Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
08-08-2020, 01:45 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 91

मैं रोज़ी के साथ बैठा नलिनी भाभी और सलोनी की बातें सुन रहा था.
हम दोनों में एक फर्क था, मुझे तो उनकी बातें सुनकर मजा आ रहा था पर रोज़ी अभी हमारे बारे में ज्यादा नहीं जानती थी इसलिए उसको शायद बहुत अजीब लग रहा था.
वो तो एक पतिव्रता टाइप की लड़की थी, उसने कभी दूसरे मर्द के बारे में शायद ऐसा सोचा भी नहीं था पर अब वो कुछ कुछ खुद को बदल रही थी.
अभी तो उसके चेहरे के भाव और रंग हर पल बदल रहे थे, वो मुझे बड़े ही सहानुभूति के भाव से देख रही थी और उसकी आँखों में मेरे लिए बहुत ही याचना के भाव थे.
मैं बस यही सोच रहा था कि जब उसको पता चलेगा कि मुझे सलोनी के ऐसा कुछ करने से कोई ऐतराज नहीं है, तब उसको कैसा लगेगा.
फिलहाल तो वो मेरे साथ सलोनी की बातें सुनने में मस्त थी.
और उधर फिर से बातचीत शुरू हो गई… जैसे नलिनी भाभी सब कुछ उगलवाने का मूड में ही आई थी और सलोनी को भी उनको कुछ भी बताने से कोई ऐतराज नहीं था.
नलिनी भाभी- अच्छा अब कुछ तो पहन ले या ऐसे ही नंगी घूमती रहेगी?
सलोनी- हा हा… क्या भाभी आपमें और अंकल में कितना फर्क है… आप हमेशा कुछ पहनने को बोलती रहती हो और अंकल?
नलिनी भाभी- अंकल क्याआआ??
सलोनी- अरे छोड़ो न भाभी…बस लो पहन लिया…ना.
नलिनी भाभी- यह भी तेरा कोई कपड़ा है… लगता है जैसे कुछ पहना ही नहीं है.
सलोनी- अरे भाभी इसमें ही तो मजा है… खुद के लिए हमने पहना भी है और दूसरों के लिए नहीं भी… हा हा…
नलिनी भाभी- हाँ तो बता न फिर क्या हुआ?
सलोनी- अरे भाभी बताया ना… पहले तो हम दोनों ही थक गए थे तो मैंने गीजर ओन कर दिया.
तब अमित भैया बोले कि जब तक पानी गर्म हो वे मेरी मालिश कर देते हैं, सच उनको बहुत अच्छा मसाज करना आता है… भाभी आप भी करवा कर देखना… मैं तो पूरी नंगी थी ही, अमित भैया ने भी अपने सभी कपड़े निकाल दिए थे…
नलिनी भाभी- सब क्या? अंडरवियर भी?
सलोनी- उफ़्फ़्फ़्फ़ हाँ भाई वो भी… और उनका लण्ड काफी बड़ा था और पूरा खड़ा था… अब बस यही सुनना चाहती थी ना आप?
नलिनी भाभी- हाय राम… बड़ी बेशरम है तू तो… मैंने तो ऐसे ही पूछा था.
सलोनी- हाँ मुझे पता है सब कि कैसे और क्या जानना है आपको.
नलिनी भाभी- अच्छा ठीक है तू चाहे जैसे भी बता पर मुझे अच्छा लग रहा है… फिर क्या हुआ?
सलोनी- अरे फिर तो बहुत मजा आया… भैया अपनी सभी कलाएं मेरे बदन पर लगा दी, पहले उन्होंने खूब मालिश की, फिर मेरे चूतड़ों में दर्द तो हो ही रहा था उस इंस्पेक्टर के लण्ड की वजह से तो अमित भैया ने मुझे उल्टा करके मेरे चूतड़ों की खूब मालिश की, फिर मेरे छेद में भी खूब अच्छी तरह से मालिश की.
नलिनी भाभी- तूने उसे मना नहीं किया?
सलोनी- क्या भाभी? मुझे तो खूब अच्छा लग रहा था… मैं मना क्यों करती? जब वो पीछे से मेरे ऊपर चढ़कर मालिश कर रहे थे तब उनका लण्ड मुझे खूब मजा दे रहा था.
नलिनी भाभी- वो कैसे?
सलोनी- उनका लण्ड मेरी जांघों और चूत को भी बार बार छू रहा था.
नलिनी भाभी- मतलब तू चाह रही थी कि वो उसको तेरी मुनिया में डाल दे?
सलोनी- सच भाभी… मैं तो पहले से ही इतनी गर्म हो गई थी पर वो भी पूरा घाघ थे, लगा रहे थे, घिस रहे थे मगर डाल नहीं रहे थे.
फिर जब मैंने उनको याद दिलाया कि जल्दी कर लो ना… साहिल आने वाले होंगे.
नलिनी भाभी- तो तूने अपने मुँह से कह दिया… बड़ी कमीनी है तू तो?
सलोनी- अरे नहीं भाभी.. मेरा मतलब तो मालिश पूरी करने से था. मगर वो भी तो पूरा सताने पर लगे थे.
फिर उन्होंने मेरे सामने ही साहिल को फोन किया कि पूछ लेते हैं कि जनाब है कहाँ.
नलिनी भाभी- ओह वो तो बड़ा बहादुर निकला… उसको तो नहीं और तेरे को भी डर नहीं लगा कि ऐसे नंगे दोनों फिर साहिल को भी कॉल करने लगे?
सलोनी- अरे भाभी अब वो कहाँ डरते, जब साहिल के सामने से मुझे… पूरी नंगी ही अपनी गाड़ी में बैठा कर ले आए और साहिल ने भी कुछ नहीं कहा.
नलिनी भाभी- अरे साहिल बेचारा क्या जाने? कितना सीधा है वो तो…
सलोनी- हाँ भाभी, यह तो आप बिल्कुल सही कह रही हैं, वाकयी वो हैं तो बहुत सीधे और अच्छे भी.
नलिनी भाभी- अच्छा फिर फोन पर किसने बात की?
सलोनी- अमित कह तो वो मुझी से रहे थे, पर मैंने मना कर दिया. फिर खुद ही बात करने लगे और बात करते करते ही उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया.
मेरा तो मुँह खुला का खुला रह गया, अब मैं कुछ बोल भी नहीं सकती थी और हिल भी नहीं सकती थी.
मुझे चोदते हुए ही वो बात करते रहे और मैं अपना मुहँ दबाये बिल्कुल चुप रही अगर हल्की सी भी सांस वो सुन लेते तो उनको कितना बुरा लगता. सच पूरे पागल ही हैं… उनको बोल रहे थे कि मैं अपने कमरे में आराम कर रही हूँ… जबकि मुझे बुरी तरह चोद रहे थे.
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08-08-2020, 01:45 PM,
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पूरे एक झटके में ही उन्होंने अपना पूरा लण्ड मेरी नाजुक चूत में घुसा दिया था, सच बहुत दर्द हुआ था… फिर तो उन्होंने मुझे बहुत मजा दिया, जब तक साहिल घर नहीं आ गए, वो मुझे चोदते रहे.
नलिनी भाभी- क्यों फिर नहाये नहीं तुम दोनों?
सलोनी- नहाये तो थे… वो सुबह मेरे साथ ही नहाकर अपने घर गए.
नलिनी भाभी- क्या मतलब? साहिल कहाँ था?
सलोनी- वो तो यहाँ सो रहे थे… बेचारे पूरी रात के थके थे.
नलिनी भाभी- अच्छा और तुझे थकान नहीं हुई?
सलोनी- अरे मेरी थकान तो अमित भैया ने अच्छी तरह निकाल दी थी… हा हा हा… सच बहुत मजा आया था… कल पहले तो साहिल के साथ ही बहुत मजा आया था.. फिर अमित भैया ने दिल खुश कर दिया… तीन बार चोदा मुझे… अभी तक मीठी मीठी टीस उठ रही है.
नलिनी भाभी- टीस? वो कहाँ उठ रही है?
सलोनी- अरे चूत और गांड दोनों में ही…
नलिनी भाभी- तो क्या उसने गांड भी मारी तेरी? तुझे डर नहीं लगा कि अगर साहिल जाग गया तो?
सलोनी- अरे डर की बात कर रही हो आप भाभी… वो तो इतने हिम्मती हैं कि रात को जब मैं साहिल के साथ सो रही थी, तब भी यहाँ आकर मेरे पास लेट गए और मेरी चूत चाटी, मेरे से अपना लण्ड चुसवाया और लेटे-लेटे ही एक बार मेरे को चोदा भी.
नलिनी भाभी- क्या पागलों जैसी बात कर रही है? कहाँ चोदा? और साहिल कहाँ था?
सलोनी- अरे यहीं.. मेरे पास लेटे मजे से सो रहे थे… उधर वो तो जोर जोर से खर्राटे ले रहे थे…और इधर अमित हर खर्राटे की आवाज पर धक्के मार रहे थे. सच भाभी बहुत ही मजे वाला अनुभव था… बहुत मजा आया…करीब आधे घंटे तक उन्होंने मुझे चोदा.
नलिनी भाभी- और तुझे बिल्कुल डर नहीं लगा कि साहिल ने देख लिया तो क्या होगा? और कपड़े उतारे थे या ऐसे ही किया सब कुछ?
सलोनी- कौन से कपड़े भाभी, अमित भैया ने मुझे कपड़े पहनने ही कहाँ दिए… जब साहिल यहाँ दरवाजे तक पहुँच गए तब तक तो लगातार चोदते रहे.
फिर जब उन्होंने घण्टी बजाई, तब मैं तो भागकर यहाँ आकर सोने का नाटक करने लगी और अमित भैया ने ही दरवाजा खोला, पता नहीं क्या कहा उनसे.
और मैं तो यहाँ सांस रोके चुपचाप ही रही, कपड़े पहनने का समय ही नहीं मिला.
नलिनी भाभी- और साहिल ने भी एक बार भी तुझे नहीं देखा कि कपड़े पहने है या नहीं?
सलोनी- अरे नहीं… मैं तो डर रही थी पर उन्होंने नहीं देखा… फिर मैं यह भी सोच रही थी कि अगर देख भी लिया तो कुछ नहीं कहने वाले आखिर जब मैं उनके पास से आई थी, तब नंगी ही थी.
नलिनी भाभी- सच तू तो बहुत हिम्मती है… और तूने बहुत हिम्मत वाला काम किया है… मुझे तो सोचकर ही डर लग रहा है.
सलोनी- हा हा हा भाभी… सच, पर उस मजे के लिए इतना तो रिस्क लेना ही पड़ता… क्या मजा आया था !!
नलिनी भाभी- और फिर गांड कब मारी तेरी उसने?
सलोनी- सुबह नहाते हुए… उसमें भी बहुत मजा आया… अभी तक टीस उठ रही है.. अह्ह्हाआआ…
नलिनी भाभी- और साहिल जाग जाता तो… तूने तो हद ही कर दी सलोनी…
सलोनी- अरे इसमें हद किस बात की, शुरू में तो मैं केवल उनकी हेल्प के लिए ही गई थी… पर जब उन्होंने मुझे भी साथ ले लिया तो फिर मैं सब कुछ भूल गई. और फिर जो अमित भैया ने मेरी जो गांड मारी है, सच आज तक इतना मजा नहीं आया. मैं तो उनकी चुदाई की कायल ही हो गई.
नलिनी भाभी- देखो तो कितनी बेशरम होकर सब बता रही है… तुझे तो अब किसी बात की शर्म ही नहीं रही.ट्रीन्न न्न्न… ट्रिन्न न्न्न्न…
नलिनी भाभी- ओह कौन आ गया इस समय?
सलोनी- अंकल ही होंगे…
अंकल- अरे तू कब से यहाँ बैठी है…
और तभी कॉल कट हो गई.
अब मैं खुद को रोज़ी के प्रश्न के लिए तैयार कर रहा था कि अब उसको क्या और कैसे सब कुछ बताना है.
उसको बुरा भी ना लगे और वो सब कुछ अच्छी तरह स्वीकार भी कर ले.

कहानी जारी रहेगी.
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08-08-2020, 01:45 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 92

सलोनी की इतनी सेक्सी बातें सुनकर मेरे पर तो ज्यादा असर नहीं हुआ पर शायद लगता है कि रोज़ी कुछ ज्यादा ही उत्सुक दिख रही थी. अब मुझे सब कुछ सम्भालना था, उसको बड़े आराम से ही सब कुछ बताना था.
उसकी आँखों में मेरे लिए इस समय केवल सहानुभूति ही नजर आ रही थी, वो अभी केवल इतना ही समझ रही थी कि जिस पति को अपनी पत्नी की बेवफाई के बारे में पता चले तो उस पर क्या गुजरती है.
अब मुझे उसकी वो सारी ग़लतफहमी दूर करनी थी और उसका दृष्टिकोण बदलना था.
रोज़ी- ओह सर ये आपकी वाईफ थी न… मुझे शालू ने बताया था… उनका नाम सलोनी ही है ना?
अब फिर से मेरा माथा ठनका, शालू ने इसको क्या क्या बताया होगा?
मैं- हाँ यार मेरी प्यारी बीवी ही है… क्या बताया शालू ने तुमको इसके बारे में?
रोज़ी- बस इतना ही कि उनका नाम सलोनी है और बहुत मॉर्डर्न हैं.
मैं- हाँ यार बहुत मॉडर्न है वो.. अब तो तुम समझ ही गई होगी.
रोज़ी- छिइइ…इइइइइ कितनी गन्दी हैं वो… ये सब भी कोई करता है क्या?
मैं- हा हा हा… वाह यार… तुम भी क्या बात करती हो? अरे इसमें क्या हुआ?
रोज़ी- क्यों आपको बुरा नहीं लगा वो… ये सब…?
मैं- कमाल करती हो… इसमें बुरा क्या लगेगा… अरे यार, उसका जीवन है… और जो उसको अच्छा लगता है.. उसको करने का पूरा हक़ है.
रोज़ी- मगर ऐसे.. ये तो गलत है न… उनको आप जैसा इतना अच्छा पति मिला है… फिर तो कुछ और नहीं !!!
मैं- अरे यार किस पिछड़ी दुनिया में जी रही हो? आजकल सब कुछ चलता है. अभी कुछ देर पहले हमने जो कुछ किया, क्या वो सही था? अरे हम दोनों को अच्छा लगा तो किया ना…!
रोज़ी- ह्म्म्म्म… पर मुझे अगर आप जैसा पति मिलता तो फिर तो कभी कुछ और नहीं सोचती.
मैं- क्यों अभी क्या खराब मिला है… अरे यार ये पति सिर्फ 1-2 साल तक ही अच्छे लगते हैं फिर सब कुछ पुराना जैसा हो जाता है…
रोज़ी- जी नहीं मेरे साथ ऐसा नहीं है… वो तो… मेरे लिए सेक्स ही सब कुछ नहीं है… मुझे तो बस दिल से प्यार करने वाला और मुझे समझने वाला ही अच्छा लगता है.
मैं- अरे तो क्या इसीलिए तुम मेरे साथ वो सब?
रोज़ी- जी हाँ मुझे आप बहुत अच्छे लगे… तभी तो मैंने सलोनी जी के बारे में वो सब कहा.
मैं- अरे मेरी जान ऐसा कुछ नहीं है, वो बहुत अच्छी है, मुझे बहुत प्यार करती है और मैं भी उसको बहुत प्यार करता हूँ.
रोज़ी- फिर ये सब.. क्या आपको बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा?
मैं- बिल्कुल नहीं… मैं ये सब केवल थोड़ा सा शारीरिक सुकून ही मानता हूँ. क्या किसी के साथ थोड़ा बहुत मस्ती करने से इंसान का कुछ घिस जाता है… नहीं ना? तो फिर काहे का हल्ला?
रोज़ी- हाँ मगर हमारा यह समाज… इसी को सब कुछ समझता है.
मैं- अरे छोड़ो यार ये सब फ़ालतू की बातें… कुछ नहीं रखा इनमें ! सच बताओ, हमने जो अभी किया… मुझे पता है वो तुम्हारी नजरों में गलत है… पर सच बताना तुमको अच्छा लगा या नहीं?
उसने बहुत ही शरमाते हुए हाँ में जवाब दिया.
मैं- फिर सब बात बेकार हैं… अगर किसी बात से हमको ख़ुशी मिलती है… और कुछ नुक्सान नहीं होता… तो वो बात गलत हो ही नहीं सकती. मुझे नहीं लगता कि किसी भी मर्द को अगर कोई लड़की सेक्स का ऑफर दे तो वो मना कर दे… वो एक बार भी तुम्हारी तरह नहीं सोचेगा… जब उसका कुछ नहीं घिसता तो फिर यार तुम लड़कियों को क्यों चिंता होती है?
इस बात पर हम दोनों बहुत जोर से हंसने लगे.
रोज़ी- आप सच बहुत मजेदार बात करते हो… आप बहुत अच्छे हैं.
मैं- अच्छा रोज़ी सच बताओ… क्या तुम्हारे पति तुमको परेशान करते हैं?
रोज़ी- ना ऐसी कोई बात नहीं… पर वो अच्छे इंसान नहीं हैं.
वो अभी ज्यादा कुछ नहीं बताना चाह रही थी इसलिए मैंने उसको ज्यादा परेशान करना सही नहीं समझा- ह्म्म्म्म ठीक है.
रोज़ी- अच्छा सर, आप दोनों फिर ऐसे ही किसी के भी साथ मजे करते हो… आप दोनों.. किसी को कोई ऐतराज नहीं होता?
मैं- हाँ यार… वैसे हम दोनों ही एक दूसरे के बारे में काफी कुछ जानते हैं परन्तु कोई कुछ नहीं कहता… ना ही हम एक दूसरे को डिस्टर्ब करते हैं.
रोज़ी- आप जब ये सब जानकर सलोनी जी के साथ कैसे वो सब कर पाते हैं?
मैं- हा हा हा… कितना शर्माती हो यार तुम… अभी जब मैं तुम्हारी बुर चाट रहा था… तब तो खुल गई थी… पर अब फिर ऐसे ही… सच बताओ अगर उस समय मैं तुम्हारी बुर में अपना लिंग डाल देता तो क्या तुम मना करती?
रोज़ी- हाय राम.. आप कैसी बात करते हो?
मैं- देखो, हम दोनों अब पक्के दोस्त हैं… मैं तुमको बहुत पसंद करता हूँ… और तुम मुझको… यह तुमने अभी अभी कहा भी है… फिर इतना सब शरमाना वरमाना छोड़ो… अब तो बस हम आपस में खुलकर बात करेंगे. और अब तो तुम मेरे बारे में सब कुछ जान गई हो… वो सब भी जो कोई नहीं जानता.
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08-08-2020, 01:45 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
रोज़ी चुपचाप मेरी बात सुनती रही.
मैं- अगर अब हमारे बीच आंतरिक दोस्ती भी हो जाए तो इसमें कोई बुराई नहीं होनी चाहिए. अगर हम दोनों को ही पसंद है… तो अपने दिल की ख़ुशी के लिए हम वो सब भी कर सकते हैं… जो इंसान की सबसे बड़ी जरूरत है. अच्छा सच बताओ रोज़ी तुमने अपने पति के साथ आखिरी बार कब सेक्स किया था… और तुम संतुष्ट हुई या नहीं?
रोज़ी ने केवल ना में सर हिलाया.
मेरे बहुत जोर देने पर उसने केवल इतना बताया- मुझे याद नहीं…
मतलब उनकी सेक्स लाइफ बहुत बोर चल रही थी, फिर भी मैंने उस दिन रोज़ी के साथ कुछ भी करना ठीक नहीं समझा.
उस दिन रोज़ी मेरे साथ ही ऑफिस से निकली, मैंने उसको उसके घर के पास वाले स्टॉप तक छोड़ा.
फिर मुझे नीलम की याद आ गई, मैंने उसको फोन मिलाया, कुछ देर में ही उसने कॉल रिसीव कर लिया.
मैं- हाँ जी नीलम जी… क्या हो रहा है… आपके ये कपड़े… इनका क्या करना है?
नीलम- ओहो जीजू… व्व्वो ववो… अह्हा…
वहाँ से बड़ी ही खतरनाक आवाजें आ रही थी.
मैं- अरे क्या हुआ… लगता है बहुत जरूरी काम चल रहा है… हा हा…
मैं जानबूझ कर हंसा.
नीलम- अह्हा हा हाँ जीजू… वो कुछ खुदाई का काम चल रहा है… ऐसा करो… अभी तो मैं कपड़े पहन ही नहीं सकती… आप उनको अपने पास ही रखो… फिर कभी ले लूँगी.
ओह यह नीलम तो शैतान की नानी निकली, उसको कोई शरम नहीं, वो बड़ी आसानी से सब बात बोल जाती है.
मैंने भी उससे ज्यादा कुछ नहीं कहा- ठीक है डियर, फिर तुम खुदाई करवाओ… मैं बाद में चैक कर लूँगा कि सही से हुई है या नहीं…
नीलम- और अगर नहीं हुई होगी तो क्या फिर आप भी सही से करोगे… हा हा… आःह्हाआआ…
मैं- वो तो देखने के बाद ही पता चलेगा… ओके बाय..और उसने भी फोन रख दिया.
मैं काफी थक गया था इसलिए जल्दी से घर पहुँचा.वहाँ सलोनी और मधु रसोई में काम करने में व्यस्त थे…

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08-08-2020, 01:45 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 93

मधु को देखकर मैं बहुत खुश हुआ, वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी, उसने सफ़ेद लांचा और कुर्ती पहनी थी… लांचे पर नीले रंग के चमकदार फूल थे…मुझे देखकर दोनों ही बहुत खुश हुए.
सलोनी- अरे आ गए आप… चलो अच्छा हुआ.
सलोनी भी क़यामत लग रही थी, उसने नई प्रिंटेड साड़ी पहनी हुई थी.
मुझे नहीं पता कि उसने खुद पहनी या अंकल ने मदद की मगर साड़ी बहुत ही फैशनेबल स्टाइल में बंधी हुई थी, उसका ब्लाउज भी बहुत ही मॉडर्न था, कुल मिलाकर सलोनी क़यामत लग रही थी.
मैं- हाँ यार आज बहुत थक गया हूँ… क्या हुआ, कहीं जा रही हो क्या?
मैंने जानबूझकर थकान के लिए कहा कि वो कहीं जाने को ना कह दे.
सलोनी- अरे नहीं बस वो मेहता जी की बेटी कि शादी है ना, तो उन्हीं के यहाँ आज महिला संगीत है… मैंने सोचा मधु को भी ले जाती हूँ…
मैं- ठीक किया…सलोनी- पर अब आपका चाय नाश्ता लगा दूँ क्या?
मैं- नहीं यार अभी तो नहीं… पहले तो मैं फ्रेश होऊँगा, कोई बात नहीं, तुम चली जाओ, मैं खुद कर लूँगा.
सलोनी- अरे नहीं… कोई बात नहीं, कुछ देर बाद चली जाऊँगी.
तभी नलिनी भाभी भी आवाज देने आ गई.
मैं- अरे तुम लोग चले जाओ ना !
मधु- दीदी आप चले जाओ… मैं काम निबटाकर आ जाऊँगी.
मेरी आँखों में चमक आ गई, फिर भी मैंने कहा- अरे नहीं मधु, तू भी चली जा, मैं मैनेज कर लूँगा.
सलोनी- अरे नहीं, ठीक ही तो कह रही है, आप खुद कैसे करोगे? कभी कुछ किया भी है? यह बाद में आ जाएगी. सुन मधु… सही से सब कुछ करके आ जाना.
मैं सोच रहा था कि क्या यार, कितने प्यार से सब समझाकर जा रही है…और वो दोनों चली गई.
अब मैं और मधु दोनों ही घर पर अकेले थे… मैंने मुस्कुराकर मधु की ओर देखा, वो भी मुस्कुरा रही थी.
सलोनी जाते हुए मधु को बहुत प्यार से समझा रही थी, उसके चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान भी थी.मैंने मधु से दरवाजा सही से बंद करने को कहा और फ्रेश होने के लिए बेडरूम में आ गया.
अपनी आदत के अनुसार मैंने अपने सभी कपड़े उतार दिए… जूते ,कोट, पेंट, शर्ट, टाई आदि… मैं अपना अंडरवियर उतार रहा था, तभी मधु ने कमरे में प्रवेश किया.
मधु की छोटी सी बुर के बारे में सोचकर मेरा लण्ड पहले से ही जोश में आ गया था, वैसे भी आज पूरे दिन बेचारा खड़ा रहा था, उसको डिश तो बहुत मिली थीं पर खा नहीं पाया था.मैंने सोच लिया था कि आज इस मधु को तसल्ली के साथ खूब चोदूँगा.
मुझे अब सलोनी की भी कोई परवाह नहीं थी… मुझे पता था कि उसको सब पता तो है ही और वो खुद उसको मस्ती के लिए ही छोड़ कर गई है.
मुझे नंगा देखकर मधु हंसने लगी- हा हा… यह क्या भैया… अंदर जाकर नहीं उतार सकते थे?मैंने अंडरवियर उतारकर एक ओर फेंका और मधु को अपनी बाँहों में कसकर जकड़ लिया.
मैं- अच्छा इतना ज्यादा इतरा मत… तू आज इतनी सुन्दर लग रही है कि अब तो बस चोदने का ही मन कर रहा है.
मधु- हाय भैया… कितना गंदा बोल रहे हैं आप?
मैं- जब गन्दा कर सकते हैं तो बोल क्यों नहीं सकते.
मधु- आप और दीदी बिल्कुल एक सा ही बोलते हो, वो भी यही सब कहती हैं. आअह्ह्ह्हा आआआ धीरे से ना…
मैंने उसकी छोटे अमरुद जैसी चूची को कस कर उमेठ दिया था.
मैं- हाँ जब अंदर डालूँगा, तब बोलेगी तेज… और अभी धीरे बोल रही है… हा हामैंने उसकी दोनों चूची को एक साथ मसलते हुए ही कहा.
मधु- ओह दर्द हो रहा है ना भैया…
मैं- अरे चिंता मत कर मेरी जान… तेरा सारा दर्द पी जाऊँगा…
कुर्ती के ऊपर से साफ़ पता चल रहा थाकि उसने नीचे कुछ नहीं पहना.लेकिन उसके चूची के निप्पल अभी इतने बड़े नहीं हुए थे कि कुर्ती के ऊपर से दिखते, थोड़े से उभार ही दिखाई देते थे.उसकी चूचियों को सहलाते हुए ही मधु की कोमल सी गुलाबी बुर मेरे दिमाग में छा गई…बहुत प्यारी थी उसकी छोटी सी बुर… जिसमें उसने अभी उंगली तक नहीं डाली थी.
उस दिन मैं कितना खेला था इस बुर के साथ पर चोद नहीं पाया था, खूब चाटा था और मेरा लण्ड तो उसके अंदर तक झांक आया था…
यह सोचकर ही लण्ड का बुरा हाल था और वो मस्ताने की तरह तनकर मधु के लांचे को खोदने में लगा था.
वो तो निशाना सही नहीं था वरना अब तक तो लांचे के साथ ही उसकी बुर में चला जाता.मधु की बुर थी ही ऐसी, अभी तक तो सही से उस पर हल्का हल्का रोआँ भी आना शुरु नहीं हुआ था.
सलोनी के बाद मुझे अगर किसी की चूत पसंद आई थी तो वो मधु की ही थी, बिल्कुल मक्खन की टिक्की की तरह…
उसकी चूत की याद आते ही मैंने मधु को बिस्तर के किनारे पर ही पीछे को लिटा दिया.
मुझे यकीन था कि मधु ने लांचे के अंदर कच्छी भी नहीं पहनी होगी… आखिर वो सलोनी से ही सब सीख रही है… जब सलोनी नहीं पहनती तो इसने भी नहीं पहनी होगी.
मैंने मधु के लांचे को उठाते हुए उसके कोमल पैरों को सहलाया और चूमा.
मधु लरज रही थी… बल खा रही थी… कसमसा रही थी… उसको पूरा मजा आ रहा था…
लेकिन मधु बहुत बेसब्र थी… इस उम्र में ऐसा होता भी है… वो चाहती थी कि एकदम से ही उसकी चूत में लण्ड डाल दूँ, उसको धीरे धीरे वाला प्यार पसंद नहीं आ रहा था…
यह उसकी बेसब्री ही थी जो मेरे द्वारा धीरे धीरे लांचा उठाने से वो तुरंत बोली- ओह भैया… लांचा ख़राब हो जायेगा… इसको उतार देती हूँ…
मुझे हंसी आ गई…
मैं- अरे होने दे ख़राब… और आ जायेगा…
मधु- अह्ह्हाआआआ पर… दीदी… को पता चल जायेगा.
मैं- हा हा… क्या पता चल जायेगा?
मधु- अह्ह्ह हाह्ह्ह अह्ह्ह्ह्हा आआआ यही ना ओह भैया… आप भी नाआआआ… आह्ह्हाऔर मैंने उसके लांचे को पूरा उठाकर उसके पेट पर रख दिया.

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08-08-2020, 01:46 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट 94

मैंने मधु के लांचे को पूरा उठाकर उसके पेट पर रख दिया.मधु की चिकनी जांघों के अंदर वाले हिस्से को चूमते हुए ही मेरे होंठ सीधे उसकी बुर के ऊपर थे…अरर्र रे… यह क्या…???मेरा अनुमान यहाँ बिल्कुल गलत निकला…
मधु ने को कच्छी पहनी थी हल्के आसमानी रंग की, जिस पर पीले इस्माइली बने थे… एक इस्माइली ठीक उसकी बुर के ऊपर था जो बहुत सुन्दर लग रहा था.
मैंने कच्छी के ऊपर से ही उसकी बुर को सहलाते हुए पूछा- अरे यह क्या, तूने आज कच्छी पहनी है… तेरी दीदी ने तो नहीं पहनाई होगी?
वो लाल आँखें लिए मुझे मुस्कुराकर देख रही थी- हाँ.. दीदी तो मना कर रही थी पर मुझे शर्म आ रही थी इसलिए पहन ली.
मैं- और तेरी दीदी ने पहनी या वो ऐसे ही गई है?
मधु- वो कहाँ पहनती हैं, वो तो ऐसे ही गई हैं, मैंने तो उन अंकल की वजह से पहन ली, मुझे उनसे शर्म आ रही थी.
मैं तुरंत समझ गया कि अरविन्द अंकल ही होंगे, इसका मतलब उन्होंने ही सलोनी को तैयार किया होगा.
मैं- इसका मतलब तुम दोनों अंकल के सामने ऐसे ही घूम रही थी?
मधु ने कोई जवाब नहीं दिया…
मैं- तो अंकल ने तुझे कच्छी में देख लिया?
मधु- अरे उन्होंने तो मुझे पूरा भी देख लिया… ये दीदी भी ना…
मैं उसकी बात सुन रहा था पर फिलहाल तो मुझे मधु का रस पीना था, मैंने उसकी कच्छी की इलास्टिक में उंगली फंसाई और उसको नीचे सरकाना शुरू कर दिया.
मधु ने भी अपने गोल मटोल चूतड़ों को उठाकर आराम से कच्छी को निकालने में पूरा सहयोग किया, मैंने उसकी कच्छी को उसके पैरों से निकालकर बेड के नीचे डाल दिया.
अब उसका बेशकीमती खजाना ठीक मेरे आँखों के सामने था… उसकी बुर मधु के रंग के मुकाबले काफी गोरी थी, इस समय बुर काफी लाल हो रही थी.
मैं- क्या तुम दोनों अंकल के सामने ही तैयार हुई… और तेरी यह बुर भी क्या अंकल ने लाल की?
मधु- अरे भैया… मैं तो नहा रही थी… दीदी ने ही अंकल को अंदर भेज दिया… फिर उन्होंने ही बहुत तेज रगड़ा था.
मैं- ओह.. तो यह बात है… फिर अंकल ने सलोनी के साथ क्या किया… और क्या तेरे साथ कुछ ऐसा वैसा भी?
मधु- नहीई…ईई न मेरे साथ नहीं… मुझे तो बस नहलाया ही था… पर दीदी को उन्होंने बहुत देर तक परेशान किया.
मैं- परेशान मतलब… क्या कुछ जबरदस्ती?मधु- नहीं… वो सब कुछ ही ना…मैं एकदम से उठकर बैठ गया…
मधु- क्या हुआ?
मैं- तू मुझसे इतना आधा आधा क्यों बोलती है… पहले सब बात खुलकर मुझे बता… नहीं तो मैं तेरे से बिल्कुल नहीं बोलूँगा.
मधु बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी, वो मेरी हर बात मानने को तैयार थी.
उसने कसकर मुझे अपने पर झुका लिया… मैं भी अब उसको छोड़ तो सकता ही नहीं था, मैंने उसकी नाजुक बुर को सहलाते हुए ही पूछा- देख मधु, मैं तेरे से बहुत प्यार करता हूँ… चल बता.. क्या-क्या किया उन्होंने तेरी सलोनी दीदी के साथ… सब कुछ अच्छी तरह से खुलकर बता?
मधु- अह्हा बाद में भैया… पहले तो… यहाँ बहुत खुजली हो रही है.
मधु बिल्कुल बच्चे जैसा ही व्यवहार कर रही थी, उसने बड़ी मासूमियत से अपनी बुर को खुजाया.
मैं उसकी मासूमियत देख उसका कायल हो गया और उसकी बुर को सहलाते हुए चूम लिया, फिर मैंने कुछ देर तक उसकी चूत को चाटा.
मैं अच्छी तरह जानता था कि कैसे उससे सब कुछ उगलवाना है.
मैंने उसके लांचे की कोई परवाह नहीं की, मैं मधु को लांचे से साथ ही चोदना चाहता था.
मैंने मधु को सही से बिस्तर के किनारे पर सेट किया और उसके दोनों पैर घुटने से मोड़कर उसके पेट से लगा दिए.
जैसे एक फूल की सारी कलियाँ बाहर को खिलती हैं.. ऐसे ही उसकी बुर की पुत्ती बाहर को हो गई.
मधु की चूत के अंदर का लाल हिस्सा भी चमकने लगा… मधु की चूत और गांड दोनों के सुरमई द्वार बिल्कुल साफ़ साफ़ दिख रहे थे.
पर मैं तो इस समय केवल चूत के छेद को ही देख रहा था… मेरा ध्यान बिल्कुल गांड की ओर नहीं था… अभी तो मधु की चूत भी गांड से भी ज्यादा टाइट थी… फिर गांड के बारे में कौन सोचता !
मैंने बेड के किनारे रखी क्रीम की ट्यूब उठाई और मधु के बुर पर रख कर दबा दी, ढेर सारी क्रीम वहाँ इकठ्ठी हो गई.
मैंने उंगली की सहायता से उसकी बुर के अंदर तक क्रीम भर दी तो उसकी बुर बहुत चिकनी हो गई थी.
मैं बहुत ही खुश था… मेरी अपनी ही बीवी की मदद से मुझे आज इस कुआँरी कली से खेलने का मौका मिल रहा था.
मधु जैसी छोटी और बंद चूतों का मैं दीवाना था जिनकी चूत पर अभी बाल भी निकलना शुरू नहीं हुआ हो.
ऐसी चूत के कच्चे रस का पानी मेरे लण्ड को और भी ज्यादा मोटा कर देता था.
यह शौक मुझे काफ़ी पहले से ही लग गया था जब कॉन्वेंट और कोएड में पढ़ने के कारण बहुत सारी लड़कियाँ मेरी दोस्त थी और वो सभी ही अच्छे घरों से थीं, खूब गोरी और चिकनी… वो सब भी इस सबका बहुत मजा लेती थी.
अपने इसी गंदे शौक के कारण मेरी अपने ही घर में काफी बेइज्जती भी हुई थी, मुझसे छोटी मेरी तीन बहनें हैं, मुझे उनकी फ़ुद्दी से भी खेलने का शौक हो गया और मैंने एक एक कर तीनों को ही पटा लिया था… फिर एक दिन डैडी ने हमको रंगे हाथों पकड़ लिया.
हम चारों ही नंगे होकर खेल रहे थे, पर मैं सबसे बड़ा था और मेरे खड़े लण्ड के कारण पूरी सजा मुझे ही मिली और बाकी की पढ़ाई मुझे बाहर हॉस्टल में रहकर ही करनी पड़ी थी.
फिलहाल मुझे मधु के साथ वही मजा आ रहा था, मधु की बुर उसकी टांगें उठने से पूरी खुलकर सामने आ गई थी, मुझे लग रहा था कि मुझे अपना लण्ड उसकी बुर में प्रवेश कराने के लिए बहुत ही मेहनत करनी होगी क्योंकि उसकी बुर की दोनों पुत्तियाँ आपस में बुरी तरह से चिपकी थी, उसकी बुर का छेद जिसमें लण्ड को प्रवेश होना था, लाल भभूका हो रहा था इसीलिए दिख भी रहा था, वरना उसका पता भी नहीं चलता…
मेरे से भी रुकना अब बहुत मुश्किल था… मैंने अपने लण्ड का सुपारा उसकी बुर के छेद पर रखा और हल्का सा ही दबाव दिया.
मुझसे कहीं ज्यादा जल्दी मधु को थी, उसने अपने चूतड़ ऊपर को उचकाए… और मेरा मोटा सुपाड़ा उसकी मक्खन की टिकिया को चीरते हुए भक्क की आवाज के साथ अंदर घुस गया.
मधु- अहाआह्ह्ह ह्ह्हाआआआ नहीईइइइइ…
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08-08-2020, 01:46 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 95

मेरे से भी रुकना अब बहुत मुश्किल था… मैंने अपने लण्ड का सुपारा उसकी बुर के छेद पर रखा और हल्का सा ही दबाव दिया.
मुझसे कहीं ज्यादा जल्दी मधु को थी, उसने अपने चूतड़ ऊपर को उचकाए… और मेरा मोटा सुपाड़ा उसकी मक्खन की टिकिया को चीरते हुए भक्क की आवाज के साथ अंदर घुस गया.
मधु- अहाआह्ह्ह ह्ह्हाआआआ नहीईइइइइ…
बस एक जोर से सिसकारी ही ली मधु ने, उसको शायद कोई ज्यादा दर्द नहीं हुआ था.
य्ह इसीलिए हुआ होगा कि या तो मधु बहुत ही ज्यादा गर्म हो गई थी या फिर उसकी बुर में बहुत चिकनाई थी जो उसने इतना मोटा सुपाड़ा आसानी से ले लिया था.
पर हाँ… उसने अपने चूतड़ को पीछे करना चाहे पर मैं उसके छोटे मगर कोमल से दोनों चूतड़ों के गोले कसकर पकड़े रहा, मैंने उसको हिलने तक का भी मौका नहीं दिया.
मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी बुर में फंस गया था. उसको तकलीफ तो हो रही थी मगर ज्यादा नहीं, यह मुझे पता लग गया था.
इससे पहले भी मैंने कुआंरी बुर में लण्ड को डाला था इसलिए मुझे पूरा अनुभव है.
मैं कुछ देर तक ऐसे ही लण्ड को उसकी बुर में फंसाये रहा फ़िर मैंने देखा वो अब खुद ही अपने चूतड़ों को उठाकर लण्ड को अंदर करने की कोशिश कर रही है.
उसकी इस प्यारी सी हरकत पर मेरा दिल खुश हो गया, मैंने उसके चूतड़ों को कसकर पकड़ कर अपनी कमर को एक धक्का दिया.
मधु- आअह्ह ह्ह्हाआ आआ…
इस बार जरा जोर से सिसकारी क्योंकि धक्का थोड़ा जोर से लग गया था.
मेरा आधे से ज्यादा लण्ड उसकी कोमल सी बुर को चीरता हुआ अंदर चला गया था और कमाल तो तब हो गया जब मेरा पूरा लण्ड मधु की बुर में बिना किसी रुकावट के चला गया.
अगले दो ही प्रयासों में मैंने अपना पूरा लण्ड उसकी बुर में डाल दिया, मधु ने कोई ज्यादा विरोध नहीं किया, उसने बहुत प्यार से मेरा पूरा लण्ड ग्रहण कर लिया.
मैंने बहुत ध्यान से उसकी बुर में फंसे हुए अपने लण्ड को देखा, लण्ड बुरी तरह से जकड़ा हुआ था, उसकी बुर लाल सुर्ख हो रही थी मगर खून निकलने का कोई निशान नहीं था.
मतलब उसकी बुर की झिल्ली पहले से ही फटी हुई थी, अब यह पता नहीं कि खेलकूद में फटी थी या किसी दूसरे के लण्ड ने कमाल दिखाया था.
मुझे थोड़ा सा अफ़सोस तो हुआ मगर फिर भी बुर बहुत टाइट थी, मेरा लण्ड टस से मस नहीं हो रहा था, मैं उसी का मजा लेने लगा,
मैंने धीरे धीरे लण्ड को बाहर निकाला और फिर से अंदर कर दिया.
मैं बहुत जरा सा ही लण्ड बाहर निकाल रहा था… अधिक से अधिक दो इंच… बस इसी तरह उसको चोदने लगा, कुछ ही देर में लण्ड ने वहाँ जगह बना ली और मेरा लण्ड आराम से अंदर बाहर होने लगा.
अब कमरे में फच फच आवाज भी आ रही थी, मधु की बुर ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था, लण्ड इतना फंसा फंसा अंदर आ-जा रहा था कि मुझे जन्नत का मजा आ रहा था.
मैंने अपनी स्पीड बहुत धीमी कर दी, मैं उसको बहुत देर तक आराम से चोदना चाहता था.
मैंने उसके लांचे को ठीक से ऊपर को किया और आराम से लण्ड पेलने लगा.मधु मजे से सिसकारी ले रही थी.
मैं- अह्हा… हाँ तो अब… मधु सच बता… क्या किया अरविन्द अंकल ने तेरी दीदी के साथ?
मधु ने मस्त आँखों से मेरी ओर देखा, अब वो भी इस चुदाई की अभ्यस्त हो गई थी, उसने सिसकारते हुए ही जवाब दिया- अह्हा अह्ह्ह हाँ… अंकल ने दीदी के साथ यही सब किया था… तभी से मेरा दिल भी कर रहा था.. अह्हा अह्ह्ह्ह्ह्हाआआ…
मैं- क्या उन्होंने तेरे सामने ही सलोनी को चोदा?
अब मैं उसको जल्द से जल्द पूरी तरह खोलना चाह रहा था इसीलिए अभी शब्द खुलकर बोलने लगा…
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08-08-2020, 01:46 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
मधु ने मुस्कुराकर मुझे देखा- हाँ.. मैं उनके सामने तो नहीं पर यहीं रसोई में तो थी ही… अह्ह्ह अह्ह्ह्ह्हाआआ… उनको पता तो था ही… अह्हा अह्ह्ह अह्ह्ह्ह… और वो सब कुछ दरवाजा खोलकर ही कर रहे थे.
मैंने एक कसकर धक्का लगाया.
‘आह्ह्ह्हा आआआह आआआ…’ वो भी तेजी से सिसकारी.
मैं- अरे क्या कर रहे थे… देख अगर तुझे हमेशा मुझसे मजे लेने हैं और मेरा प्यार चाहिए तो तुझे सब कुछ खुलकर बताना होगा… देख मुझे सलोनी के कुछ भी करने पर कोई ऐतराज नहीं है… बस मैं जानना चाहता हूँ कि वो सब कुछ कैसे करती है… और तू इतनी छोटी भी नहीं है जो सब कुछ ना समझती हो… इसलिए सब कुछ खुलकर बता !
मैंने बदस्तूर अपने धक्के एक ही स्पीड में चालू रखे.
मधु भी अब मजे लेती हुई बहुत ही मजेदार तरीके से बताने लगी, उसके मुख से आहों के साथ सलोनी की चुदाई की कहानी सुनने में बहुत मजा आ रहा था- अह्हा वो क्या है भैया… अंकल ने दीदी को कपड़े पहनाने के लिए उनके सभी कपड़े उतार दिए… वैसे भी उन्होंने केवल एक नाईटी ही पहनी थी, वो अंकल के सामने ऐसे ही नंगी घूम रही थी, अंकल उनको बार बार छू रहे थे.
मैं- और अंकल क्या पहने थे? आह्ह्हा…
मधु- अह्हा अह्हा… उन्होंने सिर्फ़ तौलिया ही बाँधा हुआ था क्योंकि मुझे नहलाने के बाद उन्होंने कुछ नहीं पहना था.
मैं- मतलब तूने अंकल का लण्ड देख लिया था?
मधु- अह्हा अह्ह्ह्हाआ हाँ… वो तो बाथरूम में ही देख लिया था जब मुझे नहलाने के लिए उन्होंने अपना पायजामा खोल दिया था.
मैं- तो उन्होंने तेरे साथ भी कुछ किया था?
मधु- नहीं.. बस छुआ ही था…
मैं- क्या तूने भी उनका लण्ड छुआ था?
मधु- अह्ह्हाआआ वैसे नहीं… बस जब वो उसको मेरे से चिपकाते थे… तभी उसको अपने से दूर करती थी.
मैं- अच्छा छोड़ ये सब.. फिर बता क्या हुआ?
मधु- अंकल दीदी को पकड़ बार बार अपना बम्बू उनके चूतड़ों में घुसा रहे थे… दीदी उनको मना तो कर रही थी मगर वो मान ही नहीं रहे थे… फिर दीदी ने मुझे रसोई में काम करने भेज दिया… कुछ देर बाद जब मैं आई तो दीदी को यहाँ बेड के बराबर में खड़ा कर वो उनको चोद रहे थे…
मैं- ओह, तो तूने क्या देखा? क्या उनका लण्ड सलोनी की चूत में था या वो पीछे से चूतड़ों में घुसाये हुए थे?
मधु- अह्हा अह्ह्ह्हाआ मैंने पूरा देखा… उनका बम्बू दीदी के आगे ही घुसा हुआ था और दीदी पूरा मजा ले रही थी… अह्हा अह्ह्हाआ अहह अह्ह्हाआआ… वो ये भी कह रही थी कि जल्दी करो अंकल, ये आते होंगे… वो उनको बिल्कुल मना नहीं कर रही थी.. फिर उनका पानी भी निकला.. जैसे आपने उस रात मेरे ऊपर गिराया था… आह्ह अह्ह्हाआआ अह्हा अह्हा…
मैं- ओह्ह्ह तो तूने उनको डिस्चार्ज होते हुए भी देखा… अह्हा मतलब वो तेरे से डर रहे थे इसीलिए तुझे वहाँ से हटाकर उन्होंने चुदाई की… अह्हा…
मधु- अरे नहीं भैया… वो तो वैसे ही दीदी ने कहा होगा… फिर दोनों नंगे ही रसोई में पानी पीने आये… अंकल बार बार मेरे को भी छू रहे थे इसलिए मैंने कच्छी पहन ली… अह्हा अहहः अह्हा…
उसकी बातें सुनकर मुझे इतन मजा आया कि मैं तेजी से धक्के लगाने लगा और कुछ देर में ही मेरा निकलने वाला था.
मैंने तेजी से लण्ड उसकी बुर से बाहर निकाल लिया और उसके मुँह की ओर ले गया.
आश्चर्यजनक रूप से उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और मुठ मारने लगी.. जैसे ही उसमें से पानी निकला, उसने अपने होंठ वहाँ रख दिए…
उसने एक सेक्स की देवी की तरह ही मुझे मजा दिया, मेरे लण्ड को चाट चाट कर पूरा साफ कर दिया.
मैं- मधु तूने पहले भी सेक्स किया है न?मधु- क्या भैया?
मैं- हा हा.. अरे अब भैया तो मत बोल ना… तूने मेरे साथ चुदाई कर ली.. फिर भी?
मधु- तो क्या हुआ… इससे क्या होता है…!!
मैं- अच्छा, यह बता पहले इसमें कोई ऐसे ही अपना लण्ड घुसाया है?
मैंने उसकी बुर को कुरेदते हुए पूछा.
मधु- हाँ मेरे पापा ही… रोज रात को… कुछ कुछ करते हैं.
मुझे पहले से ही पता था… साला बहुत ही हरामी था, शराब पीकर जरूर इसको पेलता होगा… मैं तो केवल छेड़खानी ही समझ रहा था मगर अब पता चला कि सुसरा सब कुछ ही करता है.
मैं अभी मधु से उसके बारे में और कुछ भी पूछना चाह रहा था कि तभी नलिनी भाभी का फ़ोन आ गया.
मैंने तुरंत रिसीव किया क्योंकि इस समय नलिनी भाभी की हर कॉल बहुत मजेदार हो रही थी, पता नहीं इस समय वो मुझे क्या बताने वाली थी.

कहानी जारी रहेगी.
Reply
08-08-2020, 01:46 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
अपडेट. 96

मैं- अच्छा, यह बता पहले इसमें कोई ऐसे ही अपना लण्ड घुसाया है?मैंने उसकी बुर को कुरेदते हुए पूछा.
मधु- हाँ मेरे पापा ही… रोज रात को… कुछ कुछ करते हैं.
मुझे पहले से ही पता था… साला बहुत ही हरामी था, शराब पीकर जरूर इसको पेलता होगा… मैं तो केवल छेड़खानी ही समझ रहा था मगर अब पता चला कि सुसरा सब कुछ ही करता है.
मैं अभी मधु से उसके बारे में और कुछ भी पूछना चाह रहा था कि तभी नलिनी भाभी का फ़ोन आ गया.
मैंने तुरंत रिसीव किया क्योंकि इस समय नलिनी भाभी की हर कॉल बहुत मजेदार हो रही थी, पता नहीं इस समय वो मुझे क्या बताने वाली थी.
मधु भी अपनी बुर को साफ़ कर मेरे पास ही आकर बैठ गई.
मैं तो अभी नंगा ही बैठा था पर उसने अपनी बुर को लांचे से ढक लिया था और मेरे मुरझाते हुए लण्ड को देख हंस रही थी.
मैंने उसको चुप रहने का इशारा किया क्योंकि मुझे लग गया कि नलिनी भाभी ने मुझसे बात करने को नहीं बल्कि वहाँ की मस्ती सुनाने को ही फ़ोन मिलाया था.
ओह… ये दोनों तो मेहता अंकल के साथ थी. दरअसल मेहता अंकल की बेटी की शादी थी, मेहता अंकल की बीवी का देहांत हुए बहुत साल हो गए हैं, उनकी दो बेटियाँ हैं… एक की शादी हो चुकी है, वो लंदन में रहती है, दूसरी की शादी हो रही थी… दोनों ही बहुत सेक्सी और खूबसूरत हैं.
जिसकी शादी हो रही है, उसका नाम ऋतु है, बड़ी का नाम मुझे याद नहीं है क्योंकि उससे कभी मुलाकात नहीं हुई.
मेहता अंकल दिखने में बहुत बूढ़े लगते हैं, सर पर बहुत कम बाल जो पूरे पके हुए हैं, यहाँ तक कि उनकी ऑय ब्रो तक सफ़ेद हो चुकी हैं.
मैंने हमेशा उनको पूजा पाठ में ही लगे हुए देखा है… मगर इस समय उनका यह रूप देख मैं भौंचक्का रह गया, मुझे यह तो पता चल गया कि वो तीनों अपने ही घर के किसी अलग कमरे में अकेले हैं.
मैं और मधु ध्यान से वहाँ की बातें सुनने लगे.
मेहता अंकल- अरे क्यों ज़िद कर रही है तू सलोनी? मान जा ना… तुम दोनों मिलकर इस स्वांग को बहुत अच्छा करोगी.
सलोनी- अरे नहीं ना… मैं तो बस डांस का ही सोच कर आई थी तो बस वही करुँगी, यह आप भाभी से करा लो.
नलिनी भाभी- नहीं भई.. मुझे तो इससे दूर ही रखो… जब तक तू नहीं करेगी मैं भी नहीं करुँगी.
सलोनी- ओह… दूर हटो ना अंकल… क्यों इतना चिपके जा रहे हो… बस्स्स… नाआअ कितना चूमोगे… अब थोड़ा दूर हटकर बैठो…
ओह, इसका मतलब अंकल सलोनी को चूमने में लगे थे.
मेहता अंकल- देख बेटा मान जा… यह हमारा रिवाज़ है ..इस कार्यक्रम में एक स्वांग जरूर होता है… अब ऋतु की माँ तो है नहीं… वरना कोई ना कोई वो तैयार कर लेती… अब तो तुम ही मेरी सबसे ज्यादा अपनी हो… ऋतु भी तुमको कितना मानती है… अगर तुम लोगों ने नहीं किया तो सब रिश्तेदार मुझे ही दोष देंगे… मेरी बहुत बदनामी होगी.
नलिनी भाभी- हाँ सलोनी, ये कह तो सही रहे हैं… इस स्वांग के द्वारा ही लड़की को शादी का मतलब बताना होता है… पुराना रिवाज़ है पर जरूरी होता है और बहुत मजा आता है.
सलोनी- ठीक है… पर मैं लड़का बनूँगी और आप लड़की.
मेहता अंकल- अरे नहीं बेटी… तू कहाँ इतनी दुबली पतली और यह कहाँ नलिनी… क्यों स्वांग की ऐसी तैसी करने में लगी हो, मान जाओ ना… तुम कितनी खूबसूरत लगोगी.
सलोनी- ओह पर अंकल मैंने कच्छी नहीं पहनी है… और फिर आपका ये लहँगा…कितना झीना और छोटा है… हल्का सा घूमने में ही ये तो पूरा उठ जाएगा… मैं नहीं पहन पाऊँगी इसे.
मेहता अंकल- हा हा.. क्या यह सलोनी बोल रही है? जिसको कपड़ों की कभी परवाह ही नहीं रही… अरे भई ..सब लेडीज ही तो हैं यहाँ… और देखना इसमें कितना मजा आएगा…
सलोनी- नहीं.. पहले किसी कच्छी का इंतजाम करो… तभी पहनूंगी.
मेहता अंकल- अरे बेटा.. अब मैं कहाँ से लाऊँ कच्छी… ऋतु की तो सभी उसी के कमरे में होंगी… और वो तेरे आएँगी भी नहीं… ऐसा कर इस नलिनी की पहन ले.
सलोनी- हाँ भाभी… लाओ आप अपनी कच्छी दो… मुझे उतारकर… वही ट्राई करके देखती हूँ… वैसी भी आप तो पेंट शर्ट ही पहनोगी.
नलिनी भाभी- अरे अगर मैंने पहनी होती तो कब का दे देती, मैंने भी नहीं पहनी…
मेहता अंकल- अरे यार, अब ये सब छोड़ो… चलो जल्दी से तैयार हो जाओ…
सलोनी- ठीक है, पर आप तो जाओ यहाँ से…
मेहता अंकल- अब मेरे से ये सब क्या… ऐसा क्या है जो मैंने नहीं देखा… यही तो मौका है जब मैं तुम्हारी ख़ूबसूरती को अच्छी तरह से देख सकता हूँ और उसकी जी भरकर तारीफ कर सकता हूँ.
सलोनी- जी नहीं… मुझे नहीं करवानी आपसे अपनी तारीफ… मुझे अच्छी तरह पता है कि आप कैसे तारीफ करते हो… आप बाहर जाओ, हम दोनों तैयार होकर आती हैं.
नलिनी भाभी- वही मुझे तो आपके सामने तैयार होने में कोई ऐतराज नहीं है… हा हा हा…
मेहता अंकल- यह आज सलोनी को हो क्या गया है, जब पहले मैं मना करता था, तब तो सब कुछ दिखाती रहती थी… और आज देखो तो कैसे नखरे कर रही है यह?

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08-08-2020, 01:46 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी
नलिनी भाभी- उसको तो यही लगता है ना कि आपको दिखाने से भी क्या फायदा… चुसे हुए गन्ने से भी कोई रस निकलता है क्या?
मेहता अंकल- ऐसा मत कह तू नलिनी… तुझे पता नहीं… मेरी बेटी लन्दन से ऐसी गोलियाँ लाई है जो मुझे फिर से जवान कर रही हैं…
नलिनी भाभी- कैसा जवान अंकल… क्या आपके मरियल पप्पू में भी जान आ रही है… या ऐसे ही?
मेहता अंकल- अरे नहीं कल पूरी रात पप्पू ने खूब कसरत की है… तभी तो मैं तुम दोनों को इतना प्रेस कर रहा हूँ…
नलिनी भाभी- हैईईईन्न्न्न्न्न क्या कह रहे हो आप अंकल… कैसी मेहनत ..क्या ऋतु की सुहागरात से पहले ही आपने ही तो नहीं उसके साथ सुहागरात मना ली?
मेहता अंकल- अरे नहीं बेटा, उसके साथ तो नहीं… पर रिया के साथ…
मुझे याद आ गया… रिया उनकी बड़ी बेटी का नाम है जो लन्दन में रहती है और बहुत ही ज्यादा बोल्ड है.
नलिनी भाभी- अच्छा तो अपनी पुरानी कहानी फिर शुरू कर दी आपने?
सलोनी- आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले अंकल… पहले मुझे आप ऋतु के बारे में बता रहे थे और अब मालूम पड़ रहा है कि रिया भी … अपनी दोनों लड़कियों को ही आपने चखने के बाद ही विदा किया, अगर आपके दामाद को पता चल गया तो?
मेहता अंकल- तो क्या? साले इतना पैसा ले रहे हैं… तो क्या माल भी चोखा मिलेगा… और फिर मेरी बेटियां हैं… मेरा ख्याल नहीं रखेंगी तो फिर किसका रखेंगी…
सलोनी- फिर अब आप क्या करोगे… अब तो रिया और ऋतु दोनों ही चली जाएँगी…
मेहता अंकल- तो क्या हुआ? तुम दोनों मेरी बेटी नहीं हो क्या? कभी सलोनी तो कभी नलिनी… और कभी तुम दोनों ही मेरे पास आते रहना…
सलोनी- अच्छा जी… हमको नहीं बनना ऐसी बेटी…
उनकी बातें सुनकर मुझे लगने लगा कि जरूर वहाँ कुछ रोमांच वाला होगा… मेरा दिल उनको देखने का करने लगा.
मधु मुझे बहुत गौर से देख रही थी- क्या हुआ भैया? क्या मैं दीदी को कच्छी देकर आ जाऊँ?
मैं- तू तो पागल है… तू अगर कच्छी लेकर भी गई… तो क्या सलोनी पहनेगी… अरे उसको तो ऐसे ही मजा आता है… चल हम लोग भी वहीं चलते हैं… तू भी एन्जॉय कर लेना…
मधु- तो क्या मैं भी नहीं पहनूँ…
मैं- अरे तू क्या करेगी वहाँ… तुझे कौन देख रहा है? और तेरा तो लांचा भी पूरा ही है… चल ऐसे ही चल… कहीं तेरी कच्छी देख सलोनी का मूड न बदल जाए !
मैंने जल्दी से पेंट शर्ट ही डाली और मधु के साथ निकल गया… मैंने फोन ऑफ कर दिया.
मेहता अंकल के फ्लैट पर काफी चहल पहल थी…
जहाँ गाना बजाना चल रहा था, मैं मधु को वहीं छोड़ सलोनी की ड्रेस का बहाना कर अंदर चला गया.
मुझे उनके फ्लैट का अच्छा आईडिया है ,मैं कई बार पहले भी आ चुका था… मुझे पूरा भरोसा था कि ये लोग मेहता अंकल के कमरे में ही होंगे.
मैं वहाँ पहुंचा मगर कमरा तो अंदर से बंद था.
मैंने तुरंत भाभी को कॉल की, कुछ देर बाद भाभी ने कॉल रिसीव की- क्या हुआ?
मैं- अरे दरवाजा तो खोलो… मैं भी देखना चाहता हूँ.
नलिनी भाभी- कहाँ हो तुम?
मैं- यहीं आपके कमरे बाहर…
नलिनी भाभी- ओह… ऐसा करो ऋतु के कमरे से यहाँ बाथरूम में आ जाओ.
मुझे याद आ गया कि वहाँ दोनों कमरे का कॉमन बाथरूम था और नलिनी भाभी भी शायद वहीं से बात कर रही थीं.
मैं जल्दी से ऋतु के कमरे में गया, वो पूरा खाली था, और हो भी क्यों ना, ऋतु भी तो बाहर कार्यक्रम में ही बैठी थी.
मैं जल्दी से बाथरूम में प्रवेश कर गया… नलिनी भाभी वहीं थी, उन्होंने मुझे चुप रहने का इशारा किया.
उनके बदन पर केवल ब्लाउज और पेटीकोट ही था, मैंने पेटीकोट के ऊपर से ही उनके मुलायम चूतड़ों को मसला और बहुत धीमे से पूछा- क्या हो रहा है यहाँ?
उन्होंने फुसफुसाते हुए ही जवाब दिया- चुप करके केवल अपनी जोरू की चुदाई देख !
और वो बाथरूम से बाहर फिर से मेहता अंकल के कमरे में चली गई.
मैंने बाथरूम के दरवाजे को भिड़ा दिया और इतना गैप कर लिया कि कमरे की हर वस्तु देख सकूँ.
सामने ही उनका किंग साइज़ बेड पड़ा था… और वहाँ का दृश्य देखते ही मैं भौचक्का सा खड़ा रह गया.
यह तो वही सब हो रहा था जिसे मैं कबसे देखना चाह रहा था!

कहानी जारी रहेगी.

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