08-18-2017, 10:50 AM,
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RE: Sex Kahani एक वेश्या की कहानी
मैने उसे यूही कह दिया..परिवारिक वजहों के कारण हू यहाँ मैं…मा बीमार है, पिताजी का देहांत हो चुका है इसीलिए…तब तक मैने बाकी सारे कपड़े भी उतार लिए थे..
फिर उसने अपने गले मे लगा स्तेथॉस्कोपे को मेरे पीठ मे लगाकर कहा—गहरी साँस लो.
मैने कहा- मेरा पास इसके सिवा और कोई रास्ता नही था.
तुम्हारी ये गहरी साँसे मुझे तुम्हारी वास्तविकता से पहचान करा रही है. डॉक्टर बोला.
मैने ऐसी कहानी केयी बार सुनी है…वो बोला.
मैने गंभीर होकर कहा- मैं सच कह रही हू.
फिर उसने अपने सामान मे से एक टॉर्च निकाला और मेरे मूह मे कुछ देखने लगा और बोला- तुम्हे जो कहना था तुमने कह दिया..और मुझे उस पर ज़रा भी विश्वास नही है. मुझे सब सच-सच जानना है.
वो मेरी बातों पे यकीन ही नही कर रहा था..और मेरी आँखों के चेक करते हुए मुझे सच बताने पर मजबूर कर रहा था, तब मैने भी सोचा के इसे सच बता ही दिया जाए और बोलने लगी- मैं ये सब कुछ अपने होने वाले पति के लिए कर रही हू..वो एक एलेक्ट्रीशियन है..और उन्हे थोड़े पैसो के ज़रूरत है.
वो मेरे कंधो का निरीक्षण करने लगा और मैं बोले जा रही थी- उसके बॉस ने उसको शहर मे अपनी दुकान बेच दी है उसकी के लिए पैसो की ज़रूरत है…तो हमने सोचा..
वो बोल पड़ा- तो तुमने सोचा, कि इस काम से जल्दी पैसे मिल जाएँगे…बहुत बढ़िया !!
थोड़ा चल के दिखाओ ,वो बोला.
चलते हुए मैं बोली- सिर्फ़ 15 दिनो की तो बात है. उसके बाद वो मुझे यहाँ से ले जाएगा और हम शादी कर लेंगे.
डॉक्टर बोला- किसका विचार था ये ?
मैने कहा- मेरा, मेरा मतलब राज का….मुझे अच्छा लगा तो मैने हां कह दी.
चलो ठीक है…लेट जाओ..….तो मैं लेट गयी, वहाँ पड़े स्ट्रेचर पे, वो बोला- तुम्हे पता है राज ने कैसा काम किया है ? एक दलाल के जैसा…और वो मेरे शरीर को जाँचने-परखने लगा.
मैं थोडा चिड़ गयी थी उसकी बातों से, मैं बोली- तुम उसे जानते भी नही हो तो तुम ऐसा कैसे कह सकते हो.
तो वो बोला-तुम खुद सोचा के तुम क्या करने जा रही हो. जो तुमने आज तक नही किया..कभी सपने मे भी नही सोचा होगा…तुम चाहो तो तुम अभी इसे छोड़कर जा सकती हो..कोई तुम्हे रोकेगा भी नही.
लेकिन ये मेरा फ़ैसला है-मैं बोली.
तुम एक सुंदर, खूबसूरत, जवान, स्वस्थ, तंदुरुस्त लड़की हो…क्यू अपनी जिंदगी अपने हाथो बर्बाद कर रही हो ??...ऐसा बोलते हुए वो मेरे पैरों का निरीक्षण कर रहा था.
क्रमशः............................
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08-18-2017, 10:51 AM,
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RE: Sex Kahani एक वेश्या की कहानी
एक वेश्या की कहानी--4
गतान्क से आगे.......................
उसने मुझे जाँघो से लेकर अंगूठे तक छुआ, लेकिन उसके चुअन से मुझे कोई फरक नही पड़ा.
मैने कहा- सिर्फ़ 15 दिनो की ही तो बात है.
तो, वो बोला- अरे बेवकूफ़ लड़की, तुम ये सब फिर कभी भी नही छोड़ पओगि!...और वो मेरे जाँघो को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा.
मैं थोड़ा सहम गयी थी उसकी बातों से मैं बोली - तुमने मुझे डरा दिया है. अब मैं क्या करू ?
भगवान से मदद माँगो, अगर तुम उन पर विश्वास करती हो तो.
तभी मैं उठकर बोली- मैं अपना ख़याल खुद रख सकती हू! तुम्हे पता है, मुझे पैसे क्यू चाहिए ?...क्यूकी मेरे पिता ने अपना सब कुछ लूटा दिया था इन वेश्याओं पे!
और तुम यहाँ वोही सब वापस पाने आई हो ? डॉक्टर बोला.
सही कहा, कम से कम कुछ तो ले ही सकती हू. क्या इसमे भी कोई ग़लत बात है ? मैने कहा.
क्या व्यक्तित्व है तुम्हारा!........तुम्हे पता है, वो सब कॉनडम्स नही पेहेन्ते है….क्या करोगी अगर तुम प्रेगनेंट हो गयी ? उसने पूछा.
मैं अपने आपको गोली मार दूँगी, मैं बोली.
उसकी कोई ज़रूरत नही है, तुम बस इसे पहेन लेना.
उसने हाथ मे एक लॅडीस कॉंडम पकड़े रखा था…मैने इसे पहले कभी देखा तो नही था..लेकिन इसके बारे मे थोड़ा बहुत सुना ज़रूर था.
मैने तुरंत उसे पूछा- क्या ये दर्द करेगा ?
उसने मुझे स्ट्रेचर पर धक्का देते हुए लेटा दिया और कहा- नही! बस तुम्हारी योनि गीली होनी चाहिए ताकि ये आसानी से अंदर जा सके.
फिर उसने मेरी योनि के दाने को अपनी एक उंगली से मसलना शुरू किया…मैं तो बस फिर मज़े मे खोती ही जा रही थी. उसकी एक उंगली दाने पे और दूसरी उंगली योनि पे चल रही थी..मेरे मूह से सिसकारी भरी आहें निकल रही थी.
उसने बड़े ही शालीनता से पूछा- क्या तुम्हे इससे चोट पहुच रही है ?
मैने उसे आहें बरते हुए बस इतना ही कहा- बिल्कुल नही………
और उसने उंगली चलाना जारी रखा…और कहा…मुझे लगता है के तुम अब गीली होना शुरू हो चुकी हो.
मैं बोली- क्या तुम शर्त लगा सकते हो!
और उसने वो लॅडीस कॉंडम मेरी योनि मे घुसा दिया..मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
मैने उसे कहा- तुम तो मुझ पर कहर ढा रहे हो, मैं तो चाहती हू के तुम ही मेरे सबसे पहले कस्टमर बनो!
वो हस्ते हुए बोला- चलो जाओ….आगे बढ़ो और मेरी तरफ से गुड लक!
मैने अपने कपड़े पहने और कमरे से बाहर आ गयी……… शाम के करीब 4-4.30 बज रहे होंगे के मेरे दरवाज़े पर नॉक हुई…..उस समय मैं सो रही थी……ठक…ठक….ठक… मैने उठकर दरवाज़ा खोला तो बाहर चाची थी वो मुझसे बोली- अरे अभी तक सो रही हो कुछ ही देर मे कस्टमर्स आने शुरू हो जाएँगे, ये लो तुम्हारे कपड़े..इसे पहेंक़र जल्दी से नीचे आ जाओ..और हां, अंदर कुछ भी मत पहेनना. वो फिर नीचे चली गयी.
मैने जब वो ड्रेस देखी तो पाया के वो खाली एक गाउन है जो इतना पारदर्शी के है कि इसको पहनो या ना पहनो मतलब एक ही था. मैने जल्दी से तैयार हो कर वो ड्रेस पहनी मेरा सारा जिस्म उस पारदर्शी गाउन के आर-पार दिखाई दे रहा था. मैं थोड़ा सकुचा रही थी इस ड्रेस को पहेन कर.
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08-18-2017, 10:51 AM,
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RE: Sex Kahani एक वेश्या की कहानी
मैं जब नीचे पहुचि तो वहाँ मेला सा लगा हुआ था. चारो तरफ लड़के-लड़कियाँ ही थी. बहुत सी लड़कियों ने मेरे जैसी ही गाउन पहेन रखी थी. जिसमे से उनका पूरा जिस्म बाहर दिखाई दे रहा था..वो लड़कियाँ लड़को के साथ मस्ती कर रही थी.
मैं जब सीढ़ी उतरी तो वहाँ दो लड़कियाँ बैठकर सिगार पी रही थी. मैं दोनो को लाँघकर सीढ़ी उतरी. नीचे चाची कुछ घोषणा कर रही थी- अच्छा तो महनुभाव क्या आप लोग किसी कुवारि कन्या के इंतज़ार मे है ?
मैं चाची के पास जाने लगी. एक लड़की वेट्रेस के ड्रेस मे थी जिसके स्तन पूरे बाहर के तरफ लूड़क रहे थे, उसने मुझे स्माइल दी और आगे बढ़ गयी. वही बाजू मे बैठा एक बूढ़ा सा आदमी एक लड़की के जाँघो को सहला रहा था और लड़की अपने दोनो स्तन बुड्ढे के मूह पे मसल रही थी. उसने मसल्ते हुए बुड्ढे से कहा- क्या तुम रोमा-दोमा से प्यार करते हो ?..शायद उसने अपने स्तनो को ऐसा नाम दे रखा था.
तभी मैने कशिश को सीढ़ियों से उतरते हुए देखा…शायद वो अभी अपने कस्टमर के साथ ही आई थी नीचे. उसने अपने कस्टमर से कहा-बाइ जानू, दोबारा आना. और वो भी चाची के पास आ गयी. चाची ने उसको कुछ पेपर पे सील लगाकर कहा ‘1स्टक्लॅस’. वो बूढ़ी औरत जो यहाँ की देख-रेख करती थी, वो दरवाज़े पर ही उस लड़के को पकड़ ली जो अभी कशिश के पास से होकर गया था और उसे कह रही थी- अरे मेरी टिप दिए बिना ही चले जाओगे. तब उस लड़के ने उसे टिप दी और कहा अब तो जाने दो मुझे. तो उस बूढ़ी औरत ने दरवाज़ा खोलकर उसे जाने दिया.
चाची ने मुझसे कहा- क्या तुम शुरू करने के लिए तैयार हो ?
मैने इधर-उधर नज़र डाली और जैसे ही सामने रखे दर्पण पर नज़र गयी तो उसमे मुझे अपनी छवि दिखी, अपनी गदराई हुई काया देख कर मेरा मनोभाव बढ़ गया. मैने मन ही मन अपने आपको सलामी दे दी.
चाची ने मुझे देख कर बोला- अभी या बाद मे करोगी ?
मैं बोली- बाद मे शुरू करने से तो अच्छा है कि अभी शुरू की जाए. वैसे भी अभ्यास करने से ही तो मैं परिपूर्ण होंगी.
चाची ने हस्ते हुए मुझे शाबाशी दी और मुझे आगे लेकर चल पड़ी. हॉल के बीच मे खड़े होकर उन्होने कहा- तो पेश है आप सब के सामने बिल्कुल एक ताज़ी कली. कामिनी, अपनी मादक अदाओ से सबको मदहोश करने वाली, अपनी लहराती हुई गान्ड से सबको ललचा देने वाली!
चाची ऐसा कहते हुए मुझे लेकर एक चक्कर ही लगा रही थी के वहाँ मौजूद एक लड़के ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला- चलो कामिनी, आज मेरा दिल बहलाओ! और चाची ने मुझे उसके साथ जाने का इशारा कर दिया.
मैं उसे लेकर अपने रूम मे ले जा रही थी. मेरे बाजू वाली रूम मे से कांता किसी को फिर से आना कहकर उसे नीचे ले जा रही थी.
मैने अपने रूम का दरवाज़ा खोला और उस लड़के वो लेकर अंदर पलंग पर ले आई. और अपना गाउन उतारने लगी, वो लड़का भी अपने कपड़े उतारने लगा. मेरे कपड़े उतारते ही उसकी सीधी नज़र मेरी योनि पर गयी. मेरी योनि पर हल्के-हल्के बॉल थे.
वो मेरे पास आकर सीधे मेरे स्तनो को चूमने-मसालने लगा. मैं उसे बोली- रूको, पहले बेसिन के पास चलो. और उसे खीचकर बेसिन के पास ले गयी. उसके लंड को अच्छे से धोकर मैं उसके लंड का निरीक्षण करने लगी जैसा की चाची ने मुझे बताया था. और वो एक हाथ से मेरी गान्ड सहला रहा था.
मैं बोली-तुम्हे कोई बीमारी तो नही है ?
वो बोला- नही!
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08-18-2017, 10:51 AM,
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RE: Sex Kahani एक वेश्या की कहानी
उसके मूह से ऐसी बातें सुनकर मुझे भी जोश आने लगा गया था. पर मैने अपने को कंट्रोल मे रखकर कहा तुझे जो चाहिए था तुझे वो दे रही हू. मैं एक वेश्या हू तेरी बीवी नही जो तुझे हर मज़ा दू.
वो मेरी योनि को खूब चूस रहा था.
उसने अपना लंड मेरी योनि पर रख उसे रगड़ने लगा.मैंन उसे कोई भाव नही दे रही थी जैसे मेरे अंदर जान ही ना हो.
उसने मेरी योनि के दरवाज़े पर अपना लंड रख कर खूब ज़ोरदार धक्का दिया.उसका आधा लंड मेरी योनि के अंदर चला गया.मैं दर्द से हल्का सा सिसकी और फिर अपने को काबू मे कर लिया.
उसने एक और धक्का मारा और उसका पूरा लंड मेरे अंदर चला गया. मैंन चीख पड़ी,दर्द से मेरा हाल खराब हुआ जा रहा था.
उसने फिर अपना लंड अंदर बाहर करना चालू कर दिया,थोड़ी देर बाद मेरा दर्द गायब हो गया पर मैं अभी तक काबू मे थी और अपनी सिगरेट पी रही थी.
करीब 30 मिनिट और चोदने के बाद वो बोला '' मैंन झड़ने वाला हूँ......मैने इशारे से उसे बाहर निकालने को कहा और उसने अपना लंड मेरी योनि से निकाल कर मेरे पेट में डाल दिया और अपना सारा पानी भी मेरे पेट मे ही गिरा दिया.
उसके झड़ने के बाद मैने एक बेल बजा दी और उसका समय ख़तम हो गया.
मैने खुश थी क्यूंकी मैने अपने आप पर कंट्रोल करना सीख लिया था जो मेरे लिया यहाँ बहुत ज़रूरी था.
इसके बाद तो मैने उस रोज ही 10 कस्टमर्स को आराम से ले लिया. उस दिन मैं वहाँ की सबसे ज़्यादा कमाऊ वेश्या बन चुकी थी.
चाची भी मुझसे खुश थी और कस्टमर्स तो मेरे लिए मारा-मारी कर रहे थे. पर अब मेरी हालत खराब हो चुकी थी. मैं पूरी तरह से नीढाल हो चुकी थी.
मैने अपने पैसे चाची के पास जमा कराए और कहा- चाची आज बस करो, अब मेरी हालत नही है, अब मैं और नही कर सकती.
चाची ने मुझसे कहा- के ये एक कस्टमर है सिर्फ़ तुम्हारे ही साथ जाना चाहता है और किसी के साथ नही जा रहा है, अच्छा पैसे वाला भी है. इसके साथ आख़िरी बार हो आओ और चाची ने मुझे उसके साथ भेज दिया.
मैं भी लड़खड़ाते हुए उसके साथ चल दी.........................उस दिन पूरी शाम मेहनत करने के बाद रात को मैं बुरी तरह थक चुकी थी. बिस्तर पर पड़े हुए अपने गाउन पहने मैं अपनी आज के टिप की कमाई गिन रही थी.
30,31……39……वाउ…..लगभग र्स.50,000…..वाह राधा, क्या बात है…..ओह सॉरी ये तो कामिनी का काम है, मैं अपने आप से बोली…..और हंस पड़ी…..हा.हा.हा….
सारे पैसो को मैं संभाल कर अलमारी के ड्रॉयर मे रख दी और जमहाई…लेते हुए वापस बिस्तर पर आ गयी….अब मुझे नींद अपने आगोश मे लेने को तैयार थी.
तभी स्वीटी मेरे रूम का दरवाज़ा खोलकर अंदर आ गयी. उसने इस वक़्त पीले रंग का एक गाउन पहन रखा था…जिसके सारे बटन खुले थे और उसके स्तन पूरी तरह से बाहर की ओर लटक रहे थे..
वो बिस्तर पर मेरे पास आकर मेरे गालो पर हाथ लगाते हुए मुझसे बोली- कैसा लग रहा है तुम्हे ?
मैं बोली- मैं इतनी थक गयी हूँ…के ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने मुझ पर से रोड रोलर चलाकर पार कर दिया हो….और उसको एक स्माइल दे दी.
तुमने आज बहुत अक्च्छा काम किया कामिनी…लोग तुम्हारे दीवाने हो गये है…वो तुमको चाहने लगे है..आज तुमने क़ाबिले तारीफ़ काम किया है…
उसने ऐसे कहते हुए मेरे माथे पर हाथ फेरा और फिर चिल्लाते हुए उठ
कर दरवाज़े के पास गयी और चिल्लाई…तुमको तो फीवर हो गया है….सोनिया..जल्दी से थर्मॉमीटर ले कर आओ.
क्रमशः............................
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