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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
कुंवारी भाँजी पायल के साथ --1
मुझसे बड़ी मेरी चार बहनें हैं।
पायल मेरी सबसे बड़ी दीदी की लड़की है।
वो मुझे 7-8 साल छोटी है।
जब मैंने उसे चोदा था तब उसकी उम्र 18 साल से ज्यादा नहीं रही होगी।
पर इस उम्र में ही वो बड़ी-बड़ी लड़कियों को मात देने लगी थी।
गजब की खूबसूरती पाई थी।
उसके सीने पर उसकी चूचियाँ बड़े-बड़े नागपुरी सन्तरों के जैसी तनी रहती थीं।
उसकी फिगर 34:24:34 की थी जो उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रही थी।
बात तब ही है जब मेरे जीजा जी की तबियत खराब हो गई थी।
मुझे मम्मी को लेकर उनके घर जाना पड़ा।
मेरा मन तो नहीं था, पर जाना पड़ा।
सोचा था कि मम्मी को छोड़ कर दूसरे ही दिन वापस आ जाऊँगा, पर वहाँ तो कहानी कुछ और ही हो गई।
एक दिन के बजाय एक महीना रूक कर आया वो भी तब आया, जब पिता जी ने फोन करके बुलाया।
दरअसल जिस दिन गया, उसी दिन रात पायल की कुंवारी चूत हाथ लग गई।
फिर भला आने का क्या मन करता।
उस दिन शाम को हल्का-हल्का अन्धेरा हो चला था।
जिस कमरे में जीजा जी सोये थे, मोहल्ले की कुछ औरतें उन्हें देखने आई थीं।
मम्मी और दीदी उनके साथ बात कर रही थीं।
मैं भी वहीं दूसरी चारपाई पर रजाई ओढ़े आधा अन्दर आधा बाहर लेटा था।
बिजली थी नहीं.. पायल थोड़ी देर बाद एक मोमबत्ती जला कर लाई, जिससे थोड़ा बहुत उजाला हो गया था।
वो उसे टेबल के ऊपर रख कर मेरी ही रजाई में आ कर अपना पैर डाल कर बैठ गई और औरतों की बातें सुनने लगी।
पायल कुछ इस तरह से बैठी थी कि उसकी तनी हुई दोनों चूचियाँ मेरी नजर के सामने थीं।
जिन्हें देख कर मेरा लण्ड अपना नियन्त्रण खोने लगा था।
मैं अन्धेरे का पूरा फायदा उठाते हुए उसकी ऊचाईयों को अपनी आँखों से नाप रहा था।
थोड़ी देर में ही पायल ने अपना पैर कुछ इस तरह से फैलाया कि उसका पैर मेरे पैर से टकराने लगा।
उसके कोमल चिकने पैरों के स्पर्श ने मेरी भावनाओं को और भड़काने वाला काम किया।
मैंने उसे आजमाने के लिए अपने पैरों को जानबूझ कर आगे-पीछे करने लगा जिससे मेरा पैर पायल के चिकने पैरों से रगड़ खाते रहे।
पायल ने कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं दी, बस हल्की सी मुस्कान के साथ एक बार देखा और फिर सामान्य हो गई।
जिससे मेरी हिम्मत को थोड़ा बल मिला।
अब मैं अपने पैर को पायल के पैरों के और करीब ले जाने की कोशिश करने लगा।
पायल ने भी अपना पैर हटाया नहीं, बस एक-दो बार इधर-उधर किया।
जब भी वो मेरी तरफ देखती मुस्कुरा देती थी, जिससे मुझे और हिम्मत मिल जाती थी।
अब मैं पूरी तरह से रजाई के अन्दर घुस गया।
सिर्फ मेरी मुन्डी ही बाहर थी।
मैं अपनी क्रिया धीरे-धीरे तेज करने लगा।
मेरा लण्ड तन कर लोहे की रॉड बन चुका था।
काफी देर तक ऐसे ही करने के बाद जब मुझे लगने लगा कि पायल को भी मजा आ रहा हैं, तो मैंने धीरे-धीरे अपना पैर पायल के पैर के ऊपर चढ़ा लिया।
उसकी टाँगें एकदम संगमरमर की तरह चिकनी और कोमल थीं।
इस बार पायल ने मेरी तरफ नहीं देखा, पर मैंने गौर किया कि पायल के चेहरे पर गम्भीरता के भाव उभरने लगे थे।
जैसे वो अपने आप को सामान्य दिखाने की कोशिश कर रही हो।
मैं मौके का फायदा उठाता जा रहा था।
मैंने अपने पैरों को उसकी मोटी चिकनी जाँघों तक पहुँचा चुका था।
जब मैंने अपना हाथ उसके पेट पर रखा तो वो काँप उठी और झट से मेरे हाथ को पकड़ कर नीचे कर दिया, पर अपने पैरों को अलग नहीं किया।
थोड़ी देर के बाद मैंने दोबारा कोशिश की।
इस बार भी उसने मेरे हाथ को हटाने की कोशिश की, पर मैंने बल के साथ उसके हाथ के दबाव का नाकाम कर अपना हाथ उसके पेट से हटने नहीं दिया।
पायल ने मेरा हाथ नहीं छोड़ा।
मैं ऐसे ही कुछ देर उसके चिकने पेट को सहलाता रहा।
फिर अपने हाथ को ऊपर की ओर खिसकाना शुरू किया तो पहले तो मेरा हाथ रोकने की हल्की कोशिश की, पर जब मैं नहीं माना तो उसने करवट ले ली और मेरी तरफ पीठ करके रजाई ऊपर तक खींच अपने हाथ से दबा लिया।
अब क्या था मैंने थोड़ा सा आगे खिसक कर उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही अपनी मुट्ठी में कैद कर लिया और हौले-हौले से दबाते हुए उसकी मस्त नरम चूचियों का भरपूर जायजा लेने लगा।
मुझे गजब का मजा आ रहा था।
इस समय मैं सारे रिश्ते-नाते भूल कर पायल की चूचियों के साथ खेल रहा था।
थोड़ी ही देर बाद पायल को भी मजा आने लगा।
वो हल्का सा पीछे आ गई जिससे मेरे हाथ में उसकी दोनों चूचियाँ आसानी से पकड़ में आने लगें।
अब मैं उसकी दोनों चूचियों के साथ मजे से खेल रहा था।
काफी देर तक ऐसे ही खेलने के बाद मेरा मन उसकी नंगी चूचियों को छूने की इच्छा होने लगी, पर उसकी दोनों चूचियाँ ब्रा में एकदम टाईट कसी थीं।
हाथ अन्दर जाने का कोई प्रश्न ही नहीं बनता था।
तो मैं उसकी ब्रा का हुक खोलने की कोशिश करने लगा, पर ब्रा भी काफी कसी थी। उसका हुक आसानी से खुलने का नाम ही नहीं ले रहा था।
तो पायल ने मेरी मदद के लिए अपनी पीठ को थोड़ा सा घुमा दिया जिससे हुक आसानी से खुल गया।
अब क्या था मैंने झट से हाथ बढ़ा कर उसकी ब्रा के अन्दर डाल दिया और थोड़ा जोर से दबा दिया।
पायल के मुँह से हल्की सी चीख निकल पड़ी।
उसने मेरा हाथ फौरन पकड़ लिया।
मैं भी थोड़ा सतर्क हो गया।
फिर हल्के से दो-तीन बार दबा कर जैसे ही मैंने दूसरी चूची को पकड़ा कि बिजली आ गई।
पायल ने झट से मेरा हाथ अपनी टी-शर्ट से खींच कर बाहर निकाल दिया और रजाई से बाहर आ गई।
पायल जब खड़ी हुई तो उसकी दोनों चूचियां टी-शर्ट के अन्दर लटक रही थीं क्योंकि मैंने उसकी ब्रा खोल दी थी।
पायल मेरी तरफ देखे बिना ही कमरे में भाग गई।
मेरा सारा मजा किरकिरा हो गया था।
उसके जाने के बाद जब मैंने अपना लण्ड पकड़ा तो देखा, मेरा लण्ड मस्ती का रस छोड़ने लगा था।
बिजली आने के कुछ ही देर बाद पड़ोस की सारी औरतें भी चली गईं।
उनके जाने के बाद मम्मी और दीदी भी रसोई में चली गईं।
थोड़ी देर में पायल मेरे और जीजा जी के लिए खाने की थाली ले कर आई।
पायल मुझसे नजरें तो नहीं मिला रही थी, पर उसके होंठों पर शर्मीली मुस्कान फैली हुई थी।
मुझे समझते देर नहीं लगी कि पायल को भी इस खेल में मजा आया है।
मेरी तो जैसे लाटरी लग गई थी।
मेरे खुशी का ठिकाना नहीं था।
मैं भूल गया कि पायल मेरी भाँजी है और वो भी मुझसे 7-8 साल छोटी है।
मैं तो बस उस कुंवारी चूत को चोदने की सोचने लगा।
रात में मम्मी और दीदी एक कमरे में मैं और जीजा जी एक कमरे में सो रहे थे, पर मेरी आँखों में नीद कहाँ थी मैं तो सबके सोने का इन्तजार कर रहा था।
थोड़ी ही देर में जीजा जी की नाक बजने लगी, मतलब वो सो चुके हैं।
मैंने उठ कर मम्मी और दीदी की आहट ली।
उनके कमरे में भी खामोशी थी।
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
कुंवारी भाँजी पायल के साथ --2
पूरी तरह से यकीन करने के बाद मैं पायल के कमरे की ओर बढ़ा।
पायल अभी सोई नहीं थी, वो अभी पढ़ रही थी।
मुझे देख चौंक गई और थोड़ा मुस्कुरा कर बोली- क्या हुआ मामा.. सोये नहीं?
मैंने पीछे से उसके कन्धे पर हाथ रखा तो वो अपना सर ऊपर उठा कर मुझे देखने लगी।
मैंने झुक कर उसके होंठों को चूम लिया।
पायल एकदम से घबरा कर खड़ी हो गई।
‘मामा यह क्या कर रहे हैं?’
अभी वह सम्भल भी नहीं पाई थी कि मैंने उसे अपनी बाँहों में खींच लिया।
और वो कुछ बोल पाती कि मैंने उसके होंठों को अपने मुँह में कैद कर लिया और उसके गुलाब की पखुरियों जैसे होंठों का रस पीने लगा।
पायल ने मुझे हल्के से पीछे धकेल दिया और बोली।
‘यह क्या कर रहे हो… कोई देख लेगा…’ पायल मेरी इस हरकत से एकदम घबरा गई थी।
मैंने उसकी आँखों में देखते हुए बोला- पायल तुम बड़ी खुबसूरत हो।
यह सुन कर पायल थोड़ा शर्मा गई।
मैंने धीरे से बोला- पायल , एक पप्पी दो ना..
पहले तो उसने शर्मा कर नजरें नीचे कर लीं और फिर बनावटी गुस्सा दिखाते हुए आँखें तरेर कर बोली- शर्म नहीं आती.. आप मेरे मामा हैं…
साथ ही उसके होंठों पर एक शरारत भरी मुस्कान भी थी।
जो मुझे बहुत अच्छी लगी।
मैंने झट से कहा- जिसने की शरम.. उसके फूटे करम..
मैंने उसका हाथ पकड़ कर दुबारा अपनी बाँहों में खींच लिया।
पायल सकुचाती सी बोली- मामा प्लीज छोड़ो ना.. ऐसा मत करो… पागल हो गए हो क्या?
पर मैं उसकी बातों को अनसुना कर उसके चेहरे को चूमने लगा।
वो शर्म से लाल होने लगी थी।
वो बार-बार मुझे यही कहने लगी- मामा प्लीज… अब छोड़ दो बहुत हो गया…
मैंने उसके होंठों को चूमते हुए बोला- अभी तो शुरू हुआ है… अभी कैसे छोड़ दूँ।
मैंने उसकी एक चूची को पकड़ के हौले से दबा दिया।
पायल सिहर उठी और झट से मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- मामा यह गलत है, बड़ी बदनामी होगी।
पर उसकी चूची को पकड़ते ही मेरी मस्ती और भड़क उठी थी।
मैं बोला- गलत कुछ नहीं है… मेरी जान, यही तो जवानी का असली मजा है। जो जी भर के लूटा जाता है…
यह कहते हुए मैंने अपना एक हाथ उसकी पीठ को सहलाने और दूसरे हाथ से उसकी चूची को दबाते हुए उसके बालों को हटा कर उसकी गरदन पर चूमने लगा तो पायल मुझसे कस कर लिपट गई।
अब पायल में भी मस्ती छाने लगी थी।
वो भी कसमाने लगी थी।
उसका विरोध अब केवल मुँह से ही रह गया था।
‘मामा प्लीज, मुझे डर लग रहा है, आप समझते क्यों नहीं… कोई आ जाएगा।’
‘डरो मत, कोई नहीं आएगा.. मैं सब चैक करके आया हूँ, सब सो रहे हैं।’ मैं मुस्कुरा कर बोला तो वो मुक्के से मेरी पीठ पर मारते हुए शर्मा के बोली- तुम बड़े गन्दे हो…
और मेरे सीने से चिपक गई।
उस वक्त पायल स्कर्ट और टाईट टी-शर्ट पहने हुई थी, जिसमें उसकी चूचियां काफी सख्ती से मेरे सीने में चुभने लगी थीं जो मेरी मस्ती को ओर बढ़ा रही थीं।
पायल अब मेरे धीरे-धीरे मेरे बस में आ रही थी, अब उसकी कुंवारी चूत मेरे लौड़े से कुछ ही दूर थी।
मैंने प्यार से उसका चेहरा ऊपर उठा कर बोला- मैं गन्दा हूँ या अच्छा अभी थोड़ी देर बाद पता चलेगा।
यह कहते हुए मैंने उसकी टी-शर्ट को उसके बदन से खींच के बाहर निकाल दिया।
पायल शर्मा कर अपनी दोनों चूचियों को ढकने की कोशिश करने लगी, पर मैंने झट से उसे अपनी बाँहों में खींचा तो वो एकदम मेरे सीने से चिपक गई।
शर्मा के बस इतना बोली- मामा… यह क्या कर रहे हो… मुझे शर्म आती है।
मैंने उससे कहा- बस दो मिनट रूको, सारी शर्म अपने आप खत्म हो जाएगा।
मैंने उसके चेहरे पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी।
पायल भी अब मदहोश होने लगी थी।
मदहोशी से उसकी दोनों आँखें बन्द हो गई थीं।
उसके होंठ मस्ती से काँपने लगे थे।
अब उसके चेहरे पर वासना की झलक साफ नजर आने लगी थी।
मेरा हाथ उसकी नंगी पीठ पर सरकने लगा था।
मैंने धीरे से उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया।
ब्रा का हुक खुलते ही उसकी दोनों चूचियाँ आजाद हो गईं।
पायल ने पहले ही अपनी आँखें बन्द कर ली थीं।
ब्रा को अलग किया तो उसकी दूध जैसी गोरी और मस्त चूचियाँ मेरी आँखों के सामने फुदकने लगी थीं। जिन्हें देखते ही मेरा लण्ड जो पहले से ही कड़क था और सख्त हो कर झटके मारने लगा।
पायल ने शर्मा कर अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढक लिया।
उसकी चूचियाँ क्या गजब थीं दोस्तों..
मैं तो एकदम मस्त हो उठा।
मैंने फौरन उसकी चूचियों को अपनी मुट्ठी में कैद कर लिया और कस कर दबा दिया।
पायल के मुँह से तीखी चीख निकल पड़ी- उई मां… मामा क्या करते हो.. दर्द होता है।
‘हाय पायल … तेरी चूचियाँ इतनी मस्त हैं कि मैं तो इन्हें देखते ही पागल हो गया… कसम से इतनी मस्त चूचियाँ तो मैंने आज तक नहीं देखीं।’
मैं उनसे प्यार से खेलने लगा।
मैंने जैसे ही उसकी मस्त चूचियों को प्यार से सहलाते हुए दबाना शुरू किया वो सिहरने लगी।
मैंने पागलों की तरह उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया और वो सिसकारियाँ भर रही थी।
‘ई.. ई.. स स…सी आ… आहहह…’
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ पायल ?
पायल शर्मा गई और मुस्कुरा कर बोली- कुछ नहीं…
मैंने एक चूची को फिर जोर से दबा दिया… और मजाक से बोला- कुछ नहीं…
वो एकदम से चिहुंक उठी- उई.. मामा दर्द होता है…
‘तो सच-सच बताओ.. मजा आ रहा है या नहीं?’
‘हाँ बाबा.. आ रहा है… पर तेज में नहीं.. धीरे-धीरे से करो ना..’
पायल का जवाब सुन कर मैं तो खुशी से झूम उठा और पायल को गोद में उठा कर बिस्तर पर लिटाते हुए बोला- बस पायल देखती जाओ… आगे और मजा आएगा।
मन ही मन मैं अपनी सगी भांजी की कुंवारी चूत के उदघाटन के आनन्द को महसूस करते हुए मैं उसकी आँखों के सामने ही अपने सारे कपड़े उतारने लगा।
पायल ने शर्म के मारे अपना चेहरा अपने दोनों हाथों से ढक लिया।
मैं मुस्कुराता हुआ उसके बगल में जाकर लेट गया और उसके हाथों को उसके चेहरे से हटाया और पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोली- तुम कितने गन्दे हो… मेरे सामने कपड़े उतारते हुए शर्म नहीं आती?
‘मेरी जान, शर्माऊँगा तो तुम्हारी कुंवारी चूत की चुदाई कैसे करूँगा…’
मैंने झटके से उसके बदन से उसकी स्कर्ट और पैन्टी को खींच कर उससे अलग कर दिया।
‘मामा प्लीज मत करो ना.. मुझे शर्म आती है।’
वो अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को छुपाने की कोशिश करने लगी।
मैंने कहा- ठीक है.. तुम शर्म करो.. मैं अपना काम करता हूँ।
मैंने उसके ऊपर लेट कर उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया, साथ ही उसकी चूचियों को भी मसलने लगा।
मेरा लण्ड पायल के हाथों के ऊपर रगड़ खा रहा था।
पायल ज्यादा देर ऐसे नहीं रह सकी।
वो अपने दोनों हाथ ऊपर लाकर मुझे बांधने लगी, उसका एक हाथ मेरे सिर पर बालों को सहला रहे थे, तो दूसरा मेरी पीठ पर सरक रहा था।
जिससे साफ समझ में आ रहा था कि उसे भी भरपूर आनन्द आने लगा था।
उसके होंठ काँपने लगे थे और मुँह से मदमोह सिसकारियाँ निकलने लगी थीं।
उसका हाथ हटते ही मेरा लण्ड उसकी कुंवारी चूत के संपर्क में आ गया, जिसकी रगड़ उसको और मदहोश करती जा रही थी।
मैं धीरे से अपना एक हाथ नीचे सरका कर उसकी चूत का जायजा लेने लगा जो कि पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।
मैंने जैसे ही अपना हाथ उसकी कुंवारी चूत पर रखा…
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
कुंवारी भाँजी पायल के साथ --3
उसका हाथ हटते ही मेरा लण्ड उसकी कुंवारी चूत के संपर्क में आ गया, जिसकी रगड़ उसको और मदहोश करती जा रही थी।
मैं धीरे से अपना एक हाथ नीचे सरका कर उसकी चूत का जायजा लेने लगा जो कि पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।
मैंने जैसे ही अपना हाथ उसकी कुंवारी चूत पर रखा…
पायल बड़ी जोर से सिसिया उठी- ई…ई. ई…सस..
जैसे मैंने उसकी कमजोरी पर हाथ रख दिया हो।
पायल अपना पिछवाड़ा उचकाने लगी।
उसकी कुंवारी चूत काफी गीली हो चुकी थी।
मेरा लण्ड भी गुलाटें मारने लगा था।
मुझसे भी अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
मैंने उसकी कमर के नीचे एक तकिया रख उसकी कमर को थोड़ा ऊँचा उठा कर झट से अपने लण्ड को सुपारा उसकी छोटी सी सुरंग पर रख दिया।
सुपारे की गर्मी से पायल एकदम चिहुंक गई और मुझे कस कर पकड़ते हुए बोली- हाय मामा… ये क्या है.. तुम क्या कर रहे हो?
मैं भी अब तक काफी मदहोश हो चुका था, पूरी मस्ती के नशे में धुत्त हो कर बोला- हाय पायल .. अब तैयार हो जाओ… मैं अपना लण्ड तुम्हारी कुंवारी चूत में पेलने जा रहा हूँ.. आ आ आहह…
मैंने अपना लण्ड कुंवारी चूत में चाँप दिया।
करीब एक इन्च लण्ड ही अन्दर घुसा था कि पायल जोर से चीख उठी- उई माँ… मर गई… मामा बाहर निकालो.. बड़ा दर्द हो रहा है।
उसकी चीख इतनी तेज थी कि मैं भी डर गया।
मैंने झट से उसके मुँह पर हाथ रख दिया और उसे चुप कराते हुए बोला- पायल धीरे बोलो.. आवाज बाहर चली जाएगी।
मैंने उसका मुँह हाथ से बन्द कर दिया।
उसकी आवाज मुँह के अन्दर की दबी रह गई।
वो मुझे अपने ऊपर से धकेलने लगी।
मुझे लगा कहीं काम बिगड़ ना जाए..
मैं धीरे-धीरे धक्का लगा कर अपना लण्ड उसकी चूत की गहराई तक पहुँचाने की कोशिश करने लगा।
क्योंकि मैं जानता था कि पूरा लण्ड चले जाने के बाद दर्द तो अपने आप खत्म हो जाएगा।
पायल दर्द से छटपटाने लगी, पर मुँह पर हाथ रखने की वजह से उसकी आवाज बाहर नहीं निकल पा रही थी।
छेद अभी काफी छोटा था, इसलिए थोड़ी परेशानी तो मुझे भी हो रही थी, पर चार-पाँच बार के प्रयास के बाद मेरा पूरा लण्ड उसकी पूरी गहराई में घुस गया।
पायल दर्द से रोने लगी थी, उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे।
मैं उसे समझाते हुए बोला- रोओ मत पायल .. अब दर्द नहीं होगा.. अब मजा आएगा..
मैंने अपने लण्ड को धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करना चालू किया।
पहले तो मुझे भी थोड़ी तकलीफ हुई, पर जब उसकी चूत के रस ने मेरे लण्ड के रास्ते को आसान बना दिया तो लण्ड पेलने में मुझे मजा आने लगा।
अब मैं अपना लण्ड पूरा जड़ तक उसकी बुर में चांपने लगा।
पायल की आँखों से अभी आंसू बह रहे थे, पर उसने अब चीखना बन्द कर दिया था।
जिससे मुझे थोड़ी राहत मिली।
मैंने अपना हाथ जैसे ही उसके मुँह से हटाया तो वो धीरे से बोली- प्लीज मामा निकालो ना… बहुत दर्द हो रहा..
मैंने उसे समझाते हुए बोला- बस बेटा थोड़ा और बर्दाश्त कर लो.. अब तो मजा ही मजा है..
ये कहते हुए अपनी कमर ऊपर उठा कर एक हल्के झटके के साथ अपना लण्ड फिर चांप दिया।
इस बार पायल के मुँह से एक हल्की सी हिचकी निकली और आँखें बन्द हो गईं।
मैं समझ गया कि इस बार उसे आनन्द का अनुभव हुआ है, तो मैं धीरे-धीरे अपने लण्ड को आगे-पीछे करने लगा।
मेरी इस क्रिया से पायल को एक नया अनुभव मिल रहा था क्योंकि वो अपने दोनों होंठों को अपने मुँह के अन्दर दबा कर अपनी आँखें कस कर मूंदने लगी थी, साथ ही साथ उसकी दोनों बाँहें मुझे कसने लगी थीं।
उसके चेहरे के तनाव भरे भाव बता रहे थे कि उसे इस समय जो अनुभव मिल रहा था उसके लिए बिलकुल नया है।
कुछ पल रूक कर मैंने उससे पूछा- पायल अब कैसा लग रहा है?
तो पायल बोली- मामा तकलीफ तो अभी हो रही है.. पर अच्छा भी लग रहा है।
यह बात उसने थोड़ा शर्माते हुए बोली।
मैं तो खुशी से झूम उठा।
मैंने कहा- बस देखती जाओ.. सारा दर्द खत्म हो जाएगा.. बस मजा ही मजा आएगा।
मैंने जोश में एक जोरदार धक्का जड़ दिया, पायल चीख उठी- मामा… क्या करते हो… दर्द होता है.. धीरे-धीरे करो ना…
‘ओह सारी….मैं जरा जोश में आ गया था।’
‘जोश में मेरी जान ही निकाल दोगे क्या?’
‘अरे नहीं मेरी रानी… डोन्ट वरी.. अब प्यार से पेलूँगा..’
मैं उसके एक मम्मे को हौले से दबाने लगा।
पायल के मुँह से मीठी सिसकारी फूट पड़ी।
‘सीसी…सी.मामाअअअआ..’
पायल ने मेरी पीठ पर हल्के से मुक्का मारते हुए बोली- तुम बड़े शैतान हो।
मैंने मुस्कुरा कर पूछा- लो… भला मैंने क्या शैतानी की?
मैंने मासूम सा चेहरा बना कर बोला।
पायल खिलखिला कर हँस पड़ी और अपने दोनों पैरों को मेरी कमर में कस कर बाँध लिया।
साथ ही मेरे चेहरे पर चुम्बन की झड़ी लगा दी।
मैं भी खुशी से झूम उठा और खुशी से उसकी दोनों चूचियों को हॉर्न की तरह दबाते हुए धक्के की गति थोड़ी बढ़ा दी।
जिससे पायल का आनन्द भी बढ़ गया क्योंकि उसकी सिकारियाँ अब तेज होने लगी थीं।
‘आआहहह… ओह माँ…. मामा…आ..सी. ई…’
पायल की मस्ती को देख कर मेरी मस्ती भी दुगनी होने लगी थी।
पायल की सिसकारी हर पल बढ़ने ही लगी थी उसके साथ ही मेरे लण्ड की गति भी बढ़ती जा रही थी।
‘आहहह… आहहह… उई.. हाय ये क्या हो रहा है मामा..’
‘यही तो जिन्दगी का असली मजा है मेरी जान…आहहह….मुझे तो बहुत मजा आ रहा है…हाय पायल तुमको कैसा लग रहा है?’
‘हाय मामा..आह्ह.. बहुत मजा आ रहा है… आआहहह… ऐसा मजा तो पहले कभी किसी चीज में नहीं मिला आआआहहह…’
अब तक तो मेरी मस्ती भी अपनी चरम सीमा को छूने लगी थी। पायल के साथ मेरे मुँह से भी मस्ती भरे स्वर निकलने लगे थे।
‘सच पायल मैं अब तक न जाने कितनी लड़कियों को चोद चुका हूँ.. पर तुम्हारी चूत को चोदने में जो मजा आ रहा है, मुझे पहले कभी नहीं मिला… हाय पायल बहुत मजा आ रहा है…’
‘आहहहह….मामा मुझे भी बहुत मजा आ रहा है।’
मैं उसके चेहरे पर चुम्बन करने लगा तो पायल भी मुझे चूमने लगी।
अब तक पायल की चूत काफी पानी छोड़ चुकी थी क्योंकि अब मेरा लण्ड बड़ी आसानी से अन्दर-बाहर आ जा रहा था।
साथ ही ‘फच.. फच’ की ध्वनि भी उभर रही थी।
जो चुदाई के इस माहौल को और मोहक बनाने लगी थी।
कुछ देर पहले जिस कमरे में खामोशी थी। अब चुदाई के मधुर संगीत से गूंज रहा था।
जहाँ एक ओर घर के सारे लोग गहरी नींद में सो रहे थे, वहीं दूसरी ओर मामा-भाँजी की चुदाई का खेल चल रहा था।
जहाँ एक ओर घर खामोशी थी, वहीं दूसरी ओर हम दोनों मामा-भाँजी की मस्ती भरी सिसकारीयाँ कमरे में गूँज रही थीं।
मैंने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे पायल जैसी माल की कुंवारी चूत को चोदने का ऐसा मौका भी मिलेगा।
इस पल हम दोनों ही मस्ती के अथाह सागर में गोते लगा रहे थे, जिसका कोई वर्णन नहीं किया जा सकता।
हर पल हमारी चुदाई की गति बढ़ती ही जा रही थी।
करीब बीस मिनट तक मैं पायल को ऐसे ही चोदता रहा साथ उसकी मस्त दूध जैसी चूचियों को भी दबाता मसलता रहा।
पायल भी मस्ती में पागल हो चुकी थी। वो अब खुल कर मेरा साथ दे रही थी।
अचानक पायल की सिसकारी और तेज हो गई और वो चिल्ला कर बोली- हाय मामा मुझे न जाने ये क्या हो रहा है आआहहह… जैसे मेरी चूत से कुछ निकल रहा है..आहहहहह…
उसने मुझे कस कर पकड़ लिया।
मैं समझ गया कि पायल अपनी चरम सीमा को पार कर गई है।
अब मेरी बारी थी, मैंने भी अपनी रफ्तार बढ़ा दी।
करीब 6-7 कड़क धक्के लगाने के बाद ही मैंने भी अपना पूरा का पूरा लण्ड पायल की चूत में पेल दिया और पूरी तरह से उसके ऊपर ढह गया।
मेरा लण्ड अपने गरम-गरम वीर्य का गुबार पायल की चूत में छोड़ने लगा।
वीर्य की गर्मी मिलते ही पायल एकदम गनगना गई और मुझसे कस कर चिपक गई।
मैंने भी उसे कस कर जकड़ लिया।
हम दोनों एक-दूसरे को इस कदर कस कर पकड़े हुए थे, जैसे एक-दूसरे में ही समा जाएँगे।
हम दोनों की सांसें इतनी तेज चल रही थीं जैसे हम दोनों कोई लम्बी दौड़ लगा कर आए हों।
करीब 5 मिनट के बाद जब हम थोड़ा सामान्य हुए तो एक-दूसरे से अलग हुए।
पायल अपनी बुर को खून से सना देख कर डर गई, पर जब मैंने उसे समझाया कि पहली चुदाई में खून निकलता ही है, अब दुबारा नहीं निकलेगा.. तो वो सामान्य हुई।
मैंने जब धीरे से उसके कान में पूछा- क्यों पायल मजा आया या नहीं?
तो वो शर्मा गई।
‘धत…’
और दौड़ कर बाथरूम में भाग गई।
मैं वैसे ही बिस्तर पर पड़ा रहा।
थोड़ी देर में जब वह वापस आई और मुझे वैसे ही नंगा लेटे देखा तो बोली- क्या मामा.. आपने अभी कपड़े नहीं पहने।
मैंने धीरे से कहा- अभी एक बार और तुम्हें चोदने का मन कर रहा है।
दुबारा चोदने के नाम पर पायल ने शर्मा कर गर्दन झुका ली और शर्मा कर बोली- मामा.. अब बस भी करो ना…
मैंने कहा- बस एक बार… बस एक बार और चोदने दो ना.. मेरा मन अभी नहीं भरा…
एक बार चुदाई का मजा मिलने के बाद उसका भी मन भी झूम उठा था।
इस बार पायल ने कुछ नहीं बोला।
मैंने उसे अपनी बाँहों में उठा कर एक बार फिर बिस्तर पर लिटा दिया और उसके कामुक अंगों के साथ खेलना शुरू कर दिया।
वो पहले थोड़ी देर शर्माती रही, पर जैसे-जैसे उसे मजा मिलता गया, वो भी मेरा साथ देने लगी।
फिर क्या था पल भर में एक बार फिर से पूरा कमरा हम दोनों मामा-भाँजी की मस्ती भरी सिसकारियों से गूंजने लगा।
इस तरह मैंने उस रात अपनी भाँजी की चार बार चुदाई की।
दीदी के घर गया था सिर्फ दो दिन के लिए और पूरा एक महीना रह कर आया।
पहले एक-दो दिन तो वो थोड़ा शर्माती रही, पर उसके बाद वो मेरे साथ पूरी तरह से खुल गई।
अब वो खुल कर मेरे साथ चुदाई की बातें करने लगी थी।
जब भी मौका मिलता तो वो खुद मुझे चोदने को लिए कहती।
इस तरह पूरे एक महीने में मैंने दिन-रात जब भी मौका मिला, मैंने पायल को जी भर कर चोदा।
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06-10-2021, 12:05 PM,
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desiaks
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
भाभी और बहन की चुदाई
मेरा नाम पार्थ है पर घर में मुझे सब दीपू कहते हैं।
मैं 29 साल का एक बहुत ही आकर्षक लड़का हूँ।
मेरी यह कहानी करीब 9 साल पहले की है, तब मैं पढ़ता था।
यह मेरी पहली और सच्ची कहानी है जो मैं आप लोगों से बताने जा रहा हूँ।
मैं अपने परिवार के बारे में बता दूँ, जिसमें उस वक्त छह सदस्य थे। हम 3 भाई, एक बहन, एक भाभी और मम्मी।
जब मैं छह साल का था पापा का देहांत तभी हो गया था। भाइयों में मैं सबसे छोटा था और बहन मुझसे 2 साल छोटी थी।
बड़े भाई की शादी हो चुकी थी, नई-नई भाभी घर में आई थीं, सब मज़े से चल रहा था।
मैं और मेरी बहन रूपा काफ़ी खुश थे क्योंकि भाभी हम दोनों को बहुत प्यार करती थीं।
हम सब खूब मस्ती करते थे।
गर्मी की छुट्टियाँ चल रही थीं।
एक दिन मैं अकेला ही भाभी के कमरे में भाभी के साथ लूडो खेल रहा था।
रूपा माँ के साथ बाजार गई थी, हम दोनों घर पर अकेले थे।
अचानक भाभी ने हँसी-मजाक में मुझे पीछे की ओर हल्का सा धक्का दे दिया।
मैं सम्भल नहीं पाया और पीठ के बल उनके पलंग पर लेट गया।
क्योंकि हम उनके ही पलंग पर खेल रहे थे.. मुझे गुस्सा आ गया… मैं उठा और उन्हें पीछे की ओर धक्का देने लगा।
भाभी मुझसे ज़्यादा मज़बूत थीं.. मैं उन्हें नहीं गिरा पा रहा था।
भाभी को गिराने की कोशिश में मेरे दोनों हाथ उनके कंधे से फिसल कर उनकी चूचियों पर आ गए थे।
धक्का देने के लिए मैं उन्हें उसी अवस्था में धकेल रहा था.. जिससे उनकी चूचियाँ दब रही थीं।
मेरे कंधे को दोनों हाथों से पकड़ कर भाभी ने मुझे पीछे धकेल दिया।
मैं फिर गिर पड़ा लेकिन मैं भी हार नहीं मानने वाला था.. मैं उठा और इस बार मैंने भाभी को बाँहों में भर लिया और उन्हें गिराने की कोशिश करने लगा।
इस बार मैं कामयाब भी हो गया।
वो पीठ के बल पलंग पर गिर गईं।
भाभी के दोनों हाथ व मेरी बाँहों में क़ैद थे। वो छटपटाने लगीं..
मैं भाभी के ऊपर लेटा हुआ था, तभी मैंने अपने पैरों से भाभी के पैरों को पकड़ लिया।
अब उनके दोनों पैर भी मेरे पैरों के बीच क़ैद हो गए थे। उनकी चूचियाँ मेरे सीने से दबी हुई थीं… वो अब भी ताक़त लगा रही थीं।
मैंने उन्हें कस कर पकड़े हुआ था, तभी भाभी ने अपने दोनों हाथों को मेरी पकड़ से आज़ाद कर लिया।
अब उनके हाथ मेरे कन्धे के ऊपर से होते हुए मेरे पीठ पर थे और वो भी अब मेरे सिर को पीछे से पकड़ कर अपनी चूचियों पर दबाने लगीं।
मेरा चेहरा उनकी दोनों चूचियों के बीच में दब रहा था।
मुझे लगा जैसे मेरा दम घुट जाएगा.. इस बार मैं उनकी पकड़ से छूटने के लिए छटपटाने लगा..
जब नहीं छूट पाया तो मैं चिल्लाने लगा।
इससे घबरा कर भाभी ने मुझे छोड़ दिया।
मैं उठ कर खड़ा हो गया और लंबी-लंबी सांस लेने लगा।
भाभी मुझे देख कर मुस्कुरा रही थीं.. जबकि मुझे गुस्सा आ रहा था।
मैं गुस्से से उन्हें घूर रहा था और वो मुस्कुराते हुए उठ कर बाथरूम में घुस गईं।
दोपहर का वक्त था.. बाहर तेज़ धूप थी।
मैं जाकर टीवी देखने लगा।
कुछ देर में ही माँ और रूपा भी बाजार से आ गईं।
फिर सबने मिल कर खाना खाया।
माँ खाना खाकर अपने कमरे में आराम करने के लिए चली गईं।
मैं भी अपने कमरे में जाकर आराम करने लगा।
तभी रूपा आ गई और कहने लगी- भाभी ने तुझे बुलाया है।
मैं रूपा के साथ भाभी के कमरे में पहुँचा तो देखा कि भाभी सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट पहने पलंग पर लेटी थीं।
हालांकि यह कोई नई बात नहीं थी कि भाभी मेरे सामने इस रूप में थीं।
कभी-कभी तो वो मेरे सामने कपड़े भी बदल लेती थीं.. क्योंकि मुझे उस वक्त सेक्स का कोई ज्ञान नहीं था।
मुझे नहीं पता था कि औरत और मर्द आपस में मिल कर क्या-क्या करते हैं।
मेरे लिए ये सामान्य बात थी.. मुझे देखते ही वो उठ कर बैठ गईं।
मैंने उनसे पूछा- क्या बात है?
तो उन्होंने कहा- चलो तीनों लूडो खेलते हैं।
मैं तैयार हो गया और हम तीनों लूडो खेलने लगे।
कुछ ही देर में मुझे नींद आने लगी तो मैंने कहा- मैं अब नहीं खेलूँगा.. मुझे नींद आ रही है.. मैं सोने जा रहा हूँ।
तो भाभी ने कहा- यहीं सो जाओ।
मैं वहीं पलंग पर एक किनारे सो गया और वो दोनों लूडो खेलने लगीं।
कुछ देर में मेरी नींद खुलने लगी थी, क्योंकि मुझे अपने लण्ड पर नर्म सा कुछ महसूस हो रहा था।
मैं नींद में ही अपने हाथ को अपने लण्ड पर ले गया तो मैं चौंक गया क्योंकि मेरे लण्ड पर दो हाथ फिसल रहे थे।
मैं आँखें बंद किए लेटे रहा.. मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था।
मेरा लण्ड कड़ा होने लगा था और मेरे पूरे जिस्म में सिहरन हो रही थी। आख़िर मुझसे सहा नहीं गया और मैं उठ कर बैठ गया, तो मैंने देखा कि भाभी और रूपा दोनों ही नंगी पलंग पर बैठी हैं और एक-दूसरे की चूत को सहला रही थीं…
साथ ही मेरे लण्ड को भी सहला रही थीं। मेरे उठ जाने से रूपा घबरा कर बिना कपड़े पहने ही भाग कर बाथरूम में घुस गई।
मैं भाभी की तरफ देख कर बोला- आप लोग नंगे क्यों हो और मेरे लण्ड को क्यों सहला रही थीं?
तो वो मुस्कुरा कर बोलीं- हम लोग एक नया खेल.. खेल रहे थे।
मैंने कहा- यह कौन सा खेल है.. जो नंगे होकर खेलते हैं?
भाभी बोलीं- यह खेल नंगा ही खेला जाता है… तभी इस खेल में मज़ा आता है.. क्या तुम्हें मज़ा नहीं आ रहा था?
इस पर मैं बोला- मज़ा तो आ रहा था.. पर मैंने तो कपड़े पहने हुए थे।
भाभी बोलीं- कपड़े उतार कर खेलोगे तो और मज़ा आएगा.. खेलोगे?
मैं और मज़ा लेना चाहता था क्योंकि ये मज़ा मेरे लिए एकदम नया था।
फिर भी मैं भाभी से बोला- पर रूपा मेरी बहन है.. मैं उसके सामने कैसे नंगा हो सकता हूँ?
इस पर भाभी मुझे समझाते हुए बोलीं- अरे पगले.. अपनों के सामने नंगा होने में कैसी शर्म.. कोई बाहर वाला थोड़े ही देख रहा है.. हम तीनों तो अपने ही हैं और यहाँ कोई है भी तो नहीं..
यह कहते हुए भाभी मेरे कपड़े उतारने लगीं और मुझे भी पूरा नंगा कर दिया।
उन्होंने मेरे लटके लण्ड को हाथों से पकड़ लिया और मसलने लगीं।
मुझ पर अजीब सा नशा छाने लगा था। मेरा लण्ड फिर से कड़ा होने लगा था और लंबा भी होने लगा था।
मस्ती से मेरी आँखें बंद हो गईं।
तभी मुझे अपने लण्ड पर कुछ गीला-गीला सा महसूस हुआ.. तो मेरी आँखें खुल गईं।
मैंने देखा भाभी मेरे लण्ड को अपने मुँह में डाल कर चूसने लगी थीं।
मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरा लण्ड किसी गर्म हवा भरे गुब्बारे में घुसा हुआ हो।
मैं भाभी के पूरे नंगे जिस्म को गौर से देख रहा था।
पूरा मस्त जिस्म.. उनकी गोल-गोल गोरी सी मचलती चूचियाँ.. उस पर छोटे-छोटे लाल रंग से उनके निप्पल.. पतली सी कमर.. उभरी और चौड़े गोल-गोल चूतड़.. चिकनी मोटी जाँघें.. और चिकनी जाँघों के बीच में काले-काले घुंघराले झांट के बाल।
तभी मेरा जिस्म अकड़ने लगा.. ऐसा लगा जैसे मैं आसमान में उड़ रहा होऊँ और मेरे लण्ड के रास्ते.. मेरे जिस्म से जैसे जान ही निकल जाएगी।
मैंने झटके से अपना लण्ड भाभी के मुँह से बाहर खींच लिया और उनका हाथ भी अपने लण्ड से अलग हटा दिया।
मैं अपनी साँसों को संयमित करने की कोशिश करने लगा… जो ज़ोर-ज़ोर से जल्दी-जल्दी चल रही थीं।
मेरा लण्ड भी झटके मार रहा था.. मैंने लण्ड को भी हाथ से पकड़ लिया ताकि वो हिल ना सके।
तभी भाभी मेरे ऊपर चढ़ गईं और मेरे लण्ड को अपनी जाँघों के बीच में झांटों से रगड़ने लगीं।
उनके मुँह से ‘आह.. आहह.. आह इसस्स आ’ की आवाजें आ रही थीं।
भाभी ने जैसे ही अपने पैरों को फैलाया..
मेरे लण्ड को झांटों के बीच में हल्का गर्म-गर्म पानी सा लगा।
मैंने उत्सुकतावश अपना हाथ से उस जगह को स्पर्श किया.. तो भाभी एकदम से उछल गईं और मुझे चूमने लगीं।
मैंने भाभी से पूछा- वो क्या है?
तो भाभी मुस्कुराते हुए चूमकर बोलीं- मेरे दीपू राजा.. उसे चूत कहते हैं… जिसमें मर्द अपना लण्ड घुसा कर चोदते हैं।
मैंने ये सब पहले कभी नहीं सुना था.. इसलिए पूछने लगा- वहाँ क्या इतना बड़ा छेद होता है.. जो इतना बड़ा और मोटा लण्ड भी उसमें घुस जाता है?
मेरे इस सवाल पर भाभी कुछ बोली नहीं.. सिर्फ़ मुस्कुराईं और मेरी कमर पर बैठ गईं और अपनी चूत को मेरे लण्ड पर रगड़ने लगीं।
उनकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी.. जिससे मेरा लण्ड भी गीला हो गया था। भाभी की आँखें बंद हो रही थीं और मेरी भी..
तभी भाभी ने अपने चूतड़ों को थोड़ा ऊपर उठाया और एक हाथ से मेरे लण्ड को पकड़ कर चूत के मुँह से लगा कर.. लण्ड पर बैठने लगीं।
जब मेरा लण्ड भाभी की चूत के अन्दर घुस रहा था तो मैं बता नहीं सकता कि मुझे कैसा लग रहा था।
मेरी आँखें बंद हो गई थीं और भाभी अपने चूतड़ों को हिला-हिला कर मेरे लण्ड को अपनी चूत में अन्दर-बाहर कर रही थीं।
हम दोनों के मुँह से ‘आह आह आ आ अहहा’ की आवाज निकल रही थी और साथ ही साथ लण्ड और चूत के मिलन से भी ‘फॅक फॅक.. पछ.. पछ’ की आवाजें आ रही थीं।
करीब 5 मिनट बाद भाभी अचानक एकदम जल्दी-जल्दी अपने चूतड़ों को मेरे लण्ड पर हिलाने लगीं और अपने हाथों से अपनी चूचियों को मसलने लगीं।
तभी मेरा जिस्म अकड़ने लगा और मैंने भाभी के चूतड़ों को कस कर पकड़ लिया।
मुझे लगा जैसे मेरे लण्ड से कुछ निकल रहा है।
उधर भाभी भी मेरे ऊपर लेट गईं और अपनी एक चूची को मेरे मुँह में डाल कर अजीब-अजीब सी आवाजें निकालते हुए जल्दी-जल्दी मुझे चोदने लगीं।
अचानक उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और मेरे होंठों को चूमते हुए अपनी चूत को मेरे लण्ड पर दबाने लगीं।
उनका जिस्म झटके ले रहा था.. मेरे लण्ड को भी महसूस हो रहा था कि गर्म-गर्म सा कुछ पानी सा मेरे लण्ड को भिगोता हुआ चूत से बाहर निकल रहा था।
हम दोनों का जिस्म पसीने से भीग गया था। अभी तक मेरे लण्ड को भाभी अपनी चूत से पकड़े हुए थीं और मुझे चूमे जा रही थीं।
कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद भाभी मेरे ऊपर से उठीं और वैसे ही चूतड़ों को मटकाती हुई बाथरूम में घुस गईं।
मुझे अब काफ़ी हल्कापन महसूस हो रहा था।
मैं आँखें बंद किए गहरी-गहरी सांस ले रहा था।
अचानक मुझे ध्यान आया कि रूपा भी तो यहीं थी.. क्या उसने ये सब कुछ देख लिया है.. क्योंकि मुझे इतना तो पता था कि दो नंगे जिस्म का आपस में मिलना ग़लत होता है।
यह सोच कर मुझे डर सा लगने लगा था कि रूपा किसी को यह बात बता ना दे।
मुझे पेशाब करने की इच्छा हो रही थी तो मैंने बाथरूम के पास जाकर भाभी को आवाज़ लगाई.. तो भाभी ने बाथरूम का दरवाज़ा खोल दिया।
मैंने कहा- मुझे पेशाब करना है.. आप बाहर जाओ।
इस पर भाभी बोलीं- हम बाहर नहीं आएँगे.. तुम अन्दर आ जाओ और पेशाब कर लो.. कुछ नहीं होगा।
मुझे शर्म महसूस हो रही थी क्योंकि अन्दर मेरी बहन रूपा भी थी और इधर मुझे ज़ोर से पेशाब भी लगी थी।
मैंने एक बार फिर से कहा, तो इस बार भाभी बाहर आईं और मेरा हाथ पकड़ कर बाथरूम के अन्दर ले गईं और मुझसे बोलीं- अब करो पेशाब।
मैंने देखा अन्दर भाभी और रूपा दोनों ही नंगी थी।
मुझे देख कर रूपा ने भी शर्म से नज़रें नीचे की हुई थीं और अपनी चिकनी सुडौल जाँघों से अपनी नंगी चूत को ढकने की कोशिश कर रही थी.. जो हो नहीं पा रहा था।
रूपा की चूत के चारों ओर भूरे रंग के छोटे छोटे रेशमी बाल उग आए थे.. जो उसकी चूत को चार चाँद लगा रहे थे।
रूपा अपने हाथों से अपनी सन्तरे के आकार की अपनी चूचियों को ढके हुए थी।
तभी भाभी बोलीं- ऐसे क्या देख रहा है.. चोदेगा क्या इसे भी.. यह भी चुदना चाहती है.. पर शर्मा रही है और तुम पेशाब क्यों नहीं कर रहे हो.?
मैंने जैसे ही पेशाब करने के लिए निक्कर से लण्ड को बाहर निकाला.. भाभी ने मुझे रोक दिया और बोलीं- रुक.. एक नए तरीके से पेशाब करो.. जिससे तुम दोनों की शर्म खत्म हो जाएगी।
मैंने पूछा- कैसे?
तो वो बोलीं- कुछ नहीं..
वे रूपा को मेरे सामने ले आईं और मुझे निक्कर उतारने को कहा।
मैंने निक्कर उतार दिया.. अब मैं भी उनके जैसा ही नंगा था।
भाभी ने रूपा को कमोड पर बैठा दिया और उसके सामने मुझे ले गईं। इतना करीब कि अगर मैं एक कदम और आगे बढ़ जाता तो मेरा लण्ड रूपा के होंठों को स्पर्श कर जाता..
फिर भाभी ने रूपा के दोनों पैरों को उठा कर फैला दिया और मुझसे बोलीं- चल अब इसकी चूत से लण्ड को सटा कर पेशाब कर…
इस तरह रूपा के पैर फैलने से उसकी चूत का मुँह खुल गया।
मैं तो उसकी गोरी-गोरी जाँघों के बीच रेशमी भूरे-भूरे बालों से घिरी गुलाबी रसीली चूत को देख कर पेशाब करना ही भूल गया था..
मेरा लण्ड दुबारा से ऐसी चूत को देख कर खड़ा हो गया था और झटके मार-मार कर रूपा की चूत को सलामी देने लगा था।
यह देख कर भाभी और रूपा भी अब बेशर्म बन कर मुस्कुरा रही थीं।
मुझसे नहीं रहा गया और वहीं रूपा के सामने फर्श पर उकडूँ बैठ गया और रूपा की चूत को हाथों से फैला कर देखने लगा।
मैं अपनी जिन्दगी में पहली बार किसी कुंवारी चूत को छू कर देख रहा था.. वो भी अपनी ही बहन की चूत…
जैसे ही मेरे हाथों ने रूपा की चूत को छुआ.. रूपा सिसक उठी और प्यासी नज़रों से मुझे देखने लगी।
उसकी चूत गीली थी।
चूत की गहराई नापने के लिए मैंने हाथ की एक ऊँगली रूपा की चूत में घुसा दी।
मेरी ऊँगली के घुसते ही रूपा मचलने लगी और सिसयाने लगी- आ आ भाभी रे.. आहह.. इसस्सस्स आह.. भैया..जी.. आहह.. मुझे भी आह.. चोदिए ना.. आ आहह.. जैसे आहह.. भाभी को.. आ आ चोद रहे थे.. इससस्स मम्मी रे.. आहह… चोदिए…
मैं भी पेशाब करना भूल कर अपना लण्ड रूपा की चूत से सटा कर घुसेड़ने की कोशिश करने लगा..
पर सब बेकार.. लण्ड बार-बार चूत से फिसल जा रहा था।
मैं जैसे ही लण्ड को रूपा की चूत से छुलाता.. रूपा मचल कर अपना गाण्ड ऊपर उछालती.. जैसे चूत से लण्ड को निगल जाना चाहती हो।
ये सब देख कर भाभी हँसने लगीं और बोलीं- ऐसे अन्दर नहीं जाएगा.. मेरे राजा.. ला इधर ला.. लण्ड को..। उन्होंने मेरे लण्ड को पकड़ कर उस पर ढेर सारा तेल लगाया.. फिर रूपा की चूत में भी अन्दर तक ऊँगली घुसा कर तेल लगा दिया।
फिर बोलीं- ले अब इसकी चूत तैयार है.. लौड़े को अन्दर लेने के लिए।
उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ा और रूपा की चूत की दरार में रगड़ने लगीं।
भाभी के द्वारा लण्ड को रूपा की चूत पर रगड़ने से रूपा तड़पने लगी और अपने चूतड़ों को ऊपर उठाने लगी।
वो भाभी से कहने लगी- अहहहह आ भाभी इस्स आहह चोद आहह.. चोद चोद दो न..
उसकी इस ‘आह इस आह’ से मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था.. सो मैंने अचानक अपने लण्ड को ज़ोर से चूत में चांप दिया.. तो तेल की वज़ह से लण्ड ‘फच्च’ की आवाज़ के साथ पूरा का पूरा चूत में घुस गया।
‘माआंम्मय्ययई… मार गई.. आऐईईईईईए’
तभी भाभी ने अपने हाथ से रूपा के मुँह को बंद कर दिया..
पर रूपा दर्द से रोने लगी।
उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।
यह देख कर मैं डर गया और लण्ड को चूत से बाहर निकाल लिया।
रूपा की चूत से भी खून बहने लगा था..
खून देखते ही मेरे लण्ड का सारा जोश ही गायब हो गया और मैं बाथरूम से बाहर निकल आया और बिस्तर पर लेट कर डर के मारे मैं भी रोने लगा था।
कुछ देर बाद भाभी और रूपा भी बाथरूम से बाहर आईं.. रूपा लंगड़ा कर चल रही थी.. वो अब भी रो रही थी।
जब भाभी ने मुझे भी रोता देखा तो हँसने लगीं और फिर हमें समझाया कि चुदाई क्या होती है इसमें क्या-क्या होता है.. और ये कैसे किया जाता है…
फिर उसी रात को भैया बाहर चले गए थे तो मैं और रूपा भाभी के साथ उनके कमरे में ही सो गए।
भाभी ने मुझसे चुदा कर रूप को दिखाया कि कैसे मजा लिया जाता है।
अब हम दोनों को भी चुदाई में मजा आने लगा था।
भाभी ने मुझे रूपा की चूत पर चढ़ा दिया और रूपा भी दर्द सहन करके मुझसे चुद गई।
एक बार शुरु हुई चुदाई का खेल उस रात बार-बार चला।
उस दिन के बाद हम तीनों को जब भी मौका मिलता.. हम तीनों अक्सर चुदाई का मज़ा उठाते थे।
तो दोस्तो, यह कहानी मेरे पहले सम्भोग के अनुभव पर एकदम सच पर आधारित है।
मुझे उम्मीद है आपको अच्छी और सच्ची ही लगी होगी।
आपको मेरी इस सत्य घटना से कैसा लगा..
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
माँ की मुँह पेलाई
हाय दोस्तों, मेरा नाम नीरज सिंह है और यह मेरी पहली कहानी है। अगर इसमें कोई गलती हो तो आप लोग मुझे जरूर बताइए।
अब मैं सीधे अपनी कहानी पर आता हूं। मेरे पिताजी का देहांत 3 साल पहले हो गया था। पर भगवान की दया से मुझे उसी साल एक एमएनसी कंपनी में नौकरी लग गई। मुझे मेरी जॉब के कारण तीन-चार महीने तक लगातार घर से बाहर रहना पड़ता है और उसके बाद 3 से 4 हफ्ते घर रहता हूं।
घर पर मेरी मां शकुंतला अकेले ही रहती है, मेरी बड़ी बहन सीमा की शादी हमारे ही शहर में हुई है तो जब मैं बाहर रहता हूं तब मेरी बहन हमारे घर आती-जाती रहती हैं और हमारी मां का ख्याल रखती हैं।
मेरी दो भांजीया हैं शीतल और प्राची। शीतल दसवीं कक्षा में और प्राची सातवीं में पढ़ती है और मेरे जीजा एक प्राइवेट कंपनी में ऑपरेटर का काम करते हैं। मैं जब भी घर आता था तो अपने दोनों भांजीयो के लिए हमेशा कुछ ना कुछ लेकर आता था।
बात 3 महीने पहले की है जब मैं छुट्टियों में घर आया था। सुबह अचानक मेरी नींद खुल गई और जब मैंने घड़ी की तरफ देखा तो सुबह के 7:00 बज रहा था। मैं सीधे टॉयलेट गया फिर जब मैं वापस आ रहा था तो मुझे किचन से कुछ आहट सुनाई दी।मैं दबे पांव किचन की तरफ गया और मैंने देखा की मेरी मां सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट पहन कर फ्रिज में से सब्जियां निकाल रही थी।
मैंने पहली बार रियल में किसी औरत को अर्धनग्न देखा था और वह भी मेरी मां। मां जब झुककर फ्रिज में से सब्जियां चुन रही थी तो उनके 40 इंच के गोल गोल चूतड़ का उभार देख कर मेरा लन्ड हरकत करने लगा और मैं वहीं रुक गया।
गर्मियों का समय था शायद इसीलिए मां सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में काम कर रही थी और मैं हमेशा सुबह लेट उठता था शायद इसीलिए वह निश्चिंत भी थी।
उन्होंने फ्रिज में से 5 ककड़िया निकालकर डाइनिंग टेबल पर रखा और फिर उन्होंने अपना ब्लाउज और पेटिकोट भी उतार दिया यह देख कर मेरी आंखें फटी की फटी रह गई और मेरा लौड़ा पूरा खड़ा हो गया।
मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ आज तो मेरी लॉटरी लग गई थी, मुझे पहली बार हकीकत में किसी औरत को ब्रा और पेंटी में देखने का मौका मिला था
मैं अपना 7 इंच का लन्ड चड्डी में से निकाल कर हिलाने लगा। पर किसी ने सही कहा है जब ऊपरवाला देता है तो छप्पर फाड़ के देता है। क्योंकि अगले ही पल में उन्होंने ब्रा और पेंटी भी निकाल दी।
उनकी पीठ मेरी तरफ था उनके गोरे गोरे गांड को देख कर मैं तो पागल ही हो गया था, उनके गांड की गोलाई 42 इंच से कम ना होगी (आज तक मैंने इतनी मोटी गांड ब्लू फिल्म में भी नहीं देखी थी), अगर यह मेरी मां ना होती तो मैं इनको पटक कर इनकी गांड में अपना 7 इंच का लोड़ा घुसा दिया होता।
अब वह मुड़कर कुर्सी पर बैठ गई , उनकी चूची भी काफी बड़े थे शायद 38 से 39 इंच के होंगे चूची के सेंटर वाला भाग ढाई इंच का डार्क ब्राउन सर्किल वाला था। मेरा तो मन कर रहा था अभी जाकर उनके दोनों चुचियों को चूस चूस कर चूस चूस कर निचोड़ लू। पर मैंने अपने आप पर काबू रखा और सामने का सीन देख कर अपना लौड़ा हिला रहा था।
अब वह कुर्सी के किनारे अपनी गांड रखकर अपना सर और गर्दन कुरसली से सटा दिया और अपनी गांड को थोड़ा सा उठाकर दोनों पैर फैला दिया, जिससे उनकी चूत के अंदर का गुलाबी वाला भाग भी मुझे दिखने लगा।
मेरा ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था, जिस चीज का मैं बचपन से सपना देखता था आज वो मेरे सामने दिख रही थी। मेरे मुँह में पानी आ रहा था पर मेरा दिमाग कह रहा था की वो तेरी माँ है माधरचोद। अगर मेरा दिल मेरे दिमाग पर हावी हो जाता तो मै उन्हें वही पटक कर चोद देता। पर मै वही खड़े होकर आगे का तमाशा देखने लगा।
अब उन्होंने ककड़ी को उठा ली। मुझे लगा वो सीधे ककड़ी को अपने चुत में डालेंगी पर उन्होंने उसे अपने मुंह में ले लिया। मै कन्फ्यूज्ड हो गया की माँ नंगी होकर ककड़ी को चुत में डालने के बजाय उसे खा रही है। लेकिन वो ककड़ी खा नहीं रही थी चूस रही थी जैसे ब्लू फिल्म में लड़किया लण्ड चूसती है।
उन्होंने काकड़ी को पूरा गिला किया और फिर उसे लेकर अपनी चूत पर रगड़ने लगी और धीरे-धीरे उसे अपने चूत में डालने लगे अब उनके मुंह से सिसकारियां निकल रही थी।
फिर उन्होंने दूसरी ककड़ी ली और उसे भी अपनी चूत में डाल कर अंदर बाहर करने लगी। एक एक करके चारों ककड़ी को उन्होंने अपने अंदर बाहर किया फिर उन्होंने पांचवी ककड़ी उठाई यह वाली ककड़ी एक साइड से पतली और दूसरे साइड से बहुत ही मोटी थी।
उसे देख कर जो उन्होंने कहा वह सुनकर मुझे अपने कानों पर भी विश्वास नहीं हुआ।
मां बोली “अहा …अहा।।अरे नीरज के लोड़े, अपनी मां की बुर को चोद चोद कर फाड़ डाल…अहा।।अहा……अहा… कितना मोटा है नीचे से तेरा…अहा…अहा। फट गई रे मेरी चूत।।अहा”
और फिर उन्होंने वो ककड़ी अपने चुत में घुसा ली।
सचमुच मेरा लोड़ा भी ऐसा ही है मेरा सुपाड़ा 2 इंच मोटा और लण्ड का निचला भाग 3 इंच मोटा होगा मतलब आगे से नुकीला और पीछे की तरफ ज्यादा मोटा जैसा वह ककड़ी था जिसे मां तेजी से अंदर बाहर कर रही थी।
यह सुनकर की मां मेरा नाम लेकर हस्तमैथुन कर रही है मैं बहुत एक्साइट हुआ और मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी, मैंने झट से दीवार पर से अपना वीर्य को पोछ दिया।
तभी मा भी बोली “अहा।।अहा…। मैं झड़ने वाली…। हूं…।अहा।।अहा।। तू भी …अहा।।अहा…।।अपना वीर्य मेरे अंदर गिरा दे…अहा।।अहा।।अहा।।अहा।।”
मेरी मां भी शांत हो गई थी मैं चुपचाप वहां से निकल कर अपने कमरे में जाने लगा ताकि मां मुझे देख ना ले, पर मेरा दिल मुझे वहां से हिलने नहीं दे रहा था क्योंकि अभी तक मां नंगी ही थी और मैं उनके नंगी जिस्म का दीदार करते रहना चाहता था जब तक वह कपड़े ना पहन ले।
10 मिनट तक ऐसे ही कुर्सी पर बैठी रहे फिर उन्होंने उन ककड़ियो को काटना शुरू कर दिया। ककड़ियो को काटने के बाद उन्होंने कपड़े पहने और चाय बनाने लगी। चाय बनाने के बाद मुझे जगाने आती थी इसलिए मैं तुरंत वहां से निकल कर अपने कमरे में जाकर सो गया, सच कहे तो सोने का नाटक करने लगा।
10 मिनट बाद मां कमरे में आई और उन्होंने मुझे जगाया।
अब तो उनके हाथों के स्पर्श से भी मुझे गुदगुदी सी हो रही थी।
मां” उठ जा बेटा कितना सोता रहेगा। देख सूरज निकल आया है।”
मैं” मां थोड़ा और सोने दो ना 10 मिनट और।”
मां “जल्दी उठ बेटा नाश्ता करके तुझे सीमा के घर भी जाना है, बच्चो के सामान उन्हें देने है।”
मैं “ठीक है मा उठकर चला जाऊंगा थोड़ा और सोने दो”
मां ने मुझे खींचकर उठा बैठा दिया, जिससे मेरा मुंह सीधा उनके चूची पर आ गया ऐसा तो पहले भी हुआ था पर आज मुझे ऐसा लग रहा था जैसे की मुझे जन्नत मिल गई हो, मेरे दिमाग में सिर्फ यही ख्याल आ कहा था कि अगर मां ने कपड़े ना पहने होते तो उनकी चूची मेरे मुंह में होती और सुबह सुबह जी भर कर उनका दूध पीता। पर अगले ही पल मां ने मुझे हिला कर बिठा दिया मैं भी नाटक छोड़ कर उठा और मुंह-हाथ धोने चला गया।
फिर मैं जब किचन में डाइनिंग टेबल पर नाश्ता करने गया तो देखा मां ने सैंडविच बनाई थी। मैं समझ गया की मा ककड़ी क्यों काट रही थी। उनके चूत के रस की सेंडविच खाने के बारे में सोच कर ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।
मैं उनके चुत पानी का स्वाद डायरेक्ट लेना चाहता था इसलिए मैं ब्रेड हटाकर सीधा ककड़ी ढूंढ ढूंढ कर खाने लगा है जो अभी भी उनकी चूत के रस से गीली थी और उससे कुछ नमकीन सा स्वाद आ रहा था।
यह देख कर मां बोली” नीरज, सेंडविच मे से सिर्फ ककड़ी क्यों खा रहा है।”
मैंने कहा” मुझे ककड़ी बहुत पसंद है, इसलिए पहले ककड़ी खा लू फिर सैंडविच खाऊंगा।”
मां के बुर के पानी का स्वाद पाकर मेरा लोड़ा चड्डी में टन टना उठा। उन्होंने भी यह नोटिस किया और तिरछी नजर से मेरे चड्ढे के उभार को देख रही थी। शायद उन्हें शक हो गया था की मैंने सब देख लिया है, पर वो नार्मल ही बिहेव कर रही थी।
मैंने नाश्ता ख़तम किया और फिर अपनी बहन के घर जाने क लिए निकल गया। मैंने शीतल और प्राची के लिए कपडे लिए थे वही देने जाना था।
जब मै अपनी बहन सीमा के घर पहुंच तो दीदी घर पर अकेले ही थी। जीजा जॉब पर गए थे और बच्चे स्कूल गए हुए थे। मुझे देखते ही दीदी बहुत खुश हुयी।
सीमा ” अरे नीरज, कब आया मेरे भाई? फ़ोन भी नहीं किया? कैसा है? माँ कैसी है? ”
मै ” दीदी बाहर ही सब पूछ लोगी या घर में बुलाओगी ?” और हम दोनों हसने लगे।
सीमा ” ये किसी और का घर थोड़े ही है जो तुझे परमिशन लेनी पड़ेगी?”
सीमा ” चल अंदर बैठ मै तेरे लिए चाय बनती हु ”
यह कहकर सीमा मुड़ी और घर के अंदर जाने लगी। मैं उनके मटकते हुए सुडोल गांड को निहारने लगा। आज से पहले मैंने कभी अपनी बहन की गांड को नोटिस नहीं किया था।
सीमा गांड के मामले में पूरी तरह अपने मां पर गई थी उसकी गांड की गोलाई 38 इंच की है। वैसे सीमा एक साधारण औरत है, उसका रंग थोड़ा सांवला है और उसकी हाइट थोड़ी छोटी है सिर्फ 4 फुट। सीमा की उम्र 36 साल और उसकी चूची 36 इंच की है।
उन्होंने मुझे घर में बिठाया और खुद किचन में चाय नाश्ता बनाने चली गयी। मैं अब बैठे बैठे सीमा की नंगी गांड और नंगी चूची की कल्पना करने लगा और पैंट में मेरा लण्ड पूरा कड़क हो गया। मैंने अपना ध्यान भटकाने के लिए टीवी चालू किया। सोनी पर क्राइम पेट्रोल आ रहा था तभी मेरी दीदी अंदर आई और उन्होंने मुझे चाय दिया।
सीमा “देखा भैया दुनिया में कितना क्राइम बढ़ गया है”
मैं “हां दीदी ”
क्राइम पेट्रोल की कहानी में एक भाई अपनी बहन को नींद की गोली खिलाकर उसकी चुदाई करता है। यह सब देख कर मेरा लण्ड और उछलने लगा। पर मेरी बहन ने शायद उस पर ध्यान नहीं दिया और वो टीवी देखने लगी। तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आई।
सीमा “लगता है शीतल और प्राची आ गए”
सीमा दरवाजा खोलने गेट पर गई। शीतल और प्राची स्कूल ड्रेस में अंदर आए, सीमा किचन में खाना बनाने चली गई।
शीतल अंदर आते ही चिल्ला उठी।
” आप आए हो मुझे बताया नहीं, जाओ मैं आपसे कट्टी”
पर प्राची आते ही मेरे गोद में कूद पड़ी और बोली ” मामा मेरा गिफ्ट कहां है।”
प्राची के मेरी गोद में बैठते ही मेरा लण्ड सीधा उसके गांड को टच करने लगा। मैंने भी उसे अपनी बाहों में कस कर अपनी ओर खींच लिया और ऐसा करते समय मैंने अपना लण्ड उसके गांड के दरार के बीच में एडजस्ट कर दिया।
प्राची की पीठ मेरे पेट से सटी हुई थी।मैंने प्राची को अपने दोनों हाथो से जकड रखा था। ऊपर की तरफ मेरे बाए हाथ से उसके दोनों निम्बू जैसे चूचिया दबी हुई थी और दाहिना हाथ से मैंने उसकी कमर का दबोच रखा था।
मेरे हाथ के दबाव से उसका चुत्तड़ निचे मेरे लण्ड पर धसता जा रहा था और मै निचे से भी को ऊपर दबा रहा था।मेरे लण्ड और उसके गांड के बीच में हमारे कपड़े थे पर फिर भी मुझे बहुत अच्छा लगा।
अब मैं धीरे धीरे अपने लण्ड का दबाव उसकी गांड में बढ़ाने लगा। प्राची तो बच्ची थी उसे लगा कि शायद मामा की जेब में कोई चीज है जो उसको चुभ रही है इसलिए उसने कुछ नहीं कहा।
कहते हैं ना खड़े लण्ड को दिमाग नहीं होता। मै प्राची के अंगो का मजा लेने में इतना मशगूल हो गया की कमरे में शीतल की मौजूदगी भूल गया।
तभी प्राची ने फिर से कहा “मामा मेरा गिफ्ट कहां है”
फिर मुझे मेरी गलती का एहसास हुआ मैंने तुरंत कपड़े वाला बैग प्राची को दिया।
मैं “यह तुम दोनों का गिफ्ट है”
प्राची तुरंत मेरे गोद से उठकर शीतल के पास गयी कपडे देखने के लिए। प्राची के उठते ही मेरे लण्ड का उभार शीतल को साफ़ साफ़ दिखा पैंट के ऊपर से वह एकदम हॉट डॉग जैसा दिख रहा था । वह बड़े ध्यान से मेरे लण्ड के उभार को देख रही थी। फिर दोनों कपड़े देखने लगे।
कपड़े देखने के बाद शीतल ” थैंक यू मामा”
प्राची “तू तो कटी थी ना मामा से, चल तू अपना गिफ्ट को वापस दे दे”
शीतल “मेरे मामा ने इतने प्यार से मेरे लिए ले है मैं वापस थोड़ी करूंगी”
शीतल “थैंक यू मामा वंस अगेन” शीतल धीरे धीरे मुस्कुरा रही थी।
शीतल का रिस्पांस सुनकर मुझे चैन की सांस आई।
मैं” मुझे लेट हो रहा है मम्मी मेरा इंतजार कर रही होंगी। तुम लोग छुट्टी के दिन घर पर आना।”
और मैं घर से बाहर निकल गया।
मैं ” बाई शीतल बाई प्राची ”
दोनों” बाई मामा ”
मैं घर की तरफ निकल गया, रास्ते में मेडिकल स्टोर पर मुझे मेरा दोस्त सुनील नजर आया।
सुनील” नीरज कब आया भाई”
मैं” कल, और बता भाई कैसा है तू”
सुनील”बिल्कुल ठीक हूं भाई”
मैं”और भाई क्या करता है आजकल तू ”
सुनील” भाई, पापा ने यह मेडिकल स्टोर खोला है, यही काम करता हूं।”
मैं “बधाई हो भाई”
अचानक से मुझे क्राइम पेट्रोल वाला सीन याद आ गया। मैंने भी नींद की गोली खरीदने का सोचा।
मैं ” भाई मुझे नींद नहीं आ रही कुछ दिनों से कुछ नींद की गोलियां हो तो देना”
सुनील” भाई नींद की गोली तो डॉक्टर के परमीशन से ही देते हैं”
मैं ” भाई कम से कम दो ही गोली देते हैं खाकर आराम करूंगा”
सुनील “ठीक है भाई, तू मेरा दोस्त है, रुक अभी लाया।”
सुनील ने मुझे २ टेबलेट लाकर दी , मै मन ही मन बहुत खुश हुआ और घर की और चल पड़ा।
घर पहुंचते ही मा ने कहा ” आ गया बेटा चल दोनों साथ में खाना खा लेते हैं”
मैं “हां ठीक है मां मैं भी हाथ मत होकर आया” मैंने जानबूझकर अपना फोन अपने कमरे में रख दिया और आकर डायनिंग टेबल पर बैठ गया।
मा ने हम दोनों की प्लेट मैं खाना निकालकर डायनिंग टेबल पर रखा। मैंने मां से कहा” मां मैं अपना मोबाइल कमरे में भूल गया हूं, प्लीज ला कर दो ना… शायद जरूरी कॉल आ जाए”
मां “ठीक है बेटा, अभी लाइ”
जैसे ही मां मेरे कमरे की तरफ गई मैंने झट से नींद की दोनों गोलियां निकाली और मसलने लगा।
मां कमरे के अंदर से” बेटा, कहां रखा है फोन मिल नहीं रहा”
मैं” देखो मां वही होगा बेड पर, टेबल में”
और मैं जल्दी जल्दी गोलियों को मसल कर पाउडर बनाने लगा।
मां कमरे के अंदर से” बेटा, बेड और टेबल पर नहीं है, तू कहीं अपनी बहन के यहां तो नहीं भूल गया।”
मैं” बैग में चेक कर लो शायद उसमे हो ”
अब तक मैंने नींद की गोलियों का पाउडर मां की दाल में डालकर मिला दिया।
मां” मिल गया बेटा”
मां फोन लेकर कमरे से बाहर आई।
मैं माँ से “मिशन कंपलीट”
मां हंसते हुए “मिशन कंपलीट” और फोन मुझे दे दिया।
मैं मन में” दोनों का मिशन कंपलीट हो गया “।
खाना खाने के बाद मैं मां के सोने का इंतजार करने लगा।
मां के सोने के 15 मिनट बाद मैं उनके कमरे में गया। माँ बेड पर पीठ के बल सोई हुई थी। सोते समय उनके साडी पल्लू निचे गिरा हुआ था और मुझे उनका ब्लॉउज देखकर सुबह का सीन याद आ गया।
पहले तो मैंने मां को आवाज लगाई” मां…मां।।”
मां का कोई रिस्पांस नहीं आया तो मैं उनके पास गया और उन्हें हिलाया। ऐसा लग रहा था जैसे मां बेहोश हो गई हैं उनके शरीर से कोई रिस्पांस नहीं दिया था।
मुझे लगा दवाई का असर हो गया है, आज तो मां को चोद ही देंगे। पर फिर भी मन में एक डर सा लग रहा था अगर मैंने अपना लण्ड मां की चुत में डाला और उनकी नींद खुल गई तो।
मैं मां को नंगा करना चाह रहा था पर इसी डर से असमंजस में पड़ गया।
फिर मेरे दिमाग में आइडिया आया। मैं किचन में गया और वहां से एक गाजर ले आया और उनके सर के पास आकर बैठ गया।
मैंने मां के गालों को दबाया जिससे उनका मुंह थोड़ा खुल गया फिर मैंने उनके खुले हुए मुंह में गाजर का पतला वाला भाग डाला और धीरे-धीरे गाजर उनके मुंह में घुसाने लगा।
मैंने कहा “माँ लो गाजर खा लो”
मुझे पता था की माँ मेरी बाते सुन नहीं रही है पर मुझे उन्हें सम्बोधित करने में अच्छा लग रहा था।
उनका मुंह धीरे धीरे गाजर के दबाव से खुलने लगा। फिर मैंने 5 मिनट तक गाजर को उनके मुँह के अंदर बाहर किया। अब मैं निश्चिंत हो चुका था की उनके मुंह को चोदने से उनकी नींद नहीं टूटेगी।
मैंने कहा ” माँ लगता है आपको गाजर नहीं खाना चलो मै आपको कुछ और खिलता हु, जरा इस गाजर को पकड़ कर रखो मुँह में, मै अभी आया”
और गाजर उनके मुँह में छोड़कर कर मै अपने कपडे उतारकर पूरा नंगा हो गया।
मेरा 7 इंच का लण्ड पूरी तरह खड़ा हो गया था। मैं अपने दोनों पैर के घुटनो को उनके गर्दन के दोनों साइड टिकाकर बैठ गया, जिससे मेरा लण्ड सीधा उनके गालों को छू रहा था।
मै ” चलो माँ अब लण्ड चखने का समय हो गया है।”
अब मैंने गाजर को मां के मुंह से निकाला। उनका मुंह खुला ही था और मैंने अपना लोड़ा उनके मुंह में डाल दिया। ऐसा करते ही मेरे मुँह से आह निकल गयी …”अह्ह्ह …”
मेरे पुरे शरीर में करंट दौड़ गया, मैं तो जैसे जन्नत की सैर करने लगा। अभी तो सिर्फ मेरा सुपाड़ा उनके मुंह में था ,उनका मुँह गाजर के कारण सिर्फ २ इंच तक खुला था। मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता जिससे कोई गलती हो और मां की नींद टूट जाये। मैं धीरे धीरे अपने लण्ड को उनके मुंह के अंदर बाहर कर रहा था, मतलब सुपाड़े को…। क्योंकि मेरे लण्ड का सुपाड़ा ही २ इंच का है और लण्ड का निचला भाग और मोटा है, जबकि माँ का मुँह सिर्फ २ इंच ही खुला था।।
मै ” कैसा लगा मेरे लण्ड का सूपड़ा माँ”
मैं उनका मुंह फैलाना चाहता था, पर आराम से। 10 मिनट धीरे धीरे सुपाड़ा अंदर बाहर करने के बाद मैंने लण्ड का दबाव थोड़ा बढ़ाया जिससे मेरा आधा इंच और लण्ड उनके मुंह में घुस गया। अब मैं धीरे धीरे धक्के मारकर उनके मुंह की चुदाई करने लगा। मेरे इस चुदाई से माँ की सांसे भी तेज हो रही थी।
५ मिनट धक्के मारने के बाद मैंने एक हाथ बिस्तर पर रख कर सहारा लेते हुवे दूसरे हाथ से माँ के सर को निचे से पकड़कर सर को उठाया और उसी समय ऊपर से अपने कमर को निचे दबाया , जिससे मेरा लण्ड ५ इंच तक माँ के मुँह में घुस गया। ऐसा लगा रहा था की अब उनका मुँह फट जायेगा।
उनकी आँखे तो बंद थी पर फिर भी मेरे इस हमले से उनके बंद आँखों के किनारे से पानी आ गया।
मै ” अरे माँ रोना आ गया क्या, चलो आराम से करता हु ” ऐसा कहकर मैंने अपनी कमर पीछे की और सिर्फ २ इंच लण्ड बाहर आया मतलब ३ इंच इन्दर ही था फिर से लण्ड अंदर पेल दिया। और ऐसे ही २ मिनट चोदने पर ही उनकी साँसे फूलने लगी।
मैंने अपना लण्ड बहार निकाला। मेरा लण्ड का आगे वाला हिस्सा उनके थूक से गीला हो गया था ।
मैने माँ को कहा ” माँ लगता है इस पोजीशन में पूरा लण्ड नहीं जायेगा चलो पोजीशन चेंज करते है”
पर माँ तो बेहोश थी गोली के असर से। मुझे भी एक हाथ से सपोर्ट लेना पड़ रहा था तो थोड़ी परेशानी हो रही थी।
मैंने मां को बेड पर ही पीठ के बल ही घुमा दिया और उन्हें इस तरह सुलाया कि उनका गर्दन से नीचे का पूरा भाग बिस्तर पर और सर बिस्तर से नीचे झूलने लगा । मैं बिस्तर से नीचे उतर कर उनके सर के ऊपर बिस्तर से सटकर खड़ा हो गया। अब उनका सर बिस्तर से नीचे और मेरे दोनों पैरों के बीच में था, उनकी चोटी जमीन को छू रही थी। उनका मुँह अभी भी खुला ही था।
मैंने नीचे से उनके सर को दोनों हाथों से पकड़कर उठाया और उनके खुले मुंह में ऊपर से लण्ड पेल दिया।
ऐसा करते ही मुझे ऐसा लगा मानो मेरा लण्ड उनके गले में घुस गया हो जब मैंने नीचे अपने लण्ड की तरफ देखा तो पाया कि मेरा लण्ड 6 इंच तक तक मां के मुंह में घुस चुका था और उनके गले में मेरा लण्ड का उभार साफ नजर आ रहा था… मैंने अपना पूरा लण्ड उनके मुंह से निकाला एक झटके में ही 6 इंच तक फिर से घुसा दिया। और ऐसे ही चुदाई करने लगा ।
मैं ” मां तुम दुनिया की सबसे अच्छी मां हो…अह्ह्ह । आई लव यू मा…अह्ह्ह…आई लव यू… ”
मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूं। तो मैंने सोचा झड़ने से पहले एक बार पूरा लण्ड मां के मुंह में घुसा लू ।
मैंने झट से अपना लण्ड बाहर निकाल दिया, मेरा लण्ड पूरा गीला होगया था । मैंने नीचे मां का चेहरा देखा, उनके मुँह से लार(थूक) बह रही थी जो उनके दोनों गालो से होते हुवे गर्दन पर और फिर जमीन पर गिर रही थी। उनके आँखों के कोने से भी पानी की बूंदे बह रही थी। ये सब मेरे मोटे लण्ड से उनकी गले की चुदाई का नतीजा था।
मां की ऐसी हालत देखकर मैं समझ गया था की उन्होंने बड़ी मुश्किल से मेरा 6 इंच का लण्ड अपने मुंह में लिया है। पर मुझे तो अपना पूरा लण्ड घुसाने का भूत सवार हो गया था।
मैंने मां से कहा” मां, मैं झड़ने वाला हूं, तुमने मेरा 6 इंच का लण्ड में मुंह में ले लिया बस 1 इंच और बचा है। प्लीज।। बस एक बार पूरा लण्ड ले लो मुंह में मेरे झड़ने से पहले।”
मैं अपनी बेहोश मा से रिक्वेस्ट कर रहा था जैसे वह मेरी बातें सुन रही हो और मैं उन्हें मना रहा हूं कि वह मेरा पूरा लण्ड मुंह में ले ले।
मुझे पता था कि इस पोजीशन में शायद मैं अपना पूरा लण्ड घुसा नहीं पाऊंगा।
मैंने माँ को उठा कर निचे जमीं पर बिठाया और उनका पीठ बेड से चिपका दिया ताकि उन्हें सहारा मिल सके।
अब मै उनके सामने खड़ा था और वो बैठी हुई थी उनके दोनों हाथ निचे जमीन पर थे। उनका सर बेड की हाइट से ऊपर था बेड की हाइट सिर्फ उनके गर्दन तक ही थी। अभी भी उनके मुंह से पानी बह रहा था।
मै उनके पास गया और उनका मुँह फैलाकर फिर से अपना लण्ड मुँह में घुसा दिया । पर इस बार सिर्फ 5 इंच ही घुसा था ।
फिर मैंने कहा “चलो माँ तैयार हो जाओ पूरा लेने के लिए”
ऐसा कहकर मैंने उनके सर को दोनों हाथों से पकड़कर अपने लण्ड पर पूरी ताकत से दबा दिया। ऐसा करते ही मुझे मरी माँ के होठो का स्पर्श मेरे आंड पर हुआ यानी मेरा पूरा लण्ड उनके मुँह में था। मुझे ऐसा अहसास हो रहा था मानो मेरा लण्ड उनके गले के निचे तक चला गया है। मैंने अपना लौड़ा उनके मुंह से बाहर निकाला।
इस समय उनके मुंह से लार (थूक) की धार छूटी थी। मेरा लण्ड से भी लार टपक रही थी ऐसा लग रहा था जैसे उसे अभी तेल के डिब्बे में डुबोकर निकाला गया हो । मां का ब्लाउज आगे से पूरा गीला हो गया उनके मुंह के पानी से। अब तक की चुदाई में यह मेरा सबसे आनंदित अनुभव था।
मैं “मां एक बार फिर से”
यह कह कर मैंने फिर से उनका सर पकड़ के अपना लण्ड उनकी गले के नीचे उतार दिया इस बार मैं कुछ पल रुककर लण्ड को पूरा बाहर निकाला और और फिर से पेल दिया।
अब मैंने ऐसे ही चुदाई शुरू कर दी। मेरे मुंह से आहे निकल रही थी “आह्ह्ह्हह्ह…। आह्ह्ह्हह्ह……।आआह्ह्ह्हह्ह …माँ……।आह्ह्ह्हह्ह…मै गया …” और मेरे लण्ड से वीर्य की पिचकारी छूट पड़ी।
मैंने 2-3 धक्के और लगाकर पूरा वीर्य मां के मुंह में निकाल दिया । कुछ तो सीधा उनके गले के नीचे ही गया और बाकी सब उनके मुंह में रह गया। जैसे ही मैंने अपना लण्ड उनके मुँह से बाहर निकाला , उनके मुँह के किनारे से वीर्य बहाने लगा मैंने तुरंत उनका मुँह बंद कर दिया ताकि मेरा वीर्य उनके मुहसे बहार न आये।
मैंने अपने कपड़े पहने और मां को उठाकर बिस्तर पर सुला दिया। अपने कमरे में जाने से पहले मैंने उनका मुंह खोलकर चेक किया तो पाया मेरा सारा वीर्य मां नींद में ही पी चुकी थी, उनके मुंह में कुछ नहीं था।
मैं खुशी खुशी अपने कमरे में जाकर सो गया…
कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्त
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06-10-2021, 12:06 PM,
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desiaks
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मै दोपहर मे माँ की मुँह चुदाई करके सोने चला गया था । माँ नींद में मेरा सारा वीर्य पि गयी थी ।मेरी नींद शाम को ५ बजे खुली जब माँ ने मुझे जगाया । वो चाय लेकर आयी थी मेरे कमरे में, वो बिलकुल नार्मल व्यवहार कर रही थी, क्योंकि उन्हें पता ही नहीं था की नींद की गोली के नशे में मैंने कौनसा काण्ड किया है । माँ अभी भी उन्ही कपड़ो में थी जिसमे मैंने उनके मुँह की चुदाई की थी। उनके ब्लाउज में कुछ धब्बे नजर आ रहे थे । शायद कुछ वीर्य की बुँदे उस पर भी गिर गयी थी ।
माँ " बेटा चाय पी ले, तुझे एनर्जी मिलेगी"
मै " माँ, एनर्जी तो दूध पीकर ही मिलती है ।" मेरी नजर उनके चूची पर थी ।
माँ मुस्कुराते हुवे " वो रात में पी लेना ।" मै असमंजस में पड़ गया की माँ मुझे रात में अपना दूध पिलाएगी या फिर गिलास वाला । फिर मैंने सोचा माँ तो मुझसे डबल मीनिंग वाली बात तो नहीं करती है । शायद रात में गिलास वाला ही दूध मिलेगा । और फिर मेरे शैतानी दिमाग ने दोपहर वाली योजना दौड़ गयी । पर अब नींद की गोलिया ख़त्म हो गयी थी और पता नहीं सुनील और गोलिया देगा भी या नहीं ।
फिर भी मैंने सोचा चलो ट्रॉय करने में क्या जाता है । अगर गोलिया मिली तो रात में दूध में मिलाकर माँ को पिलाया जायेगा और फिर से उनका मुँह चोदा जायेगा ।
माँ " नीरज, कहा खो गया तू? "
मै अपने पलानिंग के खयालो से बाहर आया और बोला " कुछ नहीं माँ मेरा सर दर्द कर रहा है, सोच रहा हु मेडिकल स्टोर से दवा ले लू"
माँ मेरा सर पकड़कर " क्या हो गया मेरे बेटे को"
मै " कोई प्रॉब्लम नहीं है माँ , मै चाय पीकर दवाई ले आऊंगा , ज्यादा दर्द नहीं है ।"
माँ " तू चाय पी ले मै तेरा सर दबा देती हु "
मै मन में "तब तो दर्द मेरे लण्ड में हो रहा है उसे दबाओ ।"
मै " माँ आप तकलीफ मत करो , आप खाना बनाओ तब तक मै दवा ले आता हु और थोड़ा फ्रेश एयर भी मिलेगा तो शायद मुझे अच्छा लगे ।"
माँ " ठीक है बेटा "
हम दोनों चाय पिने लगे । चाय ख़त्म होने के बाद मै तुरंत घर से निकल गया और मेडिकल स्टोर की तरफ जाने लगा ।
मेडिकल स्टोर पर सुनील को देखते ही मैंने कहा " भाई सुनील कैसे हो ?"
सुनील " भाई , मै ठीक हु । तुम वो दवा लाये हो जो मैंने तुम्हे दी थी "
मै तो डर गया क्योंकि मैंने तो इसे झूठ बोलकर खुद के लिए वो दवा मांगी थी और इसे लग रहा होगा की मै रात में खाऊंगा । पर कही इसके बाप को पता चल गया हो और वो इसे डांट रहा हो । मेरा डर बढ़ते ही जा रहा था की मै इसे दवा कहा से लाकर दू ।
फिर भी मैंने अपने आप पर काबू करते हुवे उसे बोला " भाई वो तो कही गिर गयी । मै दूसरी गोलिया लेने ही आया था ।"
सुनील " ओह्ह्ह, वैसे भी वो विटामिन की गोलिया थी मैंने गलती से नींद की गोली समझकर तुझे दे दी थी । इसलिए पूछ रहा था अगर हो तो वापस कर दे मै तुझे नींद वाली गोली दे दू ।"
अब मेरे डरने की नहीं चौकने की बारी थी । इसका मतलब की माँ ने विटामिन की गोलिया ली थी और वो जाग रही थी । मैंने जो भी उनके साथ किया उन्हें सब पता था । पर जब वो जाग रही थी तो कुछ बोली क्यों नहीं । मै यही सब सोचने लगा की सुनील ने फिर से बोला " भाई कहा खो गया, गोली चाहिए या नहीं "
मै " हाँ भाई चाहिए, दे दे।"
सुनील " ठीक है भाई ये ले " और उसने मुझे दूसरी २ गोलिया दी ।
कहानी में नया ट्विस्ट आ गया था। माँ की जानकारी में ही उनके मुँह की चुदाई हुई थी और उन्होंने बहुत ही बढ़िया सोने का नाटक किया था । सोना कहना ठीक नहीं होगा लगभग बेहोश होने का नाटक किया था। मुझे उनका ये नाटक वाला खेल पसंद आया अब मै इसे और रोचक बनाना चाहता था ।
मै जब घर पंहुचा तो माँ किचन में खाना बना रही थी।
मुझे देखते ही मां ने कहा "आ गया बेटा"
मैंने कहा हां मां मैं हाथ में दो कि कपड़े चेंज करके टीवी रूम में बैठता हूं।
मां "ठीक है बेटा"
मै अपने रूम में जाकर कपड़े चेंज किया, लोवर और टी शर्ट पहन ली । और टीवी रूम में जाकर टीवी देखने लगा।
मां खाना बनाकर टीवी रूम में आई और मेरे साथ बैठकर टीवी देखने लगी। रात के 9:30 बजे हम दोनों खाना खाए।
बर्तन साफ करने लगी और मैं दो गिलास में दूध लेकर शक्कर मिलाकर चम्मच से शक्कर को दूध में मिलाने लगा। मां ने मेरी तरफ देखा उन्हें लगा शायद मैं फिर से कोई नींद की गोली मिला रहा हूं और उन्हें दूंगा पीने के लिए। उन्होंने मेरी इस हरकत पर मुस्कुरा दिया।
मैं भी अपने चेहरे पर शैतानी मुस्कान लेते हुए उनके पास गया। जब वह बर्तन साफ कर चुकी थी तो मैंने दूध पिला दिया और दूसरा गिलास खुद लिया।
मां" बहुत सेवा कर रहा है मां की"
मैं "मेरा तो फर्ज है मां तुम्हारी सेवा करना"
मां मन में" हां पता है, गले में सुरंग बना दी अपने मोटे लोड़े से, ऐसी सेवा की"
मां " बहुत ही प्यारा बेटा है मेरा, बहुत ख्याल रखता है मेरा।"
मैं " कहां मां, मैं तो कुछ करता ही नहीं। चलो मैं आज आपके पैर दबाऊंगा ।"
मां मन में" हरामजादे मेरे सोने के बाद पैर क्या तू तो मेरी चूची और चुत्तड़ भी दबा देगा।
मां ने पहले तो मना किया पर मेरे थोड़े से रिक्वेस्ट पर मान गई वैसे तो वह भी वही चाहती थी।
हम दोनों दूध पीकर मां के कमरे में आ गए।
मां बिस्तर पर लेट गई।
मैं उनके पैर के पास बैठकर उनके पैर दबाने लगा।
10 मिनट पैर दबाने के बाद मैंने मां को आवाज लगाकर हिलाया " मां..... मां......मां........."
मां का बेहोशी नाटक-2 शुरू हो चुका था ।
मै उठा और माँ के पास आकर बोल " माँ पैर तो दबा लिया चलो अब चुची दबाने की बारी है ।"
इतना बोलकर मै उनके साड़ी का पल्लू हटा दिया और उनके ब्लाउज के बटन खोलने लगा । उनका ब्लाउज़ मैंने उनके शरीर से अलग कर दिया अब उनकी चुची सिर्फ ब्रा की कैद में थी जिसे मैंने बिना कोई समय गवाए उनकी ब्रा की कैद से आजाद कर दिया ।
अब मां की गोरी गोरी चूचियां मेरे हाथों में थी, बहुत ही मुलायम चूचियां थी मां की| मैं जोर-जोर से मम्मी के चुचियों को मसलने लगा | फिर मुझसे रहा नहीं गया मैंने उनकी एक चूची मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया | मैं हाथ से चूची को दबाकर मुंह से पी रहा था, मानो आम चूस रहा हूं दबा दबा कर| और दूसरे हाथ से उनकी दूसरी चूची को मसल रहा था|
मेरे आनंद की कोई सीमा नहीं थी| मैं एक एक करके उनके दोनों चुचियों को आधे घंटे तक चूसा और दबाया| बाद में जब मैंने देखा तो उनकी दोनों चूचियां लाल हो गई थी और उनका निप्पल का नोकिला भाग एकदम खड़ा हो गया था| मां के गालों का रंग भी लाल हो गया था|
उन्हें देखकर मैंने कहा" मजा आ गया मां दूध पी के"
फिर मैं उठा और अपने सारे कपड़े निकाल दिया| मेरा 7 इंच का लण्ड सलामी देने लगा था| मैं मां की साड़ी खींचकर निकाल दिया| अब मां मेरे सामने अर्धनग्न अवस्था में थी उसके पतन पर सिर्फ पेटीकोट और चड्डी थी| मैंने मम्मी के पेटीकोट और चड्डी उतार दी|
मां बिल्कुल नंगी हो चुकी थी| उनका चेहरा और भी ज्यादा लाल हो गया था और फिर भी उनकी आंखें बंद थी|
शायद शर्म के कारण उनका चेहरा लाल होते जा रहा था| यह देख कर कर मैंने कहा" मां तुम्हारी चूचियां तो चुस ली अब चुत चुसनी है |" यह पहली बार हुआ जब मैंने चुत और चूची का नाम मां के सामने लिया था| भले ही मां सोने का नाटक कर रही थी और मेरी हरकत का मजा ले रही थी पर उन्हें नहीं लगा था मैं सीधे शब्दों में बोलना शुरू करूंगा|
मुझे भी ऐसा बोल कर बहुत अच्छा लग रहा था| मैं मां के टांगों के बीच में गया और उनके दोनों पैर फैला दिया| जिससे उनके चुत के दोनों फांक अलग हो गए और मुझे चुत के अंदर का गुलाबी वाला भाग नजर आने लगा|
मैंने अपने होंठ मां की चुत से सटा दिया| मां के मुंह से ना चाहते हुए भी सिसकारी निकल आई " स्सिसस्स ..."| अब मैं मां की चुत चूसने लगा और मां आंखों को बंद किए हुए हैं अपने दोनों हाथों से बिस्तर को पकड़ कर भींच रखा था| जैसे-जैसे मैं मां की चुत को चाटता गया मां अपने पैरों को और खोलती चली गई| अब मैं चुत के अंदर जीभ डाल डाल के उनकी चुत की चुदाई करने लगा|
नीचे से मा अपने गांड को ऊपर उठा कर एरा साथ दे रही थी ।
मां से कहा" शकुंतला, मैं अब तुम्हारे चुत की चुदाई करने जा रहा हूं , लण्ड में तुम्हें सुबह नाश्ते के समय चुसाउँगा "
मेरे मुंह से अपना नाम सुनते ही मां चौक गई जो उनके चेहरे के भाव से साफ दिख रहा था | मैं फिर से मां के पैरों के बीच में आकर बैठ गया और ना मोटा लण्ड उनके चुत पर रगड़ने लगा| उनकी चुत पहले से ही गीली हो चुकी थी|
माँ के चहरे पर उनकी कामुकता साफ़ नजर आ रही थी । पर वह फिर भी अपने सिसकारियां को दबा रहे थे मैं उनकी आवाज बाहर निकालना चाहता था इसीलिए मैंने उनके चुत के मुंह पर लण्ड का दबाव बढ़ाया और मेरा सुपाड़ा उनके चुत में घुस गया| मैं तो सातवें आसमान पर था फिर मैंने अपना लण्ड चुत से बाहर निकाला और एक जोरदार झटका मारा जिसके कारण मां के मुंह से से चीख निकल गई "आह्ह्ह्हह्ह "| मेरा लण्ड 4 इंच तक चुत में घुस गया था अभी भी 3 इंच चुत के बाहर था |
मैंने अगले ही पल अपना लण्ड बाहर खींचा और फिर जोर से शॉट लगाया|
इस बार चीख के साथ मां पूरी तरह से कांप गई थी| पर इसके बाद मैं नहीं रुका और इसी स्टाइल में उनकी चुदाई करता रहा| 20 मिनट चुदाई करने के बाद मैंने नोटिस किया कि मैं भी नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर चुदाई में मेरा पूरा साथ दे रही है|
और उसके बाद वह झड़ गई पर मेरा पानी अभी निकला नहीं था | मुझे उनकी गांड मारने का बहुत मन कर रहा था|
इसलिए मैंने अपना लण्ड की चुत से बाहर निकाला और मां को पलट दिया और उनके पेट के नीचे दो तकिया रख दीया जिससे उनकी गांड ऊंची उठ गई | मैं अलमारी से नारियल का तेल लेकर आया और मां की गांड की दरार में मैं तेल गिराने लगा जो ऊपर से बहते हुए उनकी गांड की छेद की तरफ जा रही थी| फिर मैंने उंगली से वह तेल की बूंदे मां की गांड के छेद में डालने लगा तेल की चिकनाई के कारण मेरी उंगली आसानी से उनकी गांड में घुस गई |फिर मैं आराम से उंगली गांड के अंदर बाहर करने लगा |
अब मैंने बहुत सारा तेल अपने लण्ड पर लगाया और अपना लण्ड उनकी गांड के छेद में दबा दिया|
तेल की चिकनाई के कारण मेरा सुपाड़ा आसानी से उनकी गांड में घुस गया| मां की गांड बहुत ही टाइट थी जैसे कि मैंने आपको बताया है मेरा लण्ड पीछे की तरफ से और मोटा है मुझे ताकत लगानी पड़ रही थी लण्ड घुसाने में| मैंने बहुत सारा तेल उड़ेल दिया मेरे लण्ड और मां की गांड के ऊपर और फिर धीरे-धीरे उनके ठुकाई करने लगा, लगभग 5 मिनट की मेहनत के बाद मेरा पूरा लण्ड उनकी गांड के अंदर घुस चुका था|
धीरे-धीरे मैंने अपनी स्पीड बढ़ा ली और उनकी गांड की चुदाई करने लगा| 15 मिनट चुदाई करने के बाद मेरा पानी निकलने वाला था|
तभी मैंने अपना लण्ड उनकी गांड से बाहर निकाला और मां को पलट दिया और तकिया हटा दी| अब मां पीठ के बल लेटी थी| मैं उनके सिर के पास गया और अपना लण्ड उनके मुंह से सटाकर बोला " मां मैं झड़ने वाला हूं अपना मुंह खोलो"
पर मां तो बेहोशी का नाटक कर रही थी इसलिए उन्होंने अपना मुंह नहीं खोला|
मैं फिर से बोला " मां मुझे पता है तुम जाग रही हो, चलो जल्दी अपना मुंह खोलो"
मेरे ऐसा कहने से पता नहीं क्यों मा ने अपना मुंह खोल दिया और मैंने अपना लण्ड उनके मुंह में घुसा दिया और जोर जोर से अपने लण्ड को हिलाने लगा फिर मेरे लण्ड ने वीर्य की पिचकारी शुरू कर दी जो सीधा मां के मुंह के अंदर गई |जब मैं पूरी तरह झड़ गया तब मैंने मां का चेहरा देखा उनकी आंखें खुली हुई थी वह मुझे देख रही थी और मेरा लण्ड अभी भी उनके मुंह में ही था|
कहानी अभी बाकी है
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06-10-2021, 12:06 PM,
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
जब मेरे लण्ड ने पूरी पिचकरी छोड़ दी तब मैंने मां का चेहरा देखा उनकी आंखें खुली हुई थी। वह मुझे देख रही थी और मेरा लण्ड अभी भी उनके मुंह में ही था। मेरा लगभग सारा वीर्य वो गटक चुकी थी पर कुछ वीर्य की बूंदे उनके गालों पर बह रही थी|
मैंने मुस्कुराते वो हमसे कहा "मजा आया मा"
मां ने कुछ बोलने के लिए मुंह खुला तो मैंने झट से उनके गालों पर लगे हुए वीर्य को उनके मुंह में डाल दिया| मैंने कहा "मां इसे वेस्ट मत करो बड़ी मेहनत से निकाला है"
मा उस बचे हुए वीर्य को भी पी जाती है|
मां "यह क्या किया तूने मेरे साथ"
फिर मैंने कहा "प्यार किया है मां"
मां बनावटी गुस्से से" शर्म नहीं आती तुझे ऐसा कोई अपनी मां के साथ करता है क्या"
मैं " बिल्कुल मां, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं| और प्यार कभी उम्र,रिश्ते- नाते, मान मर्यादा, समाज की ऊंच-नीच को नहीं मानता|"
मां "मैं भी तुझसे प्यार करती हूं बेटा पर जो तूने किया वह पाप है"
मैं" नहीं मां मैंने कोई पाप नहीं किया| मैंने तो सिर्फ तुमसे प्यार किया और अपने प्यार की निशानी आपके मुंह में दिया"
मेरा यह जवाब सुनकर मां के बनावटी गुस्से वाले चेहरे पर भी मुस्कान आ गई| अभी भी हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे और मां लेटी हुई थी, मैं उनके पास बैठा हुआ था|
मैंने कहा "मां मुझे पता है कि आप नींद में नहीं थी और आपने हमारी चुदाई का पूरा मजा लिया"
यह पहली बार था जब मां जाग रही थी और मैंने चुदाई शब्द का यूज किया था| मैं अब उन्हें और ओपन करना चाहता था ताकि उनकी बची कुची शर्म खत्म हो जाए|
मां" क्या कहा तूने"
मैं "मुझे तो यह भी है जब मैंने दोपहर में आपके मुंह अपना मोटा लण्ड डालकर ठुकाई की थी उस समय भी आप जाग रहे थी"
मां "तू बहुत कमीना है"
मैं " तो आप कुछ कम थोड़ी ना हो, मेरा नाम ले कर के अपनी चुत में ककड़ी डालती हो और वही ककड़ी मुझे खिला देती हो| मुझ में एक कामवासना आप से विरासत में मिली है"
मां "हाय राम, तूने सब देख लिया था क्या"
मैं "हां, इसलिए मैं तुम्हारे चुत की खुजली मिटाना चाहता था| सच बोलो मां आपको संतुष्टि हुई या नहीं"
मां "हां बेटा, आज बहुत दिनों के बाद मुझे शांति मिली, पर तेरा लण्ड बहुत ही बड़ा और मोटा है बहुत ही कम लोगों का ऐसा होता है"
मैं" आपकी गांड भी तो बहुत बड़ी और सेक्सी है, मैं तो आपकी मोटी गांड को देखते ही पागल हो गया था और तभी से आपकी गांड में लण्ड डालने के बारे में सोच रहा था"
मां" हरामजादे, लण्ड डालने का मन कर रहा था या मेरी गांड फाड़ने का मन कर रहा था| बड़ी बेदर्दी से तूने मेरी गांड मारी है| अभी भी दर्द हो रहा है पर मजा भी बहुत आया|"
फिर मैंने मां से सवाल किया "मां, मैं एक बात बोलूं बुरा तो नहीं मानोगी"
मां "तूने मेरी इतनी घमासान चुदाई कर ली तब मैंने बुरा नहीं माना तो तेरी बात का कैसे मानूंगी, चल बोल
मैं" मां जब मैंने आपके मुंह में लण्ड डाला था तो मेरे ख्याल से वह आपके गले के नीचे तक चला गया था, फिर भी आप उसे झेल गई| आप बड़ी माहिर खिलाड़ी लगती हैं लण्ड चूसने में| और तो और आप पूरा वीर्य पी गई, आप तो मुझे पूरी एक्सपर्ट लग रही हैं| कितनी बार लण्ड चूसने का एक्सपीरियंस है आपको"
मां " हरामजादे, मैं समझ गई| तुम मुझसे यह नहीं पूछ रहा कि मैंने कितनी बार लण्ड चूसा है तु मुझसे यह पूछना चाहता है कि मैंने कितनों का लण्ड चूसा है|"
मैं " मां तुम तो बड़े समझदार निकली, चलो बता ही दो कितनों का चूसी हो और पहली बार किसका और कब चूसा था"
मां " कितनों का तो याद नहीं पर हां शायद 30-40 लण्ड तो चूसे होंगे मैंने"
मैं " पहली बार है याद है या नहीं"
मां "पहला सेक्स अनुभव कोई भी जीवन में नहीं भूल सकता| मैं तब प्राची की उम्र की थी जब मेरे पड़ोस वाले भैया ने मुझे अपना अपने लण्ड को चुसाया था|"
मैं अपने लण्ड मसलते हुए " मां का पूरा डिटेल में बताओ ना कैसे हुआ था"
मां" मेरे पड़ोस में चंदू भैया रहते थे वैसे तो उनका नाम चंद्रमोहन था पर सब उन्हें चंदू ही बुलाते थे"
कहानी मां की जुबानी|
मुझे फ्रूट खाने का बहुत शौक था पर मेरे पिताजी ज्यादातर खेतों में ही काम करते थे और बाजार कम जाया करते थे| चंदू का परिवार हमारे पड़ोस में ही रहता था उनके और मेरे परिवार के बीच में पारिवारिक रिश्ता जैसा था|
तो अक्सर शाम को उनके घर जाया करती थी, क्योंकि उस समय अंकल शहर से फ्रूट लेकर आते थे| जो मुझे मिलते नहीं थे घर पर| अंकल हमेशा मुझे कुछ ना कुछ दे देते थे|
पर यह बात चंदू भैया को पसंद नहीं थी|
एक दिन दोपहर का समय था और मेरे माता पिता खाना खाकर कमरे में सो रहे थे| मुझे अपने घर के पिछवाड़े किसी के आहट सुनाई दी | इतनी धूप मैं जल्दी कोई घर से बाहर नहीं निकलता| मैंने पीछे जाकर देखा तो पाया चंदू भैया मम्मी की चड्ढी को अपने लण्ड पर लपेटकर मुठिया मार रहे थे|
मुझे देखते ही वह हड़बड़ा गया| और तुरंत अपना लण्ड अपने पैजामा में डालकर मेरी मम्मी की चड्ढी सूखने के लिए तार पर डाल दिया | मेरे पास आकर बोला " यह बात किसी को मत बताना"
मैं बोली" मैं तो बता दूंगी"
तब उसने अपनी जेब से एक चॉकलेट निकाल कर मुझे दी और कहा "अब नहीं बोलेगी ना"
मैंने ना में सिर हिला दिया|
उसके दूसरे दिन दोपहर में मैं फिर से घर के पिछवाड़े गई| पर आज चंदू भैया नजर नहीं आए| मैंने उनका इंतजार किया| करीब आधे घंटे के बाद मैंने चंदू भैया को आते देखा पर आज उनके हाथ में एक केला था|
मेरे पास आए और बोले" केला खाएगी?"
मैंने हां में सिर हिला दिया | भैया बोले " अगर तुझे यह केला खाना है तो तुझे मेरा केला चूसना पड़ेगा"
मैंने पूछा "आपका कौन सा केला"
जैसे ही मैंने पूछा भैया ने अपने पजामे का नाडा खोला और अपना लण्ड निकाल के मुझे दिखाते हुए कहा "यह वाला"
मैंने कहा " यह तो आप की नुन्नी है"
तब उन्होंने हंसते हुए कहा "इसे लण्ड कहते हैं, नुन्नी छोटे बच्चों की होती है"
अरे हां उनका लण्ड एकदम काला था और उनका सुपाड़ा चमड़ी के अंदर था| जैसे ही उन्होंने चमड़ी हटाई उनका लाल सुपाड़ा टमाटर की तरह दिख रहा था|
अब उन्होंने मुझे अपने पास आने का इशारा किया| मैं चुपचाप उनके पास चली गई फिर उन्होंने वह केला मुझे पकड़ा दिया| मैंने केला ले लिया|
भैया बोले "चल इसे पकड़" अपना लण्ड मेरे मुंह के पास ले आया|
मेरे एक हाथ में केला था तो मैंने दूसरे हाथ से उनका पकड़ा| लण्ड इतना मोटा था कि वह मेरे हाथ की मुट्ठी में नहीं समा रहा था|
फिर वह बोले" चल अब मुंह खोल और इसे लॉलीपॉप की तरह चूस"
मैंने मुँह खोलकर लंड मुँह में डाला पर सिर्फ सुपाड़ा ही जा पाया और मेरा मुँह भर गया। मै सिर्फ उनका सूपड़ा चूसने लगी । तभी उन्होंने कहा पूरा मुँह में लेकर चुसो ।
मैंने कहा पूरा नहीं जायेगा ।
फिर वो बोले" ठीक है, पूरा लंड चाट अपनी जीभ से"
मै जीभ से उनका लंड ऊपर सेकर नीचे तक चाटने लगी ।
उन्हें भी बहुत मजा आ रहा था ।
करीब आधे घंटे चाटने के बाद मैंने कहा मै थक गयी हु ।
तब उन्होंने कहा "ठीक है तू कुछ मत कर सिर्फ मुँह खोलकर खड़ी रह "
उन्होंने फिर से लंड मेरे मुँह में डाल दिया पर इस बार उन्होंने मुझे पकड़ने के लिए नहीं कहा बल्कि मेरे सर पकड़कर रखा सिर्फ सुपाड़ा ही मेरे मुँह में था फिर वो धीरे धीरे सुपाड़ा अंदर बहार करने लगे। मतलब मेरे मुँह से बहार निकलते और अंदर डालते। कुछ देर के बाद अब वो सिर्फ थोड़ा सा ही निकालते मेरे मुँह में लंड हर धक्को में रहता ही था । अचानक से उन्होंने ने धक्को के स्पीड बढ़ा दी जिससे से उनका लंड मेरे गले को टकराने लगा ।
मै उन्हें मन करने के लिए बोल रही थी पर मेरे मुँह में लंड होने के कारन सिर्फ गूऊऊऊ गूऊऊऊ की आवाज ही निकल रही थी ।
तभी उन्होंने एक जोर का झटका मारा और मेरे सर को अपने लंड पारा जोर से दबाया ।
उनका लंड मेरे हलक के निचे उतर गया था । और वो झाड़ गए उनका सारा वीर्य सीधा मेरे पेट में गया । फिर उन्होंने अपना लंड बाहर निकला कुछ वीर्य मेरे मुँह में था जो लंड के बहार एते ही बहार आ गया ।
मुझे जोर की खासी आयी। मै खांसने लगी। जब मै नार्मल हुई तो देखा भैया अभी भी अपना लंड पकड़ कर खड़े है । वो मेरे पास आये और गाल से वीर्य पोछ कर मेर मुँह में डाल दिया बोले पूरा पि जा । जब मै वो पि गयी तो बोले चल अब इसे चाट चाट कर साफ़ कर । लंड के किनारे में भी कोछह वीर्य लगा था जो मैंने चाट चाट कर साफ़ किया ।
फिर ये हमारा डेली का रूटीन हो गया था । वो हर दोपहर में कुछ न कुछ मुझे खिलाते और अपना लंड मुझे चुसाते ।
हम बिस्तर पर नंगे लेते हुवे थे । माँ की कहानी सुनकर मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया । माँ उसे देख कर बोली "तेरा केला मेरे केले वाली कहानी सुनकर फिर से खड़ा हो गया । अब फिर से इसे शांत करना पड़ेगा । "
मैंने कहा "माँ इसे आप इस बार मुँह में लेकर ही शांत करो जैसे चंदू अंकल का लिया था । क्यों बिलकुल उनके जैसा है ना ये "
माँ " तेरा लण्ड तो चंदू भैया के लण्ड से भी मोटा है और बड़ा है।"
मै "पर माँ लण्ड बड़ा और मोटा हो तभी तो मजा आता है, अगर आपको पहली बार मेरे जैसा लण्ड मिलता तो ज्यादा मजा आता ना ।"
माँ मेरे लण्ड को हाथो से सहलाते हुवे " तेरा लण्ड तो सही में जबरजस्त है, पर उस समय मै चंदू भाई का लण्ड ही मुश्किल से मुँह में ले पा रही थी तो तेरे जैसा कैसे ले पाती "
फिर माँ मेरे पैरो के बीच में आ गयी । और उन्होंने मेरे लण्ड के सुपाड़े को प्यार से चूमा और कहा " ये तो असल में मर्दाना लण्ड है "
और मेरे लण्ड को ऊपर से नीचे तक चूमने और चाटने लगी, बीच- बीच में वो मेरे अंडो को भी चूसती थी । मुझे बहुत मजा आ रहा था, माँ सच में एक बेहतरीन खिलाड़ी थी । उन्हें पता है की मर्द को कैसे खुश किया जाता है ।
माँ ने कहा " बेटा, मजा आ रहा है ना "।
मैंने कहा " हाँ माँ बहुत मजा आ रहा है आप बहुत अच्छी हो,आय लव यू "
माँ " अभी और मजा आएगा बेटा "
यह कहकर माँ ने मेरे लण्ड को मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी वो लण्ड को मुँह में गले तक ले जाती फिर बहार निकालती । मै तो जन्नत की सैर कर रहा था ।
वो लण्ड को ५ इंच तक मुँह के अंदर ले जाती फिर बाहर निकलती फिर उतना ही अंदर लेती । मेरा पूरा लण्ड उनको थूक से भीग गया था ।
करीब १५ मिनट तक उन्होंने मेरे लण्ड को ऐसे ही चूसा । उनके इस एक्शन से मुझे लगा की मै झड़ जाऊंगा । मै एक बार फिर से पूरा लण्ड उनके मुँह में देना चाहता था ।
मैंने उनसे कहा " माँ पूरा लो ना "
उन्होंने कहा " तूने कल बड़ी बेदर्दी मेरे मुँह में अपना पूरा लण्ड घुसाया था, चल आज मै ट्राय करती हु "
यह कहकर उन्होंने पूरी ताकत से मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेना चाहा पर सिर्फ ६ इंच तक ही वो ले पायी १ इंच बाहर ही रह गया ।
फिर उन्होंने लण्ड बाहर निकाला, वो हाफने लगी थी । शायद लण्ड उनके गले तक चला गया था ।
उन्होंने कहा " बहुत मुश्किल है "
मैंने कहा " माँ मुश्किल है नामुमकिन नहीं , चलों फिर से ट्राय करो मै हेल्प करूँगा "
फिर उन्होंने लम्बी सांस ली और लण्ड मुँह में लिया । इस बार मैंने उनका सर पूरी ताकत से दबा दिया और नीचे से भी लण्ड को झटका दिया । और लण्ड पूरा उनके गले के नीचे उतर गया । मै कुछ सेकंड ऐसे ही रुका फिर उन्हें छोड़ा ।
अब की बार माँ खांसने लगी और जोर जोर से साँसे लेने लगी ।
जैसे ही वो थोड़ी नार्मल हुयी तो मैंने उन्हें इशारा किया लण्ड मुँह में लेने का । वे अपना मुँह खोलकर लण्ड लेने के लिए झुकी तो मैंने उनका सर पकड़कर लण्ड पेल दिया सीधा जड़ तक । मेरे इस हमले से वो पूरा हिल गयी । मैंने उनके सर को थोड़ा ऊपर उठाया जिससे मेरा लण्ड उनके गले से निकलकर मुँह तक आ गया फिर मैंने उनके सर को जोर से दबा दिया और लण्ड उनके गले के नीचे उतार दिया । ऐसे ही ४ धक्को के बाद मेरा पानी निकल गया और सीधा माँ के गले के नीचे चला गया ।
जैसे ही मैंने अपना लण्ड निकाला माँ उठ बैठी और हाफने लगी । माँ की हालत बहुत खराब हो गयी थी । जब उनकी सांस नार्मल हुयी तो उनहोने कहा " माधरचोद, बड़ा बेरहम है तू "
मै हसने लगा ।
माँ मुझे गालिया दे रही थी ।
माँ " हस रहा है, हरामजादे, मेरी सांस रुक जाती तो ।"
मै " सॉरी माँ "
माँ" बहनचोद, पहले हालत ख़राब करता है फिर सॉरी बोलता है "
मैंने मुस्कुराकर कहा " माँ अभी तो मै सिर्फ माधरचोद बना हु , बहनचोद बनना अभी बाकि है "
माँ" साले तेरी नजर सीमा पर भी है। कितना बड़ा कमीना है तू " यह बोलकर वो हँसाने लगी
(सीमा मेरी बेहेन का नाम है )
मुझे माँ के मुँह से गालिया सुनना बहुत अच्छा लग रहा था ।
मैंने उन्हें कहा आपके मुँह से गालिया सुनना बहुत अच्छा लग रहा है । उन्होंने कहा गाली देकर सेक्स करने में बहुत मजा आता है ।
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06-10-2021, 12:06 PM,
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मैंने उन्हें कहा आपके मुँह से गालिया सुनना बहुत अच्छा लग रहा है । उन्होंने कहा गाली देकर सेक्स करने में बहुत मजा आता है ।
जब मैंने घडी की तरफ देखा तो रात के १ बज रहे थे ।
मैंने माँ से कहा " माँ चलो अब सो जाते है बहुत रात हो गयी है "
माँ "ठीक है, मेरी पेंटी और ब्रा कहा है "
मैंने कहा "ऐसे ही सो जाओ माँ सुबह दूसरी पहन लेना ।"
माँ ने कुछ नहीं कहा सिर्फ मेरी तरफ देखकर नॉटी वाली स्माइल दी । फिर हम दोनों नंगे ही सो गए एक दूसरे से चिपक कर । सुबह मेरी नींद ९ बजे खुली जब मैंने बेड पर देखा तो सिर्फ मै नंगे था और माँ नहीं थी रूम में । मै नंगे ही उठ कर सीधा किचन में गया । वहा माँ नाश्ता बना रही थी । माँ सुबह नाहा धोकर नयी साड़ी पहनी थी । मै जाकर उनसे चिपक गया और बोलै " माँ कपडे क्यों पहन लिए"
माँ बोली " तो फिर क्या मै नंगे रहु घर में "
मै " और नहीं तो क्या , जब तक मै रहुगा हम दोनों घर में नंगे ही रहेंगे "
तभी दूर बेल बजी ।
मैंने गुस्से में कहा " कौन कम्बख्त आ गया इतनी सुबह अपनी गांड मरवाने "
माँ हँसने लगी और बोली " इसलिए कपडे पहनना जरुरी है "
मै तुरंत अपने कमरे में जाकर कपडे पहनने लगा और माँ ने जाकर दरवाजा खोला ।
जब मै हाल में आया तो देखा की पड़ोस वाली सुधा आंटी आयी हुई है ।
मैंने उनका हाल चाल पूछा । तभी माँ ने मुझे आवाज लगाईं में कीचन में चला गया ।
हां दोस्तों मैं उनका इंट्रोडक्शन दे देता हु ।
सुधा आंटी उम्र 40 साल, चुत्तड़ की गोलाई ३८ और चूची नाप ३६ । उनका पति मेरे पिताजी के साथ काम करते थे । उनके और हमारे बीच में परिवार जैसा रिलेशन था ।
मै माँ से " ये आयी है गांड मरवाने , इनकी गांड मारने में तो बहुत मजा आएगा "
माँ " हट बदमाश कही का, हमेशा चुदाई ही दिखती है " और मेरे गाल पर एक प्यार वाली चपत लगा दी
फिर माँ ने मुझे नाश्ते की ट्रे पकड़ाई और खुद चाय का ट्रे लेकर हाल में आने लगी ।
हम हाल में बैठकर चाय पीते हुए बात करने लगे ।
सुधा " नीरज तुम्हारी जॉब कैसे चल रही है "
मै " अच्छी चल रही है"
सकुन्तला (मेरी माँ)" क्या अच्छी चल रही है हमेशा घर से दूर ही रहता है "
सुधा " दीदी ,इतनी अच्छी नौकरी नसीबवालों को मिलती है।अपना बेटा पढ़ने में इतनी मेहनत किया तभी उसे मिली है "
मै " थैंक यू आंटी "
सुधा" बेटा , तुमसे एक बात करनी थी । वो राजीव सर है ना जो निर्मला को टूशन पढ़ाते थे, उनके दादाजी की डेथ हो गयी है और वो गांव चले गए है। तू घर पर ही है, अगर एकाध घंटे पढ़ा सकता है निर्मला को तो अच्छा रहता "
निर्मला , उनकी एकलौती बेटी जो १० क्लास में पढ़ती थी और उसके बोर्ड के एग्जाम है । पढ़ने में वो बहुत ही कमजोर है उसके पढाई के लिए पर्सनल टुटर भी रखा है पर फिर भी वो जैसे तैसे पास होती है ।
और हां राजीव मेरे स्कूल का क्लासमात था जो १२ के बाद बीएससी करने चला गया (और मै इंजीनियरिंग )वही निर्मला को टूशन पढ़ा रहा था ।
मुझे बिलकुल भी उसे पढ़ाने का मन नहीं था , क्युकी उसे पढ़ाने का मतलब है पत्थर पर सर फोड़ना ।
मै कुछ कहता उससे पहले ही सकुंतला(मेरी माँ) बोल उठी " पढ़ायेगा , जरूर पढ़ायेगा जितने दिन है एकाध घंटे पढ़ा लिया करेगा और करना ही क्या है इसे "
मै मन में " तुम्हारी गांड मारनी है और क्या करना है "
सुधा " ठीक है बेटा आज दोपहर को आ जाना पढ़ाने "
मै उदास मन से " ठीक है आंटी "
फिर वो चली गयी ।
उनके जाते ही मैंने माँ से कहा " तुमने उनको ये क्यों कह दिया मै निर्मला को पढ़ाऊंगा , तुम्हे पता है उसके अकल में भूसा भरा है उसे कुछ समझ में नहीं आता । उसे पढ़ाऊंगा तो मै पागल हो जाउगा "
तब माँ ने मुझे कहा " हमारे गांव में कहावत है गाय को काबू में करने के लिए उसके बछड़े ( गाय का बच्चा ) को प्यार करना पड़ता है "
मै " क्या मतलब "
माँ" तुझे अगर सुधा की गांड चाहिए तो तुझे निर्मला को पढ़ाना ही होगा " यह कहकर वो हसने लगी ।
उनकी कमीनेपन वाली बात सुनकर मेरे अंदर का भी कमीनापन जाग गया और मेरे चहरे पर भी मुस्कान दौड़ गयी ।
मैं दोपहर को आंटी के घर पर गया| मुझे हॉल में बिठाया अभी निर्मला भी स्कूल से आई और वह स्कूल यूनिफॉर्म में ही थी|
आंटी ने उससे कहा "बेटी आज से नीरज भैया तुझे बनाएंगे जब तक तुम्हारे राजीव सर वापस नहीं आ जाते हैं "
निर्मला ने कहा ठीक है मां मैं भी हाथ मुंह धोकर आई|
निर्मला सांवले रंग की दुबली पतली लड़की है|
फिर वह हाथ पैर धोकर स्कूल ड्रेस में ही मेरे पास आकर बैठ गई बोली "भैया, मेरा मैथ बहुत कमजोर है | आज आप मैथ स्टार्ट करो ना"
मैं मन में" पहले दिन मुझे पागल बनाई गई क्या"
मैं "मैथ की बुक ओपन करो"
आंटी "बेटा तुम लोग पढ़ाई करो मैं आराम करती हूं"
मैंने निर्मला को पढ़ाना शुरू किया| एक सिंपल सा लेसन स्टार्ट किया| जो उसे थोड़ा थोड़ा समझ में आने लगा| फिर मैंने उसे कुछ प्रॉब्लम दिया कॉल करने को और कहा "अगर गलती हुई तो मैं पिटाई भी करूंगा पर आंटी को बताना मत| नहीं तो मैं कल से तुम्हें नहीं पढ़ाऊंगा |"
उसने हां में सर हिलाया|
उसे मैंने पहले बहुत सिंपल प्रॉब्लम दिए थे, जिसे उसने सॉल्व कर लिया था|
मैंने उसका हल देख कर उसे शाबाशी दी और थोड़े हार्ड प्रॉब्लम उसको दिया|
इस बार वह उन्हें सॉल्व नहीं कर पाई| तो मैंने कहा अब तुम्हें मार पड़ेगी तो उसका मुंह लटक गया|
और उसने अपने दोनों हाथों में मुट्ठी बांध ली| मुझे पता चल गया की इसकी स्कूल में बहुत पिटाई होती है इसलिए वह अपने हाथ छुपा रही थी|
मैंने उससे कहा "लगता है, तुम्हारे हाथों में बहुत पिटाई हुई है"
निर्मला ने हां में सिर हिला दिया|
मैंने उससे कहा "मैं तुम्हें हाथों में नहीं दूसरी जगह मारूंगा"
निर्मला" दूसरी जगह मतलब"
मैं"तुम्हें पता है डॉक्टर हाथों में सुई लगाता है और जिन्हें वो हाथों में नहीं लगाता तो कहां लगाता है"
मैंने एक चाल चली थी देखना यह था इसमें निर्मल फसती है या नहीं|
उसने कुछ नहीं कहा|
मैं "समझी या नहीं"
उसने इस बार फिर से हां में सिर हिलाया|
मैं "तो कहां खड़ी है मार"
वह मेरे पास आकर झुक गई| मैं खुश हो गया आज कम से कम इसकी गांड थपड़ियाने का मौका मिला है| मेरे आज की ट्यूशन की फीस वसूल हो गई थी|
तभी मैंने सोचा अभी अच्छा मौका है इसके चुत और गांड के दर्शन कर सकते हैं|
मैंने उसे कहा" ऐसे नहीं निर्मला, चलो सोफे पर घोड़ी बन जाओ"
उसने वैसा ही किया| मैं उसके पीछे गया और उसकी स्कर्ट उठा दी| उसने पिंक कलर की फ्लावर वाली पैंटी पहनी थी|
निर्मला बोली "भैया, यह क्या कर रहे हो"
मैं" डॉक्टर क्या कपड़े के ऊपर से सुई लगाता है"
फिर उसने कुछ नहीं कहा और सर झुका कर घोड़ी बनी रही| उसका कोई विरोध ना पाकर मैं खुश हो गया| और मैंने उसकी पेंटी इश्क घुटनों तक पहुंचा दी अब उसकी गांड मेरे सामने नंगी थी | मुझे उसकी गांड का छेद और चुत दोनों नजर आ रहे थे| मेरा लण्ड खड़ा हो गया था
मैं उसकी गांड निहार ही रहा था तभी निर्मला बोली "भैया, मारियेना | कब तक झुकाकर रखेंगे|"
मैं मन में "जब मैं मारने लगूंगा तब आधे घंटे तक तुम्हें झुकेही रहना पड़ेगा उससे पहले मेरा पानी नहीं निकलेगा"
मैं निर्मला से "अरे, डंडा नहीं मिल रहा, किससे मारु"
निर्मला" हाथ से ही मार लीजिए ना, डंडा से अगली बार मारिए गा"
मै मन में बोला हाथ से नहीं लण्ड से मरूंगा आज तो |
मैं " अरे हाँ, मेरे पास तो डंडा है 7 इंच का"
"ऐसे ही झुकी रहो" फिर मैंने लोअर नीचे करके लण्ड निकाला और उसके चुत्तड़ो पर अपने लण्ड से मारने लगा | मेरा मन तो कर रहा था की अभी उसके गांड की छेड़ में लण्ड पेल दू। पर आंटी घर में थी। मुझे अपने आप पर कंट्रोल करना था ।
मुझे बहुत मजा आ रहा था| मैंने उसके चुत्तड़ के दोनों गोलाई पर अपने लण्ड से १०-१० बार मारा । मैंने अपना लण्ड फिर से लोवर में डाल लिया और उसे बोला "हो गयी पिटाई तुम्हारी ।"
वो मुस्कुराते हुवे बोली " भइया आपके डंडे में तो दम ही नहीं है , मुझे तो बिलकुल दर्द नहीं हुआ "
मै मन में " मेरी जान अगर सही जगह पर मरता मेरे डंडे से तो तुम ठीक से दो दिन तक चल नहीं पाती, तब तुम्हे पता चलता डंडे का दम "
मै सिर्फ मुस्कुरा कहा " चलो अच्छा है तुम्हे मेरे डंडे से डर नहीं लगता , पर अगर तुम गलती करोगी तो इसी डंडे से तुम्हे मरूंगा फिर से "
मैंने उसे थोड़ा और पढ़ाया फिर अपने घर आ गया ।
घर पर आने के बाद भी मुझे निर्मला की गांड ही नजर आ रही थी । मेरा लण्ड साला बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था ।
मुझे अपना पानी जल्दी निकालना था और वो भी गांड में । और मेरे पास मरने के लिए सिर्फ माँ की ही गांड थी ।
रात का खाना खाने के बाद मैंने माँ से कहा " माँ जल्दी काम ख़तम करके नंगे ही बेडरूम में आओ अपना राउंड शुरू करना है "
माँ " बड़ा बेसब्र हो रहा है तू "
मैंने उनकी बात का बिना जवाब दिए बैडरूम में चला गया । मैं अपने कपडे निकाल कर नंगा हो गया और नारियल का तेल लेकर लण्ड पर लगाने लगा और लण्ड को हिलाने लगा ।
जब माँ कमरे में आयी तो वो पूरी नंगी ही थी । जैसा मैंने उनसे कहा था वैसे ही थी ।
मेरी ऐसे उतावलेपन को देखर वो बोली " क्या हो गया है तुझे लण्ड पर तेल लगाकर बैठा है , क्या करने का इरादा है ।
"माँ अभी तो तुम्हारी गांड मारनी है जल्दी से घोड़ी बन जाओ ।"
माँ बिस्तर पर आयी और घोड़ी बन गयी ।
मै उनके पीछे गया और उनके गांड के चीड़ में नारियल का तेल लगाया फिर अपना लण्ड उनके टाइट गांड के छेद में रखकर एक जोरदार का शॉट लगाया और पूरा लण्ड सरसराता हुआ जड़ तक उनकी गांड में घुसा दिया।
माँ के मुँह से चीख निकल आयी " आआह्ह्ह्हह.......... मार.......... डाला रे ..........गांड फाड़ दी रे "
"आराम से कर.......... माधरचोद , मै कही भागी थोड़े जा रही हु ........आआह्ह्ह्हह "
मैंने उनकी बात सुनकर अनसुनी कर di और तेज -तेज धक्के लगाने लगा ।
" हरामजादे.......... आआह्ह्ह्हह.......... मेरी गांड फाड़ डालेगा क्या "
मै " हाँ रंडी आज तेरी गांड फाड़ डालूंगा "
पहली बार मैंने माँ को गाली दी थी पर वो गुस्सा नहीं हुई बल्कि मुझे और गालिया देने लगी ।
"भड़वे , बहनचोद कल भी इतनी बेदर्दी से नहीं चोदा था जितनी बेदर्दी से आज चोद रहा है "
उनकी गांड बहुत ही टाइट थी, मुझे मजा आ रहा था । मै ये सोचने लगा की माँ की गांड इतनी टाइट है तो निर्मला की कितनी टाइट होगी। निर्मला की गांड का ख्याल एते ही मेरा जोश और बढ़ा गया और मै बहुत तेज झटके मारने लगा । मै माँ के कमर को पकड़कर पूरा लण्ड निकलता फिर एक ही बार में जड़ तक घुसा देता।
मेरे झटको साथ माँ पूरा हिल जा रही थी और उसकी आहे निकलने लगती थी ।
माँ मुझे गालिया दे रही थी " कमीने.......... माधरचोद.......... जंगली बन गया है क्या "
"बहनचोद......आआह्ह्ह्हह...... जानवर बन गया है............आआह्ह्ह्हह......... तू .........आआह्ह्ह्हह................. आराम से.......... पेल......आआह्ह्ह्हह "
मै निर्मला के ख्यालो में माँ की गांड का भुर्ता बना रहा था ।
करीब 30 मिनट की चुदाई के बाद मै झाड़ गया ।
मैंने 2-3 झटके और मारकर पूरा माल माँ की गांड में ही निकाल दिया ।
फिर मैंने अपना लण्ड माँ की गांड से निकाला उनकी गांड के छेद से वीर्य की धार बहने लगी जो उनके चुत तसे होते हुवे बिस्तर पर गिरने लगा ।
मैंने जैसे उनके कमर को छोड़ा वो बिस्तर पर लुढ़क गयी पेट के बल । मै उनके बगल में जाकर लेट गया ।
माँ मेरी तरफ देखकर बोली " मजा आया बेटा "
मैंने कहा "हां, और आपको "
माँ " मुझे भी बहुत मजा आया , तूने आज मेरी हालत ख़राब कर दी पर उसी में ज्यादा मजा आता है"
मैं फिर निर्मला के गांड के बारे में सोचने लगा की कैसे उसकी गांड ली जाए क्युकी अंकल तो जॉब पर चले जाते है पर आंटी तो उस समय घर पर ही रहती है ।
फिर मेरे शैतानी दिमाग में आईडिया आया । क्यों ना माँ की हेल्प ली जाए इसमें ।
मै " माँ , तुम मेरी हेल्प करोगी सुधा आंटी की लेने में "
माँ" कैसी मदद चाहिए तुझे "
मै उन्हें अपना प्लान बताया ।
मैंने कहा की आप उन्हें अपने साथ बैठाकर सेक्स की बाते करके उत्तेजित करो
और उन्हें मेरे लण्ड के साइज के बारे में भी बता दो उन्हें कह देना की तुमने सोते टाइम मेरा लण्ड देख लिया था और कितना बड़ा और मोटा है ।
माँ " समझ गयी, ये तो मै बड़े आराम से कर लुंगी । "
"लेकिन ये सब तेरे सामने कैसे बात करुँगी"
मै " मै जब निर्मला को पढ़ाने जाओ तो आप उन्हें यहाँ बुला लो किसी बहाने फिर आप अपना काम करना और मै अपना ।
माँ " तु कौनसा काम करेगा "
मै " बछड़ी (गाय की बच्ची ) को प्यार करना पड़ेगा ना गाय को काबू में करने के लिए "
माँ हसने लगी ।
फिर मैंने कहा " जब आपको लगे वो मुझसे चुद जाएगी तो मै बिमारी का बहना बना कर घर पर रूक जाऊंगा और आप उन्हें मेरा ख्याल रखने के लिए बोलकर दीदी के यहाँ चले जाना। फिर मै उन्हें पेल दूंगा "
माँ ने कहा " तेर कमीने दिम्माग ने बहुत बढ़िया प्लान बनाया है "
मै मन में " मेरा पूरा प्लान सफल होगा तब तुम कहोगी की मैंने एक तीर से दो निशाने लगा दिए "
मै माँ से " थैंक यू माँ "
मै "चलो अब सो जाते है कल बहुत काम है हमें ।"
दूसरे दिन सुबह मैं उठ कर नहा धोकर तैयार हो गया| मेरे दिमाग में बहुत सारे आईडिया आ रहे थे कि कैसे निर्मला की गांड ली जाए| दोपहर होने का इंतजार करने लगा|
जैसे ही निर्मला के स्कूल से आने का समय हुआ| मैंने मां से कहा "मैं सुधा आंटी के घर जाता हूं और उन्हें आपके पास भेज देता हूं"
मां "ठीक है"
जाने से पहले मैंने मां को एक 5 मिनट का लिप किस दिया| और उन्हें बेस्ट ऑफ लक बोल कर सुधा आंटी के घर चला गया|
सुधा आंटी के घर|
जब मैंने बेल बजाया तो निर्मला ने दरवाजा खोला| आज भी निर्मला स्कूल ड्रेस में थी| उसे देख कर मैंने उसे स्माइल दी और उसके उत्तर में उसने भी मुझे स्माइल दिया|
फिर मैंने उससे पूछा "आंटी कहां है"
निर्मला "किचन में"
मैं" आंटी को मम्मी ने बुलाया है"
निर्मला "क्या काम है"
मैं "पता नहीं, औरतों की बातें" और मैंने उसे आंख मार दी|
निर्मला मुस्कुरा दी |
फिर उसने सुधा आंटी को आवाज लगाया "मम्मी, भैया आए हैं और आपको आंटी बुला रही हैं"
और उसने मुझे हॉल में बिठा दिया|
आज निर्मला को सर्दी जुकाम हो गई थी| मैं मन में उदास हो गया इसकी तबीयत सही नहीं है आज तो कुछ कर ही नहीं पाएंगे|
तब तक सुधा आंटी आई और उन्होंने मुझसे पूछा " क्या हुआ बेटा दीदी क्यों बुला रही है"
मैंने कहा "पता नहीं आंटी वही जाने"
सुधा ने कहा" ठीक है, मैं मिलकर आती हूं"
सुधा आंटी निर्मला से " एक काम करना शहद ले ले तुझे आराम मिलेगा"
फिर आंटी चली गई|
निर्मला" भैया, आप बैठो में शहद खाकर आती हूं"
शहद के बारे में सोचते ही मेरे दिमाग में एक और आईडी आया| मैंने निर्मला से कहा" शहद को खाने से ज्यादा उसका लेप लगाने से फायदा मिलता है"
निर्मला आश्चर्य से "लेप लगाने से"
मैं" हां, तुम शहर लेकर आओ मैं बताता हूं"
किचन में गई और शहद लेकर वापस हॉल में आई| फिर मैंने उसे कहा" देखो अगर तुम शहद को खाया तो वह सीधा पेट में जाएगा, फिर वहां से वह धीरे धीरे अपना असर दिखाएगा और तुम्हारा सर्दी जुखाम कई दिनों में ठीक होगा"
वह मेरी बातों को बड़े ध्यान से सुन रही थी|
मैं आगे कहता है गया" इसलिए अगर तुम शहद को मुंह और गले में ही रखो तो वह ज्यादा असर करेगा, क्योंकि मुंह और गले का कनेक्शन नाक से है और शायद तुम्हारी सर्दी 2 दिन में ठीक हो जाए, "
मैंने निर्मला की तरफ देखा उसको मेरी बातों पर विश्वास हो गया था और मैं खुश हो रहा था चलो स्टार्टिंग तो हो जाएगी आज|
निर्मला " ऐसी बात है भैया"
मै" हां लेकिन याद रहे शहद खाना नहीं है मुंह और गले में सिर्फ लगाना है"
निर्मला" वह कैसे लगाऊं भैया"
मैंने कहा" ला मैं तेरी हेल्प कर देता हूं"
निर्मला" ठीक है भैया"
मैंने शहद का बोतल खोली अपनी एक उंगली उसने डुबो दी|
मैं निर्मला से " चलो मुंह खोलो"
उसने मुंह खोला और मैं उंगली उसके मुंह में डाल के शहद को उसके मुंह के अंदर लगाने लगा| जब मैंने उंगली पूरी तरह से उसके मुंह में चारों तरफ घुमा ली तो मैंने उसे कहा "मुंह में लग गया| अब गले में लगाना बाकी है|"
मेरे बात का जवाब देने के लिए उसने अपने मुंह का थूक गटक लिया और कहा "गले में कैसे लगाओगे"
मैंने कहा" गलती कर दी ना, जितना भी शहर लगा था सब पी गई"
निर्मला " सॉरी भैया"
निर्मला " आप फिर से लगा दीजिए"
मैं "नहीं, मुझसे बात करने के लिए शहद पूरा निकल जाओगी "
निर्मला " ठीक है भैया अब मैं नहीं बोलूंगी जब तक आप मुझे नहीं बोलेंगे तब तक, प्लीज"
मैं " वह सब तो ठीक है लेकिन मेरी उंगली तुम्हारे गले तक नहीं जा पाएगी, वहां पर कैसे लगाएं"
निर्मला " टूथब्रश यूज कर सकते हैं"
मैं " बेवकूफ, वह हार्ड होता है अगर गले में चुभ गया तो प्रॉब्लम हो जाएगी, कोई नरम सी चीज
डालनी पड़ेगी जो उंगली जैसी हो"
निर्मला " अब इतनी बड़ी उंगली किसकी है "
मैं " मुझे क्या पता"
निर्मला " इसका मतलब आप मेरी हेल्प नहीं करेंगे"
मैं " मैं कर सकता हूं, पर तुम बुरा मान जाओगी और अगर तुमने किसी और को यह बात बताई तो सब मुझे गलत समझेंगे, जाने दो"
निर्मला " भैया आप बताइए तो सही, मैं बुरा नहीं मानूंगी"
मैं " और किसी को बताओगी"
निर्मला " मैं कसम खाती हूं भैया मैं किसी को नहीं बताऊंगी"
मैं " मेरे पास एक लंबी चीज है उंगली जैसी"
निर्मला " यह तो अच्छी बात है भैया अपनी प्रॉब्लम सॉल्व"
मैं " पर यही तो प्रॉब्लम है"
निर्मला " क्या, मैं समझी नहीं"
मैं " मेरे पास जो चीज है उसे तो मुंह में नहीं लोगी"
निर्मला " क्यों भैया, गंदी है क्या, क्या उसे मुंह में नहीं ले सकते हैं"
मैं " गंदी नहीं है, लेकिन लोग उसे गंदी समझते हैं| और हां मुंह में तो ले सकते हैं"
निर्मला " तुम्हें भी ले लूंगी, आप सिर्फ शहद लगाइए, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है"
मैं " प्रॉमिस"
निर्मला " पक्का प्रॉमिस"
मैं " ठीक है उस चीज को देख लो शायद तुम अपना प्रॉमिस तोड़ दो"
निर्मला " निर्मला और प्रॉमिस तोड़े यह हो नहीं सकता"
मैं " गुड कॉन्फिडेंस"
फिर मैंने अपना लोअर नीचे करके मुरझाया लण्ड उसके सामने दिखा दिया "यह है वह चीज"
निर्मला मैं शरमा कर सर नीचे झुका दिया|
मैं" लगता है तुम्हारा कॉन्फिडेंस गिर गया, चलो जाने दो भूल जाओ तुम्हारा प्रॉमिस"
निर्मला" नहीं भैया मैं प्रॉमिस नहीं तोड़ सकती, पर आपका यह तो छोटा है मेरे गले तक नहीं जाएगा"
मैं" मेरे पास जादू है तुम्हारे मुंह में लगाते लगाते हैं इसे तुम्हारे गले तक जाने जितना बड़ा कर दूंगा"
निर्मला" लेकिन इससे गले में चुभेगा तो नहीं ना|"
मैं" इसे पकड़ कर देख लो कितना नरम है|
उसने मेरे लण्ड को अपने कोमल हाथों से पकड़ा तो मेरा लण्ड धीरे धीरे बड़ा होने लगा|
वो बोली "भैया, तो बड़ा हो रहा है"
मैं"मैंने कहा था ना यह इतना बड़ा हो जाएगा तुम्हारे गले तक चला जाएगा"
"चलो नीचे घुटनों के बल बैठ जाओ और मुंह खोलो मैं तुम्हें अच्छे से शहद लगा दू |"
" और हां याद रहे अब तुम्हें कुछ नहीं बोलना है जब तक अच्छे से शहर लग ना जाए और वह अपना असर दिखाना शुरू ना कर दे"
"ठीक है"
निर्मला"ठीक है, भैया"
मैं" हां और एक बात, मैं सोच रहा था की शहद लगाने के साथ साथ तुम्हारे गले की अंदर से मालिश भी कर दू, तुम्हें जल्दी आराम मिलेगा"
निर्मला"ठीक है, भैया"
मैं" आखरी बात, मुंह में लगा हुआ शहद बाहर मत आने देना बल्कि उसे पी जाना"
निर्मला"ठीक है, भैया"
मैं" ठीक है अब रेडी हो"
निर्मला" हां, भैया"
मैं" अब तुम्हें कुछ नहीं बोलना है याद है ना"
इस बार निर्मला ने हां में सिर हिलाया और अपना मुंह खोल दिया|
मैं शहद की बोतल लेकर उसके पास गया शहद में लण्ड का डूबा कर निकाला और सीधा निर्मला के मुंह में दे दिया|
निर्मला के मुंह में लण्ड को मैं घुमाने लगा जैसे शहद को मुंह के अंदर सब जगह लगा रहा हूं| ऐसा करते करते मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया|
फिर मैंने सुधा से कहा" शहद तो लग गया थोड़ी मुंह की मालिश कर दू |
उसने फिर से हां में सिर हिलाया|
फिर मैं धीरे धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करके उसके मुंह में धक्के मारने लगा|
उसके मुंह में 3 इंच तक लण्ड आसानी से जा रहा था| करीब 20 मिनट तक मैंने उसके मुंह को ऐसे ही चोदा प्यार से |
उसके बाद मैंने अपना लण्ड उसके मुंह से बाहर निकाला और उसे अपना 7 इंच का लण्ड दिखाया|
और निर्मला से कहा " देखा कितना बड़ा हो गया है अभी तुम्हारी गले क्या, गले के नीचे भी जा सकता है"
निर्मला ने हां में अपना सिर हिलाया| वह मेरे पूरे बात को मान रही थी जैसे अभी वह बिल्कुल चुप थी|
मैंने उससे कहा " चलो अब शहद तुम्हारे गले में लगाने और गले की मालिश करने की बारी है"
मैं पोजिशन चेंज करना चाहता था | मैंने नहीं मिला से कहा तुम सोफे पर पीठ के बल लेट जाओ और तुम्हारा सर सोफे के किनारे से नीचे झूलना चाहिए|
उठ कर सोफे पर लेट गई और अपने सर को सोफे के किनारे से बाहर रखा जिससे उसका सर हवा में झूल रहा था|
मैंने फिर से अपने लण्ड को शहद में डुबाया और निर्मला को कहा " अपना मुंह खोलो"
उसने मेरी आज्ञा का पालन किया और अपना मुंह खोल दिया| मैंने शहद से भीगे हुए लण्ड को उसके मुंह में पेल दिया| मेरा मन किया कि अभी उसके सर को पकड़ कर पूरा लण्ड पेल दूं| पर मुझे वह कहानी याद आई लालच का फल बुरा होता है|
"इसलिए मैंने उसे कहा निर्मला मेरा डंडा थोड़ा मोटा है अंदर जाएगा तो शायद तुम्हें परेशानी हो अगर तुम्हें ज्यादा परेशानी हो तो मुझे बता देना हम रुक जाएंगे| लेकिन थोड़ी परेशानी होगी उससे तुम्हें ही फायदा है तुम्हारे गले की अच्छे से मालिश हो जाएगी| और इससे यह भी पता चलेगा की तुम में सहने की कितनी ताकत है"
मैंने उसके ईगो को जगा दिया था| अब तो किसी भी कीमत पर उसे अपनी ताकत दिखानी थी|
मैंने उससे पूछा" मैं करूं"
उसने हां में अपना सिर हिलाया| और मेरे चेहरे पर विजयी मुस्कान दौड़ पड़ी|
मैंने कहा"ओके"
और उसके सर को पकड़ के लण्ड उसके मुंह के अंदर पेल दिया| मेरा लण्ड उसके गले तक पहुंच गया था वह पूरी तरह से हिल गई| मैंने लण्ड को पीछे की लेकिन सुपाडे को निर्मला के मुंह में ही रहने दिया|
मैंने कहा "लगता है तुमसे नहीं हो पाएगा" ऐसा है क्या मैंने उसके इगो को और बढ़ा दिया| फिर मैंने पूछा "हम रुक जाए"
पहली बार उसने ना में सिर हिलाया था जो मेरी योजना को सफल बना रहा था|
अब फिर से मैंने उसका सर पकड़ कर लण्ड अंदर पेल दिया तुरंत बाहर निकाला पर इस तरह सुपाडा उसके मुंह में ही रहे| और फिर दूसरा शॉट लगाया और बाहर निकाला| मैं ऐसे ही उसके मुंह की चुदाई करने लगा| मेरे हर झटके से उछल रही थी| मैंने इसी तरह तकरीबन 20 मिनट उसके मुंह की पिलाई की|
जैसा कि आप लोग मुझे जानते हैं जब तक मैं अपना पूरा लण्ड मुंह, चुत या गांड में नहीं घुसा लेता मुझे चैन नहीं मिलता |
पर मुझे डर था अगर मैंने पूरा मुंह में निर्मला कर दिया तो अगली बार से यह मुझे कुछ करने नहीं देगी| फिर भी मैंने एक ट्राई किया |
मैंने धक्के लगाने बंद किए| और निर्मला से कहा" तुम सच में बहुत बहादुर हो, और तुम्हारी सहनशक्ति भी बहुत है"
निर्मला के चेहरे पर जीत की चमक आ गई|
मैं अब तक समझ चुका था कि उसके अहंकार को चोट करो यह मेरा पूरा लण्ड भी ले लेगी| इसलिए मैंने उसे कहा " लेकिन पता नहीं तुम्हें इसे पूरा लेने की ताकत है या नहीं" मैंने अपने लण्ड की तरफ इशारा करके कहा |
हां दोस्तों मेरा लण्ड अभी भी उसके मुंह में था, मैंने धक्के देने बंद किए थे लेकिन लण्ड को उसके मुंह से निकाला नहीं था| इसलिए वह कुछ कह नहीं सकती थी| सिर्फ इशारों में बातें हो सकती थी|
उसने हाथों से इशारा किया जिसे हम अंग्रेजी में कहते हैं थम्स अप | उसके अहंकार को और हिलाने के लिए मैंने कहा" मतलब नहीं ले पाओगी"
निर्मला ने तुरंत ना में सिर हिलाया| जैसे वह मुझे चुनौती दे रही हो उससे भी बड़ा लण्ड हो तो उसे भी मुंह में ले लेगी|
मैंने कहा "चलो देखते हैं फिर"
ऐसा कहकर मैंने उसके सर को पकड़ कर पूरी ताकत से अपने लण्ड पर दबाया और लण्ड को भी उसके मुंह में कोई ताकत से घुसा दिया| मेरी ताकत का नतीजा सामने था, मेरा लण्ड निर्मला के गले के नीचे उतर गया था|
मैं अपनी जीत पर बहुत खुश हुआ पर इससे निर्मला की हालत बहुत खराब हो गई| मैंने तुरंत अपना
लण्ड बाहर निकाला| निर्मला लंबी लंबी सांस लेने लगी| मैंने फिर से उसे मुंह खोलने का इशारा किया और कहा" वेल डन, मान गए तुम्हें| चलो अब सिर्फ मालिश करेंगे"
और फिर उसके मुंह की चुदाई शुरू कर दी| करीब 1 घंटे से हमारा यह खेल चल रहा था अब मैं झड़ने वाला था|
मैंने निर्मला को याद दिलाया" याद है ना मुंह का शायद बाहर नहीं आना चाहिए|"
निर्मला ने हा में सर हिलाया |
मैंने उसे और कहा" अभी मेरा यह क्रीम निकालेगा, वह बहुत ही पौष्टिक होता है| इसलिए उसे पूरा पि जाना|"
निर्मला ने हा में सर हिलाया | मैंने उसके मुंह में धक्के तेज कर दिया और फिर अपना पूरा माल उसके मुंह में छोड़ दिया| जिसे वह पी गई|
मैं उठा और अपने लण्ड को लोवर में डाला | और उसे उठने का इशारा किया| वह भी उठी और अपने कपड़े ठीक किया और मेरे सामने बैठ गई|
मैंने उससे कहा" 1 घंटे हो गए हैं अब तुम बोल सकती हो"
उसने कहा" भैया मेरी तो हालत खराब हो गई थी"
मैं उसे प्रोत्साहित करते हुए" तुम्हें देख कर मुझे लगा नहीं था कि तुम्हारे में इतनी शक्ति है| मुझे तो अभी भी विश्वास नहीं हो रहा 7 इंच तक मुंह के अंदर ले लिया था"
तो उसने अपना हाथ गले के नीचे रख कर कहा यहां तक आ गया था|
फिर मैंने उससे पूछा" इस बारे में तो किसी को को होगी"
निर्मला ने कहा " निर्मला का प्रॉमिस मतलब पक्का प्रॉमिस"
मैंने कहा "ठीक है" तुम्हें आराम करने की जरूरत है|
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