Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-06-2017, 10:29 AM,
RE: चूतो का समुंदर
वहाँ विनोद मुझे प्लान के बारे मे बताने लगा और यहाँ दूसरी तरफ संजू के घर.....


संजू के घर पूनम और संजू अपने-2 रूम मे लेटे हुए उस इन्सिडेंट के बारे मे सोच रहे थे जो थोड़ी देर पहले दोनो के बीच हुआ था....

संजू(मन मे)- आज ये अच्छा नही हुआ....दीदी ने मुझे ऐसे देख लिया..ये ग़लत है...क्या सोच रही होगी मेरे बारे मे कि मैं कितना गंदा हूँ...अपनी मोम के नाम की ही मूठ मारता हूँ...ओह गॉड , ये कैसे हो गया मुझसे...मैने गेट लॉक क्यो नही किया...और तो और बाथरूम का गेट भी खुला ही रखा...कैसे भूल गया...अब पता नही दीदी क्या करेगी....मोम से बोल दिया तो...और अगर डॅड से बोल दिया तो...ओह माइ गॉड...और अब तो मैं उनसे नज़रे भी नही मिला पाउन्गा....क्या सफाई दूँगा उन्हे....एक काम करता हूँ...दीदी से बात करता हूँ...उनसे माफी माँग लूँगा...पैर पकड़ लूँगा कि एक बार माफ़ कर दे बस...हां यही करना होगा....

वहाँ पूनम ने जबसे संजू का लंड देखा था तो वो भी सोच मे डूबी थी...चुड़दकड़ तो उसे अंकित ने बना ही दिया था इसलिए नया लंड देख कर उसकी चूत मे खुजली मचने लगी थी...

पूनम(मन मे)-आज जो कुछ मैने देखा क्या वो सब सच था या एक सपना....मुझे तो ये सपने जैसा लग रहा है...मेरा सगा भाई ,मेरी मोम के नाम की मूठ मार रहा था...ऐसा कैसे हो सकता है....मेरा भाई तो कितना सीधा लड़का है...फिर ये सब ...???
वेल जैसे भी हुआ हो...उसका लंड तो...आअहह...कितना सॉलिड दिख रहा था....काश वो मेरे नाम की मूठ मरता..ओह्ह्ह...उसका लंड याद आते ही मेरी चूत मे खुजली होने लगी....मैं भी कितनी चुड़दकड़ हो गई हूँ...अंकित ने जो लंड का स्वाद चखाया है..ये उसी का नतीज़ा है कि आज मैं अपने सगे भाई का लंड देख कर बहक रही हूँ....पर अब क्या, अब देर हो चुकी है...अब तो मैं संजू का लंड लेकर ही रहूगी...किसी भी तरह...शाम,दाम,डंड,भेद...जैसे भी हो...अभी उससे बात करती हूँ...हां


संजू और पूनम दोनो अपने-अपने मन मे तय कर के एक- दूसरे से बात करने के लिए अपने रूम से बाहर आए तो दोनो एक-दूसरे के सामने आ गये..और एक-दूसरे को देख कर खड़े हो गये और एक-दूसरे को फटी आँखो से देखने लगे.....

अब आगे ये दोनो क्या करेंगे ...कौन पहले आगे आएगा....देखते है....

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यहाँ होटेल के रूम मे विनोद अंकल ने मुझे कुछ बाते बताई , जितना भी वो जानते थे...अब उसने कितना सच और कितना झूठ बोला, ये बताना मुस्किल था.. .और जैसे ही विनोद ने बोलना बंद किया तो मैं बोला...


मैं(गहरी साँस ले कर)- ह्म्म...तो तुम कह रहे हो कि तुम बॉस नही हो...बॉस कोई और है और तुम सिर्फ़ सब लोगो पर नज़र रख रहे थे कि वो लोग क्या करते है...और तुम अपने बॉस को सबकी रिपोर्ट देते हो ..है ना...??

विनोद- हाँ...मेरा काम इतना ही है....

मैं- और रेणु...वो बॉस को जानती है...

विनोद(सोचकर)- शायद नही...

मैं- शायद का क्या मतलब...???

विनोद- जब मैं नही जानता तो वो भी नही जानती होगी...तुम उसी से क्यो नही पूछते...

मैं- ओके...और इसका मतलब ये कि तुम्हारा भी कोई मक़सद नही इस प्लान मे...तुम किसी के लिए काम कर रहे हो बस...??

विनोद- मुझे सिर्फ़ पैसे चाहिए थे....

मैं- ह्म्म..पैसा...ये पैसा चीज़ ही ऐसी है कि कुछ भी करवा देती है लोगो से.....

विनोद- मुझे माफ़ कर दो बेटा....मैं बहक गया था...

मैं- मान लिया तुम बहक गये थे...और मैं तुम्हे माफ़ भी कर दूँगा...पर...

विनोद- पर क्या बेटा...बोलो...

मैं- पर मेरी कुछ शर्त है...

विनोद- शर्त....क्या शर्त...???

मैं- पहली....कि तुम मुझे अपने बॉस के बारे मे बताओ...दूसरी...तुम वो वजह बताओ जिसकी वजह से तुम्हे नया मोहरा मिला...तीसरी....हमारे बीच जो भी बाते हुई वो किसी को पता ना चले...किसी को भी नही...समझ गये...किसी को मतलब किसी को भी नही....

विनोद- मुझे मंजूर है....पर मैं बॉस से कभी मिला नही और उसका नंबर भी नही...उसे जब काम होता है तभी कॉल करता है...हमेशा न्यू नंबर से....और मैं अपने बीच की बातें किसी को नही बोलूँगा...

मैं- ह्म्म...और वो राज़....??

विनोद- ह्म्म..सुनो....($$$$$$$$$$$$$$)

मैं- सच मे....क्या बात है...मज़ा आ गया....

विनोद- अब खुश हो ना...

मैं- ह्म्म..पर याद रखना...जिस दिन तुम अपनी बात से पलटे उसी दिन ये वीडियो....

विनोद- नही-नही...मैं याद रखुगा...आज से सब तुम्हारे हिसाब से करूगा...

मैं- ओके...तुम मेरा काम करो और खुश रहो...ओके...

विनोद- ओके...अब मैं जाउ...

मैं- ह्म्म..(मैने अपने आदमी को बुलाया और विनोद को खुलवा दिया...)

विनोद- ओके..मैं जाता हूँ...

मैं- ह्म्म..पर सुनो...

विनोद- अब क्या...???

मैं- अपनी बीवी को आज के बाद हाथ भी मत लगाना...जब तक मैं ना कहूँ...

विनोद- ओके..समझ गया...


जैसे ही विनोद निकला..कुछ देर मे ही रेणु का कॉल आ गया...


(कॉल पर)


रेणु- क्या न्यूज़ है भाई...??

मैं- कुछ खास नही..वो निकल गये हाथ से...(झूठ बोला)

रेणु- क्या...???..मतलब ..कुछ भी पता नही चला कि कौन क्या कर रहा है तुम्हारे खिलाफ...

मैं- क्या मतलब..किसकी बात कर रही हो...??

रेणु- अरे कामिनी और रजनी की...दीपा तो गई ना...

मैं- ह्म्म...कोई खास बात पता नही चली..वही पुरानी बातें..ये तुम्हे पता करना होगा...और बॉस के बारे मे भी...

रेणु- बॉस के बारे मे पता करना मुस्किल है ...मेरी तो बॉस से बात होती नही और विनोद हमेशा अकेले मे ही बॉस से बात करता है...फिर भी आइ विल ट्राइ माइ बेस्ट..

मैं- ओके ..गुड लक...

रेणु- ओके अब आगे क्या सोचा है...??

मैं- अभी तो कुछ नही...कुछ होगा तो बताउन्गा....अभी मैं आंटी को देख लूँ..

रेणु- ओके...देख लो...बाइ

मैं- बाइ...

कॉल कट होते ही मैं सोच मे पड़ गया....

मैं(मन मे)- विनोद के जाते ही रेणु का कॉल आना और दोनो का सेम आन्सर देना, इत्तेफ़ाक़ नही हो सकता...रेणु की विनोद से बात हुई होगी और विनोद ने वही किया होगा जो मैने उसे करने को बोला..पर रेणु का इतनी इंक्वायरी करना समझ नही आया...आख़िर क्यो...???

वो इस सब मे इतना इंटरेस्ट ले रही है जैसे कि टारगेट मैं नही वो है....शायद ये उसका प्यार है मेरे लिए या फिर उसका भी कुछ फ़ायदा है ..ये वो कुछ गेम खेल रही है........??????

मैं रेणु दी के बारे मे सोचने लगा कि क्या उसका कोई अपना फ़ायदा है या सिर्फ़ वो मेरी खातिर मेरी हेल्प कर रही है....पहले तो मुझे उस पर डाउट हुआ पर बाद मे मेरे दिल ने ये मानने से इनकार कर दिया कि रेणु दी मुझे धोखा दे सकती है....

फिर मैं सीधा होटल के मॅनेजर के पास गया और वीडियो डिस्क ले ली...जिसमे आंटी और विनोद की चुदाई रेकॉर्ड थी...फिर मैने आंटी को साथ लिया और संजू के घर जाने लगा....
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06-06-2017, 10:30 AM,
RE: चूतो का समुंदर
कार मे आंटी बोली...

आंटी- बेटा पहले मेरी फ्रेंड के घर चलना...फिर बाद मे घर...

मैं- क्यो...अभी कौन सा काम आ गया...???

आंटी- बेटा वो...मैं जो कपड़े घर से पहन के आई थी वो मेरी फ्रेंड के घर है...और ये ड्रेस उसकी है..जो मैने पहनी है...

मैं- ओह तो अपने यार से मिलने के लिए छुप-2 कर हॉट ड्रेस पहनती हो..हाहाहा...

आंटी(आत्मगिलानी से सर नीचे करके रह गई)

मैं- कम ऑन आंटी..ऐसे मुँह मत लटकाओ...जो हो गया सो हो गया..आगे से याद रखना...

आंटी- ह्म्म..आज से कुछ ग़लत नही करूगी....बस तू मुझे माफ़ कर दे...

मैं- ह्म्म..अब ये बताओ कि चलना कहाँ है...

फिर आंटी ने रास्ता बताया और मैने कार उस रास्ते पर दौड़ा दी...थोड़ी देर बाद हम आंटी की फ्रेंड के घर के बाहर खड़े थे...

डोर बेल बजाने पर गेट खुला और कुसुम हमारे सामने आ गई....कुसुम वैसे तो एक सीधी-सादी घरेलू महिला थी...बट आंटी की संगत मे पड़ कर वो भी सेक्स के मज़े लेने लगी थी...पर अभी तक उसकी हिम्मत नही हुई कि किसी गैर मर्द के साथ सेक्स कर सके...वो बदनामी से डरती थी पर उसे किसी गैर के साथ सेक्स करने का बहुत मन था...

पर कुसुम अपने पति से भी डरती थी क्योकि कुसुम का पति पोलीस मे है....

(कुसुम के पति के बारे मे आगे बात करेंगे....)


कुसुम- हाई...आ गैइइ....ऊओह...तुम भी...

(मुझे आंटी के साथ देख कर कुसुम चौंक गई और आगे कुछ कहते-कहते रुक गई...)

आंटी(बात संभालते हुए)- वो कुसुम...ये मुझे रास्ते मे मिल गया तो मैं साथ ले आई...ये अंकित है...

कुसुम- अरे तो उसमे क्या...और मैं इसे जानती हूँ...ये संजू का फ्रेंड है और तुम्हारे बेटे जैसा है तो मेरा भी बेटा हुआ ना...आओ अंदर आओ...

हम अंदर गये और मैं सोफे पर बैठ गया जबकि आंटी चेंज करने अंदर रूम मे निकल गई..और कुसुम किचन मे....



थोड़ी देर बाद कुसुम कॉफी और स्नकस ले कर आई...

मैं-अरे इसकी क्या ज़रूरत....

कुसुम(बीच मे ही)- अरे ऐसे कैसे...तुम पहली बार मेरे घर आए..कुछ तो लेना पड़ेगा....लीजिए...

मैने कॉफी ली और बिस्किट के साथ कॉफी की चुस्कियाँ लेने लगा....थोड़ी देर बाद आंटी भी चेंज कर के आ गई और फिर साथ मे हम कॉफी पीते हुए बातें करने लगे....

10-15 मिनट बाद हम जाने के लिए रेडी हुए तभी कुसुम, आंटी को अंदर ले गई और थोड़ी देर बाद वापिस आई ...

जब हम जाने लगे तो कुसुम ने कहा...

कुसुम- फिर आना बेटा...

मैं- हाँ ..आंटी के साथ ज़रूर आउन्गा...

कुसुम- आंटी के साथ ही क्यो...कभी भी आना...ये घर अपना ही समझो.....

मैं- जी..ज़रूर आउन्गा...ओके बाइ...

आंटी- बाइ कुसुम....

कुसुम- बाइ...और मेरा काम याद रखना रजनी...बब्यए

आंटी ने कुसुम की बात पर स्माइल कर दी और अंगूठा दिखा कर ओके बोल दिया...

फिर हम संजू के घर पहुचे..अंदर आते ही मैं संजू के रूम मे चला गया ...पर मुझे वहाँ संजू नही मिला....

फिर मैं अनु के रूम मे गया तो अनु सो रही थी....

कितनी प्यारी लग रही थी अनु उस वक़्त ..ये शब्दों मे बता पाना मुस्किल था मेरे लिए...

मैं धीरे से अनु के पास गया और झुक कर उसके चेहरे पर आई बालों की लट को हटा दिया....

मेरे स्पर्श से अनु कसमासाई तो मैने जल्दी से हाथ पीछे कर लिया...क्योकि मैं नही चाहता था कि अनु अभी जाग जाय....क्योकि अभी मुझे एक इम्पोर्टेंट काम से जाना था...

मैने नज़र भर कर अनु को देखा और फिर रूम से चुप-चाप निकल आया...

फिर मैं वापिस नीचे आ गया....वहाँ पर आंटी के साथ मेघा आंटी भी आ गई थी और दोनो गॉसिप कर रही थी....

मैं- आंटी..मैं आता हूँ...

आंटी- कहाँ जा रहे हो...???

मैं- एक फ्रेंड के पास...थोड़ा काम है...

आंटी- ओके ..जल्दी आना..रात होने वाली है...

मैं- ह्म्म...

फिर मैं निकल कर सीधा अपने सीक्रेट हाउस पहुच गया....



( इस सीक्रेट हाउस मे मेरे ही लोग रहते है...जिन्हे मैने अपनी हेल्प के लिए चुना है...)

मैं ड्राइव करते हुए विनोद की बताई हुई जानकारी के बारे मे सोच रहा था....


अब तक मुझे ये तो पता चल गया था कि मेरे खिलाफ प्लान मे कामिनी,दीपा,रजनी और विनोद है...पर अभी तक मुझे इन सब के बॉस के बारे मे कोई जानकारी हाथ नही लगी थी...

विनोद ने जो मुझे बताया था उससे जो जानकारी पता चली वो ये थी....

दीपा सिर्फ़ पैसो के लिए काम करती थी...उसकी अपनी कोई वजह नही थी....वो रजनी और कामिनी के लिए काम करती थी...उसका काम ये था कि कैसे भी वो मुझे अपने प्यार मे फँसा कर अपने परिवार से दूर कर दे और मुझसे ज़यादा से ज़यादा पैसा खीच सके....पर वो नाकाम रही...


रजनी का मक़सद सिर्फ़ पैसा नही था...वो मेरे डॅड से नफ़रत करती थी और उन्हे मारना चाहती थी...पर पहले वो मुझे अपने डॅड से दूर करना चाहती थी....वो मेरे डॅड को तड़पाना चाहती थी....

कामिनी का मक़सद भी पैसा तो था पर साथ मे वो मेरी पूरी फॅमिली से नफ़रत करती थी...वो मेरा यूज़ करके मेरी फॅमिली को हर्ट करना चाहती थी...

विनोद का काम सबके काम पर नज़र रखना था....उसे इन सब के उपेर वाले बॉस ने अपायंट किया था....

विनोद की बात से मुझे ये तो पता चल गया था कि कौन क्या चाहता है...बट अभी ये पता करना बाकी था कि क्यो चाहता है...आख़िर ऐसा क्या किया मेरे डॅड ने जो रजनी उन्हे मारना चाहती है...और मेरी फॅमिली ने कामिनी के साथ क्या किया कि वो मेरी पूरी फॅमिली को ही मारना चाहती है...

और तो और मुझे ये भी नही पता कि मेरी फॅमिली है कहाँ और आख़िर मेरे डॅड और मैं उनसे दूर क्यों है....

और सबसे बड़ा सवाल कि अगर ये लोग मेरे डॅड और मेरी फॅमिली से नफ़रत करते है तो अभी तक इन्होने कुछ किया क्यों नही...किस बात का वेट कर रहे है और मुझे क्यो फसाया....डाइरेक्ट मार ही डालते....

और ये साला कौन है जो इन सब को हुकुम देता है...उसकी पहचान और उसका मक़सद जानना बाकी है...पर उस तक पहुचने का लिंक अभी तक नही मिला....ना दीपा से और ना विनोद से....
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06-06-2017, 10:30 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मेरे सामने सबसे बड़ा चेलेंज ये पता करना था कि आख़िर इस सब की ज़रूरत क्यो पड़ी...क्यो मेरी लाइफ के साथ इस तरह का गेम खेला गया...क्यूँ....???



और यही सोचते हुए मैं सीक्रेट हाउस पहुच गया....अंदर जाते ही मेरा खास आदमी सामने आ गया....


स- आओ अंकित...जाम रेडी है...

मैं- ह्म्म..तो सब सेट है...(सोफे पर बैठते हुए)

स- ह्म्म..पर जो गेम तुम खेल रहे हो वो बहुत रिस्की है....एक ग़लत कदम और हो सकता है इसका खामियाज़ा बहुत ज़्यादा भुगतना पड़ सकता है.....कई जानें दाव पर लगी हुई है....

मैं- बात तो सही है...बट देयर आर नो अदर वे माइ फ्रेंड....

स- ह्म्म...पर तुम बहुत तेज भाग रहे हो....

मैं- लाइफ एक रेस है भाई...तेज नही भागुंगा तो लोग कुचल कर निकल जायगे....

स- हाँ..पर इसमे बहुत रिस्क है...तुम्हारे डॅड भी...


मैं(बात काट कर)- रिस्क ईज़ आ पार्ट ऑफ लाइफ ब्रो.....जब सामने वाले अपना सब खुच दाव पर लगा सकते है तो मैं क्यो पीछे रहूं...और ये तो सिर्फ़ शुरुआत है...असली चॅलेंजस तो आने बाकी है दोस्त....

स- ह्म्म..चलो फिर पेग ख़त्म करो और रेडी हो जाओ.....

मैं- ह्म्म..सक्सेस के नाम..चईएर्स...

और हम पेग गटकने लगे......

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यहाँ संजू के घर मे मेरे निकलते ही आंटी रेस्ट करने का बोल कर अपने रूम मे गई और विनोद को कॉल किया....

(कॉल पर)

आंटी- हेलो...विनोद

विनोद- हाँ भाभी...

आंटी- भाभी के बच्चे...कहाँ हो तुम..??

विनोद- मैं तो शॉप पर हूँ...क्यो क्या हुआ..???

आंटी- ओह..तुम तो ऐसे बोल रहे हो कि जैसे कुछ हुआ ही नही...तुम्हे पता है ना कि कुछ देर पहले हमें किसी ने रंगे हाथो पकड़ा था...याद है ना...??

विनोद- हाँ भाभी याद है...मैं तो बस मज़ाक कर रहा था...

आंटी(गुस्से मे)- तुझे मज़ाक सूझ रहा है और यहाँ मैं टेन्षन से मरी जा रही हूँ...तुझे टेन्षन नही...???

विनोद- हाँ टेन्षन तो थी...पर अंकित को आपने हॅंडल कर लिया होगा...ये मैं जानता हूँ...इसलिए मैं टेन्षन फ्री हो गया...

आंटी- मेरी बात छोड़...टेन्षन तो मुझे इस बात की है कि तूने अंकित को क्या बोला...

विनोद- मैने....कुछ खास नही...बस बोल दिया कि भाभी के साथ मज़े कर रहा था....

आंटी- बस...उसने और कुछ नही कहा...

विनोद-हम्म...हां उसने पूछा था कि मैं मेघा को सेक्स का सुख क्यों नही देता....और यही मुझे भी जानना है कि ये बात उसे कैसे पता चली कि मैं मेघा के साथ सेक्स नही करता...

आंटी- वो..एम्म...वो ऐसा हुआ...कि...

विनोद- मुझे यकीन था कि ये तुमने ही बोला होगा...करना क्या चाहती थी तुम..क्या मेघा को भी अपने जैसी रंडी बनाना था...

आंटी- चुप कर...एक बार और मुझे रंडी बोला तो मुझसे बुरा कोई नही होगा...तू जानता है ना कि मैं ऐसी क्यो बनी...और ये भी मत भूल कि अगर मैने तेरे बारे मे अंकित या उसके डॅड को बता दिया तो सोच तेरा क्या होगा....

विनोद- अरे भाभी आप तो गुस्सा हो गई...मैं बस ये बोल रहा था कि मेघा को इससे दूर रखो प्ल्ज़...

आंटी- ह्म्म..आया ना लाइन पर...अब बोल तूने अंकित को क्या बताया...

विनोद- मैने उसे कुछ नही बताया...बस यही बोला कि हम चुदाई करते है....बस.. 

आंटी- ऐसा ही बोला तो ठीक है...अगर उसे मेरे प्लान के बारे मे पता भी चला तो फिर...तू तो गया.....

विनोद- नही भाभी मैने कुछ नही बोला...ट्रस्ट मी

आंटी- ह्म्म...अब संभाल के रहना...बाइ

विनोद- बाइ..


फ़ोन रखने के बाद आंटी ने चैन की साँस ली कि चलो विनोद ने अंकित को कुछ नही बताया....विनोद सच बोल रहा है...अगर कुछ बताया होता तो अंकित मुझसे इतनी अच्छी तरह बात नही करता उल्टा मेरी वॉट लगा देता...


यहाँ विनोद फ़ोन रखने के बाद सोचने लगा कि ये क्या हो गया....मैं तो दोनो तरफ से फस गया...अंकित को ना बताता तो मेरा परिवार मिट जाता और भाभी की बात ना मानूं तो मैं ख़त्म हो जाउन्गा....अब बस अंकित भाभी को ना बोले कि मैने उसे कुछ बताया...वरना मेरा राज़ अंकित के सामने आ जाएगा और फिर सबसे पहले वो मुझे ही मिटा देगा.. ..

यहाँ विनोद परेशान वहाँ आंटी परेशान...पर सिर्फ़ ये दोनो ही नही थे जो परेशान थे...अंकित भी परेशान था, पूरा सच जानने के लिए...और इन सब से ज़्यादा परेशान थी कामिनी...

हाँ...कामिनी को जबसे वो अननोन कॉल आया था तबसे उसका दिमाग़ हिला हुआ था...उसने उस इंसान से मिलने का तो तय कर लिया बट फिर भी वो कोशिश यही कर रही थी कि उस इंसान के बारे मे कहीं से कुछ पता चल जाए....पर उसकी सारी कोशिशे नाकाम हुई...
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06-06-2017, 10:30 AM,
RE: चूतो का समुंदर
फाइनली वो जाने के लिए रेडी होने लगी...और कुछ देर बाद कामिनी पहुच गई होटल डेलिट के रूम नंबर. 202 मे...कामिनी ने गेट नॉक किया तो उसे कॉल आया...

कॉल पर उसे बता दिया गया कि उसे आगे क्या करना है....

कामिनी ने सामने वाले के कहने पर रूम मे जाते ही रूम को अंदर से लॉक कर दिया....

रूम को लॉक करने के बाद जैसे ही कामिनी आगे बड़ी तो सामने से आवाज़ आई...

"खुशामादीद मोहतार्मा खुशामदीद"

कामिनी जैसे ही रूम मे एंटर हुई तो वो रूम का मुआयना करने लगी....रूम मे हल्की रोशनी छाइ हुई थी...सामने की टेबल पर ड्रिंक आंड स्नकस रखा हुआ था....और टेबल की दूसरी तरफ एक इंसान रोलिंग चेयर पर बैठा हुआ अपनी उंगली मे की चेन घुमा रहा था...

वो इंसान कामिनी की दूसरी तरफ मुँह किए हुए था....इसलिए उसका चेहरा कामिनी ने नही देखा....


( यहाँ मैं अननोन इंसान को उन लिख रहा हूँ)





कामिनी- एक्सक्यूज मी...

उन- तसरीफ रखिए....

कामिनी- आप है कौन...???

उन(कड़क आवाज़ मे)- यहाँ सवाल सिर्फ़ हम करेंगे...आप तसरीफ रखे...

कामिनी, जो पहले से ही डरी हुई थी...उस इंसान की बात सुनकर और सहम गई और चुप-चाप सोफे पर बैठ गई....

कामिनी के बैठते ही उस इंसान ने अपनी चेयर घुमाई और अब वो कामिनी के सामने आ गया....

कामिनी उसको देखने लगी ...उस इंसान की फुल सेव थी...साथ मे कड़क मूछे और उसके बाल भी कंधे तक आ रहे थे....


कामिनी उसे देख कर पहचानने की कोशिश कर रही थी कि शायद कोई क्लू मिल जाए जिससे वो इसकी असलियत समझ जाए...

वो इंसान भी कामिनी के मन मे चल रही उथल-पुथल को समझ जाता है.....

उन- अपने ज़हेन को इतना परेशान ना करे मोहतार्मा....आप हमें नही पहचानती....कोशिश बेकार है...

कामिनी- वो...ऐसा...कुछ नही...मैं बस...

उन- चलिए छोड़िए...वैसे क्या पीएंगी आप...??

कामिनी- जो आप पिलाना चाहे...

उन- हम जानते है कि बड़ी ही सातिर है आप...पर आज आपको स्कॉच से काम चलाना पड़ेगा...लीजिए...

कामिनी- ह्म्म..चियर्स...

दोनो अपने पेग से एक-एक सीप मारते है.....

कामिनी - तो अब बताइए ...मुझसे क्या चाहते है आप....

उन- ह्म्म...डाइरेक्ट मुद्दे की बात.....

कामिनी- क्या करे हमारे पास टाइम की कमी जो है...

उन- वक़्त की कमी तो सबको ही खलती है मोहतार्मा...वक़्त किसी का अपना नही होता...

कामिनी- तभी तो कहा...जल्दी से बता दें...कि आप चाहते क्या है...पैसा या फिर....कुछ और....

उन- हाहाहा....पैसो से हमें खरीदने की कोशिश ना करे....हम बिकने वालो मे से नही...

कामिनी- ह्म्म..जो इंसान पैसो मे ना बिके वो किसी ना किसी कीमत पर तो बिक ही जाएगा....

उन- ह्म्म...पर क्या आप वो कीमत दे पाएगी...??

कामिनी- क्यो नही...आप कीमत तो बताइए....

उन- ह्म...हमारी कीमत है वो राज़ जो आप अपने दिल मे दफ़न किए हुए है....

कामिनी- कौन सा राज़...मैने क्या छिपा कर रखा है...???

उन- इतनी मासूम ना बनें...हम उस राज़ की बात कर रहे है..जिसने आपको अंकित का दुश्मन बना दिया...आख़िर क्यो आप उस बच्चे के पीछे पड़ी है...

कामिनी- उसमे कोई राज़ नही...आप भी तो उसके दुश्मन है...??

उन- हाँ और उसकी वजह है उसके पिता...पर आपकी वजह क्या है...

कामिनी- कोई भी वजह हो...आपको क्या...

उन- सोच लो...हम आपको दुनिया के सामने नंगा कर सकते है...

कामिनी(गुस्से मे)- बस...एक शब्द नही....मेरी दुश्मनी किससे है...किस वजह से है..ये मेरा पर्सनल मॅटर है...समझे...और मैं किसी को बताना ज़रूरी नही समझती...

उन- पर मुझे वो वजह जान नी है..नही तो...

कामिनी(गुस्से से खड़ी हो गई)- तुम्हे जो करते बनता है करो...मैं नही डरती...और हाँ...मैं अकेली नही हूँ...समझे...अब मैं जा रही हूँ...तुम जो करना चाहो कर लो...

कामिनी गुस्से से उठ कर गेट की तरफ जाने लगी.....

उन- आपकी लाडली बेटी *** मे बने आपके बंग्लो मे है ना.....

कामिनी उसकी बात सुनते ही रुक गई और पलट के बोली....मतलब

उन- ह्म्म...सोचिए कि अगर मे तुम्हारी बेटी तक पहुच सकता हूँ तो आगे क्या कर सकता हूँ...हाहाहा...

अपनी बेटी के नाम से तो कामिनी पूरी तरह डर गई और वापिस उस इंसान के पास आ गई....



कामिनी- नही...नही...मेरी बेटी को कुछ मत करना...मैं वही करूगी जो तुम चाहते हो...क्या चाहिए...बोलो..

उन- लगता है मोहतार्मा की आपकी याददाश्त कमजोर है...बादाम खाया कीजिए....हमें वो वजह जाननी है...जिस वजह से आप अंकित की दुश्मन बन गई....

कामिनी- ओके...पर मेरी दुश्मनी सिर्फ़ अंकित से नही...मैं उसके पूरे परिवार को ख़त्म करना चाहती हूँ...

उन- ह्म्म...पर क्यो...

कामिनी- बताती हूँ...पर याद रखना कि ये बात सिर्फ़ हमारे बीच मे ही रहनी चाहिए....

उन- बेफ़िक्र रहिए...अब बताए वो राज़....

कामिनी सोफे पर दोबारा से बैठ गई और अपनी कहानी सुनाने लगी.....
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06-06-2017, 10:30 AM,
RE: चूतो का समुंदर
यहाँ विनोद रजनी आंटी से बात करने के बाद रेणु को कॉल करता है....

(कॉल पर)

विनोद- हेलो....

रेणु- हेलो....इस टाइम कॉल क्यों किया..???

विनोद- मुझे कुछ सवालो के आन्सर चाहिए...

रेणु- क्या कह रहे हो...सॉफ-सॉफ बोलो...

विनोद- तुमने अंकित को मेरे बारे मे बताया ना...??

रेणु- हाँ...बताना पड़ा...

विनोद- तुम हो किसके साइड...हमारी या उसकी...

रेणु- मैं तुम्हे बताना ज़रूरी नही समझती....

विनोद- क्या कहा...तुम मुझे फसा सकती हो और अब मुझे ही वजह नही बता सकती...भूलो मत...तुम भी...

रेणु- बस...मुझे अंकित का भरोसा बरकरार रखना था..इसलिए तुम्हे फसाया..और ये बात बॉस को पता है...

विनोद- क्या..बॉस को पता है...पर बॉस ने ये नही सोचा कि अगर मैं उनके बारे मे बता देता तो...

रेणु- बॉस जानते है कि तुझमे इतना दम नही...और अगर ऐसा करते भी तो बॉस का बुरा तो बाद मे होता...उससे पहले तुम और तुम्हारा परिवार....पता है ना...

विनोद- बस...तुम्हे बताने की ज़रूरत नही...मैं बॉस के खिलाफ कुछ नही करता...

रेणु- पर मुझसे तो अंकित ने कहा था कि तुम हाथ से निकल गये.....

विनोद- उसने तुमसे झूठ बोला...उसने मुझसे सब पूछा...पर हाँ...डरो मत मैने ये नही बताया कि बॉस कौन है और ना ये कि तुम भी बॉस को जानती हो...और तुम तो उनकी रंडी हो...हाहाहा....


रेणु- चुप कर...मुझे रंडी बोलने की गुस्ताख़ी दुबारा मत करना....समझे...

विनोद- ओके..ओके...अब ये बताओ कि आगे क्या ..??

रेणु- बॉस के आदेश का वेट करो..और अपना काम करते रहो...अंकित पर खास नज़र रखना...ओके

विनोद - ओके...बाइ

रेणु- बाइ...

फ़ोन रखने के बाद विनोद और रेणु अपनी- अपनी सोच मे डूब गये....

रेणु(मन मे)- अंकित ने मुझसे झूठ बोला...कहीं उसको शक तो नही हो गया...अगर ऐसा हुआ तो ये मेरे लिए अच्छा नही....मुझे उसका भरोशा वापिस से जीतना होगा...नही तो मेरा मक़सद पूरा नही हो सकता....मुझे उसकी ज़रूरत है.....

विनोद(मन मे)- ये तो साला मैं दोनो तरफ से फस गया...अंकित को सच बताता हूँ तो भी और नही बताता तो भी....पर अंकित मेरी बात को सच मान जाए तो ठीक...उसे ये शक नही होना चाहिए कि मैं बॉस को जानता हूँ....हे भगवान बस और कोई मुसीबत मत देना मुझे प्ल्ज़्ज़.....

यहाँ दोनो ही अपने-अपने बारे मे सोच रहे थे...इस बात से अंजान की कोई ऐसा भी है...जो इनके अरमानो पर पानी फेरने को तैयार है.....और उसने इनके ख़ात्मे का इंतज़ाम पहले ही कर लिया बस सही टाइम का वेट कर रहा है....

**************************************************************

यहाँ संजू के घर मे कुछ खास नही हो रहा था...सब अपने आप मे बिज़ी थे....

सिर्फ़ एक लड़की थी जो जागने के बाद भी सोई हुई थी..वो थी अनु...

अनु अपने बेड पर लेटे हुए किसी के सपने मे खोई हुई थी...जो उसके सपनो का राज कुमार था....वो है अंकित....

अनु अंकित से हुई अपनी पहली मुलाक़ात...फिर उसकी तरफ आकर्षण...उसके लिए पनपते प्यार...और किसी के कहने पर इसके लंड को चोरी-चोरी चूसना...ये सब याद करके शरमा भी रही थी...मुस्कुरा भी रही थी और गिल्टी भी फील कर रही थी....

पर जब उसने अंकित के साथ गुज़ारी उस रात को याद किया तो उसके चेहरे पर लाली छलक उठी....

वो सोचने लगी कि कैसे अंकित ने उसे प्यार किया...उसको सुलाया और अपने प्यार का इकरार भी किया....

अनु ने अंकित को कॉल किया पर फ़ोन पिक नही हुआ...

अनु फिर से अपनी सुनहरी यादो ने खोई हुई मंद- मंद मुस्कुराने लगी......

पर इस घर मे सिर्फ़ अनु ही नही थी जो शरमा रही थी....दो लोग और थे जो अपने - अपने ख़यालो मे खोए हुए...कभी मुस्काते तो कभी शरमाते...ये थे संजू और पूनम....

**************************************************************


यहा अनु-संजू-पूनम शर्मा रहे है पर इन्ही की बेहन कही बेशरम बनी हुई है.....

रूबी के घर रक्षा और रूबी एक दूसरे की चूत और बूब्स का रस्पान करने मे बिज़ी थे....

जैसे ही अंकित रूबी के घर से निकला था...उसके बाद ही रक्षा ने रूबी को जगाया...और फिर शुरू हो गया था दोनो का हवस का खेल....

इस खेल मे दोनो दो-दो बार झड चुकी थी...और अब तीसरी बार की तैयारी मे थी....

रक्षा- उम्म...ज़ोर से चाट ना...

रूबी- आहह..इतनी ज़ोर से तो चूस रही हूँ...अब क्या चवा जाउ....

रक्षा- अरे तू तो लंड खा कर खुश हो गई...अब मेरा भी ख्याल कर....

रूबी- तो तू भी ले ले ना मेरी रानी...आज रात अपने भैया का मूसल खा ले....

रक्षा- हाँ मेरी रानी...अब तो मेरा प्रोमिस भी पूरा हो गया है....अब तो बस भैया से बोलना बाकी है....जब तक तू तो चूस ना...

रूबी- ह्म्म...सस्स्रररूउर्र्ररुउप्प्प.....सस्स्र्र्ररुउउप्प्प..[Image: icon_e_smile.gif] 

रक्षा- यस ..यस...आअहह....खा जा ...ऐसे ही.....
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06-06-2017, 10:30 AM,
RE: चूतो का समुंदर
यहाँ होटल डेलिट के रूम नो.202 मे कामिनी अपनी कहानी सुना कर बोली...

कामिनी- तो ये बात है....और इसी लिए मैं मल्होत्रा फॅमिली को ख़त्म करना चाहती हूँ....

उन- ह्म्म...आपकी बात से ये तो पता चल गया कि आपकी फॅमिली के साथ ग़लत हुआ है...पर इसमे उस मासूम अंकित की क्या ग़लती....उसने तो कुछ नही किया....

कामिनी- नही किया तो क्या....गेंहू के साथ घुन तो पिसता ही है....और वैसे भी मेरा मक़सद सिर्फ़ उसकी फॅमिली ख़त्म करना ही नही...बल्कि उस की प्रॉपर्टी भी है...

उन- मतलब...??

कामिनी- मेरा बदला तो मूल होगा...और प्रॉपर्टी होगी उसका ब्याज...

उन- तो तुम अभी क्यो नही मार देती उन्हे...

कामिनी- मार देगे...पहले मिल तो जाएँ...

उन- तो उन्हे ढूढ़ रही हो...???

कामिनी- हाँ...

उन- ओके..तो जब तक उसकी फॅमिली नही मिलती तब तक क्या करोगी....

कामिनी- जब तक सिर्फ़ इंतज़ार...और अब मैं चलती हूँ...आज रात अंकित को मज़े जो कराना है....

उन- ओके...मज़े करो...मेरे टच मे रहना....और कभी हमें भी मज़े...हाहाहा..

कामिनी जाने लगी फिर गेट पर पहुच कर रुक गई...

कामिनी- ह्म्म..ज़रूर...वैसे आपका नाम क्या है...

अननोन- नाचीज़ को अकबर कहते है....

कामिनी- ओके अकबर जी...जल्दी मिलेगे...गुड'नाइट

अकबर- गुड'नाइट

कामिनी के रूम से निकलते ही अकबर ने किसी को कॉल किया...

(कॉल पर)

अकबर- वो निकल गई है...रेडी हो ना...

सामने- जी बॉस

अकबर- पर याद से जितना बोला उतना ही करना....उससे ज़्यादा नही...

सामने- जी बॉस...उतना ही होगा...

अकबर- ओके..काम हो जाए तो मुझे बता देना...

फिर अकबर ने कॉल कट की और एक पेग बना कर पीने लगा....

यहाँ कामिनी हॉतले से निकल कर कार ड्राइव करते हुए अपने घर जा रही थी....

रास्ते मे जहाँ रोड सुनसान थी ...वहाँ उसने किसी को देखा और उसकी आँखे बड़ी हो गई और उसकी नज़र वही पर अटक गई....

कामिनी ये भूल गई कि वो कार ड्राइव कर रही है...और आगे देखने की जगह वो साइड मे नज़रे गढ़ाए देखे जा रही थी...

थोड़ी देर मे एक आवाज़ आई......
न्न्ी दनणन्नाआआहहिईीईईईईईई............


............
मैं रात मे थोड़ा लेट हो गया था संजू के घर आते -आते......और संजू के घर मे सभी इस बात से परेशान थे...जिसमे आंटी सबसे ज़्यादा परेशान थी...

जैसे ही मैने संजू के गेट पर कार रोकी...तो रजनी आंटी लगभग भागते हुए बाहर आ गई...और जैसे ही मैं कार से निकला तो आंटी मुझे थप्पड़ मार दिया....

आंटी(चिल्ला कर)- कहाँ था तू...???

मैं(गाल पर हाथ रखे हुए)- वो...मैं...एक फ्रेंड...हाँ...एक फ्रेंड के घर पर था...

आंटी- तो बता कर नही जा सकता...कम से कम कॉल ही कर देता...और तू कॉल क्यो नही ले रहा था .. 

मैं- कॉल...कब...एक मिनट...

मैने तुरंत मोबाइल निकाल के देखा ..उसमे कई मिस्कल्ल पड़े थे....तब मुझे याद आया कि ये तो मैने ही साइलेंट कर दिया था...और नॉर्मल करना भूल गया .....

आंटी- अब बोलता क्यो नही....

मैने आंटी की आँखो मे देखा तो वो रो रही थी...और गुस्सा भी किए जा रही थी....

मैं- सॉरी आंटी...फ़ोन साइलेंट था...सॉरी...

आंटी- क्या सॉरी...मेरी तो जान निकल रही थी...मुझे लगा कि तुझे कुछ...

और आंटी ने मुझे गले लगा कर रोना शुरू कर दिया....

मैं हैरान था आंटी का प्यार देख कर...पर उस टाइम मुझे भी आंटी के प्यार ने मजबूर कर दिया और मेरी आँखे नम हो गई...

मैं- सॉरी आंटी...आप क्यो रो रही है...ग़लती मेरी है...

आंटी- तुझे कुछ हो जाता तो मैं अपने आप को कभी नाफ़ नही कर पाती....ऐसा मत किया कर बेटा....

मैं- सॉरी आंटी...आगे से ऐसा नही होगा...

हम दोनो आँखो मे आसू भरे गले मिल रहे थे...और तब तक घर के सारे लोग भी गेट पर आ चुके थे...

सब लोग हमारा प्यार देख कर भावुक से हो गये थे...कुछ तो रो रहे थे जिनमे अनु,रक्षा और पूनम थी....

पर कुछ को शायद ये नाटक लग रहा था...

संजू भी जल्दी से मेरे पास आ गया और तब तक मैं आंटी से अलग हो गया...

संजू ने आते ही मुझे कंधे पर मारा और बोला...

संजू- साले...कहाँ था तू...तेरी वजह से यहाँ सबकी जान अटक गई थी...फ़ोन भी नही उठाता...रुक बताता हूँ तुझे...

संजू मुझे मारने आगे बढ़ा तो मैं आंटी को साइड कर के उनके पीछे हो गया...

संजू- निकल साले...सामने आ...

मैं- मेरी बात तो सुन...रुक जा...

आंटी- अब बस भी करो...संजू रुक जाओ...खबरदार जो मेरे बेटे को हाथ लगाया...

संजू- हाँ..ये आपका बेटा ..और मैं कौन...???

आंटी- अरे तुम दोनो मेरे बेटे हो...अब लड़ना बंद करो..चलो खाना खाते है...सब भूखे होंगे...



संजू- ओके..चल तुझे तो बाद मे देखता हूँ...

मैं- ..अभी चल...खाना खाते है...मैं कार लॉक कर के आता हूँ....

सब अंदर चले गये पर आंटी वही रुकी रही...जब मैं कार लॉक कर के पलटा तो आंटी ने मेरी आँखो मे देखते हुए कहा...

आंटी- इन आँखो मे आँसू अच्छे नही लगते...मैने हमेशा इन आँखो मे ख़ुसी ही देखी है...

मैं- अच्छा...कब्से...

आंटी- जब तू पैदा भी नही हुआ था तब से...

मैं- वो कैसे...

आंटी- तेरी आँखे तेरी माँ जैसी है बेटा...उसकी आँखो मे भी मैं आँसू नही देख पाती थी...

मैं- आप मेरी माँ को जानती थी..

आंटी(सकपका कर)- वो..मैं..हाँ..तेरे पैदा होने के पहले हम सहेली बन गई थी...शायद किसी फंक्षन मे किसी कॉंमान फ्रेंड ने मिलवाया था....अब चल खाना खा ले...फिर बात करेंगे ...

और आंटी आगे निकल गई....मैं भी पीछे-2 आ गया...और नीचे ही हाथ-मुँह धो कर खाना खाने बैठ गया....
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06-06-2017, 10:30 AM,
RE: चूतो का समुंदर
खाने की टेबल पर मुझे रूबी नज़र नही आई....

मैं- रूबी कहाँ है...???

रक्षा- वो अपने घर पर है...उसके मोम- डॅड आ गये...और हाँ...अब वो ठीक है भैया...

मैं समझ गया कि रक्षा रूबी की गान्ड चुदाई के बाद ठीक होने की बात कर रही थी....पर दूसरे नही समझे....

पूनम- क्यो उसे क्या हुआ था...

मैं(रक्षा को आँख दिखा कर)- वो...आज दोपहर मे उसे फीवर आ गया था थोड़ा...

रक्षा(नज़रे नीचे कर के)- हाँ..दीदी...उसे फीवर आया था....

हमारी बात सुनकर अनु ने मुझे ऐसे देखा कि अभी ही मुझे कच्चा चवा जायगी.....

खाने के बाद सब अपने रूम मे निकल गये...तभी मुझे अनु का मेसेज आया...." छत पर आओ "

मैं चुप-चाप छत पर निकल गया....अनु एक किनारे पर सर्द हवा खाते हुए खड़ी थी...जैसे ही मैं उसके करीब पहुचा तो अनु ने मुझ पर हमला कर दिया और मेरे सीने भर घूसो की बारिश कर दी....


अनु मार मुझे रही थी और रोने खुद लगी...मैं भी उसके गुस्से की वजह जानता था इसलिए मैं शांत खड़ा रहा और उसे रोकने की कोशिश भी नही की...

जब अनु मुझे मारते-2 थक गई तो वो खुद रुक गई और रोते हुए मेरे गले लग गई....

मैने थोड़ी देर तक उसे रोने दिया और फिर उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरने लगा....



मैं- अब चुप भी हो जाओ बेटा...

अनु(सुबक्ते हुए)- आपने ऐसा क्यो किया...मैने कितने कॉल किए...कॉल क्यो नही लिया....

मैं- बेटा मैं भूल गया था...सॉरी..

अनु- मेरी तो जान ही निकल जाती ..अगर आपको कुछ हो जाता तो....

मैं- अरे मेरी जान...इतना प्यार मत कर मुझसे...

अनु- करूगी....क्या कर लोगे....हमेशा करूगी...

अनु ने मुझे कस के गले लगा लिया...

मैं- ओके...अब माफ़ किया ना...अब नीचे चल..सर्दी लग जायगी...

अनु- नही...पहले प्रोमिस करो कि आज के बाद ऐसा नही करोगे...

मैं- ओके...प्रोमिस...अब चलेगी...

अनु- और ये भी कि मुझे छोड़ कर नही जाओगे...कभी भी...

मैं- ह्म्म..(अनु का चेहरा पकड़ कर उपेर किया और उसके माथे पर किस किया)...कभी नही जाउन्गा...

अनु- आइ लव यू...

मैं- लव यू 2 बेटा....अब चल...वरना फिर से मेरे लिए सब टेन्षन ले लेगे...हाहाहा..

अनु- आप भी ना...चलिए...

हम नीचे आ कर अपने -2 रूम मे चले गये...

कल पेपर था इसलिए सब पढ़ने मे बिज़ी थे...जैसे ही मैं रूम मे आया तो संजू भी पढ़ रहा था...मैं भी पढ़ने लगा...

संजू- मेरा गुस्सा उतरा नही...आज पढ़ ले...क्योकि कल पेपर है...तुझे कल देखुगा...

मैं- ओके भाई...देख लेना...अभी पढ़ाई कर...

हम दोनो पढ़ रहे थे पर आज संजू बार-2 मोबाइल से मेसेज भी कर रहा था....मुझे पढ़ना था इसीलिए मैने उसे इग्नोर कर दिया...

करीब 2 घंटे के बाद संजू गेस्ट रूम मे पढ़ने का बोल कर निकल गया और मैं लाइट ऑफ कर के लेट गया...

आज मैने अनु को मना कर दिया था ...इसलिए मैं सोने लगा...

सोते हुए मुझे आंटी की वो बात याद आई ..कि मेरी आँखे मेरी माँ से मिलती है...

मैं सोचने लगा कि आंटी अगर मेरी माँ को जानती थी...तो मेरी दुश्मन क्यो बन गई...क्या वजह हो सकती है...

फिर मुझे आज का इन्सिडेंट याद आया कि कैसे आंटी मेरे लिए परेशान थी...मेरे लिए रो रही थी...उन्हे मेरी परवाह थी....

मैं सोचने लगा कि ये आंटी भी क्या पहेली है...एक तरफ तो मेरे खिलाफ प्लान करती है और एक तरफ मुझे इतना प्यार...क्या ये सिर्फ़ दिखावा था या सच...

ये सवाल लिए मैं नीद की आगोश मे चला गया.....
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06-06-2017, 10:31 AM,
RE: चूतो का समुंदर
सुबह मुझे अनु ने ही जगाया और हम रेडी हो कर एग्ज़ॅम देने निकल गये....

एग्ज़ॅम के बाद आज फिर से अकरम से बात हुई और मैने उसे थोड़ा सब्र करने को कह दिया....

एग्ज़ॅम के बाद हम सब संजू के घर आ गये...पर संजू नही आया...वो किसी फ्रेंड से मिलने का बोल कर निकल गया था...

घर पर सिर्फ़ मेघा आंटी मिली...रजनी आंटी कहीं गई हुई थी....

हम सब उपेर जा कर रेस्ट करने लगे...करीब 30 मिनट बाद मेरे रूम मे रक्षा आ गई...और जैसे ही वो अंदर आई तो उसने गेट अंदर से लॉक कर दिया...



मैं - ह्म्म..क्या इरादा है....

रक्षा(अपने होंठो को दाँत से दबा कर)- आज आपको खा जाने का मन हो रहा है...

मैं- अच्छा...पर मुझे पचा पाना आसान काम नही है बेटा...

रक्षा- मुझे भी आसान काम पसंद नही है भैया....(और रक्षा बेड पर चढ़ गई)

मैं- अरे..अरे...कुछ तो शर्म करो...घर मे और भी लोग है...हम अकेले नही....

रक्षा मेरे सीने पर लेट गई....

रक्षा- डोंट वरी...मैं सब चेक कर के आई हूँ...अनु और पूनम दी सो रहो है और मोम भी....और हाँ..मैने मोम का गेट बाहर से लॉक कर दिया....

मैं- क्या कर रही है...तू भी ना...ऐसा क्यो किया....

रक्षा- आज आपसे खुल के प्यार जो करना था...

मैं-खुल के...मतलब...

रक्षा- आज मुझे आपसे अपनी जवानी की शुरआत करवानी है...


मैं- सच मे....पर तेरा प्रोमिस...

रक्षा- वो पूरा हो गया...

मैं- कैसे...और था क्या तेरा प्रोमिस...अब तो बता दे....

रक्षा- वो प्रोमिस रूबी से था कि जब तक आप उसको दोनो तरफ से नही चोदते...तब तक मैं आपसे चुदाई नही करवाउन्गी...

मैं- ओह...ओह..तू इतनी बेशरम कब से हो गई...चोदना...चुदाई...ऐसी बाते कब सीख गई...

रक्षा मेरे चेहरे पर अपना चेहरा कर के बोली....

रक्षा- जब आपने मेरे बूब्स और चूत को चूसा और अपना लंड चुस्वाया...तभी मैं बेशर्म हो गई...

मैं- अच्छा...अपने भैया से ऐसी बातें...

रक्षा- सॉरी भैया...मैं बस..मज़ाक कर रही थी...पर सच मे आज मैं आपसे वैसा ही प्यार करना चाहती हूँ...

रक्षा अपनी बात बोल कर शरमाने लगी और मेरे सीने मे अपना चेहरा छिपा लिया...

मैनर रक्षा को बाहों मे भर के कहा...

मैं- कोई बात नही...आज मैं अपनी जान को ऐसे प्यार करूगा कि वो खुश हो जायगी ओके...

रक्षा- ह्म्म..

मैं- तो चलो शुरू हो जाओ...

रक्षा- मुझे शर्म आती है...आप ही शुरू करो...

मैं- ह्म्म..तो चलो तुम्हारी शर्म भगाते है....लेकिन पहले मुझे अपनी प्यारी बेहन के हाथ से बनी कॉफी पीना है...तभी प्यार करूगा....

रक्षा- ओके...अभी लाई...बस 5 मिनट...


रक्षा को कॉफी बनाने भेज कर मैने अपने आदमी को कॉल कर के बोल दिया कि अभी 2 घंटे तक मुझे डिस्टर्ब ना करे...

फिर मुझे संजू जा ख्याल आया और मैने संजू को कॉल किया...

(कॉल पर)

संजू- हाँ भाई...बोल...

मैं- कहाँ है बे...घर क्यो नही आया...???

संजू- भाई...आता हूँ शाम तक...थोड़ा फ्रेंड के पास हूँ...

मैं- कौन से फ्रेंड के पास...??

संजू- भाई तू नही जानता...मेरी कोचिंग वाला है...

( संजू अपनी कॉलोनी मे कोचिंग क्लास जाता था)

मैं- ओके...पर एक मिनट ये आवाज़ कैसी...

संजू- क्या आवाज़..क्क्क..कुछ नही..

मैं- साले ये चुदाई की आवाज़ है...बोल कहाँ है तू और क्या कर रहा है...सच बोलना

संजू- कसम से भाई फ्रेंड के घर पर हूँ...और ये आवाज़ तो ..वो..पॉर्न फिल्म की है...सच्ची...

मैं- ओके..मज़े कर...जल्दी आना...

संजू- ओके....भाई...बाइ

मैं - बाइ...

कॅल कट होने के बाद रक्षा आ गई और कॉफी देकर निकल गई...और थोड़ी देर बाद आने का बोल गई थी....
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06-06-2017, 10:31 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैं भी कॉफी ले कर बेड पर ही बैठ गया और कॉफी पीने के बाद मैं रक्षा को चुदाई का पहला सुख देने को रेडी हो गया......

कुछ देर बाद रक्षा रूम मे आई और मैं उसे देखता रह गया.....

रक्षा ने अंदर आते ही गेट लॉक किया...और अपनी पेंट निकाल दी....अब वो सिर्फ़ टी-शर्ट और पैंटी मे थी....

उसकी टाइट गोरी-गोरी जाघे...उसकी आँखो मे उमड़ती सेक्स की चाहत ...उसके खुले हुए बाल...कसे हुए बूस....ये सब मेरे लंड को टाइट करने के लिए काफ़ी था....

मैने एक तक रक्षा को देख रहा था और रक्षा भी फुल मूड मे अपने होंठ को दाँत से चबाते हुए मुझे उकसा रही थी....

अब मेरा लंड मेरे पेंट से निकलने को बेताब हुआ जा रहा था....

रक्षा ने भी मेरे पेंट मे बने तंबू को देख लिया और मुस्कुरा कर बेड पर आ गई..और आते ही मुझे किस करने लगी....

रक्षा को किस करने के साथ मैं उसके बूब्स को उपेर से ही मसल्ने लगा....और रक्षा भी एक हाथ से मेरे तने हुए लंड को पेंट के उपेर से ही दबाने लगी....

थोड़ी देर तक हम एक- दूसरे के होंठ चूस कर लाल कर दिए और किस ख़त्म किया...

रक्षा बिना कुछ बोले मुझे धक्का दे कर लिटा गई और फिर पैरों के पास गई और मेरे पैरों को फैला कर वो पैरो के बीच लेट गई और मेरे पेंट को अनलॉक कर के लंड बाहर निकाल लिया......

मेरा खड़ा हुआ लंड फन्फनाते हुए रक्षा के सामने आ कर सलामी देने लगा.....और रक्षा ने बिना वक़्त गवाए लंड के सुपाडे को मुँह मे भर लिया....




रक्षा कुछ देर तक सुपाडे को चूस्ति रही और अपनी जीभ से लंड के छेद को चाट ती रही....

मैं रक्षा की हरक़तों से हैरान भी था और साथ मे बहुत ही उत्तेजित हो रहा था .....

आज तक किसी ने मेरे लंड का छेद इस तरह नही चाटा था....पता नही रक्षा ने ये कहाँ से सीख लिया....

मैं- आअहह...रक्षा...ये क्या कर रही है....

रक्षा- उम्म...उउंम्म...उउंम्म...

मैं- बोल ना...कहाँ से सीख गई...आअहह..आहह

रक्षा(लंड मुँह से निकाल कर)-उम्मह...वो मैने फिल्म मे देखा था...वो वाली फिल्म मे...

मैं- ह्म्म....बहुत कुछ सीख लिया...हां

रक्षा- ह्म्म...आपको मज़ा आया ना...???

मैं- ह्म्म...और क्या सीखा...???

रक्षा- सब कर के बताउन्गी...अब मुझे अपना काम करने दो...

और रक्षा ने फिर से सुपाडे को मुँह मे भर कर चूसने लगी....और मैं सिसकने लगा....

रक्षा अपना काम पूरे मन से कर रही थी...उसने मेरे सुपाडे को चूस- चूस कर लाल कर दिया था....

मैने भी एक्साइटिड हो कर रक्षा को पकड़ कर अपने साइड मे खींच लिया...

अब रक्षा मेरे साइड मे लेटी हुई सुपाडा चूसने लगी थी और मैं बैठ कर उसकी पेंटी मे कसी हुई गान्ड सहलाने लगा....

मैं- आहह...अब आगे भी चूस...बहुत बाकी है...

रक्षा से जल्दी से मेरे लंड को मुँह मे भर कर चूसना शुरू कर दिया और साथ मे हाथ से मेरी बॉल्स भी सहलाने लगी.....




मैं बड़े प्यार से रक्षा की गान्ड सहलाते हुए उस से अपना लंड चुसवाने लगा…रक्षा पूरा लंड गले तक ले जाती और फिर बाहर लाती....सच मे मस्त चूस रही थी...

रक्षा-उम्म्म…उउंम्म..उउंम..उउंम्म..उउंम

मैं-आहह…बेटा…ऐसे ही…अच्छा कर रही हो…आहह

रक्षा-उउंम..सस्ररुउउउप्प्प…उउउम्म्म्म

मैं-हाँ..तेज करो…जल्दी पूरा भर के चूस …तेजज...आहह

रक्षा-उउंम..उउंम्म..उउंम्म..उउउंम्म


मैं-आहह…मेरी प्यारी गुड़िया…बॉल्स भी चूस ...आहह.…

रक्षा- उउंम…सस्ररुउउप्प्प…उउंम्म..उउंम

मैं- ऑश…हाँ बेटा तेज ऑर तेज..

मेरी बात सुन कर रक्षा पूरी स्पीड से मुँह मे लंड को आगे –पीछे कर रही थी….साथ मे मेरी बॉल्स भी चूस लेती थी....

थोड़ी देर बाद मैने रक्षा को रोक कर उसे लिटा दिया और अपना पेंट निकाल कर रक्षा के पैरो के पास आ गया...

मैने रक्षा के पैर फैलाए और उसकी पेंटी साइड करके उसकी चूत पर जीभ घुमाने लगा....
Reply
06-06-2017, 10:31 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैं- सस्र्र्ररुउउप्प…आहह….मस्त चूत है तेरी…

रक्षा- आहह…भैया…नही…ओह्ह...

मैं- चुप..क्या नही...देख कितनी चिकनी है...ऐसी चूत खा जाने का मन करता है......सस्स्रररुउउप्प्प्प...

रक्षा- भैयाअ....आहह....तीएकक....हाइी...ख्हा जाओ...

फिर मैने रक्षा की चूत को चाटना और चूसना चालू कर दिया ओर रक्षा मस्ती मे तड़पने लगी...ओर मेरे सिर को चूत पर दबाने लगी...

मैं- सस्रररुउउप्प...उउउम्म्म्मम...सस्रररुउउप्प्प....सस्र्रुरुउउप्प...

रक्षा-आहह..अहहह....ऊहह..म्मूऊम्मय्यी

मैं- सस्रररुउउप्प्प...सस्ररुउउउप्प्प...सस्रररुउउप्प...

रक्षा- आहह...भैया....मज़ा ..आआहह...आ...गा...आहह

मैं-उम्म्म..उउउंम्म..उउंम...उउंम्म

रक्षा-बब्बहाइियय्य्ाआ...आअहह....ऊहह....ऊहह....आहह

मैने रक्षा की चूत को मुँह मे भरके चूसा ऑर पारूल को चूत चुस्साई का आनद दिया…ऑर इस आनंद मे रक्षा झड़ने लगी…

रक्षा- भैया..….आहह...मैं गई...ओह्ह....अहहह

मैं- स्ररुउउप्प..सस्ररुउउप्प…सस्ररुउउप्प्प

रक्षा मस्ती मे झड़ने लगी और मैं उसके चूत रस को पीने लगा…

जब मैने सारा चूत रस पी लिया तो रक्षा की चूत से मुँह हटा लिया…

थोड़ी देर तक रक्षा शांत पड़ी रही और जब नॉर्मल हुई तो बोली...

रक्षा- भैया..अब मुझे वो मज़ा दो...जो एक लड़की को सिर्फ़ एक बार ही मिलता है...दर्द के साथ मज़ा...

मैं- ह्म्म...बड़ी तड़प रही है मेरी गुड़िया...

रक्षा(शरमाते हुए)- ह्म्म...

मैं - तो आ जा बेटा...आज तुझे असली मज़ा देता हूँ....

फिर मैने जल्दी से रक्षा को नंगा किया और खुद भी नंगा हो गया और रक्षा को लिटा कर अपने पास खीच और उसकी चूत पर लंड फिराने लगा...

मैं- रेडी है मेरी गुड़िया...

रक्षा- हाँ भैया...अब अपनी गुड़िया को अपनी बीवी बना लो....

मैं- ओह...तो बीवी बनना है...इतनी जल्दी...

रक्षा- ह्म्म..अब और ना तडपाओ भैया...जल्दी से मुझे अपना बना लो...

मैं- ओके बेटा...पर दर्द होगा...चुप रहना...

रक्षा- आपका प्यार मेरा दर्द ख़त्म कर देगा...आप करो...

मैं- तो ये लो...


मैने फिर हाथ से लंड पकड़ कर धक्का मारा और मेरा आधा सुपाडा रक्षा की चूत मे घुस गया…..ऑर वो तड़प उठी…

रक्षा-आअहह…आअहह..नाहहीी….

मैने तुरंत ही थोड़ा सा धक्का और मारा ऑर सुपाडा रक्षा की चूत मे घुस गया….रक्षा की चूत खुल गई ऑर खून निकलने लगा ऑर रक्षा तड़प कर चीखने लगी…




रक्षा-म्मगम्मूऊउम्म्मय्यययययी……हुहुहुहू…..मार्र..गाइइ…..णिीिकककाआल्लूओ..आहह..मम्मूऊउम्म्मय्यी


पर रक्षा अपनी आवाज़ को दबा कर चीख रही थी...मुझे उसके दर्द का अहसास था और मैने उसके बूब्स को सहलाना चालू किया ओर झुक कर उसे किस करने लगा ओर फिर एक धक्का मारा जिससे थोड़ा लंड अंदर चला गया…

रक्षा-उम्म..उउंम..उउउंम्म

मैं रक्षा को किस कर रहा था तो उसकी आवाज़ भी नही निकल पाई..पर वो तड़प ही रही थी…मैं थोड़ी देर रुका ऑर उसके बूब्स को दबाते हुए उसे किस करता रहा…तो वो थोड़ा नॉर्मल हुई …करीब 2 मिनट बाद मैने ज़ोर से धक्का मारा ऑर आधा लंड उसकी चूत मे चला गया….

रक्षा-नाहहीी….मम्मूऊम्म्म्मी…आहह….आआईयइ...

मैं- बस बेटा…हो गया…अब दर्द नही होगा..ऑर मैने बूब्स ऑर किस का काम जारी रखा….

थोड़ी देर बाद मैने आधे लंड को ही धीरे-धीरे आगे पीछे करना शुरू किया ऑर रक्षा दर्द से सिसकने लगी..

रक्षा -भैया…आहह..दर्द हो रहा…आहह

मैं- बस बेटा..थोड़ा रूको..सब ठीक होगा…

मैने अपना काम करता रहा और 5 मिनट के बाद रक्षा नॉर्मल हो गई…उसकी आँखे आसुओं से भर गई थी…मैने फिर धक्का मारा ऑर पूरा लंड अंदर डाल दिया….


रक्षा-हुहुहू..म्मूऊउम्मय्ययी….म्मार्र....गगाइइइ….म्मूऊम्मय्यी


मैने पारूल के बूब्स सहलाते हुए उसे किस करने लगा ऑर धीरे –धीरे लंड को हिलाने लगा….

करीब 10 मिनट की मेहनत के बाद रक्षा नॉर्मल हुई ऑर बोली..

रक्षा- भैयाया…अब करो…दर्द कम है…


मैं- ठीक है बेटा ..मैं आराम से करता हूँ…

मैने रक्षा का एक पैर हाथ से उठाया और उसे धीरे-धीरे चोदने लगा.....




रक्षा-उम्म्म...आअहह..आअहह..

मैने प्यार से उसको चोदना शुरू किया ओर थोड़ी देर के बाद स्पीड बढाई…अब रक्षा भी दर्द के साथ मस्ती मे सिसक रही थी…

मैं- बेटा..अब ठीक है…

रक्षा- आहह..हाँ..भैया…करो…आहह

मैं- ये लो…यीहह

रक्षा-हाँ..भैया…डालो….आहह

मैने अपनी स्पीड थोड़ी और बढ़ा दी…

मैं- ये लो बेटा…अब मज़ा करो..

रक्षा-आहह..भैया…डालो…ज़ोर से…आहह…

मैं- मज़ा आ रहा है…

रक्षा- हहा….भैया…बहुत..आहह…ज़ोर से...डालो....

मैने थोड़ी देर बाद फुल स्पीड मे रक्षा को चोदना शुरू किया ऑर रक्षा ने भी अपनी गान्ड को उछाल कर लंड का स्वागत करना शुरू किया….

मैं- ये ले...मेरी गुड़िया..एस...

रक्षा-हाँ...भैया...फाड़ दो....अब...ज़ोर से...आहह..आहह

मैं- ये ले.....आहह...टाइट है...

रक्षा-आह..भैया…ज़ोर से..ओरर..तेजेज़्ज...खोल दो...

मैं तेज़ी से रक्षा को चोद रहा था ओर कुछ देर बाद ही रक्षा झड़ने लगी ऑर उसके चूत रस के साथ खून मिक्स हो कर बहने लगा….

रक्षा-भैया…आहह..मैम्म्म…गाइइ....उउफफफ्फ़...म्म्माख...

मैं- येस….बेटा..कम ऑन...येस्स..

जैसे ही पारूल झड गई तो मैने लंड को चूत से बाहर निकाल लिया तो देखा कि चूत खून से लाल हो गई थी ऑर पूरी खुल चुकी थी…

मैने फिर से लंड अंदर डाल दिया और तेज धक्के मारने लगा...आज रक्षा की लंड चुसाइ से और उसकी टाइट चूत के कमाल से मैं भी झड़ने के करीब आ गया.......

मैने लंड को चूत से निकाला और उठ कर रक्षा के मुँह के पास लंड ले गया...

और लंड को हाथ से हिला कर उसके मुँह पर झड़ने लगा....

रक्षा ने मुँह खोल कर मेरा लंड रस अपने मुँह मे भर लिया...

थोड़ा लंड रस वो गटक गई और बाकी उसके मुँह पर फैल गया....





मैं जैसे ही झड के फ्री हुआ ... तो साइड मे बैठ गया...

मैं- अब खुश है मेरी गुड़िया...

रक्षा- ह्म्म..पर अभी और करो ना...

मैं- इतना मत करो कि कल उठ भी ना पाओ...

रक्षा- प्ल्ज़्ज़ भैया ..एक बार और...मुझे कुछ नही होगा...

मैं- तू नही मानेगी ना...ठीक है...थोड़ा रेस्ट कर फिर करता हूँ...

रक्षा- ह्म्म..

हम रेस्ट करने लेट गये कि तभी किसी ने गेट पर नॉक किया.........
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