RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -82end
गतान्क से आगे...
उसके लंड का गुलाबी रंग का सूपड़ा बाहर निकल आया. उसके लंड के उपर के छेद को मैने अपने नाखूनो से कुरेड़ा तो वो बिस्तर पर कसमसा उठा.
" ऊऊहह मदाम अब मुझे खोल दूओ…. आआहह पूरा बदाअन सिहार रहाआ हाऐईइ…. आअब रहाआ नाही जा रहाआ हाऐी…" वो बंधन से छ्छूटने के लिए कसमसा रहा था.
उसके लिंग के मुँह से गाढ़े चिपचिपे प्रेकुं की एक बूँद निकल आइ. मैने उसके लंड को अपनी एक मुट्ठी मे भर लिया. फिर अपनी जीभ को पूरा बाहर निकाला और उसकी आँखों मे झाँकते हुए उसके वीर्य की बूँद को अपनी जीभ पर रख लिया.
" एम्म…..तस्तययययी है." मैने अपनी जीभ से उसके लंड के सूपदे को चाटने लगी. मैं उसके लंड पर अपनी जीभ फिराने लगी. उसके पूरे लिंग पर उपर से नीचे तक मैने अपनी जीभ से चटा. उसके लंड से काम रस का स्वाद आ रहा था. मैं अपनी जीभ उसके लंड के इर्द गिर्द उगे हल्के सुनहरे जंगल मे फिराने लगी. फिर मैं अपने मुँह को खोल कर उसके लंड के नीचे झूल रहे एक टटटे को मुँह मे भर कर चूसने लगी. फिर वैसा ही मैने दूसरे के साथ भी किया.
काफ़ी देर तक उसके लंड को और उसके इर्दगिर्द चाटने के बाद मैने अपना चेहरा उपर किया. उसका चेहरा उत्तेजना मे लाल हो रहा था. मैं उसके चेहरे पर झुक कर अपने दोनो निपल्स को उसके पूरे चेहरे पर फिराने लगी. ऐसा करते वक़्त इस बात का ज़रूर ख़याल रखा कि वो मेरे निपल्स को अपने मुँह मे ना भर सके. फिर अपने निपल्स उसके सीने पर और उसके लंड पर भी फिराया.
मेरे दोनो निपल्स एक एक इंच लंबे हो गये थे. दोनो फूल कर अंगूर जैसे दिख रहे थे. स्तन भी उत्तेजना मे कठोर हो चुके थे.
मेरी योनि से बुरी तरह से रस टपक रहा था. मेरा पहला स्खलन तो बिना कुच्छ किए ही हो चुक्का था. मैने अपनी दोनो टाँगों को फैला कर अपनी योनि को उसके लिंग पर रगड़ा. उसके लिंग को अपने रस से पूरी तरह भिगो दिया मगर ऐसा करते वक़्त ये ध्यान रखा की उसके खड़े लिंग को मेरी योनि मे घुसने का मौका नही मिल जाए. मैं तो उसे उत्तेजना मे पागल कर देना चाहती थी. वो बुरी तरह छॅट्पाटा रहा था
फिर मैं उसके चेहरे के दोनो ओर पैर रख कर अपनी योनि को उसके चेहरे के उपर रख कर उसके चेहरे के उपर धीरे धीरे नीचे किया.
" लो अब मुझे प्यार करो…..मेरे रस को चूस कर मेरे बदन मे आग लगा दो." कह कर मैने अपनी योनि को उसके होंठों पर च्छुअया. उसने अपनी जीभ निकाल कर मेरी योनि के उपर फिराया. मैने उसी अवस्था मे बैठे बैठे अपने एक हाथ की उंगलियों से अपनी योनि को फैला दिया जिससे उसकी जीभ अंदर तक घुस सके.
उसकी नरम जीभ की चुअन मेरी योनि मे सिहरन सी दौड़ा रही थी. उसने अपनी जीभ मेरी योनि के भीतर कर चारों ओर फिराने लगा.
मैं उत्तेजना मे अपने सिर को झटकने लगी. अपने ही हाथों से अपने स्तनो को मसल्ने लगी. अपने दोनो निपल्स को मैं बुरी तरह नोचे जा रही थी. तभी पूरे बदन मे सिहरन सी दौड़ने लगी और मेरी योनि के अंदर से वीर्य की धारा बह निकली.
मैने अपनी योनि को उसके होंठों से कुच्छ उपर उठा कर कुच्छ इस तरह सेट किया की योनि उसके होंठो के दो इंच उपर ही रहे.
मैने झुक कर नीचे देखा तो पाया मेरे रस की धार एक पतले तार के रूप लेकर मेरी योनि की फांको से निकल कर उसके होंठों के बीच जा रही है. उसने अपने होंठ खोल दिए थे मेरे वीर्य का स्वागत करने के लिए.
कुच्छ देर तक इस तरह बाते रहने के बाद जब वीर्य के बहाव का वेग कम हुआ तो उसने बूँदो की शक्ल ले लिया. फिर मैने वापस अपनी यपनि को उसके मुँह से लगाया तो उसने अपनी जीभ से मेरी योनि से सारा रस चाट चाट कर सॉफ कर दिया.
अब मैं उसको और ज़्यादा तड़पाना नही चाहती थी. अब मैं उससे जोरदार चुदाई की कामना कर रही थी. सच तो ये था कि अब मैं इतनी गर्म हो चुकी थी की मैं उसका रेप ही कर डालती.
मैने उसके बंधन खोल दिए. मैं उसके लिंग के दोनो ओर अपने पैरों को रख कर उसके लिंग को अपनी योनि मे लेने की तैयारी कर रही थी की वो तो बंधन से आज़ाद होते ही ख़ूँख़ार शेर की तरह एक दम मुझ पर झपट पड़ा. उसने मुझे इतनी ज़ोर का धक्का दिया कि मैं अपना बॅलेन्स ना रख पे और बिस्तर पर गिर पड़ी.
अब बाजी बदल चुकी थी. वो अब मेरे सीने पर सवार था. उसका लंड मेरे दोनो स्तनो के बीच तना हुआ खड़ा था. उसने मेरे दोनो हाथों को सिर के उपर उठा कर अपने हाथों से मजबूती से थाम लिया था.
" साली हरम्जादि बहुत परेशान कर दिया था तूने. अब मैं दिखाता हूँ कि असली मर्द किसे कहते हैं. आज चोद चोद कर तेरे जिस्म की सारी गर्मी उतारूँगा. अगर तुझसे रहम की भीख ना मंगवा लिया तो मेरा नाम नही." कह कर उसने एक बार झुक कर मेरे होंठों को अपने दाँतों से भींच कर दबा दिया.
" आहिस्ता….आराअम से……मैं कोई भागी नही जा रही हूँ. पूरी रात पड़ी है जैसी मर्ज़ी मुझे भोगना." मैने अपने होंठो के उसके बंधन से छ्छूटते ही कहा.
" आराम से?......तूने मुझे इतना सुलगा दिया है कि आज तेरे एक एक अंग को तोड़ मरोड़ कर रख दूँगा," अब वो नीचे सरक कर मेरी जांघों पर बैठ गया और अपने सिर को नीचे कर मेरे दोनो स्तनो पर अपने दाँत गढ़ा दिए.
" आआआहह………आआआआअ" मैं दर्द से चीख उठी. मैने देखा उसके दाँतों के निशान मेरे दोनो स्तनो के ऊपर पड़ चुके थे. ठीक वैसे ही अनगिनत निशान वो पूरे स्तनो पर उभारने मे लग गया. मैं दर्द से च्चटपटा रही थी. वो वहशी की तरह मेरे दोनो स्तनो को काट रहा था. दोनो निपल्स को तो बुरी तरह से दाँतों के बीच रख कर भींच दिया था.
फिर दोनो हथेलियों की मदद से भी वो मेरे दोनो स्तनो को बुरी तरह मसल्ने लगा. उसकी बेरहमी से दोनो स्तन सुर्ख लाल हो चुके थे. उन पर जगह जगह पर दाँतों के नीले नीले निशान उभर आए थे.
फिर वो पलट कर उल्टी साइड हो गया और उसने अपने लंड को मेरे होंठों पर दाब दिया. मैं उसका मतलब समझ कर अपने होंठों को खोल दी. उसने अपना लंड मेरे मुँह मे डाल दिया. फिर वो मुझ पर झुक कर मेरे जिस्म पर लेट गया. वो अपने होंठों को मेरे योनि के उपर उगे हल्के बालों पर फिराने लगा. अपने दंटो के बीच उनको दबा कर खींचने लगा. बीच बीच मे अपनी जीभ को भी मेरी योनि के उपर उभार पर फिराने लगता. वो अपने दाँतों से मेरी योनि के उभार को हल्के हल्के से दबाने लगा.
फिर उसने मेर नाभि पर अपनी जीभ फिराई. अपनी जीभ से मेरे नाभि को कुरेदने लगा. मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और अपने उपर कंट्रोल करना अब मुश्किल होता जा रहा था.
वो दोबारा सीधे हुआ. उसने मेरे दोनो हाथ सिर की तरफ कर अपने हाथों से जाकड़ लिया. अब मेरी भी हालत वैसी ही हो गयी थी जैसा मैने कुच्छ देर पहले उसके साथ किया था. मैं अपना ऊपरी बदन हिला दूला नही सकती थी. उसने अपनी जीभ निकाली और मेरे दोनो बगलों को चाटने लगा. मेरा अपनी उत्तेजना पर काबू अब नही रहा.
" ऊऊऊऊहह…….म्म्म्मम….बुऊउस्स….बुउउउस्स्स….आब अंदर डाल डूऊऊ. अयाया मेरीई जिस्म का रूम रूऊँ फदाक राआहा हाऐी….आजाआूओ एम्म" मैं बड़बड़ाने लगी थी.
" बस कुच्छ देर और." वो अब भी मुझे तड़पाना चाहता था.
" नाही अब मैं और नही बर्दाअस्त कार सकतिईईईईईईई. आअब आआजाऊ……….." मैं च्चटपटाने लगी.
" देखूं तो कितनी गर्म हो चुकी हो. " कहकर उसने अपनी हथेली मेरी योनि पर फिराया. उसकी हथेली मेरे बहते रस से सन गयी.
वो अपनी हथेली को हम दोनो की नज़रों के सामने लाया.
" ह्म्म्म्म……बहुत तप रही है तेरी भट्टी. अब इसकी आग बुझाना ही पड़ेगा." वो मेरी ओर देख कर मुस्कुराने लगा.
" आ जाओ……." मैने अपनी टाँगे चौड़ी कर दी.
" म्म्म्मम…..नही ऐसे नही." मुझे उस पर अब गुस्सा आने लगा. मन कर रहा था उसके जिस्म को तोड़ मरोड़ कर रख दूँ.
" पहले मुझे दिखाओ तुम्हे मेरे लंड की कितनी भूख है." उसने मेरे हाथों को छ्चोड़ दिया और बिस्तर से नीचे उतर गया.
मैने अपनी टाँगे हवा मे उँची कर दी. अपने हाथों को उसकी ओर फैला कर कहा,
" आअजाओ……उफफफफ्फ़ क्यों तड़पाते हूऊ……"
" क्या चाहिए तुम्हे……मैने सुना नही…….."
" तुम…..तुम्हारा लंड." मैने कहा.
" कहाँ?"
" यहाँ मेरी चूत मे…..प्लीज़ मुझे चोदो…..आआअहह मुझे चोदो….." मैं किसी लंड के लिए जल बिन मच्चली की तरह तड़प रही थी.
" मुझे सुनाई नही दिया. और ज़ोर से बोलो." वो मेरी हालत पर मुझे और परेशान कर मज़े ले रहा था.
मैने उसके खड़े लिंग को अपनी मुट्ठी मे पकड़ा और मेरी खुली हुई चूत की तरफ खींचा. वो हंसता हुआ मुझ पर झुकने लगा.
मैने अपनी एक हाथ की उंगलियों से अपनी योनि की फांकों को अलग किया और दूसरी मुट्ठी मे थामे उसके लंड को योनि के मुँह पर रखा. उसने अपने दोनो हाथों को मेरे कंधों के पास रख कर अपने जिस्म का संतुलन बनाया.
मुझसे अब और अपनी वासना पर काबू नही रखा जा पा रहा था. मैने उसकी आँखों मे झाँका तो वो अपने जिस्म को उसी पोज़िशन मे रख कर अपने लिंग को मेरी योनि के मुहाने पर टिकाए रखा था. मेरी टाँगे चौड़ी हो रही थी. उसके सामने मेरी योनि उत्तेजना मे पानी छ्चोड़ता जा रहा था.
मैने आव देखा ना ताव अपनी एडियों के बल पर कमर का बोझ डाला और एक झटके मे अपनी योनि मे उसके खूँटे के समान लटक रहे लंड को समा लिया.
फिर मैने अपनी बाँहों की माला उसकी गर्देन पर डाल कर अपने उपर के जिस्म को उसकी छाती से चिपका लिया और अपनी दोनो टाँगों से उसकी कमर को जाकड़ लिया. अब मैं किसी कमजोर बेल की तरह उसके जिस्म से चिपक चुकी थी.
वो मेरे उपर लेट गया और उसने मुझे चोदना शुरू किया. सेकेंड्स, मिनिट्स मे बदले… मिनिट्स घंटो मे और हम सारी रात एक दूसरे के जिस्म से गूँथे अपनी अपनी गर्मी को शांत करते रहे.
बाहर बर्फ़ीली हवाएँ चल रही थी और अंदर हम दोनो पसीने मे डूबे हुए थे. एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश मे एक दूसरे से गूँथे हुए हम कब नींद की आगोश मे डूब गये पता ही नही चला.
सुबह जब आँख खुली तो जिस्म बुरी तरह टूट रहा था. मैने रात के गेम की याद करते हुए अपनी बगल मे देखा तो तेज मेरे जिस्म से सटा हुया सो रहा था. उसकी एक जाँघ मेरे दोनो जांघों के बीच मेरी योनि से सटी हुई थी और बाँहों के नीचे मेरे स्तन दबे हुए थे. मैं धीरे से उसके बदन से अलग होकर बाथरूम जाने को उठी तो उसने मेरी बाँह पकड़ कर मुझे वापस बिस्तर पर गिरा लिया.
फिर मुझे किसी जानवर की तरह हाथों और पैरों के बल खड़ा किया और मेरी योनि मे पीछे की ओर से अपना लंड डाल कर ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा.
कुच्छ धक्कों के बाद उसने मेरे जिस्म को उसी पोज़िशन मे घुमाया. अब कमरे मे लगे ड्रेसिंग टेबल की ओर मेरा मुँह हो गया था. वो मेरे पीछे की ओर से ज़ोर ज़ोर से धक्का मार रहा था.
उसने मेरे बालों को अपनी मुट्ठी मे थामा और अपनी ओर खींचा. मेरा चेहरा खूदबा खुद उपर हो गया. मेरी आँखे सामने लगे आईने पर पड़ी. मैने अपने आप को बुरी तरह चुद्ते हुए देखा. मेरी बड़ी बड़ी चूचियाँ हर धक्के से बुरी तरह उच्छल रही थी. आईने मे मेरी नज़रें उससे मिली.
तेज मुस्कुरा रहा था. मेरे भी होंठों पर मुस्कुराहट दौड़ गयी.
" कैसा लग रहा है? अच्च्छा लगा? " उसने मुस्कुराते हुए पूछा.
" ह्म्म्म्म…… बहुत अच्च्छा……आआहह…… उम्म्म…. एसस्स्सस्स…. छोड़ूऊ….. और ज़ूर सीए छोड़ूऊ…… बहुउुउट मजाअ आ रहाआ हाईईइ. ऐसाआ ल्ाअग रहाा हाीइ माणूओ मई हवाअ मे उड़तिीई जा रहिी हूऊओन. आआहह मीराअ निकलनीी वलाअ हाऐी."
" दो सेकेंड…..तूदा रोकूऊऊ…….हुंग हुंग…. दोनो ईक स्ाआत निकालेंगे… हुंग म्म्म्मम हुंग." तेज बड़बड़ाने लगा और उसके धक्कों की गति बढ़ गयी थी.
" हाां हाा……आाूऊ….. मेरे साआत आऊ……. ह्म्म्म्ममम" मैं अपने वीर्य के बहाव को रोकने के लिए अपनी योनि के मुस्सलेस को कड़े कर दिए जिससे उसका लंड और बुरी तरह भींच गया. फिर अगले ही पल…
" आआआअहह……. मेर्र्रिईई……. ज़ाआआअँ….. आआओ…… मेरीई……. साआत आऊओ….." फिर हम दोनो एक साथ झाड़ गये. हम दोनो बुरी तरह हाँफ रहे थे. मैं वहीं बिस्तर पर गिर पड़ी. मेरे उपर तेज भी हानफते हानफते पसर गया.
काफ़ी देर तक हम एक दूसरे से लिपटे हुए हानफते रहे. मैने तेज के होंठों पर अपने गीले होंठ रख दिए. तेज मेरे होंठों को बुरी तरह चूसने लगा.
कुच्छ देर तक उसी तरह पसरे रहने के बाद हम दोबारा एक दूसरे से गूँथ गये. वो दोबारा मुझे अगले गेम के लिए गरम करने लगा. फिर तो रात भर गेम पर गेम चलते रहे. ना मैं हारी ना ही वो हरा..
लेकिन सुबह तक हम दोनो की आँखों से नींद कोसों दूर थी. हम रात भर एक दूसरे से खूब एंजाय किए.
सुबह तेज मुझे एरपोर्ट तक छ्चोड़ आया. वो मेरी उससे आख़िरी मुलाकात थी. मैने उसकी जेब भर दी अपने टिप से. रास्ते भर मैं सोती रही. पता ही नही चला रास्ता कब काट गया. घर आकर भी पूरे दिन मैं अपनी थकान उतारती रही.
मैने अगले दिन अपना रिपोर्ट सब्मिट किया तो अख़बार के मालिकों ने मेरी खूब तारीफ की. दोनो ने मुझे अपने कॅबिन मे आफ्टर ड्यूटी अवर्स बुला कर पहले मेरी घंटे भर तक खुमारी उतारी. दोनो मुझे अपने बीच सॅंडविच बना कर अपने अपने लंड एक ही चूत मे डालने की कोशिश की. मैं दर्द से च्चटपटाने लगी. दोनो मे से एक का लंड तो अंदर चला गया मगर दूसरे का सिर्फ़ उपर वाला टोपा अंदर लेते ही मेरी जान हलाक तक आ गयी. दोनो ने मुझे एक साथ चोदने की काफ़ी कोशिशें की मगर आंगल सही ना बन पाने की वजह से दोनो लंड एक साथ अंदर डालने मे दिक्कत आ रही थी. मैं भी दोनो के लंड एक साथ झेलने की मुसीबत से बचने के लिए आगे सरक जाती थी.
आख़िर मे दोनो ने आगे पीछे के अलग अलग च्छेदों पर कब्जा जमा कर मेरी चुदाई की. दो घंटों तक वो मुझे जगह बदल बदल कर चोदा. सामूहिक सेक्स की मैं अब ऐसी दीवानी हो चुकी थी कि एक मर्द के साथ सहवास मे मज़ा ही नही आता था. लगता था की मेरे सारे छेदों की घिसाई एक साथ हो.
मैं शाम ऑफीस से थॅकी हारी घर लौटी. रात को जीवन के साथ सेक्स मे उतना मज़ा नही आया. अगले दिन मैने आश्रम जाने का निस्चय किया.
मैने सुबह सबसे पहले उठ कर आश्रम मे फोन किया. काफ़ी देर तक फोन लगाती रही. दूसरी ओर घंटी बजती रही मगर किसी ने भी नही उठाया. आश्रम के जितने भी नंबर थे सब पर रिंग किया मगर किसी भी फोन को नही उठाया गया .
मैने शन्शित होकर जीवन से पूछा, " क्या बात है आश्रम से कोई भी फोन नही उठा रहा है. मेरे पीछे से तुमने किसी से कॉंटॅक्ट किया था क्या."
" नही मैने तो कोई फोन नही किया था हाँ बीच मे कुच्छ खबर छपी थी. ठहरो मैं देखता हूँ पुराना अख़बार" जीवन ने कहा और फिर अख़बारों के बीच ढूंढता हुआ एक अख़बार लाकर मुझे दिखाया. उसमे लिखा था,
" ढोंगी साधुओं का परदा फ़ाश……….. कई शहरों मे चल रहे कुच्छ ढोंगी साधु भोली भौली और सेक्स की भूखी औरतों को अपने चंगुल मे फँसा कर उनके साथ शारीरिक संबंध बनाते हैं और फिर अपना काम निकलवाने के लिए उनका शारीरिक शोषण करते हैं."
" कई ढोंगी अपने आप को देवता कह कर प्रचार करने वाले स्वयंभू गुरु अंडरग्राउंड हुए….."
" जगत पूरा के आश्रम की पोलीस ने रेड की…..…"
" कुच्छ आपत्ति जनक दस्तावेज़ों के अलावा पोलीस के हाथ कुच्छ भी नही लगा…..पूरा आश्रम खाली पड़ा था…….आश्रम वासी अंडरग्राउंड हो चुके थे."
मैने तुरंत देल्ही आश्रम मे फोन लगाया मगर वहाँ से भी कोई रेस्पॉन्स नही मिला. दिशा का भी मोबाइल स्विच ऑफ पड़ा था. जब मैने दिशा के हज़्बेंड को फोन लगाया तब जाकर फोन मिला.
"देवेंदर जी मैं रश्मि….."
" हां हां….पहचान गया . बोलो कैसी हो….बहुत दिनो बाद तुम्हारी आवाज़ सुनी." उधर से आवाज़ आई.
" मैं दो महीने इंडिया से बाहर थी. कल ही लौटी हूँ. मैने इसलिए फोन किया था कि आश्रम मे किसी से बात नही हो पा रही है. कहाँ हैं सब….?"
" तुम थी नही इसलिए तुम्हे सूचना नही मिल पाई होगी. स्वामी जी अभी देश के बाहर हैं. उनके साथ रजनी , करिश्मा, दिशा, सेवकराम और दो तीन ख़ास लोग हैं. ये अभी कुच्छ महीने नैरोबी वेल आश्रम मे रहेंगे. तुमने सुना होगा की जगत पूरा मे पोलीस की रेड हो चुकी है. वहाँ जब कोई नही मिला तो पोलीस ने संघ के दूसरे अश्रमों पर भी रेड किया है. स्वामी जी को पहले आभास हो चुक्का था इसलिए वो ख़ास खास लोगों को साथ लेकर देश से बाहर चले गये. यहाँ रहते तो जैल होने से कोई नही बचा सकता था उन्हे."
" मगर……"
" नही रश्मि उनके खिलाफ फिर दर्ज हो चुक्का है. पोलीस को देल्ही आश्रम से कुच्छ सीडी भी मिली है. जिसमे मैने सुना है की तुम्हारी और दिशा की फोटो है. पोलीस अभी तक तुम्हे खोजती हुई वहाँ तो नही पहुँची?"
" नही………" मैने कहा. मेरी धड़कने तेज होने लगी थी. सिर तेज़ी से चकराने लगा था.
" बेहतर होगा तुम कुच्छ दिनो के लिए अंडरग्राउंड हो जाओ. या अपना पता बदल लो. उसमे तुम लोगों का नाम नही था इसलिए पोलीस तुम लोगों की सिनाख्त कर पाने मे अभी तक असमर्थ है. लेकिन किसी भी वक़्त उनके हाथ तुम तक पहुँच सकते हैं."
मुझे अपने आस पास सब कुच्छ घूमता हुआ लगा. मेरे पैर मेरे बदन के बोझ से मुड़ने लगे. मेरी आँखों के आगे अंधेरा च्छा गया और मैं धदाम से वहीं फर्श पर गिर पड़ी.
फोन पर काफ़ी देर तक "हेलो", "हेलो".....की आवाज़ आती रही मगर मेरे बदन मे किसी तरह की हरकती नही थी. मैं सदमे से बेहोश हो चुकी थी.
समाप्त
ऐसी कहानियों का अंत इस तरह ही होता है. हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होता. मैं तो कहता हूँ कि 80% स्वामी या पैगमार या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 20% खराब भी होते हैं. इन 20% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं.
अगर कहानी किसी को पसंद नही आई हो तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक थी इसका किसी से कोई लेना देना नही था.
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