Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-06-2017, 10:01 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैने भी सबको मॉर्निंग विश कर के वही बैठ गया…और अनु को देखने लगा ..पर अनु तो बिल्कुल नॉर्मल थी…ऐसा लग ही नही रहा था कि इसे कुछ भी फ़िक्र है कि कल रात को मैने इसे लंड चूस्ते हुए पकड़ा था…..

मैने सोचा कि अभी जाने दो इससे तो आज एग्ज़ॅम के बाद बात करूगा…..वहाँ दूसरी तरफ रक्षा मुझे देखते हुए स्माइल दे रही थी..वही पूनम दी का हाल था…पारूल भी स्माइल देने लगी...

फिर मैने नाश्ते पर फोकस किया और नाश्ता करने लगा ….

और नाश्ता कर के हम सब एक साथ एग्ज़ॅम के लिए निकले....

कार मे मैं और संजू आगे थे और पूनम दी, अनु और रक्षा पीछे थी…..



स्कूल पहुँच कर हमने एग्ज़ॅम दिए और एग्ज़ॅम के बाद अपने-अपने फ्रेंड्स के साथ गप करने लगे…

तभी मुझे अकरम ने इशारा करके बुलाया…और मैं समझ गया कि इसकी मोम की बात होगी…

फिर मैं अकरम के पास गया और हम सबसे दूर स्कूल के ग्राउंड मे निकल गये…

मैं- हाँ भाई अब बोल…क्या बात है

अकरम- क्या बोलू यार..वही मोम के बारे मे बात करनी थी…

मैं- हाँ , मैं समझ गया था…बोल कुछ हुआ क्या..???

अकरम- नही भाई..कल तो वो आई ही थी…और कल कुछ नही हुआ…

मैं- तो आज..???

अकरम- नही रे ..आज भी कुछ नही होगा…

मैं- तुझे इतना भरोशा कैसे है..??

अकरम- वो ..मेरी मोम मेरी मौसी के साथ है ..इसलिए..

मैं- हाँ यार..तेरी मौसी से याद आया ..कि कल तो वो दिखी ही नही…वो तो तेरे साथ ही रहती है…कहाँ थी वो...???

अकरम- हाँ सादिया मौसी..वो कल मेरी नानी के पास थी..नानी की हालत कुछ ठीक नही थी…


मैं- ओके…तो आज आ गई क्या…???

अकरम- नही..आज मोम भी नानी के पास उन्हे देखने गई है…

मैं- ओह…तो अभी तो कोई प्राब्लम नही होगी..

अकरम- हाँ पर जब वो वाइस आयगी तब…???

मैं- अरे भाई मैं हूँ ना…बोला था ना कि मैं सब ठीक कर दूँगा…

अकरम- भाई तेरे भरोसे पर ही मैं कॅंप मे जाने को रेडी हुआ….एग्ज़ॅम के बाद मेरा कॅंप है…

मैं- हाँ भाई ...तू आराम से जा..मैं सब ठीक कर लूँगा…

अकरम- ओके...भाई...

मैं- अब टेन्षन छोड़ और नेक्स्ट पेपर की तैयारी कर...चल अब...

अकरम- हाँ चल...

जैसे ही हम वापिस आ रहे थे कि मेरे फ़ोन पर अनु का कॉल आने लगा...


मैं(मन मे)- ये अभी क्यो कॉल कर रही है…देखते है ..अब क्या बोलती है…


मैं- अकरम तू रुक थोड़ा..ये कॉल इम्पोर्टेंट है….और मैं थोड़ी दूर जाकर बात करने लगा….

( कॉल पर)

मैं- हाँ बोलो…

अनु- भैया..कहाँ हो आप…???

मैं- स्कूल के ग्राउंड पर..क्यो क्या हुआ..???

अनु- वो..मुझे आपसे बात करनी थी…

मैं- कैसी बात…

अनु- वो..भैया…आप जानते हो…

मैं- ह्म्म..तो घर पर बात कर लेते है…

अनु- नही..मुझे आपसे अकेले मे बात करनी है…

मैं- तो घर मे अकेले ही रहेगे..

अनु- पर भैया..अभी कर लेते है ना…

मैं- नही..अभी मैं फ्रेंड्स के साथ हूँ और मुझे थोड़ा काम से जाना भी है...

अनु- ओके...पर घर मे अकेले कहाँ मिल पाएगे...

मैं- वो बाद मे देख लेगे..अभी रखो...ओके

अनु- ओके..बाइ

मैं- बाइ…



मैने अनु से थोड़ी गुस्से मे बात की थी….और ये ज़रूरी भी था..क्योकि मैं नही चाहता था कि अनु को पता चले कि मैं भी उसके लिए मरा जा रहा था….

फिर मैं अकरम के साथ स्कूल मे सबके बीच आ गया…

हमे देखते ही संजू हमारे पास आ गया…..और हम कॅंटीन गये और गप करते हुए कॉफी पी…

उसके बाद अकरम अपने घर निकल गया और मैने सबको संजू के घर छोड़ा और बहाना कर के निकल आया…

मुझे उस इंसान के बताए हुए लॉकर को देखने की इक्षा ज़्यादा थी…मैं जान ना चाहता था कि उसमे ऐसा क्या है…जो मुझे मेरे बारे मे सच बता सके….

मैं जल्दी से कार भगा कर उस बॅंक मे पहुँचा जहाँ लोकर था ….वहाँ जा कर जब मैने मॅनेजर को सारी बात बताई तो वो बोला..

मॅनेजर- रिलॅक्स सर….हम जानते है…उन्होने हमे पहले ही कहा था कि उनके अलावा सिर्फ़ मिस्टर.अंकित को ये लॉकर खोलने देना..

मैं- सच मे..आइ मीन….जी

मैं(मन मे)- क्या उसको पहले ही अंदाज़ा था कि वो मरने वाला है…

मॅनेजर- इस तरफ सर…

मैं फिर मॅनेजर के साथ लॉकर रूम मे गया और मैने लॉकर खोल कर देखा…

उस लोकर मे 3 एन्वेलप थे…अब उनमे क्या था …ये तो खोलने पर ही पता चलेगा….


मन तो कर रहा था कि जल्दी से ओपन करू..पर उन इंसान की बात याद आई कि किसी पर भरोशा मत करना….

और मैने सारा सामान लेकर बॅंक की फॉरमॅलिटीस पूरी की और जल्दी से कार दौड़ा कर अपने घर चला आया..

मैने सविता को कहा कि कोई भी मुझे डिस्टर्ब ना करे और मैं अपने रूम मे चला गया...अब मुझे इंतज़ार था कि इन एन्वेलप मे क्या निकलता है...

मैं रूम को अंदर से लॉक किया और एन्वेलप ले कर अपने बेड पर बैठ गया....

आज मेरी धड़कन तेज हो गई थी...पता नही इसमे ऐसा क्या है...जिससे मेरी लाइफ का कोई बड़ा राज जुड़ा हुआ है.....

इस टाइम मेरे दिल और दिमाग़ मे जंग छिड़ी हुई थी...दिमाग़ कह रहा था कि जल्दी से एन्वेलप्स को ओपन करके पता करू कि इसमे क्या राज छिपा हुआ है , जो मेरी लाइफ से रिलेटेड है....

और दूसरी तरफ दिल कह रहा था की मत खोल ...पता नही इसमे कुछ ऐसा निकले जिससे मेरा दिल दुखे और मैं टूट जाउ.....

पर फाइनली मैने दिमाग़ के साथ जाना सही समझा...मुझे सच का संमना करना ही पड़ेगा.....

पर क्या हो सकता है इसमे..यही सोचते हुए मैने हिम्मत कर के पहले एन्वेलप को ओपन किया.....उसमे से एक डाइयरी निकली....एक पुरानी सी डायरी …

मैं समझ नही पाया कि डाइयरी को कोई लॉकर मे क्यो रखेगा....ज़रूर इसमे कुछ ऐसा लिखा है जो मेरे लिए जान ना ज़रूरी है और मेरे दुश्मनों के लिए फ़ायदे वाली चीज़ है....

फिर मैने दूसरा एन्वेलप खोला..उसमे मुझे दो फोटो आल्बम मिले....मैने सोचा कि इसमे किसकी पिक्स होगी....बाद मे देखेगे....

फिर मैने आख़िरी एन्वेलप खोला ...उसमे मुझे कुछ मॅप्स जैसे दिखाई दिए...जो मुझे समझ मे नही आ रहे थे...

मैने सोचा कि सबसे पहले ये डाइयरी पढ़ के देखता हूँ....शायद इसमे ही फोटो आल्बम और मेप्स के बारे मे कुछ पता चले....

मैने दोनो एन्व्ल्प साइड किए और डाइयरी को लेकर लेट गया और जैसे ही मैने डाइयरी को ओपन किया और पढ़ना शुरू किया......
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06-06-2017, 10:01 AM,
RE: चूतो का समुंदर
हेलो अंकित….

अगर तुम ये डायरी पढ़ रहे हो तो इसका मतलब ये है कि मैं इस दुनिया मैं नही रहा….

मुझे अंदाज़ा तो था कि एक दिन ऐसा आएगा ही कि जिस दिन तुम ये डाइयरी पढ़ोगे….

पर ये सारी बाते मैं खुंद तुम्हे बताना चाहता था …जो इस डाइयरी मे लिखा है….

तुम सोच रहे होगे कि मैं कौन हूँ…तुम्हे कैसे जानता हूँ और तुम्हे क्या और क्यो बताना चाहता था…???????

चलो सबसे पहले मैं अपनी असलियत तुम्हे बताता हूँ……

मेरा नाम है मोहन..और मैं……






इतने मे ही किसी ने मेरे गेट पर नॉक किया …और मैने डर से डाइयरी बंद कर दी…

डोर पर मेरे डॅड थे…..

दा- हेलो अंकित..बेटा सो रहे हो क्या..???

मैं- जी डॅड…अभी आया…

मैं जल्दी से गेट ओपन करने उठा पर मुझे याद आया कि उस इंसान ने कहा था कि किसी को कुछ पता ना चले….तो मैने जल्दी से सारे एन्वेलप को अपनी सीक्रेट कवर्ड मे रखा और जाकर गेट ओपन किया….

मैं- हाई डॅड…आप कब आए…

डॅड- हेलो माइ सोन….कम टू पापा…

मैने डॅड के गले लग गया….

मैं- डॅड ..मैने आपको बहुत मिस किया..’

डॅड- मैने भी…पर तुम तो शादी मे गये थे ना…

मैं- जी डॅड…वो रजनी आंटी के साथ…

डॅड- ह्म्म..कैसी रही शादी…???

मैं- मस्त डॅड..आपकी ट्रिप कैसी रही…

डॅड- एक अच्छी डील मिली है….सब ठीक रहा…

मैं- वाउ डॅड…मतलब अब आप यही रहोगे…

डॅड- सॉरी बेटा…बट मैं शाम को निकल जाउन्गा..एक डील होनी है…

मैं- ओह डॅड…आप भी ना

डॅड- बस बेटा ये डील हो जाए फिर 2 वीक तेरे साथ ही रहूँगा….ओके

मैं- ओके डॅड…

डॅड- वैसे तेरे एग्ज़ॅम कैसे चल रहे है…

मैं- आज पहला था…मैं संजू के साथ पढ़ाई कर रहा हूँ…अच्छा होगा…

दाद- ह्म्म…तो शाम को वही जायगा…

मैं- जी डॅड…पर आपके जाने के बाद….

डॅड- ओक…अभी चल मेरे साथ कॉफी पी ले…

मैं- स्योर डॅड- चलिए…

डॅड- मैं फ्रेश हो आता हूँ..तू भी फ्रेश हो जा…फिर कॉफी पीते है ओक

मैं- जी डॅड…

मैं रूम मे आ गया….मेरा मन तो था कि डाइयरी पढ़ लूँ…पर ऐसा कर नही सकता था…डॅड जो आ गये थे ..और मैं उस इंसान के कहे मुताबिक किसी के सामने भी कुछ नही आने दे सकता था…उसने कहा था कि मेरे दुश्मन मेरे आस-पास ही है….

मैं सोचा कि आज रहने देते है ..वैसे भी एग्ज़ॅम टाइम है ..डाइयरी मे कुछ ऐसा निकला जो मेरी टेन्षन बढ़ा दे तो एग्ज़ॅम चौपट हो जाएगे….

यही ठीक रहेगा कि मैं अभी डॅड के साथ रहूं…बाद मे देखते है….

इसके बाद मैं फ्रेश होकर नीचे गया और डॅड के साथ कॉफी पी…वहाँ डॅड ने मेरे लिए लाए गिफ्ट दिए और कुछ पेपर्स पर मेरे साइन लिए…



जब डॅड रेडी होने गये तो मैने फिर से सोचा कि क्या मैं वो सब सामान जो लॉकर मे मिला , डॅड को दिखा दूं …पर फिर मैने सोचा कि उस इंसान ने मना किया था तो उसकी मानता हूँ…

मैं कन्फ्यूज़ था कि दाद को बताऊ कि नही…फिर मैने उस इंसान की बात मानी…और चुप रहा….

एक बार मैं चेक कर लूँ फिर डिसाइड करूगा कि डॅड को बोलू कि नही….

मैने सोच ही रहा था कि डॅड नीचे आ गये और उसके बाद हमने एक और कॉफी पी और डॅड हमे बाइ कह कर निकल गये ….

मैं भी थोड़ी देर बाद सविता को बोल कर संजू के घर निकल आया…मैने सोचा कि अब कल ही वो डाइयरी पढ़ुंगा…देखते है उसमे क्या है…

जैसे ही मैं कार से निकला तो मुझे बीच रास्ते मे सोनम दिखाई दी…..वो कुछ फ्रेंड्स के साथ थी….

सोनम को देख कर मेरी पुरानी यादे ताज़ा हो गई…मैने सोचा कि आज सही मौका है…आज सोनम से सीधे-2 बात करता हूँ….आज तो आन्सर सुनकर ही जाउन्गा…

मैने जल्दी से कार साइड की और गेट ओपन किया ही था कि साला सोनम का बाप अपनी कार ले कर उसे लेने आ गया…



उसके बाद सोनम अपने पापा के साथ निकल गई …पर जाते हुए उस की नज़र मुझ पड़ पड़ी…

मुझे देखकर सोनम की आँखे खुशी से बड़ी हो गई…और वो ऐसे ही मुझे देखते हुए निकल गई…जब तक उसे मैं दिखाई दे रहा था …वो मुझे ही देखती रही…

उसके इस तरह से मुझे देखने से मुझे एक बात तो पक्की हो गई कि सोनम मुझे ना नही कहेगी….

मैने सोच लिया कि अब इसे कॉल करके मिलने बुलाउन्गा..और सारी बात क्लियर करूगा….

पर फिर याद आया कि सोनम को तो जब देखेगे तब देखेगे अभी उस टेन्षन को देखना है जो संजू के घर मे मेरा वेट कर रही है…..

मैने फिर कार स्टार्ट की और संजू के घर निकल गया….

संजू के घर आते ही मुझे नीचे हॉल मे आंटी, आंटी2 संजू और पारूल दिखाई दिए…वो सब टीवी देख रहे थे….

मेरे दिल को थोड़ी तस्सली हुई कि मुझे आते ही अनु या रक्षा का सामना नही करना पड़ा….क्योकि लास्ट नाइट उन दोनो के साथ जो हुआ उसे सोचकर मैने डिसाइड किया था कि दोनो से अकेले मे ही मिला जाए तो ठीक रहेगा…..

हालाकी रक्षा सुबह नॉर्मल ही थी…पर अनु के साथ रात को जो हुआ…उसके बाद तो उसे अकेले मे ही मिलना होगा…

मेरे आते ही आंटी ने कहा…

आंटी- आ गया बेटा…कहाँ गया था…कुछ काम था क्या…???

मैं- नही आंटी कोई खास काम नही…मैं घर गया था …तभी डॅड आ गये तो उनके साथ बातों मे शाम हो गई…

आंटी- अच्छा….तू बैठ, मैं कॉफी बनाती हूँ…

पारूल- आंटी आप बैठो , मैं बना लाती हूँ…

आंटी- ठीक है बेटा..सबकी बना लेना…

मेघा आंटी- हां बना ले…पर ठीक से बनाना …तुझे तो कभी कॉफी पीने भी नही मिलती होगी ना…

मेघा आंटी की बात पारूल को चुभि या नही पर मुझे बहुत बुरी तरह से चुभ गई…..

मैं जवाब देने ही वाला था कि आंटी ने मुझे इशारे से रुकने को कहा…और खुंद बात को संभाल लिया…

आंटी- पारूल अच्छी कॉफी बनाती है मेघा…पारूल बेटा …तू जा…कॉफी बना..

पारूल- जी…और वो किचन मे निकल गई…

आंटी- मेघा , ये सब क्या है….ऐसा क्यो बोल देती है उसे..

मेघा- तो क्या ग़लत कहा भाभी…नौकर ही तो है…

मेघा आंटी की बातों से मेरा गुस्सा बढ़ता जा रहा था..जो मेरी आँखो मे आंटी ने देख लिया…

आंटी- बस मेघा..अब उसे नौकर बोलना बंद कर….अंकित ने उसे अपनी बेहन बोला है..समझी…

मेघा आंटी- ओह…सॉरी बेटा..मेरा वो मतलब नही..था…पर फिर भी उसे सीखने मे टाइम तो लगेगा ना…..भभाई मैं अभी आई….

मेघा आंटी तो सफाई दे कर निकल गई पर मुझे तो उन पर बहुत गुस्सा आ गया था…और मैं उपर जाने लगा…तभी आंटी ने कहा..

आंटी- बेटा…यहाँ आ…मेरे साथ बैठ…

मैं मजबूर था और आंटी को मना नही कर पाया…और उनके बाजू मे जाकर बैठ गया…

मेरी आँखे अभी भी गुस्से से भरी थी….पर आंटी ने इशारे से कहा कि संजू निकल जाए फिर बात करेगे,…तभी संजू मुझसे बाते करने लगा…

हम बाते करते रहे और कॉफी भी फिनिश कर ली…कॉफी ख़त्म होने के बात संजू रूम मे पढ़ने निकल गया….और आंटी ने पारूल को किचन मे भेज दिया…

आंटी- हाँ अब बोल..

मैं- क्या बोलू…आपने सुना ना…इनको क्या प्राब्लम है…कहें तो मैं पारूल को अपने घर ले जाता हूँ…

आंटी- क्या ये तेरा घर नही…???

मीयन- ऐसा है तो पारूल के साथ ऐसा बिहेव क्यों…???

आंटी- बेटा….उसकी बात को भूल जाओ…हम सब है ना…पारूल को प्यार देने के लिए..

मैं- वो ठीक है आंटी ..पर इनको मैं माफ़ नही करूगा…

आंटी- मैने कब कहा कि माफ़ कर दे….

मैं- तो फिर बताओ की मैं इन्हे कैसे जवाब डू….

आंटी- मेरी बात मानेगा..

मैं- कहिए…

आंटी- तू इसकी गान्ड फाड़ दे..

मैं- आंटी, आप ये ….कैसे….

आंटी- चौंक मत…इसकी गान्ड मार ले…डाल दे अपना तगड़ा हथियार इसकी गान्ड मे…

मैं- ऐसा होगा कैसे…वो क्या रंडी है..जो मैं बुलाऊ और वो आ जाए….

आंटी- नही है तो बना दे ना…

मैं- आंटी..आप ठीक तो है…इतनी तेज औरत है वो….उन्हे ऐसे कैसे पटा लूँ…

आंटी- वो मैं बताती हूँ…

मैं- तो बताओ…

आंटी- यहाँ नही ..मेरे रूम मे चल..

मैं- आंटी…कोई हरकत मत करना…

आंटी- हाँ रे…चल तो सही…

मैं- ओके चलो…

जैसे ही मैं आंटी के साथ उनके रूम मे गया तो आंटी ने रूम को अंदर से लॉक कर दिया….


मैं- आंटी…ये क्या…सब है घर पर….कुछ तो समझा करो…

आंटी- मैं कुछ नही करूगी….टेन्षन मत ले ..मैं संभाल लूगी….

मैं- ओके..अब बोलो..

आंटी मेरी बात ना सुनते हुए बेड पर लेट गई और मुझे अपने उपर खीच लिया…मैं सीधा आंटी के उपर आ गिरा और मेरा सिर उनके बड़े-बड़े बूब्स पर आ गया…

मैं- ओह हो आंटी…आप नही सुधरोगी ना…

आंटी- अरे बेटा लेटने मे क्या प्राब्लम है…अब आराम से बात करते है ना…

मैं(मुस्कुरा कर)- ह्म्म..क्यो नही…अब बोलो…उस साली को कैसे अपनी रंडी बनाऊ…

आंटी- उसके लिए तुम्हे आज रात को मुझे चोदना पड़ेगा,….

मैं- क्या…????

आंटी- मैं सच कह रही हूँ…

मैं- उससे क्या होगा…

आंटी- उससे ये होगा कि वो साली तेरा लंड अपनी चूत मे और गान्ड मे लेगी…अपनी मर्ज़ी से…

मैं- आप पागल हो गई हो ….चेक करवाओ अपना माइंड…

आंटी- अरे बेटा मैं सच कह रही हूँ….

मैं- कैसा सच..आपको चोदने से वो कैसे मान जाएगी…

आंटी- इसके लिए तू मेरी पूरी बात तो सुन....

मैं- तबसे सुन ही तो रहा हूँ और अब मेरा मन ये बूब्स चूसने को कर रहा है…

आंटी- तो चूस ले ना बेटा…और चूस्ते हुए मेरी बात सुन…

मैं- ह्म्म्म..पर बात क्या है…

आंटी.- सब बताती हूँ…पहले तेरी प्यास बुझा दूं….
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06-06-2017, 10:02 AM,
RE: चूतो का समुंदर
इसके बाद आंटी ने जल्दी से अपनी मॅक्सी को खोल के बूब्स को बाहर किया और ब्रा निकाल दी...जिससे उनके बड़े-बड़े बूब्स मेरे सामने आ गये...

मैं- सस्ररुउपप...सस्ररुउपप...आहह....आंटी...अब बोलो...

आंटी-आहह...बेटा..चूस ले....

मैं- अब आप बोलो..मैं चूस्ते हुए सुनता हूँ…

आंटी- ह्म्म..तुझे याद है ना कि तूने उस दिन कहा था कि मेघा को सबक सिखाना है…

मैं- उम्म्म…

आंटी- तो मैने उसे तेरा लंड खिलाने की सोची

मैं- उम्म…

आंटी- इसी लिए मैने उसके मन की बात जानने की सोची…

मैं- आहह…तो क्या पता चला..??

आंटी- तू चूस्ता रह…मैं बताती हूँ…

मैं- उउंम्म…

आंटी- मैने उस दिन से मेघा की सेक्स के बारे मे राय जानने की कोसिस की…और मुझे पता चला कि वो देवेर जी की बीमारी की वजह से सेक्स लाइफ से खुश नही है…वो सेक्स के लिए तरस रही है पर बदनामी के डर से कभी किसी के साथ कुछ नही किया…

मैं- उम्म्म….उउउंम्म..

आंटी- और जब मैने सब जान लिया तो आज उससे खुल के बात की…

मैं- अहहह…..क्या बात की….

आंटी- तू चूस्ता रह बेटा….आअहह..ऐसे ही….

मैं- उउंम्म…

आंटी- आज जब तुम सब एग्ज़ॅम देने गयी थे तो मैने उससे बात की….

( अब आगे की बाते आंटी और मेघा आंटी के बीच की …यहाँ मैं आंटी लोगो को उनके नाम से लिख रहा हूँ..)


रजनी- और मेघा ….आज उदास क्यो दिख रही हो…

मेघा- क्या बताऊ भाभी..आप तो जानती हो…कि इनकी तवियत खराब हुई है तबसे ये रात मे सोते ही रहते है…

रजनी- ओह हो…मेघा ये तो अच्छा नही है…तू देवेर जी से बात तो कर…

मेघा- उनसे क्या कहूँ…मना भी लेती हूँ तो 5-6 धक्के मार कर झड जाते है और दुबारा करने लायक नही रहते और मैं प्यासी रह जाती हूँ…

रजनी- तो तू क्या करती है फिर..???

मेघा- और क्या भाभी…कभी गुस्से मे नहा के ठंडी हो जाती हूँ..और कभी उंगली से…

रजनी- मेघा…ये तो बहुत बुरा हो रहा है तेरे साथ…

मेघा(रोते हुए)- हाँ भाभी…पर मैं क्या करूँ…मेरी किस्मत ही खराब है…ऐसे ही तड़पना लिखा है मेरी किस्मत मे…

रजनी- ऐसा मत बोल मेघा…सब ठीक हो जायगा…

मेघा- कुछ ठीक नही होगा भाभी..डॉक्टर ने कहा है कि इनकी हालत ऐसी ही रहेगी..अब पूरी तरह से ठीक नही हो पाएगे

रजनी- तो तू कुछ और इंतज़ाम कर ले ना..

मेघा- क्या कह रही हो भाभी...हाए राम...मैं ऐसा सोच भी नही सकती....

रजनी- क्यो नही..क्या हम औरतों को अपनी लाइफ मे खुश रहने का हक़ नही है क्या...*???

मेघा- है क्यो नही भाभी...पर पति को धोखा देना....नही- नही..

रजनी- इसे धोखा देना नही बोलते मेघा...तू कहे तो मैं..

मेघा- नही भाभी…मैं बाहर किसी के साथ कुछ नही करना चाहती….बदनाम नही होना 

रजनी-मैने कब कहा कि बाहर ....

मेघा- मतलब ..आप कहना क्या चाहती है…

रजनी- देख..अब तुझसे क्या छुपाना…तेरी तरह , मेरी भी हालत थी..

मेघा- मतलब..भाई साब भी आपको खुश नही कर पाते…

रजनी- नही ना..मैं भी 2 साल से तड़प रही थी..पर अब देख मैं कितनी खुश हूँ…

मेघा- हे भगवान..भाभी..आपने ये क्या किया…किसके साथ ...कोई देख लेगा तो बदनामी नही होगी…

रजनी- नही मेघा…मैं बाहर कही कुछ नही करती….वो तो…

मेघा(आँखे बड़ी कर के)- बाहर नही तो…तो क्या भाभी..किसके साथ…

रजनी -तू वादा कर कि किसी को नही कहेगी….

मेघा- ओके भाभी..वादा…पर घर मे हो कौन सकता है…???

रजनी- अंकित

मेघा- क्या....वो ...वो तो बच्चा है..आप...कैसे ....भाभी...बच्चे के साथ...

रजनी- मेघा..वो दिखने मे बच्चा है……पर ऐसी चुदाई करता है कि बड़ी से बड़ी रंडी भी गुलाम हो जाए…

मेघा- पर भाभी..वो आपके बेटे जैसा है…

रजनी- मेघा..जब चूत मे आग लगती है ना ..तो बुजेयेन वाले का लंड दिखता है…रिश्ता नही…

मेघा- पर एक बच्चे के साथ…कैसे..?

रजनी- बोला ना..वो बच्चा..नाम का है..उसका लंड देखना…बड़े-बड़े को पीछे छोड़ देगा…

मेघा- मैं नही मानती…और वो रेडी कैसे हो गया आपके साथ करने को…

रजनी- अरे मेघा..चूत चाहे तो किसी को भी मना ले….फिर ये तो जवान होता लड़का है…

मेघा- ह्म्म..पर आपकी बात मैं नही मान सकती …है तो वो बच्चा ही…

रजनी- अच्छा..तो तू खुंद देख कर बोलना…मैं सही हूँ या ग़लत…

मेघा- ह्म्म्मा..पर कैसे…

रजनी- देख..मैं आज उसे पटा कर चुदवाउन्गी…तब देख लेना…

मेघा- ह्म्म्मा..पर कहाँ..और कब…

रजनी- आज रात मे…और कहाँ……????...हां..गेस्ट रूम मे बुला लूगी...ओके

मेघा- ओके....पर आप उसे मत बताना...

रजनी- ह्म्म..नही बताउन्गी..पर उसका पसंद आया तो लेगी ना…

मेघा- आप भी ना…पहले देखूं तो सही…फिर बताउन्गी….

रजनी -ओके…
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06-06-2017, 10:02 AM,
RE: चूतो का समुंदर
प्रेज़ेंट मे……

इसके बाद आंटी ने अपनी बात ख़त्म की…मैं जबसे आंटी के बूब्स को बारी- बारी चूस कर बाते सुन रहा था,….


आंटी- अब बता….मैने ठीक किया ना..

मैं- ह्म्म्मा…प्लान तो अच्छा है…पर काम बनेगा क्या..?

आंटी- बिल्कुल बनेगा…साली तेरा लंड देखते ही लार टपका देगी…

मैं- सच मे….

आंटी- हाँ..पर याद रहे…उसे ये ना पता चले कि तुझे कुछ पता है…

मैं- ओके आंटी…..आज रात को उसे ट्रेलर दिखा ही देते है…

आंटी- ह्म्म्मी..अब उठ जा ..मेरी चूत मे आग लग गई है..

मैं- मेरे लंड मे भी ज्वालामुखी फट रहा है…

आंटी- चल फिर बाथरूम मे……

मैं- ह्म्म..जल्दी चलो...

इसके बाद बाथरूम मे जाकर मैने आंटी को कुतिया बना कर चोद दिया और हम दोनो कपड़े ठीक करके बाहर आ गये…

बाहर आते ही मैने देखा कि पारूल हॉल मे टीवी देख रही थी और हमे देख कर मुस्कुरा दी…मैने भी स्माइल दे दी….आंटी भी स्माइल करके किचन मे चली गई…

आंटी ने फिर से कॉफी पिलाई और मैं कॉफी पीकर संजू के रूम मे आ गया....पढ़ाई करने के लिए…..

संजू के रूम मे आ कर मैं लेट गया और आज हुए हादसे के बारे मे सोचने लगा....

मैं नही चाहता था कि मैं उस इंसान के बारे मे या फिर उसके आक्सिडेंट के बारे मे सोचूँ...पर पता नही क्यो, जैसे ही मैं फ्री होता तो मुझे वो सब याद आने लगता....

मुझे ऐसे सोच मे डूबा हुआ देख कर संजू बोला...

संजू - क्या हुआ भाई...क्या सोच रहा है ???

मैं - सीसी...क्क्या....कुछ नही बस एग्ज़ॅम के बारे मे सोच रहा था कि नेक्स्ट पेपर के लिए कितना पढ़ना होगा....

संजू-सच मे...पर मुझे ऐसा लगता है कि तू कुछ टेन्षन मे है.. .

मैं- नही तो...मैं बस वो..पढ़ाई करने का ही सोच रहा था...सच मे...

संजू- अच्छा...नही बताना तो मत बता...पर झूठ मत बोल..ओके

मैं- झूठ...अबे तुझसे क्यो झूठ बोलूँगा...

संजू- देख भाई मैं तुझे अच्छे से जानता हूँ...दोस्त हूँ तेरा ..समझा...

मैं सोचने लगा कि किसी ने सच ही कहा है कि एक दोस्त ही दूसरे दोस्त के दिल को सबसे ज़्यादा समझता है....संजू ने भी बिना कहे मेरे दिल का हाल समझ लिया था...

संजू- क्या हुआ...कुछ पर्सनल बात है क्या...तेरे डॅड ने कुछ कहा...

मैं(मन मे) - संजू को बता दूं..??...पर उस इंसान ने कहा था कि किसी को मत कहना....पर संजू सवाल करता रहेगा...इसे आक्सिडेंट का बता देता हूँ...बाकी नही...ह्म्म

संजू- भाई बोला ना कि मत बता ..पर ऐसे सोच मे डूबा मत रह...

मैं- नही रे ऐसा कुछ नही...चल बताता हूँ पर किसी को बोलना मत...

संजू-बस क्या भाई...आज तक कुछ बोला क्या किसी को...

मैं- ओके...तो सुन...मुझे कल अकरम के घर पार्टी मे एक इंसान मिला था...वो मुझसे कुछ कहना चाहता था ..इसलिए आज मैं उससे मिलने गया था...

संजू- तो उसने ऐसा कुछ कहा कि तुझे टेन्षन हो गई...

मैं - नही रे...वो कुछ कहता उसके पहले एक ट्रक ने उसे उड़ा दिया...

संजू- ओह माइ गॉड. .फिर...

मैं- फिर क्या मैं वहाँ से भाग आया....वो मर गया था...

संजू- ओह...तो इसलिए तू डरा हुआ दिख रहा है..

मैं- डर नही रहा बस सोच रहा हूँ कि कौन हो सकता है वो...

संजू- छोड़ ना यार...जो रहा नही उसका मत सोच...

मैं- पर मैने उसे अपने सामने मरते हुए देखा...तो दिल तो घबरायगा ना...

संजू- ह्म..पर तू डर मत..मैं तेरे साथ हूँ...

मैं - ह्म्म..तू ऐसे ही मेरा साथ देगा ..???

संजू- भाई साथ क्या ...अगर ज़रूरत पड़ी तो तेरी मौत भी मैं ले लूँगा...

संजू की बात सुनकर मुझे उस पर प्यार आया और मैने जा कर उसे गले लगा लिया...

मैं- थॅंक्स भाई..

संजू- साले भाई बोलता है और थॅंक्स भी...

मैं- ओके..नही बोलता ...पर अब एक काम कर...

संजू- बोल ना यार...

मैं- तू मार्केट जा और दारू ले आ..और हाँ आंटी से कहना कि चिकन बनाए...मैने कहा है...

संजू- बस इतनी सी बात...अभी जाता हूँ...पर नेक्स्ट पेपर का पढ़ना भी है साले ..

मैं- अबे कल गॅप है...पढ़ लेना...आज मुझे ज़रूरत है ड्रिंक की....

संजू - ओके ...मैं अभी जाता हूँ...नही तो मोम खाना बनाने लगेगी..

मैं- तो जा ना..किसका वेट कर रहा है...ये ले पैसे...

फिर मैने संजू को पैसे दिए और वो निकल गया ....मैं फिर से बेड पर लेट गया और अब मैने उस इंसान के बारे मे सोचना छोड़ कर मेघा आंटी पर फोकस किया...

मैं मेघा आंटी से बहुत गुस्सा था और कुछ ऐसा प्लान सोचने लगा कि मैं जल्द से जल्द उनको अपने लंड का गुलाम बना लूँ....

मेघा आंटी के मामले मे तो रजनी आंटी ने हेल्प कर दी ..पर मेघा आंटी की दोनो बेटियो का क्या...

अनु और रक्षा.....अनु को तो मैने रंगे हाथ पकड़ा है...वो तो मुझे मिलेगी ही....पर रक्षा के मन मे क्या है...ये पता करना होगा....देखते है...
Reply
06-06-2017, 10:03 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैं मन मे इस घर की बची हुई चूत को चोदने का प्लान कर रहा था और यहाँ एक चूत रूम के गेट पर खड़ी हुई मुझे देख रही थी.....

जैसे ही मेरा ध्यान गेट की तरफ गया तो मैं चौंक गया....वो इसलिए की जिसके बारे मे आप सोच रहे हो और वो अचानक आपके सामने आ जाए तो ना चाहते हुए भी आप चौंक जाते हो...

मैं- अरे...रक्षा...तू यहाँ....कैसे..?

रक्षा- कुछ नही भैया...बस आपसे बात करनी थी...

मैं- तो अंदर आ ना...वहाँ क्यो खड़ी है ..

रक्षा जल्दी से मेरे पास आकर बैठ गई..

मैं - हाँ अब बोल ..क्या बात है..??

रक्षा- वो भैया...मुझे आपसे पढ़ाई मे कुछ हेल्प चाहिए थी...

मैं- अब क्या हेल्प कर सकता हूँ...मैथ का पेपर तो हो गया....और बाकी सब्जेक्ट अपने अलग-अलग है...

रक्षा- हाँ भैया पर इंग्लीश की ग्रामर तो सेम ही रहती है ना....

मैं- ओह..तो तुम्हे इंग्लीश पढ़ना है...

रक्षा- जी भैया...

मैं- तो इतना डर क्यो रही है...पढ़ा दूगा ..उसमे क्या...

रक्षा- हाँ...पर मेरे साथ किसी और को भी पढ़ना है...

मैं- हाँ पता है...अनु को ना...

रक्षा- नही ..अनु को नही...वो..

मैं- अनु नही तो कौन..???

रक्षा- वो भैया रूबी को

मैं- रूबी....उसमे क्या है...कल बुला लेना...पढ़ा दूगा...

रकाहा- भैया ..वो ..मैने उसे आज ही बुला लिया...

मैं- आज...पर आज टाइम कहाँ है..रात हो गई...उसे कैसे पढ़ा पाउन्गा...उसे घर जाना होगा...

रक्षा- नही भैया...वो रात को मेरे साथ रुकने वाली है...

मैं- ह्म्म तो ठीक है ...ऐसा है तो रात मे पढ़ा दूगा ...

रक्षा- थॅंक्स भैया...मुझे लगा था ..आप गुस्सा होगे...

मैं- इसमे गुस्सा होने की क्या बात है...

रक्षा- वो आपको भी पढ़ाई करनी होगी..और मैने आपसे बिना पूछे रूबी को बुला लिया...इसलिए..

मैं - अरे बेटा...तुम्हारे लिए हमेशा फ्री हूँ...जब भी कुछ काम हो..बोल दिया करो...

रक्षा- सच मे...थॅंक्स भैया ..लव यू...

और रक्षा ने वो किया जो आज तक नही किया था...उसने मुझे थॅंक्स कह कर मेरे गाल पर किस कर दी...

किस करने के बाद मैने उसे देखा तो वो मुस्कुरा रही थी....

रक्षा-ओके भैया..मैं जाती हूँ...रूबी आती ही होगी....

मैं कुछ बोलता उसके पहले रक्षा अपनी कसी हुई गान्ड मटका कर रूम से निकल गई और मुझे फिर से सोचने पर मजबूर कर गई....

मैं(मन मे)- ये रक्षा को क्या हो गया...और आज ये मुझसे इंग्लीश क्यो पढ़ना चाहती है....क्या ये पढ़ने के बहाने मुझे पढ़ा गई...???

और ये किस....इसके माइंड मे चल क्या रहा है....और रूबी क्यो आ रही है....कुछ समझ नही आ रहा....

रक्षा को कुछ करना ही होता तो रूबी को क्यो बुलाती....क्या मैं ग़लत सोच रहा हूँ....सच मे ये दोनो पढ़ने के लिए ही बुला रही है या फिर...

खैर ..सोचने से कोई फ़ायदा नही...जो होगा तो देख लेगे...मुझे तो बस मौका चाहिए कि कब रक्षा की जवानी का रस पी सकूँ....



मैं रक्षा के बारे मे सोच रहा था और मेरे सामने अचानक अनु आ कर खड़ी हो गई...

अनु- भैया आप फ्री है ...???

मैं अनु को उपेर से नीचे तक देखने लगा...और उसकी आँखो पर जाकर मेरी नज़र रुक गई....

अनु- ऐसे क्या देख रहे हो...??

मैं- कुछ जवाब ढूँढ रहा था तुम्हारी आँखो मे...

अनु- जवाब चाहिए तो मुझे पूछो...हर सवाल का जवाब मिल जायगा..

मैने अनु का हाथ पकड़ा और उसे बेड पर बैठा दिया...

अनु- भैया ...मुझे आपसे बात करनी है...

मैं- ह्म्म्मर...मैं अभी भी अनु की आँखो मे देख रहा था...

अनु- भैया...प्ल्ज़्ज़...ऐसे मत देखिए ना

मैं- ह्म्म...क्या कहा...??

अनु- आपका ध्यान कहाँ है...

मैं- वो मैं...कही नही...बोलो...

अनु- मुझे आपसे बात करनी है...

मैं- ह्म्न..मुझे भी...

अनु- जानती हूँ...तो कीजिए ना..

मैं- यहाँ नही...अकेले मे...

अनु- यहाँ हम दोनो ही है...

मैं- नही...अभी कोई भी आ सकता है...मुझे तुमसे बहुत सी बाते करनी है...टाइम लगेगा...

अनु- ओके...पर कब और कहाँ..???

मैं - बताउन्गा...अभी जाओ...

अनु उठ कर जाने लगी पर उठ नही पाई...

अनु- भैया...मेरा हाथ...

मैं- हाथ...ओह्ह...सॉरी...

अनु का हाथ अब तक मेरे हाथ मे था...

अनु- आप कहे तो नही जाती...

मैं- नही..अभी जाओ...

अनु जब जाने लगी तो मैने धीरे से कहा...

मैं- रात मे आओगी...???

अनु मेरी बात सुनकर रुक गई पर पलटी नही....

मैं- कुछ पूछा मैने...

अनु- ह्म्म्मा...

और अनु जल्दी से रूम से निकल गई...

अनु के सामने आते ही मेरी टेन्षन बढ़ गई ...

मेरे पास आज कई काम थे....आंटी को चोदना वो भी मेघा आंटी के सामने...रक्षा को पढ़ाना..रूबी के साथ मे...और अनु से बात करना और साथ मे लंड चुसवाना...

और मैने संजू से ड्रिंक मग़वाई है...वो काम भी तो है....

मेरे पास एक रात है और काम कई सारे....अब रात मे क्या होता है और क्या नही ये देखना है.......

मैं थोड़ी देर तक रात के प्लान के बारे मे डिसाइड करने लगा कि मुझे क्या करना है....तभी संजू वापिस आ गया...

मैं- अबे इतनी जल्दी आ गया...

संजू- अरे जल्दी कहाँ आया...बस लेट नही हुआ....तू अभी तक सोच मे डूबा है...

मैं(मन मे)- अब तुझे क्या बताऊ की तेरी बहनें हरकत ही ऐसी कर रही है कि मैं सोचने पर मजबूर हो जाता हूँ...

संजू- फिर से सोचने लगा...

मैं- अरे नही ...तू ड्रिंक लाया ना...

संजू- हाँ ना...और चिकन बन रहा है...

मैं- वो छोड़ ...मुझे 1 पेग बना...

संजू- अभी...???...भाई सब जाग रहे है अभी...

मैं- तो क्या हुआ....1 पेग पिउगा बस....अब बना जल्दी से....मेरा मूड ऑफ है अभी...

संजू- ओके...पर कोई आ गया तो...??

मैं- तू बोल देना कि मैं सो रहा हूँ...मैं सोने का नाटक कर लूँगा..अब बना जल्दी...

फिर संजू रूम लॉक किया और 1 पेग बनाया.....


मैने पेग पीते हुए डिसाइड कर लिया कि मुझे आज रात क्या करना है....फिर थोड़ी रेस्ट कर के मैं बाथरूम गया और ब्रश कर लिया...ताकि बदबू ना आए 

बाथरूम से आकर मैं संजू के साथ पढ़ाई करने लगा और साथ मे रक्षा का वेट करने लगा...
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06-06-2017, 10:03 AM,
RE: चूतो का समुंदर
हमे पढ़ते हुए थोड़ा टाइम ही हुआ था कि उम्मीद के अनुसार रक्षा मुझे बुलाने आ गई...

मैं रक्षा के साथ उसके रूम मे चला गया...वहाँ पर रूबी पहले से थी....

रूबी ने एक लेग्गी और टाइट टॉप पहन रखा था ...जिसमे उसके बूब्स तने हुए दिख रहे थे....उपर से उसकी टाइट लेग्गी मे उसकी जांघे देख कर तो मैं उसे देखता रह गया....

मन तो कर रहा था कि इसको अभी नंगा करूँ और इसकी जवानी को चूस कर इसे कली से फूल बना दूं...

मैं रूबी को घूरते हुए खड़ा था....रूबी मुझे ऐसे देखते हुए शरमा गई और नीचे देखने लगी....

फिर रक्षा ने मुझे हिलाते हुए कहा...

रक्षा- चलिए भैया....अभी तो रात भर बाकी है....

मैं- क्क्क...क्या...??

मैने रक्षा को देखा तो वो मुस्कुरा रही थी ..पर मैं तो ऐसे पकड़े जाने से डर गया था.....

रकाहा- चलिए भैया...बेड पर चले...

मैं- ह्म्म..क्या...बेड पर ???

राल्शा- मतलब...बेड पर पढ़ाई करने...

मैं- हाँ..क्यो न्ही..

रक्षा- आपने क्या सोचा था....(और रक्षा हँसने लगी...साथ मे रूबी भी)

मैं- कुछ नही...चलो ..

मैं जा कर बेड पर बैठ गया...और रूबी , रक्षा मेरे सामने बैठ गई ..

और हमने कंबल पैरो पर डाला और बीच मे बुक रख कर पढ़ाई शुरू की...

मैं पूरा ध्यान बुक पर लगाए हुए था...क्योकि मुझे डर था की कही मैने इन लड़कियो को देखा तो मेरा मन फिर से भटकने लगेगा...

भगवान ने लड़की चीज़ ही ऐसी बनाई है कि अगर आप उसे पसंद करते हो तो वो आपका ध्यान भटका देगी...

और यहाँ तो दोनो ही लड़कियाँ ऐसी थी जो मुझे पसंद आ गई थी....

थोड़ी देर तक मैं दोनो को अच्छी तरह से पढ़ाता रहा...मैं उनकी सूरत देखना चाहता था पर देखा नही...

पर तभी मुझे झटका लगा....

मैं तो कंट्रोल मे था पर उन दोनो को शायद कंट्रोल नही था....

अचानक मुझे महसूस हुआ कि मेरे पैर को कोई अपने पैर से छेड़ रहा है....

जैसे ही मेरा ध्यान हटा तो मैने सिर उपर किया....जहाँ मुझे दोनो लड़किया हँसते हुए दिखाई दी....

मैं दोनो को घूर के देख रहा था...पर वो दोनो कातिल स्माइल दिए जा रही थी....तभी..

रक्षा- क्या हुआ भैया...कुछ प्राब्लम....

रक्षा मुझसे पूछ रही थी और उसी वक़्त मेरे पैर पर नाख़ून चुभा....

मैं- आ...कुछ नही...

और दोनो हँसने लगी...

मैं फिर से उन्हे पड़ने को बुक पर झुक गया और साथ मे वो दोनो भी झुक गई....

पर इस बार मेरी नज़रे ना चाहते हुए भी उनके सीने पर जाने लगी....



और जाती भी क्यो ना....उन दोनो ने वी गले का टॉप पहना हुआ था जिसमे झुकने पर ब्रा मे क़ैद उनके आधे नंगे बूब्स दिखाई दे रहे थे....

एक तो सर्दी...उपेर से बंद कमरा....उसमे मैं कंबल मे दो लड़कियों के साथ...पैरो से छेड़-छाड़ और उपेर से इतने मस्त दो जोड़ी प्यारे बूब्स....साला लंड तो झटके खाएगा ही...

बस अब तो मेरा लंड खड़ा होने के लिए फड़कने लगा था.....

मैं सोच रहा था कि ये लड़कियाँ मान जाए और अपने पैर काबू मे रख ले...पर लड़कियाँ कुछ और ही मूड मे थी...

ऐसी हो कंडीशन मे मैं उनके बूब्स देखते हुए पढ़ाता रहा और मेरा लंड...खड़ा हो गया....पर वो दोनो अपनी हरकत जारी रखे हुए थी...

तभी रूम के गेट पर संजू आ गया....


संजू- चलो सब ..मोम डिन्नर के लिए बुला रही है...

रक्षा- जी भैया..चल रूबी...भैया चलो...बाकी बाद मे पढ़ेंगे...

मैं(मन मे)- थॅंक्स संजू...ठीक टाइम पर आया....लंड फटा जा रहा था.. 

रक्षा- चलिए ना भैया...

मैं- ह्म्म..अब सब पढ़ लिया ना...???

रक्षा- अभी कहाँ भैया....मैं पढ़ाई तो रात मे होगी...हहहे...

मैं कुछ समझ रहा था और कुछ नही भी...पर संजू के सामने मैने कुछ नही कहा बस सिर हिला कर स्माइल कर दी...


रक्षा , रूबी के साथ नीचे निकल गई और संजू मेरे पास आ गया...

संजू- भाई अपना क्या प्रोग्राम है...???

मैं- तूने आंटी को क्या बोला...

संजू- वो उस दिन की तरह बोल दिया कि हम बाद मे खाएगे...

मैं- साबाश बच्चे...अच्छा किया..

संजू- अब रूम मे चलेगा या यही बैठा रहेगा...

मैं- चल रहा हूँ....पर इनको अभी और पढ़ना है...

संजू- तो कब तक पिएगे हम...पढ़ाने मे टाइम लगेगा...???

मैं- पहले पार्टी करते है...इन्हे कल का बोल दूँगा...

संजू- चल फिर...

अब तक मेरा लंड शांत हो चुका था तो मैं संजू के साथ उसके रूम मे चला गया...और फ्रेश हो कर पढ़ाई करने बैठ गया ..

असल मे हम पढ़ाई करते हुए सबके वापिस जाने का वेट कर रहे थे....

जैसे ही सब वापिस अपने रूम मे आए तो मैने संजू को नीचे खाना लेने भेज दिया....

संजू के जाते ही रक्षा रूम मे आ गई....

रक्षा- चले भैया...

मैं- अभी...रूको थोड़ी देर मे आता हूँ ओके....

रक्षा- ओके ..पर आना ज़रूर...मेन पढ़ाई तो अब करनी है...

मैं- हाँ...आता हूँ...

रक्षा तो गई...पर मैं सोचने लगा कि ड्रिंक करने के बाद मैं कैसे इनके सामने जाउन्गा....

मैने डिसाइड किया कि रक्षा को सब सच बता दूगा....यही ठीक रहेगा...

फिर संजू के आते ही हमने रूम लॉक किया और ड्रिंक करना शुरू किया....

अभी 2 पेग ही लिए थे कि आंटी का मेसेज आ गया...

(मसेज से)

आंटी- बेटा तू रेडी है....

मैं- नही...

आंटी- कब तक आयगा...मेघा से क्या कहूँ

मैं- आज नही हो पायगा ...किसी और दिन करेगे...

आंटी- क्यो..??

मैं- मैं पढ़ाई कर रहा हूँ...

आंटी- मेघा से क्या कहूँगी अब...

मैं- बोल देना कि उन्ही की बेटी और उसकी फ्रेंड को पढ़ा रहा हूँ...ओके

आंटी- ओके...पर मेरा क्या..?

मैं- सॉरी आंटी...आज नही आ सकता...अंकल से काम चलाओ...

आंटी- ओके...ऐसा ही करती हूँ...बाइ

मैं- बाइ
Reply
06-06-2017, 10:03 AM,
RE: चूतो का समुंदर
आंटी का काम तो सेट कर दिया...अब मेघा आंटी की चूत लेट मिलेगी...पर 2 फ्रेश चूत मेरे इंतज़ार मे है तो पुरानी चूत तो छोड़ना बनता ही है...

फिर मैं संजू के साथ पीने मे बिज़ी हो गया...और जब हम खा-पी कर फ्री हुए तो संजू सोने लगा और मैं मुँह धोकर रक्षा को समझाने उसके रूम मे चला गया.....

मैं जैसे ही संजू के रूम से बाहर आया तो गलियारे मे मुझे अनु टहलते हुए नज़र आई....

मुझे डर था की कहीं इसे मेरे मुँह से ड्रिंक की बदबू ना आए...हालाकी मैने ड्रिंक के बाद माउत फ्रेशनेर ले लिया था...फिर भी बदबू आने का डर तो था...

मैं खड़ा हुआ सोच रहा था कि अनु से क्या कहूँगा..उसके पहले अनु मेरे पास आ गई...

अनु- भैया...आप...कहाँ जा रहे थे..

मैं- वो मैं...हाँ रक्षा को पढ़ाने जा रहा था...

अनु- अब उसे क्या पढ़ना है...मैथ का पेपर तो हो गया ना....

मैं- हाँ..वो उसे इंग्लीश ग्रामर पढ़ना है और वो तुम्हारी फ्रेंड भी है ना...वो रूबी...

अनु- हाँ...तो रात को कब मिलोगे...

मैं- वो मैं...पढ़ा दूं फिर...

अनु- वैसे आप चाहे तो पूनम दी के रूम मे आ सकते है...बात करने...

मैं- नही...वहाँ पूनम दी और पारूल होगे...अकेले मे बात करेगे...

अनु- टेन्षन मत लो...मैं अकेली हूँ..

मैं- मतलब..??

अनु- पूनम दी मधु के घर गई है पढ़ाई करने और पारूल को मैने गेस्ट रूम मे भेज दिया...

मैं- क्या...??...पारूल से क्या कहा...???

अनु- वो मैने बोल दिया कि मुझे रात भर पढ़ना है...तो वो सो नही पाएगी...बस वो मान गई..

मैं- ह्म्म...तो अब रूम मे जाओ...बाद मे मिलते है...

अनु- ओके 

इसके बाद अनु पूनम दी के रूम मे गई और मैं रक्षा के रूम मे...

रक्षा ने गेट खुला रखा था...जैसे ही मैं रूम मे एंटर हुआ तो सामने का नज़ारा देखते ही गरम हो गया...

मेरे सामने रक्षा और रूबी नाइटी मे बैठी थी...उनके पैर तो कंबल मे थे पर बाकी का हिस्सा मेरी आँखो के सामने था...

दोनो की नाइटी काफ़ी सेक्सी थी...डीप गले की नाइटी...और अंदर ब्रा भी नही थी शायद...जो उनके निप्पल बता रहे थे...

इस ड्रेस मे उनके बूब्स नाइटी के अंदर से मुझे दावत दे रहे थे...और मुझे देखते ही उनके बूब्स कड़क होने लगे थे....

साथ मे उनके गोरे- गोरे नंगे हाथ ऐसे लग रहे थे कि जैसे मुझे बुला रहे हो कि आओ और बाहों मे क़ैद हो जाओ.....

उपेर से दोनो मुझे देख कर कातिल स्माइल दे रही थी..जो मुझे घायल करने के लिए काफ़ी था....

मैं एक टक लगा कर दोनो को देखे जा रहा था और वो दोनो मज़े से मुस्कुरा रही थी....

अचानक रक्षा उठी और आकर रूम का गेट लॉक कर दिया....

जब रक्षा कंबल से निकल के आई तो मैं उसे देखता रह गया....उसकी नाइटी उसकी जाँघो तक ही थी और उसकी गोरी- गोरी जाँघ मेरे अरमान भड़काने लगी...

तभी रक्षा मेरा हाथ पकड़ के बोली...

रक्षा- चलिए ना भैया...पढ़ाई शुरू करे...

मैं- हम्म..हाँ...चलो...पर तुम दोनो तो....

रक्षा- हम दोनो तो क्या..??

मैं- वो ..तुम दोनो तो सोने की तैयारी मे हो ना...

रक्षा- नही तो..किसने कहा....आपको ऐसा क्यो लगा..???

मैं- वो तुम दोनो..ऐसे कपड़े...आइ मीन नाइट ड्रेस मे....

रक्षा- नाइट ड्रेस नाइट मे नही पहनेगे तो कब पहनेगे...

मैं- हाँ पर अभी पढ़ाई...

रक्षा- तो नाइट ड्रेस मे ना पढ़ने का कोई रूल है क्या ???

मैं- नही- नही...चलो पढ़ाई करते है...

मैं जा कर बेड के दूसरे साइड बैठने लगा तो रक्षा ने मुझे उस साइड बैठने कहा जहाँ अभी वो दोनो बैठी थी...

मैं- पर वहाँ कैसे पढ़ाउंगा...

रक्षा- आप हम दोनो के बीच मे बैठ जाओ...बुक बीच मे होगी तो हम दोनो को समझ आयगा....

मैं- ह्म्म्मो

मैं उन दोनो के बीच मे बैठ तो गया...पर बैठते ही दोनो की नंगी जांघे मेरे पैरो से टच होने लगी...

अब मेरी हालत बिगड़ने लगी थी...मुझे लग रहा था कि अब मैं इन्हे पढ़ाउंगा कैसे...

जैसे तैसे मैने अपने आप को समझा कर उन्हे पढ़ाना शुरू किया...पर जैसे ही वो दोनो झुकती उनके आधे नंगे बूब्स मेरे सामने आने लगे....

मुझे समझ नही आ रहा था कि क्या करूँ...मैं जिस तरफ भी देखता वही मुझे बूब्स दिखाई देते...और उपेर से दोनो की नंगी जांघे मेरी जाँघो से चिपकी हुई थी...

मैने आज हाफ पेंट पहना हुआ था ...जिससे मुझे उन दोनो के नंगेपन का अहसास पैरो मे हो रहा था.. 

जैसे - तैसे मन मार कर मैं उन्हे करीन 30-35 मिनट पढ़ाता रहा...इसी बीच उन दोनो के जिस्म की झलक और गर्मी पाकर मेरा लंड खड़ा हो कर वगावत करने लगा....

मैं सोच ही रहा था कि लंड को कैसे शांत करू तभी एक हाथ ने मेरे लंड को गिरफ़्त मे कर लिया...

मैं- आअहह...

रक्षा(मुस्कुरा कर) - क्या हुआ भैया...???

मैं- सीसी..कुछ नही...

और मैने रूबी की तरफ देखा..क्योकि हाथ उसी साइड से आया था...पर वो तो मुस्कुराते हुए मज़े ले रही थी...

मैं समझ गया कि ये रूबी ही है फिर भी मैने पढ़ाना चालू रखा...और उस हाथ ने मेरे लंड को सहलाना जारी रखा.....

थोड़ी देर बाद ही मेरे लंड पर दूसरा हाथ आ गया और अब मैं ज़्यादा शॉक्ड हो गया...क्योकि ये हाथ रक्षा के साइड से आया था ..

मैं- ओह्ह...ये ..क्या...

रक्षा- क्या हुआ भैया...??

मैने रक्षा की तरफ देखा तो उसने स्माइल दे दी....अब मैं पूरी तरह समझ चुका था कि ये दोनो की मिलीभगत है...

रक्षा- क्या हुआ..??

मैं- ये क्या हो रहा है रक्षा...तुम दोनो ये क्या करना चाहती हो...

रक्षा- हमने क्या किया..???

मैने कुछ सोचा और बुक को हाथ मे पकड़ के एक ही झटके मे कंबल निकाल दिया...

जैसे ही कंबल अलग हुआ तो मैने देखा की दोनो के हाथ मेरे लंड पर थे....

मेरे कंबल निकालने से दोनो शरमा गई पर दोनो ने अपना हाथ नही हटाया....

मैं- ये...मैं उसकी बात कर रहा था...अब बोलो...

रक्षा- शरमाते हुए चुप थी...

मैं- रूबी...तुम बोलो...

रूबी- शर्मा के सिर झुंका लिया...

मैं- तुम बोलती हो या मैं जाउ...

तब भी कोई कुछ नही बोला...पर मेरा लंड भी नही छोड़ा...

मैं - ओके ..मैं जाता हूँ...

मैने बुक रख कर जाने के लिए उठना चाहा तो रक्षा बोल पड़ी..

रक्षा- नही भैया...प्ल्ज़्ज़ ..मत जाइए...

मैं- तो फिर बोलो...चाहती क्या हो...

रक्षा- आप अब तक नही समझे...

मैं- समझ तो गया...पर तुमसे सुनना है...

रक्षा- तो सुनिए...हम आपका ये चखना चाहते है...

मैं- ह्म्म...ये क्या...???

रक्षा - आपका...लंड...और शरमा गई..

मैं- ह्म्म्मा...और रूबी तुम...

रूबी - मैं भी...

मैं- तो तुम दोनो चुदाई करना चाहती हो...

रूबी- ह्म्म्मद...

मैं- आज तक कभी की है...

रक्षा- नही भैया...हम पूरे वर्जिन है...हमने कुछ नही किया...

मैं- तो तुम्हे चुदाई का कैसे पता...???

रक्षा- वो तो फिल्म देखी थी..इसलिए पता है...
Reply
06-06-2017, 10:03 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैं- तो तुम्हे बाय्फ्रेंड बना लेना चाहिए ..मुझसे क्यो ???

रक्षा- क्योकि मैं आपसे ही प्यार करती हूँ...

मैं- क्या....कब्से...???

रक्षा- जबसे प्यार का मतलब जाना है तबसे...???

मैं- ह्म्म...और रूबी तुम...??

रूबी- मैं भी...जबसे आपसे मिली हूँ .. .तबसे ..

मैं- रक्षा तुम मुझसे प्यार करती हो और मुझसे रूबी को चुदवाना चाहती हो...ये कैसा प्यार है...

रक्षा- प्यार मे उसकी खुशी देखनी चाहिए जिससे प्यार करते हो...और आप रूबी को चोद कर खुश होगे इसलिए..

मैं- तुम्हे ऐसा क्यो लगा कि मैं खुश होउंगा...???

रक्षा- क्योकि मुझे पता है कि फ्रेश चूत आपको खुश कर देती है...

नैन- ये क्या बक रही हो....???

रक्षा- मुझे सब पता है....

मैं- तुम्हे कैसे पता..??

रक्षा- वो आपको कहते सुना था...

मैं- कब ???

रक्षा- एक दिन आप संजू भैया से कह रहे थे तब सुना...

मैं- तो मुझ पर नज़र रख रही थी...???

रक्षा- नही...वो बस सुन लिया था...

मैं - ओके...अब बताओ करना क्या है...तुम दोनो ने लंड खड़ा कर दिया मेरा...

रक्षा- आज आप रूबी की सील तोड़ दो...

मैं- और तुम्हारी...???

रक्षा- मेरी आप ही तोड़ोगे बट आज नही...

मैं- क्यो ???

रक्षा- वो..मैने किसी से प्रोमिस किया है...इसलिए...

मैं- कैसा प्रोमिस और किस से...???

रक्षा- वो बाद मे बताउन्गी...अभी आप रूबी की सील खोल दो...

रक्षा की बात सुनकर मैने डिसाइड कर लिया कि अब खुल के बात करता हूँ...जब कद्दू खुंद कटने को तैयार है तो चक्कु पीछे क्यो रहे....

मैं- ओके...पर रूबी...पता है ना कि सील टूटने पर दर्द होता है ...

रूबी- हाँ...पर मैं तैयार हूँ...

मैं- और हो सकता है कि कल तुम चल भी ना पाओ...तो...??

रूबी- डोंट वरी..मेरे घरवाले बाहर गये हुए है...कुछ नही होगा...

मैं- ओह...फुल प्लान कर के आई हो..हाँ..

रूबी- हाँ. .कितने दिन से वेट कर रही हूँ.. आज मेरी प्यास मिटा दो भैया...

मैं- ओके...और रक्षा तुम हमारा साथ दोगि या नही...

रक्षा- पूरा साथ दुगी..बस आज चूत नही खुलवाउन्गी....

मैं - ओके..तो शुरू करे...

मेरे कहते ही रूबी बैठ गई और जल्दी से मेरे लंड को बाहर निकाल लिया.......

और मेरे लंड को बाहर निकल के देखने लगी...

यहाँ मैने रक्षा को खीच कर उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया...

वो दोनो मुझसे भी ज़्यादा जोश मे थी...रक्षा मेरे होंठो को तेज़ी से चूसने लगी और रूबी अपनी जीभ मेरे लंड पर घुमाने लगी....

थोड़ी देर तक रक्षा के होंठो का रस चूसने के बाद मैने उसके होंठ छू दिए और नाइटी के उपेर से ही उसके निप्पल को किस कर दिया....

रक्षा- आअहह...भैया...ऐसा ही किस उस दिन भी किया था...

मैं- ह्म्म्मो...तुम्हे याद है...

रक्षा- हां...मैं तो उसी दिन चाहती थी कि आप मेरे बूब्स चूसो पर आप ही आगे नही बढ़े...


मैं- मुझे पता होता ना तो बेटा मैं रोज तुम्हारे बूब्स को चूस्ता और इन्हे बड़ा कर देता....मम्मूउउहह...

रक्षा- आअहह सच भैया....तो अब आप रोज चूसना...आअहह

मैं- उम्म्म्म....

रक्षा- आहह ...भैया....काटो मत ...

मैं- आअहह..क्यो तुझे अच्छा नही लगा....

रक्षा- अच्छा तो लगा पर दर्द होता है ना...

मैं- बेटा दर्द मे ही मज़ा है....उउंम्म..

रक्षा- आअहह...ऐसे ही...खा जाओ भैया...

मैं रक्षा के बूब्स चूस के मज़ा ले रहा था और वहाँ रूबी ने मेरे लंड को चाटने के बाद सूपड़ा मुँह मे भर के चूसना शुरू कर दिया....

मैने धीरे-धीरे रक्षा के बूब्स चूस्ते हुए एक हाथ रूबी की गान्ड पर रख दिया और उसकी नाइटी को कमर पर चड़ा दिया....

मैने जैसे ही उसकी गान्ड पर हाथ लगाया तो चौंक गया....रूबी ने अंदर पैंटी भी नही पहनी हुई थी....

फिर मैने दूसरा हाथ रक्षा की गान्ड पर रखा और उसकी नाइटी उपेर की तो उसने भी पैंटी नही पहनी थी....

अब मैं एक हाथ से रक्षा और दूसरे हाथ से रूबी की गान्ड दबा रहा था और रक्षा अपने बूब्स को अपने हाथो से पकड़ के मुझसे चुसवा रही थी...वही रूबी मेरे लंड को चूस रही थी.....

करीब 10 मिनट बाद मैने दोनो को रोक दिया और उनकी नाइटी निकाल दी...

फिर मैने घुटनो पर बैठ गया और दोनो को अपने साइड करके उनको किस करते हुए उनके बूब्स मसल्ने लगा....

दोनो लड़किया पहली बार किसी लड़के के साथ पूरी नंगी थी इसलिए दोनो शरमा भी रही थी और ज़्यादा ही गरम हो रही थी...

मैं- तुम दोनो ...सच मे मस्त हो...क्या बॉडी है...

रूबी - आहह...आपको अच्छी लगी...

मैं- बहुत ..और मैने रूबी को किस कर दिया....

रक्षा- और मेरी..भैया...

मैं- तेरी भी बेटा...उउंम्म

रक्षा- उउंम...आहह..भैया..कितना तडपाया आपने...

मैं- मुझे पता होता तो दोनो को अपने साथ ही रख लेता...

रूबी- सच मे...तो उस दिन कुछ क्यो नही किया...

मैं- कब..??

रक्षा- कंबल के अंदर....हाइड आंड सीक खेलते हुए...

मैं- ओह तो तुम दोनो थी....कोई नही..आज तुम्हारी शिकायत दूर करता हूँ...

रक्षा- जल्दी करो भैया...इसकी चूत खोल दो...

मैं- ह्म्म...तू मेरा लंड चूसेगी...

रक्षा- मुझे आता नही...

मैं- रूबी को तो अच्छा आता है...क्यो रूबी कहाँ से सीखा...

रूबी- वो भैया...वो मैने ..

मैं- क्या हुआ...कोई प्राब्लम...

रक्षा- भैया वो..इसने अपनी मोम को देखा था...

मैं- ओह्ह तो मोम- डॅड की चुदाई देखी...ह्म्म्म ..

रक्षा- अब मैं चूसू भैया...आपका लंड..

मैं- आजा बेटा...

और मैं बेड पर लेट गया और रक्षा मेरे लंड के पास मुँह करके लेट गई....
Reply
06-06-2017, 10:04 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैने रूबी को 69 की पोज़ीशन मे अपने उपेर लिटा लिया और उसकी चूत देखने लगा...


रक्षा- ओह भैया..इतना बड़ा...कैसे चूसू...

मैं- रूबी तू बता दे इसे...जब तक मैं तेरी चूत चख लूँ...

रूबी ने मेरा लंड पकड़ के रक्षा के मुँह मे लगा दिया और मैं रूबी की पानी छोड़ती चूत पर जीभ फिराने लगा....

मैं- सस्स्र्र्ररुउउप्प्प....सस्स्रररुउउप्प्प्प...

रूबी- आअहह...भैया....ऊहह...

रक्षा- सस्स्रर्र्ररुउउप्प्प..सस्स्रररुउउप्प्प...

मैं- उउंम...अस्स्रररुउउप्प....आअहह....

रूबी- आहह....रक्षा....लंड मुँह मे ले...

और रक्षा ने मेरा लंड मुँह मे भर लिया...मेरा लंड उसके सॉफ्ट होंठो का अहसास पाते ही कड़क हो गया...जो थोड़ा मुरझा गया था....

मैं मज़े से रूबी की रसीली चूत चाटने लगा और अपने लंड को चुसवा कर मज़ा ले रहा था...

रूबी और रक्षा का भी यही हाल था...दोनो की मन की मुराद पूरी हो गई थी....

थोड़ी देर की चूत चुसाइ के बाद रूबी मेरे मुँह पर झड़ने लगी...

रूबी- आहह भैया...मैं ..ऊहह....आऐ...आअहह...

मैं- सस्रर्र्ररुउउउप्प्प...सस्स्र्र्ररुउउप्प्प...उउउंम्म...उउंम्म...

रक्षा-सस्स्रररूउउगगगगग...सस्स्रररूउग़गग...उउंम्म...उउउंम्म...

मैं-उउंम...उउंम्म...उउंम्म..उउंम्म

रूबी- आहह...माआ...उउउफ़फ्फ़...ऊओ


मैं रूबी की चूत से निकलते हुए रस को पीने लगा और रूबी झड कर मेरे उपेर ही लेट गई....पर रक्षा ने लंड चुसाइ चालू रखी.....

रूबी का चूत रस पीने के बाद मैने उसे साइड मे लिटा दिया....और मैने उसकी जगह रक्षा को 69 मे लिटा लिया...

मैं रक्षा की चूत देख कर उसे रूबी की चूत से कम्पेयर करने लगा....

दोनो की चूत चिकनी थी...पर रक्षा की चूत के होंठ ज़्यादा गुलाबी थे...

मैने रक्षा की चूत मे जीभ घूँसा दी...और रक्षा उछल गई...


मैं- उम्म्म्म...उउंम्म..

रक्षा- आअहह...सस्स्रररूउउगग़गग..सस्स्रररूउग़गग....

रक्षा की चूत भी पानी बहा रही थी....और मेरी जीभ लगते ही रक्षा झड़ने के करीब आ गई...

रक्षा- ऊहह भैया..मुझे बाथरूम जाना है...कुछ हो रहा है...

मैं- उउंम...उउंम्म

रक्षा की आवाज़ से रूबी उठ गई और बोली...

रूबी- ये तो चूत की गर्मी है रक्षा...निकालने दो...तुम लंड चूसो...

और रूबी ने रक्षा का सिर मेरे लंड पर दबा दिया....

मैं रक्षा की चूत चूस्ता रहा और वो झड़ने लगी...

रक्षा- आहह .....भैया.....ओह्ह्ह्ह....म्म्मा.आ...

मैं- सस्ररुउपप...सस्स्ररुउउप्प्प...उउउंम्म....उउंम्म

रक्षा झड़ने के बाद मेरे लंड को मुँह मे लिए हुए लेट गई...


मेरा लंड भी झड़ने के करीब आ गया...पर रक्षा रुक गई...

मैने थोड़ी देर तक उसे रेस्ट करने दिया...फिर रक्षा को अपने साइड कर के कहा...

मैं- अब मेरा पानी निकालो...तुम दोनो...

रूबी- हाँ भैया...आ जा रक्षा...

इसके बाद दोनो मेरे लंड को चाटने लगी....

रक्षा- सस्स्ररुउपप...आहह...बहुत बड़ा है भैया...

रूबी- हाँ सच मे...सस्स्रररुउपप..

मैं- तुम दोनो को पसंद आया ..

रक्षा- हाँ भैया..आज से ये मेरा है...सस्स्रररुउप्प्पप....

रूबी- ऑर मेरा भी...सस्स्रररुउउप्प्प...

मैं- ह्म्म्म ...अब जल्दी से इसे चूँसो...

मेरे कहते ही रक्षा ने मेरे लंड को मुँह मे भर लिया और रूबी ने मेरी बॉल्स को....

मैं- हम्म ..यस...येस्स..ऐसे ही...तुम दोनो मस्त हो...

रक्षा- उउंम..उउंम...उउंम..सस्स्रररूउग़गग...सस्स्ररूउगग...

रूबी- उउंम..उउंम..उउंम..उउंम

मैं- यव्स बेबी...निकाल दो पानी ....ऐसे ही...बस मैं आने वाला हूँ...

रक्षा- सस्स्रररूउगग...सस्रररूउग़गग...

रूबी- उउम्मूऊंम...उउउंम्म...

मैं - आअहह...एसस्स...कम ऑन...येस्स

मैं देख के शॉक्ड और खुश था कि रक्षा और रूबी बिल्कुल मॅझी हुई खिलाड़ी की तरह लंड को चूस रही थी....

करीब 10 मिनट की जोरदार छूसा से मैं झड़ने लगा.....

मैं- ओह यस...मैं आया...आअहह

मैं सीधा रक्षा के मुँह मे झड़ने लगा और 1 पिचकारी मारते ही रक्षा ने मुँह हटा लिया और दूसरी पिचकारी उड़कर उसके मुँह पर गिरी....

रूबी- ये क्या...यही तो मैं माल है...और तूने मुँह हटा लिया...

जब तक एक पिचकारी और रक्षा के मुँह पर गिरी...

फिर रूबी ने लंड अपने मुँह मे भर लिया और मेरा लंड रस गटकने लगी...

जब मैं झड चुका तो रूबी ने मेरे लंड को सॉफ कर दिया और रक्षा के बूब्स और मुँह पर पड़ा लंड रस हाथ मे लेकर रक्षा से बोली...

रूबी- ये चख ले मेरी जान...इसी मे मज़ा है...

रक्षा- नही..ये गंदा है...

रूबी- अरे चख तो...फिर अच्छा लगेगा...

रक्षा- नही ना...

मैं- रहने दो रूबी....

रूबी- ओके...तो अपने भैया का प्यार नही चखोगि ....मैं ही पी लेती हूँ...तू बैठी रह....

रक्षा ने अचानक झपट कर रूबी का हाथ पकड़ा और मेरा लंड रस चाटने लगी....

रूबी ने फिर रक्षा के मुँह पर लगा लंड रस चाट लिया और रक्षा को किस करने लगी...
Reply
06-06-2017, 10:04 AM,
RE: चूतो का समुंदर
दोनो किस करते हुए मेरे लंड रस का मज़ा लेने लगी...और फिर दोनो मेरे साइड मे लेट गई...

रूबी- आहह ...मज़ा आया...

रक्षा- भैया...अब इसकी चूत फाड़ दो...

मैं- ह्म्म...थोड़ा रेस्ट कर लो....फिर फाड़ता हूँ.....

उसके बाद हम तीनो लेट कर रेस्ट करने लगे......

थोड़ी देर रेस्ट करने के बाद रक्षा ने मेरे सीने पर हाथ फिराना चालू कर दिया...

मैं- ह्म्म...क्या इरादा है बेटा...

रक्षा- भैया...अब रूबी की चुदाई करो ना...

मैं- और अगर तेरी कर दूं तो...???

रक्षा - नही भैया...अभी नही....मेरी बाद मे...आज रूबी की...

मैं - पर क्यो...???

रक्षा- बस समझ लो कि ये आपकी अमानत है मेरे पास...प्ल्ज़्ज़ कोई सवाल नही...आप बस रूबी की चूत खोल दो...

मैं- ओके बेटा ...तू रूबी को गरम कर...

रक्षा- मैं....कैसे...

मैं- चल हम दोनो करते है...तू स्टार्ट कर...

रक्षा- मैं अलेले...आप भी आओ ना...

मैं- मैं तो आउन्गा ही...क्यो रूबी तैयार हो...

रूबी- हाँ भैया....अब आ भी जाओ...

मैं - ओके..चल रक्षा...शुरू हो जाओ...

इसके बाद मैं रूबी की चूत को चाटने मे लग गया और रक्षा रूबी को किस करते हुए उसके बूब्स मसल्ने लगी...साथ मे रूबी भी रक्षा के बूब्स मसल्ने लगी....


मैं- सस्रररुउउप्प...उउउम्म्म्मम...सस्रररुउउप्प्प....सस्र्रुरुउउप्प...

रूबी-उउंम्म...उउम्म्म्म

रक्षा- उउंम...उम्म्म्मह...

मैं- सस्रररुउउप्प्प...सस्ररुउउउप्प्प...सस्रररुउउप्प...

थोड़ी देर बाद रक्षा रूबी के बूब्स को मुँह मे भर के चूसने लगी...और रूबी मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी....


रूबी-आहह...भैया....मज़ा ..आआहह...आ...गया...आहह

मैं-सस्स्रररुउउप्प्प..सस्स्रररुउउप्प्प....उउउंम्म..उउंम..

रक्षा- उउंम्म...उउउंम...आअहह...उउंम्म..

मैने फिर अपनी एक उंगली रूबी की चूत मे डाल दी तो वो तड़प उठी...

रूबी-बब्बहायीयय्या...

मैं- सस्रररुउउप्प...उउउम्म्म्मम...सस्रररुउउप्प्प....सस्र्रुरुउउप्प...

रूबी-आहह..अहहह....ऊहह..म्मूऊम्मय्यी


रक्षा- उउंम...उउंम्म

मैने रूबी की चूत के दाने को उंगली से सहलाते हुए उसकी चूत को मुँह मे भर लिया....

मैं- सस्रररुउउप्प्प..उूउउंम्म....उउंम्म...

रूबी-बब्बहाइियय्य्ाआ...आअहह....ऊहह....ऊहह....आहह

हमारी चुसाइ से रक्षा भी गरम होने लगी थी...

रक्षा- भैया...मेरा भी कुछ करो....मुझे खुजली हो रही है...

मैं- ह्म्म..एक काम कर...तू लेट जा और रूबी तू इसकी चूत चूस...

इसके बाद रक्षा लेट गई और रूबी उसके उपेर 69 मे लेट गई और मैं रूबी के पीछे आकर उसकी गान्ड को चाटने लगा....

रक्षा- सस्रररुउउप्प्प....सस्स्रररुउउप्प्प्प

रूबी- उउंम...सस्रररुउउप्प...सस्स्ररुउप्प...

मैं- सस्स्ररुउप्प्प...उउंम..सस्स्रररुउप्प्प

जैसे ही मेरी जीभ रूबी की गान्ड पर टच हुई तो रूबी फुल मस्ती मे सिसक उठी...

रूबी- आअहह...भैया...वहाँ....आज..नही..

मैं- आहह..तेरी गान्ड मुझे मस्त लगी ...मारने देगी...सस्स्रररुउउप्प..

रूबी- ऊहह....हाअ...भैया...पर आज नही....

मैं- ओके...चल अपना काम कर..जल्दी ...

इसके बाद मैं रूबी की गान्ड, रक्षा रूबी की चूत और रूबी रक्षा की चूत चूसने मे मस्त हो गयी.....

मैं- उउंम्म....सस्रररुउउप्प...आअहह...

रक्षा- सस्स्रररुउउप्प....सस्स्रररुउउप्प...

रूबी- उउउंम...उउउंम्म...उउउम्म्म्म...

थोड़ी देर मैं रक्षा और रूबी झड़ने लगी....

रूबी- आहह....मैं..आऐ....ऊओ...

रक्षा- मैं भी ...ऊहह...म्म्मा.आ

और दोनो का चूत रस एक- दूसरे के मुँह मे जाने लगा ...


रूबी तो रक्षा का रस पी गई पर रक्षा मुँह हटाने लगी...तो मैने रक्षा का मुँह रूबी की चूत मे लगा दिया और साथ मे...मैं भी रूबी की चूत का रस्पान करने लगा.....


जब वो दोनो झड चुकी तो अलग हो कर लेट गई.....

रक्षा- भैया आपने ऐसा क्यो किया...

मैं- तुझे चूत रस चखाने को..मज़ा आया...

रक्षा- बुरा नही है....

मैं- तो अब तू मेरा लंड चूस फिर मैं रूबी को चोदुन्गा....

रक्षा- हाँ ...ये मैं कर सकती हूँ....

फिर रक्षा ने मेरा लंड चूस कर खड़ा कर दिया और मैने रूबी के उपेर जा कर उसकी चूत पर लंड सेट कर दिया....

मैं- रूबी...अपनी चूत फैला लो....दर्द कम होगा....

मेरे कहते ही रूबी ने अपने हाथ से अपने पैर पकड़ कर चूत को फैला दिया...

मैने पहला ही झटका ज़ोर से मार दिया और रूबी की चीख निकल गई....

मेरे लंड का सुपाडा उसकी सील तोड़ के चूत के अंदर जा चुका था...और रूबी का कोमार्य ख़त्म हो गया था....

रूबी- मम्मूऊम्म्मय्ी.....आआहह....मर गई...म्माआ...

रूबी को रोते हुए देख कर रक्षा ने जल्दी से उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया और मैने दूसरा झटका मारा...

दूसरा झटका ज़्यादा तेज था और लंड चूत को फाड़ता हुआ जड तक घूंस गया और रूबी तड़पने लगी....

रूबी की चीख रक्षा के मुँह मे घूँट रही थी....

रूबी- उउंम...उउंम..उउंम्म..

मैने रूबी की सील तोड़ दी और उसकी आँखो से खुशी और दर्द के मिले आँसू बहने लगे....

रक्षा अपना काम बड़ी खूबी से कर रही थी....

थोड़ी देर मे जब रूबी थोड़ा नॉर्मल हुई तो रक्षा ने उसके होंठ छोड़ दिए....

रूबी- आअहह...आअहह...भैया....इतनी ज़ोर से....आअहह...क्यो...

मैं- धीरे करता तो ज़्यादा दर्द होता ....ऐसे मे दर्द एक साथ हो गया....

रक्षा- ह्म्म्मत...अब तेरी सील टूट गई..हहहे ..

रूबी- हाँ...तेरी खुलेगी तो मैं हन्सुन्गी....आअहह

मैं- रूबी अब ठीक हो....

रूबी- ह्म्म्म ...अब मारो भैया...

मैं- ओके...रक्षा...तू इसकी चूत के दाने को सहला...इसे अच्छा लगेगा...

और रक्षा ने रूबी की चूत का दाना सहलाना चालू किया और मैने रूबी की चूत मे धक्के मारना चालू कर दिया....

अब रूबी भी दर्द के साथ मस्ती मे सिसक रही थी…

मैं- रूबी....अब ठीक है…

रूबी-आहह..हाँ..भैया…करो…आहह

मैं- ये लो…..प्यार से…यीहह


रूबी- हां..भैया…डालो….आहह

मैने अपनी स्पीड थोड़ी और बढ़ा दी…

मैं- ये लो बेटा…अब मज़ा करो..

रूबी-आहह..भैया…डालो…ज़ोर से…आहह…

मैं- मज़ा आ रहा है…

रूबी- हहा….भैया…बहुत..आहह…डालूओ

मैं फुल स्पीड मे रूबी को चोद रहा था और रक्षा रूबी की चूत के दाने को मसल रही थी.....

रूबी ने भी अब रक्षा की चूत पर हाथ घुमाना चालू कर दिया ....और अपनी गान्ड को उछाल कर लंड का स्वागत करना शुरू कर दिया….
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