06-26-2019, 03:02 PM,
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RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
राहुल उस कागज़ के टुकड़े पर लिखी उन दो तीन लाइन्स को नजाने कितनी बार पढ़ चुका था. उसका चेहरा खिला हुआ था. वो कुरसी से उठ कर बेड पर लेट जाता है. अभी भी खत को अपने चेहरे के सामने देखता वो मुसकरा रहा था. वो खत को एक तरफ रख देता है और अपनी जीत पर खुश होता है. अखिरकार उसकी मम्मी ने अपनी हार मान ही ली थी. चाहे उसने अभी क़बूल नहीं किया था मगर वो उसके बिना रह नहीं पाई थी. अब वो दोबारा ऎसी बात कहने से पहले सौ बार सोचेगी. राहुल का ध्यान पेण्ट में अभी से झटके मार रहे अपने लंड पर जाता है. वो हंस पढता है और कमर उठकर अपना पायजमा अपनी जांघो तक खिसका देता है. उसका लम्बा मोटा लौडा खुली हवा में आते ही झटके मारने लगता है. पूरी तरह तना हुआ वो उसकी सलोनी की सेवा करने के लिए पूरी तरह तैयार था.
अपने लंड को सहलाते राहुल इंतज़ार करने लगा है. जहन एक तरफ उसे अपनी सलोनी का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार था वहीँ दूसरी तरफ उसका दिल भी धड़क रहा था. वो अब अपनी मम्मी से पेश कैसे आएगा? यह सवाल उसे परेशान कर रहा था. उसकी मम्मी ने उसे मनाने कि, उससे बात करने की कोई कोशिश नहीं करी थी. अब यह सब होगा कैसे? अगर राहुल आगे बढ़कर कुछ करेगा तोह मतलब वो अपनी हार मान लेने जैसा होगा के वो अपनी मम्मी के बिना रह नहीं सकता और यह उसकी मर्दानगी को मंजूर नहीं था. मगर अब उसकी मम्मी ने पहले ही कह दिया था के अगर राहुल बात नहीं काना चाहता तो वो उससे बात नहीं करेगी तोह फिर होगा कैसे? कुछ भी हो, वो अपनी हार नहीं मानेगा. पहले मम्मी को उसे मनाना होगा. उससे माफी सलोनीगनी होगी और वादा करना होगा की वो आगे से ऐसी कोई भी बात नहीं करेगि. राहुल ने अपने दिल में फैसला कर लिया.
राहुल के दिल में सलोनी के लिए अब कोई गुस्सा कोई नाराज़गी नहीं थी. मगर वो सुलह के लिए पहला कदम हरगिज़ नहीं उठाना चाहता था. अगर उसकी मम्मी ने उससे बिना माफ़ी मांगे कुछ किया तोह वो उसका साथ हरगिज़ नहीं देगा. हा, हाँ वो उसका साथ हरगिज़ नहीं देगा. राहुल खुद को बार बार कहता है. लेकिन अगर सलोनी के आने पर वो इस तरह अपना लंड आकड़ाये सामने खड़ा होगा तो वो तो एहि सोचेगी ना के में उसके बिना रह नहीं सकता. नाहि, मुझे उसके सामने खुद को इस तरह पेश करना चाहिए के में सेक्स के बिना भी रह सकता हुण. लेकिन इसके लिए जरूरी था की वो अपने लंड को ठण्डा करे. उसका लंड अगर शांत होगा तोह वो अपनी भावनाएं बेहतर ढंग से अपनी सलोनी के सामने रख पायेगा. मगर अब समस्या भी एहि थी जैसे जैसे सलोनी के आने का समय नज़्दीक आता जा रहा था, राहुल का लंड खुद ब खुद और सख्त होता जा रहा था. अब मुश्कल से दस् मिनट बचे थे आधा घंटा पूरा होने में. अब वो क्या करे? राहुल परेशान हो जाता है.
उसे याद आता है के अगर वो अपना ध्यान इन बातों से हटा ले तो कुछ ही मिन्टो में उसका लंड ठण्डा पड़ जाएगा. राहुल अपना फ़ोन उठाता है और गाने लगाकर ऊँची आवाज़ में म्यूजिक सुनने लगता है. मगर उसका ध्यान हट ही नहीं रहा था. लंड पत्थर क तरह सख्त था. वो खिड़की के पास चला जाता है और खिड़की खोल कर इधर उधर देखते अपना ध्यान अपनी मम्मी से हटाने की कोशिश करता है मगर बेकार. पांच मिनट बाद भी कुछ फरक नहीं पडता. लंड अभी भी लकड़ी की तरह तन कर खड़ा था. वो क्या करे? क्या करे? राहुल दिमाग दौडाता है. अब समय भी मात्र पांच मिनट बचा था. हो सकता था उसकी मम्मी पहले आ जाए. राहुल के दिमाग में कुछ नहीं आ रहा था. वो कूलर से ठन्डे पाणी का गिलास भर कर पिता है. पानी कुछ ज्यादा ही ठण्डा था. अचानक राहुल का चेहरा खील उठता है. ठंडा पानि, हाँ ठन्डे पाणी से बात बन सकती थी, राहुल सोचता है. उसे अच्छी तरह से याद था एक बार ठन्डे पाणी में नहाने के बाद उसका लंड सिकुड कर किस तरह छोटा सा हो गया था.
राहुल पाणी का गिलास भरकर बाथरूम में जाता है और अपना पायजामा उतार कर लंड पर धीरे धीरे पाणी गिराने लगता है. ठन्डे पाणी की आकड़े हुए लंड पर सनसनी कुछ ज्यादा ही थी. पानी का गिलास ख़तम हो जाता है. राहुल ध्यान से देखता है. उसका लंड हल्का सा नरम पड़ गया था. वो भागकर फिरसे एक गिलास भरता है. कूलर में बहुत पानी था. पानी भरकर राहुल वापस लंड पर गिराने लगता है. इस बार गिलास ख़तम होते होते लंड में बदलाव साफ़ नज़र आने लगा था. राहुल एक के बाद एक गिलास पाणी डालता जाता है. पांच गिलास ख़तम होते होते लंड लगभग पूरी तरह सिकुड चुका था. राहुल के होंटो पर मुस्कान आ जाती है. समय लगभग ख़तम हो चुका था और ऊपर से ठन्डे पानी के कारन उसे बहुत तेज़ पेशाब भी आया हुआ था . वो तेज़ी से अपना पायजामा पहनता है और पेशाब करके कमरे में जाता है. एक मिनट बाकी था.
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RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
राहुल अपने तेज़ी से धड़कते दिल के साथ सलोनी के आने का इंतज़ार करता है. उसे लग रहा था शायद वो अब भी पिछली बार की तरह लेट आएगी. मगर ठीक एक मिनट बाद उसे सीढ़ियों पर आहट सुनाई देती है. सलोनी इस बार ठीक समय पर ऊपर आ रही थी. राहुल के होंठो पर फिरसे मुस्कान आ जाती है मगर अगले ही पल वो खुद को इतनी बेकरारी के लिए कोस्ता है और खुद को याद दिलाता है की उसे सख्ती से पेश आना है जब तक की उसकी मम्मी उससे माफी न मांग ले. कदमो की आहट लगभग उसके दरवाजे तक पहुंच गयी थी. राहुल तेज़ी से पयजामे के ऊपर से अपना लंड टटोल कर देखता है. वो बिलकुल शांत था. राहुल के धडकते दिल को चैन की सांस आती है. वो अपने सामने किताब खोल कर उसे पढ़ने का नाटक करने लगता है.
दरवाजा खुलता है और सलोनी कमरे में दाखिल होती है. तीव्र इच्छा के बाद भी राहुल किसी तरह खुद को दरवाजे की और देखने से रोक लेता है. सलोनी चलति हुयी उसके पास आती है. वो एकदम उसके पास खड़ी थी. राहुल को अचानक एक बहुत ही प्यारी सी खुशबु का एहसास होता है. सलोनी ने कोई बहुत बढ़िया परफ्यूम लगया था. राहुल ने चेहरा झुकाये था और वो आँखों के कोने से देखता है के उसकी मम्मी की जाँघे नंगी थी. सलोनी दो कदम और आगे बढती है और अपने और बेटे के बिच की दूरी ख़तम कर देती है. सलोनी उसका हाथ पकडती है और उसके हाथ में चाय का कप पकडाती है. राहुल चाय पकडता अपनी नज़र इस बार अपनी मम्मी की तरफ उठाता है यह कोशिश करते हुए के उसका चेहरा उसके दिल का हाल न बता दे. सलोनी पर नज़र पढते ही उसके जिस्म में जैसे करंट दौड जाता है. सलोनी ने राहुल की एक शर्ट पहनी थी और उसके निचे उसने एक बहुत शार्ट- शार्ट पहना हुआ था. राहुल की ऑंखे एक पल के लिए उसके बड़े सीने पर जाती है. सलोनी के भारी मम्मो ने टाइट शर्ट को सामने से ऊपर उठा दिया था. कैसे वो उसके ऊपर उभरे थे. पतली सी शर्ट के ऊपर उसके निप्पल इस कदर उभरे हुए थे के देखकर सहज ही अंदाज़ा लगाया जा सकता था के उसने निचे ब्रा नहीं पहनी थी. मगर जिस बात ने राहुल की नस नस को झकझोर दिया था वो था सलोनी का रूप. वो आज ऐसे दमक रही थी के राहुल की ऑंखे चौंधिया गयी थी. उसने बाल जुड़े की शकल में बाँधे हुए थे. उसकी मांग में सिन्दूर भरा हुआ था और माथे पर जहान से सिन्दूर की लकीर सुरु होती थी, ठीक उसके निचे एक लम्बी सी बिंदिया थी. चेहरे पर हल्का सा मेकअप था. उसके रसीले होंठो पर गहरी लाल लिपस्टिक लगी थी. शर्ट की बाहे मूडी हुयी थी और आज उसने दोनों हाथों में चूडियां भी पहनी हुयी थी. नाक की बालि और कांन के झुमके उसके रूप को क़ातिलाना बना रहे थे अगर कोई कसर बाकि थी तोह वो उसकी शर्ट में झाँकते दूधिया मुम्मो के बिच लटकते उसके काले मंगलसूत्र ने पूरी कर दी थी. सलोनी ने कुछ खास ऐसा नहीं पहना था जो बहुत बेशकीमती हो, या फिर बहुत ज्यादा फैशनेबुल हो. वो सीधा सादा भारतीय नारी का रूप था. मगर एहि तोह ख़ासियत थी के सलोनी इतनी रूपवती थी के उसका वो सिंपल लुक जहा एक तरफ देखने में अविश्वनीय तौर पर सुन्दर था वहीँ उसका वो रूप इतना कमनीय था, इतना मादक था के राहुल की साँसे भारी होने लगी.
"क्या बात है आज तोह बहुत पढाई हो रही है, सुबह से लगता है के कुरसी से उठे ही नहीं हो" अचानक सलोनी मुस्कराती बेटे से कह उठती है. झगडे के बाद वो पहली दफ़ा बेटे से बात कर रही थी.
राहुल को अपनी सलोनी के बोल सुनाइ देते हैं तो वो अपनी तन्द्रा से बाहर आता है. वो नजाने कब्ब से अपनी मम्मी को घूरे जा रहा था. राहुल चाय का कप लेकर अपना मुंह घुमा लेता है. शर्म से उसके गाल लाल हो गए थे. एक तरफ वो अपनी मम्मी के हुस्न को दाद दे रहा था और दूसरी तरफ यूँ उसे घूरने के लिए खुद को कोस भी रहा था. वो मुंह दूसरी तरफ घुमाकर चाय पिने लगता है ताकि सलोनी की हृदय भेदी नज़रों से बच सके. सलोनी ने उससे बात करने की शुरुवात की थी और वो चाह रहा था के वो जलद से जलद उससे माफ़ी मांग ले ताकी उसे इस ड्रामे से छुटकारा मिल सके. अपनी मम्मी के ऐसे चमचमते रूप को देखने के बाद खुद को उसे बाँहों में भरने से रोकना बेहद्द मुश्किल था. उसके हाथ उसके होंठ तडफ रहे थे. वो उसके अंग अंग को छुना चाहता था, सहलाना चाहता था, चुमना चाहता था. उसे घंटो प्यार करना चाहता था. बस वो एक बार माफ़ी मांग ले. अगर वो एक बार सिर्फ सॉरी भी बोल देगी तोह राहुल तुरंत झगडे का अंत कर देगा. राहुल बेसब्री से सलोनी के माफ़ी मांगने का इंतज़ार कर रहा था ताकी वो उसे जी भर कर दुलार सके, प्यार कर सके और उसे बता सके के वो उसके बिना कितना तड़फा है.
सलोनी राहुल की कुरसी अपनी तरफ घुमाति है. रोटरिंग चेयर होने के कारन राहुल का रुख टेबल से घूम कर अपनी मम्मी की तरफ हो जाता है. वो उसकी और कडवी नज़र से देखने की कोशिश करता है मगर सलोनी मुस्कराती हुयी उसके घुटनो के पास निचे बैठ जाती है.
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RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
उफ़ कैसी प्यारी मुस्कान थी उसकि, राहुल का दिल पिघल जाता है. वो चाय का कप कस कर पकड़ लेता है. एक बारगी तोह उसका दिल किया के वो आगे बढ़कर उसे अपने सीने से कस कर लगा ले और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दे.
सलोनी राहुल की कुरसी अपनी तरफ घुमति है. रोटेटिंग चेयर होने के कारन राहुल का रुख टेबल से घूम कर अपनी मम्मी की तरफ हो जाता है. वो उसकी और कडवी नज़र से देखने की कोशिश करता है मगर सलोनी मुस्कराती हुयी उसके घुटनो के पास निचे बैठ जाती है. उफ़ उफ़ कैसी प्यारी मुस्कान थी उसकि, राहुल का दिल पिघल जाता है. वो चाय का कप कस्स कर पकड़ लेता है. एक बारगी तोह उसका दिल किया के वो आगे बढ़कर उसे अपने साइन से कस्स कर लगा ले और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दे.
सलोनी अपने बेटे के सामने फर्श पर घुटनो के बल बैठि थी और वो दूसरी तरफ को मुंह किये चाय की चुस्कियाँ ले रहा था जैसे उसे उसके वहां होने न होने से कोई फरक ही नहीं पढता था. सलोनी मुस्कराती अपने हाथ बेटे की जांघो पर रखती है और उन्हें सरकाती धीरे धीरे ऊपर की और लेजाने लगती है. उसके होंठो की मुस्कान गहरी होती जा रही थी. वो अपनी उँगलियाँ राहुल के पयजामे की एल्सटिक में फँसती है और उसे निचे खींचने लगती है. पायजामा थोड़ा सा ही निचे सरकाता है. राहुल उधर खाली कप अपने होंठो से लगाए अपने बदन की सीहरन को कण्ट्रोल करने की कोशिश कर रहा था मगर लगता था उसका जिस्म उसका साथ नहीं दे रहा था. सलोनी ज़ोर से पायजामा निचे खींचती उसकी जांघो को हिलाकर इशारा करती है. राहुल चाय का कप टेबल पर रख देता है. और अपनी मम्मी की और देखता है.
"उठो भी, मुझे पायजामा उतारना है" सलोनी उसे मुस्कराती कहती है. राहुल हल्का सा उठता है और वो झटके से पायजामा निचे खींच देती है. राहुल का बुरी तरह तना हुआ लंड सलोनी के चेहरे के सामे झटके खा रहा था.
"ओ माय गॉड..........यह तोह पहले से ही पूरी तरह तैयार है" सलोनी हंस पड़ती है. राहुल शर्मिंदा होकर मुंह फेर लेता है.
"साला दगाबाज" वो अपने लंड को मन ही मन गली दे रहा था. इतना कुछ करने के बाद भी उसने उसका साथ नहीं दिया था. सही मायनो में राहुल को पता भी नहीं चला था के कब उसका लंड फिरसे खड़ा हो गया था, वो तोह अपनी सलोनी के दमकते हुस्न में ही खो गया था.
सलोनी अपने नरम मुलायम हाथों से जैसे ही लंड को थामती है लंड के झटके और भी तेज़ हो जाते है.
"देखो तोह कैसे फड़फड़ा रहा है. लगता है इसके पर कतरने ही पडेंगे वर्ना यह तोह दिन पर दिन बदमाश होता जा रहा है" सलोनी लंड को अपने हाथों से कोमलता से सहलाती कहती है. लंड उसके हाथों में पहुंचते ही और भी भयंकर रूप धारण करते जा रहा था. राहुल किसी तरह अपनी भारी साँसों को नियंतरण में करने की कोशिश कर रहा था. लेकिन उसकी सभी कोशिशें बेकार हो जाती हैं जब सलोनी धीरे से लंड पर अपने सुलगते होंठ रख देती है.
"उन्ह हुनः.........." सलोनी के तपते होंठ अपने सुपडे पर महसूस करते ही राहुल के मुंह से सिसकि निकल जाती है. वो अपने हाथों से कुरसी के हत्थों को कस्स कर पकड़ लेता है. उसके हाथ हरकत में आने के लिए बेताब हो रहे थे.
"उम हुम्............." होंठो में सुपडा दबाये जैसे ही सलोनी उस पर अपनी जीव्हा फेरती है, राहुल के होंठो से लम्बी सिसकि फूटती है. वो कितना भी चाहता खुद को सिस्कने से रोक नहीं सकता था. सलोनी के होंठ लंड पर आगे पीछे होने लगते है. वो लंड के सुपडे को रगड़ती उसे अपने मुख के गिलेपन में गर्माहट देती चूस, चाट रही थी. राहुल कुरसी के हत्थों को और भी कस कर पकड़ लेता है. उसे अपने कुल्हे कुरसी की सतह पर दबाकर रखने पड़ रहे थे. उसे डर था के कहीं वो अपनी मम्मी के मुंह में अपना लंड न पेल दे. चाहे कुछ भी हो जाये जब तक वो माफी नहीं मांगती राहुल उसका साथ देणे वाला नहीं था. मगर सलोनी को जैसे कोई परवाह ही नहीं थी. वो तेज़ी से लंड पर मुंह चलाती उसे आगे पीछे कर रही थी. कभी वो लंड को मुंह से निकाल उस पर अपनी जीव्हा रगडने लगती कभी सुपाडे के छेद को अपनी जीव्हा की नोंक से कुरेदती. एक हाथ से बेटे के टट्टे सहलाती वो लंड को फिर से मुंह में भर लेती है और गहरायी तक उसे चुस्ने लगती है. राहुल बिना हिले डुले अपनी मम्मी के मुंह को चोद रहा था. उसने अपना पूरा जिस्म अकड़ाया हुआ था खुद को रोकने की कोशिश में फिर भी वो असफ़ल होता जा रहा था. हर पल उसके मुंह से सिसकियाँ फूट रही थी
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