08-12-2019, 12:55 PM,
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RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
शाज़िया उस वक्त अपने कमरे में माजूद अपनी किसी सहेली से फोन पर बात चीत में मसरूफ़ थी. इसीलिए उसे पता नही चला कि इस वक्त उस का भाई अम्मी के पास बैठ कर उन से क्या बात कर रहा है.
“अम्मी ये खाला गुलशन किधर आई थी आज” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के पास सोफे पर बैठते हुए पूछा.
“बेटा वो तुम्हारी बहन शाज़िया के लिए एक रिश्ता ले कर आई है” रज़िया बीबी ने अपने बेटे ज़ाहिद को एक फोटो पकड़ाते हुए बताया.
“खाला गुलशन का दिमाग़ तो नही खराब हो गया,ये रिश्ता लाई है वो शाज़िया के लिए” ज़ाहिद ने अम्मी की दी हुई फोटो को देख कर गुस्से में कहा.
“हां बेटा ये ही रिश्ता लाई है गुलशन और तुम्हारी बहन ने फोटो देखे बिना ही शादी की रज़ा मंदी भी दे दी है” रज़िया बीबी ने अपने बेटे को जवाब दिया.
अम्मी की बात सुन कर ज़ाहिद के जज़्बात पर तो जैसे बिजली सी टूट पड़ी.
“क्याआआआ, इस आदमी को इस उम्र में रिश्ते की नही,बल्कि मौत के फरिश्ते की ज़रूरत है अम्मी” ज़ाहिद ने अम्मी की दिखाई हुई फोटो को गुस्से में आ कर फाड़ते हुए कहा.
जिस आदमी का रिश्ता गुलशन खाला शाज़िया के लिए लाई थी. वो आदमी असल में शाज़िया के मरहूम अब्बू की उम्र का था.
“अम्मी ये शाज़िया के साथ ज़ुल्म है,आप उस को समझाएँ प्लीज़” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी से कहा.
“बेटा मुझे तो खुद समझ नही आ रही,इस से पहले तो शाज़िया हर आने वाले रिश्ते में कोई ना कोई नुक्स निकाल रही थी. और आज इस आदमी की तस्वीर को देखे बिना ही शादी की हामी भी भर चुकी है,मेरी तो ये लड़की सुनती नही तुम ही इस को समझाओ ज़ाहिद” रज़िया बीबी ने अपने बेटे से कहा.
अम्मी की बात सुन कर ज़ाहिद फॉरन समझ गया. कि उस की कल वाली हरकत की वजह से ही शाज़िया अब शादी कर के जल्द अज जल्द इस घर और उस से दूर हो जाना चाहती है.
“अच्छा अम्मी में खुद बात करूँगा शाज़िया से” ज़ाहिद ने अम्मी को जवाब दिया.
“लो तुम बैठो में ज़रा नहा लूँ” रज़िया बीबी अपने बेटे को सोफे पर ही बैठा छोड़ कर अपने कमरे में चली गई.
ज़ाहिद अम्मी के जाने के बाद बैठा कुछ देर टीवी देखता रहा. थोड़ी देर बाद उसे प्यास महसूस हुई तो वो उठ कर किचन की तरफ चला आया.
ज़ाहिद ज्यों ही किचन में दाखिल हुआ उसे सामने अपनी बहन शाज़िया किचन में काम करती नज़र आई.
अपनी बहन को किचन में अकेला देख कर ज़ाहिद की बाछे ही खिल गईं. उस ने फॉरन मूड कर अपनी अम्मी के कमरे के दरवाज़े का जायज़ा लिया. तो उस को अम्मी के कमरे का दरवाज़ा बंद नज़र आया.
ज़ाहिद समझ गया कि उस की अम्मी अपने कमरे के अटेच बाथरूम में नहाने के लिए जा चुकी हैं.
इसीलिए हस्बे आदत उन्होने अपने कमरे के बाहर वाला दरवाज़ा भी बंद कर दिया है.
ज़ाहिद अब निश्चित हो गया. कि कल की तरह आज भी अब उस के पास अपनी बहन से मस्ती करने का कुछ टाइम है.
ज़ाहिद का लंड अपनी बहन को किचन में अकेले देख कर फुल अपने जोबन पर आ गया.
ज़ाहिद ने आज भी शलवार कमीज़ पहनी हुई थी.मगर आज अपनी शलवार के नीचे उस ने अंडरवेार भी पहना हुआ था.
इस की वजह ये थी कि कल के वाकये के बाद ज़ाहिद को पता था .कि अब मोका मिलते ही उस के हाथ उस की बहन के जिस्म से दुबारा ज़रूर छेड़ छाड़ करेगा.और इस सुरते हाल में उस का लंड खड़ा होना एक क़ुदरती अमल होता.
जिस बिना पर ज़ाहिद को डर था. कि कहीं आते जाते हुए उस की अम्मी की निगाह उस की शलवार में खड़े हुए लंड पर पड़ गई तो क़यामत हो जाए गी.
किचन में दाखिल होने से पहले ज़ाहिद ने अपने अंडरवेार में हाथ डाला और अंडरवेार में से अपने लंड को निकाल कर उसे अपनी शलवार में ही आज़ाद कर दिया. ता कि वो जी भर कर अपनी बहन के बदन से खेल कर उसे अपनी मौजूदगी और प्यास का अहसास दिला सके.
फिर वो आहिस्ता आहिस्ता दबे पाँव चलता हुआ किचन में दाखिल हो गया.
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08-12-2019, 12:56 PM,
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RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
शाज़िया अपने हाथ में छुरी पकड़े सब्ज़ी काटने में इतनी मसरूफ़ थी.कि उसे अपने भाई ज़ाहिद के किचन में आ कर अपने पीछे खड़े होने का पता ही ना चला.
ज़ाहिद शाज़िया के बिल्कुल पीछे खड़ा हो कर कमीज़ शलवार में मलबूस अपनी बहन के बहुत ही मोटे मोटे भारी चुतड़ों को आँखे फाड़ फाड़ कर देखने लगा.
अपने भाई की मौजूदगी से बे खबर शाज़िया जब किचन में अपने काम में मसरूफ़ थी.तो उस के हिलने से पीछे उस की भारी गान्ड की मोटी गुदाज पहाड़ियाँ भी हल्के हल्के हिल कर ज़ाहिद के लंड की गर्मी में और इज़ाफ़ा कर रही थी.
अपनी बहन की चौड़ी और उभरी हुई गान्ड के इतने करीब हो कर अब ज़ाहिद के लिए अपने आप को कंट्रोल करना मुस्किल हो रहा था.
उस की शलवार में से उस का लंड उठ उठ कर झटके मारता हुआ ज़ाहिद को आगे बढ़ कर अपनी बहन की गान्ड में घुस्स जाने पर उकसा रहा था.
अपनी बहन के जिस्म की उँचाईयो और गहराइयों नापते नापते हुए आख़िर ज़ाहिद के सबर का पैमाना लबरेज हो गया.
और उस ने आहिस्ता से एक कदम बढ़ाते हुए अपना एक हाथ अपनी बहन शाज़िया की मोटी गान्ड पर रखा और दूसरे हाथ को उस ने आगे बढ़ा कर अपनी बहन की भारी तनी हुई छाती को अपने हाथ में काबू कर के मसलना शुरू कर दिया.
“हाईईईई में मर गई” ज्यों ही ज़ाहिद के हाथ शाज़िया की गान्ड और मम्मो से टकराए तो शाज़िया की डर के मारे चीख निकल गई. और उस के हाथ में पकड़ी हुई छुरी,उस के हाथ से छूट कर किचन के फर्श पर जा गिरी.
ज़ाहिद जानता था कि बाथरूम में शवर लेती हुई उस की अम्मी को बाथरूम और कमरे का दरवाज़ा बंद होने की वजह से शाज़िया की चीख नही सुनाई देगी .
इसीलिए ज़ाहिद ने शाज़िया की चीख की परवाह ना करते हुए उस के जिस्म के गिर्द अपने बाजुओं का घेरा मज़ीद तंग किया. जिस से ज़ाहिद पीछे से अपनी बहन के बदन से चिपकता चला गया.
ज़ाहिद के इस तरह चिपकने से ज़ाहिद का मोटा सख़्त लंड शाज़िया की गुदाज गान्ड की मोटी पहाड़ियों में से होता हुए उस की चूत से टच करने लगा.
आज भाई के लंड ने उस की शलवार में से दुबारा अपनी बहन की चूत को अपनी सलामी दी थी.
इंडियन मूवी वीर के गाने के असल बोल तो कुछ यूँ हैं,
दबी दबी साँसों में सुना था मेने, बोले बिना मेरा नाम आया.
पलकें झुकी और उठने लगी तो, हौले से उसका सलाम आया.
मगर ज़ाहिद के लंड ने जब अपनी बहन की मोटी गान्ड को छूते हुए उस की फूली हुई चूत को एक बार फिर से छुआ.तो ज़ाहिद के दिमाग़ में ये गाना कुछ इस तरह गूंजने लगा कि,
उठी उठी गान्ड में, से फिसलते हुए,
भाई के लंड का, बहन की चूत को सलाम आया.
ज्यों ही ज़ाहिद का लंड शाज़िया की मोटी रानों में से होता हुआ उस की फूली हुई चूत के होंठो से रगड़ा,शाज़िया के मुँह से एक “अहह” निकली और उस ने अपने आप को अपने भाई की क़ैद से छुड़ाने की कोशिस करते हुए कहा “ क्या मुसीबत है भाई,आप क्यों मेरे पीछे पड़े हुए हैं”.
“मेरी जान तुम्हारा जिस्म मुझे एक पल चैन नही लेना दे रहा,तुम ही बताओ में क्या करूँ” ज़ाहिद ने अपने आप को हलके से शाज़िया के जिस्म से हटाया और फिर दुबारा तेज़ी के साथ आगे बढ़ा.
ज़ाहिद के इस तरह करने से उस का लंड शाज़िया की टाँगों के साथ रगड़ ख़ाता हुआ शाज़िया की गान्ड और फुद्दि दोनो से टच हुआ.
साथ ही साथ ज़ाहिद ने अपनी बहन की जवान,गुदाज और भारी छाती पर अपना हाथ दुबारा बढ़ा कर उसे एक बार फिर ज़ोर से मसला.
अपने भाई की इस हरकत से शाज़िया के बदन में एक सनसनी सी दौड़ गई.
शाज़िया ने मज़े से बे हाल होते हुए अपने होंठो को सख्ती से एक दूसरे के साथ भींचा ता कि कहीं उस के मुँह से उस की सिसकारी ना फूट पड़े.
“आप अम्मी से कह कर अपने लिए एक बीवी का बन्दो बस्त करो, मुझे क्यों सता रहे हैं आप भाई” शाज़िया ने अपने भाई की बात का जवाब देते हुए कहा.
“हां में तो बात करूँ गा अम्मी से,मगर तुम ये बात याद रखो कि में तुम को एक बूढ़े आदमी से शादी की हरगिज़ इजाज़त नही दे सकता” ज़ाहिद ने अपनी बहन की गर्दन के पिछले हिस्से और उस के कान पर चुम्मियाँ देते हुए कहा.
“मुझे शादी के लिए आप की इजाज़त की ज़रूरत नही” शाज़िया ने अपनी गर्दन को अपने भाई के सामने से हटाने की कोशिस करते हुए भाई को जवाब दिया.
अपने भाई की बात सुन कर शाज़िया समझ गई. कि ज़ाहिद को अम्मी ने उस की दुबारा शादी वाली बात बता दी है.
“मुझे अपने नंगे जिस्म का दीदार करवा कर अपना आशिक़ बनाने के बाद,अब दूसरी शादी के लिए तुम को ना सिर्फ़ मेरी बल्कि मेरे लंड की भी इजाज़त चाहिए मेरी जान” ज़ाहिद ने अपनी बहन को एक सख़्त लहजे में अपना फ़ैसला सुनाते हुआ कहा.
भाई के लहजे में सख्ती को महसूस कर के शाज़िया ने भाई की बात का जवाब देना मुनासिब ना समझा और खामोश हो गई.
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08-12-2019, 12:57 PM,
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RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
शाज़िया इस स्टाइल में सोने से उस की दोनो टाँगों के दरमियाँ काफ़ी गॅप आ गया था.
शाज़िया के सोने इस स्टाइल को देख कर ज़ाहिद के ज़हन में एक ख्याल आया. और वो आहिस्ता से अपनी बहन के बिस्तर पर चढ़ गया.
बेड पर जाते ही ज़ाहिद आहिस्ता से अपनी बहन की टाँगों के दरमियाँ वाली खाली जगह पर बैठा. और फिर अपने दोनो बाजुओं को शाज़िया के जिस्म के दाए और बाईं (राइट और लेफ्ट) रख कर आहिस्ता से गहरी नींद में मदहोश अपनी बहन शाज़िया के जिस्म के ऊपर इस तरह झुकता चला गया. कि उस के अपने जिस्म का सारा बोझ उस की अपनी कोहनियों पर आ गया.
ज़ाहिद के इस तरह शाजिया के बिल्कुल ऊपर लेटने से ज़ाहिद का मुँह शाज़िया के मुँह के बिल्कुल नज़दीक आ गया.
ज़ाहिद का मुँह शाज़िया के इतने नज़दीक पहुँच हुआ था. कि ज़ाहिद के मुँह से निकलती उस की गरम साँसें शाज़िया के मुँह से टकराने लगीं.
सोई होने के बावजूद शाज़िया को अपने भाई की गरम साँसे अपने चेहरे पर महसूस होने लगीं थी.
जिन को महसूस करते ही शाज़िया ऐसा लगा कि कोई चीज़ उस के बदन के ऊपर माजूद है. जिस वजह से शाज़िया एक दम हड बड़ा कर अपनी नींद से जाग गई.
ज्यों ही शाज़िया ने अपनी नींद से बे दार हो कर रात के अंधेरे में अपने जिस्म पर अपने भाई को झुका हुआ पाया. तो उस का चेहरा खोफ़ और शरम कर मारे पसीने से भीग गया.
“ज़ाहिद भाई ये आप क्या कर रहे हैं” शाज़िया ने अपने ऊपर पड़े अपने भाई के मज़बूत जिस्म को हटाने की नाकाम कोशिस करते हुए कहा.
“में आज वो ही करने जा रहा हूँ,जो मुझे बहुत पहले कर लेना चाहिए था”ज़ाहिद ने जब अपनी बहन को नींद से जागते देखा. तो उस के जिस्म के ऊपर अपने जिस्म का बोझ डालते हुए बोला.
“क्या मतलब,आप अपनी बहन से जबर्जस्ती करेंगे आज” शाज़िया ने अपने भाई के वज़न के तले डूबते हुए पूछा.
“हां जब घी सीधी उंगली से ना निकले तो उंगली टेढ़ी करनी ही पड़ती है शाज़िया” ज़ाहिद ने अपनी बहन के गालो को अपने दाँतों से काटते हुए कहा.
“कुछ तो खुदा का खोफ़ करें आप,सग़ी बहन हूँ में आप की,भाई तो अपनी बहन की इज़्ज़त के रखवाले होते हैं और आप हैं कि खुद ही अपनी बहन से जबर्जस्ती पर उतर आए हैं” शाज़िया ने अपने भाई को गैरत दिलाने की कोशिश करते हुए कहा.
“बहन हो तो क्या फरक पड़ता है? वैसे भी चूत और लंड का सिर्फ़ एक रिश्ता होता है,इस रात की तन्हाई में चूत तुम्हारे पास है और लंड मेरे पास,तो क्यों ना इन दोनो का आज आपस में मिलाप करवा दिया जाय,” ज़ाहिद ने शाज़िया के जवाब में चूत और लंड के अल्फ़ाज़ का खुलम खुल्ला इस्तेमाल करते हुए अपनी बहन को जवाब दिया.
साथ ही ज़ाहिद ने शाज़िया के एक हाथ को पकड़ा और उस को खैंचता हुआ अपने नंगे लंड पर ला कर रख दिया.
अपने भाई के नंगे मोटे गरम लंड को अपने हाथ में महसूस करते ही शाजिया शरम से कांप गई.
शाज़िया को अपनी हथेली पर बहुत ज़्यादा गर्मी सी महसूस हुई. और उस ने एक दम से अपना हाथ ज़ाहिद के लंड से वापिस खींच लिया.
आज काफ़ी अरसे के बाद शाज़िया ने किसी मर्द के लंड को छुआ था. और भाई के लंड को छूते ही शाजिया को भाई के लंड की सख्ती और उस की तपिश का अंदाज़ा हो गया था.
“उफफफफफफफफफ्फ़ भाई आप को शरम आनी चाहिए अपनी बहन के सामने ऐसी गंदी ज़ुबान इस्तेमाल करते और ऐसी गंदी हरकत करते हुए” शाज़िया ने अपने भाई के मुँह से लंड और चूत का ज़िक्र सुनते और उस को अपना लंड पकड़ाने की हरकत पर गुस्से में आते हुए भाई से कहा.
ज़ाहिद ने अपनी बहन की बात अनसुनी करते हुए शाज़िया के जिस्म से थोड़ा सा ऊपर उठ कर अपनी कमीज़ भी उतार फैंकी. और अपनी बहन के जिस्म के ऊपर पूरा नंगा लेट गया.
शाज़िया को आज अपने सामने अपने ही भाई को नंगा होते देख कर बहुत शरम आई और उस ने मारे शरम के उस ने फॉरन अपना मुँह दूसरी तरफ फेर लिया.
“बस बहुत हो गया शरम वरम का ये नाटक ,तुम जानती हो कि तुम्हारी इस जवानी को रोज़ मर्द की ज़रूरत है,और में तुम्हारे बदन की प्यास बुझाने के लिए तुम्हारी खिदमत में हाज़िर हूँ,अब और मत तड़पाओ मुझे ” ज़ाहिद ने ये कहते हुए अपने होन्ट शाज़िया के होंठो पर रखना चाहे. तो शाज़िया नहीं मानी और तकिये पे सर इधर उधर अपना सर हिला कर अपने होंठ अपने भाई के होंठो से बचाती रही.
“कोई फ़ायदा नहीं शाज़िया, यकीन मानो तुम्हारे इस तरह के नखरों से मेरा लंड और गरम होता है मेरी जान” ज़ाहिद ने अपनी बहन की हरकत पर मुस्कुराते हुए कहा.
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