09-26-2019, 12:13 PM,
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
और उस दिन…
नरेश शाम को चार बजे अपने कॉलेज से वापिस आया तो देखा कि घर पर कोई नहीं था, वो पहले अपनी मम्मी के कमरे में गया, वो वहाँ नहीं थी।
फिर शीला का कमरा देखा तो वो भी नहीं थी।
आखिर में जब वो पिंकी के कमरे के पास पहुँचा तो पिंकी मोबाइल पर शायद कोई कहानी पढ़ रही थी और उसने स्कर्ट उतार कर साइड में रखी हुई थी, पेंटी भी जांघो से नीचे थी, एक हाथ में मोबाइल और दूसरे हाथ की ऊँगली चूत में थी।
नरेश को एक दम से अपने कमरे में देख कर पिंकी घबरा गई और उसने जल्दी से अपनी पेंटी ऊपर की और स्कर्ट उठा कर जल्दी से बाथरूम में घुस गई।
नरेश ने पिंकी को आवाज दी पर पिंकी ने कोई जवाब नहीं दिया।
‘पिंकी… पिंकी, अगर तुम बाहर नहीं आई तो मैं सब कुछ मम्मी को बता दूंगा.. एक मिनट में बाहर आओ वरना…’
पिंकी ने डरते हुए दरवाजा खोला, वो स्कर्ट पहन चुकी थी, वो घबरा कर रोने लगी।
नरेश ने उसका हाथ पकड़ा और उसको लेकर बेड पर बैठ गया- यह क्या कर रही थी पगली…?
‘भैया… प्लीज मम्मी को कुछ मत बताना… यह गलती दुबारा नहीं होगी!’ कह कर पिंकी जोर जोर से रोने लगी।
नरेश को तो जैसे सुनहरा मौका मिल गया था पिंकी को अपना बनाने का, उसने पिंकी को अपने सीने से लगा लिया और चुप करवाने के बहाने पिंकी के शरीर पर अपना हाथ घुमाने लगा- कोई बात नहीं पिंकी.. इस उम्र में ये सब हो जाता है… तू तो मेरी अच्छी बहन है ना… मैं किसी को कुछ नहीं बताउँगा, वैसे मम्मी और शीला कहाँ गए है?
‘वो मार्किट में गए हैं कुछ सामान लेने…’
पिंकी चुप हुई तो नरेश ने पिंकी का चेहरा ऊपर उठाया और उसकी आँखों से बहते आँसुओं को अपने होठों से चूम लिया। पिंकी की आँखें बंद हो गई थी।
नरेश ने मौके का फायदा उठाया और अपने होंठ अपनी छोटी बहन के जवान रसीले होंठों पर रख दिए।
पिंकी ने छूटने की कोशिश की पर नरेश की मजबूत पकड़ से छुट नहीं पाई, नरेश अब पिंकी के रसीले होंठो का रस पीने में लगा था।
कुछ देर छूटने के लिए छटपटाने के बाद पिंकी ने भी समर्पण कर दिया और अब उसका शरीर ढीला पड़ने लगा था। नरेश ने पिंकी के कुँवारे होंठ चूमते हुए एक हाथ पिंकी की मुलायम अनछुई चूची पर रख दिया और मसलने लगा।
पिंकी की साँसें तेज हो गई थी और वो भी अब अपने बड़े भाई से चिपकती जा रही थी।
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
नरेश ने पिंकी को खड़ा किया और उसके टॉप को ऊपर करने लगा तो पिंकी ने नरेश को रोकने की कोशिश की- ये सब ठीक नहीं है भाई… हमें ऐसा नहीं करना चाहिए… आखिर हम बहन भाई हैं।
‘पिंकी, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ… और बहुत दिनों से तुम्हें अपना बनाने का सपना देख रहा हूँ… आज अगर मेरा सपना पूरा होने जा रहा है तो प्लीज मुझे मत रोको..’
पिंकी ‘नहीं भाई नहीं भाई’ करती रही पर नरेश ने उसकी एक ना सुनी और उसका टॉप उतार दिया।
पिंकी ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी, टॉप उतारते ही उसकी दोनों संतरे के साइज़ की तनी हुई चूचियाँ नरेश के सामने थी।
नरेश को तो जैसे कुबेर का खजाना मिल गया था, उसने कुछ देर पिंकी की दोनों चूचियों को अपने हाथों में मसला और फिर पिंकी की एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा।
पिंकी के जवान जिस्म को पहली बार किसी मर्द के हाथों का ऐसा मज़ा मिला था, वो मस्ती के मारे कांपने लगी थी।
नरेश बेड पर बैठे बैठे नीचे खड़ी पिंकी की चूचियाँ चूस रहा था और उसके हाथ पिंकी की नंगी पीठ पर, पिंकी की गदराए चूतड़ों पर घूम रहे थे।
चूचियाँ चूसते चूसते नरेश ने पिंकी की स्कर्ट खोल दी और स्कर्ट पल भर में ही पिंकी के कदम चूमने लगी।
स्कर्ट नीचे होते ही नरेश ने अपना एक हाथ पिंकी की कुंवारी चूत पर रख दिया।
पेंटी में कसी पिंकी की कुँवारी चूत भट्टी की तरह गर्म थी, पूरी पेंटी पिंकी की चूत से निकले कामरस से सराबोर हो रही थी।
नरेश नीचे घुटनों के बल बैठा और उसने पिंकी की टांगें खुली की और फिर अपना मुँह पिंकी की चूत पर लगा दिया और जीभ से चाटने लगा।
पिंकी की टांगें जवाब देने लगी थी, उससे अब खड़ा नहीं हुआ जा रहा था।
नरेश ने पिंकी की पेंटी को भी उसकी जांघों से नीचे खींच दिया।
पिंकी की हलके भूरे रोये वाली कुंवारी गुलाबी चूत देखते ही नरेश ने अपनी जीभ चूत पर लगा दी।
जीभ के पहले स्पर्श को महसूस करते ही पिंकी की चूत ने कामरस छोड़ दिया।
नरेश की जीभ कामरस का स्वाद महसूस करते ही और जोर जोर से चूत पर चलने लगी और सारा कामरस चाट गई।
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RE: Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)
झड़ने के कारण पिंकी का बदन एक पल के लिए थोड़ा सा ढीला हुआ तो नरेश ने पिंकी को बेड पर लेटा दिया।पिंकी को बेड पर लेटाने के बाद नरेश ने अपनी पेंट और अंडरवियर एक साथ नीचे की और अपना लम्बा और मोटा लंड निकाल कर पिंकी के मुँह के पास कर दिया।
मोटा लंड देख कर पिंकी घबरा गई, पिंकी ने नजदीक से लंड को पहली बार देखा था।
नरेश ने अपना लंड पिंकी के होंठो से लगाया तो पिंकी ने मुँह फेर लिया- भाई, मुँह में मत लगाओ, ये गन्दा है!
‘पगली जिसे तू गन्दा कह रही है, लड़कियाँ तरसती है इसे मुँह में लेने के लिए… एक बार ले कर देख, फिर बार बार चूसने का मन ना करे तो कहना..’
पिंकी ना ना करती रही पर नरेश ने जबरदस्ती लंड का सुपाड़ा पिंकी के मुँह में घुसा दिया।
पिंकी तड़प उठी थी पर वो बेबस थी, शुरू में पिंकी ने बुझे मन से लंड के सुपारे पर जीभ चलाना शुरू किया पर फिर पिंकी को भी लंड से निकले कामरस का स्वाद अच्छा लगने लगा और वो मस्ती में लंड को आइसक्रीम की तरह चाटने और चूसने लगी।
अपनी सगी बहन के ऐसा करने से नरेश तो मस्ती के मारे सातवें आसमान पर था, उसकी मस्ती भरी आहें और सिसकारियाँ निकल रही थी।
नरेश ने पिंकी को बेड पर सीधा किया और 69 की अवस्था में आते हुए लंड को पिंकी के मुँह में देते हुए अपनी जीभ पिंकी की कुंवारी चूत पर रख दी।
दोनों भाई बहन मस्त होकर एक दुसरे के यौन अंगों को चाट और चूम रहे थे, दोनों दिन-दुनिया से बेखबर मस्ती में लगे हुए थे।
कुछ देर की चूसा चुसाई के बाद पिंकी की चूत से अमृत वर्षा होने लगी तो नरेश के लंड ने भी पिचकारी छोड़ कर पिंकी का मुँह वीर्य से भर दिया।
पिंकी को एक बार तो उबकाई आई पर नरेश का लंड अभी भी पिंकी के मुँह के अन्दर था तो बेबसी में वो सारा माल गटक गई।
दोनों ही पस्त हो चुके थे पर असली काम तो अभी बाकी था।
तभी पिंकी बोली- भाई अब और मत करो, मम्मी और दीदी अब आने वाले होंगे और अगर कहीं वो बीच में आ गए तो सारा मज़ा ख़राब हो जाएगा।
नरेश अब रुकना नहीं चाहता था क्यूंकि ऐसा मौका दुबारा मिलना मुश्किल था। फिर भी नरेश ने शीला को फ़ोन किया यह सुनिश्चित करने के लिए कि वो लोग कितनी देर में आ रहे हैं।
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