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desiaks
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
सास बनी हमराज
मेरी नयी नयी शादी हुई है. शादी को अभी ४ महीने भी नहीं बीते हैं, और मेरे पतिदेव ने मेरे साथ अभी १५ दिन भी नहीं बिताये हैं. लोक लाज के भय से अभी तक कुंवारी बैठी थी. सुहागरात को पता चला सेक्स इतना मजेदार होता है. इन १५ दिन में मैं कुल मिला कर ६ दिन ही चुदी थी. इनका पता नहीं कैसा कारोबार है, बाप बेटे दोनों गायब रहते हैं. पता नहीं सासु माँ ने अपनी जिंदगी कैसे बितायी. खैर मुझे तो ये मेरी सास के पास छोड़ गए हैं. पर पता नहीं क्यों मुझे लगता है की सासु माँ कुछ ज्यादा ही मेरे जिस्म से छेड़ छड करती हैं. कभी किसी काम से कभी किसी और काम से उनका हाथ कभी उनकी ऊँगली उनका पाँव मेरे जिस्म का नाप लेने के लिए तत्पर रहता है. कभी मेरे बूब्बे दब जाते हैं हैं, कभी बस सहला कर छोड़ दिए जाते हैं.
एक दिन सासू माँ ने पानी ले कर कमरे में बुलाया. "अरी, आ गयी बहु? कुछ और काम बचा है क्या? खाना वाना बना लिया क्या?"
"हाँ सासू माँ, सब काम हो गया है. बस लेटने ही जा रही थी. कोई और काम है क्या?"
"अरी नहीं. अब लेटने ही जा रही है तो आ, थोड़ी देर बात कर लेते हैं. बहुत दिनों बाद समय मिला है."
थोड़ी देर इधर उधर की बातें होती रही जो घूम फिर कर शादी की बात पर आ गयी.
"बहु, तू खुश तो है न? इतने दिन हो गए हैं, तुझे अपने पति की शकल देखे, कुछ अकेला सा नहीं महसूस करती?"
"सासू माँ, मैं ठीक हूँ, बस कभी कभी लगता है कि ये कुछ जल्दी जल्दी घर आ जाते तो अच्छा होता. थोडा अकेलापन तो लगता है. ससुरजी भी नहीं रहते, अपने अपनी ज़िन्दगी कैसे गुजारी?"
"बेटी तू तो बड़ी गहरी बात पूछ लेती है. पहले अजीब सा लगता था, फिर काम में मन लगा लो, तो कुछ नहीं लगता है."
फिर मैं गिलास लेकर बहार जाने के लिए कड़ी हुई थी कि
"खैर ये सब कहाँ की बातें ले कर बैठ गयी. देखूं तेरा मंगलसूत्र कैसा है?"
यह कह कर उन्होंने मेरे गले से मंगलसूत्र निकालने की प्रक्रिया करी. मेरा मंगलसूत्र थोडा लम्बा था तो वो गले से नीचे मेरी गोलाइयों में अटका था. वो थोडा अटक रहा था तो सासू माँ ने ब्लाउज के अन्दर हाथ डाल दिया, और फिर गलती से उन्होंने मेरे बूब्बे दबा दिए.
"सासू माँ ये क्या?"
"अरी तुझसे क्या छुपाना? तुझे अच्छा नहीं लगा?"
"मैं समझी नहीं अम्मा?"
"मैं समझती हूँ." यह कह कर सासू माँ ने मेरे ब्लाउज का बटन खोल दिया और मेरे उरोजों को हलके हलके दबाने लगी. मेरे कान में फुसफुसा कर बोलीं "तेरे टेनिस बॉल जैसा खड़ा देख कर तो मेरा पहले दिन से मन टीपने को कर रहा था."
"पर सासू माँ ये गलत है"
"क्या गलत बहू, जब गर्मी बढ़ जाये तो कुछ गलत सही नहीं रहता."
"पर..." मैं कुछ और कहने वाली ही थी की सासू माँ ने मेरे होठ पर अपने होठ रख दिए. वो उनको बेतहाशा चूमने लगी. उनका एक हाथ बराबर मेरे बूब्बे टीप रहे थे और दूसरा हाथ मेरे हाथ को उनके बूब्बे के तरफ बाधा रहे थे. उनके बूब्बे तो उतने कसे नहीं थे, पर फिर भी उमर्गर औरतों से ज्यादा गठे थे. मेरे दोनों हाथ अब उनके बूब्बे टीप रहे थे, और उनका हाथ मेरी साड़ी के अन्दर जा रहा था. मैं उनको रोकने के लिए बढ़ी, पर सासू माँ ने फिर से उन्हें उनके बुब्बों को दबाने के लिए वापस रख दिया. एक तो मैं गरम हो रही थी, ४ महीने के बाद ऐसा कुछ हो तो मन नहीं मान रहा था. सासू माँ का हाथ अब तक मेरी पैंटी के ऊपर था. वो ऊपर से ही मेरी चूत रगड़ने लगी. मैं अब अपना होश खोने लगी थी. मुझे दुनिया जहाँ की कोई फ़िक्र नहीं थी अब. सासू माँ भी पूरे जोश में आ गयी थी. अब उन्होंने मेरे साए का नाड़ा खींच दिया, जिससे मेरी साड़ी एक झटके में उतर गयी. मैं बस ब्लाउज पैंटी में थी. सासू माँ ने भी अब अपने कपडे उतार दिए. वो पूरी नंगी हो गयी. फिर उन्होंने मेरी पैंटी और मेरे ब्लाउज ब्रा भी उतार दिए. अब मैं अपने बूब्बे खुद टीप रही थी और सासू माँ मेरी चूत को चाटने लगी. जीभ से उन्होंने मेरी पूरी चूत का मुआयना कर डाला. मैं हलकी हलकी सिस्कारियां भरने लगी.
"बहू अब तू बिस्तर पर लेट जा, मैं ड्रेसिंग टेबल से क्रीम लाती हूँ."
मैं नंगी बिस्तर पर लेट गयी, और अपनी चूत में ऊँगली करने लगी. सासू माँ क्रीम लेकर वापस आई. उनके हाथ में एक डब्बा भी था. सासू माँ ने मेरी चूत पर खूब सारा क्रीम मला. "बड़ी टाईट चूत है तेरी. कितनी बार चुदी है?" "कहाँ अम्मा, ४-५ बार ही तो मौका लगा है." "फिर तो बढ़िया है, इस टाईट चूत का मजा मैं भी ले लूंगी."
यह कह कर सासू माँ ने डब्बे में से एक कित्रिम लौड़ा निकला. इस लौड़े के साथ एक बेल्ट भी था, जिसे सासू माँ ने अपनी कमर पर पहन लिया, अब सासू माँ के लौड़ा भी था और चूचियां भी. मेरी चूत कि तरफ अपना लौड़ा सीध में रख कर एक झटके में मेरी चूत को फाड़ दिया. "आह नहीं, ओह, ओह, नहीं सासू माँ मैं मर जाऊंगी, प्लीज़ ये चीज़ बहार निकल लो." "अरी रंडी, अब क्या शर्माना. अगर मेरा बेटा तेरी चूत नहीं फा सका तो क्या, तेरी चूत का भोसड़ा उसकी माँ बना देगी." ये कह कर उन्होंने गन्दी गन्दी गलियां सुनानी शुरू कर दी.
"अरी बापचोदी, रंडी, भईचोदी, तुझे तो मैं घोड़ों से चुद्वऊंगी, घोड़ो से क्या, तुझे तो तेरे ससुर से भी चुद्वऊंगी. उनका लंड तो इससे भी बड़ा है. छिनाल, तुझे तेरे ससुर कि रखैल बना डालूंगी. मुझे जान ले, मैं तेरी सौत हूँ, मेरा बेटा मादरचोद, मुझे चोदता है, तुझे भी मैं अपनी सौत बनाऊँगी. " ये कहते हुए वो मेरे चूतडों पर चपत लगते हुए अपनी स्पीड बढ़ा देती है. मैं दह जाती हूँ, पर मेरी सास को तो जैसे आग लगी थी, मुझे कुतिया बना दिया. फिर से मेरी गांड में खूब सा क्रीम लगाया. अबकी उनके पास दो मुँहा लंड था. एक सिरा मेरी गांड में डाल दिया, दूसरा खुद अपनी चूत में ले कर बैठ गयी. पेल पेल कर मेरी गांड भी फाड़ डाली. मैं दूसरी बार दह गयी. इस तरह कर के मेरी गांड भी चोद डाली. पर जो भी हो, ये था बहुत मजेदार.
"क्यों बहू मजा आया?"
मैं शर्मा गयी.
"क्यूँ री, अब तुझे पता चला, मैं कैसे गुजारा करती हूँ? मेरी सास ने मुझे सिखाया था, फिर मेरी ननद और नंदोई बड़ी मदद करते हैं."
पर यह बात हम दोनों के बीच ही नहीं रही. सासू माँ सच कह रही थी. मेरे पति तो मादरचोद निकले. उधर मेरे ससुर का बड़ा लौड़ा सुन कर तो मेरे मुंह में पानी आ गया. मैं बड़ी बेसब्री से अपने ससुर का इंतज़ार कर रही थी. इस के लिए मुझे ज्यादा दिन ठहरना नहीं पड़ा. २ दिन के बाद ही ससुरजी और मेरे पतिदेव आ पहुंचे. जहाँ ससुर के आने से मैं प्रसन्न थी, वही पति के आने से घबडा गयी. ये देख कर सास ने कहा, "अरी घबडा मत, सब का इंतज़ाम है मेरे पास. तू चिंता न कर, बस मेरे इशारे पर आ जाना."
उस दिन रात को सब भरे पड़े थे, ख़ास कर मेरे पति. अगर वो मेरी तरह चुदक्कर नहीं है तो पक्का नयी शादी की विरह झेल नहीं प् रहे होंगे. जैसा सोचा था वैसा हुआ. रात को खाने के बाद वो सीधे कमरे में आ गए. उनका लौड़ा तो लोहे कि तरह तना पड़ा था. दरवाजा लगा कर सीधे मेरे कपडे उतारने लगे. मैं तो पजामे से ही उनका तम्बू देख चुकी थी. दोनों नंगे थे, मुझे वो मुंह में लेने के लिए कह रहे थे, मुझे ऐसा करने में घिन आ रही थी. इतने में सासू माँ कि आवाज़ आई, "अरी बहु, ससुरजी को खिला दिया क्या?" और दरवाजे को खोल कर अन्दर आ गयी.
मेरे पति बोले "माँ, ये क्या?"
सासू माँ ने कहा, "अरे कोई बात नहीं, मैं भी शामिल हो जाती हूँ." ये कह कर वो भी कपडे उतारने लगी.
मुझे न चौंकते हो देख कर मेरे पति चौंक गए, "तुम्हे पता है?"
इस बात का जवाब मेरी सास ने दिया, "हाँ इसे पता है, तू कैसा गांडू आदमी है रे, तुझसे इसकी चूत भी फाड़ी नहीं जा सकी. देख मैंने इसको कैसा टंच माल बना दिया. एक दम रसीली चूत."
"पर माँ, ये तो मुंह में लेने से मना कर रही है."
"तो लंडूरे, ये भी अपनी माँ से कराएगा? ला मैं सिखाती हूँ."
"पर सासू माँ अगर आप इनका लोगी तो मैं कैसे सीखूंगी?"
"अरी तेरे ससुरजी हैं न दरवाजे पर, उनका लंड ले कर देख, फिर कभी नहीं भूलेगी."
इतना कहना था कि ससुरजी लुंगी में अन्दर आ गए. उन्होंने लूंगी उतार दी, और सच में उनका लौड़ा तो इनसे बड़ा था. इनका ७" का उनका ८-८.५" का था. "माँ, इतना बड़ा कैसे लूंगी"
"अरी, जब लेगी तो छोड़ेगी नहीं, पर तू घबरा मत, तेरे पति का भी कुछ दिनों में इतना ही बड़ा हो जायेगा, फिर तू दोनों से चुद्वाती रहना."
सासू माँ ने पहले अपने बेटे का सूपड़ा चाटा, मैं भी उनका अनुकरण करते हुए, अपने ससुर के लंड का सूपड़ा चाटने लगी. फिर सासू ने अन्डो को चाटने चूसने लगी, मैं तो लोलीपोप कि तरह चूसने लगी थी. फिर सास ने लौड़ा मुंह में लिया. ससुरजी का लौड़ा बड़ा था, वो पूरा मुंह में ही नहीं आ रहा था. ससुरजी तो मुन्ह्चोदी में माहिर थे, मैं पूरा नहीं ले पा रही थी तो उन्होंने मेरा सर पकड़ा और सीधे मेरे कंठ में अपना लंड पेल दिया. वो छोड़ ही नहीं रहे थे. थोड़ी देर मुन्ह्चोदी के बाद उन्होंने अपना लंड निकला और मुझे बेड पर फेंका, उधर सास पहले से चुदाने में मशगूल थी. मुझे तरीके तरीके से चोदा गया.
के लिए कहा गया. हम दोनों एक दुसरे को चूमने लगे, पर तभी मेरा ध्यान बाप बेटे पर गया. वो दोनों भी एक दुसरे को चूम रहे थे. मेरे ससुरजी मेरे पति का लंड हिला रहे थे और मेरे पति उनका. फिर मैं और सासू माँ ६९ में आकर एक दुसरे की चूत चाटने लगे, तो दोनों बाप बेटे भी एक दुसरे का लंड चूसने लगे. बाप रे दोनों लंड चूसने में क्या माहिर थे. दोनों तो ऐसे चूस रहे थे कि बरसों कि प्रक्टिस हो. इस पर सासू ने कहा, "अरी, ये दोनों तो पुराने ज़माने के आशिक हैं. बचपन में एक बार इसने मुझे तेरे ससुर से चुदते हुए देख लिया था. मैं तेरे ससुर का चूस रही थी, इसे भी अच्छी लगी, तो ये भी चूसने लगा. मैं बहुत दिनों तक तेरे ससुर को गांड नहीं देती थी, तो इसकी साड़ी प्रक्टिस तेरे ससुर ने तेरे पति पर निकाली है. पर मेरा बेटा भी कच्चा खिलाडी नहीं है. १८ का होते होते, अपने बाप कि भी गांड मारने लगा था. विश्वास न हो तो खुद देख लेना."कहा गया.
अगले दिन भी chudai समारोह हुआ, पर इस बार, सास-बहु को एक दुसरे को चोदने
मेरे पति ने मेरे ससुर को घोड़ी बनाया और उनकी गांड में अपना लंड पेल दिया. मैं ससुर के नीचे आ कर उनका चूसने लगी और सासु माँ मेरा चूसने लगी थी. थोड़ी देर कि चुदाई के बाद बाप बेटे ने adla badali की और इस बार ससुरजी ने मेरे पति की गांड चोदनी स्टार्ट की. ऐसे फर्राटे से गांड मार रहे थे कि मैं जो अब इनसे चुद रही थी, उनके धक्कों का असर महसूस कर रही थी. ऐसा लग रहा था कि ये नहीं ससुरजी ही चोद रहे हैं. थोड़ी देर में सब दह गए. और इस काम पिपासा कि बांसुरी, अब भी बज रही है.
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
सासु को ससुराल में चोदा
''सासु को ससुराल में चोदा'' तुम्हे विश्वास नहीं हो रहा होगा पर ये घटना सौ टका सही सही है ! इस सही घटना को सुनने/ जानने के बाद तुम्हे ये विश्वास हो जाएगा की महिलाये सेक्स सुख के लिए सभी रिश्तों को ताक पर रख देती है सौ फीसदी सत्य घटना सुना रहा हूँ !
मेरी ससुराल गाँव में है जो बहुत ही सम्पन्न है लम्बी खेती बाड़ी है, बड़ा सा पक्का मकान है, 2 ट्रेक्टर 1 बुलेरो 1 टाटा सूमो गाडी है ! मेरे ससुर जी अपने सभी भाइयों में सबसे बड़े है उनसे 2 छोटे भाई है सभी की शादी हो चुकी है और बड़े-बड़े बच्चे भी है ! मेरे ससुर के सबसे छोटे भाई (मेरे ककिया ससुर) मेरे से उम्र में 2 साल छोटे है उनकी शादी भी मेरी शादी के बाद हुई थी ओ अभी भी फौज में है क्योकि प्रमोसन मिलने के कारण उनकी नौकरी बढ़ती जा रही ! उनके दो लड़के है एक 8 वी में और दुसरा 10 वी में दोनों गाँव से दूर के हास्टल में रहकर पढ़ाई करते है ! गाँव में मेरे ससुर,सास,और सेकण्ड नंबर के काका ससुर उनकी दो लडकिया और सबसे छोटी सास ''मंजू चाची'' सभी ज्वाइंट फेमली में रहती है ! मेरी शादी के 3 साल बाद मंजू चाची आई ससुराल में बहु बनकर जो की गजब की खूब सूरत, चंचल, सोख हसीना लगती है ! जब भी ससुराल जाता हूँ तब मंजू चाची का दामाद होने के कारण ,मेरे पाँव छूती और मेरा खूब आवभगत करती है और साली नहीं होने की पूरी कमी पूरी कर देती है अकेले मौका देखकर हल्का फुल्का हँसी मजाक भी कर लेती है ! मेरी शादी हुए करीब 20 साल हो गए , मंजू चाची की उम्र करीब 34-36 के आसपास होगी ! न तो ज्यादा मोटी और न ही ज्यादा दुबली पतली,एकदम से फिट सेक्सी गदराये हुए वदन की मालकिन है ! अभी 10 साल से जब भी ससुराल जाता तब मंजू चाची कोई न कोई बहाना बनाकर मेरे और मेरी पत्नी के साथ बुलट में 10 KM दूर बाजार करने जरूर जाती ! क्योकि काका ससुर जी तो फौज में है और बाकी दोनों ससुर मंजू चाची के जेठ जी लगे तो उनके साथ नहीं जा सकती ! मई 2014 की बात है ससुराल के पास ही मैं एक शादी में गया था सोचा ससुराल भी घूम और ससुराल पहुंच गया तो खूब आवभगत हुई मेरी ! दिन की भयंकर गर्मी में साले के कूलर लगे कमरे में ही सोता क्योकि साले साहब बहुत अच्छे वकील है जो पास के ही शहर में रहते है अपने पत्नी बच्चो के साथ ! मंजू चाची ने अकेले कमरे में बड़े प्यार से खाना खिलाया हँसी मजाक भी किया !
आज मंजू चाची खूब सजी सवरी थी लाल साडी में बहुत ही सेक्सी लग रही थी, खाना परोसते समय कई बार साडी के पल्लू को गिराया जिसमे उनकी बड़ी बड़ी चूचियों की घाटी साफ़ साफ़ दिखाई देती थी मैं भी तिरक्षी नजर और ललचाई निगाह से चूचियों तरफ देखता तो मंजू चाची हलके से मुस्कुरा कर पल्लू ठीक कर लेती ! खाना खिलाते समय मंजू चाची बोली '' कुछ काम है साम को बाजार चलेंगे मेरे साथ '' मैंने हां कर दिया और बोला '' घर वाले जाने देंगे मेरे साथ अकेले'' तो मुस्कुराते हुए बोली ''उसकी चिंता आप छोड़िये मैं बड़ी जीजी जी से पूछ लूंगी '' ! बड़ी जीजी से मतलब मेरी सासु माँ से है ! इसके बाद मैं खाना खा कर कूलर की ठंढी हवा में सो गया तो मेरी नींद करीब 5 बजे खुली , कुछ ही देर में मंजू चाची आई और बोली '' पानी लाऊ '' तो मैंने हां हिला दिया तो ओ गई और कुछ ही देर में फ्रिज का ठण्डा पानी ले कर दिया और फिर सरबत लाइ जिसे पीने के बाद मंजू चाची बोली '' जीजी से पूछ लिया है 6 बजे तक तैयार हो जाइयेगा'' मैंने फिर से गर्दन हिला दिया और मंजू चली गई ! मैं 6 बजे तैयार होकर घर के बाहर पुरुषो के बैठक हाल में आ गया जहा पर ससुर जी पहले से ही बैठे हुए थे ! मेरे आने के तुरंत बाद मेरी सासु माँ आई और ससुर जी से मंजू चाची के मेरे साथ बाजार जाने की बात किया तो ससुर जी बोले ''अरे दामाद तो लड़के जैसा होते हैं उनके साथ जाने में कोई परेसानी वाली बात ही नहीं'' इतना कहने ससुर जी ने नौकर को आवाज दिया और बोले ''बुलट बाहर निकालकर किसी साफ कपडे से पोछ दे'' नौकर ने अपना काम 10 मिनट में कर दिया ! इतने में सासु माँ और बोली ''बेटवा,मंजू पीछे वाले दरवाजे में खड़ी है'' मैं समझ गया की मंजू चाची अपने जेठ जी के सामने मेरे साथ बुलट में नहीं बैठेगी ! तब मैं उठा और बुलट को सेल्फ से स्टार्ट किया और पीछे वाले दरवाजे (गाँव में एक दरवाजा घर के पीछे या बगल में होता है जहाँ से ज्यादातर घर की महिलाओं का प्रवेश/बाहर होता है)के सामने गया जहा पर मंजू पहले खड़ी थी ! मंजू मेरे बुलट पर दुरी बनाकर बैठ गई ! रास्ते भर दूर ही रही एक दो बार जरूर मेरे पीठ पर उनकी चूची टच हुई तोलगा की चूचियाँ टाइट है ! 20 मिनट में बाजार पहुंच गए कई दुकानो में मंजू चाची ने ढेर सारी शॉपिंग किया ज्यादातर दूकान वालों ने हम दोनों को पति-पत्नी ही समझा ! मंजू चाची ने 34 -36 नंबर की ब्रा और पेंटी लिया काटन की एक गाउन भी लिया और कई साड़ियाँ मेकअप का सामान लिया और सभी सामान को एक मजबूत से झोले में रखकर बुलट के पीछे बांध लिया ! मैं समझ गया था मंजू चाची चुदवा सकती है इस लिए एक मेडिकल स्टोर से बिगोरा 100 की 4 टेबलेट और डेटेड कोहिनूर कंडोम ले लिया ! ये सब लेते लेते साम के साढ़े सात बज गए घुप अधेरा हो गया उसके बाद मंजू चाची बोली भूख लगी है तब एक होटल में गया और नास्ता किया तब तक 8 बज गए ! फिर अँधेरे में जैसे ही बाजार से बाहर मिले मंजू चाची मेरे से चिपक कर बैठ गई और बोली ''ज़रा धीरे धीरे चलाइये घर ही तो चलना है'' नहर के किनारे किनारे बाते करते हुए धीरे धीरे चलने लगे पर बुलट की आवाज में मंजू चाची की आवाज दब जाती तो मैंने सोचा क्यों न बाइक रोककर बात कर लूँ तो पेसाब करने के बाइक को रोड से कुछ दूर लेजाकर रोक दिया
उतर कर पेसाब करने चला गया वापस आया तो देखा की मंजू चाची भी बाइक के पास रही थी जब मैं वापस आया तब भी मंजू चाची बिना सरमाये हुए पेसाब करती रही उनके पेसाब करने की ''स्स्स्स् स्स्स्स्स्स्स्स्स्स'' की आवाज सुनाई दे रही थी ! जब मंजू चाची पेसाब कर चुकी तो उठी और मेरा पास आकर खड़ी हो गई और बातें करने लगी तो मैंने अचानक ही उनका हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खीचते हुए किस कर के सीने से लगा लिया, मंजू चाची बिना बिरोध किये मेरे सीने से चिपक गई तो मैंने ताबड़तोड़ कई किस किया और चूची को दबा दिया मंजू चाची ने ज़रा सा भी बिरोध नहीं किया तो मैंने ब्लाउज के अंदर हाथ डालकर चूचियों को खिलाने लगा तो पता चला की मंजू चाची की चूचियाँ एकदम से टाइट थी , निप्पल भी खूब टाइट पड़ चुकी थी ,तब मैंने ब्लाउज का हुक खोला और झुक कर चुचिओं को चूसने लगा मंजू चाची भी मुझे किस करने लगी और अपने हाथो को मेरे कंधे पर रखकर मुझे अपने सीने से चिपका लिया इस तरह से घुप अँधेरे में दोनों एक दूसरे को खूब किस करते रहे फिर मैं बोला ''कैसे मिलूंगा आपसे '' तब मंजू चाची धीरे से बोली '' रात में सभी छत में सोते है आपका भी बिस्तर छत दूंगी आप भी वही सोना मौका मिलते ही रात में आपको अपने कमरे में बुला लुंगी'' [ मकान की दुसरी मंजिल में सिर्फ मंजू चाची के दो कमरे और कमरे के सामने धान के पियरे की झोपड़ी बनी हुई है ] ये सब बात होने के बाद फिर से दोनों घर की तरफ चल दिए बात करते हुए और घर पहुंच कर उन्हें पीछे दरवाजे में उतार दिया और आगे आ गया बाइक खड़ी किया और ससुर जी के पास बैठ गया तो ससुर जी ने पूछा ''इतना लेट कैसे हो गए'' तो मैं दिखावटी नाराजगी ब्यक्त करते हुए कहा ''तालाब में घुसी भैस और बाजार में घुसी लुगाई जल्दी से बाहर नहीं निकलती'' मेरी ये बात सुनते ही ससुर जी जोर जोर से हसने लगे
इतने में सासु माँ सर्बत पानी का गिलास लेकर आ गई और पूछी ''क्या हुआ काहे को इतना हस रहे हैं'' तो ससुर जी ने मेरी कही हुई बात को दोहराया जिसे सुनकर सासु माँ भी हस पडी और माहौल एकदम से बदल गया तो सासु माँ ने मुझे कपडे बदलने के लिए कहकर चली गई तो मैं कुछ देर में उठा और साले साहब केकमरे में चला गया और फुल लोवर और टीसर्ट पहनकर वापस ससुर जी के पास बैठ गया 9 बजे ससुर जी के साथ खाना खाया और ससुर जी के साथ छत में सोने चला गया ! गर्मी के महीने में छत में एक तरफ पुरुष और कुछ दुरी पर महिलाये सोती है बीच में रस्सी के सहारे कपडे टांग कर ओलट बना लेती है ! रात को सोने के पहले बिगोरा 100 की एक टेबलेट खा लिया ! रात के करीब 11 बजे धूल भरी आंधीके साथ साथ पानी के छींटे गिरने लगी तो सभी छत से नीचे अपने अपने कमरे में चले गए पर कुछ देर में गर्मी से घबराकर आधा घंटे में सभी फिर से छत में आ गए रात के करीब 12:30 बजे फिर से पानी के छींटे गिरने लगी तो फिर से सभी भागते हुए नीचे उत्तर गए, मैं भी उतरने लगा तो सासु माँ मेरे पास आई और बोली ''बार बार परेसान मत होइए आपका बिस्तर यही मंजू के कमरे के सामने टपरी में लगा देती हूँ '' और इतना कहकर मंजू चाची को आवाज दिया तो ओ कमरे से बाहर आई तो सासु माँ बोली '' दामाद जी का बिस्तर यही टपरी में लगा दे बार बार सीढ़ी से उत्तर रहे है कही गिर न जाएँ अँधेरे में '' तब मंजू चाची मेरी चारपाई को घसीटते हुए टपरी में ले गई और चादर को झटकने लगी तो ऐसा लगा जैसे कुछ गिरा सासू माँ पाँव से जमीन में टटोलने लगी तो मैंने मोबाइल की टार्च जलाया और दिखाने लगा तो मंजू चाची बोली ''जरा बिस्तर दिखाएँ कोई कीड़ा-मकोड़ा तो नहीं है''
तब बिस्तर तरफ लाइट दिखाया तो मंजू चाची के ऊपर भी हलकी से लाइट गई तो देखा की मंजू चाची बाजार से जो गाउन लाई है वही पहन रखी है ! बिस्तर लगा गया तो मैं बिस्तर में लेट गया और सासू माँ भी मंजू चाची के रूम में मंजू चाची के पास ही दूसरे बेड पर लेट गई ! मंजू ने लालटेन जला दिया तो कमरे में हल्का सा उजाला हो गया ! पर मेरे दिल में अन्धेरा छा गया क्योकि मैं मन ही मन प्लान फेल होने से दुखी हुआ और अपनी किस्मत पर पहले इतरा रहा था मौसम के कारण ओ अब चिढ में बदल गया ! मैं बिस्तर में लेटते ही नकली खर्राटे लेने लगा ! करीब 25 मिनट बाद में ससुर जी ने सासू जी को आवाज दिया तो सासू माँ नीचे चली गई पर मैं अभी भी नकली खर्राटे ले रहा था, करीब 15 मिनट बाद मुझे ऐसा लगा जैसे कोई मेरे कंधे को सहला रहा है मैं समझ गया मंजू चाची अपनी चूत की खुजली मिटाने के लिया मुझे जगा रही है फिर भी मैं सोने की नौटंकी किये जा रहा था इतने में मंजू चाची मेरे गाल पर किस किया और कान में धीरे से बोली ''सो गए क्या'' तब मैं नींद नाटक करते हुए बोला ''कौन है'' तब मंजू चाची मेरे मुँह पर अपना हाथ रखते हुए धीरे से बोली '' मैं हूँ अंजू'' तो मैं मंजू चाची का हाथ पकड़ा और बिस्तर में बिठा लिया और फिर कंधे पर हाथ रखकर झुकाया और किस कर लिया और फिर चूचियों को टटोलने लगा तो लगा बिना ब्रा के ही गाउन पहनी हुई है बड़ी बड़ी टाइट चूचियाँ लटक रही थी मैं गाउन के ऊपर से ही चूचियों को खिलाने लगा और होठो को चूसने लगा इतने में अचानक तेज तेज हवा चलने लगी और जोर जोर पानी गिरने लगा तो मंजू चाची जल्दी से उठी और सीढ़ी की तरफ भागी और सीढ़ी दरवाजा लगा जल्दी से वापस आ गई तो मैंने पूछा कहाँ गई थी तो बोली ''सीढ़ी का दरवाजा बंद करने गई थी'' तो मैंने पूछा क्यों बंद किया तो बोली ''पानी अंदर जाता हवा के साथ और दालान में पानी भर जाता'' तब मैंने मंजू चाची का हाथ पकड़ा और अपनी चारपाई में बिठा लिया और चूची पर हाथ घुमाया तो लगा की ये तो गीली हो गई है !
तब मंजू को बोला ''आप तो गीली हो गई है कपडे बदल लीजिये'' तो कुछ नहीं बोली तो मैंने फिर से उनके ऊपर हाथ घुमाने लगा तो मेरे हाथ को पकड़ कर चूमने लगी तब मैंने उन्हें अपनी तरफ खीच कर चारपाई में लिटा लिया और उनके ऊपर चढ़ गया और किस करते हुए चूचियों को दबाने लगा ! कुछ ही मिनट में मैंने गाउन की चेन को खोल दिया और चूची को चाटने लगा की इतने में मंजू का फोन बजने लगा तो दौड़ कर कमरे में गई और बात करके वापस आई तो मैंने पूछा ''किसका फोन था'' तो बोली ''जीजी का था,पूछ रही थी दामाद जी की चारपाई गीली तो नहीं हो रही तो मैंने कह दिया नहीं'' और इतना कहा कर वापस जाने लगी तो मैंने पूछा ''अब कहाँ जा रही हैं'' तो बोली ''कपडे बदल लूँ'' तो मैं कहा '''ओके'' और धीरे से चारपाई से उठा और खड़ा हो गया जैसे ही मंजू ने गाउन को उतारा तो लालटेन के उजाले में उनका मस्त गदराया हुआ सेक्सी वदन दिखा तो मैं जाकर पीछे से लिपट गया,लिपटे लिपटे ही अपना लोवर और चढ्ढी उतार कर नंगा हो गया और मंजू की चूचियों को दबाने लगा और मंजू को अपनी तरफ घुमा लिया और खड़े खड़े ही मंजू की चूची को चूसने लगी और एक हाथ को दोनों जांघो के बीच में डालने लगा पर जांघे आपस में सटी हुई थी तो मंजू को बिस्तर में बैठा दिया और दोनों टांगो को फैला कर चूत को चाटने लगा मुस्किल से एक मिनट ही चूत चाटा होगा की मंजू चाची गरम आग पड़ गई और अपने चूतडो को बिस्तर में मेरे मुँह की तरफ बार बार टकराने लगी मंजू की चूत मेरे नाक तक से टकरा रही थी मैं समझ गया मंजू बहुत दिन से नहीं चुदाया है इस लिए इतनी जल्दी पागल हो गई चुदाने के लिए तब मंजू को लिटा दिया और फटाक से चढ़ कर लण्ड पेल दिया पानी के बौछार छत पर और मेरे लण्ड की बौछार मंजू की चूत पर मारने लगा मुस्किल में 25-30 झटके ही मारा होगा की मंजू ने मुझे जोर से चिपकाकर ढीली पड़ गई मैं समझ गया मंजू झर चुकी है पर मैं अंतिम पड़ाव इसलिए लगातार झटके मारता रहा और 30-40 झटकों में ही लण्ड से ढेर सारा वीर्य मंजू की चूत में उड़ेल दिया और जोर से चिपका लिया तो मंजू मुझे अपने ऊपर से हटा कर जल्दी से उठी और उठकर बैठ गई तो मैंने धीरे से पूछा ''क्या हुआ" तो बोली ''अभी 4-5 दिन पहले ही सिर धोई हूँ कही गड़बड़ न हो जाए'' (सिर धोया मतलब माहवारी से फ्री हुई) तब मैं फुसफुसाते हुए बोला ''कंडोम तो लोवर की जेब था पर जल्दी जल्दी भूल गया'' तो मेरी तरफ देखि और मेरे गाल पर एक हलकी सी चपत मारा और उठकर खड़ी हुई तो जांघो से वीर्य बहने लगा और बिस्तर में भी ढेर सारा गिर गया तो अपना पुराना पेटीकोट उठाया और पहले जांघो को साफ़ किया फिर बिस्तर वीर्य को पेटीकोट से पोछने लगी और फिर वापस गाउन को पहन कर छत में किनारे बने बाथरूम में पेसाब करने चली गई मैं भी चढ्ढी लोवर पहन लिया और टपरी में अपने बिस्तर पर आकर लेट गया कुछ देर में मंजू आई तो मैंनेहाथ पकड़ कर रोक लिया तो बोली ''रुकिए आती हूँ 5 मिनट 'में'' और कमरे गई 5 मिनट बाद आई तो उनके हाथ में गिलास था मुझे दिया और बोली ''पी लीजिये'' तब मैंने बोला ''पहले आप'' तो फिर बोली ''मेरा जूठन आपको नहीं पिलाऊगी'' तब मैं धीरे से हसा और बोला ''जब आपकी बुर चाट लिया तब ये जूठन बचाने से क्या फायदा'' तो हँसने लगी और बोली '' चलिए पीजिये बहाने नहीं बनाइये'' तब मैं दूध पीने लगा आधी गिलास बचा तो मंजू की पकड़ा दिया जब अंजू दूध पीने लगी और थोड़ा सा दुष बचा उनके हाथ से गिलास लेकर उनका जूठा दूध पी लिया तो मुझे बड़े प्यार से चुम लिया और खाली गिलास लेकर रूम में रख कर फिर से आ गई और मेरे पास बैठ गई ! हल्का हल्का पानी अभी भी गिर रहा था ! मंजू को याद दिलाया सीढ़ी के दरवाजे को खोलने की तो बोली ''पानी गिरने पर ओ बंद ही रहता है किसी को कोई काम होगा तो बजायेगा'' तब मैंने कहा ''फिर कोई बात नहीं'' इतना कह कर मंजू को अपने पास ही बैठा लिया और दोनों बिलकुल धीमी आवाज में बातें करने लगेकुछ देर में मंजू को अपनी चारपाई लिटा लिया और बाते करने लगे !पानी की हलकी हलकी फुहार ने मौसम को ठंडा कर दिया पर मंजू और मेरे जिस्म में और गर्मी और भड़क गई 2 घंटे तक बात करते करते मेरे लण्ड पर बिगोरा का प्रभाव फिर से दिखा,लण्ड तन खड़ा हो गया तो फिर से मंजू की चूचियों से खेलने लगा और होठों को चूसने लगा तो मंजू ने लोवर के ऊपर से लण्ड को टटोलने लगी तब मैंने कान में धीरे से कहा ''चलिए अंदर चलते है'' तो मंजू तुरंत ही चारपाई से उठी और कमरे में घुस गई मैं भी पीछे पीछे चला गया और जाते ही मंजू को गाउन उतारने को कहा तो ओ तुरंत ही गाउन उतार कर रख दिया ,मैंने भी अपने कपडे उतारे और लोवर से कंडोम निकाला और बेड पर रखकर मंजू की टांगो को फैलाया और चूतचाटने लगा मुस्किल से 3-4 मिनट तक चूत चाटा होगा मंजू मुझे पकड़ कर अपनी तरफ खीचने लगी तो मंजू को घोड़ी बनने का इसारा किया तो ओ दो तकिये को अपने पेट सीने के नीचे रखी और तुरंत घोड़ी बन गई तो मैंने फनफनाता हुआ लण्ड एक झटके में ही पेल दिया तो मंजू धीरे से बोली ''इस बार कंडोम लगा लीजिये'' इतना कहकर कंडोम मेरे हाथ में पकड़ा दिया तो मैंने लण्ड निकाला और सुपाड़े को नंगा किया बिना ही कंडोम लगा लिया !
इस बार मंजू ज्यादा देर तक चुदाई के लिए रुकेगी ये सोच कर लण्ड की चमड़ी पीछे किये बिना ही कंडोम लगा लिया और एक बार फिर से चूत को चाटने लगा तो मंजू अपने चूतड़ो को अगल -बगल हिलाने लगी और एक हाथ से मेरे सिर को हटाने लगी तो मैंने चूत चाटना बंदकरके अपना 7 इंची लंबा और खूब मोटा लण्ड मंजू की चूत में पेल कर आगे पीछे करने लगा मंजू बड़े मस्त अंदाज में चुदाने लगी जब मैं लण्ड को आगे पीछे करना बंद कर देता तो मंजू खुद ही अपने चूतड़ो को आगे पीछे करने लगती,मैं झुक झुक कर एक हाथ से मंजू की चूचियों को खिलाता तो मंजू में और अधिक चुदाई का जोश चढ़ जाता तो अपने चूतड़ों को और जल्दी जल्दी आगे पीछे करने लगती इस तरह से करीब 7 मिनट तक लगातार लण्ड की बौछार देता रहा ! उधर पानी जोर जोर से गिरने लगा और मौसम में ठंडक बढ़ गई खुले हुए दरबाजे से पानी के छीटे आ रहे थे पानी की बौछार के साथ साथ कमरे का तापमान कम होता जा रहा था पर मंजू और मेरा तापमान बढ़ता जा रहा था, मंजू को तड़पाने के लिए जब लण्ड आगे पीछे करना बंद कर देता तो मंजू अपने चूतड़ों को खुद ही आगे पीछे करने लगती तो मैं फिर दो चार बार जल्दी जल्दी लण्ड की ठोकर मारता और बंद कर देता तो मंजू फिर से अपने चूतड़ों को जल्दी जल्दी आगे पीछे करने लगती इस तरह से मैंने कई बार लण्ड की ठोकर मारना बंद कर देता तो मंजू से नहीं रहा गया तो ओ मुझे बिस्तर में गिरा दिया और खुद ही मेरे ऊपर चढ़ कर चुदवाने लगी
मेरे सीने में अपने हाथों को रखा और खड़े लण्ड पर मलखम्भ करने लगी लगातार 5 मिनट तक मलखम्भ करने के बाद थक गई और लण्ड घुसाये हुए मेरे ऊपर लेटकर चूतड़ों को हिलाने लगी और मेरी जीभ को चूसने लगी तब मैंने मंजू को नीचे किया और चढ़ गया मंजू के ऊपर मंजू की दोनों जांघो को अपनी जांघो पर रख लिया और मंजू के ऊपर झुकते हुए मंजू की चूचियों को चूसता जाता और लण्ड के जोरदार झटके मारता जाता ! मंजू ने मेरी कमर पर हाथ रखकर मेरे चूतड़ों को आगे पीछे करने में मदद करने लगी मैं मंजू की जीभ, चूची को बीच बीच में चूसता जाता अब मंजू मुँह से जोर जोर से उउउउ आआह्ह्ह्हाह्ह्हआह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स्स आअह आआह्ह की आवाज आने लगी मंजू का चेहरा लाल सुर्ख पड़ गया मंजू ने अपना मुह फाड़कर कही मुह से सीटी लगाने लगती उउउउ आआह् ह्ह्हाह्ह् हआह्ह् ह स्स्स्स्स् स्स्स्स करती जाती मैं लण्ड की जोरदार वारि करने लगा उधर बाहर जोर जोर से वारिस होने लगी वारिस तड़ तड़ की आवाज के आगे मंजू की आवाज दब गई इस तरह से लगातार
आखिरी में तरह से लगातार कई झटके मारने के बाद दोनों एक साथ स्खलित हो गए
लगभग 8 मिनट तक लण्ड-चूत की लड़ाई चलती रही और आखिर में दोनों ने हार मान लिया मंजू ने मेरे पीठ पर दोनों हाथो को रखते हुए कस कर अपने सीने से चिपका लिया मुझे मैं भी सखिलित हो गया और मंजू को चूमते हुए मंजू के ही ऊपर लेट गया ! करीब 3 मिनट बाद मंजू ने अपने ऊपर से उठाया तो मैं उठा और कपडे पहन लिया ! बाहर अभी भी पानी गिर रहा था पूरी छत में पानी बह रहा था ! मंजू नंगी ही दरवाजे के सामने ही बैठ कर पेसाब करने लगी ,फिर कमरे के अंदर आई और बार ब्रा और पेंटी पहन कर गाउन डाल लिया ब्रा का हुक मेरे से ही लगवाया ! और पलट कर मुझे किस करते हुए बोली ''आप बहुत मजेदार हैं'' और इतना कह कर मुझे छोड़ते हुए पास ही रखी गैस चूल्हे को जलाया और दूध गर्म करने लगी तो मैंने कहा अब इतनी रात को दूध नहीं पीउंगा तो हॅसते हुए बोली '' बस पेट भर गया दूध से '' तो मैं हँसते हुए जबाब दिया ''आपके दूध से तो कभी भी पेट नहीं भरेगा'' और इतना कहकर पास में जाकर झुक कर मंजू की चूचियों को दबा दबाने लगा तो मंजू फिर से खड़ी हो गई और मुझे चूमते हुए बोली ''आप बहुत मजेदार हैं'' और बाते करने लगी इतने उफना कर तपेली से बाहर गिरने लगा तो उई माँ करते हुए जल्दी से गैस को बंद किया ! मैं बाहर जाकर देखा तो हलकी हलकी बूंदा बांदी अभी भी हो रही थी मैं छत के एक किनारे पर बैठकर पेसाब किया और अंदर रूम में आया तो मंजू बिस्तर पर लेटी हुई थी, मैं भी पास जाकर बैठ गया तो मंजू बोली ''पानी गिर रहा है क्या'' तब मैंने उन्हें ''हां'' में जबाब दिया तो खुद बाहर निकली और घूम घूम कर देखने लगी और मेरे पास आकर बोली ''आपकी चारपाई अब बाहर कर देती हूँ पानी बंद हो गया'' और मेरे उत्तर प्रतीक्षा किये बिना ही चारपाई को घसीटने लगी तो आवाज आने लगी तब मैंने चारपाई का दुसरा सिरा पकड़कर उठा लिया और बाहर छत में लगाया और दोनों चारपाई गए और बाते करने लगे तो मुझे नींद आने लगी और मैं कब सो गया पता ही नहीं चला ! मेरी नींद सुबह साढ़े छः बजे खुली तो देखा की चारो तरफ उजाला फैला हुआ है ! मैं उठकर चारपाई में बैठ गया और इधर उधर देखने लगा इतने में सासु माँ पानी की बोतल और एक गिलास लेकर आई और पानी दिया मैं पानी पीने लगा और सासु माँ मंजू के कमरे के पास गई और दरवाजे को ठोकने लगी और मंजू मंजू कहकर आवाज देने लगी तो मंजू चाची उठ गई तो सासु माँ ने मंजू से कुछ कहा और छत से नीचे चली गई ! कुछ देर में मंजू चाची साड़ी-ब्लाउज में मेरे पास आई और पानी पीने लगी और धीरे से बोली ''बहुत अच्छी नींद लगी'' इतना कहकर मुस्कुराई और छत से नीचे चली गई और कुछ देर में वापस आई उनके हाथ में नीम की दातुन थी जिसे मुझे दिया ,दातुन के बाद मैंने चाय पीया और छत से नीचे आ गया सुबह का नास्ता किया और करीब 8 बजे अपनी कार से वापस गया ! दिसंबर 2014 में मंजू चाची मेरी पत्नी के साथ मेरे यहाँ आई तो मौका पाकर दर्शन के बहाने होटल में भी लेजाकर चोदा ! (होटल की चुदाई बिस्तार से सुनाऊंगा)
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06-10-2021, 12:01 PM,
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desiaks
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
ऊऊऊहह दीदी बहुत मज़ेदार है तेरी
मैं सीमा हूँ.. और मेरी फिगर 36-25-38 है. गणेश मेरा भाई अभी कुँवारा है. मैं भी कई महीनो से एक अच्छे लंड की तलाश में थी, जो कहीं आज मिला था मुझे. मेरा पति साला 4 इंच का लंड लेकर मुझे चोदने लगता है तो मैं संतुष्ट नहीं हो पाती. कई मर्दों के साथ संबंध बना चुकी हूँ, लेकिन
मेरी चूत हमेशा भूखी रह जाती है. मेरे पति के बॉस ने मुझे एक बार अपने पार्ट्नर के साथ मिल कर दो दो लंड के साथ चोदा था, लेकिन कुछ वक्त से पति के बॉस का भी तबादला हो गया और अब मुझे लंड की कमी महसूस होती है.” सीमा, मेरी प्यारी दीदी, तू भी हमारी मम्मी जैसी चुदकर हो. मम्मी का भी एक मर्द से गुज़ारा नहीं होता।
आज सुबह जब वो रसोई में खाना बना रही थी तो उसकी चुचि ब्लाउस से बाहर झाँक रही थी. उसी वक्त फोन आया तो मम्मी ने उठाया. दूसरी तरफ से मनोहर अंकल ने कहा” रानी, आज अपनी चूत को शेव कर लो, तुझे मैं और दिलबाघ दोनो चोदने वाले हैं… दिलबाघ तुझे ना जाने कब से चोदने के लिए मिन्नते कर रहा है… तुम ठीक 5 बजे होटल संगम पहुँच जाना, मेरी रानी.., आज तेरी दीवाली मनाएँगे…” मैं उस वक्त उन दोनो की बातें सुन रहा था. मेरा तो दिल कर रहा था की मम्मी को वहीं चोद डालूं, पर मैं इस बात पर खुश था की आज शाम को अपनी सीमा दीदी के साथ मजे करूँगा. सच सीमा, मैने आज तक तेरे जैसी औरत नहीं चोदी…”
मेरे बारे में मेरे भाई को कुछ दिन पहले ही पता चला था. मेरा भाई मुझसे मिलने आया था. मेरा पति अपनी दुकान और मेरी सास बाज़ार गयी हुई थी. मुझे यही मौका था और मैं अपने जवान नौकर से चुदवाने लगी. मेरा नौकर रामू भी जानता था की मैं लंड की प्यासी हूँ क्योंकी वो मेरे पति की नामर्दानगी के बारे में जानता था।
रामू उस वक्त टेबल सॉफ कर रहा था जब मेरी सास बाज़ार गयी. मैने रामू को पीछे से पकड़ लिया और उसके मस्ताने लंड से खेलने लगी, ” क्या बात है.., मालकिन, आज बड़ी मस्ती में हो.., कहीं मेरा केला खाने का इरादा तो नहीं है?” मैने उसके पजामे को नीचे सरकाते हुए उसका लंड मुहँ में डाल लिया. रामू मेरी आदत जानता था की मुझे केला खाने की आदत है।
रामू बोला,” सीमा मालकिन क्यों ना आज तुझे तेरी सास के बिस्तर पर चोदा जाए… उसको भी मेरा केला बहुत पसंद है.. अब तो सास बहू दोनो को एक ही लंड से गुज़ारा करना पड़ेगा… साली बुडिया भी लंड की शौकीन है, आपकी तरह..”
रामू मुझे उठा कर सासू माँ के बिस्तर पर ले गया और मुझे नंगा करने लगा. मेरे चूतड़ पर हाथ फेर कर बोला,” सीमा आज ना जाने क्यों तुझे कुत्तिया बनाने का मन कर रहा है… तुम मालकिन भी हो और मेरी रांड़ भी… अगर मैने अपनी मालकिन की सवारी नहीं की तो दुनिया क्या कहेगी? आपकी सास तो मेरे लंड की सवारी करने का शौक रखती है… आपके चूतड़ मुझे बहुत आकर्षित करते है.. अगर एतराज़ ना हो तो जल्दी घोड़ी बन जाओ… बुडिया का कोई पता नहीं कब आ टपके..”
मैं झट से घोड़ी बन गयी. वैसे तो मैं हर आसन में चुदाई का आनंद ले चुकी हूँ, लेकिन घोड़ी बन के मर्द के सामने झुकना मुझे मर्द के आगे समर्पण करने के बराबर लगता है. मैं नौकर के आगे झुकी तो उसके चेहरे पर जीत भरी मुस्कान थी. उसने एक ही धक्के में अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया. उसके हाथों ने मुझे चूतड़ से कस के पकड़ रखा था. लंड मेरी चूत चोद रहा था और मेरी चूत सावन के गीत गा रही थी. रामू ने मुझे बालों से खींच कर चुदाई शुरू कर दी. वो मेरे बालों को एसे खींच रहा था जैसे घोड़ी की लगाम खींच रहा हो।
हम दोनो को पता ही नहीं चला की कब से मेरा भाई गणेश हम दोनो को देख रहा था. हम जल्दी में डोर बंद करना भूल गये. मैने उत्तेजना वश आँखें बंद कर रखी थी और एक कुत्तिया की तरह हाँफ रही थी. रामू का लंड किसी पिस्टन की तरह मुझे चोद रहा था,” अहह…..ज़ोर से चोद….रामू….चोद मुझे माँदरचोद….मेरी चूत की आग बुझा साले रामू, चोद ज़ोर से मेरी चूत….है मैं मरी जा रही हूँ…बहनचोद ज़ोर से डाल,” मैं चीख रही थी और रामू लगातार तेज़ धक्के मार रहा था।
उसका लंड भी अब झड़ने को था और वो बोल रहा था,” सीमा…साली रांड़…क्या मस्त माल है तू….अच्छी है तेरा पति नामर्द है वरना एसी मख्खन जैसी चूत मेरी किस्मत में कहा होती….वा मालकिन…मेरी रंडी मालकिन…..चुदवा रामू के मस्त लंड से,”
हम दोनो थोड़ी देर में झड़ गये और रामू काम करने लग गया. गणेश शायद हमारी बेशर्मी देख कर दरवाज़े से हट गया और बाहर चला गया था क्युकि वो थोड़ी देर से घर में दाखिल हुआ. मैं अपने कपड़े बदल चुकी थी और जब अपने छोटे भाई को देखा तो सिर पर दुपटा लेकर उसका स्वागत करने पहुची. मैने अपने भाई के चरण स्पर्श किए जैसे की हमारा रिवाज़ है. कमरे में कोई नहीं था. गणेश मुझे अजीब नज़रों से देख रहा था. उसने मुझे आलिंगन में लेते हुए सीने से लगा लिया।
मेरी चुचि जो के बहुत बड़ी है, मेरे भाई के सीने में धस गयी. उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए पूछा,” दीदी, क्या नौकर अब पति से बढ़ कर है तेरे लिए? जब मैने आपको उसके सामने मर्दजात नंगी होकर घोड़ी बने हुए देखा तो मुझे बहुत शर्म आई… क्या अब रामू का दर्ज़ा मेरे जीजा का हो चुका है? क्या अब मेरे घर की इज़्ज़त नौकर के लंड की मोहताज़ हो चुकी है? क्या अब इस घर में मर्दों की कमी है? अगर जीजा जी में दम नहीं था तो कम से कम अपने भाई तो अपना लिया होता… गणेश साला, रंडी के कोठे पर पैसे देकर चूत मागता फिरता है और उसकी बहन नौकरों को फ्री में बाँट रही है… सीमा, तुझे नंगी देख कर मैं पागल हो चुका हूँ… अब से रामू की छुट्टी कर दो और मुझे अपना पति बना लो… मेरे लंड को देख लो, पूरा 9 इंच का है,” कहते ही उसने अपनी पेंट की ज़िप खोल डाली।
उसका मोटा लंड बहुत प्यारा लगा. लेकिन एक बात मुझे सता रही थी,” गणेश, बहनचोद साले अपनी ही बहन को चोदोगे तुम? अगर ऐसा ही करना था तो मेरी शादी उस नपुंसक से क्यों की थी, जिसकी कमी मैं नौकर से पूरी कर रही हूँ… भाई, बहन को भाई नहीं चोदा करते… भाई के लिए तो भाभी होती है..”
गणेश मेरी बात पर हंस कर बोला,”सीमा, अगर रामू तुझे चोद सकता है तो गणेश में क्या कमी है? जीजा जी की कमज़ोरी का दुख तुझे ही क्यों उठना पड़े? भाई का फ़र्ज़ बनता है की अपनी बहन को हर मुश्किल से निकाले, उसको हर खुशी दे जिस पर उसका हक बनता है… और दीदी, तुझ जैसी सुन्दर और सेक्सी औरत की सेवा करना तो खुशकिस्मत भाई को ही मिलता है… मेरा बस चलता तो मैं तेरी शादी कभी ना होने देता… तुझे अपना बना कर रखता… लेकिन फिकर मत करना… अब तुम मेरी हो… आज से तुझे चूत ठंडी करवाने के लिए किसी के पास जाने की ज़रूरत नहीं है… मैं तेरी सास को बोल दूँगा की मेरे पास अपनी दीदी के लिए अपने ऑफीस में काम है जिसको कर के दीदी के पैसे भी बन जाएँगे और टाइम भी पास हो जाएगा… बुडिया लालची है, शक नहीं करेगी और मान जाएगी… तुम रोज़ मेरे ऑफीस चली आना और हम मेरे कमरे में खूब मौज करेगे… मैने वहाँ बिस्तर पहले ही लगा रखा है.” गणेश ने अपनी पूरी स्कीम मुझे बता डाली।
“लेकिन गणेश, लोग क्या कहेंगे? किसी को शक नहीं होगा?” मैने अपने मन की आशंका बताई.” दीदी, शक कैसा? तुम मेरी बहन हो… क्या बहन अपने भाई के ऑफीस में जॉब नहीं कर सकती? अब सोच विचार का वक्त नहीं है, तुम हां कर दो… बाकी मैं खुद देख लूँगा.” मेरी चूत ने मुझे सोचने का मौका ही नहीं दिया. साली अपने भईया के लंड की खुशबू सूंघ कर मस्ती से भर गयी और मैने भईया की ऑफर मान ली. सासू माँ ने गणेश की बात झट से स्वीकार कर ली. शायद उसके लिए अब रामू से चुदवाने का खुला मौका था. खैर अगले दिन मैं गणेश के ऑफीस जा पहुँची।
ऑफीस काफ़ी बड़ा था. ऑफीस के पीछे भईया का रूम था जिस में वो काम भी करता था और आराम भी. कमरा काफ़ी बड़ा था जिसमें गणेश ने एक फ्रिज, टीवी, कुछ Cd, एक ड्रिंकिंग बार और एक डबल बेड रखा हुआ था. डबल बेड पर सफेद रेशमी
चादर बिछी हुई बहुत सेक्सी लग रही थी. “क्यों कैसा लगा, सुहागदिन का बिस्तर, दीदी? साथ में बाथरूम भी है, जिसमे मेरी प्यारी दीदी बाथ ले सकती है… ऑफीस का कोई आदमी इस कमरे में नहीं आ सकता.. यहाँ हम पति पत्नी बन कर रहा करेंगे,”कहते ही गणेश ने मुझे पीछे से जकड़ लिया और मेरी चुचि को दबाने लगा। मेरी उतेज्ना बढ़ने लगी और चुचि खड़ी होने लगी. गणेश के गर्म साँसें मेरे गालो से टकराने लगी और वो ज़ोर ज़ोर से मेरी चुचियाँ भींचने लगा.”उहह गणेश, क्या कर रहे हो.. मुझे अभी साँस तो लेने दो… क्या मुझे बस चोदने के लिए ही बुलाया है… तू तो किसी चूत के भूखे लड़के लग रहे हो… उईईई धीरे से दबाओ ना, ये तेरी बहन की चुचि है, किसी रंडी की नहीं… भाई, तेरा लंड मेरे नितंभों में घुस रहा है, इसको संभालो ज़रा!”
गणेश कहा रुकने वाला था. भाई ने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए. खिड़की के शीशे में से बारिश होती दिख रही थी और उधर बहन नंगी हो रही थी. मेरा गोरा बदन पेंटी और ब्रा में खड़ा मेरे भाई के लिए हाज़िर था. गणेश मेरी सुडोल जांघों को घूर रहा था, मेरे उभरे नितंभ स्पर्श कर रहा था, मेरी चूची से खेल रहा था और मेरे मसल जिस्म के नशे में झूम रहा था. मेरी वाइट पेंटी के नीचे मेरी चूत किसी डबल रोटी जैसी फूली हुई थी. मेरी भूरी आँखें मदहोशी से बंद हो रही थी. चूत में चीटियाँ दौड़ रही थी. मेरा सारा बदन गंनगना चुका था. मेरे भाई ने अपना हाथ बढ़ा कर मेरी फूली हुई चूत को ज़ोर से मसल दिया. मेरी चूत से रस की धारा बहने लगी और मैने अपनी जांघें भींच ली. मैने अपना नंगा जिस्म जब मिरर में देखा तो अंदर की आग और भी भड़क उठी. मैने भईया की पेंट के ऊपर से उसका खड़ा लंड पकड़ लिया.. लंड किसी साँप की तरह फूंकार रहा था. मेरी चूत अब कामुकता की आग मैं जल रही थी।
“भईया, अब देर मत करो, मेरी चूत को तुम ने गर्म कर दिया है, अब जल्दी से डालो अपना लंड इसमे, प्लीज़,भईया ,” कहते ही मैने भईया की पेंट उतार डाली और उसके काली झांठो में उठ रहे लंड को देख कर मेरी हरामी चूत खुशी के आँसू बहाने लगी. आज मेरा सगा भाई, अपने लंड से मुझे चोदने वाला था. गणेश ने मेरी अंडरवियर नीचे सरका दी और मेरे ब्रा को खोलने लगा. ब्रा के खुलते ही मेरी गोरी चुचि के ऊपर ब्राउन रंग के चुचक भईया के हाथों में आ गये. गणेश ने मेरे चुचक मुह में ले लिए और चूस लिया,” आआआहह….भैय्आआआ,,,,,चूसो भईया….मेरे निपल्स चुसो….अपनी बहन का दूध पियो….याया….ऊऊऊओह…..मेरी फुददी मारो भईया,” मेरे मुख से बरबस ही निकल गया. मैं आप को बता देना चाहती हूँ की चुदाई के वक्त मैं गंदी गंदी गालियाँ बकती हूँ।
गणेश किसी बच्चे की तरह मेरा दूध चूसने लगा. मेरे चुचक उसके थूक से भीग गये और मैं मस्ती से झूमने लगी. गणेश का एक हाथ मेरी चूत पर रेंग रहा था. मैने चूत को बिल्कुल सॉफ किया हुआ था और मेरी चूत रस टपका रही थी. गणेश ने एक उंगली मेरी चूत में धकेल दी तो मैं सिसकारी भरने लगी. मैने भी हाथ नीचे कर के भईया के लंड को मुठियाना शुरू कर दिया और उसके अंडकोष से खेलने लगी।
गणेश मेरे निपल्स से अपने होंठ हटाता हुआ बोला,” सीमा, आज तक ऐसा जिस्म नहीं देखा मैने. अगर इजाज़त हो तो तेरी चूत का भी स्वाद चख लू… तेरी मख्खन जैसी चूत मेरे लिए आज तक एक सपना ही थी.. इसको चाट लेने दो मुझे.. दीदी” मैं भी यही चाहती थी. मेरा पति मेरी चूत बहुत चाटता था, लेकिन वो बहनचोद चोदने के लायक नहीं था और रामू चोद तो लेता था, मैं उसको कभी चूत चाटने का मौका नहीं देती थी. आज गणेश मुझे चाटने और चोदने वाला था. मैने कमरे की खिड़की खोल दी और बारिश की बोछारे मेरे नंगे चूतड़ पर गिरने लगी,” भईया, जब लाज शर्म छोड़ ही दी है तो जो दिल मैं आए सब कर लो, सीमा दीदी पर अब तेरे हक की कोई सीमा नहीं है… मुझे भईया अपना लंड चुसवाओ… मैने आज तक अपने पति का लंड नहीं चूसा, तेरा चूस लूँगी, तुझे ही अपने दिल से अपना पति मान लिया है मैने, लाओ मुझे भी अपना केला खिला दो..”
गणेश बिस्तर पर साइड लेकर लेट गया और मैं उसके पैरों की तरफ मुहँ करके लेट गयी जिस कारण मेरा मुहँ भईया के लंड के सामने आ गया और मेरी चूत गणेश के मुहँ के सामने आ गयी. हम ने 69 बना कर चूसना शुरू कर दिया. गणेश झूठ नहीं बोल रहा था जब उसने कहा था की उसका लंड 9इंच का है. उसका गुलाबी सूपड़ा मेरे मुहँ में फिट नहीं हो रहा था. उधर गणेश मेरी चूत को फैला कर अपनी ज़ुबान अंदर घुसेड रहा था. गणेश ने मेरे चूतड़ थाम रखे थे और मैं भईया के अंडकोष सहला रही थी. कमरा कामुकता से भरा हुआ था और चूमने चाटने की आवाज़ें सॉफ सुनाई पढ रही थी. गणेश का लंड एक लोहे के डंडे की तरह खड़ा था. मैने अचानक उसके अंडकोष मुहँ में ले लिए और चूसने लगी।
कोई 15 मिनिट के बाद गणेश ने अपना मुहँ मेरी चूत से हटा लिया और बोला,” सीमा अगर तुमने और अधिक लंड चूसा तो मैं झड़ जाउंगा… अब तुम एक बार घोड़ी बन जाओ… मैने जब से तुझे उस कमीने नौकर के सामने घोड़ी बने देखा है, तुझे घोड़ी बना कर सवारी करने का सपना देख रहा हूँ… चलो दीदी, अब घोड़ी बनो अपने भाई के लिए,” मैं अपने भाई की बात कैसे टाल सकती थी. मैं पलंग को पकड़ कर घुटनो के बल घोड़ी बन गयी.. गणेश ने मेरी गांड को प्यार से सहलाया और फिर अपने लंड को मेरे चूतड़ की दरार से मेरी चूत में धकेल दिया. मेरी चूत से रस बह रहा था लेकिन भईया का लंड इतना बड़ा था की मेरी चूत गंनगना उठी. ऐसा लगा की मेरी चूत में एक जलता हुआ शोला डाल दिया हो.
“हा..आई…..भईया….धीरे…ई….बहुत बड़ा है आपका भईया… गणेश साले तेरा लंड किसी गधे के लंड से कम नहीं है,,,,,,मुझे बहुत मजा दे रहा है……चोदो भईया पर धीरे धीरे….मैं तेरी बहन हूँ साले कोई बज़ारु औरत नहीं…..ओह भईया चोदो…” मेरे मुहँ से चीख निकली. गणेश नहीं रुका. उसने अपना लंड डालना जारी रखा. मेरी गांड को पकड़ कर वो धक्के मारने लगा और 9 इंच के लंड ने भी अब मेरी चूत में जगह बना ली थी. मेरी चुचि झूल रही थी जिसको भईया ने पकड़ लिया और ज़ोर जोर से मसलने लगा. भईया के अंडकोष मेरी गांड से टकराने लगे. मैं पसीने से भीग चुकी थी. भईया हाँफ रहे थे लेकिन मुझे चोद रहे थे।
“सीमा, तुम मेरी पत्नी बनने लायक हो…काश ऐसा हो सकता….ओह मेरी बहना…मेरी पत्नी बन जाओ…..कितनी सेक्सी और चुदकर हो तुम मेरी बहना,” गणेश बोल रहा था और मैं अपने चूतड़ पीछे धकेल कर उसका पूरा लंड अपनी चूत में ले रही थी.” भईया, मुझे अपनी पत्नी ही समझो…..अगर तुम कहो तो मैं तलाक़ ले सकती हूँ…तेरे जैसे मर्द के लिए तलाक़ तो क्या मैं क़त्ल भी कर सकती हू…..हम अदालत से कह देंगे की मेरा पति नामर्द है…साला खुद ही तलाक़ दे देगा अपनी इज़्ज़त की खातिर….फिर हम इस शहर को छोड़ देंगे और तुम मुझे बीवी बना लेना, ठीक है ना?” गणेश मेरी बात सुन कर बोला,
‘ मैं एक ऑफीस भोपाल में खोल रहा हूँ, तुझे वहाँ अपनी पत्नी बना के ले जा सकता हूँ, लेकिन हम माँ को क्या कहेंगे? क्या माँ मान जाएगी?” गणेश बोला।
मैने कहा,” भईया माँ को भी तो चुदवाने की आदत है, हम उसको ब्लॅकमेल करेंगे तो उसको हमारी शादी के लिए मानना ही पड़ेगा. और हो सकता है की माँ भी तुझ से चुदवाने को तैयार हो जाए. बस फिर तेरी तो दो दो पत्नियाँ हो जाएगी… माँ भी और बेटी भी!” गणेश मेरी बात सुन कर बहुत खुश हुआ. उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और बोला”पहले तुझे तो पूरी तरह अपना बना लू.. फिर माँ को चोद लूंगा… पहले पूरा बहनचोद तो बन जाऊ.. फिर माँ चोद भी बन जाउंगा… कहते है की जब तक लंड गांड में ना डाला जाए, औरत पूरी तरह अपनाई नहीं जाती, अब में तेरी गांड चोदने वाला हूँ, दीदी. औरत के जिस्म के तिन छेद होते है, मुहँ, चूत और गांड. मैं तेरे सभी छेद पर अपना क़ब्ज़ा करना चाहता हूँ. मुझे अपनी गांड समर्पित करने को तैयार हो बहना?”
“गणेश, तुमने ही तो कहा था की हम सुहाग-दिन मना रहे हैं.. अगर तुम मेरे सुहाग ही हो तो फिर सवाल कैसे? तेरी बहन ने अपनी गांड कुँवारी रखी है तेरे मस्त लंड के लिए.. अब इसकी सील तोड़ डालो मेरे भाई. लेकिन ध्यान रहे मुझे दर्द ना हो,” मैने सुन रखा था की गांड मरवाने में बहुत दर्द होता है… गणेश उठा और फ्रीज से मख्खन ले आया और उसने मख्खन मेरी गांड पर लगाया और उंगली से मुझे गांड में चोदा और फिर ढेर सारा मख्खन अपने लंड पर लगा कर मेरे पीछे खड़ा हो गया और मेरी गांड पर अपना टोपा रगड़ने लगा. मेरी गांड चाहती थी की लंड उसमे घुस जाए. मैं हाथ पीछे ले गयी और उसके लंड को अपनी गांड की तरफ खिचती हुई बोली,” भईया, अब क्यों तडपा रहे हो अपनी रांड़ बहन को.. अब चोद लो उसकी गांड भी…जमा लो दीदी पर क़ब्ज़ा…अपना लो अपनी सीमा को!”
गणेश ने धीरे से लंड अंदर डाल दिया. उत्तेजना अधिक होने से मुझे दर्द कम हुआ. मैने गांड को ढीला छोड़ दिया था. पहले तो मेरा मन घबरा रहा था लेकिन फिर मुझे मजा आने लगा. मेरा भाई मुझे चोद रहा था और मैं कुत्तीया की तरह मजे से गांड मरवा रही थी,’ ओह….सीमा मेरी रांड़ वाह तेरी गांड,,,,,मैं अब अधिक देर टिक ना पाऊंगा…मेरी रंडी सीमा,,,,मेरा लंड अब पिचकारी छोड़ने को है….ऊऊऊहह दीदी बहुत मज़ेदार है तेरी गांड….मैं झड़ने को हूँ…ऊऊऊऊहह गणेश का हाथ नीचे से मेरी फुद्दी सहला रहा था।
मेरी चूत में पानी छोड़ रही थी. मैं भी चाहती थी की अब भईया काम खत्म कर दे. मैने ज़ोर ज़ोर से अपनी गांड पीछे धकेलनी शुरू कर दी और मेरी चूत का रस भईया के हाथ पर जा गिरा,” अहह..भईया…मैं भी झड़ गयी…डालो ज़ोर से भाई….मेरी चूत गई…ऊऊऊहह उफफफफफफ्फ़…हइईईई…मेरी माँ”
ओर हम दोनों झर गये. ओर कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे ओर बाद में दोनों ने कपडे पहने।
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06-10-2021, 12:02 PM,
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
चुदाई के शोले-1
हेल्लो दोस्तों, आप लोगो चुदाई की बहुत सारी कहानियाँ पढ़ते है. लेकिन क्या आप ने चुदाई के शोले के बारे में सोचा है. अगर वही किरदार सेक्स के उपर आप का मन लुभाए तो. चलिए आप के लिए पेश है, अब तक की सारी सेक्स स्टोरीस मैं सब से अलग सेक्स स्टोरी……!!!
जय तेरा लंड ढीला क्यूँ हैं इतना
जय और वीरू खेत में हगने बैठे थे. जय का लंड ढीला देख के वीरू बोला: जय पाजी, आप का लंड ढीला क्यूँ हैं.
जय: अबे क्या बताऊँ तुम्हे, वोह जेलर हैं ना, अंग्रेज के ज़माने का कल उसने शाम को मेरे लंड को चूस चूस के पूरा मुठ निगल लिया. चलने के भी होश नहीं थे, साले ने कोई वायेग्रा नाम की गोली मंगवाई थी जिस से लंड बैठ थी नहीं रहा था. लेकिन वीरू तेरी गांड के उपर यह निशान कैसे हैं…?
वीरू: जय पाजी, आप को जेलर बुलाये और हम ना आये. लेकिन मैं जैसे ही कोटडी में घुसने वाला था की जेलर के हवलदारोने मुझे ले दबोचा. साले मुझे एक खाली कोटडी में ले गए और आधे इधर से लंड चुसाते थे और आधे पीछे से गांड मारते थे. और बाकी बचे वो दरवाजे पे खड़े देख रहे थे. जम के चुदाई कर दी सालो ने गांड की. साला मुझे अब भी गांड में दर्द हो रहा हैं. जय पाजी एक बड़ा हाथ मार लेते है और कहीं दूर चले जायेंगे इस चोरी चमारी की दुनिया से. मैं खेतो में हल चलाऊंगा और जो मजदुर लडकियां खेतो में काम करने आएँगी उनकी चूत मारूंगा.
जय: अबे भोसड़ी के, तूने मुठ मारने के अलावा कभी कुछ किया भी हैं, जो बड़ी बड़ी बातें कर रहा हैं. साले गांड धो और उठ. गाँव से बाबू लोहार की चिठ्ठी आई हैं. तू गब्बर सिंह और ठाकुर की बात जानता हैं?
वीरू: नहीं, कौन गब्बर वही जो गांड मारने का सौखीन हैं.?
जय: हाँ वही, उसने पिछले महीने ठाकुर की गांड मार ली और साथ ही साथ उसकी नसबंदी भी कर दी. अब ठाकुर चोद तो सकता हैं लेकिन समझ गया ना.
वीरू: हाँ, हाँ, हाँ…जय पाजी, यह वही ठाकुर हैं ना जो एक साथ 3 3 रांडो को अपनी हवेली में ले के जाता था चुदाई करने के लिए.
जय: हाँ वही ठाकुर. लेकिन अब वो इतना सदमे में चला गया हैं की उसकी मुठ भी घर का नौकर रामलाल मार के दे रहा हैं. उसकी एक बहु भी हैं घर में राधा नाम हैं उसका, एक बार खेत में 2 लोंडो से वो चुदवा रही थी. उसे ऐसे चुदवाते देख उसके पति को दिल का दौरा पड़ा और वो मर गया. अब रामलाल एक तरफ ठाकुर को मुठ मार के देता हैं और रात के सन्नाटे में राधा की चुदाई करता हैं.
वीरू: लेकिन लौड़े, तू मुझे क्यों बता रहा हैं यह सब. हमारा क्या फायदा हैं, गब्बर ने ठाकुर की मारी, रामलाल ठाकुर की मुठ मारता हैं और राधा की चुदाई करता हैं. इन सब में हमें क्या दिलचस्पी बे लौडू.
जय: कर दी ना बेंचोद लंड जैसी बात. साले ठाकुर ने ऐलान किया है की जो गब्बर की नसबंदी कर के उसे उसके पास लाएगा वो उसे 50,000 रूपये देगा और गाँव में 2 एकर जमीन भी देगा.
वीरू: ओह अच्छा, लेकिन गब्बर सिंह तो बड़ा डाकू हैं ना. उसे पकड़ना तो मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हैं. उसे तो 11 रंडी खाने की रंडिया भी ढूंढ रही हैं क्यूंकि साला उनकी फ्री ,में चुदाई भी करता था और उनके कपडे भी उठा ले जाता था जब वो 19 साल का था और तब वो डाकू नहीं था.
जय: अबे साले अगर हम गांडू लोगो की एक्टिंग करेंगे तो हमें गब्बर के दरबार में पेश किया जाएगा. तब हम चुपके से उठे वहाँ से उठा लेंगे.
जय और वीरू इस बात पर सहमत हुए और वो दुसरे दिन सुबह की बस से रामनगर जाने के लिए निकल पड़े. उन्हें पता नहीं था की गब्बर बायसेक्सुअल था और उसे लंड और चूत दोनों से खेलने का सौख था. यह तो रामनगर जाते ही अपनी गांड लोगो से मरवाने लगे. जय और वीरू बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन और मूवी थियेटर में लोगो को उकसाते थे और अपनी गांड की चुदाई करवाते थे. उनको ऐसे था की ऐसा करने से उनकी रामनगर में गांडू के तौर पर ख्याति होंगी और गब्बर उन्हें पकडवाएगा. एक दिन शाम को वो इनाम की बात करने के लिए ठाकुर की हवेली पर पहुंचे. ठाकुर कमरे में बैठा हुक्का पी रहा था, रामलाल ने चारपाई के निचे एक थूकदान रखी थी. इस थूंकदान में ठाकुर हर तीसरी मिनिट थूंकता था. जय और वीरू अंदर आये.
जय: नमस्ते ठाकुर साहब.
ठाकुर: कौन हैं बे तू भोसड़ी के.
वीरू: ठाकुर साहब आप को याद हैं जब आप रायगढ़ थाने में बंध थे, वो चोरी के इल्जाम में. तब रात को आप के मुहं पर पट्टी बांध के दो लोगो ने आपकी गांड चुदाई की थी. हम वही दोनों हैं.
ठाकुर यह सुनते ही लालपिला हो गया. रामलाल की तरफ देख के वो चीखा: रामलाल, लाओं मेरी बंदूक बेन्चोदो ने दो घंटे तक मेरी मारी थी. लाओं जल्दी लाओं.
रामलाल बंदूक लेने भागा. जय और वीरू की गांड फट गई. उन्होंने ठाकुर के पांव पकड़ के माफ़ी मांगी. ठाकुर ने एक शर्त पे उनको माफ़ किया की वो लोग बारी बारी उसका और रामलाल का लंड चूसेंगे. दोनों जब दो बड़े बड़े लौड़े चूस के फारिग हुए तो ठाकुर बोला: अब बताओ भोसड़ी के लौड़ा चूसने के सौख से आये थे की कुछ काम था.
जय: ठाकुर साहब हम यहाँ गब्बर की गांड मारने आये हैं.
तुम गब्बर की चुदाई नहीं करोगे, वोह मेरा शिकार हैं
ठाकुर चीखा: तुम गब्बर की गांड नहीं मारोगे. वो मेरा शिकार हैं. उसकी गांड की चुदाई मेरे लंड से होंगी. इस लंड ने आज तक 1000 चुतो की चुदाई की हैं. लेकिन साले ने मेरे लंड को चुदाई के काबिल नहीं छोड़ा. लेकिन मैंने भी बोम्बे से एक रबर का लंड मंगवाया हैं जिसे डिल्डो कहते हैं. उसने मेरी गांड की चुदाई 8 इंच के लंड से की थी. मैंने उसके लिए 12 इंच का डिल्डो मंगवाया हैं. एक बार वो हाथ में आ जाए, साले की गांड की खाल उखेड लूँगा.
जय: ठीक हैं, ठाकुर साहब आप कहेंगे ऐसा ही होगा. लेकिन वो इनाम वाली बात.?
ठाकुर: हाँ तुम्हे गाँव में दो एकड़ जमीन और 50,000 रूपये भी मिलेंगे. लेकिन गब्बर मुझे चाहिए बस.
वीरू: चलो ठीक हैं ठाकुर साहब. हम गब्बर को आप के हवाले कर देंगे.
ठाकुर: तुम लोग पहले वादा करो के तुम गब्बर की गांड नहीं मारोगे.
जय: हम वादा करते हैं ठाकुर साहब.
सेक्सी राधा की लंड की प्यास
चुदाई की सौखीन सेक्सी राधा
सेक्सी राधा
जय और वीरू ठाकुर के घर से बाहर निकले और जब वो लोग उसकी बाउंड्री वाल से निकल रहे थे की उन्होंने एक 23 साल की लौंडी को देखा जो फ्रूट ठेले वाले से लड़ रही थी.
ठेले वाला: अबे राधा बिटिया, कच्चे केले भला बेचता हैं, क्या कोई ठेले में…?
राधा: मुझे नहीं पता वो, मुझे कच्चे केले चाहिए, आप कहीं से भी ला के दो. और अगर वो ना मिले तो ककड़ी या पतली दुधी ले आना. यह क्या छोटी छोटी सब्जी ले के आते हो, बैगन, चोली वगेरह. मुली भी तो नहीं लाते आप.
ठेलेवाला: ठीक हैं राधा बिटिया, हम आप को कल ला के देंगे.
ठेलेवाले के जाते ही जय और वीरू ने राधा की चुदाई करने की योजना बनाई. जय राधा के पास गया और बोला: हमें पता हैं की कच्चे केले कहाँ मिलते हैं.
राधा: अच्छा, कहाँ पर.
वीरू: उसके लिए आप को हमारे साथ आना पड़ेगा उस टेकरी के पीछे.
राधा: लेकिन अभी, अभी तो गाँव में किसी के खेत में केले नहीं हैं
जय: हम लोग शहर से दो केले ले के आये हैं. अभी भी वो हमारे पास ही हैं.
राधा समझ गई की उसकी केले से चुदाई की योजना यह दो लौंडे समझ चुके हैं. उसने कहाँ: चलो लेकिन ज्यादा देर मत करना, मुझे रामलाल को भी देखना हैं फिर.
जय और वीरू राधा को ले के पहाड़ी के पीछे बावल की झाड़ियो में गए और उसे अपने दोनों लौड़े निकाल के दे दिए. राधा ने भी बहुत दिनों के बाद दो लंड से चुदाई का अवसर पाया था. उसने भी अपनी चूत उठा उठा के जय और वीरू से चुदाई करवाई. जय ने एक तरफ से उसकी चूत में लंड दिया और दूसरी तरफ से वीरू ने राधा की गांड मार दी………!!!
चुदाई के शोले अभी बाकी हैं….
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
चुदाई के शोले-2
हाई दोस्तों, चुदाई के शोले के पहले भाग में आपने देखा की कैसे इनाम की लालच में जय और वीरू गब्बर सिंह को पकड़ने और ठाकुर से उसकी गांड में डिल्डो डलवाने के लिए जाते हैं. साथ ही मैं गांडू बन के अपनी गांड गाँव वालो से मरवाते हैं ताकि गब्बर उन्हें ले दबोचे. राधा जो की ठाकुर की बहु हैं उसकी चुदाई भी जय और वीरू ने मिलके कर डाली हैं. अब आगे पढ़े.
राधा की परफेक्ट चुदाई कर दी
राधा के चूत को जय और वीरू ने इस कदर मारा था की उस से चला भी नहीं जा रहा था. रामलाल को जब पता चला की यह दो लौंडे राधा की चुदाई कर गए हैं तो वो आगबबूला हो गया. लेकिन जब राधा ने उसे यह कहा की काका तुम्हारे लंड में अब वो बात नहीं रही तो वो बेचारा शांत हो गया. राधा अब रोजाना इन दोनों को टिफिन देने के बहाने उनके रूम में जाती और थ्रीसम चुदाई का मजा ले के ही वापस आती थी. एक बार राधा को गर्भ भी रह गया, लेकिन यह दोनों पास के ही गाँव के डॉक्टर सुरमा भोपाली को ले आये और बच्चा गिरा दिया. वीरू ने एक रंडी जिसका नाम बसंती पटेल था उसे भी फांस लिया था. बसंती किसी हिरोइन से कम नहीं थी, वो टांगा चलाने की आड़ में दारु की स्मगलिंग किया करती थी. वीरू उसके वहाँ नियमित दारु लेने जाता और एक दिन मौका देख उसने बसंती को दबोच ही लिया. उधर ठाकुर परेशान था क्यूंकि यह दोनों ठाकुर का खाते थे और 2 महीने तक गाँव के जवान बूढों से गांड मराते थे. ठाकुर को किसी भी तरह अपने डिल्डो का उपयोग करना था. आखिर एक दिन आया जब गब्बर को जय और वीरू के बारे में पता चला. उसके दाहिने हाथ सांभा ने गब्बर को बताया की कालिया और उसके दो साथी दो गुड की गांड मार के आये हैं…….फिर क्या था, बुलाया गब्बर ने तीनो को.
कितने आदमी थे रे कालिया
गब्बर ने तीनो को बिच में खड़ा किया और वो अपनी पेंट उतार के उनकी चारो तरफ घुमने लगा.
गब्बर: कितने आदमी थे रे कालिया.?
कालिया: सरकार, दो.
गब्बर: और तुम.?
कालिया: तिन.
गब्बर: मादरचोद, फिर भी हमका भूल गए. तुम्हे ख़याल नहीं आया की गब्बर भी गांड का भूखा हैं. उसे भी लंड शांत करना हैं. तुमने क्या सोचा सरदार खुश होगा, शाबाशी देगा की तुम तीनो मिल के दो गांडू चोद के आये हो. बहुत ना-इंसाफी है यह हमारे साथ.
कालिया: माफ़ कर दो. सरदार हमने आप के बुरे वक्त में कितनी बार आप से गांड तक मरवाई हैं.
गब्बर: तो अब लौड़ा चुसो.
और सच में गब्बर ने अपने लौड़े को पकड़ के कालिया और बाकी के दो के मुहं में डाल दिया. उसने लंड चुसाते चुसाते ही कहाँ, “होली कब हैं, इस बार ठाकुर को उठाएंगे जब गाँव वाले होली खेल रहे होंगे.”
ठाकुर की फिर से गांड मार ली
होली के दिन बसंती और राधा को ले के जय और वीरू नदी के पीछे बने कोतर में चले गए थे. चुदाई के भूखे इन दोनों लौंडो ने ग्रुपसेक्स चुदाई का प्लान बनाया और राधा और बसंती की चूत और गांड की मस्त चुदाई कर दी. राधा की और बसंती की गांड भी दोनों ने बारी बारी मारी और लंड भी चुसाया. 2 घंटे बाद जब वो नदी में नहा के घर आये तो पता चला की गब्बर के डाकू ठाकुर को घर से उठा ले गए हैं. जय और वीरू हैरान हो गए की साला गब्बर ठाकुर का क्या करेगा.
इधर ठाकुर की पतलून उतार के उसकी गांड में दो डाकू सरसों का तेल मल रहे थे, उधर गब्बर लकड़ियों के ऊपर बकरे के मटन को अपने हाथो से नोंच के खा रहा था. तभी एक डाकू जो तेल लगा रहा था वो बोला: सरदार ठाकुर की गांड में बहुत बाल हैं.
गब्बर: तो भोसड़ी के कैंची से काट दे ना.
डाकू उठ के एक जंग लगी केंची लाया और उसने ठाकुर की गांड के बाल क़तर दिए. ठाकुर ने गब्बर को कहा, “एक बार मेरे हाथ खोल दे, फिर बताता हु तुझे.”
गब्बर: साले तू हमको बहुत सताता था. जिस गांडू को हम गाँव में लाते थे तू खुद ही उनकी गांड की चुदाई करता था. हम भी इंसान हैं, हमें भी चुदाई के अरमान और सपने होते हैं. आज वो सब तेरी गांड में लौड़ा दे के मिटेंगे.
गब्बर:
यह गांड हम को दे दे ठाकुर.
ठाकुर: नहींहीही हीही………………!!!
गब्बर: यह गांड हम को दे दे ठाकुर.
गब्बर ने सीधे ही ठाकुर की फैली हुई गांड में लंड दे दिया. गब्बर के लंड के अंदर जाते ही ठाकुर चिल्ला उठा. गांडू लोगो के सौखीन गब्बर ने 10 मिनिट तक ठाकुर की गांड की मस्त चुदाई की. उसके बाद उसने ठाकुर की गांड में ही अपना वीर्य छोड़ दिया. गब्बर फिर से मटन के पास गया और आवाज लगायी, “चलो मादरचोदो, अब तुम्हे क्या टेलीग्राम भेजूं, गांड गरम हैं डाल दो अपना अपना लौड़ा.”
ठाकुर की गांड को गब्बर के बाद सांभा, रणजीत, गोला, प्रभात और कालिया जैसे 7 डाकू ने मारा. ठाकुर की आँखे लाल हुई और वो जय और वीरू को मनोमन गालियाँ देने लगा. दो दिन तक यह लोग ठाकुर की गांड मारते रहे और फिर उसे बाँध के गाँव के चौराहे पे छोड़ आये. ठाकुर ज्योत्यों से घर पहुंचा और रामलाल से अपनी गांड में मलम लगवाया. उसने तभी जय और वीरू को भी बुलवाया.
ठाकुर: मादरचोदो, मेरा खाते हो और गाँव के लोड़ो से चुदाई करवाते हो. भोसड़ीवालो काम कब कर रहे हो मेरा.
जय: ठाकुर साहब, हम लोग कल बंजारों की एक टोली गाँव के बाहर आ रही हैं उसके सरदार लीला से मिलेंगे. यह लीला गब्बर को गांड और चूत सप्लाय करता हैं. हम उसे 10000 का लालच देंगे और अगली बार की गांड की डिलीवरी में दो गांड हमारी होंगी.
ठाकुर: लेकिन तुम लोगो को यह पता हैं की लीला गब्बर के पास जाने वाली हरेक गांड को चेक करता हैं और पहली चुदाई वो करता हैं.
वीरू: ठाकुर, तुम्हारे बदले के लिए 100 लंड तो ऐसे भी हम ले चुके हैं, तो एक और ले लेंगे.
शाम को ही जय और वीरू लीला के पास पहुंचे और उसको विनंती करने लगे की हमारी गांड भी गब्बर को दे दो. लीला ने कहाँ “अंदर जाओ और पतलून उतारो.”
दो मिनिट में लीला अपना 8 इंच का लंड ले के आया और उसने जय और वीरू की गांड की चुदाई कर के चेक किया. उसने दोनों गांड पास कर दी और शाम को ही ऊंट के उपर दोनों को बिठा के गब्बर के पास भेज दिया. दोनों गब्बर की गुफा में आ गए और गब्बर के हाथो से अपनी गांड को 10 दिन तक खूब मरवाते रहे. गब्बर जब उनकी गांड मार मार के थक गया तो उसने उन्हें अपने साथियों को सौंप दिया. यहाँ जय और वीरू का प्लान चालू हुआ. उन्होंने डाकुओ को एक जड़ीबूटी के बारे में पूछा जिसे पिने से लंड 20 मिनिट खड़ा रहता हैं. किसी भी डाकू को इसके बारे में पता नहीं था.
जय: अरे चुतियो, तुम लोगो को कुछ पता ही नहीं हैं, यह देखो मैं दिखाता हूँ.
उसने अपनी जेब से एक छोटी सी पुडिया निकाली जिस में वो लोग वायेग्रा का पावडर ले गए थे. उसने पावडर फांक के दस मिनिट बाद जय की गांड मारनी चालू की. 1 घंटे के बाद मुश्किल से उसका वीर्य निकला. सभी डाकू अब यह जड़ीबूटी मांगने लगे. जय ने उन्हें कहा की शाम के खाने के बाद उन्हें देगा. शाम के खाने के बाद जय और वीरू ने एक पतीले में पानी लिया और दूसरी पुडिया जिस में वायेग्रा के बदले नींद की गोली का पावडर था वो मिला दिया. गब्बर को छोड़ सभी डाकुओ ने यह पानी पिया और आधे घंटे में तो सभी घोड़े बेच के सो गए.
ठाकुर का बदला पूरा हुआ
सभी डाकुओ के सोते ही जय और वीरू ने उनकी बन्दूको से गोलिया निकाल ली और दो भरी हुई बंदूक ले के गब्बर के कमरे में गए. गब्बर वहाँ बैठा शिलाजीत खा रहा था. उन्होंने गब्बर को बंदूक के इशारे पे उठाया और तीनो घोड़ो के उपर गाँव में आये. जय ने पुलिस को ले के गब्बर का अड्डा बता दिया. सभी डाकुओ को सोता पकड़ लिया गया. वीरू ने गब्बर को ठाकुर के हाथो सौंप दिया. ठाकुर ने रामलाल से कह के गब्बर को उल्टा लिटा के उसके हाथ बंधवा दिए. जब ठाकुर गब्बर की तरफ बढ़ने लगा तो गब्बर जोर जोर से हंसने लगा.
गब्बर: हा हा हा हा.
ठाकुर: काहे हंस रहा हैं बे मादरचोद.
गब्बर: तू हम से बदला लेगा बे. तेरे लंड के कीटाणु का तो हम पहले ही रस्ता कर दिया हूँ. अब तेरा लंड बांसुरी के जैसा ही जिस से सिर्फ मूत निकलेगा.
अब ठाकुर जोर जोर से हंस ने लगा और उसने अपनी जेब में हाथ डाल के काला और 12 इंच का डिल्डो निकाला. गब्बर डिल्डो को हैरानी से देखने लगा.
ठाकुर: तेरी चुदाई के लिए बहुत बेकरार हु मैं, मैं नहीं ले सकता बदला लेकिन इस बारह इंच के रबर के लंड को तेरी गांड में पेल के आज हम तुम्हे बताएँगे की गांड की चुदाई में कितना दर्द होता हैं. गब्बर यह गांड हम को दे दे.
गब्बर: नहींहीहीहिहिहिही….!!!
ठाकुर: यह गांड हमको दे दे गब्बर…!
गब्बर अभी और एक चीख लगाये उसके पहले तो ठाकुर ने उसकी गांड में डिल्डो ठूंस दिया. गब्बर की गांड को उसने चार दीन तक ऐसे डिल्डो से चोदा और फिर रामलाल को बोल के गाँव के ही 20 जवान लडको को बोल के गब्बर की गांड की चुदाई करने को कहा. गब्बर यह जिल्लत बर्दास्त नहीं कर सका और उसी रात वो गाँव से भाग गया. ठाकुर ने वादे के मुताबिक़ जय और वीरू को पैसे और जमीन दे दी. जय और वीरू ने गांव में एक डांस बार चालू कर दिया और ख़ुशी से रहने लगे. राधा की और बसंती की चुदाई वो अभी भी करते हैं उन्हें अब डांस बार में बुला के……………….!!!
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