Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
08-08-2020, 01:43 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 84

नीलम के चेहरे पर एक कातिलाना मुस्कुराहट थी, उसको मेरी सारी स्थिति का पता था और वो इसका पूरा मजा ले रही थी.
मेरे लिए इतना ही काफी था कि यह खूबसूरत मछली अब मेरे जाल में थी, इसकी छोटी मछली को मैं कभी भी मसल-कुचल सकता हूँ.
पर आज मैं नीलम की मछली को देखने के लिए पागल था.
अब उसने अपनी मिनी स्कर्ट को ठीक किया और अपनी जींस की कमर में लगा बटन खोलने लगी.
मैं सांस रोके उसको देख रहा था… मुझे एक और चूत के दर्शन होने वाले थे.
मैं पक्के तौर पर तो नहीं कह सकता… पर पक्का ही था कि जब सलोनी कच्छी नहीं पहनती तो नीलम ने भी नहीं पहनी होगी… आखिर यह तो सलोनी से भी ज्यादा मॉडर्न है.
मैं जीन्स से एक खूबसूरत चूत के बाहर आने का इन्तजार कर ही रहा था.
नीलम ने बैठे बैठे ही अपने चूतड़ों को उठाकर अपनी जीन्स को नीचे किया…
दर्पण से मुझे नीचे का हिस्सा कुछ साफ़ नहीं दिख रहा था, मैंने शीशे को थोड़ा सा और नीचे को किया.
अब नीलम ने अपने पैर को उठाकर अपनी जीन्स को दोनों पाँव से निकाला, उसकी जाँघों के जोड़ को देखने के लिए एक बार फिर मुझे पीछे को गर्दन घुमानी पड़ी पर इस बार मेरी उम्मीदों को झटका लगा, नीलम ने एक डोरी वाली गुलाबी पैंटी पहन रखी थी जो बहुत ही सुंदर लग रही थी पर नीलम के बेशकीमती खजाने को छुपाये हुए थी.
मैंने बड़ी नाउम्मीदी से अपनी गर्दन आगे कर ली.
मेरे बिगड़े हुए मुहं को देख नीलम जोर से हंस पड़ी पर उसने मुझ पर कोई रहम नहीं किया, उसने अपनी स्कर्ट की ज़िप खोल उसको कमर से बांध अपनी स्कर्ट को ठीक कर लिया.
नीलम- क्या हुआ जीजू??? बड़ा ख़राब मुँह बनाया… क्या मैं इतनी बुरी लगी.. हा हा…
मैं- अरे यार जब इंसान को भूख लगी हो और कोई खाने पर कवर लगा हो तो ऐसा ही होता है.
नीलम- हा हा हा जीजू… आप भी न बहुत मजाक करते हो… यह किसी और का खाना है… आप अपना खाना घर जाकर खा सकते हो ना !
मैं- वो तो सही है यार… बाहर का खाना चखने को तो मिल ही जाता है… पर यहाँ तो देखने को भी नहीं मिला.
नीलम- हा हा हा.. क्या बात करते हो जीजू… इतना तो देख लिया !
और नीलम अपने कपड़े वहीं पिछले सीट पर छोड़ जब फिर से आगे आने के लिए उसने पैर आगे रखा…
वाओ…
उसकी पीठ मेरी ओर थी… उसकी स्कर्ट ऊपर तक हो गई और उसके नंगे चूतड़… कयामत चूतड़… क्या मजेदार गोल गोल चूतड़ थे… पूरे नंगे ही दिख रहे थे… क्योंकि उसकी पैंटी की डोरी बहुत पतली थी जो चूतड़ों की दरार से चिपकी थी.
मैंने उसके सीधे होने से पहले ही उसके चूतड़ों के एक गोले पर अपने बायां हाथ रख दिया…
.!
नीलम- क्या कर रहे हो जीजू??उसने सीधा होने की कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई…
मैं- मेरी प्यारी साली साहिबा जी, देख रहा हूँ कि खाना गर्म है या ठण्डा… तुम बहुत खूबसूरत हो यार !
और मैंने अपने अंगूठे से नीलम की चूत को भी हल्का सा कुरेद दिया तो अब बस वो जल्दी से सीधी हो बैठ गई, उसने अपनी स्कर्ट सही की और बोली- जीजू, यह खाना हमेशा गर्म ही रहता है.
मैं- अब मुझे क्या पता ..? तुम ना तो कभी खिलाती हो और ना ही कभी चखाती हो…
नीलम- ठीक है कभी आपके साथ भी हम मीटिंग कर लेंगे… फिलहाल तो अपना काम कर लें… बस यहीं रोक दीजिये… मुझे इसी कम्पनी में जाना है.
और वो वहीं उतर गई मगर एक उम्मीद फिर से दे गई…
नीलम- अपने कपड़े यहीं छोड़ कर जा रही हूँ… अगर आप खाली होंगे तो लौटते समय मैं फोन कर लूँगी वरना फिर बाद में ले लूँगी.
मैं- अरर्र नहीं… ये तो तुमको आज ही देने आ जाऊँगा… अगर सलोनी ने देख लिए तो… हा हा हा…
वो भी हंसी और हम दोनों अपनी मंजिल की ओर निकल गए.
सलोनी, नलिनी भाभी, शालू, रोजी… अभी कुछ देर पहले मैं सभी को खूब याद कर रहा था…
नलिनी भाभी को जमकर चोदकर आया था और शालू को ऑफिस जाकर चोदने की सोच रहा था, सलोनी कैसे अपने आशिकों के साथ मजे कर रही होगी… वो सोच रहा था और रोजी की चूत के बारे में सोच सोच कर लार टपका रहा था.
इतना सब पास होने के बावजूद एक ही पल में इस नीलम की सेक्सी और मस्त जवानी ने सब कछ भुला दिया था… जब तक नीलम पास रही, कुछ याद ही नहीं रहा… केवल नीलम नीलम और नीलम…
पर अब उसके जाते ही मैं फिर से धरातल पर आ गया था… अब मुझे फिर से सब कुछ याद आ गया था.
मैं तेजी से गाड़ी चलाकर ऑफिस पहुँचा, वहाँ पहुँच कर एक झटका लगा…
अरे आज शालू आई ही नहीं थी…
पर उसने मुझे बताया क्यों नहीं???
तभी रोजी केबिन में आई… हल्के हरे, प्रिंटेड शिफॉन की साड़ी में वो क़यामत लग रही थी… स्लीवलेस ब्लाउज और नाभि के नीचे बाँधी हुई साड़ी उसको और दिनों के मुकाबले बहुत ज्यादा सेक्सी दिखा रही थी.
शायद पिछले दिन की घटना ने उसको काफी बोल्ड बना दिया था और वो मुझे रिझाना चाह रही थी…
यह नहीं भी हो सकता थाम यह तो केवल मेरी सोच थी.
हो सकता है वो सामान्य रूप से ऐसे ही कपड़े पहन कर आई हो पर मुझे पहले से ज्यादा सेक्सी लग रही थी.
मैं रोजी की ख़ूबसूरती को निहार ही रहा था… कि वो मेरी नजरों को देखते हुए मुस्कुराते हुए बोली- आज कहाँ रह गए थे सर? बड़ी देर कर दी?
मैं उसकी बातों को सुनकर मुस्कुराया… वाकयी कल की घटना ने उसको बहुत ज्यादा खोल दिया था… पहले वो कभी मुझसे ऐसे नहीं बोली थी, बल्कि बहुत डर कर बोलती थी…
उसको ऑफिस में आये हुए समय ही कितना हुआ था केवल एक महीना… इस एक महीने में वो केवल ‘हाँ… जी…’ में ही जवाब देती थी पर कल हुई घटना ने उसको बिंदास बना दिया, अब उसको मुझसे डर नहीं लग रहा था बल्कि प्यार ही आ रहा था.
मैं उसकी चूची और चूतड़ों को सहला चुका था और उसकी नजर में मैं उसको पूरी नंगी देख चुका था, उसने भी मेरे लण्ड को पकड़ लिया था.
मेरे ख्याल में जब नारी को यह लगने लगता है कि इस आदमी ने तो मुझे पूरी नंगी देख ही लिया है और वो उसको पसंद भी करती हो तो शायद वो उससे पूरी खुल जाती है, फिर उसके सामने उसको नंगी होने में शर्म नहीं आती.
यही ख्याल मेरे दिल में आ रहे थे कि शायद रोजी अब दोबारा मेरे सामने नंगा होने में ज्यादा नखरे नहीं करेगी पर वो एक शादीशुदा नारी है और उसने अभी तक बाहर किसी से सम्बन्ध नहीं बनाये थे इसलिए मुझे बहुत ध्यान से उस पर कार्य करना था, मेरी एक गलती से वो बिदक भी सकती है.
मेरा लण्ड मुझे संयम नहीं करने दे रहा था वो पैन्ट से अंदर बहुत परेसान कर रहा था…
मैंने सोचा था कि ऑफिस जाते ही शालू को पेलूँगा .पर उसने तो मुझे धोखा दे दिया था, पता नहीं उसको क्या काम पड़ गया था.
मैंने रोजी को ही अपने शीशे में उतारने की सोची.
मैं- अरे रोजी, शालू कहाँ है आज?
रोजी- क्यों उसने बताया नहीं आपको? बोल तो रही थी कि वो फोन कर लेगी आपको.
मैं- अरे तो क्या वो आई थी? फिर कहाँ चली गई, उसको तबियत तो सही है ना?
रोजी- अर्र हाँ सर… वो बिलकुल ठीक है… .उसके किसी दोस्त का एक्सीडेंट हुआ है शायद… मुझे बताकर गई थी कोई 2 घंटे पहले !
मैं- ओह…
मैंने सोचा उसको फोन करके पूछ लूँ कि किसी चीज की जरूरत तो नहीं पर उसका फोन ही नहीं लगा.
‘लगता है शालू के फोन की बैटरी डाउन हो गई इसीलिए मुझे भी कॉल नहीं कर पाई.’
रोजी- हाँ सर, यही लगता है… मैं भी कोशिश कर रही थी पर नहीं लग रहा… कोई काम हो तो बता दीजिये सर, मैं कर देती हूँ.
मैं- अरे शालू वाला काम तुम नहीं कर पाओगी.

कहानी जारी रहेगी !

Reply
08-08-2020, 01:44 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 85

‘लगता है शालू के फोन की बैटरी डाउन हो गई इसीलिए मुझे भी कॉल नहीं कर पाई.’
रोजी- हाँ सर, यही लगता है… मैं भी कोशिश कर रही थी पर नहीं लग रहा… कोई काम हो तो बता दीजिये सर, मैं कर देती हूँ.
मैं- अरे शालू वाला काम तुम नहीं कर पाओगी.
वो बिना सोचे समझे बोल गई- क्यों नहीं कर पाऊँगी सर…? आप बोल कर तो देखिये?
मैं हंसने लगा- हा हा हा…
अब उसका चेहरा देखने लायक था, वो समझ गई कि मैं किस काम के लिए कह रहा था, मगर उसमें कुछ गुरुर के भाव भी थे जो उसको झुकने नहीं दे रहे थे इसलिए उसने अब भी हामी भरी- अरे, आप हंस क्यों रहे हैं… मैं शालू से कमजोर नहीं हूँ… ऑफिस का कोई भी काम कर सकती हूँ.
मैं उसकी बातों का मंतव्य समझते हुए ही उससे खेलने की सोचने लगा, रोजी के मासूम चेहरे को देखते हुए मैं सोच रहा था कि इसको बहुत प्यार से टैकल करूँगा.
इस समय वो बहुत मासूम लग रही थी, मैंने रोजी के साथ ऑफिस के काफ़ी कामों के बारे में चर्चा की, शालू ने उसको सभी कार्य बहुत अच्छी तरह समझा दिए थे और सबसे बड़ी बात वो आसानी से सब समझ गई थी, उसने सभी काम अच्छी तरह किये थे.
मुझे बहुत ख़ुशी हुई कि चलो मुझे एक और कर्मी अपने काम करने के लिए मिल गया था.
अब मेरी ऑफिस की चिंता कुछ और कम हो जाने वाली थी, शालू और रोजी मिलकर मेरे सारे काम आसानी से कर सकती थीं. शालू ने तो पूरी ज़िंदगी शादी ना करने की कसम खाई थी, उसने कई बार मुझसे कहा था कि वो ऐसे ही काम करती रहेगी, मेरी बीवी की तरह ही रहेगी और ऑफिस में काम करती रहेगी.
अब रोजी भी उसी तरह काम सँभालने को राजी थी, भले ही उसकी शादी हो गई थी पर वो लम्बे समय तक काम कर सकती थी, मैं उस पर भरोसा कर सकता था.
अब अगर वो शालू की तरह ही मेरे मस्ती में भी साथ देने लगे तो मजा आ जाये, ऑफिस के काम करते हुए मैं रोजी से थोड़ी बहुत छेड़छाड़ भी करने लगा जिसका वो बुरा नहीं मान रही थी.
एक बार मुझे कुछ बताने के लिए जब वो मेरे बराबर में खड़ी थी, मैंने शालू की तरह ही उसके गोल मटोल चूतड़ों पर हाथ रख दिया.
.!
उसने तिरछी नजरों से मुझे देखा और बोली- सर आपके हाथ फिर से गलत प्रॉपर्टी पर जा रहे हैं.
मैंने मुस्कुराते हुए उसके चूतड़ों के चारों ओर अपनी हथेली को घुमाया और बोला- दूसरे की प्रॉपर्टी कैसे? मेरे ऑफिस में जो भी है, वो तो मेरी प्रॉपर्टी हुई, शालू ने तो कभी ऐसा नहीं कहा…
मेरी होंटों पर एक मुस्कान थी पर वो थोड़ा अलग हटकर खड़ी हो गई. मेरा हाथ उसके चूतड़ों से हट गया पर इस दौरान मैंने महसूस किया था कि उसने कच्छी नहीं पहनी है.
पतली सी साड़ी और पेटीकोट जो उसने इतने कसकर बांधे थे कि चूतड़ों पर पूरी तरह कसी थी.
शायद चूतड़ों का उभार दिखने के लिए मुझे ऐसा ही लगा कि जैसे नंगे चूतड़ों पर हाथ फिराया हो मगर मेरे हाथ को कहीं कच्छी का अहसास नहीं हुआ.
मतलब साड़ी के नीचे वो नंगी चूत लिए घूम रही है.
अगर पिछले दिन मैंने उसकी कच्छी नहीं देखी होती तो ज्यादा शक नहीं होता, सामान्य ही लगता क्योंकि सलोनी भी कच्छी कौन सा पहनती है और हो सकता है वो भी इस समय अपने स्कूल में ऐसे ही विकास के ऑफिस में अपने चूतड़ उससे सहलवा रही हो !
सलोनी की याद आते ही मुझे रोजी से सेक्स की बातें करने का एक बहुत अच्छा आईडिया आ गया- क्या हुआ? अरे यार, ऐसे कैसे काम कर पाओगी इतनी दूर से?
रोजी- सॉरी सर… ऐसी बात नहीं है… पर आपके हाथ रखते ही पता नहीं क्यों सनसनी सी हो जाती है… वो क्या है कि मैं बहुत अलग रही हूँ… और ऐसा मैंने कभी नहीं किया.
मैं- अरे तो मैं ऐसा क्या कर रहा हूँ? मैं तो केवल काम ही देख रहा हूँ और यह तो मेरी आदत ही है… अच्छा एक बात बताओ, आज कच्छी नहीं पहनी ना तुमने?
रोजी बुरी तरह शरमा गई और अपनी गर्दन नीचे झुकाये हुए ही बोली- क्या सर… आप भी ना… बहुत गंदे हैं.
मैं- अरे नहीं भई… यकीन मानो, मेरी कोई गन्दी मनसा नहीं है. मैं जो भी करता हूँ वो कभी तुमको कोई नुकसान नहीं पहुँचाएगा. और यकीन मानना मैं वही सब करूँगा जिसमें तुम्हारी मर्जी होगी और तुमको अच्छा लगेगा, इसके अलावा कुछ भी नहीं करूँगा.
मैंने कसम खाने वाले अंदाज़ में कहा.
रोजी मुझे देख जोर से हंसी और अचानक उसने मेरी माथे पर चूम लिया… वो फिर से वहीं मेरे पास आकर खड़ी हो गई, बोली- आप सच बहुत अच्छे हैं.
मैं- एक बार सही से फ़ैसला कर लो कि अच्छा हूँ या गन्दा हूँ… हा हा…
वो भी हंसने लगी…
मैंने हंसते हुए ही उसकी कमर में हाथ डाल कर उसको अपने पास किया और उसके चेहरे को झुका उसके माथे का एक चुम्बन ले लिया…
उसने कोई विरोध नहीं किया पर बोली- अब यह क्या है?
मैं- जो तुमने किया… मैं कुछ अपने पास नहीं रखता, बल्कि सूद समेत वापस कर देता हूँ… समझी? तुमने मुझे किस किया तो मैंने भी… जैसे कल कि बात याद है ना… जब मैंने तुमको शूशू करते देखा था तो तुम्हारे सामने खुद भी दिखाया था ना?
अब उसके चेहरे पर एक कातिल सी मुस्कान आ गई थी… वो कल की तरह ही खुलने लगी थी… कभी लगता था कि उसको पटाने में समय लगेगा और कभी यह लगता था कि वो तैयार है… बस साड़ी उठाओ और डाल दो लण्ड.
पर मैंने कोशिश जारी रखी… उसकी एक झिझक मेरी बीवी सलोनी से भी हो सकती है…
तो उसको सलोनी के बारे में बताने के लिए मैंने खुद सलोनी को फोन करने की सोची.
मैंने फोन उठाया ही था कि नलिनी भाभी का फोन फिर आ गया था.
अब वो फिर से क्या बताने या दिखाने जा रही थी??

कहानी जारी रहेगी
Reply
08-08-2020, 01:44 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 86

रोजी की मस्त भरी जवानी मेरे केबिन में लहरा रही थी, उसकी प्रिंटेड साड़ी इतनी झीनी थी कि अगर वो प्लेन होती तो मैं दावे से कह सकता हूँ कि उसके तराशे हुए बदन का हर कोण आसानी से नुमाया होता.
रोजी के अंदर ख्वाइशें तो बहुत थीं पर उन पर उसकी शर्म ने पर्दा डाला हुआ था.
इसीलिए वह खुलकर कुछ भी करने से बहुत ज्यादा ही डर रही थी.
मैं उसके बारे में और सब स्थिति के बारे में सोच-सोच कर बहुत रोमांचित हो रहा था.
सलोनी अपने आप में बहुत ज्यादा मॉडर्न और खुले विचारों की लड़की थी, उसने बचपन से को-एड में पढ़ाई की थी और आधुनिक परिवेश में रही थी.
वो जो कुछ भी कर रही थी केवल खुद की मस्ती और ख़ुशी के लिए, इसके अलावा उसके मन में कुछ नहीं था, वो मुझसे बहुत प्यार करती थी और मेरे लिए कुछ भी कर सकती थी.
अगर मैं उससे एक बार कह दूँ कि ये सब मुझे पसंद नहीं है तो वो यकीनन सब कुछ छोड़ देगी, उसको मेरी भी हर पसंद का बहुत ख्याल है और सेक्स को केवल कुछ समय का मजा समझती है न कि प्यार की गहराई.
प्यार दिल की गहराई से किया जाता है और सेक्स चूत की गहराई से… इसका अंतर उसको अच्छी तरह से पता है.
हाँ वो मेरे सामने चुदवाने से जरूर संकोच करती है पर मजे में उसको कोई आपत्ति नहीं है.
पर शायद मैं उससे भी आगे हूँ या सलोनी को इसमें कोई आपत्ति नहीं कि मैं उसके सामने भी किसी को चोदूँ बल्कि चोद भी चुका हूँ… हाँ थोड़ी बहुत झिझक जरूर होती है.
पर उस झिझक को नशा दूर कर देता है, यह मैंने अच्छी तरह जान लिया था.
रोजी हिंदुस्तानी संस्कृति से बंधी लड़की है, उसके लिए शादी मतलब एक आदमी के प्रति पूरा समर्पित रहना है, वो इस सोच से निकलना तो चाहती थी परन्तु उसके संस्कार गुलामी वाले थे कि पति चाहे जितना जुल्म करे, पर तुमको सहते रहना है.
मुझे नहीं पता कि उसका पति कैसा है पर इतना अहसास हो गया था कि रोजी उसको पसंद नहीं करती अब यह देखने वाली बात थी कि संस्कारो में बंधी लड़की अपनी नापसंद चीज को कितनी जल्दी और कितने हद तक दरकिनार करती है.
रोजी अपनी जंजीरों से बाहर आना चाहती थी पर खुद उन जंजीरों को खोलने को राजी नहीं थी.
उसको अपने बदन पर परपुरुष का हाथ मजा तो देता था पर उसका दिल उसको गलत ही समझता था.
मैं रोजी के साथ कोई जोर जबरदस्ती करना नहीं चाहता था पर उसको इस खूबसूरत जिंदगी का कुछ अहसास कराना जरूर चाहता था.
मेरे अंदर एक जिज्ञासा यह भी थी कि सलोनी को तो मैंने अच्छी तरह देख परख लिया था कि वो सेक्स को किस हद तक ले जा सकती है.
पर रोजी तो शायद शादी से पहले मर्द के स्पर्श को भी नहीं पहचानती थी.
मैं पूरे पक्के तौर पर कह सकता हूँ कि वो सुहागरात के समय कुआंरी होगी और अपने पति के अलावा उसने कभी किसी से कुछ करना तो छोड़ो, किसी और के बारे में कुछ अलग सोचा भी नहीं होगा.
अब यह देखना था कि अगर रोजी अपनी दबी हुई इच्छाओं को बाहर निकालने में कामयाब हो जाती है तब वो कैसा महसूस करती है और किस हद तक अपनी इच्छाओं को पूरा करती है.
सलोनी और रोजी दोनों ही शादीशुदा हैं पर दोनों में धरती आसमान का अंतर है… एक आज़ाद एवं खुले विचारों वाली और दूसरी संकीर्ण विचारों वाली !
रोजी के साथ सेक्स की बातें करने में और उसका शरमा-शरमा कर जवाब देने में बहुत मजा आ रहा था.
मैं समझ सकता था कि जीवन में पहले बार किसी परपुरुष का हाथ अपने नाजुक बदन पर महसूस करके उसको कितना आनन्द आ रहा होगा और उसने कैसा महसूस किया होगा कि एक गैर मर्द ने उसकी उस नाजुक चूत को देखा है जिसे आज तक उसने बाहर की हवा भी अकेले या फिर उसके अपने पति के सामने ही पड़ने दी थी.
केवल एक दिन की मस्ती ही ने उसको इतना खोल दिया था कि आज वो बिना कच्छी के आ गई थी. यह भी शायद पहली बार ही हुआ होगा जो उसने इतनी हिम्मत की.
हो सकता है शायद शालू ने ही उसको इसके लिए बोला हो, पर उसका शरमाना और संकुचाना मुझे बहुत भा रहा था.
अपने चूतड़ों पर मेरा हाथ महसूस करके ही उसका चेहरा पूरा लाल हो गया था और जब मैंने कच्छी के बारे में बात की तब तो उसका चेहरे के साथ-साथ उसका पूरा बदन ही सिमट रहा था.
रोजी शर्म के मारे दोहरी हुई जा रही थी, लग ही नहीं रहा था कि उसने कभी लण्ड भी देखा हो या कभी चुदाई भी कराई हो.
बिल्कुल कुँवारी, नाजुक कली की भान्ति ही शरमा रही थी इस समय रोजी ! कल जो वो ज्यादा खुल गई थी या कुछ ज्यादा बोल्ड व्यबहार कर रही थी, उसकी वजह शायद शालू थी.
एक लड़की दूसरी लड़की के सामने खुद को थोड़ा ताकतवर महसूस करती है और अधिक बोल्ड हो जाती है.
मैंने सोचा शायद इसीलिए दो लड़के और एक लड़की या फिर दो लड़कियाँ और एक लड़का जैसे थ्री-सम में उन लोगों को ज्यादा मजा आता होगा.
मन ही मन मुस्कुराते हुए मैं इस ट्रिक को भी आजमाने की सोचने लगा.
रोजी के साथ ऑफिस का काम निबटाने में बहुत ही मजा आ रहा था. अब हम काफी हद तक खुल गए थे, मेरे मजाक करने और हमेशा खिलखिलाने से वो बहुत सहज हो गई थी.
फिर मैं उसके सामने ही टॉयलेट के लिए गया- ऐ रोजी, सुनो… कल का बदला पूरा हो गया है, अब मैं शूशू करने जा रहा हूँ तो देखने की कोशिश नहीं करना… ओके? …हा हा हा हा…
वो भी जोर से हंस पड़ी… मैं भी बेशर्मो की तरह दरवाजा बिना बंद किये मूतने लगा…
मुझे लगा वो मुझे नहीं देखेगी पर मेरा दिल ख़ुशी के मारे उछलने लगा जब मैंने उसको तिरछी नजर से अपनी ओर देखते हुए पाया.
भले ही उसको मेरा लण्ड नहीं दिख रहा था पर खुले लण्ड का अहसास तो वो कर ही रही होगी.
इसका अहसास मुझे बाहर आते ही हो गया… रोजी बड़ी कातिल नजरों से मुझे देख रही थी और उसके लाल रक्तमय होंठों पर हल्की मुस्कान भी थी.
मेरे बाहर आते ही वो भी बाथरूम की ओर बढ़ी.
मैं- क्या हुआ? हा हा हा… मुझे देखकर लग गई या पहले से रोकी हुई थी? हा हा…
पर रोजी ने कोई जवाब नहीं दिया, बस मुझे देखते हुए ही एक मुस्कुराहट दी, वो भी कुछ गुस्से में, प्यार वाला गुस्सा !
उसके टॉयलेट जाने के बाद मैं कुछ काम करने लगा पर जैसे ही मैंने दरवाजे की ओर देखा, मेरा माथा ठनका…
अरे यह क्या?? रोजी ने दरवाजा पूरा बन्द नहीं किया था, उसने दरवाजे पर थोड़ा सा हाथ मार कर बंद किया था, मुझे दरवाजा बंद होने वाली जगह से एक झिर्री नजर आई जहाँ से रोशनी बाहर आ रही थी.
अब मेरा दिल फिर से बेकाबू होने लगा कि कुछ करूँ या नहीं !
पर ऐसे तो मैं बेवकूफ कहलाऊँगा… अब उसने मेरे यहाँ रहते अगर दरवाजा खुला छोड़ दिया तो कुछ तो वो भी मस्ती के मूड में थी.
अब चाहे जो हो, मैंने कुछ तो शरारत करने का फैसला कर ही लिया था.
मैं जल्दी से दरवाजे के पास पहुँचा और मैंने दरवाजे पर हाथ मारते हुए ऐसे ही कहा- अरे रोजी, तुमने दरवाजा लॉक नहीं किया?
हाथ लगते ही दरवाजा खुल गया, सामने रोजी कमोड पर बैठी थी.
मैंने बिल्कुल सही समय पर ही दरवाजा खोला था… वो शायद अभी अभी ही मूतने बैठी थी और उसने करना शुरू कर दिया था क्योंकि उसके मूतने की शर्रर…शर्रर… की आवाज और कमोड में पेशाब गिरने की भी आवाज आ रही थी.
अब ना तो वो उठ सकती थी और ना ही कुछ कर सकती थी.
उसकी साड़ी कमर तक सिमटी थी जो उसने अपने हाथों से पकड़ी हुई थी और उसकी गोरी गोरी सफ़ेद टांगें, जो पूरी चिकनी थीं, नंगी दिख रही थी.
दरवाजे से उसकी चूत या फिर उससे निकलता मूत तो नहीं दिख रहा था परन्तु उसके नंगेपन का पता चल रहा था.
वो भौंचक्की सी मुझे देख रही थी… मैं उसको मूतते हुए देख कर हंस रहा था.
जब उसकी मूतन क्रिया पूरी हुई, तब उसको कुछ होश आया और…

कहानी जारी रहेगी.

Reply
08-08-2020, 01:44 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 87

मेरे अपने ऑफिस का बाथरूम मेरे लिए वरदान साबित हो रहा था, मेरे स्टाफ की लड़कियाँ ज्यादातर इसी का प्रयोग करती थीं, बार-बार पेशाब करने जाना, खुद को व्यवस्थित करना और कभी सैनिटरी पैड बदलना… मैं सोच रहा था कि यार क्यों ना अपने बाथरूम में कैमरा लगवा लूँ और अपना पूरा स्टाफ बदलकर प्यारी प्यारी लड़कियों को ही रख लूँ…
खैर, यह सब संभव नहीं था पर सोचकर बहुत अच्छा लग रहा था.
फिलहाल मेरा ध्यान इस देसी कुड़ी, रोज़ी की ओर ही था, बहुत ही मस्त है साली !
देखने को भी मना करती है और दरवाजा भी खुला छोड़ मेरे बाथरूम में नंगी होकर बैठ जाती है, इतने प्यारे पोज़ में उसको बैठे देख मैं यह सोच रहा था कि काश यह इंडियन सीट होती तो मजा आ जाता, इसकी मक्खन जैसी चूत के दोनों खुले होंट दिख जाते.
मेरा लण्ड इतना बैचेन हो गया था कि उसमें दर्द होने लगा था.
मैं उसको अपनी साड़ी कमर तक उठाये, अपने दोनों हाथों से पकड़े, उसकी चिकनी सफ़ेद टांगों को घूरता हुआ खड़ा ही था कि उसने मुझे जाने का इशारा किया.
मैं भी शराफत से एक ओर को हो गया, मैंने दरवाजा बंद नहीं किया और उसकी नजर से तो कुछ बच गया पर अपनी नजर उसी पर रखी.
हाँ, पीछे जरूर हट गया, उसने भी मेरे से नजर हटाई और खड़ी होकर एकदम से अपनी साड़ी को हाथों से छोड़ दिया, बस एक पल के लिए ही मुझे उसकी चूत के दर्शन हुए. उसने बिना मेरी ओर देखे फ़्लश चलाया और हाथ धोकर बाहर आ गई.
वो बहुत हल्के से ही मुझ पर नाराज हुई- यह क्या करते हो सर आप? मुझे बहुत शर्म आ रही थी.
मैं- अरे यार तुम भी ना… मैं तो केवल दरवाजा बंद करने को ही कह रहा था… हा हा… और फिर क्या हो गया… अब तो हम दोस्त हो गए ना !!
रोज़ी ने कुछ नहीं कहा, जैसे उसने ये सब स्वीकार कर लिया हो.
मैंने बहुत ही प्यार से रोज़ी का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा- तुम भी ना यार, इतना ज्यादा शरमाती हो… अरे यार ये सब तो नार्मल है… इसे एन्जॉय करना चाहिए…
उसने अपनी पलकें झुकाकर अपनी स्वीकृति दी.
तभी मैंने एकदम से चौंकते हुए ही कहा- अरे रोज़ी यह क्या? तुमने मूतने के बाद अपनी योनि साफ़ नहीं की?
मैंने जानबूझ कर ही चूत शब्द का प्रयोग नहीं किया क्योंकि मुझे पता था कि उसको अच्छा नहीं लगेगा.
उसने अपनी आँखों को हल्का सा सिकोड़ा और कुछ भौंचक्की आँखों से मुझे देखा पर मेरी बात का आशय समझते ही उसका चेहरा एक बार फिर पूरा लाल हो गया.
मैं- अरे यार, अब इसमें क्या शरमाना… ये तो नार्मल बात ही है… क्या तुम अपनी बुर गन्दी ही रखती हो… मूतने के बाद तो साफ़ करना चाहिए ना…
रोज़ी- जी नहीं, मैं हमेशा पानी से साफ़ करती हूँ…
मैं- अच्छा तो आज क्यों नहीं की… एक तो कच्छी नहीं पहनी… ऊपर से मूतने के बाद बुर साफ़ भी नहीं की?
रोज़ी को अब मेरी बातों में रस आने लगा था, उसने ना तो अपना हाथ ही मेरे हाथों से छुड़ाया और ना ही कुछ विरोध कर रही थी.
रोज़ी- जी केवल आपकी वजह से जल्दबाजी में नहीं की… आपने कैसे दरवाजा खोल दिया था… हम्म्म्म??
मैं अब जोर से हंसा- हा हा हा… तो इसमें भी मेरे ऊपर ही इल्जाम… चलो कोई बात नहीं… इसका हर्जाना भी भर देते हैं !
मैंने मेज पर सामने रखा नेपकिन पेपर उठाते हुए कहा- लाओ जी, मैं अपने हाथ से साफ़ कर देता हूँ.
रोज़ी- हाय राम… क्या कह रहे हैं आप सर… इस पेपर से… आप?
मैंने उसकी बात पूरी नहीं होने दी- अच्छा पेपर से नहीं तो फिर… क्या जीभ से करूँ?
और मैंने अपनी जीभ बाहर निकाल कर जीभ की लम्बी नोक हिलाकर उसको दिखाया.
उसका हाथ जो मेरे हाथ में ही था, मैंने साफ़ महसूस किया उसमें जोर का कम्पन हुआ, उसने एक जोरदार झुरझुरी ली थी.
इसका मतलब मेरी बातों का असर हो रहा था, रोज़ी की सेक्स की अग्नि महसूस कर रही थी और उसे बहुत मजा आ रहा था.
उसने अजीब सी आँखों से मुझे देखा… मैंने जीभ को लहराते हुए ही कहा- अरे हाँ डियर… शालू की भी मैं जीभ से ही साफ़ करता हूँ… उसको यह बहुत पसंद है… और मुझे भी इसका स्वाद बहुत अच्छा लगता है. शालू तो हमेशा मूतने के बाद अपनी बुर मुझसे ही साफ़ करवाती है.
रोज़ी अब कुछ नहीं कर रही थी, उसने अपना हाथ अभी तक मेरे हाथ में पकड़ा रखा था बल्कि अब तो मैं उसकी पकड़ अपने हाथ पर महसूस कर रहा था.
रोज़ी- तो क्या शालू आपके सामने नंगी लेट जाती है?

Reply
08-08-2020, 01:44 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
मैं- ओह… तो इसमें क्या हुआ? और क्या मैंने अभी तुमको नंगी नहीं देखा… अरे मेरी जान, इसमें क्या तुम्हारी बुर काली हो गई… या मेरी आँखें ख़राब हो गई… जब दोनों को अच्छा लगा तो इसमें बुराई क्या है, बताओ?
उसने कोई जवाब भी नहीं दिया पर कुछ कर भी नहीं रही थी, मैंने ही उसके हाथ को पकड़ अपनी मेज पर झुका दिया.
उसने कुछ नहीं कहा.
मैं- बताओ ना जान… क्या तुम्हारी इजाजत है? क्या मैं तुम्हारी प्यारी… राजदुलारी बुर को प्यार से साफ़ कर सकता हूँ?
रोज़ी बैचेनी भरी नजरों से मुझे देखे जा रही थी, मैंने भी उसकी साड़ी उठाने की कोई जल्दी नहीं की.
रोज़ी की लाल आँखे बता रही थीं कि वो वासना की आग में जल रही है.
उसका शरीर उसके मन के विचारों से बगावत कर रहा है, वो बुरी तरह काँप रही थी… मैं अगर इस समय उसको चोदना चाहता तो वो बिल्कुल भी मना नहीं करती.
पर बाद में उसको ग्लानि हो सकती थी इसलिए मैं उसके साथ सेक्स नहीं बल्कि उसके विचारों को बदलना चाहता था.
रोज़ी मेरी ऑफिस की मेज पर अधलेटी मेरे बाहों में बंधी थी, मेरा एक हाथ उसकी गर्दन के नीचे और दूसरा उसके पेट पर रखा था…
पेट वाले हाथ से मैं हल्के हल्के गुदगुदी कर रहा थाजिससे उसकी साड़ी सिमट गई थी, अब मेरा हाथ उसके नंगे पेट पर रखा था.
मैं बहुत धीरे धीरे उस हाथ को उसके पेट पर फिसला रहा था, रोज़ी की साँसें बहुत तेज-तेज चल रही थी, उसके वक्ष के उभार तेजी से ऊपर नीचे हो रहे थे.
मैं अपना चेहरा उसके पास ले गया और उसके गालों से अपने होंठों को चिपका दिया.
अचानक उसने अपनी गर्दन को मेरी ओर घुमाया… यही वो क्षण थे जब उसके लाल, कांपते हुए लबों से मेरे होंठ जुड़ गए.
शायद उसके बदन की जरूरत ने उसके संकीर्ण विचारों पर पूर्ण विराम लगा दिया था और वो भी अब मस्ती में डूब जाना चाहती थी… अब वो हर पल का पूरा लुफ्त उठाना चाहती थी.
मैं दस मिनट तक उसके होंठों को चूसता रहा, इस बीच हम दोनों की जीभ ने भी पूरी कुश्ती लड़ी… मैं लगातार उसके पेट को सहलाते हुए अपना हाथ साड़ी के ऊपर से ही उसके बेशकीमती खजाने, रोज़ी की चूत के ऊपर ले गया और साड़ी के ऊपर से उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया.
बिल्कुल ऐसा लगा जैसे नंगी चूत ही हाथ में आ गई हो… रोज़ी की साड़ी और पेटीकोट इतने पतले थे कि नंगी चूत का अहसास हो रहा था, ऊपर से उसने कच्छी भी नहीं पहनी थी.
मैं मस्ती के साथ उसकी चूत को मसलने लगा…
अब रोज़ी के मुख से मजेदार सिसकारियाँ निकलने लगी- ..अह्ह्हाआआ पुच अह्हाआआ… अह्ह्हाआआ पुच अह्हाआआआ पुच… अहआ पुच अह्हाआआआ पुच …
अब मुझे लगने लगा था कि रोज़ी अपनी चूत को दिखाने के लिए मना नहीं करेगी,अब वो अपनी चूत को नंगी करने को तैयार हो जाएगी, मैंने उसकी चूत को सहलाते हुए ही कहा- हाँ तो अब क्या सोचती हो जानेमन? अब तो अपनी बुर को साफ़ कराने को तैयार हो… अगर महारानी जी की इजाजत हो तो इस परदे को हटाऊँ?
मैंने रोज़ी की साड़ी को पकड़ते हुए पूछा.

कहानी जारी रहेगी.

Reply
08-08-2020, 01:44 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 88

अब मुझे लगने लगा था कि रोज़ी अपनी चूत को दिखाने के लिए मना नहीं करेगी, अब वो अपनी चूत को नंगी करने को तैयार हो जाएगी, मैंने उसकी चूत को सहलाते हुए ही कहा- हाँ तो अब क्या सोचती हो जानेमन? अब तो अपनी बुर को साफ़ कराने को तैयार हो… अगर महारानी जी की इजाजत हो तो इस परदे को हटाऊँ?मैंने रोज़ी की साड़ी को पकड़ते हुए पूछा.
रोज़ी की जिस गुलाबी चूत को इतने नजदीक से देखने के लिए मैं मर रहा था, उस कोमल चूत को देखने और छूने का समय आ गया था.
रोज़ी अब मेरी किसी भी हरकत का खुलकर विरोध नहीं कर रही थी, जो भी थोड़ा बहुत ना-नुकुर या फिर इधर उधर वो कर रही थी… वो उसकी नारी सुलभ लज़्ज़ा थी या फिर पहली बार किसी बाहरी पुरुष के इतने नजदीक जाने का अहसास.
लेकिन यह निश्चित था कि यह सब छेड़खानी उसको बहुत ज्यादा भा रही थी.
उसकी महकती हुई, मचलती हुई जवानी मेरी बाहों में थी और मुझे ज़माने भर का सुख दे रही थी.
उसकी पतली साड़ी के ऊपर से मैंने रोज़ी की चूची, चूत और चूतड़ों को खूब मसल लिया था, अब बारी इन सभी अंगों को नंगा करने की थी जिसकी शुरुआत मैंने कर दी थी.
मैंने साड़ी खोलने की बजाए पहले उसकी साड़ी को उठाकर उसके बेशकीमती खजाने, रोज़ी की कोमल सी बुर को नंगी करने की सोची.
एक बार उसकी बुर अच्छी तरह गर्म हो जाए और कामरस से भर जाए, वो खुद साड़ी, पेटीकोट उतार फेंकेगी और मेरा लण्ड अपनी चूत में घुसा लेगी.
मैंने बहुत अरमानों के साथ ही उसकी साड़ी का निचला सिरा पकड़ लिया और बोला- लाओ जानेमन… अब तो इज़ाज़त दे दो, तुम्हारी बुर को अच्छी तरह साफ़ करने की.
रोज़ी- अरे तो अभी तक आप क्या कर रहे थे? मैं तो समझी आप मेरी साफ़ ही कर रहे हैं…
मैं- अरे, यह भी कोई साफ करना होता है? एक बार वैसे साफ करवा कर देखो… फिर तो हर बार मुझे ही याद करोगी.
मैंने फिर से अपनी जीभ की नोक को हिलाकर सेक्सी इशारा किया कि कैसे अपनी जीभ से तेरी चूत को कुरेद-कुरेद कर साफ़ करूँगा.
रोज़ी के चेहरे पर अब ना बुझने वाली मुस्कान… सेक्सी मुस्कान लगातार झलक रही थी.
रोज़ी- अच्छा तो चलिए उसे भी देख लेते हैं.
मैं रोज़ी की साड़ी को नीचे से पकड़ ऊपर उठाने लगा, मेरे दिल की धड़कने लगातार बढ़ रही थी, उसकी साड़ी अभी घुटने के ऊपर ही आई थी कि रोज़ी ने कहा- ओह… सुनिए सर… सोफे पर चलें… यहाँ यह चुभ रहा है.
मैंने तुरंत अपने लण्ड की ओर देखा जो उसकी जांघ से चिपका था.
मगर वह मेज से नीचे उतर अपने चूतड़ों को सहला रही थी. ओह, मतलब मेज पर कुछ चुभ रहा था… उसका आशय मेरे लण्ड से नहीं था.
मैंने भी हँसते हुए उसके चूतड़ों को सहलाया- कहाँ जान? मैं तो कुछ ओर समझा?
वो भी मेरे लण्ड की ओर देखते हुए मुस्कुराती हुई सोफे पर चली गई.
सोफ़ा बहुत अच्छी जगह था, यह शीशे वाली दीवार से लगा था.
सोफे के पीछे वाला परदा हटते ही शीशे से बाहर वाले कमरे में पूरा स्टाफ काम करते हुए नजर आने लगता था, जिसका मजा में हमेशा शालू को चोदते हुए लेता था.
रोज़ी बड़े आराम से सोफे पर अधलेटी हो गई, मैं उसके पैरों के पास बैठ गया और धीरे से उसकी साड़ी ऊपर उठाने लगा.
रोज़ी ने अपनी आँखे बंद कर ली थीं वो आने वाले सुख का पूरा मजा लेना चाहती थी.
इसी का फ़ायदा उठाते हुए मैंने सीसे पर से परदा हटा दिया और सारा स्टाफ मुझे दिखने लगा.
अब ऐसा लग रहा था जैसे में कहीं भीड़भाड़ या पब्लिक प्लेस में हूँ और यह सब मस्ती कर रहा हूँ.
रोज़ी की शर्म अभी भी पूरी तरह नहीं मिटी थी… उसने अपनी टाँगें ढीली नहीं छोड़ी थीं बल्कि कसकर मुझे साड़ी नहीं उठाने दे रही थी.
रोज़ी- प्लीज, ऐसे ही कर दीजिये न साफ़… मुझे बहुत शर्म आ रही है.
उसके नखरे देख मुझे बहुत मजा आ रहा था, मैंने रोज़ी को चूमते हुए सोफे पर सही से लिटा दिया, उसकी साड़ी का पल्लू हटाकर उसके चेहरे पर डाल दिया.
रोज़ी- देखिये सर, मुझे बहुत शर्म आ रही है… केवल एक बार ही… जल्दी से साफ़ कर देना… फिर मैं उठ जाऊँगी… एक दो बार से ज्यादा मैं नहीं कराऊंगी…पक्का?
मैं- हा हा हा… अरे मैं कौन सा घंटे लगाऊँगा, बस गीलापन साफ़ करूँगा… कसम से… हा हा…
पहले उसकी शर्म को कुछ दूर करना जरूरी था.
मैं सोफे के नीचे अपने घुटनों पर बैठ गया…मैंने अपने होंठ रोज़ी की नाभि के ऊपर रख दिए और जीभ से चाटने लगा.अब रोज़ी मचलने लगी.
मैंने एक हाथ उसके घुटनों पर रख उसकी साड़ी को पकड़ लिया, रोज़ी के मचलने से और मेरे प्रयास से उसकी साड़ी ऊपर होने लगी और कुछ ही क्षणों में साड़ी जाँघों तक आ गई.
मैं रोज़ी के पेट को चूमते हुए ही नीचे उसकी चूत की ओर बढ़ने लगा, साथ ही साथ साड़ी, पेटीकोट के साथ ऊपर उसकी कमर तक भी लाने का कार्य जारी था.और जल्दी ही साड़ी कमर तक पहुँच गई. मैं भी घूमकर अब उसकी टांगों के बीच आ गया.

Reply
08-08-2020, 01:44 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
वाह… कितनी चिकनी और सफ़ेद टांगें थी रोज़ी की… बिल्कुल केले के तने जैसी… तराशी हुई टांगों को देखकर ही मेरा दिल बाग़-बाग़ हो गया.
मैंने उसके पैरों को सहलाते हुए अपना पूरा चेहरा वहाँ रख दिया, उसके पैरों को सहलाते हुए मैं ऊपर को बढ़ने लगा.
रोज़ी बहुत कसमसा रही थी पर जैसे ही मैं उसकी जांघो तक पहुँचा, उसने खुद ही अपनी टांगों के बीच मुझे जगह दे दी.
अब मैंने उसकी दोनों टांगों को घुटने से हल्का सा मोड़ते हुए, उसकी जाँघों के अंदर वाले भाग को चूमते हुए दोनों को इतना फैला दिया कि मेरा सर सरलता से वहाँ घुस गया.
अब मैं रोज़ी की चूत के बिल्कुल नजदीक पहुँच गया था.
इतनी सब करने के बाद मैंने पहली बार रोज़ी की गुलाबी चूत को देखा.
कसम से मेरे लण्ड ने हल्का सा पानी छोड़ दिया… क्या चूत थी… गुलाबी तो थी ही… और इस समय उसके सफ़ेद रस से भरी हुई…
उसकी चूत का पानी उसके चूत के छेद और बाहर भी निकल कर चारों ओर फ़ैल गया था, वो चमक रहा था जिससे चूत की ख़ूबसूरती कई गुना बढ़ गई थी.
मैंने अपनी नाक ठीक उसके चूत के छेद पर रख उसकी मदमस्त खुशबू ली… मेरी सांस जैसे ही वहाँ पड़ी… रोज़ी ने एक जोर की सिसकारी ली- अह्ह्ह्हा आआआ आह्ह… आआअ ओह…
उसकी साड़ी तो शायद पूरी खुल ही गई थी और पेटीकोट के साथ उसके कमर से भी ऊपर उसके पेट पर फैला था.
पैरों के तलुए से लेकर पेट तक जहाँ रोज़ी ने अपने पेटीकोट का नाड़ा बाँधा था, वहाँ तक पूरी नंगी वो मेरे सामने लेटी थी.
उसके पैरों में घुँघरू वाली पायल लगातार बज रही थी जो बहुत खूबसूरत लग रही थी.
दोनों पैर थोड़े उठे घुटनों तक मोड़े हुए उसके चूतड़ों की गोलाई, चूतड़ों के बीच सुरमई छेद और गुलाबी दरार, उसके ऊपर गुलाबी गद्देदार, गुदगुदे, हल्के से उभरे हुए पर आपस में चिपके हुए उसकी चूत के होंठ, रोजी की कमर से नीचे के सौन्दर्य को अच्छी तरह दिखा रहे थे.
उसकी चूत को देखकर कोई नहीं कह सकता था कि यह अभी तक चुदी भी है, उसको देखकर तो लग रहा था जैसे उसमे कभी उंगली तक नहीं गई.
मैंने रोज़ी की ख़ूबसूरती अच्छी तरह निहारने के बाद उससे खेलना शुरू कर दिया. मेरी जीभ रोज़ी की चूत पर हर जगह घूमने लगी.
रोज़ी के मुख से अब लगातार सिसकारियाँ निकल रही थी- आःह्हाआ आआ उफ़्फ़ ओह अह्ह्ह हाह्ह्ह आःह्हाआ नहीईइ इइ आह्हआअ…मेरे ऑफिस में एक अलग ही माहौल बन गया था.
मैंने उसकी चूत को अब अपने हाथों से हल्का सा खोला, बहुत चिपचिपा हो रहा था, शायद बहुत समय के बाद उसकी चूत को ऐसा सुखद अहसास मिल रहा था या शायद पहली बार !?!
उसकी चूत बहुत ज्यादा पानी छोड़ रही थी, इतना पानी तो मधु की चूत से भी नहीं निकला था.
मुझे उसकी खुशबू बहुत भा रही थी… मेरी जीभ लगातार उसकी चूत के चारों ओर अंदर तक अठखेलियाँ कर रही थी.
अब रोज़ी ने अपने चूतड़ों को ऊपर की ओर उछालना भी शुरू कर दिया था, उसको वाकयी बहुत आनन्द आ रहा था, वो मजे के सागर में गोते लगा रही थी.
मैं चूत से लेकर गांड तक सब कुछ चाट रहा था, जो रोज़ी केवल 1-2 बार में साफ़ करने की बात कर रही थी, वो अब सिसकारियों के साथ-साथ चटवाने में सहयोग भी कर रही थी, वो खुद अपनी चूत मेरे मुँह से चिपकाये जा रही थी.
मुझे दस मिनट से भी ज्यादा हो गए थे, मेरे होंठ दर्द करने लगे थे मगर रोज़ी ने एक बार भी मना नहीं किया… उसने शायद दो बार अपना पानी भी छोड़ दिया था क्योंकि उसकी चूत पानी से लबालब हो गई थी.
मैं उसके सारे पानी को चाट चाट कर फिर से साफ़ कर देता था…
फिर मुझे ही उससे बोलना पड़ा- क्या हुआ मेरी जान? …अभी और साफ़ करूँ?
इस समय मैं चाहता तो उसको आसानी से चोद सकता था, वो इस कदर गर्म हो गई थी कि बड़े से बड़े लण्ड को भी मना नहीं करती.
पर मैं उसको ऐसे नहीं बल्कि उसकी दिली ख्वाहिश से उसे चोदना चाहता था.
जब वो खुद पहले से चुदाई के लिए राजी हो… तभी मैं चोदना चाहता था.
मैंने उसको वैसे ही छोड़ दिया.
वो कुछ देर तक वैसे ही लेटी रही, नीचे से नंगी लेटी वो बहुत सेक्सी लग रही थी.
उसने अपनी साड़ी से चूत तक को नहीं ढका, मतलब वो बहुत कुछ चाहती थी पर खुद नहीं कह पा रही थी.
भले ही वो इस समय मुझे गाली दे रही होगी परन्तु जब उसकी खुमारी उतरेगी तो वो मुझसे प्यार करने लगेगी.
मुझे इस बात की पूरी तसल्ली थी.
अब मैं उसके उठने और कपड़े सही करने का इन्तजार कर रहा था, मैं देखना चाहता था कि वो ऑफिस के स्टाफ को देख कैसे प्रतिक्रिया करती है.
मैंने दराज से सिगरेट निकाली, जलाई और आराम से पीते हुए उसको देखने लगा.

कहानी जारी रहेगी.

Reply
08-08-2020, 01:44 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 89

अपने ऑफिस में मैं अपनी रिवॉल्विंग चेयर पर आराम-मुद्रा में बैठा सिगरेट के कश लगाता हुआ, मस्ती के पलों को जी रहा था…
सामने शीशे पर पड़ा हुआ परदा पूरा हटा हुआ था, सामने जहाँ मेरा स्टाफ पूरी लगन के साथ अपने-अपने काम में लीन था, वहाँ काफी चहल-पहल थी.
और शीशे के ठीक बराबर में जो सोफ़ा पड़ा था, वहाँ रोज़ी मस्ती में नहाई हुई अपने रस में डूबे अंगों को लिए लेटी हुई थी.
मैं उसके अंगों को बड़े आराम से देख रहा था, जब भी वो हिलती, अपने पैरों को ऊपर नीचे करती या फिर घूम जाती, उसकी जांघों का जोड़ और यौवन से लदे चूतड़ बार-बार मेरे लण्ड को आमंत्रण दे रहे थे.
वाह क्या दिलकश नजारा था…
सिगरेट से कहीं ज्यादा नशा उसके अंगों को देखकर चढ़ रहा था, यह मेरा दिल ही जानता है कि मैंने कैसे खुद को रोका हुआ था.
अगर कुछ देर और रोज़ी ऐसे ही रहती तो शायद मैं खुद को नहीं रोक पाता.
पर रोज़ी की शर्म फिर से वापस आ गई और वो सोफे से उठकर जल्दी से खुद को व्यवस्थित करने लगी.
उसकी साड़ी तो पहले से ही अस्त-व्यस्त थी तो उसने उठते हुए साड़ी को अपने बदन से हटा ही दिया.वो केवल पेटीकोट और ब्लाउज में बहुत सेक्सी लग रही थी.रोज़ी का पेटीकोट बहुत ही झीने कपड़े का था, कपड़े से उसकी टाँगें और सभी कुछ दिख रहा था.ये सब बहुत ही सेक्सी लग रहा था.
उसने मेरी ओर देखे बिना ही अपने पेटीकोट के नाड़े को सीधा करके बाहर निकाला, शायद उसको अपना पेटीकोट सही करना था.
मैं बिना पलक झपकाये उसको देख रहा था… उसने पेटीकोट के नाड़े को खींच कर खोला, पेटीकोट पहले ही नाभि से काफी नीचे बंधा था, नाड़ा खुलने से वो नाभि के पास से कुछ ओर नीचे खिसक गया.
मुझे उसकी चूत का ऊपरी हिस्सा तक दिख गया था तो मेरे मुख से अह्ह्हाआआ निकल गई.
रोज़ी ने पेटीकोट पकड़े पकड़े ही नजर उठाकर मुझे देखा और वो शरमा गई…
रोज़ी मुझे देखकर वैसे ही शरमाकर मेरी ओर पीठ कर लेती है, उसके घूमने से अब उसका चेहरा शीशे की ओर हो गया तो पहली बार उसने उस शीशे में से सबको देखा…
दो जने ठीक शीशे के सामने खड़े बात कर रहे थे.
बस यही वो क्षण था… उसने जैसे ही शीशे में से सबको देखा और…
स्वाभावि ही उसके मुख से एक जोरदार चीख निकली और उसके दोनों हाथ उसके चेहरे पर आँखों को ढकने के लिए उठ गए.पेटीकोट उसके हाथ से छूट गया, जिसने नीचे जमीन चूमने में एक क्षण भी नहीं लगाया.
अब रोज़ी कमर के नीचे पूरी नंगी थी… लेकिन फिर भी उसके नंगे चूतड़ों का दृश्य की मुझे बस जरा सी झलक ही मिली.
क्योंकि रोज़ी वहाँ से दौड़ कर तुरंत मेरे सीने से लग गई… शायद अपनी शर्म को छिपाने का नारी को यही सबसे सुलभ उपाय लगता है.
मैंने हंसते हुए अपनी सिगरेट बुझाई, उसको डस्टबिन में डालने के बाद उसकी पीठ पर हाथ रख उसको खुद से चिपका लिया.
मैं- क्या हुआ जानेमन?उसने कुछ नहीं कहा… बस तेज तेज सांस लेते हुए उसने अपने एक हाथ से शीशे की ओर इशारा किया.
मैं खुद कुर्सी से खड़ा हुआ और उसको भी उठाकर खड़ा किया.
वो अभी भी मेरे सीने से चिपकी थी, उसकी पीठ पर रखे, अपने हाथ को सरकाकर मैं उसके चूतड़ों पर ले गया और नंगे चूतड़ों की एक गोलाई को मसलते हुए ही उससे कुछ मस्ती करने के लिए मैंने कहा- हा हा हा तो क्या जानेमन… पेटीकोट भी निकालकर उनको ये सब क्यों दिखा रही हो?
मैं उसकी चूतड़ों की दरार में उंगली फिराते हुए उंगली उसकी चूत तक ले गया.
उसने एक जोर की सिसकारी ली- …अह्ह्हाआआ क्या करते हो सर आप…? प्लीज वो परदा बंद करो ना… और यह आपने ही खोला होगा ना?
मैं- अरे घबराओ मत मेरी जान… यह तो बस मनोरंजन ही है… यह ‘वन साइड व्यू ग्लास; है… हम तो बाहर देख सकते हैं मगर उधर से कुछ नहीं दिखेगा.
अब शायद उसको समझ आ गया था क्योंकि उसने भी उधर खड़े होकर कई बार अपने बाल सही किये थे.
उधर से किसी को भी खुद का अपना अक्स ही नजर आता है.
यह सब जानने के बाद भी वो मेरे सीने से लगी रही, मेरा हाथ कभी उसके नंगे चूतड़ों के सम्पूर्ण भाग को सहलाता, कभी उसके चूतड़ों की दरार तो कभी उसके गुदाद्वार को कुरेदता, तो कभी मैं चूतड़ों के नीचे उसकी चूत को भी सहला देता.
उसने एक बार भी मेरे हाथ को ना तो हटाने की कोई कोशिश की और ना ही हल्का सा भी विरोध किया.
मेरा लण्ड आगे से उसकी नंगी चूत को छू रहा था पर वो अभी भी पैंट के अंदर ही था.
मेरा दिल कह रहा था कि यार… लौंडिया पूरी गर्म है… निकाल लण्ड और डाल दे चूत में…
मगर दिमाग अभी उसको बहुत आराम से चोदने के मूड में था… वो कोई भी जल्दबाजी करने की इजाजत नहीं दे रहा था.
मैंने ही रोज़ी को थोड़ा सा अपने से अलग करते हुए कहा- मेरी जान… उधर सबको देखते हुए आराम से कपड़े पहनो, फिर देखो कितना मजा आता है…हा हा हा ह…
रोज़ी ने उउह्ह्ह्हूऊउ करते हुए… अपने कपड़े उठाये और दूसरी तरफ जाकर अपना पेटीकोट और साड़ी पहनी.
फिर करीब एक घंटे तक तो वो बड़ी ही विचलित सी रही मगर बाद में उसकी समझ में आ गया और उसकी आँखों में एक अलग ही प्यार मुझे अपने लिए नजर आया.
कुछ देर तक तो मैं अपनी थकन उतारता रहा और कुछ ऑफिस का काम किया, 2-3 बार शालू को भी कॉल किया मगर फिर फ़ोन नहीं लगा… लगता था उसको चार्ज करने का समय नहीं मिला था.
पर पहली बार ऐसा हुआ था कि उसने किसी और के फोन से भी मुझे कॉल करके नहीं बताया था… शायद किसी जरुरी कार्य में ही फंस गई थी.
हे भगवान, उसके साथ सब कुछ सही हो…
फिर कुछ फ्री होने के बाद मैंने सलोनी को फोन करने की सोची मगर तभी नलिनी भाभी की कॉल आ गई.

कहानी जारी रहेगी

Reply
08-08-2020, 01:45 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 90

फिर कुछ फ्री होने के बाद मैंने सलोनी को फोन करने की सोची मगर तभी नलिनी भाभी की कॉल आ गई.
मैं सोच ही रहा था कि वो जरूर मुझसे नाराज होंगी कि मैंने दोबारा उनको कॉल क्यों नहीं किया पर उधर से कोई वैसी आवाज तो नहीं आई, उन्होंने कुछ नहीं कहा.
मैं अभी हेलो कहने ही वाला था कि मुझे लगा जैसे वहाँ कोई बात कर रहा हो… यह तो सरप्राइज़ था मेरे लिए !
अरे, यह नलिनी भाभी तो मेरे ही फ्लैट में थी और सलोनी भी स्कूल से वापस आ गई थी, वो दोनों आपस में बात कर रही थी, नलिनी भाभी ने शायद यह सोचा होगा कि ये बातें मुझे भी सुना दें… ग्रेट नलिनी भाभी !
नलिनी भाभी के इस कमाल का मैं कायल हो गया थाम उन्होंने सच में कमाल ही कर दिया था… जो मजा मुझे इस समय मिल रहा था… इसका सारा श्रेय केवल और केवल नलिनी भाभी को जाता है.
अब बस इतना देखना था कि क्या नलिनी भाभी अपने कमाल से सलोनी से उसके सेक्सी राज निकाल पाएँगी या नहीं.
वो दोनों आपस में बात कर रही थी, मैं ध्यान से दोनों की बात सुनने लगा.
नलिनी भाभी- अरे कुछ तो शर्म कर लिया कर, जब देखो बेशर्मो की तरह नंगी खड़ी हो जाती है?
सलोनी- हा हा हा क्या भाभी.. आप भी ना… अब आप से क्या शर्माना? मेरे पास ऐसा क्या है जो आपके पास नहीं है.
नलिनी भाभी- हा हा… वो तो सही है… फिर भी… एक तो तेरे अंकल भी ना… जब देखो तब… एकदम से आ धमकते हैं, उनसे तो शर्म कर लिया कर !
मैं उनकी बात सुन ही रहा था कि रोजी फिर से मेरे केबिन में आ गई. वो कुछ बोलने वाली ही थी कि मैंने उसको चुप रहने का इशारा किया और फोन स्पीकर पर कर लिया.
थैंक्स गॉड… उसको समझ आ गया, उसने कोई अन्य प्रश्न नहीं किया.
अब वो भी ध्यान से उन बातों को सुनने लगी, उसके माथे पर हल्की शिकन जरूर थी पर अभी उसने कोई प्रश्न पूछना व्यर्थ समझा, यह उसकी समझदारी थी.
सलोनी- अरे तो उनसे क्या शर्माना भाभी… बेचारे कितनी मदद करते हैं मेरी… हा हा हा… फिर थोड़ा बहुत इनाम तो उनको भी मिलना चाहिए ना !
नलिनी भाभी- हाँ, तुझे ऐसे नंगी देखने के बाद, पता है मुझे कितना परेशान करते हैं?
सलोनी- हाय… सच भाभी… फिर तो आपको मेरा अहसान मानना चाहिए… हा हा हा हा… मेरे कारण आपको कितना मजा आता होगा…
नलिनी भाभी- हाँ हाँ, मुझे सब पता है… मेरे मजे के चक्कर में तू कितना मजा ले रही है.
सलोनी- ह्हह्हाआ बिल्कुल नहीं भाभी… अंकल को तो मैंने छुआ तक नहीं… हाँ बस उन्होंने ही थोड़ा बहुत… पर मेरे दिल में तो उनके लिए बहुत इज़्ज़त है… मेरे लिए तो वो बिल्कुल पिता समान हैं.
नलिनी भाभी- अरे उनकी छोड़… वो तो तू चाहे कुछ भी कर… वो जो तू कल रात कैसे… बिल्कुल नंगी… उस लड़के के साथ… पूरी कॉलोनी में घूम रही थी… और क्या पूरे शहर में भी ऐसे ही नंगी घूम रही थी? बता ना… क्या क्या किया उस लड़के के साथ… और साहिल कहाँ था?? तुम रात भर अकेले उस लड़के के साथ… बता न.. क्या क्या हुआ??
सलोनी- हा हा… ओह अरे… थोड़ा रुको तो भाभी… आप तो एकदम से… सवाल पर सवाल… सवाल पर सवाल… हा हा हा… अरे अभी-अभी थककर स्कूल से आई हूँ… जरा रुको तो !
नलिनी भाभी- हाँ वो तो लग ही रहा है… लगता है बहुत मेहनत की है स्कूल में तेरी इस डिबिया ने, बड़ी लाल हो रही है.. जैसे खूब पिटाई हुई हो इसकी किसी तातकवर डंडे से… हा हा !
सलोनी- अरे वाह… भाभी ..कह तो आप बिल्कुल ठीक रही हो… हा हा…
मैंने सोचा कि लगता है दोनों खूब मस्ती कर रहे हैं.
नलिनी भाभी- और यह क्या… तू स्कूल भी कच्छी पहनकर नहीं जाती?
सलोनी- अरे वो मैं कहाँ पहनती हूँ वैसे भी… मुझे आदत ही नहीं है. और हाँ भाभी, अगर कच्छी पहनकर जाउंगी तो फिर मजा कैसे करुँगी?
नलिनी भाभी- तू तो पूरी बेशर्म होती जा रही है.
सलोनी- झूठ भाभी.. मैं तो पहले से ही हूँ… वो तो अब आप बेशर्म होती जा रही हो… हा हा.. बोलो मैं सही कह रही हूँ ना… अच्छा आप बताओ.. आपने मेरे पति का सही से ध्यान रखा था ना… और मधु को क्यों वापस भेज दिया? कहीं कुछ ऐसा वैसा तो नहीं किया ना आपने मेरे भोले भाले पति के साथ… हा हा हा…
नलिनी भाभी- हाँ बस एक तू भोली है और वो तेरा पति भोला है… और बाकी सब ही टेढ़े हैं? मैं ऐसी वैसी बिल्कुल नहीं हूँ… पूछ लेना अपने उस भोले से… हाआंन्नणणन…
सलोनी- अर्रर… आप नाराज क्यों होती हो मेरी प्यारी भाभी… मैं तो ऐसे ही कह रही थी… और अगर दिल हो तो कर भी लेना.. सच, मैं कुछ नहीं कहूँगी… मुझे अच्छा ही लगेगा.
नलिनी भाभी- कितनी बेशर्म होती जा रही है तू?
सलोनी- अरे इसमें बेशर्मी की क्या बात है… अगर मेरे प्यारे पति को और मेरी प्यारी भाभी… दोनों को अच्छा लगे तो मैं तो खुद उनका डंडा आपकी इस मुनिया में डाल दूँ… हा हा…
नलिनी भाभी- चल दूर हट मेरे से… मुझे ये सब पसंद नहीं… तू ही डलवा… अलग अलग डंडे… चल ये सब बातें छोड़.. मुझे वो बता ना?
Reply
08-08-2020, 01:45 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
सलोनी- आए ओये ओये… ये क्या बात हुई… वैसे तो आपको ये सब पसंद नहीं… और ये बता ..वो बता… जब पसंद नहीं तो ये सब क्यों पूछ रही हो… जाओ मैं कुछ नहीं बताती !
मेरा तो दिल धक रह गया, अरे यह क्या कह रही है? ऐसे तो कुछ भी पता नहीं चलेगा.
नलिनी भाभी- अरे मेरी बन्नो… नाराज क्यों होती है?? पसंद नहीं होता तो वैसी ही तेरे पास बैठी रहती… वो तो तू जैसे बात कर रही है, तो मैंने कहा. चल अब ज्यादा नखरे मत कर और जल्दी से बता कि कल रात क्या गुल खिलाये तूने?
सलोनी- अरे वो तो भाभी कल आपके चहेते… साहिल की ही मर्जी थी… उन्ही के कारण कल मुझे कितने लोगों के सामने नंगी रहना पड़ा…
नलिनी भाभी- क्या मतलब??
सलोनी- अरे बता रही हूँ ना…
और उसने पहले बिल्कुल वही कहानी सुनाई जैसे होटल में क्या-क्या हुआ… और फिर पुलिस वाले की भी… हाँ उसने एक नई बात बताई… जिसे सुन मैं चोंक गया… अमित ने बताया था कि इंस्पेक्टर ने ज्यादा कुछ नहीं किया था… मगर साले अमित ने झूठ बताया..
सलोनी के अनुसार उस इंस्पेक्टर ने बहुत मजे लिए…
मैं आश्चर्यचकित था कि 15 मिनट में ही उसने सलोनी को इस कदर भोग लिया था.
मेरी समझ में यह भी आ गया था कि केवल मेरे सामने ही वो चुदवाना पसंद नहीं करती है बल्कि मेरे पीछे उसको चुदवाने से कोई परहेज़ नहीं है, उसको लण्ड अपनी चूत या गांड में डलवाने में मजा ही आता है.
उसके अनुसार इंस्पेक्टर ने कुछ देर तक तो उससे अपना लण्ड चुसवाया… फिर उसकी चूचियों को मसला और लण्ड भी चूचियों के बीच रखकर रगड़ा… फिर सलोनी उसके लण्ड को चूत में लेना चाहती थी मगर उसने चूत को उंगली से चोदते हुए मना कर दिया कि उसको और यह भी कहा- …तुम जैसी रंडियों की ढीली ढाली चूत मारने में नहीं बल्कि गांड मारने में मजा आता है.
और इंस्पेक्टर ने सलोनी को जीप में ही घोड़ी बनाकर पीछे उसके गांड में अपना लण्ड डाल दिया.
सलोनी ने यह भी बताया कि उसको बहुत दर्द हुआ… जिस समय अमित उसको बचाने आया उस समय उस इंस्पेक्टर का लण्ड सलोनी की गांड में था… अमित ने खुद इंस्पेक्टर को धक्का देकर उसका लण्ड बाहर निकाला था… फिर अपने रुमाल से सलोनी की गांड को साफ़ करके अपना कोट उसको पहनाया था.
मुझे अमित पर बहुत गुस्सा आया कि साले ने मुझे बताया क्यों नहीं और उस इंस्पेक्टर को क्यों छोड़ दिया… और फिर सलोनी पर भी गुस्सा आया कि उसने मुझे क्यों नहीं बताया?
फिलहाल तो मैं उसकी बातें सुन रहा था…
नलिनी भाभी- चल अच्छा हुआ कि फिर भी बच गई तू… वरना अभी तो वो दूसरा भी था… पता नहीं बीच सड़क पर और क्या-क्या होता…
सलोनी- हाँ भाभी सच… मैं अमित भैया का अहसान कभी नहीं भूल सकती… मुझे बहुत दर्द सहने से बचा लिया था उन्होंने…
नलिनी भाभी- तो उनका अहसान तूने कैसे उतारा… उस बेचारे साहिल को तो तुमने रात भर पुलिस स्टेशन भेज दिया… और अकेले यहाँ दोनों… हम्म्म?
सलोनी- अरे नहीं भाभी… उनको तो मैंने ही जल्दी बुलवा लिया था… अगर उस इंस्पेक्टर को केस के चककर में पड़ते तो पता नहीं आज भी हम वहीं होते… और हमारी बदनामी वो अलग.
नलिनी भाभी- फिर भ कुछ तो हुआ होगा बता ना?
सलोनी- उनको वहीं छोड़ मैं डरी हुई सी अमित भैया के साथ उनकी गाड़ी में आई, वो बहुत मजाक कर रहे थे जिससे मैं नार्मल हो जाऊँ… फिर मुझे पता चला कि वो तो मुझे पहले से ही बहुत पसंद करते हैं… उन्होंने बताया कि उनकी बहुत पुरानी इच्छा पूरी हो गई… मुझे नंगी देखने की… उनकी प्यारी और मजाकिया बातें सुन मुझे बहुत अच्छा लगा और मैं जल्दी ही नार्मल हो गई…
फिर उन्होंने ही कहा कि भाभी आज मजा करते हैं… वो चाहता था कि मैं पार्किंग से यहाँ तक नंगी ही आऊँ…
मैंने बहुत मना किया… पर उसने ज़िद पकड़ ली और फिर अपना कोट भी वापस मांग लिया.
फिर मैंने भी सोचा कि रात को इस समय कौन सा कोई जगा होगा, सब तरफ अँधेरा ही था, अमित तो मुझे पहले ही नंगी देख चुका था… बस मैंने उसकी यह इच्छा भी पूरी कर दी… सच भाभी बहुत मजा आया… एक दिन आप भी यह ट्राई करना… वो तो हमारे पास चाबी नहीं थी, वरना आपको भी कुछ पता नहीं चलता.
नलिनी भाभी- रहने दे… तेरे अंकल तो कब से तेरी राह देख रहे थे… उन्होंने तेरे को पूरा कंपाउंड का चक्कर लगाकर… नंगी ऊपर आने तक सब देख लिया था.
सलोनी- हाँ वो तो उन्होंने मुझे बता दिया था… अब चलो उनकी तो कोई बात नहीं… वो तो अपने ही हैं ना.. हा हा…
नलिनी भाभी- और यह भी तो हो सकता है कि कुछ और लोगों ने भी देखा हो… हो सकता है कोई और भी अपनी बालकोनी से देख रहा हो?
सलोनी- हा हा सच भाभी.. तो चलो यह उसका इतनी रात तक जागने का इनाम हो गया होगा… हा हा..
नलिनी भाभी- फिर तुम दोनों ने अकेले फ्लैट में क्या किया, वो तो बता?
सलोनी- अरे बस अब रहने भी दो ना भाभी, वो सब बाद में बता दूंगी.
नलिनी भाभी- नहीं मुझे अभी सुनना है बता ना !
मैंने रोजी की ओर देखा, वो आँखे फाड़े, मुँह खोले सब सुन रही थी.
उसकी समझ में आ तो गया होगा कि मैं किसकी बात सुन रहा हूँ क्योंकि उन्होंने मेरा ज़िक्र भी छेड़ा ही था.
अब उसकी क्या प्रतिक्रिया होती है, यही देखना था.
सलोनी- ओके बाबा, बताती हूँ… मुझे भी अमित भैया पहले से ही बहुत पसंद हैं ..इसीलिए मैंने भी सोच लिया था… कि उनकी सभी इच्छा पूरी करुँगी…
नलिनी भाभी- और तेरे अमित भैया की क्या इच्छा थी?
सलोनी- क्या भाभी आप भी… मुझ जैसे लड़की को नंगी देखकर एक लड़के की क्या इच्छा हो सकती है… हा हा…
नलिनी भाभी- तो तुम दोनों ने सब कुछ कर लिया?
सलोनी- ह्म्म्म बताती हूँ ना, रुको तो…और कुछ देर के लिए वहाँ चुप्पी सी छा गई.
अब क्या राज खोलने वाली है सलोनी…????

कहानी जारी रहेगी.
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,586,256 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 554,030 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,269,574 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 959,747 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,701,753 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,121,414 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,021,607 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,301,757 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,114,827 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 293,167 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 4 Guest(s)