12-09-2020, 12:40 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Bhai Bahan XXX भाई की जवानी
सुबह 6:00 बजे विशाल की आँख खुलती है। आरोही के कपड़ों की हालत इस वक़्त ऐसी थी की विशाल को आरोही का आधा जिएम नजर आ रहा था। और रात जो कुछ हआ उसका सोचकर विशाल को अपने आपसे बड़ी शर्मिंदगी महसूस होने लगती है। विशाल आरोही के ऊपर एक चादर डाल देता है, और विशाल परेशान सा ऊपर छत पर पहुँच जाता है।
ऊपर विशाल का कसरत का सामान रखा हुआ था और विशाल कसरत करने लगता है। आज विशाल की हिम्मत नीचे जाकर आरोही का सामना करने की नहीं हो रही थी। और यूँ ही विशाल को 8:00 बज चुके थे।
नीचे आरोही भी उठ चुकी थी और अपने आपको फ्रेश कर के नीचे मम्मी के पास पहुँचती है। मम्मी चाय कप में टाल रही थी।
सुमन- विशाल अभी तक नहीं उठा?
आरोही- भैया तो कब के उठ चुके हैं शायद ऊपर होंगे।
मम्मी दो कप में चाय लेकर पापा के रूम में चली गई।
आरोही भी दो कप में चाप बनती है, और चाय लेकर ऊपर विशाल के पास पहुँचती है, और विशाल के सामने बैठते हुए आरोही बोली- "गुड मार्निंग भैया, लीजिए चाय पीजिए..." और आरोही विशाल से ऐसे बात कर रही जैसे कुछ हुआ ही नहीं, पहले जैसा सब कुछ नामंल हो।
विशाल आरोही से बिना आँखें मिलायें ही बोलता है- "गुड मानिंग...
आरोही- क्या बात है भैया, आज आप अब तक कसरत कर रहे हो? मम्मी भी आपको पूछ रही थी। 8:00 बज चुके हैं।
विशाल एकदम से आरोही से रात जो हुआ उसके लिए सारी बोलता है- "आरोही मुझे माफ कर दें... रात में में बहक गया था।
आरोही- "उहह... तो ये बात है। मेरे भैया को रात की वजह से शर्मिंदगी महसूस हो रही है। अरे भैया इसमें इतना परेशान होने की क्या जरूरत है? भाई बहन के साथ हम एक दोस्त भी तो हैं, और दोस्तों में इतना सब कुछ तो चल ही जाता है...
विशाल- मगर आगेही अगर इस बात का किसी को पता चल गया तो क्या होगा?
आरोही- क्यों डरते हो भैया? भला ये बात हम किसी को क्यों बातायेंगे? और भैया मैं तुमसे बहुत प्यार करती हैं और क्या तुम्हें मेरा प्यार करना अच्छा नहीं लगता?"
विशाल- नहीं ये बात नहीं है आरोही। मगर भाई बहन में ये प्यार नहीं हो सकता।
तभी नीचे में मम्मी की आवाज आती है- "आरोही विशाल नीचे आओ..."
|
|
12-09-2020, 12:40 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Bhai Bahan XXX भाई की जवानी
दोनों नीचे पहुँचते हैं। मम्मी नाश्ता बना चुकी थी। विशाल और आरोही भी आकर बैठ जाते हैं। तभी राजेश के फोन पर कंपनी से काल आती है और राजेश मोबाइल पर बात करने के बाद कहता है।
राजेश- "कंपनी के काम में 34 दिन के लिए मझें जम्म जाना पड़ रहा है..."
विशाल- कब जाओगे पापा?
राजेश- दो घंटे बाद निकलना है तुम मेरा एक काम करो। मार्केट से एक लोका, बनियान और एक तौलिया लें आओ।
विशाल- "जी पापा अभी लाया..." और विशाल मार्केट चला जाता है।
सुमन राजेश में बोलती है- "सुनो जी मेरी भी छुट्टियां चल रही है। क्या मैं भी आपके साथ चलू?" ।
राजेश- "ये तो मुझे मैनेजर साहब से पूछना पड़ेगा?" और राजेश अपने मैनेजर को फोन मिलाता है- "हेलो मैनेजर साहब, क्या मैं अपनी वाइफ को साथ ले जा सकता हैं?"
मैनेजर- "हाँ हाँ क्यों नहीं... राजेश बस हम दोनों को ही तो जाना है। मैं भी अपनी वाइफ को ले चलता है।
फिर राजेश फोन रखकर सुमन से बोलता है- "ठीक है तुम भी चली। जल्दी से तैयार हो जाओ.."
सुमन के चेहरे पर खुशी के मारे मुश्कान दौड़ जाती है- "आरोही बेटा, मैं चली जाऊँ, तुम दोनों को कोई प्राब्लम तो नही?"
आरोही- नहीं मम्मी, काई प्राब्लम नहीं। आप बेफिकर होकर जाइए। मैं सब संभाल लेंगी।
सुमन आरोही को गले से लगते हुए "ओह मेरी प्यारी बच्ची.." और फिर सुमन भी अपना सामान पैकिंग कर लेती है, इतने में दरवाजे पर डोर बेल बजती है।
आरोही दरवाजा खोलती है, तो विशाल लड़खड़ाता हुआ अंदर आता है।
आरोही- क्या हुआ भैया ऐसे लड़खड़ाकर क्यों चल रहे हो?
विशाल- कुछ नहीं आरोही, वो मार्केट में बाइक स्लिप हो गई थी।
आरोही- क्रया... भैया आपको कहीं चोट तो नहीं लगी?
विशाल- अरीए मुझे कुछ नहीं हुआ आरोही, इतना घबराने की जरूरत नहीं।
सुमन- क्या हुआ आरोही?
आरोही- मम्मी, भैया को चोट लग गई है।
सुमन- कैसे क्या हुआ विशाल कहां लगी?
|
|
12-09-2020, 12:40 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Bhai Bahan XXX भाई की जवानी
आरोही और विशाल की आँखें बंद हो चुकी थी। बस एक दूजे के होंठों का रस चसन में दोनों लग चुके थे। क्या गजब का सीन चल रहा था रूम में। दोनों की छपार-कपार आवाज दोनों के प्यार का संगीत सा बजा रही थी।
जाने कितनी देर दोनों के हाठ आपस में चिपके हुए थे। विशाल ने सिर्फ अंडरवेर ही पहना हुआ था। लण्ड इतना खड़ा हो चुका था की अंडरवेर में समाना मुश्किल हो रहा था। विशाल से कंट्रोल करना मुश्किल होने लगा, और थोड़ा सा आरोही की तरफ करवट ले लेता है। लण्ड एकदम आरोही की चूत से टकरा जाता है।
आरोही भी पूरी तरह बेचैन हो चुकी थी, और खुद भी अपनी चूत को विशाल के लण्ड पर दबाने लगी। आरोही की चूत लण्ड के टच से पूरी तरह गोली हो गई और विशाल का लण्ड भी प्री-कम की बूंदें टपकाने लगा। तभी आरोही को अपनी चूचियों पर विशाल के हाथ की पकड़ महसूस होने लगी।
विशाल ने आरोही की चूचियों को अपनी मुट्ठी में भींच लिया था। विशाल को बिना ब्रा की आरोही की चूचियां
ऐसे लग रही थी, जैसे एक्दम नंगी हों। आरोही की सिसकियां निकलनी शुरू हो गई।
आरोही- "आअहह... भैया सस्सीई... कुछ-कुछ हो रहा है मुझे आहह.." और जानें कब आरोही का हाथ विशाल के लण्ड तक पहुँच गया। आरोही ने अपने हाथ में विशाल के लण्ड को भौच लिया था, जैसे लण्ड के साइज को नाप रही हो।
आरोही के हाथ में जैसे ही लण्ड आता है, विशाल के मुँह से आह्ह... निकल जाती है। और विशाल की पकड़ चूचियों पर और टाइट हो जाती है। जिससे आरोही की भी आअहह... निकल जाती है।
अब विशाल आरोही को दीवानों की तरह चमनें लगता है, और विशाल के हाथ आरोही की कमीज को नीचे से पकड़कर ऊपर करते चले जाते हैं। आरोही की दोनों चूचियां विशाल की आँखों के सामने आ जाती है। उफफ्फ... एकदम सफेद दूधिया जिक्षम था आरोही का, जैसे कोई हर की परी इस वक्त विशाल की बौंहों में हो। विशाल की आँखें आरोही का जिक्षम देखकर चौधियाने लगी थी। आरोही की चचियों से हल्के-हल्के निप्पल उभर रहे थे। जैसे किसी फल पर किशमिश रखी हो, और विशाल अपने होंठों को चूचियों के निप्पल से लगाकर उनका रस चूसने लगता है। आरोही बिन पानी मछली की तरह तड़पकर आहें भरने लगती है।
आरोही- "आह्ह.. उह... सस्स्सीईई.. भइरया आअह्ह... उम्म्म्म... सस्स्सी ... आहह.."
विशाल का लण्ड एकदम स्टील की रोड बन चुका था। अब विशाल आरोही के ऊपर आकर चूचियों को चूसने लगता है। जिससे लण्ड चूत के सेंटर पर दबाव देने लगा। विशाल भी चूचियां चूसते-चूसते नीचे सरकने लगता हैं
और आरोही के पेट पर अपने होंठों से किसिंग करता है। जिससे आरोही ऐसे तड़पने लगती है. जैसे मर्डर मूवी में मल्लिका तड़प रही थी। किस कदर बेचैनी हो चुकी थी आरोही को।
विशाल अपने होंठों में आरोही के जिश्म को चमता जा रहा था। आरोही की चूत से इतना रस निकल चुका था
|
|
12-09-2020, 12:41 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Bhai Bahan XXX भाई की जवानी
आरोही की सलवार पूरी तरह भीग चुकी थी। और अब विशाल के हाथ भी आरोही की सलवार का नाड़ा खोलने लगे थे और दोनों हाथों से सलवार पकड़कर नीचे उतरने लगा। आरोही भी अपने कल्हे ऊपर उठा देती है। आरोही एकदम पूरी तरह नंगी विशाल के सामने थी।
आरोही की चूत एकदम अनछई सफाचट विशाल की आँखों के सामने थी। विशाल आरोही की चूत की सुंदरता को जाने कितनी देर तक निहारता रहता है। और फिर विशाल अपने चेहरे को आरोही की चूत पर झुकाता चला गया की विशाल के होंठ जाकर आरोही की चूत के होंठों से जा मिले। जैसे ही होठों का मिलन चूत की फांकों से होता है, उफफ्फ... आरोही की सिसकारी निकल जाती है।
आरोही- आ:: आइ. उम्म्म्म
... ओहह ... आअहह ... भइरपा क्रया कर रहे हो?"
उधर विशाल आरोही की चूत से निकलते हर रस को चूसने लगता है। आरोही तड़पते मचलते हए बेचैनी में अपने हाथों से बैंड की चादर को खींचने लगी। विशाल की जीभ चूत के छेद को टटोलने की कोशिश कर रही थी। उफफ्फ... अब आरोही से बर्दास्त नहीं हो रहा था, और आरोही के हाथ विशाल के सिर पर पहुँच गये।
आरोही- " भैया कुछ कीजिये..." और आरोही विशाल के सिर को अपनी चूत में दबाती रही। आरोही को ऐसा लगने लगा था जैसे उसके अंदर से कोई सैलाब निकालने वाला है- आह... आआआ... उम्म्म्म ... उस्स्स्स ...
आईई.. और एकदम से आरोही की चूत में सैलाब बह निकाला।
जिसे विशाल एक-एक बंद अपने अंदर गटकता चला गया। और आरोही टूटे हए पत्ते की तरह बेजान सी बिस्तर
पर लटक गई। विशाल भी चत से अपना मुँह हटाकर अपने होठों पर जीभ फेजता हआ मुश्कुरा देता है, जैसे विशाल ने हंडिया से कोई मक्खन खाया हो। और फिर विशाल भी अपने अंडरवेर को निकालकर पूरी तरह नंगा होकर आरोही के करीब आता है। विशाल का लण्ड एकदम तनकर खड़ा हुआ था।
विशाल आरोही के इतने करीब हो जाता है, जिससे लण्ड चेहरे के पास आ जाता है। आरोही भी विशाल के दिल की बात समझ जाती है की इस वक़्त विशाल क्या चाह रहा है। और आरोही भी अपने हाथ बढ़ाकर विशाल के लण्ड को पकड़ लेती है। थोड़ी देर सहलाने के बाद आरोही अपना मुँह खोल देती है, और बस विशाल एकदम अपने लण्ड को आरोही के मुँह में घुसा देता है।
विशाल- "आअहह... आरोहीईई ऐसे ही चूसा..."
आरोही अपने हाथ में पकड़े लण्ड को अपने मुँह में थोड़ा-थोड़ा अंदर-बाहर करने लगी। विशाल को इस वक़्त चरम आनंद का अनुभव मिल रहा था और विशाल का हाथ भी आरोही के सिर पर पहुंच चुका था। विशाल आराही के सिर को पकड़कर अपने लण्ड को धक्के देने लगा, जैसे लण्ड चूत के अंदर-बाहर हो रहा था। बस अब विशाल का लावा भी बाहर निकलने को बेताब था।
विशाल- "आरोही मेरा होने वाला है आअहह... आअहह.."
मगर आरोही को लण्ड चूसने में इतना मजा आ रहा था की उसको विशाल की आवाज तक सुनाई नहीं दी। और विशाल का लावा आरोही के गले में उतरता चला गया। आरोही को अपने अंदर नमकीन-नमकीन स्वाद सा महसूस हुआ और एकदम से आरोही अपने मुँह से लण्ड बाहर निकालकर खांसने लगती है।
आरोही- भैया ये सब क्या था?
विशाल- "ये प्यार का रस था..."
|
|
12-09-2020, 12:41 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Bhai Bahan XXX भाई की जवानी
और फिर दोनों एक दर्ज की बौंहों में लिपटें हए ऐसे लेट जाते हैं, जैसे दोनों कितनै जन्मों के साथी हों। यही लेटे हुए विशाल आरोही के चेहरे को सहलाने लगता है।
विशाल- आरोही तुम बहुत खूबसूरत हो, बहुत मासूम सी प्यारी सी गुड़िया।
आरोही- "भैया आप भी बहुत अच्छे हो.. मेरा इतना खयाल रखते हो, मुझे इतना प्यार करते हो.."
फिर विशाल अपने होंठों को आरोही के होंठों को करीब ले जाता है और आरोही भी अपने होंठों को विशाल के होंठों के करीब ले जाती है। और दोनों फिर से एक दूजे के होंठ चूमने लगते हैं। कुछ देर में ही विशाल के लण्ड में फिर से तनाव आना शुरू हो जाता है, और आरोही की नंगी चत से टकराने लगता है। आरोही को भी लण्ड की टचिंग में सनसनाहट सी दौड़ जाती है।
विशाल- आरोही मैं तुझं और प्यार करना चाहता हूँ।
आरोही- भैया आपको रोका किसने है? जैसे चाहे मुझसे प्यार करो।
विशाल- मगर आरोही इस प्यार में बड़ा दर्द मिलता है।
आरोही- कोई बात नहीं भैया, मैं भैया के लिए हर दर्द सह लगी।
विशाल जानता था आरोही को अभी इस दर्द का अहसास नहीं है, जो कुछ इस वक़्त आरोही बोल रही है ये उसका जोश है। और विशाल बिस्तर से उठकर अलमारी की तरफ पहचता है।
आरोही- क्या हुआ भैया?
विशाल- "कुछ नहीं आरोही तेल की शीशी देख रहा है.." और विशाल अलमारी से नारियल तेल की शीशी उठा
लाता है। विशाल का लण्ड आरोही की चूत में जाने के अहसास से झटके पर झटके मार रहा था। विशाल बिल्कुल आरोही की दोनों टांगों के बीच बैठ जाता है, और कहता है- "आरोही में जो हम कर रहे हैं. बाद में हमें इसका पछतावा तो नहीं होगा?"
आरोही- भैया मैं तुमसे बहुत प्यार करती है और जब इतना आगे बढ़ चुके हैं, तो फिर पछतावा कैसा? भैया मुझे अपने प्यार का हर शुख दे दो। आज मुझे इतना प्यार करा की काई दूरी बाकी ना रह जाय। मैं तुममें समा जाऊँ, तुम मुझं में समा जाओ.."
विशाल आरोही की टाँगे फैला देता है और नारियल तेल उंगली में लेकर आरोही की चूत पर धीरे-धीरे मलने लगता है। आरोही की सिसकियां निकालने लगती है।
आरोही- "आहह... इसस्स्स... सस्स्सीईईई उईईई... इसस्स्स
.."
विशाल काफी देर तक अपनी उंगली से तेल को चूत के चारों तरफ मल देता है। जिसमें आरोही की चूत में फिर से गीलापन आ जाता है। विशाल थोड़ा तेल अपने लण्ड पर लगाकर लण्ड को जैसे ही चूत के छेद में घुसाने लगता है।
आरोही कहती हैं- "भैया, बिना कंडोम के कहीं में प्रेग्नेंट ना हो जाऊँ?"
विशाल- "आरोही ऐसा कुछ नहीं होगा। में एक टेबलेट ला दूँगा.. और फिर विशाल अपने लण्ड को चूत के छेद पर रख देता है।
आरोही की धड़कन लण्ड के इस अहसास से एकदम रूक जाती हैं, और आरोही को ऐसा लगता है जैसे उसके साथ कुछ अनर्थ होने वाला है और आरोही अपनी आँखें बंद कर लेती है।
|
|
|