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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
काजल की आँखे फैल गयी उसके लंड को इतने करीब से देखकर.... पास से देखने से वो और भी बड़ा लग रहा था...उसके सिरे पर प्रिकम की बूँद उभर कर चिपकी पड़ी थी...
काजल तो सम्मोहित सी होकर उसे देखे जा रही थी...जैसे आँखो ही आँखो मे उसे निगल रही हो...
केशव ने अपने लंड को हिलाते हुए उपर नीचे किया और उसे काजल की तरफ करते हुए बोला : "लो दीदी...पूछ लो मेरे दोस्त से...मैं किसके बारे मे सोचकर इसे रगड़ रहा था...''
काजल का दाँया हाथ कांपता हुआ सा आगे की तरफ बड़ा...उसके मुँह से साँसे तेज़ी से बाहर निकलने लगी...छातियाँ उपर नीचे होने लगी...और उसने अपने ठंडे हाथों से केशव के गरमा गर्म लंड को पकड़ लिया...
और जैसे ही काजल के ठंडे और नर्म हाथ उसके लंड से टकराए, उसने ज़ोर से सिसकारी मारते हुए कहा : "ओह.......काजल ............''
केशव के दोस्त ने तो नही,पर उसने वो नाम खुद ही बता दिया अपनी बहन को ...
और अपना नाम सुनते ही काजल का पूरा बदन झनझना उठा...और उसने अपने प्यासे होंठ तेज़ी से अपने भाई की तरफ बड़ा दिए..
तभी बाहर से उनकी माँ की आवाज़ आई : "काजल ......केशव....कहाँ हो तुम दोनो....''
काजल का तो चेहरा ही पीला पड़ गया अपनी माँ की आवाज़ सुनकर...उनके रूम का तो दरवाजा भी खुला हुआ था..काजल ने भी आते हुए केशव के रूम का दरवाजा बंद नही किया था..अभी तो उनकी तबीयत खराब है , इसलिए वो बेड से उठ नही सकती...वरना अगर वो ऐसे वक़्त पर उस कमरे मे आ जाती तो उन दोनो को रंगे हाथों पकड़ लेती..
काजल ने एक ही झटके मे केशव के लंड को छोड़ दिया और भागती हुई सी अपने कमरे की तरफ गयी
''आईईईई माँ ...''
और वहाँ पहुँचकर देखा तो वो बेड से उठने की कोशिश कर रही है..
काजल : "रूको माँ ...अभी उठो मत...बोलो क्या चाहिए..''
मान : "तू इतनी रात को कहाँ थी...मैं कितनी देर से तुझे आवाज़ें लगा रही थी..''
काजल : "वो ....केशव अभी-2 आया था...उसके लिए खाना गर्म कर रही थी..''
उसने बड़ी ही सफाई से झूठ बोलकर खुद को और केशव को बचा लिया..
कुछ ही देर मे उसकी माँ के खर्राटे गूंजने लगे कमरे में..पर उसके बाद काजल की हिम्मत नही हुई की वापिस केशव के कमरे मे जाए..बस अपनी चूत को मसल कर वो वहीं सो गयी..
केशव ने भी अपने लंड को रगड़ -2 कर अपने माल से दीवार पर काजल लिख दिया..
अगले दिन केशव के उठने से पहले काजल ऑफीस के लिए निकल गयी..केशव भी लगभग 11 बजे उठा और नाश्ता वगेरह करके माँ के पास बैठा रहा , उन्हे खाना भी खिलाया, दवाई भी दी और पास ही के डॉक्टर को बुलवा कर वो इंजेक्शन भी लगवा दिया.
उसके बाद पूरी दोपहर वो रात के बारे मे सोचता रहा...उसे अब पूरी उम्मीद हो चुकी थी की वो अपनी सेक्सी बहन काजल के साथ हर तरह के मज़े ले सकता है...पर उसे जो भी करना था वो सब काफ़ी सोच समझ कर ही करना था.
उसने एक चीज़ नोट की, वो ये की काजल उसकी हर बात मान लेती है...चाहे वो उसके दोस्तों के सामने कपड़े बदलकर आने वाली हो, उनके साथ जुआ खेलने वाली..या फिर कल रात को उसके कमरे मे कही गयी सारी बातें..
उसे लग रहा था की शायद काजल काफ़ी दिनों से यही सब कुछ चाहती है..और शायद इसलिए वो उसकी बात एक ही बार मे मान लेती है..उसने मन में सोच लिया की आज वो इस बात का इत्मीनान करके रहेगा की वो जो बात सोच रहा है वो सही भी है या नही...अगर है तो उसके तो काफ़ी मज़े होने वाले हैं..और उसके दिमाग़ के घोड़े काफ़ी दूर तक भागने लगे.
खैर, इन सब बातों के अलावा उसने अपने दोस्तों को भी फोन करके बोल दिया आज की रात को दोबारा आने के लिए...बिल्लू और गणेश तो कल भी वापिस जाना नही चाहते थे...सेक्सी काजल के साथ 3 पत्ती खेलने का मज़ा ही कुछ और था.
शाम को 7 बजे के आस पास काजल भी आ गयी..केशव ने दरवाजा खोला तो दोनों के चेहरों पर एक अलग ही स्माइल थी ...केशव का तो मन कर रहा था की वहीं के वहीं उसके गले लग जाए..पर वो पहले ये यकीन भी कर लेना चाहता था की कल वाली बात से वो नाराज़ तो नही है.
काजल उपर अपने कमरे मे चली गयी...कुछ देर माँ के पास बैठी...अपने कपड़े बदले और नीचे आकर किचन मे चाय बनाने लगी.
केशव अंदर बैठा टीवी देख रहा था...काजल ने किचन से ही आवाज़ लगाई : "केशव...तूने भी चाय पीनी है क्या..''
केशव सीधा उठकर किचन मे ही चला गया और बोला : "आप पिलाओगी तो कुछ भी पी लूँगा...''
काजल उसकी बात का दूसरा मतलब समझकर मंद-2 मुस्कुराने लगी...केशव ठीक उसके पीछे आकर खड़ा हो गया..और बोला : "दीदी...वो कल रात वाली बात से...आप नाराज़ तो नही है ना..''
काजल एकदम से उसकी तरफ पलटी...वो इतना पास खड़ा था की पलटते हुए काजल के बूब्स उसकी बाजुओं से छू गये..
काजल : "तू पागल है क्या...हम छोटे बच्चे हैं जो इन बातों की समझ नही है हमें...आजकल सब कुछ ओपन है...सब चलता है...हम दोनो ही अगर एक दूसरे की हेल्प नही करेंगे तो कौन करेगा...''
केशव : "यानी....आप भी यही चाहती हैं...थैंक गॉड ...मैं तो पूरी रात सो नही पाया...ये सोचकर की पता नही आप क्या सोच रही होंगी ...''
काजल ने उसके दोनो हाथ अपने हाथों मे पकड़ लिए : "रिलेक्स ....ज़्यादा मत सोचा करो...''
और फिर उसने केशव को अपने गले से लगा लिया...केशव ने भी अपनी बाहें उसकी कमर मे डाल कर उसे अपनी तरफ खींच लिया...और आज की ये हग और दिनों से कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से थी और कुछ ज़्यादा ही लंबी..
केशव के हाथ उसकी कमर पर उपर नीचे हो रहे थे..उसके दोनो बूब्स को वो अपनी छाती पर महसूस कर पा रहा था..उसके जिस्म से आ रही खुश्बू को वो सूंघ कर मदहोश सा हुए जा रहा था..
उसका लंड खड़ा होकर काजल के नीचे वाले दरवाजे पर दस्तक दे रहा था...काजल को फिर से वही रात वाला सीन याद आ गया...जब वो उसके लंड को पकड़कर हिला रही थी..और उसे चूमने भी वाली थी.
काजल ने एकदम से उसके लंड के उपर हाथ रख दिया...और धीरे-2 सहलाने लगी..
काजल : "इसको थोड़ी तमीज़ नही सिखाई तुमने...अपनी बहन को देखकर भी खड़ा हो रहा है ये तो...''
केशव : "बहन तो मेरी हो तुम...इसकी नही...ये तो मेरा दोस्त है...और आजकल अपने दोस्त की बहन पर ही सबसे ज़्यादा लोग लाइन मारते हैं...''
काजल : "अच्छा जी...इसका मतलब है की तुम भी अपने दोस्तों की बहन पर लाइन मारते हो...या फिर हो सकता ही की वो मुझपर लाइन मारते हो..''
केशव : "मैं तो बस तुम्हारी फ्रेंड पर लाइन मरता हू...वो तो आपको पता चल ही चुका है...और रही बात आपके उपर लाइन मारने की तो सबसे पहला हक मेरे इस दोस्त का है आपके उपर..उसके बाद किसी और का..''
काजल ये सोचने मात्र से ही सिहर उठी की उसके भाई के अलावा उसके सारे दोस्त भी उसे चोदने लिए तैयार बैठे हैं..
एकदम से चाय उबल गयी
काजल : "ओहो ...चलो छोड़ो मुझे...अंदर जाओ...मैं चाय लेकर आती हू...''
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
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अब आगे
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केशव ने बेमन से उसे छोड़ दिया...और अंदर जाकर बैठ गया..कुछ ही देर मे काजल चाय लेकर आ गयी और दोनों चुस्कियाँ लेते हुए चाय पीने लगे...और बातें करने लगे.
काजल : "आज भी आ रहे हैं क्या वो दोनों ...रात को खेलने''
केशव : "वो तो कल भी जाना नही चाहते थे...मैने उन्हे दिन में ही फोन कर दिया था...वो ठीक 9 बजे आ जाएँगे..''
अभी 7:30 बज रहे थे..
काजल : "ओहो ....मुझे थोड़ा जल्दी करना होगा...खाना भी बनाना है..माँ को दवाई भी देनी है बाद मे...उन लोगो के आने से पहले माँ को सुला देना है...वरना उन्हे बेकार की परेशानी होगी.
केशव समझ गया की अभी कुछ नही हो सकता...अंदर किचन मे ही एक-दो किस्सेस ले लेनी चाहिए थी उसको...
चाय पीने के बाद काजल फटाफट काम पर लग गयी...खाना बनाकर उसने माँ को खिलाया और केशव को भी..और बाद मे खुद ऊपर कमरे में चली गयी .ये सब करते-करते 9 बज गये.
और ठीक 9 बजे उनके घर की बेल बजी...केशव ने जाकर दरवाजा खोला तो दोनो बाहर खड़े थे...उनके मुँह से शराब की भी महक आ रही थी..शायद शाम से ही दोनो पीने मे लगे थे..काजल के बारे मे सोच-सोचकर..
केशव ने उन्हे अंदर बिठाया और भागकर उपर गया, माँ सो चुकी थी और काजल अपना खाना खा रही थी.
केशव : "दीदी ...वो लोग आ गये हैं...आप जल्दी से चेंज करके नीचे आ जाओ..''
ये केशव का इशारा था की वो अपने वही वाले कपड़े पहन कर नीचे आ जाए, जिसमें वो जीत रही थी.
और फिर वो नीचे आकर बैठ गया और पत्ते बाँटने लगा..
वो पहली बार मे ही काजल को गेम खिलाकर उनके मन मे शक़ पैदा नही करना चाहता था.
जब पत्ते बंट गये और सभी की बूट के बाद 2-2 चाल भी आ गयी तो केशव ने सबसे पहले पत्ते उठा कर देख लिए..उसके पास सिर्फ़ एक इक्का था और दो छोटे पत्ते...उसने पेक कर दिया.
गणेश और बिल्लू खेलने लगे..
खेलते-2 गणेश बोला : "आज काजल नही खेलेगी क्या...?"
वो दोनो शायद काफ़ी देर से वो बात पूछना चाहते थे...केशव भी मन ही मन मे उनकी बात सुनकर हंस दिया..
केशव : "पता नही....मैने बोला तो था...पर शायद कल वो काफ़ी बार हार गयी थी...इसलिए मना कर रही थी...शायद आ भी जाए..''
बिल्लू : "अरे, ये तो खेल है...कोई ना कोई तो हारता रहता है...इसमे दिल छोटा करने वाली क्या बात है..''
केशव कुछ नही बोला और दोनो की गेम चलती रही...वो गेम बिल्लू जीता , उसके पास पेयर आया था.
जैसे ही बिल्लू ने पत्ते बाँटने शुरू किए, उन्हे काजल के नीचे उतरने की आवाज़ आई...सभी के सभी सीडियों की तरफ देखने लगे..बिल्लू भी पत्ते बाँटकर उसी तरफ देखने लगा.
और जैसे ही अपनी गेंदे उछालती हुई वो नीचे उतरी , उसके अलग ही अंदाज मे डांस करते हुए मुम्मे देखकर वो दोनो हरामी समझ गये की उसने अंदर कुछ नही पहना है...और सभी की तेज नज़रें टी शर्ट के पतले कपड़े के नीचे उसके निप्पल ढूँढने लगे..
वैसे ये बीमारी हर मर्द में होती है....जहाँ भी कोई मोटे मुम्मों वाली लड़की या आंटी देखी, घूर-घूरकर उसके निप्पल वाली जगह पर उभार ढूँढने की कोशिश करते हैं...
वो दोनो भी इस वक़्त यही काम कर रहे थे..और उन्हे एक ही बार मे सफलता भी मिल गयी, एक तो उसने अंदर ब्रा नही पहनी थी और उपर से उसके निप्पल आम लड़कियों के मुक़ाबले कुछ ज़्यादा ही मोटे थे...इसलिए नन्ही-2 चोंच सॉफ दिख रही थी.
काजल : "केशव ..मुझे खेलने दो ना...''
केशव हंसता हुआ उठ गया...और काजल को सामने देखकर दोनो के मुँह से पानी टपकने लगा..
केशव : "बिल्लू...अब काजल आ गयी है, इसलिए पत्ते दोबारा बाँटो...''
बिल्लू को कोई परेशानी नही थी, उसने ताश दोबारा फेंटी और फिर से पत्ते बाँटने लगा..
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
काजल की तरफ से चाल चलने और पत्ते देखने का काम केशव का ही था...इसलिए 2-2 ब्लाइंड के बाद केशव ने एकदम से डबल ब्लाइंड चल दी..उसकी देखा देखी बिल्लू और गणेश ने भी डबल ब्लाइंड चल दी..वो तो बस काजल को घूरने में लगे थे...
केशव ने फिर से ब्लाइंड का अमाउंट बड़ा दिया और 600 रुपय बीच मे फेंक दिए...अब गणेश की फटने लगी..उसने अपने पत्ते उठा लिए..और फिर कुछ सोचकर उसने 1200 बीच मे फेंके और चाल चल दी..
अब चाल बीच मे आ चुकी थी, इसलिए गणेश ने भी अपने पत्ते देख लिए..वो काफ़ी देर तक सोचता रहा और आख़िर मे जाकर उसने पेक ही कर दिया..
अब बारी थी काजल की...उसने केशव की तरफ़ देखा तो केशव ने 600 की ब्लाइंड फिर से चल दी..
बिल्लू ने भी 1200 की चाल रिपीट कर दी..
अब थी असली इम्तिहान की घड़ी...काजल के इम्तिहान की घड़ी...उसकी किस्मत के इम्तिहान की घड़ी..
केशव ने पत्ते उठाए ...उन्हे चूमा...और फिर एक-एक करते हुए उन्हे देखा..
पहला हुकुम का पत्ता था 10 नंबर..
दूसरा भी हुकुम का ही निकला ...बेगम...
अब तो केशव को पक्का विश्वास हो गया की उसके पास हुकुम का कलर आया है..
पर जैसे ही उसने तीसरा पत्ता देखा, लाल रंग देखकर उसका दिल टूट गया...
पर अगले ही पल वो खुशी से उछाल पड़ा...क्योंकि वो लाल रंग मे ही सही पर गुलाम था...
यानी उसके पास सीक़ुवेंस आया था...10,11,12..
उसने वो सब शो नही होने दिया...और बड़े ही आराम से बिल्लू की चाल से डबल चाल चलते हुए 2400 रुपय बीच मे फेंक दिए..
अब बिल्लू भी समझ चुका था की केशव के पास बाड़िया वाले पत्ते आए हैं...इसलिए उसने एकदम से डबल की चाल चली है...पर उसके पास भी पत्ते चाल चलने लायक थे, इसलिए वो अभी तक खेल रहा था...वो आगे चाल तो चलना नही चाहता था पर शो ज़रूर माँग लिया उसने...
केशव ने शो करते हुए अपने पत्ते सलीके से उसके सामने फेंक दिए...
उन्हे देखकर एक दर्द सा उभर आया बिल्लू के चेहरे पर...जैसे अक्सर जुआ हारने वाले के चेहरे पर आ जाता है..
उसने भी अपने पत्ते फेंक दिए..
उसके पास 9 का पेयर था..
और केशव ने हंसते हुए सारे पैसे अपनी तरफ खिसका लिए..
इतने सारे पैसे अपने सामने देखकर काजल खुशी से चिल्ला पड़ी..
वो लगभग 10 हज़ार थे , जो एक ही बार मे उनके पास आ गये थे..
हारने का गम मनाते हुए बिल्लू को काजल के उछलते हुए मुम्मो को देखकर कुछ देर के लिए सांत्वना ज़रूर मिली...पर उसका मूड खराब हो चुका था.
एकदम से काजल बोली : "मैं कुछ खाने के लिए लाती हूं अंदर से...''
और वो उठकर अंदर चली गयी..
उसके जाते ही केशव उसकी सीट पर आकर बैठ गया...ये सोचकर की एक गेम वो भी खेल ले, और हार जाए, ताकि वो खेलने के लिए बैठे रहे...वरना जुआरियों को हमेशा यही लगा रहता है की अगर कोई बड़ी गेम हार जाते हैं तो उसके बाद निकलने की सोचते हैं..
पर उसके बैठते ही बिल्लू एकदम से बोला : "अब तुम काजल को ही खेलने दो...ऐसे बीच मे बदल-2 कर मत खेलो...''
केशव चुपचाप उठ गया...और वापिस सोफे के हत्थे पर बैठ गया..
बिल्लू और गणेश एक तरफ ही बैठे थे...दोनो एक दूसरे के पास मुँह लेजाकर ख़ुसर फुसर करने लगे..
बिल्लू : "यार...ये तो मेरा बैठे-2 निकलवा कर रहेगी आज...साली बिना ब्रा के बैठी है सामने...मन तो कर रहा है की इसके मोटे-2 निप्पल पकड़कर ज़ोर से दबा दूं...''
गणेश फुसफुसाया : "हाँ यार...साली बिल्कुल सामने बैठकर ऐसे हिला रही है अपने दूधों को की मन कर रहा है उन्हे दबोचने का...साली रंडी लग रही है बिल्कुल....एक बार बस मिल जाए इसकी...ये सारे पैसे हारने का भी गम नही रहेगा...''
और दोनो खी-2 करते हुए हँसने लगे...
केशव उनकी बातें सुनने की कोशिश कर रहा था पर उसे कुछ सुनाई ही नही दे रहा था..
पर ये तो वो समझ ही चुका था की वो दोनो काजल के बारे मे ही बात कर रहे हैं..
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काजल ने एक गहरी साँस ली...और उसकी दोनो छातियाँ थोड़ी और बाहर निकल आई.
केशव ने आदेश सा दिया : "उतारो अपनी टी शर्ट..''
काजल का सीना उपर नीचे होने लगा ये सुनकर...पर ना जाने क्या जादू था केशव की आवाज़ में ...उसके दोनो हाथों ने टी शर्ट के निचले हिस्से को पकड़ा और धीरे-2 उपर सरकाना शुरू कर दिया..
ज़ीरो वॉट का हल्का बल्ब जल रहा था ठीक केशव के सिर के पीछे...और हल्की मिल्की रोशनी काजल के शरीर पर पड़ रही थी...जो धीरे-2 नंगा हो रहा था.
उसका सपाट पेट जैसे ही ख़त्म हुआ, उसके उभारों ने उजागर होना शुरू कर दिया...और धीरे-2 करते हुए एक के बाद एक दोनो पक्क की आवाज़ करते हुए उछलकर बाहर निकल आए...और काजल ने उस टी शर्ट को सिर से घुमा कर बाहर निकाल दिया.और अब वो बैठी थी अपने छोटे भाई केशव के सामने टॉपलेस होकर...अपनी गोल-मटोल छातियाँ लेकर...केशव ने अपने हाथ ऊपर किये और उन्हें दबाने लगा
केशव उसकी सुंदरता को बड़ी देर तक निहारता रहा ...और फिर उसने एक और आदेश दिया अपनी बड़ी बहन को..
''खिलाओ...मुझे अब ये मूँगफलियाँ...''
उसका इशारा लाल रंग के निप्पल्स तरफ था, जो भुनी हुई मूंगफली जैसा लग रहा था
काजल धीरे से आगे खिसकी...अपनी एक ब्रेस्ट को अपने हाथों मे पकड़ा और केशव के चेहरे के उपर झुक कर अपने निप्पल से उसके होंठों पर दस्तक दी...
पर वो अपना मुँह बंद किए लेटा रहा...
काजल ने अपने पैने निप्पल से उसके होंठों को रगड़ना शुरू कर दिया...पर वो तो जैसे भाव खा रहा था...मज़ा भी उसको लेना था और भाव भी खुद ही खाने लगा..
पर इतना कुछ होने के बाद अब काजल पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी...अब कोई फ़र्क नही पड़ता था की वो पहल करे या केशव...बस दोनो किसी भी तरह से पूरा मज़ा लेना चाहते थे...
केशव ने जब अपना मुँह नही खोला तो काजल ने दूसरी ब्रेस्ट को पकड़ा और उसके निप्पल से केशव के होंठों को रगड़ा...और इस बार उसने थोड़ा ज़ोर लगाया तो उसका खड़ा हुआ निप्पल उसके होंठों की दीवार भेदता हुआ अंदर दाखिल हो गया...पर उसने अपने दाँत आपस मे भींच रखे थे
काजल ने सिसक कर कहा : "खोलो अब....वरना ये मूँगफलियाँ सील जाएँगी...इनका करारापन चला जाएगा...''
केशव अपनी बहन की बात एक ही बार मे मान गया...और जैसे ही उसने अपना मुँह खोला, काजल ने पूरा भार उसके उपर डालते हुए अपना पूरा का पूरा मुम्मा उसके मुँह में ठूस दिया....मूँगफली के साथ-2 प्लेट भी अंदर घुसेड दी...केशव का मुँह काफ़ी बड़ा था...उसने बड़ी ही कुशलता से उसके पूरे मुम्मे को अपने मुँह मे एडजस्ट किया और उसे ज़ोर-2 से चूसना शुरू कर दिया..जैसे कोई दूध पीता है
और अपने भाई के दूध निकालने की इस कला से वो निहाल सी होकर सिसकारियाँ मारने लगी..
''आआययययययययययययययीीईईईईईईईईईई .,........ उम्म्म्ममममममम....... काटो भी इन्हे...... दर्द सा होता है इनमें .......''
काजल ने डॉक्टर केशव को अपनी परेशानी बताई, और वो उसका इलाज करने में जुट गया
केशव उन्हे अपने दांतो से चुभलाने भी लगा...जीभ से उसे सहलाता और दाँत से काटकर निशान बना देता...एक-2 करके उसने दोनो मुम्मो को बुरी तरह से चूस्कर लाल कर दिया...
जगह -2 उसके दांतो के निशान चमकने लगे...काजल ने कुछ देर के लिए उन्हे केशव के हमले से बचाया और बाहर निकाल लिया...और फिर अपने गीले होंठों के साथ केशव पर हमला कर दिया..
जैसे ही केशव ने काजल के होंठों को टच किया...उसका मीठापन किसी शरबत की तरह केशव के गले से नीचे उतरता चला गया...और दोनो भूखे जानवरों की तरह एक दूसरे को ज़ोर-2 से स्मूच करने लगे..
केशव तो अक्सर ये सब कर ही लिया करता था...पर आज काजल का पहला अवसर था...अपने स्तन और होंठ चुसवाने का....इसलिए वो खुद ही लालायित सी होकर ये काम करवा रही थी और मज़े भी ले रही थी...वो जानती तो थी की इस काम मे मज़ा आता होगा..पर इतना आता है, ये आज उसे अपने मुम्मे और होंठ चुसवाने के बाद ही पता चला...एक अलग ही दुनिया मे पहुँच गयी थी वो...दुनिया की कोई भी फीलिंग इनसे बढ़कर नही हो सकती थी...ऐसा एहसास मिल रहा था उसे आज अपने शरीर से...असली मज़ा तो अब मिला उसको...अपने जवान शरीर का...काश ये सब उसने पहले ही कर लिया होता...
स्मूच करते-2 काजल का हाथ केशव के लंड की तरफ बढ़ने लगा...उसने पहले भी अपने भाई के लंड को उपर-2 से महसूस किया था किचन में .पर अब उसको नंगा करके पकड़ना चाहती थी...उसने केशव की निक्कर के उपर से ही उसके खड़े हुए लंड को अपने हाथ मे पकड़कर ज़ोर से दबा लिया..
केशव का मुँह खुल सा गया...और दोनो की किस्स भी टूट गयी..
काजल तो अब खूंखार सी हो उठी थी...वो केशव की आँखो मे देखते-2 नीचे की तरफ खिसकने लगी...और ठीक उसके लंड के उपर जाकर उसने अपना चेहरा रोक लिया.
काजल : "बहुत खा ली तुमने मेरी मूँगफलियाँ....अब मेरी बारी है...तुम्हारा केला खाने की...''
और फिर काजल ने उसकी निक्कर को दोनो तरफ से पकड़कर नीचे खींच दिया..और केशव का लंड एक ही झटके में लहराकर उसकी आँखो के सामने नाचने लगा.
उसने जब केशव और सारिका को दो दिन पहले वो सब करते देखा था, तब तो काफ़ी दूर थी वो..पर अब इतने करीब से वो उसके लंड को देखकर घबरा रही थी..की अगर इसे अपनी चूत में लेना पड़ गया तो कैसे लेगी...कहाँ उसकी चूत का 2 इंच का छेद और कहाँ ये आठ इंच लंबा लौड़ा...
काजल को ऐसे घहबराई हुई नज़रों से अपने लंड को निहारते देखकर केशव समझ गया की वो क्या सोच रही होगी....उसने अपने लंड को पकड़कर उसके होंठों पर लगाया और बोला : "अब ज़्यादा मत सोचो दीदी....लो...चूसो इसको...आइस्क्रीम की तरह...शाबाश..''
काजल ने अपनी आँखे बंद कर ली और एक हि झटके में उसके लंड को अपने मुँह मे डाल लिया...और धीरे-2 अपने मुँह को उपर नीचे करने लगी..
केशव : "शाबाश दीदी..........ऐसे ही ......अहहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह...... उम्म्म्ममममममम ..... कितना मज़ा आ रहा है ..................आहह ........ चूसो इसको ................. उम्म्म्मममममममममम ....ज़ोर से ......................''
थोड़ी ही देर मे काजल उसके लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे बरसों से यही काम करती आ रही हो वो...
वैसे कुछ लड़कियों में ये गुण शुरू से ही होता है...और ऐसी लड़कियाँ ही अपने पार्टनर को खुश रख पाती है..
केशव के लॅंड को काजल पूरा का पूरा चूस रही थी....कभी उसको बाहर निकाल कर कुल्फी की तरह सिर्फ़ जीभ से चूसती ...और कभी उसकी बॉल्स को भी मुँह मे भरकर निगल जाती...और उसका रस रसगुल्ले की तरह निकालती...उसने तो सोचा भी नही था की लंड चूसने में इतना मज़ा मिलता है...केशव ने लाख कोशिश की पर वो उसके लंड को छोड़ने का नाम ही नही ले रही थी...आख़िर उसके मुँह ताज़ा-2 खून जो लगा था...
और फिर वही हुआ, जिसका केशव को डर था...उसके लंड से भरभराकर रस की पिचकारियाँ बाहर निकलने लगी...और गाड़े रस ने काजल के मुँह, होंठ और चेहरे को पूरी तरह से अपने रंग में रंगकर भिगो दिया...
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RE: XXX Kahani एक भाई ऐसा भी
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और अपने मुँह में जैसे ही काजल को थोड़ा बहुत स्वाद का एहसास हुआ, उसने अजीब सा मुँह बनाया...और फिर अगले ही पल बिल्ली की तरह अपनी जीभ से सारा का सारा रस चाटने लगी...लंड के आस पास गिरा रस ...और फिर केशव के लंड से अपने चेहरे को रगड़ा और उसपर लगे रस को फिर से लंड चूस्कर निगल गयी..
काजल : "वाव .......सब कुछ कितना टेस्टी है यहाँ का.....मैं तो फैन हो गयी रे तेरे इस केले की और इसके जूस की. ...... म्*म्म्मममम ''
अब केशव अपने बेड से उठ खड़ा हुआ...
और उसने खड़े होकर सबसे पहले तो अपने कपड़े उतार कर नीचे फेंके..और पूरा नंगा हो गया...और फिर उसने बड़े ही प्यार से काजल का पायजामा भी नीचे खिसकाया..और उसे भी अपनी तरह नंगा कर दिया..
काजल की आँखे बंद थी...आख़िर पहली बार पूरी तरह से नंगी हो रही थी वो किसी के सामने...
काजल की चूत बिल्कुल चिकनी थी...शायद वो पहले से ही तैयार होकर आई थी...चिकनी चूत से हल्का पानी निकल कर बाहर रिस रहा था...
केशव ने नीचे बैठे-2 ही उसकी एक टाँग को अपने कंधे पर रखा और अपना मुँह सीधा उसकी चूत पर लगा दिया...
काजल ने उसके बाल पकड़े और ज़ोर से चीख उठी ....
''अहहsssssssssssssssss...... ओह माय गॉड ....ओह माय गॉड ....ओह माय गॉड''
उसने तो सोचा भी नही था की नर्म चूत पर गर्म होंठ का संगम ऐसा एहसास देगा उसे.....
वो अपने आप को संभाल नही पाई और वो बेड की तरफ झुकती चली गयी और उसपर गिरकर चादर की तरह बिछ गयी...
केशव ने उसके दोनो पैरों को फेलाया और अपना मुँह अंदर डाल कर ज़ोर-2 से उसकी चूत को चूसने लगा...
काजल की तो आँखे चढ़ गयी....ऐसा सुखद एहसास तो उसे फिंगरिंग करने के बाद भी नही मिलता था...
वो पहले से ही उत्तेजित थी...इसलिए ज़्यादा टाइम नही लगा उसे झड़ने मे....और वो हिचकियाँ लेती हुई केशव के मुँह के अंदर ही झड़ने लगी...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। ................... उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म क्या मजा है अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह , चूस इसको , यहाँ से , अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स आई एम कमिंगsssssssssssss ''
और केशव तो पुराना खिलाड़ी था इस खेल का...उसने एक भी बूँद बाहर नही निकालने दी...अपना मुँह उसकी चूत से तब तक नही हटाया जब तक वो पूरी तरह से शांत नही हो गयी..
उसके बाद केशव भी उसकी बगल मे आकर लेट गया...और दोनो एक दूसरे के होंठों को चूस्कर अपना-2 रस खुद ही चखने लगे..
2 बज चुके थे ये सब करते-2 ....केशव का लंड अपनी आख़िरी लड़ाई के लिए तैयार हो चुका था...
उसने धीरे-2 अपने शरीर को काजल से रगड़ना शुरू कर दिया....
काजल भी समझ गयी की अब वो क्या चाहता है....पर उसके अंदर हिम्मत नही बची थी कुछ भी करने की अभी...और वो डर भी था की इतना बड़ा कैसे अंदर जायेगा
एक तो काफ़ी रात हो चुकी थी...दूसरा उसे सुबह ऑफीस भी जाना था...छोटी दीवाली पर ऑफीस मे सभी को गिफ्ट लेने के लिए बुलाया गया था...
काजल : "केशव.....आज के लिए इतना ही...बाकी कल करेंगे....ऑफीस भी जाना है...''
केशव ने भी कोई ज़बरदस्ती नही की....काजल ने उसको एक किस्स किया और अपने कपड़े पहन कर वो माँ के पास सोने के लिए चली गयी..
और केशव ऐसे ही नंगा सो गया...अगले दिन होने वाले जुए के बारे मे सोचते हुए और उसके बाद होने वाली चुदाई के बारे मे सोचते हुए...
अगले दिन काजल की नींद खुल ही नही रही थी...उसने अलार्म ना लगाया होता तो उसे पता ही नही चलता की सुबह के 7 बज चुके हैं..मन तो नहीं था,पर ऑफीस जाना भी ज़रूरी था...वो जल्दी से उठी..नहा धोकर तैयार हो गयी और अपने लिए चाय रख दी.. उसकी माँ अभी तक सो रही थी.. चाय का कप हाथ मे लेकर वो केशव के कमरे में गयी...और वहाँ का हाल देखकर उसे एहसास हुआ की रात को उन दोनो ने वहाँ क्या धमाल मचाया था..
केशव के बेड की चादर निकल कर नीचे गिरी हुई थी..उसके कपड़े चारों तरफ बिखरे पड़े थे...पिल्लो भी गिरे पड़े थे इधर उधर...और वो अपने पैर फेला कर गहरी नींद में सो रहा था...वो पूरा नंगा था..और उसके मैन पार्ट के उपर तकिया पड़ा था...शायद वो रात को उसको अपनी टाँगो के बीच दबोच कर ही सोया था..
काजल धीरे-2 आगे आई और उसने पिल्लो को उठा कर साइड में कर दिया...और अब केशव उसकी नज़रों के सामने पूरा नंगा था...भले ही इस वक़्त उसका सिपाही सोया हुआ था पर फिर भी वो बड़ा ही टेम्पटिंग सा लग रहा था..इतना टेम्पटिंग की काजल के मुँह में पानी आ गया..उसने घड़ी देखी, अभी दस मिनट थे उसके पास...उसने सोचा की चाय तो रोज पीते हैं, आज फ्रेश जूस पीया जाए..और उसने चाय का कप टेबल पर रख दिया और दरवाजा बंद करके उसके बेड के पास आ गयी..
शेर चाहे सो रहा हो पर होता वो भी ख़तरनाक है..इसलिए काजल को उसे हाथ लगाने मे डर भी लग रहा था...पर जैसे ही उसके ठंडे हाथ गर्म लंड को छुए , उसके नर्म एहसास हो महसूस करके काजल रोमांच से भर उठी...पिछले 2-3 दिनों से जो भी वो देख और कर रही थी, सबमे उसे मज़ा मिला था...और अब ये सुबह की रोशनी मे नहाया हुआ केशव का लंड , वो तो सबसे अलग ही था...वो धीरे से उसके उपर झुकी और पहले अपनी गर्म सांसो से और फिर गर्म जीभ से उसे गुड मॉर्निंग कहा.
केशव को अभी तक मालूम नही था की उसके साथ हो क्या रहा है...वो रात को 4 बजे तक जागता रहा था..काजल के बारे मे सोच सोचकर..अब जब तक उसके साथ कुछ ज़ोर ज़बरदस्ती ना हो, तब तक उसकी नींद नही खुलने वाली थी..
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