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RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
“मम्म्म… प्रमोद, मुझे खुशी है कि तुम सजल के साथ आए…” कोमल ने नीचे हाथ बढ़ाकर प्रमोद का तैयार लण्ड अपने हाथ में ले लिया। वो कुछ बेसब्र सी हो रही थी और जल्द ही दोनों जवान छोकरों के लौड़ों को अपने मुँह और चूत में एक साथ महसूस करना चाहती थी।
“उठो जवानों, और मेरे पीछे आओ…” कहकर वह अपने सैंडल खड़खड़ाती शयनकक्ष की ओर बढ़ गई। उसके दोनों खिलाड़ी बिना कुछ कहे उसके पीछे हो लिये।
बिस्तर के पास पहुंचकर उसने अपने सैंडल छोड़कर बाकी सारे कपड़े उतारे और बिस्तर पर घुटनों और हाथों के बल झुक गई। जब प्रमोद ने कमरे में कदम रखा तो वह पूरा नंगा था पर सामने का दृश्य देखकर उसके होश उड़ गये। सामने चौड़े फैले हुए चूतड़ देखकर वो हक्का-बक्का रह गया।
“प्रमोद, यहाँ मेरे सामने आकर बैठो…”
सजल भी अपने कपड़े उतार रहा था। वह अपनी मम्मी के पीछे जाकर खड़ा हो गया। वो जानता था कि उसकी मम्मी उसके लौड़े को कहाँ प्रयोग में लाना चाहती थी। जैसे ही वह नंगा हुआ वो कोमल के पुट्ठों पर हाथ रखकर आगे झुका।
“ठोक दे अंदर अपना लौड़ा, बेटा सजल…” कोमल ने कंपकंपाती आवाज़ में निर्देश दिया। साथ ही उसने प्रमोद के लण्ड के साथ अठखेलियां शुरू कर दीं। फिर अपना सिर झुकाते हुए एक ही बार में प्रमोद का पूरा लौड़ा अपने मुँह में भर लिया और तेज़ी से चूसना शुरू कर दिया- “हुम्म्म्म…”
प्रमोद की तो इस अचानक आक्रमण से सांस ही रुक गई। वो अपने हाथों के बल पीछे झुक गया और अपने तने लण्ड को कोमल आंटी के मुँह में अंदर-बाहर होते देखने लगा। सजल ने भी अपने आगे के नज़ारे को देखा। हालांकि उसका लौड़ा कोमल की चूत में जाने को बेकरार था पर वो इस सीन को भी छोड़ना नहीं चाहता था।
“अब तुम किसका इंतज़ार कर रहे हो, सजल…” कोमल गुस्से से चीखी- “डाल दे अपना लौडा मेरी चूत में और चोद मुझे… चल जल्दी कर…”
सजल का मोटा, लम्बा लण्ड अपनी मम्मी की चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया। वह तब तक अपना लण्ड उसकी चूत में ठुंसता गया जब तक कि उसके टट्टे कोमल की गाण्ड से नहीं जा टकराये। उसके इस जोरदार धक्के ने कोमल को आगे धकेल दिया जिससे कि उसके मुँह में प्रमोद का लण्ड पूरा भर गया। उस चुदासी औरत ने अपने शरीर को पीछे धकेला जिससे कि सजल का लण्ड और अंदर जाये। इसके साथ ही वो आपने आपको पेंडुलम की तरह आगे-पीछे करने लगी। कभी उसके मुँह में लण्ड होता तो कभी उसकी चूत में। वह अपने इस आनंद का भरपूर सुख लेना चाहती थी क्योंकी वो जानती थी कि वो दोनों लड़के जल्दी ही झड़ जाएंगे। वह इस घटना के पहले कम से कम एक बार स्खलित होना चाहती थी।
“आंटी, आंटी, मेरा लण्ड…” प्रमोद सिर्फ इतना ही बोल पाया। उसके सिर ने एक झटका खाया और उसने अपना गाढ़ा ताज़ा वीर्य कोमल के प्यासे मुँह में छोड़ दिया।
कोमल ने भी किसी पाइप की तरह उस लण्ड के रस को पूरी तरह पी लिया। सजल ने अपनी अँगुली से उसकी चूत की क्लिट को दबाना शुरू कर दिया था जिससे कि उसके पूरे शरीर में सनसनाहट फैल गई थी और वह भी जबरदस्त तरीके से झड़ने लगी थी। उसने अपनी चूत की मांश-पेशियों को सजल के लण्ड पर कस दिया जिससे कि वह भी उन दोनों के ही साथ झड़ जाए।
“तू भी, सजल… झड़ बेटा झड़, तेरी मम्मी को तेरा पानी चाहिये… भर दे उससे मेरी चूत… मैं झड़ रही हूँ। प्रमोद भी… तू भी आ…”
सजल का लण्ड फूल गया। उसके टट्टों में तो जैसे आग भर गई। उसके लौड़े से वीर्य की एक तेज़ धार निकली और उसकी मम्मी की चूत में जा समाई।
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RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
“ये लो मम्मी…” वो आनंद की अधिकता से चीख पड़ा- “ये लो, ताज़ा और गर्मागर्म…”
कोमल भी इस समय फिर से झड़ रही थी। उसने प्रमोद का लण्ड अपने मुँह से तभी निकाला जब वह पूरी तरह झड़ गई। फिर पूछा- “तुमने कभी चूत चाटी है, प्रमोद…” कोमल ने पूछा।
“नहीं तो…” प्रमोद ने कोमल की ताज़ी चुदी चूत में से बहते सजल के पानी पर नज़र डालते हुए जवाब दिया।
कोमल अपनी पीठ के बल आराम से लेटती हुई सजल से बोली- “बेटा इसे सिखा तो ज़रा कि मैनें तुझे चूत चाटना कैसे सिखाया था…” कोमल ने अपनी टाँगें फैला लीं, जिससे सजल को आसानी हो और प्रमोद को भी पूरी प्रक्रिया साफ़-साफ़ दिखाई पड़े।
सजल को अपने दोस्त के सामने अपनी काबिलियत दिखाने का जो मौका मिला था वह उसे छोड़ना नहीं चाहता था। उसने अपना चेहरा गंतव्य स्थान पर लगाया और अपनी अँगुलियों से चूत की कलियों को अलग करते हुए अपनी जीभ अंदर डाल दी और चटाई शुरू कर दी। प्रमोद को वो इस तरह दिखा रहा था जैसे वो चूत-रस नहीं बल्कि रसमलाई खा रहा हो।
“चाट बेटा चाट…” कोमल ने सिसकी ली और एक नज़र प्रमोद के चेहरे पर डाली।
प्रमोद वाकई इस दृश्य में लीन था और उसने अपना चेहरा और पास किया जिससे कि उसे पूरा प्रोग्राम अच्छे से दिखे। उसे आंटी की चूत की भीनी-भीनी खुशबू भी आने लगी थी।
“मेरे मम्मों के साथ खेलो और सजल को मेरी चूत खाते हुए देखो…”
प्रमोद ने आंटी की चूचियां मसलते हुए पूछा- “क्या मैं भी इसमें हिस्सा ले सकता हूँ, आंटी…”
चुदासी क्या चाहे… चुदक्कड़… वो बोली- “वैसे ही करना जैसे सजल कर रहा था… अपनी जीभ से वैसे ही चाटना, ठीक है… जा अब लग जा काम पर…”
“अरे मेरा प्यारा बच्चा… चाट, चाट, चाट… अपनी जीभ डाल अंदर…”
प्रमोद ने थोड़ा जोर लगाकर अपनी जीभ को अंदर धकेल दिया।
“चोद मुझे अपनी जीभ से, प्रमोद। क्या तुम जानते हो कि मेरी क्लिट कहाँ है…”
“मेरे ख्याल से जानता हूँ…” और उसने अपनी जीभ उस स्थान पर लगाई जिसे वह क्लिट समझता था।
“सही… हाँ, तुम जानते हो… तुम जानते हो। अब तुम वापस अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दो…”
जब प्रमोद कोमल की चूत का रस ले रहा था, सजल अपनी मम्मी के मम्मों पर पिला पड़ा था। वह अपनी मम्मी को अपने दोस्त के साथ बांटकर काफी खुश था, हालांकि उसने इसकी उम्मीद नहीं की थी। उसका लण्ड एक बार फिर से तन्नाने लगा था।
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RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
“ये सब बंद करो और मेरी क्लिट को जोर से काटो…”
प्रमोद के ऐसा करते ही कोमल ने एक बार फिर से पानी छोड़ दिया।
“बहुत अच्छा प्रमोद… मज़ा आ गया…” कोमल अब झड़ते-झड़ते थक चुकी थी। उन दोनों जवानों ने उसकी भूख मिटा दी थी। उसने पहले प्रमोद और फिर सजल का एक गहरा चुम्बन लिया, और टेक लगाकर लेट गई।
“मुझे उम्मीद है कि तुम्हारी मम्मी अगली छुट्टियों में भी तुम्हें यहाँ आने की इज़ाज़त देगी। है न प्रमोद…” कोमल ने पूछा।
प्रमोद- “क्यों नहीं, और मैं अगली बार ज्यादा दिनों के लिये आऊँगा…”
“मैं तुम्हारे आनंद के लिये पूरा इंतज़ाम रखूंगी…” कोमल ने कहा और उसी हालत में नंगी, सिर्फ सैंडल पहने हुए रसोई की ओर सबके लिये नाश्ता बनाने के लिये बढ़ गई।
“जल्दी करो और अपनी पैंट उतारो, सुनील…” मनीषा ने अपने पड़ोसी से कहा- “मैं तो समझी थी कि शायद कोमल घर से जाने वाली ही नहीं है…”
सुनील ने जल्दी करने की कोशिश की पर उसकी नज़रें मनीषा पर ही टिकी थीं जो अपने मम्मों को अपने हाथों में थामे चुदवाने के लिये पूरी तरह से तैयार खड़ी थी।
सुनील- “वो थोड़ी ही देर के लिये गई है। 45 मिनट में वापस आ जायेगी। मुझे उससे पहले घर पहुंचना होगा। वैसे भी मुझे गोल्फ खेलने जाना है…”
मनीषा- “क्या कहा तुमने… तुम्हारे लिये गोल्फ खेलना मुझे चोदने से ज्यादा ज़रूरी है…”
सुनील- “मैं विवश हूँ। वो मेरी कम्पनी का एक बहुत बड़ा ग्राहक है… जाना ही होगा…”
मनीषा- “हे भगवान, मैं यह तो समझ सकती हूँ कि कोमल एक जल्दबाजी की चुदाई के लिये तैयार हो सकती है क्योंकी वो तुम्हारी पत्नी है। पर मेरी चूत की प्यास मिटाने के लिये तो तुम्हें अधिक समय निकालना ही होगा। 45 मिनट में मेरा कुछ नहीं बनेगा…” मनीषा ने सुनील के मोटे तगड़े लौड़े पर एक नज़र डालते हुए कहा।
सुनील- “आज के लिये तो इतना ही हो पायेगा, मनीषा…” सुनील मनीषा को बिस्तर की ओर लेकर जाते हुए बोला।
“अगर ऐसा है तो मेरी खातिरदारी शुरू करो। पहले मेरे मम्मों को चूसो…” मनीषा ने हथियार डालते हुए कहा।
सुनील ने अपने कम समय देने का मुआवज़ा देने का फैसला किया। उसने एक हाथ से मनीषा की चूचियां मसलनी शुरू की और दूसरे हाथ से उसकी चूत की सेवा शुरू कर दी। उसने दो अँगुलियां मनीषा की चूत में घुसेड़ दीं। अपने दांतों से उसने मनीषा की दूसरी चूची का निप्पल काटना शुरू कर दिया।
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RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
“इतना गहरे तो पहले तुम कभी नहीं गये, सुनील…” मनीषा बोली- “चोदो इस चूत को और तुम भी झड़ो और मुझे भी तारे दिखा दो…”
सुनील को हमेशा इस बात से और उन्माद आता था, जब उससे चुदा रही औरत इस तरह की अश्लील भाषा का प्रयोग करती थी। उसने अपनी रफ्तार तेज़ कर दी। उसके लण्ड से निकली वीर्य की धार मनीषा की धार के साथ ही छूटी। दोनों जैसे स्वर्ग में थे।
मनीषा- “हे मेरे रब्बा… इतना आनंद… यही स्वर्ग है… और तुम फरिश्ते हो, सुनील…”
सुनील ने अपना सिकुड़ा हुआ लण्ड एक पाप की अवाज़ के साथ बाहर निकाला। उसने घड़ी देखी तो जल्दी से कपड़े पहनने लगा। उसका ग्राहक आने ही वाला था।
सुनील- “मैं चलता हूँ…” उसने जल्दी से विदा माँगी।
मनीषा- “तुम बड़े रूखे इन्सान हो…”
सुनील- “मैं तुम्हें बाद में मिलूंगाा अभी मुझे वाकई जल्दी है…”
मनीषा भी उठकर नहाने चली गई। हालांकि उनकी चुदाई तेज़ और तीखी रही थी पर उसे याद नहीं पड़ता था कि वह इतनी बार कभी झड़ी हो। उसने दो जबरदस्त पैग बनाकर पिये और एक लम्बा स्नान लिया। फिर वोह बाहर जाने के लिए तैयार हुई और हमेशा की तरह भड़कीले कपड़े पहने। अभी उसने अपने ऊँची एंड़ी के सैंडल पहने ही थे कि इतने में ही उसके दरवाज़े पर दस्तक हुई। यह सोचकर कि शायद सुनील का गोल्फ का साथी नहीं आया, उसने तत्काल ही दरवाज़ा खोला। पर उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि सजल आया था।
सजल बोला- “मनीषा आंटी, मैं अपने पापा को ढूढ़ रहा था, कुछ देर पहले मैंने उन्हें यहीं देखा था। मैंने सोचा शायद वो अभी यहीं हैं…”
“हाँ वो यहाँ थे तो सही… मेरी वाशिंग मशीन को ठीक कर रहे थे। पर वो कुछ मिनट पहले ही निकले हैं। किसी के साथ गोल्फ खेलने जाना था उन्हें… क्या तुमने उन्हें नहीं देखा…”
“फिर तो मैं उन्हें बाद में ही देख पाऊँगा। माफ करना आंटी मैनें आपको बेवजह परेशान किया… धन्यवाद…”
जब सजल वापस जाने के लिये मुड़ा तो मनीषा के दिमाग में एक शैतानी ख्याल आया। वो बोली- “रुको, सजल… तुम अंदर आकर क्यों नहीं मेरे साथ एक पेप्सी लेते…” कहकर उसने सजल को उसकी बांह से पकड़कर अंदर खींचा। उसके मन में आया कि कोमल से इससे अच्छा बदला क्या होगा कि उसका पति और बेटा दोनों उसकी गिरफ्त में हों…
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RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
सजल ने अपनी पडोसन की मधुरिम काया पर एक भरपूर नज़र दौड़ाते हुए पूछा- “क्या आप सही कह रही हैं…”
“और नहीं तो क्या… आओ अंदर…” मनीषा ने सजल को अंदर खींच लिया और दरवाज़ा बंद कर दिया। फिर बोलि “तुम काफी बड़े हो गये हो, सजल… देखो तो क्या मसल निकल आई हैं। अब तुम वह छोटे बच्चे नहीं रहे जो मेरे घर के सामने साइकल चलाया करते थे…”
सजल के चेहरे पर लाली छा गई- “हाँ अब मैं छोटा बच्चा नहीं रहा आंटी…”
मनीषा ने खिलखिलाते हुए फ्रिज़ से दो पेप्सी निकाली और एक ग्लास में डालकर सजल को दी और अपने लिए दूसरे ग्लास में लेकर उसमें थोड़ी व्हिस्की मिला ली, बोली- “एक दो साल में तुम अपने पापा के जितने हो जाओगे… तुम उनके जैसे आकर्षक तो हो ही गए हो…”
सजल फिर से शर्मा गया। उसकी आंखें मनीषा के जिश्म पर से अब हट नहीं रही थीं। अपनी मम्मी को चोदने के बाद उसे बड़ी उम्र की औरत की सुंदरता का अहसास हो गया था। और उसकी ये आंटी सुंदरता में उसकी मम्मी से कहीं भी उन्नीस नहीं थी।
मनीषा- “आओ सोफे पर आराम से बैठते हैं। तुम्हें कहीं जाना तो नहीं है न…”
जब सजल उसके पास आकर बैठ गया तो मनीषा ने उसे वहीं अपने पति के मनचाहे कमरे में चोदने का निश्चय कर लिया।
“तो मुझे बताओ, आजकल तुम क्या कर रहे हो…” मनीषा ने अपने व्हिस्की मिले पेप्सी का घूँट लेते हुए पूछा।
“कुछ ज्यादा नहीं…” सजल ने कंधे उचकाकर कहा। उसका लण्ड खड़ा हो रहा था और वह उसे छिपाने का रास्ता ढूढ़ रहा था- “वही कालेज की कहानी…”
“तुम अगले साल कहाँ पढ़ने जा रहे हो…” मनीषा ने बात बढ़ाने के लिये पूछा।
“अगले साल से तो मैं यही रहकर पढ़ूँगा। मम्मी को मेरा वह कालेज पसंद नहीं है…”
“मुझे खुशी है कि तुम अपने घर में रहोगे। इससे हमें एक दूसरे को बेहतर जानने का मौका मिलेगा…” मनीषा ने अपने हाथ से सजल की जांघ को सहलाते हुए कहा।
मनीषा इस नौजवान को जल्द से जल्द राह पर लाने का तरीका सोच रही थी। उसे इसका कोई अभ्यास नहीं था। उसे तो चट-पटाओ, बिस्तर पर जाओ, चोदो और निकल जाओ का तरीका ही आता था। उसने कुछ देर और ऐसी ही बेमानी बातों का सिलसिला ज़ारी रखा। पर कुछ ही देर में उसका धैर्य जवाब दे गया, और उसने अपनी चाल चलने का फैसला किया। उसने बातें करते-करते सजल के होठों का एक लम्बा चुम्बन ले डाला। उसकी जीभ सजल के मुँह में घुस गई। जब सजल ने कोई प्रतिरोध नहीं किया तो मनीषा ने अपनी बाहें उसके गिर्द करीं और उसे लेकर वह सोफे पर ढह गई।
“तुम बड़े सजीले लड़के हो, सजल…” उसने अपने जिश्म को सजल के जिश्म से रगड़ते हुए कहा- “मेरे पुट्ठों को पकड़ो और दबाओ…”
सजल को अपनी मम्मी की चुदाई करने से यह तो पता चल गया था कि इस उम्र की औरतें क्या चाहती हैं। उसने फ़ौरन मनीषा की इच्छा पूरी की।
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RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
हालांकि सजल अभी-अभी झड़ा था पर उसे अपने अनुभव से पता था कि वो चुटकी में ही फिर से तैयार हो जायेगा। ऐसे में इस तरह का प्रस्ताव ठुकराने का कोई मतलब ही नहीं था- “ज़रूर, मनीषा आंटी, यह भी कोई पूछने की बात है…”
मनीषा ने अपनी गाण्ड सजल की ओर करते हुए कहा- “छूकर देखो इसे…” उसकी कांपती आवाज़ ने इस बात की गवाही दी कि उसका अपनी भावनाओं पर काबू खत्म होता जा रहा था। उसे चुदाई की भीषण आवश्यकता महसूस हो रही थी। जब मनीषा सामने की ओर मुड़ी तो उसकी खिली हुई चूत देखकर सजल से रहा नहीं गया। उसने उस उजली चूत में अपनी दो उंगलियां पेल दीं। मनीषा की आंखें इस अपर्त्याशित आक्रमण से पलट गईं और वह बिना कुछ सोचे हुए बोल पड़ी- “चोदो इसे… चोद मेरी चूत को, आंटीचोद…”
पर सजल पहले उस कुंए की गहराई नापना चाहता था और अपनी उंगलियों को बाहर निकालने को राज़ी नहीं था।
“बहुत हो गया यह सब सजल…” मनीषा ने डांट लगाई- “पहले मेरे मम्मों को चूसो और फिर मुझे चोदना चालू करो…” मनीषा ने अपना ध्यान सजल के लण्ड को सख्त करने में लगाते हुए हिदायत दी- “मेरे निप्पलों को काटना ज़रूर… चबा जाओ उन्हें… हां ऐसे ही… अरे बड़ा सीखा हुआ लगता है रे तू तो… किसने सिखाया तुझे ये सब…”
जब मनीषा ने देखा कि सजल का लण्ड चुदाई के लिये बिल्कुल तैयार है तो उसने अपने मम्मों को सजल के मुँह से बाहर निकाल लिया। उसने सजल के खड़े लण्ड को अपने हाथ में लेकर उसके ऊपर अपनी चूत को रख दिया। और फिर एक झटके के साथ उसपर बैठकर उसे अपनी चूत में भर लिया। फिर मनीषा ने गुहार की- “भर दे, भर दे, ऐ महान लौड़े मेरी चूत को भर दे…”
“मेरी गाण्ड को सहारा दो, सजल…” कहकर मनीषा ने अपनी चूचियों को सजल के मुँह में भर दिया। आगे झुकने से लण्ड उसकी चूत में और टाइट हो गया और मनीषा को स्वर्ग के दर्शन धरती पर ही होने लगे।
सजल ने अब रुके बिना मनीषा की प्यासी चूत में अपना हलब्बी लौड़ा पेलना शुरू कर दिया।
मनीषा ने भी धक्कों में हाथ बंटाया और उसके लण्ड पर तेजी से सरकने लगी। कभी सजल नीचे से धक्का देता तो कभी मनीषा ऊपर से अपनी चूत को उसके लण्ड पर बैठाती।
सजल की तो जैसे चांदी थी। घर पर चुदासी मम्मी थी और पड़ोस में चुदक्कड़ आंटी। एक के न होने पर दूसरी चूत मिलने की अब गारंटी थी। यही सोचकर उसके समंदर का रस तेज़ी के साथ अपनी आंटी के कुंए की ओर अग्रसर हुआ- “आआआह, उंह उंह…” उसने अपने लण्ड की पिचकारी मनीषा की चूत में छोड़ते हुए आवाज़ निकाली। उसके शरीर की सारी माँस-पेशियां तनाव में आ गईं और उसे रात और दिन एक ही समय में दिखने लगे।
उधर मनीषा का भी ऐसा ही कुछ हाल था। सजल के लण्ड की पिचकारी को अपनी चूत में रस भरते हुए महसूस करते ही उसकी चूत ने भी अपना पानी छोड़ना शुरू कर दिया। वो इतनी तेजी से झड़ी कि उसे हर चीज़ की ओर से अनभिज्ञता हो गई। अगर कोई उससे इस समय उसका नाम भी पूछता तो शायद वो बता नहीं पाती।
“और सजल, और, भर दो मेरी चूत को… चोद मुझे हरामखोर, मादरचोद, फाड़ दे मेरी चूत रंडी की औलाद…” मनीषा को पता ही नहीं था कि वो क्या बके जा रही थी।
मनीषा तब तक सजल के मूसल जैसे लौड़े पर कथक्कली करती रही जब तक कि वो सिकुड़ नहीं गया। उसके बाद वो वहीं सजल के पास ढह गई। उसके चेहरे पर असीम सन्तुष्टि की झलक थी, और आंखों में एक वहशियाना चमक… वोह सोच रही थी की उस छिनाल कोमल से मेरा बदला अब पूरा हो गया। मैनें उसके पूरे खानदान को अपनी चूत में समा लिया है। अगर मैं अब चाहूँ तो दोनों बाप-बेटे मेरे सैडल के तलुवे भी खुशी-खुशी चाटने को तैयार हो जायेंगे।
सजल उस चुदी हुई औरत की ओर देखकर सोच रहा था कि मेरी अपनी उम्र से बड़ी औरतों पर यह दूसरी विजय थी। पर उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि मनीषा ने उसे मादरचोद क्यों बुलाया था… क्या वो जानती थी कि…
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RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
“सजल…” कोमल की आवाज़ से घर गूंज उठा। वो बिना सोचे अपने लड़के के स्नानघर में घुस गई। वो नहाकर बाहर निकल रहा था। उसके मस्त लण्ड पर एक हसरत भरी नज़र डलते हुए कोमल ने कहा- “कुछ कपड़े पहन लो, तुम मेरे साथ उस औरत के घर चल रहे हो। मैं जान गई हूँ कि तुम वहाँ पर क्या कर रहे थे और मैं उससे इस बारे में बात करना चाहती हूँ…”
“पर मम्मी, मैंने तुम्हें बताया न कि मैं वहाँ सिर्फ एक बोतल खोलने गया था…”
“बकवास… तुम्हारे चेहरे पर अभी तक चुदाई की चमक है…” कोमल गुस्से से कांप रही थी। उस कुतिया के साथ वह अपने बेटे के लौड़े को बांटने के लिये हरगिज़ तैयार नहीं थी। “मैं तुम्हें दोषी नहीं ठहरा रही हूँ, पर उस रंडी को तो मैं छोड़ूंगी नहीं। जल्दी तैयार हो जाओ…”
सजल जब कपड़े पहनकर अपनी मां के पास नीचे आया तो उसने बात संभालने की फिर कोशिश की। पर कोमल ने उसकी एक न सुनी।
“कुछ बोलने की कोशिश मत करो। मैं सीधे उसके घर जा रही हूँ। और अगर तुम चाहते हो कि मैं उसकी गर्दन न मरोड़ूँ तो बेहतर होगा कि तुम मेरे साथ ही चलो…” कोमल ने जाकर मनीषा का दरवाज़ा जोर-जोर से पीटना शुरू कर दिया। जब मनीषा ने दरवाज़ा खोला तो यह ज़ाहिर था कि उसने जल्दी में ऐसे ही नहाने का गाऊन पहन लिया था। इससे कोमल को लगा जैसे वो अभी नहाकर निकली है।
“अच्छा… मनीषा, क्या तुम्हें इस वक्त नहाने की ज़रूरत इसीलिये पड़ गई क्योंकी तुम मेरे बेटे सजल को चोदकर गर्मी और पसीने से नहा गई थी… सजल अंदर आओ और दरवाज़ा बंद कर दो…”
मनीषा को बहुत जोर का झटका लगा। उसने कहा- “तुम अपने आपको क्या समझती हो जो मेरे घर में इस तरह से घुसी आ रही हो…”
कोमल उसकी बात को नज़रंदाज़ करते हुए उसके ड्राइंग रूम में प्रवेश कर गई। उसने अपनी कमर पर हाथ रखकर तैश में अपनी पडोसन से कहा- “तुम भली-भांति जानती हो कि मैं यहाँ क्यों आई हूँ। तुमने मेरे भोले-भाले बेटे को यहाँ बुलाया और उसे बहलाकर अपनी वासना का शिकार बनाया। क्या तुम इससे इंकार करती हो…” कोमल को उम्मीद थी कि मनीषा इससे मुकरने की कोशिश करेगी। पर उसने मनीषा की बेशर्मी को कम आँका था।
“इसमें क्या गलत है कि तुम्हारे बेटे को मेरे साथ सही तरह का अभ्यास हो गया… अगर वो किसी ऐसी अनजान लड़की के साथ कार की पिछली सीट पर यह सब करता जिसे इतनी भी समझ नहीं होती कि ऐसे शानदार लौड़े के साथ क्या करना है, तो क्या तुम्हें खुशी होती…”
इस जवाब से कोमल निरुत्तर हो गई। उसने कहा- “इससे तुम्हारे कुकर्म को सही नहीं ठहराया जा सकता। तुमने उसका फायदा उठाया है, और तुम यह बात जानती हो। इसके लिये तो कोई कानून होना चाहिये जिससे कि बड़ी उम्र की औरतें छोटे लड़कों को बहका न सकें…”
सजल अपनी मम्मी के इस ढोंग से अब काफी क्रोधित हो चला था। उससे रहा नहीं गया और वह बोल पड़ा- “तुम यह सब बातें मनीषा आंटी को कैसे कह सकती हो मम्मी। जबकि तुम भी मुझसे चुदवाती हो…” कहने को तो वह कह गया पर उसे उसी वक्त यह समझ में आ गया कि उससे एक भीषण गलती हो गई है।
“सजल…” कोमल सकते में आ गई। पर वह जान गई थी कि अब गोली बहुत दूर जा चुकी है। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि वह सजल का हाथ पकड़े और भाग जाए।
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