06-08-2017, 11:13 AM,
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sexstories
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RE: चूतो का समुंदर
आकाश के ऑफीस मे........
आकाश के कॅबिन मे आकाश , अंकित , सुजाता और उनका वकील बैठा हुआ था....
अंकित- तो डॅड...आप किस काम के लिए मुझे लाए है...
आकाश- बेटा वो...असल मे...
सुजाता(आकाश को घूर कर)- असल मे बेटा...तेरे डॅड ने ये डिसाइड किया है कि अपने सारे ऑफिसस बंद कर के एक नई कंपनी खोली जाए ...तो उसी के पेपर्स है...अब सब तुम्हारे नाम है तो तुम्हारे साइन तो लगेगे ही...
मैं- ह्म्म..पर इसकी ज़रूरत क्या है...हमारा काम तो मस्त चल रहा है...क्यो डॅड...
सुजाता(गुस्से को कंट्रोल कर के)- अरे बेटा...आज कल सब आगे ही बढ़ते है...हम क्यो नही...
मैं- हम..ह्म..
सुजाता- मतलब तुम और तुम्हारे डॅड...
मैं- ह्म्म..तो न्यू कंपनी क्या है...
सुजाता- असल मे बेटा...वो कोई कंपनी नही...तुम्हारे डॅड सब बेचकर मार्केट मे पैसा लगाना चाहते है...उसमे बड़ा फ़ायदा है...
मैं- ओह..मतलब कोई कंपनी नही...कोई ऑफीस नही ...कोई एंप्लायी नही...
सुजाता - हाँ..ठीक समझे...इससे खर्च भी नही होगा..और मार्केट से आने वाला सारा प्रॉफिट अपना...
मैं- अपना मतलब मेरा ना...क्यो...
सुजाता- ह्म..वही ...तो लो बेटा साइन करो...
मैं- नही....ये नही हो सकता...मुझे ये पसंद नही...
सुजाता- पर क्यो...
मैं- पहली बात ये..कि मेरे एंप्लायीस को मैं बेरोज़गार नही कर सकता ...और दूसरी बात...
और मैं चुप हो गया....
सुजाता- दूसरी बात क्या है...
मैं(खड़ा हो कर सुजाता को घूरते हुए)- दूसरी बात ये...कि आप मेरे फॅमिली मॅटर मे घुसने की कोसिस मत करना...आइन्दा याद रहे...चलिए आप बाहर वेट करो..मुझे डॅड से कुछ बात करनी है..अकेले मे...
सुजाता मेरा गुस्सा देख कर चुपचाप बाहर निकल गई और मैने वकील को भी निकाल दिया...और डॅड से बाते करने लगा.....
आकाश- बेटा...और कब तक....
मैं- बस डॅड...कुछ दिन और...थोड़ा और झेल लीजिए प्ल्ज़्ज़...ट्रस्ट मी...
आकाश- ह्म्म..तुझ पर तो अपने आप से ज़्यादा भरोशा है...पर इसका कुछ करो..जल्दी...
मैं- उसका काम हो जायगा...आप मेरी बात सुनिए....
और मैं डॅड से कुछ बातें करने लगा......
अकरम के घर...........
अकरम ने काफ़ी देर माथापच्ची कर के 4 अल्फाबेट सेलेक्ट किए और पास्वोर्ड की जगह फीड किए....
"" एएएएस""
अकरम- यस...काम हो गया..उउंम..सबाश अकरम....तू सीबीआइ ऑफीसर ज़रूर बनेगा...येस्स्स...
पासवर्ड मॅच होते ही फिर से रूम की लाइट ऑन हो गई और दीवार पर लगी पिक्स न्ड मॅप्स टाइप पेपर्स अकरम की आँखो मे चमकने लगे....
अकरम जल्दी से आगे बढ़ा और एक पिक पर उसकी नज़र अटक गई...वो एक पति-पत्नी की पिक थी और पिक के नीचे उनकी डीटेल लिखी थी...
डीटेल पढ़ते ही अकरम को लगभग चक्कर आ गया और वह धीरे से ज़मीन पर घुटनो पर बैठ गया...
अकरम- ये सब...क्या ये सच है...नही...ये सच नही हो सकता..नही हो सकताआआअ .......
अकरम अपनी आँखो से जो देख और पढ़ रहा था ...उसे उस पर यकीन नही आ रहा था...इसलिए उसने कई बार पिक की डीटेल पड़ी...
फिर भी उसका मन नही भरा और वो खड़ा हो कर पिक को करीब से देख कर पढ़ने लगा...
""मिस्टर & मिसेज़ ख़ान...""
अकरम- न्न्नाहहिईीई....ये सच नही हो सकता...कभी नही...इतना बढ़ा सच...हुउऊः...क्या..क्या करू मैं....क्या करुउुउउ....
अकरम जैसे पागल सा हो गया और अपने आप से ही बड़बड़ाता हुआ बार-बार उस डीटेल को पढ़ता हुआ गुस्से मे फूंकारने लगा....
अकरम- ओके..रिलॅक्स अकरम..रिलॅक्स ....ये तो शुरुआत है....अब समझ आया कि इस ख़ुफ़िया रूम की ज़रूरत क्यो पड़ी....ज़रूर इसमे बहुत कुछ छिपा हुआ है...जिससे मैं आज तक अंजान था....
अकरम ने अपने आप को शांत किया और दीवाल पर लगी दूसरी पिक को देखने लगा...हर पिक के नीचे उस पिक की डीटेल लिखी हुई थी....
""अली ख़ान""
""आमीन ख़ान""
""आमिर ख़ान""
""सरफ़राज़ ख़ान""
तो ये सच है...मेरे डॅड ही सरफ़राज़ है...ओह्ह...अंकित ने सही बोला था...बिल्कुल सही...सरफ़राज़ ख़ान ही अपना नाम छिपा कर दुनिया को वसीम ख़ान बनकर धोखा देते रहे ...
अली ख़ान और आमीन....ये भी सच है...ये वसीम के मोम-डॅड है...और आमिर...ये है वसीम का भाई...हुह...आप ये कौन...
""परवेज़ ख़ान""
""गुलनार ख़ान""
""जावेद ख़ान""
""परवीन ख़ान""
""सकील ख़ान""
""सादिया ख़ान""
""गुल ख़ान""
ये सब कौन है...मैं सिर्फ़ सादिया और गुल को जानता हूँ...पर बाकी सब कौन है...ये कौन बतायगा...
खैर...इनका जवाब कौन देगा ये मैं जानता हूँ...अभी मुझे और भी बहुत कुछ देखना है...
और अकरम ने पिक्स के नीचे बने मॅप जैसे पेपर को देखना सुरू कर दिया.....
उस पेपर मे डाइयग्रॅम की हेल्प से इन सारे नामो का लिंक दिखाया गया था...इससे सॉफ पता चल रहा था कि कौन किस से किस तरह लिंक है...
अकरम- ओह माइ गॉड...इतना बढ़ा सच...ये तो मैं सोच भी नही सकता था....पर इसमे ज़िया, जूही और मेरा नाम क्यो नही है...और मेरी मोम का भी नही...क्या माजरा है...उफ़फ्फ़...ये वसीम ख़ान सच मे बड़ा खिलाड़ी निकला..दिमाग़ की धज्जियाँ उड़ा दी...
अकरम वो मॅप्स टाइप पेपर देखते हुए काफ़ी देर तक कुछ सोचता रहा....
अकरम- इसे बाद मे समझुगा....पहले बाकी सब तो देख लूँ...
फिर अकरम ने दूसरी दीवाल पर देखा...वहाँ अंकित की फॅमिली मंबेर्स की पिक्स लगी हुई थी...और उनके नीचे भी वैसा ही मॅप था...
उसी दीवार पर रिचा, कामिनी, दामिनी, रजनी , दीपा और सरद की फॅमिली पिक्स भी थी...उनकी डीटेल का भी एक माप था...
पर इस दीवाल की हर एक पिक के साथ एक छोटी सी पर्ची भी अत्तेच थी....अकरम ने ध्यान से वो पर्चिया निकाल कर जेब मे डाल ली और साथ मे सारे मॅप्स भी...
अब अकरम तीसरी दीवाल की तरफ मुड़ा तो चौंक गया....यहा अभी तक देखे हुए सारे पिक्स थे...और कुछ पिक्स पर क्रॉस का साइन बना हुआ था...
अकरम- अली..क्रॉस...अम्मीं...क्रॉस...ओह्ह..तो ये क्रॉस साइन उनके लिए है..जो अब दुनिया मे नही रहे....ह्म्म्म...
क्या बात है...वसीम ख़ान सच मे मझा हुआ खिलाड़ी है...हर एक सक्श को टारगेट करने का सोच रहा है...ह्म्म्मम...
अकरम- इस रूम मे सिर्फ़ ये पिक्स नही हो सकती...ऐसा कुछ और भी होगा जो वसीम की लाइफ से या उसके जानने वालो की लाइफ से जुदा होगा...ह्म्म..मेन रूम की एक -एक जगह तलास कर ही जाउन्गा....
अकरम ने पिक्स देखने के बाद रूम को अच्छी तरह खगाल्ना सुरू कर दिया....
पहले उसे एक रुमाल मिला...जिसमे लिखा था कि...""यस...मैं तैयार हू..""
अकरम- ये किसका हो सकता है...और ये किसके लिए लिखा है...देखेगे...अभी तलासी तो ले लूँ...यहा गर्मी ज़्यादा है...
और फिर अकरम को तलाशी लेते हुए टॅप रेकॉर्डर, कुछ काससेट्स और एक हंडी कॅम मिला...इसके अलावा उसे कुछ खत भी मिले...
अकरम ने सब चीज़े साथ ली और वहाँ से निकल आया....
अकरम- आहह..कितना गरम रूम था...एक बार और तलाशी लूँगा..बट बाद मे...अभी जो मिला...उसे देख तो लूँ...
अकरम ने सारा सामान बेड पर रखा ही था कि उसकी मोम ने गेट पीटना सुरू कर दिया...
सबनम- अकरम...बेटा तू अंदर है क्या...
अकरम- मर गये...अब ते सब..ओह गॉड...
अकरम ने जल्दी से सारे सामान को अलमारी मे डाला और दीवाल पर लगी पिक तो टेडा कर दिया...जिससे ख़ुफ़िया दरवाजा बंद हो गया...
फिर उसने अलमारी के उपेर रखी घड़ी को एक बार उठाया तो अलमारी फिर से सीधी हो गई और ख़ुफ़िया गेट छिप गया.....
सबनम- अकरम..कर क्या रहा है....
अकरम- हुह..हाँ मोम...
अकरम ने गेट खोल कर सबनम को ऐसा चेहरा दिखाया जैसे वह सो गया था...
सबमम- ओह..सो रहा था..चलो कोई नही...वो ड्राइवर आया है...कुछ काम है उसे...
अकरम ने एक बार अलमारी को देखा और सबनम के साथ निकल गया....
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