06-10-2017, 10:24 AM,
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RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
आयशा बोले जा रही थी-------
वो मुझे गोदी में बिठाकर प्यार करते हुए मेरे गाल चूमने लगे। उनके हाथ मेरे बदन में घूमने लगे थे। वो मेरे कमर को सहलाकर मेरे कंधे और होंठ चूमने लगे। शराब ने मुझे भी बेशर्म कर दिया था । मैं भी उनका पूरा साथ देने लगी। वो मेरा होंठ चूसते हुए मेरे मुँह में अपनी जीभ डालकर मेरे को गरम करने लगे। मैं भी मस्ती से उनकी जीभ चूसने लगी। उनका हाथ अब मेरी चूचियों पर आ गया था और वो मुझे बोले: बेटा चलो बिस्तर पर चलते हैं।
मैं उठी और उन्होंने मेरी गाँड़ को दोनों पंजों में दबोच लिया और मस्ती से दबाकर बोले: बेटा बहुत मस्त माल हो गयी हो। आज तो मज़ा ही आ जाएगा।
कमरे में वो मेरा कुर्ता और सलवार उतारे और मुझे ब्रा और पैंटी में देखकर बोले: सालों के बाद ऐसी मस्त जवानी का दीदार कर रहा हूँ। वो मेरे बदन को आगे और पीछे से देखकर मस्ती से भर गए और अपनी बनियान उतार दिए। बहुत घने बाल थे उनकी छाती पर। मस्त मर्दाना बदन था। मेरी बुर पानी छोड़ने लगी। अब पापा ने मेरी ब्रा खोली और खड़े खड़े ही मेरी चूचियाँ देखकर बोले: उफफफ क्या मस्त दूध हैं तेरे । लगता है असलम ने ख़ूब दबाकर चूसा है। अब वो ख़ुद उनको दबाने लगे और उन पर चुंबनों की बारिश करने लगे। मैं भी गरम होकर उनकी लूँगी खींचकर उतार दी। उनकी चड्डी में से उनका लौड़ा बाहर आकर एक जाँघ पर सीधा लेटा हुआ था। मैंने चड्डी में हाथ डाला और उनके गरम मोटे लौड़े का अहसास करने लगी। उफफफफ क्या मस्त लौड़ा था। अब्बा से भी बड़ा था उनका। अब वो मुझे बिस्तर पर लिटा दिए और मेरे ऊपर आकर मुझे चूमने लगे। बार बार वो मुझे बोल रहे थे: आऽऽह क्या मस्त जवानी है तुम्हारी । जी करता है खा जाऊँ। बेटी चूचि पिलाओ ना। मैं भी मस्ती में आकर एक चूचि को हाथ में ली और उनके मुँह में दे दी। वो उसे चूसने लगे। मैंने हाथ हटा लिया तो बोले: बेटा अपने हाथ से ही पिलाओ।
मैं भी अब मस्त हो चुकी थी। मैंने अपना एक हाथ अपनी चूचि पर रखे रहा और उनको पिलाती रही। अब वो बोले: बेटी अब दूसरी पिलाओ। तो मैंने अब दूसरी चूचि भी अपने हाथ से पकड़कर उनके मुँह में दे दी। वो क़रीब २० मिनट मेरी चूचियाँ चूस चूस कर उनको लाल कर दिए। अब तक मैं बहुत गरम हो चुकी थी। मैंने ही उनका लौड़ा मसलना शुरू का दिया। वो पागल हो चुके थे मज़े से । अब वो नीचे आकर मेरे पेट को चुमें और मेरी नाभि में भी जीभ फिराने लगे। फिर नीचे आकर मेरी जाँघें सहलाए और उनको भी चूमा। मैंने जोश में ख़ुद ही अपनी जाँघें फैला दी और अपनी बुर उनको दिखाने लगी। वो भी मस्ती से बुर पर हाथ फेरे और बोले: आह क्या मस्त चिकनी बुर है। क्या मस्त फूली हुई है। फिर वो उसे चूमने लगे और जल्द ही जीभ घुसेड़कर मुझे सिसकियाँ लेने पर मज़बूर कर दिए।
अब मैं अपनी गाँड़ उठाकर उनकी जीभ का मज़ा ले रही थी। तभी वो बोले: बेटी मुझे चुदाई के समय गंदी बात करना अच्छा लगता है। तुम बुरा तो नहीं मानोगी ना?
मैं: आऽऽह पापा बस अब डाल दो । बातें बाद में कर लेना। अच्छी बात करो या गंदी बात बस मुझे अभी चोद दो।
पापा : आऽऽह बेटी सच कह रही हो। अब वो अपना लौड़ा मेरी बुर में रखे और हल्के से दबाकर अपना मोटा सुपाड़ा मेरी बुर के अंदर डाल दिए । मेरी आऽऽह निकल गयी और वो बोले: बेटी रुकूँ या डालूँ?
मैं : आऽऽऽऽऽह डालो पापा डालो। पूरा अंदर डाल दो। आपका तो बहुत मस्त है।
अब वो पूरा अंदर डाले और फिर मेरी चुदाई में लग गए । वो मेरे होंठ चूसते हुए मेरी चूचियाँ मसल रहे थे और मस्त धक्के मार रहे थे। अब वो बोले: बेटी गंदी बात करूँ।
मैं अब नीचे से अपनी गाँड़ उछालकर बोली: हाऽऽऽय जो करना है करो। बस ऐसे ही चोदते रहो।
पापा: आऽऽह बेटी बहुत मज़ा आ रहा है। आह कैसा लग रहा है बेटी। मज़ा आ रहा है?
मैं: हाँ पापा बहुत मज़ा आ रहा है। वो अब बहुत अंदर तक लंड डालकर पूरा दबाते थे। मेरी बुर बहुत बुरी तरह से खुल चुकी थी।
वो: असलम भी ऐसा ही चोदता है क्या? आह्ह्ह्ह्ह।
मैं: आऽऽह पापा वो तो अभी सिख रहे हैं। आप तो पक्के खिलाड़ी हो।
वो: ह्म्म्म्म्म ऐसा लग रहा है जैसी मेरी बहु रँडी है। मादरचोद कैसे गाँड़ उठाकर चुदवा रही है। ह्ह्ह्ह्ह्ह्म्म्म साली छिनाल कितनो से फडवा चुकी है रँडी साली।
मैं एक मिनट के लिए हक्की बक्की रह गयी कि पापा को ये अचानक क्या हो गया है। फिर मैं बोली: आऽऽऽऽह पापा आप बहुत पक्के चुदक्कड हो जो अपनी बहु को भी नहीं छोड़ा । आऽऽहाह और ज़ोर से करो पाआऽऽऽऽऽपा।
वो: साली माँ और बेटी दोनों रंडियां हैं। आऽऽऽऽह क्या चुदवाती हैं दोनों?
मैंने नाटक करते हुए कहा: आऽऽऽह आपने अम्मी को भी किया है। हाऽऽऽऽऽऽऽय ।
वो: अरे वो तो पक्की रँडी है। साली मज़े से चुदवाती है। आऽऽऽहहह ।
अब मैं रुक नहीं पा रही थी सो चिल्लाई: आऽऽऽऽह पाआऽऽऽपा मैं तो गयीइइइइइइइ।
पापा भी जल्दी ही हम्म कह कर झड़ गए।
अब पापा ने बड़े प्यार से मेरी बुर को कपड़े से पोंछा और बोले: बेटी मैं तुझे गालियाँ दे रहा था, सॉरी । मैं असल में जब बहुत गरम हो जाता हूँ ना तो ऐसे ही गालियाँ बकने लगता हूँ।
मैं : कोई बात नहीं पापा। मुझे बुरा नहीं लगा।
उसके बाद थोड़ी देर आराम करके अब्बा ने मुझसे लौड़ा चूसवाया और फिर उलटा लिटा के मेरे पिछवाड़े को उठाकर वहाँ मस्ती से दबाए और गाँड़ के छेद को भी जीभ से कुरेदे। मैं उफफफफ कर उठी। फिर वो मेरी बुर भी चाटे और उसकी अवस्था में पीछे से अपना लौड़ा मेरी बुर में डालकर मेरी चुदाई में लग गए। इस बार मैं दो बार झड़ी और वो एक बार झड़े।
अगले दिन वो मेरी गाँड़ मारे और मैं एक दिन पूरा ठीक से चल भी नहीं सकी। वो मेरी गाँड़ के दीवाने हो गए थे। अब वो रोज़ मेरी आगे और पीछे से चुदाई करते। ये सिलसिला तब तक चला जब तक मेरी सास और देवर वापस नहीं आ गए।
मेरी सास और मैं जब अकेले थे किचन में तो सास बोली: तो पापा से मज़ा ले लिया ना?
मैं शर्मा कर बोली: जी अम्मी । अब तक मैं भी समझ गयी थी कि यहाँ कोई छिपाकर कुछ नहीं होता।
वो हँसी: तो कौन ज़्यादा मज़ा देता है असलम या पापा?
मैं: दोनों । पर असलम तो पता नहीं कब आएँगे?
अम्मी: तो ठीक है ना पापा का लेती रह। क्या समस्या है?
मैं: और अम्मी आपका क्या?
अम्मी हँसकर: अरे वो हम दोनों को संभाल लेंगे। तू क्यों फ़िक्र करती है। तभी पापा अंदर आए और बोले: क्या बातें कर रहीं हैं सास बहु।
अम्मी हँसकर: आपकी तारीफ़ कर रहीं हैं, बुराई नहीं कर रही हैं। बहु आपकी चुदाई की दीवानी हो गयी है ,ऐसा बोल रही है।
मैं शर्माते हुए बोली: हाय अम्मी आप कुछ भी बोल रहीं हैं। इस पर पापा और अम्मी हँसने लगे।
पापा ने हाथ बढ़ाकर अम्मी को पीछे से कसकर पकड़कर कहा: बड़े दिनों बाद आइ हो। बहुत याद आती थी तुम्हारी। ये कहते हुए मेरे सामने ही उनकी दोनों चूचियाँ दबाकर अपना लौड़ा उनकी सलवार के ऊपर से ही उनकी गाँड़ में दबाने लगे। मैं शर्माकर बाहर जाने लगी तो मेरा हाथ पकड़कर बोले: अरे बहु कहाँ जा रही हो? अब वो मेरी भी एक चूचि दबाने लगे और बोले: आज सास बहु को एक साथ चोदूँगा, ठीक है ना?
अम्मी हँसकर: ठीक है चोद लीजिएगा। मगर अभी तो खाना बनाने दीजिए ना।
वो हँसे और हम दोनों के चूतर दबाकर बाहर चले गए। अब हम दोनों भी हँसने लगे। उस रात पापा ने मेरी और अम्मी की एक ही बिस्तर पर ली। क्या मज़ा आया था उस रात। पहले उन्होंने अम्मी की ज़बरदस्त चुदाई की। फिर मेरे ऊपर आके मुझे भी चोदे। असलम के वापस आने का समय हुआ तो मैं पापा से बहुत मज़े ले चुकी थी।
जिस दिन असलम वापस आने वाले थे पापा ने उसके एक रात पहले मुझे दो बार चोदा। सुबह वो बोले: बेटा अब असलम के साथ पूरा मज़ा करना। उसे भी तो बहुत प्यास लगी होगी तुम्हें चोदने की। ख़ूब मस्त करना उसको। ठीक है ना? वैसे उसे पता चल ही जाएगा कि तुम चुदवा रही हो क्योंकि तुम्हारी बुर अब काफ़ी खुल गयी है। पहले बहुत टाइट होती थी ना। और ये भी तो अब बड़े हो गए हैं वह मेरी चूचि दबा कर बोले।
मैं मस्ती से उनके लौड़े को लूँगी के ऊपर से दबाकर बोली: पापा मैं इसे भी ख़ुश कर दिया कर दिया करूँगी जब असलम घर से बाहर जाया करेंगे।
पापा मुझे अपनी बाहों में भरकर बोले : क्यों नहीं बेटा । फिर वो मेरे होंठ चूस कर मस्त हो गए।
आयशा देखी कि मालिनी अब मस्त होकर अपनी बुर खुजाए जा रही थी तो वो उसकी जाँघ के ऊपर हाथ रख कर बोली: बहुत खुजा रही है ? चलो आओ मस्ती करते हैं। वो उसका हाथ पकड़कर उठायी और बेडरूम में ले गयी। जाते जाते वो टेलेफ़ोन उठा ली और उसे बेड के साथ वाले टेबल पर रखा ताकि शिवा उनके सेक्स का भी मज़ा ले ले।
( उधर शिवा आयशा की सेक्सी कहानी सुनकर एक बार झड़ चुका था। पर वो अभी भी अपना कड़ा लौड़ा दाबकर मूठ्ठ मारे जा रहा था। )
अब आयशा ने मालिनी के होंठ पर अपने होंठ रखे और वो दोनों एक दूसरे के चुम्बन में डूब गए उसके हाथ मालिनी की साड़ी खोलने लगे। अब वो ब्लाउस भी खोली और पेटिकोट का नाड़ा खोली और अब मालिनी ब्रा और पैंटी में थी। वो ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाके उनको चूमने लगी। उसने अपने कपड़े भी उतारे और अब वो मालिनी को लिटाकर उसके ऊपर आ गयी और उसको चूमने लगी। मालिनी के हाथ भी उसकी पीठ पर दौड़ रहे थे। आयशा ने उसकी ब्रा खोली और और उसकी चूचियाँ दबाने लगी और मुँह में लेकर चूसने भी लगी। अब मालिनी उइइओइइइइइ कहकर उत्तेजित होकर उसका सिर अपनी चूचियों पर दबाने लगी। अब उसने भी आयशा की ब्रा के हुक खोले और उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को सहलाने लगी। उग्ग्फ़्फ़्फ़्फ़ कैसा अजीब अनुभव है ये तो – वो सोची। अब आयशा उठी और अपने दूध हाथ में पकड़कर उसके मुँह में दे दिया। वो अब मस्ती से सिसकियाँ भरने लगी। फिर वो अपने दूध मालिनी के मुँह में देकर उससे मस्ती से चूसवायी। अब वो नीचे होकर उसके पेट और नाभि को चुमी और अब पैंटी में मुँह डालकर बोली: उफफफ क्या मस्त गीली हो गयी है तुम्हारी पैंटी । और वो पैंटी को चाटने लगी। अब वो उसकी पैंटी उतारी और अपना मुँह उसकी बुर में डालकर बोली: उफफफ क्या मस्त गंध है ह्म्म्म्म्म्म्म। अब वो उसकी बुर में दो ऊँगली डाली और अंदर बाहर करने लगी। मालिनी बुरी तरह उत्तेजित होकर आऽऽऽहहह करने लगी। थोड़ी देर में वो उसकी बुर चाटने लगी। अब मालिनी उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ कहकर अपनी गाँड़ उछालकर मस्ती से मज़े लेने लगी।
( शिवा को मालिनी को आहें सुनाई दे रही थीं , वो पागल सा हो रहा था और ज़ोर से मूठ्ठ मारने लगा।)
जल्दी ही आयशा उठी और अपनी पैंटी निकाली और घूमकर मालिनी के ऊपर ६९ की पोज़ीशन में आ गयी। मालिनी की आँखों के सामने आयशा की खुली हुई बुर थी। उसने पहली बार किसी की बुर इतने पास से देखी थी। वो भी उसको गंध से मस्त होकर उसे सहलाने लगी। अब उसने भी २ उँगलियाँ अंदर डालीं और पूरी गीली बुर में उसे अंदर बाहर करने लगी। फिर उसने भी अपना मुँह उसकी गुफ़ा में डाल दिया और उसको चूसने लगी। उसके सामने उसकी फूली हुई बुर थी और वो अब जैसे आयशा उसकी क्लिट के साथ जीभ से खेल रही थी वह भी वैसा ही करने लगी। अब आयशा अपनी गाँड़ नीचे करके अपनी बुर उसके मुँह में दबा रही थी और ख़ुद भी उसकी बुर में मानो घुसे जा रही थी। जल्दी ही दोनों सिसकियाँ लेते हुए झड़ने लगीं।
थोड़ी देर शान्त रहने के बाद आयशा: मज़ा आया जानू?
मालिनी: झूठ नहीं बोलूँगी, मुझे नहीं पता था कि एक औरत दूसरी औरत को इतना सुख दे सकती है। वैसे तुम शिवा से भी ज़्यादा अच्छा चूसती हो?
आयशा हसंकर : और तुम्हारे ससुर से ?
मालिनी: आऽऽऽह वह भी इतना ही मज़ा देते हैं जैसे तुमने अभी दिया। वो भी प्यार से चूसते हैं मेरी बुर।
( शिवा का लौड़ा दूसरी बार पानी छोड़ दिया। )
अब मालिनी बोली: अच्छा चलती हूँ। तुम्हारी बाक़ी की कहानी कल सुनूँगी। ठीक है ना?
आयशा: ठीक है। कल असलम को भी रोक लूँ क्या? तुम्हें मज़ा दे देगा।
( शिवा के कान खड़े हो गए कि मालिनी क्या बोलेगी?)
मालिनी: नहीं अभी उनको बीच में मत लाओ। अगर शिवा बोलेगा कि अदला बदली करनी है तब की तब देखेंगे।
आयशा उसके होंठ चूमकर: ठीक है डॉर्लिंग जैसा तुम चाहोगी वैसा ही होगा।
मालिनी शाम को ६ बजे अपने घर पहुँची तो ससुर चाय बना रहे थे। वो: ओह पापा सॉरी बहुत देर हो गयी।
राजीव ने उसको अपनी बाँह में भरा और प्यार करते हुए बोला: कोई बात नहीं बेटा चाय पीओ। रोज़ तुम बनाती हो तो आज मैं सही। उसमें क्या है?
फिर चाय पीते हुए वो उसकी जाँघ सहलाकर बोला: बेटा आयशा का सामान देख लिया?
मालिनी क्या बोलती? उसने उसका सब सामान देखा और चूसा भी। वो बोली: जी पापा उसके पास अच्छे प्रॉडक्ट्स हैं।
राजीव चाय पीकर उसको गोद में बिठाकर बोला: बेटा आज तुम्हारी गाँड़ में सबसे बड़े साइज़ का नक़ली लंड डालना है। उसके बाद तुम गाँड़ आराम से मरवा लोगी।
मालिनी: ठीक है पापा जैसा आप कहें मैं तय्यार हूँ।
अब राजीव उसे अपने कमरे ने लजाकर उसके कपड़े खोलकर उसको नंगी किया और पेट के बल लिटाया और उसके कमर के नीचे एक तकिया रखा जिससे उसकी गाँड़ ऊपर को उठ गयी। वो अपना डिब्बा लाया और उसमें से सबसे छोटा लंड निकाला और जेली के साथ उसकी गाँड़ में अंदर किया। मालिनी आऽऽहहह पापा कर उठी। इसके बाद वो उसे अंदर बाहर किया ५ मिनट तक। राजीव: बेटा अब ये छोटे वाले से तो दर्द नहीं होता है ना?
मालिनी: नहीं पापा।
इस तरह से वो हर ५ मिनट के बाद साइज़ बड़ा करता गया।
अब वो : बेटा अब सबसे बड़ा डाल रहा हूँ। बताना कैसा लगा?
अब वो धीरे से जेल लगा हुआ ८ इंचि मोटा नक़ली लौड़ा अंदर डाल और मालिनी उइइइइइइ माँआऽऽऽऽ कर उठी। वो: आऽऽऽऽह पापा दुखता है।
राजीव: बस बेटा अभी मज़ा आएगा ।अब वो और जेल लगाकर इसको गाँड़ मारने लगा,नक़ली लौड़े से । अब मालिनी उइइइइइइइ आह्ह्ह्ह्ह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी।
राजीव ने उसको और ऊपर उठाया कमर से पकड़कर और अपना लौड़ा उसकी बुर में डाल दिया। नक़ली लौड़ा अभी भी उसकी गाँड़ में फंसा पड़ा था। वो उसकी चूचियाँ मसलकर उसे चोदने लगा। मालिनी: आऽऽऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽपा और ज़ोर से उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ चोओओओओओओओदो आऽऽऽहहह कहकर वो अपनी कमर दबाकर झड़ने लगी। अब राजीव भी उसकी बुर में अपना रस डालकर झड़ गया। बाद में राजीव ने उसकी गाँड़ से नक़ली लण्ड बाहर निकाला और एक शीशा लेकर उसकी गाँड़ का छेद उसकी टाँगे उठाकर उसे दिखाकर बोला: बेटा अब तुम्हारी गाँड़ देखो पूरी खुल गयी है। देखो छेद कितना बड़ा दिख रहा है।
मालिनी ख़ुद अपनी गाँड़ के छेद को आइने में देखकर हक्की बक्की रह गयी। कितना बड़ा सा खुला मुँह दिख रहा था छेद का।
वो बोली: ओह पापा ये तो बहुत खुला दिख रहा है। अब तो आपका मोटा वाला भी चले जाएगा इसमें ।
राजीव: वही तो बेटा कल मैं इसका उद्घाटन करूँगा और इसकी सील तोड़ूँगा।
मालिनी: ठीक है पापा, जैसा आप चाहो। वह उससे चिपट गयी और दोनों एक दूसरे को चूमने लगे।
[url=http://rajsharmastories.com/viewtopic.php?f=12&t=7668#top][/url]
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06-10-2017, 10:24 AM,
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RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
शिवा के आने के पहले मालिनी और राजीव मस्ती करके तय्यार होकर बैठे थे। शिवा आया और बोला: पापा मुझे कल सुबह दो दिनों के लिए मुंबई जाना होगा। वहाँ हमारे सप्लाइअर्ज़ की मीटिंग है जिसमें वो हमको कुछ नए परोडक्ट्स के बारे में बताएँगे।
राजीव अपनी ख़ुशी छिपाकर: हाँ हाँ ज़रूर जाओ बेटा। सबसे मिलोगे तो तुम्हारे ज्ञान में वृद्धि होगी।
मालिनी: पर मैं आपके बिना कैसे रहूँगी? मुझे भी ले चलिए ना?
शिवा: अरे तुम वहाँ क्या करोगी? मैं तो सुबह से शाम तक व्यस्त रहूँगा । तुम होटेल के कमरे में अकेले क्या करोगी?
राजीव: शिवा ठीक कह रहा है बेटा। तुम बोर हो जाओगी।
अब शिवा बोला: ठीक है चलो पापा आज हम सब बाहर खाना खाते हैं।
मालिनी: अरे मैंने खाना बना लिया है। उसका क्या होगा?
शिवा: अरे वो फ्रिज में रखो और चलो बड़ा मूड है बाहर खाना खाने का।
पापा: हाँ चलो बहुत दिन से कोई आउटिंग भी नहीं हुई है।
शिवा: ठीक है मैं नहा लेता हूँ फिर खाना खाएँगे। यह कहकर वह अपने कमरे में आया। आते ही वो खिड़की से हल्का सा पर्दा उठाकर पापा और मालिनी को देखने लगा। वो देखा कि मालिनी भी उठी और उसके पीछे जाने लगी। राजीव ने उसे खींचकर अपनी गोद में बिठाया और उसके होंठ चूमकर बोला: अरे बेटी ऐसा मौक़ा फिर कहाँ मिलेगा। हम दो दिन पति पत्नी की तरह रहेंगे। मज़ा आ जाएगा।
मालिनी हँसकर: तो क्या अभी पति पत्नी की तरह नहीं रहते हम?
राजीव: बेटी रात की चुदाई का अलग ही मज़ा है। और फिर रात भर साथ में सोने को भी मिलेगा। वो बहु की चूचियाँ दबाकर बोला।
मालिनी: आह पापा छोड़िए ना। शिवा रास्ता देख रहे होंगे।
राजीव: और एक बात कल जब तुम्हारी गाँड़ मारूँगा ना, तो एक दिन तुम थोड़ा लँगड़ा कर चलोगी। शिवा रहेगा तो पूछेगा क्या हुआ, अब वो परेशानी भी नहीं है।
मालिनी: पापा आपने तो पूरी प्लानिंग कर ली है। वो भी अपने हाथ को उनकी लूँगी पर रखकर उसके लौड़े को दबाकर मस्त हो गयी।
शिवा सब देख रहा था और सोचा कि कितनी बेशर्मी से अपने ससुर के साथ ये अब पेश आती है। वो अपना खड़ा लंड दबा रहा था।
मालिनी: अच्छा अब छोड़िए ना।
राजीव उसके होंठ चूस कर बोला: और हाँ एक दिन बाई को छुट्टी दे देना। उस दिन मैं तुमको पूरे दिन रात नंगी रखूँगा।
मालिनी हँसकर अपने को छुड़ाईं : मैं नहीं नंगी रहने वाली दिन भर।
राजीव पीछे से बोला: देखेंगे कैसे नहीं रहती हो? और वो हँसने लगा। अब वो भी तय्यार होने चला गया।
शिया मालिनी को आते देखकर बाथरूम में घुस गया और नहाने लगा।
मालिनी ने उसके और अपने कपड़े निकाले और कपड़े उतारे।
शिवा नहाते हुए सोच रहा था कि ये उसका मुंबई वाला प्लान शायद हिट रहेगा। असल में शाम को असलम का फ़ोन आया और वो बोला था: यार आज मालिनी और आयशा ने ६९ किया। तुमने तो सब सुना ही होगा। मुझे कब दिलवा रहे हो मालिनी की?
शिवा: हाँ यार मालिनी तो साली मस्त गरम माल बनती जा रही है। यार मुझे पापा और उसको चुदाई करते देखने की बड़ी इच्छा है।
असलम: अरे वो तो बहुत सिम्पल सी बात है। तू दो दिन के लिए बाहर चला जा और वो दोनों मस्त मियाँ बीवी की तरह रहेंगे और चुदाई करेंगे।
शिवा: ओह पर मैं कैसे देखूँगा?
असलम: इसका भी इंतज़ाम हो जाएगा। मेरे पास एक आदमी है वो पैसे लेगा और दो केम तुम्हारे घर के ड्रॉइंग रूम और बेडरूम में फ़िट कर देगा। तुम अपने लैप्टॉप में सब देख सकते हो। उसको सिर्फ़ तुम्हारे घर में आधा घंटा रहना पड़ेगा।
शिवा: वाह क्या प्लान है। मैं आज रात का ही प्लान बनाता हूँ।
इस तरह शिवा ने प्लान बनाया था कि वो दो दिन के लिए असलम के घर में रहेगा। असलम ने अपना आदमी तय्यार कर दिया था जो कैम फ़िट करेगा जब ये सब खाना खाने बाहर जाएँगे।
ये सब इसी योजना के अनुसार हो रहा था।
शिवा नहाकर बाहर आया और तो मालिनी ब्रा और सलवार में थी और सलवार बदलने जा रही थी। वह मुस्कुरा कर बोला: जान मस्त भर रहा है तुम्हारा बदन। उफफफफ क्या माल होती जा रही हो। वो उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही दबा दिया। फिर उसकी जाँघों को सहलाया और सलवार के ऊपर से उसकी मस्त फूली हुई बुर को दबाकर बोला: हम्म और ज़्यादा फूल गयी है मेरी मस्तानी। फिर हाथ चूतरों पर ले गया और उनको दबाकर बोला: उफफफफ ये भी मस्त होते जा रहे हैं।
मालिनी हँसकर बोली: कल दो दिन के लिए जा रहे हो तो बीवी माल लगने लगी है। वाह ?
शिवा: रानी आज रात को मस्ती से चुदवाना क्योंकि दो दिन वहाँ तो उपवास ही रहेगा।
वो शिवा से लिपट कर बोली: ये भी कोई पूछने की बात है। जी भर के मज़े लेंगे आज रात को। ठीक है ना?
शिवा उसको लिपटाकर : बिलकुल मेरी जान। वो उसके होंठ चूसने लगा जैसे थोड़ी देर पहले उसने पापा को चूसते देखा था।
फिर दोनों तय्यार होकर बाहर आए तो राजीव उनका इंतज़ार कर रहा था। राजीव को आँखों में मालिनी की सुंदरता को देख कर चमक आ गयी। बाहर निकलते हुए उसने मालिनी की कमर में चिमटी काट दी और वो उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी। शिवा ने सब देखा और ना देखने का नाटक किया। उसने देखा कि पापा का हाथ बाहर निकलते समय बहु के मोटे चूतरों को दबा भी रहा था। उसके लौड़े ने सिर उठाना शुरू कर दिया।
वो सब बाहर आकर कर कार में बैठे । फिर वो वापस उतरा और बोला: मैं अपना पर्स भूल गया हूँ। एक मिनट में आया।
उसके जाने के बाद राजीव जो कार में पीछे बैठा था उसने आगे को सीट पर बैठी मालिनी की चूचि दबाकर कहा: रात की कुछ चुदाई की प्लानिंग हुई?
मालिनी हँसकर: आऽऽह पापा ज़ोर से मत दबाओ। हाँ हुई है बोले हैं कि मस्ती से चुदवाना क्योंकि दो दिन उपवास रहेगा। आऽऽऽह बस करिए ना।
उधर शिवा घर के अंदर नहीं गया और योजना के अनुसार उसने घर की चाबी एक सामने रखे गमले के नीचे डाल दी। ताकि वो असलम का आदमी आकर कैम लगा सके। उसने sms कर दिया उस आदमी को ।अब वो वापस आया तो कार में उसे मालिनी की क़ुर्ती उसकी चूचियों के ऊपर से मुड़ी तुड़ि सी दिखी तो वो समझ गया कि पापा ने उसकी चूचियाँ मसलीं है अभी । वो अपने लौड़े में फिर से सरसराहाट महसूस किया। वो कार चलाते हुए साथ बगल में बैठी मालिनी को देखता और मुस्कुरा देता।
रेस्तराँ में तीनो एक गोल टेबल पर बैठे। मालिनी दोनों के बीच में ही बैठी थी। शिवा ने ऐसा टेबल चुना था जो कि थोड़े अंधेरे में था और अलग सा था।
शिवा: पापा बीयर मँगाऊँ क्या?
राजीव: मैं तो विस्की लूँगा।
शिवा: तो मैं भी विस्की ही लूँगा। मालिनी तुम्हारे लिए वाइन मँगाऊँ क्या?
मालिनी: मैंने कभी पी नहीं है। आप लोग लीजिए।
राजीव: अरे बेटी वाइन तो आजकल सब लड़कियाँ लेती हैं। थोड़ा सा ले लो।
मालिनी: ठीक है आप जब इतना बोल रहे हैं तो ले लेती हूँ।
राजीव उसकी जाँघ पर हाथ रख कर दबाया। वो मस्ती से भर गया। शिवा ने सब ऑर्डर कर दिया।
मालिनी ने डरते डरते वाइन चखा और बोली: पापा स्वाद इसका अजीब है। पर वो दो घूँट पी गयी।
शिवा और राजीव भी अपना पेग लगाने लगे। क़रीब दस मिनट तक सब बातें करते हुए अपना पहला पेग ख़त्म किए। मालिनी को हल्का सा नशा सा होने लगा था। अब राजीव उसकी एक जाँघ दबाए जा रहा था। शिवा ने अपना हाथ उसकी दूसरी जाँघ पर रखा और दोनों बाप बेटा उसकी एक एक जाँघ दबाकर मस्त होने लगे। पर दोनों को पता नहीं था कि दूसरे का हाथ कहाँ है। मालिनी भी मस्ती से भरी जा रही थी। अब शिवा ने दूसरा पेग बनाया और पापा को दिया। पर उसने अपने लिए छोटा सा पेग बनाया और पानी मिला दिया। मालिनी भी मज़े से दूसरा गिलास वाइन का पी रही थी। जल्दी ही मालिनी नशे में आ गयी। राजीव भी तीसरे पेग के बाद मस्ती से नशे में आ गया था। शिवा भी अब ऐसे नाटक कर रहा था कि मानो उसे भी चढ़ गयी हो। पर सच तो ये था कि वो पूरे होश में था।
अचानक उसकी नज़र पापा के हाथ पर पड़ी जो कि मालिनी की जाँघ सहला रहा था।
शिवा: पापा मैं ज़रा बाथरूम होकर आता हूँ। वो कहकर लड़खड़ाने का अभिनय करते हुए चला गया।
उसके जाते ही राजीव मालिनी की ओर झुका और उसके होंठ चूम लिया। उसके हाथ अब उसको जाँघों के जोड़ पर आ गए थे और वो उसकी बुर को दबाया और बोला: आऽऽऽऽह बेटा पैंटी नहीं पहनी हो?
मालिनी: नहीं पापा। अब मुझे पैंटी के बिना ही अच्छा लगता है। राजीव ने उसकी सलवार के ऊपर से ही अपनी ऊँगली उसकी बुर में डाली और गीली होती बुर से ऊँगली निकाल कर उसे चाटा। मालिनी भी नशे में अपनी जाँघें फैला दी ताकि ससुर का काम आसान हो जाए। उधर शिवा घूमकर पीछे से आया और चुपचाप पास की टेबल पर बैठकर इन दोनों की हरकत देखने लगा। उसने साफ़ देखा कि कैसे पापा का हाथ उसकी सलवार के ऊपर से उसकी बुर में घुसा हुआ था और कैसे पापा ने अपनी ऊँगली चाटी।
राजीव: बेटी सलवार का नाड़ा खोल दे ना। नंगी बुर सहलाने का मन हो रहा है।
शिवा हैरानी से देखा कि मालिनी ने अपना नाड़ा खोला और थोड़ा सा उठकर शायद सलवार को नीचे खिसकाई ताकि ससुर का हाथ बुर में आराम से चले जाए। शिवा बहुत गरम हो चुका था ये सब देखकर।
अब शिवा को पापा का हिलता हुआ हाथ दिखाई दे रहा था और मालिनी की सिसकियाँ सुनाई दे रही थीं।
अचानक मालिनी बोली: उफफफ पापा हटिए शिवा आते होंगे।
अब राजीव हाथ को बाहर निकाला और उँगलियां चाटने लगा।
अब शिवा आकर मालिनी के साथ वाली सीट पर बैठा और ऐसा दिखाया मानो बहुत नशा हो गया हो।
मालिनी: शिवा देखो थोड़ी सी वाइन बची है मुझे डाल दो ना। बहुत मस्त लग रहा है।
शिवा ने उसके लिए एक और गिलास बनाया। अब वो बोला: पापा आप खाना ऑर्डर कर दो मैं थोड़ा आराम कर लेता हूँ। ये कहकर वो अपनी कुर्सी की पीठ पर अपने सिर को रखा और अधलेटा सा होकर अपनी आँखों में अपनी कलाई रखकर सोने का अभिनय करने लगा।
शिवा को मालिनी ने आवाज़ दी पर वो ऐसा दिखाया मानो सो रहा है। उसकी आँखें उसकी कलाई के पीछे थोड़ी सी खुलीं हुईं थीं। इसका अन्दाज़ ससुर बहु को नहीं था।
राजीव धीरे से बोला: बेटा वो सो गया है तुम ज़रा मेरा चूस दो ना। ये कहकर उसने अपना लंड बाहर निकाला। मालिनी भी मस्ती से भरी थी सो नीचे झुकी और ससुर का लंड चूसने लगी। शिवा को सब साफ़ दिखाई पड़ रहा था और उसका लंड पूरी तरह से तन चुका था। राजीव का भी हाथ उसकी चूची को दबा रहा था और एक हाथ उसकी बुर के अंदर था।
शिवा मज़े लेने के लिए आऽऽऽऽह करा तो मालिनी एकदम से उठी और अपनी सलवार ठीक की। राजीव ने भी अपना लंड ठीक किया। तभी वेटर आया और ऑर्डर लेकर चला गया।
शिवा फिर से सोने का अभिनय करने लगा। अबके राजीव नीचे आकर उसकी सलवार नीचे करके उसकी बुर चूसने लगा मालिनी की धीमे धीमे सिसकियाँ निकल रही थीं।
तभी शिवा ने फिर एक हम्म की आवाज़ निकाली और राजीव उठकर अपनी जगह में बैठ गया। शिवा चाहता था कि दोनों गरम रहें मगर झड़ें ना।
तभी खाना लगा और शिवा भी सबके साथ खाना खाया। वापस जाने के समय भी शिवा लदखड़ाने का नाटक किया और कार पापा ने चलाई। वो पीछे सोने का अभिनय करता रहा। रास्ते में भी मालिनी ने ससुर के लंड को पैंट के ऊपर से सहलाया और वो भी उसकी चूचियाँ दबाता रहा।
घर पहुँचकर शिवा पापा और मालिनी के सहारे से अपने बिस्तर पर पहुँचा और पेट के बल लेटा और सोने का नाटक किया। राजीव : बेटा ये तो लगता है टुन्न हो गया है। तुम कपड़े बदल कर आ जाओ। ये कहकर वो उसकी गाँड़ मसल दिया। मालिनी हँसकर हाँ में सिर हिलाई ।
मालिनी थोड़ी देर शिवा को देखती रही और अपने कपड़े उतारी और पूरी नंगी होकर एक नायटी डाली और अपनी बुर खुजाकर ससुर के कमरे की ओर चली गायी।
उसके बाहर जाते ही शिवा भी उठा और खिड़की से उसको पापा के कमरे में घुसते देखा और जल्दी से आकर खिड़की के परदे को हटाया और अंदर का दृश्य देखकर वो मस्त हो गया।
राजीव बिस्तर पर नंगा पड़ा था और अपना लौड़ा सहला रहा था और वो बोला: बेटा मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था।
मालिनी ने भी अपनी नायटी उतारी और पूरी नंगी अपने ससुर के ऊपर आकर लेट गयी। अब दोनों लम्बे चुम्बन में खो गए।
शिवा को मालिनी के मोटे चूतर दिख रहे थे जो ससुर के लंड पर अपनी बुर रगड़ने के कारण हिलते दिख रहे थे। अचानक वो उठी और अपना सीना ऊपर की और राजीव उसकी चूचियाँ दबाकर चूसने लगा। फिर वो ६९ की पोज़ीशन में आयी और राजीव का लौड़ा चूसने लगी और वो भी उसकी बुर और गाँड़ चाटने लगा।
शिवा को लगा कि वो उत्तेजनावश झड़ ना जाए।
अब मालिनी फिर से उठी और ससुर के लौड़े को अपनी बुर में इस तरह से ली कि उसकी पीठ राजीव के सामने थी। उसकी उछलती चूचियाँ बहुत मादक लग रहीं थीं। राजीव थोड़ा सा उठा और उनको मसलने लगा। अब मालिनी चिल्लाकर उसके लौड़े पर अपनी बुर उठा कर मानो पटक रही थी और चिल्लाई: उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽऽऽपा फ़ाआऽऽऽऽऽऽऽऽडो हाऽऽऽऽऽऽऽययय। वो अपने सिर को ज़ोर ज़ोर से पीछे की ओर करके अपनी मस्ती का इज़हार करे जा रही थी। अब दोनों ह्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगे।
शिवा अपनी बीवी और अपने पापा की चुदाई live देख रहा था । उसने तो प्लान किया था कि वो कैम में देखेगा। पर वाह रे भाग्य यहाँ तो सब कुछ सामने से देखने को मिल गया। अब वो अपने कमरे में आया और बाथरूम में जाकर फ़्रेश होने लगा। उसका लौड़ा अभी भी खड़ा था।
जब मालिनी अपने कमरे में आइ तो शिवा को बिस्तर पर ना देखकर थोड़ा सा घबराई। तभी बाथरूम से शिवा बाहर आया और बोला: अरे तुम कहाँ थीं ?
मालिनी हड़बड़ाकर : वो वो किचन में थी पानी पीने गयी थी।
शिवा : चलो अब मैं अच्छा फ़ील कर रहा हूँ। चलो आओ चुदाई करते हैं।
मालिनी थोड़ा परेशान हुई क्योंकि वो अभी तक बाथरूम नहीं गयी थी। उसकी बुर में पापा का वीर्य अभी भी लगा हुआ था। वो बोली: मुझे पिशाब करना है, मैं अभी आयी।
शिवा मन ही मन मुस्कुराया और बोला: ठीक है आओ ।
मालिनी बाथरूम में जाकर अच्छी तरह से सफ़ाई की और वापस आकर अपनी नायटी उतारकर पूरी नंगी हो गयी जैसे अभी थोड़ी देर पहले ससुर के सामने हुई थी। यहाँ भी बिस्तर पर वही दृश्य था , शिवा पूरा नंगा था और अपना लौड़ा सहला रहा था। वो जानबूझकर पापा की नक़ल कर रहा था मालिनी को परेशान करने के लिए।
मालिनी थोड़ी सी चौकी और फिर वैसे ही उसके ऊपर आकर लेटी जैसे पापा के ऊपर लेटी थी। अब उनके होंठ जुड़ गए और दोनों एक दूसरे की जीभ और होंठ चूसने लगे। मालिनी अब फिर से गरम होने लगी थी। उसने वैसे ही अपना सीना ऊपर किया और शिवा वैसे ही उसकी चूचियाँ दबाकर चूसने लगा। उसके बाद ६९ और उसके बाद उसी आसान में चुदाई। मालिनी को लगा कि वह एक ही पिक्चर को दो बार देख रही है। हीरोइन तो वही है बस हीरो बदल गया है। क़रीब २५ मिनट की चुदाई के बाद दोनों झड़े। मालिनी के सोने के बाद वो उठा और चुपचाप बाहर जाकर गमले के नीचे से चाबी उठा लाया। अब वो ड्रॉइंग रूम में कैम को खोजा। उसे sms आया था कि उसने उसको दीवाल घड़ी के अंदर छुपाया है। वो ध्यान से देखा तो पाया कि सच में घड़ी के अलार्म स्पीकर के साथ वो ऐसा लगा था मानो स्पीकर का ही हिस्सा हो। उसने बताया था कि ऐसा ही एक कैम पापा के कमरे में भी लगा है।
अब वो संतुष्ट होकर लैप्टॉप खोला और उसके द्वारा भेजे हुए लिंक से उसने अपने लैप्टॉप को चेक किया। और उसके सामने ड्रॉइंग रूम में बैठे लैप्टॉप पर ख़ुद की फ़ोटो आ गयी। फिर उसने दूसरा कैम देखा और वहाँ पापा सोते हुए दिख रहे थे।
वो सोचा कि इस बन्दे ने बिलकुल सही काम किया है। अब उसका लंड ये सोचकर खड़ा होने लगा कि अब पापा और मालिनी को वो हमेशा अपनी नज़रों के सामने रख सकेगा
उसने sms करके उस आदमी और असलम को बता दिया कि वो काम ठीक से कर गया है। अब वो मुस्कुराकर अपना लंड दबाकर सोने चला गया। कल सुबह उसे मुंबई जाना था पर असल में वो दो दिन असलम के घर में रहेगा। वह अपनी योजना पर मुस्कुराया।
फिर वो भी सो गया। सुबह सुबह नींद में वो सपना देखा कि वो और पापा मालिनी की एक साथ चुदाई कर रहे हैं। और वो सपने में देखा कि असलम भी अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा है। तभी अचानक मालिनी ने उसे उठाया और चाय के लिए बोली।
सुबह तय्यार होकर शिवा सामान लेकर मुंबई का कहकर निकला और सीधे आयशा के घर पहुँच गया। अभी असलम भी घर पर था और नाश्ता करके उठा ही था। वो दोनों हाथ मिलाए और असलम बोला: मुंबई में आपका स्वागत है। अब वो तीनों हँसने लगे। आयशा अभी भी नायटी में थी। वो सामने से खुलने वाली नायटी थी। उसके बड़े मम्मे बहुत मस्त उभरे हुए दिख रहे थे।
आयशा: आपने लैप्टॉप देखा कि वहाँ घर पर क्या हो रहा है?
शिवा : अभी कहाँ देखा गाड़ी चला रहा था ना। चलो खोलता हूँ। वो सोफ़े पर बैठकर लैप्टॉप खोला और उसके अग़ल बग़ल असलम और आयशा भी बैठे और लैप्टॉप देखने लगे।
उसने बेडरूम के कैम में देखा तो कमरे में पापा बैठे थे और अख़बार पढ़ रहे थे। ड्रॉइंग रूम भी ख़ाली था।
शिवा: लगता है मालिनी किचन में है। अब तक तो बाई भी आ गयी होगी।
असलम: अरे रीवाइंड करो और देखो कि तुम्हारे जाने के बाद पिछले २० मिनट में क्या हुआ?
आयशा: हाँ वहीं मस्त सेक्सी सीन होगा ससुर बहु का।
शिवा ने रीवाइंड किया और सबकी आँखें जैसे लैप्टॉप पर जम गयीं। शिवा बाहर आ रहा था और मालिनी उसे दरवाज़े तक छोड़ने आइ और उसको एक लिप किस दी और बाई कहकर दरवाज़ा बंद की।
जैसे ही वो अंदर आयी राजीव ने अपनी बाँहें खोल दी और वो उनमें समा गयी। अब वो दोनों एक दूसरे के होंठ चूमने और चूसने लगे। राजीव के हाथ उसकी पीठ और उसके चूतरों को सहला रहे थे। फिर उसके हाथों ने उसकी नायटी को ऊपर किया और वो उसके गोल गोल नंगे चूतरों को दबाने लगा। वो बोला: आऽऽऽह बेटा क्या फ़ीलिंग हो रही है। आज से कल तक तुम सिर्फ़ मेरी बीवी रहोगी। है ना? वो अब उसकी गाँड़ की दरार को रगड़कर बोले जा रहा था।
मालिनी भी अपना सामने का हिस्सा उसके लौड़े पर दबाकर बोली: हाँ पापा आज और कल मैं सिर्फ़ आपकी हूँ।
असलम विडीओ देखकर अपना लंड मसलकर बोला: उफफफ क्या मस्त गाँड़ है। पता नहीं साली कब देगी?
आयशा: आप तो मरे ही जा रहे हो उसकी फाड़ने के लिए।
अब तीनों हँसने लगे।
उधर राजीव बोला: बेटा नहाने के बाद आज तुम्हारी गाँड़ का उद्घाटन करूँगा। ठीक है ना?
मालिनी: जी पापा ठीक है। आज कर ही दीजिए ,बहुत दिन हो गए नक़ली लंड डालते हुए, अब आपका असली वाला चाहिए, मेरी गाँड़ को। भले फट जाए तो भी कोई ग़म नहीं।
तभी दरवाज़े की घंटी बजी। दोनों अलग हुए और मालिनी ने दरवाज़ा खोला और बाई अंदर आयी।
अब शिवा बोला: अब कुछ देर के लिए कुछ नहीं होगा। बाई के जाने के बाद ही वो कुछ करेंगे।
अब उसने लैप्टॉप को ऑनलाइन कर दिया था। पापा अभी भी पेपर पढ़ रहे थे, तभी मालिनी अंदर आयी । पापा मुस्कुराए और बोले: बाई कब तक जाएगी?
मालिनी हँसी: बड़े बेचैन हो रहे हैं आप? बस एक घंटे में चले जाएगी। वो जाकर पापा के पास खड़ी हुई।
राजीव ने उसकी नायटी के ऊपर से उसकी जाँघ सहलायी और बोला: उफफक जान बर्दाश्त नहीं हो रहा है। देखो? ये कहकर वो अपनी लूँगी हटाकर अपना लौड़ा दिखाए। उफफफ क्या लम्बा और मोटा पूरा खड़ा था।
मालिनी प्यार से उसको अपनी मूठ्ठी में भरकर सहलाकर बोली: पापा अभी से खड़ा कर लिए? अभी एक घंटा सबर करिए। चलिए तब तक आप नहा लीजिए।
राजीव उसकी बुर को नायटी के ऊपर से दबोचकर बोला: बेटा आज तो हम साथ ही नहाएँगे। उसके बाद मस्त चुदाई होगी।
मालिनी: ओह पापा आप भी ना । मेरे पीछे ही पड़े हो साथ में नहाने के लिए। चलो ठीक है आज आपकी ये इच्छा भी पूरी कर दूँगी। अब छोड़िए बहुत सा काम बचा है।
राजीव ने उसको चूमा और वो बाहर निकल गयी।
असलम: अब एक घंटा इंतज़ार करो। और वो जब बाथरूम में नहाएँगे तो भी तुमको दिखाई नहीं देंगे। हाँ अगर दरवाज़ा खोलकर नहाएँगे तो शायद कैम दिखा सकेगा। अच्छा अब मुझे ऑफ़िस जाना है। बेस्ट ओफ लक । वैसे आयशा आज कितनी बार चुदवाओगी शिवा से ? वो आयशा की चूचि दबाकर बोला।
आयशा: उफफफ धीरे से दबाओ ना। मुझे क्या पता ? अपनी बीवी को ससुर से चुदता देखकर क्या पता कितना गरम होंगे और कितनी बार करेंगे?
सब हँसने लगे। शिवा: यार तू लंच में आएगा ना तो दोनों मिलकर इसे चोदेंगे। उसके पहले एक बार ही करूँगा बस अब तो ठीक है ना?
असलम आयशा को अपनी बाहों में भींचकर बोला: ओके डार्लिंग हैपी फ़किंग । और उसके होंठ चूमकर बाहर चला गया।
अब आयशा बोली: आपके लिए चाय लाती हूँ। आप टीवी देखो।
बाद में वह नहाने चली गयी और वो टीवी देखता रहा।
वो नहाकर आयी तो उसने एक गाउन सा पहना था जो सामने से रस्सी से बांधा था और साफ़ लग रहा था कि उसने उसके नीचे ब्रा नहीं पहनी थी क्योंकि उसके लम्बे निपल साफ़ दिखाई दे रहे थे। वो साक्षात काम की मूर्ति सी लग रही थी। शिवा का लण्ड तनने लगा।
तभी उसकी निगाह लैप्टॉप पर पड़ी और वो देखा किमालिनी पसीना पोंछती हुई अंदर आयी और पापा ने उसे अपनी गोद में खींच लिया। शिवा की आँखें अब लैप्टॉप पर चिपक गयी थी और वो आयशा के सामने अपना लौड़ा मसल रहा था।
आयशा मुस्कुराई और उसकी पैंट का बेल्ट खोली और उसकी पैंट उतार दी। अब चड्डी ने उसका लौड़ा फूला हुआ बहुत सेक्सी दिख रहा था। वो उसकी चड्डी पर लगी हुई एक बूँद प्रीकम को चाटी और उसके लौड़े को चड्डी के ऊपर से ही चाटने लगी। अब वो भी अपनी नज़र उठाई और देखने लगी कि ससुर बहु क्या कर रहे हैं? शिवा की आँखें तो जैसे लैप्टॉप से चिपक गयी थीं।
राजीव मालिनी के कंधे और गले के हिस्से को चूमा और बोला: बेटी बहुत पसीना आया है, चलो नायटी उतार दो।
मालिनी: पापा मैंने इसके नीचे कुछ नहीं पहनी हूँ। पूरी नंगी ही जाऊँगी।
पापा उसकी चूची दबाकर: अरे ब्रा तो पहनी हो बेटा। हाँ नीचे कुछ नहीं है। वैसे भी कपड़े पहनकर नहाओगी क्या? चलो उतारो।
ये कहकर वो उसकी नायटी उतार दिए और मालिनी ने भी इसमें उनको सहयोग किया। अब वो सिर्फ़ ब्रा में पापा की गोद में बैठी थी। पापा उसके बदन को चूम रहे थे और वो उसकी ब्रा का हुक खोले और उसको भी निकाल दिया। अब उसकी मस्त चूचियाँ दबाकर वो उसकी एक बाँह उठाए और उसकी बग़ल को सूंघकर बोले: हम्म क्या मस्त गंध है म्म्म्म्म्म । उफफक क्या मादक लड़की हो तुम। अब वो उसके पेट और नाभि को सहलाकर बोले : उफ़्फ़ क्या चिकना बदन है तुम्हारा। अब वो उसकी जाँघ सहलाकर बोले: बेटी मस्त गदरा गयी हो। सच, अब जाकर तुम गदराई जवानी वाला माल बनी हो। वो उसकी बुर को पंजे में दबोचकर आऽऽह कर उठे।
इधर शिवा का बुरा हाल था। अब आयशा ने उसकी चड्डी खोल दी थी और उसका लौड़ा सहलाते हुए बीच बीच में उसे चूस भी देती थी।
उधर पापा बोले: चलो बेटी अब नहा लेते हैं। मालिनी खड़ी हुई और पापा ने भी अपनी बनियान उतार दी और मालिनी ने मस्ती में आकर उसकी लूँगी खींच दी। अब वो दोनों नंगे थे और राजीव उसे अपने से चिपकाकर उसे प्यार किए जा रहा था। मालिनी के हाथ पापा के तने हुए लौड़े को सहला रहे थे।
अब पापा बोले: चलो बाथरूम में । मैं तौलिया लेकर आता हूँ। मालिनी बाथरूम में घुसी और टोयलेट की सीट पर बैठकर मूतने लगी। अब तक सब साफ़ दिखाई दे रहा था क्योंकि दरवाज़ा खुला था। अब राजीव तौलिया लेकर आया और उसने दरवाज़ा बंद कर दिया। शिवा बोला: उफफफ ये क्या पापा ने तो दरवाज़ा ही बंद कर दिया।
आयशा उसका लौड़ा चूसकर बोली: ओह चलो कोई नहीं चुदाई तो बिस्तर पर ही होगी। थोड़ा इंतज़ार कर लो।
शिवा ने उसे उठाया और उसका गाउन खोला और उसे निकाल दिया वो पूरी नंगी थी अब। उफफफ क्या मस्त दिख रही थी, अभी अभी नहाई हुई जवानी । उसका लौड़ा मानो पागल सा होकर ऊपर नीचे हुआ जा रहा था। अब वो उसे लेकर सोफ़े में लिटाया और उसकी चूचियों पर जाकर टूट सा पड़ा। वो उनको दबाया और चूसा और फिर उसके निपल्ज़ को भी ऐंठने लगा। आयशा की सिसकियाँ गूँज रही थी। अब वो उसकी जाँघों को उठाकर फैलाया और उसके बुर को चूमने लगा। आयशा आऽऽऽह कर उठी। थोड़ी देर बाद वो बोली: आऽऽऽह बस करो वरना मैं झड़ जाऊँगी। वो उठा और सोफ़े पर बैठा और आयशा को बोला: बेबी आओ मेरे गोद में बैठकर लंड अंदर लो। वह अपनी पीठ शिवा की तरफ़ करके उसकी गोद में बैठी और उसका लौड़ा अपने बुर में लेकर आऽऽऽह करके ऊपर नीचे होने लगी। अब उसकी उछलती हुई चूचियों को शिवा मस्ती से दबा रहा था।
तभी आयशा बोली: आऽऽहाह देखो दोनों बाथरूम से बाहर आ रहे हैं।
शिवा ने भी लैप्टॉप को देखना शुरू किया।
उधर जो दृश्य शिवा नहीं देख सका उसने कुछ ख़ास नहीं हुआ था। बाथरूम में राजीव और मालिनी चिपककर शॉवर से नहाए और एक दूसरे के बदन में साबुन लगाए। आज राजीव ने उसकी गाँड़ के छेद को अच्छी तरह से साफ़ किया और वो भी राजीव के एक एक अंग को साफ़ की। फिर शॉवर लेकर एक दूसरे के बदन को सुखाए और बाहर आ गए। बाहर दोनों बिलकुल नंगे ही आए थे।
शिवा और आयशा अपनी चुदाई करते हुए उनको देख रहे थे। आयशा अपनी गाँड़ उठाकर उसके लौड़े को अपनी बुर में रगड़कर मस्त हुई जा रही थी।
मालिनी आकर बिस्तर पर पीठ के बल लेट गयी और राजीव आलमारी से डिब्बा उठा लाया जिसने नक़ली लंडों का सेट था। वो जेल लेकर उन सब लंडों में मला और हाथ साफ़ करके उसको चूमने लगा और उसकी चूचियाँ भी पिया । उसकी बुर को थोड़ा चाटकर वो बोला: बेटा उलटी हो जाओ। मालिनी पलट गयी और पेट के बल लेटी और अपनी गाँड़ उठा दी ताकि पापा तकिया लगा लें नीचे। अब उसकी गाँड़ उठी हुई बहुत मादक और कामुक दिख रही थी। पापा उसके चूतरों को चूमकर चाटने लगे और फिर उन्होंने चूतरों को फैलाया और उसकी गाँड़ के छेद में ऊँगली करने लगे और फिर झुक कर उसे जीभ से कुरेदने लगे। अब वो दो उँगलियों में जेल लिए और गाँड़ के छेद में डाले और अंदर बाहर करने लगे। मालिनी: आऽऽह पापा मस्त लग रहा है।
पापा: बेटा अब नक़ली लंड डालता हूँ। ठीक है ना?
मालिनी: जी पापा बस अब मज़ा दे दो।
पापा ने उसकी गाँड़ में एक एक करके सब लंड डाले और जब सबसे मोटा लंड निकाला तो शिवा की आँख फैल गयी क्योंकि उसकी गाँड़ का छेद बहुत ज़्यादा ही खुला सा लग रहा था।
मालिनी: उफफफफ पापा अब अपना डाऽऽऽऽऽऽऽल दो ना। हाऽऽयय्य।
अब पापा ने अपने लौड़े में जेल मला और एक बार फिर से मालिनी के छेद में और ख़ूब सारा जेल डाला और अब अपना लौड़े का सुपाड़ा उसके छेद में रखा और हल्के से दबाया।
मालिनी : आऽऽऽऽऽहहह पाआऽऽऽऽपा डाआऽऽऽऽऽऽलो । उइइइइइइइ माँ मरीइइइइइइइइइ। अब पापा का सुपाड़ा अंदर जा चुका था और वो अब भी दबाए जा रहे थे और धीरे धीरे पूरा लंड अंदर उसकी गाँड़ में धँसे जा रहा था।
अचानक आयशा ने महसूस किया कि अब शिवा जोश में आकर नीचे से अपने लंड का धक्का मारे जा रहा था। आयशा भी मस्ती से : उन्न्न्न्न्न्न उन्न्न्न्न्न उफ़्फ़्फ़्फ़् निकल रही थी। वो भी उछल कर चुदवा रही थी।
उधर पापा का पूरा लौड़ा उसकी गाँड़ में घुस गया था और मालिनी: उइइइइइइइइ मेरीइइइइइइइइइ फटीइइइइइइइइइ।
पापा: बेटा बहुत दुःख रहा है क्या ? वो अपना लौड़ा फँसायें हुए ही बोले।
मालिनी: आऽऽऽह पापा । अब नहीं दुःख रहा है। जब आप डाले थे तब दुखा था। हाऽऽऽऽय्य पापा अब धक्के मारो ना। बहुत खुजा रही है मेरी गाँड़। उइइइइइइइओओ।
अब शिवा की आँख मालिनी की गाँड़ में चिपक गयी थी। वो पापा के धक्के का जवाब नीचे से अपनी गाँड़ उछालके दे रही थी। बिस्तर पर ससुर बहु की ज़बरदस्त चुदाई चल रहीथी और मालिनी मस्ती में : उफफफफ और माआऽऽऽऽऽरो पाआऽऽऽऽऽपा फाड़ोओओओओओओओ। चोओओओओओओदो । उइइइइइइइ मज़ाआऽऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽ है पाआऽऽऽऽऽप्पा । फ़ाऽऽऽऽऽऽऽड़ दो मेंएएएएएएएएएरि गाँड़। ह्म्म्म्म्म्म्म ।
अब वो अपनी ऊँगली ले जाकर अपनी बुर को रगड़ने लगी। शिवा को वो किसी रँडी से कम नहीं लग रही थी।
[color=#8000ff][size=large]पापा बोले: आऽऽह बेटा अपनी बुर से हाथ निकालो। मैं सहलाता हूँ तुम्हारी बुर। अब वो ख़ुद उसकी बुर में उँगलियाँ डाले और उसकी पनियायी हुई बुर को रगड़ने लगे। वो उसकी क्लिट को भी एक ऊँगली से रगड़ते हुए मस्त धक्के मारकर उसकी गाँड़ फाड़ने में लगे रहे। थप्प थप्प की आवाज़ आ रही थी और मालिनी अब अपने क्लाइमैक्स की तरफ़ बढ़ रही थी। वो बड़बड़ाने लगी: उइइइइइइइ पाआऽऽऽऽऽऽपा मैं तो गयी।वो अपनी गाँड़ नीचे दबाकर अपनी बुर में पापा की उँगलियों को और गाँड़ में पापा के मस्ताने लंड को महसूस करके झड़ती चली गयी और राजीव का पूरा हाथ उसके कामरस से भीग गया। वो अपना हाथ निकाला और उसे चाटकर उसकी गाँड़ को और ज़ोर से चोदने लगा। अब मालिनी उन्न्न्न्न्न्न उन्न्न्न्न्न कहकर चुपचाप पड़ी थी और पापा का लौड़ा उसकी गाँड़
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06-10-2017, 10:25 AM,
(This post was last modified: 06-10-2017, 10:26 AM by sexstories.)
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RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
राजीव और शिवा नहा कर ड्रॉइंग रूम में इकठ्ठे हुए।मालिनी अभी भी किचन में ही थी। राजीव : चलो शिवा बाज़ार होकर आते हैं। बेटी कुछ मंगाना है क्या बाज़ार से ?
मालिनी: जी पापा लिस्ट बनाकर रखी है अभी लाई।
वो लिस्ट लेकर आयी तो दोनों उसे देखते ही रह गए। उसने आज एक बहुत ही सुंदर साड़ी पहनी थी और ब्लाउस स्लीव्लेस था और लो कट था जिसमें से उसकी गहरी क्लीवेज़ साफ़ दिख रही थी।
राजीव लिस्ट लेकर उसके हाथ को पकड़ा और बोला: उफफफ बेबी क्या मस्त दिख रही हो? वह उसकी कलाई सहलाने लगा।
वो मुस्कुराई और बोली: पापा छोड़िए ना , अभी बाई है यहाँ।
राजीव ने अपना मुँह उसके खुले पेट पर रखकर उसकी नाभि को चूमा और जीभ से चाटा और बोला: उफफफफ आज बहुत महक रही हो बेटी।
शिवा आँखें फाड़े ससुर बहू की प्रेम लीला देख रहा था और उसके लौड़े ने सिर उठाना शुरू कर दिया था। अब मालिनी शिवा को देखी और उसके पास आइ और बोली: आपको भी मेरी तारीफ़ में कुछ कहना है क्या?
शिवा उसको खींचकर अपनी गोद में बिठाया और बोला: मुझे तुम्हारे लब चूसने हैं। और वो उसके होंठ चूसने लगा। मालिनी थोड़ी देर मज़े से चूसवाई फिर बोली: आऽऽह छोड़िए अब । बाक़ी का बाई के जाने के बाद के लिए रखिए।
वह खड़ी हुई शिवा ने उसके गाँड़ को सहलाया और बोला: पापा आपने अच्छा किया इसकी गाँड़ खोल दी। आज मैं तो इसकी गाँड़ ही मारूँगा।
मालिनी हँसती हुई जाने लगी तो राजीव बोला: बेटी मटक के चल कर दिखाओ ना।
वो हँसी और गाँड़ मटका कर किचन में घुस गयी।
वो बाई का काम ख़त्म होने का इंतज़ार करने लगे।
शिवा और राजीव बाज़ार चले गए। रास्ते में राजीव बोला: ये बताओ कि तुमने हमारी विडीओ असलम और उसकी बीवी से क्यों शेयर की?
शिवा अब दूसरी बार ग़लत क़िस्म से पकड़ा गया था। वो बोला: पापा आपको कैसे पता?
राजीव: मुझे तो ये भी पता है कि तुम मुंबई गए ही नहीं थे और असलम के घर में आयशा की चुदाई कर रहे थे ।
शिवा हैरान होकर: पापा पर ये आपको कैसे पता चला?
अब राजीव ने उसे असलम और आयशा से हुई बात के बारे में बताया। शिवा समझ गया कि पापा ने अपनी चतुराई से उन लोगों से सब निकलवा लिया होगा। वो बोला: पापा मुझे माफ़ कर दीजिए। पता नहीं मैंने ऐसा क्यों किया? मगर ये सच है कि मुझे आयशा को चोदने में मज़ा आता है। ख़ासकर जब उसका पति और मैं दोनों मिलकर उसे चोदतें हैं।
राजीव: तो क्या तुम मालिनी को भी असलम से चुदवाओगे?
शिवा: अगर मालिनी ख़ुद से चाहेगी तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं होगा।
राजीव: बेटा मैं सोचता था कि मालिनी घर की अमानत है उसे घर में ही रहना चाहिए। अब हम दोनों से तो चुदेगी ही, बाहर वालों से उसे क्यों चुदवाएँ?
शिवा: पापा चुदाई मर्ज़ी से होनी चाहिए फिर चाहे घर वालों से हो या बाहर वालों से क्या फ़र्क़ पड़ता है। बस बदनामी नहीं होनी चाहिए।
राजीव: हाँ यह सही कहा तुमने बस बदनामी नहीं होनी चाहिए।
शिवा हँसकर: और पापा वैसे भी आपने इतने मज़े लिए है पर कभी किसी को भनक नहीं लगने दी। है ना?
राजीव हँसकर: हाँ बेटा ये सही है। अगर तुम कैम नहीं लगाते तो इसकी भी भनक नहीं होती तुम्हें।
शिवा: पापा, मम्मी ने क्या क्या मज़े किए होंगे, आपको कभी भनक नहीं लगी होगी। है ना?
राजीव चौंक कर: मतलब? कैसे मज़े?
शिवा हँसकर : पापा मेरा मतलब है अगर उन्होंने भी इस तरह से मज़े लिए होंगे तो आपको थोड़े ना पता चला होगा?
राजीव: ओह मगर सविता ऐसी नहीं थी।
शिवा सोचा कि ये सही समय नहीं है ये बताने का कि मम्मी कैसी औरत थी और उसने क्या क्या देखा है इसी घर में ? वो बोला: पापा असलम और आयशा वाली बात अभी मत बताना मालिनी को। ये सही समय पर हम बताएँगे। ठीक है ना?
राजीव: ठीक है । मैं उसे नहीं बताऊँगा।
शिवा: वैसे पापा आपसे मालिनी को चुदते देखकर आयशा बार बार बोली थी कि उसे आपसे चुदवाना है।
राजीव: सच ऐसा बोली थी? फिर तो यार उसकी ये इच्छा पूरी करनी होगी। वो लोअर के ऊपर से अपना लंड खुजा के बोला।
शिवा उसकी उत्तेजना को और बढ़ाने की सोचाऔर बोला: पापा वो भी अपने ससुर से चुदवा रही है और उसके सास के साथ भी वो लेज़्बीयन सेक्स करती है।
राजीव उत्तेजित होकर: वाह सच में तब वो तो मस्त माल होगी। जल्दी से दिलवाओ उसकी।
शिवा: पापा असलम भी तो मालिनी की लेना चाहता है। अगर वो मानेगी तो असलम भी आयशा को आपके नीचे लाने को तय्यार हो जाएगा।
राजीव: अरे मालिनी बाहर वाले के लिए जल्दी से नहीं मानेगी।
शिवा: पापा हम दोनों कोशिश करेंगे तो शायद मान जाए।
राजीव: ठीक है देखते हैं।
फिर वो बाज़ार से सामान ख़रीदे और वापस घर आए। दोनों सोच में डूबे हुए थे। घर वापस आने पर मालिनी सामान सम्भालकर ड्रॉइंग रूम में आयी और अपने पल्लू से पसीना पोछने लगी।
दोनों मर्द उसको बड़ी प्यार भरी नज़रों से देख रहे थे।
राजीव: हमारी बहू थक गयी लगता है। आओ मेरे पास तुम्हारे कंधे दबा दूँ।
मालिनी हँसकर : पापा आप कंधे तो क्या दबाओगे पर ये पक्का है कि और बहुत कुछ दबा दोगे।
शिवा भी हँसकर : वो जो भी दबाएँगे उसमें तुमको मज़ा ही आएगा ना। जाओ दबवा लो।
मालिनी मुँह बनाकर: मुझे नहीं दबवाना । अभी बिलकुल थक गयी हूँ। थोड़ी देर चैन से बैठूँगी।
शिवा : पापा मैं मालिनी के लिए निम्बू का रस बना कर लाता हूँ। इसकी थकावट कम हो जाएगी।
राजीव: चलो मैं भी तुम्हारी मदद करता हूँ।
अब मालिनी हैरानी और प्यार भरी नज़रों से उन दोनों को देखती ही रह गयी और वो किचन में जाकर ख़ूब बर्तन इधर उधर करके आख़िर में जूस लेकर ही आए। शिवा ट्रे में तीन गिलास जूस लेकर आया। राजीव ने ट्रे में से एक गिलास मालिनी को दिया और बोला: लीजिए महारानी जी आपका जूस।
शिवा: पापा इसका नहीं निम्बू का जूस। शिवा राजीव के पास ही बैठ गया। मालिनी दूसरे सोफ़े पर बैठी थी।
इस पर तीनों हँसने लगे। अब सब जूस पीने लगे।
मालिनी: आऽऽह सच में इसको पीकर जान में जान आ गयी। आप दोनों को धन्यवाद।
शिवा: अगर तुम आराम करना चाहो तो कर लो।
मालिनी: अरे नहीं मैं ठीक हूँ। मुझे क्या हुआ है?
राजीव: सच में तुम ठीक हो?
मालिनी: हाँ हाँ मैं ठीक हूँ। ऐसा क्यों पूछ रहे हैं आप?
राजीव: वो क्या है ना अगर तुम ठीक हो ना तो कपड़े उतारो ना। हम भी देखें कि तुम कितनी ठीक हो?
मालिनी: उफफफ पापा आप भी ना। मुझे आपकी बात सुनकर बड़ा अजीब लग रहा है। पता नहीं मुझसे ये कैसे होगा आप दोनों के सामने।
शिवा: पापा आप भी अन्याय कर रहे हो। जब हम दोनों कपड़े पहनकर बैठे हैं तो भला उसे शर्म नहीं आएगी क्या?
राजीव: सही कहा। पता नहीं मुझे ये क्यों नहीं सूझा।
वो उठा और अपनी शर्ट और लोअर उतारके सिर्फ़ एक चड्डी में आ गया। शिवा भी सब उतार के चड्डी में आ गया। मालिनी दोनों बाप बेटे के हट्टे कट्टे बदन को देखकर अपनी बुर में गिलेपन का अहसास करने लगी। दोनों की चड्डी में से फूला हुआ लौड़ा साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था। अब दोनों फिर से बैठ गए और शिवा बोला: चलो जानू अब तुम्हारी बारी है।
मालिनी चुपचाप खड़ी हुई और अपनी साड़ी उतार दी। ब्लाउस और पेटिकोट में उसकी भरी हुई जवानी बहुत मादक लग रही थी।
राजीव: आऽऽऽह्हा बहु ज़रा मटक कर चल के दिखाओ ना।
वह अपना लंड दाबकर बोला।
मालिनी मुस्कुराई और अपनी गाँड़ मटका कर चल कर दिखाई। शिवा भी अब अपना लंड मसलने लगा था। अब मालिनी अपना ब्लाउस खोली और धीरे से हाथ उठाके उसे भी निकाली। उसकी बाल रहित चिकनी बग़लें देखते ही बनती थीं। अब वो ब्रा और पेटिकोट में थी। उफफफफ क्या मज़ेदार दृश्य है शिवा सोचा। अब वो अपनी ब्रा का स्ट्रैप भी खोली और धीरे से उसे भी निकाली। अब उसके मादक उन्नत उरोज उसके ससुर और पति के सामने थे। वो उनको एक एक हाथ में लेकर उन दोनों को दिखाई और बोली: ये पापा का और ये शिवा का। ठीक है ना?
दोनों बाप बेटा जैसे उसकी हरकतों से दीवाने हुए जा रहे थे। दोनों ने हाँ में सिर हिलाया। अब वो अपनी पेटिकोट का नाड़ा खोली और पलट कर खड़ी हो गयी। अब उसकी मस्तानी गाँड़ से कपड़ा ज्यों ज्यों नीचे आ रहा था उसकी हसीन गोरी गाँड़ उनके सामने आती जा रही थी। पूरी नंगी होकर वो अपने पैरों से पेटिकोट को झुककर निकाली और अपनी जाँघों को अलग की ताकि उसका ख़ज़ाना साफ़ साफ़ दिख जाए। उसकी बुर और गाँड़ को देखकर दोनों मस्ती से लंड मसलने लगे। अब वो पलटी और उसकी चिकनी बुर का थोड़ा सा हिस्सा ही दिखाई दे रहा था। अब वो राजीव के पास आयी और आकर उसके सामने उकड़ूँ बैठी। शिवा उसे ध्यान से देख रहा था।वह राजीव की छाती सहलायी और सहलाते हुए नीचे को आइ। वह उसकी मांसल जाँघों को भी सहलायी और उनको अलग करी। अब मालिनी ने अपना हाथ चड्डी के ऊपर से उसके लौड़े पर रखा और अपना मुँह डालकर उसकी चड्डी के ऊपर से गीले हिस्से को चाटा। फिर चड्डी में हाथ डालकर अपने ससुर के मस्त लौड़े को पकड़कर बाहर निकाली और चड्डी उतार दी। अब वो उसके लंड को सहलायी और सुपाड़ा अपने मुँह में लेकर उसके प्रीकम को जीभ से चाटी। शिवा बग़ल में बैठा इस दृश्य का मज़ा ले रहा था और सोच रहा था कि मैं इस बार बग़ल में बैठके ये सब देख रहा हूँ और अपनी मम्मी को यही सब करते मैं कमरे के रोशनदान से देखा करता था। उफफफफ मम्मी भी मामा लोगों का ऐसा ही चूसती थी। मालिनी का मुँह अब ऊपर नीचे हो रहा था। राजीव अब उसकी एक चूचि दबा रहा था और शिवा को भी दूसरी चूचि दबाने का इशारा किया । अब बाप बेटा उसकी एक एक चूचि दबा रहे थे और उसके निपल भी मसल रहे थे।
अब मालिनी ने अपना मुँह वहाँ से हटाकर शिवा को देखा और उसकी तरफ़ खिसक गयी और उसने शिवा के साथ भी वही सब किया जो अभी अभी उनसे पापा के साथ किया था। जब वो उसका लंड चूस रही थी तो भी उसकी मस्त चूचियाँ दोनों बाप बेटा दबा रहे थे। अब मालिनी खड़ी हुई और राजीव ने उसकी बुर में अपना मुँह डाल दिया। वो अपनी एक जाँघ उठाके उसके कंधे पर रखी जिससे वो उसकी पूरी बुर मस्ती से चाटने लगा। शिवा उठा और उसके पीछे जाकर उसकी गाँड़ के छेद को सहलाया और वहाँ जीभ ले जाके उसे कुरेदने लगा।
मालिनी मस्ती से भरकर : उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पाआऽऽऽऽऽऽऽपा में झड़ जाऊँगीइइइइइइइइ। छोड़ो मुझे। ये कहकर वो राजीव के मुँह को बाहर की ओर धकेली। अब शिवा भी पीछे से हट गया।
मालिनी शिवा से बोली: उफफफ आप पीछे क्या कर रहे थे।
शिवा: रानी आज तुम्हारी गाँड़ मारूँगा। पापा ने तो तुम्हारी गाँड़ खोल ही दी है। उसी की जाँच कर रहा था।
मालिनी हँसने लगी। शिवा उसकी एक बाँह ऊपर किया और उसके बग़ल को चूमने और जीभ से चाटने लगा। राजीव भी उसका देखा देखी उसकी दूसरी बग़ल चाटने लगा।
राजीव: उफफक क्या मस्त गंध है।
शिवा: हाँ पापा बहुत ही मादक है ये गंध । वो उसकी बग़ल चाटते हुए बोला।
अब राजीव बोला: चलो मैं नीचे लेटता हूँ, तुम मेरे ऊपर आ जाओ और शिवा तुम इसकी पीछे से आकर गाँड़ मार लेना। पर पहले मेरे कमरे से KY jel ले आओ । शिवा जाकर जेल ले आया।
राजीव दीवान पर लेट गया था और उसकी कमर एकदम से दीवान के एक कोने तक पहुँच गयी थी। अब उसका खड़ा लंड पूरे उफ़ान पर था। मालिनी उसके ऊपर चढ़ी और उसका लंड अपनी गीली बुर में घुसा लिया। शिवा उसके पीछे से आकर उसके बड़े चूतरों के पीछे आकर खड़ा हो गया और उसकी गाँड़ के छेद में लूब लगाया। अब वो अपने लंड पर भी लूब लगाया और उसके सुपाडे को गाँड़ के छेद में रखा और अंदर को दबाने लगा। मालिनी ने अपने गाँड़ की मसल्स को बाहर की तरफ़ धकेला और सुपाड़ा अंदर घुस गया।
मालिनी: आऽऽऽहहह धीरे से करोओओओओओओ ना।
राजीव ने अपने हाथ से उसकी चूचियाँ मसली और शिवा ने उसके चूतरों को फैलाकर अपना लंड अंदर दबाना जारी रखा। अब मालिनी की गाँड़ में उसका लंड घुसता चला गाया। शिवा उसकी गाँड़ की कसावट से मस्त होकर बोला: उफफफफ क्या तंग छेद है रानी तुम्हारा। आऽऽऽऽऽह मज़ा आऽऽऽऽऽ गयाआऽऽऽऽऽऽ।
अब वो नीचे खड़े खड़े ही धक्का मारने लगा। अब मालिनी आगे पीछे होने लगी और सामने से ससुर का और पीछे से पति के मस्त लंड का दुगुना मज़ा लेने लगी। शिवा बीच बीच में उसके मोटे चूतर दाबकर उनपर एक चपत भी लगा देता था।
कमरा फ़च फ़च और ठप्प ठप्प की आवाज़ों से गूँजने लगा था।
मालिनी उत्तेजना से भर कर चिल्लाने लगी : आऽऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽऽपा मस्त लग रहा है झाऽऽयय्य शिवा फ़ाआऽऽऽऽऽऽऽऽड़ दो मेरीइइइइइइइइ गाँड़।
अब वो पागलों की तरह उछलकर चुदवा रही थी। वह पीछे की ओर गाँड़ दबाकर पूरा शिवा का लंड भी अपनी गाँड़ में निगल रही थी।
दोनों बाप बेटा उसकी बेशर्मी देखकर मस्त हो रहे थे। शिवा सोच रहा था कि ये तो मम्मी की तरह ही एक रँडी लग रही है। उसे याद था कि पापा जब बीमार पड़े थे तो मम्मी ऐसे ही उनके दो दोस्तों से चुदवाती थी बिलकुल इस रँडी की तरह। वो पुरानी बातें यादकरके और ज़्यादा गरम हो गया। और झड़ने लगा। वो जल्दी जल्दी कमर हिलाकर चिल्लाया: आऽऽऽऽऽह साआऽऽऽली रँडीइइइइइइइ ले मेरा लंड ले और ले । वो झड़ गया और उसका वीर्य मालिनी की गाँड़ से बाहर निकलने लगा।
अब मालिनी भी चिल्लाई: आऽऽऽह पापा मैं भी गयीइइइइइइइइ।
राजीव भी जल्दी से नीचे से अपनी कमर उछालकर बोला: आऽऽऽह बेटी मैं भी गयाआऽऽऽऽऽऽऽ।
अब मालिनी राजीव के ऊपर लस्त होकर पड़ी हुई थी। शिवा बिस्तर पर ही बैठ गया था। और मालिनी की पीठ सहला रहा था।
तीनों की जब सांसें सामान्य हुई तो राजीव बोला: मज़ा आया तुम दोनों को?
शिवा: उफ़्फ़ पापा इतना मज़ा आया कि मैं बयान नहीं कर सकता।
मालिनी: हाँ पापा बहुत मज़ा आया। सच में दोनों छेदों में लंड का मज़ा ही कुछ और है। उफफफ क्या बताऊँ कितना अच्छा लग रहा था।
राजीव शिवा की ओर देखकर मुस्कुराता हुआ बोला: चलो अब सब परदे उठ गए हैं। अब मज़ा ही मज़ा लेना है। सही कहा ना? पर तुम बहू को रँडी क्यों कह रहे थे?
शिवा: पापा सॉरी जोश में मुँह से निकल गया।
मालिनी: सच बोलूँ ? मुझे बड़ा अच्छा लगा जब आप मुझे रँडी बोले। इसका मतलब है कि अब मैं चुदवाना सीख गयी हूँ। है ना?
यह सुनकर राजीव और शिवा मुस्कुरा उठे।
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