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Gandi Kahaniya स्वामी जी का कमाल
स्वामी जी का कमाल
सुभद्रा ( सुबू ) एक 25 साल की बहुत ही सुंदर गड्राई (साइट्ली फाटटीश
)शरीर की औरत है****का पति रामजी देल्ही में होल्सेल का काम करता है.सुबू
पढ़ी लिखी औरत है . लेकिन उसकी आँखों में एक उदासी सी भरी रहती है. एक
ऐसी उदासी जो अधूरी काम वासना की निशानी है. लगता है रामजी उसकी प्यास
नही बुझा पाता.घर में सुबू की छोटी बेहन भी रहती है . उसका रिश्ता रामजी
के छोटे भाई ( मनोज )से पक्का हो चुका है. रश्मि ( सुबू की छोटी बेहन )
कॉलेज में पढ़ती है.सुबू की देवरानी (रीता)भी इसी घर में रहती है मगर आज
कल ग्वालियर में हॉस्टिल में रह कर पढ़ रही है. रामजी के मा बाप गाँव में
रहते हैं.ये तो है परिवार का इंट्रोडक्षन. सुबू की उदासी का कोई अंत नज़र
नहीं आता . चुदाई का मन करता है मगर क्या करे. दिल तो उसका चाहता है की
कहीं से कोई मर्द आए और उसकी प्यास बुझा दे. लगता है सुबू की प्रार्थना
पूरी होने को है. उसकी चूत की प्यास बुझने वाली है. एक दिन एक स्वामी जी-
लगभग 35 साल के गेरूए कपड़े पहने, छोटे छोटे बॉल और छोटी दाढ़ी , गोरा
देहकता रंग, 6 फुट का हॅटा कॅटा जिस्म- सुबू के घर आए, और भिक्षा माँगने
लगे. सुबू बाहर आई और स्वामी जी को प्रणाम कर के जैसे ही नज़र उपर उठाई,
की हैरान रह गयी. स्वामी जी की पर्सनॅलिटी नें उसे मस्त कर दिया. बरबस ही
सोचने लगी – इतना सुंदर शरीर !! ना जाने लंड कैसा होगा. मन ही मन में
उनके लंड की कल्पना करने लगी. उसे अपनी चूत स्वामी जी के लंड से भरी हुई
लगी. बरबस ही उसकी नज़र स्वामी जी के लंड की तरफ उठ गयी. स्वामी जी भाँप
गये की सुंदरी लंड की प्यासी है और इसका मर्द इसे सॅटिस्फाइ नही कर पाता.
वो बोले: स्वामी जी–` देवी कैसी हो, सब कुशल तो है ?` सुबू– `हां स्वामी
जी ठीक ही है.` स्वामी जी — `नहीं देवी ठीक नही, मुझे बताओ, में तुम्हारी
समस्या दूर करने की कोशिश करूँगा.` सुबू –` नहीं स्वामी जी कुछ नही.`
कहने को तो सुबू ने कह दिया मगर मन में सोच रही थी के काश कुछ ऐसा हो जाए
की स्वामी जी आज उसकी चोद चोद कर मन की मुराद पूरी कर दें. स्वामी जी भी
समझ गये की ये औरत लंड की प्यासी है मगर दिल की इच्छा बताने में शर्मा
रही है . सोचने लगे उन्हें ही पहल करनी पड़ेगी. बोले ` देवी घर में कोई
नही ? सेठ जी दिखाई नही दे रहे.` सुबू — `स्वामी जी वो तो दुकान पर गये
हैं रात को ही आएगे. उनहें अपने काम से समय नही मिलता.` स्वामी जी —
`अच्छा ये बात है, ये तो ग़लत है, ` शरारत से बोले,` घर में इतनी सुंदर
पत्नी और उनके पास घर के लिए समय नही ? तुम कहो तो में कोई साधन करूँ की
सेठ जी तुम्हारे आगे पीछे घूमने लगें.` सुबू –` उससे क्या होगा स्वामी
जी` यह कहते हुए सुबू नें आँखे दूसरी तरफ कर ली. स्वामी जी समझ गये की
माजरा सिर्फ़ चुदाई का ही नही है बलके लंड का भी है. सेठ का लंड भी इसकी
चूत में समाता नही है. अब स्वामी जी मूड मे आ गये. बोले: ` देवी अशांत
दिखती हो कहो तो तुम्हारी शान्ती के लिए प्रयास करूँ ? क्या अंदर नही
बुलाओगी ? ` अब सुबू को महसूस हुआ कि लंड के ध्यान में वो अभी तक दरवाज़े
पर ही खड़े हैं.बोली `हां हां स्वामी जी आईए ` अंदर आ कर स्वामी जी ने
इधर उधर नज़र घुमाई और पूछा ` घर में कोई नही है ………स्वामी जी ने इधर उधर
देखा और पूछा ` घर में कोई नहीं है क्या?` सुबू नें कहा, ` काम वालियाँ
सुबह शाम आती हैं और मेरी बेहन जो कॉलेज में पढ़ती है कॉलेज के बाद अपनी
फ्रेंड के साथ चली जाती है. वहाँ से होम वर्क कर के 6 6.30 बजे आती है.`
स्वामी जी समझ गये की मामला सॉफ है और चुदाई हो सकती है.बोले ,` तो फिर
हम तुम्हारी समस्या के समाधान के लिए अनुष्ठान कर सकते हैं.` सुबू –`
जैसा आप ठीक जाने` स्वामी जी –`तो ठीक है, में तुम्हें बता दूँ की में
तुम्हें सम्मोहित करूँगा और तुम्हारी समस्या का हल ढूँढने की कोशिश
करूँगा. सम्मोहित का अर्थ जानती हो ना? तुम्हे पूरा समर्पण करना होगा, और
में तुमसे कुछ पूछूँगा और तुम्हें उसके सच्चे जवाब देने होंगे` सुबू —
`ठीक है स्वामी जी, अगर इस से मेरी समस्या का हल होता है तो मुझे कोई
ऐतराज़ नही है` स्वामी जी — `तो चलो शुरू करते है` ये कहा कर स्वामी जी
ने सुबू को आँखे बंद करने को कहा और कुछ बुदबुदाने लगे`.अचानक वो बोले,`
देवी तुम्हारी समस्या मेरी समझ में आ गयी है. तुम अब आँखें बंद कर लो.
सोचो की तुम शून्य ( ज़ीरो) हो तुम्हारा जो भी अस्तित्वा है वो मुझ से
है. तुम मुझ में हो. हम दोनो एक हैं. क्या तुम मुझे सुन रही ही ?` सुबू `
हां स्वामी जी` स्वामी जी –` क्या तुम समझ रही हो में क्या कह रहा हूँ.`
सुबू — `हां स्वामी जी ` स्वामी जी –` ठीक है, अब अपना ध्यान अपनी समस्या
पर लगाओ.` इतना सुनते ही सुबू के सामने स्वामी जी का शरीर और लंड घूम
गया.` स्वामी जी –`क्या तुम अपनी समस्या को समझ सकती हो?` सबु — `हां
स्वामी जी.` स्वामी जी –` क्या ये तुम्हारे पति से संबंधित है?` –`हां
स्वामी जी` –`क्या ये सेक्स से संबधित है?` –………. ….. –`बोलो देवी` (देवी
मीन'स विमन) –………. ….. –`बोलो देवी` –………. ….. –`अगर तुम बोलॉगी नहीं तो
समस्या का हल नहीं होगा` –………. …. –`बोलो देवी बोलो.` – `हां स्वामी जी.`
–`क्या सेक्स नहीं करते` –………. …. –अब स्वामी जी ने ट्रंप कार्ड खेलने का
फ़ैसला कर लिया-`क्या चुदाई नहीं करते?` –………. … –`बोलो देवी क्या वो
तुम्हें चोद्ते नहीं?` –`हूंम्म्ममम. ….` –` यानी चोद्ते तो हैं`
–हूंम्म्मममम. …` –` –`सॅटिस्फाइ नहीं कर सकते?` –`हूंम्म्ममम. ..`
स्वामी जी समझ गये की लोहार की चोट करने का वक़्त आ गया है. बोले ` ठीक
है देवी. स्वामीजी समझ गये की मामला फिट करने का वक़्त आ गया है. वो
बोले,`देवी चुदवाने की इच्छा रखती हो?` सुबू –`ह्म्म्म्मम..` स्वामी जी
–`ठीक है अपना हाथ बढ़ाओ.`सम्मोहित सुबू नें अपने हाथ बढ़ा दिए. स्वामी
जी नें अपने हाथ मे उसके हाथ पकड़े और मसल्ने लगे.सुबू मस्ती में आने
लगी. उसकी साँस ज़ोर ज़ोर से चलने लगीसुबूने स्वामी जी का हाथ पकड़
लिया.थोड़ी देर के बाद स्वामी जी समझ गये की औरत मस्ती में है. उन्होंने
सुबू के हाथ में अपना फफनता लंड पकड़ा दिया. सुबू ने स्वामी का 8″ का 3″
गोलाई का लंड हाथ में कस लिया जैसे कहीं भाग ना जाए.सुबू की साँसे ज़ोर
ज़ोर से चलने लगी. स्वामी जी सुबू हाथ पकड़ कर खड़े हो गये, और पूछा, "
क्यों देवी अच्छा लग रहा है?` सुबू केवल हुंकार भर कर रह गयी. स्वामी जी
बोले,` देवी अंदर लोगि ?` सुबू –`जैसा आप ठीक समझे." स्वामी जी समझ गये
की अब लंड चूत में डाल देना चाहिए. स्वामी जी नें सुबू को बेड पर लिटा
दिया, और उसकी सारी उतार दी. सुबू की चूत बिल्कुल नवेली लग रही थी. चूत
के पल्लों को देख कर ऐसा लगता था की कभी चुदाई हुई ही नहीं. धीरे धीरे
स्वामीजी ने सुबू का ब्लाउस और ब्रा भी निकाल दी. सुबू आँखें बंद कर के
केवल कसमसाती रही. अब वो इंतज़ार में थी की कब स्वामी जी का बेलन उसकी
चूत में जाता है. वो डर भी रही थी की कहीं चूत का कचरा ही ना हो जाए.
स्वामी जी ने उसके होंठ चूसना शुरू कर दिए. सुबू भी पूरा साथ दे रही
थी.स्वामी जी सुबू की चूचियाँ दबाने लगे. कुछ ही देर में स्वामीजी नें
सुबू की चूचियाँ चूसनी शुरू कर दी. सुबू की चूत पानी छोड़ने लगी. स्वामी
जी ने एक हाथ से चूत को सहलाना शुरू कर दिया. सुबू की बुरी हालत थी. अब
रहा नहीं जा रहा था. उसने सोचा अब सम्मोहन की आक्टिंग बंद कर देनी चाहिए
और खुल कर चुदाई का मज़ा लेना चाहिए. सुबू नें आँखें खोली और स्वामी जी
से कहा,` अब डाल भी दीजिए ना` स्वामी जी नें सर उठाया और मुस्कुराए. वो
भी तो आक्टिंग ही कर रहे थे. `हां देवी…….. ..`
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RE: Gandi Kahaniya स्वामी जी का कमाल
सुबू बीच में ही रोक कर
बोली,` अब बस भी करिए स्वामी जी, मुझे सुबू बुलाए , पर में आप का लंड एक
बार फिर चूसना चाहती हूँ. ` स्वामी जी –` हां लो`. कह कर स्वामी जी ने
लंड उसके मुँह में डाल दिया. सुबू ऐसे लग रह था की सुबू पूरा लंड खा लेना
चाहती थी. स्वामी जी नें भे ऐसी चुसाइ नहीं करवाई थी. सुबू अपनी जीभ लंड
के सूर्ख पर रगड़ रही थी जिस-से स्वामी जी पागल हो रहे थे . स्वामी जी का
लंड अब 9″ का हो चला था स्वामी जी कोलगा अगर अब चूत में ना डाला गया तो
फॅट जाएगा. उन्हों-ने धीरे से लंड सुबू के मुँह में से निकाला और उसे
लिटा दिया. उसकी गांद के नीचे फ्सी तकिया रख दिया.सोबू की चूत एक तकिये
से ही उपर आ गयी. सुबू की चूत उपरी चूत थी.दूसरी तरहा की चूत नीचे की चूत
होती है . ऐसी चूत के नीचे बड़े तकिये रखने पड़ते हैं. नीचे की चूत को
पीछे से चोदने का ज़्यादा मज़ा आता है. खैर स्वामी जी नें सुबू की टाँगें
उठाई और लंड चूत के उपर रखा. सुबू मस्त हो चुकी थी ,बोली` स्वामी जी इतना
मोटा लंड है , मेरी चूत फॅट तो नहीं जाएगी?` ऐसा लग रहा था जैसे उसकी
आवाज़ बड़ी दूर से आ रही है. स्वामी जी बोले,` चिंता ना करो रानी, अगर
हमारे चोदने से चूत फॅट गयी तो बात ही क्या . चूत फटी है अनाड़ी के चोदने
से जो सबर से नहीं चोद्ते.` सुबू — `तो फिर डाल दो ना, अब और नहीं रहा
जाता . ना जाने कितनी बार ऐसे लंड का सपना देखा है, आज सामने मेरी चूत
में जाने के लिए तैयार है. अब डाल ही दो स्वामी.` यह सुन कर स्वामी जी
नें धीरे से एक धक्का लगाया और लंड का टोपा चूत में घुसेड दिया. सुबू की
चूत स्वामी जी की उम्मीद से ज़्यादा मस्त और टाइट थी. स्वामी जी भी लंबी
लंबी साँसें लेने लगे. थोड़ा और लंड अंदर डाल दिया . अब सुबू को दर्द
हुआ-"आईए, मर गयी रे….स्वामी जी धीरे चोदो दर्द हो रहा है.` मगर स्वामी
जी जानते थे की ये दरद अब मज़े में बदलने वाला है. उन्हों-ने थोड़ा लंड
और डाल दिया.. ` आआआ…… …मर गयी रे स्वामी जी मर जाऊंगी.` स्वामी जी नें
एक धक्का और लगाया और पूरा लंड चूत के अंदर कर दिया सुबू पूरे ज़ोर से
चिल्लाई, ` स्वाअमीइजीई बस मर जाऊंगी , फाड़ डी मेरी, बस करो स्वामीजी.`…
……… स्वामी जी सुबू के चीखने से समझ गये कि, चूत सच में ही कुँवारी है.
उन्हों-ने धक्के लगाने बंद कर दिए और सुबू की ओर देखने लगे. स्वामी जी
लंबी रेस के घोड़े थे, एक ही बार चुदाई कर के माल को हाथ से खोना नहीं
चाहते थे . सुबू दरद से उभर्चूकी थी. मज़ा लेने का मन होने लगा था.
स्वामी जी के धक्के रुकने पर आँखें खोल कर स्वामीजी की तरफ देखा, और
प्यासी आवाज़ में कहा, ` स्वामी जी चोदो ना, धीरे धीरे, बड़ा अच्छा लगता
है, आपका लंड तो मुझे आपकी गुलाम बना देगा. स्वामी जी प्लीज़ चोदो मुझे ,
अब नहीं चीखूँगी. फाड़ दो मेरी चूत, पर चुदाई करो, हाए स्वामी जी आप मुझे
पहले क्यों नहीं मिले, रामजी तो ख़ास्सी है . आप का लंड तो मस्त है चोदो
स्वामी जी चोदो. हमेशा चोद्ते रहना . धक्के लगाओ स्वामी जी , है आप का
लंड है कितना बड़ा है , कितना मोटा है , ऐसा लग रहा है मेरी पूरी चूत आप
के लंड से भर गयी है, आप पहले क्यूँ नहीं आए, स्वामी जी किस बात की
इंतेज़ार कर रहे हो, चोदो, मुझे स्वामी जी प्लीज़…… …` और सुबू बड़बड़ाती
जा रही थी. स्वामी जी खेले खाए थे . जानते थे की ये औरत प्यासी है लेकिन
चूत कुँवारी है. मोटा लंबा लंड नही झेल पाएगी इस लिए धीरे धीरे कर रहे
थे. वो जानते थे की जैसे ही लंड चूत में सेट हो जाएगा, सब कुछ ठीक हो
जाएगा. और वो वक़्त आने वाला था. सुबू लंड ले चुकी थी . उसका दरद कम हो
गया था . अब उसे धक्के चाहिए थे, मस्त और लंबे धक्के. स्वामी जी ने धीरे
धीरे आगे पीछे करना शुरू किए . हर धक्के के साथ सुबू मस्त हो रहे थे.`
हाई स्वामी जी….., क्या ये है चुदाई…., रामजी तो साला नमर्द है……है. ..
और ज़ोर से स्वामीजी …. और थोड़ा …मज़ा आ रहा है…….ऊऊहह. ..क्याआ. ..बात
है ……स्वामीजी आप महान हो….कसम से…..आप महानहो…. ..आह…आह बड़ा अच्छा लग
रहा है. हां हां और अंदर…. आह आह…….स्वामी …स्वामी आह….. खुद भी घुस जाओ
मेरी फुदी में …..आह फाड़ दो स्वामी …ओह स्वामी….ओह और ज़ोर से ….कसम से
…मुझे छोड़ना मत…. आह में तुम्हारी गुलामी करूँगी आह स्वामी
स्वामी….स्वामी आह आह….` स्वामी जी समझ गये की सुबू झड़ने को है.
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RE: Gandi Kahaniya स्वामी जी का कमाल
उन्हों-ने धक्के तेज़ कर दिए, बिल्कुल ऐसे जैसा कुत्ता कुतिया पर चढ़ कर
100 की स्पीड से धक्के लगाता है. स्वामी जी अपनी पूरी मर्दानगी सुबू के
अंडर उडेल देना चाहते थे. उनके धक्कों की रफ़्तार बढ़ती गयी और सुबू के
सिसकारियाँ बढ़ती गयी.`आआह्ह. … मारो मेरी चूत तुम साले स्वामी कहाँ थे….
तुम अब तक….कहाँ थे…. आह….ऊऊहह. … चोदो… फाड़ डालो.. हाआन्न… ईईईई… …
आआआ.आ अगया गयी में हाए स्वामी ये क्या हो रहा है……आह. …आह
स्वायायायामियीयियैयियीयियी. …..स्वायायीययाया मी……एयाया. .
..हबाअस्सस्स. आअहह…. ` चीखने के साथ सुबू ने अपने चूतड़ ज़ोर ज़ोर से
उपर नीचे करने शुरू कर दिए मानो स्वामीजी का रत्ती भर भी लंड बाहर ना
छोड़ना चाहती हो. स्वामी जी को भी मज़ा आ गया . उन्हों-ने धक्कों की
रफ़्तार तेज़ कर दी. अब वो भी बुदबुदाने लगे,` हाई मेरी जान तेरी चूत तो
स्वर्ग का मज़ा दे रही है . साली बड़ा मस्त चुदवाति है तुझे अब कभी नही
छोड़ूँगा. हर हफ्ते तेरी चूत को चोदने आऊंगा.` दोनो ही बोल रहे थे . दोनो
मस्ती में थे , और अचानक लावा फट गया. स्वामीजी के गले से आवाज़ निकली….
आआआहह. …एयाया. …गया… तेरी चूऊऊत में रे एयाया…. गया.` उधर सुबू चिल्ला
रही थी,` आअहह… मर गयी में स्वामी साले मादर्चोद अब तक कहाँ था भोसड़ी
वाले. में तुझ से चुदने के लिए ही तो थी…..आह. ….आह आहह आआआआआ.. …बस
बस….स्वामी बस….बस स्वामी आआहह…बस स्वामी आह स्वामी सवं सवमी.` स्वामी जी
ने पूरा मज़ा ले कर और दे कर अपना लंड बाहर निकाल लिया. कम से कम 50 म्ल
वीरया तो निकला ही होगा. सुबू की चूत से बाहर भी वीर्या निकल रहा था.
स्वामी जी का पूरा लंड भी क्रीम से साना पड़ा था. सुबू तो वीर्य सने लंड
को देख कर मस्त हो गयी. वो चाट कर उसे सॉफ करने लगी. चाट-ते चाट- ते उसे
चूसने लगी. स्वामी जी ने उसका सिर पकड़ कर लंड पर दबा दिया. उनका लंड
खड़ा होने लगा था. सुबू ने फील किया की स्वामी जी फिर से मस्त होने लगे
हैं. उसने और ज़ोर से चुसाइ शुरू कर दी. स्वामी जी का लंड फिर तन गया.
सुबू को अप्नी चूत में खुजली महसूस हुई और वो चूत को खुजलाने लगी. स्वामी
जी बोले` सुबू यह काम तुम्हारा नही मुझे खुजलाने दो.` स्वामी जी की नियत
जान कर सुबू बोली,` अभी तो चोद कर हटे हो स्वामी जी अब क्या फाड़ ही
डालोगे.`स्वामी जी ने शरारत से कहा ,` फटनी होती तो फॅट गयी होती, अब तो
मस्त चोदने का टाइम है. सुबू अब में तुझे पीछे से चोदुन्गा. पीछे से
चुदाई का ज़्यादा मज़ा आता है. सही में चुदाई का असली और नॅचुरल तरीका तो
पीछे से ही चूत मारने क़ा है स्वामी जी नें सुबू को घुमा कर उसकी पीठ
अपन्नी तरफ कर ली सुबूकी नंगी बाहों के नीचे से हाथ डाल कर उसकी चूचियाँ
पकड़ कर उन्हें दबाना शुरू कर दिया. सुबू मस्त थी. पूरा स्मर्पण करते हुए
उसने अपना सर पीछे झुकाया और स्वामी जी की तरफ देखा. स्वामी जी उसकी
सेक्सी गुलाबी आँखों को देख कर मस्त हो गये. उन्होंने झुक कर सुबू के
होंठ अपने होंठो में ले लिए और चूसने लगे. सुबू ने अपने होंठ खोल दिए.
स्वामी जी नें अपनी जीभ सुबू के मुँह मे डाल दी और घूमने लगे. दोनो की
मस्ती बढ़ गयी. अब औ रहा नहीं जा रहा था . स्वामी जी नें सुबू को बेड के
कॉर्नर पर घुटनों और कुहनियों के बल लिटा दिया. सुबू के कंधों को नीचे
झुका दिया और गांद उपेर उठा दी. सुबू की चूत टाँगों के बीच से दिखाई देने
लगी. नज़ारा सेक्सी था. सुबू अभी अभी चुद कर हटी थी. स्वामीजी का वीर्य
चूत केआस पास लगा हुआ था . मोटे लंड के कारण चूत की फाँकें कुछ फैल गयी
थी और एक गुलाबी लाइन सी दिखाई दे रही थी. सुबू अपने चूतड़ ऊपेर नीचे
करने लगी. स्वामीजी समझ गये कि वो लंड लेना चाहती है. स्वामीजी नें लंड
सुबू की चूत पर रखा और एक ही बार में धीरे से अंडर घुसेड दिया.सुबू के
मुँह से एक सिसकारी निकली, दर्द की नहीं ,मस्ती और मज़े की.स्वामी जी नें
लंड को अंडर बाहर करना शुरू कर दिया.पीछे से चुदाई में लंड पूरा अंडर जा
रहा था सुबू सोच रही थी स्वामीजी ठीक ही कह रहे थे की पीछे सेचुदाई का
मज़ा ही अलग है . सच ही था. सुबू चुदाई के साथ सोच रही थी की कैसे
स्वामीजी को कहा जाए की जल्दी जल्दी आ कर चुदाई किया करें. सुबू अपनी
बेहन रश्मि- जो उसकी देवरानी बन-ने वाली थी, को भी स्वामीजी से चुदाई का
मज़ा दिलवाना चाहती थी. वो जानती थी की उसका देवर मनोज भी रामजी की तरहा
ख़ास्सी है और रश्मि को नहीं चोद पाएगा. अचानक सुबू का ध्यान टूटा.
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08-29-2018, 09:08 PM,
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RE: Gandi Kahaniya स्वामी जी का कमाल
स्वामी जी का कमाल--2 .
सुबू की बेहन रश्मि की चुदाई सुबू स्वामीजी से अलग हुई और कपड़े पहनने
लगी. स्वामीजी ने भी कपड़े पहन लिए. सुबू अंदर गयी और 5000 रुपये ले कर
आई और स्वामीजी को देने लगी, `स्वामीजी , ये लीजीए मेरी तरफ से भेंट.` `
ये क्या है?` `स्वामीजी आप ने मेरी इतनी अच्छी चुदाई की, आप इसे ले
लीजिए` `नहीं सुबू, में चुदाई के पैसे नहीं लेता, और ना मुझे इनकी ज़रूरत
है. हमारे आश्रम के पास बहुत पैसा है. हां अगर तुम इच्छा रखती हो तो में
1000 रुपये रख लेता हूँ , क्यों की हम इस शहर में भी आश्रम खोल रहे हैं.`
` ठीक है स्वामीजी, फिर आप बैठिए, में आप के लिए खाना बनाती हूँ`. `ठीक
है ` कह कर स्वामी जी बैठ गये. सुबू दूध भरा गिलास और ड्राइ फ्रूट लाई और
हंस कर बोली, `स्वामीजी आप ने बहुत मेहनत की है ये पीलीजिए, तब में खाना
बनाती हूँ`स्वामीजी भी हँसने लगे. खाना ख़तम हो गया. सुबू और स्वामी जी
सोफा पर बैठ गये.सुबू नें पूछा, ` अब कब आओगे स्वामी जी ?` `जब तुम
बुलाओ` ` मेरा क्या में तो कहती हों जाओ ही मत, दिन रात मुझेचोद्ते रहो`
`नहीं, पर तुम जब कहो में आ जाऊँगा` `जल्दी से जल्दी कब आ सकते हैं` सुबू
की आँखों के सामने स्वामीजी का लंड घूमने लगा. `ठीक है आज मँगवार है अगले
मंगलवार को आऊंगा` वो बातें कर ही रहे थे की रश्मि आ गयी. स्वामीजी को
देख कर वो रुक गयी. सुबू ने दोनो का परिचाए करवाया,` स्वामीजी ये मेरी
बेहन रश्मि है, रस्मी ये स्वामीजी हें प्रणाम करो`. रश्मि नें प्रणाम
किया और बोली,` दीदी में ज़रा फ्रेश हो लूँ`. ` सुबू बोली ठीक है जा.
स्वामीजी भी जाने वाले हें` रस्मी चली गयी. स्वामी जी नें पूछा, `सुबू
तुम इस लड़की की चुदाई की बात कर रही थी?` ` हां स्वामीजी`. `मगर क्यूँ,
ये तो कुँवारी है. मेने तुम्हें चोदा है इसका मतलब ये नही की में कुँवारी
लड़कियों की ज़िंदगी बर्बाद करूँ. चुदाई मेरा पेशा नहीं है. में केवल
उनें ही चोद्ता हूँ जो अपने विवाहित जीवन से निराश होती हैं. इसे
चोदुन्गा तो इसकी सील टूट जाएगी चूत खुल जाएगी. ये इसके पति के साथ धोका
होगा ` स्वामीजी में आपकी भावनाओं की कदर करती हूँ मगर ये मेरी बेहन मेरी
देवरानी बन-ने वाली है और मेरा देवर मनोज भी मेरे पति रामजी की तरहा
नमार्द है. जहाँ तक सील का स्वाल है उसका लंड तो सील तक पहुचेगा भी नहीं
फिर जब मेरी तरहा कल भी चुदाई बाहर से ही करवानी है तो आज ही क्यों
नहीं.आआप परेशान ना हों और अगली बार इसकी भी चुदाई करें.` `अगर ये बात है
तो ठीक है, में अपने एक चेले को भी ले कर आऊंगा. मगर एक बात बताओ, तुम्हे
कैसे मालूम की मनोज भी नमार्द है, क्या उस-से भी चुदाई करवाई थी` `हाँ
स्वामीजी, जब रामजी मेरी प्यास नहें बुझा सका तो मेने मनोज को फँसाया, पर
वो भादुआ तो रामजी से भी बेकार निकला.` ` तो फिर तुम रश्मि की शादी इस-से
क्यों करवा रही हो` ` स्वामीजी जी , ये मेरे सामने रहेगी तो दिल को
तस्सली रहेगी. अगर कहीं और शादी हो गयी और भी कोई नमार्द ही मिल गया तो
क्या होगा . अपनी हालत देख कर मन डरने लगा है. बस अब आप हम दोनो बहनों को
चोद्ते रहिए` `ठीक है तो फिर अगले मंगलवार को अपने चेले के साथ आता हूँ.
` फिर धीरे से बोले, ` मेरा चेला तुम्हारे लिए एक सर्प्राइज़ होगा`. सुबू
कुछ समझी नहीं. स्वामीजी चले गये. रश्मि बाहर आई, ` क्या स्वामीजी चले
गये दीदी?` ` दीदी एक बात पूछूँ, आज बड़ी खुश लग रही हो क्या बात है?`
सुबू शरमाई, `नही बस ऐसे ही`. `नही दीदी कुछ तो है , बताओ ना`. ` अरी कुछ
नहीं, अच्छा एक बात तो बता, कॉलेज में तेरा कोई बाय्फ्रेंड है?` रश्मि
हैरान हो गयी. दीदी नें कभी उस-से ऐसी बात नही की थी.बोली,` नहीं दीदी."
` पर आज कल तो सब लड़कियों के बॉय फ्रेंड्स होते हैं` ` हां पर मेरी शादी
भी तो तय हो गयी है` ये कहते हुए वो कुछ उदास हो गयी. वो मनोज और रामजी
जीजा जी के बारे में जानती और समझती थी. ` रश्मि, में जानती हूँ तू क्या
सोच रही है. तेरे जीजा जी में मर्दानगी की कमी है और मनोज भी ऐसा ही है.
फिर भी में तुम दोनो की शादी करवा रही हूँ. रश्मि में ये इस लिए कर रही
हूँ की इस-से तुम मेरे पास तो रहोगी. कहीं दूसरी जगहा भी ऐसा आदमी मिल
गया तो क्या होगा? या तो फिर तुम ही अपने लिए कोई ढूंड लो जो पूरा मर्द
हो. मगर एक बात है यहाँ ढेर सारा पैसा और आज़ादी है , कोई रोक टोक नही.
अगर थोड़ा सोच समझ कर चलें तो सब ठीक हो सकता है. आ इधर मेरे पास आ. तू
कह रही थी ना की आज में बहुत खुश हूँ, हां ये सच है, आज में खुश हूँ. तू
मेरी बेहन ही नहीं मेरी सहेली भी है. हम दोनो एक ही नाव के सवार हें. हमे
एक दूसरे का राज़दार भी बन-ना है. ये जो स्वामी जी आए थे, ये आज मुझे दो
बार चोद कर गये हैं. मेरी तस्सली हो गयी है. अगले मंगलवार को फिर आएँगे
और साथ इनका एक चेला भी होगा. अगली बार में चाहती हूं की तू भी चुदाई
करवा और मज़ा ले.` `मगर दीदी…….. .` `नहिएं रश्मि, में तड़पति रही हूँ
सेक्स के लिए, में तुझे तड़पने नहीं दूँगी.` ये कह कर सुबू नें रश्मि को
बाहों में ले लिया, और अंजाने ही उसके होंठ चूसने लगी……. ………
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08-29-2018, 09:08 PM,
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RE: Gandi Kahaniya स्वामी जी का कमाल
सुबू और
रश्मि देर तक एक दूसरे से लिपटी रही.अलग हुई तो दोनो की आँखें गुलाबी हो
रही थी. दोनो कामुक थी, और चूत गीली हो रही थी.सुबू को तो फिर स्वामीजी
की याद आ गयी. चूत फिर लंड माँगनें लगी. बड़ी मुश्किल से अपने मन पर काबू
किया. रश्मि को एक बार फिर चूमा और पूछा,` रश्मि सच सच बताओ, तुमने कभी
चूत नही चुदवाइ?` ` नहीं दीदी, सच`. `कभी दिल नहीं करता था ?` ` दिल तो
करता था, पर मेरी सहेली रेखा और में मूली चूत में डाल कर मज़ा लेती थी.`
`मूलीइीईई, ` सुबू हैरानी से चिल्लाई और हँसने लगी, `मेने सुना था की
जवान लड़किया केला चूत में लेती हैं या आजकल रब्बर या प्लास्टिक के लंड
मिलते हैं, पर ये मूली ? में कुछ समझी नही इसका मतलब है कुछ भी डाल लो
चूत में, लौकी, तौरई…कुछ भी? `अर्रे दीदी, ये कोइमामूली मूली नही होती,
इसे स्पेशल बनाया जाता है` `स्पेशल बनाया जाता है, वो कैसे?` `देखो दीदी,
पहले तो अपनी चूत के साइज़ के अनुसार मूली मूली सेलेक्ट कर लो. फिर इसे
7-8 दिन के लिए कहीं रख दो. 7-8 दिन के बाद ये नरम हो जाएगी- बिल्कुल लंड
की तरहा नरम और फ्लेक्सिबल- चूत को ना दुखाने वाली. बस मूली लंड तैयार
है. क्रीम लगाओ और जितना चाहे अंदर लो और जैसे चाहे चोदो.` `कमाल है, तू
कितनी बड़ी मूली लेती है ?` रश्मि नें हाथ से गोलाई और लंबाई बताई. सुबू
नें देखा, मूली का लंड स्वामीजी के लंड बहुत छोटा था. सुबू को तस्सली हुई
की रश्मि अभी चुड़दक़्कड़ नही हुई थी और स्वामी के लंड का पूरा मज़ा
लेगी. बोली, ` बस इतना ही.` `हां दीदी,में तो इतना ही लेती थी, पर रेखा
काफ़ी बड़ी मूली लेती थी.` फिर शरारत से बोली,` दीदी आप भी ले कर देखो ना
कभी.` `हॅट, तू भी एक बार स्वामीजी से चुद जा, मूली भूल जाएगी.` दोनो
बहनें हँसनें लगी. दिन बीत गये . मंगलवार आ गया. सुभह से ही सुबू स्वामी
जी का इंतेज़ार कर रही थी. 11 बजे डोरबेल बजी. सुबू भागी और दरवाजा खोला.
स्वामी जी ही थे. अपने चेले के साथ.चेला भी गुरु की तरह मस्त था. गोरा
लंबा, लेकिन क्लीन शेव. सुबू सोचने लगी रश्मि की चुदाई मस्त होगी. `आइए
स्वामी जी स्वागत है.` स्वामी जी अंदर आए और सोफा पर बैठ गये, और बोले `
सुबू ये है हमारा चेला. हम डाल है तो ये पात. हम से दो कदम आगे.` सुबू
शर्मा गयी, और चेले की तरफ देख भी नहीं सकी. स्वामी जी बोले, ` सुबू,
वक़्त कम है, क्या कहती हो. रश्मि घर में है क्या ?` `हाँ स्वामीजी` ` तो
फिर देर किस बात की है.` `वो शर्मा रही है स्वामीजी` `ओह तो फिर में जा
कर लाता हूँ`. `नहीं स्वामी जी में जाती हूँ और ले कर आती हूँ.` सुबू
अंदर गयी और कुछ देर बाद रश्मि के साथ वापस आ गयी……. सुबू रश्मि को ले कर
आ गयी. स्वामी जी नें अपने पास जगह बनाते हुए कहा, ` आओ रश्मि मेरे पास
बैठो.` रश्मि शरमाती शरमाती स्वामी जी के पास बैठ गयी. स्वामी जी बोले, `
रश्मि एक बात बताओ, क्या सुबू नें तुम्हें कुछ समझाया है, तुम समझ रही हो
ना.` रश्मि नें हां में सर हिलाया. स्वामी जी बोले, ` तो फिर शरम का परदा
उतार दो और पूरा मज़ा लो. क्या तुम तैयार हो रश्मि? में बार बार इस लिए
पूछ रहा हूंकि में किसी लड़की पर कोई ज़ोर ज़बदस्ती नही करता, बोलो
रश्मि.` रश्मि नें स्वामीजी के तरफ देखा और हां में सर हिला दिया.
स्वामीजी बोले, `तो ठीक है सुबू हमे सॉफ सॉफ बात करने चाहिए. में रश्मि
को चोदुन्गा और ये मेरा चेला तुम्हारी चुदाई करेगा.` सुबू को अच्छा नहीं
लगा. वो तो स्वामीजी का लंड लेना चाहती थी. स्वामीजी उसके चेहरे के भाव
पढ़ गये," सुबू चिंता मत करो, ये हमारा चेला चुदाई में हमारा गुरु है.
मेने तुम्हें कहा था ना की में तुम्हारे लिए सर्प्राइज़ लाऊंगा, ये है वो
सर्प्राइज़. दूसरी बात ये जवान है नातुज़रबेकार है रश्मि अभी नयी है , ये
उसकी चूत को नुकसान पहुँचा सकता है. रश्मि को मुझे ही चोदने दो. और एक
बात, इसका लंड ले कर तुम मेरा लंड भूल जाओगी.` सुबू अनमने मॅन से बोली,`
स्वामीजी में आपके लंड को भूलना नहीं चाहती, पर आप कहते हेँ तो ठीक है.
मगर स्वामीजी आप दोनो हम दोनो को यहीं चोदोगे?` स्वामी जी बोले ,` यहीं
ठीक रहेगा , अपनी चुदाई के साथ दूसरे की भी चुदाई देखो`. ये कह कर
उन्हों-ने सुबू को बाहों में भर कर चूम लिया और चेले से बोले, `लो
नारायण, इनकी कामाग्नि को शांत करो`.और खुद उन्होंने रश्मि को बाहों मे
ले लिया. स्वामीजी नें रश्मि के और नारायण नें सुबू के कपड़े उतार दिए.
दोनो उन्हें बेतहाशा चूमने लगे. दोनो औरतें गरम हो गयी.सुबू नें तो
नारारण का लंड हाथ में लिया और उसे एकदम शॉक लगा. स्वामी जी का लंड देखने
के बाद वो सोच रही थी की इस-से बड़ा लंड हो ही नहीं सकता, पर ये…..ये तो
गधे के लंड जैसा था. स्वामीजी ठीक ही कह रहे थे , ये लंड रश्मि की
कुँवारी चूत को फाड़ सकता था.सुबू से रहा नहीं गया. वो जल्दी से जल्दी
नारायण का लंड देखना चाहती थी. उसने नारायण के कपड़े उतार दिए. नारायण का
लंड ऐसे था मानो संसार मे नारायण का लंडसिर्फ़ एक बड़ा लंड है. सुबू नें
एक नज़र स्वामी जी की तरफ डाली. दोनो की नज़रा टकराई. सुबू की आखों में
ऐसा लंड देने के लिए स्वामीजी के लिए आभार था. स्वामी जी मुस्कुराए और
रश्मि को गरम करने में जुट गये. रश्मि नें जब स्वामीजी का लंड देखा तो
घबरा गयी. उसने सुबू की तरफ देखा मगर वो नारायण के साथ मस्त थी.
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08-29-2018, 09:09 PM,
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RE: Gandi Kahaniya स्वामी जी का कमाल
स्वामीजी
रश्मि की उलझन को समझ गये. बोले ` रश्मि घबराओ मत. में तुम्हारी चूत में
उतना ही लंड डालूँगा जितना तुम ले सकोगी. अब शरम उतार दो और मस्ती करो.
देखो सुबू कैसी मस्ती कर रही है.` रश्मि नें उधर देखा. सुबू नारायण का
लंड अपने मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी, मगर इतना मोटा लंड मुँह में
समा नही रहा था. रश्मि सोचने लगी अगर ये लंड मुँह में नही जा रहा तो चूत
में कैसे जाएगा. जब रश्मि की ख्याल टूटा तो देखा की स्वामीजी अपना लंड
उसके मुँह के पास ले आए है. रश्मि नें सोचा जब चुदवाना ही है तो फिर शर्म
कर क्या फाय्दा. स्वामीजी सही कह रहे थे . रश्मि ने स्वामी जी का लंड
मुँह मे ले कर चूसना शुरू कर दिया. पहली बार लंड मुँह में गया था, रश्मि
तो निहाल हो गयी. उसे मालूम नही था कि लंड की चुसाइ इतनी मस्त होती
है.रस्मी ज़ोर ज़ोर से लंड चूसने लगी. स्वामीजी मस्ती में आ गये. रश्मि
को लिटा कर उसकी चूत चूसने लगे. उधर सुबू के मुँह में नारायण का लंड समा
नही रहा था. मगर वो इस जंबो लंड को अपनी चूत में महसूस कर रही थीसुबूने
लंड चूसना बंद किया और प्यासी नज़रों से नारायण को देखा. नारायण समझ गया
की सुबू अंदर लेना चाहती है. अब तक नारायण शांत था. जैसे ही चुदाई का
टाइम आया वो जानवर बन गया. सुबू की टाँगें उठा कर उसने अपनें कंधों पर रख
दी और एक ही झटके में लंड सुबू की चूत में घुसेड दिया. सुबू को लगा की
कोई अंगारा उसकी चूत में चला गया हो. वो ज़ोर से चीखी, `हाई में मर गयी ,
स्वामीजी मुझे बचाओ इस-से, इसने मेरी चूत का कबाड़ा कर दिया, ये किस को
ले आए आप. ये तो जानवर है.` मगर नारायण चोदता जा रहा था. कोई तरस नही कोई
रहम नही. नारायण के धक्के सुबू कीजान निकाल रहे थे. उधर सुबू की हालत देख
कर रश्मि डर गयी. मगर स्वामीजी ने उसे हिम्मत बँधाई, ` डरो मत तुम्हारी
दीदी अभी ठीक हो जाएगी. अब तुम भी अपनी टाँगें खोलो ओए मेरा लंड ले लो.
रश्मि अब तक पतली छोटी मूली ही चूत में लेती थी,इतना बड़ा लंड कैसे चूत
में जाएगा समझ नही पा रही थी.स्वामी जी नें उसकी टाँगें फैलाई और अपना
लंड रश्मि की चूत पर रख दिया (मगर अंदर नही डाला) कुछ देर ऐसे ही लेटे
रहे. रश्मि अंदर लेने की इच्छा करने लगी और थोड़ा थोड़ा हिलने लगी.
स्वामीजी जी नें लंड थोड़ा सा अंदर डाला और रुक गये. ऐसे ही कुछ देर चलता
रहा. स्वामी जी का आधा लंड अंदर जा चुका था.रस्मी पेशोपश में थी के और
लंड ले तो कोई तकलीफ़ तो नहीं होगी? दिल तो चाह रहा था मगर दरद से डर रही
थी. मस्ती डर पर हावी थी. एक बार फिर लंड लेने के लिए हिली, और स्वामीजी
नें एक ही झटके में पूरा लंड अंदर डाल दिया. बकरी को एक दिन तो हलाल होना
ही था. `आआआआअ.. …….मर गइईई, डिडियीयैआइयीयिमिन मर गइईए. मेरी चूऊऊओत
फाड़ दी स्वामीजी नें. दीदी प्लीज़ मुझे बचाओ.` सुबू उसे क्या बचाती.
उसकी तो अपनी चूत का भोसड़ा बन रहा था. नारायण वहशयों की तरहा सुबू की
चुदाई कर रहा था.उधर स्वामीजी ने थोडा रुक कर धक्के लगाने शुरू कर दिए.
दर्द का अहसास कम हो रहा था. मस्ती दोनो बहनों पर हावी हो रही थी. चीखो
के जगहा सिसकारियों ने ले ली थी. दोनो बहनें बड़बड़ा रही थी, ` हां
स्वामीजी मज़ा आ रहा हाइपर ज़रा धीरे चोदो. आआअहह. …स्वामी जी आआआ. पूरा
जा रहा है . हाआन नारायण तुम आदमी हो की जानवर. कैसे चोद्ते हो. पर आहह
ऐसे ही, ऐसे हीईई….. हन्न्न…. ऐसे ही चोदो. साले कितना मोटा है
तेरा…..स्वामीजी ठीक ही कहते थे….. साले तू रश्मि की तो फाड़ ही देता.
आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह नारया…… ..ज़रा लंबे लगाओ.आआहहस्वँ ई जी आआहह क्या
मस्त चला लाए हूऊ……. आआअहहस्वँ ईज़ी रशमी को ज़बरदस्त चोदो. कोई हसरत ना
रह जाए.` उधर रशमी चिल्ला रही थी, ` डीडीिईई…. म्ज़ा आआआअ…. गया मेरपयारी
दीदी……क्या स्वरग की सैर करवाई है……स्वामीजी तो मस्त चोद रहे हैं आआआआ….
स्वामीजी …स्वामीजी …..करो स्वामीजी ज़ोर से करो…..हाए ये क्या हो रहा
है…….स्वामीजी ….प्लीज़ स्वामीजी …….चोदो. …जैसे मेरी दीदी को चोदा
था……..आआहह हौर रश्मि ज़ोर ज़ोर से चूतड़ उछालने लगी. स्वामीजी समझ गये
की लड़की गयी. उन्हों-ने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी. टाइट चूत ने उन्हें
भी मस्त कर दिया. उन्हों-ने भी मज़ा लेने का मंन बना लिया. रश्मि चिल्ला
रही थी, ` स्वामी जी ज़ोर से चोदो आज तो कमाल हो गया. है दीदी अब हमेशा
चुदवाउन्गि स्वामीजी ……स्वामीजी. …..स्वाआआआअ म्म्म्मीईज्ज्ज्जीइ. ….
..आआआआ आआआ`. उधेर स्वामीजी भी झाड़ गये,`आबीयेयेयीयायग गग्ग्घगया
…..सुबू तुम्हारी बेहन बड़ी सेक्सी है…….आआअहह हह`. सुबू और नारायण की
कुश्ती जारी थी. सुबू उचक उचक कर चुदवा रही थी. पूरी चूत लंड से भरी हुई
थी. रश्मि सुबू के पास आ कर बैठ गयी और चुदाई देखने लगी नारायण का मोटा
लंड जब बाहर निकलता था तो चूत की स्किन भी बाहर आ जाती थी. दोनो मस्ती
में ज़बरदस्त चुदाई कर रहे थे दुनिया से बेख़बर. रश्मि ने स्वामीजी की
तरफ देखा जो नंगे लेटे हुए थे. रश्मि नें उनका लंड चूसना शुरू कर दिया.
अब वो भी सुबू की तराहा लंड की प्यासी थी. स्वामीजी से दोबारा चुदने के
लिए तैयार….. ……… ….एंड ऑफ पार्ट2.
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08-29-2018, 09:14 PM,
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RE: Gandi Kahaniya स्वामी जी का कमाल
स्वामी जी का कमाल --3
रीता, सुबू`और ननद की चुदाई रश्मि और सुबू चुद चुकी थी.रश्मि तो एक बार
स्वामीजी क़ा वीर्य पी भी चुकी थी. सुबू नारायण का मोटा लंड ले कर निहाल
हो चुकी थी. हालाँकि उसकी चूत में जलन हो रही थी, फिर भी वो बोली ,`
स्वामी जी आप का चेला तो मस्त चुदाई करता है.एक बात बतायए स्वामी जी ऐसे
कितने तीर हैं आप के पास. स्वामीजी हंस दिए,` हां एक तीर है, विप तीर,
विप लोगों के लिए.` ` उसकी क्या ख़ासियत है स्वामी जी ?` `वो चुदाई महीने
में एक बार करता है, और जब करता है तो जल्दी झाड़ता नहीं. जब झाड़ता है
तो चूत वीर्य से भर जाती है.और वीर्य चूत से बाहर आने लगता है.और सब से
बड़ी बात तो ये है की झड़ने के बाद भी उसका लंड खड़ा रहता है, जब तक वो
चाहे, यही उसकी ख़ासियत है.` सुबू बोली ,` स्वामीजी आप के चेले तो एक से
बढ़ कर एक हैं, आप उसे ले कर आईए.` ` ठीक है सुबू, तुम्हारी और रश्मि की
चुदाई से में बहुत खुश हूँ, अगली बार में उसे ले कर आऊंगा. उसके चुदाई का
एक महीने का बनवास भी अगले महीने ख़तम होने वाला है- अच्छा अब चलते हेँ.`
सुबू नें स्वामीजी को एक जोरदार किस दिया और अलविदा कहा.रश्मि भी
स्वामीजी के लंड के ख़यालों में थी. अगले दिन रीता आ गयी.वो 2 महीने में
एक बार आती थी.घर में खुशी का महॉल था. सुबू भाबी बहुत खुश थी. सुबू की
उदासी उस-से देखी नहीं जाती थी.वो अपने भाइयों के बारे में जानती थी और
किसी भी तराहा सुबू को खुश देखना चाहती थी.रीता हॉस्टिल में रहती थी और
खुले दिमाग़ की लड़की थी. एक बाय्फ्रेंड भी था. जब मूड होता था चुदवाने
से भी पीछे नहीं हट-थी थी. सेक्स टॉयस भी यूज़ करती थी और जब मंन करता था
रुब्बुर का लंड चूत में खूब लेती थी. इस बार वो भाभी के लिए भी एक
रुब्बुर का लंड ले कर आई थी.रश्मि कॉलेज जा चुकी थी.रीता आ कर सुबू के
पास आ कर बैठ गयी और बोली, ` भाबी इस बार आप बड़ी खुश हो, चेहरा भी दमक
रहा है. बताओ ना भाबी क्या बात है ?` ` अर्रे कुछ नही रे.` मगर रीता से
छुपा नहीं पाई और शर्मा गये. रीता सोचने लगी की ऐसा नूर , ऐसी खुशी तो
केवल चुदाई से ही आ सकती है, क्या भाबी नें किसी से चुदाई करवानी शुरू कर
दी है ? रीता नें पूछने का मंन बनाया और बात शुरू की.` नहीं भाभी कुछ तो
है. में आप की ननद भी हूँ और सहेली भी, आप के दरद को जानती हूँ. मुझे
अपने भाइयों के बारेमें पता है. ` फिर वो धीरे से बोली , ` भाबी में आप
के लिए रुब्बुर का लंड ले कर आई हूँ, जब चाहो क्रीम लगा कर अंदूर डाल लो`
` अर्रे रीता ये कैसी बात कर रही हो, मुझे तो समझ नही आ रहा`. `अर्रे
भाबी शरमाना कैसा, एक बात बताऊं, मेरा एक बाय्फ्रेंड है, जो कभी कभी मुझे
चोद्ता है, और अगर मेरा मंन चुदाई का करता है और वो वहाँ नहीं होता तो
में रुब्बुर के लंड से काम चला लेती हूँ.` ` रीता तू तो बड़ी शरारती हो
गयी है.` ` हां भाबी और में दिल से चाहती हूँ की आप भी कुछ शरारती बनें.
` फिर भाबी के पास आ कर बोली,` भाबी मुझे आप की खुशी में एक मस्त राज लग
रहा है, और अगर ये सच है तो में बहुत खुश हूँ` ` राज कैसा, सुबू नें
नज़रें चुरा कर पूछा.` ` भाबी अब चुपाओ मत, मेरा ख्याल है की आप नें
चुदाई करवाई है और वो भी मस्त.` सुबू को जैसे शॉक लगा. उसने रीता की
आँखों में देखा, उसे वहाँ सच में ही प्यार और खुशी दिखाई दी.` सुबू नें
रीता को बाहों में भर लिया और सारी बात बता दी. `हाई भाबी , रश्मि भी ?`
रीता बोली, ` फिर तो भाबी आप मुझे भी चुदवाओ, प्लीज़.` ` अर्रे इसमें
प्लीज़ की कोई बात नहीं है. शायद ये तेरी किस्मत है की इस मंगल वार को
स्वामीजी अपनें एक और चेले के साथ आ रहे हैं. मगर तू तो मंगल तक चली
जाएगी.` ` नहीं भाबी अब तो में चुदवा कर ही जाऊंगी….. ……… .. रीता
बोली`भाबी अब तो में चुदवा कर ही जाऊंगी.` और रीता नें दो दिन की छुट्टी
ले ली.` भाबी जिस तरहा के लंड आप नें बताए हैं, वाइज़ लंड से तो में
ज़रूर चुदना चाहूँगी.` मंगलवार आ गया,
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08-29-2018, 09:14 PM,
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RE: Gandi Kahaniya स्वामी जी का कमाल
स्वामीजी का इंतेज़ार हो रहा था.
रश्मि नें भी छुट्टी लेली थी. 11 बजे के करीब स्वामीजी आ गये, और सुबू की
तरफ देख कर बोले, ` ये है वो वीआइपी तीर गुरु. केवल नाम का ही गुरु नहीं,
चुदाई का भी गुरु. औरत को पूरा मज़ा देने के लिए महीने में केवल एक बार
चुदाई करता है.` सुबू ने देखा गुरु भी स्वामीजी और नारायण की तरह सुन्दर
था. लेकिन नारायण का एक और रूप वो देख चुकी थी.एक वाहशी चुड़दकड़ का. वो
बात अलग है की उसकी चुदाई नें उसे मस्त कर दिया था सुबूकी आँखों के आगे
नारायण की चुदाई घूम गई जो उसनें पीछे से की थे, लगता था जैसेचूत फॅट ही
जाएगी. स्वामी जी नें रीता की तरफ देख कर कहा , ये कौन है? ` `स्वामीजी
ये मेरी ननद है, कॉलेज में पढ़ती है छुट्टियो में घर आई है ये भी आपसे
चुदवाना चाहती है आपको कोई ऐतराज तो नही `नहीं मुझे कोई ऐतराज़ नहीं. `
स्वामीजी अनुभवी थे, स्मझ गये की लड़की चुदाई मजबूरी में नहीं, मज़े के
लिए करवा रही थी, यानी खूब मज़ा देगी. स्वामीजी के चेलों ने कपड़े उतार
दिए. उनके लंड खड़े हो गये थे.रीता की नज़र नारायण के लंड से हट नही रही
यही. चुदवाना सुबू भी उस-से चाहती थी पर रीता का मॅन देख कर वो स्वामीजी
की तरफ मूड गयी.पर स्वामीजी नें कहा ,` सुबू आज तुम गुरु से चुदवाओ. में
रश्मि को चोदुन्गा जिस-से इसकी चूत नारायण का लंड लेने लायक हो जाए. और
हां तुम सब जितना मज़ा लेना चाहो लेलो फिर अंत मे गुरु तुम सब को एक एक
बार फिर चोदेगा.` सब बात को समझ गयी और सब नें कपड़े उतार दिए. उनके नंगे
जिस्म और चिकनी चूते तीनों मर्दों को मस्त कर रही थे. उनके लंड फंफनाने
लगे, जैसे फॅट जाएँगे. नारायण का लंड तो जैसे लंबा ही होता जा रहा था.
रश्मि स्वामीजी की बाहों में चली गये , सुबू नें गुरु का लंड अपने हाथों
में ले लिया और रीता नारायण का लंड अपने मुँह में लेने की कोशिश करने
लगी.नारायण का लंड रीता के मुँह में जा नहीं रहा था.रीता नें नारायण को
नीचे लिटा दिया और उसके लंड पर बैठ गयी. एक हाथ से लंड पकड़ कर चूत में
लेने की कोशिश की मगर लंड मोटा था, अंदर नहीं जा पाया. पर रीता की ये
हरकत नारायण को गरम करने के लिए काफ़ी थे. उसने रीता के कंधे पकड़े और
नीचे से उचक कर एक जोरदार धक्का लगाया, और पूरा लंड रीता की चूत को चीरता
हुआ अंदर घुसेड दिया. आआआअ….. .मररर… .गइई. मैईएन…..फाड़ दी मेरी चूत…….
…भाबी मुझे बचाओ…… स्वामीजी.. …..आआहह. …..नारायण नहीं ……प्लीज़.
…..नाआअ. करूऊओ. नहियियैआइयैयीन. ……निकालूऊओ ओ….हहााआ ईई…. मर …..गइईए.
मगर नरायण नहीं रुका. सुबू नें रीता की तरफ देखा और उसे अपनी चुदाई याद आ
गयी. सोचने लगी, ये रीता अभी चिल्ला रही है अभी मस्त हो जाएगी. सुबुको
गुरु पीछे से चोद रहा था, बिना रुके धक्के लगा रहा था. सुबू गरम थी. चूत
मे आग लग रही थी.मुँह से आवाज़ें निकल रही थी,`…..हाँ …..गुरु… ..ज़ोर से
….क्या चुदाई है…….वाह …उरू….तुम ….भी….. आआहह. ….स्वामीजी. ….आ
आप्प्प्प. और आआप …के चेलए……क्या. ….खूओब. …हैं ….अरे…. .रीता… म्ज़ा आना
शुरू हुआ की नही……. .आह…… .हाआअँ भाबी……. .आअब्ब्ब्ब. …..आआ. ..रहा
है……ये नारायण …….बड़ा. ….जालिम है. रश्मि स्वामी जी का लंड पा कर निहाल
थी. बस एक ही बात बोल रही थी….हाआअँ स्वामीजी….. .छोड़ो… …चिॉडो. ….ज़ोर
…..से छोड़ो. सारे कमरे में सिसकारियों की आवाज़ सुनाई दे रही थी.जल्दी
ही सब को मज़ा आ गया. कमरा सिसकारियों की आवाज़ों से भर गया. केवल गुरु
की ही आवाज़ नही थी. अब पार्ट्नर बदल गये. गुरु रीता को चोदने लगा.
स्वामीजी सुबू की चोदने लगे. सुबू के जहाँ में तो नारायण का लंड था. मगर
कुछ बोली नहीं. रश्मि स्वामीजी से चुदवाने के बाद सोच रही थी की नारायण
का लंड और मस्ती देगा. उसने सोच नारायण भी स्वामीजी की तराहा आराम से
चोदेगा. खैर चुदाई का दूसरा दौर शोरू हो चुका था. गुरु और रीता मस्त थे.
सुबू और स्वामीजी एक दूसरे में सामने की कोशिश कर रहे थे. नारायण रश्मि
को पीछे से चोदने की तैयारी कर रहा था. रश्मि की कमर कस कर पकड़ कर उसने
एक वहशियाना धक्का लगाया और उसका लंड चीरता हुआ रश्मि की चूत मे घुस गया.
रश्मि दरद के मारे चीख उठी. `स्वामीज्वी दीदी मुझे बचाओ, में मर
जाऊंगी….. .ये नारायण मुझे मार देगा. पर किसी को उसकी चीखें सुन-ने की
फ़ुर्सत नहीं थी. नारायण चोद्ता रहा. रश्मि की चूत फूल कर छोटे गुबारे
जैसी हो गयी. सब मस्त थे. सब झड़ने को थे. कमरा चीखो सिसकारियों से गूज़
रहा था.एक और दौर चुदाई का ख़तम हो गया. अब नारायण सुबू की तरफ मूड गया.
स्वामीजी रीता को चोदने लगे. गुरु रश्मि की तरफ बढ़ा की वो घबरा गयी.
उसकी चूत दुख रही थी. मगर यहाँ हर कोई केवल चुदाई के बारे में सोच रहा
था. गुरु नें लंड धीरे से रश्मि की चूत पर रखा. चूत विर्य से भरी पड़ी
थी. लंड फिसलता हुआ अंदर चला गया. चुदाई का ये दौर भी ख़तम हो गया. गुरु
नें स्वामीजी की तरफ देखा, और स्वामीजी नें सर हिला कर इज़ाज़त देदी और
कहा,` अब आखरी चुदाई होने वाली है. सब गुरु के वीर्य का टेस्ट करेंगी,
लेकिन साथ ही सेक्स का भी मज़ा लेंगी. सुबू नारायण के लंड पर बैठेगी, और
रीता मेरे लंड पर. रश्मि आज और लंड लेने के लायक नहीं है. इस तराहा तीनों
गुरु का लंड चूसेंगी और गुरु का कमाल देखेंगी. सब तैयार हो गये. बड़ी
मुश्किल से सुबू ने नारायण का लंड अपनी चूत में लिया. रीता स्वामीजी के
लंड से मस्त थी. रश्मि अपनी सूजी हुई चूत में उंगली कर रही थी. एक बार
फिर चुदाई का दौर शुरू हो गया. चुदाई के साथ चुसाइ भी चालू थी. लड़किया
मस्त थी. आअन्न्न्नह. ……ग्लग. ……हुउऊन्न्ञणणन् न…….हम म्म्म्मम…..ग्लग.
……आआअहह ……नारायण. ….स अली…….. .ग्लग…. …स्वामीजी. …..अहगलुग ..
..ऊउउउउउउउह एयायाययीयीयियी. …….ग्लग आबीयेएयययेया. और सारे झड़ गये. अब
गुरु की बारी थी.
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