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RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
36
"जीजू अब आप इस साली की चूत का ख्याल कीजिये। इसकी चूत अब आपके लंड के ऊपर न्यौछावर है। पहले उसकी प्यास बुझा
दीजिये फिर दूसरी साली की बारी लगाइएगा। " मेरी पुकार सुन कर आदिल भैया ने मेरी गोल कमर को जकड़ के अपने मूसल लंड को
गोल-गोल मेरी चूत में घुमा कर सुपाड़े तक बाहर खींच कर दो अस्थि-पंजर हिला देने वाले धक्कों से मेरी पिघलती चूत को फिर से भर
दिया।
स्नानघर में बड़ी पुरातन सम्भोग के मीठे स्वरों का संगीत एक बार फिर से गूँज उठा। उस में मेरी वासना से लिप्त सुब्काइयां , कराहटें , और
हल्की चीखें उस संगीत के स्वरों को और भी रोचक और आनंदमय बना रहीं थी।
"जीजू …….. जीजू ….. मेरी चूत मारिये। अपना पूरा लंड मेरी चूत में दाल दीजिये। फाड़ डालिये इस निगोड़ी को ," मैं अब आदिल भैया
के लंड के हर प्रहार से सर से पैर तक कांप रही थी।
आदिल भैया का लंड मेरी चूत में अब इंजन के पिस्टन की तरह पूरे क्षमता और तेज़ी से अंदर बाहर आ जा रहा था। मेरे रति रस से लिसड़े
उनके विकराल लंड को अब मेरी चूत को बेदर्दी से मारने में और भी आसानी हो गयी थी।
आदिल भैया कभी पूरे लंड से लम्बे ताकतवर धक्कों से मेरी चूत मारते तो कभी सिर्फ कुछ इंचों से बिजली सामान रफ़्तार से मेरी चूत की
तौबा बुला देते थे।
"जीजू मुझे चोदिये उउन्न्न्न्न्न …… उम्म्म्म्म्म्म मैं अब आने वाली हूँ ....... आअन्न्न्ह्ह्ह चोदिये मुझे आआआआअ……..,” मैं सुबक उठी
अपने पहले रति-निष्पति से। मुझे पता था कि ये उस चुदाई का मेरा अकेला चार्म-आनंद नहीं होगा।
आदिल भैया के लंड ने अब और भी रफ़्तार पकड़ ली। स्नानघर में सम्भोग की अश्लील 'पचक पचक' के संगीत ने मेरी चूत के बिना
हिचक की चुदाई की घोषणा कर दी।
आदिल भैया के विशाल स्पॉत जैसे कठोड लंड का हर प्रहार मेरे शरीर को हिला कर रोमांचित कर रहा था। मेरे खुले मुंह से उबलती
सिस्कारियां उन्हें और भी उत्तेजित कर रहीं थीं। आदिल भैया ने कसमसा के अपने लंड के पीछे और भी ताकत लगनी शुरू कर दी। उनका
दैत्य-लंड मेरी चूत को फैलाते हुए जब बहुत अंदर तक जाता और मेरे गर्भाशय को बेदर्दी से धक्का मार के उसे और भी अंदर धकेल देता तो
मेरी कराहट में मीठा दर्द भी शामिल हो जाता। उस दर्द से मेरे शरीर में अजीब से विकृत इच्छा जग गयी और मैं आदिल भैया के लंड से उपजे
वासना भरे दर्द की प्रतीक्षा कर रही थी।
आदिल भैया ने मेरी चूत को हचक हचक भीमकाय लंड से बेदर्दी से मर्दन करते हुए मेरे दोनों उरोज़ों को इतनी ज़ोर से मसलते कि मैं आशय
अवस्था में कराह उठती ," आदिल भैया ……जीजू हाआआय उउन्न्न्न्न्ग्ग्ग्ग्ग आआअन्न्न्न्ह्ह्ह्ह चोदो मुझे। जी.……जूऊऊ मेरी चूत फिर से
झड़ने वाली है। "
आदिल भैया ने अपने लंड के रफ़्तार में और भी इजाफा कर मेरी चूत के लतमर्दन अपनी पूरी क्षमता से करने लगे।
मैं अब लगभग लगातार झड़ रही थी। आदिल भैया का लंड मेरी चूत को रेलगाड़ी के इंजन की रफ़्तार से चोद रहा था। न जाने कितनी देर
बाद आदिल भैया ने गुर्रा कर कहा ,"नेहा अब मैं आपकी चूत में आने वाला हूँ। "
कोई भी लड़की जब उसकी चूत चोदने वाले के मुंह से यह शब्द सुनती है तो उसकी वासना और भी प्रज्ज्वलित हो उठती है।
मैं भी कामानन्द के जवार से जलते हुए सुबकी, "हाँ आदिल भैया मेरे जीजू भर दीजिये मेरी चूत अपने वीर्य से। मैं फिर से झड़ रहीं हूँ।
आआआह्ह्ह्ह्ह हाय माआआं भैयाआआआ .......... उउन्न्न्न्न्न। "
मैं अपने चर्म-आनंद के अतिरेक से कपकपा रही थी। आदिल भैया ने अपना विकराल लंड कई बार बेदर्दी से मेरी चूत में धूंस से मेरी दोनों
चूचियों को वहशियों की तरह मड़ोड़ दिया। उन्होंने अपने लंड को जड़ तक मेरी चूत में डाल दिया। उनके लंड का विस्फोट मानों मेरी चूत
को जला रहा था। आदिल भैया के जनन-क्षम वीर्य की गरम बौछार ने मेरे अविकसित गर्भाशय को नहला दिया।
न जाने कितनी बार उनके लंड ने अपने उर्वर वीर्य की फुहार से मेरी चूत को भर दिया।
मैं अब हाँफते हुए अपनी साँसों को काबू में करने का प्रयास कर रही थी। आदिल भैया ने मेरी भीगे कमर को प्यार से चूमा। उनकी साँसें भी
भारी हो चली थीं।
उनका लंड अभी भी मेरी चूत फड़फड़ा रहा था। यदि उनका लंड थोड़ा सा भी ढीला हुआ तो मुझे अहसास नहीं हुआ।
हम दोनों कुछ देर तक एक दुसरे से लिपटे वैसे ही खड़े रहे।
तब हम शानू की भरी साँसों को सुन कर वापस ज़मीं पर आ गए।
"जीजू आपने तो नेहा की जान ही निकाल दी होती। कैसी बेदर्दी से आपने उसकी चूत मारी ," शानू ने मेरी फ़िक्र का इज़हार किया
अपने उल्हाने से।
"शानू ऐसी चुदाई तो बड़ी खुशनसीबी से मिलती है। तुझे तो खुश होना चाहिए कि तुझे जीजू जैसा मुस्टंड लंड घर में ही मिल गया।
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RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
कई लड़कियां इस लंड को अपनी चूत में लेने के लिए मरने मारने के लिए तैयार हो जायेंगीं ," मैंने आदिल भैया का साथ दिया।
"तो नेहा अब तू अपनी गांड भी मरवाएगी?" शानू ले खुले होंठ सूजे से लग रहे थे।मेरे और आदिल भैया के आनन्दायक प्रचंड सम्भोग
के वासनामयी प्रभाव से शानू की साँसे भरी हो थी। उसकी चूचियाँ अपने आप ही थिरक और फड़कने लगीं। उसके अविकसित चूचियों
के छोटे छोटे चुचूक सख्त हो गए।बेचारी शानू अभी मुश्किल से किशोरावस्था के दूसरे साल में अभी संभल भी नहीं पायी थी। मेरी
तरह उसे बड़े मामा और सुरेश चाचू के वृहत लण्डों से अपने कौमार्यभंग का सौभाग्य नहीं मिला था। पर आज उसके आदिल भैया
उर्फ़ जीजू उसका कौमार्यभंग करने वाले थे। शानू की नाबालिग जीवन में सम्भोग का अध्याय अगम्यागमन की रति - क्रिया से शुरू
होने वाला था।
" शानू यदि मैं जीजू से अपनी गांड नहीं चुदवाऊँगी तो मेरा जीजू को दिया वचन झूठा हो जायेगा। जीजू फिर तेरी चुदाई करने के
वायदे से मुकर सकने के लिए स्वंत्रत हो जायेंगे। तू बता यदि तू अपनी कुंवारी चूत को हमारे जीजू के लंड को नहीं सौंपना चाहती है
तो मैं क्यों अपनी नन्ही गांड की सहमत बुलवाऊं जीजू के घोड़े जैसे लंड से चुदवा कर ? बोल ना क्या कहती है ? तेरी कुंवारी चूत का
द्वार खोलने के लिए ही तो मैं अपनी गांड जीजू को भेंट कर रही हूँ। " मैंने जीजू की ओर मुस्करा कर शानू को और भी चुदाई की तरफ
धकेला।
शानू के वासना से लाल चेहरे पर विचित्र व्याकुलता की अभिव्यक्ति साफ़ साफ़ जाहिर होने लगी। शानू ने अपने होंठ को चुभलाते हुए
हलकी आवाज़ में कहा।, " नेहा मेरी वजह से तुम झूठी मत बनो। तूने जीजू से अपनी गांड मरवाने का वायदा मेरे सामने किया है।
अब तो तुझे उनसे गांड मरवानी ही पड़ेगी। वैसे भी जीजू आज पहली बार किसी लड़की की गांड मारेंगे। वायदा निभा और मेरी फ़िक्र
मत कर। मैं जीजू से अपनी कुंवारी चूत चुदवाने से पीछे नहीं हटूँगीं। "
मैंने हंस पड़ी , "चलिए जीजू अब आप अपनी बड़ी साली की गांड फाड़ने के लिए तैयार हो जाइये। आपकी छोटी साली की कुंवारी
चूत का उदघाट्न करने की ज़िम्मेदारी भी आपको मिल गयी है। "
आदिल भैया का जितना मोटा और हाथ भर लम्बा लंड मेरी चूत में फंसा फड़क रहा था, " अरे साली साहिबायों, जीजू का लंड तो
सालियों की मुलाज़मत करने के लिए ही तो अल्लाह मियां ने सारे जिजायों को नवाज़ा है। बस सालियों की रज़ामंदी की ज़रुरत है। "
" जीजू सालियां तो बचपन से ही तैयार होतीं है जीजू का लंड लेने के लिए। उनकी ना नुकर तो बस इठलाने जैसा है। जीजा को उस
के इठलाने की फ़िक्र नहीं करनी चाहिए। बस पकड़ कर साली के चूत और गांड फाड़ कर उसे सम्पूर्ण स्त्री बनने में मदद करनी
चाहिए। " मैंने अपने गदराये चूतड़ों को गोल गोल घुमा कर आदिल भैया के लंड के ऊपर अपनी चूत घुमाई, "जीजू अब आप अपनी
साली की गांड को अपने लंड के गांड-कौमार्य का तोहफा देंगे या बस हम बातें रहेंगे ? "
आदिल भैया ने अपना लंड सुपाड़े तक बाहर निकल और मेरी गुदाज़ कमर को कस कर पकड़ कर एक विध्वंसक झटके में जड़ तक
मेरी तंग चूत में ठूंस दिया। मेरी न चाहते हुए भी मेरी चीख निकल गयी , " देखा साली साहिबयों जीजू के लंड की ताकत। जब गांड
में धकेलूंगा तो बिलबिला कर रो पड़ोगी ? शानू रानी तुम्हारी कुंवारी चूत भी इसी लंड के ऊपर कुर्बान होने वाली है। "
"जीजू यदि साली की मरवाते हुए उसकी चीखें न निकलें , उसकी आँखों से आंसुओं की गंगा न बहने लगे, उसकी सुबकियों के संगीत से वातावरण न भर
उठे और उसकी गांड से लाल खून का टिका जीजू के लंड पर न लगे तो जीजू की ताकत की बस बेइज़्ज़ती ही तो होगी। इसी लिए जीजू आप दोनों सालियों
की चीखों का संगीत बजवा दीजिये आज।”
मैंने आदिल भैया को और भी चढ़ाया। आदिल भैया हमारे बड़े भाई हैं और हमेशा अपनी छोटी बहनों की हिफाज़त करने की उनकी स्वाभाविक आदत शानू
की बेहिचक चुदाई में बाधा बन सकती थी।
"शानू चल जीजू का लंड चूस और मेरी गांड के लिए तैयार कर ," मैंने भौचक्की शानू को जगाया।
आदिल भैया ने अपना मेरे रति रस से लिसा चमकता लंड मेरी फ़ैली चूत से निकाला और घुटनो पर जाती शानू की ओर बढ़ा दिया। शानू ने बेहिचक मेरे रति
रस से लिप्त जीजू को लंड को अपने नन्हे हाथों में संभल कर चूसने, चूमने और चाटने लगी। शानू और मेरे दोनों नन्हे हाथ आदिल भैया के मोटे लंड की
परिधि को पूरा मापने में असक्षम थे। हमारे परिवार की स्त्रियों के सौभाग्य में वृहत विकराल लण्डों अधिशेष और प्राचुर्य था।
शानू के थूक ने जीजू के लंड के ऊपर मेरे चूत के रस का स्थान ले लिया। शानू ने अपने आप ही मेरे गदराये गोल चौड़ा कर मेरी गुलाबी नन्ही गुदा को जीजू
के दीदार के लिए प्रस्तुत कर दिया। जीजू नीचे झुक कर मेरी गांड पूजा का निस्चय बना लिया। जीजू और शानू ने मेरे प्रभूत गदराये चुत्तडों को चूमना, काटना
शुरू कर दिया। फिर दोनों ने बरी बरी से मेरी गुदा को चूमे चाटने लगे।
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RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
जीजू की जिव्हा मेरे गुदा द्वार के ऊपर प्यार भरी टकटकाहट देने लगी। जीजू की जीभ बेशर्मी से मेरे मलाशय के द्वार को खोलने के लिए उत्सुक थी। मेरी
गांड का तंग छिद्र हर मान गया और मेरी गांड का छेड़ धीरे धीरे जीजू की जीभ के स्वागत के लिए ढीला हो कर फ़ैल गया। जीजू की जीभ की नोक मेरी गांड
में प्रविष्ट हो गयी।
"हाय जीजू कितना अच्छा लग रहा है। ऐसे ही गांड चाटिये। जीजू और भी अंदर तक डालिये अपनी जीभ ," मैं अपनी गांड से उपजे वासना के आनंद मसे
डोलने लगी।
शानू ने अपनी जगह बदल कर मेरी चूत के ऊपर अपना मुंह जमा दिया। उसकी जीभ मेरी चूत से मेरी चुदाई की मलाई को चाटने लगी।
जीजू ने मेरे दोनों नितिम्बों को मसलते हुए मेरी गांड को अपनी जिव्हा से चोदने लगे। आखिर इसी गांड को वो थोड़ी अपने हाथी जैसे लंड से फाड़ने वाले थे।
मेरी सिस्कारियां स्वतः मेरे हलक से उबाल कर स्नानगृह में गूंजने लगीं। तभी जीजू ने अपनी जीभ मेरी गांड कर अपनी तर्जनी झटके से जोड़ तक मेरी
मलाशय की गुफा में ठूंस दिया। उन्होंने मेरे चुत्तडों को काटने के साथ साथ मेरी गांड को अपनी ऊँगली से चोदने लगे। शानू अब मेरे भगशिश्न को चूस और
चुभला रही थी। दोनों ओर से वासनामय प्रेम का आक्रमण मेरे शरीर में सम्भोग की लालसा की आग लगाने लगा।
जीजू ने बिना हिचक अपनी मंझली ऊँगली को तर्जनी की मादा के लिए मेरी गांड में भेज दिया।
मैं अब बेहिचक सिसकने लगी। " जीजू चोदिये मेरी गांड। ……उउउउग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग हाय शानू चूस ले , काट डाल मेरा क्लिट और ज़ोर से। .... उउउउन्न्न्न्न्न्न ……
आअरर्र्र्र्र्र्र ," मैं एक बार फिर से भरभरा के झड़ गयी।
आदिल भैया ने बेशक किसी लड़की की गांड भले ही ना मारी हो पर नसीम आपा की चुदाई तो हज़ारों बार की थी और उन्हें लड़कियों की चुदाई की बेसब्री
का पूरा इल्म था। उन्हें मॉल था की अब मेरी गांड उनके कुंवारे के लिए तैयार थी।
आदिल भैया ने मेरी फड़कती गांड को मेरे दोनों चूतड़ों फैला कर अपने लंड के आक्रमण के लिए तैयार पाया।
शानू जल्दी से उठ कर मेरे पीछे चली गयी अपने जीजू की मदद करले के लिए।
उसने मेरे गुदाज़ चूतड़ों को फैला कर जीजू के हाथ खाई कर दिए। जीजू ने अपना मोटा सेब जैसा सुपाड़ा मेरी गुदा के नन्हे तंग द्वार
के ऊपर टिका दिया। " जीजू बेहिचक अपना लंड डाल दीजिये। मेरी चीखों की परवाह कीजियेगा। बड़े मां ने जब मेरी गांड
कौमार्य भांग किया था तो मैं नहुत देर तक रोयी थी। पर बड़े मामा ने मेरी चीखों की मेरे रोने की बिलकुल उपेक्षा कर दी थी। "
मैंने आदिल भैया के रहे सहे संकोच का उन्मूलन करने का प्रयास किया।
आदिल भैया ने अपने वृहत लंड के खम्बे को थाम कर एक ज़ोर का झटका लगाया पर मेरी तंग गुदा द्वार नहीं खुला।
"जीजू क्या बात है ? क्या बड़े मां मदद के लिए बुलवाना पड़ेगा ?" मैंने जीजू के मर्दानगी को चुनौती दी।
आदिल भैया अब मर्दानगी के ऊपर आक्रमण से मचल उठे। उन्होंने अपना सुपाड़ा मेरी ऊपर जैम कर टिकाया और मुझे कस कर
पकड़ कर एक गांड-विध्वंसकारी धक्का लगाया।
" ओईईईई माआआआ आआअन्न्न्न्न्न ," मेरे हलक से चीख उबाल उठी। जीजू ने एक ही धक्के में अपना सेब जैसा मोटा सुपाड़ा मेरी
गांड के अंदर धकेल दिया। मेरी गुदा का नन्हा द्वार उनके विशाल सुपाड़े के ऊपर बेशर्मी से खुल कर फ़ैल गया।
आदिल भैया और गहरी सांस ली। मेरी कसी गांड के छेद ने उनके लंड को रेशमी ज़ंज़ीर में जकड़ लिया।
मेरी आँखों में दर्द के आंसू भर गए।
" साली साहिबा , अब बताइये मुझे किसी इमदाद या मदद की ज़रुरत है क्या ? " आदिल भैया ने मुझे चिढ़ाया।
"जीजू अभी तो बस लंड का सुपाड़ा अंदर गया है। अभी तो हाथ भर लम्बा लंड मेरी गांड के बाहर है। अभी से आप इतने क्यों इतरा
रहें हैं ? जब तक सारा लंड साली की गांड में ना समां जाये और फिर साली की गांड-चुदाई इतनी ज़ोरदार और इतनी लम्बी हो
की वोह झड़ झड़ कर बेहोश न हो जाय तब तक जीजू का काम पूरा नहीं होता। अब जब तक आप अपना मोटा लम्बा लंड अपनी
बड़ी साली की गांड में जड़ तक ना ठूंस दें और फिर और वो उसकी गांड की चुदाई से बिलबिला ना उठे तब तक आप को इतराने
का कोई हक़ नहीं है। "
मैं शायद मूर्खों की तरह आदिल भैया उर्फ़ जीजू को चुनौती दे कर अपनी गांड की शामत का न्यौता दे रही थी। आदिल भैया ने अपनी
साली की चुनौती को ख़ामोशी से स्वीकार कर लिया। जब मर्द के सौभाग्य में आदिल भैया जैसा लंड हो तो उसे अपनी मूर्ख साली
के वचनों के कंटक दंशों का जवाब शब्दों से देने की कोई ज़रुरत नहीं थी। जीजू का लंड मेरे शब्दों के कांटे को मेरे हलक में फंसा
देने के लिए पूरा काबिल था।
आदिल भैया ने बिना हिचक एक पूरी ताकत का धक्का लगाया और मेरी गांड चरमरा उठी। उनका मर्द की कलाई से भी मोटे लंड
की कुछ इंचे मेरी तंग गांड की गहरी रेशमी अंधकार में डूबी दाखिल हो गयीं।
मैं दर्द के मरे बिलबिला उठी। मेरी चीख ने शानू को भी हिला दिया। मेरी आँखों से गंगा जमुना बहने लगी। पर अब आदिल भैया के
ऊपर मेरी दयनीय हालत का कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला था।
आदिल भैया ने बिना रुके बिना किसी हिचक और चिंता से एक विध्वंसक धक्के के बाद दूसरे धक्के से अपने महालण्ड को और
भी मेरी गांड के भीतरजड़ तक ठूंसने लगे। मेरी सहमत तो मेरे निमंत्रण पर ही आई थी। मेरी दर्द भरी चीखे मेरी गांड से उपजे दर्द की
द्योतक थीं। ममेरे आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। जब मैं चीख नहीं रही ही थी तब मेरी सुबकिया मेरे दर्द का इज़हार कर रहीं
थी।
न जाने कितने धक्के लगाने पड़े आदिल भैया को। आखिर में उनके घुंघराले खुरदुरे झांटों के बाल मेरे चूतड़ों की कोमल त्वचा को
रगड़ रहे थे। आदिल भैया जीजू ने अपना विकराल लंड जड़ तक मेरी गांड में ठूंस दिया था।
" साली साहिबा , क्या मैं आपके चीखने रोने के रुकने का इन्तिज़ार करूँ या आपकी गांड शुरू कर दूँ ? जैसा आपको ठीक लगे
हमें बता दें। आखिर मैं आप हैं और छोटी बहिन भी। आपकी गांड और चूत तो हमें आगे और भी मारनी है। हर मानने में कोई शरम
नहीं है। " आदिल भैया ने अपने मर्दाने हाथी जैसे लंड की विजय पताका लहराने में कोई देर नहीं लगाई।
मैं अभी भी दर्द से बिलबिला रही थी पर सारे संसार की सालियों का सम्मान हांथों में था, " जीजू, अभी तो यह पहला वार है।
अभी तो आपको अपनी साली की गांड की लम्बी प्रचंड चुदाई है। जब तक तब तक वो बेहोश नहीं तो कम से कम निश्चेत जैसी
हालत में ना जाये। फिर आपको अपनी दूसरी साली की कुंवारी चूत ठीक उसी तरह मारनी है। अभी तो फ़तह के बिगुल बजने में
देरी है। "
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मैं सुबक रही थी फिर भी मैं हार नहीं मानने वाली थी। आखिर सालियों के सम्मान का सवाल भी तो था , उसके सामने मेरे दर्द की कुझे
फ़िक्र नहीं थी।
आदिल भैया ने भी सारी दुनिया के जिजाओं का पक्ष और सम्मान का बीड़ा उठा लिया।
आदिल भैया ने अपना लंड मेरी दुखती गांड से इंच इंच कर सुपाड़े तक बाहर निकल लिया और फिर ज़ोरदार धक्कों से जड़ तक मेरी गांड में ठूंस दिया। मेरी
चीखें उनके हर धक्के के प्रभाव की घंटी बन गयीं। । मेरी गांड में दर्द की लहरें उपज गयीं। मुझे लगा की मेरी गांड फट कर चिथड़े चिथड़े गयी थी और
उससे खून के धाराएं बह रहीं होगीं।
अब आदिल भैया बिना रहम से मेरी गांडमारने लगे। उनका लंड मेरी बिलबिलाती गांड से निकलता और फिर जड़ तक मेरे गहरे अँधेरे रेशमी मलाशय में
समां जाता।
मेरी चीखे सुबकियों में बदल गयीं। आदिल भैया का लंड, धीरे धीरे मेरी गांड में उनके महालण्ड के रगड़ाई से उपजे रस, से लिस कर कुछ आसानी से मेरी
गांड के अंदर बाहर आने जाने लगा।
शानू की साँसे ऊँची और भारी हो गयीं थीं।
आदिल भैया मेरी गांड को बेरहमी से अपने महाकाय लंड से चोद नहीं बल्कि कूट रहे थे। अब उनके मेरी उसी बेरहमी से मसल रहे थे। मेरी सुबकियां
सिस्कारियों में रूपांतरित हो चलीं।
मेरी प्रचंड गांड चुदाई के मंथन से मंथन से सौंधी सुगंध सब तरफ फ़ैल गयी।
" जीजू अब मर लीजिये अपनी साली की गांड। हाय कितना मोटा लंड आपका। अब मारिये और ज़ोर से। "मैं काम-आनंद के अतिरेक में अंट्शंट बोलने
लगी। जो दर्द थोड़ी देर पहले मेरी जान निकाल रहा था अब मेरे शरीर में उसी दर्द ने वासना से भरे कामसुख की बाढ़ पैदा कर दी।
"साली जी और ज़ोर से मारूँ आपकी गांड। अब तो आप रो भी नहीं रहीं हैं ? " आदिल भैया ने एक और प्रचंड धक्के से मेरी गांड महाकाय लंड से भर
दिया।
"जीजू और ज़ोर से मारिये। मैं अब झड़ने वाली हूँ। ह्हाअन्न्न्न्न्न उउउन्न्न्न्न्न्न्ग्ग्ग्ग्ग्ग ऊऊऊओ माआआं मर्र्र्र्र गयीईई मैईईईईइं आआऐईईईन्न्न्न्न्न ," मेरी
सिस्कारियां मेरे कामोन्माद के प्रभाव से और भी ऊँची हो गयीं।
अब जीजू उर्फ़ आदिल भैया विजय-पथ पर बेलगाम दौड़ रहे थे। उनका वृहत लंड मेरी गांड की भयंकर शक्तिशाली और बेहद तेज़ धक्कों से दनादन
चुदाई कर रहा था।
फ़च -फ़च -फ़च -फ़च -फ़च की आवाज़ मेरी गांड के मंथन का संगीत थीं। मैं अब वासना के ज्वर से बिलबिला उठी। मैं अब लगभग लगातार झड़ रही
थी। आदिल भैया मेरे उरोज़ों को जितनी बेदर्दी से मड़ोड़ते मसलते उतना ही विचित्र आनंद मुझे एक नए चरम आनंद के द्वार पर ला पटकता।
आदिल भैया मेरे हर कामोन्माद को और भी परवान चढ़ाने के लिए दोनों चुचूकों को बेरहमी से खींच कर मड़ोड़ देते और मैं हलके से चीख उठती। मेरी चीखें
अब आनंद के आवेश से उपज रहीं थीं। मेरी गांड की चुदाई का दर्द बस मेरे आनंद को बढ़ावा दे रहा था दे रहा था।
आदिल भैया हचक हचक कर चोद रहे थे। उनके धुआँदार धक्के मेरे अस्थिपंजर तक हिला देते। अब वो मेरी गांड की चुदाई वहशी
अंदाज़ और रफ़्तार से करने लगे। जब उनके हाथ मेरे उरोज़ों को मुक्त कर मेरी चूत और भाग-शिश्न से खेलते तो उनके धक्कों से मेरे
गुदाज़ मोटी चूचियाँ आगे पीछे भरी गेंदों की तरह डोलतीं। मैं वासना और भीषण चुदाई के अतिरेक से हांफने लगी। पर जीजू की चुदाई
की भीषणता और उत्तेजना में कोई धीमापन आने की गुंजाईश नहीं होती दीखती थी।
" जीईईइ ....... जूऊऊऊ ……… हाआआन ………….. उउउन्न्न्न्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैं फिर …….. झड़ रही हूँ……. आआन्न्न्न्न्न्न्न
………….. मर ……………. गईईईईई …………….. आआअन्न्न्न्न्न्न ,"मेरे हलक से सिस्कारियों की बौछार से स्नानगृह गूँज उठा। गांड
महक मेरी कामोत्तेजना को और भी परवान चढ़ा रही थी।
जीजू ने दनादन धक्कों से मेरी गांड की तौबा बुला दी , "साली रानी क्या अब टैं बोली या नहीं ? मैं तुम्हारी गांड अपने लंड की
मलाई से भरने वाला हूँ। "
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RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
जीजू के झड़ने की घोषणा से मेरी गांड चुदाई के आनंद चार चाँद लग गए, ," जीजू अपने मुझे झाड़-झाड़ कर मार ही डाला।
भर दीजिये अपनी छोटी बहन और साली की गांड अपने लंड की मलाई से। "
मैं वासना के अतिरेक में बेशर्मी से बुदबुदाई। आदिल भैया ने मेरे दोनों चूचियों को निर्ममता मड़ोड़ मसल कर मेरी गांड में बेरहमी से
अपना लंड और भी ताकत से ठोकने लगे। उनके हलक से गुरगुरहटों जैसी आवाज़ें निकलने लगीं। कोई नासमझ भीषण गांड चुदाई को
देखता तो इसे बलात्कार समझता।
मैं तो जीजू की निर्मम चुदाई से उन्गिनत बार झड़ कर बिलकुल शिथिल हो रही थी।
अचानक जीजू का लंड मेरी गांड में और भी मोटा लगने लगा। उनके लंड ने मेरी गांड में मानों अंगड़ाइयां लेनी शुरू कर दी। उनके लंड से
मेरी गांड में गरम गरम उर्वर वीर्य बौछार होने लगी। मैं उस गरमाहट के आनंद से तड़प उठी और हलके से चीख झड़ने लगी।
जीजू का लंड बिना रुके गांड की तड़पती कोमल दीवारों को अपनी मलाई की बारिश कर रहा था। लगा की जीजू का लंड
से वीर्य की फुहारें कभी भी नहीं रुकेंगी।
जीजू भी अब हांफने लगे चार्म-आनंद के प्रभाव से। उन्होंने मुझे ना थामा होता तो मैं फिसल कर फर्श पर ढेर हो जाती।
घंटे भर की भीषण चुदाई से मेरे शरीर का हर एक अंग मीठे दर्द से भर उठा था।
जीजू और मैं उसी अंदाज़ में एक चुपके रहे और कामोन्माद के शिखर आने का इंतज़ार रहे थे। हूँ दोनों बिलकुल भूल गए की बेचारी
शानू इस बलात्कारी चुदाई के उत्तेजना की वजह से हांफ रही थी।
काफी देर बाद जीजू और मैं अपने वातावरण से फिर से सलंग्न हो गए।
"हाय जीजू आप कितने बेदर्द हैं। मैं आप और बुआ से आपकी शिकायत लगाऊंगी। कितनी बेरहमी से मारी है अपने हमारी नेहा की
गांड। मैं तो दर लगी थी। " शानू ने उलहना तो दिया पर उसकी आँखे कुछ और ही कह रहीं थी।
"साली जी जब आपकी चूत की कुटाई भी इसी बेरहमी से कर दूँ तब शिकायत लगन अपनी अपप और अम्मी से। "जीजू का लंड बड़ी
ढीला हो चला था उस से मरे गांड को थोड़ी रहत राहत महसूस हुई। पर अभी भी मुझे जीजू का लंड अपनी गांड में रखने में आनंद आ
रहा था।
"अरे शानू जब तुम्हारी चूत को जीजू के लंड से फ़ड़वाएंगे तब तुम साडी शिकायतों को भूल जाएगी। और नसीम आपा क्या नहीं
जानती की आदिल भैया जैसे सांड जीजू के होते तेरी चूत कैसे कुंवारी रह सकती है। अब तक तो तेरी चूत ही नहीं गांड के दरवाज़े भी
पूरे खुल जाने चाहिए थे। " मैंने भी जीजू के स्वर से स्वर मिलाया।
" शानू साली साहिबा तुम भूल गयीं दो हफ्ते पहले की बात। अम्मी और नसीम दोनों ने कितना तुम्हें समझाया था की अपने जीजू को
अपनी चुदाई के लिए राज़ी कर लो। भाई हमने तो तय कर रखा था की जब तक तुम रज़ामंद नहीं होगी हम तुम्हे चुम्मा भी नहीं देंगे।"
जीजू की बातों से साफ़ साफ़ ज़ाहिर था कि शब्बो बुआ और नसीम आपा शानू के केस पर थीं। बस शानू ही नासमझी कर रही थी।
" चलो देर आयद दुरुस्त आयद। आज तो तेरी चूत के उद्घाटन की हर शर्त पूरी हो गयी। लेकिन मेरी बात सुन। जीजू का लंड जब भी
चुदाई खतम करे तो उसे चूस चुम कर शुक्रिया अदा ज़रूर करना। वरना लंड महाराज नाराज़ हो जाते हैं। जीजू शानू की शुरुआत कर
दीजिये। शानू आपके लंड को बेहिचक प्यार से मेरी गांड की चुदाई के लिए शुक्रिया अदा करेगी। " मुझे शानू को मेरी गांड के बेरहम
मंथन से लसे जीजू के लंड को चूसने के ख्याल से ही रोमांच हो गया।
शानू के फटी फटी आँखें और भरी सांसों में वासना का बुखार साफ़ ज़ाहिर हो रहा था। अब वो जीजू चुदने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती।
आदिल भैया ने धीरे धीरे अपना भरी से बाहर निकला। मैंने उन्हें मन ही मन धन्यवाद दिया। मेरी गांड की बेरहम चुदाई के दर्द की लहरें अभी भी पेंगें ले रहीं
थीं।
जीजू का लंड ममेरी गांड के माथे रस और उनके गाढ़े मलाई जैसे सफ़ेद वीर्य के मिश्रण से सजा था। शानू ने थोड़ा हिचकते हुए जीजू का लंड सुपाड़ा अपने
मुंह में ले लिया। बेचारी को अपना मुंह जितना खुल सकता था खोलने पड़ा। जीजू के लंड का सुपाड़ा बड़े मामा जैसे ही विशाल था। शानू ने पहले धीरे धीरे
फिर बेताबी से जीजू के लंड से मेरी गांड और उनके वीर्य की मलाई के मिश्रण को चूसने चाटने लगी।
मुझे बड़े मामा और सुरेश चाचू से गांड उनके लंड को साफ़ करने का आनंद फिर ताज़ा हो गया, "शानू जीजू के लंड की मलाई मेरी गांड में भरी हुई है। चल
नीचे बैठ जा। तू भी क्या याद करेगी की मैं कितनी दरियादिल हूँ। वरना मैं खुद साडी मलाई चाट कर जाती। "
शानू ने चटकारे लेते हुए कहा , "नेहा, त्तेरी गांड और जीजू की मलाई तो बहुत स्वाद है। "
मैंने शानू खुले मुंह के ऊपर अपनी दुखती गांड के छेद को रख दिया जो अभी भी जीजू के महाकाय लंड से चुदने के बाद मुंह बाये हुए था। जीजू के लंड की
मलाई और मेरी गांड के रस की घुट्टी शानू के मुंह में धार की तरह बह चली।
मैंने शानू को अपनी गांड के रस से लिसे जीजू की मलाई सटकने के बाद उसको उनके मेरी गांड से निकले ताज़े लंड की ओर झुका दिया। शानू ने बिना
हिचक आदिल भैया के लंड को चूस चाट कर अपने थूक से चमका दिया। जीजू बोले, " मेरा लंड थोड़ी देर के लिए वापस कर दीजिये साली साहिबा मुझे बहुत
ज़ोर से मूतना है।”
मैं झट से शानू के पास घुटनों पर बैठ गयी, "वाह जीजू दो दो सालियों के होते कहाँ मूतने जायेंगे आप। कर दीजिये यहीं पर। आखिर में आपकी कुंवारी
साली को कभी तो अपने जीजू का नमकीन शरबत पीने का मौका मिलना ही है।"
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05-18-2019, 01:18 PM,
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RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
आदिल भैया ने अपने मूत्र की बौछार हमारे चेहरों के ऊपर खोल दी। मैंने शानू के गाल दबा कर उसका मुंह खुलवा दिया दिया। जीजू के मूत्र स्नान साथ साथ
दोनों सालियों ने मूत्र पान भी कर लिया।
शानू अब बिना शर्म के जीजू का नमकीन मूट मुंह भर कर सतक रही थी। कुछ देर तो तो दोनों मानो होड़ लगा रहीं थी कि कौन जीजू के गरम गरम नमकीन
शरबत का बड़ा हिस्सा हिस्सा सतक लेगी लेगी।
उसके बाद हम तीनों अच्छे नहाये। जीजू के साथ छेड़-खानी से उनका लंड फिर से खम्बे की तरह प्रचंड हो गया। शानू भी चूचियाँ मसलवा कर और चूत
सहलवा कर उत्तेजित हो चली थी।
हम तीनों ने सुखाने के बाद कोई कपडे पहनने का झंझट का ख्याल ही छोड़ दिया। मेरे हलके इशारे पर जीजू ने शानू अपनी बालिष्ठ
भुजाओं में जकड़ कर बिस्तर पर दिया। जब तक शानू कुछ कर पाती जीजू उसकी मांसल झांगों को खींच कर उसके चूतड़ों को बिस्तर के
किनारे तक खींच कर उसकी झांगों की पकड़ से स्थिर कर उंसकी कमसिन अल्पव्यस्क चूत ऊपर वहशियों की तरह टूट पड़े। जैसे ही
जीजू का मुंह शानू की चूत पर पहुंचा उसकी सिसकारी निकली तब सबको ज़ाहिर हो गया की आज शानू की कुंवारी चूत पर जीजू के लंड
की विजय का झंडा लहरा कर ही रहेगा।
जीजू ने मुश्किल से नवीं कक्षा में दाखिल हुई नाज़ुक अधपकी अपनी बहन और साली की चूत में तूफ़ान उठा दिया। जीजू ने अपनी जीभ
शानू -शिश्न को लपलपा कर चाटने के साथ साथ उसकी चूत के उनखुले द्वार में धकेल कर उसे वासना के आनंद से उद्वेलित कर दिया।
बेचारी कामवासना के खेल में पूरी अनाड़ी थी। जीजू की अनुभवी जीभ में उसकी कुंवारी चूत में आग लगा दी।
" हाय जीजू आप क्या कर रहे हो मेरे साथ। मेरी चूत जल रही है जीजू। मुझे झड़ दीजिये। " शानू की गुहार सुन कर जीजू ने उसकी चूत
को कस कर चाटने लगे। शानू भरभरा कर झड़ गयी। उसकी सिस्कारियां कमरे में गूँज उठीं।
जीजू ने उसके दोनों उरोज़ो को कास कर मसलते हुए उसकी चूत से लेकर गांड तक लम्बी जीभ निकल कर चूसने लगे। शानू अपने चूतड़
बिस्तर से उठा उठा कर अपनई चूत और गांड जीजू के मुंह में ठूंसने लगी।
मैंने उसके खुले हफ्ते मुंह को अपने होंठों से धक लिया और अपनी जीभ से उसके मीठे मुंह में मीठे तलाशने लगी।
उधर जीजू ने उसकी गुदा द्वार में अपनी जीभ की नोक घुसा कर उसे गोल गोल घूमने लगे। शानू बेचारी के ऊपर हर तरफ से वासनामयी
हमला हो रहा था। उसकी चूचियाँ जीजी मसल रहे थे। मैं उसके मीठे होंठों को चूस रही थी। जीजी उसकी गांड और चूत चूस चूस कर उसके
अल्पव्यस्क शरीर में कामाग्नि प्रज्जवलित कर रहे थे।
शानू अनेकों बार कपकपा के झड़ चुकी थी। जीजू ने एक बार फिर से उसकी चूत पर अपने मुंह और जीभ से मीठा हमला बोल दिया। जीजू
ने उसके भग-शिश्न को चुभलाते, चूसते ,और हलके से अपने होंठो में भीचते हुए जैसे ही शानू एक बार फिर से झड़ी तो उसकी गांड में
अपनी तर्जनी दाल दी. शानू थोड़ी से चहकी पर उसके चरमानंद ने जीजू की ऊँगली से पैदा अपनी गांड के दर्द को भुला दिया।
" आअन्न्न्न्न्न्न जईईई जूऊऊऊ मैं फिर से झड़ रहीं हुँ। हाय अम्मी मुझे बचाओ। कितनी बार झड़ दिया है आपने मुझे। अब बस कीजिये।
मेरी चूत अब और नहीं सह सकती। " शानू कमसिन नासमझी में बड़बड़ाई।
बेचारी को अब पता चलेगा की कितनी सौभगयशाली थी जीजू उसकी चूत का लंड से मंथन करले से पहले उसे भाग-चूषण का परम आनंद
दे रहे थे।
जीजू ने उसे बिस्तर पर दबा कर उसकी चूत को चूस कर उसकी गांड को उंगली से मारते हुए फिर से झड़ दिया। अब बेचारी की सहनशक्ति
जवाब दे गयी। शनय मचल कर पलट कर पेट के बल हो गयी। उसके पैर कालीन पर जमे थे।
जीजू ने इस मौके का पूरा िसयतेमल कियस। मैं समझ गयी जीजू अपने छोटी साली की कुंवारी चूत पीछे से मारने की सोच रहे थे। नन्ही
कुंवारी लड़की के लिए पीठ पर लेट के पूरी चौड़ा करने के बाद भी जीजू के भीमकाय लंड से चुदवाने में हालत ख़राब हो जाती। पर शानू
जिसने मुश्किल से किशोरावस्था के दो साल पूरे किये थे उसकी तो चूत फटने का पुअर इंतिज़ाम था। मैं तो ऐसे कह रहीं हूँ जैसेमैं बहुत
सालों से चुदाई के खेल की खिलाडन हुँ। शानू मुझसे सिर्फ एक साल छोटी थी। मैं भी कुछ हफ़्तों पहले शानू की तरह नासमझ कुंवारी
थी।
मैंने शानू का मुंह अपनी चूत के ऊपर दबा लिया। जीजू ने अपने दानवीय लंड के मोटे सेब जैसे सुपाड़े को शानू की कुंवारी चूत टिका कर
आंसू निकालने वाला धक्का मारा।
जैसा जीजू ने मुझसे वायदा किया था वो अपनी साली के कौमार्य भंग की घोषणा उसकी चीखों से करने का पूरा प्रयास करने वाले थे। शानू
दर्द से बिलबिला उठी। जीजू का अत्यंत मोटा सुपाड़ा उसकी चूत में प्रविष्ट हो गया। उसके कौमार्य के अल्पजीवन की कहानी बदलने वाली
थी।
जीजू ने उसकी कमल बिस्तर पे दबा कर एक और दर्दीला ढाका मारा। शानू की चीख ने मेरी चूत के ऊपर बंसरी बजा दी।
""नहीईईईए जीजूऊऊऊ मर गयी मैं हाय रब्बा आअन्न्न्न्न्ह्ह्ह्ह्ह ," शानू चीख कर कसमसाई पर जीजू ने उसे अपने नीचे नन्ही हिरणी
की तरह जकड़ रखा था। अब उसके पास बस एक रास्ता था। जीजू के महाकाय लंड से चुदवाना।
" जीजू, यह क्या? इसको कोई चीख निकलवाना कहतें है? जब बड़े मामा ने मेरी कुंवारी चूत मारी थी तो मैंने तो घर की छत उड़ा दी
थी अपनी र्दद भरी चीखों से," मैंने जीजू को और बढ़ावा दिया।
जीजू ने दांत भींच कर एक और भयंकर धक्का लगाया और उनका लंड की काम से काम तीन इंचे शानू की चरमराती चूत में घूंस गयी।
शानू बिलबिला कर रोई और चीखी पर जीजू ने बिना तरस खाए एक के बाद एक तूफानी धक्कों से अपना लंड जड़ तक शानू की चूत
में ठूंस दिया।
मेरी चूत सौभाग्यशाली बेचारी शानू के आंसुओं से भीग गयी। जीजू ने अपना लंड जब बाहर खींचा तो शानू के कौमार्यभंग के घोषणा
करता उसका लाल खून बिस्तर पर फ़ैल गया। जीजू का लंड मानों विजय के तिलक से शोभित हो गया था।
जीजू ने इस बार सिर्फ तीन धक्कों से अपना पूरा वृहत लंड फिर से शानू की चूत में जड़ तक डाल दिया।
अब जीजू के लंड के ऊपर शानू के कुंवारी चूत के विध्वंस की लाल निशानी की चिकनाहट थी। जीजू ने बिना रहम किये दनादन शानू
की चूत में अपना लंड अंदर बाहर करने लगे।
ना जाने कितनी देर तक शानू बिलबिलाई, चीखी चिल्लायी। उसके चीखों और सुबकने के स्पंदन से मेरी चूत भरभरा कर झड़ गयी।
जीजू ने शानू की चूत के द्वार पूरे खोल दिए थे और उनका लंड विजय की पताका फहराता हुआ उसकी चूत का लतमर्दन करने लगा।
" हाआंन्नणणन् जेजूऊऊऊ ऊओईईए अब दर्द नहीं हो रहा। जीजूऊऊ चोदिये अब। ऊन्न्न्न्न्न कितना लम्बा मोटा लंड है आपका। अल्लाह
मेरी चूत फैट गयी पर मुझे चोदिये और," शानू अब और चुदने की गुहार लगा रही थी।
उसके प्यारे जीजू ने अपने लंड के शॉट्स और भी ताकत से लगाने लगे। उनके मोटे लम्बे लंड के प्रहार से शानू हिल उठती पर उसकी
सिस्कारियां ऊंची ऊंची उड़न भर रहीं थीं।
" अम्मीई झड़ गयी मैं फिर से, " शानू सुबक उठे इस बार कामोन्माद के।
शानू की चूत उसके रति रस से भर गयी। जीजू का लंड अब तूफ़ान मेल जैसी रफ़्तार से शानू की चुदाई करने लगा।
उसकी चूत से 'पचक पचक पचक' के संगीत की लहरें गूंजने लगीं।
मेरी चूत फिर से भरभरा कर झड़ गयी। जीजू ने बिना धीरे और होल हुए शानू की चूत उसी बेरहमी से कर रहे थे। पर अब वो
अल्पव्यस्क कमसिन कुंवारी उनके लंड की पुजारिन बन गए और गुहार लगाने लगी, " जीजू और चोदिये मुझे। पहले क्यों नहीं चोदा
आपने मुझे। आपका लंड अमिन अब अपनी चूत से कभी भी नहीं निकलने दूंगीं। चोदिये जीजू आअन्न्न्न्न … …… आर्र्र्र्र्र
ऊओन्नन्नह्हह्हह मर गयी राबाआआआ," शानू के वासना भरी गुहारें मीठे संगीत के स्वरों की तरह कमरे में फ़ैल गयीं।
जीजू के लंड की रफ़्तार तेज़ और भी तेज़ होती जा रही थी। घंटे भर की चुदाई में शानू ना जाने कितनी बार झड़ गयी थी।
अचानक जीजू ने गुर्रा कर धक्का मारा , " साली साहिबा मैं अब आपकी चूत में झड़ने वाला हूँ। "
शानू की कच्ची चूत में जीजू के लंड ने जननक्षम वीर्य की बारिश शुरू की तो रुकने का नाम ही नहीं लिया। शानू जीजू के ग्र्रम वीर्य
की बौछार से फिर से झड़ कर लगभग निश्चेत सी हो गयी।
मैंने जीजू के माथे से पसीने की बुँदे अपने होंठों से उठा ली, " जीजू मान गए आपको। शानू की चुदाई वाकई मेरी चुदाई के मुकाबले के
थी। "
" बड़ी साली साहिबा तो आपकी गांड मरने की कीमत चूका दी हमने?"जीजू ने मेरे मीठे होंठों को चूसा।
"जीजू बिलकुल। अब मेरी लिए हमेश खुली है। अब शानू की चूत का दूसरा दौरा हो जाये। आखिर उसकी चूत पूरे खुलनी चाहिए। " मैंने
जीजू की जीभ से अपनी जीभ भिड़ा कर उत्साहित किया।
जीजू ने अपना वीर्य, शानू के रतिरस और कुंवारी चूत के खून से लेस लंड को उसकी चूत से निकल कर मेरे मुंह में ठूंस दिया। मैंने भी
भिन्न भिन्न रसों के मिश्रण को चूस चाट कर उनके लंड को चकाचक साफ़ कर दिया. जीजू का लंड फिर से तनतना उठा।
" जीजू यह क्या ! हाय रब्बा आपका मूसल तो फिर से खड़ा हो गया !," शानू अब पलट कर पीठ पर लेती हुई थी।
जीजू ने उसके पसीने से भीगे कमसिन शरीर के ऊपर लेट कर अपने लंड को फिर उसकी ताज़ी ताज़ी चुदी कुंवारी चूत के द्वार पे टिक्का
दिया, " साली जी एक बार की चुदाई से थोड़े ही तस्सली होने वाले है हमें। "
कहते कहते जीजू ने शानू की चूत में लंड को तीन चार धक्कों से जड़ तक ठूंस दिया। इस बार भी शानू चीख उठी पर इस बार की चीख
में कामना भरे दर्द की मिठास थी।
इस बार फिर से शानू की चुदाई शुरू हुई तो जीजू ने रुकने का नाम ही नहीं लिया. मैंने जीजू के हिलते चितादों को चूमा और उनकी गांड
में अपनी उंगली डाल दी। जीजू के नितिम्बों ने जुम्बिश ई और उन्होंने हचक हचक कर शानू की चूत का मर्दन करना शुरू कर दिया।
" जीजूऊऊ …………. चोदिये ………..ज़ोर से ……… आअन्नन्नन्नन्नन्न ………. ऊओन्नन्नन्नन ,"शानू लगातार झड़ रही थी।
जीजू ने शानू को कई बार झाड़ कर उसकी चूत को अपने उर्वर वीर्य से सींच दिया।
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05-18-2019, 01:19 PM,
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RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
१११
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जीजू मेरी चुदाई का नंबर लगाने वाले थे पर मैंने उन्हें समय का तकाज़ा दे कर ठंडा कर दिया। अकबर चाचू के आने का समय भी करीब आ रहा था। दुसरे मुझे सुशी
बुआ का दिया काम भी तो करना था। मुझे उसक काम के लिए भी थोड़ी नहीं बहुत ऊर्जा की ज़रुरत थी।
"जीजू, आज रात को आप का सिर्फ एक काम है। शानू की चूत की इतनी चुदाई और कुटाई कि उसकी चूत किसी भी लंड के लिए पूरी खुल जाये। आखिर गली के
बेचारे कुत्तों और गधों के लिए भी तो कोई ताज़ी चूत होनी चाहिए। "
शानू का सुंदर चेहरा जीजू की दमदार चुदाई के प्रभाव से सूरज की तरह दमक रहा था ,"नेहा अब तू आ गयी है कुत्ते और गधे को चूत की कमी नहीं खलेगी। "
और फिर हम दोनों खुद ही बेतुकी बातों से हंस दिए जीजू ने भी साथ दिया हंसी में।
हम सब नीचे चल दिए और रत के खाने का इंतिज़ाम करने लगे।
मैंने मौका देख कर जीजू और शानू को अपना मददगार बनाने के लिए उन्हें अपने गुप्त काम का हमराज़ बनाने का निस्चय कर लिया। फिर थोड़ी गंभीरता से उन्हें हुए
कहा, "जीजू, शानू आप दोनों को मेरी मदद करनी होगी। सुशी बुआ यदि आतीं तो वो अकबर चाचू का ध्यान रखतीं, " मेरा इशारा दोनों बड़ी जल्दी समझ गए, "पर
उन्होंने मुझे यह ज़िम्मेदारी सौंप दी है। इसिलए मैं आज रात को अकबर चाचू को रिझाने की कोशिश करूंगी। इसीलिये जीजू मैंने अपनी चूत को आपके मूसल को दुबारा
नहीं कूटने दी।"
"नेहा यह तो बहुत ही शानदार ख्याल है। मामू मामीजान के इन्तिकाल के बाद बहुत अकेला महसूस करते होंगे। तुम यदि आज कामयाब हो जाओ तो मैं भी कुछ ततबीर
सोचूंगा शानू और नसीम के साथ। " जीजू की रज़ामंदी सुन कर शानू जो थोड़ी सी चकित थी खुल गयी।
"नेहा, आपा कई बार मुझसे इस बात का ज़िक्र कर चुकीं हैं। आपा भी अब्बु के अकेलेपन से बहुत परेशान जातीं हैं।" शानू की बात सुन कर मुझे लगा की मेरा काम
शायद उतना मुश्किल मुझे लग रहा था। बस समय की ताल या टाइमिंग ठीक होनी चाइये।
"तो नसीम आपा ने कुछ किया क्यों नहीं ? आदिल भैया तो कभी उन्हें नहीं रोकते। "
जीजू ने तुरंत कहा , " अब्बु के इन्तिकाल के बाद फूफा ने ही तो हमारा और अम्मी का पूरा खाया रखा है। वो तो हमेशा से मेरी अब्बु के जैसे हैं। मैं यदि मुझे थोड़ा सा
भी इशारा मिल जाता नसीम की तरफ से तो मैं उसे पूरा सहारा और मदद देता इस नेक काम में। "
मैं यह सुन कर बहुत खुश हुई।
"नहीं नेहा जीजू ने नसीम आपा को नहीं रोका उन्हें ही बहुत शर्म और डर है अब्बु से इस बात का इल्म करने से। " शानू ने प्यार से अपने जीजू की जांघों को सहलाया।
"अच्छा तो ठीक है मैं ही कुछ करतीं हूँ इस घर में सबकी खुशी और पनपने के लये ," मुझे पता थे कि मेरी सफलता से सुशी बस बहुत खुश होंगी।
"तो फिर देखो आज शाम को हम तीनों अनौपचारिक सादे कपड़े पहनेंगें। मैं जब चाचू के कमरे में जाऊं तो मुझे थोड़ा समय देना आप दोनों। और फिर खाने पर बहुत
कामुक उत्तेजित बातों का सिलसिला बनाये रखना। मैं पूरी कोशिश करूंगी चाचू से उनकी सुशी बुआ के साथ किसी और के साथ चुदाई की कहानी निकलवाने के
लये।" मैंने अपनी तरफ से चालाकी की पर वास्तविकता में बचकानी चाल जीजू और शानू को समझाई।
जीजू ने सिर्फ जिम वाले शॉर्ट्स पहन लिए। मैंने शानू को बिना बाज़ू की ढीली टी शर्ट और छोटे से शॉर्ट्स पहनाये। शानू के बाज़ू हिलाने पर उसके कमसिन चूचियाँ
झलक मर देतीं। मैंने भी छोटे से शॉर्ट्स और कसरत वाली ब्रा पहन ली। आज अकबर चाचू के संयम की पूरी परीक्षा होने वाली थी। पर हम तीनों मन ही मन दुआ मांग
रहे थे की उनका संयम बहुत सख्त न हो और जल्दी ही हार मान ले।
शानू नीचे अपने अब्बू के स्वागत के लिए तैयार होगी और मैं जीजू के साथ जिम पसीने भीगी चाचू गले लग चिपक जाऊँगी।
शुक्र है जैसे सोचा था काम से काम शुरू में वैसा।
अकबर चाचू जैसे ही घर में कदम रखा उनकी कमसिन बेटी, जो उसी दोपहर को ताज़ी ताज़ी अपनी कुंवारी चूत का उद्घाटन जीजू से करवा चुकी थी, लपक कर अपने
अब्बू की ओर बहन फैला कर लपक ली।
"हाय अब्बू कितना इन्तिज़ार करवाया आपने। नेहा बेचारी कितनी देर से आपके नाम को दोहरा दोहरा कर थक गयी है। उसे अपने चाचू का इन्तिज़ार कितना मुश्किल
लगा है उसका आपको मैं पूरा बयान भी नहीं कर सकती। " चाचू ने अपनी नन्ही लाड़ली को बाँहों में भर लिया। अकबर चाचू को बिना मेहनत अपनी नन्ही कमसिन बेटी
के उगते उरोज़ों का दर्शन हो रहा था।
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05-18-2019, 01:19 PM,
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RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
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११३
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जीजू ने आँख मार कर शानू और मुझे बधाई दी, "भाई आप दोनों कर दिया। मैं तो कायल आपकी तरतीब का। " मैं मुस्कराई और धीमे
बोलने इशारा करते हुए मुड़ गयी।
मैंने हलके क़दमों से चाचू के कमरे की ओर चल दी। मैंने खुले दरवाज़े से चाचू को कपडे उतारते हुए देखा। जैसे ही सिर्फ कच्छा पहने
चाचू बिस्तर पे बैठे अपने मौजे उतरने के लिए मैं धड़धड़ाती कमरे में दाखिल हो गयी। मैंने ऐसा ज़ाहिर किया जैसे चाचू को सिर्फ कच्छे में
देखना रोज़मर्रा की बात हो।
मैं दोनों टाँगे चाचू की झांगों के ऊपर डाल कर उनकी गॉड में बैठ गयी। उनके झांगों के बीच में सोये अजगर का गांड नीचे मचलने लगा।
मैंने दोनों बाहें चाचू की गर्दन डाल कर कहा, "चाचू, हमें आपको सुशी बुआ का बहुत ज़रूरी पैगाम देना है आपको। उन्होंने हमें जगह किया
है की हम ना नहीं सुनेंगें। "
चाचू मुस्करा कर बोले, "भाई ऐसा क्या पैगाम भेजा है सुशी भाभी ने। हम क्या कभी अपनी बीतय को ना कहेंगे ? "
"चाचू सुशी बुआ तैयार कर के भेजा ही की हम आपका ख्याल उसी तरह रखें जैसा यदि वो यहाँ होतीं तो रखतीं। " मैंने चाचू के गाल पर
अपना गाल रगड़ते हुए कहा।
चाचू हक्केबक्के रह गए। वो कुछ देर हकलाते हुए कुछ भी नहीं बोल पाये।
"अरे नेहा बेटी सुशी भाभी का दिमाग हिल गया है। क्या भला ऐसी बातें बच्चों से कभी की जाती है। " चाचू शर्म से लाल हो गए और मुझे
वो प्यारे लगने लगे।
"कछु आप वायदा कर चुके है ना नहीं कहने का। और बच्ची नहीं रही। बड़े मामा, सुरेश चाचू ने मुझे बहुत कुछ सीखा दिया है। फिर
आपकी भी तो ज़िम्मेदारी है की आप अपने बच्चियों को सब तरह से सीखा कर दुनिया के लिए तैयार कर दें। " मैंने चाचू के होंठों को छुम
लिया।
"नेहा बेटी क्या वाकई रवि और सुरेश ने तुम्हारी ….. आरर ……… मेरा मतलब है तुम्हारे साथ मर्द-औरत वाले काम किये हैं?" चाचू अभी
भी शर्मा रहे थे ।
चाचू ने सुशी बुआ का लम्बा बहुत विस्तार से स्पष्ट और बयानी खत पड़ा तो उनकी मर्दानगी उठाने लगी। मैंने भी अपनी गांड हिला हिला
कर उनके लंड को मसलने लगी। खत खत्म करते करते चाचू जुम्बिश मारने लगा।
"नेहा बिटिया आपके साथ तो सम्भोग करने का मौका तो खुदाई तोहफे जैसा होगा। पर क्या आप खुद चाहतीं है या सिर्फ सुशी भाभी के
कहने पर .... " चाचू ने खत बिस्तर पर रखते धीरे से पूछा। मैंने उनके लफ़्ज़ों को बीच में ही टोक कर अपने होंठों से इनके होंठ बंद कर
दिए। कुछ देर में ही मेरी जीभ उनके होंठों को लिए खोलने के लिए बेचैन हो गयी, "चाचू क्या हमारे होंठ आपके सवाल का जवाब नहीं दे
रहें हैं?" मैंने अपने होंठों को चाचू सटा कर फुसफुआया।
अचानक जैसे चाचू के सारे संशय, हिचक दूर हो गये. उन्होंने मुझे बाँहों में कर मेरे होंठों को चूसने लगे। उनकी जीभ लपक मेरे मुंह में में
घुस गयी।
अकबर चाचू के जीभ मेरे मुंह के हर कोने और मोड़ का स्वाद चखने लगी। चाचू के गीले चुम्बन में इतना कामुकता का भावावेश था कि मेरी
साँसे तेज़ हो गयी। मैंने भी चाचू की जीभ से अपनी जीभ बीड़ा दी। चाचू के हाथ मेरे गुदाज़ लगे। मेरे मुंह में उनका मीठा थूक भर गया
और मैंने उसे सटक कर अपनी मीठी लार से उनका मुंह भर दिया। मेरी चूत में खुलबुली मचलने लगी। मुझे लगा कि यदि मैंने चाचू थीम
किया तो मेरा खुद का सयंत्रण ख़त्म हो जायेगा।
अचानक चाचू ने लपक कर मेरी ब्रा को ऊपर कर मेरे गड्कते उरोज़ों को मुक्त कर दिया। जब तक मैं कुछ बोल पति उन्होंने एक को अपने
बड़े मज़बूत हाथ से मसलने के साथ साथ दुसरे के चुचूक को अपने गीले गर्म मुंह में ले कर चूसने लगे। मेरी हालत बाद से बदतर हो चली।
मेरी चूत में रति रास की गंगा बहने लगी।
"चाचू अभी नहीं। नीचे जीजू और शानू कहने पर हमारा इन्तिज़ार कर रहें होंगें। कहने के बाद मैं आपके कमरे में आ जाऊँगी। साडी रात
मसलना आप मुझे। बिलकुल उफ़ नहीं करूंगी। जो मन चाहे आप वो कीजियेगा मेरे साथ। देखिएगा मैं एक कदम भी पीछे हटूँ तो।" मैंने
चाचू के बालों में उँगलियाँ फिराते हुए उन्हें मनाया।
"नेहा बेटा तुम और शानू तो जुड़वां बहनों की तरह हो। शानू तुम्हे अकेला नहीं छोड़ेगी। यही थोड़ा सा मौका है।" आकबर चाचू की आदिम
भूख देख कर मेरा मन भी हुआ की सब भूल कर उनकी क्षुदा मिटा दूँ। पर मुझे पूरे तरतीब का ख्याल भी तो रखना था।
कुछ सोच कर मैं बोली ,"चाचू , अब नहीं, शानू मेरे से चिपकी रहेगी। जीजू ने उसकी सील तोड़ दी है। आज रात को उसे जीजू से सारी
रात चुदवाने के ख्याल के अलावा कोई और ख्याल नहीं आयेगा दिमाग में।"
चाचू थोड़ा सा झिझके फिर खुल कर हंस दिए , "आखिर नन्ही साली आ ही गयी अपने जीजू के नीचे। "
" चाचू आप नहाइयेगा नहीं, मुझे सुगंध बहुत अच्छी लग रही है। रात में जब आप मुझे चोद कर पस्त कर देंगे तब इकट्ठे नहाएंगे।” मैंने
चाचू को प्यार से चुम कर कहा।
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05-18-2019, 01:19 PM,
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RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
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मैंने शानू और जीजू को चाचू के साथ हुए वार्तालाप का ब्यौरा खुलासे रूप में दे दिया। शानू पहले तो शर्म से लाल हो गयी पर फिर
कहीं से हिम्मत जुटा कर चौड़ी हो कर बोली ,"अब्बू की खुशी के लिए मैं शर्म और लिहाज को थोकड़ मार सकती हूँ। "
खाने की मेज़ पर मैं चाचू के नज़दीक बैठी और जीजू और शानू दूसरी दुसरे के साथ बैठे थे। मेरा एक हाथ मेज़पोश के नीचे चाचू की
जांघ को सहला रहा था।
जैसा हमने सोचा था उसी तरह बातचीत धीरे धीरे थोड़ी सी अश्लीलता की ओर बाद चली। मैंने मौका देख कर चाचू से पूछा ,"चाचू
आप बताइये क्या जीजू साली को कुछ छिपाने की ज़रुरत होती है? "
"अरे नहीं नेहा बिटिया। जीजू यदि साली को अकेला छोड़ दे तो बड़े शर्म के बात है। आदिल बेटा क्या तुम्हारी सालियां तुम्हारे काबू में
नहीं हैं? " चाचू ने हंस कर आदिल को छेड़ा।
"मामू, अब तो काबू में हैं। नेहा का कमल है यह सब। "आदिल भैया ने भी हंस कर तीर फेंका।
"चाचू आज शानू जीजू ने टांका भिड़ा ही लिया। पता नहीं इस नादाँ लड़की ने जीजू को इतना इन्तिज़ार क्यों करवाया?"मैंने चहक कर
कहा।
"चलो देर आयद दुरुस्त आयद। साली को यदि जीजू नहीं पकड़ेगा तो और कौन पकड़ेगा ?" अपनी बेटी के शर्म से लाल मुंह को
चिड़ा कर और भी लाल कर दिया।
"शानू तूने जीजू से आज रात का इंतिज़ाम तय कर लिया। " मैंने मौका देख कर वार्तालाप को और भी सम्भोग संसर्ग के नज़दीक ले
आयी।
"नेहा आप हमारे और जीजू के बीच में जो भी इंतिज़ाम है उसे हमारे ऊपर छोड़ दें ," शानू शर्म से लाल हुई पड़ी थी।
चाचू खुल कर हँसे ,"भाई शानू बेटा की बात सुन कर हमें अपनी साली के याद आ गयी। छोटी साली शहाना भी शानू के जैसी थी। बड़ी
मुश्किल और देर से हाथ आयी।"
"अब्बू पूरी बात बताइये न। "शानू ने भी मौका को दोनों हाथों में लपक लिया।
"अरे बेटा पुरानी बातें हैं। तुम्हे ऊबना नहीं चाहता। यदि तुम्हे ऊबने से नींद आ गयी तो आदिल मुझे माफ़ नहीं करेगा। " चाचू अब बिना
झिझक शानू को चिड़ा रहे थे।
"अब्बू आप जीजू को नहीं जानते। वो जागने की कोई परवाह नहीं करेंगे। उनके पास जगाने के लिए बड़ा भारी औज़ार है। "शानू ने झट
से कह तो दिया फिर शर्म से लाल हो गयी।
"चाचू बताइएं ना आपने पहले पहल कब शहाना मौसी को फंसाया ?" मैंने भी शानू के साथ कांटा फेंका।
"चलो बता ही देंते हैं।" चाचू ने कहा।
"मामू खुल कर पूरा ब्यौरा दीजियगा। कोई सम्पादित या सेंसर्ड कहानी नहीं सुननी हमें। क्यों शानू, नेहा ?" मैं तो जीजू की कला पर
निहाल हो गयी।
"अब्बू मैं बच्ची नहीं हूँ। आप खुल कहानी सुनाएँ। मुझे अब सब समझ में आता है। " शानू ने भी चाचू को उकसाया।
"अरे भाई अब बच्चे सब जानते हैं तो क्या छुपाना ? " चाचू ने बिलकुल ज़ाहिर नहीं होने दिया कि मेरा लंड को उनके पजामे के ऊपर से
सहला रहा था।
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