06-08-2017, 10:52 AM,
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sexstories
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RE: चूतो का समुंदर
यही ग़लती कर दी...मैने एक माँ की पवित्र ममता को गाली दी है....मैं थप्पड़ डिजर्व करता था...थप्पड़ ही क्या ...मुझे इससे ज़्यादा सज़ा मिलनी चाहिए ....
यही सब बातें अपने दिमाग़ मे लिए मैं आंटी को देख रहा था....जो अभी भी फू-फुट कर आँसू बहा रही थी...
मैने आंटी से बात करना ठीक समझा और जा कर उनके पैरो के पास बैठ गया.....
मैने अपने हाथ आंटी के घुटनो पर रखे और कहा....
मैं- आंटी...मुझे माफ़ कर दीजिए...मेरा ये मतलब नही था....
आंटी ने कोई भी रियेक्शन नही दिया...पहले की तरह ही रोती रही....
मैं- आंटी प्लीज़...मेरी बात तो सुनिए....शायद मैं ग़लत तरीके से बोल गया...पर मेरा मतलब कुछ और ही था....
आंटी जैसे मेरी बात को सुन ही नही रही थी...वो तो अपने चेहरे को झुकाए बस रोए जा रही थी....
मैं- आंटी...मैं जानता हूँ की मैने आपका दिल दुखाया....पर मैं क्या करूँ...जब मुझे पता चला कि आप भी मेरे खिलाफ है..तो..तो मेरा खून खौल गया था...
आंटी आप प्लीज़ मेरी हालत तो समझो...जब पराए आपके दुश्मन हो तो गुस्सा आता है...पर जब अपने ही आपको धोखा दे...तो...तो दिल टूट कर बिखर जाता है...बस यही हुआ मेरे साथ...
इस बार आंटी ने कुछ हरकत की...उन्होने मुझे देखा तो नही...पर उनका रोना थमने सा लगा था...
मैं- आंटी...मैं एक माँ को तो देख भी नही पाया...होश आने से पहले ही उसे खो दिया...अब...अब मैं दूसरी माँ को नही खोना चाहता....टूट जाउन्गा मैं...
और मैने रोते हुए आंटी के घुटनो पर सिर रख दिया...
थोड़ी देर बाद ही आंटी ने मेरा सिर पकड़ कर मुझे उठाया और गले लगा कर ज़ोर से रोने लगी....
आंटी- बेटा....
आंटी सिर्फ़ इतना ही बोल पा रही थी...
मैं- आंटी...सॉरी...सॉरी....
और मेरी आँखो के साथ मेरा दिल भी रोने लगा.....
थोड़ी देर तक हम दोनो आपस मे चिपक कर रोते रहे...
और जब हमारी आँखो से हमारे दिल का दर्द निकल गया तो हम नॉर्मल हो गये...
आंटी ने मुझे अपने बाजू मे बैठाया और बोली...
आंटी- बेटा...तू यही सोच रहा है ना कि तेरी आंटी इतनी बुरी क्यो निकली...क्यो तेरी आंटी तेरे डॅड की जान लेना चाहती है...
आज मैं तुझे सब सच-सच बताती हूँ....सब सुनने के बाद तू ही डिसाइड करना कि मैं सही हूँ या ग़लत...
और बेटा...मैं तेरी कसम खाती हूँ...जो तेरा डिसिशन होगा...वही तेरी आंटी का आख़िरी डिसिशन होगा...
मैं- आंटी...
आंटी(बीच मे)- ह्म्म....पहले फ्रेश हो जा...मुझे मेरे बेटे का रोता हुआ चेहरा बिल्कुल अच्छा नही लगता.....
तू फ्रेश हो जा...मैं तेरे लिए कॉफी बनाती हूँ...फिर तुझे तेरे सारे सवालो का जवाब देती हूँ...ठीक...अब जा.....
फिर आंटी ने अपना मुँह सॉफ किया और नाइटी पहन कर किचन मे निकल गई और मैं भी फ्रेश होने बाथरूम मे चला गया.....
कॉफी पीते हुए मैं और आंटी बिल्कुल खामोश रहे...इतने की हमारी चुस्कियों की आवाज़ सॉफ सुनाई दे रही थी....
थोड़ी देर बाद हमने कॉफी ख़त्म की और रूम मे फैली शांति तोड़ी...
मैं- हाँ...आंटी...अब बोलिए...आख़िर बात क्या है...ऐसा क्या हुआ था कि आपको मेरे डॅड से नफ़रत हो गई...इनफॅक्ट...इतनी दुश्मनी कि आप उन्हे मारना चाहती है...
आंटी(आह भर कर)- हम्म...बेटा...क्या तुम जानते हो कि तुम्हारी फॅमिली मे कौन -कौन है...और कहाँ है....
मैं- मतलब...मैं और डॅड..बस...और कोई नही...(झूठ बोला)
आंटी- अच्छा...पर तुमने कभी जानने की नही सोची कि, तुम्हारे दादा-दादी तो होंगे ही, ...वो कहाँ है...???
मैं- शायद... अब दुनिया मे रहे ही ना हो...
आंटी- ये सिर्फ़ तुम्हारा ख्याल है...सच नही...
मैं- आप ये सब छोड़ो...मुझे वो वजह बताओ....वो वजह जिसने आपको ग़लत काम करने पर भी मजबूर कर दिया....
आंटी- वही बता रही हूँ बेटा...पर उसके लिए तुम्हे अपने परिवार के बारे मे जानना ज़रूरी है...क्योकि ये सब वही से शुरू हुआ था...
मैं- मेरा परिवार...क्या बोल रही है आप...(मैं जान कर अंजान बना रहा..क्योकि मैं जानना चाहता था कि आंटी किस तरह से हिस्टरी बताती है...सच या झूठ)
आंटी- हाँ बेटा...तेरा बहुत भरा-पूरा परिवार था...और कुछ तो है भी...
मैं- आप क्या बोल रही है, मैं कुछ नही समझ पा रहा...खुल कर बताइए प्ल्ज़्ज़...
आंटी- ह्म्म..तो सुनो...अपने और मेरे परिवार की कहानी...
फिर आंटी ने मेरे परिवार के बारे मे बताना शुरू किया...जो मैं पहले से ही जानता था.....
मेरे दादाजी उनका बिज़्नेस...दादी, चाचा, बुआ लोग और डॅड....
आंटी ने एक-एक करके मुझे सबके बारे मे बताया...जिसे सुनकर मैने चौंकने का झूठा नाटक बखूबी किया....
पर उसके बाद आंटी ने जो बताया...उसने मुझे सच मे झटका दे दिया...
आंटी- अब मैं तुम्हे अपने परिवार के बारे मे बताती हूँ...
जिस गाओं मे तुम्हारा परिवार रहता था..वही हम भी रहते थे...
मेरे घर मे मेरे अलावा मेरे माँ-पापा, एक भाई और एक बड़ी बहेन थी.....
हाँ..मैं ज़्यादा टाइम उनके साथ नही रह पाई...मेरे एक रिलेटिव को कोई बच्चा नही था..इसलिए उन्होने मुझे अपने साथ सहर मे रख लिया...
उसके बाद मेरा गाओं मे आना कम हो गया...असल मे मेरे घर वाले भी अक्सर सहर आते रहते थे...इस वजह से मुझे कभी दूरी का अहसास नही हुआ...
Re: चूतो का समुंदर
मैं गाओं आती भी थी तो 1-2 दिन के लिए...जिससे मुझे गाओं मे ज़्यादा लोग नही जानते थे...या यू कहे कि मेरा चेहरा भी सब लोग भूल चुके थे...
मेरी जिंदगी बहुत अच्छी चल रही थी...मेरे घर वालो का प्यार..और सहर मे रिश्तेदार का प्यार बराबर मिल रहा था...
उन सब मे सबसे ज़्यादा मेरे भैया मुझे प्यार करते थे...वो हर हफ्ते मुझे मिलने सहर आते और गिफ्ट लाते थे...
सहर मे मुझे एक प्यारी सहेली भी मिल गई...जो मुझे जान से ज़्यादा प्यारी थी...कुल मिला कर सब ठीक चल रहा था...
वक़्त के साथ मेरी बेहन की शादी हो गई...और मेरे भाई ने भी मुझे प्यारी सी भाभी दे दी...
मेरी जान से प्यारी सहेली को भी उसके मन का जीवनसाथी मिल गया...
चारो तरफ खुशिया ही ख़ुसीया थी...
फिर एक इंसान ने मेरी सारी दुनिया हिला डाली...एक ही झटके मे सब तवाह हो गया....
और वो इंसान और कोई नही...बल्कि तुम्हारे डॅड थे....
तुम्हारे डॅड की वजह से मेरा भाई मारा गया..फिर भाभी...फिर मेरे पापा और फिर मेरी माँ...और लास्ट मे मेरी सहेली को भी मुझसे दूर कर दिया....
सब ख़त्म हो गया...जिसे मैने प्यार किया वो सब मुझसे दूर हो गये...और मैं अकेली रह गई....
और जानते हो सबसे दुख वाली बात क्या थी...
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