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Bahan Sex Story प्यारी बहना की चुदास
प्यारी बहना की चुदास
हेलो मित्रो,
मै सतीश आप लोगो को एक ऐसी वाकया से वाकिफ कराऊंगा l जो घर परिवार,समाज के लिए तो जुर्म है लेकिन यदि काम वासना की बात की जाय तो बेहद मस्त है। मै, मेरे पापा,मम्मी और बड़ी ज्योति दीदी दिल्ली के समीप गाजियाबाद में रहते है।
पापा एक फैक्ट्री में नौकरी करते है, तो मेरी एक मम्मी हाउसवाइफ है। मेरी ज्योति दीदी ज्योति बी.ए की पढ़ाई पूरी करके घर में ही पूरा दिन ब्यतित करती है, और मै बी.ए द्वितीय वर्ष का छात्र हूं।
ज्योति देखने में सुंदर है, उसकी उम्र २३ साल के आसपास है। उसकी लंबाई ५’५ फीट है, और उसके सीने पर दो संतरे समान चूची तो उनके गोल नितम्ब काफी लुभावने। मैंने उन्हें कभी नंगा नहीं देखा है, उसकी गान्ड की दरार चलने वक़्त जब आपस में टकराती है, तो मेरे लंड को खंबे की तरह खड़ा कर देती है।
ज्योति दीदी घर में गाउन ही पहनती है। लेकिन उसका मुशकिल से ही उसके पुरे पूरे घुटने ढक पाती है, एक शाम मै बाज़ार के लिए निकला तो ज्योति दीदी मुझे बुलाया और और वो मुझसे बोली – सतीश मेरा कुछ सामान ला दो ?
मैं बोला – ठीक है, ज्योति दीदी बोलो क्या क्या लाना है ?
ज्योति – लों ये कागज इसमें सब लिखा है ।
मैंने उस कागज पर लिखे सब सामान को देखने लगा, फिर उनके चेहरे को देख मुस्कुराता हुआ बाज़ार चला गय। मैं अपनी ज्योति दीदी ज्योति के बारे में सोच रहा था, वो मुझे हेयर रिमुभर ,पैड्स और एक दवाई लाने को बोलीं थी। पर मै पहले वाईन शॉप पर गया और एक बियर लिया और सुनसान इलाके में पीकर मैंने ज्योति दीदी का सारा सामान खरीदा। शाम के ०७:४० बजे घर वापस आया, और ज्योति दीदी के कमरे में जाकर उन्हें समान देते मैंने उनसे पूछा।
मैं – ज्योति दीदी ये दवाई किस काम की है ?
ज्योति दीदी मुस्कुराई और बोली – बाद में बताऊंगी तुझे मैं।
फिर मैं ज्योति दीदी के कमरे से बाहर निकला और मम्मी के पास किचन चला गया, मैं एक प्याला कॉफी लेकर बालकनी में जाकर पीने लगा।
हम सब ने साथ में खाना खाया, तो उस टाइम मेरी नजर बार बार ज्योति दीदी के स्तन पर जा रही थी। ज्योति दीदी भी मुझे तिरछी नजर से देख रही थी। फिर खाना खाकर मैं अपने बेडरूम गया और नाईट बल्ब जलाकर बेड पर लेटे लेटे मोबाइल में न्यूज पढ़ने लगा।
लेकिन मैं बार बार ज्योति दीदी की गर्भ निरोधक दवाई के बारे में सोच रहा था। तकरीबन ११:१५ बजे मुझे नींद आ गई और मै सो गया। मेरा कमरा ज्योति दीदी के कमरे से सटा हुआ था, और हम दोनों का वाशरूम एक ही था। बाथरूम का एक दरवाजा ज्योति दीदी के कमरे की ओर तो दूसरा दरवाजा मेरे कमरे की ओर खुलता था।
मै गहरी नींद में सो रहा था, तभी मुझे एहसास हुआ कि कोई मेरे बरमूडा को कोई खोल रहा है । मुझे लगा कि ये कोई सपना है। तभी मेरी आंख खुली तो मेरी ज्योति दीदी ज्योति मेरे बरमूडा को खोलकर मेरे लंड को थामे हुई थी। मैं उन्हें देखकर हड़बड़ा गया और बेड पर बैठकर एक चादर से अपने लंड को ढक लिया।
ज्योति मेरी बहन काले रंग के गाऊन में बला की सुंदर दिख रही थी, वो मुझसे नजर मिलाते हुए उसने मेरे लंड पर से चादर को हटा दी। और मेरी बहन मेरा लंड को पकड़ कर बोली।
ज्योति दीदी – सतीश मुझे आज रात तेरे साथ मस्ती करनी है, प्लीज़ आज तुम मुझे मत रोको ।
ज्योति दीदी के ये कहते ही मैंने ज्योति दीदी के हाथ को अपने लंड पर से हटा कर बोला।
मैं – ज्योति दीदी आप अपने बॉय फ्रेंड के साथ मजे करो, तुम मेरी बड़ी बहन हो
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लेकिन ज्योति तभी बेशर्म लड़की की तरह अपना गाउन उतारने लग गयी। और उसने अपने बदन से अपना गाउन निकाल दिया। उसके अर्ध नग्न जिस्म को देख मेरा मन तड़प उठा। तो मै भी ज्योति दीदी को अपने गोद में बिठाकर चूमने लग गया। ज्योति ने मात्र एक पेंटी पहन रखी थी, और वो मेरे गोद में दोनों टांग दो दिशा में किए और दोनों पैर मेरे कमर से लपेटे बैठी हुई थी।
वो मेरे से लिपटे अपने चूची को मेरे छाती से रगड़ने लगी, तो हम दोनों एक दूसरे को चूमने लग गए थे। मेरा हाथ उसके पीठ को सहला रहा था, तो ज्योति ने भी मेरे पीठ पर अपने हाथ लगाए। ज्योति दीदी अब मेरे होंठों को अपने मुंह में लेकर चूसने लग गयी।
मै अब ज्योति दीदी के चिकने जिस्म को सहलाता हुआ, ज्योति की जीभ अपने मुंह में लिया और चूसते हुए उसके मुलायम चूची का एहसास छाती पर पा रहा था। दोनों की आंखे बंद थी तो सांसे तेज थी, कुछ देर बाद उसने मेरे मुंह से अपनी जीभ बाहर कर ली। फिर मैन ज्योति दीदी को बेड पर लिटा दिया।
ज्योति के नग्न खूबसूरत जिस्म पर ओंधकर उसके चूची को थामा और मुंह में लेकर चूसने लग गया। तो वो मेरे बाल को सहलाने लगी ,ज्योति दीदी की बूब्स टाईट और छोटी थी। मै उनका स्तन चूसता हुआ दूसरा स्तन दबाने लग गया, वो अपने दोनो जांघ कों आपस में रगड़ते हुए सिसक करते हुए बोली।
ज्योति दीदी – ओह आह सतीश और तेजी से मेरी चूची चूसो ना आह मेरी बुर सतीश।
और फिर मैंने उनके दोनों स्तन को चूस चूसकर लाल कर दिये। अब मै ज्योति के नग्न सपाट पेट को चूमता हुआ बूब्स दबाने लग गया, और कमर के पास आकर चुम्बन देता हुआ अपना हाथ उनकी पेंटी के ऊपर लगाया, बुर के उभार को सहला रहा था तो मेरा लंड अब फन फनाने लग गया।
ज्योति की मोटी खूबसूरत जांघ को सहलाता हुआ पेंटी के हुक को खोल दिया और उनकी चूत को नग्न करके देखने लग गया। ज्योति अपने जांघों को सटाकर बुर को छुपा रही थी, तो मै अब उनके जांघ को चूमता हुआ उनके जांघों को अलग करने लग गया।
पल भर बाद ज्योति की जांघें अलग थी और मै रसीली चमकती चूत की देख रहा था। दोनों मांसल फांक आपस में सटे हुए थे तो बार का नामोनिशान नहीं था।
मैं – इतनी खूबसूरत आपकी बुर है ज्योति दीदी, जरा चूम तो लू ?
और फिर मैंने ज्योति दीदी के गान्ड के नीचे तकिया लगा कर मैंने अपना चेहरा उसकी बुर पर लगा लिया और फिर मैं ज्योति दीदी की चूत को चूमने लग गया।
फिर मैं ज्योति की बुर के फांक को चूमता हुआ उसपर नाक लगाया तो बुर की प्राकृतिक खुस्बु मुझेआ रही थी।
तभी ज्योति दीदी बुर पर उंगली लगाकर बुर को फलका दी और मै अपना जीभ उनके बुर में पेलकर बुर कुरेदने लगा। उनके कमर को कसकर थामे बुर को लपालप कुत्ते की भांति चाटने लग गया।
ज्योति दीदी – आह ओह सतीश पूरा जीभ बुर में पेलकर चाटो ना प्लीज।
जीवन में पहली बार एक नग्न जिस्म को प्यार कर रहा था, उसकी बुर थोड़ी ढीली थी तो मै कुछ देर बाद फांक को मुंह में लेकर चूसने लग गया। और अब मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था ,कुछ देर बुर को चूसा तो वो मुझसे अलग होकर बाथरूम गई।
ज्योति जैसे ही वाशरूम से वापिस आयी तो वो।मेरे पास आकर मेरे साथ बेड पर लेट गयी, और मेरे ऊपर सवार होकर गाल और ओंठ को चूमने लगी। मै उनके नग्न पीठ को सहलाने लगा तो वो मेरे छाती को चुम्बन दे रही थी। और अब मेरा हाल बेहाल हो रहा था, इसलिये मैं ज्योति दीदी से बोला।
मैं – ओह आह ज्योति मेरे लंड में खुजली हो रही है चूस ना प्लीज।
ज्योति दीदी अपना सर ऊपर करके बोली – सब खुजली ख़तम कर दूंगी चुपचाप लेटा जा बस तू।
और वो मेरे सपाट पेट से लेकर कमर तक को चूमी और फिर ज्योति दीदी ने एक तकिया मेरे गान्ड के नीचे लगा दिया। अब वो मेरे लंड को हाथ में पकड़कर हिलाते हुए मेरे गान्ड के मुहाने को जीभ से चाटने लगी। मेंरा हाल खराब था।
मैं – आह ज्योति दीदी ये क्या कर रही हो ज्योति दीदी मत चाटो मेरी गान्ड को ।
लेकिन वो मेरे गान्ड को कुछ देर तक चाटी और फिर ज्योति दीदी मुझसे बोली – अबे साले अभी तो अपनी बीबी बोल मुझे तू , दिन में ज्योति दीदी रात को बीबी।
फिर ज्योति दीदी वो मेरे जांघ को चूमने लगी, मेरा लंड तो लोहे की रोड की तरह हो चुका था। वो अब लंड के चमड़े को नीचे करके चूमने लगी, ज्योति दीदी की हरकत से साफ था कि वो चुदाई का मजा ले चुकी है। वो लंड के सुपाड़ा को अपने गाल पर रगड़ने लग गयी, और फिर अपने रसीले ओंठो पर रगड़ते हुए अपने मुंह में मेरा आधा से अधिक लंड ले लिया।
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और मुंह का झटका देते हुए मुखमैथुन करने लगी, मेरा लंड अब झड़ने के करीब था और ज्योति दीदी पूरे गति से मुखमैथुन कर रही थी तो मेरे मुंह से सिसकियां निकल रही थी।
मैं – आह ओह ज्योति मेरा लन्ड मुंह से निकालो ना वरना मुंह में ही वीर्य झाड़ दूंगा।
लेकिन ज्योति मेरे लंड को चूसती रही और मेरा लंड उसकी मुंह में वीर्यपात करा दिया और वो साली रण्डी मेरे वीर्य को पीकर चेहरा ऊपर करके बोली।
ज्योति दीदी – आज पहली बार लड़की के साथ मजे कर रहे हो ?
मैं – हां लेकिन आपको कैसे पता चला ?
ज्योति दीदी – इतनी जल्दी झड़ गए, मेरे बुर की खुजली कौन मिटाएगा।
मै बेड पर से उठा और फिर ज्योति दीदी को लिटाया, उनके बुर पर मुंह लगाकर बुर से निकले रस को जीभ से चाटने लग गया। उसकी बुर के रस को कुछ देर तक चाटा और फिर दोनों वाशरूम चले गए।
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कौशल के साथ उसकी बहन ने जबरदस्ती सेक्स किया था, अलग बात है कि मुझे भी उसके नग्न जिस्म से खेलने में आनंद आया था। लेकिन सच पूछो तो मैं ज्योति दीदी की गरम जवानी को ठंडा नहीं कर पाया था, बल्कि मेरा लंड ही ठंडा पड़ चुका था।
ज्योति दीदी ज्योति २३ साल की मदमस्त जवानी है, जिसके संतरे समान स्तन देख मुंह मै पानी आ जाए। तो उसके गोल गुंबदाकार गान्ड देख लंड फन फना उठे, वो काम की मूरत है।
लेकिन उसके कपड़े हमेशा उसके पूरे तन को ढक्ती है। अगले सुबह ज्योति मुझे देख मुस्कुरा रही थी, तो मै शर्म से नजरें चुरा रहा था। रविवार होने की वजह से हम दोनों घर पर ही थे, और फिर नाश्ता करने के बाद ज्योति मेरे कमरे में आई और मुझे बोली।
ज्योति – क्या हो रहा है कौशल ?
कौशल – मैं मोबाइल में न्यूज पढ़ रहा हूं, क्यों कुछ काम है क्या ?
ज्योति – काम ही तो है कौशल, काम कला करने की इच्छा हो रही है।
कौशल – धीरे बोलो कहीं मम्मी सुन ली ना।
ज्योति- अरे पागल मम्मी और पापा अपने-अपने काम में व्यस्त है। ये कहते हुए ज्योति मेरे बिस्तर पर बैठ गई, और मेरे हाथ से मोबाइल लेकर पास के टेबल पर रख दिया।
मै ज्योति दीदी के हरकत से अचंभित था, कि आखिर मम्मी पापा के घर में होते हुए वो क्यों मुझे छेड़ रही है।
तभी ज्योति मेरे बरमूडा को कमर से नीचे खिंस्का दिया और मेरे नग्न लंड को थामकर चूमने लग गयी। बिस्तर पर लेटा हुआ ज्योति दीदी के होंठो का मजा अपने लंड पर ले रहा था।
तभी मै बेड पर अर्धरूप से बैठ गया और उसके टॉप्स को गले की ओर करके उसके नग्न बूब्स को दबाने लग गया। ज्योति मुझसे नजर मिलाते हुए लंड को अपने मुंह में ले रही थी, और उसको चूसने में मस्त थी।
मै भी उसके स्तन को मसलता हुआ मजे ले रहा था, अब वो लंड को मुंह का झटका देने लग गयी। तो मै उसके सर पर हाथ रखे अपने चूतड़ को ऊपर नीचे करते हुए लंड से ज्योति के मुंह को चोदने लग गया। जबकि दूसरे हाथ से मैं उसके चूची को मसल रहा था।
कुछ देर बाद ज्योति लंड को बाहर निकाली और जीभ उस पर फेरते हुए लंड चाटने लग गयी। मेरा मूसल लंड टाईट हो चुका था और ज्योति अब सीधे बिस्तर पर बैठकर अपने टॉप्स को उतार देती है, तो उसके नग्न बूब्स को मै दबाने लगा।
ज्योति – अबे बुद्ध चूची चूस ना, इसे मसल क्यो रहा है।,साला बिल्कुल गवार कहीं का।
और ज्योति बेशर्म लड़की की तरह बेड पर लेट गई, और मै उसके बदन पर ओंध्कर चूची को मुंह में लेने लग गया। और चूची चूसते हुए दूसरे स्तन को मसलने लगा, तो वो मेरे बाल पर हाथ फेरते हुए बोली।
ज्योति – आह ओह अब दूसरी चूची चूस ना।
मै चूची निकाल कर बोला – ज्योति मम्मी पापा देख लिए तो?
ज्योति – वो दोनो दो तीन घंटे के लिए बाज़ार गए है।
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और मै ऐसा सुनकर दूसरे स्तन को मुंह में भर कर चूसने लग गया। लेकिन मेरा हाथ ज्योति दीदी के स्कर्ट पर था, जिसको मै नीचे की ओर खींस्का रहा था। अब ज्योति दीदी खुद ही अपने स्कर्ट को पैर से बाहर कर दिया।
और मै दूध कुछ देर तक उनकी चुची पीने के बाद मैं ज्योति दीदी के सपाट पेट और कमर तक उन्हें चूमने लग गया। लेकिन मेरा हाथ उनकी पेंटी को खोलने में लगा हुआ था और पल भर बाद ज्योति मेरे साथ नंगी लेटी हुई थी।
ज्योति के कमर को थामे जांघो को चूमने लग गया, तो वो बेड पर तड़प रही थी। और मैं उसके मोटे चिकने जांघों को चूमता हुआ पैर की ओर जा रहा था। ज्योति दीदी के दोनों जांघ को चूमकर अब एक तकिया उनकी गद्देदार गान्ड के नीचे डाला।
ज्योति अपने पैर को अलग करके बुर का दीदार मुझे करा रही थी। उनकी चूत पर हल्के रोंए थे, लालिमा लिए चूत के दरार स्पष्ट थी। और बुर की फांक ब्रेड पकोड़े के तरह फूली हुई थी।
अब मैंने उसकी बुर पर अपना मुंह लगा दिया, और बुर चूमता हुआ मैं उसकी बुर को सूंघ रहा था। ज्योति दीदी तभी उंगली की मदद से बुर की फांक को अलग करने लग गयी, और मैं उनकी बुर जीभ से चाटने लग गया। वो मेरे बाल पर हाथ फेरते हुए बोली।
ज्योति – अबे साले कुत्ते बुर को चाट ना आज तेरी मुंह में ही मैं मुतूंगी मेरे कुत्ते।
अब मेरी जीभ कुत्ते की भांति बुर को लपालप चाट रही थी, अब मेरा लंड भी फनफानाने लग गया। तो मैं ज्योति दीदी की बुर की दोनों फांक को मुंह में लेकर चूसने लग गया। ज्योति दोनों पैर को बिस्तर पर रगड़ने लग गयी, और पल भर बाद चिल्लाई।
ज्योति – अरे मादरचोद तेरे मुंह में रस आएगा तो बुर छोड़ दियो, नहीं तो मैं तेरे मुंह में ही पेशाब कर दूंगी।
खैर मेरे मुंह को बुर के रस का स्वाद मिला और मै भी ज्योति के साथ वाशरूम में चल गया, वो टांग छीहारे मूतने लग गयी। तो मै भी पेशाब करने लग गया। फिर हम दोनों बेड पर आ गये।
मेरा लंड अभी भी टाईट थाज़ तो ज्योति टांग फालकाकर बेड पर लेट गई और मेरे हाथ में एक दवाई दे दी। जिसे लेते हुए मैं बोला।
मैं – अब इसका क्या करना है?
ज्योति – मेरी बुर में घुसा दो फिर चोदना ताकि तेरे लंड का रस कहीं मुझे गर्भवती ना कर दे समझा।
मै ज्योति दीदी के बुर को उंगली की मदद से खोला और वो गोली अंदर घुसाने लग गया। बुर के भीतरी द्वार तक दवाई घुसा कर मैंने ज्योति दीदी की चुतर के नीचे तकिया डाल दिया।
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अब ज्योति दीदी के दोनों जांघ के बीच घुटने के बल बैठ कर लंड का सुपाड़ा बुर में घुसाने लग गया। मैं जीवन में पहली बार चुदाई करने जा रहा था, और वो भी अपनी सगी बड़ी बहन की।
अब ज्योति के बुर ने मेरा १/२ लंड घुस चुका था, और आगे का रास्ता तंग था। तभी मैंने ज्योति के कमर को थामा और जोर का झटका बुर पर दे दिया, मेरा पूरा लंड ज्योति दीदी की चूत में चला गया, मानो किसी गद्देदार मांसाल चूत में मेरा लंड फंस गया हो। और ,तभी ज्योति चिल्ला उठी और मुझ पर चिलाती हई बोली।
ज्योति – उई मां मेरी बुर फ़ाड़ देगा क्या कमीने।
लेकिन मैं तो ज्योति को चोदने में लगा हुआ था, मैं उसके दर्द से अनजान बनकर उसको तेज गति से चोदे जा रहा था। उसको चोदते हुए मैं उसके स्तन को मसल रहा था।
मेरा लंड बुर में तेजी से आ जा रहा था और ज्योति दीदी के चेहरे पर पसीने की बूंद थी, तो वो आंखे बंद करके वो चुदाई का आनंद ले रही थी। तभी मैं ज्योति दीदी के जिस्म पर सवार होकर उन्हें तेजी से चोदने लग गया।
तो ज्योति दीदी मुझे कसकर जकड़ रखी थी, उसके बूब्स मेरे छाती से रगड़ रहे थे। और ज्योति मेरे होंठ को चूमते हुए अपने चूतड़ को ऊपर नीचे करने लगी। मुझे तो ज्योति दीदी की बुर चुदाई में काफी मजा आ रहा था। और वो अपने नितम्ब को ऊपर नीचे करते हुए बोली।
ज्योति – कौशल और तेज चोदो ना मुझे अपनी रण्डी बनाकर चोदते रहो आह।
मैं अपनी ज्योति दीदी के बदन पर लेटकर गपागप लंड अंदर बाहर कर रहा था, और हम दोनों काम वासना की दुनिया में खो चुके थे। अब भाई बहन का रिश्ता लंड और बुर के मिलन में बदल चुका था, और ज्योति दीदी बेशर्म लड़की की तरह मुझसे चुद रही थी।
कुछ देर बाद उसकी बुर गरम हो गई और फिर दोनों एक ब्रेक में आराम करने लगे।
ज्योति फ्रिज से बटर का एक टिकिया लेकर आई और बेड पर कुतिया बन गई। मैं उसकी गान्ड के सामने बैठकर मख्खन को बुर पर रगड़ रहा था, फिर बुर को उंगली से फ़लकाकर बटर को बुर में घुसा दिया।
और फिर से लंड को बुर में पेलने लग गया। अब मैं ज्योति दीदी की बुर में लंड पेलकर तेज चुदाई कर रहा था, तो ज्योति भी अपनी गान्ड को हिलाने लग गयी। मेरा लंड आज देर तक बुर में टिका हुआ था।
तभी ज्योति दीदी के चिकने बुर में लंड तेज गति से दौड़ लगा रहा था , जिससे वो सिसकने लगी और बाली।
ज्योति – ओह ऊं आह और तेज चोद अबे कुत्ते बहन को चोद कर रण्डी बना दे और जोर लगा कर चोद मुझे।
लेकिन लंड की क्या औकात, उसको तो बुर ने में झड़ना ही है जबकि लड़की जात का क्या, वो कितने भी लंड से चुद सकती है।
मै ज्योति की बुर को चोदता हुआ मस्त था तो ज्योति दीदी चूतड़ आगे पीछे करते हुए चुदाई के मजे को बढ़ा रही थी। पिछले ७-८ मिनट से ज्योति दीदी की बुर को चोदता हुआ उसके बूब्स को दबा रहा था, तो वो सिसकने लगी और बोली।
ज्योति – अबे चोदु बुर आग की भट्टी हो चुकी है, कब अपना माल झाड़कर बुर को ठंडा करेगा अब तू?
मैं – अबे रण्डी थोडा धैर्य रख, अभी तो बुर चुदाई का प्रारंभ की है मैने साली।
ज्योति गान्ड हिलाते हुए बोली – अब तो तेरे से रोजाना चूदुंगी मैं मेरे राजम
मेरा लंड बुर की आग में जल रहा था मैं बोला – तू और कितनो से चुद चुकी है ?
ज्योति – अबे हारामी चोदने दे दिया, तो तू क्या समझ रहा है मुझे। कितने लड़के मेरी गान्ड के पीछे घूमते है, पर आज तक किसी को हाथ तक लगाने नहीं दिया।
अब मेरा लंड लोहे की सलाख की तरह कड़ा और गरम हो चुका था, और कुछ देर बाद मैं बोला – ले बे रण्डी ,अब मेरे लंड का वीर्य अपनी बुर को पीला।
ज्योति – जरूर मेरे बुर से भी पानी आने वाला है।
और मेरे लंड से वीर्य बुर में गिरने लगा गया और उसकी चूत भी पणिया गई, मै लंड को बुर से निकाला लेकिन ज्योति रण्डी उसको चूसकर वीर्य का स्वाद लेने लग गयी।
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सतीश और ज्योति चुदाई के बाद आराम से अपने कमरे में सो गए, और अगले दिन ज्योति दीदी कालेज चली गई तो मै भी अपने दोस्तो से मिलने चला गया। लेकिन मेरा ध्यान उनके नग्न जिस्म पर ही होता है। तो मै अपने दोस्तो से मिलने के बाद मैं घर के लिए निकला।
और एक वाईन शॉप से मैने बियर खरीदी, फिर अपनी बाईक को एक सुनसान रास्ते पर ले गया और सड़क किनारे खड़ा होकर बियर पीने लग गया। घर वापस आकर मैंने अपने कपड़े बदले और फ्रेश होकर खाना खाया और फिर मैं सो गया।
ज्योति दीदी घर पर नहीं थी, मुझे नींद आ गई और थकावट के कारण मै २-३ घंटे तक सोता रहा। शाम के ५:३० बजे नींद खुली और मै अपने कमरे से बाहर आया तो देखा कि ज्योति और मम्मी चाय पी रही है। तभी मै भी वहीं बैठा और कुछ देर के बाद मम्मी ने मुझे चाय बनाकर दी, और मै ज्योति के साथ बैठा चाय पी रहा था।
ज्योति – क्या हाल है सतीश, क्या बात दिन में सौ रहे थे?
मैं – हां थोड़ी थकावट हो रही थी इसलिए।
ज्योति मुस्कुराते हुए बोली – हां रात को कुछ ज्यादा ही मेहनत कि थी ना, तब तो मेरी लहर रही थी।
मैं – क्या लहर रही थी ज्योति ?
ज्योति – अबे चूपकर तुमको सब मालूम है।
और फिर मै अपने घर के छत पर जाकर टहलने लग गया, कुछ देर तक वहीं पर घूमता रहा और फिर नीचे आया तो ज्योति अपने कमरे में थी। उस रात तो कहीं कुछ नहीं हुआ और अग्ला दिन भी सामान्य दिन की तरह ही बीत गया।
शाम को मैं घर से बाहर जाने लगा, तो मम्मी कुछ सामान लाने को बोली और मै सामान खरीदने से पहले एक वाईन शॉप मै जाकर एक बियर की केन खरीदा और पास के एक पार्क में घुसकर पीने लग गया, बियर पीते हुए ज्योति और मेरे जिस्मानी संबंध के बारे में सोच रहा था।
आखिर में यही सोचा कि अगर ज्योति मुझे सेक्स के लिए उकसएगी तभी आगे कुछ किया जाएगा। मैं घर सामान लेकर लौटा और फिर अपने कमरे में कपड़ा बदलकर फ्रेश हुआ और डायनिंग हाल में आ गया। ज्योति अपने रूम में ही थी तो मै वहीं बैठकर मम्मी को आवाज दी और बोली।
ज्योति – मम्मी एक काफी बनाना प्लीज मेरे लिए।
और फिर कुछ देर बाद ज्योति भी मेरे पास बैठी हुई थी, वो काले रंग के बिन बाहों वाले एक फ्रॉक पहने हुई थी। जोकि उसके घुटने तक उसे ढक रही थी, लेकिन बैठते ही फ्रॉक उसके जांघों पर आ गई और हम दोनों काफी पीने लग गए।
लेकिन मेरी नजर उसकी जांघों पर जा रही थी तो ज्योति मुस्कुराई और बोली।
ज्योति – मौका अच्छा है, मम्मी किचन में है। तुम हाथ लगा सकते हो।
तो मै ज्योति के जांघ पर अपने हाथ को फेरने लग गया और मेरा हाथ धीरे धीरे उसकी फ्रॉक के अंदर कमर की ओर जाने लगा, उसके मोटे चिकने जांघों को सहलाता हुआ मेरा हाथ उसके पैंटी तक पहुंच गया। और मै अपनी हथेली को पेंटी पर रगड़ने लग गया ,बुर का एहसास तो मिल रहा था और ज्योति के चेहरे पर सुखद एहसास भी साफ नजर आ रहा था।
मेरा लंड बरमूडा के भीतर टाईट होने लगा तो ज्योति मुझे धीरे से बोली – चल छत पर घूमते है।
मैं – मम्मी को बोल दो नहीं तो वो तुझे ढूंढेगी।
और फिर मै छत पर पहुंचा, वहां एक लकड़ी की चोंकी पड़ी हुई थी। तो मै छत पर टहलता हुआ ज्योति दीदी का इंतजार करने लगा। कुछ देर के बाद ज्योति वहां आई और मेरे बगल में बैठकर मेरे बरमूडा के ऊपर से लंड को पकड़ लिया और वो बोली।
ज्योति – साला ये तो तुरंत खड़ा हो गया है।
और मै ज्योति के फ्राक को कमर की ओर करता हुआ पैंटी को उसके कमर से नीचे करने लगा। वो भी अपनी चूत को नग्न करने में मेरी मदद कर रही थी, और अब मैं उसकी नग्न बुर पर हाथ फेरने लगा। तो वो मेरे बरमूडा के किनारे से अपना हाथ अंदर डाला और मेरे लंड को बाहर निकल कर हिलाने लगी।
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तभी मेरे अंदर का जानवर जाग उठा और मै ज्योति दीदी के पैर के पास बैठकर उसके चुतर को चौंकी के किनारे पर किया। उसके दोनों पैर दो दिशा में थे, तो मेरे सामने उसकी नग्न बुर चमक रही थी।
सड़क के किनारे लगे भेेपर लाईट से थोड़ी रोशनी छत पर आ रही थी। अब मैं ज्योति के बुर पर चुम्बन देने लगा, तो वो सिसकने लगी और बोली।
ज्योति – ओह ऊं आह सतीश ये ले मेरी बुर में जीभ घुसाके मेरी बुर को अच्छे से चाट।
और फिर मैंने ज्योति बुर को फैला दिया और मै अपनी जीभ से उसकी बुर को चाटने लग गया। उससे प्राकृतिक गंध आ रही थी, और मैं ज्योति दीदी कि चूत के अंदर जीभ पेलता हुआ मै बुर चाट रहा था।
मेरा लंड टाईट हो चुका था और ज्योति मेरे बाल को कसकर पकड़े मेरा चेहरा अपने बुर की ओर धंसा रही थी। मै कुछ देर तक बुर को कुत्ते की तरह लपालप चाटता रहा और वो बोली।
ज्योति – हाई मेरी बुर में कितनी खुजली हो रही है, अब चूस ना अपनी बहन की चूत को।
और फिर मै ज्योति दीदी की बुर के दोनों फांक को मुंह में भरकर चूसने लग गया। मेरे पूरे बदन में आग लगी हुई थी, तो ज्योति मजे में सिसकारी भर रही थी। मै भी ज्योति दीदी की बुर को मुंह से बाहर किया और अब मैं चौंकी पर बैठ गया।
ज्योति मेरे पैर के पास बैठकर मेरे बरमूडा को नीचे की ओर खींस्का दी और मेरे नग्न लंड को थामकर चूमने लगी। मेरा ७-८ इंच लम्बा २ इंच मोटा लन्ड ज्योति के हाथ में था। और वो उसको चूमते हुए उसके सुपाड़ा को अपने चेहरे पर रगड़ने लगी तो मेरा लंड पूरी तरह से चोदने को आतुर हो गया।
लेकिन अभी तो ज्योति दीदी मुखमैथुन करने को उग्र थी ।अब वो अपना मुंह खोलकर लंड को अन्दर ली और फिर चूसते हुए मेरे झांट पर उंगली घुमा रही थी। मेरा तो हाल खराब हो रहा था।
अब वो मेरे लंड को पकड़कर मुंह का झटका देने लगी और फिर मै बोला।
मैं – ज्योति तेजी से चूस बे रण्डी आह बहुत मजा आ रहा है।
और वो मेरे लंड को मुंह से बाहर करके अपने जीभ से मेरे लंड चाटने लग गयी। ,मेरा लंड पूरी तरह से गरम हो चुका था, वो लंड के हर हिस्से पर जीभ फेर फेर कर उसे चाट रही थी।
मुझे ऐसा लग रहा था मानो वो लॉलपोप को चाट रही है। तभी ज्योति मेरे लंड को मुंह में भर ली और सर का तेज झटका देते हुए मुखमैथुन करने लगी। मै अपना हाथ उसके सीने पर लगाकर उसके बूब्स को दबाने लग गया। और वो रण्डी लंड चूसने में मगन थी।
कुछ देर के बाद वो मेरा लंड छोड़कर उठी और बेशरम लड़की की तरह अपने फ्रॉक को कमर तक ऊपर कर के अपनी टांग फैला दी। उसका एक पैर चौंकी पर था तो दूसरा जमीन पर और मै बुर पर मुंह लगाकर चूमने लगा
तभी ज्योति बुर को फालका दी तो मै जीभ से बुर चाटने लग गया और बुर में रस जमा हुआ था। उसका स्वाद लेते ही मैं मस्त हो गया था और फिर ज्योति दीदी बोली।
ज्योति दीदी – अब छोड़ो मेरी बुर को।
मैं – चोदने का मन कर रहा है
ज्योति दीदी – अभी संभव नहीं है।
और फिर हम दोनों चौंकी पर बैठकर एक दूसरे को निहारने लग गए, ,मेरे लंड को थामकर हिलाते हुए अब मेरे चेहरे को चूमने लगी। तो मै ज्योति के रसीले ओंठो को चूसता हुआ बूब्स दबा रहा था। और ज्योति मेरे लंड को तेजी से हिला कर ऊपर नीचे कर रही थी।
तभी ज्योति अपना जीभ मेरे मुंह में घुसा दी तो मै ज्योति दीदी के जीभ को चूसता हुआ, अपने लंड पर उसके हाथ का एहसास पा रहा था। कुछ देर तक जीभ को चूसता रहा और ज्योति दीदी मेरा लंड हिलाती रही।
फिर वो मेरे मुंह से अपना जीभ निकाल कर मुस्कुराने लगी, लेकिन लंड थामे हस्तमैथुन करते रही थी।
मै ज्योति के चूची को दबाता हुआ बोला – ज्योति चूस ना मेरे लंड को ,वीर्य का स्वाद नहीं लोगी क्या ?
ज्योति – बिल्कुल भी नहीं।
मैं – ओह बुर चटवाने में बहुत मजा आता है, रस तो तेरी बुर का चाट लिया मैंने और तुम।
ज्योति – ठीक है साले अब मेरी मूह को ही चोद।
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RE: Bahan Sex Story प्यारी बहना की चुदास
अब ज्योति मेरे पैर के पास बैठी थी, वो मेरे लंड को चूमते हुए झांट में उंगली घुमा रही थी। तो मै ज्योति दीदी की चूची को मसलने में मशगूल था। अब ज्योति अपने लंबी जीभ को मुंह से बाहर की और उस पर मेरे लंड का सुपाड़ा रगड़ने लगी। मुझे काफी मजा आने लगा और ज्योति अपने जीभ पर कुछ देर तक मेरे लंड को रगड़ने के बाद, लंड को मुंह में ले लिया।
और फिर सर का तेज झटका देते हुए मुखमैथुन करने लगी, मेरे लंड को किसी खेली खाई लड़की की तरह चूस रही थी और मेरा हाथ उसके मुलायम चूची को मसलकर मस्त था। अब मेरा लंड आखिरी पड़ाव पर था और वो रण्डी तेजी से मुखमैथुन कर रही थी।
अब मेरा लन्ड माल फेंकने पर था, तभी मै सिसकने लगा और मैं बोला।
मैं – अबे साली रण्डी और तेज लंड चूस, मेरा माल निकलने वाला है।
तभी ज्योति के सर पर हाथ रखकर पूरा लंड उसके मुंह में पेल दिया और सुपाड़ा उसके गले में जाकर अटक गई और मेरा लंड वीर्यपात करा दिया तो ज्योति वीर्य पान करके मस्त हो गई। अब मेरा लंड सुस्त पड़ गया और दोनों अपने कपड़े को ठीक करने लगे। ज्योति दीदी मेरे गाल को चूम ली और बोली।
ज्योति दीदी – कल रात तुझसे चूदना भी है।
और दोनों छत से अपने रूम में आ गए।
अब सतीश को बुर की भूख लगा चुकी थी, तो उसकी बड़ी बहन ज्योति लंड पाने को आतुर थी। दोनों ने अपने घर की छत पर ही काम क्रिया किया था, लेकिन संभोग सुख के अलावा मुखमैथुन और चुम्बन ही दोनों के बीच हुआ था। ज्योति ने मेरे लंड के वीर्य को चखा था, तो मैने उसकी बुर से निकले रस को भी चाटा था।
और फिर हम दोनों उस रात अपने – अपने कमरे में सो गए। अगली सुबह ज्योति दीदी ज्योति अपने कालेज के लिए निकली, तो मै ज्योति दीदी को कालेज छोड़ने के लिए गया। हम दोनों बाईक पर सवार होकर उसके कालेज के गेट पर पहुंचे, और ज्योति बोली।
ज्योति – आज का क्लास बोरिंग है तो एक घंटे बाद मुझे यहां पर लेने आ जाना।
फिर मै वापस निकल पड़ा और मार्केट की ओर चला गया। और एक बियर बार में बैठकर बियर पीने लगा। करीब २ बोतल बियर पीकर मैं मस्त हो गया और फिर एक पान की गुमटी के पास आकर एक सिगरेट पीने लग गया।
मुझे ज्योति के कालेज के गेट पर १० मिनट में पहुंचना था, फ़िर मैं वहां से निकल पड़ा और ज्योति दीदी के कालेज के पास पहुंच कर ज्योति दीदी का इंतजार करने लगा। ज्योति कुछ देर के बाद कालेज से निकली और मेरे साथ बाईक पर बैठ गई।
वो मेरे कमर पर हाथ और साथ में एक हाथ कंधे पर रख कर बैठी हुई थी, उसका एक बूब्स मेरे पीठ से चिपका हुआ था। मै बाईक तेज रफ्तार से चला रहा था, कुछ देर बाद ज्योति मुझसे बोली।
ज्योति – सतीश आज गंगा के किनारे बैठते हैं प्लीज।
मैं – लेकिन वहां जाकर क्या करेंगे हम ?
ज्योति – चलो तो पहले।
फिर मै बाईक को तेज रफ्तार से चलाने लग गया, और करीब आधे घंटे के बाद गंगा घाट पहुंचे गये। तो ज्योति दीदी ज्योति ने मुझे गंगा के किनारे एक लॉज के पास रुकने को बोला, और वो बाईक से उतरकर सीधा लॉज में चली गई। कुछ देर बाद वापस आई और मुस्कुराते हुए बोली।
ज्योति – एक कमरा शाम तक के लिए है।
मैं – लेकिन क्या ये जगह सही होगी, अगर हम पकड़े गए तो ?
ज्योति – अरे डरपोक, तू अंदर चल तो मैं सब बताती हूं तुझे।
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RE: Bahan Sex Story प्यारी बहना की चुदास
ज्योति दीदी ज्योति के इस काम से मैं बहुत अचंभित था, फिर मैं लॉज के अंदर घुसा तो रिसेप्शन पर एक लड़का बैठा हुआ था। और वो मुस्कुराते हुए एक चाभी देते हुए बोला।
लड़का – ऊपर की मंजिल पर २०९ नंबर का कमरा है।
फिर ज्योति दीदी ने उसे ५०० रू का नोट दे दिया। फिर हम दोनों ऊपर की मंजिल पर जाने लगे , और ज्योति दीदी ज्योति अब कमरे का ताला खोला और हम दोनों अंदर चले गए। मेरी ओर देखते हुए ज्योति बोली।
ज्योति – नी की बोतल मंगवा लेते है और खाने का ऑर्डर दे देते है, ठीक है ना ?
मैं – ठीक है ज्योति दीदी।
और फिर होटल के सर्भिस स्टाफ को फोन करके सब कुछ का ऑर्डर ज्योति ने कर दिया, वो मेरे बगल में बैठी पर अंदर से दरवाजा खुला हुआ था।
मै बोला – कमरा तो बढ़िया है ज्योति दीदी।
ज्योति – अबे साले चोदु अभी तो बीबी बोल ले मुझे।
मैं – अभी तो तुम मेरी ज्योति दीदी ही हो, बीबी बनोगी तब तो कहूँगा बीवी।
इतने में एक लड़का आकर पानी का बोतल दे कर वापिस चला गया। ज्योति ने उठकर दरवाजा को बंद किया और मेरी बगल में बैठकर मुझे घूरने लग गयी।
ज्योति अब बेड के किनारे पर बैठकर अपने टॉप्स को निकाल देती है, उसके बूब्स ब्रा में काफी खूबसूरत दिख रहे थे। फिर ज्योति अपने लेगिंग्स को कमर से नीचे करने लगी और उसने मुझे भी कपडे उतारने को बोला। मै अपने शर्ट और जींस को उतारकर एक खूंटी में टांग दी, और सिर्फ कच्छा और बनियान में बैठे गया।
ज्योति दीदी सिर्फ पेंटी और ब्रा पहन कर बैठी थी, उसकी मदमस्त जवानी को देख मैं तड़प उठा। तभी २३ साल की मस्त माल बेड पर लेट गई और मै भी उसके बगल में बैठ गया, उसके बदन को निहारता हुआ। मैं अपना हाथ उसकी जांघ पर रख दिया। ज्योति के गोल गोल बूब्स उसके सीने कि खूबसूरती बढ़ा रहे थे।
तो मै अब ज्योति के जिस्म पर झुक कर उसके चेहरे को चूमने लग गया। उसके बूब्स को दबाता हुआ मैं उसके होंठो को मुंह में लेकर चूसने लग गया। और ज्योति अब मेरे बदन पर हाथ फेरने लग गयी। अब ज्योति अपना आपा खो चुकी थी और वो अपने लंबी जीभ को मेरे मुंह में भरकर चुसवा रही थी।
उसके बूब्स को ब्रा पर से मसलते हुए, मैं उसकी जीभ को चूस रहा था। और पल भर बाद ज्योति मेरे चेहरे को पीछे की ओर कर दिया। मेरे मुंह से जीभ बाहर निकाल कर ज्योति ने अपना हाथ अपने पीछे की ओर ले जाकर अपनी ब्रा को भी खोल दी। तो मै उसके एक चूची को पकड़कर उसके घूंडी को जीभ से चाटने लगा और मैं बोला।
मैं – अरे जानेमन मेरे रहते हुए, तू कपडे खुद क्यों उतार रही है ?
ज्योति – चल अब दूध पी और अपनी बकवास बंद कर।
और मै ज्योति के एक चूची को मुंह में लेकर उसे चूसता हुआ दूसरे स्तन को दबाने लग गया। वो मुझे अपने छाती से लगाकर दूध पीला रही थी, और मेरा लंड कच्छा में टाईट हो रहा था। ज्योति की सिस्कान निकलते हुए बोली।
ज्योति – आह ओह ऊं और तेज चूसो ना मेरी चूची को।
मेरा लंड तो अब पूरी तरह से टाईट हो गया था, लेकिन मुझे अभी ज्योति को पहले गरम करना था। उसकी दूसरी चूची चूसता हुआ मैं मस्त हो रहा था, फिर मै ज्योति दीदी के सपाट पेट से लेकर कमर तक को चूमने लग गया।
ज्योति अपने दोनो पैर को बिस्तर पर रगड़ रही थी ,तभी मै ज्योति दीदी की चुतर के नीचे एक तकिया डाला। और उसके जांघों को दो दिशा मे करके, मैं उसकी पेंटी पर नाक लगाकर बुर को सूंघने लगा। ज्योति के पेंटी की डोरी को खोला और उसकी चूत को नग्न कर दिया।
ज्योति की चूत चिकनी और बिन बार की थी और दोनों फांक ब्रेड पकोड़े की तरह फूली हुई थी। अब मै बुर के मुहाने पर नाक लगाकर बुर सूंघने लग गया, और फिर बुर पर होंठ सटाकर चूमने लग गया।
मैं ज्योति की बदन के हरेक अंग के साथ वक़्त बिताना चाहता था, अब बुर को चूमता हुआ ज्योति दीदी कि बुर के फांक को अलग किया। और जीभ से बुर चाटने लग गया, ज्योति दीदी मेरे बाल को कस रही थी।
वो मेरे सर को अपने चूत की ओर धंसा रही थी, और मै उसकी चूत को जीभ से चाटने मे लगा हुआ था। ज्योति दीदी सिसकते हुए बोली।
ज्योति – अबे साले कुत्ते सिर्फ बुर चाटता रहेगा या चोदेगा भी।
तो मैंने ज्योति की बुर को छोड़कर सर ऊपर किया। ज्योति बेड पर नंगे लेटि हुई थी, तो मै अब ज्योति के चेहरे के पास बैठा और अपना कच्छा खोल दिया। मेरा लंड पूरी तरह से टाईट हो गया था।
तो मै ज्योति दीदी के होंठो पर अपने लंड का सुपाड़ा रगड़ने लगा और टाईट लंड धीरे धीरे उसके मुंह में जाने लग गया था। ज्योति अपने मुंह को खोलकर मेरा लंड ले कर चूसने लग गयी, तो मै उसके दोनों बूब्स को मसलने लग गया।
अब ज्योति की आंखें बंद थी और मै उसके सर के पीछे हाथ लगाकर थोड़ा ऊपर किया और लंड से उसका मुंह को चोदने लग गया। मेरे लंड का सुपाड़ा उसके गले मे अटक रहा था और मै ज्योति के मुंह को अपने लंड से चोदता जा रहा था। कुछ देर के बाद ज्योति मेरा लंड मुंह से निकालकर उस पर जीभ फेरने लग गयी और अब हम दोनों गरम हो चुके थे।
अब ज्योति वाशरूम जाकर फ्रेश हुई और मै भी फ्रेश हो गया। फिर हम दोनों बेड पर नंगे ही थे, ज्योति बोली।
ज्योति – तुम बियर पीते हो ना ?
मैं – हाँ क्यों तुम्हारा भी पीने का मन है ?
ज्योति – जरूर।
तो मैंने होटल स्टाफ को फोन किया और कुछ देर बाद वो बियर की बोतल लेकर वो हाज़िर हो गया। मैं कमर से एक तौलिया लपेट रखा था, तो ज्योति दीदी वाशरूम घुस गई थी, अब वो स्टाफ वाला चला गया। तो मैंने दरवाजा बंद किया और वाशरूम का दरवाजा खटखटाने लग गया।
तो ज्योति दरवाजा खोला और अब दोनों बेड पर बैठकर बियर को गलास में डाले पीने लग गये। ज्योति बेशर्म लड़की की तरह मेरे मुंह से सिगरेट लेकर पीने लग गयी, बिल्कुल किसी रण्डी की भांति हरकत कर रही थी। और दोनों बियर पीकर थोड़े ठंडे पड़ गए। अब ज्योति मेरे लंड को पकड़ कर बोली।
ज्योति – चल अब अपनी बीबी की चुदाई कर।
और वो बेड पर लेट गई तो मै उसकी जांघों के बीच घुटने के बल बैठकर, लंड को उसकी बुर में पेलने लग गया। आधा लंड आराम से ज्योति दीदी की चूत में चला गया था, और मैने कमर थामे एक जोर का झटका बुर पर दे दिया। जिससे मेरा लंड अब बुर के अंदर चला गया था और मै अब जोर जोर से चुदाई करने लग गया।
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RE: Bahan Sex Story प्यारी बहना की चुदास
ज्योति – अबे साले तेरा लंड तो लोहे कि सलाख की तरह गरम और कड़ा है, अपनी बीबी की बुर फाड़ेगा क्या ?
मै चोदता हुआ बोला – जरूर बे साली, तुझे चोद चोदकर अपनी रण्डी बना दूंगा आज।
और मेरा लंड उसकी बुर में तेजी से दौड़ लगा रहा था, अब मै ज्योति के जिस्म पर सवार होकर चुदाई करता रहा रहा था। ज्योति मेरे बदन को सहलाते हुए मेरे होंठो को चूमने लग गयी। कुछ देर के बाद ज्योति चिल्लाने लगी और बोली।
ज्योति – ओह आह ऊं सतीश और तेज मुझे चोदो मेऋ बुर का पानी निकलने वाला है।
और पल भर बाद ज्योति की बुर से रस निकलने लग गया, मै अब अपना मुंह उसकी बुर पर लगाकर रस कोजीभ से चाटने लग गया। और कुछ देर तक ज्योति की बुर के रस का स्वाद लेता रहा।
फिर मैंने ज्योति को बेड पर कुत्तिया बना दिया, जिससे मेरे सामने उसकी गांड आ गयी। ज्योति दीदी की गोल गुंबदाकार गान्ड को चूमता हुआ अब उसके गान्ड के मुहाने को जीभ से चाटने लग गया। तो वो पीछे मूड कर मुझे देख रही थी, फिर मैने ज्योति दीदी की चूत में लंड को घुसा दिया।
और मैं उसकी कमर थामकर जोर का झटका दिया। ज्योति की रसीली चूत में मेरा लंड था और अब तिब्र गति से चुदाई करता हुआ, मस्त हो रहा था। तभी ज्योति अपने चूतड़ को आगे पीछे करने लगी और मै उसके सीने से लटकते चूची को दबा रहा था। और साथ ही उसकी बुर को चोद रहा था।
ज्योति की बुर गरम हो चुकी थी, तो मेरा लंड अब पल दो पल का मेहमान था। वो अपने चूतड़ को हिलाते हुए हान्फ़ रही थी और बोल रही थी।
ज्योति – अब बस करो मेरे जानू बुर की गर्मी को अपना रस झाड़ कर शांत कर दो।
और कुछ देर बाद उसकी बुर में रस गिरा कर मैं शांत पड़ गया। हम दोनों थक कर बेड पर ही लेते रहे।
ज्योति दीदी और मेरे कॉलेज में छुट्टी थी, मैं जैसे ही कमरे में घुसा तो ज्योति दीदी बेड पर एक मैगजीन लिए लेटी हुई थी। वो मुझे देख कर बोली।
ज्योति दीदी – क्या सतीश इधर कहाँ?
मैं मुस्कुराते हुए बोला – कुछ नहीं ज्योति दीदी।
फिर मैं उनके पैर के पास बैठकर उनको देखने लगा, तो वो मुस्कुराई, लेकिन मेरी नजर तो उनके टॉप्स के गोलाई पर थी। मैं उनकी चूची को घूरता हुआ, उनके पैर को सहलाने लगा और धीरे धीरे ऊपर की ओर बढ़ने लगा।
मेरे हथेली कि रगड़ से ज्योति दीदी का चेहरा लाल हो रहा था, और वो अपने होंठो पर अपने दाँत गडा रही थी। उसके स्कर्ट के द्वार के करीब मेरा हाथ था, कि तभी ज्योति हड़बड़ा कर उठी और मेरा हाथ थाम कर बोली।
ज्योति दीदी – नहीं सतीश अभी प्लीज़ रहने दो फिर कभी।
लेकिन मैंने उनकी बातों को अनसुनी करते हुए, फिर से अपना हाथ उनकी जांघ पर रख दिया। और जांघ को सहलाते हुए उसकी चूची को जोर से मसल दिया और वो बोली।
ज्योति दीदी – आह आउच इतने जोर से मत दबायो।
अब मेरा हाथ उनकी जांघ के उपरी हिस्से में पहुंच चुका था, ज्योति फिर से बेड पर लेट गई। तो मैंने उसके जांघ को रगड़ते हुए अब उसकी कमर के पास बैठा और जोर जोर से स्तन मसलने लगा।
ज्योति अब मेरे काबू में आ चुकी थी, लेकिन दिन का वक़्त था। इसलिए चोरी पकड़ी ना जाए, सो कमरे का दरवाजा खुला ही रखा था।
लेकिन मेरा ध्यान उधर ही था, पल भर बाद मेरा लंड बरमूडा में टाईट हो गया। और मेरा हाथ बुर को पेंटी पर से ही रगड़ रहा था।
ज्योति दीदी – आह ओह ऊं सतीश मेरी जान निकाल दोगे क्या?
अब मै उसकी स्कर्ट को कमर तक करके उसकी पैंटी की डोरी को खोलने लगा। और फिर मैंने उसकी बुर को नंगा कर दिया।
वो थोड़ा डर रही थी, लेकिन मै उसकी दोनों जांघों को दो दिशा में खोल कर उसकी बुर को निहारने लग गया। फिर एक तकिया उसकी गान्ड के नीचे लगा दिया।
अब मैंने अपना चेहरा जांघों के बीच कर दिया, और मैं उसकी बुर को चूमने और चाटने लग गया। चिकनी चूत पर होंठ को लगाकर प्यार करने का आनंद ही अलग आ रहा था।
लेकिन उसकी बुर से प्राकृतिक खुस्बू आ रही थी, अब मैंने उसकी दोनों फांको को अलग किया और बुर के छेद में जीभ डाल कर उसकी बुर चाटने लग गया।
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