Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
12-27-2021, 01:22 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
मैं: “हम तो अभी तैयार भी नहीं हुए, तुम बड़ा जल्दी आ गए. और तुम लोग अभी तक तैयार क्यों नहीं हुए, बाहर नहीं जाना क्या?”

पायल: “मुझे न्याय चाहिए. ये डीपू मुझ पर शक कर रहा हैं कि इसके सोने के बाद मैंने कुछ किया हैं अशोक के साथ मिलकर.”

अशोक: “डीपू ये क्या हैं? अपने दोस्त पर यकीन नहीं तुम्हे?”

पायल: “डीपू ही नहीं, ये अशोक भी सुबह डीपू और प्रतिमा को चिपक कर सोते हुए देख शक कर रहा था.”

अशोक: “झूठी, शक तुम कर रही थी, मैं नहीं.”

मैं: “अच्छा ! यहाँ रूम में आने के बाद भी तुम मुझे पूछते हुए शक कर रहे थे, उसका क्या?”

अशोक: “अरे यार तुम दोनों बीवियां तो मेरे पीछे ही पड़ गयी. मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा था.”

डीपू: “थोड़ा बहुत पूछ लिया तो क्या हो गया. क्लियर ही तो कर रहे थे.”

पायल: “इसे पूछना नहीं, शक करना कहते हैं. हम बीवियों ने तो तुम पतियों पर शक नहीं किया फिर. तुम ही क्यों करते हो?”

मैं: “वो तो ठीक हैं कि कल रात वाला तीसरा चेलेंज बीच में ही छूट गया, वरना ये दोनों पति तो शक के मारे पता नहीं क्या करते हमारा.”

अशोक: “ना तो हम शक करते हैं और ना ही किसी चेलेंज से डरते हैं.”

डीपू : “चाहिए तो वापिस करा लो चेलेंज.”

पायल: “चेलेंज तो होकर ही रहेगा. मैं प्रूव कर दूंगी कि ये दोनों पति शक्की हैं.”

मैं: “नहीं बाबा, मुझे नहीं करना. मैं अब ओर कपड़े नहीं उतारने वाली फिर से.”

पायल: “चिंता मर कर कपड़े के अंदर कोई नहीं देखेगा.”

अशोक: “तो फिर बाहर घूमने का क्या? हम तो घूमने आये थे.”

पायल: “मुझे सिर्फ एक घंटा दो, तुम दोनों मर्दो की पोल खोल दूंगी.”

डीपू: “आ जाओ, जो करना हैं करो. हम शक नहीं करेंगे.”

पायल: “चल प्रतिमा, बेड पर चल.”

मैं: “पर मैं अब कपड़े नहीं खोलूंगी.”

पायल: “अरे हां, नहीं खोलने, चल.”

मैं और पायल कल रात की तरह बेड के बीच एक दूसरे की तरफ मुंह कर करवट लेके लेट गए.

पायल: “तुम दोनों पति अपने बाथरोब की लैस खोल कर एक दूसरे की बीवियों के पीछे चिपक कर लेट जाओ.”

अपने बाथरोब की लैस खोल कर डीपू मेरे पीछे आकर लेट गया और अशोक पायल के पीछे.

पायल: “अब पहले किसका टेस्ट ले?”

मैं: “पहले तुम ही करके बताओ क्या करना चाहती हो.”

पायल: “ठीक हैं. मैं और अशोक मिल कर डीपू के मन में शक पैदा करने की कोशिश करेंगे. अगर डीपू को शक हुआ तो वो अपनी जगह से उठ कर हमारे पास में आ शक दूर करने की कोशिश करेगा. अगर वो वही लेटा रहा तो मतलब उसे शक नहीं हैं. सिंपल?”

सबने इसमें अपनी हामी भरी.

पायल: “अशोक अपना सामान तैयार करो.”

अशोक: “ऐसे कैसे करू, कुछ मूड नाम की चीज भी तो होती हैं.”

पायल: “ऐसे करो” ये कहते हुए पायल ने अपने बाथरोब की लैस खोल उसको पीछे से ऊपर कर अपनी गांड को बाहर निकाल दिया.

मुझे और डीपू को तो आगे से कुछ नहीं दिखा पर अशोक तो पायल के पीछे ही था, उसे दिखा. अशोक पायल की गांड को घूरते हुए अपना लंड को पकड़ आगे पीछे रगड़ते हुए कड़क करने लगा.

अगले दो तीन मिनट में ही अशोक अपने कड़क सामान के साथ तैयार था.

अशोक: “अब बोलो, तैयार हैं?”

पायल: “मेरे पीछे चिपक कर लेट जाओ और अपना सामान से मेरे पीछे झटके मारो, पर याद रखना मेरी उस जगह के वहा ना जाए.”

अशोक ने अब पायल के पिछवाड़े के उभारो पर जोर जोर से झटके मारना शुरू कर दिया. पायल की गुदगुदेदार गांड से अशोक के शरीर के टकराने से थाप थाप की आवाजे आने लगी.

आगे से देखने पर एकदम ऐसा भ्रम हो रहा था जैसे सचमुच अशोक पायल को चोद रहा हो.

पायल: “डीपू, जब भी तुम्हे शक हो तो आकर देख लेना, कही हम कुछ कर तो नहीं रहे.”

डीपू: “अब तो तुम असली में कर लो फिर भी नहीं आऊंगा.”

पायल ने जानबूझकर सिसकियाँ निकालनी शुरू कर दी जैसे सच में चूदा रही हो. पर डीपू समझ गया था ये उसको फंसाने का जाल था. पायल ने अब अपनी अगली तरकीब लगायी.

पायल: “अशोक, अपना सामान अब मेरे जांघो के बीच रखो. एक दम ऊपर की तरफ जहा दोनों टाँगे मिलती हैं.”

पायल ने अपनी ऊपर की टांग को थोड़ा उठा दिया और अशोक ने पायल की चूत के एकदम पास अपना लंड रख दिया. पायल ने अपनी टांग फिर बंद कर दी.

हमें आगे से सिर्फ पायल की दोनों जाँघे दिख रही थी. अशोक ने अब फिर झटके मारने शुरू कर दिए और पायल ने सिसकिया मारते हुए डीपू को जलाना.

थोड़ी देर ये चलता रहा पर डीपू पर कोई असर नहीं हुआ, हां उसका लंड जरूर कड़क हो, मेरे पिछवाड़े को छू, चुभ रहा था.

पायल: “ये आखिरी प्रयास हैं. प्रतिमा जरा चादर लाकर हम दोनों के कमर से लेकर नीचे टांगो तक ओढ़ा दे.”

मैं सोचने लगी अब ये क्या करने वाली हैं. मैंने वैसा ही किया और फिर अपनी जगह आकर लेट गयी.

उनके नीचे का हिस्सा पूरा ढक चूका था तो कुछ दिख ही नहीं रहा था. अशोक के झटको की वजह से सिर्फ चद्दर हिल रहा था.

थोड़ी देर बाद अशोक के हाथ की उंगलियों की आकृति पायल के कूल्हों पर चादर में से दिख रही थी. धीरे धीरे जरूर पायल की सिसकियाँ तेज होने लगी थी.

फिर थोड़ी देर में अशोक की जोर लगाने वाली हलकी सिसकिया भी सुनाई देने लगी. पायल असल में सिसकियाँ निकाल रही थी या नकली ये कह पाना बहुत मुश्किल हो गया था.
Reply
12-27-2021, 01:22 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
थोड़ी देर बाद अशोक के हाथ की उंगलियों की आकृति पायल के कूल्हों पर चादर में से दिख रही थी. धीरे धीरे जरूर पायल की सिसकियाँ तेज होने लगी थी.

फिर थोड़ी देर में अशोक की जोर लगाने वाली हलकी सिसकिया भी सुनाई देने लगी. पायल असल में सिसकियाँ निकाल रही थी या नकली ये कह पाना बहुत मुश्किल हो गया था.

डीपू का लंड अब काफी कड़क हो चुका था और शायद उसने अपने बाथरोब के आगे के थोड़े खुले हिस्से से अपना लंड बाहर निकाल कर मेरे मोटे बाथरोब के बाहर से ही मेरी गांड में घुसाने की कोशिश कर रहा था.

कुछ मिनटों तक ऐसा ही खेल चलता रहा, पर डीपू ने हिम्मत दिखाते हुए अपने शक़ को बाहर नहीं आने दिया. थोड़ी देर बाद पायल जोर जोर से सिसकिया निकालते हुए चीखने लगी.

पायल: “आह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह्ह डीपू आओ चादर हटा कर देखो अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह्ह जाओ. देखो मैं सच में चूदवा रही हूँ. ये देखो अशोक का लंड मेरे अंदर तक गया. बचाओ अपनी बीवी को उई माँ अह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह मर गयीईई.”

डीपू : “नाटक बाज कही की, मैं तुम्हारे झांसे में नहीं आने वाला.”

थोड़ी देर ऐसे ही आवाजे निकालने के बाद पायल हाँफते हुए चुप हो गयी. थोड़ी देर वो चादर में ही रहे और अपने बाथरोब ठीक करने लगे. फिर उन्होंने वो चादर निकाल दी और अपनी लैस फिर से बाँध दी.

डीपू: “हो गया मेरा टेस्ट या ओर भी करना हैं?”

पायल: “तुम्हारा हो गया अब अशोक का करना हैं. प्रतिमा मैंने किया वैसा ही तुम भी करो और देखो मजे.”

शायद पायल ने सच में अशोक के साथ चुदाई करवाई और डीपू ने उनको पकड़ने तक की जहमत नहीं उठाई. अब मेरा नंबर था, मुझे ये डर था कि कही डीपू सच में कुछ कर ना बैठे और अशोक मुझे रंगे हाथों ना पकड़ ले.

मैं: “डीपू को तो शायद सामान तैयार करने की भी जरुरत नहीं. पहले से तैयार हैं.”

डीपू शरमा गया. पायल ने हाथ आगे बढ़ा कर मेरे बाथरोब की लैस खोल दी और फिर डीपू ने खुद ही पीछे से बाथरोब उठा मेरी गांड को बेनकाब कर दिया.

उसे पहले ही पता था क्या करना हैं. उसने जोर जोर से मेरी गांड पर चोट मारना शुरू कर दिया और थपा थाप कर आवाज शुरू हो गयी. सब कुछ पायल की बनाई स्क्रिप्ट के हिसाब से हो रहा था.

डीपू ने मेरी ऊपर वाली टांग उठा दी, जल्दी में अपना लंड मेरी चूत से अड़ा के वापिस टांग नीचे कर दबा दिया. अब वो झटके मारने लगा जैसे सच में मुझे चोद रहा हो. उसके लंड की टोपी रह रह कर मेरी चूत को बाहर से रगड़ रही थी.

पायल: “प्रतिमा कुछ आवाज तो निकाल, अशोक को अहसास तो करा.”

मैं अब बीच बीच में हँसते हुए आह्ह्हह आह्ह्हह करने लगी.

पायल: ”एक्टिंग नहीं आती क्या? हंसना बंद कर और सिरियस चेहरा बना कर सिसकियाँ निकाल.”

डीपू के लंड की रगड़ से वैसे भी मेरा थोड़ा बहुत मूड बनने लगा था, तो मैंने भी अब चेहरा सिरियस बनाते हुए सिसकियाँ निकालना शुरू कर दिया.

पायल: “हां ये हुई ना बात. अशोक जाओ देखो, अपनी बीवी को चेक करो.”

अशोक ने हंस के टाल दिया. पायल ने उठ कर वो चादर मेरे और डीपू के गले से लेकर पांवो तक पूरी ही ओढ़ा दी और फिर अशोक के आगे लेट गयी.

डीपू को तो शायद इसी मौके का इंतज़ार था. उसने अपना हाथ मेरे बाथरोब में डाल मेरे मम्मो को दबोच लिया.

इतनी देर रगड़ के बाद थोड़ा पानी निकलने से चूत के बाहर चिकना हो चूका था. उसने अपने लंड के झटको की डायरेक्शन बदली और ऊपर की तरफ जोर से झटका मार मेरी चूत में अपना लंड उतार दिया.

मुझे ये उम्मीद नहीं थी कि वो सच में अंदर डाल देगा. ये तो अच्छा हुआ कि मैं पहले से सिसकियाँ निकाल रही थी तो मेरी चीख से ज्यादा फर्क नहीं पड़ा.
Reply
12-27-2021, 01:33 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
चादर के अंदर डीपू जोर जोर से झटके मारते हुए मुझे चोदे जा रहा था, और मुझे डर लगा कि कही अशोक को सच में शक ना हो जाये और चादर निकाल दे. पायल ने अब चादर को बीच में से एक जगह पकड़ लिया.

पायल: “अशोक, खींचू क्या चादर?”

मेरी तो सांस रुक गयी. मेरा हाथ मेरी जांघो पर था तो उसको पीछे ले जाकर मैंने डीपू को रोकने की कोशिश की, पर वो तो मुझे पूरा चोदे बिना छोड़ने वाला नहीं था.

क्या ये पायल की चाल थी मुझे और डीपू को रंगे हाथों पकड़ने की? क्यों कि सुबह भी उसे हम पर शक हो गया था.

पायल ने थोड़ी थोड़ी चादर को खींचना शुरू कर दिया. वो एक झटका मारती तो चादर हट जाती और हमारी पोल खुल जाती.

मेरी डीपू को रोकने की सारी कोशिशे नाकाम रही. मैंने अब अपना हाथ अपनी चूत के आगे रख कर उसको ढक दिया ताकि अगर चादर हट भी जाये तो छुपा सकू.

चादर अब धीरे धीरे खिसकते हुए मेरी गांड तक आ गयी थी और आधी गांड चादर के बाहर आ चुकी थी. मैंने चादर को पाँव में फंसा दिया ताकि मेरी कमर से नीचे ना गिर जाये.

डर के मारे मैं मजा लेना ही भूल गयी थी, रह रह के उसके लंबे लंड के झटको की वजह से होने वाले दर्द से मेरी सिसकिया जरूर निकल रखी थी.

मैं: “पायल तुम चादर नहीं खिंच सकती, सिर्फ अशोक खिंच सकता हैं.”

पायल: “अशोक तुम्हारी जगह मैं खींच दूँ चादर? सोच लो तुम्हारी बीवी को रंगे हाथों पकड़ सकते हो.”

अशोक: “तुम बहुत कोशिश कर रही हो कि मैं शक कर के हार जाऊ, पर ये होने वाला नहीं.”

इस बीच डीपू ने एक बार फिर अपना पानी मेरे अंदर छोड़ दिया था. पर उसने फिर भी झटके मारना नहीं छोड़ा.

मैं: “चलो बहुत टेस्ट हो गया, डीपू अब बंद करो.”

डीपू का काम तो वैसे भी हो गया था, तो उसने अपना लंड बाहर निकाल दिया. उसने मेरे मम्मो को दबाना भी बंद किया और चादर को फिर अपने ऊपर खिंच दिया.

मैंने अपना बाथरोब नीचे किया और अपने अंग ढक लिए. फिर मैंने चादर हटाया और लैस बांधते हुए राहत की सांस ली. मुझे लग गया डीपू भरोसे के काबिल नहीं हैं.

दोनों मर्द खुश थे कि वो शक ना करने का टास्क जीत गए, पर शायद उनकी बीवियां टास्क जीती थी जो अपने पतियों के सामने ही गैर मर्द से चुदवाने में कामयाब रही.

हालांकि मैं निश्चित तौर पर ये तो कह नहीं सकती कि उस चादर में अशोक ने सचमुच पायल को चोदा था.

पायल और डीपू अपने रूम में चले गए. हम चारो अपने बेग पैक करके तैयार हो गए और नीचे रिसेप्शन पर मिले.

हम चारो ने आज जीन्स पहनी थी और और ऊपर टीशर्ट. अपने बैग होटल के लॉकर में रखवा कर हम लोग घूमने निकले. हमने लोकल बाजार में शॉपिंग की और फिर वहां से निकलने के लिए कार में बैठे.

वहा माता का एक मंदिर था, उसको देख कर अशोक को कुछ याद आया.

अशोक: “अरे तुम्हारी सजा का क्या हुआ? मैंने अपनी माँ की कसम खायी थी कि मैं प्रतिमा से सजा पूरी करवाऊंगा.”

डीपू: “कसम तो मैंने भी खायी थी, अच्छा हुआ याद दिला दिया.”

मैं: “सजा को भूल जाओ, हम लोग घूमने का मजा लेते हाँ ना.”

अशोक: “ऐसे कैसे भूल जाओ, मैंने माँ की कसम खायी हैं.”

पायल: “हम दोनों आपस में कैंसल करने को तैयार हैं तो क्या जरुरत हैं.”

डीपू: “तो हमको माँ की कसम क्यों दिलवाई. अब तो करनी ही पड़ेगी. लाओ बेग में से चिट्ठी निकाल कर दो.”
Reply
12-27-2021, 01:33 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
पायल ने अपने बेग में से वो चिट्ठी निकाल कर डरते हुए डीपू को दी. डीपू ने अब हम चारो को सुनाते हुए चिट्ठी पढ़ी.

डीपू: “सजा ये हैं कि, अपने पति की आँखों के सामने अपने मुँह, कंट (चूत), और बट (गाँड) को पराये मर्द से चुदवाना हैं, तीनो छेद में दो-दो मिनट के लिए किसी पब्लिक प्लेस में.”

डीपू: “ये क्या मजाक हैं पायल, ऐसी सजा कौन लिखता हैं. तुम्हारा दिमाग ख़राब हैं क्या?”

पायल: “वो मैंने जानबूझकर ऐसी बड़ी सजा लिखी ताकि प्रतिमा दूसरे लेवल के लिए मना ना बोल पाए. मुझे नहीं पता था कि घूम फिरकर ये सजा हम पर आ जाएगी.”

अशोक: “तुमने तो पढ़ा था ना प्रतिमा, फिर भी तुमने रूल तोड़ने की सजा के तौर पर यही वाली सजा चुनी.”

मैं: “मैंने सोचा पायल इस डर से रूल नहीं तोड़ेगी. पर फिर भी गलती से रूल टूट ही गया.”

डीपू: “तो फिर तुम दोनों ने हमें माँ की कसम क्यों दिलवाई?”

पायल: “उस वक्त हमारा मुकाबला चल रहा था और हम एक दूसरे को मुसीबत में डालना चाहते थे.”

अशोक: “तुम दोनों ने तो हम पतियों को फंसा दिया. माँ की कसम बहुत बड़ी होती हैं. अब माँ को बचाये या तुम्हे?”

मैं: “ये कसम वसम कुछ नहीं होती हैं. तुम भूल जाओ.”

डीपू: “नहीं भूल सकते, अगर माँ को सच में कुछ हो गया तो हम अपने आप को ही दोषी मानेंगे.”

अशोक: “पराये मर्द से मतलब, वो दोस्त भी हो सकता हैं. डीपू हमें एक दूसरे की मदद करनी होगी.”

डीपू: “ओर कोई चारा भी तो नहीं हैं. तुम दोनों को कोई आपत्ति?”

हम दोनों पत्नियों ने ना में सर हिला दिया. इससे अच्छा कोई उपाय भी नहीं था. कार में बैठ कर हम हाईवे की तरफ आ गए.

सोच सोच कर ही डर लग रहा था कि अपने पति के सामने कैसे करवाएगा. वैसे तो सिर्फ छह मिनट की बात थी पर करने वाला उनका दोस्त ही होगा.

पुरे रास्ते हम चुप चाप बैठे रहे फिर अशोक ने गाड़ी हाईवे पर एक तरफ लगा दी.

कार के दोनों दरवाजे खोल दिए, जो दीवार का काम करेंगे. जो भी होना था वो कार के इन दो दरवाज़ों के बीच होगा. एक तरफ पहाड़ी थी, दूसरी तरफ रोड. कार एक एसयुवी थी जो काफी ऊँची थी जिससे उसके दरवाज़े भी ऊँचे थे. रोड पर जाने वाले ज्यादा कुछ देख नहीं सकते थे.

मैं खुले दरवाज़े की तरफ बैठी तो पहला नंबर मेरा लगा. मैं उठ कर दोनों दरवाजो के बीच आ गयी. डीपू वही खड़ा था, एक बार फिर वो मेरी लेने वाला था. इस बार मेरे पति से छुपते छुपाते नहीं बल्कि उनकी जानकारी में उनकी आँखों के सामने चोदने वाला था और मेरे पति की सहमति या कहिये मज़बूरी से.

पायल मोबाइल में टाइम गिनने वाली थी. पहला नंबर मुँह का था. मैं डीपू के सामने झुक कर बैठ गयी. उसने अपना जीन्स और अंडरवियर खोल कर नीचे कर दिया. उसका लंड नरम पड़ा था फिर भी चार इंच का रहा होगा.

मैंने उसको अपने हाथ से उठाया और पायल के बोलते ही अपने मुँह में रख दिया. मैं अब उसको अपने मुँह में आगे पीछे कर रगड़ने लगी.

लगभग एक मिनट तक ये करने के बाद उसका लंड कड़क और लंबा हो गया और वो अब अब मेरे मुँह में धक्के मारने लगा, जिससे उसका लंबा लंड मेरे गले में उतरने लगा और मैं चॉक होने लगी. उसका दो चार बूँद पानी भी निकल कर मेरे गले में उतर गया.

मेरे हिसाब से दो मिनट हो चुके थे पर पायल ने अभी तक रोका नहीं, शायद वो जानबूझ कर मुझे परेशान करने के लिए समय बढ़ा रही थी. लगभग तीन मिनट चूसने के बाद पायल ने कहा कि दो मिनट हो गए.

मैंने जल्दी से डीपू का राक्षस अपने अपने मुँह से बाहर निकाला और मुंह में आयी गन्दगी बाहर थूक दी. मेरी लार से डीपू का लंड भी गीला हो गया था. मैं अपने पति से नजरे भी नहीं मिला पा रही थी. अगली बारी मेरी चूत की थी.
Reply
12-27-2021, 01:35 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
मेरे हिसाब से दो मिनट हो चुके थे पर पायल ने अभी तक रोका नहीं, शायद वो जानबूझ कर मुझे परेशान करने के लिए समय बढ़ा रही थी. लगभग तीन मिनट चूसने के बाद पायल ने कहा कि दो मिनट हो गए.

मैंने जल्दी से डीपू का राक्षस अपने अपने मुँह से बाहर निकाला और मुंह में आयी गन्दगी बाहर थूक दी. मेरी लार से डीपू का लंड भी गीला हो गया था. मैं अपने पति से नजरे भी नहीं मिला पा रही थी. अगली बारी मेरी चूत की थी.

मैंने अपने जीन्स का बटन खोल उसे पैंटी सहित घुटनो तक नीचे कर दिया. डीपू ने अब मुझको मेरे पति (जो कार में बैठे थे) कि तरफ घुमाया और कमर से झुका दिया.

मेरा चेहरा मेरे पति के चेहरे के सामने था. डीपू ने मेरा टीशर्ट थोड़ा ऊपर कर दिया. उसका लंड मेरे पिछवाड़े को छू रहा था.

अशोक: “डीपू तुम कंडोम पहन लो, ये सेफ नहीं हैं.”

पायल: “साथ लाये थे वो ख़त्म हो गए.”

डीपू: “कोई बात नहीं, वैसे भी दो मिनट ही करना हैं, इतनी सी देर में कुछ नहीं होगा.”

इसके बाद डीपू ने अपना लंबा लंड पकड़ कर पीछे से मेरी चूत में घुसा दिया. थोड़ी देर पहले उसका चूसने से उसका लंड कुछ ज्यादा हैं सक्रीय हो गया था.

पिछली कुछ चुदाई के मुकाबले इस बार उसका लंड कुछ ज्यादा ही फुल गया था. मेरी चूत में घुसते ही मुझको अहसास हो गया कि लंबाई के साथ अभी इसकी मोटाई से मेरी हालत ख़राब होने वाली हैं.

डीपू ने बिलकुल भी लिहाज नहीं किया कि वो उसके दोस्त की बीवी को उसके दोस्त के सामने ही ऐसे चोद रहा था, जैसे किसी किराये की चूत को चोद रहा हो. गहरे गहरे झटके मारते हुए वो इस स्तिथि में ही मजे ले रहा था.

जब से उसका लंड मेरी चूत में घुसा था तब से ही मैं लगातार सिसकिया भरते हुए कराह रही थी. सामने पति थे तो नजरे झुकाये आहें भरने लगी.

उसके झटके मारने की गति बहुत ज्यादा थी, ऊपर से उसकी लम्बाई और मोटाई मुझसे मेरे अंदर होने वाली हलचल सहन नहीं हो रहा थी.

जल्दी ही मेरा तो पानी निकलने लगा और फचक फचक की आवाज आने लगी. मैं बेहद शर्मिंदा हुई. पायल समय रुकने का इशारा तक नहीं कर रही थी. एक बार फिर वो बदला निकाल रही थी. वहा का माहौल बड़ा ही गरम हो चूका था.

पायल ने लगभग एक मिनट ज्यादा लगाया होगा समय समाप्ति की घोषणा के पहले, तब तक मेरी चूत बुरी तरह से रगड़ चुकी थी और मेरे अंदर पानी पानी हो गया था. उसका लंड निकलते ही मुझे बड़ी राहत मिली.

अशोक: “कुछ हुआ तो नहीं होगा?”

मैं: “डीपू ने पानी अंदर नहीं छोड़ा.”

डीपू: “चिंता मत करो अशोक, वैसी कोई गड़बड़ नहीं होने दूंगा. प्रतिमा तुम ठीक हो तो आगे बढे?”

मैं: “अब थोड़ा धीरे करना, पीछे तो ज्यादा ही दर्द होगा.”

डीपू: “ठीक हैं, मैं ध्यान रखूँगा. चलो अब पलट कर झुक जाओ फिर से.”

डीपू ने सुझाया कि पानी जीन्स पर गिरेगा तो मैं उसको पूरा निकाल दूँ. मुझे उसी जीन्स में वापसी का सफर करना था तो मैंने वो जीन्स पूरी निकाल दी.

मैं एक बार उसकी तरफ पीठ कर आगे झूक कर खड़ी हो गयी. उसने एक बार फिर मेरा टीशर्ट ऊपर खिसका दिया. और अपना मोटा लंबा लंड मेरी गांड में डाल दिया. अंदर जाते ही मैं इतना जोर से चीखी कि मेरी आवाज कार में गूंज गयी.

मैं बता नहीं सकती मोटाई के साथ इतनी लंबाई वाला लंड अपनी गांड में लेना सचमुच की एक सजा हैं. ऊपर से वो बेरहमी से झटके मार रहा था.

मैं लगातार दर्द के मारे चीख रही थी. “आह्ह्ह्ह धीरे डीपू, मेरी गांड फट जाएगी, प्लीज, उह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्हह आई ओ मम्मी, ओ माय गॉड छोड़ दो डीपू, आअह्ह्हह्ह्ह्ह आआआआआआ.”
Reply
12-27-2021, 01:35 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
डीपू एक हाथ मेरी पीठ पर रख जोर के धक्के मारता रहा. आगे पीछे होने से मेरी ब्रा का हूक भी खुल गया और मेरे मम्मे नीचे लटक गए. उसके हर झटके साथ मेरे मम्मे लटके हुए आगे पीछे तेजी से हिल रहे थे.

अर्शदीप कौर द्वारा लिखित एक सच्ची चुदाई की कहानी, की एक बार उसे कैसे उसकी मामी समझ कर तीन मर्द एक साथ चोद गये. यह मजेदार सेक्स की कहानी पढ़िए और हिलाते रहिये.

मेरे दर्द का असर ना डीपू पर हुआ ना पायल पर, मुझे एक बार फिर लगा उसने जानबूझ कर समय बढ़ा दिया.

मेरे चीखने के साथ ही डीपू भी सिसकिया भरने लगा “आह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्हह अह्ह्हह्ह्ह्ह उम्म्म्.”

वो मेरी गांड के अंदर ही झड़ गया और पायल तो जैसे इसी का इंतज़ार कर रही थी. उसके झड़ते ही उसने टाइम ऑफ कर दिया. डीपू ने अपना लंड बाहर खिंच लिया. मैं अब भी झुकी हुई खड़ी थी.

मेरी गांड से रह रह कर पानी झड रहा था. अच्छा हुआ जीन्स निकाल दी वरना गीली हो जाती.

अशोक और पायल ने हम दोनों को नैपकिन दिए पानी साफ़ करने के लिए. पानी साफ़ कर मैंने अपनी जीन्स फिर पहन ली. तब तक डीपू ने मेरी मदद करने को मेरे ब्रा को फिर बाँध दिया.

अशोक: “तुम ठीक तो हो ना?”

मैं: “थोड़ा दर्द हो रहा हैं नीचे.”

मेरे दोनों छेदो में रह रह कर एक टीस उठ रही थी. मैं अब चल कर पीछे वाली सीट तक आयी तब तक पायल मेरी जगह, कार के दोनों दरवाजो के बीच आ गयी. अशोक और डीपू ने भी अपनी जगह आपस में बदल ली.

अब घडी मेरे पास थी. मैं अपना बदला पायल से ले सकती थी.

अशोक ने अपनी जीन्स और अंदर के कपड़े नीचे किये. उसका लंड पहले से ही कड़क हो तैयार था, पहले का गरमा गरम कार्यक्रम देखने का बाद ये हुआ था.

पायल को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी और मेरे “गो” बोलते ही वो अशोक का लंड अपने मुँह में ले चूसने लगी.

वो एक माहिर खिलाडी की तरह लंड को अपने मुँह में गोल गोल घुमाते हुए चूस रही थी, और अशोक अपना मुंह भींचे सिसकियाँ मार रहा था. मुझसे ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ और दो मिनट होते ही मैंने उनको रोक दिया.

जब अशोक ने अपना लंड पायल के मुँह से निकाला तो दोनों जगहों से लारे छूट रही थी. अशोक भरा भराया था तो थोड़ा बहुत पानी पायल के मुँह में ही छोड़ दिया था पर पायल ने मुँह में भरा पानी नहीं थुका और गटक गयी.

अब पायल ने अपनी जीन्स को पैंटी सहित पूरी निकाल दी मेरी हालत देखने के बाद. शायद वो अपने पाँव पूरी तरह चौड़े कर चूदवाना चाहती थी.

उसने वैसा ही किया, पाँव पुरे चौड़े कर डीपू की तरफ मुँह कर झुक गयी. उसका टीशर्ट ढीला होने से अपने आप ही ऊपर खिसक गया और ब्रा दिखने लगी.
Reply
12-27-2021, 01:35 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
अब पायल ने अपनी जीन्स को पैंटी सहित पूरी निकाल दी मेरी हालत देखने के बाद. शायद वो अपने पाँव पूरी तरह चौड़े कर चूदवाना चाहती थी.

उसने वैसा ही किया, पाँव पुरे चौड़े कर डीपू की तरफ मुँह कर झुक गयी. उसका टीशर्ट ढीला होने से अपने आप ही ऊपर खिसक गया और ब्रा दिखने लगी.

अशोक ने उसके ब्रा की पट्टी अपने हाथ में दबोची और अपना लंड पायल की खुली चूत में डाल दिया. मैंने स्टॉप वाच शुरू कर दिया. अशोक अब जोर जोर से पायल को चोदते हुए जैसे मेरा बदला डीपू से ले रहा था.

पायल की सिसकिया शुरू हो गयी “उई माँ, अह्ह्ह्हह्ह हम्म्म्म आहह्ह्ह ओहह हम्म आह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह.”

साथ में अशोक की सिसकिया भी चालू थी. ज्यादा जोर लगाने से पायल का ब्रा भी खुल गया, या शायद अशोक ने जानबूझ कर किया बदले के लिए. अशोक का बैलेंस थोड़ा बिगड़ा पर वो फिर भी चोदता रहा.

मैं उसमे इतना खो गयी कि घडी से ध्यान ही हट गया. चालीस सेकंड ज्यादा हो गए थे. मैंने तुरंत उनको रुकने को कहा.

अशोक ने तुरंत अपना लंड पायल की चूत से निकाला और अगले ही सेकंड उसकी गांड में डाल कर निर्बाध अपना काम जारी रखा.

पायल को भी कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा. अभी डेढ़ मिनट ही हुआ था कि अशोक जोर से सिसकियां निकालते हुए पायल की गांड में ही झड़ गया.

समय पूरा नहीं हुआ था तो वो अब भी हलके हलके झटके मार रहा था. जिससे पायल की गांड से निकल कर पानी रिसता हुए उसकी जांघो तक आ गया. जैसे तैसे समय पूरा होने तक वो करता रहा.

उन दोनों ने काम ख़त्म कर अपनी साफ़ सफाई कर कपडे पहन फिर कार में बैठ गए.

सभी लोग उस घटना को ज्यादा तवज्जो ना देते हुए उस घटनाक्रम में हुए वाकये को लेकर मजाक बना रहे थे कि कौन कैसे प्रतिक्रिया दे रहा था.

इससे ये फायदा हुए कि हम एक दूसरे से शरमाने और मुँह छुपाने की बजाय उस चीज के बारे में ओर ज्यादा बात करते हुए उसको हंसी में उड़ाने लगे.

शायद कही ना कही सबको मजा तो आया, अपने पार्टनर के सामने, उसकी ही इजाज़त से किसी ओर से चुदाई में.

हम लोग वहा से सीधे लंच के लिए निकले. लंच के बाद हम एक झरना देखने गए. वहां भीड़ काफी थी तो थोड़ा समय के बाद हम लोगो ने उस झरने की नदी के साथ साथ होते हुए गाड़ी लेकर गए, ताकि आगे कोई शांत स्थान मिले जहा हम नदी के पास बैठ सके.

हम रोड से उतर कर, कच्चे रास्ते से होते हुए एक सुनसान जगह हमने अपनी गाड़ी नदी के पास लगाई.

पायल अशोक के पास गयी और बोली: “यहाँ हम थोड़ी देर रुकने वाले हैं तो कोल्ड ड्रिंक ले आओ ना अशोक, पीछे रास्ते में एक शॉप भी थी.”

अशोक हम तीनो को वही उतार कर वापिस कोल्ड ड्रिंक लेने चला गया.

पायल: “प्रतिमा और डीपू मुझे तुमसे एक बात करनी हैं.”

मैं: “बोलो, क्या बात हैं?”

पायल: “कल देर रात मेरी नींद खुली थी. मुझे सब पता हैं तुम दोनों के बीच क्या चल रहा हैं.”

ये सुनकर मेरे शरीर में तो जैसे खून जम गया, मेरी और डीपू की बोलती बंद हो गयी. मैं पायल से आँखें नहीं मिला पा रही थी. डीपू कुछ बोलने की कोशिश करना चाहता था पर पायल ने उसे रोक दिया और कहना जारी रखा.

पायल: “प्रतिमा, पिछले एक साल से मेरे और डीपू के बीच शारीरिक संबंध ठीक नहीं हैं.”

डीपू: “ये तुम क्या बोल रही हो प्रतिमा के सामने.”

पायल: “ये रात को बैडरूम में आता हैं, लाइट बंद करता हैं और सो जाता हैं. तुम मेरी चूत के बालों का मजाक बना रही थी, तुम्ही बताओ मैं किसके लिए अपने बाल साफ़ करू? कौन देखने वाला हैं?”

मैं: “सॉरी, मुझे पता नहीं था.”

पायल: “जिस रात हम होटल में पहुंचे थे, डीपू तुम्हारे और अशोक के साथ गया था और जब लौटा तो मेरा पुराना डीपू बन कर लोटा. वो मुझसे चिपक कर सोया था और सुबह उसने जम कर मेरी चुदाई की, जिसका मैं एक साल से इंतज़ार कर रही थी. चोदते वक्त उसके मुँह से तुम्हारा नाम भी निकल गया था. तभी मुझे पता चला कि ये तुम्हारा जादू हैं.”

उसने कहना जारी रखा और मैं ध्यान से सुनने लगी.

पायल: “एक घंटा तुम्हारे साथ बिताने से इसमें इतना बदलाव आ गया तो मैंने सोच लिया और कल पुरे दिन मैंने अशोक को अपने साथ बिजी रखा, ताकि डीपू तुम्हारे साथ समय बिता सके और मुझे मेरा पुराना रोमांटिक डीपू मिल जाए.”

मैं: “मगर जंगल में मैंने तुम्हे और अशोक को एक साथ…”

पायल: “तुमने वही देखा जो मैं तुम्हे दिखाना चाहती थी. तुम डीपू से खींची खींची सी रह रही थी. तुम हमारा पीछा कर रही थी, इसलिए मैंने ही अशोक को चूमा और उसको मजबूर किया कि वो मेरे साथ कुछ करे. ताकि तुम हमें उस हालत में देखो और डीपू के करीब जाओ.”

डीपू: “मतलब तुमने भी अशोक के साथ सब कुछ कर लिया!”
Reply
12-27-2021, 01:36 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
पायल :”नहीं, मेरा मन नहीं माना, प्रतिमा के वहा से निकलते ही मैं अशोक से दूर हो गयी और उसको दूसरी दिशा में घुमाने लगी.”

मैं: “मतलब तुम ये चाहती थी कि हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध बन जाए?”

पायल:”नहीं, मैं तो बस ये चाहती थी कि डीपू तुम्हारे साथ थोड़ा अकेले समय बिताये और बदल जाए. जंगल में उस चट्टान के पीछे शायद तुम लोग चूदाई ही कर रहे थे. पर मुझे पूरा यकीन नहीं था.”

मैं और डीपू एक दूसरे का चेहरा ताकने लगे.

पायल: “मेरे शक को यकीन में बदलने के लिए मैंने वो मसाज की योजना बनाई और फिर वो संस्कार चेलेंज. वो सजा मैंने सिर्फ इसलिए लिखी थी कि मैं देखना चाहती थी कि तुम वो चेलेंज लेती हो या सजा. अगर तुम चेलेंज छोड़कर वो सजा चुनती तो इसका मतलब तुम्हारा डीपू के साथ चक्कर चल रहा हैं.”

हम तीनो वही पत्थरो पर बैठ गए.

पायल: “ये बात अलग हैं कि बाद में उस सजा में तुम्हारे साथ मैं भी फंस गयी. मेरी रात को रह रह कर नींद खुल रही थी और फिर मैंने तुम दोनों को सेक्स करते देखा. मुझे बहुत गुस्सा आया और तुम्हे पकड़ना चाहती थी, पर अशोक सोया हुआ था और मैं उसके सामने तुम्हे पकड़ना चाहती थी.”

डीपू: “हमने इसलिए किया क्युकि तुम अशोक के साथ पहले ही सब कर चुकी थी. तुम्हारी चूत के बाल चिकने पानी से चिपके थे.”

पायल: “तुम दोनों के सोने के बाद अशोक भी सो गया था. फिर मैंने वही किया जो पिछले एक साल से सोने के पहले करती आ रही हूँ. अपनी उंगलियों को अपनी ही चूत में डाल खुद को खुश करना.”

मैं और डीपू दोनों ही शर्मिंदा थे.

पायल: “सुबह उठ कर मैंने अशोक को यकीन दिलाने की कोशिश की पर वो मानने को ही तैयार नहीं था कि तुम उसे धोखा दे सकती हो. इसलिए मैंने फिर मर्दो को शक वाला चैलेंज दिया. मुझे पता था एक बार चादर में जाने के बाद तुम दोनों फिर से चुदाई जरूर करोगे.”

मैं: “तो फिर तुमने चादर पूरा क्यों नहीं खिंचा? तुम चाहती तो अशोक के सामने मुझे रंगे हाथों पकड़वा सकती थी.”

पायल: “मैं तो करने ही वाली थी कि मुझे डीपू का मजे लेते हुए चेहरा दिख गया. मैंने सोचा प्रतिमा की वजह से मेरा पति फिर से ठीक हो गया हैं तो मैं उसका बुरा क्यों करू.”

डीपू: “आई एम सॉरी पायल, मैंने ये सब तुम्हारी पीठ पीछे किया.”

मैं: “तुमने मुझे बचाया और मैं तुम पर ही शक करती रही. मुझे लगा तुम तीनो मिले हुए हो और मुझे फंसा रहे हो. तुम मुझे माफ़ कर दो, मैंने तुम्हारे पति को समय रहते नहीं रोका.”

पायल: “नहीं नहीं, मैं तो उल्टा तुमसे खुश हूँ. देखो ये हमारा आख़िरी पड़ाव हैं, फिर हम लोग अपने घर लौट जायेंगे. ये एक आख़िरी मौका हैं, तुम दोनों को कुछ करना हैं तो कर सकते हो. अशोक की चिंता मत करो, उसको ध्यान मैं दूसरी तरफ लगा दूंगी.”

डीपू: “कैसी बात कर रही हो. अब मैं कैसे कर सकता हूँ?”

मैं: “अब हम ये नहीं कर सकते.”

पायल: “मुझे धोखे में रख तुमने मेरी मदद ही की थी, अब मैं जान चुकी हूँ तो मेरी मदद नहीं करोगी? मैं तुम्हारे साथ जबरदस्ती नहीं करुँगी, अगर तुम्हारा मन करे तो बाद मुझे इशारा कर देना और मैं अशोक को संभाल लुंगी. मैं चाहती हूँ कि तुम मेरे पति को रिचार्ज कर दो ताकि कुछ समय तक इसकी चार्ज बैटरी का मैं उपयोग कर सकू.”

तभी ..................
Reply
12-27-2021, 01:36 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
पायल: “मुझे धोखे में रख तुमने मेरी मदद ही की थी, अब मैं जान चुकी हूँ तो मेरी मदद नहीं करोगी? मैं तुम्हारे साथ जबरदस्ती नहीं करुँगी, अगर तुम्हारा मन करे तो बाद मुझे इशारा कर देना और मैं अशोक को संभाल लुंगी. मैं चाहती हूँ कि तुम मेरे पति को रिचार्ज कर दो ताकि कुछ समय तक इसकी चार्ज बैटरी का मैं उपयोग कर सकू.”

तभी सामने से अशोक की गाड़ी आते हुए दिखाई दी. वो भी हमारे साथ आकर बैठ गया. हम लोग पानी में जाना चाहते थे पर अपने साथ कोई कपड़े नहीं लाया था. सब सुबह ही बेग में पैक कर दिए थे. हम नदी के किनारे पड़े पत्थरो पर बैठ गए.

अशोक: “बचपन में मैं तालाब में खूब नहाया हुआ हूँ, सारे कपडे खोल कर.”

डीपू: “तो अभी कौन रोक रहा हैं?”

अशोक: “अब बड़े हो गए हैं तो शरम आती हैं.”

डीपू: “हम चारो के अलावा कौन देख रहा हैं? कोई भी नहीं हैं यहाँ.”

अशोक: “अपनी बीवी और दोस्त के सामने तो नंगा हो सकता हूँ पर पायल के सामने!”

डीपू: “अभी थोड़ी देर पहले ही तो ना सिर्फ नंगे हुए बल्कि पायल को तुमने चो… समझे.”

पायल: “अशोक तुम्हारी इच्छा हैं तो जाओ पानी में मुझे कोई ऐतराज नहीं, अब कैसी शर्म.”

अशोक: “अकेले शर्म आएगी, डीपू तुम भी चलो. इसी बहाने अपना पाप भी धो लेंगे.”

डीपू: “ठीक हैं, वैसे भी पानी में भीगने में मजा आता हैं”.

अशोक और डीपू अपने सारे कपड़े किनारे पर उतार कर पानी में चले गए. घुटनो के ऊपर तक पानी था. वो वहा बैठ गए और पानी उछाल मजे लेने लगे. वो हम दोनों पत्नियों को भी बुला रहे थे पर हमारे पास भी अतिरिक्त कपड़े नहीं थे तो मना कर दिया.

अशोक: “अरे आ जाओ, पानी में मजा आ रहा हैं. जीन्स टीशर्ट निकाल कर, अंदर के कपड़ो में आ जाओ, कपड़े तो सुख जायेंगे.”

पायल: “नहीं, मेरी इच्छा नहीं हैं.”

मैं: “मेरे तो अभी तक थोड़ा थोड़ा दर्द हो रहा हैं, मैं नहीं आ सकती.”

डीपू: “फिर तो तुम्हे जरूर आना चाहिए. पानी के बहाव से एक मसाज जैसा फील होगा और तुम्हारा दर्द चला जायेगा. पानी के बहाव के विरुद्ध पाँव खोल कर बैठ जाना.”

मैं: “नहीं मेरे कपडे इतनी जल्दी नहीं सूखेंगे. मैं बाद में गीले कपडे नहीं पहन सकती.”

पायल: “अरे तो उतार कर आ जाओ ना, वो दोनों भी तो बैठे हैं ऐसे ही.”

मैं: “कैसी बातें कर रही हैं, वो लड़के हैं.”

डीपू: “कर दिया ना लड़को और लड़की में भेद.”

अशोक: “अरे अब छुपाने को क्या रखा हैं, कल से ही तो हम सब देख रहे हैं.”

मैं: “पायल तुम भी चलो, मुझे अकेले शरम आएगी.”

पायल: “अरे यहाँ ओर कौन हैं, वो दोनों भी तो नंगे हैं. तुम जाओ, मैं बाद में आ जाउंगी.”

इस दर्द के साथ शाम को लम्बा सफर करना मुश्किल होगा, ये सोच मैंने अंदर जाने का मन बना लिया. मैंने अपनी जीन्स और टीशर्ट उतार दिया. फिर एक एक करके अपना ब्रा और पैंटी भी निकाल कर दूसरे कपड़ो के साथ रख दिया.
Reply
12-27-2021, 01:36 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
अब मैं जलपरी की तरह धीरे धीरे पानी में उतरने लगी. दोनों मर्द मुझे मुँह फाड़ कर देख रहे थे और तरस रहे थे.

अशोक और डीपू एक दूसरे सामने थोड़ी दुरी पर बैठे थे. अशोक पानी के बहाव की दिशा में मुँह किये हुए थे और डीपू बहाव के विरुद्ध.

मैं उन दोनों से थोड़ा पहले पानी के बहाव के विरुद्ध बैठ गयी और अपने दोनों पाँव खोल लिए. पानी मेरे कंधो के नीचे तक आ रहा था. पानी का बहाव मेरे शरीर से टकरा रहा था. खास तौर से मेरे नीचे के दोनों छेदो से टकरा कर मुझे बहुत राहत मिल रही थी.

दस पंद्रह मिनट तक बातें चलती रही और मेरी पानी वाली मसाज होती रही. फिर मुझे नीचे के कंकर पत्थर चुभने लगे तो मैं खड़ी हो गयी.

डीपू : “क्या हुआ अच्छा नहीं लगा क्या मसाज?”

मैं: “मसाज तो अच्छा लग रहा हैं पर नीचे छोटे छोटे पत्थर चुभ रहे हैं.”

अशोक: “तो इधर आओ, मेरी गोद में बैठ जाओ.”

मैं: “नहीं, तुम पानी के बहाव के साथ बैठे हो, मुझे उसके विरुद्ध बैठना हैं.”

डीपू: “एक काम करो मेरी गोद में बैठ जाओ.”

मैंने अशोक को देखा, उसने कहा “हां, बैठ जाओ, बैठना हैं तो.”

वो किस्मत वाला होता है जिसे एक हॉट देसी पड़ोसन मिलती है, और ऊपर से जब किसी पड़ोसन की कुवारी चूत चोदने का मोका मिले तो क्या ही कहने. देसी कहै पर आप ऐसी बहुत सी लेटस्ट सेक्स स्टोरीज इन हिन्दी पढ़ सकते है.

मैं अब डीपू के पास गयी और पलट कर उसकी गोद में बैठ गयी. पाँव खोल दिए और फिर मसाज लेने लगी. उसकी गोद में बैठने से थोड़ा कुशन मिला.

थोड़ी देर के लिए मैं ये भूल ही गयी थी कि उसने भी नीचे कपड़े नहीं पहने हैं. मैंने ये महसूस किया कि मेरी नरम गांड के संपर्क से उसका लंड कड़क होने लग गया था.

वो अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ टिकाये बैठा था. पानी के अंदर ही वह अब अपना एक हाथ आगे लाया और मेरी जांघो को दबा कर मेरी चूत को छू इशारा कर रहा था कि मैं उसका लंड अपने अंदर ले लू.

मैंने उसका हाथ दबा कर जैसे इशारा किया कि मैं ये नहीं कर सकती.

दो बार मना करने के बाद उसने अपना हाथ मेरी चूत पर रख मालिश करने लगा. मेरे अंदर फिर वासना की तरंगे उठने लगी. उसका लंड मेरी गांड के नीचे दबा था.

मैं थोड़ा उठते हुए ऊपर खिसकी और उसका लंड नीचे से निकाल मेरे आगे कर दिया. उसका लंड अब मेरी चूत को दबाये हुए था.

मैं अब अपना एक हाथ उसके लंड पर रख रगड़ने लगी. वो हलकी हलकी सिसकी मारने लगा. वो अपने दोनों हाथ फिर पीछे टिका कर बैठ गया और मेरे हाथ की मसाज का लुत्फ़ उठाने लगा.

थोड़ी देर बाद हमने देखा कि पायल भी अपने कपडे उतार रही हैं. दोनों मर्द सीटी बजा चिल्लाने लगे. पायल ने अपने सारे कपड़े निकाले और पानी में आकर बोली “कहा बैठु मैं?”

अशोक: “अब बस मेरी गोद खाली हैं.”

पायल: “चलो पहली बार एक औरत आदमी की गोद भरेगी.” बोलकर पायल अशोक की गोद में बैठ गयी.

डीपू बार बार अपने होंठ मेरी पीठ पर लगा चूमने लगा. मैं एक बार फिर थोड़ा उठी और उसका लंड अपनी चूत में घुसा दिया. इतनी देर पानी की मसाज के बाद मेरी चूत फिर तैयार थी एक नया दर्द लेने के लिए.

अब डीपू नीचे से ही हलके हलके धक्के मारते हुआ अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर कर रगड़ रहा था. थोड़ी देर तक ऐसे ही हम धीरे धीरे मजे लेते रहे.

जैसे ही अशोक दूसरी ओर देखता डीपू दो चार झटके जल्दी जल्दी मार लेता. पर हमें लगातार तेज झटको की जरुरत थी.
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,556,317 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 550,672 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,256,385 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 949,765 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,685,702 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,107,810 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,997,341 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,209,761 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,087,788 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,284 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)