12-10-2018, 02:13 PM,
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RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -36
गतान्क से आगे...
हमे लगातार नग्न अवस्था मे अपने पास पाकर अब उनके लिंग शिथिल हो गये थे.
वैसी ही कुच्छ हालत हमारी भी थी. हमारे निपल्स भी पराए मर्दों को देख कर पहले पहले तन गये थे, चुचियाँ कड़ी हो गयी थी और हमारी योनि से चिप चिपा प्रदार्थ बहने लगा था वो अब धहेरे धीरे ख़त्म हो गया था. अब हम बिना किसी सेक्षुयल डिज़ाइर के नग्न हो कर काम कर रहे थे. सेवक राम जी की नज़रें बराबर मेरे और दिशा के योवन को निहार रही थी.
जब देवताजी का स्नान ख़तम हुआ तब उन्हों ने हमे वापस कपड़े पहनने का आदेश दिया. हमने अपने कपड़े पहन लिए.
फिर देवता का फूलों से शृंगार किया गया . देवता जी के स्नान के बाद सारा दूध, सहद, मेवा इत्यादि को एक चाँदी के पात्र मे इकट्ठा किया गया . उसमे कुच्छ पानी भी मिला हुआ था. एवं कुच्छ गुलाब की पंखुड़ीयाँ भी थी. उसे लेकर सेवक राम जी ने हम सबको एक एक चम्मच प्रसाद दिया. फिर सेवकराम जी वो पात्र लेकर बाहर चले गये. शायद सबको प्रसाद देने.
इसके बाद देवता के भोग की तैयारी करनी थी. इस काम का जिम्मा भी हम दोनो के साथ जीत और मोहन को मिला. स्वामी जी के आदेश देते ही हम चारों वहाँ से रवाना हुए. वहीं मंदिर के अंदर पीछे की तरफ एक कमरा बना हुआ था जिसे भोग प्रसाद बनाने के लिए काम मे लिया जाता था. हम दोनो उन दोनो शिष्यों के साथ उस कमरे के द्वार तक पहुँचे.
“ ठहरो.” मोहन ने हम दोनो को दरवाजे पर रोक दिया. हम उसके अगले आदेश का इंतेज़ार करने लगे.
“ ये पवित्र कमरा है. इसमे किसी तरह के कपड़े पहन कर प्रवेश का अधिकार स्वामीजी को भी नही है. हम सबको अपने वस्त्र यहाँ बाहर त्यागने पड़ेंगे.” कह कर उसने अपने जिस्म पर लिपटे गाउन को अलग कर दिया. उसे देख जीत ने भी अपना वस्त्र उतार दिया. दोनो हमारे सामने बिल्कुल नंगे खड़े थे. उनके बलिष्ठ नंगे शरीर हमारी आँखों मे चुभ रहे थे. फिर दोनो ने हमारे कपड़ों की ओर हाथ बढ़ाया. अगले ही पल हम दोनो भी उनकी तरह ही हो गये थे. उस हालत मे हम उस कमरे मे प्रवेश कर गये.
हम अंदर जा कर काम मे व्यस्त हो गये. थोड़ी देर मे रजनी भी हमारी मदद को आ गयी. उसे स्वामीजी ने भेजा था हमारी मदद के लिए. वो भी हमारी तरह बिल्कुल नंगी अवस्था मे थी.
काम करते हुए कई बार अंजाने मे और कई बार जान बूझ कर एक दूसरे के नग्न शरीर को छ्छू लेते या रगड़ देते. तब हल्की सी तरंग बदन मे दौड़ जाती. हम पाँचों मिल कर खिचड़ी के अलावा कई तरह के व्यंजन बनाने लगे.
कुच्छ देर बाद सेवक राम जी भी नंगी हालत मे वहाँ आ गये. सेवक राम जी भोग के लिए इन्स्ट्रक्षन दे रहे थे. वो वहीं हमारे पास बैठ गये और बीच बीच मे हमारे नग्न बदन पर हाथ फेर रहे थे. जब भोग बनाने का काम पूरा हुया तो तीनो मर्द उस भोग को थाली और कटोरियों मे सज़ा कर देवता जी के पास ले गये.
हम भी अपने कपड़े पहन कर वहाँ पहुँचे. वहाँ जीवन भी आ गया था. वहाँ जीवन समेत सारे मर्द मंदिर की सॉफ सफाई मे जुटे थे.
कुच्छ ही देर मे स्वामी जी आ गये. स्वामी जी देवता की मूर्ति के सामने अपने आसान पर बैठ कर पूजा पाठ मे व्यस्त हो गये थे. उन्हों ने मुझे पूजा की सामग्री का इंतेज़ाम करने को कहा. मैने सेवक राम के साथ मिलकर सारा समान एक थाली मे सज़ा कर स्वामीजी के पास रख दी. उस तली मे फूल, सिंदूर, चंदन, अगरबत्ती नारियल इत्यादि के अलावा
एक छ्होटी सी कटोरी मे मेरे स्तनो से निकाला हुआ थोड़ा सा दूध था. जो थोड़ा बहुत कुच्छ देर मे बना था सेवकराम जी ने मसल मसल का सारा निकाल लिया था. उसके लिए वो पहले मुझे वापस किचन मे ले गये. वहाँ हम दोनो को ही वापस नग्न होना पड़ा. इस बार वहाँ हमारे सिवा और कोई तीसरा नही था. वो मुझसे कुच्छ ज़्यादा ही प्रभावित नज़र आ रहे थे.
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