़ा सा परिचय था… चलिए वर्तमान में लौटते हैं…मैंने सलोनी को गोद में उठाकर नीचे उतारा… वो मेरे सीने से चिपकी हंस रही थी…मैं भी हँसते हुए- …चलो यार… आज तुम्हारी वजह से अरविन्द अंकल कुछ तो गर्म हुए होंगे… और नलिनी भाभी की सुलगती जवानी पर कुछ तो आराम मिलेगा…हाहाहा…
सलोनी- तुम भी ना… मैं तो यह सोच रही हूँ… कि कल मैं उनका सामना कैसे करूँगी…मैं- क्या जान तुम क्यों शरमा रही हो… तुम तो पहले की तरह ही बिंदास रहना… उनको पता ही नहीं लगने देना कि हमने उनको देखा लिया था…
सलोनी- हाँ हाँ… आप तो रहने ही दीजिये… आपको क्या पता… पहले ही उनकी निगाहें मुझे चुभती रहती हैं… हमेशा मेरे कपड़ों के अन्दर तक देखते रहते हैं… और आज तो उन्होंने सब कुछ देख लिया… अब तो जब भी दिखेंगे ऐसा लगेगा जैसे कपड़ों के अंदर ही देख रहे हों…मैं- हम्म्म जान ! मुझे तो डर है कि कहीं इधर उधर कुछ गलत न कर दें… ऐसे आदमियों का क्या भरोसा… अब जरा ध्यान रखना…
सलोनी- अरे नहीं, वो तो आप रहने दो… उतनी हिम्मत तो किसी की नहीं…बस मुझे जरा सी शर्म ही आएगी जब भी उनके सामने जाऊँगी…
मैं- छोड़ो भी यार, अब किस बात की शर्म? सब कुछ तो उन्होंने देख ही लिया ही… अब तो तुम उनको सताया करना यार…
सलोनी- हाँ ये भी ठीक है… मैं तो उनकी शर्मिंदी का ही मजालूँगी…सलोनी ने कस कर मुझे चूम लिया, बोली- …अच्छा… आप फ्रेश हो लो… मैं दूध और ड्राई फ्रूट्स लाती हूँ..
मैं उसकी चूची को मसलता हुआ- …ये तो पहले से गरम हैं जान, यही पिला दो…
सलोनी मेरे बालों को नोचते हुए- ..ये सब तो आपका ही है जानू… जितना चाहे पी लेना… पर अब आप फ्रेश तो हो लो…
मैं उसकी चूत में उंगली करते हुए- ..क्यों तुमको नहीं फ्रेश होना…?
सलोनी- हाँ हाँ… बस आप चलो, मैं ये निपटाकर आती हूँ…
मैं- जरा ध्यान से… कहीं अरविन्द अंकल न आ जाएँ… हा…हा…हा…
सलोनी- हाँ बहुत दम है ना उनमें… उनको तो नलिनी भाभी ने ही निपटा दिया होगा… और क्या पता वहाँ भी ढेर हो गए हों… मैं तो बेचारी उनके बारे में ही सोच रही हूँ…अच्छा अब आप जाओ न बहुत रात हो गई है…और मैं अपनी नंगी बीवी को रसोई में छोड़ बैडरूम में आकार बाथरूम में घुस गया…वाकयी बहुत मजेदार रात थी… मेरे दिमाग में अब आगे के विचार चल रहे थे…इस जबरदस्त चुदाई के बाद रात भर सलोनी मेरे से चिपकी रही और बिस्तर पर नंगे चिपककर सोने का मजा ही अलग है.सुबह सलोनी जल्दी उठ जाती है, वो सभी घरेलू कार्य बहुत दिल से करती है…वो जब उठी तो आज पहली बार मेरी आँख भी जल्दी खुल गई… या यूँ कहिये कि मैं बहुत सोच रहा था कि कैसे अब सब कुछ किया जाये…सलोनी ने धीरे से उठकर मेरे चेहरे की ओर देखा फिर मेरे होंठों को चूम लिया…उसने बहुत प्यार से मेरे लण्ड को सहलाया और झुककर उस पर भी एक गर्मागर्म चुम्बन दिया…उसके झुकने के कारण पीछे से उसके मस्त नंगे चूतड़ और चूतड़ के बीच झलक रही गुलाबी, चिकनी चूत देख मेरा दिल भी वहाँ चूमने का किया…पर मैंने अपने आप पर काबू किया और सोने का बहाना किये लेटा रहा…मैं बंद अधखुली आँखों से सलोनी को देखते हुए अपनी रणनीति के बारे में सोच रहा था… कि मस्ती भी रहे और इज्जत भी बनी रहे…सलोनी मेरे से खुल भी जाए… वो मेरे सामने मस्ती भी करे परन्तु उसको ऐसा भी ना लगे कि मैं खुद चाहता हूँ कि वो गैर मर्दों से चुदवाये…पता नहीं मेरे ये कैसे विचार थे कि मेरा दिल मेरी प्यारी बीवी को दूसरे मर्दों की बाँहों में देखना भी चाहता था… उसको सब कुछ करते देखना चाहता था…पर ना जाने क्यों एक गहराई में एक जलन भी हो रही थी… कि नहीं मेरी बीवी की नाजुक चूत और गांड पर सिर्फ मेरा हक़ है…इस पर मैं कोई और लण्ड सहन नहीं कर सकता…लेकिन इन्सान की इच्छा का कोई अंत नहीं होता और वो उसको पूरी करने के लिए हर हद से गुजर जाता है…सलोनी को भी दूसरी डिशेस अच्छी लगने लगी थीं.. उसने भी दूसरे लण्डों का स्वाद ले लिया था…वो तो अब सुधर ही नहीं सकती थी…अब तो बस इस सबसे एक तालमेल बनाना था…
कहानी जारी रहेगी.
कमेन्ट जरूर करे
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