08-12-2019, 12:48 PM,
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RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
शाज़िया अपने जिस्म को देख कर फख्र महसूस कर रही थी.कि 30 साल तलाक़ याफ़्ता होते हुए उस की फिगर बहुत मस्त और कसी हुई थी.
अपनी मिड्ल एज में आ कर भी वो बिल्कुल नही बदली बल्कि अब तो उस का बदन पहले से भी ज़्यादा निखर कर और पूर्कश हो गया था.
शाज़िया ने आईने के सामने खड़े खड़े अपने चूचों के गुलाबी दानो पर नज़र दौड़ाई.
फिर वो अपने हाथों से अपने दोनो चूचों को पकड़ कर अपने हाथ से सहलाने लगी.
अपने हाथ अपने चूचों पर लगते ही शाज़िया की चूत और ज़्यादा गरम होने लगी.
शाज़िया ने अपने हाथों से चूचों को सहलाते हुए अपनी उंगलियों से अपने दोनों चूचों के गुलाबी दाने पकड़ लिए और उन्हे अपनी उंगलियों के दरमियाँ में ले कर दबाने लगी, "आहह अपने चूचों के निपल्स पर दबाव पड़ते ही शाज़िया के मुँह से सिसकी निकल गई".
कुछ देर तक मज़े से अपनी आँखें बंद कर के अपने चूचों को सहलाने के बाद अपनी शाज़िया ने अपनी आँखें खोलते हुए अपनी छातियों से अपने हाथ हटा दिए.दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं
शाज़िया अब शीशे में अपनी चूत को देखने लगी. क्यों कि शाज़िया ने कुछ दिन पहले अपनी चूत के बाल हेर रिमूव लगा कर सॉफ किए थे. इस लिए अब उस की चूत पर हल्के हल्के बाल उग आए थे.
जब खड़े खड़े शाज़िया की टाँगों में दर्द होने लगा तो वो शीशे के सामने पड़े एक स्टूल पर बैठ गई.
शाज़िया ने स्टूल पर बैठे हुए अपनी टाँगें फेला दीं और सामने लगे शीशे में अपने आप को देखने लगी.
उस ने देखा कि उस के बाकी जिस्म की तरह उस की चूत भी साँवली है .
उस की चूत के उपर एक दाना है जब कि उस की चूत के मोटे मोटे होंठ आपस में एक दूसरे से बिल्कुल जुड़े हुए हैं.
शाज़िया ने अपनी चूत को इस से पहले भी कई दफ़ा देखा था. मगर इतनी गौर से आज पहली दफ़ा अपनी फुद्दि का जायज़ा ले रही थी.
शाज़िया अपना हाथ अपनी चूत के दाने पर रख कर उसे सहलाने लगी, "आहह ष्ह्ह्ह” चूत के दाने को छूते ही शाज़िया का पूरा जिस्म काँप उठा और उस की चूत में से ज़ियादा पानी निकलने लगा.
शाज़िया अब अपना हाथ नीचे करते हुए अपनी चूत के होंठो पर फिराने लगी .... और अपने दोनों हाथों से अपनी चूत के होंठो को अलग करते हुए आईने में देखने लगी, उसे अपनी चूत के होंठो के बीच में सिर्फ़ लाल रंग नज़र आने लगा ...!
शाज़िया ने अपनी चूत के होंठो को छोड़ते हुए अपने एक हाथ से अपनी चूत के दाने को सहलाते हुए दूसरे हाथ की उंगली से अपनी चूत के छेड़ को कुरेदने लगी, ऐसा करते हुए शाज़िया को बहुत मज़ा आ रहा था ....!
जिस वक्त शाज़िया अपने कमरे में लेट कर अपनी चूत में उंगली कर रही थी. उसी वक्त कमरे से बाहर उस की अम्मी रज़िया बीबी अपने कमरे से निकल कर बाथरूम की तरफ गई.
बाथरूम से वापसी के वक्त जब रज़िया बीबी अपनी बेटी के कमरे के पास से गुज़री तो उस के कानों में शाज़िया की सिसकारी पड़ी जिन को सुन कर रज़िया बीबी के कदम अंदर ही थम गये.
अपनी बेटी की लज़्ज़त भरी सिसकारियाँ सुन कर रज़िया बीबी को यकीन हो गया कि आज फिर उस की बेटी अपनी उंगली से अपनी गरम चूत को ठंडा करने की कॉसिश में है.
रज़िया बीबी थोड़ी देर अपनी बेटी की आवाज़े सुनती रही और फिर जब कमरे से आवाज़ आनी बंद हुई तो उसे पता चल गया कि शाज़िया उंगली मार कर फारिग हो चुकी है.
इस लिए अब रज़िया बीबी भी अपने कमरे में चली आई और आ कर सो गई. आज सोने से पहले रज़िया बीबी ने अपने दिल में यह फ़ैसला कर लिया था कि वो सुबह अपनी बेटी से बात करे गी. कि वो कब तक ऐसे घुट घुट कर अपनी जवानी को ज़ाया करती रहेगी.इस लिए बेहतर हो गा कि वो दुबारा शादी कर ले.
रात बार की थकि मांदी शाज़िया अगली सुबह हस्बे मामूल देर से उठी.
तो उस के पास इतना भी टाइम नही था कि वो सकून से नाश्ता भी कर सके.
शाज़िया ने जल्दी से हाथ मुँह धो कर अपने स्कूल जाने की तैयारी की और चाइ के एक दो घूँट जल्दी से भर कर बाहर खड़ी अपनी स्कूल वॅन में जा बैठी.
ज्यों ही वॅन जब नीलोफर के घर पहुँची तो नीलोफर की रात वाली फोटोस को याद कर के शाज़िया की हिम्मत नही हो रही थी कि वो अपनी दोस्त का सामना कर पाए. मगर जब नीलोफर वॅन में आ कर शाज़िया के साथ बैठी तो उस ने ऐसे ज़ाहिर किया कि जैसे कोई बात हुई ही ना हो.
नीलोफर का रवईया देख कर शाज़िया की हालत संभली.
फिर स्कूल में सारा दिन दोनो के दरमियाँ रात वाले वकीये पर कोई बात ना हुई. जिस की वजह से शाज़िया पुरसकून हो गई.
स्कूल से वापसी पर घर जाते वक्त बारिश स्टार्ट हो गई. तो नीलोफर और शाज़िया के कपड़े वॅन में बैठे बैठे भीग गये.
आज नीलोफर के सास और सुसर अपनी एक बेटी को मिलने उस के घर गुजरात गये हुए थे . जिस की वजह से नीलोफर अपने घर में शाम तक अकेली थी.दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे हैं
वॅन में बैठ कर नीलोफर ने शाज़िया को कहा” यार आज मेरे सास सुसर घर नही क्यों ना तुम आज सीधा घर जाने की बजाय थोड़ी देर मेरे पास ही रुक जाओ, हम मिल कर गरमा गरम चाइ पिएँगे और साथ पकौड़े खाएँगे”
शाज़िया: यार आज नही फिर कभी.
“यह बात तो तुम हर दफ़ा कहती हो, लगता है तुम्हें हम ग़रीबों के घर आना पसंद नही.नीलोफर ने थोड़ा हल्के गुस्से के अंदाज़ में जवाब दिया.
शाज़िया: यार यह बात नही असल में अम्मी को नही बताया ना.इस लिए वो फ़िकरमंद हों गीं.
नीलोफर: तो इस में क्या मसला है मेरे घर पहुँच कर अम्मी को फोन पर बता देना कि तुम मेरे घर हो. और फिर एक दो घंटे बाद रिक्शे से घर चली जाना.
शाज़िया का दिल तो नही चाह रहा था. मगर नीलोफर की ज़िद के आगे हर मानते हुए वो रज़ामंद हो गई.
नीलोफर के घर की गली तंग होने की वजह से वॅन वाले ने उन को सड़क पर ही उतारा . जिस की वजह से उन दोनो को सड़क से घर तक पैदल चल कर जाना पड़ा.
उस वक्त चूँकि मुसला धार बारिस हो रही थी. इस लिए नीलोफर के घर तक आते आते नीलोफर और शाज़िया दोनो बारिश में अच्छी ख़ासी भीग गईं.
घर पहुँच कर शाज़िया ने सब से पहले अपनी अम्मी को फोन पर बता दिया कि वो अपनी दोस्त नीलोफर के घर रुक गई है और शाम तक वापिस अपने घर पहुँच जाय गी.
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08-12-2019, 12:49 PM,
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RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
ज्यों ही शाज़िया फोन से फारिग हुई तो उस ने देखा कि नीलोफर कमरे में उस के सामने ही अपने गीले कपड़े उतार कर दूसरे कपड़े पहनने लगी है.
शाज़िया को यूँ अपने सामने ही नीलोफर को अपने कपड़े उतारते देख कर बहुत शरम महसूस हुई और वो बोली ”यार तुम अंदर अपने बाथरूम में जा कर कपड़े पहन लो ना.”
निलफोर शाज़िया की बात सुन कर मुस्कुराइ और बोली “ यार इधर तुम्हारे इलावा कौन सा मर्द है और फिर जो कुछ मेरे पास है वो ही सब तुम्हारे पास है तो फिर तुम से शरम कैसी.”
शाज़िया ने जब देखा कि नीलोफर तो बिना किसी शरम-ओ-हया के उस के सामने ही अपने कपड़े उतारने पर तूल गई है. तो उस ने नीलोफर की तरफ से ध्यान हटा कर अपनी नज़रें अपने मोबाइल फोन पर जमा कर उसे देखने लगी.
चाँद लम्हो बाद नीलोफर कपड़े चेंज कर के फारिग हुई. तो उस ने शाज़िया को अपनी अलमारी से अपना एक सूट निकाल कर दिया.
नीलोफर: यार तुम्हारे कपड़े भी काफ़ी भीग चुके हैं इस लिए तुम मेरा यह सूट पहन लो.
शाज़िया: नही यार में ठीक हूँ.
नीलोफर: खाक ठीक हो. पागल मत बनो और यह कपड़े चेंज कर लो.
शाज़िया: कोई बात नही यार वैसे भी में तुम्हारे मुकाबले में मोटी हूँ इस लिए मुझे तुम्हारे कपड़े शायद नही पूरे आएँगे.
“अच्छा यूँ करो कि यह तोलिया ले कर इसे लपेट लो और अपने गीले कपड़ों को ईसतरी से सूखा लो” नीलोफर ने जब देखा कि शाज़िया उस के कपड़े पहनने पर राज़ी नही तो उस ने एक बड़ा सा टॉवल शाज़िया की तरफ बढ़ाते हुए कहा.
शाज़िया को तोलिया दे कर नीलोफर चाय और पकौड़े बनाने किचन में चली गई.
जब कि शाज़िया ने कमरे का दरवाज़ा बंद किया और अपने कपड़े उतार कर नीलोफर का दिया हुआ तोलिया अपने जिस्म के गिर्द लपेट लिया.
शाज़िया ने कमरे में इधर उधर नज़र दौड़ाई तो उसे एक कोने में ईसतरी का टेबल नज़र आया. तो वो अपने कपड़े उठा कर उधर चली गई और अपने गीले कपड़ो को गरम ईसतरी से सुखाने की कोशिश करने लगी.
अभी शाज़िया को अपने कपड़े ईसतरी करते थोड़ी ही देर गुज़री तो उसे यूँ अहसास हुआ कि कोई कमरे में उस के पीछे खड़ा उसे देख रहा है.
उस ने फॉरन पीछे मूड कर देखा तो उस ने नीलोफर को पीछे से अपने जिस्म का बगौर जायज़ा लेते हुए पाया.
शाज़िया ने जब नीलोफर को इस तरह अपने जिस्म को देखते हुए पाया तो उसे नीलोफर के सामने यूँ एक तोलिए में लिपटे नंगे बदन हालत में खड़ा होने में थोड़ी शरम महसूस होने लगी.
शाज़िया: यार तुम ज़रा बाहर जाओ में अभी कपड़े पहन लूँ फिर आना प्लीज़.
नीलोफर शाज़िया की बात सुन कर हंस पड़ी.
शाज़िया: तुम हंस क्यों रही हो.
नीलोफर: अरे यार में भी तो तुम्हारी तरह एक औरत ही हूँ इस लिए मुझ से क्या शरमाना तुम बिना झिझक मेरे सामने ही चेंज कर लो.
शाज़िया: हां वो तो ठीक है मगर मुझे बहुत शरम आ रही है.
नीलोफर बाहर जाने की बजाय उधर ही खड़ी शाज़िया को बहुत गौर से देखती रही. शाज़िया को नीलोफर के यूँ इस तरह टक टॅकी बाँध कर देखने पर भी बहुत हैरत हुई.
"ऐसे क्या देख रही हो.” शाज़िया ने नीलोफर से सवाल किया.
“ यार आज पहली बार तुम्हें इस तरह देख कर मुझे यह अंदाज़ा हुआ है कि तुम्हारा जिस्म तो बहुत खूबसूरत है. काश में लड़की की बजाय अगर लड़का होती तो सच पूछो तो तुम्हारा यह गुदाज बदन सारा खा जाती.” नीलोफर ने हँसते हुए कहा.
“यह तुम किस किस्म की बाते करने लगी हो नीलोफर” शाज़िया को अपनी दोस्त की बात सुन कर शरम तो आइए. मगर एक औरत के मुँह से अपनी तारीफ सुन कर ना जाने क्यों उसे अच्छा भी लगा.
“ में सही कह रही हूँ शाज़िया तुम मेरी तमाम सहेलियों में सब से खोब्सूरत सहेली हो” नीलोफर ने अपने हाथ में पकड़ी चाय और पकोड़ो की ट्राइ को कमरे के टेबल पर रखते हुए कहा.
“अच्छा मुझे अब बानू मत तुम खुद भी किसी से कम नही. तुम्हारा शोहर बहुत ही किस्मत वाला है जिसे इतनी प्यारी बीवी मिली है” शाज़िया ने बेड की साइड टेबल पर पड़ी नीलोफर और उस के शोहर की फोटो देखते हुए कहा.
“क्या फ़ायदा इस खोबसूरती और जवानी का यार जब शोहर ही पास ना हो” नीलोफर भी अपनी तारीफ सुन कर मुस्कुराइ और शाज़िया के नज़दीक होते हुए बोली.
“नीलोफर तुम फिर भी खुशकिस्मत हो कि साल बाद ही सही मगर अपने शोहर का प्यार तो फिर भी तुम को हासिल हो जाता है,जब कि अपने शोहर से तलाक़ के बाद में तो अकेली रह गई हूँ” शाज़िया ने अफ़सोस भरे लहजे में नीलोफर से कहा.
नीलोफर इतनी देर में शाज़िया के बिल्कुल करीब आन पहुँची थी.
शाज़िया के करीब होते हुए नीलोफर ने कहा “ शाज़िया में और तुम अब बहुत अच्छी सहलियाँ बन चुकी हैं. इस लिए में आज तुम को अपनी एक बहुत ही राज़ की बात बताने जा रही हूँ मगर उस से पहले क्या में तुम से एक ज़ाति सवाल पूछ सकती हूँ”?.
शाज़िया: पूछ लो यार.
नीलोफर: क्या अपनी तलाक़ के बाद तुम्हारा कभी सेक्स करने को दिल नही किया? क्या कभी तुम्हारे दिल ने तुम से नही कहा कि काश कोई होता जो तुम से प्यार करता, तुम को किस करता, तुम्हारे जिस्म को दबाता और फिर तुम को चोद देता. क्या तेरा दिल नही करता कि कोई तुम को चोदे?"
नीलोफर मुझे समझ नही आ रही कि आज तुम को क्या हो गया है. आज से पहले तुम ने ऐसी बातें कभी भी नही की." नीलोफर के सवाल पर शाज़िया हक्का बक्का हो गई.
"शाज़िया बच्ची ना बनो प्लीज़ मेरे सवाल का जवाब दो. हो सकता है में तुम्हारी कुछ मदद कर सकूँ” नीलोफर ने शाज़िया की बात को नज़र अंदाज़ करते हुए अपनी बात पर इसरार किया.
" क्यों नही होता. में जवान हूँ और तुम खुद खूब अच्छी तरह जानती हो कि शादी के बाद सेक्स हर औरत की ज़रूरत बन जाता है, अब जब कि मेरा शोहर नही है तो में कई दफ़ा नहाते वक्त अपने नंगे जिस्म से छेड़ छाड़ करती हूँ." शाज़िया ने एक ठंडी साँस ली और अपने दिल का हाल अपनी दोस्त के सामने खोल कर रख दिया.
अपनी बात ख़तम करने के बाद शाज़िया एक लम्हे के लिए खामोश हुई और फिर नीलोफर की तरफ देखते हुए पूछा “ तुम कैसे अपने शोहर के बगैर पूरा एक साल सबर से गुज़ार लेती हो नीलोफर”?
“सबर, मेरी प्यारी बनो, तुम्हारा क्या ख्याल है कि तुम्हारी सहेली ने इतना सबर किया हो गा"यह कहते हुए नीलोफर ने शाज़िया को अपनी बाहों के घेरे में ले लिया.
“क्या” नीलोफर की बात सुन कर शाज़िया का मुँह हैरत से खुल गया.
"हां यार तुम्हारी जानकारी के लिए अर्ज़ है कि तुम्हारी दोस्त अपने शोहर की गैर मौजूदगी में एक दफ़ा नही बल्कि कई बार अपनी चूत और गान्ड चुदवा चुकी है और सिर्फ़ किसी एक से नही बल्कि दो मुक्तिलफ मर्दों से, क्या समझी." यह कहते हुए नीलोफर ने पास ही रखे हुए रिमोट की मदद से कमरे के दूसरे कोने में पड़े टीवी और डीवीडी को ऑन कर दिया.
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08-12-2019, 12:50 PM,
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RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
ज़ाहिद को शाज़िया के साथ सोफे पर बैठे एक मिनट ही गुज़रा कि उन की अम्मी ने किचन से शाज़िया को पुकारा.
अम्मी की आवाज़ सुन कर शाज़िया अपनी अम्मी की बात सुन उन के पीछे पीछे ही किचन की तरफ चल पड़ी.
शाज़िया ने आज सफेद कमीज़ और हल्की ब्लू कलर की पटियाला स्टाइल की शलवार पहनी हुई थी.
उस की कमीज़ तंग और छोटी होने की वजह से शाज़िया की गान्ड को पूरी तरह कवर नही करती थी. जब कि शाज़िया की पटियाला शलवार का घेर होने का बावजूद शाज़िया की नर्म और भारी गान्ड के खूबसूरत कूल्हो को छुपाने से असमर्थ थी
ज़ाहिद की नज़रें पीछे से अपनी बेहन के बड़े बड़े कूल्हों पर जम गईं और वो बैठा अपनी बहन के जिस्म का जायज़ा लेने लगा.
शाज़िया के खूबसूरत कूल्हे ,उस पर पतली सी कमर और दोनो तरफ लटके नाज़ुक नाज़ुक गोरे गोरे हाथ जिस पर नाज़ुक नाज़ुक से ब्रॅसलेट. जिन की झंकार शाज़िया के कूल्हों की हर ताल से ताल मिलाती थी.
ज़ाहिद ने महसूस किया कि चलते चलते उस की बेहन ने जैसे अपने कूल्हे और भी थोड़ा हिलाना शुरू कर दिए हों.
एक अदा से चलने की वजह से शाज़िया के कूल्हे मज़ीद थिरक उठते थे. शाज़िया यह नही जानती थी कि आज यूँ अपने भारी कूल्हे थिरकाने से उस के सगे भाई के दिल का सुकून बर्बाद होने लगा था.
अपनी बेहन की मस्त गान्ड का यह नज़ारा देख कर ज़ाहिद की आँखें फटी रह गई.
बेहन की मस्त गान्ड पर अपनी नज़रें गाढ़े ज़ाहिद के दिमाग़ में दिलेर मेहंदी का यह गाना खुद ब खुद गूंजने लगा.
“शाडे दिल ते चन्गि चलिया
ते रह गे असेन लंड फाड़ के
जादू “बेहन” ने
मूर वांगू पेलान पायाँ”
ज़ाहिद अपनी ज़िंदगी में कई औरतों की गान्ड को चोद चुका था. लेकिन उस ने आज तक इतनी सेक्सी और जबर्जस्त गान्ड किसी भी औरत की नही देखी थी.
ज़ाहिद बेहन की मटकती हुई गान्ड को देख कर दिल ही दिल में सोचने लगा कि अगर उसे अपनी बेहन की गान्ड चोदने को मिल जाय.तो वो तो ज़िंदगी भर उस की गान्ड ही मारता रहे.
मगर ज़ाहिद यह जानता था. कि इस की यह ख्वाहिश पूरी होना अगर ना मुमकिन नही तो बहुत ही मुश्किल ज़रूर है. और अपनी इस ख्वाइश को पूरा होने में कितना अरसा लगे गा यह वो नही जानता था.
इस लिए ज़ाहिद ने शाजिया के किचन में जाने के बाद पास पड़े हुए सोफे के कशन को अपनी गोद में रखा और अपनी पॅंट की पॉकेट में हाथ डाल कर अपने खड़े लंड को मसल कर कहने लगा “ बैठ जा बेहन चोद क्यों मरवाएगा मुझे”
थोड़ी देर बाद ज़ाहिद की अम्मी उस के लिए पानी का ग्लास ले आई और बेटे हो पानी दे कर उस के पास ही सोफे पर बैठ गईं.
कुछ देर के बाद शाज़िया किचन से खाने के बर्तन और सालन वग़ैरह लाई तो तीनो माँ बेटा बेटी ने काफ़ी अरसे बाद इकट्ठे एक साथ बैठ कर खाना खाया.
खाने से फारिग होते ही शाज़िया किचन में जा कर बर्तन धोने में मसरूफ़ हुई. तो रज़िया बीबी ने अपने से शाज़िया की दुबारा शादी की बात करने का सोचा.
रज़िया बीबी: ज़ाहिद बेटा मेरा दिल है कि शाज़िया की दुबारा शादी कर दूं.
“चाहता तो में भी यह ही हूँ,मगर आप ने शाज़िया से उस की रज़ा मंदी पूछी है” ज़ाहिद ने अम्मी को कहा.
ज़ाहिद ने यह बात कहने को कह तो दी मगर अंदर से उस का दिल हरगिज़ हरगिज़ यह नही चाह रहा था कि उस की बेहन शादी कर के उस की आँखों से ओझल हो जाय.
क्योंकि अगर अभी तक जमशेद की तरह अपनी बेहन से अपने जिन्सी ताल्लुक़ात कायम करने की हिम्मद नही पेदा कर पाया था. मगर इस के बावजूद अब उस को अपनी भोकी नज़रों से अपनी ही सग़ी बेहन के मोटे बदन को टटोलने में मज़ा आने लगा था.
रज़िया बीबी: बेटा में चाहती हूँ कि पहले तुम से बात कर लूं, तुम अब शादी की हां कर दो ता कि में किसी रिश्ते वाली से कह कर तुम्हारा और तुम्हारी बेहन का रिश्ता तलाश कर के दोनो काम इकट्ठे निपटा दूँ.
“अम्मी आप मेरी फिकर मत करिए आप शाज़िया के बारे में पहले सोचें” ज़ाहिद अपनी अम्मी की बात सुन कर जवाब दिया.
अभी दोनो मा बेटे में यह बात चीत जारी थी. कि इतनी देर में शाज़िया किचन से फारिग हो कर टीवी लाउन्ज में दाखिल हुई .तो उस ने अपनी अम्मी और भाई के दरमियाँ होने वाली बात चीत का आखरी हिस्सा सुन लिया.
आज से पहले अपनी जिस्मानी प्यास के हाथो बे चैन होने के बावजूद शाज़िया अक्सर यह सोचती थी. कि किसी बूढ़े आदमी से शादी कर के उस के ढीले लंड को अपनी फुद्दि में लेने से बेहतर है कि इंसान अपनी उंगली से ही अपने आप को ठंडा कर ले.
और आज नीलोफर के हाथो और ज़ुबान से अपनी प्यासी फुददी की प्यास बुझवा कर शाज़िया के दिल में लंड की बेचैनि मज़ीब बढ़ तो गई थी. लेकिन इस के साथ साथ नीलोफर ने शाज़िया को आज यह भी समझा दिया था. कि औरत के जिस्म की प्यास बुझाने के लिए मर्द का साथ ज़रूरी तो है मगर लाज़मी नही.
इसी बात को ज़हन में रखते हुए शाज़िया अपनी इस बात पर अब पहले से ज़्यादा कायम हो गई थी. के जब टुक उस को अपनी मर्ज़ी का कोई मुनासाब जवान रिश्ता नही मिलता. वो दुबारा शादी करने में जलद बाज़ी नही कार्य गी.
क्योंकि स्याने कहते हैं ना के “कोजे ऱोणे नालून चुप चांगी”.
(बुरा रोने से खामोशी अच्छी है)
रज़िया बीबी ने जब अपनी बेटी को कमरे में आते देखा तो बोली “ शाज़िया बेटा आओ बैठो हम दोनो तुम्हारे बारे में ही बात कर रहे थे”
शाज़िया ज्यों ही कमरे में घुसी तो ज़ाहिद का मोबाइल फोन पर उस के पोलीस स्टेशन से एक साथी पोलीस वाले की कॉल आ गई. जिस को सुनने ज़ाहिद उठ कर अपने कमरे की तरफ चला गया.
“मेरे बारे में क्या बात हो रही थी अम्मी” भाई के जाने के बाद शाज़िया ने अपनी अम्मी के सामने पड़े सोफे पर बैठते हुए पूछा.
रज़िया बीबी: बेटी मेरी ख्वाहिश है कि मेरे मरने से पहले तुम अपना घर दुबारा बसा लो.
शाज़िया:अम्मी खुदा आप का साया हम पर सलामत रखे,आप क्यों ऐसी बात करती हैं.
रज़िया बीबी: बेटा वक्त का क्या भरोसा,इस लिए में चाहती हूँ कि तुम दोनो बेहन भाई की शादी कर के में अपना फर्ज़ निभा दूं,मगर मुझे अफ़सोस है कि ना तुम्हारा भाई शादी पर तैयार होता है और ना तुम.
अम्मी भाई का तो मुझे पता नही मगर में आप को यह बात पहले भी बता चुकी हूँ कि मुझे किसी दूसरी शादी के ख्वाहिश मंद बाबा से हरगिज़ हरगिज़ शादी नही करनी” शाज़िया ने इनडाइरेक्ट अपनी अम्मी को यह बात कह दी कि वो अब शादी करे गी तो किसी जवान मर्द के ही साथ ही करे गी.
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08-12-2019, 12:51 PM,
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RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
तो मज़े की शिद्दत से बे काबू होते हुए नीलोफर के मुँह से बे इख्तियार यह अल्फ़ाज़ निकल पड़े .
इस मज़े को पा कर नीलोफर तो दुनिया को भूल गई. और नीलोफर मस्ती में आते हुए अपने भाई के सर को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी.
जमशेद लपर-लपर अपनी बेहन की चूत को चाटने में मसरूफ़ था.कि इतने में पास रखे नीलोफर के मोबाइल फोन की बेल बज उठी.
मज़े की शिद्दत में बेहाल नीलोफर को फोन की बजती बेल बहुत ही नागवार गुज़री और उस ने अपने फोन को नही उठाया.
थोड़ी देर जवाब ना मिलने पर फोन करने वाले ने फोन काट दिया तो नीलोफर ने सकून का सांस लिया.
जमशेद अभी तक अपनी बेहन की फुद्दि को खाने में मसरूफ़ था.वो दीवाना वार अपनी ज़ुबान को बेहन की चूत के अंदर तक पेल कर चाट रहा था. और अपनी बेहन की चूत से निकलने वाले रस को भी चाट चाट कर ख़ाता जा रहा था.
दोनो बेहन भाई अपनी अपनी मस्ती के जोबन पर थे. कि नीलोफर के मोबाइल फोन की बेल दुबारा बज उठी.
नीलोफर ने झुंझला कर पास पड़े फोन को उठा कर देखा.
“बाजी कौन है जो बार बार फोन किए जा रहा है” जमशेद ने अपनी बेहन की टाँगो के दरमियाँ फँसे अपने सर को उठाते हुए नीलोफर से पूछा.
“तुम्हारे दूल्हा भाई का फोन है मसकॅट से” नीलोफर ने फोन पर नज़र आते नंबर को देखते हुए थोड़े गुस्से में जमशेद को जवाब दिया.
“तो अप फोन सुन ले ना” जमशेद ने कहा.
“नही अभी तुम अपना काम जारी रखो” नीलोफर ने अपने भाई के सर को पर हाथ रख कर उसे अपनी छूट चाटना जारी रखने का कहा.
“आप फोन सुन लें नही तो भाई जान को कहीं कोई शक ना हो जाय”जमशेद ने अपनी बेहन को समझाते हुए कहा.
“अच्छा यार” कहते हुए नीलोफर ने फोन ऑन कर दिया और अपने सर को बिस्तर से उठा कर नीचे अपनी फुद्दि की तरफ देखने लगी.तो वो अपनी जम कर चाटी हुई चूत को देख कर खुश हो गई.
“हेलो” नीलोफर ने फोन ऑन करते हुए बोला.
“कहाँ हो इतनी देर से में फोन किय जा रहा हूँ” नीलोफर के शोहर ने दूसरी तरफ से पूछा.
“घर ही हूँ,असल में अम्मी अब्बू गुजरात गये हुए हैं और में जमशेद भाई के साथ “खेल” रही हूँ, इस लिए आप के फोन का पता नही चला” नीलोफर ने अपनी टाँगो के दरमियाँ खड़े हुए भाई को देखते हुए कहा.
जमशेद अब अपनी बेहन की टाँगों को अपने हाथ में उठा कर उस की चूत पर आहिस्ता आहिस्ता अपना मोटा लंड रगड़ने में मसरूफ़ था.वो भी अपनी बेहन की खेल वाली ज़ू महनी ( द्विअर्थि ) बात पर हल्का सा मुस्करा उठा.
“अच्छा कौन सी गेम खेल रहे हो तुम दोनो बेहन भाई” नीलोफर के शोहर ने नीलोफर से पूछा.
“हम दोनो “ लुडो” खेल रहे हैं.” नीलोफर ने अपने भाई की आँखों में आँखे डालते हुए जवाब दिया.
इतनी देर में जमशेद ने अपनी गान्ड को हल्का सा झटका दिया तो उस का लंड अपना रास्ता बनाता उस की बेहन की गरम फुद्दि में दाखिल हो गया.
और हमेशा की तरह जमशेद का लंबा लंड उस की बेहन नीलोफर की चूत की गहराइयों में पहुँच कर नीलोफर को मज़ा देने लगा.
ज्यों ही जमशेद का लंड उस की बेहन की फुद्दि में घुसा. तो भाई के गरम,सख़्त और जवान लंड को अपने अंदर दाखिल होता हुआ महसूस कर के नीलोफर के मुँह से रोकने के बावजूद एक हल्की सी चीख निकल गई” हाईईइ”
“क्या हुआ” अपनी बीवी की चीख सुन कर नीलोफर के शोहर ने फॉरन पूछा.
“कुछ नही बस वो जमशेद भाई के “साँप” ने मेरी “लुडो” के “दाने” को “काट” लिया है. जिस से में भाई के नीचे आ गई हूँ” नीलोफर ने अपने मुँह से निकलने वाली सिसकारियो को कंट्रोल करते हुए कहा. और साथ ही उस ने जमशेद को एक आँख मार दी.
जमशेद अपनी बेहन की इस बात चीत से बहुत महज़ोज़ हो रहा था. उस ने नीलोफर की फुद्दि में अपना लंड पेलते पेलते आगे बढ़ कर अपनी बहन के जवान सख़्त चूचों को अपने मुँह में भरा और बेहन की चूत को चोदते हुए उस के चूचों को भी चूसने लगा.
“अच्छा जल्दी के साथ जमशेद से बात करवा दो फिर में ने अम्मी अब्बू को गुजरात फोन करना है” नीलोफर के शोहर ने उस कहा.
“भाई यह लो “वो “आप से बात करना चाहते हैं” नीलोफर ने अपने शोहर के अहतिराम में उस का नाम नही पुकारा और अपनी फुद्दि में लंड पेलते हुए अपने भाई को फोन पकड़ा दिया.
(वाकई ही नीलोफर अपने शोहर की दिल से इज़्ज़त करती थी.कि वो आहतरम उस का नाम अपनी ज़ुबान पर कभी नही लाती थी.. मगर अपने शोहर की सब से ज़्यादा संभाल कर रखने वाली इज़्ज़त (चूत) को उस के साले (अपने सगे भाई) के हाथो ही कई दफ़ा लुटवा चुकी थी)
“हेलो” जमशेद ने फोन हाथ में लेते और अपने लंड अपनी बेहन की फुद्दि के अंदर बाहर करते हुए कहा.
“जमशेद यार अपनी बेहन को खुश और उस का ख्याल रखा करो,मुझे नीलोफर से तुम्हारी शिकायत नही मिलनी चाहिए” नीलोफर के शोहर अपने साले से कहा.
“भाई जान आप फिकर ना करें में आप के कहे बिना ही बाजी का बहुत ख्याल रख रहा हूँ” जमशेद ने अपने झटके की स्पीड बढ़ाते हुए कहा.
“शाबाश मुझे तुम से यह ही उम्मीद थी,अच्छा अब में ज़रा अम्मी को फोन कर लूँ,फिर बात हो गी” यह कह कर नीलोफर के शोहर ने फोन की लाइन काट दी.
जमशेद ने फोन को बिस्तर पर एक तरफ़ फेंका और पास टेबल पर पड़े टीवी रिमोट को हाथ में ले कर कमरे की दीवार पर लगे टीवी पर नीलोफर और शाज़िया की लेज़्बीयन मूवी को ऑन कर दिया.
फिर जमशेद ने अपने हाथो को अपनी बेहन के चूचों पर रखा और झुक कर नीलोफर के होंठो को चूमते हुए अपने झटकों की रफ़्तार में एक दम बढ़ाते हुए अपनी बेहन के कान में सरगोशी की, “निलो.”
नीलोफर:हूँ.
जमशेद:मेरी बहन कैसा लग रहा है?
नीलोफर: ओह्ह भाई बहुत अच्छा. आआआआआअहह उूुुुुुउउफफफफफफफफ्फ़ ऊऊओह भाईईईईईईईईईईईईई बोहोत मज़ा देते हो तुम.
“मेरी बेहन , अब तो तुम्हारे शोहर ने भी मुझे तुम्हे खुस और तुम्हारा ख्याल रखने का कह दिया है.अब तो में पहले से भी ज़्यादा अपनी बेहन की फुद्दि का ख्याल रखूं गा मेरी जान”जमशेद ने अपना लंड नीलोफर की तंग चूत से हल्का सा बाहर निकाला और फिर एक ज़ोर दार झटके से उस के अंदर अपना लंड घुसेड दिया..
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