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RE: Kamukta Story परिवार की लाड़ली
सबको सदमे में चुप देखकर अशोक ने माहौल को सामान्य करने की सोची और बोला- घर के तीनों लंड घर की दोनों चुतों को चोद रहे हैं… मगर… छुप-छुप कर… क्यूँ … जब सब चोद ही रहे हैं तो सबके साथ करो और खूब मजे लो… देखो, मैं यहाँ किसी को गलत नहीं कह रहा… तो तुम लोग बुरा मत सोचो किसी बात के बारे में… मैं खुद भी मयूरी को चोदता हूँ… यहाँ तक कि मैंने इसकी गांड की सील भी तोड़ दी है… तो अब चुदाई पुरे घर में अच्छे से होनी चाहिए… किसी से छुपने या डरने की जरूरत नहीं है… क्यूँ रजत?
रजत ख़ुशी से- हाँ पापा… मुझे तो ये सोचकर ही मजा आ रहा है आप अब मेरे साथ दीदी और माँ को चोदेंगे.
अशोक- हाँ बिल्कुल… मैं भी यही चाहता हूँ… पूरा परिवार आराम से सबकी चुदाई करे और खुश रहे… शीतल, तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है… अपने बेटों से जितना चुदना चाहो, चुदो… मुझे को दिक्कत नहीं है.
शीतल- वाह… क्या बात है… अब आएगा असली मजा चुदाई का.
अशोक- पर एक बात है.
शीतल- हमें कुछ नियम तय करने होंगे… क्योंकि ये हम जो भी कर रहे हैं, वो समाज के नियमों की खिलाफ है… इसलिए…
विक्रम- क्या नियम पापा?
अशोक- हम, जितना चाहें अपने परिवार में चुदाई करें, कोई दिक्कत नहीं… पर ये बातें, कभी भी, गलती से भी घर के बाहर नहीं जानी चाहिए.
विक्रम- ठीक है.
अशोक- अगर घर में कोई भी व्यक्ति बाहर का आता है, तो हमें हमेशा सामान्य परिवार की तरह व्यवहार करना होगा.
रजत- ठीक है.
अशोक- बढ़िया… फिर आज मयूरी का जन्मदिन का जश्न शुरू करें?
शीतल- केक काट कर?
अशोक- नहीं… हमारी लाड़ली की ये जन्मदिन कुछ अलग तरीके से मनाने की इच्छा है.
शीतल- कैसे?
अशोक- ये घर के सभी लोगों से एक साथ चुदना चाहती हैं… मतलब घर के तीनों लंड इनको एक साथ अपने अंदर चाहिए.
रजत- वाओ… मजा आएगा.
अशोक- फिर शुरू करते हैं.
विक्रम- बिल्कुल…
अशोक- रुको… अब चूंकि सबकुछ सामने आ ही चुका है, तो मुझे नहीं लगता कि कपड़ों को पहन कर रखने की जरूरत है.
रजत- हाँ, बिकुल सही बात है… मैं तो तब से यही सोच रहा हूँ कि कब सब नंगे होंगे.
अशोक- चलो फिर, तुम ही सबके कपड़े उतारोगे.
रजत- जैसी आपकी आज्ञा पिताजी.
और रजत सबके कपड़े उतरने लगा. पहले वो अपनी माँ के, फिर अपने बड़े भाई के, फिर अपने बहन के और अंत में अपने पिता के कपड़े भी उसने ही उतारे. जब वो अपने पिता के कपड़े उतार रहा था तो अशोक ने उसको रोका और बोला- रजत…
रजत- हाँ पापा?
अशोक- सुना है कि तुम दोनों भाई लंड भी चूसते हो?
रजत- जी पापा… आप देखना, एक बार पूरा परिवार एक साथ आपका लंड चूसेगा… आपको खूब मजा आएगा.
पर उसके बोलते-बोलते तक अशोक ने अपना लंड उसके मुँह में पेल दिया और रजत बड़े मजे से अपने बाप का लंड चूसने लगा.
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RE: Kamukta Story परिवार की लाड़ली
अशोक फिर मयूरी को बोला- मयूरी… बेटा, तुम डाइनिंग टेबल पर लेट जाओ… आज केक काटेंगे नहीं… सब तुम्हारे शरीर पर से लेकर खाएंगे.
मयूरी बड़ी ख़ुशी से- जी पापा…
और मयूरी करवट लेकर डाइनिंग टेबल पर लेट गई.
अशोक- विक्रम, तुम केक मयूरी की चूत, गांड, चूचियों, जांघो और गालों पर लगा दो.
विक्रम- जी पापा…
और विक्रम केक हाथ में लेकर लेटी हुई मयूरी की सभी अंगों पर लगाने लगा. शीतल भी उसकी सहायता करने लगी.
केक को पूरी तरह से मयूरी के सारे कामांगों पर लगवाने के बाद अब अशोक आगे बोला- तो आज मयूरी का जन्मदिन बिना केक काटे ही मनाया जायेगा. चलो सब लोग मयूरी के शरीर पर लगे केक को खाना शुरू करो.
और अशोक का आदेश पाते ही घर के सब लोग यहाँ तक की अशोक खुद भी मयूरी के शरीर एक एक-एक हिस्से पर लगे केक को मुँह से खाने लगे. अशोक मयूरी की चूचियों पर लगे केक को अपने होंठ और जीब से चाटने और खाने लगा जबकि विक्रम मयूरी की चूत पर लगे केक को खा रहा था. और रजत को उसकी मनपसंद जगह मिल गयी मयूरी की कोमल गांड.
शीतल मयूरी की जाँघों पर लगे केक को अपनी जीभ और होंठों से चाट-चाट कर खाने लगी.
घर के इतने सारे लोगों के होंठों और जबान से अपने शरीर के हर हिस्से को चटवाने के प्रहार को मयूरी सह नहीं पाई। वो आनन्द से कराहने लगी, उसे एक अलग ही सुख का अनुभव हो रहा था जो अपने भाइयों, माँ और बाप से इतनी बार चुदवाने के बाद भी नहीं आया था- आ… ह… आह… ये क्या कर रहे हो तुमलोग… आह… मुझे मार डालोगे क्या… आह…
अशोक- मयूरी, मेरी जान… तुम्हें अपने जन्मदिन के तोहफे का ये पहला चरण कैसा लग रहा है?
मयूरी- ओ… पापा… मेरी जान… मुझे बहुत अच्छा लग… रहा है… आह…
और फिर सब लोग फिर से मयूरी को किसी भूखे भेड़िये की झुण्ड की तरह चाटने लगे. इस वक्त घर के सारे सदस्य मयूरी के सारे गुप्तांगों पर अपने जीभ और होंठ से प्रहार पर प्रहार किये जा रहे थे, और इस अद्भुत सुख का मयूरी खूब आनन्द ले रही थी.
इतनी देर में मयूरी करीब तीन बार झड़ चुकी थी.
फिर जब सबने उसके शरीर पर लगे केक को पूरा का पूरा चाट लिया तो मयूरी ने बड़े ही शिकायती लहजे में कहा- अशोक डार्लिंग…
मयूरी के लिए ये पहली बार था जब उसने अपने पापा को उसके नाम से बुलाया था.
पर इस वक्त उसके मुँह से अपना नाम सुनकर अशोक को और भी मजा आ रहा था. उसने जवाब दिया- हाँ… मेरी जान… बोलो?
मयूरी- सबने तो केक खा लिया, पर मुझे तो खिलाया ही नहीं?
अशोक- अभी खिलाते तुझे केक मेरी चुड़क्कड़ बेटी…
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