Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-06-2017, 11:21 AM,
RE: चूतो का समुंदर
लड़की चली गई और मैं सोचने लगा कि वाह ये तो पकी- पकाई दाल मिल गई...वैसे भी है तो मस्त ...अब बिस्तेर पर कैसी होगी...ये रात को देखेगे....

फिर मैं रेडी हुआ और बाहर आ गया...

थोड़ी देर बाद मैं उस लड़की के साथ उसके घर निकल गया....

जब हम घर पहुचे तो...

लड़की- ओह शिट...मेरे पति..

मैं- क्या...पति...मैं सोच रहा था कि तुम अकेली हो...

लड़की- पति है तो क्या हुआ....

मैं- पागल है क्या...पति के रहते हुए तुझे चोदुन्गा कैसे...मैं जाता हूँ...

लड़की- अरे..अरे ...रूको तो...मेरे पति बाहर है...कल सुबह आएँगे...

मैं- ओह..तो ठीक है...

लड़की ने मेरे पास आ कर मेरे लंड को मसल दिया...

मैं- आहह...पहले कॉफी पिलाओ..फिर डिन्नर और फिर चुदाई...

लड़की- ओके..

फिर मैं बैठ गया और वो कॉफी बनाने निकल गई...

मैं कॉफी पी रहा था तो मेरे आदमी का कॉल आ गया...उसे मैने उस औरत का पीछा करने का बोला था...

(कॉल पर)

मैं- हाँ बोलो...काम हुआ...??

स- काम तो हुआ पर इसके लिए मुझे 20000 देने पड़े..

मैं- काम सही हुआ तो डबल मिलेगे...

स- ह्म्म..तो कल आता हूँ डबल लेने..हहा...

मैं- हाँ ..आ जाना...पर बोलो तो क्या हुआ...

स- मैने उसका पीछा किया और वो एक शानदार घर मे आ गई...

मैं- अच्छा...पर घर किसका है...??

स- घर किसी सरद गुप्ता का है..

मैं(मन मे)-ये नाम कहीं सुना तो है...हाँ ये तो वही है जो अकरम की मोम को चोदते है...हां..पूनम ने बताया था.....

स- क्या हुआ...जानते हो क्या...??

मैं- जानता हूँ...बट वो औरत कौन है....और वो सबनम के नाम से क्यो आई थी...??

स- क्या पता...करते है कुछ...अभी बोल क्या करूँ...

मैं- तुम वहाँ नज़र रखो...पूरी रिपोर्ट देना सुबह..ओके

स- ओके...हो जाएगा...बाइ..

मैं- बाइ...



कॉल रखने के बाद मैं सोचने लगा कि आख़िर वो औरत है कौन और सबनम का नाम क्यो यूज़ कर रही है...क्या वो गुप्ता की बीवी है...???

अगर वो उसकी बीवी भी है तो सबनम के नाम से क्यो आई पार्लार मे...

कोई नही..कल इसके बारे मे कुछ तो पता चल ही जाएगा...अभी इस लड़की के मज़े लेता हूँ...साली का पति घर पर नही तो मुझे ले आई चूत फडवाने...रंडी कहीं की....अब देखते है..रात कैसे निकलती है....
हम दोनो कॉफी ख़त्म करके बातें कर रहे थे..तभी मुझे कुछ याद आया....

मैं- अरे..तुमने नाम तो बताया ही नही...

लड़की- आपने पूछा ही नही...

मैं- अच्छा ..वैसे तुमने भी मेरा नाम नही पूछा और चुदाई करवाने अपने साथ ले आई...

लड़की- चुदाई का नाम से क्या लेना-देना...ये तो लंड और चूत के बीच की बात है....

मैं- ह्म्म..काफ़ी खुले बिचार है तुम्हारे...

लड़की- हाँ..वो तो है...पर मैं रंडी भी नही ...आप तीसरे मर्द होंगे जो मुझे चोदेगे....


मैं- सच मे...चलो अच्छा है...अब अपना नाम भी बता दो...

लड़की- ओह हाँ...मेरा नाम रूचि है...

मैं- ह्म्म..और मेरा नाम अंकित है..वैसे तुम्हारे पति क्या करते है...और अभी है कहाँ...??

रूचि- मेरे पति अपने बॉस के साथ सहर से बाहर गये है...वो पीए(पर्सनल अस्सिस्टेंट) है...

मैं- ओके...तो फिर अब क्या करे...

रूचि- अब आप आज रात भर मेरे पति का काम करो...मगर अपने तरीके से...

मैं- ह्म्म..तो पहले डिन्नर कर ले...फिर लंड खिलाता हूँ...

रूचि- ओके..आप फ्रेश हो जाइए..मैं डिन्नर ऑर्डर करती हूँ..

मैं- ओके..

फिर मैं फ्रेश हो गया और चेंज कर लिया..रूचि ने मुझे एक हाफ पेंट और टी-शर्ट दे दी...रूचि भी चेंज करने निकल गई..और मैं बैठ कर डिन्नर का वेट करने लगा....

मैं(मन मे)- ये क्या हो गया मुझे...साला कल मेरा एग्ज़ॅम है फिर भी मैं सेक्स के लिए यहाँ आ गया....वो भी किसके साथ...एक अंजान लड़की के साथ...वेल जो हुआ सो हुआ...अब मज़े करना है बस...और एग्ज़ॅम का क्या...फाइनल थोड़े ना है...

तभी मेरा फ़ोन बजने लगा ये रजनी आंटी का कॉल था...

मैने कॉल पिक की और बोल दिया कि आज घर पर रुक गया हूँ...कुछ काम आ गया था...

आंटी को तो बोल दिया पर तभी मुझे अनु का ख्याल आया...वो तो मेरा वेट कर रही होगी...यही सोचकर मैने अनु को कॉल किया....

(कॉल पर)

मैं- हेलो बेबी...

अनु- कहाँ हो आप...कब आ रहे है...??

मैं- यार मैं आज आ नही पाउन्गा...मुझे घर पर काम आ गया तो यही रुक रहा हूँ...

अनु- आपने बताया क्यो नही...??

मैं- मुझे भी कहाँ पता था...अचानक डॅड का कॉल आ गया...

अनु- ह्म्म..तो कब आएगे...??

मैं- ह्म्म..आ जाउन्गा...पर ये बताओ हमारी इतनी फ़िक्र क्यो...

अनु- आपकी फ़िक्र करना हक़ है मेरा...

मैं- हक़ है..पर क्यो...आख़िर हम आपके है कौन..??

अनु- ज़रूरी नही कि हर रिश्ते का नाम हो...और आप हमारे सब कुछ हो...

मैं- बिना रिश्ते के सब कुछ हो गये...??

अनु- दिल का रिश्ता है ना...वही सब है मेरे लिए...भले ही आप मुझे ना मिले...हम तो आपके हो ही गये...

मैं- ओह..तुम्हारी इसी स्वीटनेस पर तो हम फिदा हो चले...मूँह..

अनु- इतनी तातीफ भी मत कीजिए...

मैं- अच्छा मेरी जान..अब तुम पढ़ाई करो...कल सुबह स्कूल मे मिलुगा ओके..

अनु- ठीक है...

मैं- और हां..रेडी रहना...हमें शॉपिंग करने जाना है...

अनु- जैसा आप कहे...

मैं-लव यू ..गुड नाइट

अनु- लव यू 2 गुड नाइट...

अनु से बात कर के दिल खुश हो गया...आज अनु ने इस तरह से बात की जैसे वो मेरी बीवी हो...

वैसे मैं भी कहीं ना कही अनु से प्यार करने लगा था...और वो तो मुझ पर जान छिडकती है...

शुरू मे अनु ने जो किया..उससे मैं उसे चुड़क्कड़ समझता था...पर जब असलियत पता चली तो समझ गया कि उसे बहकाया गया था...वो दिल की बहुत अच्छी थी और अब तो मेरे दिल के किसी कोने की रानी भी थी...

मैं अनु के प्यार के बारे मे सोच रहा था कि तभी रूचि खाना लगा के ले आई...साथ मे वाइन भी लाई...


मैं अनु मे इतना खो गया था कि मुझे पता ही नही चला कि ऑर्डर कब आ गया...

वेल फिर मैने रूचि के साथ मिल कर वाइन के पेग लगाए और डिन्नर किया...

डिन्नर के बाद रूचि बिना देर किए मुझे बेडरूम मे ले गई...जहाँ आज रात उसे मेरे लंड से अपनी चूत फटवानि थी...

रूम मे आते ही रूचि किसी भूखी शेरनी की तरह मुझ पर झपट पड़ी..जैसे मैं उसका शिकार हूँ...

रूचि ने मेरे होंठो को कस के अपने होंठो की क़ैद मे ले लिया ओए ज़ोर से चूसने लगी...

मैं भी पीछे नही था...मैने भी उसके होंठो को तेज़ी से चूसना शुरू कर दिया और साथ मे उसकी गान्ड को हाथ से मसल्ने लगा...

रूचि- उउंम..सस्ररुउपप...आअहह..उउंम..

मैं- उउंम.आ..सस्ररूउगग..उऊँ..

हम दोनो होंठो का रस पीते हुए बेड पर आ गये...

मैं बेड पर बैठ गया और रूचि मेरी गोद मे आकर मुझे चूमती रही...

जब हम होंठ चूस्ते हुए थक गये तो हम ने होंठ अलग किए और साँसे लेने लगे...

रूचि- आहह..उऊँ...अब और ना तडपाओ...

मैं- आहह...तो आ जाओ...

और मैने रूचि की नाइटी पकड़ कर निकाल दी...उसने नाइटी के अंदर कुछ नही पहना था...जिससे उसके नंगे बूब्स उछलते हुए मेरे सामने आ गये...

मैने जल्दी से उसके बूब्स पर हमला बोल दिया...

एक को मुँह से और दूसरे को हाथ से निचोड़ने लगा और रूचि मस्ती मे सिसकने लगी...

रूचि- ओह्ह..येस्स...रगड़ दो इन्हे...येस्स..ऐसे ही...आहह...ज़ोर से चूसो...निचोड़ दो...ओह्ह..

मैं- मुऊऊ..एस्स..आहह...मुंम्म...आहह..

जब मैने बूब्स को पूरा गीला कर दिया तो रूचि को आगे बढ़ने का इशारा किया...

रूचि ने बिना देर किए मेरे हाफ पेंट को नीचे किया और मेरे फडफडाते लंड को मुँह मे भर कर चूसने लगी ....

रूचि- सस्ररुउप्प्प...सस्र्र्ररुउपप....सस्ररृूप्प्प....

मैं- ओह्ह्ह...गुड...चूस ले...ज़ोर से...आअहह ...


रूचि- सस्रररुउपप...उउंम...उउंम..उउंम्म...

मैं- यस....यस...सक इट लाइक आ बिच...ऊहह...

रूचि एक रंडी की तरह मेरे लंड को गले मे भर-भर के चूस रही थी ..और मेरा लंड भी पूरा अकड़ के चुदाई के लिए तैयार था कि तभी डोरबेल बजी....पहले एक बार और फिर बार-बार ...

डोरबेल सुनकर हमे गुस्सा भी आया और थोड़ा डर भी लगा....पर डर उतना नही था क्योकि रूचि ने बताया ही था कि उसके पति सहर से बाहर गये है ..

रूचि - अब कौन आ गया...

मैं- अरे देखो तो...

रूचि - ह्म्म..मैं देखती हूँ रूको...

रूचि ने जल्दी से नाइटी पहनी और मेन गेट पर जाकर उसमे बने होल से देखा...

देखते ही रूचि भागती हुई मेरे पास आई...


रूचि- ओह माइ गॉड ..मर गये...

मैं- अरे..क्या हुआ...कौन है..??

रूचि- मेरे पति..अब क्या करूँ...क्या कहूगी ....

मैं- ओह माइ गॉड...अब क्या ..एक मिनट ...रिलॅक्स...कुछ सोचते है ..रूको..

रूचि- मैने सोच लिया...आप कपड़े पहनो और उस रूम मे सोने की आक्टिंग करो...मैं इसे देखती हूँ..ओके

मैं- ओके..


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06-06-2017, 11:21 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैने कपड़े लिए और दूसरे रूम मे चला गया और रूचि गेट खोलने चली गई....मैं रूम के गेट के पास चिप कर उनकी बाते सुनने लगा....

रूचि ने जैसे ही मेन गेट खोला..तो रूचि का पति गुस्सा करने लगा....

र पति- इतनी देर...कहाँ थी तुम..??

रूचि- अरे ..मैं..वो..सो रही थी...

र पति- घोड़े बेंच कर सोती हो क्या...??

रूचि- सॉरी ..पर तुम भी तो...अचानक आ गये...कॉल नही कर सकते थे....

र पति- कैसे करता...बॅट्री ख़त्म हो गई...और बॉस की कोई खास मीटिंग निकल आई कल सुबह...तो आना पड़ा और फिर जाना भी है...

रूचि- कितनी देर मे...

र पति- अभी तो आया हूँ...तुम्हे जल्दी है क्या...जाओ चाइ बनाओ...फिर फ्रेश भी होना है...

रूचि- ह्म्म..

रूचि का पति रूम मे चला गया और रूचि बड़बड़ाते हुए किचन मे निकल गई....

रूचि- खुद से अब कुछ होता नही और कोई प्यास बुझाने वाला मिला तो बीच मे आ धमका...साला गान्डू...

रूचि की बात सुनकर मुझे ये तो समझ आ गया कि उसका पति उसे सेटिस्फाइ नही कर पाता...

रूचि की चूत दमदार चुदाई को तरस रही थी और यहाँ मेरा लंड भी चूत के लिए जल रहा था....

मैं(मन मे)- ये रात मैं बर्बाद नही जाने दूँगा...अब चाहे मुझे रूचि को उसके पति के सामने ही चोदना पड़े...मैं चुदाई कर के रहूँगा..

और पकड़े भी गये तो मेरा घंटा नही उखाड़ पायगा कोई....

मैं इस टाइम सेक्स की आग मे जल रहा था और इसी वजह से मुझे गुस्सा आ रहा था...

मैं गुस्से मे सही- ग़लत भूल कर सिर्फ़ अपनी सेक्स की भूख के बारे मे सोच रहा था ...

मैं यही सोच कर रूचि के बॅडरूम की तरफ बढ़ गया...

जब मैं रूम के गेट पर पहुचा तो मैने देखा कि रूचि कंबल ओढ़ के लेटी हुई है और उसका पति रूम मे नही है...

मैं(मन मे)-इसका पति कहाँ गया...शायद बाथरूम मे होगा...??

मैने गेट पर से ही धीमी आवाज़ मे रूचि को इशारा किया पर उसने सुना नही....

थोड़ी देर तक मैं इशारे करता रहा पर कोई फ़ायदा नही हुआ...

फिर मैं दबे पैर रूचि के बेड के पास गया और उसे हाथ लगाया...हाथ लगाते ही रूचि डर गई और मुझे जाने का बोलने लगी...


उसने ऐसा करने के लिए जैसे ही हाथो को कंबल से बाहर निकाला तो साथ मे उसके बूब्स भी कंबल के बाहर आ गये...

उसके बूब्स देखते ही मेरे लंड की आग भड़क गई और मैं उसके उपेर झुकता गया...

रूचि कभी मुझे तो कभी बाथरूम की तरफ देखती और मुझे जाने के लिए बोल रही थी...

पर मैं उसके उपर झुकता गया और उसके होंठो के करीब अपने होंठ कर दिए...

मैं- स्शह...चुप रहो...

रूचि- यहाँ क्यो आए हो..??

मैं- अपनी प्यास बुझाने...

रूचि- क्या..??...मेरा पति बाथरूम मे है..प्लीज़...

मैं- तो मैं क्या करूँ...तुम ही मुझे ले कर आई थी...अब मैं वेट नही कर सकता...

रूचि- मेरा पति नहा कर आ गया तो क्या होगा..प्लीज़...रूको...बाद मे देखेगे ना...

मैं- नही..जब तक वो नहाएगा...तब तक मैं रुक नही सकता..

मैं अपनी गरम साँसे रूचि के मुँह पर छोड़ रहा था...जिससे रूचि भी मस्त होने लगी थी पर अभी भी वो डरी हुई थी...

मैं- उउंम..मान जाओ...उउंम...

मैं रूचि को किस कर-के उसे भी गरम कर रहा था...

थोड़ी देर बाद मेरे चुंबन का असर होने लगा और अब रूचि भी मुझे किस करने लगी थी..
रूचि- उम्म..समझो ना..मेरा पति आ गया तो..उम्म..

मैं- तो क्या..उउंम..उसके सामने तुझे चोदुन्गा...उम्म्म्ममह..

रूचि- हहहे...और वो चुप कर के देखेगा, हाँ...मम्मूँह..

मैं- हाँ..तू मेरी बिच है..उम्म्म...

रूचि- ह्म्म...यस...बॉस..बट मेरा पति...उउम्मह...

मैं- छोड़ो उसे...और मज़े करो....उउम्म्मह...

रूचि- उउंम...ओके...उससे तो कुछ होता नही...अब मुझे भी डर नही...उम्म्म...

मैं- तो फिर मज़े ले...माइ बिच..उम्म्म..उउंम्म..

रूचि ने मुझे पकड़ कर होंठो को तेज़ी से चूमना शुरू कर दिया..

रूचि- एस...उऊँ..उउंम...फक मी...उसे मरने दो...जो होगा तो होगा...कम ऑन...फक युवर बिच ..उउंम्म..आइ एम टू हरनी....उउंम..उउंम..उउंम..

फिर हम दोनो की दमदार किस्सिंग स्टार्ट हो गई...
रूचि का पति अपना पेट सॉफ कर रहा था और मैं उसकी वाइफ पर हाथ सॉफ करने लगा....

हम दोनो एक-दूसरे को किस करते रहे...और मैं किस करते हुए बेड पर चढ़ गया और रूचि के उपर आ कर उसके बूब्स दबाने लगा....

अब मेरे साथ - साथ रूचि भी पूरी मस्ती मे डूब चुकी थी...और भूल गई थी कि उसका पति पास मे ही बाथरूम मे है...

मेरा लंड अब बाहर आने को फडक रहा था और उसकी मुराद खुद रूचि ने पूरी कर दी...
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06-06-2017, 11:22 AM,
RE: चूतो का समुंदर
रूचि ने कंबल साइड किया और मुझे अपनी जगह लिटा दिया...फिर पलक झपकते ही मेरा पेंट निकाल के फेक दिया और मेरा कड़क लंड चाटने लगी..

रूचि-सस्स्र्र्ररुउपप..आहह...सस्ररूउप...सस्ररुउपप...

मैं- ओह..माइ बिच...सक इट ..सक इट...

रूचि ने थोड़ी देर ही मेरा लंड चाटा की तभी बाथरूम का गेट खुलने की आवाज़ आई...

आवाज़ होते ही रूचि जल्दी से बाथरूम के गेट पर पहुच गई..जिससे उसका पति बाहर नही आया...बल्कि उसे देख कर बोला...

र पति- यार तुम ऐसे...तुमने तो मूड बना दिया..अब तो तुम्हे चोद कर ही...

रूचि- ओके...पर नहा तो लो और ये तुम्हारी सेव..कितनी बढ़ गई है...इसे भी सॉफ कर लो...वरना पास भी नही आओगी....

र पति- खराब लग रही है...ओके तो सेव कर लेता हूँ ....तुम जाओ..मैं आता हूँ...

रूचि- ओके..मैं जब तक अपनी गर्मी बढ़ती हूँ...

र पति- पर..कैसे...??

रूचि- अपने हाथों और उंगलियों से...समझे...

र पति- तो ठीक है...तुम गरमी बढ़ाओ...मैं सेव करते हुए तुम्हारी सिसकी सुनता हूँ...और मैं भी गरम होता हूँ...

रूचि(कुछ सोचकर)- ह्म्म..अब सेव करो...

रूचि जल्दी से मेरे पास आ गई...मैं पहले से ही बेड पर घुटनो के बल बैठा था कि मौका पड़ने पर भाग सकूँ...

रूचि ने मेरा लंड देखा और बेड पर कुतिया की तरह चढ़ आई..और मेरा लंड पकड़ कर हिलाने लगी और धीरे से बोली..

रूचि- आपकी कुतिया हाज़िर है बॉस..अब शुरू करे...

मैं- पर वो..

रूचि- सस्शह...उस गान्डु को छोड़ो..बस कुतिया को मज़े दो..

और रूचि ने मेरे लंड को मुँह मे भरा और हिला-हिला कर चूसने लगी...

रूचि- सस्ररुउपप..सस्ररुउपप...सस्ररुउपप...

मैं- ओह..कम ऑन..फास्ट ..फास्ट...

रूचि पूरे जोश मे मेरे लंड को चूस रही थी और मैं भी अपने हाथ से उसकी गान्ड को सहलाते हुए मस्ती मे डूब गया...

तभी रूचि का पति अंदर से ही बोला.....

र पति- क्या कर रही हो बेबी....


रूचि(मुँह से लंड निकाल कर)- बेबी...तुम्हारा हथियार इमेजिन कर रही हूँ...तुम बीच मे मत बोलो..सारा खेल खराब हो जाता है..

र पति- ओके...बेबी...तुम करो..मैं सुन कर मज़े लेता हूँ...कॅरी ऑन...

उसकी बात सुनकर मेरे और रूचि के चेहरे पर स्माइल आ गई..फिर रूचि ने जल्दी से लंड को मुँह मे भर के चूसना शुरू कर दिया ...

रूचि की लंड चुसाइ ने मेरे सब्र का बाँध तोड़ दिया और मैने रूचि को रोका और लेटकर उसे अपने उपेर आने को कहा....

रूचि भी जल्दी से मेरे दोनो साइड पैर करके बैठी और लंड को चूत पर सेट किया...

मैने उसकी कमर पकड़ के एक धक्का मारा तो वो सिसक उठी पर आवाज़ नही की...

फिर मैने दो धक्के और मारे और लंड चूत के अंदर घुस गया...

पूरा लंड जाते ही उसकी आह निकल गई...

रूचि- आआईयइ..बड़ा है...उउफफफ्फ़...

र पति- क्या हुआ बेबी ...

रूचि- चुप रहो ना..मुझे लंड खाने दो....मतलब इमेजिन करते हुए..आऐईयईई..

रूचि बात ही कर रही थी कि मैने लंड को बाहर करके एक धक्के में अंदर कर दिया...

रूचि- उउउंम....स्शह...

मैने रूचि को जंप करने का इशारा कर दिया...

रूचि ने दोनो हाथ बेड पर रखे और जंपिंग शुरू कर दी....

जंप करते हुए रूचि अपनी गान्ड को मेरी जाघो पर तेज नही पटक रही थी...नही तो आवाज़ होती...पर हम धीरे-धीरे सिसक रहे थे...

रूचि- उम्म..उम्म..ओह्ह..ऊहह..

मैं- यस माइ बिच...जंप...फास्ट...यस..यस...

रूचि- ओह..मज़ा आ गया...उम्म..आहह .आहह...आहह..

रूचि की स्पीड धीरे -2 बढ़ती गई और अब वो गान्ड पटक-2 कर लंड लेने लगी..

रूचि- ओह्ह..यस...उम्म..उम्म..उम्म..

मैं- आहह...तेजज..और..तेजज..

र पति- बेबी थोड़ा आवाज़ करते हुए मस्ती करो....मैं भी सुनूँ...वैसे क्या इमेजिन कर रही हो...

अपने पति की आवाज़ से रूचि रुक गई पर डरी नही और बात करने लगी....

रूचि- हाँ बेबी...अब सुनना...मैं एक बड़े से लंड को उछल-उछल के चूत मरवा रही हूँ...

र पति- ओह...तो ज़ोर से चीखो ना...

रूचि - ओके..

और रूचि ने पीछे मुड़कर मुझे स्माइल दी और तेज़ी से उछलने लगी....

रूचि- आहह..आहह..फक..यस..फक..

मैं(धीरे से)- हाँ कुतिया...ये ले..

रूचि- यस...यस ..येस्स..फक युवर बिच...फास्ट..फास्ट..आअहह...

मैं- टेक इट ...डीपर...येह्ह..येह्ह्ह...

थोड़ी देर तक रूचि फुल मस्ती मे आवाज़े करती हुई..चुदती रही...और झड़ने लगी...

र्यची- एस्स..एस्स..एस्स.. यस...यी..कोँमिंग...आहह..आहह..आहह

रूचि झड़ने लगी और उसका चूत रस चूत और लंड के साथ चुदाई मे फूच-फूच की आवाज़ करता हुआ मेरी जाघो पर बहने लगा....

रूचि- ओह्ह..ऊहह..वाउ...मज़ा आ गया...ऊहह...ऊहह...

र पति- क्या हुआ बेबी...

रूचि- ओह्ह..कुछ नही जानू....ऐसे ही...

र पति- ओके...अब मैं नहाता हूँ..फिर आ कर तुम्हे ठोकुन्गा...

रूचि- ओके...

रूचि जल्दी से उठी और बाथरूम का गेट बाहर से लॉक कर दिया....उसका पति शवर के नीचे था तो उसे पता ही नही चला...

रूचि मेरे पास आई और बोली...

रूचि- अब जल्दी करो...

मैं रूचि की बात समझ गया और मैने रूचि को बेड के नीचे ही बैठा दिया...

पहले रूचि से अपना लंड चुस्वाया और फिर उसे बीचे ही लिटा दिया और उसके पैरो को खींच कर उपेर कर दिया...

अब रूचि का सिर फर्श पर था और उसकी चूत उपर...

मैने जल्दी से अपना लंड चूत मे सेट किया और जोरदार चुदाई शुरू कर दी ...

रूचि- ओह..माँ...आहह...

मैं- अब मज़े ले कुतिया...ये ले...

रूचि- ओह्ह्ह..यस...फाड़ दी..और तेजज..फक युवर बिच...एस्स..एस्स..एस्स..

मैं- ये ले...यह..यह..यह...

रूचि- ज़ूर से...यस...आहह..माँ...आहह..आहह...आह....

मैं- ये ले साली...और ज़ोर से...

मैं उसी पोज़ मे करीब 10 मिनट तक रूचि को चोदता रहा और झड़ने के करीब आ गया ....

मैं- ये ले कुतिया...मैं आने वाला हूँ...

रूचि- मैं तो..आहह...आऐ...ओह्ह..ओह्ह..म्म्मानआ ...

रूचि के झड़ने के साथ ही मैं भी झड़ने लगा...

झड़ने के बाद भी मैं धक्के मारता रहा और जब पूरा झड चुका तो लंड बाहर निकाला..

लंड बाहर निकलते ही लंड रस रूचि के पेट और मुँह पर टपकने लगा ...

रूचि जल्दी से सीधी हुई और चाट कर मेरा लंड सॉफ कर दिया ....

जब हम नॉर्मल हुए तो रूचि ने मुझे दूसरे कमरे मे भेज दिया और बाथरूम का गेट खोल कर बेड पर लेट गई ....

जब उसका पति आया तभी उसके पति का बॉस गेट पर आ गया...इसलिए उसके पति को बिना चुदाई किए जाना पड़ा...

जैसे ही उसका पति गया तो वो मेरे रूम मे आ गई और नंगी हो गई...

फिर हम ने एक बार और चुदाई की और सो गये...

सुबह मे घड़ी के अलार्म से जगा और रेडी हुआ...

फिर रूचि ने मुझे कॉफी पिलाई...

उसके बाद मैने नेक्स्ट टाइम उसकी गान्ड मारने का बोला और स्कूल निकल आया...
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06-06-2017, 11:22 AM,
RE: चूतो का समुंदर
रूचि ने कंबल साइड किया और मुझे अपनी जगह लिटा दिया...फिर पलक झपकते ही मेरा पेंट निकाल के फेक दिया और मेरा कड़क लंड चाटने लगी..

रूचि-सस्स्र्र्ररुउपप..आहह...सस्ररूउप...सस्ररुउपप...

मैं- ओह..माइ बिच...सक इट ..सक इट...

रूचि ने थोड़ी देर ही मेरा लंड चाटा की तभी बाथरूम का गेट खुलने की आवाज़ आई...

आवाज़ होते ही रूचि जल्दी से बाथरूम के गेट पर पहुच गई..जिससे उसका पति बाहर नही आया...बल्कि उसे देख कर बोला...

र पति- यार तुम ऐसे...तुमने तो मूड बना दिया..अब तो तुम्हे चोद कर ही...

रूचि- ओके...पर नहा तो लो और ये तुम्हारी सेव..कितनी बढ़ गई है...इसे भी सॉफ कर लो...वरना पास भी नही आओगी....

र पति- खराब लग रही है...ओके तो सेव कर लेता हूँ ....तुम जाओ..मैं आता हूँ...

रूचि- ओके..मैं जब तक अपनी गर्मी बढ़ती हूँ...

र पति- पर..कैसे...??

रूचि- अपने हाथों और उंगलियों से...समझे...

र पति- तो ठीक है...तुम गरमी बढ़ाओ...मैं सेव करते हुए तुम्हारी सिसकी सुनता हूँ...और मैं भी गरम होता हूँ...

रूचि(कुछ सोचकर)- ह्म्म..अब सेव करो...

रूचि जल्दी से मेरे पास आ गई...मैं पहले से ही बेड पर घुटनो के बल बैठा था कि मौका पड़ने पर भाग सकूँ...

रूचि ने मेरा लंड देखा और बेड पर कुतिया की तरह चढ़ आई..और मेरा लंड पकड़ कर हिलाने लगी और धीरे से बोली..

रूचि- आपकी कुतिया हाज़िर है बॉस..अब शुरू करे...

मैं- पर वो..

रूचि- सस्शह...उस गान्डु को छोड़ो..बस कुतिया को मज़े दो..

और रूचि ने मेरे लंड को मुँह मे भरा और हिला-हिला कर चूसने लगी...

रूचि- सस्ररुउपप..सस्ररुउपप...सस्ररुउपप...

मैं- ओह..कम ऑन..फास्ट ..फास्ट...

रूचि पूरे जोश मे मेरे लंड को चूस रही थी और मैं भी अपने हाथ से उसकी गान्ड को सहलाते हुए मस्ती मे डूब गया...

तभी रूचि का पति अंदर से ही बोला.....

र पति- क्या कर रही हो बेबी....


रूचि(मुँह से लंड निकाल कर)- बेबी...तुम्हारा हथियार इमेजिन कर रही हूँ...तुम बीच मे मत बोलो..सारा खेल खराब हो जाता है..

र पति- ओके...बेबी...तुम करो..मैं सुन कर मज़े लेता हूँ...कॅरी ऑन...

उसकी बात सुनकर मेरे और रूचि के चेहरे पर स्माइल आ गई..फिर रूचि ने जल्दी से लंड को मुँह मे भर के चूसना शुरू कर दिया ...

रूचि की लंड चुसाइ ने मेरे सब्र का बाँध तोड़ दिया और मैने रूचि को रोका और लेटकर उसे अपने उपेर आने को कहा....

रूचि भी जल्दी से मेरे दोनो साइड पैर करके बैठी और लंड को चूत पर सेट किया...

मैने उसकी कमर पकड़ के एक धक्का मारा तो वो सिसक उठी पर आवाज़ नही की...

फिर मैने दो धक्के और मारे और लंड चूत के अंदर घुस गया...

पूरा लंड जाते ही उसकी आह निकल गई...

रूचि- आआईयइ..बड़ा है...उउफफफ्फ़...

र पति- क्या हुआ बेबी ...

रूचि- चुप रहो ना..मुझे लंड खाने दो....मतलब इमेजिन करते हुए..आऐईयईई..

रूचि बात ही कर रही थी कि मैने लंड को बाहर करके एक धक्के में अंदर कर दिया...

रूचि- उउउंम....स्शह...

मैने रूचि को जंप करने का इशारा कर दिया...

रूचि ने दोनो हाथ बेड पर रखे और जंपिंग शुरू कर दी....

जंप करते हुए रूचि अपनी गान्ड को मेरी जाघो पर तेज नही पटक रही थी...नही तो आवाज़ होती...पर हम धीरे-धीरे सिसक रहे थे...

रूचि- उम्म..उम्म..ओह्ह..ऊहह..

मैं- यस माइ बिच...जंप...फास्ट...यस..यस...

रूचि- ओह..मज़ा आ गया...उम्म..आहह .आहह...आहह..

रूचि की स्पीड धीरे -2 बढ़ती गई और अब वो गान्ड पटक-2 कर लंड लेने लगी..

रूचि- ओह्ह..यस...उम्म..उम्म..उम्म..

मैं- आहह...तेजज..और..तेजज..

र पति- बेबी थोड़ा आवाज़ करते हुए मस्ती करो....मैं भी सुनूँ...वैसे क्या इमेजिन कर रही हो...

अपने पति की आवाज़ से रूचि रुक गई पर डरी नही और बात करने लगी....

रूचि- हाँ बेबी...अब सुनना...मैं एक बड़े से लंड को उछल-उछल के चूत मरवा रही हूँ...

र पति- ओह...तो ज़ोर से चीखो ना...

रूचि - ओके..

और रूचि ने पीछे मुड़कर मुझे स्माइल दी और तेज़ी से उछलने लगी....

रूचि- आहह..आहह..फक..यस..फक..

मैं(धीरे से)- हाँ कुतिया...ये ले..

रूचि- यस...यस ..येस्स..फक युवर बिच...फास्ट..फास्ट..आअहह...

मैं- टेक इट ...डीपर...येह्ह..येह्ह्ह...

थोड़ी देर तक रूचि फुल मस्ती मे आवाज़े करती हुई..चुदती रही...और झड़ने लगी...

र्यची- एस्स..एस्स..एस्स.. यस...यी..कोँमिंग...आहह..आहह..आहह

रूचि झड़ने लगी और उसका चूत रस चूत और लंड के साथ चुदाई मे फूच-फूच की आवाज़ करता हुआ मेरी जाघो पर बहने लगा....

रूचि- ओह्ह..ऊहह..वाउ...मज़ा आ गया...ऊहह...ऊहह...

र पति- क्या हुआ बेबी...

रूचि- ओह्ह..कुछ नही जानू....ऐसे ही...

र पति- ओके...अब मैं नहाता हूँ..फिर आ कर तुम्हे ठोकुन्गा...

रूचि- ओके...

रूचि जल्दी से उठी और बाथरूम का गेट बाहर से लॉक कर दिया....उसका पति शवर के नीचे था तो उसे पता ही नही चला...

रूचि मेरे पास आई और बोली...

रूचि- अब जल्दी करो...

मैं रूचि की बात समझ गया और मैने रूचि को बेड के नीचे ही बैठा दिया...

पहले रूचि से अपना लंड चुस्वाया और फिर उसे बीचे ही लिटा दिया और उसके पैरो को खींच कर उपेर कर दिया...

अब रूचि का सिर फर्श पर था और उसकी चूत उपर...

मैने जल्दी से अपना लंड चूत मे सेट किया और जोरदार चुदाई शुरू कर दी ...

रूचि- ओह..माँ...आहह...

मैं- अब मज़े ले कुतिया...ये ले...

रूचि- ओह्ह्ह..यस...फाड़ दी..और तेजज..फक युवर बिच...एस्स..एस्स..एस्स..

मैं- ये ले...यह..यह..यह...

रूचि- ज़ूर से...यस...आहह..माँ...आहह..आहह...आह....

मैं- ये ले साली...और ज़ोर से...

मैं उसी पोज़ मे करीब 10 मिनट तक रूचि को चोदता रहा और झड़ने के करीब आ गया ....

मैं- ये ले कुतिया...मैं आने वाला हूँ...

रूचि- मैं तो..आहह...आऐ...ओह्ह..ओह्ह..म्म्मानआ ...

रूचि के झड़ने के साथ ही मैं भी झड़ने लगा...

झड़ने के बाद भी मैं धक्के मारता रहा और जब पूरा झड चुका तो लंड बाहर निकाला..

लंड बाहर निकलते ही लंड रस रूचि के पेट और मुँह पर टपकने लगा ...

रूचि जल्दी से सीधी हुई और चाट कर मेरा लंड सॉफ कर दिया ....

जब हम नॉर्मल हुए तो रूचि ने मुझे दूसरे कमरे मे भेज दिया और बाथरूम का गेट खोल कर बेड पर लेट गई ....

जब उसका पति आया तभी उसके पति का बॉस गेट पर आ गया...इसलिए उसके पति को बिना चुदाई किए जाना पड़ा...

जैसे ही उसका पति गया तो वो मेरे रूम मे आ गई और नंगी हो गई...

फिर हम ने एक बार और चुदाई की और सो गये...

सुबह मे घड़ी के अलार्म से जगा और रेडी हुआ...

फिर रूचि ने मुझे कॉफी पिलाई...

उसके बाद मैने नेक्स्ट टाइम उसकी गान्ड मारने का बोला और स्कूल निकल आया...
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06-06-2017, 11:22 AM,
RE: चूतो का समुंदर
अंकित अब मैं तुम्हे उस वक़्त मे ले चलता हूँ..जबसे मैं तुम्हारी फॅमिली को जानता हूँ...

आज़ाद मल्होत्रा अपनी फॅमिली के साथ **** गाओं मे एक खुशाल जिंदगी गुज़ारते थे...

आज़ाद की पत्नी बहुत ही सरल स्वाभाव की और पूजा- पाठ करने वाली थी...


(आगे की कहानी एक फ्लॅशबॅक की तरह...)




सुबह-2 रुक्मणी पूजा करके आज़ाद को जगाने आई...

रुक्मणी- उठिए जी...कसरत करने नही जाना...आपके दोस्त इंतज़ार कर रहे होगे...

आज़ाद- अरे यार...ह्म्म...जाना तो है...पर उठने का बिल्कुल मन नही...

रुक्मणी- क्यो भला...दिन निकल आया है...और दिन सोने के लिए नही होता...

आज़ाद( रुक्मणी को अपनी तरफ खीच कर)- पहले अपने स्वादिष्ट होंठो का रस तो चखा दो...

रुक्मणी (शरमाते हुए)- हे राम...आप तो सुबह-सुबह...छोड़िए जी...इन सब कामो के लिए रात होती है..दिन नही ..

आज़ाद- वाह..रात इन सबके लिए और सुबह सो नही सकते ..तो भला बेचारा इंसान सोयगा कब...

रुक्मणी- आप भी ना...बाते बनाना तो कोई आपसे सीखे ...अब उठ जाइए...

आज़ाद- पहले मेरी बात का जवाब तो दो मेरी जान..

रुक्मणी- आप भी...छोड़िए ना...बेटा जाग चुका है ...और आपका लाड़ला आता ही होगा...

रूमानी ने नाम ही लिया कि आकाश आवाज़ लगाते हुए आ गया....

आकाश- पापा...चलिए ना...जल्दी कीजिए...

आकाश की आवाज़ सुनते ही आज़ाद ने रुक्मणी का हाथ छोड़ दिया और जल्दी से खड़ी हो गई...

आकाश- पापा जल्दी....अरे आप बेड पर ही है...चलिए ना ..हम लेट हो जायगे...

आज़ाद- हाँ बेटा...बस 2 मिनट...अभी आया.. 

आज़ाद फ्रेश होने निकल गया और रुक्मणी अपने बेटे के पास आ गई...और आकाश ने उसके पैर छुये...

आकाश- माँ....प्रसाद कहाँ है...

रुक्मणी(मुस्कुरा कर)- अभी देती हूँ बेटा...चल मेरे साथ....और ये तो बता तेरा भाई कहाँ है...

और दोनो माँ- बेटे रूम से बाहर आने लगे...

आकाश- वो तो सो रहा है ..

रुक्मणी- उसे क्यो नही जगाया...उसे भी ले जा अपने साथ कसरत करने...

आकाश- क्या माँ आप भी...वो अभी छोटा है....उसे सोने दो...

रुक्मणी- और तू बड़ा हो गया...हाँ...

आकाश- हाँ..माँ..मैं बड़ा ही तो हूँ...और मेरे रहते मेरे भाई को तकलीफ़ नही होनी चाहिए...

रुक्मणी-मेरा प्यारा बेटा...पर उसे भी तो कसरत करनी चाहिए ना...और इसमे तकलीफ़ कैसी...

आकाश- हाँ माँ..करेगा...पर अभी उसे जागने मे तकलीफ़ होती है...थोड़े दिन बाद मैं उसे भी अपनी तरह बना दूँगा ...

रुक्मणी- ठीक है...ये ले प्रसाद...

आकाश ने प्रसाद खाया और तभी आज़ाद भी फ्रेश होकर आ गया.....

आज़ाद- चल मेरे शेर....तैयार...

आकाश- जी पापा...चलिए...

आज़ाद- चलो रुक्मणी हम आते है...

और फिर बाप-बेटे कसरत करने ग्राउंड पर निकल गये और रुक्मणी नाश्ते की तैयारी करने.....



ग्राउंड पर आज़ाद के दोस्त उसका इंतज़ार कर रहे थे ...आज़ाद के दो खास दोस्त थे....

अली ख़ान - ये एक नामी बिज़्नेसमॅन है....

मदन गुप्ता- ये भी खानदानी रहीश है और नेतागिरी करते है...

आज़ाद,अली और मदन दोस्त कम भाई ज़्यादा थे ....एक-दूसरे पर जान छिड़कते थे ...

इन दोस्तो के अलावा ग्राउंड पर आकाश का फ्रेंड भी था....जिसका नाम है धर्मेश...

आकाश और धर्मेश की दोस्ती भी बहुत खास थी...दोनो मे भाइयों जैसा प्यार था...

ग्राउंड पर जाते ही सब लोग बॉडी को फिट करने मे जुट गये....रन्निंग, योगा , पुश-अप एट्सेटरा..


जब कसरत हो गई तो सब वही ग्राउंड पर बैठ कर बातें करने लगे...एक तरफ आज़ाद अपने फ्रेंड्स के साथ और उनसे दूर आकाश, धर्मेश के साथ....

अली- यार आज़ाद...वो तेरी फॅक्टरी की प्राब्लम सॉल्व हुई कि नही...

आज़ाद- कहाँ यार..इस मदन ने कहा था कि 2 दिन मे सब ठीक कर देगा...क्यो मदन...

मदन- हाँ भाई...हो गई...कल रात को ही उस ज़मीन के मालिक से बात हुई...तुम फॅक्टरी को आगे बढ़ा सकते हो...उस ज़मीन के पेपर मेरे पास आ गये है...

आज़ाद- वाह...मज़ा आ गया...अब फॅक्टरी बढ़ने से 200 लोगो को और रोज़गार मिल जाएगा...

अली- ह्म्म...तू सच मे अच्छा काम कर रहा है....तेरी वजह से गाओं के लोगो को पैसे कमाने का मौका मिल गया...नही तो साले दारू और जुए मे अपनी जिंदगी खराब कर लेते....

मदन- हाँ यार...सही कहा...वैसे तेरे बेटे के अड्ड्मिशन का काम भी हो गया...

आज़ाद- सच मे...ये तो खुशख़बरी है भाई....अब मेरा बेटा सहर जाएगा..कॉलेज मे पढ़ेगा...

मदन- ह्म्म...तो चल फिर आज इसी बात पर जश्न मनाते है...

आज़ाद- हाँ क्यो नही..बोलो क्या इंतज़ाम है...

अली- यार आज तो खास माल है...माँ और बेटी एक साथ....

आज़ाद- क्या बात है..पर है कहाँ...

मदन- आज दोपहर बाद...मेरे फार्महाउस पर...

आज़ाद- तो फिर चल पहले फॅक्टरी का काम देखता हूँ फिर रात को जश्न मनाएँगे....

फिर आज़ाद ने आकाश को बुला कर उसके अड्मिशन की बात बताई....

आकाश- सच पापा...अब मैं कॉलेज जाउन्गा...

आज़ाद- हाँ बेटा....अब तू कॉलेज जाएगा और बड़ा आदमी बनेगा...

आकाश- ठीक है पापा ..मैं घर जा कर सबको बताता हूँ...आप भी चलिए ना..

आज़ाद- तू चल हम आते है...और हाँ..अपनी माँ से बोलना की गरमा-गरम चाइ-नाश्ता तैयार करे..हम सभी आ रहे है...

आकाश- ठीक है पापा...चल धर्मेश...

फिर आकाश अपने दोस्त के साथ घर आ गया और सबको खूसखबरी दी...
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06-06-2017, 11:22 AM,
RE: चूतो का समुंदर
रुक्मणी खुश हो गई और आकाश को प्यार करके किचन मे चली गई....आकाश के भाई-बेहन भी जाग गये थे...सब खुश थे ...खास कर आकाश की छोटी बेहन....आरती...

आरती- भैया..अब आप हमें छोड़ कर चले जायगे...??

आकाश-नही पगली...मैं बस पढ़ने जा रहा हूँ...और आता रहुगा ना...तू बस खबर करना और तेरा भाई तेरे पास होगा...ठीक है...

आरती- ह्म्म्स 

फिर सब बातें करते रहे और आज़ाद भी दोस्तो के साथ आ गया...सबने नाश्ता किया और फिर सब अपने-अपने काम मे बिज़ी हो गये...

आज़ाद ने बताया कि 3 दिन बाद ही आकाश को जाना होगा तो आकाश की माँ और उसकी दीदी उसके लिए खाने-पीने का समान बनाने लगी और आरती आकाश का बाकी समान लगाने लगी...



आकाश का भाई अरविंद खुश तो था पर वो आलशी था...वो नाश्ता करके अपने दोस्तो के साथ निकल गया...

आकाश और धर्मेश भी निकल गये और पहुच गये जश्न मनाने.....

अपने पिता की तरह आकाश को भी चुदाई का चस्का था...और आकाश अपने पिता से 2 कदम आगे था...

आकाश और धर्मेश साथ मे लड़कियाँ फसाते थे और दोनो उसको चोदते थे...एक और बात थी...अब दोनो घरेलू औरतों की चुदाई करते थे...

गाओं मे उन्होने कई औरतें और लड़किया फसा कर रखी थी..

लेकिन आकाश और धर्मेश मे एक बात अलग थी...

आकाश किसी को भी प्यार के नाम पर नही चोदता था...वो सॉफ कहता था कि चुदाई करो..बाकी कुछ नही...

वही धर्मेश प्यार के नाम पर लड़की को फसाता था और फिर चोद कर उसे छोड़ देता था...

आकाश को धर्मेश की यही बात अच्छी नही लगती थी...वो कहता था कि ये धोखा है...पर धर्मेश मानता नही था...

फिर भी आकाश के लिए धर्मेश भाई से बढ़ कर था....

आकाश- तो बोल..कहाँ चलना है....कोई नया माल...??

धर्मेश- हाँ भाई...नया माल है...और वो सिर्फ़ तेरे लिए...उसके बाद ही मुझे मिलेगी....

आकाश- ह्म्म..ऐसा क्यो..

धर्मेश- उसने बोला है कि पहले आकाश फिर धर्मेश....

आकाश- ह्म्म..तो बोल कहाँ चलना है...

धर्मेश- मेरे घर..

आकाश(चौंक कर)- क्या...??

धर्मेश- अरे फ़िक्र मत कर...मेरी बहने तो मामा के घर रहती ही है...आज माँ-पापा भी वही गये है तो घर खाली है...इसलिए घर ही बुला लिया ....

आकाश-ओह्ह..तो चल फिर ....

धर्मेश के घर जैसे ही आकाश उस औरत को देखता है तो सन्न रह जाता है...

आकाश- यार..ये..ये तो तेरी मौसी है...

धर्मेश- हाँ और आज ये तेरा बिस्तर गरम करेगी...

आकाश- क्या...तू पागल हो गया क्या..मैं इनके साथ...कैसे..

धर्मेश- कैसे क्या...इनके पास चूत है..तेरे पास लंड..बस मिलन करा दे...

आकाश- तू पागल हो गया...तू अपने घर की औरत को मुझसे चुदवायेगा...

धर्मेश- तो क्या हुआ यार...चूत तो चूत है...घर की हो या बाहर की...

आकाश- तू ऐसा सोच भी कैसे सकता है...ये तेरी मौसी है...

धर्मेश- अरे यार तू मज़े कर ना...ज़्यादा मत सोच...ये रेडी है तो तुझे क्या प्राब्लम...

आकाश- अच्छा..अगर इसकी जगह तेरी माँ होती तो...या बेहन..??

धर्मेश- भाई माँ होती या बेहन भी..तो भी मैं मना नही करता...

आकाश- तू बड़ा कमीना है...

धर्मेश- तू कुछ भी बोल..अपन को तो चुदाई से मतलब...सामने चाहे जो भी हो...

आकाश- अच्छा और कल को तेरी शादी हो जायगी तो बीवी को क्या कहेगा ....उसके सामने भी...

धर्मेश- बीवी को भी मना लुगा...अब लेक्चर छोड़ और मज़े कर ..जा...

धर्मेश ने आकाश को रूम मे धकेल दिया और गेट लगा दिया...

अंदर बेड पर धर्मेश की मौसी बैठी थी...उन्हे देख कर आकाश पसो-पेस मे था कि क्या करे...

धर्मेश की मौसी ने ये बात समझ ली और खुद ही साड़ी निकाल दी...


फिर अपने ब्लाउस को निकाल दिया और एक ही झटके मे पेटिकोट नीचे सरका दिया....

आकाश अब गरम होने लगा था...और मौसी ने फिर जल्दी से ब्रा और पैंटी भी निकाल दी और उनका नंगा बदन देख कर आकाश फुल गरम हो गया और सब भूल कर चुदाई के लिए रेडी हो गया...

फिर मौसी ने आकाश के पास आ कर उसके पेंट को नीचे किया और उसका लंड चूसने लगी....

और फिर शुरू हो गया चुदाई का खेल ....

आकाश ने 2 बार चुदाई की...और रूम से निकल आया ...

धर्मेश- मज़ा आया...??

आकाश- हाँ यार...कड़क माल है...पर ..

धर्मेश- पर क्या...??

आकाश- पर तूने अपनो मौसी को मुझसे चुदवा दिया..ग़लत बात...

धर्मेश- यार इसमे ग़लत क्या...मेरी माँ भी तेरे से चुदने का बोले तो उसे भी चुदवा दूगा...

आकाश- पर ये ग़लत है...लोगो को पता चल गया तो क्या कहेगे ..

धर्मेश- लोगो की छोड़...कौन बातायगा उन्हे...और कुछ बाते ऐसी होती है कि उन्ह छिपाना पड़ता है...हो सकता है तू भी किसी ऐसे को चोदता हो...जिसके बारे मे तू किसी को बोल नही सकता...मुझे भी नही...

धर्मेश की बात सुनकर आकाश चुप रह गया और बिना बोले निकल गया...

तभी धर्मेश की मौसी उसके पास आ गई...


धर्मेश- तो कैसा रहा मौसी...??

मौसी- मस्त...

धर्मेश- ह्म्म..अब मुझे भी खुश कर दो...

मौसी- अब तो मैं तुम दोनो की हो गई...चलो मार लो...

और दोनो खिलखिलाते हुए रूम मे चले गये....
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06-06-2017, 11:22 AM,
RE: चूतो का समुंदर
वहाँ दूर किसी फार्महाउस पर आज़ाद और उसके दोस्त एक माँ- बेटी को चोदने मे बिज़ी थे...जब उनकी चुदाई ख़त्म हुई तो वो बैठ कर बाते करने लगे...

मदन- दोस्तो...मज़ा आया ना...

अली- हाँ यार..दिल खुश हो गया...क्यो आज़ाद...

आज़ाद- हाँ यार...दिल के साथ लंड भी खुश हो गया...



ऐसे ही हसी-मज़ाक करते हुए रात होने लगी और उसके बाद सब अपने-अपने घर आ गये.....

आकाश के घर सब लोग आकाश के जाने की तैयारी मे लगे हुए थे...

एक तरफ उसकी माँ और दीदी पकवान बनाने मे लगी थी...तो उसकी छोटी बेहन उसके कपड़े और बाकी का समान पॅक करने मे...

आकाश का भाई खुश था कि अब रूम उसका हो जाएगा..जिसको वो आकाश के साथ शेयर करता रहा था....

आज़ाद बेहद खुश था.. वो आकाश को अपने से भी बड़ा आदमी बनाना चाहता था और इसके लिए वो उसे कॉलेज मे पढ़ने भेज रहा था...

आकाश खुश था पर कहीं ना कहीं उसे घर छोड़ने का दुख भी था....

आकाश अब तक गाओं के महॉल मे पला-बढ़ा था...यहीं उसने चुदाई का स्वाद चखा और फिर पूरे गाओं मे लड़कियाँ और औरते पटा कर उन्हे चोदा...उसके फ्रेंड भी सब यही पर थे....

आकाश की बॉडी और उसके पापा के रुतवे की वजह से आकाश को गाओं मे कोई दिक्कत नही हुई और ये भी एक वजह थी जिससे उसे किसी को पटाने मे ज़्यादा मेहनत नही करनी पड़ी...

आकाश इस बात से अंदर ही अंदर परेशान था कि नई जगह पर कैसे रहेगा..कैसे लोग मिलेगे...दोस्त कैसे मिलेगे...और चुदाई का क्या होगा...

इसी सोच मे आकाश एक जगह बैठा हुआ था...आज़ाद ने उसे इस हालत मे देखा तो उसके पास आ गया...

आज़ाद- क्या हुआ मेरे शेर

आकाश- क्क़..कुछ नही पापा..

आज़ाद- मैं तेरा बाप हूँ...मुझसे कुछ नही छिपता..चल बता ..क्यो परेशान है....

आकाश- परेशान नही हूँ पापा ...बस ये सोच रहा था कि नई जगह का महॉल कैसा होगा..कैसे लोग होंगे...

आज़ाद- बस..इतनी सी बात...देखो बेटा किसी भी जगह..इंसान तो एक से ही होते है...बस हमें उन्हे समझने की ज़रूरत होती है....

आकाश- हाँ पापा..पर सहर के लोग...

आज़ाद- सहर के लोग भी हमारी तरह ही है बेटा...बस कुछ अंतर होता है...जैसे बोलने का तरीका...पहनने का तरीका..बस...

आकाश- तो मैं कैसे रह पाउन्गा वहाँ..

आज़ाद- मुझे मेरे बेटे पर भरोसा है...तू कही भी रह सकता है...किसी भी हालात का सामना कर सकता है ...और फिर हम सबका प्यार तो तेरे साथ ही रहेगा ना..

आकाश- पर पापा..मुझे आप सब से दूर रहना है...तो...

आज़ाद- बेटा...हम दूर कहाँ है...और सोच..कभी ऐसा हुआ भी की तुझे हम से दूर रहना पड़ा तो एक बात याद रखना...हम तेरे दिल मे होंगे और तू हमारे...बस तू टूटना मत...

आकाश- ओके पापा...मैं ऐसा ही करूगा...आपको नाज़ होगा मुझ पर...मैं कभी भी अपने आप को टूटने नही दूँगा और आप जैसा मुझे बनाना चाहते है...मैं वैसा बन कर दिखाउन्गा...

आज़ाद- ये हुई ना बात..सबाश मेरे शेर...

और फिर बाते करते हुए सबने खाना खाया और सोने के लिए अपने रूम मे निकल गये.....

रूम मे लेटे हुए आकाश अपने आने वाले दिनो का सोच रहा था....तभी उसे धर्मेश की बातें याद आई...और वो सोचने लगा कि वो भी एक ऐसी औरत को चोदता है..जो उसकी अपनी फॅमिली मेंबर जैसी है..और ये सही नही है...

फिर आकाश ने तय किया कि सहर जाने से पहले उस औरत से मिल कर बात करूगा...

थोड़ी देर बाद आकाश सो गया...


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वहाँ धर्मेश अपनी मौसी को चोद रहा था और तभी उसकी मौसी बोली.....

मौसी- तू खुश है ना..आहह..

धर्मेश- आहह..मज़ा आ गया मौसी...क्या टाइट गान्ड है...

मौसी- ह्म्म..पर ये तो बता की आकाश से मुझे क्यो चुदवाया...

धर्मेश- टाइम आने पर बता दूँगा...अभी बस तुम आकाश को खुश रखो...और इस टाइम तो सिर्फ़ मुझे...यहह...

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सुबह हमेशा की तरह आकाश अपने पापा के साथ कसरत करने निकल गया...

कसरत के बाद घर आकर रेडी हुआ उस औरत से मिलने...जिसकी चुदाई करने की बात उसे कल से परेशान करने लगी थी...

तभी मदन आज़ाद के घर आ गया और उसने बताया कि वो आज किसी काम से सहर जा रहा है ...

आज़ाद भी मदन के साथ सहर जाने के लिए रेडी हो गया...ताकि आकाश के रहने का इंतज़ाम देख सके जो मदन ने पहले ही करवा दिया था...

आज़ाद और मदन सहर निकल गये और आकाश पहुच गया मदन के घर...

आकाश , मदन की बीवी को चोदता था और उसे यही बात परेशान करने लगी थी...जबसे उसने धर्मेश की बात सुनी..कि तू भी तो किसी अपने को चोदता होगा और ऐसा करके तू किसी अपने को धोखा दे रहा हो...

आकाश को लगने लगा कि मदन उसके पापा के दोस्त है और उनकी पीठ पीछे उनकी वाइफ को चोदना सही नही...और आज वो यही बात करने मदन के घर आया था....

मदन के घर आते ही मदन की वाइफ उसके गले लग गई और चूमने-चाटने लगी...

(मदन की वाइफ का नाम सरिता था)

सरिता- उम्म..उऊँ..आहह..कितने दिनो बाद आए हो...उम्म..

आकाश- उम्म..आंटी..रूको...उउंम्म..

सरिता- आज नही...उउंम..सस्ररुउपप...

आकाश उसे रोकना चाह रहा था पर उसकी बॉडी उसके खिलाफ थी...फिर आकाश ने सोचा कि पहले छुदाई कर लूँ फिर इससे बात करूगा...आज के बाद सब ख़त्म....

आकाश भी सरिता के बूब्स मसल कर किस एंजाय करने लगा और ऐसे ही किस करते हुए दोनो बेडरूम मे आ गये...

फिर आकाश और सरिता ने एक दूसरे को नंगा किया और आकाश ने सरिता को बेड पर लिटाया और उसकी चूत चाटने लगा......

आकाश- सस्स्रररुउउप्प्प...उउंम...सस्ररुउउप्प्प...

सरिता- आहह...चतो मेरे राजा...बहुत दिन से ......आआहह...तरस गई

आकाश- उउंम..आहह...सस्ररुउपप...सस्ररुउप्प्प...

सरिता- ओह्ह..जीभ डाल दी..आहह..माँ...ओह्ह्ह..ओह्ह..


आकाश जीभ से सरिता को चोदने लगा और सरिता सिसकने लगी....

थोड़ी देर बाद आकाश ने सरिता को छोड़ा और बेड पर लेट गया....

सरिता समझ गई और आकाश के पैरों के पास बैठ गई और उसका लंड चाटने लगी...

सरिता- अओउंम...आहह..कब से वेट कर रही थी इसका....उउंम..आहह

थोड़ी देर तक सरिता ने लंड चटा और फिर मुँह मे भर कर चूसने लगी....

आकाश- ओह...एस...चूस..आहह...चूस मेरी जान...

सरिता- उम्म..उउंम..उउंम..उउंम..

सरिता ने लंड को चूस- चूस कर तैयार कर दिया....

आकाश ने सरिता को रोका और सरिता ने लंड छोड़ा और आकाश के पेट को किस करते हुए उसके उपेर चढ़ गई....

फिर सरिता ने उसके होंठो को चूसा और दोनो तरफ पैर रख कर अपनी चूत आकाश के लंड पर रगड़ने लगी...

सरिता- उउंम..यस बेटा...अब फाड़ दे जल्दी से...देख कैसी गरम हो गई मेरी चूत...

आकाश- ह्म्म..तो फिर हो जाओ शुरू...

सरिता ने लंड को सेट किया और उस पर बैठते हुए पूरा चूत मे भर लिया...

सरिता- आहह..ठंडक मिली...अब मज़ा आएगा..

और सरिता ने लंड पर उछलना शुरू कर दिया....

सरिता गान्ड हिला कर लंड ले रही थी और साथ मे झुक कर आकाश को किस कर रही थी....

आकाश भी नीचे से धक्के मार रहा था और सरिता के बूब्स मसल रहा था...

सरिता- ओह्ह..येस बेटा...ज़ोर से मार..आहह..आहह..

आकाश- ये लो आंटी...यस..एस्स..

ऐसे ही सरिता चूड़ते हुए झड़ने लगी...

सरिता- बेटा..मैं..आहह...आऐ...ओह्ह..यरसस.. .एस्स...एस्स..

आकाश- इतनी जल्दी...कोई नही...झड जा...ये ले...

सरिता चुदाई मे ज़यादा ही गरम थी इसलिए जल्दी झाड़ गई....

सरिता झड़ने के बाद स्लो हो गई तो आकाश ने खुद को घूमते हुए सरिता को नीचे कर दिया और खुद उपेर आ कर धक्के मारने लगा..

आकाश के धक्को के साथ सरिता का चूत रस आवाज़े बदलने लगा था...

सरिता- ओह्ह..येस्स बेटा..ज़ोर से चोद...आअहह...

आकाश- अभी तो झड़ी और फिर से...यहह..ये ले...

सरिता- आहह...हाँ बेटा...बहुत खुजली है...ज़ोर से मार..आहह..आहह...

आकाश- ये ले फिर...एस्स..एस्स..एस्स.. 

आकाश जोरों से सरिता को चोदे जा रहा था और रूम मे आवाज़े बढ़ने लगी...
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06-06-2017, 11:23 AM,
RE: चूतो का समुंदर
आहह..आहह...येस्स...बेटा..मार.. ज़ोर से...आहह..फ्फक्च्छ..फ्फक्च्छ...यीह...ये ले...एस्स..एस्स..एस्स...आहह..आहह ..

सरिता- बेटा अब कुतिया बना के चोदो...

आकाश- तुझे कुतिया की तरह चुदना बड़ा पसंद है. .

सरिता- हाँ बेटा..तेरी कुतिया हूँ ना...अब मार ले कुतिया की..आअहह...

आकाश ने जल्दी से सरिता को कुतिया बनाया और एक ही झटके मे लंड डाल कर चोदने लगा.....

सरिता- उउउइई...माँ...फाड़ दे ..आहह...

आकाश- हाँ मेरी कुतिया...ये ले...यह..यीह...

सरिता- ओह्ह..एस..एस्स...ज़ोर से...हाँ..ओह्ह..

ऐसे ही कुछ देर की दमदार चुदाई से सरिता फिर झड़ने लगी...

सरिता- आहह...बेटा...कुतिया..गाइ..आहह...आहह..

आकाश- कम इन...एस्स..एस्स. एस्स..

सरिता झड़ने लगी और आकाश ने चुदाई चालू रखी...थोड़ी देर बाद आकाश भी झड़ने लगा...

आकाश- मैं भी आया..ओह...येस्स..आहह...यीह..यह..

सरिता- भर दो .. आहह....प्यासी चूत मे...हाँ...अंदर तक...एस्स...एसड..

आकाश- येस...टेक इट...यह....यह...

आकाश ने झाड़ कर पूरा लंड रस सरिता की चूत मे भर दिया और सरिता के उपेर लेट गया और दोनो किस करने लगे...

थोड़ी देर बाद दोनो नॉर्मल हुए और फ्रेश होने चले गये...

दोनो ने नहाते हुए फिर से एक दूसरे को चूस कर पानी निकाला और रेडी हो गये...

फिर दोनो बैठ कर बाते करने लगे कि तभी आकाश को अपनी बात याद आ गई....

आकाश- आंटी...मुझे कुछ बात करनी थी...

सरिता- हाँ मेरे राजा ...बोलो ना...

आकाश- आंटी...हमें ये सब ख़त्म करना होगा....

सरिता- क्या...मतलब क्यो...क्या हुआ...

आकाश- देखो आंटी ..मैं सहर जाने वाला हूँ...

सरिता(बीच मे)- अरे इतनी सी बात...चिंता मत करो...मैं भी सहर मे रहूगी...अपने बच्चो के साथ...वो मेरी माँ के साथ रहते है वही पर..और मैने भी तुम्हारे अंकल से वहाँ रहने का बोल दिया है...अब तो बस दिन रात तुमसे चुदवाउन्गी...

आकाश- नही आंटी...मैं अब आपके साथ ये सब नही करूगा...

सरिता(सीरीयस हो कर)- ये क्या बोल रहे हो...मुझसे मन भर गया...

आकाश- ऐसी बात नही है...पर अब मुझे आपके साथ ये सब....अच्छा नही लगता...

सरिता- अच्छा...पिछले 1 साल से मुझे अपनी रखेल की तरह चोद रहा था.. तब अच्छा लगता था और अब...

आकाश- आंटी प्लीज़...मैं बहक गया था..लेकिन अब समझ चुका हूँ कि आपके साथ ये करना ग़लत है...

सरिता- बकवास बंद करो...तुम मुझे ऐसे नही छोड़ सकते...समझे...

आकाश- सॉरी...पर आज के बाद मैं कुछ नही करूगा...


सरिता(पूरे गुस्से मे)- चुप कर...मुझे कुछ नही सुनना...तू मुझे ऐसे नही छोड़ सकता बस...

आकाश- आप चुप कीजिए...मैने कहा ना कि नही...मतलब नही...

सरिता- मैं भी देखती हूँ की कैसे छोड़ता है मुझे...

आकाश- छोड़ सकता नही...छोड़ दिया...अब मैं चलता हूँ..बाइ...

सरिता- सोच ले...मुझे छोड़ा तो तुझे और तेरे बाप को बदनाम कर दूगी..

अपने पिता का नाम सुनकर आकाश गुस्सा हो गया और झपट के सरिता का गला पकड़ लिया...

आकाश(गुस्से मे)- साली रंडी...मेरे पापा को बदनाम करेगी...उसके पहले ही मैं तुझे मिटा दूँगा..और हाँ..क्या कहेगी दुनिया से कि तू मेरी रखेल है...

सरिता- वो तो तुम्हे पता चल जाएगा....

आकाश- तो जा...जो करना है कर...पर इतना याद रखना कि मरेगी तू ही...कोई भी मेरी फॅमिली के खिलाफ कुछ नही सुन सकता इस गाओं मे...जानती है ना...

और आकाश ने सरिता को धक्का दे दिया और जाने लगा...

सरिता(पीछे से)- तुमने अभी सिर्फ़ मेरे जिस्म की गर्मी देखी है...अब ये भी देखना कि एक औरत जब किसी को बर्बाद करने का सोच लेती है तो क्या-क्या कर सकती है....अब तू गया...हाहाहा .....

आकाश सरिता की बात सुने बिना ही निकल गया था...उसने तय कर लिया था कि वो आज के बाद इसे नही च्छुएगा...

यहाँ सरिता अपनी ही आग मे जल रही थी...उसे लग रहा था कि आकाश का उससे मन भर गया इसलिए उसने उसे छोड़ दिया....

सरिता , आकाश की बात नही समझ रही थी बस इसे अपना अपमान समझ रही थी...

सरिता नंगी पड़ी रोती रही और जब रोना बंद किया तो गुस्से मे उसने ने तय कर लिया कि वो अपने अपमान का बदता ले कर रहेगी...आकाश को छोड़ेगी नही.....

आकाश ने आगे से सरिता की चुदाई ना करने का फ़ैसला किया ..क्योकि उसे लग रहा था कि सरिता उसकी फॅमिली के सदस्य की तरह है...क्योकि सरिता के पति को आकाश के पापा भाई मानते थे...

पर सरिता ने उसकी बात को नही समझा ...उल्टा वो इसे अपना अपमान समझने लगी और अपमान की आग मे जलने लगी...

सरिता, आकाश से इस बात का बदला लेना चाहती थी...वो कुछ ऐसा करने की सोचने लगी जिससे आकाश टूट जाए...

सरिता जानती थी कि इस गाओं मे क्या वो इस इलाक़े मे भी कोई आकाश और उसके परिवार के खिलाफ कुछ नही कर सकता....इसलिए वो किसी की हेल्प नही ले सकती थी....

सरिता ने तय कर लिया कि वो खुद ही सब करेगी और आकाश की कमज़ोरी ढूँढ कर उस पर बार करेगी....

वाहा दूसरी तरफ आकाश का खास दोस्त धर्मेश भी कुछ प्लान कर रहा था...

इसी प्लान के चलते धर्मेश ने आकाश से अपनी मौसी को चुदवाया था...

पर आकाश अभी धर्मेश और सरिता के प्लान से अंजान...अपने सहर जाने की तैयारी मे बिज़ी था...

आकाश अपनी आने वाली लाइफ के बारे मे सपने देख रहा था...कि अब वो कॉलेज मे जाएगा...नये दोस्त बनायगा...वहाँ के लोगो की तरह रहना सीखेगा..एट्सेटरा..

फिर भी कही ना कही वो गाओं को छोड़ कर जाने से दुखी भी था...पर वो अपना दुख छिपाए हुए था..जिससे उसके परिवार वाले भी उसे देख कर खुश रहे....

आकाश के घर पर सभी उसके जाने की तैयारी मे लगे हुए थे...धर्मेश के मन मे कुछ भी हो पर वो भी आकाश के साथ काम मे लगा हुआ था...

आख़िर कार आकाश के जाने का दिन आ गया...

आज़ाद ने आकाश के साथ अपने खास नौकर मोहन को भी भेजने का फैशला किया और मोहन की छोटी बहेन को भी घर को संभालने के लिए भेज रहा था...

कार मे समान लग चुका था...मोहन और उसकी बेहन भी रेडी थे....बस अब सब चलने को रेडी थे...

आकाश ने पहले अपनी माँ के पैर छु कर आशीर्वाद लिया...

रुक्मणी ने आशीर्वाद देने के बाद आकाश को उठा कर गले से लगा लिया और फुटक-फुटक के रोने लगी...

एक माँ वैसे तो अपने सभी बच्चो को जान से ज़्यादा चाहती है पर रुक्मणी का आकाश से खास लगाव था...

आकाश अपनी माँ को रोता देख कर भाबुक होने लगा ..पर उसे अपने पापा की बात याद आई कि मजबूत बनो..तभी आगे बढ़ पाओगे ...


आकाश ने अपनी माँ के आशु पोछे और उसे चुप करा लिया...
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06-06-2017, 11:23 AM,
RE: चूतो का समुंदर
फिर आकाश अपनी दीदी और भाई से मिला...आकाश ने अपने भाई को उसके जाने के बाद घर का ख्याल रखने की बात बोली....

आकाश को उसके भाई को हिदायत देते देख कर आज़ाद को अपने बेटे पर गर्व हुआ की वो अपनी फॅमिली के बारे मे कितना सोचता है...

आकाश फिर अपनी छोटी बेहन को देखने लगा...जो कहीं दिख नही रही थी...

आकाश- माँ, छुटकी कहाँ है...

रुक्मणी- हूँ..क्या..वो यहीं होगी...छुटकी...छुटकी...


सब लोग आरती को आवाज़ देते हुए ढूढ़ने लगे..पर आकाश को पता था कि उसकी लाडली बेहन कहाँ होगी...

आकाश ने सबको शांत होने का बोला और अपनी हवेली के पीछे बने गार्डन मे चला गया...


जहाँ एक झूला था...जिस पर आरती बैठी हुई वेट कर रही थी...शायद उसे पता था कि उसका भाई ज़रूर आएगा . ..

जैसे ही आकाश ने आरती को झूले पर बैठा हुआ देखा तो उसने एक स्माइल कर दी....

आरती अपने सिर को नीचे किए बैठी थी और आकाश ने जाकर उसेके चेहरे को उपेर उठाया...

आकाश- ओह...ये क्या...मेरी छुटकी को क्या हुआ...

आरती- (चुप रही)

आकाश- अरे..अरे..मेरी गुड़िया की आँखो मे आँसू...बताओ किसकी वजह से है...मैं अभी उसे सज़ा दूँगा...

आरती(आँखे दिखा कर)- आपकी वजह से...

आकाश- ओह्ह..तो मैं अपने आप को सज़ा देता हूँ...

ते कह कर आकाश कान पकड़ कर उठक-बैठक करने लगा...

थोड़ी देर तक आरती आकाश को देखती रही और फिर उसके चेहरे पर मुस्कान आने लगी..

आरती- अब बस भी कीजिए भैया...

आकाश- जब तक तेरे आसू दिखेगे तब तक नही..

आरती(अपनी आँखे सॉफ कर के)- अच्छा..अब ठीक है..अब रुक जाइए...

आकाश रुक गया और आरती के बाजू मे झूले पर बैठ गया....

(आकाश और आरती के बीच ये खेल हमेशा से चलता है...जब भी आरती रोती थी या उदास होती थी तो आकाश उठक-बैठक करने लगता ..जिससे आरती जल्दी से मान जाती थी...क्योकि वो भी अपने भैया को तकलीफ़ मे नही देख सकती थी...)

आकाश- ह्म्म...अब बता...क्या बात है...??

आरती- कुछ नही भैया...बस आपके जाने का बुरा लग रहा था...

आकाश- इसमे बुरा कैसा...मैं तुझे छोड़ के थोड़े ही ना जा रहा हूँ..बस पढ़ने जा रहा हूँ ....

आरती- जानती हूँ..पर बुरा तो लगता है ना...

आकाश- ह्म्म..तो एक काम करता हूँ..मैं जाता ही नही...

आरती- नही भैया..ऐसा सोचना भी मत...आपको मेरी कसम...

आकाश- अब कसम दे दी तो जाना ही होगा...पर एक शर्त पर...

आरती- वो क्या...??

आकाश- ह्म्म...तुम जानती हो कि मुझे क्या चाहिए....

आरती ने आकाश की आँखो मे देखा और वो समझ गई की आकाश क्या कहना चाहता है और उसने एक स्माइल कर की और उठ गई...

आरती- अभी आई भैया...

आरती अंदर आई और थोड़ी देर मे एक कटोरी लेकर वापिस आ गई...

आरती- मुझे पता था कि आप इसके बिना नही जायगे...इसलिए मैने तेल गरम करके रखा था.. 

फिर आरती ने आकाश के सिर की मालिश शुरू कर दी...मालिश के दौरान आकाश, आरती से पूछता रहा कि उसे सहर से क्या चाहिए....और आरती भी अपने भाई को अपनी पसंद बताती रही...

आकाश- आहह..मज़ा आ गया..तेरे हाथो मे जादू है...माइंड फ्रेश हो गया ..

आरती- पर वहाँ आपकी मालिश कौन करेगा...

आकाश- ह्म्मान..एक काम कर..तू तेल भी रख दे ..मैं खुद से कर लुगा...

आरती- उसमे मेरे हाथो का जादू नही होगा...

आकाश- तो फिर मैं यही आ जाया करूगा...

आरती- ठीक है भैया...

फिर आकाश ने अपनी बेहन के माथे को चूमा और गले लगा लिया और दोनो बाहर आ गये...

रुक्मणी- कहाँ रह गया था बेटा..

आकाश- बस माँ...छुटकी को मना रहा था...

रुक्मणी- ह्म्म..देख छुटकी...अपने भैया को हंस कर विदा कर...ताकि वो मन लगाकर पढ़ाई करे और बड़ा आदमी बन जाए...

आरती- हाँ माँ..मेरे भैया बहुत बड़े आदमी बनेगे...पक्का..

आज़ाद- बेटा अब निकलने का टाइम हो गया..

आकाश ने अपने पापा से आशीर्वाद लिया और सबको बाइ बोलकर निकल गया...


आकाश के जाने से उसकी फॅमिली मे सब उदास थे...पर खुश भी थे क्योकि आकाश के लिए सबने बहुत सपने देख रखे थे.....

सहर मे आकाश भी उदास था पर जब उसने कॉलेज जाना शुरू किया तो उसकी उदासी कम होती गई...

कुछ दिन बाद सब नॉर्मल हो गया...

आकाश कॉलेज मे पढ़ाई करने लगा और उसका भाई गाओं के स्कूल मे पढ़ने मे बिज़ी हो गये...

लेकिन आरती ने स्कूल जाना शुरू नही किया...वो बचपन से ही अपने आकाश भैया के साथ ही स्कूल जाती थी...

इसलिए उसे अपने भैया के बिना स्कूल जाने का मन नही था...

आज़ाद और रुक्मणी भी उसकी भावना समझ रहे थे और यही सोच कर चुप थे कि कुछ दिन मे सब ठीक हो जाएगा...

आज़ाद भी अपने काम-काज मे बिज़ी हो चला था....
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06-06-2017, 11:23 AM,
RE: चूतो का समुंदर
एक दिन आज़ाद का दोस्त अली अपने बेटे के साथ आज़ाद के घर आया...

बातों ही बातों मे आज़ाद ने अली को आरती के बारे मे बताया कि क्यो वो स्कूल नही जाती...

अली- यार इसी लिए तो मैं आया हूँ...

आज़ाद- मतलब...तुझे कैसे पता..??

अली- यार तू भूल गया...मेरा छोटा बेटा भी तेरी बेटी की क्लास मे पढ़ता है...उसी ने बताया..

आज़ाद- ह्म्म..तो अब बता.. उसे कैसे समझाऊ...

अली- यार जो काम हम बड़े नही कर सकते वो बच्चे कर लेते है...

आज़ाद- मतलब...??

अली- मतलब ये कि मेरा बेटा उसे स्कूल जाने को मना लेगा...

आज़ाद- वो कैसे..??

अली- तू खुद देख लेना..

फिर अली अपने बेटे को आरती के पास उसे मनाने भेज देता है...

(अली ख़ान का लड़का भी आरती के साथ पढ़ता था..उसका नाम था आमिर...)

अली के कहने पर आमिर , आरती के रूम मे चला जाता है...वाहा आरती अपने बेड पर आकाश की फोटो लिए आसू बहा रही थी...

आमिर(तालियाँ बजा कर)- वाह..क्या बात है...रोती रहो...और ज़ोर से रो ना..

आमिर की आवाज़ सुनते ही आरती सकपका गई और जल्दी से फोटो साइड मे की और आसू पोन्छ कर गुस्से से बोली..

आरती- बदतमीज़...किसी लड़की के रूम मे ऐसे आते है...

आमिर- अच्छा..मैं बदतमीज़...वैसे मेडम...मैं किसी लड़की के रूम मे नही...अपनी फ्रेंड के रूम मे आया हूँ...

आरती- जो भी हो..है तो लड़की का रूम ना...

आमिर- अच्छा बाबा..सॉरी...ये ले कान पकड़ता हूँ...

आरती(इतराती हुई)- ह्म्म..ठीक है -ठीक है...माफ़ किया..

आमिर- सुक्रिया मेडम...

आरती- ह्म्म..अब जल्दी काम बोलो...यहा क्यो आए..हमारे पास टाइम नही...

आमिर- टाइम की बच्ची...अभी बताता हूँ..

आमिर फिर आरती को पकड़ने उसके बेड पर गया और आरती दूसरी साइड से उतर कर भागने को रेडी हो गई...

थोड़ी देर दोनो ही रूम मे यहाँ वहाँ भागते रहे और अंत मे थक कर रुक गये...

आरती- बस कर यार..अब रुक जा..

आमिर- थक गई बस...अब बैठ और मेरी बात सुन...

( आपको ये बता दूं कि आरती और आमिर बहुत अच्छे फ्रेंड है और उनके बीच हसी-मज़ाक चलता रहता है...)

दोनो बेड पर बैठ गये और नॉर्मल हो कर बाते शुरू की...

आमिर- अब बता...ये आँसू क्यो बहा रही थी...

आरती- (चुप रही)

आमिर- बोल ना...

आरती- कुछ नही..तू सुना...कैसे आया...

आमिर- देख..मेरी बात मत ताल..मैं जानता हूँ तू आकाश भैया को याद करके रो रही थी...है ना...

आरती-(चुप रही पर आकाश का नाम सुनते ही उसकी आँख से आँसू छलक आए..)

आमिर- ह्म्म..मैने सही कहा ना...

आरती(रोते हुए)- जब पता है तो क्यो पूछ रहा है...

आमिर- तू रो मत प्ल्ज़...(और आमिर ने आरती के आसू पोंछ दिए)

आरती- तो क्या करूँ...मुझे भैया की याद आती है...

आमिर- तो तू क्या समझती है...तेरे भैया को तेरी याद नही आती या फिर तेरे घर मे किसी को उनकी याद नही आती...

आरती- क्यो नही आती...आती है..

आमिर- तो क्या सब रोते रहते है...अपना काम छोड़ दिया सबने...तेरी तरह...

आरती- (चुप रही)

आमिर- तू क्या समझती है कि तेरे स्कूल ना जाने की बात सुनकर तेरे भैया खुश होंगे...उन्हे अच्छा लगेगा..

आरती(सिर हिला कर ना बोला)

आमिर- तो फिर..क्यो ऐसा काम कर रही है कि तेरे भैया को बुरा लगे...

आरती- तो क्या करूँ यार...भैया के बिना..किसी काम को करने का मन नही होता...

आमिर- माना...पर ऐसे बैठे रहने से क्या होगा...क्या तेरे भैया लौट आएगे ....

आरती- नही..पर....



आमिर- बस..अगर तुम अपने भैया को ज़रा सा भी प्यार करती हो तो कल स्कूल मे मिलोगि...अब मैं चला...

आरती- पर तू मेरी बात तो सुन..

आमिर गेट तक आ गया और बोला...

आमिर- अब मुझे ना कुछ सुनना है और ना कुछ कहना है...मुझे जो कहना था कह दिया...अब सब तेरी मर्ज़ी...

और आमिर बाहर निकल गया और आरती चुप-चाप उसकी बात सुनकर सोच मे पड़ गई....

आमिर ने नीचे आकर सबको बोल दिया कि आरती मान गई है....

आमिर को भरोशा था कि आरती कल स्कूल आयगी ....

उसके बाद कुछ देर बातें होती रही और अली अपने बेटे के साथ घर निकल गया...

आज़ाद भी अब खुश हो गया कि आरती मान गई और उसने रुक्मणी और बाकी सब को भी ये बता दिया...

आज़ाद का पूरा परिवार खुश था पर उनसे दूर कोई उनकी खुशियो को नज़र लगाने की तैयारी कर रहा था......

------------------*************-------------------

वहाँ सरिता ने आकाश से बदला लेने के लिए काफ़ी सोच- समझ कर एक कॉल किया...

सरिता- हेलो..

सामने- हाँ जी कौन..

सरिता- वो बाद मैं...पहले काम की बात करे..

सामने- काम की बात...किस काम की बात कर रही है...

सरिता- मैं उस औरत को तुम्हारी बाहों मे पहुचा सकती हूँ..जिस पर तुम्हारी नज़र बहुत दिनो से है....

सामने- किस की बात कर रही हो..

सरिता- ये अड्रेस नोट करो....अड्रेस है...*************....कल यहाँ आ जाना...सब पता चल जाएगा...

सामने- ऐसे कैसे...पहले ये तो बताओ कि किस औरत की बात कर रही हो....

सरिता- सब बाते वहाँ आने के बाद...आमने-सामने...

सामने- पर मुझे नाम तो बता दो उस औरत का...पता तो चले कि तुम सही हो या ग़लत....बस फिर मैं मिलने भी आ जाउन्गा...

सरिता- तुम आओगे...मैं जानती हूँ...क्योकि उस औरत का नाम है सरिता...

इससे पहले की कुछ और बात हो पाती...सरिता ने कॉल कट कर दी और उस इंसान से मिलने का वेट करने लगी....

सरिता(अपने आप से)- अब आएगा मज़ा...हाहाहा......

दूसरे दिन सुबह.....

स्कूल के टाइम पर आरती अपनी यूनिफॉर्म पहन कर नाश्ता करने आई...उसे देखते ही रुक्मणी और आज़ाद खुश हो गये...

आज़ाद- साबाश मेरी बच्ची...मुझे खुशी हुई कि तूने स्कूल जाना शुरू कर दिया...

रुक्मणी - हाँ बेटा...आजा..जल्दी से नाश्ता कर ले..और अपने छोटे भाई के साथ स्कूल जा..

अरविंद- नही पापा...मैं मेरे फ्रेंड्स के साथ जाउन्गा...

आरती- हाँ पापा..मैं भी मेरी सहेली के साथ जा रही हूँ.....

रुक्मणी- ठीक है...तुम अपने-अपने फ्रेंड्स के साथ जाना...पहले नाश्ता तो कर लो...

फिर आरती भी नाश्ता करने बैठ गई और सब नाश्ता करने लगे....

आज़ाद- वैसे आरती बेटा...ये तुम्हारी सहेली कौन है...

आरती- पापा ..वो रिचा...जिसके पापा मास्टर है...वो...

आज़ाद- क्या..??..वो चंद्रभान की बेटी..रिचा...

आरती- हाँ पापा ..आप जानते हो क्या रिचा को..??

आज़ाद- न..नही तो...उसके माँ-बाप को जानता हूँ...

आरती- वो आ रही है...तब मिल लेना..

आज़ाद- ह्म्म...

नाश्ता करने के बाद अरविंद अपने फ्रेंड के साथ निकल गया और थोड़ी देर मे ही रिचा भी आ गई...

रिचा की आगे तो आकाश के बराबर थी पर उसने पढ़ाई देर से शुरू की थी..जिस वजह से वो आरती की क्लास मे थी....

रिचा की बॉडी पूरी भरी हुई थी...भरे हुए बूब्स...कसी हुई गान्ड..और खूबसूरत चेहरा भी....

उसे देख कर तो कई घायल थे..पर रिचा अपनी जवानी के मज़े सिर्फ़ एक को देती थी...

रिचा- नमस्ते अंकल..नमस्ते आंटी...

रुक्मणी- नमस्ते बेटा...आओ-आओ..बैठो...

रिचा- नही आंटी...अभी देर हो रही है...फिर कभी...

रुक्मणी- ओके बेटा...तो अभी तुम लोग स्कूल जाओ...

रिचा और आरती स्कूल जाने लगी...तभी रिचा रुकी और आज़ाद से बोली...

रिचा- वैसे अंकल...अगर आपको टाइम हो तो थोड़ा घर हो आयगे....माँ ने बोला था उन्हे कुछ काम है आपसे...

आज़ाज़(खाँसते हुए)-हू...हू..क्यो नही...मिल आउगा...

और रिचा मुस्कुराते हुए आरती के साथ स्कूल निकल गई...

(यहाँ मैं आपको बता दूं...कि रिचा की मां... आश्रम चलाती है...जहाँ ग़रीबों के और अनाथ बच्चो को रहने-खाने का इंतज़ाम है......

ये आश्रम आज़ाद ने खोला था और फिर रिचा की माँ को उसे संभालने को रख दिया था...रिचा के पापा मास्टर है और आज़ाद को बहुत मानते है...इसी लिए आज़ाद ने रिचा की माँ को ये आश्रम चलाने को दे रखा था...)

रिचा और आरती के स्कूल जाने के बाद आज़ाद ने तय किया कि वो दोपहर को रिचा की माँ से मिलेगा...और फिर वो अपनी फॅक्टरी की तरफ निकल गया.......


स्कूल मे आरती को देख कर आमिर की खुशी का ठिकाना नही रहा...पर अभी वो क्लास मे थी इसलिए चुप रहा....आरती ने आमिर को देखा और स्माइल करके अपनी फ्रेंड्स के साथ बैठ गई ...

लंच टाइम मे आमिर , आरती के पास आ गया.. 

आमिर- हँ..हूँ...कोई बड़ा खुश दिख रहा है....

आरती- अच्छा जी...और कोई तो और भी ज़्यादा खुश दिख रहा है...

फिर दोनो ने एक- दूसरे की आँखो मे देखा और साथ मे हँसने लगे....

आमिर- सच मे...तुम्हे वापिस ऐसे देख कर ख़ुसी हुई...

आरती- ह्म्म..थॅंक यू

आमिर- थॅंक्स ..किस लिए...

आरती- तुम जानते हो...आज मैं यहाँ हूँ तो सिर्फ़ तुम्हारी वजह से....

आमिर- थॅंक्स मत बोलो यार...मुझे तो कभी मत बोलना...

आरती- अच्छा .. वो क्यो...??

आमिर- वो...वो ..इसलिए कि तू मेरी फ्रेंड है और तेरी खुशी ही मेरे लिए सबकुछ है ..

आरती(आमिर के गाल खीच कर)- ओह हो..मेरा प्यारा दोस्त..चल अब क्लास मे आ जा..

आरती चली गई और आमिर अपने गाल को प्यार से सहलाने लगा....और थोड़ी देर बाद क्लास मे आ गया.....

------------------------------------------------------------------------

वहाँ दूसरी तरफ गाओं के आउटर मे एक फार्महाउस पर सरिता किसी का वेट कर रही थी....

काफ़ी देर बाद वहाँ एक बाइक रुकी और एक लड़का फार्म हाउस के अंदर आ गया...

अंदर आते ही वो सरिता को सामने देख कर चौंक गया...

सरिता- चौंको मत...अंदर आओ धर्मेश....

धर्मेश- आप...आपने मुझे कॉल किया था...??

सरिता- हाँ...मैने ही बुलाया है तुम्हे...

धर्मेश- पर क्यो...??

सरिता- क्यो...ये तुम नही जानते क्या...भूल गये मैने क्या कहा था फ़ोन पर...

धर्मेश- हाँ..पर...क्यो..??

सरिता- क्योकि मैं जानती हूँ कि तुम बहुत टाइम से मुझे चाहते हो...

धर्मेश- वो..ऐसा...कुछ नही है...

सरिता- अब ड्रामा बंद करो...मैं सब जानती हूँ...तुम्हारे मन की बात..

धर्मेश- मेरे मन की बात..क्या..??

सरिता(धर्मेश के पास जाकर)- यही कि तुम मुझे चोदने की इक्षा रखते हो...

धर्मेश- ये आप क्या कह रही है...ये मैने कब कहा...

सरिता- ह्म्म..तुमने कहा तो नही..पर तुम्हारी आँखे बहुत कुछ कहती है....

सरिता, धर्मेश की आँखो मे देख रही थी...धर्मेश तो सरिता को कब्से चोदना चाहता था...पर सरिता के मुँह से सुनकर डर गया था...

धर्मेश- मैं..मैं चलता हूँ...

धर्मेश जाने के लिए मुड़ा कि सरिता ने फिर से कहा...

सरिता- सोच लो...ऐसा मौका फिर नही मिलेगा...

धर्मेश कुछ देर खड़ा हुआ सोचता रहा और फिर पलट कर बोला....

धर्मेश- क्या चाहती हो आप...

सरिता- अपने आपको तुम्हारे हवाले करना...चाहे तो मुझे अपनी रखेल बना लो...

धर्मेश- ह्म्म..पर क्यो...क्या वजह है...जो इतनी मेहरवाँ हो मुझ पर...???

सरिता- वजह ये है कि मुझे तुम्हारी ज़रूरत है...

धर्मेश- वो मैं समझ गया...पर किस लिए ज़रूरत है...

सरिता- बताती हूँ...पर याद रखना..कि एक बार मुझे हाँ कहा तो पीछे नही हट पाओगे...वरना..

धर्मेश(बीच मे)- पहले काम बताओ..फिर मैं बोलुगा..

सरिता- काम तो होता रहेगा...पहले आग तो बुझा ले...

और सरिता ने अपना पल्लू गिरा दिया...सरिता के स्लीबलेस ब्लाउस मे कसे बूब्स धर्मेश के सामने आ गये और धर्मेश का लंड फड़कने लगा....

सरिता जानती थी कि धर्मेश को मनाने के लिए पहले उसे अपना बनाना होगा..इसलिए वो पहले चुदाई करवा कर धर्मेश को अपना बनाना चाहती थी...ताकि आगे का काम करवाने मे आसानी हो...

सरिता के बूब्स को देख कर धर्मेश उसके पास आया और उसके बूब्स को मसल दिया...

धर्मेश- सही कहा...पहले आग तो भुझा ही ले..

सरिता- ह्म्म..आओ अंदर चलके एक-दूसरे को ठंडा करते है...

फिर सरिता, धर्मेश के साथ अंदर के रूम मे चली गई....
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