Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
12-27-2021, 01:37 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
पायल: “मुझे धोखे में रख तुमने मेरी मदद ही की थी, अब मैं जान चुकी हूँ तो मेरी मदद नहीं करोगी? मैं तुम्हारे साथ जबरदस्ती नहीं करुँगी, अगर तुम्हारा मन करे तो बाद मुझे इशारा कर देना और मैं अशोक को संभाल लुंगी. मैं चाहती हूँ कि तुम मेरे पति को रिचार्ज कर दो ताकि कुछ समय तक इसकी चार्ज बैटरी का मैं उपयोग कर सकू.”

तभी सामने से अशोक की गाड़ी आते हुए दिखाई दी. वो भी हमारे साथ आकर बैठ गया. हम लोग पानी में जाना चाहते थे पर अपने साथ कोई कपड़े नहीं लाया था. सब सुबह ही बेग में पैक कर दिए थे. हम नदी के किनारे पड़े पत्थरो पर बैठ गए.

अशोक: “बचपन में मैं तालाब में खूब नहाया हुआ हूँ, सारे कपडे खोल कर.”

डीपू: “तो अभी कौन रोक रहा हैं?”

अशोक: “अब बड़े हो गए हैं तो शरम आती हैं.”

डीपू: “हम चारो के अलावा कौन देख रहा हैं? कोई भी नहीं हैं यहाँ.”

अशोक: “अपनी बीवी और दोस्त के सामने तो नंगा हो सकता हूँ पर पायल के सामने!”

डीपू: “अभी थोड़ी देर पहले ही तो ना सिर्फ नंगे हुए बल्कि पायल को तुमने चो… समझे.”

पायल: “अशोक तुम्हारी इच्छा हैं तो जाओ पानी में मुझे कोई ऐतराज नहीं, अब कैसी शर्म.”

अशोक: “अकेले शर्म आएगी, डीपू तुम भी चलो. इसी बहाने अपना पाप भी धो लेंगे.”

डीपू: “ठीक हैं, वैसे भी पानी में भीगने में मजा आता हैं”.

अशोक और डीपू अपने सारे कपड़े किनारे पर उतार कर पानी में चले गए. घुटनो के ऊपर तक पानी था. वो वहा बैठ गए और पानी उछाल मजे लेने लगे. वो हम दोनों पत्नियों को भी बुला रहे थे पर हमारे पास भी अतिरिक्त कपड़े नहीं थे तो मना कर दिया.

अशोक: “अरे आ जाओ, पानी में मजा आ रहा हैं. जीन्स टीशर्ट निकाल कर, अंदर के कपड़ो में आ जाओ, कपड़े तो सुख जायेंगे.”

पायल: “नहीं, मेरी इच्छा नहीं हैं.”

मैं: “मेरे तो अभी तक थोड़ा थोड़ा दर्द हो रहा हैं, मैं नहीं आ सकती.”

डीपू: “फिर तो तुम्हे जरूर आना चाहिए. पानी के बहाव से एक मसाज जैसा फील होगा और तुम्हारा दर्द चला जायेगा. पानी के बहाव के विरुद्ध पाँव खोल कर बैठ जाना.”

मैं: “नहीं मेरे कपडे इतनी जल्दी नहीं सूखेंगे. मैं बाद में गीले कपडे नहीं पहन सकती.”

पायल: “अरे तो उतार कर आ जाओ ना, वो दोनों भी तो बैठे हैं ऐसे ही.”

मैं: “कैसी बातें कर रही हैं, वो लड़के हैं.”

डीपू: “कर दिया ना लड़को और लड़की में भेद.”

अशोक: “अरे अब छुपाने को क्या रखा हैं, कल से ही तो हम सब देख रहे हैं.”

मैं: “पायल तुम भी चलो, मुझे अकेले शरम आएगी.”

पायल: “अरे यहाँ ओर कौन हैं, वो दोनों भी तो नंगे हैं. तुम जाओ, मैं बाद में आ जाउंगी.”

इस दर्द के साथ शाम को लम्बा सफर करना मुश्किल होगा, ये सोच मैंने अंदर जाने का मन बना लिया. मैंने अपनी जीन्स और टीशर्ट उतार दिया. फिर एक एक करके अपना ब्रा और पैंटी भी निकाल कर दूसरे कपड़ो के साथ रख दिया.

अब मैं जलपरी की तरह धीरे धीरे पानी में उतरने लगी. दोनों मर्द मुझे मुँह फाड़ कर देख रहे थे और तरस रहे थे.
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12-27-2021, 01:37 PM,
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अशोक और डीपू एक दूसरे सामने थोड़ी दुरी पर बैठे थे. अशोक पानी के बहाव की दिशा में मुँह किये हुए थे और डीपू बहाव के विरुद्ध.

मैं उन दोनों से थोड़ा पहले पानी के बहाव के विरुद्ध बैठ गयी और अपने दोनों पाँव खोल लिए. पानी मेरे कंधो के नीचे तक आ रहा था. पानी का बहाव मेरे शरीर से टकरा रहा था. खास तौर से मेरे नीचे के दोनों छेदो से टकरा कर मुझे बहुत राहत मिल रही थी.

दस पंद्रह मिनट तक बातें चलती रही और मेरी पानी वाली मसाज होती रही. फिर मुझे नीचे के कंकर पत्थर चुभने लगे तो मैं खड़ी हो गयी.

डीपू : “क्या हुआ अच्छा नहीं लगा क्या मसाज?”

मैं: “मसाज तो अच्छा लग रहा हैं पर नीचे छोटे छोटे पत्थर चुभ रहे हैं.”

अशोक: “तो इधर आओ, मेरी गोद में बैठ जाओ.”

मैं: “नहीं, तुम पानी के बहाव के साथ बैठे हो, मुझे उसके विरुद्ध बैठना हैं.”

डीपू: “एक काम करो मेरी गोद में बैठ जाओ.”

मैंने अशोक को देखा, उसने कहा “हां, बैठ जाओ, बैठना हैं तो.”

वो किस्मत वाला होता है जिसे एक हॉट देसी पड़ोसन मिलती है, और ऊपर से जब किसी पड़ोसन की कुवारी चूत चोदने का मोका मिले तो क्या ही कहने. देसी कहै पर आप ऐसी बहुत सी लेटस्ट सेक्स स्टोरीज इन हिन्दी पढ़ सकते है.

मैं अब डीपू के पास गयी और पलट कर उसकी गोद में बैठ गयी. पाँव खोल दिए और फिर मसाज लेने लगी. उसकी गोद में बैठने से थोड़ा कुशन मिला.

थोड़ी देर के लिए मैं ये भूल ही गयी थी कि उसने भी नीचे कपड़े नहीं पहने हैं. मैंने ये महसूस किया कि मेरी नरम गांड के संपर्क से उसका लंड कड़क होने लग गया था.

वो अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ टिकाये बैठा था. पानी के अंदर ही वह अब अपना एक हाथ आगे लाया और मेरी जांघो को दबा कर मेरी चूत को छू इशारा कर रहा था कि मैं उसका लंड अपने अंदर ले लू.

मैंने उसका हाथ दबा कर जैसे इशारा किया कि मैं ये नहीं कर सकती.

दो बार मना करने के बाद उसने अपना हाथ मेरी चूत पर रख मालिश करने लगा. मेरे अंदर फिर वासना की तरंगे उठने लगी. उसका लंड मेरी गांड के नीचे दबा था.

मैं थोड़ा उठते हुए ऊपर खिसकी और उसका लंड नीचे से निकाल मेरे आगे कर दिया. उसका लंड अब मेरी चूत को दबाये हुए था.

मैं अब अपना एक हाथ उसके लंड पर रख रगड़ने लगी. वो हलकी हलकी सिसकी मारने लगा. वो अपने दोनों हाथ फिर पीछे टिका कर बैठ गया और मेरे हाथ की मसाज का लुत्फ़ उठाने लगा.

थोड़ी देर बाद हमने देखा कि पायल भी अपने कपडे उतार रही हैं. दोनों मर्द सीटी बजा चिल्लाने लगे. पायल ने अपने सारे कपड़े निकाले और पानी में आकर बोली “कहा बैठु मैं?”

अशोक: “अब बस मेरी गोद खाली हैं.”

पायल: “चलो पहली बार एक औरत आदमी की गोद भरेगी.” बोलकर पायल अशोक की गोद में बैठ गयी.

डीपू बार बार अपने होंठ मेरी पीठ पर लगा चूमने लगा. मैं एक बार फिर थोड़ा उठी और उसका लंड अपनी चूत में घुसा दिया. इतनी देर पानी की मसाज के बाद मेरी चूत फिर तैयार थी एक नया दर्द लेने के लिए.

अब डीपू नीचे से ही हलके हलके धक्के मारते हुआ अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर कर रगड़ रहा था. थोड़ी देर तक ऐसे ही हम धीरे धीरे मजे लेते रहे.

जैसे ही अशोक दूसरी ओर देखता डीपू दो चार झटके जल्दी जल्दी मार लेता. पर हमें लगातार तेज झटको की जरुरत थी.

पायल ने हमारी हालत समझ ली थी. पायल ने बोला कि वो और अशोक दोनों अब किनारे पर जा रहे हैं. जैसे ही वो पलटे डीपू ने जोर जोर से झटके मारने शुरू कर दिए.

फिर पायल किनारे पर जाकर इस इस तरह लेटी कि उसका सर पानी के बाहर किनारे पर था जब कि पीठ से लेकर पाँव तक पानी में डूबे थे. अशोक भी उसके पास जाकर इसी तरह लेट गया.

उन दोनों के मुँह किनारे की तरफ थे, तो हम दोनों इसका भरपूर फायदा उठाते हुए चोदने के मजे लेने लगे. पानी में चुदने का मजा ही अलग था.

मैंने पायल की तरफ देखा और मुझे ग्लानि हुई, मुझे लगा मैं इतना स्वार्थी नहीं हो सकती. मैंने डीपू को कहा और हम चोदना छोड़ उनकी तरफ बढे.

हम लोग भी किनारे पर आ गए. डीपू जाकर कोक की दो बोतल ले आया.
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12-27-2021, 01:37 PM,
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मैंने पायल की तरफ देखा और मुझे ग्लानि हुई, मुझे लगा मैं इतना स्वार्थी नहीं हो सकती. मैंने डीपू को कहा और हम चोदना छोड़ उनकी तरफ बढे.

हम लोग भी किनारे पर आ गए. डीपू जाकर कोक की दो बोतल ले आया.

डीपू: “आज मैं तुम सब को एक अलग तरीके से कोक पीने का तरीका बताता हूँ. पायल, ज़रा पानी से बाहर आकर सीधी लेट जाओ.”

पायल किनारे से थोड़ा आगे जा कर सीधा लेट गयी. डीपू ने थोड़ा कोक उसकी नाभी के छेद में डाला और अपने होंठ उसकी नाभी पर रख कोक को चूस लिया. पायल की एक आह निकली.

उसने कुछ घूंट इसी तरह ओर पिए और पायल को मीठी गुदगुदी होने लगी.

डीपू: “बोतल से पीने पर इतना स्वाद नहीं आ पाता.”

अशोक: “क्या बात कर रहे हो?”

डीपू: “आओ, तुम भी ट्राय करो.”

अशोक ने मुझे भी पायल के पास एक हाथ दूर लेटाया और मेरे और पायल के बीच आकर बैठ कर थोड़ा कोक मेरी नाभी में डालने लगा पर डीपू ने टोक दिया.

डीपू: “प्रतिमा की नाभी तो सपाट हैं, क्या पियोगे? इधर मुड़ो, पायल की नाभी से पियो.”

अशोक पायल की तरफ मुड़ा और डीपू ने थोड़ा ओर कोक पायल की नाभी पर डाला और अशोक ने मजे लेते हुए चूस लिया. पायल को मजा आ रहा था अपने पेट पर होती चुम्मियो से.

डीपू: “अशोक, अब हम दोनों एक साथ पीयेंगे. रेडी?”

अब डीपू ने थोड़ा थोड़ा कोक पायल के दोनों निप्पलो पर डाल दिया और झुक कर पायल के निप्पल चूसने लगा. पर अशोक ठिठक कर रुक सा गया. डीपू निप्पल चूसने के बाद सीधा हुआ.

डीपू: “ये ओर ज्यादा मजेदार था, तुमने नहीं पिया? क्यों शरमा रहे हो? अच्छा प्रतिमा तुम आओ.”

मैं आगे बढ़ कर पायल के करीब आयी और डीपू ने फिर थोड़ा कोक पायल के दोनों निप्पलो डाल दिया और मैं और डीपू एक साथ पायल के मम्मो पर टूट पड़े. पायल जोर से सिसकियाँ मारते हुए कराहने लगी.

मैं: “हम्म, मस्त टेस्ट हैं. ऐसे पीने से टेस्ट तो बढ़ जाता हैं.”

डीपू: “चलो अशोक, अब तुम भी ट्राय करो.”

मैं पीछे हट गयी और अशोक को आगे आने की जगह दी.

फिर डीपू ने थोड़ा कोक पायल के बड़े मम्मो के बीच की गली में डाल दिया. अशोक घबरा कर रुक गया. पायल के बड़े मम्मो की ऊंचाई से कोक रिसते हुए उसकी नाभी तक आ गया.

डीपू : “जल्दी पियो, नीचे गिर जाएगा कोक.”

अशोक ने जल्दी से अपनी जीभ पायल की नाभी पर रखी और कोक चाटते हुए अपनी जीभ पायल के मम्मो के बीच की गली तक ले आया.

पायल ने एक सिसकी निकाली और मजे में तड़पते हुए अपनी पीठ जमीन से थोड़ी ऊपर उठा दी.

डीपू ने अशोक को रेडी रहने को कहा और कोक पायल के एक निप्पल पर डाल दिया, अशोक ने जल्दी से उसका निप्पल अपने होंठों में भर लिया और चूसने लगा. पायल की फिर सिसकिया निकलने लगी.

हम पायल और अशोक को साथ लाने में कामयाब हो गए और वो दोनों चोदने लगे. साथ ही डीपू ने अशोक के सामने मेरा फायदा उठाने की कोशिश शुरू कर दी.

पायल की प्यास शांत करने और अपने पापो का प्रायश्चित करने हम पायल और अशोक को करीब लाने में लग गए थे, शरीर से कोक चाटने के खेल के जरिये. अशोक भी मजे लेते हुए पायल के शरीर को चाट रहा था.

अशोक का लंड कड़क हो चूका था और पायल के बदन पर रोंगटे खड़े हो गए. डीपू ने अशोक को बोला रेडी और थोड़ा कोक पायल की चूत के थोड़ा ऊपर के बालों में डाल दिया. अशोक के होंठ पायल की चूत के बालों में उलझ गए और वहा फंसा पानी पीने लगे.

पायल रह रह कर तड़प रही थी. मैंने पायल के सर की तरफ जाकर उसके दोनों हाथों को ऊपर कर पकड़ लिए. डीपू ने थोड़ा कोक उसकी कांख की प्याली में भर दिया.
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12-27-2021, 01:37 PM,
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अशोक अपने बहाव में पायल की कांख से कोक सुड़क सुड़क कर पीने लगा और फिर उसके कांख के बालों में उलझा कोक चाटने लगा. पायल का मस्ती में कराहना अशोक को अच्छा लग रहा था.

डीपू ने फ़िर पायल की दूसरी कांख में भी यही दोहराया. डीपू ने पायल की टांग घुटनो से मुड़ा कर पाँव चौड़े कर दिए. मैं भी पायल के हाथ छोड़ कर उसकी दूसरी तरफ जाकर बैठ कर देखने लगी, जहा डीपू बैठा था.

अब डीपू ने अशोक को तैयार रहने को कहा और थोड़ा कोक पायल की चूत के थोड़ा ऊपर गिराया जो रिसता उसकी चूत की दरारों में उतर गया.

अशोक ने अपनी जबान वहा रखी जहा कोक गिराया था और वहा से चाटना शुरू करते हुए उसकी चूत की दरारों में उतर चाटने लगा.

पायल अब लगातार आहह्ह्ह आहह्ह्ह करते सिसकियाँ निकाल रही थी और अशोक सब भूल कर बहुत देर तक उसकी चूत ही चाटता रहा. मैं पायल के पास ही लेट गयी और कौतुहल से देखने लगी.

थोड़ी देर बार अशोक का नशा उतरा तो उसको अहसास हुआ कि वो क्या कर रहा हैं. फिर वो पीछे हटा और अपराधी की भांति डीपू को देखने लगा.

डीपू मेरे पांवो के पास ही बैठा था. उसने अशोक की तरफ हंस कर देखते हुए मेरी टाँगे चौड़ी कर दी और बहुत सारा कोक मेरी चूत पर गिरा दिया और अपना मुँह मेरी जांघो के बीच फंसा कर, होंठ मेरी चूत पर रख थोड़ी देर तक चाटता रहा. मैं उसके सर के बालो को पकड़ सिसकियाँ निकालने लगी.

अशोक मुझे ही देख रहे थे. उन्हें लगा उनकी गलती की वजह से डीपू मेरी भी चूत चाट रहा हैं. डीपू ने चाटना बंद किया.

अशोक: “रुको डीपू, हम अपने मजे के चक्कर में इन दोनों को क्यों फंसा रहे हैं?”

डीपू: “अरे देखो, इन दोनों को भी मजा आ रहा हैं. शरम के मारे वो थोड़े ही कुछ बोलेगी.”

पायल: “तुम लोग चिंता मत करो, मजा आ रहा हैं. करते रहो.”

डीपू: “थोड़ा थोड़ा कोक पीने में मजा नहीं आया ना? चलो ज्यादा बड़ा जाम बनाते हैं. अशोक तुम पायल के पैर पकड़ कर ऊपर उठाओ.”

किसी को ज्यादा कुछ समझ नहीं आया, पर अशोक ने पायल की दोनों टांगो को कमर से आसमान की तरफ उठा दिया. पायल ने अपने घुटने मोड़ कर अशोक के कंधे पर टिका दिए.

अब पायल की चूत आसमान की तरफ़ खुली हुई थी. डीपू ने फिर अपनी उंगलियों से पायल की चूत खोल कर उसमे थोड़ा कोक डाल दिया.

पायल की चूत में ठंडा ठंडा कोक जाते ही वो थोड़ा हिल गयी.

अशोक ने जल्दी से पायल की चूत पर मुँह लगाया और कोक चूसने लगा. पायल की चूत के पानी से कोक मिलकर एक कॉकटेल बन गयी जो अशोक मजे लेकर पी गया और फिर चाटता रहा. पायल आहें भरते हुए मजे में चिल्ला रही थी.

फिर अशोक ने अब पायल को फिर नीचे लेटा दिया.

डीपू: “अब मेरा नंबर, अशोक ये कोक पकड़ो.”

अब डिपू मेरी तरफ बढ़ा और मेरे पैर पकड़ लिए और ऊपर उठाने लगा.

मैं: “नहीं डीपू, मेरे साथ नहीं. मुझे ठंड बर्दाश्त नहीं होती. प्लीज, अशोक रोको.”

डीपू: “अरे इतनी देर से बोतले पड़ी हैं, अब ठंडी नहीं हैं.”

तभी डीपू ने मुझे भी उसी तरफ कमर से ऊपर उठा कर पकड़ लिया. उसका मुँह मेरी चूत के करीब था.

डीपू: “अशोक, अब कोक डालो.”

अशोक ने आकर मेरी चूत पर थोड़ा कोक डाला जो रिस कर नीचे उतर गया.

डीपू: “अरे थोड़ा खोल कर छेद में डालो. पूरी प्याली भर दो.”

अशोक ने अपनी उंगलियों से मेरी चूत खोली और अंदर थोड़ा कोक भर दिया. डीपू ने अपना पूरा मुँह खोल कर मेरी चूत को कवर कर लिया और अब मेरी चूत के पानी का कॉकटेल पीने लगा.

मैं रह रह कर प्रेशर निकालते हुए कोक चूत से थोड़ा थोड़ा बाहर निकाल रही थी और डीपू उसे मजे से पी रहा था. मैं नीचे आहें भरते हुए चिल्ला रही थी.

जब उसका मन भर गया तो उसने मुझे फिर नीचे लेटा दिया.

मैं: “तुम लोगो के करो तो पता चलें कितना ठंडा था?”

डीपू: “हमारे भी करते हैं रुको.”

ये कहते हुए हुए डीपू ने थोड़ा कोक अशोक के लंड पर डाल कर गीला कर दिया.

डीपू : “चलो आगे बढ़ो, पायल इंतज़ार कर रही हैं.”

अशोक ने मेरी तरफ देखा और मैंने दूसरी तरफ देखना शुरू कर दिया जैसे मुझे इससे कोई लेना देना नहीं.

फिर अशोक आगे बढ़ा और पायल के मम्मो के ऊपर जा बैठ गया. पायल के मोटे मम्मे अशोक की गांड के नीचे दब कर पिचक गए.
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12-27-2021, 01:37 PM,
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अशोक ने आगे झुक कर अपना लंड पायल के मुँह तक ले आया और पायल ने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया.

अब अशोक आगे पीछे झटके मारता हुआ पायल के मुँह को चोदने लगा. इस बीच डीपू ने अपने लंड को भी कोक से गीला किया और मेरे मम्मो को अपनी गांड से दबाते हुए बैठ गया. मैंने अपना मुँह उसके लंड के लिए खोल दिया और उसने भी मेरे मुँह को चोदना शुरू कर दिया.

थोड़ी देर ऐसे ही चोदने के बाद अशोक की नजर मुझ पर पड़ी. मैं डीपू को हलका धक्का देते हुए हटाने लगी. वो दोनों एक दूसरे की बीवियों के ऊपर से हट गए.

मैं: “छी, गन्दा. मुँह में क्यों डाला? मुझे अच्छा नहीं लगता.”

वो दोनों हंस पड़े और मजाक में टाल दिया.

डीपू ने पायल के सिरहाने जाकर उसके दोनों हाथ ऊपर की तरफ कसकर पकड़ लिए और बोला “अशोक पायल के ऊपर आओ, उसको अब अधूरा मत छोडो, वो तुम्हारे लिए ही तड़प रही हैं.”

अशोक उसको देखता ही रह गया. एक बार तो उसको यकीन नहीं हुआ कि डीपू क्या कह रहा हैं.

डीपू: “चिंता मत करो, इसके बदले मैं तुम्हारी बीवी के साथ कुछ नहीं करूँगा.”

अशोक मेरी तरफ देखने लगा.

मैं: “मुझे पता हैं तूम भी यही चाहते हो और पायल भी. मेरी तरफ मत देखो, तुम वही करते हो जो तुम्हारा मन करता हैं.”

मैंने कोक की बोतल उठायी और सारा कोक पायल के सीने से लेकर चूत तक गिरा खाली कर दिया. अशोक पायल के पुरे बदन को चाटने लगा और चाटते हुए पायल के ऊपर चढ़ गया.

प्रदीप की बहन नेहा की अल्हड जवानी जब निखर रही थी, तभी उसे अपनी मामा की बेटी की चुदाई करने का मोका मिला. इसके साथ साथ देसी कहानी पर पढ़िए दोस्त की बीवी की चुदाई की कयानियाँ फ्री में!

फिर उसने बिना देरी किये अपना लंड पायल की चूत में घुसा दिया और जोर से झटके मारते हुए चोदने लगा. पायल जोर जोर से सिसकियाँ मारने लगी और अशोक ने भी उसकी सिसकियों में साथ देना शुरू कर दिया.

डीपू ने पायल के हाथ छोड़ दिए और पायल ने अशोक की पीठ को कसकर पकड़ लिया. पायल के दोनों पाँव अजगर की तरह अशोक की कमर से लिपटे हुए थे.

डीपू मेरे पास आया और हम दोनों बैठ कर अपने साथियों को मजे लेते हुए देखने लगे. इस बीच मैं डीपू के लंड को सहला रही थी तो वो मेरी चूत और मम्मो को.

अशोक और पायल के बदन कोक से चिपके हुए थे और उनके झटको के साथ पुरे बदन से चप चप की आवाजे आ रही थी.

अंत में तो ये चप चप की आवाज पायल की चूत से आने वाली फच्चाक फच्चाक की आवाज़ों से दब गयी.

अशोक अब पायल के ऊपर से उठा और घुटनो के बल बैठ पायल के दोनों पैरो को को ऊपर उठा फिर से चोदने लगा. अशोक अब पायल को और गहराई से चोद रहा था.

पायल : “प्रतिमा मेरे मुम्मे चुसो.”

मैं पायल के ऊपर झुक कर उसके मम्मे चूसने लगी और पायल की आहें बढ़ने लगी. तभी डीपू मेरे पीछे आया और मेरे कूल्हे पकड़ कर मुझे डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू कर दिया. मैंने पायल के मम्मो को चूसना छोड़ दिया और आहें भरने लगी.

मैं: “आह्ह… डीपू , क्या कर रहे हो? अशोक, … डीपू मुझे चोद रहा हैं.”

अशोक सब देख रहा था पर पायल को चोदने की मदहोशी में सब नजरअंदाज कर रहा था. मैं भी एक लाचार बीवी की तरह नाटक करते हुए मजे लेकर चुदवा रही थी. और रह रह कर अशोक से बचाने की गुहार कर रही थी.

मुझे लगा अगर मैं गर्भवती हुई तो इल्जाम अशोक के सर मढ़ सकती हूँ कि उसने मुझे नहीं बचाया जब डीपू मुझे चोद रहा था. मैंने थकी हुई आवाज में अशोक को कहा.

मैं: “अशोक, डीपू को मुझे चोदने से रोको. अगर डीपू ने पूरा कर दिया तो मैं माँ बन जाउंगी.”

अशोक को एकदम झटका सा लगा और उसने पायल को धक्के मारना बंद कर दिया, पर उसका लंड अभी भी पायल की चूत में ही था. डीपू भी मुझे चोदते चोदते रुक गया.

अशोक: ‘डीपू, तुमने वादा किया था कि मेरे पायल को चोदने के बदले तुम्हे कुछ नहीं चाहिए पर अब तुम जबरदस्ती कर रहे हो.”

मेरा प्लान कामयाब नहीं हुआ. ना तो गर्भवती होने पर इल्जाम डीपू पर डाल पाऊँगी और ऊपर से मैं अधूरा भी छूट गयी. कम से कम एक काम तो मुझे पूरा करना ही था. मैं नाराज हो कर वहा से उठ कर जाने लगी.

वो दोनों मुझे रोकने लगे.

डीपू: “सॉरी, अशोक. मुझे लगा प्रतिमा की भी पायल को देख कर इच्छा हो रही होगी इसलिए मैंने किया. मैं प्रतिमा से माफ़ी मांग लेता हूँ और उसको समझा बुझा कर वापस लेकर आता हूँ. तुम अपना काम जारी रखो.”
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12-27-2021, 01:37 PM,
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मैं गाड़ी के दूसरी तरफ आ गयी और पीछे पीछे डीपू और अशोक भी आ गए. वो दोनों मुझसे माफ़ी माँगने लगे.

डीपू: “अरे नाराज मत हो, चल इधर आ.”

फिर डीपू ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे गले लगा दिया और पीठ सहला कर मुझे झूठी सांत्वना देने लगा.

डीपू: “अशोक, तुम जाओ पायल के पास, मैं इसे मना कर लेकर आता हूँ.”

अशोक वहा से चला गया. डीपू ने मुझे गाड़ी के दरवाजे से चिपका दिया और हाथ ऊपर कर के पकड़ कर अपना शरीर मेरे शरीर से चिपका दिया. मेरे मम्मे उसके सीने से दब गए और हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे.

हमने गाड़ी की खिड़की के शीशो से देखा, अशोक पायल को बेतहाशा चोद रहा था. इससे पहले की उन दोनों का काम हो जाये हमे हमारा काम करना था.

डीपू ने एक एक कर मेरी दोनों टाँगे उठाई और मुझे कार के बंद दरवाजे से सटा कर मेरी चूत में अपना लंड डाल कर खड़ा खड़ा ही चोदने लगा.

हमें दूर से पायल के चीखने की आवाजे आ रही थी, तो मैंने अपनी आवाज दबा कर रखने में ही भलाई समझी. ये बहुत मुश्किल काम था, खासकर जब डीपू के जैसा लंबा लंड आपकी चूत को आरी की तरह काटता हुआ अंदर तक दस्तक दे रहा हो.

अपनी आवाज तो मैं दबा रही थी पर मेरी चूत से आने वाली थप थप और फच्च फच्च की आवाजों पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं था, पर वो इतनी तेज भी नहीं थी कि आस पास की आवाजों के होते हुए अशोक तक पहुंच जाए.

कुछ देर इसी अवस्था में मैं अपनी पीठ गाड़ी के सहारे टिका और दोनों पैर हवा में लटकाये चुदवा रही थी. इस चुदाई में पता ही नहीं चला कि पायल की आवाज कब बंद हो गयी और तभी हमें हमारे करीब कुछ आहट सुनाई दी. हमने चौंक कर दाई तरफ देखा तो पायल थी.

पायल: “डरो मत, तुम लोग अपना काम करके उधर आ जाओ. अशोक शरम के मारे तुम्हारा सामना करने की हिम्मत नहीं झूटा पा रहा हैं. तुम्हे कुछ हेल्प चाहिए तो बोलो.”

मैं: “बस अशोक को संभाल कर रखना, इधर ना आ जाये.”

पायल: “डोंट वरी, नहीं आएगा. तुम्हे कितना टाइम लगेगा?”

डीपू: “अभी तो शुरू किया हैं. आखिरी बार हैं तो दस पंद्रह मिनट ओर दो.”

पायल: “ठीक हैं, कोई जल्दी नहीं. आराम से चोदो.”

मैं: “तुम्हारा कैसा रहा अशोक के साथ?”

पायल: “एकदम मस्त, दो दिन से इतना पास आकर भी तड़प रहा था तो सारा प्यार निकाल दिया मुझ पर.”

मैं: “एक राउंड ओर कर लो.”

पायल: “नहीं बाबा, मशीन थोड़े ही हूँ. चलो मैं जाती हूँ, तुम लोग आ जाना आराम से.”

पायल के जाने के बाद डीपू और मैंने जम के हमारी आखरी चुदाई का आनंद लिया. डीपू ने थोड़ी देर मुझे डॉगी स्टाइल में चोदा तो थोड़ी देर मैंने उस पर चढ़ कर चोदा और एक दूसरे को अपने रस से भीगा दिया.

मैं और डीपू बाहर आये और देखा पायल और अशोक पानी में नहा रहे हैं. हम दोनों भी पानी में जा पहुंचे.

डीपू: “अशोक, मैंने प्रतिमा को अच्छे से समझाया हैं और उसने तुम्हे माफ़ कर दिया हैं.”

पायल और डीपू ने मिलकर मुझे और अशोक को गले लगवा कर मेरी नकली नाराजगी दूर करवाई.

उसके बाद हम चारो ने एक साथ नहाने का आनंद लिया. फिर हम लोग कपडे पहन कर होटल लौट आये अपने बेग लेने के लिए.

विदा होने से पहले पायल ने मुझे अकेले में धन्यवाद दिया और कहा कि जल्द ही हम फिर किसी घूमने के कार्यक्रम में मिलेंगे और डीपू को रिचार्ज करेंगे. शायद अगली बार हम मिले तो पायल की चूत के बाल साफ़ मिले.

अशोक के साथ घर लौटते वक़्त रास्ते में याद आया कि डीपू ने इमरजेंसी पिल तो लाकर ही नहीं दी. अब मेरा क्या होगा? ये तो मेरी आत्मकथा की इस श्रृंखला की अगली कहानी में ही पता चलेगा.

वैसे आप कॉमेंट कर के बता सकते हैं कि पहली रात को अशोक जब लौटा था, तो उस के अंग गीले क्यों थे? मुझे लगा था कि शायद पसीने की वजह से हुआ होगा.

अशोक को डायरी लिखने का बहुत शौक हैं, ये मुझे अच्छे से पता था. हिल स्टेशन से घूम कर आने के दो दिन बाद, एक बार वह अपना लैपटॉप खुला रखकर जल्दी में बाथरूम में चला गया.

मैंने उत्सुकतावश उसकी डायरी के पन्नो की फोटो ले ली. आज का बोनस एपिसोड अशोक के साइड की कहानी हैं उन दो दिनों में हिल स्टेशन पर उसके साथ क्या हुआ.
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12-27-2021, 01:38 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
पहला दिन:
हम होटल पहुंच चुके थे पर राज अपनी वाइफ के साथ अभी तक नहीं आया था. काफी समय बाद राज से आमने सामने मिलना होगा, पर असल इंतज़ार राज का नहीं पायल से मिलने का था.

जिस दिन से राज की शादी में पायल को उस दुल्हन के लिबास में देखा था उसकी सुंदरता पर मोहित हो गया था.

उस दिन मैं ये कामना कर रहा था कि कोई चमत्कार हो और मेरे दोस्त का मेरे प्रति प्यार जाग जाये और उसकी बजाय मुझे सुहागरात मनाने दे पायल के साथ.

खैर वो कामना तो पूरी हो ना सकी, पर उसके बाद जब जब पायल मेरे सामने आती मेरा मुझ पर काबू रखना बहुत मुश्किल हो जाता.

आज काफी समय बाद मैं एक बार फिर पायल को फिर देख पाउँगा, ये विचार आते ही मेरे शरीर में एक अजब सी सिहरन हो रही थी.

आखिर राज का फ़ोन आया कि वो होटल पहुंच चुके हैं. मैं तो मिलने को तड़प रहा था और एक मिनट भी ओर नहीं रुकना चाहता था. पर प्रतिमा ने रोक दिया कि वो लोग थके आये हैं तो फ्रेश होने को थोड़ा समय दिया जाये.

एक एक सेकंड मुश्किल था पर फिर मिलना हुआ. पायल का खूबसूरत चेहरा एक बार फिर देख कर जैसे दिल की प्यास बुझ सी गयी. राज को गले लगाया, सोचा काश पायल भी गले लग जाए तो दिल को थोड़ा सुकून मिले, पर वो तो हुआ नहीं.

पायल का वजन थोड़ा बढ़ा हुआ लग रहा था, पर उसका आकर्षण ऐसा था कि मेरी नज़रे उस पर से हट नहीं रही थी. मेरा तो उसको देख कर मन भी नहीं भरा था कि उसकी थकान की वजह से हम तीनो को वहा से जाना पड़ा.

फ़ोन की घंटी बजी, विश्वास नहीं हुआ कि पायल का फ़ोन था.

उसने मुझे ये बताने से रोका कि फ़ोन उसने किया हैं और मुझे बिना किसी को बताये अपने कमरे में आने को कहा. मुझे समझ नहीं आया क्या हुआ. मैं रिसेप्शन से फ़ोन आने का बहाना बना पायल के कमरे पर पंहुचा. रास्ते में मैं यही सोच रहा था कि क्या वो भी मेरी तरफ आकर्षित थी.

पायल ने मुझे बताया कि राज का शायद किसी ओर महिला से चक्कर चल रहा है. राज काफी समय से उससे ढंग से बात नहीं करता और बहुत कुछ छुपाता हैं.

फिर पायल ने मुझे कुछ नंबर भी दिए जो उसके हिसाब से राज की महिला मित्र के थे. वो मुझसे चाहती थी कि मैं उन नम्बरो पर फ़ोन करके उसको बताऊ कि वो कौन लोग हैं.

मैं तुरंत बाहर गया और पब्लिक फ़ोन से उन नंबरो को घुमा कर पता करने की कोशिश की कि वो किसके हैं. उनमे से एक नंबर किसी महिला ने उठाया था. ज्यादा तो कुछ पता नहीं चल पाया पर जो भी मालुम चला मैंने आकर पायल को बता दिया.

वो बहुत रुआंसी हो गयी थी, मैंने उसको सांत्वना देने की कोशिश की. उसका रोता हुआ चेहरा देख कर मुझे अच्छा नहीं लग रहा था. वो मेरे कंधे पर सर रख कर रोने लगी. मेरे तो पुरे तन बदन में आग लग गयी जब उसने मुझे पहली बार छुआ.

मेरा हाथ बरबस ही उसकी पीठ और कंधो पर था और उसे ढांढस बंधा रहा था. उसका एक मम्मा मेरे सीने को छू रहा था और उसके उन नाजुक अंगो को छु जाने से मेरे शरीर में करंट दौड़ गया.

उसके दूसरे मम्मे के आगे का नुकीला भाग मेरे सीने को थोड़ी थोड़ी देर से चुभ रहा था. पैंट में मेरा लंड खड़ा हो गया था.

इससे पहले कि मैं अपने आप से नियंत्रण खो दू और पायल की नजरो में गिर जाऊ, मैंने उसको अपने आप से दूर किया और उसको चिंता ना करने की सलाह दी. मैंने उसको वादा किया कि मैं राज से बात करूँगा और उसको समझाऊंगा.

मैं उसके कमरे से तो बाहर आ गया पर सोचने लगा मैंने एक अच्छा मौका खो दिया. थोड़ी सी और देर में वो शायद मेरे सामने आत्मसमर्पण कर देती.

मेरा लंड अभी भी कड़क था, अपने कमरे में जाने की इच्छा नहीं थी. मैं रिसेप्शन के पास बने बाथरूम में पंहुचा और पायल को अपने सामने सोचते हुए मैंने हस्तमैथून किया.

रिसेप्शन से जाकर थोड़ी जानकारी जुटाई और फिर अपने रूम पर आ गया.

प्रतिमा मुझसे रात को सोते वक़्त शायद कुछ उम्मीद कर रही थी और मेरे पाजामे में भी हाथ डाल दिया था. पर मेरा तो हो चूका था तो उसकी मदद नहीं कर पाया.
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12-27-2021, 01:38 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
दूसरा दिन:
सुबह पायल का मिजाज बिलकुल बदला हुआ था. कल शाम को जितना निराश लग रही थी आज उतना ही खिली खिली थी. शायद कल रात को मेरी सांत्वना से उसको अच्छा लगा या फिर राज हिल स्टेशन के माहौल में आकर बदल गया था.

शायद पहला कारण ही सही था, पायल सुबह से ही मेरे साथ रही, वो मुझसे से चिपक चिपक कर फोटो ले रही थी. कही वो मुझमें रूचि तो नहीं ले रही थी राज की बेवफाई से तंग आकर.

मेरे सारे सवालों का जवाब जल्द ही मिल गया जब पायल ने अकेले जंगल में मौका देखकर मुझे किस कर दिया. पायल के उस पहले चुम्मन को मैं ज़िंदगी भर नहीं भूल पाऊंगा. उसके वो नरम होंठ और उनसे छूटता प्रेम रस मेरे होठों को गीला कर रहा था.

मुझे ज्यादा कुछ समझ नहीं आया, शायद इतनी देर से मेरे साथ रहने की वजह से वो मुझ पर इतना यकीन करने लगी थी.

आस पास प्रतिमा और राज नहीं थे तो हम एक छुपी हुई जगह आ गए. मैंने पहली बार पायल के वो मम्मे देखे जिनको देखने के लिए मैं सालों से तड़प रहा था.

मेरा पूरा शरीर रोमांच से कांप रहा था. मेरा लंड पायल की चूत में जाने को लालायित हो रहा था. जब वो अंदर घुसा तो जैसे एक बहुत बड़ी राहत मिली. मेरे लंड में इतनी फड़फड़ाहट थी कि अगर मैं उसके अंदर डाल हिलता नहीं तो भी मेरा हो जाता.

ज्यादा समय नहीं हुआ था कि मैंने उसको डॉगी स्टाइल चोदना शुरू किया था कि वो हड़बड़ाहट में हट गयी. मुँह को लगी प्याली जैसे मेरे हाथों से छूट गयी.

जो कुछ भी हुआ उसके लिए वो आरामदायक महसुस नहीं कर रही थी. उसके हाथ थर थर कांप रहे थे जैसे उसने कोई गुनाह कर दिया हो. शायद उसको पकडे जाने का डर था.

मैंने उसको बहुत समझाने की कोशिश की के इसमें कुछ गलत नहीं, खासकर जब राज खुद ही किसी औरत के साथ चक्कर चला रहा था. पर वो मानने को तैयार नहीं हुई.

हम लोग फिर से कपडे पहन धीरे धीरे आगे चल पड़े. मगर राज और प्रतिमा गुम गए, उनको जल्द ही ढूंढ निकाला, वो दोनों भी हमें ही ढूंढ रहे थे.

शाम को होटल लौटते वक़्त पता नहीं पायल को फिर क्या हुआ कि उसने मुझसे मसाज करवाने की ठान ली. शायद वो राज को जलाना चाहती थी. पायल की मसाज करते मुझे मजा आने लगा था.

आगे जो हुआ उसके बारे में मैं सोच भी नहीं सकता था, पायल एक के बाद एक धमाके कर रही थी और बाकी हम सारे लोग उसका साथ दे रहे.

मुझे पायल के मम्मे दबाने का मौका मिला और फिर हम लोग इतना खुल गए कि मैं उसकी चूत की मसाज भी कर रहा था.

हलांकि पायल के इस खेल में प्रतिमा भी पीस गयी, राज जैसा बेवफा आदमी मेरी बीवी की चूत चाट रहा था और पायल उसका भरपूर साथ दे रही थी, सिर्फ खुद को जिताने के लिए. पायल को अच्छे से पता था कि राज बेवफा हैं फिर वो उसका साथ कैसे दे सकती हैं.

पायल जब मेरी गोद में एक पत्नी के अधिकार की तरह आकर बैठी तो मेरी दिल की कलिया खिल गयी, यहाँ तक कि उसने खुद मेरे हाथ पकड़ कर अपने मम्मो पर रख दिए.

इस चक्कर में बेवफा राज ने प्रतिमा के कपड़ो में हाथ डाल दिया, गुस्सा तो बहुत आया पर पीना पड़ा.

फिर वो साथ में सोने वाला खेल शुरू हुआ, मुझे पायल के नंगे बदन से अपना नंगा बदन छुआने का अवसर मिला और मैंने भी जी भर के मजे लिए, अपनी भावनाये कैसे रोकी मुझे ही पता था.

मैं ये भी भूल गया कि प्रतिमा को राज ने नंगी कर चिपका के लेटा था और उसके अंगो पर हाथ फेर रहा था. पर उस वक़्त मैं स्वार्थी हो गया था.

प्रतिमा और राज के सोने के बाद मैंने अपना गीला लंड पायल की चूत में उतार दिया, पर उसने मुझे तुरंत मना कर दिया. इसके बावजूद मैं उसको झटके मारता रहा कि उसको अच्छा लगेगा पर वो थोड़ा नाराज हो गयी और खुद ही मेरा लंड पकड़ कर बाहर निकाल दिया.
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12-27-2021, 01:38 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
तीसरा दिन:
शायद मैंने राज पर भरोसा कर ये गलती कर दी थी. सुबह उठते ही पायल मुझे यकीन दिलाने लगी कि राज ने प्रतिमा को भी बेवफाई में शामिल कर लिया हैं. मैं ये मानने को तैयार नहीं था. प्रतिमा से बात करके भी मुझे ये बात साफ़ हो गयी थी कि ये भ्रम हैं.

पायल ने मुझे उकसा कर एक बार फिर वही खेल खेला. चादर लगने के बाद मैं और सब्र नहीं कर सका. मैंने पायल की चूत में लंड डाल ही दिया, क्युकी मुझे पता था कि वो मुझे मना कर भी नहीं सकती थी क्युकि सामने राज था.

पर मैं गलत था, उसने राज को अपनी मदद को पुकारा पर राज को ये सब एक जाल लगा और मदद को नहीं आया. कही न कही पायल को भी मजा आने लगा था. मैंने बिना आवाज किये जितना कर सकता था उतना उसको चोदने के मजे लिए.

पर ये खेल शायद मुझ पर ही भारी पड़ा, राज को एक बार फिर मौका मिला प्रतिमा के साथ सोने का. जैसे ही उसका लंड प्रतिमा की चूत के पास आया मुझे बुरा लगा, ये राज भरोसे के काबिल नहीं. पायल ने उन पर चादर डाला फिर तो माहौल बिलकुल ही बदल गया.

मैं मन ही मन जल रहा था कि कही राज कुछ गलत ना कर बैठे. पर प्रतिमा के चेहरे पर चढ़ी मस्ती को देख कर मेरा मन हल्का भी हुआ.

पायल तो उनका चादर खींचने वाली थी. मैं निर्णय नहीं कर पा रहा था कि पायल वो चादर खींचे या ना, अगर खींच दिया और सच में राज प्रतिमा को चोद रहा होगा तो क्या होगा. मैं इसी सच को मान कर आगे बढ़ा कि चादर में कुछ नहीं हुआ था.

कार में जब सजा के बारे में पता चला तो एक बार तो सदमे में आ गया. फिर लगा कही ये मेरा सपना सच होने जैसा तो नहीं. मेरा सदा सपना रहा कि मैं और प्रतिमा किसी ओर जोडे के साथ मिलकर एक दूसरे के पार्टनर को चोदे. दो दो मिनट के लिए ही सही वो सपना कही न कही सच होने जा रहा था.

प्रतिमा जब राज का लंड अपने मुँह में ले चूस रही थी तो मुझे पहले थोड़ी जलन हुई. उसने अपने मुँह में जमा राज का वीर्य थुंका तो मुझे अच्छा लगा कि उसके लिए ये मजा नहीं सच में सजा हैं.

फिर जब राज ने प्रतिमा को चोदना शुरू किया, तो प्रतिमा ने अपना चेहरा मुझसे छुपा लिया. मुझे उसकी नारी लज्जा पर गर्व हुआ.

एक मर्द और औरत की कमजोरी उसके नाजुक अंग होते हैं, जब उसके साथ वो सब कुछ हो रहा था फिर भी उसे मेरा ख्याल था.

उसने अपना शरीर जरूर कुछ मिनटों के लिए राज को दे दिया था पर मन से वो मेरी ही थी. मगर कही न कही मेरा वो एक ओर सपना पूरा कर रही थी. मैं हमेशा उसको किसी ओर के साथ चुदता देखना चाहता था.

राज ने जब प्रतिमा की गांड मारना शुरू किया तो मुझसे उसका दर्द नहीं देखा गया. वो मुझे भी कभी कभार ही अपने पीछे से करने देती थी पर यहाँ तो मज़बूरी थी. राज पर गुस्सा भी आया कि उसने ज़रा भी नरमी नहीं बरती.

यहाँ तक कि वो प्रतिमा की गांड में ही झड़ गया. उन छह मिनटों में मेरा लंड कड़क हो गया था. मैं राज से अपना बदला निकालने के लिए पायल को निशाना बनाना चाहता था.

पायल भी जिस तरह से मेरा लंड मुँह में डाल अच्छे तरीके से हिला रही थी वो कला तो प्रतिमा के पास भी नहीं हैं. मेरा तो पानी वही निकलना शुरू हो गया था और जिस तरह से पायल ने मेरा वीर्य अपने गले के नीचे उतार दिया मुझे लगा कि वो मुझे स्वीकार कर चुकी हैं.

उसके बाद मैंने उसकी चूत को जमकर चोद प्रतिमा का बदला भी लिया. मैं तो उसकी चूत में ही झड़ने वाला था पर कोई बात नहीं मैंने अपना बाकि का काम उसकी गांड में कर के हिसाब चुकता कर दिया.

बाद में सोचा, अच्छा ही हुआ जो सजा का टास्क हुआ, इस बहाने छह मिनट के लिए ही सही, मेरा एक सपना पूरा हुआ पार्टनर की अदला बदली का.

ये भी ठीक ही हुआ की हम चारो के मन में अब कोई गुस्सा या बदले वाली भावना नहीं रही थी. कही ना कही हम चारो ने इसको अच्छे तरीके से निभाया था.

बरसो बाद नदी में नंगे नहाने का आनंद मिला. प्रतिमा को सामान्य होते देख मुझे ख़ुशी हुई. उसे राज से कोई शिकायत नहीं थी और उस घटना को भूल वो एक अच्छे दोस्त की तरह पेश आ रही थी. मेरे कहने पर वो उसकी गोद में भी बैठ गयी.

जब पायल बिना कपड़ो के मेरी गोद में आकर बैठ गयी, तो मेरी शरीर में फिर तरंगे पैदा होने लगी थी. चोदने की इच्छा तो बहुत हो रही थी पर प्रतिमा और राज के सामने कैसे मुमकिन था.

एक बार सोचा वो सजा फिर शुरू हो जाए, और इस बार दो मिनट की लिमिट ना हो.

दोस्तों देसी कहानी पर आपके लिए हजारों देसी इन्सेस्ट स्टोरीज मोजूद है. जिन्हें पढ़ कर आप पूरा लुफ्त उठा सकते है.

राज और प्रतिमा जब पायल के मम्मो को चाट रहे थे तो मेरी भी बड़ी इच्छा हुई और दूसरे आमंत्रण के बाद तो जैसे मैं पायल पर टूट ही पड़ा.

जिसके शरीर को आप पसंद करते हो उसको इस तरह छूने का मौका मिले तो कौन छोड़ेगा. खास तौर से पायल की कोक भरी चूत को चाटने का स्वाद मैं ज़िन्दगी भर नहीं भूल पाउँगा.

जब राज ने प्रतिमा के चूत पर कोक डाल चाटना शुरू किया, तो मुझे उसकी मंसा समझ में आयी कि मुझे पायल के साथ लगा कर वो प्रतिमा के मजे लूटने चाहता था.

शायद मैं भी उससे यही बात काफी समय पहले कहना चाहता था पर कभी कह नहीं पाया. मैंने उसका बुरा नहीं माना बल्कि अच्छा लगा जिस तरह प्रतिमा सिसकिया निकालते हुए मजे ले रही थी.

औरतो के अंगो को चाटने तक ठीक था पर राज ने मेरा लंड भी पायल के मुँह में डालने को बोल दिया. मुझे लगा सब लोगो का मूड वैसे भी तैयार हैं तो मैं ज्यादा झिझका नहीं.

जब मामला चोदने तक पहुंच गया तो मैं ठिठक गया. मन में चाहता था कि प्रतिमा भी पास में लेटे लेटे मेरी आँखों के सामने चुदवाये.

पर राज ने बोला उसका ऐसा कोई इरादा नहीं और प्रतिमा भी इस बात से खुश थी तो मैं ज्यादा जोर नहीं देना चाहता था.

मैंने पायल को चोदना शुरू कर दिया वो भी राज और प्रतिमा के आँखों के सामने. थोड़ी घबराहट भी थी कि वो दोनों क्या सोचेंगे पर पायल का लाल चेहरा देख कर मैं सब भूल गया.

पहली बार पायल को आगे से चोद कर मजा आने लगा. वो मुझे ओर उत्तेजित कर रही थी.

ज़िन्दगी में पहली बार बिना मज़बूरी के मैं प्रतिमा के सामने किसी और औरत को चोद रहा था. ये सोच कर ही मेरे शरीर में खून तेजी से दौड़ रहा था.

मैं ज्यादा जोर लगाने के लिए बैठ कर चोदने लगा ताकि मैं प्रतिमा का चेहरा भी पढ़ पाता कि उसको कैसा लग रहा हैं. प्रतिमा मेरा साथ देते हुए पायल के मम्मे चूसने लगी. मुझे लगा उसकी भी इसमें रजा हैं और शायद उसकी भी इच्छा हो रही होगी.

मैंने राज को इशारा कर दिया कि वो प्रतिमा को चोद सकता हैं. राज तो मेरे इशारे का ही इंतजार कर रहा था, उसने जल्दी से प्रतिमा को पीछे से ही चोदना शुरू कर दिया.

प्रतिमा थोड़ा विरोध करने लगी पर मुझे लगा वो शर्म के मारे नखरे दिखा रही होगी. पर उसकी चिंता शायद गर्भवती हो जाने की थी. मैंने मामले की गंभीरता को देखते हुए राज को इशारे से रोका. तब तक प्रतिमा हमसे नाराज हो चुकी थी.

मुझे लगा हमारा खेल बर्बाद हो गया, प्रतिमा अभी इन सब चीजों के लिए तैयार नहीं हुई हैं. हमने शायद जल्दबाजी कर दी. हम दोनों उसको मनाने गए. राज ने आगे बढ़ कर वो जिम्मेदारी संभाली और मुझको फिर पायल के पास भेज दिया.

मैं भी पायल को अधूरा नहीं छोड़ना चाहता था. वापस पायल के पास आकर मैंने उसको फिर से चोदना शुरू कर दिया था. अब पता नहीं हम दोनों कितने समय बाद मिले इसलिए मुझे अगले काफी समय के लिए एक साथ चोदना था.

खुले आसमान के नीचे किसी दूसरे की बीवी को उसी की इजाजत से चोदने का क्या मजा हैं वो मुझे पता चला. जिसको चोदने के सपने खुली आँखों से देखते हैं अगर उसी को हकीकत में चोदने का मौका मिल जाये तो फिर क्या कहना.

मैं अपना एक सपना जी रहा था. मुझे नहीं पता मेरे लंड ने इतना सारा पानी कभी एक साथ निकाला हो. पायल की पूरी चूत अंदर बाहर से मेरे और उसके पानी से भर चुकी थी.

हम दोनों उठ कर एक साथ नदी में कूद पड़े और एक दूसरे को रगड़ कर नहलाने लगे. मैं तो भूल ही गया कि प्रतिमा नाराज हुए बैठी हैं. पायल उसको लेने गयी और खाली हाथ लौट आयी. पर उसने दिलासा दिया कि वो अब ठीक हैं और थोड़ी देर में आ जाएगी.

राज जब उसको लेकर आया तो प्रतिमा अपनी मदमस्त चाल में चलती हुई आ रही थी. उसके मम्मे चलने के साथ ही उछलते हुए आ रहे हैं थे. उसे देख कर मुझे लग गया कि वो अब मुझसे नाराज नहीं होगी.

उसने आकर मुझे गले लगा कर माफ़ कर दिया. उसने मेरे गुनाह माफ़ कर दिए, वो भी ऐसा गुनाह करती तो शायद मैं भी उसे बड़ा दिल रखते हुए माफ़ कर देता.

जाते जाते मैंने राज को धन्यवाद दिया कि उसने मुझे अपनी बीवी को चोदने का मौका दिया, उसने भी मुझसे वादा लिया कि अगली बार जब हम फिर घूमने जायेंगे तब मैं उसका ये अहसान चुका दू.

मुझे उस दिन का इंतज़ार रहेगा जब हम चारो फिर से एक साथ घूमने जायेंगे, इस बार मैं प्रतिमा को पहले ही इन सब चीजों के लिए तैयार कर लूंगा. मेरा अदला बदली कर चोदने का सपना शायद अगली बार पूरा हो जाये.

डायरी समाप्त

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12-27-2021, 01:38 PM,
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
इन दो दिनों में मैंने डीपू के साथ कई बार असुरक्षित चुदाई करवाई और मेरे सर पर गर्भवती होने का भय मंडरा रहा था.

उस बात को अब एक सप्ताह हो चूका था और अभी भी मेरे संभावित पीरियड आने में दो सप्ताह बाकी थे, जो कि मेरा भविष्य तय करने वाले थे.

मैं इस बीच प्रार्थना के अलावा कुछ नहीं कर सकती थी. सासुजी अभी भी हमारे साथ ही थे और दो दिन बाद अपने घर लौटने वाले थे.

रविवार की सुबह थी, छुट्टी का वो दिन जब देर तक सोने को मिलता हैं. 9 बज चुके थे और मैंने उठने का फैसला किया. बच्चा और पति अभी भी सो रहे थे. मैंने उठ कर नित्य कर्म करके रोजमर्रा सफाई में जुट गयी.

अब बच्चा उठ चुका था, तो मैंने सबके लिए नाश्ता तैयार कर दिया. दस बज चुके थे और बाजार के कुछ काम निपटाने थे, तो मैं नहाने चली गयी. पति अभी भी सो रहे थे, देर रात तीन बजे तक मैच देख रहे थे तो उनको उठाना ठीक नहीं समझा.

वैसे भी जब से हिल स्टेशन से हम लौटे थे, वो मुझे अवॉयड कर रहे थे. शायद मेरी आँखों के सामने जिस तरह उन्होंने पायल के साथ जो कुछ किया था, उस वजह से नज़रे नहीं मिला पा रहे थे.

डीपू को तो मैं पायल के पास लाने में कामयाब हो गयी थी, पर मेरा खुद का पति मुझसे जैसे दूर हो गया था.

मैं अकेले ही बाहर जाने को तैयार हो गई. जाते हुए टीवी देख रहे सासुजी को बोल दिया कि पति उठ जाए तो बता देना नाश्ता रखा हैं खा ले, मैं दो घंटे में वापिस आ जाउंगी.

मैंने अपनी स्कूटी निकाली और बाजार की तरफ चल पड़ी. महिलाए स्वतंत्र हो तो अच्छा हैं किसी पर छोटे मोटे कामो के लिए निर्भर नहीं रहना पड़ता.

छुट्टी के दिन शायद सब लोग ज्यादा ही आलसी हो जाते हैं, सड़के लगभग खाली थी और बाजार में भी भीड़ नहीं थी.

घंटे भर में ही मैं सारे काम निपटा चुकी थी. वापिस घर निकलने के लिए फिर से स्कूटी के पास आयी, तभी ख्याल आया मैं जिस इलाके में हूँ वही पास में मेरी कॉलेज की सहेली मैना का फ्लैट हैं. महीने भर से ज्यादा हो गया था उससे मिले और बात किये.

अपना फ़ोन निकाला उसको फ़ोन करके पूछने के लिए और फिर यह सोच कर रख दिया की सीधा घर पहुंच कर ही उसको सरप्राइज देती हूँ, वो बहुत खुश हो जाएगी. मैं स्कूटी लेकर उसके घर की तरफ निकल पड़ी.

साल भर पहले की ही बात थी जब वो इस नए फ्लैट में शिफ्ट हुई थी. आये दिन उसकी ससुराल वालों से झड़प हो जाती थी, इसलिए वो अपने पति के साथ इस फ्लैट में अलग रहने आयी थी.

अब उसके फ्लैट की बिल्डिंग सामने ही नज़र आ रही थी, कि तभी अचानक से तेज बारिश शुरू हो गयी. बादल तो सुबह से ही छा रहे थे, पर अचानक तेज बारिश की उम्मीद नहीं थी.

मैं कुछ बचाव कर पाती उससे पहले ही अगले कुछ सेकंड में मैं पूरी भीग चुकी थी.

उसकी बिल्डिंग के अहाते में पहुंच कर वहां स्कूटी पार्क करते ही बारिश धीमी पढ़ गयी, जैसे सिर्फ मुझे भिगोने ही आयी थी.

मेरा सफ़ेद कुर्ता भीग कर मेरे शरीर से चिपक चूका था और अंदर से मेरा ब्रा साफ़ दिखाई दे रहा था. ऊपर से मैंने आज दुपट्टा भी नहीं डाला था, जिसका की आजकल फैशन ही नहीं हैं पर आज बड़ी जरुरत थी.

एक बार सोचा इस हालत में उसके घर कैसे जाऊ, वापिस अपने घर चली जाती हूँ. फिर सोचा इस हालत में आधा घंटा गाडी चलाना भी ठीक नहीं. मैना से उसके कपडे लेकर एक बार बदल लुंगी.

बिल्डिंग का वॉचमन अपने रजिस्टर में मेरी एंट्री करने लगा, बीच-बीच में वो मुझे घूर रहा था. क्योकि मेरे कपडे भीग कर मेरे बदन से चिपके हुए थे. मुझे उस पर बड़ा गुस्सा आया, ऐसे लोग औरतो की इज्जत नहीं करते और गलत नजरो से देखते हैं.

उसे थप्पड़ मारने की इच्छा हुई, पर अपने आप को नियंत्रित किया. मैं अब लिफ्ट की तरफ बढ़ी और दूसरे माले पर पहुंची जहा मैना का फ्लैट था. डोरबेल बजायी, घंटी पूरी बजी भी नहीं थी की दरवाज़ा खुल गया और उसकी छोटी बच्ची बाहर निकली.

मैं उससे कुछ कहती उससे पहले ही वह भाग कर सीढ़ियों से ऊपर के माले पे चली गयी, उसके हाथ में खिलोने भी थे. शायद छुट्टी के दिन अपने पड़ोस की सहेली के यहाँ जा रही थी. अब दरवाज़ा खुला था तो मैं अंदर चली गयी, दरवाज़ा बंद कर दिया.

अंदर कोई दिखाई नहीं दे रहा था. सामने रसोईघर भी खाली था. मैंने उसको आवाज़ लगाई. दूसरी आवाज़ देने ही वाली थी कि उसके पति संजीव बैडरूम से बाहर आये और मुस्करा कर अभिवादन किया. मैंने भी मुस्करा कर जवाब दिया.

मुझे इस भीगी हालत में देख कर चिंतित हुए और कहाँ “शायद बारिश बहुत जोर की हुई हैं”.
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