08-13-2017, 12:02 PM,
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RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
" आज तो जश्न मनाने का दिन है. आज मैं तेरे लिए बहुत अच्छी अच्छी चीज़ें बनाउन्गि. बोल तुझे क्या इनाम चाहिए?"
" भाभी आप जानती हैं मैं तो सिर्फ़ इसका दीवाना हूँ, ये ही दे दीजिए"मैं भाभी की चूत पर हाथ रखता हुआ बोला.
" अरे वो तो तेरी ही है जब मर्ज़ी आए ले लेना. आज तू जो कहेगा वही करूँगी."
" सच भाभी ! आप कितनी अच्छी हो." यह कह कर मैने भाभी को अपनी बाहों में भर लिया और अपने होंठ भाभी के रसीले होंठों पर रख दिए. मैं दोनो हाथों से भाभी के मोटे मोटे चूतर सहलाने लगा और उनके मुँह में अपनी जीभ डाल कर उनके होठों का रस पीने लगा. ज़िंदगी में पहली बार किसी औरत को इस तरह चूमा था. भाभी की साँसें तेज़ हो गयी. अब मैने धीरे से भाभी की सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार सरक कर नीचे गिर गयी.
" रामू, तू इतना उतावला क्यों हो रहा है ? मैं कहीं भागी तो नहीं जा रही. पहले खाना तो खा ले फिर जो चाहे कर लेना. चल अब छोड़ मुझे." यह कह कर भाभी ने अपने आप को छुड़ाने की कोशिश की. मैने कुर्ते के नीचे हाथ डाल कर भाभी के छूटरो को उनकी सॅटिन की कछि के उपर से दबाते हुए कहा,
" ठीक है भाभी जान, छोड़ देता हूँ, मगर एक शर्त आपको माननी पड़ेगी."
" बोल क्या शर्त है ?"
" शर्त यह है की आप अपने सारे कपड़े उतार दीजिए, फिर हम खाना खा लेंगे." मैं भाभी के होंठ चूमता हुआ बोला.
" क्यों तू किसी ज़माने में कौरव था जो अपनी भाभी को द्रौपदी की तरह नंगी करना चाहता है?" भाभी मुस्कुराते हुए बोली. मैं भाभी की कछि में हाथ डाल कर उनके चूतरो को मसल्ते हुए बोला,
" नहीं भाभी आप तो द्रौपदी से कहीं ज़्यादा खूबसूरत हैं, और मैने अपनी प्यारी भाभी को आज तक जी भर के नंगी नहीं देखा."
" झूट बोलना तो कोई तुझसे सीखे. कल तूने क्या किया था मेरे साथ? बाप रे ! सांड़ की तरह ……. ……..भूल गया?"
" कैसे भूल सकता हूँ मेरी जान, अब उतार भी दो ना." यह कहते हुए मैने भाभी का कुर्ता भी उपर करके उतार दिया. अब भाभी सिर्फ़ ब्रा और छ्होटी सी कछि में थी.
"अच्छा तेरी शर्त मान लेती हूँ लेकिन तुझे भी अपने कपड़े उतारने पड़ेंगे." और भाभी ने मेरी शर्ट के बटन खोल कर उतार दिया. इसके बाद उन्होने मेरी पॅंट भी नीचे खींच दी. मेरा लौदा अंडरवेर को फाड़ने की कोशिश कर रहा था. भाभी मेरे लौदे को अंडरवेर के उपर से सहलाते हुए बोली,
" रामू, ये महाशय क्यों नाराज़ हो रहे हैं?"
" भाभी नाराज़ नहीं हो रहे बल्कि आपको इज़्ज़त देने के लिए खड़े हो रहे हैं."
" सच ! बहुत समझदार हैं." यह कहते हुए भाभी ने मेरा अंडरवेर भी नीचे खींच दिया. मेरा 10 इंच का लौदा फंफना कर खड़ा हो गया. भाभी के मुँह से सिसकारी निकल गयी और वो बारे प्यार से लौदे को सहलाने लगी. मैने भी भाभी की ब्रा का हुक खोल कर भाभी की चुचिओ को आज़ाद कर दिया. फिर मैने दोनो निपल्स को बारी बारी से चूमा और भाभी की कछि को नीचे सरका दिया. गोरी गोरी जांघों के बीच में झांतों से भरी भाभी की चूत बहुत ही सुन्दर लग रही थी.
" अब तो मैने तेरी शर्त मान ली. अब मुझे खाना बनाने दे." ये कह कर वो किचन की ओर चल पड़ी. ऊफ़ ! क्या नज़ारा था ! गोरा बदन, घने चूतरो तक लटकते बाल, पतली कमर और उसके नीचे फैलते हुए भारी नितूंब, सुडोल जंघें और उन मांसल जांघों के बीच घनी लंबी झांतों से भरी फूली हुई चूत. चलते वक़्त मटकते हुए चूतर और झूलती हुई चूचियाँ बिल्कुल जान लेवा हो रही थी. भाभी किचन में खाना बनाने लगी. मैं भी किचन में जा कर भाभी के चूतरो से चिपक कर खड़ा हो गया. मेरा 10 इंच का लौदा भाभी के चूतरो की दरार में फँसने की कोशिश करने लगा. मैं भाभी की चूचिओ को पीछे से हाथ डाल कर मसल्ने लगा.
" छोड़ ना मुझे, खाना तो बनाने दे." भाभी झूठ मूठ का गुस्सा करते हुए बोली और साथ ही में अपने चूतरो को इस प्रकार पीछे की ओर उचकाया की मेरा लौदा उनके चूतरो की दरार में अच्छी तरह समा गया और चूत को भी छ्छूने लगा. भाभी की चूत इतनी गीली थी की मेरा लौदे के आगे का भाग भी भाभी की चूत के रस में सन गया. इतने में भाभी कुच्छ उठाने के लिए नीचे झुकी तो मेरे होश ही उड़ गये. भाभी के भारी चूतरो के बीच से भाभी की फूली हुई चूत मुँह खोले निहार रही थी. मैने झट से अपने मोटे लौदे का सुपरा चूत के मुँह पर रख कर एक ज़ोर का धक्का लगा दिया. मेरा लौदा चूत को चीरता हुआ 3 इंच अंडर घुस गया.
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08-13-2017, 12:10 PM,
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RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
गतान्क से आगे ......
" भाभी आपके पास म्यान है ना इस तलवार के लिए." यह कहते हुए मैने भाभी को अपनी गोद में खींच लिया. भाभी की चूत बुरी तरह से गीली थी और मेरा लौदा भी चूत के रस में सना हुआ था. जैसे ही भाभी मेरी गोद में बैठी मेरा खड़ा लंड भाभी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धँस गया.
" एयाया…..आआहह..ऊऊहह …..अया .. कितना जंगली है रे तू. 10 इंच लंबा मूसल इतनी बेरहमी से घुसेड़ा जाता है क्या ?"
" सॉरी भाभी चलो अब खाना खा लेते हैं." हमने इसी मुद्रा में खाना खाया. खाना खाने के बाद जब भाभी झूठे बर्तन रखने के लिए उठी तो मेरा लंड फ़च की आवाज़ के साथ उनकी चूत में से बाहर आ गया. बर्तन समेटने के बाद भाभी आई और बोली,
" हां तो देवर्जी अब क्या इरादा है ?"
" अपना इरादा तो अपनी प्यारी भाभी को जी भर के चोदने का है." मैने कहा.
" तो अभी तक क्या हो रहा था ?"
" अभी तक तो सिर्फ़ ट्रैलोर था. असली पिक्चर तो अब स्टार्ट होगी." ये कहते हुए मैने नंगी भाभी को अपनी बाहों में भर के चूम लिया और अपनी गोद में उठा लिया. मैं खड़ा हुआ था , मेरा विशाल लंड तना हुआ था और भाभी की टाँगें मेरी कमर से लिपटी हुई थी. भाभी की चूत मेरे पैट से चिपकी हुई थी और मेरा पैट भाभी की चूत के रस से गीला हो गया था. मैने खड़े खड़े ही भाभी को थोड़ा नीचे की ओर सरकाया जिससे मेरा तना हुआ लंड भाभी की चूत में प्रविष्ट हो गया. इसी प्रकार मैं भाभी को उठा कर उनके कमरे में ले गया और बिस्तेर पर पीठ के बल लिटा दिया. भाभी की टाँगों के बीच में बैठ कर मैने उनकी टाँगों को चौड़ा किया और अपने लंड का सुपरा उनकी चूत के मुँह पर टीका दिया. अब भाभी से ना रहा गया,
" रामू, तंग मत कर. अब और नहीं सहा जाता. जल्दी से पेल. जी भर के चोद मेरे राजा. फाड़ दे मेरी चूत को." मैने एक ज़बरदस्त धक्का लगाया और आधा लंड भाभी की चूत में पेल दिया.
" आआआअ………….आाऐययइ…….ह…अघ… मर गयी मेरी मा…. आह.. फॅट जाएगी मेरी चूत… आ.. इश्स…इससस्स….ऊवू…. आआआः… खूब जम के चोद मेरे राजा. कितना मोटा है रे तेरा लंड. इतना मज़ा तो ज़िंदगी भर नहीं आया. आ…आआआः." भाभी इतनी ज़्यादा उत्तेजित हो गयी थी कि अब बिल्कुल रंडी की तरह बातें कर रही थी. मैने थोड़ा सा लंड को बाहर खींचा और फिर एक ज़बरदस्त धक्के के साथ पूरा जड़ तक भाभी की चूत में पेल दिया. मेरे अमरूद भाभी के चूतरो से टकराने लगे. मैं भाभी की सुंदर चूचिओ को मसल्ने और चूसने लगा और उनके रसीले होठों को भी चूसने लगा. भाभी चूतर उच्छल उच्छल कर मेरे धक्कों का जबाब दे रही थी. पाँच मिनिट की भयंकर चुदाई के बाद भाभी पसीने से तर हो गयी थी और उनकी चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी. फ़च….. फ़च…. फ़च… की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज़ रहा था. भाभी की चूत में से इतना रस निकला कि मेरे अमरूद तक गीले हो गये. मैने भाभी के होंठ चूमते हुए कहा,
" भाभी मज़ा आ रहा है ना ? नहीं आ रहा तो नकाल लूँ."
" चुप बदमाश ! खबरदार जो निकाला. अब तो मैं इसको हमेशा अपनी चूत में ही रखूँगी."
" भाभी आपने कभी भैया का लंड चूसा है ?"
" नहीं रे, कहा ना तेरे भैया को तो सिर्फ़ टाँगें उठा कर चोदना आता है. काम कला तो उन्होने सीखी ही नहीं."
" आपका दिल तो करता होगा मर्द का लौदा चूसने का?"
" किस औरत का नहीं करेगा? औरत तो ये भी चाहती है की मर्द भी उसकी चूत चाते."
" भाभी मेरी तो आपकी चूत चूमने की बहुत तमन्ना है." मैने अपना लंड भाभी की चूत में से निकाल लिया और मैं पीठ के बल लेट गया.
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RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
गतान्क से आगे ......
" भाभी आपके पास म्यान है ना इस तलवार के लिए." यह कहते हुए मैने भाभी को अपनी गोद में खींच लिया. भाभी की चूत बुरी तरह से गीली थी और मेरा लौदा भी चूत के रस में सना हुआ था. जैसे ही भाभी मेरी गोद में बैठी मेरा खड़ा लंड भाभी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धँस गया.
" एयाया…..आआहह..ऊऊहह …..अया .. कितना जंगली है रे तू. 10 इंच लंबा मूसल इतनी बेरहमी से घुसेड़ा जाता है क्या ?"
" सॉरी भाभी चलो अब खाना खा लेते हैं." हमने इसी मुद्रा में खाना" भाभी आप मेरे उपर आ जाओ और अपनी प्यारी चूत का स्वाद चखने दो." मैने भाभी को अपने उपर खैंच लिया. भाभी का सिर मेरी टाँगों की तरफ था. भाभी की टाँगें मेरे सिर के दोनो तरफ थी और उनकी चूत ठीक मेरे मुँह के उपर. मैने भाभी के चूतरो को पकड़ के उनकी चूत को अपने मुँह की ओर खींच लिया. मैने कुत्ते की तरह भाभी की झांतों से भरी चूत को चाटना शुरू कर दिया. भाभी के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी. भाभी की चूत की सुगंध मुझे पागल बना रही थी. चूत इतना पानी छोड़ रही थी कि मेरा मुँह भाभी की चूत के रस से सुन गया. इस मुद्रा में भाभी की आँखों के सामने मेरा विशाल लंड था. भाभी ने भी मेरे लंड को चाटना शुरू कर दिया. मेरा लंड तो भाभी के ही रस से सना हुआ था. भाभी को मेरे वीर्य के साथ अपनी चूत के रस के मिश्रण को चाटने में बहुत मज़ा आ रहा था. अब भाभी ने मेरे लंड को मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया. इतना मोटा लंड बड़ी मुश्किल से उनके मुँह में जा रहा था. जी भर के लंड चूसने के बाद भाभी उठी और मेरे मुँह की तरफ मुँह करके मेरे लंड के उपर बैठ गयी. चूत इतनी गीली थी कि बिना किसी रुकावट के पूरा 10 इंच का लौदा भाभी की चूत में जड़ तक घुस गया. भाभी ने मुझे चूमना शुरू कर दिया और ज़ोर ज़ोर से अपने चूतर उपर नीचे करके लौदा अपनी चूत में पेलने लगी. मैं भाभी की चूचिओ को चूसने लगा. पाँच मिनिट के बाद तक के मेरे उपर लेट गयी और बोली,
" रामू, तू आदमी है कि जानवर. इतनी देर से चोद रहा है लेकिन अभी तक झाड़ा नहीं.मैं अब तक तीन बार झाड़ चुकी हूँ."
" मेरी प्यारी भाभी मेरे लंड को आपकी चूत इतनी अच्छी लगती है कि जब तक इसकी प्यास नहीं बुझ जाती ये नहीं झरेगा. आपने मुझे जानवर कहा ही है तो अब मैं आपको जानवर की तरह ही चोदुन्गा."
" हे भगवान ! कल ही तो तूने सांड़ की तरह चोदा था. अब और कैसे चोदेगा ?"
" कल आपको गाय बना कर सांड़ की तरह चोदा था आज आपको कुतिया की तरह चोदुन्गा."
" चोद मेरे राजा जैसे चाहता है वैसे चोद. अपनी भाभी को कुतिया बना के चोद. लेकिन ज़रा मुझे बाथरूम जाने दे." इतनी देर चुदाई के बाद भाभी को पेशाब आ गया था. वो उठ कर बाथरूम में गयी लेकिन दरवाज़ा खुला ही छोड़ दिया. इतना चुदवाने के बाद भाभी की शर्म बिल्कुल ख़तम हो गयी थी. बाथरूम से प्सस्सस्सस्स……… की आवाज़ आने लगी. मैं समझ गया भाभी ने मूतना शुरू कर दिया है. भाभी के मूतने की आवाज़ सुन कर मैं भाभी को चोदने की लिए तडप उठा. भाभी वापस आई और मुस्कुराते हुए कुतिया बन कर बोली,
" आ मेरे राजा तेरी कुतिया चुदवाने के लिए हाज़िर है." भाभी ने अपने चूतर उपर उठा रखे थे और उनका सीना बिस्तर पर टीका हुआ था. उनके विशाल चूतरो के बीच से झँकति हुई चूत को देख कर मेरा लौदा फंफनाने लगा. मैं भाभी के पीछे बैठ कर भाभी की चूत को कुत्ते की तरह सूंघने और चाटने लगा.
" अया…. ऊऊओ .. क्या कर रहा है. तू तो सचमुच कुत्ता बन गया है."
" भाभी अगर आप कुतिया हैं तो मैं तो कुत्ता हुआ ना. कुतिया कोतो कुत्ता ही चोद सकता है." मैं पीछे से भाभी की चूत चाटने लगा. मेरे मुँह में नमकीन स्वाद आ रहा था, क्योंकि भाभी अभी मूत कर आई थी. इस मुद्रा में चूत चाटने से मेरी नाक भाभी की गांद में लग रही थी. अब मैने भाभी के दोनो चूतर फैला दिए. भाभी की गांद का गुलाबी छेद बहुत ही सुन्दर लग रहा था. मैने अपनी जीभ से उस गुलाबी छेद हो भी चाटना शुरू कर दिया और एक दो बार जीभ गांद के छेद में भी डाल दी.
क्रमशः......... खाया. खाना खाने के बाद जब भाभी झूठे बर्तन रखने के लिए उठी तो मेरा लंड फ़च की आवाज़ के साथ उनकी चूत में से बाहर आ गया. बर्तन समेटने के बाद भाभी आई और बोली,
" हां तो देवर्जी अब क्या इरादा है ?"
" अपना इरादा तो अपनी प्यारी भाभी को जी भर के चोदने का है." मैने कहा.
" तो अभी तक क्या हो रहा था ?"
" अभी तक तो सिर्फ़ ट्रैलोर था. असली पिक्चर तो अब स्टार्ट होगी." ये कहते हुए मैने नंगी भाभी को अपनी बाहों में भर के चूम लिया और अपनी गोद में उठा लिया. मैं खड़ा हुआ था , मेरा विशाल लंड तना हुआ था और भाभी की टाँगें मेरी कमर से लिपटी हुई थी. भाभी की चूत मेरे पैट से चिपकी हुई थी और मेरा पैट भाभी की चूत के रस से गीला हो गया था. मैने खड़े खड़े ही भाभी को थोड़ा नीचे की ओर सरकाया जिससे मेरा तना हुआ लंड भाभी की चूत में प्रविष्ट हो गया. इसी प्रकार मैं भाभी को उठा कर उनके कमरे में ले गया और बिस्तेर पर पीठ के बल लिटा दिया. भाभी की टाँगों के बीच में बैठ कर मैने उनकी टाँगों को चौड़ा किया और अपने लंड का सुपरा उनकी चूत के मुँह पर टीका दिया. अब भाभी से ना रहा गया,
" रामू, तंग मत कर. अब और नहीं सहा जाता. जल्दी से पेल. जी भर के चोद मेरे राजा. फाड़ दे मेरी चूत को." मैने एक ज़बरदस्त धक्का लगाया और आधा लंड भाभी की चूत में पेल दिया.
" आआआअ………….आाऐययइ…….ह…अघ… मर गयी मेरी मा…. आह.. फॅट जाएगी मेरी चूत… आ.. इश्स…इससस्स….ऊवू…. आआआः… खूब जम के चोद मेरे राजा. कितना मोटा है रे तेरा लंड. इतना मज़ा तो ज़िंदगी भर नहीं आया. आ…आआआः." भाभी इतनी ज़्यादा उत्तेजित हो गयी थी कि अब बिल्कुल रंडी की तरह बातें कर रही थी. मैने थोड़ा सा लंड को बाहर खींचा और फिर एक ज़बरदस्त धक्के के साथ पूरा जड़ तक भाभी की चूत में पेल दिया. मेरे अमरूद भाभी के चूतरो से टकराने लगे. मैं भाभी की सुंदर चूचिओ को मसल्ने और चूसने लगा और उनके रसीले होठों को भी चूसने लगा. भाभी चूतर उच्छल उच्छल कर मेरे धक्कों का जबाब दे रही थी. पाँच मिनिट की भयंकर चुदाई के बाद भाभी पसीने से तर हो गयी थी और उनकी चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी. फ़च….. फ़च…. फ़च… की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज़ रहा था. भाभी की चूत में से इतना रस निकला कि मेरे अमरूद तक गीले हो गये. मैने भाभी के होंठ चूमते हुए कहा,
" भाभी मज़ा आ रहा है ना ? नहीं आ रहा तो नकाल लूँ."
" चुप बदमाश ! खबरदार जो निकाला. अब तो मैं इसको हमेशा अपनी चूत में ही रखूँगी."
" भाभी आपने कभी भैया का लंड चूसा है ?"
" नहीं रे, कहा ना तेरे भैया को तो सिर्फ़ टाँगें उठा कर चोदना आता है. काम कला तो उन्होने सीखी ही नहीं."
" आपका दिल तो करता होगा मर्द का लौदा चूसने का?"
" किस औरत का नहीं करेगा? औरत तो ये भी चाहती है की मर्द भी उसकी चूत चाते."
" भाभी मेरी तो आपकी चूत चूमने की बहुत तमन्ना है." मैने अपना लंड भाभी की चूत में से निकाल लिया और मैं पीठ के बल लेट गया.
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08-13-2017, 12:47 PM,
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RE: Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र
गतान्क से आगे ......
मैं समझ गयी, ज़रूर वो कोई गंदा नॉवेल पढ़ रहा था. मैं उसके कमरे में गयी. मुझे देख कर वो नॉवेल च्छुपाने की कोशिश करने लगा. मैने उसकी ओर जाते हुए पूचछा,
“ विकी क्या पढ़ रहा है?”
“ कुच्छ नहीं दीदी ऐसे ही”
“ मुझे दिखा क्या है.”
“ नहीं दीदी क्या देखोगी, ये तो हिस्टरी की किताब है.”
मैने झपट्टा मार के विकी से किताब छ्चीन ली. विकी ने वापस किताब छीनने की कोशिश की लेकिन में अपने कमरे में भाग गयी और अंडर आके लाइट बंद करके एक कोने में छिप गयी. विकी भी मेरे पीछे भागा. कमरे में आके जब उसकी आँखें अंधेरे में अड्जस्ट हुई तो उसने मुझे कोने में च्छूपा देख लिया और मेरे साथ छीना झपटी करने लगा. उसने किताब वापस छीन ली. मैने उसे ज़ोर से धक्का दे के अपने बिस्तेर पे गिरा दिया और उसके सीने पे चढ़ बैठी. विकी चित पड़ा हुआ था. मेरा गाउन छ्होटा सा तो था ही उसके ऊपर बैठने के कारण सामने से खुल गया. मेरी नंगी चूत विकी के सीने से टच करने लगी, लेकिन अंधेरा होने के कारण वो देख नहीं सका. मैने विकी को गुदगुदाना शुरू कर दिया और थोड़ा सा सरक के नीचे की ओर हो गयी. नीचे की ओर सरकने से विकी का लंड मेरे भारी नितंबों के नीचे दब गया. ऊऊफ़! उसका लंड मेरे नंगे चूतरो के नीचे बिल्कुल नंगा था! शायद छ्चीना झपटी में विकी की लूँगी खुल गयी थी. लंड खड़ा होने लगा था लेकिन बेचारा मेरे भारी चूतरो के नीचे दबे होने का कारण उसके पेट से चिपका हुआ था. बाप रे! इतना लंबा था कि उसकी नाभि तक पहुँच रहा था. मैं सोचने लगी कि जो लॉडा इसकी नाभि तक पहुँच रहा है वो तो मेरी चूत फाड़ के छाती तक घुस जाएगा. अब तो चाहे चूत फॅट जाए मैने चुदवाने की ठान ली थी. मेरा बदन वासना की आग में जलने लगा. इतने मोटे लंड का स्पर्श पा कर मेरी चूत रस छ्चोड़ने लगी. मैं विकी को गुदगुदाने के बहाने उसके ऊपर आगे पीछे होने लगी और उसके मूसल को अपने चूतरो की दरार में रगड़ने लगी. कभी थोडा आगे झुक जाती तो उसका मोटा लॉडा मेरी चूत की दोनो फांकों के बीच फँस जाता और गीली चूत उसके लंड पे रगड़ जाती. मेरी चूत के रस से उसका लॉड के नीचे का भाग बॉल्स से ले कर सुपरे तक गीला हो गया था. अब तो मैं उसके लंड पे आगे पीछे फिसल रही थी. बहुत मज़ा आ रहा था. बड़ा ही मादक खेल था. अकसर उसके लंड का सुपरा मेरी चूत के होंठों को चूम लेता और छेद में दाखिल होने की कोशिश करता. विकी ने जिस हाथ में किताब पकड़ रखी थी उसने उस हाथ को अपने सिर के ऊपर सीधा कर रखा था जिससे वो मेरी पहुँच से बाहर हो गया था. किताब तक पहुँचने के लिए आगे सरकना ज़रूरी था. ये तो बहुत अच्छा मोका था. आगे सरकने के बहाने मैं अपनी चूत विकी के मुँह पे रगड़ सकती थी. मुझे अच्छी तरह याद था जब पिच्छली बार मैने अपनी चूत विकी के मुँह पर रगडी थी. लेकिन उस वक़्त मैने पॅंटी पहनी हुई थी. किताब छ्चीनने के बहाने मैं तेज़ी से आगे की ओर हुई. अब मेरी चूत ठीक विकी के मुँह के ऊपर थी. मैने झपट्टा मारा और उसके हाथ से किताब छ्चीनने के बहाने उसके मुँह पर गिर गयी. ऊऊओफ़! मेरी नंगी गीली चूत विकी के होंठों से चिपक गयी. मैने अपनी चूत को 5 सेकेंड तक विकी के मुँह पर ज़ोर से दबा दिया. मेरी चूत इतना रस छोड़ रही थी कि विकी के होंठ और मुँह गीले हो गये. ये ही नहीं मेरी झाँटें भी उसके मुँह में घुस गयी. विकी हड़बड़ा गया और मैं किताब छ्चीनने में कामयाब हो गयी. किताब छ्चीन के मैं जैसे ही उठने लगी विकी ने मुझे गिरा लिया और मेरे ऊपर चढ़ बैठा. अब मैं पेट के बल पड़ी हुई थी और विकी मेरी पीठ पर बैठा हुआ था. मैने किताब को अपने नीचे दबा लिया. विकी हांफता हुआ बोला,
“ दीदी किताब दे दो नहीं तो छ्चीन लूँगा.”
“ अरे जा, जा. इतना दम है तो छीन ले.” मैं उसे चिड़ाती हुई बोली.
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