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RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
सरोज ने मुझे उस लड़की का नंबर बताया जैसे ही मैने नंबर देखा तो मेरे पैरों तले जमीन निकल गयी। मैने पूछा कि सरोज तुम कैसे जानती हो इस लड़की को, तो उसने बताया कि ये उसकी फसबूक फ्रेंड है और अभी कुँवारी है और सेक्स करना चाहती है।
मैंने तुरंत सरोज की कॉल काटी और मनोज को फोन किया और बोला कि तुरंत लैपटॉप ले कर आये। मुझे अर्जेंट काम आ गया है।
मनोज ने रिक्वेस्ट की एक दिन रुक जाओ लकिन मैंने आज ही लेपटॉप देने को बोला।
वो उसी जगह लेपटॉप ले कर आ गया। मैंने पूछा कि कोई बात हुई लड़की से उसने मना किया।
मैंने लेपटॉप लिया और घर आ गया। ओर रूम में आकर हिस्ट्री चेक की लेकिन वास्तविकता में मनोज की कोई बात नही हुई लड़की से।
वो नंबर मेरे ही घर का नंबर था जोकि पापा ने मम्मी को लेकर दिया था।
वो फ़ोन घर पर ही रहता था और कोई भी यूज़ कर लेता था।
अब मुंझे पता लगाना था कि वो लड़की कौन हैं।
सरोज की बात के अनुसार वो किरण या रानी दोनो में से हो सकती थी।
मेरी जानकारी में सिर्फ रीटा दी के पास ही अपना मोबाइल था या फिर घर वाला मोबाइल।
किरण या रानी के पास मोबाइल नही था।
पहले पापा और अब मैने दोनों को मोबाइल अलाऊ नही किया था।
मैंने हिस्ट्री से वो fb id निकाल ली और उस पर एक फेक id से रिक्वेस्ट भेज दी शमशेर के नाम से।
मैं बहुत बैचैन था कि यहा मै लड़कियों को चोदता फिरता हूँ और मेरे घर की लड़की ही चुदना चाहती है।
ये आदमी की फितरत है कि खुद कुछ भी करे लेकिन घर का मामला आते ही गांड जलने लगती है।
वैसे ही मेरे साथ हो रहा था।
मैं भगवान को सुक्रिया अदा कर रहा था कि मुझे समय से पता चल गया नही तो खुद ही अपनी बहन को अपने दोस्त से चुदवा बैठता।
मैं अपनी सोच में डूबा था कि रानी मेरे रूम में आ गयी
क्या कर रहे हो भैया,
कुछ नही, मैं बोलै
रानी- भैया आपसे कुछ बात करनी थी।
हां बोलो क्या बात है- मैं बोला
भैया स्कूल का टूर जा रहा है नैनीताल मैं भी चली जाऊ?
रानी की बात सुनते ही मैंने उसको गौर से देखा, एक मस्त जवान होती लड़की जिसकी छोटी में अभी अभी उभार आये है, गांड थोड़ा बाहर लकीन हरकत वही बच्चों वाली। क्या ये हो सकती है वो। मैं मन मे सोचने लगा।
बोलो न भैया क्या जाऊ में टूर पे।
मैं अपने खयाल से बाहर आया और पूछा , और कौन कौन जा रहा है
भैया मेरी सभी सहेली जा रही हैं और 5 टीचर जाएंगे दो मेल और तीन हमारी मैड़म है। रानी ने जवाब दिया
क्या लड़के भी जा रहे है तुम लोगो के साथ,मैं ने पूछा
नही भैया सिर्फ लडकिया ही जा रही है, लड़के अलग टूर पर जा रहे है--रानी
मैं ने कल बताने को बोला और रानी बाहर चली गयी।
मैं फिर आपनि सोच की दुनिया मे खो गया।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई ,मैंने दरवाज़ा खोला, रोशनी थी वो अंदर आ गई।
मैं अपने लैपटॉप पर fb देख रहा था।
मेरा मन रोशनी को देख कर मचल गया । मैं अपनी परेशानी भूल गया। काले ब्लाउज और सफ़ेद साड़ी में वो बड़ी ही बेहतरीन माल लग रही थी।
वो अभी भी बेहद खूबसूरत और जवान थी।
जब वो मेरे कमरे में आई तो उसके स्तन मुझे उसके ब्लाउज से झांकते हुए दिखे।
उसके उभारों में इतनी गोलाई थी कि मैं उनमें ही खो गया।
और भूल गया कि मैं अभी किस परेशानी में हु।
किसी नदी के मचलते पानी की तरह ही उसका बदन था.. बिल्कुल लचीला.. हर तरह के सांचे में ढल जाए मानो…
मुझे तो उसने अपनी खूबसूरती का कायल ही कर दिया था।
जब मेरी नज़र उसके ब्लाउज से झांकते स्तनों को निहार रही थी.. तब रोशनी की नज़रें मुझे ये चोरी करते देख चुकी थीं और वो मेरे इरादे भांप गई थी।
इसलिए उसने अपने साड़ी का पल्लू ठीक किया और मुँह घुमा कर झाड़ू लगाने लगी..
लेकिन फायदा क्या??
अब मुझे उसके चूतड़ नज़र आ रहे थे।
क्या उभरे हुए चूतड़ थे उसके.. मैं तो देखते ही मानो पागल हो गया था।
मैंने अपना मन बना लिया था की रोशनी के साथ कुछ न कुछ हो ही जाए।
उसके बदन की मादक नक्काशी ने मानो मेरे मन में कई मीनार बांध दिए थे।
मैं अपने लण्ड को शांत नहीं कर पा रहा था पर फिर रोशनी भी तो इंसान ही है ना उसे भी वही सारी चीजें मिली हैं जो दूसरी लड़कियों के पास हैं और फिर उसके इतने सुन्दर और इतने गठीले जिस्म को देख कर किस का मन नहीं होगा उसे गन्दा करने को…
मुझे अपने लण्ड को आज फिर उसकी चूत में डाल कर पवित्र करना था..
मेरे तन्नाए हुए लौड़े को रोशनी की जवानी का रस चखना ही था।
ऐसा लगता था कि अब मेरे इस लंड का यही उद्देश्य रह गया था।
मैने उठकर बाहर देखा कि कोन क्या कर रहा है।
सभी अपने अपने कमरे में थे।
रोशनी मेरे कमरे से निकल कर जाने लगी थी।
मैंने आव देखा न ताव और पीछे से जा कर उसके स्तनों को पकड़ कर चूचियाँ अपनी मुट्ठी से भींचने लगा।
अपना लण्ड उसकी गांड को चुभाने में मज़ा आ रहा था.. उसने तनिक विरोध किया तो मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से रोक लिया और चूमने लगा, धीरे से उसे अपनी तरफ घुमाया और तेज़ी से उसके वक्षों को ब्लाउज से आज़ाद किया।
उसने ब्रा नहीं पहनी थी।
वो मुझे रोकने लगी तो मैंने उसे कहा- चुप रहो और मज़ा लो।
मैंने धीरे से उसकी साड़ी ऊँची कर अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी।
मैं उसे नंगा करने लगा.. तो वो बोली- कोई देख लेगा…संजू
वो विरोध करने लगी..
उसका विरोध मैं निरंतर अपने होंठों को उसके होंठों पर चिपका कर रोक रहा था।
वो नंगी हो चुकी थी और अब चुदने का मन भी बना बैठी थी।
मैं उसे नंगी ही अपने बिस्तर पर ले गया और उसके बदन को गद्दा समझ उस पर चढ़ गया।
उसकी चूचियाँ मानो जैसे आइसक्रीम का स्वाद दे रही थीं।
मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत को छेड़ना शुरू किया और फिर उसने भी मेरा लण्ड मुँह में लेकर बहुत देर तक चूसा।
एक बार तो मैं उसके मुँह में ही झड़ गया..
फिर मैंने धीरे से अपने लण्ड को रोशनी की चूत के मुहाने पर रख कर अन्दर सरकाया और धीरे-धीरे चुदाई आरम्भ की..
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
उसकी ‘आह.. आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.. ह्हाआआऐईईई’ मुझे और ताकत दे रही थी।
मैं अपनी रफ़्तार से कहीं ज्यादा रफ़्तार रख कर उसे चुदाई की शांति दे रहा था और वो और कामुक होती जा रही थी।
उसकी चुदाई की आग का वहशीपन बढ़ता ही जा रहा था।
मैंने भी अपनी पूरी ताकत लगा कर उसकी वासना को ठंडा किया। कुछ देर उपरान्त झड़ने के बाद हम दोनों नंगे पड़े रहे।
चुदाई का नशा उतरते ही मेरे मन मे फिर वही खयाल आया कि कौन है वो?
मेरे मन मे आईडिया आया कि रोशनि पूरा दिन घर पर रहती है शायद इसको कुछ मालूम हो।
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RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
ये नहीं था कि मैं कोई बहुत ही शरीफ लड़का हु। लेकिन ये जरूर था कि मैंने कभी अपनी मा और बहनों की तरफ गलत नजर से नहीं देखा था। बाकी जो मिली जहाँ मिली चोद डाला चाहे वो 55 साल की बुढ़िया ही क्यों ना हो, मेरे पास माफी नहीं थी। ये था मेरा लाइफ स्टाइल।
मेरी सेक्स गुरु मेरी घर की नोकरानी रोशनी है जिसने सबसे पहले मुझे अपने लण्ड से खेलते देखा जब मैं दसवीं में था। उस दिन रोशनी ने मुझे डरा कर मेरे लण्ड से खेलना शुरु किया जिसका चस्का मुझे ऐसा लगा की मैं ही उसपर भारी पड़ गया। रोशनी ने मुझे सेक्स के बारे में मास्टर बना दिया। मेरे लोडे की मालिश करके उससे मजबूत बना दिया। मैं अब अपने लोडे से किसी को भी संतुष्ट कर सकता हु।
ये आज से एक साल पहले की बात है जब मेरे पापा की मृत्यु ही गयी । मेरे परिवार पर दुखो का पहाड़ टूट गया। अब मैने ही उनको संभाला मैं ने कॉलेज छोड़ दिया। अब मेरा एक कालेज का दोस्त जो कि मुझे सबसे ज्यादा नजदीक था जिसका नाम मनोज था लेकिन था जरा लोवर मिडिल क्लास से लेकिन एक बात जो उसकी सबसे अच्छी थी वो ये थी कि वो जब भी कोई नई लड़की फँसाता मुझे जरूर बताता। और जब खुद उसे चोद लेता तो मुझे भी उस लड़की की चुत जरूर दिलाता, क्योंकी मैं ही तो उसे लड़कियों पे खर्च के लिए पैसे दिया करता था। तो फिर वो मुझसे कैसे दगा करता।
अब तक हम कोई 4 के करीब लड़कियों को मिलकर चोद चुके थे जिनमें से एक को मैंने सेट किया था और बाकी 3 को मनोज ने। क्योंकी वो तीन भी उसी की कालोनी की थीं। एक दिन वो मेरे पास बैठा किसी सोच में गुम था और मैं उसी को देख रहा था कि कब इस साले की सोच खतम हो और ये साला मुझे कुछ बताए लेकिन जब मैंने देखा कि उसकी सोच खतम होने में ही नहीं आ रही है।
तो मैंने उसकी कमर पे एक धाप मारते हुये उससे कहा- “साले, कहाँ गुम हो गया है गान्डू की औलाद?”
मनोज अपने हाथ को पीछे की तरफ मोड़कर अपनी कमर को मलते हुये बोला- “यार, कितनी बार कहा है तुझसे कि हाथ का मजाक मत किया कर..."
मैं- साले कब से तेरे पास बैठा तुझे देख रहा हूँ लेकिन तुम हो कि उदास उल्लू की तरह पता नहीं किन सोचों में गुम हो।
मनोज- यार, मैं सोच रहा था कि तेरे साथ बात किस तरह शुरू करूं कि तूने अपना ये हथौड़े जैसा हाथ मुझे मार दिया।
मैं- साले गान्डू, ऐसी कौन सी बात है जो करने के लिए तुम्हें सोचना पड़ रहा है। हम दोनों दोस्त हैं और वो भी पक्के वाले और ‘हाहाहाहा' करके हँसने लगा।
मनोज- यार एक लड़की का नम्बर मिला है, सरोज से। मैंने उससे बात भी की है और मजे की बात ये है कि वो सेक्स में भी इंटरेस्ट रखती है। लेकिन मिलना भी नहीं चाहती। तो मैं सोच रहा था कि अगर मैं उससे फेसबुक का आई.डी. या स्काइप आई.डी. ले लूं। लेकिन मेरे पास तो इतने पैसे भी नहीं हैं कि नेट केफे में थोड़ा टाइम पास कर लिया करूं और उसके साथ सेटिंग कर सकें।
मैं- हरामी, तुझे मैंने पहले कब मना किया है। वैसे नाम तो बता उस परी चेहरा का, बाकी सारी टेंशन मेरी है। तू फिक्र ना कर मैं करता हूँ कुछ इसका भी तेरे लिए।
मनोज- यार, अभी तक नाम तो मुझे भी नहीं पता, बस मैं उसे फूल जी कहकर बुलाता हूँ।
मैं- अच्छा चल ऐसा कर, तू चल मेरे साथ मेरे घर। मैं तुम्हें दो दिन के लिए अपना लैपटाप दे देता हूँ। अगर बात बनती नजर आई तो ठीक है, वरना छोड़ देंगे साली को और देखेंगे।
मनोज मेरी बात सुनकर मेरे साथ चल दिया और मैंने उसे अपने घर से कुछ दूर रोक और अपना लैपटाप दे दिया, तो वो खुश हो गया और फिर वहाँ से निकल गया। मैं कभी भी अपने दोस्तों को अपने घर नही लाया था। बाहर ही उनसे मिलता था। फिर मैं भी वापिस अपने रूम में आ गया। क्योंकी आज मैं जरा जल्दी घर
आ गया था। इसलिए मुझे अपने रूम में जाता देखकर रीटा दी ने कहा- “संजू क्या बात है, आज दुकान नहीं गये तुम? तबीयत तो ठीक है ना?”
जी दीदी, बस सर में दर्द हो रहा था इसीलिए घर वापिस आ गया हूँ..” और इतना बोलते हुये मैं अपने रूम में घुस गया और दरवाजा बंद करके सरोज (वो लड़की जिसे मैंने सेट किया था लेकिन अब वो मेरे साथ मनोज की भी रखेल थी) को काल की और उसके काल पिक करते ही मैंने उससे उस लड़की का पूछा जिसका नम्बर पूछा।
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RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
रोशनी मेरे काफी करीब थी और विस्वास लायक भी।
मैने इशारे से रौशनी से मेरी बहनों की जानकारी हासिल करनी चाही।
रोशनी ने बताया कि रीटा दीदी काफी कामुक है लेकिन किसी के साथ अफेयर नही कर सकती
किरण दीदी के बारे में भी ऐसे ही विचार थे उसके।
रानी के बारे में कुछ डाउट किया रोशनी ने शायद स्कूल में कोई लड़का हो।
मैंने रोशनी से अब से तीनों पर नजर रखने को कहा।
रोशनी ने मुझे कहा कि मैं ठीक कर रहा हु जो जल्दी ही अपनी बहनों की सुध ले ली। मेरी मटरगस्ती के चक्कर मे वो भी काफी बिगड़ सकती है।
फिर रोशनी बाहर चली गयी और अपने रूम में जाकर नहाकर आयी।
और रात का खाना तैयार किया। खाना रोशनी और किरण दीदी ही बनाती थी। मैं भी फ्रेश होकर मम्मी के पास जाकर बात करने लगा। मैं ने मम्मी से भी बातो ही बातों में बहनो पर ध्यान देने को बोला। फिर मैं मम्मी से उठकर उप्पर रीटा दीदी के रूम में चला गया।
नीचे तीन कमरों में मम्मी ,किरण और रानी रहती थी।
रीटा दीदी उप्पेर सेकंड मंजिल पर रहती थी।
मैंने तीनो फ्लोर पर एक एक रूम सेट किया हुआ था अपना। जहा दिल करे रुक जाता था ज़्यादातर थर्ड फ्लोर वाला रूम ही यूज़ करता था।
जैसे ही मैं रीटा दीदी के रूम के सामने पहुचा उनका दरवाज़ा खुला था। मैं अंदर चला गया। दीदी शायद नहा कर आई थी। और टॉवल में थी।
रीटा दीदी 29 साल की खूबसूरत नैन नक्श और शरीर वाली, स्वाभाव से थोड़ा मुंहफट और कामुक लड़की थी. खूबसूरत थी और गुस्सैल भी; 5 फुट 5 इंच लम्बाई, इकहरी काया, गोरा गुलाबी रंग, काली आँखें, गुलाबी होंठ, 34″बी कप साइज़ के स्तन; 28″ कमर. 36″ नितम्ब!
24 वर्ष की उम्र में रीटा दीदी की शादी हो गयी. पति के साथ रीटा सेक्स की दुनिया की सैर कर रही थी और अपने मदमस्त यौवन को जम कर लुटा रही थी. पति पैसे वाला और सीधा था. जवान रीटा अपने ग़ुस्सैल रवैये से अपने पति पर हावी रहती थी और मनचाहा काम लेती थी. रात में किसी बिगड़ैल जंगली घोड़ी की तरह पति से लगातार घण्टों सेक्स करती थी.
मेहनती और काबिल पति की वजह से जल्दी ही रीटा के पास लाखों का बैंक बैलेंस भी हो गया था. खूब खुश थी रीटा।
पर अचानक…
जैसे रीटा दीदी की खुशियों को किसी की नजर लग गई
धीरे धीरे रीटा और जीजा जी के बीच मनमुटाव होने लगे कारण मुझे मालूम नही था अभी तक।
फिर झगड़ा काफी बढ़ने पर पापा ने दोनो का तलाक करवा दिया।
और रीटा दीदी वापिश हमारे साथ रहने लगी।
मैंने खुद को थोड़ा छुपा लिया और दीदी को कपड़े बदलते हुए देखने लगा। मैंने रीटा दीदी को देखा. वो एक कोने में खड़ी अपने कपड़े बदल रही थी. उसे सफ़ेद ब्रा में देख कर मुझे अच्छा लगा. रीटा दीदी की पीठ मेरी तरफ थी. पहले के मुकाबले वो काफी गदराई लग रही थी. झीनी जॉर्जेट की सफ़ेद ब्रा में रीटा की बॉडी का पूरा शेप समझना आसान था. फिर दीदी ने सफेद ब्लाऊज पहना और एक छोटी सी पैंटी। और उप्पेर पेटोकोट पहन ली।
मैंने गौर किया कि रीटा दीदी के चूतड़ चौड़े और भारी हो गए थे. 29 साल की इस जवान औरत रीटा के करीब 40 इंच के टाइट, चौड़े, गदराए, चर्बी चढ़े भारी नितंबों को उसकी छोटी सी पैंटी संभाल पाने में असफल हो रही होगी. ऊपर चिकनी पीठ और उस पर सफेद ब्लाउज, उसके अंदर दिखती रीटा
की ब्रा. शायद कोई इम्पोर्टेड ब्रांडेड ब्रा थी.
तलाकसुदा होने पर भी इतनी डिज़ाइनर और ब्रांडेड ब्रा? मैं सोच में डूब गया.
फ़िर मैंने देखा कि दीदी अपने हाथों से अपनी चूचियाँ सहला रही थी, उसके चेहरे के भाव देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया, मैं भी अब अपने लंड को सहला रहा था।
मैं फ़िर से अंदर देखने लगा। मुझे यकीन नहीं हो रहा था दीदी ऐसे भी कर सकती है। तन मैंने सोचा कि हर लड़की के अंदर कामुकता तो होती ही है, उसे सेक्स की चाहत होती है।
फ़िर उसने अपने चूतड़ों को सहलाया। फ़िर दीदी ने आपने को ठीक किया और मुड़ी।
मैं बाहर से अचानक अंदर गया, वो ब्लाऊज पेटीकोट पहन कर जैसे ही मुड़ी स्तब्ध हो गयी, मैंने अपने लंड को सहलाया, उसने मेरे लंड के तरफ़ देखा और दीदी साड़ी की ओर जाने लगी, मैं भी दीदी के पीछे पीछे गया, फ़िर मैं हिम्मत करके दीदी के कंधे पर हाथ लगाने लगा, दीदी तौलिये से बाल सुखाने लगी थी।
मैंने कहा- दीदी, लाओ मैं पीछे से बाल सुखा देता हूँ।
फ़िर मैं तौलिये से दीदी के बाल सुखाने लगा। मैं बीच बीच में दीदी की नंगी गोरी पीठ पर हाथ फिराने लगा. फिर दीदी की बगल से हाथ फिराते फिराते मैं उनकी चुची पर ले गया। वो समझ गई कि मैं क्या चाहता हूं. दीदी ने मुझे नहीं रोका तो फ़िर मैं दीदी की चुची को दबाने लगा। दीदी दिखावे के लिए मेरे हाथ हटाने लगी लेकिन मैंने दीदी को पकड़ा और उसके स्तनों को दबाने लगा।
वो मदहोश होने लगी। मैं दीदी के नंगे पेट पर भी हाथ फिराने लगा।
दीदी की कामुकता जागृत होने लगी. मैंने अपने मन मे ठान लिया कि अगर मेरे घर की लड़कियों को अगर सेक्स की भूख है तो वो भूख मैं शांत करुगा और अपने परिवार को बाहर सड़क पर नही जाने दूंगा।
सब अचानक से हो रहा था कभी सपने में भी नही सोचा था कि मैं बहन के साथ ऐसा करुगा। दीदी भी जैसे मेरा ही इंतज़ार कर रही थी।
मैंने अपनी एक उंगली दीदी की नाभि में घुसा दी. और अपना एक हाथ दीदी के पेटीकोट के नाड़े के अंदर घुसाने लगा. नाड़ा ज्यादा कसा नहीं था तो मेरा हाथ पेटीकोट के अंदर चला गया. दीदी ने पेंटी पहनी हुई थी लेकिन बहुत छोटी सी, दीदी की चूत का छोटा सा हिस्सा ही पेंटी से ढका हुआ महसूस हो रहा था.
मैं पेंटी के ऊपर से चूत सहलाने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी पेंटी के अन्दर डाल दिया, मैं दीदी की चूत को सहलाने लगा, दीदी गर्म हो चुकी थी। यह सब मैं दीदी के पीछे खडा हो कर ही कर रहा था. फ़िर मैं दीदी की गर्दन को चूमने लगा, दीदी पीछे चेहरा घुमा कर मुझे चूमने लगी। मैंने दीदी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया। दीदी घूम कर मेरे सामने आ गई और मेरे लंड को जम कर दबाने लगी.
और फ़िर वो नीचे बैठ गई, मेरी पैंट की जिप खोल कर मेरा 8 इंच लंबा लंड बाहर निकाल लिया.
दीदी तो मेरा मोटा लंड को देख कर जैसे पागल सी हो गई, वो बोली- भाई यह मोटा लंड अगर मेरी चूत में घुस गया तो मैं तो मर जांऊगी।
मैंने कहा- मेरी प्यारी दीदी, पहले इसे मुँह में तो ले कर चूसो!
दीदी बड़े प्यार से मेरे लंड को अपनी जीभ से चाटने लगी। मेरे मुँह से आवाज़ आने लगी- सिसकारियां निकलने लगी- ओह दीदी, अच्छा लग रहा है… पूरा लंड मुंह में ले लो ना!
तभी दीदी की आवाज आई- क्या सोच रहे हो?
मैं चौंक कर अपने ख्यालों से बाहर आया- कुछ नहीं दीदी… कुछ नहीं बस ऐसे ही.
मुझे अपने ऊपर बहूत शर्म आई कि मैं ये सब क्या सोच रहा था. ख्यालों में ही दीदी की चुत सहला दी और दीदी को लंड चुसवा दिया.
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RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
मैं एकदम से दीदी के रूम से बाहर आकर ऊप्पर मेरे रूम में चला गया।
अभी जो भी मेरे मन मे खयाल आये थे उनपर विचार करने लगा । रीटा दीदी को भी शायद मर्द की जरूरत थी। अब मैने अपने सपने को सच करने की सोच लिया था कि अगर दीदी को अगर सेक्स की तलब होगी तो मैं उसको पूरा करुगा।
उनकी जिंगदी में बाहरी किसी भी आदमी को नही आने दूंगा।
लेकिन पहले मुझे मेरे घर मे उसको ढूंढना था जोकि बाहर सेक्स करने वाली थी। उसके लिए मैने अपनी बहनों के और करीब जाने की सोचने लगा और प्लान बनाने लगा।
सब सोचकर में नीचे आ गया। सब खाने के लिए बैठे थे और रोशनी और किरण दीदी खाना परोस रही थी।
मैं भी जाकर अपनी जगह बैठ गया। रीटा दीदी मेरे सामने बैठी थी और अजीब नजरो से मुझे देख रही थी।
मैं उनको इग्नोर करके खाना खा कर वापिश ऊपर अपने रूम में आ गया । और सिगरेट पीने लगा।
कुछ देर बाद मै बिस्तर पर लेट गया और सोने की कोशिश करने लगा।रात को मुझे नींद में प्यास लगि तो मैं ने देखा कि आज दीदी शायद पानी रखना भूल गयी थी 11:30 बजे थे जब मैने समय देखा तो। मैं उठा और बाहर आकर निच्चे पानी के लिए जाने लगा तो दीदी के रूम के सामने से गुजरा तो मैंने देखा कि उनके रूम की लाइट जल रही है। मैं ने दरवाजे के की होल से देखा अंदर दीदी बेड पर न्नगी लेटी अपनी चुत में उंगली कर रही थीं। उनकी लाल फुली हुई चुत देखकर मेरा लण्ड सलामी देने लगा।
तभी मुझे लगा कि नीचे कोई जगा है तो मैं वहाँ से हट गया और निच्चे चला गया।
जब में रसोई में पहुचा तो देखा कि मम्मी थी जोकि फ्रीज के पास खड़ी थी और फ्रीज में कुछ देख रही थी।
मेरी आहत पाकर मम्मी ने पीछे मुड़कर देखा और मुझे देखकर चौक गयी।
मम्मी--संजू सोया नही अभी तक। यहा क्या कर रहा है
मैं--- मम्मी प्यास लगी थी तो पानी लेने आया था शायद आज दीदी पानी रखना भूल गयी होगी।
मम्मी साइड हट गई। मैने पानी की बोतल ली और पानी पीने लगा। मम्मी वही पास ही खड़ी थी।
मम्मी ने मैक्सी डाली हुई थी और नीचे से ऐसे लग रहा था कि अंदर उन्होंने कुछ नही पहना हुआ है।
उनकी मोटी मोटी चुचिया मैक्सी में साफ दिख रही थी।
मैंने देखा कि मम्मी अपने हाथ मे कुछ लेकर मैक्सी की आड़ में छुपा रही है। मैंने पानी पिया और बोतल लेकर ऊपर आने लगा । मम्मी भी अपने रूम में चली गयी। मैं वापिश नीचे आया और मम्मी के रूम में झांकने लगा।
मम्मी बेड पर लेट् चुकी थी और अपनी मैक्सी ऊपर उठा ली थी नीचे से वो बिल्कुल नंगी थी । उनकी चुत सफाचट थी बाल का नामोनिशान नही था। फिर मैंने देखा की उनके हाथ मे एक लंबा मोटा खीरा था और वो अपनी चुत में गुसाणे लगी।
बिल्कुल सीधा और मोटा … एक बार मैंने उसे ऊपर से नीचे तक देखा, मेरे लंड की तरह ही मोटा और लंबा था जोकि मम्मी की जरूरत को पूरी करने वाला था। उसको चुत के अंदर बाहर करने के बाद मम्मी को चुदाई वाली फीलिंग आ रही थी, यही सोच कर मम्मी खुश हो रही थी। उसी खुशी में उस खीरे को मम्मी चुत से निकाल कर अपनी जीभ से चाटने लगी, जैसे कि वह खीरा न हो लंड ही हो।
चाटते हुए मम्मी अपने मुँह को खोल कर खीरे को चूसने लगी जैसे मानो उस लंड रूपी खीरे को ब्लो जॉब दे रही हो।
उत्तेजना में खीरे को मुँह में से निकालकर अपने जांघों पर रगड़ने लगी। उसका वह ठंडा स्पर्श मम्मी की उत्तेजना और बढ़ाने लगा। मैंने खड़े खड़े ही अपने लण्ड को बाहर निकाला और मुठियाने लगा और मम्मी खीरे को चुत पर रगड़ने लगी। जैसे जैसे उसको मम्मी चुत पर घिस रही थी मुझे अलग ही उत्तेजना महसूस हो रही थी।
वह खीरा मुझे पागल करने लगा था, मैं सोचने लगा कि खीरे को हटाकर अपना लण्ड मम्मी के हाथों में दे दु।
धीरे से मम्मी मैक्सी को चुत से अलग करके खीरे को अपने चुत की दरार पर घिसने लगी, अब मम्मी को कंट्रोल करना मुश्किल हो गया। और अपने पैर फैलाकर खीरे को अपनी चुत के अंदर दबाने लगी तो मेरे रोंगटे खड़े होने लगे। उसी प्रयास में मम्मी ने अपनी मैक्सी ऊपर उठायी,
अब खीरे का रास्ता साफ था मम्मी ने पैर फैलाकर एक हाथ से अपनी चुत की दरार को खोल दिया और दूसरे हाथ से खीरे को अपनी चुत में घुसाने लगी।
“आहऽऽऽ… ऊई माँऽऽऽ… हम्म…”
खीरा चुत में घुसते ही उसके ठंडे स्पर्श की वजह से मम्मी सिसक उठी, धीरे धीरे उसको चुत में घुसाते वक्त मम्मी को काफी उत्तेजना महसूस हो रही थी। पिछले काफी समय से मम्मी की चुत में लंड नहीं घुसा होगा और खीरा लंड से थोड़ा मोटा था तो अंदर जाते वक्त मम्मी की चुत को फैला रहा था, मैं भी कामज्वर से पागल हो रहा था।
धीरे धीरे मम्मी ने आधे से ज्यादा खीरे को अपनी चुत में घुसाया, फिर चुत को सिकोड़ते हुए अंदर खीरे को लण्ड की तरह महसूस किया। यह आईडिया मुझे पहले क्यों नहीं आया था कि मम्मी भी लण्ड को तरस रही होगी। वह खीरा से अपनी चुत को लंड वाली फीलिंग दे रही थीं।
मम्मी बेड के नीचे दोनों पैरों को करीब लाते हुए खड़ी हुई और खड़े खड़े दाये पैर की उंगलियों पर खड़ी हुई, फिर एड़ी को नीचे लाते हुए बांयें पैरों की उंगलियों पर खड़ी हुई, मम्मी की जांघें एक दूसरे से रगड़ने लगी थी पर उस खीरे के मम्मी की चुत की दीवारों से घिसने से अजीब से सुरसुराहट हुई। न चाहते हुए मम्मी अपनी आँखें बंद करते हुए दोनों पैरों से कदमताल करने लगी- दाहिने बायें… दाहिने बायें …
उस वजह से खीरा चुत की दीवारों पर घिसते हुए अजीब सा सुख दे रहा था मम्मी को। पैर करीब होने से वह मम्मी की चुत के दाने को भी रगड़ खा रहा होगा , कदम ताल की वजह से खीरा धीरे धीरे नीचे की ओर सरक रहा था और अंत में चुत से सटक कर जांघों से नीचे गिर गया।
मम्मी ने नीचे झुकते हुए उसको उठा लिया, बलब की रोशनी की वजह से खीरे पर लगा मम्मी की चुत का रस चमक रहा था। मम्मी फिर से उसे अपने चुत में घुसा कर कदमताल करने लगी,
तभी किसी ने मेरे कंधे को थपथपाया
मैंने पीछे देखा तो किरण दीदी खड़ी थी।
मेरी तो हालत खराब हो गयी, एक तो मैं मम्मी के रूम के बाहर चोरी से खड़ा था और उप्पर से मेरा लंड खड़ा और वो भी मेरे हाथ में, वो बोली क्या कर रहा था और उसकी निगाहें मेरे लंड पर थी.
मैने पहले तो लंड पे से अपना हाथ हटाया और उसके सवाल का जवाब तो मेरे पास था पर उसे क्या बोलता मैने अपनी टीशर्ट से लंड ढकते हुए।
मेरी तो वॉट लग गयी थी क्यूकी किरण ने मुझे रंगे हाथ पकड़ा था अब वो मम्मी से बोलती और मेरी तो वाट लगने वाली थी.
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RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
तीन दिन बाद मां और दीदी वापिश आ गए । मैं अपने मिशन पर लग गया । और तीनों पर नजर रखने लगा। मैं अब घर मे थोड़ा सख्त भी रहने लगा सबको मेरे व्यवहार से थोड़ा अचरज हुआ। लेकिन कोई कुछ भी नही बोली।
मुझे दो दिन में ये मालूम चला कि मम्मी और रीटा दीदी दोनो ही अपनी प्यास हस्तमैथून से बुझाती है लेकिन कोई ऐसा हिंट नही मिला कि गैर मर्द से तालुक हो। मैंने पहले थोड़ा रीटा दी के साथ ओपन होने का सोचा।
“मैं खाना लगा रही हूँ.” सभी बाहर आ जाओ ,कह कर मुस्कुराते हुए किरण दीदी किचन में चली गयी.
दीदी और रोशनी ने खाना लगाया, हम सबने ने खाया, खाना खाते खाते मैं रीटा दीदी के सेक्सी बदन को, उनकी चूचियों को ही घूरे जा रहा था, दीदी भी मेरी इस हरकत को नोटिस कर रही थी.
हमने खाना खत्म किया और वही हाल में बैठकर टीवी देखने लगे।
कुछ देर बाद रीटा दीदी अपने रूम में सोने चली गयी. मैं बस अब रीटा के जवान बदन को बिल्कुल नंगा देखना चाहता था. मैं भी कुछ देर बाद ऊप्पर चला गया।
मेरे पास ज्यादा समय नहीं था अब… मैं बंद दरवाज़े से सट कर खड़ा हो गया और रीटा के पूरी नंगी होने के सही टाइम का अंदाज़ा लगाने लगा. लोअर उतारा होगा.टीशर्ट उतर गयी होगी… अब रीटा सिर्फ ब्रा और पैंटी में होगी.पैंटी भी उतार दी होगी. ब्रा खोल रही होगी.
अब एक गदराई जवान खूबसूरत लड़की नंगी हो चुकी होगी.
यही वक़्त है. 1… 2… 3…
मैंने मास्टर key से झटके से दरवाज़ा खोल दिया.
मेरे होश उड़ गए…. रीटा बेड पर अपनी जाँघें फैलाए पड़ी थी, उसने टॉप पहना हुआ था मगर लोअर उतारा हुआ था, पेंटी नीचे सरकी हुई थी और अपनी चूत में एक खीरा अंदर बाहर कर रही थी.
मुझे देखते ही दीदी चिल्लाई- ये क्या बदतमीज़ी है? नॉक करना नहीं आता तुम्हें?
अपनी पैंटी ऊपर करते हुए बोली रीटा दीदी.
“सॉरी… वेरी सॉरी…” मैं सकपका गया, मैं तो बस आपके साथ बात करने आया था।
अपने को संभाला और वही खड़ा हो गया।
वैसे दीदी आप ये क्या कर रही थीं।
अब दीदी को सांप सूंघ गया। और वो अपनी चुत छुपाने लगि।
मैं हल्का सा मुस्कराया और बोला कि कंटिन्यू दी, एन्जॉय योरसेल्फ।
रीटा थोड़ा मुस्कुरा कर बोली- अब कहा जा रहा है, आ बैठ …
रीटा दीदी को मुस्कुराती देख मेरी जान में जान आई मैं कुछ बोल पाता कि वो फिर बोल पड़ी- देखो… घबराओ मत, मुझे भी आज किसी की जरूरत है… कितने समय से बस इस खीरे से मास्टरबेट कर रही हूँ. आज तुम यहाँ हो तो… समझ गए ना? पर किसी से कुछ कहना नहीं… समझे. अगर मेरी मदद करोगे तो मुझे घर से बाहर नही जाना पड़ेगा ।
ये क्या हो रहा है मैं सोचने लगा। जो काम मे चाह रहा था खुद से ही बन रहा है
मैंने हाँ में सिर हिलाया.
रीटा ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी बड़ी गांड को मटकाते हुए मुझे बगल में बैठा लिया. रीटा ने रिमोट से ए सी चालू किया और मुझे बिस्तर के ऊपर धक्का दिया. मैं गिरा और पूरी नंगी रीटा मेरे ऊपर आकर चढ़ गई और मेरे होंठों को चूमने लगी.
कुछ देर बाद हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए, मैंने पहले रीता की चूत पर पैंटी के ऊपर से ही किस किया, उसमें से हल्की सी खुशबू आ रही थी जो मुझे उत्तेजित करने के लिए काफी थी.
मैंने अपनी उँगलियों से पेंटी एक तरफ सरका के अपनी जीभ जैसे ही चूत पर लगाई, रीटा कराह उठी. उसने मेरी पैन्ट खोल कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया और उसे मुख में लेकर कुल्फी की तरह होंठों से चूसने लगी.
इधर मैंने दीदी की चूत में जीभ से चाटा और उधर रीटा दीदी ने मेरा आधा लंड अपने मुख में भर लिया. मैंने दीदी की पैंटी पूरी उतार दी और अपनी एक उंगली रीटा की गांड के छेद पर रख दी और उसे दबाते हुए चूत को चाटने लगा.
रीटा ने मेरे आधे लंड को हाथ से पकड़ा हुआ था और बाक़ी का आधा लंड अपने मुंह में लेकर जोर जोर से चूस रही थी.
आनन्द के मारे मेरे तो होश उड़ चुके थे, रीटा दीदी को चोदने का जो सपना मैं कुछ देर पहले ख्यालों में देख रहा था, वो अब साकार जो होने को था!
रीटा मेरे लंड के चुस्से लगाती रही और मैंने दीदी की गोरी चूत को चाट कर लाल कर दिया था. मैंने रीटा दीदी की गांड में उंगली कर कर के उसे ज्यादा उत्तेजित कर दिया था, अब हम दोनों भाई बहन रियल सेक्स के लिए एकदम तैयार थे.
रीटा दीदी ने मेरे लंड को मुख से निकाला और बोली- चल भाई, अब दे दे अपनी दीदी को असली चुदाई के स्वर्ग का आनन्द! बहुत तड़प रही हु। जिस दिन से तुम्हे रोशनी को चोदते देखा है उस दिन से तुमारा लण्ड अपनी चुत में घुसवाना चाहती थी। आज मौका मिला है।
मैं उठा अपने पूरे कपडे उतारे, इतनी देर में दीदी ने अपने सारे कपडे उतार दिए थे, दीदी ने बिस्तर पर लेट कर अपनी दोनों टाँगें खोली और चूत का फाटक मेरे सामने खोल के रख दिया.
रीटा दीदी की की चूत मेरी नज़रों के सामने थी जिसको मैं अभी कुछ पला पहले चाट चाट कर गर्म कर चुका था, मेरे चाटने से पूरा चूत लाल हुई पड़ी थी.
रीटा दीदी ने अपने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर सेट किया.
मैं नीचे झुका और रीटा दीदी के होंठों पर अपने होंठ लगा दिये, रीटा के होंठ चूसते हुए मैंने अपने कूल्हों से एक झटका दिया तो मेरा लंड बिना किसी मुश्किल के दीदी की चूत के अन्दर आधा घुस गया.
रीटा दीदी चुदाई के मामले में पूरी अनुभवी थी, चूत में लंड घुसते ही वो मुझे और भी सेक्सी तरीके से चूमने लगी. हम दोनों की जीभ एक दूसरे से लड़ने लगी थी.
तभी मैंने एक और झटका मारा और इस दूसरे झटके में मेरा लंड पूरा मेरी दीदी की चूत में था.
मैंने एक मिनट तक लंड को चूत के अंदर ऐसे ही रहने दिया, ऐसा करने से मुझे बड़ा मजा आ रहा था, दीदी की गर्म चूत मेरे लंड को दबा रही थी.
अब मैं धीरे धीरे लंड को दीदी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. दीदी की गीली चूत में लंड हिलाना बड़ा मजेदार था.
रीटा दीदी सिसकारियाँ भर रही थी, कराह रही थी- चोद मेरे भाई… जोर जोर से मेरी प्यासी चूत को चोद! उम्म्ह… अहह… हय… याह… जोर जोर से! बहुत मजा आ रहा है.
“ये लो… ये लो… पूरा मजा लो दीदी, ये ले लो अपने भाई का लंड अन्दर तक!” मैं भी कस कस के अपना लंड दीदी की चूत में ठोक रहा था. भी बहन की जांघों के आपस में टकराने से कमरे में फच फच पट पट की आवाजें रीटा दीदी और मेरी चुदासी आवाजों से मिक्स हो रही थी.
“अह्ह्ह ऊऊऊह अह्ह्ह ह्ह…’ दीदी की चुदास, कामुकता बढ़ रही थी.
मैंने रीटा दीदी के मांसल कंधों को अपने दोनों हाथों से जकड़ लिया और दीदी को जोर से चोदने लगा. रीटा दीदी की साँसें उखड़ चुकी थी. और दीदी ने तभी मेरे लंड पर चूत के होंठों का दबाव बना दिया.
दीदी झड़ने को थी, एक लम्बी सांस के साथ मैंने भी अपना पानी दीदी की झड़ रही चूत में निकाल दिया. रीटा दीदी की चूत ने मेरे लंड पर जकड़ बनाये रखी और वो भी मेरे साथ झड़ गई!
मेरे वीर्य की एक एक बूंद की दीदी की गर्म चूत में निकल गयी और तब दीदी ने मेरे लंड को अपनी चूत की गिरफ्त से आजाद किया. मैंने लंड बाहर निकाला और दीदी के चेहरे को देखा, उनकी आँखों में संतुष्टि के भाव थे और मैं तो खुश था ही अपनी दीदी को चोद कर! संतुष्ट कर दिया।
कुछ देर ऐसे ही बिस्तर पर लेटे रहने के बाद रीटा बोली- यार, बहुत दिन बाद चुदाई की आज… मजा आ गया… तुझे भी मजा आया ना?
मैंने हाँ में सर हिला कर दीदी की बात का जवाब दिया और वहीं नंगी दीदी के बगल में लेट गया।
मैंने दीदी से पूछा कि क्या आपका बाहर भी किसी से अफेयर है।
दीदी ने मना कर दिया वो बोली नही मैं तो बस खुद ही एन्जॉय कर लेती थीं। अभी कूछ दिन पहले तुम्हे और रोशनी को चुदाई करते देखा तो मन मे आया की घर मे ही जब मस्त लंबा लौडा है तो मैं क्यो प्यासी रहू।
अगर आज तुम नही आते तो मैं तुम्हे रोशनी के साथ सेक्स करते हुए पकड़ने वाली थी। और फिर तुमसे चुदती।
फिर हम दोनो आपस मैं बातें करने लगे मैंने रीटा से पूछा की आप अपने ससुराल को छोड़कर क्यूँ चली आई थी| दीदी बताने लगी की उसकी सास-ससुर उसे बहुत ही परेशान करते थे | वो मुझे ताने मारते थे की मैं मा नही बन सकती | दीदी कहने लगी की मेरे पति मुझे प्यार करते थे पर जब वो अपने मा बाप को न समझा सके। और दूसरी शादी के लिए बोलने लगे।अब मैं मा नही बन सकती तो उसमें मेरा क्या दोष,हर रोज की किचकिच थी ससुराल में तो मैं वहां रहकर क्या करती मुझे वहां बिलकुल अच्छा नहीं लगता था | इसलिए पापा ने मेरा तलाक करवा दिया। इतना कहकर दीदी फूट-फूट कर रोने लगी | मैंने दीदी को चुप कराने की कोशिस करने लगा | मैंने दीदी के आंसू पोछे और दीदी को शांत कराने की कोसिस करने लगा | मैंने दीदी को बहुत समझाया और फिर दीदी को शांत कराया | दीदी को चुप कराते समय हम दोनों फिर से बहुत नजदीक आ चुके थे | दीदी की गरम साँसे मुझे बहुत ही कामुक कर रही थी | मैं फिर से गर्म होने लगा। दीदी मेरे और करीब आ गयी दीदी ने कहा संजू तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो | मैंने भी दीदी से कहा की आप भी मुझे बहुत पसंद हो | फिर दीदी ने अपना हाँथ मेरे लंड पर रख दिया और मेरे लंड को सहलाने लगी |
मैं समझ गया की दीदी मुझसे फिर चुदने के लिए तैयार थी | मैंने दीदी को अपनी बाँहों में भर लिया और किस करने लगा | मैंने दीदी को बिस्तर पर गिरा लिया और दीदी के बूब्स मसलने लगा | मैंने दीदी के बूब्स को मसलते हुए अपना एक हाँथ से उनकी चूत सहलाने लगा | दीदी मेरा पूरा साथ दे रही थी मैं उसके होंठो को चूमे जा रहा था | दीदी मुझसे कहने लगी की संजू मैं बहुत दिनों से प्यासी हूँ आज तुम मेरी प्यास बुझा दो मैं तुम्हारा बहुत एहसान मानूंगी | दीदी बहुत ही हॉट लग रही थी | दीदी के गोरे बूब्स बहुत ही टाइट थे | मैं दीदी के बूब्स को हिलाने लगा और दीदी के बूब्स को अपने मुहँ में ले लिया और उसकी चूचियों को चूसने लगा | दीदी बहुत ही गरम होने लगी थी |दीदी की चूत बहुत ही मस्त थी | दीदी की चूत पर हलके-हलके बाल थे | मैंने दीदी की चूत में अपनी जीभ डाल दी और दीदी की चूत को चाटने लगा | वो मदहोश हो गयी मैं चूत में अपनी जीभ अन्दर-बाहर करने लगा | दीदी थोड़ी देर बाद झड झड गयी मैं उसका सारा रस पी गया और उसकी चूत को चाटकर साफ़ किया | फिर दीदी ने मुझे लिटा दिया और मेरा लंड देखकर दीदी बहुत खुश हुई दीदी ने मुझसे कहा की संजू तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है | फिर उसने मेरे लंड को अपने मुहँ में डाल लिया और चूसने लगी | दीदी मेरे लंड को मस्ती से चुसे जा रही थी |
दीदी मेरे लंड को ऐसे चाट रही थी जैसे की लोलीपॉप चूस रही हो | मैंने अपना लंड उसके मुहँ से निकाला और दीदी के बूब्स की नाली के बीच में डालकर उनके बूब्स को चोदने लगा | अब दीदी मुझसे कहने लगी संजू अब मुझे मत तडपाओ डाल दो अपना लंड मेरी चूत में बुझा दो मेरी चूत की प्यास , बहुत दिनों बाद इसे लंड मिला है | फिर मैंने दीदी की टांगे फैलाई और चूत पर अपना लंड रखा और एक झटके में चूत में डाल दिया | दीदी के मुहँ से आह निकल गयी | इससे पहले की दीदी और आवाजे निकालती मैंने दीदी के होंठों पर अपने होंठ रख दिया और दीदी को किस करने लगा | मैं दीदी को किस किये जा रहा था और दीदी की चूत को चोदे जा रहा था | 20 मिनट तक मैंने उनकी चुदाई की फिर उनका पूरा शरीर अकड़ने लगा और दीदी ने मुझे कसकर अपनी बाँहों में भर लिया | मैं समझ गया की दीदी फिर से झड़ने वाली है | मैं और जोर से चोदने लगा फिर हम दोनों झड गए | उस रात मैंने दीदी की दो बार ओर चुदाई की दीदी मुझसे बहुत खुश थी। औऱ मैं भी।
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06-14-2019, 01:13 PM,
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RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
सुबह होने से पहले ही रीटा दी ने मुझे अपने कमरे में भेज दिया। मैं बाथरूम जाकर अपने रूम में सो गया तो सुबह उठने में मुझे थोड़ी देर हो गई थी इसलिए किरण दी मुझे उठाने चली आई और उस वक़्त में ना तो नींद में था और ना ही में जाग रहा था. में बस अपनी दोनों आखें बंद करके लेटा हुआ था, लेकिन उस समय मेरा लंड उठकर मेरे उठने से पहले ही सलामी दे रहा था और वो मेरी अंडरवियर से बाहर निकलकर खंबे की तरह तनकर खड़ा था.
अब किरण दी आकर मेरे पलंग के पास आकर खड़ी हो गई और जब उनकी तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मैंने धीरे से अपनी आँख को खोलकर देखा तो उस समय किरण मेरे तने हुए मोटे लंबे लंड को देखकर अपने दांतों तले अपनी उँगलियों को दबाते हुए कई देर तक लंड को निहार रही थी.
फिर वो धीरे से कमरे के बाहर चली गयी और उसने दरवाजा बंद कर दिया और वो कुछ देर बाद बाहर खड़ी होकर दरवाजे को खटखटाने लगी. मैंने वो आवाज सुनकर उठकर लंड को ठीक किया और दरवाजा खोला तो किरण बोली कि भाई क्या उठना नहीं है? और फिर में घड़ी की तरफ देखकर तुरंत फ्रेश होकर कपड़े पहनकर नीचे आकर रसोई की तरफ जाने लगा तो मुझे किरण और रोशनी की हल्की हल्की कुछ बातें सुनाई देने लगी और में वहीं पर खड़ा होकर उनकी वो बातें सुनने लगा.
फिर किरण कहने लगी कि आज तो गजब ही हो गया. फिर रोशनी उससे पूछने लगी कि ऐसा क्या हुआ किरण जिसकी वजह से तेरे चेहरे का रंग इतना उड़ा हुआ है और तू इतनी ज्यादा बैचेन दिख रही रही है? तब किरण ने कहा कि में जब आज सुबह सुबह संजू भाई को उठाने के लिए उनके कमरे में गयी थी तो मुझे उनकी मोटे लंबे तनकर खड़े लंड के दर्शन हो गये और में उनके लंड की मोटाई और लंबाई को देखकर तो एकदम दंग ही रह गयी. मुझे अभी भी वो सब अपनी आखों के सामने घूमता हुआ दिखाई दे रहा है.
अब रोशनी उसकी वो बातें सुनकर चकित होने का नाटक करते हुए उससे पूछने लगी कि क्या वाकई में उसका लंड इतना मोटा और लंबा था, जैसा तू मुझे बता रही है और कहीं तू मुझसे झूठ तो नहीं बोल रही है ना? अब किरण दी कहने लगी कि भगवान की कसम में आपसे एकदम सच सच कह रही हूँ और मैंने भी आज तक ऐसा दमदार लंड अपने अब तक के इस जीवन में गंदी फिल्मो में भी कभी नहीं देखा.
एक बार तो उसको देखकर मेरा मन हुआ था कि में उसको उसी समय अपने मुहं में लेकर आईसक्रीम की तरह चूस लूँ, लेकिन थोड़ा सा डर और संकोच की वजह से में आगे नहीं बढ़ी. अब रोशनी पूछने लगी कि क्या उसको पता है कि तू उसके लंड को निहार रही थी. उसने तुझे यह सब करते हुए देखा कि नहीं? तो किरण बोली कि नहीं वो तो उस समय बड़ी गहरी नींद में घोड़े बेचकर सो रहा था और उसका लंड उसकी अंडरवियर के अंदर से उठकर सवेरे की सलामी ठोक रहा था. जिसको में देखकर ललचा रही थी और में करती भी क्या?
उनकी बात सुनकर मेरे को झटका लगा कि रोशनी और किरण इतनी ओपन कैसे है। उस दिन पूछने पर रोशनी ने किरण को बिल्कुल भोली बताया था मैं समझ गया कि जरूर कुछ दाल में काला है। ये रोशनी भी कुछ जरूर छुपा रही है
जब में रसोई के अंदर घुसा तो वो दोनों शायद मेरी आहट को सुनकर चुप हो गई और फिर जब में नाश्ता कर रहा था तब किरण दी मेरी तरफ अपनी ललचाई नज़रों से देख रही थी और में उनके मन में चल रही सभी बातें उनके मेरे लिए अब बदले हुए विचार को पूरी तरह से समझ चुका था कि वो मेरे बारे के क्या और कैसा सोचती है? और फिर मैंने गौर किया कि उनका व्यहवार अब मेरे लिए धीरे धीरे बहुत बदलता जा रहा था, जिसका साफ मतलब यह था कि उनको अब मेरे लंड से अपनी चुदाई की बहुत ज्यादा जरूरत है, जिसके लिए वो अब मरी जा रही थी.
मैं अपनी ही सोच में गुम था कि क्या किरण ही मनोज से बात करती है और चुदने को बेकरार है। मैं अब पक्का सबूत पाना चाहता था फिर किरण से कुछ बात करता। अभी तक एक बात और थी कि घर मे किसी को भी सीसीटीवी कैमरे का मालूम नही चला। हिडेन का तो मतलब ही नही था।
मैं दो दिन से लगातार रिकॉर्डिंग चेक कर रहा था मुझे कुछ भी गलत नजर नही आया। मैं बहुत कंफ्यूज था कि हो क्या रहा है यहाँ। जो भी बात रोशनी और किरन में हुई उससे तो यही लगा कि किरण दी सेक्स के बारे में बहुत कुछ जानती है।
फिर अगली रात में जब में पेशाब करने उठा तो मैंने पीछे क्वाटर में देखा कि रोशन उस समय नशे में बिल्कुल धुत होकर क्वाटर की आँगन में पड़ी खाट पर पड़े हुए खर्राटे भर रहे थे । मैं पिछली सीढ़ियों से नीचे गया और जब में रोशनी के कमरे के पास पहुचा तो मुझे उनके कमरे से सिसकियों की आवाज सुनाई देने लगी, लेकिन उस समय मुझे इतनी ज़ोर से पेशाब लगा था कि में इसलिए बिना देर किए तुरंत सीधा वही बाथरूम में जाकर हल्का हुआ और जब में वापस उनके कमरे के पास से गुजर रहा था, तो मुझे फिर कुछ फुसफुसाहट और साथ में सिसकियों की आवाज़े सुनाई दी.
अब में उनके कमरे की खिड़की से जो कि उस समय थोड़ी सी खुली हुई थी, उससे मैंने अंदर की तरफ झाँककर देखा तो में वो सब कुछ देखकर एकदम दंग रह गया, क्योंकि मैंने देखा कि वो मेरी बहन किरण और रोशनी उस समय एकदम नंग धड़ंग थी. ये हिस्सा कैमरे में नही आता था। रोशनी उस समय अपनी पीठ के बल लेटी हुई थी और किरण उसकी चूत को अपनी जीभ से चाट रही थी, जिसकी वजह से रोशनी जोश में आकर सिसकियां भर रही थी. वैसे मुझे उन दोनों की चूत बहुत ध्यान से देखने पर भी साफ नहीं दिखाई दे रही, लेकिन हाँ मुझे किरण की गोरी गांड के दर्शन हो गए थे और दोनो कुछ देर तक चुसाई करके अपने को शांत किया और किरण वापिश पिछली सीडी से ही अंदर चली गई। ये देखने के बाद कुछ सोचकर में वापस अपने कमरे में आकर सो गया.
दूसरे दिन में सुबह उठने के बाद से ही अपनी दुकान पर था और फिर दोपहर को ही अचानक से जोरदार बारिश होने लगी, जो कि बहुत देर तक चलने के बाद भी रुकने का नाम नहीं ले रही थी
फिर इतने में किरण मेरे लिए दोपहर का खाना लेकर आ गई वो पूरी तरह से भीग गयी थी और उसकी सलवार कमीज़ जो कि सफेद रंग की थी वो पानी में भीगने की वजह से उसके बदन पर चिपक गई थी, जिससे उसके कूल्हे और बूब्स बहुत ही मस्त शानदार और जानलेवा दिखाई दे रहे थे और जिसकी वजह से में बहुत चकित था. फिर मैंने उससे कहा कि किरण दी आप इतनी तेज बारिश में क्यों चली आयी? दीदी कहने लगी कि मैं सुबह भी बिना नास्ता किये ही घर से आ गया इसलिए मैं तुमारे लिए खाना लेकर आ रही थी।जब मैं घर से निकली तो उस समय बिल्कुल भी बारिश नहीं हो रही थी और तभी अचानक से आते समय रास्ते में ज़ोर से बारिश होने लगी.
में बहुत देर तक बारिश रुकने का इंतज़ार करती रही, लेकिन जब मैंने इतना इंतजार करने के बाद देखा कि बारिश अब रुकने का नाम नहीं ले रही है तो में यहाँ पर चली आई. फिर मैंने अपना मूड थोड़ा ठीक करते हुए कहा कि खैर चलो अब सबसे पहले तुम यह गीले कपड़े बदल लो नहीं तो तुम्हे जुकाम हो जाएगा और फिर दीदी दुकान के अंदर वाले केबिन में चली गयी. वहाँ पर दीदी को कोई कपड़े नहीं मिले, इसलिए दीदी वापस आ गई और बोली कि संजू अंदर तो मेरे पहनने के लिए कोई भी कपड़े नहीं है.
तब मैंने दीदी से कहा कि तुम एक काम करो अंदर से चेयर पर बड़ा टावल है वो लेकर
अपने को सूखा लो। तब तक मे मंजू को कहता हूं तुम्हे नई टीशर्ट और लेगी दे देगी। वो मेरे कहने पर टावल लेकर आई और मंजू ने उसको एक महीन कॉटन की शर्ट दे दिया और दीदी ने महीन शर्ट पहन ली थी और उस महीन शर्ट से दीदी के गोरे गोरे बूब्स मुझे साफ साफ दिख रहे थे और उस पर गहरे रंग के निप्पल भी मुझे साफ साफ दिखाई दे रहे थे और दीदी कुछ देर बाद मुझे खाना परोसने लगी.
फिर में दीदी से कहने लगा कि हम खाना बाद में खाएँगे पहले थोड़ा चाय पी लेते है और दीदी बोली कि हाँ ठीक है. तभी राजन चाय बना कर ले आया, चाय देते हुए राजन भी दीदी के बॉब्स को घुर रहा था और दीदी भी उसको अजीब नजरो से देख रही थी और हल्का हल्का मुस्करा रही थी। मेरी गांड फिर जलने लगी । साला दीदी को ये हुआ क्या है जो ऐसे बीहेव कर रही है। मन मे आ रहा था कि अभी साली को पटक कर चोद दु और इसकी आग को ठंडा कर दु। लेकिन में दुकान पर हंगामा नही करना चाहता था इसलिए खामोश रहा और राजन को टरका दिया वहा से।
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06-14-2019, 01:13 PM,
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RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
किरण दीदी चाय पीते हुए अजीब सा व्यवहार कर रही रही और मुझे घुर रही थी मैंने उनसे खाना डालने को कहा और चेयर पर बैठ गया। मैं जितनी जल्दी हो सके उनको घर भेजना चाहता था। मैंने खाना खाया और पास के एक ऑटो चालक को दीदी को घर छोड़ने भेज दिया। दीदी ने मुझे अपसेट कर दिया था।
तभी मंजू आकर मुझसे बात करने लगी और हंसी मजाक शुरू कर दिया। बाहर फिर से बारिश स्टार्ट हो गयी। अब दुकान पर ग्राहकों का आना तो होना नही था तो मैंने संपत, राजन और मोना को गोदाम में ( माल को चेक करने और साफ सफाई करने) भेज दिया।
मंजू और सुमन वही खुला माल पैक करने लगी। मैं भी उनके पास चला गया।
फिर मंजू मेरे पास खड़ी होकर चाय पत्ती पेक करने लगी और मैं भी हेल्प करवाते हुए समय बिताने के लिए वजन करके थेली में चाय को भरने लगा. साथ में सुमन मोमबत्ती से प्लास्टिक की उन थेलियों को पेक करने लगी और इस दरमियाँ मेरा हाथ उसके कूल्हों पर करीब चार पांच बार लगा, लेकिन सुमन मुझसे कुछ नहीं बोली केवल वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी.
फिर मैंने जानबूझ कर एक बार अपनी तरफ से उसके एक कूल्हे पर दबाव डालते हुए उसको दबोच लिया, लेकिन वो फिर भी कुछ नहीं बोली. इतने में एक बाहर एक कोने से बारिश का पानी नीचे तपक रहा था, जिसको देखकर सुमन अपनी साड़ी को ऊपर उठाकर वो पास में रखे एक स्टूल पर चड़ गयी और वो वहाँ पर बंध लगाने लगी.
उसका रंग थोड़ा सावला था । तब मुझे उसकी काली काली जांघे बहुत उत्तेजित करने लगी, जिसकी वजह से मेरा लंड तो अब पेंट के अंदर ही हरकते करने लगा था और फिर में कुछ देर बाद मौका देखकर धीरे से अपनी अंदरवियर को खोलकर केवल पेंट से बाहर लण्ड को लटका दिया। और कमीज को बाहर निकाल लिया अब मेरे अंदर हवस जग गयी थी और मुझे उसे ठंडा करने था। मैंने मंजू को भी गोदाम में भेज दिया हेल्प करने के बहाने। थोड़ी देर के बाद सुमन मेरे पास में आकर बात करने लग गयी, लेकिन कुछ देर बाद उसके बारे में सोच सोचकर अब मेरी हालत खराब होने लगी थी, क्योंकि सुमन उस समय मेरी तरफ प्यासी नजरो से देख रही थी। मेरी कमीज हट कर लण्ड बाहर लटकने लगा था और वो शर्ट भी मेरी कमर से बहुत ऊपर सरक गई थी और मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था.
फिर बहुत देर तक में सिर्फ़ सुमन के बारे में ही सोच रहा था, लेकिन फिर मुझसे रहा ना गया और में अपना एक हाथ सुमन की गांड की तरफ सरकाते हुए अपनी दो उंगलियों से सुमन की उस साड़ी को मैंने हल्के से पकड़कर एक तरफ से उसकी कमर से और भी ज्यादा ऊपर तक कर दिया, जिसकी वजह से अब सुमन की काली काली मोटी गांड और बूब्स की झलक साफ दिखाई देने लगी थी. अब मेरी हालत कुछ ऐसी हो गयी थी कि में हिम्मत करके अपने पूरी हथेली से धीरे से सुमन की गांड को सहलाने लगा, लेकिन उसकी तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया कोई भी विरोध हलचल नहीं होने से मेरी हिम्मत और भी ज्यादा बढ़ गयी.
मैंने सही मौका देखकर अपनी कमर को आगे की तरफ सरकाते हुए उसकी गांड के पीछे हल्के से मेरे लंड को चिपका दिया । फिर धीरे धिरे उसका पेटीकोट उप्पेर उठा दिया। उसने अंदर पेंटी नही पहनी हुई थी। अब भी कुछ देर तक कोई भी हलचल को ना देखकर मैंने ढेर सारा थूक अपने लंड और उसकी गांड पर लगाकर उसकी गांड के छेद में रखकर लंड को थोड़ा सा दबाव दिया, तो मैंने महसूस किया कि अचानक से अब सुमन ने अपनी सांसे रोक ली और वो अपने मुहं से सईईईईई उूईईईईईईईई की दर्द भरी आवाज़े करने लगी और तब मैंने तुरंत अपने आप को वहीं पर रोक दिया में बिना हिले कुछ देर ऐसे ही खड़ा रहा. मुझे पता नहीं चला कि यह किस तरह की आवाज़ थी एक मिनट के बाद वापस सब कुछ पहले जैसा हो गया और अब मैंने देखा कि मेरा लंड पूरी तरह से सुमन की गांड के छेद के बीच में चिपका हुआ था.
मैं ये सब करते हुए सामने दीवार पर लगी हुई led में गोदाम के कैमरे की रिकॉर्डिंग भी देख रहा था। जहाँ संपत, राजन, मोना और मंजू समान इधर उधर कर रहे थे।
फिर तभी मैंने मन ही मन सोचा कि में इसकी गांड को बाद में मारूँगा पहले में इसकी चूत की चुदाई तो कर लूँ और फिर में अपने एक हाथ से लंड को थोड़ा नीचे करके चूत के मुहं पर अपने लंड को रखकर मैंने उसकी कमर को पकड़कर हल्का सा एक धक्का मारा तो उसकी वजह से मेरे लंड का टोपा उसकी चूत को चीरता हुआ चूत में समा गया और जैसे ही लंड का टोपा अंदर घुसा सुमन दर्द के मारे अपने मुहं से आह्ह्हह्ह्ह्ह स्सीईईईईइ माँ मर गई कहने लगी, लेकिन अब मेरी हालत ऐसी थी कि वो चाहे मन से कर रही हो या मेरे दबाव में कर रही हो, लेकिन में अब बिल्कुल भी रुकने वाला नहीं था और में उसको अब अपनी तरफ से हल्के हल्के धक्के मार मारकर उसकी चूत में अपने लंड को पूरा का पूरा अंदर डालकर उसकी चुदाई करने लगा और तब मैंने महसूस किया कि उसकी गरम गरमा चूत ने मेरे लंड को बड़ी ही मजबूती से जकड़ा हुआ था.
फिर में अपनी कमर को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा और तब मैंने महसूस किया कि अब उसको भी बहुत मज़ा आ रहा था, जिसकी वजह से वो अपने मुहं से सिसकियां भरते हुए बोली उूउउफ्फ चोदो साहब आहहहह और ज़ोर से और ज़ोर से चोदो ऊईईईईईईई हाँ ज़ोर से धक्के मारो मुझे, क्योंकि काफी समय बाद मेरी इस चूत ने किसी का लंड खाया है ऊउफ़्फ़्फ़्फ़ सही में तुम्हारा लंड बहुत मोटा और लंबा है जिसकी वजह से मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. तुम ऐसे ही धक्के देकर आज मेरी इस प्यास को बुझा दो और यह बात कहते हुए वो अपनी चूत को सिकुड़ने लगी और ज़ोर ज़ोर से हांफने लगी. धीरे धीरे वो ठंडी होने लगी, तो में तुरंत समझ गया कि वो अब झड़ चुकी है और फिर करीब 10-15 धक्को के बाद मेरे लंड ने भी उसकी चूत की गहराईयों में अपने लंड का रस डाल दिया. में उसकी चूत में झड़ गया और हम दोनों पसीने से लथपथ थे. फिर कुछ देर एक दूसरे से ऐसे ही चिपके रहे.
फिर तुरंत सुमन बाथरूम में जाकर आ गई और वो दोबारा मेरे पास में आकर बैठ गयी और मुस्कराने लगी। अब में थोड़ा रिलैक्स फ़ील कर रहा था। सुमन की निगाह भी सामने दीवार पर थी और वो इस तरह से उन चारों को काम करते हुए देख रही थी। सुमन को देखकर मेरा मन एक बार फिर से चुदाई का हो गया मैंने उसको दोबारा जमकर चोदा और उसने इस बार मेरा पूरा पूरा साथ दिया. हम दोनों को इस खेल में बड़ा मज़ा आया ।
सुमन ने चुदाई के मज़े लिए, जिसकी वजह से सुमन बहुत खुश थी, क्योंकि मैंने सुमन को अपनी चुदाई से पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया था और उसकी चूत की प्यास को बुझा दिया था ।
मैं भी कुछ देर के लिए अपनी परेशानी भूल गया था और वही केबिन में चेयर पर ही सो गया।
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