10-12-2018, 12:51 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
रवि अंकल ने झडा लंड मेरी गान्ड से निकाला और तृप्ति की साँसें भरते हुए लेट गये मौसी ने चुनमूनियाँ से डिल्डो निकाला और उनके मुँह में घुसेड दिया "मज़ा आया मेरे भांजे की सील तोड कर? चलो, अब ज़रा अपनी बीवी की चूत का रस भी चाटो, जो बेचारी इतनी देर से मुठ्ठ मार रही है" तभी मौका देखकर मैंने अपना मुँह शन्नो मौसी की रिसती चुनमूनियाँ पर लगा दिया और रस पीने लगा
अंकल का मन अभी मुझ से नहीं भरा था डिल्डो चाटने के बाद मुझे खींच कर उन्होंने अपनी छाती पर छोटे बच्चे जैसा बिठा लिया और मेरा तन्ना कर खड़ा शिश्न चूसने लगे "राज डार्लिंग, मैंने बुरी तरह तेरी गान्ड मार ली, अब तू बदले में मेरा मुँह चोद ले" और उन्होंने मेरा पूरा लंड निगल लिया
उनके गीले गरम मुँह ने मुझे ऐसा उत्तेजित किया कि मैं उनके उपर लेट गया और उनके सिर को पकड़ कर अपने पेट में दबाते हुए उनके मुँह को ऐसे चोदने लगा जैसे चुनमूनियाँ चोदी जाती है मेरा लंड उनके गले में उतर गया और उस सकरे गले को चोदते हुए मुझे वही सुख मिला जो चुनमूनियाँ चोदकर मिलता मौसाजी भी मज़े से मेरे लंड को अपनी जीभ से पुचकारते हुए दाँतों से हलके हलके काटते हुए चूस रहे थे काफ़ी देर से मैं मस्ती में था, ज़्यादा नहीं चोद पाया और कसमसा कर उनके मुँह में झड गया उन्होंने भी मेरी बूँद बूँद निचोड़ ली और तभी छोड़ा
अब मैं बुरी तरह से थक गया था और सिमट कर सोने की कोशिश करने लगा लंड की मस्ती उतरने के बाद गुदा में होते भयानक दर्द से अब फिर मेरी आँखें भर आईं गान्ड ऐसी लग रही थी जैसे उसमें आग लगी है मौसी और अंकल ने मेरी गुदा को ध्यान से पास से देखा और बोले "डर मत, फटी नहीं है, पर गान्ड के छोटे छेद के बजाय तेरा छेद अब चुदी लाल चुनमूनियाँ जैसा खुल गया है और बड़ा प्यारा लग रहा है"
मौसी ने मेरी गान्ड में कोल्ड क्रीम लगा दी थका होने से मेरी आँख लग गयी सोते सोते मुझे याद है कि अब मौसाजी मौसी पर चढ कर उसे चोद रहे थे
सुबह जब मैं उठा तो सूरज काफ़ी उपर आ गया था मौसी उठ कर जा चुकी थी, बिस्तर में मैं और मौसाजी भर थे उनकी नींद पहले ही खुल गयी थी और वे मुझे बाँहों में लेकर चुम्मा ले रहे थे और मेरा शिश्न रगड कर उसे खड़ा कर रहे थे उनका लंड कस कर खड़ा था बड़ा अच्छा लग रहा था और उनके चुम्मे के जवाब में मैं भी उनका चुम्मा लेने लगा पलट कर वे उलटी बाजू से सो गये और सिक्सटी नाइन का पॉज़ बना लिया चूसते हुए उनकी जीभ मेरे लंड को पागल कर रही थी मैंने भी मुँह खोल कर जितना हो सकता था, उतना उनका लौडा मुँह में ले लिया और चूसने लगा
लंड पहले ही मस्त होकर खड़ा था और मेरे चूसने के बाद करीब करीब कल रात जितना ही बड़ा हो गया था आधे से ज़्यादा लंड मुँह में लेकर चूसने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था अंकल ने ज़रा गर्दन लंबी की और मेरी जांघों के बीच सिर डाल कर मेरी गुदा चूसने लगे उनकी तपती गीली जीभ मेरी गान्ड में घुसी और मैं आनंद से हुनक उठा अंकल पर मुझे बहुत प्यार आ रहा था कि देखो मेरे शरीर को कितना प्यार करते हैं मुझे यही लगा कि शायद अब हम एक दूसरे का वीर्यापान करके ही उठेंगे पर प्यार के अलावा उनके दिमाग़ में वासना का शैतान भी सवार था
यह मुझे तब पता चला जब सहसा मुझे ओँधा लिटा कर वे मुझ पर चढ बैठे मेरी समझ में आने के पहले ही उन्होंने अपना सुपाडा मेरी गुदा पर रखा और कस कर पेल दिया लंड और मेरी गुदा हमारे थूक से चिकनी थी ही, इसलिए बड़ा मोटा होकर भी सुपाडा सट करके मेरी गान्ड में घुस गया मेरी गान्ड कलकी ठुकाई से अभी भी बहुत दुख रही थी और रही सही कसर उनके मोटे लंड ने मेरी गान्ड में घुस कर पूरी कर दी
क्रमशः……………………
|
|
10-12-2018, 12:51 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम---13
गतान्क से आगे………………………….
दर्द से बिलबिला कर मैंने चीखने के लिए मुँह खोला ही था कि उनके शक्तिशाली हाथ ने मेरा मुँह दबा कर मेरी चीख रोक दी बचे हुए लंड को अब बेरहमी से मेरी गान्ड में खोँसते हुए वे वासना से हाम्फते हुए बोले "चिल्ला मत राज बेटे, कोई फ़ायदा नहीं होगा, तेरी नरम नरम कमसिन गान्ड तो मैं मार के रहूँगा, ऐसी हाथ में आई चीज़ छोड़ने के लिए क्या मैं पागल हूँ? आज तो दिन भर मारूँगा तेरी, ले लूँगा आज"
जड तक लंड मेरी गान्ड में घुसेड कर वे मेरे उपर चढ कर सटासट मुझे चोदने लगे मेरा मुँह उन्होंने अपने हाथ से दबोचे रखा और मस्त घचाघाच गान्ड मारते रहे दर्द से ऐम्ठता हुआ मेरा शरीर शायद उन्हें और उत्तेजित कर रहा था आख़िर जब मैंने हार मान ली और रोता हुआ निढाल होकर पड गया तब धीरे से उन्होंने मेरा मुँह छोड़ा उस हाथ से वे अब मेरे निपल मसलने लगे और दूसरे हाथ से मेरा लंड रगड कर मुझे मस्त करने लगे जल्द ही लंड में मस्ती चढ़ने से मेरा रोना कुछ कम हुआ, पर दर्द अब भी बहुत हो रहा था
मौसी ने हल्ला सुना तो देखने को आई कि क्या गडबड चल रही है मैंने रोते हुए उससे मौसाजी की शिकायत की "मौसी, मौसाजी को डान्टो ना, देखो फिर मेरी गान्ड मार रहे हैं, बहुत दर्द हो रहा है मौसी, मैं मर जाउन्गा आज तो मख्खन भी नहीं लगाया"
उसने अपने पति का ही साथ दिया वासना से भरी उनकी आँखों को चूम कर वह मेरे पास बैठ गयी वह पूरी नग्न थी और बड़ी मादक लग रही थी "मारने दो बेटे, इतनी चिकनी गान्ड जब मिली है तो पूरा मज़ा लेंगे ही खाने की चीज़ है तो खाएँगे नहीं? ले मेरी चूची चूस ले और ज़रा दर्द सहन करना सीख" फिर अंकल की ओर मुड कर बोली "मारो जी, और ज़ोर से मारो इस बच्चे की गान्ड पूरा मज़ा वसूल कर लो इतना मस्त छोकरा है, मेरा लंड होता तो मैं भी ऐसे ही चोदती इसे"
रोते बच्चों को चुप कराने के लिए जैसे औरतें करती हैं वैसे मेरे मुँह में उसने एक निपल दे दिया कि मैं शांत हो जाऊ अब तक मेरा दर्द कम हो गया था और मुझे गान्ड मराने में मज़ा आने लगा था रोना बंद करके अब मैं अपने चुतड उछाल कर और ज़ोर से मरवाने की कोशिश कर रहा था
मौसाजी मेरे इस उतावलेपन पर लाढ़ से हँसने लगे "देख रानी, अभी तक रो रहा था बदमाश, अब कैसा मस्ती से मरा रहा है, अपने चूतड उछाल उछाल के डार्लिंग, आज तो मैं कसम ले लेता हूँ, दिन भर इसकी गान्ड मारूँगा" इस वायदे के साथ वे पूरी शक्ति से मुझे चोदने लगे पंद्रहा मिनिट मज़ा लेकर आख़िर वे झडे
जब अंकल ने लौडा निकाला तो फिर मेरा दर्द बढ़ गया पर अब मैं रोया नहीं सच तो यह है कि अब मैं गान्ड मराने का आदी हो चला था मौसी ने कहा कि सब अब नहाने को चलें पर जब मैंने पलंग से उतर के चलने की कोशिश की तो गान्ड में ऐसी दर्द की हुक उठी की तडप कर गिरते गिरते बचा आख़िर मौसाजी मुझे बाँहों मे उठा कर बाथरूम में ले गये मुझे चूमते चूमते वे बोले "तू तो मेरा खिलौना है, मेरा गुड्डा है, आज दिन भर कर अपने गुड्डे से मैं खेलूँगा" मैं यह सुनकर मन ही मन खुश हुआ पर घबराया भी मैंने समझ लिया कि आज मेरी गान्ड की खैर नहीं
गरमा गरम पानी के शोवर से मुझे आराम मिला मेरा लंड अब खड़ा हो गया था और मैं मचल रहा था मौसी ने सोचा कि चूसने का अच्छा मौका है पर अंकल ने मना कर दिया बोले "डीयर, इसे ऐसा ही खड़ा रहने दो, जब तक राज मस्त रहेगा, प्यार से मरवाएगा अगर झडाना ही हो, तो मैं इसे चूसूंगा आज इसका वीर्य सिर्फ़ मेरे लिए है"
|
|
10-12-2018, 12:51 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
मौसी नाराज़ हुई कि मौसाजी उसके प्यारे भांजे को अपने ही सुख के लिए पकड़ कर रखे हुए हैं, अपनी पत्नी का उन्हें ज़रा भी ख़याल नहीं मौसाजी ने चूम कर उसे मनाया "मैं तुझे भी खूब चोदून्गा और तेरी गान्ड मारूँगा मेरी रानी सिर्फ़ झड़ूँगा नहीं लंड अपना मैं सिर्फ़ इस बालक की गान्ड के लिए ही खड़ा रखूँगा यह गान्ड नहीं, मेरे लिए तो बड़ी प्यारी बच्चा चुनमूनियाँ है और फिर मैं बस दो दिन तो यहाँ हूँ, मुझे फिर दौरे पर जाना है तब तक तो मन भर के इसे भोगने दे"
मौसी की नाराज़गी दूर हुई और तुरंत मौसाजी को अपना वायदा पूरा करने के लिए कहती हुई वह झुक कर टब का किनारा पकड़ कर झुक कर खडी हो गई उसे कुतिया स्टाइल में चुदाना था अंकल ने उसके पीछे खड़े होकर उसकी चुनमूनियाँ में लंड डाला और चोदने लगे उसे उन्होंने आधे घंटे तक चोदा और तीन चार बार झडा कर खुश कर दिया सारे समय मैं मौसी के सामने खड़ा था और वह मेरा लंड चूस रही थी उसने मुझे झड़ाया नहीं, सिर्फ़ गरम रखा अपने पति के लिए अंकल के कहने पर मैंने उसके लटकते स्तन भी खूब दबाए वे अंकल के झटकों से पेम्डुलम जैसे हिल रहे थे
मैं इतना उत्तेजित था क़ी वासना से सिसकने लगा "मौसी, चूस ले मेरा लंड, प्लीज़, मुझसे नहीं रहा जाता" मौसी ने भी मौसाजी से कहा कि एक बार तो उसे चूसने दें, कल से उसने अपने प्यारे भांजे का वीर्य नहीं चखा था मौसाजी ने आख़िर परमिशन दे दी और मौसी के स्तन पकड़े पकड़े ही मैं ऐसा झडा की किलकारियाँ मारने लगा
मौसी ने मन लगाकर मेरा वीर्य पान किया और इस बीच अंकल ने उसे एक बार और चोद डाला मैंने गौर किया कि मौसाजी एक भी बार नहीं झडे वी और अपना तन्नाया लंड मेरे लिए बचाए हुए थे जब उन्होंने मुझे मौसी की चुनमूनियाँ में घुसते निकलते अपने लौडे को ताकते देखा तो मुझे आँख मार कर हँसने लगे कि ठहरा राजा, यह अब तेरे लिए है
मौसाजी अब फर्श पर लेट गये और शन्नो मौसी की तरफ देख कर हँसने लगे कल की रात की घटना याद करके मैं समझ गया कि अब क्या होगा मौसी तैयार नहीं थी और मेरी ओर इशारा कर के अंकल को आँख दिखाने लगी मौसाजी बोले "बच्चे को भी देखने दो रानी, क्या हुआ, उसे भी इसकी आदत लगा दो, उसे बहुत मज़ा आएगा तेरा मूत पीकर उसने शायद कल देख भी लिया है, क्यों राज बेटे? चलो, मुझे मत प्यासा रखो, पिला दो अपना शरबत"
मौसी आख़िर थोड़ा शरमा कर मेरी ओर कनखियों से देखती हुई मौसाजी के सिर के दोनों ओर पैर जमा कर घुटने मोड कर बैठ गयी और उनके मुँह में मूतने लगी आज वह बड़े प्यार से रुक रुक कर धीरे धीरे मूत रही थी कि उसके पति को स्वाद ले ले कर पीने का मौका मिले मुझसे ना रहा गया और मैं झुक कर मौसी के चुंबन लेता हुआ उसकी आँखों में झाँकने लगा मेरे कुछ ना कहने पर भी वह मेरी आँखों की याचना समझ गयी और धीरे से मेरे कान में बोली "बाद में बेटे, अकेले में"
नहाने के बाद हम नाश्ते पर बैठे मौसाजी ने मुझे अपनी गोद में बिठा रखा था उनका लंड मेरे नितंबों की बीच की लकीर में धँसा हुआ था और मैं उसपर ऐसा बैठा था कि साइकिल का राउन्ड हो मौसाजी बीच बीच मे अपना लंड मुठियाते तो लंड उपर होकर मुझे आराम से उठा लेता जैसे कोई क्रेन हो उनके ताकतवर लिंग की यह शक्ति देखकर मौसी भी खूब हँसी
नाश्ता खतम करके हम ड्राइंग रूम में गये मुझे बाँहों में लेकर चूमते हुए वे दोनों सलाह मशवरा करने लगे कि मेरे साथ अब क्या किया जाए, जैसे मैं कोई ज़िंदा बालक नहीं, उनका खिलौना हूँ जिससे चाहे जैसे खेला जा सकता है आख़िर मौसी मेरी तरफ दुष्ट निगाह से देखती हुई बोली "इसे मीठी सूली पे क्यों ना चढाया जाए जैसा उस दिन वीडीओ पर देखा था"
क्रमशः……………………
|
|
10-12-2018, 12:51 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम---14
गतान्क से आगे………………………….
रवि अंकल को यह आइडीया एकदम पसंद आया ऐसा लगता था कि उन्हें यह आसन आज़माने की बहुत चाह थी, क्योंकि उनका लंड उछल कर और तन्ना गया मौसी जाकर मख्खन का डिब्बा ले आई और मौसाजी एक आराम कुर्सी में बैठ गये उनका लंड तन कर झंडे जैसा सीधा खड़ा था आज वह आठ इंच से भी ज़्यादा लंबा लग रहा था उसे पकड़ कर मस्ती से मुठियाते हुए वे बोले "चल बेटे, तेरी सूली को तू ही मख्खन से चिकना कर जितना मख्खन लगाएगा उतना ही तुझे दर्द कम होगा"
मुझे मौसी ने उनके सामने बिठा दिया मैंने हथेलियों में काफ़ी मख्खन लिया और उनके लौडे पर चुपडने लगा घोड़े के लंड सी उसकी साइज़ देख कर डर से मैं काँप रहा था पर हाथों में उस महाकाय शिश्न का कड़ा स्पर्श और फूली हुई नसों का अनुभव मुझे इतना अच्छा लग रहा था कि मैं उस लंड को मख्खन लगाने में पूरी तरह से उलझते ना रहकर मैंने उस टमाटर से फूले लाल लाल सुपाडे को चूमलिया तो मौसाजी भी मेरी इस कामना पर मुस्करा उठे इस बीच मौसी अपनी उंगली से मेरे गुदा में मख्खन के लौंदे भर कर उन्हें दो उंगली से अंदर डाल करती हुई खूब चुपड रही थी
मौसाजी ने मुझे पकड़ कर उठाया और घुमा कर अपनी पीठ उनकी ओर करके अपनी टाँगों के बीच खड़ा कर लिया मौसी मेरे सामने खडी होकर मुझे कर मेरा ढाढस बंधाने लगी "देख बेटे, डरना नहीं, दर्द हो तो चिल्लाना नहीं, मज़ा भी बहुत आएगा बड़ी मीठी सूली है यह!" मौसाजी ने अपना सुपाडा मेरे गुदा में थोड़ा फंसाया और फिर मेरी पतली कमर में हाथ डाल कर मुझे अपनी गोद में खींच लिया
मैंने सुपाडा घुसने से अपनी गुदा को खुलते हुए महसूस किया और फिर दर्द की टीस मेरी गान्ड में उठने लगी पर मैंने दाँत तले होंठ चबाकर ज़रा भी आवाज़ नहीं निकाली और ज़ोर लगाकर अपनी गान्ड ढीली कर दी
"अब मौसाजी की गोद में बैठ जा धीरे धीरे, अपनी गान्ड खोल, अपने आप इनकी सूली पर तू चढ जाएगा" मौसी बोली मैं झुककर नीचे बैठने की कोशिश करने लगा और सहसा पुक्क से मेरे गुदा को फैलाता हुआ उनका मोटा सुपाडा गुदा के छल्ले के अंदर समा गया इतना दर्द हुआ कि ना चाहते हुए भी मैं चीख उठा
पर चीख निकली नहीं क्योंकि मौसी बिलकुल तैयार थी और उसने तुरंत मेरे होंठ अपने मुँह में पकड़ लिए और दाँतों से उन्हें दबाकर चूसने लगी मेरी चीख उसके मुँह में ही दब कर रह गई मौसी ने भी मेरे कंधों पर हाथ जमाए और पूरी शक्ति से वह मुझे नीचे दबाने लगी उधर मौसाजी ने मेरी कमर पकड़ कर मुझे नीचे खींचा और ज़बरदस्ती अपनी गोद में बिठाना शुरू कर दिया
|
|
10-12-2018, 12:52 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
पहले तो वह मान नहीं रही थी और नखरा कर रही थी कि ऐसा गंदा काम मुझ जैसे छोटे बच्चे के साथ वह कैसे कर सकती है पर मैंने भी इतनी ज़िद की और बिलकुल बाल हठ पर उतर आया कि आख़िर उसे मानना पड़ा मैं जानता था कि मन ही मन वह भी इस काम को करने के लिए उत्तेजित थी अपनी सग़ी बड़ी बहन के बेटे के मुँह में मूतने की कल्पना उसे बहुत मादक लगी होगी
आख़िर वह मान गयी और हम बाथरूम में गये मैं ज़मीन पर मुँह खोल कर लेट गया मौसी उकड़ूम होकर मेरे मुँह पर बैठ गई उसकी चुनमूनियाँ बस दो इंच उपर मेरे मुँह पर थी और उसका ज़रा सा लाल मूत्रछिद्र मुझे सॉफ दिख रहा था जब वह मूती तो उस खुले छिद्र में से निकलती रुपहली धार मुझे ऐसी लगी कि जैसे अमृत की धार हो
मेरे मुँह में वह खारा गरमा गरम शरबत गया और मैं मस्त हो गया विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मेरी प्यारी मौसी, मेरी माँ की सग़ी छोटी बहन मेरे मुँह में मूत रही है मैंने प्यासे की तरह उस अमृत का पान किया और एक बूँद भी छलकने नहीं दी उसके मूत्र के प्रति मेरी यह आस्था देखकर उसे भी बड़ा अच्छा लगा
उसके बाद तो मुझे मौसी का मूत पीने की आदत लग गयी अब मुझे समझ में आने लगा था कि क्यों मौसाजी उसके पीछे दीवाने थे मैंने पानी पीना करीब करीब बंद ही कर दिया जब प्यास लगती, ज़िद करके मौसी को खींच कर बाथरूम ले जाता और वह मेरे मुँह में मूत देती मौसी को भी इसमें बड़ा मज़ा आता था पर बार बार बाथरूम जाने में उसे बड़ी कोफ़्त होती थी इसलिए उसने मुझे बाथरूम ना जाकर कहीं भी उसका मूत पी सकूँ ऐसी ट्रेनिंग देना शुरू कर दी
उसने मुझे मुँह खोल कर उसे अपनी चुनमूनियाँ पर सटाकर अपनी पूरी चुनमूनियाँ मुँह में लेना सिखा दिया इससे जब वह मूतती थी तो सारा मूत सीधा मेरे गले में उतरता सिवाय उसके मूतने से उठती खल खल की आवाज़ के, बाहर से पता भी नहीं चलता कि वह मूत रही है एक बूँद भी नहीं छलकती थी कोई देखता तो समझता कि लडका चुनमूनियाँ चूस रहा है
यह सीखने के बाद हमारा काम आसान हो गया कभी भी कहीं भी मौसी मेरे मुँह में मूत सकती थी किचन में चुनमूनियाँ चुसवाते समय, ब्लू फिल्म देखते हुए या पलंग पर रति करते हुए रात को भी मौसी को इससे बड़ा आराम हो गया क्योंकि चुदवा चुदवा कर अक्सर उसे बहुत बार पिशाब लगती थी पर अब बिस्तर से उठ कर नहीं जाना पड़ता था वहीं बिस्तर में वह मेरे मुँह में मूत लेती थी
रात को भी मैं उसकी जांघों पर सिर रखकर सोता था इसलिए नींद में भी जब मौसी को पिशाब लगती, वह मुझे हिला कर जगाती, मेरा मुँह अपनी चुनमूनियाँ पर सटाती और मूत देती फिर आराम से सो जाती कई बार इस कार्य से वह इतना उत्तेजित होती कि आधी नींद में ही मुझसे चुनमूनियाँ चुसवा लेती या फिर चुदवा लेती
एक दो बार वह खेल खेल में गिलास में मूत कर मुझे पीने दे देती और उसे पीता देखकर अपनी चुनमूनियाँ में उंगली करती हुई मज़ा लेती पर उसकी चुनमूनियाँ पर मुँह लगाकर पीने में हम दोनों को ज़्यादा मज़ा आता था, मुझे भी और उसे भी
क्रमशः……………………
|
|
10-12-2018, 12:52 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम---16
गतान्क से आगे………………………….
ललिता नौकरानी दूसरे दिन वापस काम पर आने वाली थी, इसलिए मौसी ने मुझे चुदाई नहीं करने दी कारण नहीं बताया बोली की निरंतर रतिक्रीडा से एक दिन आराम सेहत के लिए ज़रूरी है हम पूरे कपड़े पहनकर घर में बिलकुल असली मौसी भांजे जैसे बैठे थे शाम को ललिता मिलने आई वह यह बताने आई थी कि वह गाँव से लौट आई है और कल से काम पर आएगी
वह मझली उम्र की कसे बदन की एक नाटी औरत थी उसकी स्वस्थ छरहरी काया से ही मालूम होता था कि काफ़ी मेहनती है इसीलिए ऐसी कसी हुई है थी वाहा साँवली पर उसकी त्वचा बड़ी चिकनी दमकती हुई थी मेरे ख्याल से वह पैंतीस और चालीस साल के बीच की होगी पिछली बार मैंने उसे चाहा सात साल पहले देखा था जब मैं और माँ यहाँ आए थे तब से अब तक मुझे उसमें कोई फरक नज़र नहीं आया, वैसी ही चुस्त तंदुरुस्त लग रही थी
आते ही मौसी उसपर गुस्से में बरस पडी कि इतने दिन कहाँ थी, दो दिन बोल कर गयी और दस दिन गायब रही मौसी की डाँट को वह बड़े आराम से मुस्कराते हुए सुनती रही जैसे कि उसे मालूम था कि इस डाँट में कोई दम नहीं है मौसी की आवाज़ में गुस्से के साथ एक बड़ी आत्मीयता और प्यार की भावना थी अपनी नौकरानी के लौट आने की खुशी भी उसमें थी
आख़िर मौसी शांत हुई और ललिता को बोली कि कल दोपहर से काम पर आ जाए ललिता ने फिर पूछा "बाई, पान लाऊ कल?" मौसी हँसने लगी और हाँ बोली मेरी ओर ललिता ने मुस्काराकर देखा और मुझे कुछ देर सिर से पाँव तक घूरती रही फिर एक बार मौसी की तरफ देखकर वह मुस्कराती हुई कल आने का वादा कराकर चली गयी
उनकी आपस की बात सुनकर मुझे शंका हुई कि कुछ बात है पर मौसी से पूछने की हिम्मत नहीं हुई सोचा कल पता चल ही जाएगा
रात को गहरी नींद सो कर हम ताजे होकर उठे मेरा लंड फिर मस्त तन्ना रहा था और मौसी भी मदमस्त लग रही थी पर सिवाय मुझे प्यार से चूमने के और अपना मूत पिलाने के, उसने कुछ नहीं किया जब वह खाना बना रही थी, मैं मचलता हुआ उसके पीछे खड़ा होकर उसके नितंबों की लकीर में साड़ी के उपर से ही अपना लंड घिसता हुआ ब्लओज़ के उपर से उसके मम्मे दबाने लगा
|
|
|