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RE: मेरी मौसी और उसकी बेटी सिमरन
फिर मौसी ने उसका हाथ पकड़ कहा, “आओ बेटी मैं तुमको प्यार करवा दूं भाई से.”
सिमरन घबराती और शरमाती सी बोली, “ज्ज्ज.. म्म्मामी आप जाइए मे….मे..”
“क्या मैं मे कर रही है?”
“जी मैं करवा लूँगी.”
“क्या करवा लेगी, बोल अपने भाई को अपना माल दिखाई?”
“ज्जजई…”
“और उसे प्यार भी करने देना.”
“ज्ज्ज..”
“ठीक है मैं जा रही हूँ.”
फिर मौसी जैसे ही बाहर गयी मैंने उसे पकड़ लिया और उसके होंठो को चूमते कहा, “दिखाओ अपना माल.”
“भैया दरवाज़ा तो बंद कर लो.”
“पगली दरवाज़ा क्या बंद करना मौसी तो खुद ही कह गयी हैं.”
तब उसने मुस्कराते हुए अपने कपड़ो को अलग किया और फिर नंगी हो अपने मम्मों को पकड़ बोली, “लो भैया देखो अपनी बहन का माल.”
मे उसके मम्मों को पकड़ दबा दबा चूसने लगा. वह मुस्करती हुई मुझे देखने लगी. कुछ देर बाद वह मेरे बालों मे हाथ फेरते बोली, “भैया पहले मेरी चाट कर झड़वा दो फिर चूसना.”
तब मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी चूत के पास जा चूत को देखते कहा, “हाये कितनी प्यारी चूत है, मज़ा आ जाएगा इसको चाट कर.”
“तू चाटो ना इसे भाई आपकी ही है.”
फिर मैंने ज़ुबान निकाल उसकी चूत को 8-10 चाटा फिर अंदर तक जीभ पेल चाटने लगा 50-55 बार चाटा तब उसकी चूत ने फुच से पानी फेंका. नमकीन पानी निकलते ही मैं अलग हुआ तो वह हाये हाये करती बोली, “मज़ा आ गया भैया.”
फिर मैंने कुछ देर उसके मम्मों को मुँह मे लेकर चूसा और फिर जब वह एकदम मस्त हो गयी तो अपनी पॅंट खोल लंड को निकाल उसे दिया. उसने मेरे लंड को पकड़ा और फ़ौरन मुँह मे ले लिया. वह मेरे लंड को होंठो से दबा दबा कसकर चूस रही थी. 30-35 बार चूसा था कि मैंने लंड बाहर निकाल लिया.
“क्या हुआ भैया?”
“अब चुद्वाओ अपनी.”
“नही नही भैया प्लीज़..”
“अरे यार डरती क्यों है.”
“नही नही मुझे नही चुद्वाना. चुस्वाकर झडवालूँगी पर चुद्वाउंगी नही.”
“तब मैंने उसके मुँह को ही चोद्कर अपना झाड़ा.”
फिर मैं गुस्सा दिखाते अपने रूम मे चला गया.
अगले दिन सुबह नाश्ते पर मौसी ने पूछा, “बेटी रात मे भाई ने तुमको प्यार किया था?”
वह शरमाई तो मौसी ने मुझसे कहा, “क्यों बेटा रात मे अपनी बहन को प्यार किया था?”
“हां मौसी थोड़ा सा किया था.”
“थोड़ा सा क्या मतलब?”
“यह कुछ करने ही नही देती.”
“क्यों बेटी अरे मैंने कहा था जो भाई करे करने देना, चलो कोई बात नही नाश्ता हो गया चलो अब मेरे रूम मे दोनो लोग देखते हैं तुम लोग क्या करते हो.”
फिर मौसी हम दोनो को अपने रूम मे ला खुद बेड पर बैठी और मुझे एक ओर बिठा सिमरन का हाथ पकड़ उसे अपने पास बिठा उसके गालो को सहलाती प्यार से बोली, “बेटी क्या हुआ बोलो भाई तुमको परेशान करता है क्या?”
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RE: मेरी मौसी और उसकी बेटी सिमरन
वह चुप रही तो मौसी ने फिर कहा, “बेटी कल रात मैंने देखा था कि तुम अपने भाई की गोद मे बैठी हो.”
“ज्ज्ज्जई…”
“हां हां बोलो, तुम अपने भाई की गोद मे बैठती हो कि नही?”
वह शरमाई तो मौसी ने कहा, “अरे बेटी शरमाओ नही अपने भाई की ही गोद मे बैठी थी ना कोई बाहर वाले की गोद मे तो नही, कोई बात नही तुम लोग जो मन करे किया करो.”
फिर मौसी मुझसे बोली, “क्यों बेटा तुम अपनी बहन को अपनी गोद मे बिठाते हो.”
“जी मौसी मुझे बहुत अच्छा लगता है जब यह मेरी गोद मे बैठती है. और…”
“और क्या बेटा?”
“और मैं इसे अपनी गोद मे बिठाकर इसके दोनो पकड़कर…”
“क्या तुम तो ना शरमाओ अपनी बहन की तरह.”
“और मे इसके दोनो मम्मों को पकड़ कर दबा दबा इसको चूमता हूँ.”
सिमरन तो मेरी बात सुन शरमा कर घबराने सी लगी पर मौसी ने कहा, “और क्या क्या किया है तुमने मेरी बेटी के साथ?”
“मौसी मैंने अपनी प्यारी बहन को अपना लंड पिलाया है और इसकी मम्मों का रस पिया है और इसकी चूत को खूब चाटा है.”
“अरे तुम दोनो इतना सब कर चुके हो. क्यों बेटी तुमने अपने भाई का लंड मुँह से चूसा है और अपनी मम्मे चुसवाये हैं?”
“ज्जज्ज…” सिमरन हिचकिचाई.
“हाँ मौसी तेरी यह बेटी लंड को खूब कसकर चूसती है और सारा पानी मुँह मे ही लेती है और मौसी अपने मम्मों को खूब दबा दबाकर पिलाती है सारा रस मेरे मुँह मे निचोड़ देती है.”
मौसी सिमरन के चेहरे को पकड़ बोली, “मे तो कह रही थी कि थोड़ा बहुत भाई को दिखा दिया करो पर तुमने तो खूब मज़े लिए अपने भैया से, चलो कोई बात नही बेटी आज तुम लोग और मज़ा लो.”
“मौसी प्लीज़ आज मैं इसको चोदूँगा.”
“अरे तो चोदो ना कोई मना करता है क्या? बेटी अपने भाई का लंड चूत मे लो बहुत मज़ा आएगा.”
यह बात सुन सिमरन खुल कर बोली, “मम्मी मैं भैया का लंड मुँह मे तो रोज़ ही लेती हूँ पर चूत मे आज पहली बार लूँगी इसलिए प्लीज़ आप भी साथ रहिएगा.”
“ठीक है बेटी राज बेटा चलो आज पहले मुझे चोद्कर अपनी बहन को दिखाओ फिर इसको चोद्ना.”
“अब उपर आओ ना बेड पर यूँही खड़े रहो गे क्या? यहाँ आओ बेटा.” मौसी ने मेरा हाथ पकड़ मुझे बिठा लिया.
“यहाँ नही हमारे दरमियाँ आओ, आज यहाँ ही केरते हैं जो केरना है. सिमरन वैसे भी घबरा रही है, मुझे ही कुछ करना पड़ेगा.” मौसी ने नकली गुस्सा देखते हुए मुस्कुरा कर कहा और मुझे अपने और सिमरन के बीच बिठा लिया.
“अच्छा अब जो कहती जाऊं वैसे केरते जाओ तुम दोनो! ओके!”
हम दोनो ने खामोशी से सिर हिला दिया.
“पहले तो तुम दोनो रिलैक्स हो जाओ कुछ नही हो गा किसी को ओके! और ये तो उतारो.” मौसी मेरी शर्ट उतारने लगी उस ने बाज़ू उपर करके शर्ट उतरवा ली, फिर मौसी ने मेरी चेस्ट पे हाथ फेरा.
“देखो सिमरन तेरे भाई के जिस्म पे कैसे प्यारे कट्स हैं.” मौसी ने सिमरन का हाथ पकड़ के मेरे चेस्ट पे रख दिया. सिमरन का दिल एक बार ज़ोर से धड़का लेकिन उस ने हिम्मत नही छोड़ी और हल्के हल्के अपना गर्म गर्म हाथ मेरे चेस्ट पे फैरने लगी. मैं अब रिलैक्स था मेरा लंड आहिस्ता आहिस्ता फूलने लगा था. तभी मौसी ने मेरे पैट पे हाथ फेरते हुए मेरे सेमी एरेक्टेड कॉक को ट्राउज़र के उपर से ही पकड़ लिया और बोली, “अररे क्या केरते हो!! जवान बनो, चलो ये भी उतारो.”
और मौसी ने मेरा ट्राउज़र भी उतार दिया. मैंने हल्का सा खुद को उठा कर ट्राउज़र उतारने मे मौसी की मदद की. अब मैं दोनो के दरमियाँ बिल्कुल नंगा बैठा था. सिमरन की नज़ारे मेरे सेमी एरेक्टेड लंड पर थीं जो कि मौसी के हाथ मे था. उस का दिल अब और भी ज़ोर से धरकने लगा था.
“राज बेटा इस को बड़ा करो.” मौसी ने कहा.
“मौसी आप खुद ही कर लो ना, आप को तो आता है ना.” मैंने मौसी की तरफ देखते हुए जवाब दिया.
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RE: मेरी मौसी और उसकी बेटी सिमरन
कुछ देर मे सिमरन का दर्द कम हुआ और वह कुछ संभल गई. उस ने एक ज़ोर की साँस ली और बोली, “आअहह मम्मी मुझे तो भैया ने मार ही डाला था.”
“बेटी अब दर्द कम हुआ ना?”
“हां अब ठीक है.” सिमरन अब खुश थी. “बेटा अब तुम अपना लंड हल्के हल्के अपनी बहन की चूत मे अंदर बाहर करो.” मौसी ने मुझसे कहा और मैं अपने लंड को सिमरन की चूत मे आहिस्ता आहिस्ता अंदर बाहर केरने लगा.
इससे मुझे और सिमरन को मज़ा आने लगा. सिमरन की सिसकियाँ फिर से गूंजने लगी. उस ने आँखे बंद कर लीं. मैंने भी आँखे बंद कर लीं. मैं आज बहुत मस्त था. मौसी की चूत चुदी और फैली थी पर सिमरन की तो कुँवारी थी और बहुत ही कसी और गरम थी. मेरे लंड से मेरी बहन की चूत मे मेरी ज़ुबान और उंगली ही गयी थी. जाने कब मेरे धक्को मे तेज़ी आ गई. हम दोनो को ही पता ना चला लेकिन अब दर्द नही केवल मज़ा और सरूर था.
“हां हां हाआअँ और तेज़ तेज़ हा हा हा आ आ, हहाायी ऊओ आह भैया हहान और तेज़.” हर झटके के साथ
सिमरन के मुँह से एक लफ्ज़ निकल रहा था.
मौसी सिमरन के पास से हट गई और साथ लेट कर दोनो की चुदाई देखने लगी. मौसी के होंठो पे मुस्कान थी. मैंने हाथ बेड से हटा लिए और मैं सिमरन पे गिर गया और उसके होंठ चूसने लगा. अब धक्कों मे काफ़ी तेज़ी आ गयी थी. मेरा लंड सिमरन की गीली चूत मे आराम से आ जा रहा था. मेरे हर झटके मे मेरे बाल सिमरन की चूत को छू जाते थे. मेरे टेस्टिकल्स सिमरन के कूल्हों को छू जाते. दोनो पसीने मे नहा गये थे जिस से कमरे मे फूच फूच की आवाज़े आ रही थीं. दोनो मस्ती मे चूर एक दूसरे को खूब जोश से चोद रहे थे और मौसी हमारे पास लेटी हमारी चुदाई देख खुश हो रही थी. वह आज बहुत खुश थी बेटी को भांजे से चुदवाकर. मैं भी अपनी बहन को चोद बहुत मस्त था.
“राज बेटा अंदर ही मत झड़ जाना. झड़ने से पहले अपना लंड बाहर निकाल लेना.” मौसी ने मुझे देखते हुए कहा.
“ओके!” मैंने ने तेज़ी से झटके लगाते हुए कहा और फिर कुछ देर बाद मैंने अपने लंड सिमरन की चूत से निकाल लिया और साथ मे सिमरन की चूत पर झड़ने लगा.
“आआआअ!!!!!!!!!!!!!” मेरे मुँह से एक तेज़ सिसकारी निकली और मेरा गर्म गर्म पानी सिमरन की चूत पे और फव्वारे की तरह उसके पेट और मम्मों पे भी गिरा. मैं तो झड़ा ही साथ ही सिमरन की चूत ने भी मेरा लंड बाहर आते ही बहुत सा पानी छोड़ दिया. वह भी एक बार फिर झड़ने लगी और उस ने अपनी टांगे जो काफ़ी देर से हवा मे थीं बेड पे रख लीं और मैं झड़ने के बाद उसके उपर ही लेट गया. सिमरन मेरे होंठो को चूमने लगी.
“आअहह भैया बहुत शुक्रिया.” वह मुझसे बोली.
“सिमरन तुम्हारा भी शुक्रिया.” मैंने आँखे बंद केरते हुए कहा और दोनो अपनी साँसे हल्की करने लगे.
काफ़ी देर यूँ ही लेटे रहने के बाद मैंने करवट ली और फिर दोनो के दरमियाँ लेट गया तो मौसी ने मेरा चेहरा अपनी ओर करते कहा “अब खुश है मेरा राजा बेटा?”
मैंने मौसी के होंठो को जोश से चूम लिया तो मौसी मुझसे बोली, “ये था तुम्हारे इतने दिनो का इनाम. अपनी मौसी की चुदी पुरानी चूत और गाँड मारने के बदले तुमको अपनी बहन की ताज़ी कसी अनचुदी चूत मिली है.” फिर हाथ बढ़ा सिमरन की एक चूची को पकड़ हल्के से सहलाते कहा, “हाये सिमरन तुम ठीक तो हो ना?”
“हां! मम्मी भैया ने तो मेरी फाड़ ही डाली.” सिमरन ने हस्ते हुए कहा तो हम तीनो हसने लगे.
“लेकिन मम्मी मज़ा बहुत आया.” सिमरन ने छत की तरफ देखते हुए कहा और उस ने हाथ बढ़ा कर मेरा लंड पकड़ लिया.
मेरा लंड फिर से खड़ा हो चुका था. लंड पकड़ते ही उसके मुँह से निकला, “हाये माँ! ये तो फिर से खड़ा हो रहा है.” और फिर तीनो की हँसी निकल गई.
“बेटी इसीलिए तो कह रही थी कि बाहर के लड़के से ख़तरा तो रहता ही है मज़ा भी पूरा नही आता. घर पर जब तक चाहो चुदवाती रहो. बाहर वक़्त नही मिलता और घर पर भाई के साथ ही रात भर लेटो. अब ये तुम्हारा है अब इस से खूब मज़े करो क्यों बेटा?” मौसी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा.
“हां मौसी अब यह जब चाहे मेरा लंड अपनी चूत मे ले सकती है.” कहते हुए करवट ले कर मौसी की मम्मों को चूमा और दोनो मम्मों को दोनो हाथो मे पकड़ लिया.
“मौसी अब आप को चोदूँगा.” मैंने मौसी की तरफ देखते हुए कहा.
“हां बाबा करेंगे लेकिन अभी मेरे यहाँ का दरवाज़ा बंद है.” मौसी ने शलवार के ऊपर से अपनी चूत पे हाथ लगाते हुए कहा.
“क्या मतलब? मैं समझा नही यहाँ दरवाज़ा भी होता है क्या?” मैंने हैरान होते हुए पूछा और दोनो लोग हसणे लगीं.
“अररे बुद्धू! लड़कियो को हर महीने मे यहाँ से ब्लड आता है जोकि गंदा होता है और इस दौरान चुदाई नही केरते ये और 6/7 दिन आता रहता है. समझे!” मौसी ने उसे समझाइया.
“क्या ब्लड! लेकिन इस से कुछ होता नही क्या हर लड़की को आता है?” मैंने परेशान होते हुए पूछा.
“हां हर लड़की को आता है, थोड़ा दर्द होता है कमर मे लेकिन और कुछ नही होता ये कुदरत का नियम है. आजकल मेरे आ रहा है. जब तक मेरे आए तू अपनी बहन को चोद कुछ दिनो के बाद तेरी बहन को आएगा तब तू मेरी चोद्ना.” मौसी ने जवाब दिया.
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