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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
नाज़िया की फुद्दि एक दम खुसक थी..जैसे मेरा लंड नाज़िया की फुद्दि को चीरता हुआ अंदर घुसा नाज़िया दर्द से एक दम चीख उठी…..”या खुदा मर गयी……”
लेकिन मेरे सर पर तो, वहसी जानवर सवार हो चुका था…मैने नाज़िया के बालों को एक हाथ से पकड़ कर पीछे की तरफ खेंचा और दूसरे हाथ से नाज़िया की लेफ्ट मम्मे को कमीज़ के ऊपेर से दबाते हुए शॉट लगाने शुरू कर दिए….नाज़िया ने अपने फेस को घुमा कर मेरी तरफ देखा तो, उसकी आँखो में आँसू थे…
.”खुदा के लिए मुझ पर तरश खाओ….अहह समीर धीरे ओह हइई अम्मी….काढ़ ले समीर…..” नाज़िया ने दर्द से चिल्लाते हुए कहा,…..
उसकी फुद्दि एक दम खुसक थी…जिसकी वजह से उसे दर्द हो रहा था…लेकिन मुझ पर उसकी दर्द भरी आवाज़ों का कोई असर ना हो रहा था…मैं अपनी ही धुन मे लगतार अपने लंड को नाज़िया की चूत के अंदर बाहर कर रहा था….
मैने और ज़ोर से नाज़िया के बालो को पकड़ कर खींचा तो उसका सर पीछे की ओर हो गया….मैने लंड को पूरी रफतार से नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….”अब बोल मुझ पर हुकम चलाएगी……ये ले साली ले पूरा लंड ले अंदर…” मैने नाज़िया के बालों को छोड़ा और उसकी कमर को दोनो तरफ से पकड़ कर अपने लंड को उसकी फुद्दि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…
.”अह्ह्ह्ह सीईईईईईईई समीर ओह्ह्ह्ह्ह हट जाओ….अहह छोड़ो मुझे……हइईए ओह अह्ह्ह्ह आह समीर…” कुछ ही देर मे नाज़िया की फुद्दि भी गीली होनी शुरू हो गयी…..अब नाज़िया बिल्कुल भी जदोजेहद नही कर रही थी…..
उसके मूह से आह ओह्ह्ह्ह अहह सीईईईई समीर बस यही लफ़्ज निकल रहे थे… और नाज़िया अपने दोनो हाथो को दीवार पर रख कर खड़ी थी….मेरे धक्के इतने जबरदस्त थे कि, नाज़िया का पूरा बदन हिल रहा था….मेरा लंड एक दम से नाज़िया की फुददी से बाहर आ गया….और वो हुआ जिसका मुझे अंदाज़ा भी ना था….जैसे ही मैने अपने लंड को पकड़ कर दोबारा से नाज़िया की फुद्दि में डालना चाहा….तो नाज़िया ने मजीद अपनी रानों को और खोल लिया…और अपने पैरो की एडियों को उठा कर पंजो के बल हो गयी… जिससे नाज़िया की फुद्दि का सूराख बिल्कुल मेरे लंड के लेवेल पर आ गया था…ये सब देख कर मेरा लंड जो पहले से फुल हार्ड था और ज़यादा सख़्त होने लगा….मैने लंड की कॅप को नाज़िया की फुद्दि के सूराख पर रख कर जैसे ही हल्का सा दबाया तो, तो इस बार मेरा लंड नाज़िया की गीली फुद्दि को चीरता हुआ आसानी से अंदर चला गया….
“सीईईईईईईई अह्ह्ह्ह नाज़िया तुम्हारी फुद्दि बहुत गरम है……” मैने फिर से अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए नाज़िया को चोदना शुरू कर दिया….नाज़िया की आहो पुकार एक बार फिर से शुरू हो गयी….बाहर बारिश का शोर और अंदर नाज़िया की सिसकारियाँ….जब मेरी राने पीछे से नाज़िया की मोटी बुन्द से टकराती तो पूरे रूम में थप-2 की आवाज़ गूँज जाती….मुझे अहसास हो रहा था कि, नाज़िया भी बड़े गैर मामूली तरीके से अपनी बुन्द को पीछे की तरफ पुश कर रही है….हालाकी मैं श्योर नही था…..पर ये सब महसूस करके मेरे जिस्म का सारा खून मेरे लंड की रगो में इकट्ठा होना शुरू हो गया….और फिर एक के बाद एक मेरे लंड से लेस्दार पिचकारियाँ निकल कर नाज़िया की फुद्दि को गीला करने लगी….जैसे ही मेरा लंड थोडा सा ढीला हुआ, और मैने अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि से बाहर निकाला तो नाज़िया एक दम से नीचे पैरो के बल बैठ गयी…
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैं कुछ पलों के लिए नाज़िया को ऐसे ही पीछे से देखता रहा….पता नही क्यों पर नाज़िया से बात करने की मुझमे कोई हिम्मत नही हो रही थी….मैने अपनी पेंट ऊपेर की और बिना कुछ बोले नीचे आ गया….नीचे रूम में पहुँच कर मैने अपने गीले कपड़े चेंज किए और डोर बंद करके बेड पर लेट गया….मैने डोर की कुण्डी नही लगाई थी….बेड पर रज़ाई ओढ़ कर लेटते ही पता नही कब नींद आ गयी….
मेरी आँख रात के 8 बजे तब खुली जब मुझे अहसास हुआ कि, कोई मुझे मेरे कंधे से पकड़ कर हिला रहा है…..जैसे ही मैने आँख खोल कर देखा तो सामने नाज़िया खड़ी थी….और रूम की लाइट ऑन थी….और नाज़िया ने हाथ में खाने की प्लेट पकड़ी हुई थी….नाज़िया को इस तरह अपने रूम में देख कर मैं एक दम से चोंक गया…और उठ कर बैठ गया…..जैसे ही मैं उठ कर बैठा तो, सामने का नज़ारा देख मेरी आँखे खुली खुली रह गयी….नाज़िया ने वही महरूण कलर की शॉर्ट नाइटी पहनी हुई थी….जो मैने उसे खरीद कर दी थी….नाज़िया के होंटो पर रेड कलर का लिप पैंट लगा हुआ था…और ट्यूब लाइट की रोशनी में उसके होन्ट एक दम ग्लॉसी लग रहे थे…
जब नाज़िया ने मुझे अपनी तरफ ऐसे घूर कर देखते हुए देखा तो उसने अपनी नज़रें झुका ली….”समीर खाना खा लो…” नाज़िया ने मेरी तरफ प्लेट बढ़ाते हुए कहा….
“मुझे नही खाना….मुझे भूख नही है…” मैने अपने फेस को दूसरी तरफ घुमा लिया….
“समीर एक तो सारी ग़लती तुम्हारी है….और ऊपेर से नाराज़ भी तुम हो रहे हो….” नाज़िया ने थोड़ा सीरीयस होते हुए कहा…तो मैने नाज़िया की तरफ देखा तो उसने होंटो पर स्माइल लाते हुए कहा….”समीर आख़िर तुम मुझे इतना परेशान क्यों कर रहे हो….आख़िर मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है…” नाज़िया ने थाली की प्लेट टेबल पर रखते हुए कहा.....
“मैं तुम्हे परेशान करता हूँ….देखो मैने तुमसे पहले भी काफ़ी दफ़ा कहा है कि, मेरे रास्ते में ना आया करो….तुम ही बिनावजह मेरे कामो में टाँग अड़ाती हो….तुम्हें क्या शॉंक है मेरे मामले में टाँग अड़ाने का….”मैने बेड से नीचे उतर कर बाहर जाते हुए कहा….
.”पता नही समीर पर मुझे अब….” नाज़िया बोलते-2 चुप हो गयी….मेरी पीठ नाज़िया की तरफ थी….मैं बाथरूम जाने वाला था…पर नाज़िया की अधूरी बात सुन कर रुक गया,….
.मैने मूड कर नाज़िया की तरफ देखा तो उसने अपने सर को झुका लिया…और अपने दोनो हाथो की उंगलियों को आपस में फँसा कर मलते हुए सरगोशी से भरी आवाज़ मैं बोली…” समीर वो तुम मुझे इस तरह परेशान ना किया करो….मैने कभी तुम्हारे बारे में बुरा नही सोचा….” ये कह कर नाज़िया मेरे पास से गुजर कर अपने रूम में चली गयी,…
.मैं बाथरूम में गया….और पेशाब करते हुए सोचने लगा कि, शायद नाज़िया कहना कुछ और चाहती थी….लेकिन वो कह नही पे…..खैर मैंने उस बात की तरफ ज़यादा ध्यान नही दिया और बाथरूम से फारिघ् होकर बाहर आया….और खाना खा कर फिर से बेड पर लेट गया….
थोड़ी देर पहले ही मैं 4 घंटे सोने के बाद उठा था…..इस लिए अब आँखो में नींद का नामो निशान नही था….मैं काफ़ी देर तक बेड पर करवटें बदलता रहा…. रह रह कर आँखो के सामने नाज़िया आ जाती…..जिसमे उसने वही नाइटी पहनी हुई थी…जिसमे मैं उसका हुश्न ऐसे झलक रहा था….जैसे आसमान से उतरी हुई अप्सरा हो…नाज़िया के बारे में सोच-2 कर मेरा लंड फिर से मेरी शलवार में खड़ा हो गया था….मुझे नज़ाने क्यों ऐसा लग रहा था कि, नाज़िया मुझसे कुछ छुपा रही है….वो अपने दिल की फीलिंग मुझसे छुपाने की कॉसिश कर रही है….शायद नाज़िया को मेरा साथ अच्छा लगने लगा है….ये सब सोचते हुए पता नही क्यों पर मैं अपने आप को नाज़िया के रूम में जाने से ना रोक सका…मैं बेड से नीचे उतरा…और रूम का डोर खोल कर रूम से बाहर आया….बाहर एक दम अंधेरा था….मैने नाज़िया के रूम के डोर के सामने जाकर जैसे ही डोर को हल्का सा पुश किया तो, उस वक़्त मेरी हैरत का कोई ठिकाना ना रहा…जब डोर धीरे-2 खुल गया….
और मैं दबे पाँव नाज़िया के रूम में एंटर हुआ तो मुझे एक और शॉक लगा….नाज़िया बेड पर लेटी हुई थी….उसकी नाइटी उसकी कमर पर इकट्ठी हुई पड़ी थी….नाज़िया की पूरी की पूरी टाँगे एक दम नंगी थी….रूम में हीटर ऑन था….जिसकी वजह से रूम में काफ़ी गर्माहट थी….मैने धीरे से डोर को बंद किया और मैं धीरे से नाज़िया के बेड पर चढ़ा और उनकी टाँगो के सामने बैठ गया…नाज़िया की दोनो टाँगो में बहुत गॅप था….और नाज़िया की फुद्दि मुझे सॉफ दिखाई दे रही थी…..बिना बालो की फुद्दि जो कि पूरी तरह से सफेद गाढ़े पानी से लबलबा रही थी…..मेरा लंड मेरी शलवार में झटके खाने लगा….
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मेने नाज़िया की फुद्दि की तरफ देखते हुए, अपने लंड को शलवार से बाहर निकाला, और तेज़ी से अपने लंड को हिलाने लगा…. जब नाज़िया की फुद्दि का सूराख सिकुड़ता और फेलता उसे देख मैं और मस्त हो जाता….अब भला सिर्फ़ देख कर लंड हिलाने से कहाँ चैन मिलने वाला था….मैं धीरे -2 नाज़िया के दोनो पैरो के बीच उल्टा लेट गया. और नाज़िया की फुद्दि के पास अपनी नाक को लेजाते हुए नाज़िया की फुद्दि को सुघने लगा….
नाज़िया की फुद्दि से जो महक आ रही थी........वो सच में मदहोश कर देने वाली थी...जिसे सूंघ कर मैं अपने लंड को और तेज़ी से हिलाने लगा....पर अब इतने से कहाँ सबर होने वाला था. नाज़िया की फुद्दि से गाढ़ा सफेद पानी बहता हुआ उनकी बुन्द के सूराख की तरफ जा रहा था. और उसकी बुन्द का सूराख भी उनकी फुद्दि से निकले पानी से सना हुआ था.....मेरी हालत खराब होती जा रही थी....मैं सेक्स की मस्ती में इतना चूर हो गया था कि, अब मैं कुछ भी करने को तैयार था….
मेने अपने राइट हॅंड की बड़ी उंगली को नाज़िया की फुददी के लिप्स के बीच में रख दिया...जैसे ही मेने अपनी उंगली को नाज़िया की फुददी के लिप्स के बीच गुलाबी लबबाते हुए सूराख पर रखा तो नाज़िया के बदन ने हल्का सा झटका खाया...जो मुझे सॉफ महसूस हुआ.....पर ये सोच कर कि नाज़िया तो सोई हुई है.....मैने कोई खास ध्यान नही दया....और उसकी फुद्दि के लिप्स के बीच धीरे-2 अपनी उंगली को फेरने लगा.....मेरी उंगली उसकी फुद्दि से निकल रहे गाढ़े सफेद पानी से एक दम गीली हो गयी....
मैं दूसरे हाथ से अब और तेज़ी से अपने लंड को हिलाने लगा.....और एक हाथ की उंगलियों की मदद से नाज़िया की फुद्दि के लिप्स पूरी खोल कर फेला दिए..जिससे अब उसकी फुद्दि का सूराख मुझे सॉफ नज़र आने लगा....अब मेरी बर्दास्त से बाहर होता जा रहा था....नाज़िया की फुद्दि का सूराख अब कुछ और ज़्यादा ही सिकुड़ने और फेलने लगा था.....घर और नाज़िया के रूम में एक दम सन्नाटा छाया हुआ था....मुझे नाज़िया की तेज होती सांसो की आवाज़ भी सॉफ सुनाई दी रही थी...
पर नाज़िया की फुद्दि का गुलाबी सूराख देख कर मैं अपने होश खो बैठा था.....और बिना किसी परवाह के नाज़िया की फुद्दि के सूराख को देखते हुए अपने लंड को तेज़ी से हिला रहा था...मेने फिर से नाज़िया की फुद्दि के लिप्स के बीच अपनी उंगली को फेरना शुरू कर दया.....मैं उठा और रूम की लाइट ऑफ कर दी...और 0 वॉट का बल्ब ऑन कर दिया....उसकी हलकी रोशनी रूम में फेली हुई थी....मैं बेड पर चढ़ा और नाज़िया की टाँगो के बीच जाकर घुटनों के बल बैठ गया.....मेने अपनी शलवार को नीचे सरका कर अपनी पिंडलियों तक सरका दया....और फिर एक बार नाज़िया के चेहरे की तरफ नज़र डाली... उसकी आँखे बंद थी.....पर उसकी साँसे अब बहुत तेज़ी से चल रही थी.....मैने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ा
और बड़ी ही अहतयात के साथ अपने लंड की कॅप को नाज़िया की फुद्दि के लिप्स के बीच रख कर दबाया, तो कॅप नाज़िया की फुद्दि के लिप्स को फेलाता हुआ फुद्दि के सूराख पर जा लगा....तभी नाज़िया की कमर ने एक जबरदस्त झटका खाया....मेने घबरते हुए नाज़िया के चेहरे की तरफ देखा वो अभी भी गहरी नींद मे थी...पर अब उसकी आँखो की पलकें मानो जैसे कांप रहो हो.....पर वासना के नशे में चूर मेने अभी भी कोई खास ध्यान नही दिया...फिर मेने अपने लंड को पकड़ कर नाज़िया की फुद्दि के लिप्स के बीच रगड़ा....दो तीन बार रगड़ने से ही, मेरे लंड का कॅप नाज़िया की फुद्दि के सूराख से निकल रहे कामरस से एक दम गीला हो गया.....
नाज़िया की फुद्दि की गरमी मुझे अपने लंड की कॅप पर महसूस हो रही थी....जैसे मेरा लंड नाज़िया की फुद्दि की गरमी से पिघल जाएगा.... मैने अपने लंड की कॅप को नाज़िया की फुद्दि के सूराख पर सेट किया....और फिर कुछ पल के लिए रुक कर नाज़िया के चेहरे की तरफ देखा...जब इत्सानन हो गया कि, नाज़िया गहरी नींद में है, मैने अपने लंड की कॅप को धीरे-2 नाज़िया की फुद्दि के सूराख पर दबाना शुरू कर दिया. मेरे लंड का मोटा और सख़्त कॅप नाज़िया की फुद्दि के सूराख को फेलाता हुआ अंदर घुसने लगा...जैसे मेरे लंड का कॅप नाज़िया की फुद्दि के सूराख में घुसा तो मेने अपनी नज़रें नाज़िया के चेहरे पर टिका ली....अपने दोनो हाथों को नाज़िया के मम्मों के बगल बिस्तर पर टिका दिया....और अपनी बुन्द को आगे की ओर धकेलते हुए अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि के सूराख मे धीरे-2 घुसने लगा.....
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
नाज़िया की फुद्दि इतना पानी छोड़ रही थी कि, मेरा लंड फिसलता हुआ धीरे-2 नाज़िया की फुद्दि की गहराइयों मे उतरता जा रहा था....और नाज़िया की फुद्दि की दीवारे मेरे लंड की कॅप पर रगड़ खा कर मेरे बदन मे सरसराहट पैदा करती जा रही थी....कुछ ही पलों में मेरा साढ़े 8 इंच का लंड पूरा का पूरा नाज़िया की फुद्दि में समा चुका था.....मेने देखा कि, नाज़िया के होन्ट अब हल्के से खुले हुए थे...और हल्का-2 कांप रहे थे....उसकी साँसे अब बेहद तेज़ी से चल रही थी....और उसकी आँखो की पलके अब कुछ ज़्यादा ही हिल रही थी....
पर नाज़िया की फुद्दि की गरमी अपने लंड पर महसूस करके मैं एक दम मस्त हो चुका था... मैने धीरे-2 नाज़िया के चेहरे की ओर देखते हुए अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया....जब मेरा लंड नाज़िया की फुद्दि की दीवारो से रगड़ ख़ाता. मैं मस्ती मे एक दम मदहोश जाता...अब मैं पूरे रिदम के साथ अपना लंड नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर कर रहा था….तभी मुझे महसूस हुआ कि नाज़िया कि फुद्दि थोड़ा सा ऊपेर की तरफ उठ गयी है….जिससे मेरा लंड स्मूद्ली नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर होने लगा था….
पर फिर भी मेने इस तरफ कोई ध्यान नही दिया…..मेरे धक्कों की रफ़्तार धीरे-2 बढ़ रही थी. मेरा लंड नाज़िया की फुद्दि से निकल रहे कामरस से भीगा हुआ अंदर बाहर हो रहा था. मेरी आँखे भी हल्की-2 बंद होने लगी थी…
तभी अचानक से मुझे मेरे कंधो पर हाथों की पकड़ महसूस हुई, मैं एक पल के लिए चोन्का और नाज़िया के चेहरे की तरफ देखा तो मेरी हैरत का कोई ठिकाना नही रहा….नाज़िया की आँखे पूरी खुली हुई थी….और साथ ही उनका मूह भी हैरत से पूरा खुला हुआ था….”समीर ये ये ये क्या कर रहे हो तुम….उफ्फ हाईए अम्मी हटो पीछे उफ़फ्फ़ “ नाज़िया की आवाज़ मे गुस्सा था….पर उसका चेहरा उसका साथ नही दे रहा था. और ना ही उसका बदन….मेने पीछे सर घुमा कर देखा तो,
नाज़िया ने अपनी टाँगो को उठाया हुआ था…जैसे खुद ही वो चुदना चाहती हो….मेने अपने लंड को कॅप तक नाज़िया की फुद्दि से बाहर खींचा और फिर नाज़िया के चेहरे की तरफ देखा….”समीर तुम सुन रहे हो ना हटो पीछे वरना मुझसे बुरा कोई ना होगा…तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये सब मेरे साथ करने की….” मैने दिल ही दिल मे सोचा, साली ने अपनी टाँगे तो ऐसे उठा रखी है….जैसे लंड के लिए तड़प रही हो….और ऊपेर-2 से मेरे सामने नाटक कर रही है…”तुमने सुना नही हटो पीछे अब तुम्हारी खैर नही आने दो तुम्हारे अब्बू अहह अम्मी हइई मर गयी मैं….”
मेने अपने लंड को पूरी ताक़त के साथ एक ही बार मे पूरा का पूरा नाज़िया की फुद्दि मे घुसा दिया….ये देख नाज़िया का मूह ऐसे खुल गया…जैसे उसमे किसी ने लंड फँसा रखा हो…नाज़िया ने मेरे कंधो को कस के पकड़ा और पीछे की ओर धकेलने लगी…पर तब मैं अपने लंड को तीन चार बार नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर कर चुका था….”हाई मैं मर गयी. ” मैं नाज़िया की बात की परवाह किए बिना अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर करना जारी रखा….अब मैं पूरी रफ़्तार से अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था…
मेने अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर करते हुए, नाज़िया के होंटो को अपने होंटो में भर लिया. और अपनी बुन्द उछाल-2 नाज़िया की फुद्दि मे अपना लंड डालने लगा…नाज़िया की आवाज़ अब मेरे मूह मे घुट कर रह गयी थी.. वो सिर्फ़ उम्म्म ह्म्म्म उन्न्ञणन् कर रही थी…और साथ मुझे पीछे धकेलने की कॉसिश कर रही थी.. पर नाज़िया की टाँगे अब और ऊपेर को उठ चुकी थी…जिससे उसकी फुद्दि का सूराख अब और ऊपेर खुल कर सामने आ चुका था…मैं एक दम जोश से भर उठा, और अपने लंड को कॅप तक बाहर निकाल-2 कर नाज़िया की फुद्दि मे अंदर बाहर करने लगा…नाज़िया के हाथ अब मेरे कंधो से होते हुए पीठ पर आ चुके थे…..मेने नाज़िया के होंटो से अपने होंटो को हटाया और नाज़िया की आँखो मे देखते हुए अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा…नाज़िया रुआंसी सी आवाज़ में बोली… “समीर तुम मेरे ये साथ ऐसा क्यों कर रहे हो….अगर किसी को पता चला तो मैं कही की नही रहूंगी….”
मैं: आह नाज़िया मेरी जान तू फिकर ना कर….किसी को कुछ नही पता चलेगा….
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
नाज़िया: समीर पागलो जैसी बाते मत करो….अभी तुम्हारी उम्र नही ये सब सोचने की….चलो मान लो कि अगर मैं मान भी लूँ तो तुम बताओ जब तुम्हारे अब्बू दूसरी शादी कर लेंगे…..तो तुम क्या करोगे….तुम उन्हे रोक सकते हो दूसरी शादी करने से…..
मैं: शायद नही….
नाज़िया: तो फिर क्या करोगे….क्योंकि मैं इतनी गिरी हुई और मजबूर नही हूँ कि तुम्हारे अब्बू मेरे होते हुए दूसरी शादी कर लें और मैं यहीं इस घर में बैठी रहूं… तुम क्या चाहते हो तुम्हारे अब्बू की दूसरी शादी के बाद मैं यही रहूं….
मैं: नही….ये फैंसला तुम्हारा है….
नाज़िया: तो फिर क्या तुम अपने अब्बू को छोड़ कर मेरे साथ रहोगे….दुनिया क्या कहेगी…तुम्हें अच्छा लगेगा कि तुम मेरे ऊपेर बोझ बनो और दुनिया तुम्हे ताने दे….
मैं: नही…..फिर तुम ही बताओ मैं क्या करूँ…..
नाज़िया: समीर अपनी स्टडी पर ध्यान दो…और जल्द से जल्द सेट्ल हो जाओ…फिर बाद मे देखेंगे….ताकि अगर कल को तुम्हे अपने अब्बू से अलग भी होना पड़े तो तुम्हे किसी के ऊपेर बोझ ना बनना पड़े….और मुझे भी सोचने का वक़्त दो…. अब तुम अपने रूम मे जाकर सो जाओ…..
नाज़िया ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने मम्मे से हटा दिया….नाज़िया की बातों को सुन कर मैं सुन्न हो चुका था….आख़िर मेरा वजूद ही क्या था…अगर नाज़िया और अब्बू का डाइवोर्स हो जाता तो मजबूरन मुझे अब्बू के साथ रहना पड़ता….और अगर नाज़िया के साथ रहता तो दुनिया वाले नाज़िया और मुझे जीने नही देते…मैं वहाँ से उठ कर अपने रूम में आ गया….और फिर बेड पर रज़ाई लेकर लेट गया…और सोचने लगा कि अब क्या करूँ…..और अपनी मुसीबतों से पार पाने का एक ही रास्ता नज़र आ रहा था कि, मुझे अब जल्द से जल्द इनडिपेंडेंट बनना है….यही सब सोचते-2 पता नही चला कब नींद आ गयी….
अगले दिन जब आँख खुली तो, देखा कि नाज़िया बॅंक जाने के लिए तैयार थी….”समीर नाश्ता बना दिया है खा लेना….मैं बॅंक जा रही हूँ….” नाज़िया ने अपना पर्स उठाया और बाहर चली गयी…
.”दोस्तो दो दिन इस तरह गुजर गये….नाज़िया से मेरी नॉर्मली बात होती पर उससे ज़यादा कुछ ना हुआ….तीसरे दिन दोपहर का वक़्त था….और दो दिन बाद फिर से कॉलेज शुरू होना था…मैं घर पर बैठा अकेला बोर हो रहा था….मैं सबा के घर भी जाकर आ चुका था….सबा दो दिनो से किसी रिश्तेदार के घर गयी हुई थी.. सुमेरा चाची और रीदा के घर भी जाना मुनकीन नही था….क्योंकि रीदा का शोहार गल्फ से एक महीने की छुट्टी पर वापिस आया हुआ था…और इस वक़्त सुमेरा चाची के घर पर ही था….
जब घर पर बैठे-2 बोर हो गया तो, सोचा क्यों ना सिटी जाकर किसी दोस्त से मिल लूँ.. मैने अब्बू की बाइक बाहर निकाली और घर को लॉक लगा कर सिटी की तरफ चल पड़ा… घर से निकलने से पहले ही मैने अपने एक दोस्त को कॉल करके बस स्टॅंड पर बुला लिया था….दोस्त को बस स्टॅंड से पिक किया और हम दोनो एक रेस्टोरेंट में पहुँच गये… वहाँ हमने खाने के लिए ऑर्डर किया और इधर उधर की बातें करने लगे….तभी मेरी नज़र सबीना पर पड़ी….वो दूसरी रो के टेबल पर किसी औरत के साथ बैठी हुई थी…. उसे देख कर नज़ाने क्यों मेरा खून खोलने लगा….मैं सोचने लगा कि, अगर सबीना अब्बू की जिंदगी में ना होती तो, आज ना तो नाज़िया दुखी होती और ना ही मैं….मुझे सबीना पर बहुत गुस्सा आ रहा था….वो तो मेरे अब्बू को भी धोखा दे रही थी….पर मैने दिल ही दिल मे सोच लिया था चाहे कुछ भी हो जाए…
इसको इसके किए की सज़ा तो देनी ही है…तभी वो लेडी जो उसके साथ बैठी थी वो सबीना से बोली….”यार कोई चक्कर चला ना…मेरे बेटे ने इस साल 12थ कर ली है… और तुम तो जानती ही हो कि, हमारे पास इतने पैसे नही है कि, उसे मजीद पढ़ा सके…यार तुम्हारी तो ऊपेर तक बड़ी पहुँच है….मेरे बेटे को किसी गवर्नमेंट जॉब पर लगा दे…”
सबीना: घबरा ना यार….तुम फिकर मत करो…..मार्च मैं हमारी बॅंक नये पोस्ट निकालने वाली है….तुम्हारे बेटे की सेट्टिंग करवा दूँगी….वैसे भी एक आध को तो जॉब दिलवा ही सकती हूँ….
सबीन हवा में बातें नही कर रही थी….यहाँ तक मैं उसे जानता था…उसका काफ़ी रसूख् था….उसके वालिद की भी काफ़ी चलती थी…..सबीना की बात सुन कर मुझे आइडिया आया और मैने मन ही मन सोचा कि, ये साली ही अब मेरी मुसीबतों का हल करेगी… अब किसी तरह इसे अपने काबू में करना होगा….थोड़ी देर बाद वेटर हमारा ऑर्डर ले आया….हमने जल्दी -2 खाना खाया…और फिर मैने अपने दोस्त को उसके घर छोड़ा और सबीना के घर की तरफ चल पड़ा….मैने डोर बेल बजाई तो, थोड़ी देर बाद अहमद ने गेट खोला….और मुझे देख मुस्कराते हुए बोला….”और जी ख़ान साहब कैसे हो…?”
मैं: मैं ठीक हूँ….आज़म कहाँ है….?
अहमद: वो तो जी घूमने गये है अपने मामू के घर…..
मैं: और तुम्हारी मालकिन…..
अहमद: वो तो जी बॅंक में है…
मैं: ओह्ह अच्छा…यार वो क्या मैं आपनी गर्लफ्रेंड को आज वहाँ कोठी पर लेकर जा सकता हूँ…
अहमद: नही नही साह जी….आज तो वो मालकिन के होने वाले शोहार आने वाले है.. आज नही….फिर किसी दिन का प्रोग्राम रख लो….मैं भी वही जाने वाला था….
मैं: अच्छा वैसे कितने बजे आना है उनको….
अहमद: मालकिन और वो अंकल तो शाम को 6 बजे पहुँचेंगे ….
मैं: चल ठीक है फिर मैं चलता हूँ…
अहमद: रूको शाह जी…..वैसे आज क्या प्रोग्राम है….
मैं: बोलो अहमद….
अहमद: वही मिलते है अपने पुराने अड्डे पर….
मैं: कितने बजे मिलोगे…..
अहमद: 6 बजे मालकिन और अंकल आ जाएँगे….उसके बाद 6:30 बजे मिलते है…हम अपना प्रोग्राम बना लेंगे और तब तक वो दोनो अपना एंजाय कर लेंगे….
मैं: ठीक है…..तो 6: 30 बजे मिलते है…
अहमद: ठीक है शाह जी….
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