01-04-2019, 01:44 AM,
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RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
शायद मेरी इस दुआ का असर भी हुआ| करीब दो घंटे बाद मैं उठा ये देखने के लिए की संगीता सो रही है या जाग रही है? देख के इत्मीनान हुआ की वो सो रही है| मैं दिवार का सहारा ले के खड़ा-खड़ा उसे निहारता रहा| एक बार को मन किया की उसे चूम लूँ| पर फिर खुद को रोक लिया की कहीं वो जाग ना जाये| सोये हुए उनके मस्तक पे जो सुकून था ....बस यही सुकून में उनके चेहरे पे हमेशा देखना चाहता था|" ऐ खुद मैंने कुछ ज्यादा तो नहीं माँगा था तुझ से?"
तभी आयुष की नींद कच्ची हो गई, वो अपना हाथ फेर के मुझे बिस्तर पे ढूंढने लगा| तो मैं भी जाके वापस लेट गया और उसके सर पे हाथ फेरने लगा| आधे घंटे में वो भी चैन की नींद सो गया और मैं जागता रहा| नींद तो उडी हुई थी ...मन यही सोच रहा था की कैसे उनके मन का डर दूर करूँ? दिल में बस यही बात चुभ रही थी की तू अपनी पत्नी का ख्याल नहीं रख सकता! धिक्कार है तुझ पे! बस इसी सोच ने मुझे खुद को दंड देने के लिए मजबूर कर दिया| मैंने टी-शर्ट और पजामा पहना था और मैं उन्हीं कपड़ों में छत पे आ गया| सर्दी की रात वो भी almost नंगे बदन ...क्या हालत होगी....? ठंडी-ठंडी हवा जब शरीर को छूती तो ऐसा लगता मानो किसी ने गाल पे तमाचा मारा हो| हवा के थपेड़े झेलते हुए मैं हाथ बांधे खड़ा रहा, मुंह से धुआँ लगातार निकल रहा था| खुद को सजा देने का ये तरीका सही था...और मैं deserving था इस सजा को! कोहरा घाना था और अब मेरी कंप-कंपी छूटने लगी थी| बस दस मिनट और मेरी हालत ख़राब होने लगी| तभी मुझे किसी के क़दमों की आहट आई, मैंने पलट के देखा तो कोई नहीं था मैं सीढ़ियों की तरफ बढ़ा, मुझे लगा कोई चोर छत पार कर हमारे घर तो नहीं घुस गया| इसलिए मैं दबे पाँव नीचे आया और सारा घर छान मारा पर कोई नहीं मिला! मुझे लगा की मेरा वहम् होगा| इसलिए मैं वापस कमरे में आ गया और इधर से उधर चक्कर मारने लगा, तभी आयुष भी बिस्तर पे मेरी मौजूदगी टटोलने लगा| तो मैं फिर से उसके पास लेट गया और उसकी पीठ सहलाने लगा ताकि वो उठे ना| पर वो उठा और बोला;
आयुष: पापा ...बाथरूम जाना है!
मैं ने उसे गोद में उठाया और बाथरूम ले गया| फिर जब वो बाथरूम से निकला तो उसे वापस बिस्तर में लिटा दिया और तभी नेहा जाग गई उसे भी बाथरूम जाना था, तो उसे भी गोद में उठा के बाथरूम ले गया| वापस आया तो आयुष भी जाग रहा था! मैंने नेहा को लिटाया और खुद भी लेट गया| पर ये क्या आयुष आके मेरी छाती पे सर रख के लेट गया और नेहा आके मुझसे लिपट गई| दोनों बच्चों ने मुझे "जकड" रखा था की मैं फिर कहीं न चला जाऊँ| जैसे की वो जानते थे की मैं खुद को सजा दे रहा हूँ| मुझे संगीता की भी चूड़ियों की खनक सुनाई दी लगा की वो भी जाग रही है|
मैं: सोये नहीं आप?
संगीता: आप भी तो सोये नहीं?
मैंने कोई जवाब नहीं दिया और उम्मीद करने लगा की वो नजदीक आके हमारे साथ सो जाएँगी पर वो तो आयुष को ही समझने लगीं;
संगीता: आयुष ...बेटा पापा को सोने दो! क्यों तंग करते हो?
आयुष: नहीं मम्मी मैं यहीं सोऊँगा|
मैं: रहने दो ना....आप तो नजदीक आते नहीं और बच्चे को भी नजदीक आने नहीं देते?
मैंने बात घुमा फिरा के कही पर वो समझ गईं की मेरा मतलब क्या है और मैं एक बार फिर उम्मीद करने लगा की वो आके मुझसे लिपट जाएँगी पर ऐसा नहीं हुआ| उन्होंने फिर से दूसरी तरफ करवट की और सो गईं| अब तो मैं हिल भी नहीं सकता था की जाके उन्हें check करूँ की वो सो रही हैं या नहीं? खेर इसी तरह जागते-जागते सुबह हो गई| आज 4 तरीक थी और जो Contract हमने हाथ में लिया था आज वो पूरा हो चूका था| मैं Bed-पोस्ट का सहारा ले के बैठा था और चाय पि रहा था| ठण्ड ज्यादा थी तो पिताजी की हिदायत थी की अपने कमरे में ही रहा जाए क्योंकि बाहर hall में बहुत ठण्ड थी| संगीता कपडे iron कर रही थी|
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RE: Sex Hindi Kahani एक अनोखा बंधन
तभी फोन की घंटी बजी, फ़ोन संतोष का था;
मैं: हाँ संतोष बोल?
संतोष: Good Morning भैया, वो party आज काम देखने आ रही है| मालिक ने पर्सनल गारंटी पे ये काम कराया था तो अगर आप आ जाते तो अच्छा होता और check भी ले लेते?
मैं: Sorry यार नहीं आ पाउँगा| काम तो बढ़िया हो चूका है, तू ही मिल ले और check ले के अकाउंट में डाल दे|
संतोष: जी ठीक है|
मैंने फोन काटा, संगीता ने बिना मेरी तरफ देखे ही कहा;
संगीता: कब तक मेरी वजह से रोज़ी से मुंह मोड़ के बैठे रहोगे?
वो बात बहुत चुभी मुझे.... क्योंकि वो ऐसी बात मुझे प्यार से भी कह सकती थीं और तब मुझे बुरा नहीं लगता पर वो लहजा बहुत गलत था| मैं ये भी सह गया और कुछ नहीं बोला बस फटाफट उठा और कपडे बदल के तैयार हुआ और संतोष से कह दिया की मैं आ रहा हूँ| सुबह के दस बज चुके थे और कोहरा छत रहा था| पिताजी डाइनिंग टेबल पे आचुके थे और नाश्ते की तैयारी हो रही थी;
मैं: पिताजी मैं जा रहा हूँ| वो party से check collect करना है|
पिताजी: अच्छा ये ले मेरा मोबाइल, वो builder का फ़ोन आया था की आज check ले लेना| अब तू जा रहा है तो लेता आईओ|
मैं: ठीक है पर मैं आपके मोबाइल का क्या करूँ?
पिताजी: अरे तुझे तो पता है उस बिल्डर का, उसके पास तेरा नंबर है नहीं! अब वो मुझे फोन करेगा की check ले जाओ और फिर मैं तुझे फोन करूँगा? वैसे भी मेरी तबियत थोड़ी ठीक नहीं है तो मैं तो दवाई खा के सोने जा रहा हूँ|
मैं: ठीक है मैं check ले लूँगा|
पिताजी: पर नाश्ता ओ कर ले?
मैं: late हो जाऊँगा| Gurgaon जाना है!
पिताजी: ठीक है, पर गाडी संभाल के चलाना|
मैं: जी!
मैं साइट पे आ गया और party को काम दिखाया तो वो खुश हुई| दरअसल वो एक बाहर की कंपनी थी और हमारे within time में काम कम्पलीट करने पे खुश हुई और extra 5०००/- भी दिए| मैं संगीता के बारे में इतना सोच रहा था की उनके extra पैसे देने पे react ही नहीं कर पाया|
Mr.John: Manu are you not happy?
मैं: I’m sorry sir….actually I was thinking something! Sorry!
Mr.John: What were you thinking?
मैं: That when’s the next time we’ll get a contract from you? (मैंने किसी तरह बात संभाल ली थी| और अंग्रेज ने भी हंस के बात टाल दी थी|)
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I'm Back to Complete My Story !!
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