07-19-2019, 01:01 PM,
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sexstories
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RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
अब ज़रा चलते हैं उस वक़्त जब सुनील रूबी के कमरे से बाहर निकल गया था और अंदर रह गयी थी सुमन, सोनल और सविता ….रूबी के पास.
रूबी के बहते हुए आँसुओं का सुमन ने कोई और मतलब निकाला.
सुमन उसके माथे को चूमते हुए बोली ‘ना बेटी रोते नही …..सब ठीक हो जाएगा….हम सब हैं ना तेरे साथ और हमसे ज़यादा तो जान छिड़कने वाला भाई है तेरे पास…..तू तो बहुत बहादुर है मेरी बच्ची जो उस शैतान के चुंगल से निकल भागी…..बस अब नही रोना …नही तो हम सब को तकलीफ़ होगी ….और हमसे ज़यादा तेरे भी को अगर उसने तुझे रोते हुए देख लिया.’
रूबी कैसे बताती कि आँसू क्यूँ निकल रहे हैं.
सोनल : गुड़िया बस …..भूल जा रमण को ….एक गंदा इतिहास समझ कर….नये सिरे से शुरू कर अपनी जिंदगी….हम सब तेरे साथ ही तो हैं……सोनल ने उसे अपने गले लगा लिया.
बिल्लख पड़ी रूबी …….’दीदी मैं बर्बाद हो गयी…कहीं की नही रही….’
सविता : बस मेरी बच्ची बस ……कुछ नही होगा तुझे ….देख तेरा भाई तेरे लिए बहुत अच्छा लड़का ढूंढेगा ….सारी जिंदगी खुश रहेगी तू…….और अभी बेटी अपने करियर पे ध्यान दे…..अभी तुझे अपनी डिग्री पूरी करनी है….एक अच्छा डॉक्टर बनना है.
सविता प्यार से उसके सर पे हाथ फेर रही थी.
सुमन : बस तुझे हमारी कसम…..अब नही रोना….
सुबक्ती हुई रूबी सोनल के साथ कस के चिपक गयी.
सोनल ……बस यार अब आराम कर ……..और सोनल को लिटा देती है बिस्तर पे…….मैं उन्हें देख के आती हूँ …कहाँ चले गये….
बॉम्ब तो फट गया था….पर रूबी अपने ख़यालों में थी जो समझ ना पाई कि
सोनल…….सुनील को किस तरहा अड्रेस कर रही है.
सुमन ने चैन की सांस ली. और रूबी के सर पे प्यार से हाथ फेरती रही. सवी को वो चुंबन याद आ रहा था जो आज सुनील ने उस किया था…..दिल में फिर से उमंगे जाग पड़ी थी……कुछ पल वो सुनील के बारे में सोचती और कुछ पल रूबी के बारे में…..लेकिन फिर उसने सुनील के बारे में ही सोचना शुरू कर दिया….क्यूंकी वो जानती थी….सुनील उसकी बेटी के लिए कुछ भी कर जाएगा.
कुछ देर बाद सोनल आई और सुमन को साथ ले चली….दोनो ने जाते वक़्त रूबी के माथे पे किस किया और सुबह आने का बोल बाहर निकल पड़ी.
सविता भी कुछ देर के लिए रूबी के साथ लेट गयी और उसे सुलने की कोशिश करने लगी.
यहाँ जयंत अपने कमरे में सो रहा था इस बात से बेख़बर की कमल कमरे से बाहर चला गया था वो भी रात के 12 बजे.
करीब 2 घंटे बाद कमल लोटा …..उसके बाल बिखरे हुए थे…चेहरे पे खरॉच के निशान थे…उसने कुछ पल जयंत को देखा और फिर अपने बिस्तर पे लेट सो गया.
यहाँ घर में तीनो पासे बदल रहे थे नींद किसी को नही आ रही थी ……….दोनो ही सुनील को परेशान नही देख सती थी. शायद दोनो के दिल एक ही बात बोल रहे थे सोनल और
सूमी एक साथ उठी और अपने नाइट गाउन का टॉप उतार फेंका …….सुनील का मुँह इस वक़्त सोनल की तरफ था……
सोनल उसके साथ ऐसे चिपकी के सुनील का मुँह बिल्कुल उसके निपल से सट गया और सुमन पीछे से उसकी पीठ से चिपक अपने उरोज़ उसकी पीठ से रगड़ते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगी
सुनील के होंठ अपने आप खुल गये और वो सोनल के निपल को चूसने लग गया.
अहह सोनल सिसकी …….पी जाओ मुझे जान और सकूँ दो अपने आप को…..ताकि आप को नींद आ जाए.
‘सो जाओ जाने मन’ सुमन उसकी गर्देन को चाटते हुए बोली.
सोनल के निपल को चूसते चूस्ते सुनील वाक़्य में सो गया ……..और सोनल….सूमी भी उसके साथ चिपकी हुई सो गयी.
रूबी को नींद नही आ रही थी पर सविता सो जाए इस लिए उसने अपनी आँखें बंद कर ली ताकि सविता को यही लगे की वो सो चुकी है…कुछ देर बाद सविता दूसरे बिस्तर पे जा के सो गयी ….रूबी के दिमाग़ में रमण और सुनील का कंपॅरिज़न चलने लगा …….सागा भाई उसका शोसन करता रहा और ये कज़िन हर पल तयार रहता था की उसे कोई दुख ना पहुँचे किसी भी तरहा का….ये जानते हुए भी की उसका और रमण का क्या रिश्ता बन चुका था सुनील ने कभी उन निगाहों से उसे नही देखा था…..उसकी आँखों में बस एक भाई का प्यार ही झलकता था….और ये कंपॅरिज़न ही रूबी के दिल में सुनील को उस जगह पे ले गया था …जो जगह कोई भी लड़की अपने प्रेमी को ही देती है ……कितनी आसानी से रमण ने लिख दिया था कि वो किसी एक लड़की के साथ बँध के नही रह सकता था……कैसे उसने गाँव में दोनो नर्सस को चोदा था…. वो तो सरपंच की लड़की उसके पीछे पड़ गयी थी ….शादी के लिए तभी वो वहाँ से भाग खड़ा हुआ था……और वापस मुंबई आ गया….हरामज़ादा …….उसके मुँह से निकल पड़ा और एक ठंडी सांस ले वो सोने की कोशिश करने लगी.
अगले दिन सुबह सोनल जल्दी उठ गयी ……सुनील और सुमन अभी सो रहे थे….वो चुप चाप बाथरूम गयी फ्रेश हो कर आई …अपने लिए कॉफी बना के वहीं उनके पास बेड रूम में बैठ गयी और धीरे धीरे कॉफी पीने लगी…तभी उसकी नज़र उस लेटर पे पड़ी जो सुनील ने गुस्से में फेंक दिया था और सुमन भी ना पढ़ पाई क्यूंकी तभी सवी की कॉल आ गयी थी.
उसने वो लेटर उठा लिया और पढ़ने लगी….
डियर रूबी,
सॉरी, माफ़ करना,,,,,काश मैं भी सुनील की तरहा बन पाता…. पर इतने सालों से जो सेक्स की आदत पड़ चुकी है वो मुझ में काफ़ी बदलाव ले आई है…मैं कभी किसी एक लड़की के साथ बँध के नही रह पाउन्गा.
बरसों से मेरे दिल में तमन्ना थी सोनल को चोदने की … आज भी है….काश ऐसा कोई मोका मिल जाए…..उस दिन तुम्हें चोद्ते वक़्त मेरे मुँह से सोनल का नाम निकल गया क्यूंकी कल्पना में सोनल की ही कर रहा था………खैर……..जब सुनील मुझे मिला था उसने मुझे 3 साल का वक़्त दिया था ….ये परखने के लिए की मैं वाक़ई में तुम्हें कितना प्यार करता हूँ…..ये मेरे लिए एक इम्तिहान था खुद को अच्छी तरहा पहचानने के लिए……………
सोनल की आँखें फट गयी ये सब पढ़ ….उसका दिल कर रहा था….कि अभी रमण उसके सामने हो और वो उसका खून पी जाए ……अपने पे काबू रख उसने आगे पढ़ना शुरू किया…
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