Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-06-2017, 11:23 AM,
RE: चूतो का समुंदर
वहाँ आज़ाद ने फॅक्टरी पहुच कर अपने आदमियों से फॅक्टरी के कामो का जायज़ा लिया और सबको इंटरेक्चर दे दिया कि फॅक्टरी को जल्दी से जल्दी बढ़ाना है...और इसके लिए सामने और मशीनो का ऑर्डर भिजवा दो....

फिर आज़ाद अपने कॅबिन मे बैठा हुआ कुछ हिसाब-किताब देख रहा था कि तभी उससे मिलने के लिए दामोदर नाम का आदमी आ गया.....

दामोदर- नमस्ते मल्होत्रा सर..

आज़ाद(अपनी फाइल से आँखे उठा कर)- आइए दामु भाई..आइए...

दामोदर- ह्म्म..और बताइए कैसे है आप...(दामोदर ने चेयर पर बैठते हुए कहा...)

आज़ाद- हम तो ठीक है...आप बताए कैसा चल रहा है आपका बिज़्नेस...

आज़ाद की बात सुन कर दामोदर के माथे पर परेशानी की लकीरे आ गई और वो अपने हाथ को आपस मे मसल्ते हुए नीचे देखने लगे....

आज़ाद- क्या हुआ दामु भाई...सब ठीक है ना...आप परेसान क्यो दिख रहे है...

दामोदर- क्या बताऊ ..मल्होत्रा जी...किस्मत ने ऐसा खेल खेला है कि सब चौपट हो गया....

दामोदर अपनी बात बोलकर फिर ने सिर हिलाते हुए नीचे देखने लगा....

आज़ाद- क्या...इसका मतलब...आपका बिज़्नेस...???

दामोदर- जी मल्होत्रा जी...सब मिट गया...पूरा बिज़्नेस...पूरा पैसा...सब डूब गया...

आज़ाद- इसका मतलब...आप मेरा पैसा नही दे पायगे...

दामोदर- यही बताने मैं आया था मल्होत्रा जी...मुझे कुछ और टाइम चाहिए....

आज़ाद- देखिए दामु भाई...मुझे आपसे हम दर्दि है...पर मैं भी कुछ नही कर सकता....आपने पिछले 2 सालो से मुझे 1 पैसा वापिस नही दिया...और यहाँ तक की ब्याज भी नही दिया....

दामोदर- आप तो जानते है कि पिछले 2 साल मे मैने 3 बार नया बिज़्नेस स्टार्ट किया और सब मे मुझे लॉस ही हुआ है तो...

आज़ाद(बीच मे थोड़ा कड़क हो कर बोला)- देखो दामु...अब मैं कुछ नही कर सकता....मैने कहा था ना कि ये लास्ट चान्स है...और अब तुम्हारी सारी प्रॉपर्टी मेरी है...जैसा कि कांट्रॅक्ट मे लिखा हुआ है...समझे...

दामोदर- मैं जानता हूँ कि कांट्रॅक्ट मे क्या लिखा है पर प्लीज़ मुझे कुछ टाइम दे दीजिए...बस आख़िरी बार...


आज़ाद- देखो दामु...मेरा भी बिज़्नेस है...और मुझे भी आगे पैसा देना है...तो अब मैं कुछ नही कर सकता...तुम्हारी प्रॉपर्टी मेरी...सिर्फ़ 1 हफ़्ता देता हूँ...सब छोड़ने के लिए....

दामोदर(हाथ जोड़ कर)- प्लीज़ मल्होत्रा जी...ऐसा मत कीजिए...थोड़ा टाइम दे दीजिए...प्ल्ज़्ज़..

आज़ाद- हाथ मैं जोड़ता हूँ दामु...अब बस...1 हफ्ते मे अपना घर और बाकी प्रॉपर्टी छोड़ दो...और अब जा सकते हो...बाइ...

दामोदर चेयर से उठा और एक बार फिर से आज़ाद को देखा..पर आज़ाद ने जाने के लिए बोल दिया....

दामोदर अपना मुँह लटका कर कॅबिन से बाहर निकल गया......

दामोदर के जाने के बाद आज़ाद दुखी भी था और खुश भी...दुख इस बात का था कि वो दामोदर के लिए कुछ नही कर सकता था...क्योकि उसको भी आगे पैसे देने थे...

और खुशी इस बात की थी कि अब दामोदर की फॅक्टरी के साथ-साथ उसका घर और सारी प्रॉपर्टी अब उसकी हो गई थी....

आज़ाद फिर से फाइल्स मे बिज़ी हो गया.....


थोड़ी देर बाद एक औरत आज़ाद से मिलने आई...

औरत- मैं अंदर आ सकती हूँ सर...

आज़ाद(बिना देखे)- यस..आ जाइए...

औरत- नमस्ते मल्होत्रा जी...मेरा नाम कमला है...

आज़ाद(औरत को देख कर)- ह्म्म...कमला ..

आज़ाद आगे कुछ बोलता उससे पहले ही वो कमला को देख कर खो गया...

कमला की गदराई बॉडी को देख कर ही आज़ाद की नियत फिसलने लगी थी...

अओरत- मल्होत्रा जी....

आज़ाद- हाँ ..सॉरी....हाँ जी कहिए...मैं क्या कर सकता हूँ आपके लिए...??

अओरत- मैं दामोदर की पत्नी हूँ...और..

आज़ाद(बीच मे)- अरे..आप...आइए बैठिए तो सही...सॉरी मैने पहचाना नही...

फिर कमला चेयर पर बैठ गई...

आज़ाद - हाँ तो कहिए..क्या लेगी आप..चाइ या ठंडा...

कमला- जी कुछ नही...मुझे आपसे कुछ बात करनी है...

आज़ाद- देखिए भाभी जी...मैने दामु को पहले ही बोल दिया था कि अब मैं उसकी हेल्प नही कर सकता...फिर भी...

कमला- आप मेरी बात तो सुन लीजिए...शायद आप समझ जाए...इसमे फ़ायदा आपका ही है...

आज़ाद(अपने चश्मे को निकाल कर)-हम्म...तो बोलिए...जब तक मैं चाइ मगवाता हूँ...

फिर आज़ाद ने चाइ का ऑर्डर किया और कमला से बात करने लगा...थोड़ी देर बाद चाइ आई और चाइ पीने के बाद कमला जाने लगी...

कमला- तो फिर बताइए...

आज़ाद- ह्म्म..जल्दी बताउन्गा...

कमला(स्माइल कर के) - मैं इंतज़ार करूगी...बाइ..

आज़ाद- बाइ...

और आज़ाद फिर से अपने काम मे लग गया...

थोड़ी देर बाद काम निपटा कर आज़ाद आश्रम मे आ गया जो था तो आज़ाद का पर उसे संभालने के लिए उसने रिचा की माँ को रखा हुआ था....

(यहा रिचा की माँ के बारे मे बता दूं...

रिचा की माँ का नाम राखी था...वो एक कसे हुए बदन की मालकिन थी...दिखने मे तो कमाल थी पर इन्हे पैसे की भूख थी...

रखी सहर मे पली-बड़ी थी पर उसकी शादी गाओं मे हो गई....इसलिए वो हमेशा सहर की लाइफ स्टाइल को मिस करती थी और वैसे ही जीना चाहती थी...पर इसके लिए उसके पास पैसे नही थे...

इनके पति टीचर थे..पर इन्हे और पैसे चाहिए थे..इसी लिए इन्होने गाओं के रहीस इंसान मतलब आज़ाद को फसाया और आश्रम की ज़िम्मेदारी ले ली...

लेकिन आज़ाद से मिलने के बाद इन्हे आज़ाद के लंड की आदत पड़ गई थी..और डेली ही ये आज़ाद का बिस्तेर गरम करने लगी...बदले मे इन्हे पैसा भी मिला और नाम भी...

और हाँ...गाओं मे साड़ी पहनने वाली औरतों से हट कर राखी सहर की औरतों की तरह वेस्टर्न ड्रेस भी पहनती है.....)

आश्रम पहुच कर आज़ाद राखी के कॅबिन मे चला गया...राखी इस समय अपने असिस्टेंट के साथ कुछ डिस्कस कर रही थी...

आज़ाद को देख कर ही राखी के चेहरे पर स्माइल आ गई और उसने अपने असिस्टेंट को बाद मे आने को बोला...

जैसे ही असिस्टेंट कॅबिन से बाहर गया तो राखी ने उठ कर गेट लॉक कर दिया और बोली...

रखी- अरे आप यहाँ ..मुझे बुला लिया होता...अपने खास रूम मे...

रखी , आज़ाद के पास जाकर उसका हाथ सहलाने लगी...

आज़ाद- क्या करूँ...आज किसी को देख कर मेरा लंड ज़्यादा ही फुदक रहा है...इसलिए शांत करने आ गया...

रखी- कौन है वो...आप हुकुम तो करो...उसे आपके नीचे डलवा दुगी...

आकाश- वो मैं देख लूँगा...अभी तू इसे ठंडा कर...

आज़ाद ने अपने लंड की तरफ इशारा किया और राखी तो जैसे इंतज़ार मे ही थी...उसने लंड को पेंट के उपेर से ही हाथ मे ले कर मसलना शुरू कर दिया....

आज़ाद तो पहले से ही दामोदर की बीवी को देख कर गरम हो गया था...

आज़ाद ने जल्दी से राखी के होंठो को अपने होंठो मे कस लिया और अपने हाथ राखी की कमर मे डाल दिए...

दोनो एक- दूसरे के होंठ चूस्ते हुए गरम होने लगे...और होंठ चूस्ते हुए आज़ाद राखी को ले कर चेयर पर बैठ गया और फिर उसके बूब्स को दवाने लगा...

थोड़ी देर बाद आज़ाद ने राखी के होंठ छोड़े और उसे सामने खड़ा कर दिया...

फिर उसने राखी के बूब्स को बाहर निकाला और बारी-बारी निप्पल को होंठो मे दवाकर चूसने लगा...

राखी- आहह...स्शहीए...आहह..

आज़ाद निप्पल को बार-बात होंठो मे दबाता और खीच कर छोड़ देता और फिर से चूसने लगता...फिर दूसरे निप्पल के साथ भी ऐसा ही करता...

राखी आज़ाद की हरकतों का मज़ा लेती हुई सिसक रही थी....

आज़ाद ने फिर जल्दी से राखी के बूब्स को मुँह मे भर कर चूसना शुरू कर दिया....

वो कभी बूब्स को चूस्ता...कभी मसलता और बीच-बीच मे काट भी लेता था...

रखी- उउंम..हाँ...ऐसे ही .ओह्ह..आहब...आहह..नही...कतो मत...ओह्ह..माँ...

ऐसी ही सिसकारियों से रूम का महॉल गरम हो रहा था...

थोड़ी देर बाद आज़ाद ने बूब्स से खेलना बंद किया और खड़े होकर अपने लंड की तरफ इशारा किया...

राखी तुरंत ही घुटनो पर बैठ गई और लंड को बाहर निकाल के चाटने लगी...

थोड़ी देर चाटने के बाद राखी ने सुपाडा मुँह मे भर लिया....

आज़ाद- ओह्ह..हाअ..अब चूस डाल...ज्ज़ोर से...

राखी ने पहले लंड के सुपाडे को चूसा और फिर आधा लंड मुँह मे भर कर मुँह आगे पीछे करने लगी..

आज़ाद- ओह्ह..यह...और तेजज..हाँ..और तेज...

राखी- सस्ररूउगग़गग...सस्स्ररूउग़गग...उउंम..उउंम..

आज़ाद- हा ऐसे ही...अंदर ले...और तेजज्ज़..आहह...

राखी- सस्ररुउपप...सस्रररुउपप..उउंम..उउंम..उउंम..

राखी ने पूरी मस्ती मे लंड को चूस कर खड़ा कर दिया और फिर अपने कपड़े निकालने लगी...

राखी की ब्रा तो पहले ही उसके बूब्स के नीचे फसि थी...तो रखी ने ब्रा छोड़ कर बाकी के कपड़े निकाले और खड़ी हो गई...

आज़ाद ने जल्दी से राखी को टेबल पर बिठाया और उसकी टांगे खोल दी...

टांगे खुलते ही राखी की चूत भी खुल के सामने आ गई...और जिसे देख कर आज़ाद गरम हो गया...और उसने अपने होंठ राखी की खुली चूत पर रख दिए....

राखी- आअहह...ठंडक मिल गई...उउंम..

आज़ाद- सस्स्ररुउउप्प्प...सस्स्र्र्ररुउउप्प...आआहह...सस्स्स्रर्र्ररुउउप्प्प...सस्स्रररुउउप्प्प्प...

राखी- ओह...ओह...आआी...उउंम..आअहह ....

आज़ाद पूरी जीभ फिराते हुए राखी की चूत चाटने लगा....

कभी चूत का दाना होंठो मे फसा लेता तो कभी जीभ को नुकीला करके चूत में डाल देता...

राखी- उम्म्म...जान ले ली...आअहह...आहह...आओउककच्छ..ओह .ओह..

आज़ाद ने चूत को मुँह मे भर कर चूसना शुरू कर दिया...

आज़ाद- उम्म..उउंम..उम्म्म्ममम...उउम्म्म्मम...

राखी- ओह्ह..माँ..आ...आहह...ऊहह...आआईयइ...ऊहह...ऊहह....

ऐसे ही सिसकते हुए राखी अपनी गान्ड को उछालने लगी....आज़ाद समझ गया कि अब चूत लंड माग रही है...और आज़ाद ने राखी को खड़ा किया और टेबल पर झुका कर उसकी चूत पर लंड सेट किया...

आज़ाद ने एक धक्के मे आधे से ज़्यादा लंड चूत मे डाल दिया....

रखी- आओउक्च्छ...आअहह...पूरा डाल दो...ओह..

आज़ाद ने दूसरा धक्का मारा और लंड चूत की गहराई मे घुस गया...

फिर आज़ाद ने राखी की कमर को पकड़ा और धक्के मारना शुरू कर दिया.....

राखी- ओह..ओह..आअहह..ज़ोर से...उफ़फ्फ़...ज़ोर से...

आज़ाद- यहह...यहह..ये ले साली...और ले...

राखी- आअहह...डाल दो...ज़ोर से...आअहह...आअहह..

आज़ाद- एस्स...ये ले...यह..यह..यह..

राखी- श..एस..आहह..आहह..आहह..

आज़ाद पूरे जोश मे तेज़ी से राखी को चोदने लगा और तेज धक्के खा कर थोड़ी देर बाद राखी झड़ने लगी....

रखी- एस्स..एस्स..आहह..ऊहह..ओह्ह..मैं..गैइइ..आहह..म्मा..एस..एस्स. एस्स..

रखी के झड़ने के साथ ही चुदाई की आवाज़े बढ़ने लगी...

आहह..आहह..उफ्फ..एस्स..येस्स.एेशह..फ्फूक्छ..फ्फकक्च्छ..ऊओह...म्मा...एस्स..जज़ूर से...एस्स..तेजज...यह..यीह..आअहह..

ऐसी ही आवाज़ो के साथ राखी झाड़ गई और टेबल पर झुक गई...आज़ाद थोड़ी देर तक राखी को चोदता रहा और फिर उसने लंड बाहर निकाल लिया...

फिर आज़ाद ने राखी को उठाया और सोफे पर ले आया और खुद टिक कर बैठ गया...

राखी समझ गई और तुरंत लंड को चूत मे ले कर आज़ाद के उपर बैठ गई और उछलना शुरू कर दिया...

आज़ाद- एस्स...ज़ोर से उछल साली...ज़ोर से...

राखी- ह्म्म्मड..ओह्ह..एस्स..एस्स..एस्स..ओह्ह्ह..एस्स..

आज़ाद- पूरा ले...अंदर तक...जंप...तेजज..तेजज....और्र..तेजज..

रखी- ओह..ओह्ह.ओह..येस्स्स्स...आहह..एस्स..एस्स...एसस्स...

रखी पूरी स्पीड मे उछल-उछल कर लंड ले रही थी और उसकी मोटी गान्ड आज़ाद की जाघो पर थप दे रही थी...

आआहह...आहह..एसज़..एस्स...ओहब..ठगाप..ताप...यह...जंप...एस्स..ज़ोर..से...तेज..यीह..एसस्स..ईीस्स...ताप्प..ताप...ऊहब..म्मा.. .एस्स..आहह..आहह

ऐसी ही आवाज़ो के साथ राखी 10 मिनट चुदाई करवाती रही और फिर से झड़ने लगी...

राखी- ओह्ह म्माआ...आऐईइ...ऊहह..श..एस्स..आअहह....


राखी के झाड़ते ही वो लंड चूत मे लिए बैठ गई...

आज़ाद ने राखी को नीचे बैठा दिया और खुद खड़ा हो गया...

राखी ने तुरंत ही आज़ाद के लंड को मुँह मे भर कर चूसना शुरू कर दिया..

राखी लंड को हिला-हिला का चूस रही थी...

रखी- उउंम..उउंम..उउंम..उउंम..

आज़ाद- ईीस्स...मैं आने वाला हूँ.. .ज़ोर से...एसस्स..

थोड़ी देर की लंड चुसाइ के बाद आज़ाद झड़ने लगा...

आज़ाद- ओह्ह..मैं आया...पी जा..एस्स..ऊहह..ऊहह...

राखी ने आधा लंड रस पी लिया और बाकी का उसके सीने पर बह गया...और आज़ाद शांत हो गया....

थोड़ी देर बाद जब दोनो नॉर्मल हुए तो फ्रेश हो आए और कपड़े पहन कर बैठ गये...

राखी ने दोनो के लिए चाइ ऑर्डर कर दी और फिर बाते शुरू हो गई....

आज़ाद- तुम आज भी उतनी ही गरम हो जैसे पहली बार मे थी...

राखी- आपको मैं हमेशा ऐसी ही मिलूगी...जब भी मुझे अपनी बाहों मे लेगे...

आज़ाद- ह्म्म..चलो अच्छा है...वैसे तुम्हारे मास्टर जी(राखी के पति) कहाँ है...

राखी- और कहाँ..वही स्कूल और फिर घर..उन्हे दुनिया से कोई मतलब ही नही और ना मुझसे....

आज़ाद- अरे तुम्हारे लिए हम है ना...

रखी- ह्म्म..इसलिए तो मैं अब सिर्फ़ आपकी हूँ...

आज़ाद- और तुम्हारी बेटी..??

राखी- वो तो खुश है...

आज़ाद- ह्म्म..चलो अब मैं चलता हूँ...

राखी- ह्म्म..वैसे क्या मैं जान सकती हूँ कि आपको गरम करने वाली कौन मिल गई थी...

आज़ाद(मुस्कुरा कर)- बाद मे बताउन्गा ..चलता हूँ...

इसके बाद आज़ाद आश्रम से निकल गया....
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06-06-2017, 11:23 AM,
RE: चूतो का समुंदर
आरती भी स्कूल ख़त्म होने के बाद रिचा और आमिर के साथ घर की तरफ निकल आई...

आमिर- अब कैसा लग रहा है आरती...आज स्कूल मे मज़ा आया ना...

आरती- ह्म्म..बहुत मज़ा आया...थॅंक यू...

आमिर- फिर से...

आरती- ओह..सॉरी-सॉरी...

आमिर- सॉरी भी नही...

आरती- ओक..तो कुछ नही..अब खुश..

आमिर- ह्म्म..तुम खुश तो मैं भी खुश...

रिचा- क्या बात है..आरती की खुशी मे तुम खुश होने लगे...

आमिर(सकपका कर)- न्नहि..ऐसा कुछ नही है..समझी...

रिचा- ओह...हो...

आरती(बीच मे)- तू अब उसे परेसान करना छोड़ेगी...बेचारा देखो...डर गया ....

रिचा- सच मे ..हहहे...

आरती-हाँ ..देखो तो इसे...हहहे...

आरती और रिचा को हँसता हुआ देख कर आमिर चुप-चाप आगे बढ़ गया...

आमिर को जाता देख आरती को अपनी भूल का अहसास हुआ और भाग कर आमिर का हाथ पकड़ लिया...


आरती- रूको तो..मुझे छोड़ कर जा रहे हो...

आमिर(सिर हिला कर ना बोल दिया, पर पलटा नही)

आरती- गुस्सा हो मुझसे ..

आमिर ने फिर से सिर हिला कर ना बोला...

आरती- तो मेरी तरफ देखो...

आमिर पलटा और आरती की आँखो मे देखने लगा...

आरती- बुरा लगा...

आयेमिर- नही तो...

आरती- तो छोड़ कर क्यो जा रहे थे...

आमिर- मैं तुम्हे छोड़ कर जा ही नही सकता...जिस दिन तुम्हे ऐसा लगे तो समझ लेना कि मैं मर गया...

आरती ने तुरंत आमिर के मुँह पर हाथ रख दिया...

आरती(गुस्से मे)- मरे तुम्हारे दुश्मन...तुम मरने की बात मत करना...समझे...

आरती की बात आमिर के दिल को च्छू गई और वो आरती की आँखो मे देखता रहा...

थोड़ी देर तक आरती आमिर के मुँह पर हाथ रखे खड़ी रही...तब आमिर ने इशारे से उसे हाथ हटाने को कहा...

तब आरती को याद आया कि वो इस समय रास्ते मे खड़ी है...और जैसे ही उसे अहसास हुआ तो वो शर्म से पानी-पानी हो गई...उसने तुरंत हाथ हटा लिया और सिर झुका कर खड़ी हो गई...

आमिर- कोई बात नही...तुम्हारा सिर झुका हुआ अच्छा नही लगता...

आरती ने फिर से आमिर को देखा...तभी रिचा भी दोनो के पास आ गई...और रिचा ने आमिर को सॉरी बोला...

फिर तीनो साथ मे घर चले आए...

आगे जाकर रिचा और आरती अपने घर की तरफ निकल गई और आमिर अपने घर...

रिचा- यार आरती..एक बात पुछू...??

आरती- हाँ ..पूछ..

रिचा- तू आमिर को पसंद करती है...??

आरती- हाँ..वो मेरा दोस्त है..क्यो...

रिचा- दोस्त नही...मेरा मतलब..क्या तू उसे वैसे पसंद करती है...???

आरती- वैसे मतलब...??

रिचा- वैसे मतलब....मतलब तू उसे प्यार करती है...??

आरती- प्यार ....मतलब...नही-नही...वो मेरा सबसे अच्छा दोस्त है बस...

रिचा- ओके..तो तू प्यार किसे करती है फिर...

आरती- किसी को नही...

रिचा- अच्छा...प्यार नही करती तो शादी किससे करेगी...

आरती- जिसे मेरे आकाश भैया पसंद करेंगे..उससे...

रिचा- और मान ले कि तुझे प्यार हो गया तो..फिर किससे करेगी...

आरती- बोला ना...आकाश भैया जो कहेगे..मैं वही करूगी...

रिचा- अभी कह रही है...जब प्यार होगा ना तो तू आकाश भैया की सुनेगी भी नही...

आरती- ऐसा कभी नही होगा...

रिचा- चाहती तो मैं भी नही...पर ऐसा हो गया तो देख लेना...तू अपने प्यार का साथ देगी...

आरती- ऐसा नही हो सकता ..समझी..

रिचा- गुस्सा मत कर...चल तेरा घर आ गया...कल मिलते है बाइ...

रिचा चली गई और आरती की माइंड मे एक सवाल छोड़ गई...

आरती अपने माइंड मे सवाल लिए घर मे चली गई....

वहाँ आमिर अपने घर के बाहर खड़ा हुआ आरती के साथ हुई दिन भर की बातों को याद कर रहा था....

सब कुछ याद करने के बाद आमिर सोचने लगा की....ये प्यार है या सिर्फ़.....?????

और आमिर भी अपने माइंड मे सवाल लिए घर मे चला गया.....

जिस समय आकाश अपने कॉलेज मे था, आरती अपने स्कूल मे थी और आज़ाद अपनी एक रखेल यानी कि राखी को चोद रहा था....उसी समय सरिता, धर्मेश को आज़ाद की फॅमिली के खिलाफ उसे करने का प्लान शुरू कर चुकी थी...

और सरिता की शुरुआत ये थी कि वो धर्मेश को अपने हुश्न के जाल मे फसा कर अपना काम निकलवाए...

सरिता और धर्मेश एक फार्महाउस के अंदर शानदार रूम मे एक-दूसरे को किस कर रहे थे...

धर्मेश की नज़र तो सरिता पर बहुत डिनो से थी...और आज वो उसकी बाहों मे खुद चल कर आई तो धर्मेश पागल सा हो गया और सरिता को बेतहासा चूमने लगा...

सरिता को भी अपने प्लान के लिए धर्मेश की ज़रूरत थी..उपेर से उसे अपनी भूख मिटाने के लिए एक मर्द भी चाहिए था...इसी लिए सरिता भी गरम होकर धर्मेश को चूमे जा रही थी....

थोड़ी देर बाद दोनो अलग हो गये और साँसे लेने लगे....

सरिता- अब क्या किस कर के ही भूख मिटाओगे....??

धर्मेश- ह्म्म..पहले दिखाओ तो तुम्हारे पास क्या है और कैसा है...

सरिता- ह्म्म..अभी दिखाती हूँ...

ये कह कर सरिता नंगी हो गई और झुक कर धर्मेश के सामने अपनी गान्ड दिखा दी...

धर्मेश- वाउ...मस्त है...इसे तो फाड़ के रख दूँगा...

फिर सरिता पलट गई और अपने बूब्स अपने ही हाथो से दबाते हुए धमेश को ललचाने लगी....

सरिता- उउंम..कैसे लगे....

धर्मेश- मस्त..इन्हे निचोड़ने मे मज़ा आएगा...

फिर सरिता सोफे पर बैठ गई और अपने हाथो से अपनी चूत खोल कर दिखाने लगी..

सरिता- आहह...ये कैसी है...
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06-06-2017, 11:24 AM,
RE: चूतो का समुंदर
आरती भी स्कूल ख़त्म होने के बाद रिचा और आमिर के साथ घर की तरफ निकल आई...

आमिर- अब कैसा लग रहा है आरती...आज स्कूल मे मज़ा आया ना...

आरती- ह्म्म..बहुत मज़ा आया...थॅंक यू...

आमिर- फिर से...

आरती- ओह..सॉरी-सॉरी...

आमिर- सॉरी भी नही...

आरती- ओक..तो कुछ नही..अब खुश..

आमिर- ह्म्म..तुम खुश तो मैं भी खुश...

रिचा- क्या बात है..आरती की खुशी मे तुम खुश होने लगे...

आमिर(सकपका कर)- न्नहि..ऐसा कुछ नही है..समझी...

रिचा- ओह...हो...

आरती(बीच मे)- तू अब उसे परेसान करना छोड़ेगी...बेचारा देखो...डर गया ....

रिचा- सच मे ..हहहे...

आरती-हाँ ..देखो तो इसे...हहहे...

आरती और रिचा को हँसता हुआ देख कर आमिर चुप-चाप आगे बढ़ गया...

आमिर को जाता देख आरती को अपनी भूल का अहसास हुआ और भाग कर आमिर का हाथ पकड़ लिया...


आरती- रूको तो..मुझे छोड़ कर जा रहे हो...

आमिर(सिर हिला कर ना बोल दिया, पर पलटा नही)

आरती- गुस्सा हो मुझसे ..

आमिर ने फिर से सिर हिला कर ना बोला...

आरती- तो मेरी तरफ देखो...

आमिर पलटा और आरती की आँखो मे देखने लगा...

आरती- बुरा लगा...

आयेमिर- नही तो...

आरती- तो छोड़ कर क्यो जा रहे थे...

आमिर- मैं तुम्हे छोड़ कर जा ही नही सकता...जिस दिन तुम्हे ऐसा लगे तो समझ लेना कि मैं मर गया...

आरती ने तुरंत आमिर के मुँह पर हाथ रख दिया...

आरती(गुस्से मे)- मरे तुम्हारे दुश्मन...तुम मरने की बात मत करना...समझे...

आरती की बात आमिर के दिल को च्छू गई और वो आरती की आँखो मे देखता रहा...

थोड़ी देर तक आरती आमिर के मुँह पर हाथ रखे खड़ी रही...तब आमिर ने इशारे से उसे हाथ हटाने को कहा...

तब आरती को याद आया कि वो इस समय रास्ते मे खड़ी है...और जैसे ही उसे अहसास हुआ तो वो शर्म से पानी-पानी हो गई...उसने तुरंत हाथ हटा लिया और सिर झुका कर खड़ी हो गई...

आमिर- कोई बात नही...तुम्हारा सिर झुका हुआ अच्छा नही लगता...

आरती ने फिर से आमिर को देखा...तभी रिचा भी दोनो के पास आ गई...और रिचा ने आमिर को सॉरी बोला...

फिर तीनो साथ मे घर चले आए...

आगे जाकर रिचा और आरती अपने घर की तरफ निकल गई और आमिर अपने घर...

रिचा- यार आरती..एक बात पुछू...??

आरती- हाँ ..पूछ..

रिचा- तू आमिर को पसंद करती है...??

आरती- हाँ..वो मेरा दोस्त है..क्यो...

रिचा- दोस्त नही...मेरा मतलब..क्या तू उसे वैसे पसंद करती है...???

आरती- वैसे मतलब...??

रिचा- वैसे मतलब....मतलब तू उसे प्यार करती है...??

आरती- प्यार ....मतलब...नही-नही...वो मेरा सबसे अच्छा दोस्त है बस...

रिचा- ओके..तो तू प्यार किसे करती है फिर...

आरती- किसी को नही...

रिचा- अच्छा...प्यार नही करती तो शादी किससे करेगी...

आरती- जिसे मेरे आकाश भैया पसंद करेंगे..उससे...

रिचा- और मान ले कि तुझे प्यार हो गया तो..फिर किससे करेगी...

आरती- बोला ना...आकाश भैया जो कहेगे..मैं वही करूगी...

रिचा- अभी कह रही है...जब प्यार होगा ना तो तू आकाश भैया की सुनेगी भी नही...

आरती- ऐसा कभी नही होगा...

रिचा- चाहती तो मैं भी नही...पर ऐसा हो गया तो देख लेना...तू अपने प्यार का साथ देगी...

आरती- ऐसा नही हो सकता ..समझी..

रिचा- गुस्सा मत कर...चल तेरा घर आ गया...कल मिलते है बाइ...

रिचा चली गई और आरती की माइंड मे एक सवाल छोड़ गई...

आरती अपने माइंड मे सवाल लिए घर मे चली गई....

वहाँ आमिर अपने घर के बाहर खड़ा हुआ आरती के साथ हुई दिन भर की बातों को याद कर रहा था....

सब कुछ याद करने के बाद आमिर सोचने लगा की....ये प्यार है या सिर्फ़.....?????

और आमिर भी अपने माइंड मे सवाल लिए घर मे चला गया.....

जिस समय आकाश अपने कॉलेज मे था, आरती अपने स्कूल मे थी और आज़ाद अपनी एक रखेल यानी कि राखी को चोद रहा था....उसी समय सरिता, धर्मेश को आज़ाद की फॅमिली के खिलाफ उसे करने का प्लान शुरू कर चुकी थी...

और सरिता की शुरुआत ये थी कि वो धर्मेश को अपने हुश्न के जाल मे फसा कर अपना काम निकलवाए...

सरिता और धर्मेश एक फार्महाउस के अंदर शानदार रूम मे एक-दूसरे को किस कर रहे थे...

धर्मेश की नज़र तो सरिता पर बहुत डिनो से थी...और आज वो उसकी बाहों मे खुद चल कर आई तो धर्मेश पागल सा हो गया और सरिता को बेतहासा चूमने लगा...

सरिता को भी अपने प्लान के लिए धर्मेश की ज़रूरत थी..उपेर से उसे अपनी भूख मिटाने के लिए एक मर्द भी चाहिए था...इसी लिए सरिता भी गरम होकर धर्मेश को चूमे जा रही थी....

थोड़ी देर बाद दोनो अलग हो गये और साँसे लेने लगे....

सरिता- अब क्या किस कर के ही भूख मिटाओगे....??

धर्मेश- ह्म्म..पहले दिखाओ तो तुम्हारे पास क्या है और कैसा है...

सरिता- ह्म्म..अभी दिखाती हूँ...

ये कह कर सरिता नंगी हो गई और झुक कर धर्मेश के सामने अपनी गान्ड दिखा दी...

धर्मेश- वाउ...मस्त है...इसे तो फाड़ के रख दूँगा...

फिर सरिता पलट गई और अपने बूब्स अपने ही हाथो से दबाते हुए धमेश को ललचाने लगी....

सरिता- उउंम..कैसे लगे....

धर्मेश- मस्त..इन्हे निचोड़ने मे मज़ा आएगा...

फिर सरिता सोफे पर बैठ गई और अपने हाथो से अपनी चूत खोल कर दिखाने लगी..

सरिता- आहह...ये कैसी है...
Reply
06-06-2017, 11:24 AM,
RE: चूतो का समुंदर
सरिता रूम मे नंगी बैठी सोचने लगी...कि ये क्या हो गया...धर्मेश ने तो मना कर दिया...

अब क्या होगा...और अगर धर्मेश ने किसी को ये सब बता दिया तो मेरा क्या होगा....

इस बदले के लिए मैं रंडी की तरह धर्मेश से चुद गई और हाथ मे कुछ भी नही....

मुझे धर्मेश को मनाना होगा...कम से कम इस बात के लिए की वो किसी को कुछ ना कहे...

मैं भी आकाश को भूल जाउन्गी...हाँ, यही करना होगा...मुझे जल्द से जल्द धर्मेश से मिलना ही होगा...वरना...नही-नही...

सरिता अपनी सोच से बाहर आई और उसने धर्मेश को कॉल किए पर कोई रेस्पोन्स नही मिला....

फाइनली, सरिता कुछ और प्लान करके फार्म हाउस से निकल गई......

----------********--------********-----***---***---

आज की रात कई लोग अपनी-अपनी परेशानी मे उलझे हुए थे...

सरिता डर रही थी कि उसका प्लान तो फैल हुआ साथ ही साथ अब ये डर भी था कि कही धर्मेश आकाश को सब ना बता दे...

धर्मेश इस सोच मे डूबा था कि आख़िर क्यो सरिता , आकाश की फॅमिली का बुरा करना चाहती है..क्या वजह हो सकती है...

आज़ाद, रुक्मणी और आरती आकाश की यादो मे खोए हुए थे और सोच रहे थे कि आकाश कैसा होगा...

आमिर इसी कस्मकश मे था कि आरती की तरफ उसका बढ़ता लगाब कही प्यार तो नही है....

वहाँ सहर मे आकाश भी सोच मे डूबा हुआ था...एक तो वो अपनो से दूर था और साथ ही साथ उसने चुदाई से दूरी बना ली थी...

आकाश यही सोच रहा था कि उसने सही किया या ग़लत....???

सभी लोग अपनी सोच मे डूबे हुए सो गये..और रात का सन्नाटा छा गया...हर तरफ शांति छा गई...

पर ये शांति...कही किसी तूफान के आने के पहले की शांति तो नही.....?????????

रात के अंधेरे को सूरज की किरण चीर कर उजाला कर चुकी थी और पन्छियो के शोर ने रात की शांति ख़त्म कर दी थी......

सब लोग अपने- अपने काम पर लग गये...

आरती, रिचा के साथ स्कूल निकल गई....

रुक्मणी घर के कामो मे लग गई...और आज़ाद अपनी फॅक्टरी का काम देखने निकल गया...

( वैसे तो आज़ाद के पास बहुत प्रॉपर्टी थी और साथ मे उसने कई समाज कल्याण के काम भी किए थे...जैसे गाओं मे हॉस्पिटल, पूरे इलाक़े मे पानी की ब्यवस्था एट्सेटरा...

पर इस समय वो अपनी फॅक्टरी को आगे बढ़ाने मे लगा था...ताकि ज़्यादा लोगो का भला हो सके..)

इन सब के अलावा..सरिता भी जाग चुकी थी पर वो अभी भी कल की घटना के बारे मे सोच रही थी....

कि कैसे कल धर्मेश ने उसे रंडी की तरह चोदा और फिर उसका साथ देने की बात पर सॉफ मना कर के निकल गया...

और तो और ..वो धमकी भी दे गया कि अगर सरिता ने आकाश की फॅमिली के खिलाफ कुछ किया तो वो उसे सबके सामने नंगा कर देगा...

सरिता ने काफ़ी सोच समझ कर तय किया था कि आज वो धर्मेश से माफी माँगेगी और ऐसा दिखाएगी कि उससे भूल हुई...तो सयद धर्मेश उसे माफ़ कर दे...और ये बात यही ख़त्म हो जाए....

सरिता ने आज का प्रोग्राम तय किया और बेड से उठकर बाथरूम मे घुस गई...और रेडी हो कर धर्मेश के घर निकल गई....

वहाँ धर्मेश के घर धर्मेश और उसकी मौसी अभी भी अकेले थे....

सुबह उठ कर दोनो फ्रेश हुए और धर्मेश नीचे आ गया और मौसी नहाने चली गई...

धर्मेश किसी काम की वजह से मौसी के रूम मे गया और वहाँ उसकी मौसी टॉवेल मे उसके सामने आ गई...

फिर क्या था..धर्मेश ने टवल निकाल के फेका और खुद नंगा होकर मौसी को बेड पर पटक दिया और चुदाई स्टार्ट हो गई....

थोड़ी देर बाद...

धर्मेश अपनी मौसी की गान्ड मारे जा रहा था....

मौसी- आहह...साले...कितना चोदता है...रंडी बना देगा क्या...ओह्ह...

धर्मेश- क्या करू मौसी..तू चीज़ ही ऐसी है कि देख कर ही लंड खड़ा हो जाता है...


मौसी- ह्म्म..ये बता ..आहह...कि आकाश का क्या हुआ..

धर्मेश- बस उसे आने दो...और जब तक आप मोम को पटा लो....फिर मेरा काम हो गया समझो...यह..

मौसी- तेरी माँ तो मान जाएगी पर तेरी दीदी का क्या...आहह...

धर्मेश- वो भी रेडी है..बस आकाश मान जाए...

मौसी- ओह्ह..मैं आई..ईईइ..आहह..ज़ोर से मार..आहह..

धर्मेश- ये ले...मेरा भी हो गया...यह..यह..

दोनो झड गये और वैसे ही बेड पर लेटे रहे...धर्मेश का लंड अभी भी उसकी मौसी की गान्ड मे था...

मौसी- तू कितना कमीना है...अपनी मौसी को अपने दोस्त से चुदवा दिया और अब अपनी माँ और दीदी को भी चुदवाने वाला है...

धर्मेश- क्या करूँ मौसी.. दीदी ने सॉफ बोला है कि मैं उन्हे आकाश दूं तभी वो मुझसे चुदेगि...और वो माँ को भी पहले आकाश से चुदते हुए देखना चाहती है...फिर मेरा नंबर.....

मौसी- तो अब क्या प्लान है...आकाश तो गया...

धर्मेश- वोही तो...कुछ समझ नही आ रहा....कैसे मॉम और दीदी को आकाश से चुदवाऊ.....


तभी पीछे से.......

सरिता(तालियाँ बजा कर)- वाह..वाह...क्या बेटा है..क्या भाई है...वाहह..

सरिता की आवाज़ सुनकर धर्मेश और उसकी मौसी की सिट्टी-पिटी गुम हो गई...

धर्मेश का लंड उसकी मौसी की गान्ड से फुस्स हो कर बाहर निकल गया..और उसकी मौसी की बिना लंड के गान्ड फट गई...

धर्मेश ने तुरंत टवल उठाई और लपेट ली...और मौसी ने अपने आपको बेड शीट से ढक लिया....

( सरिता जब धर्मेश को समझाने उसके घर आई तो मैन गेट खुला हुआ था और हॉल खाली था...

सरिता आवाज़ देती...उसके पहले उसे रूम मे से आवाज़े सुनाई दी और वो रूम के गेट पर आ गई...

सरिता ने देखा की धर्मेश अपनी मौसी की गान्ड मार रहा है और उसने उन दोनो की बाते भी सुन ली....)

सरिता- अब छिपाने से क्या होगा...मैं सब देख चुकी हूँ...और सुन भी चुकी हूँ...

धर्मेश(हड़बड़ाहट मे)- त्त्त..तुम यहाँ...कैसे ..क्यो..आई..??

सरिता- मैं क्यो आई ये छोड़ो...ये बताओ कि तुम क्या कर रहे थे...ओह हाँ..अपनी मौसी की गान्ड मारते हुए अपनी माँ और दीदी को चुदवाने का प्लान बना रहे थे...है ना...हहहे...

धर्मेश- चुप रहो...और बताओ..तुम क्यो आई यहाँ...और अंदर कैसे...

सरिता- गेट खुला था समझे...और मैं तो बस मिलने आ गई...सोचा , शायद आज तुम्हारा मूड ठीक हो गया हो और तुम मेरी बात...

धर्मेश(बीच मे)- बस...मैने कहा था ना कि आकाश के खिलाफ कुछ मत सोचना...वरना मैं तुम्हे बर्बाद कर दूँगा...

सरिता- बर्बाद तो अब मैं तुम्हे करूगी...देखते जाओ...

धर्मेश - क्या कर लोगि...हाँ..

सरिता- तुम्हारे पापा को बताउन्गी की कैसे उनका बेटा स्कूल टाइम मे स्कूल ना जा कर अपनी मौसी को चोदता है और कैसे अपनी मौसी के साथ मिल कर अपनी सग़ी माँ और दीदी को अपने खास दोस्त से चुदवाने का प्लान बनता है...

धर्मेश- ओह..अच्छा...जा...जा कर बोल दे...चल जा...

धर्मेश की बात सुनकर सरिता को झटका लगा कि उसकी धमकी से धर्मेश ज़रा भी नही डरा...आख़िर क्यो..??

सरिता- तुझे डर नही...??

धर्मेश- कैसा डर ...देख...स्कूल तो मैं सिर्फ़ एग्ज़ॅम देने जाउन्गा..क्योकि मैं फैल हो गया था..तो क्लास मे मन नही लगता...ये बात मेरे पापा को पता है...समझी...

सरिता- मैं स्कूल की बात नही कर रही...

धर्मेश- ओह..तो तुम चुदाई की बात कर रही हो...है ना...

सरिता- हाँ...तेरे पापा को बताउन्गी कि तू अपनी माँ- दीदी के बारे मे क्या सोचता है...

धर्मेश- हाहहहाहा...जा..बोल देना...हाहाहा...

सरिता- इसमे हँसने वाली क्या बात है...

धर्मेश- बताता हूँ...देख..मेरी दीदी खुद चाहती है कि आकाश उन्हे चोदे..और वो माँ को भी आकाश से चुदवाना चाहती है...तो अब तू ही बता...मुझे डरना चाहिए कि नही...

सरिता- क्या...पर क्यो...??

धर्मेश- इससे तुझे क्या...और सुन ..बात रही मेरी मौसी की तो उसे तो तेरे सामने ही चोद देता हूँ...आ जाओ मौसी...मेरा लंड चूसो...इस रंडी से डरने की ज़रूरत नही...

धर्मेश के कहने पर उसकी मौसी भी रिलॅक्स हो गई और उठ कर धर्मेश का लंड मुँह मे भर लिया...

धर्मेश- आहह...अब बोल रंडी...और क्या कहना चाहती है...

धर्मेश की बाते सुनकर और सामने का नज़ारा देख कर सरिता समझ गई कि धरमर्श को डराना बेकार है..इसलिए उसने कुछ और सोच लिया और बोली...

सरिता- मैं यहाँ तुम्हे डराने नही बल्कि माफी मागने आई थी...

धर्मेश- किस लिए...

सरिता- देखो...आकाश से मेरी कोई दुश्मनी नही...मैं बस उसे पाना चाहती हूँ...

धर्मेश- क्या...कल तो तू कुछ और ही बोल रही थी...

सरिता- हाँ बोला था..और उसकी वजह भी है...

धर्मेश- तो बताओ फिर...

सरिता- तुम कुछ देर के लिए अपना प्रोग्राम रोको तो सब बताती हूँ...

धर्मेश ने मौसी को रोक दिया और फिर से टॉवल लपेट ली...
Reply
06-06-2017, 11:24 AM,
RE: चूतो का समुंदर
धर्मेश- ह्म्म..तो बैठो और बताओ...

सरिता- मैं सिर्फ़ आकाश को पाना चाहती थी...इसके लिए मैने कई बार उसे उकसाया भी पर बात नही बनी...फिर एक दिन मैने उसे अकेले मे पकड़ लिया पर उसने मुझे सॉफ मना कर दिया...

वो बोला कि मेरे लिए उसके मन मे कुछ नही...वो मुझे पसंद नही करता...और मुझे गालियाँ देकर निकल गया...

बस वही बात मुझे चुभ गई और मैं उससे और उसके परिवार से नफ़रत करने लगी...

और मैं चाहती थी कि तुम उसकी दीदी को पटा कर चोद दो तो मेरा बदला पूरा हो जाएगा...(झूठी कहानी)

धर्मेश- क्या...इतनी घटिया सोच...

सरिता- क्या करूँ...उसने मुझे रंडी, बाजारू और ना जाने क्या- क्या कहा...इसलिए मैं चाहती थी कि कोई उसके घर की लड़की को चोद दे...और फिर मैं उसे बताऊ..कि देख चूत की आग क्या होती है...

धर्मेश- तूने आकाश को पाने के लिए उसकी दीदी के बारे मे...थ्हु..तू जा यहाँ से...वरना...

सरिता- पर...पर कल मुझे समझ आ गया कि मैं ग़लत थी...जब तुमने मुझे रंडी कहा तो मुझे अहसास हुआ कि सच मे , जिस्म की भूख ने मुझे क्या बना दिया और इसलिए मैं माफी माँगने आई थी...पर...

धर्मेश- पर क्या..??

सरिता- पर अब सोच रही हूँ कि तुम्हारे ज़रिए मैं भी आकाश को हासिल कर लूँ...जैसे तुम अपनी माँ- बेहेन उससे चुदवाना चाहते हो...वैसे ही मैं उससे चुदना चाहती हूँ...

धर्मेश- अच्छा ..पर मैं कैसे मान लूँ कि तुम सही बोल रही हो...हो सकता है कि तुम कहानी बना रही हो...

सरिता- मैं झूठ क्यो बोलूँगी...तुम ही बताओ...क्या कमी है मेरे पास...पैसा , पॉवेर ..सब तो है...और फिर मेरे पति आकाश के पापा के खास दोस्त है...तो दुश्मनी कैसी...

धर्मेश- तुम्हारी बात मे दम तो है...वजह तो कोई नही दिखती...

सरिता- मैं सच बोल रही हूँ...मैं सिर्फ़ एक बार आकाश से रगड़ कर चुदवाना चाहती हूँ...बस...

धर्मेश- ह्म्म...तो अब क्या सोचा है...

सरिता- तुम मुझे आकाश दो...और मैं उसे तुम्हारी माँ- बेहन के लिए राज़ी करने मे हेल्प करूगी...

धर्मेश- ह्म्म..आइडिया तो अच्छा है...पर मेरा प्लान अलग है...पर..मैं तुम्हे आकाश की बाहों मे डाल सकता हूँ...

सरिता- प्लान कोई भी हो...मैं तैयार हूँ...

धर्मेश- ओके...पर वेट करना होगा...

सरिता- मैं पूरी जिंदगी वेट कर सकती हूँ उस पल के लिए...लेकिन...

धर्मेश - लेकिन क्या..??

सरिता- तुम उसे मेरी पहचान बताए बिना मेरे पास लाओगे...

धर्मेश- क्यो...??

सरिता- क्योकि मेरा नाम सुनते ही वो मना कर देगा...चाहे तो आज़मा लेना...वो मेरे पति की इज़्ज़त जो करता है..

धर्मेश- ओके...हो जाएगा...पर बदले मे मुझे क्या मिलेगा...

सरिता- जो तुम कहो...

धर्मेश- तो आओ फिर...अपने प्लान की शुरुआत तुम्हारी चूत मारकर करते है...

सरिता- ह्म्म..पर गेट बंद कर लो...वरना लाइन लग सकती है...हहहे...

फिर धर्मेश ने मेन गेट बंद किया और सरिता और अपनी मौसी के साथ चुदाई मे बिज़ी हो गया....

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वहाँ स्कूल के लंच टाइम मे आमिर ग्राउंड पर आरती का वेट कर रहा था...उसे पता था कि आरती लंच करने आयगी...

थोड़ी देर बाद आरती रिचा के साथ आती हुई दिखी....

आरती को अपनी तरफ आता देख कर आमिर की दिल की धड़कने तेज होने लगी...

आमिर को खुद समझ नही आ रहा था कि उसे क्या हो रहा है...

उसकी आँखे सिर्फ़ आरती को ढूँढती रहती है और जैसे ही वो सामने आती है तो वो उससे नज़रे भी नही मिला पाता...

आरती और रिचा खिलखिलाते हुए आमिर के पास आ गई...

आरती- तू यहाँ खड़ा है...बता नही सकता था...

आमिर- वो..क्यो...क्या हुआ...??

आरती- पहले बैठ तो सही...

तभी रिचा की एक सहेली ने उसे बुला लिया और आरती , आमिर के साथ बैठ गई और आरती ने टिफिन ओपन किया...

आमिर- बता तो सही क्या हुआ...

आरती(टिफिन दिखा कर)-ये हुआ...देख ...तेरे लिए लाई हूँ...अब समझा..

आमिर(खुश होकर)- गाजर का हलवा...वाहह...मज़ा आ गया...उम्म्म..

आमिर ने जल्दी से एक चम्मच हलवा खा लिया और आँखे बंद करके हलवे का टेस्ट लेने लगा...

आमिर- वाह...स्वादिष्ट...हमेशा की तरह...

आरती- कितने बेकार हो...

आमिर - क्यो..उम्म्म..(खाते हुए)

आरती- थॅंक्स भी नही बोला और अकेले-अकेले खाने लगे...

आमिर- थॅंक्स तो आंटी को बोल दूँगा..घर जा कर...और रही बात खाने की तो ले...तू भी खा ले...

आमिर ने एक चम्मच आरती की तरफ कर दी और आरती भी मुँह खोल दिया..

पर आमिर ने चम्मच घुमा कर अपने मुँह मे डाल दी...

आमिर- उम्म..वाह..

आरती(गुस्से से)- तू ना...अभी बताती हूँ...

और आरती ने टिफिन छीन लिया...पर आमिर ने आरती के हाथ पकड़ लिए और टिफिन मे मुँह डाल कर हलवा खा लिया..

आरती- अरे..जानवर...रुक जा...हहहे...

आमिर- क्या हुआ...

आरती- कुछ नही...ये तेरे मुँह पर...

आमिर ने मुँह सॉफ किया पर पूरा नही हुआ..तब आरती ने अपने हाथ से आमिर का मुँह सॉफ किया...

आरती का हाथ लगते ही आमिर के दिल मे गुदगुदी होने लगी...और वो आरती के हाथ के प्यारे अहसास मे खो गया और उसकी आँखे बंद हो गई...

आरती- अब सोयगा क्या...उठ जा बेटा...हलवा खा ले ..हहहे..

आमिर- हूँ..हाँ..ये ले...तुम भी खाओ...

आरती- अरे ये तेरे लिए है...खा लो..

आमिर- मैने खाया या तुमने ..क्या फ़र्क पड़ता है...

आरती- मतलब..

आमिर- वो..मतलब..वो...दोस्ती मे चलता है...है ना...

आरती- ह्म्म..चल फिर..अपने हाथो से खिला..

आरती की बात सुनकर आमिर खुशी से फूल गया...जैसे उसकी मन की मुराद पूरी हो गई हो...

आमिर बड़े प्यार से आरती को खिलाने लगा और खुद भी खाने लगा...

दोनो ये भूल गये कि वो खुले ग्राउंड पर बैठे है और कोई उन्हे देख रहा होगा...

जब हलवा ख़त्म हो गया तो आरती उठने लगी...

आमिर- रुक..तेरे होंठ के पास..वो...हलवा...

आरती- तो सॉफ कर दे ना...

आमिर- मैं..?

आरती- और नही तो क्या...मैने कैसे तेरा मुँह सॉफ किया था...अब तू भी कर दे....

आमिर- वो..मैं..हाँ..करता हूँ..

आमिर ने अपना हाथ बढ़ाया और आरती के होंठ के पास रख दिया...

इस समय आमिर के दिल मे घंटियाँ बज रही थी...

उसके हाथ आरती के गाल से होते हुए उसके होंठो पर पहुचे तो आमिर की धड़कन फिर से बढ़ गई ......

और आमिर ने आरती का मुँह सॉफ करके हाथ अलग कर लिया...

आरती- हो गया ...??

आमिर- ह्म..

आरती- अब मैं जाती हूँ...तू भी आ जा...

आमिर- ह्म्म..

आरती उठ कर चली गई और आमिर उसे जाता देख कर अपने ख़यालो मे खो गया...

आमिर ने अपने हाथ की उंगली को अपने होंठो से लगाया और किस कर लिया...ये वही उंगली थी जो आरती के होंठो पर घूम कर आई थी.....
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06-06-2017, 11:24 AM,
RE: चूतो का समुंदर
वहाँ सहर मे जिस घर मे आकाश किराए से रह रहा था..वो घर एक बड़े बिज़्नेसमॅन मिस्टर.जॉन का था...जिनके साथ आज़ाद के अच्छे संबंध थे....

उस घर मे उस बिज़्नेसमॅन की बीवी डेना और बेटी रोज़ी रहती थी...जॉन अक्सर बाहर ही रहते थे....बिज़्नेस के सिलसिले मे...


घर मे ही आकाश को जिम मिल गया था...जिससे उसे अपनी हेल्थ बनाने मे कोई दिक्कत नही होती थी...

आकाश सुबह-सुबह कसरत करता था और फिर कॉलेज जाता था...

सहर आ कर भी आकाश अपनी हेल्थ का पूरा ध्यान रखता था....

आज उसे कॉलेज नही जाना था...इसी लिए उसने दिल लगा कर कसरत की और फिर नहाने के लिए बाथरूम मे आ गया...

आकाश पूरा नंगा हुआ और नहाने लगा...(यहाँ उसे किसी का डर नही था इसलिए नंगा ही नहाता था...)

आकाश ने सहर आने के बाद चुदाई नही की थी इसलिए उसका लंड बार-बार खड़ा हो जाता था....

नहाते हुए भी उसका लंड खड़ा हो गया...

आकाश( मन मे)- ये फिर खड़ा हो गया...चलो आज तो कॉलेज जाना नही...तो मूठ ही मार लुगा...चूडया तो करने से रहा...

और यही सोच कर आकाश बॉडी पर साबुन लगाने लगा....

( आकाश की मकान मालकिन का नाम डेना है...

उन्हे मार्केट से कुछ समान मगवाना था...उनका नौकर किसी काम से गया हुआ था तो उन्होने मोहन से मार्केट जाने को कहा...

मोहब- ठीक है मेडम...हम आकाश सर को टॉवल और कपड़े दे आए..फिर चले जायगे...

डेना- एक काम करो...तुम जाओ...कपड़े मैं दे देती हू...

मोहन- आप..पर....

डेना- हाँ मैं...अब ये कपड़े दो और जाओ जल्दी...

मोहन- जैसा आप कहे...

मोहन ने कपड़े डेना को दिए और उसका समान लेने चला गया...

डेना भी कपड़े ले कर बाथरूम की तरफ चल दी...)

जब डेना बाथरूम के अंदर आई तो उन्हे आकाश की आवाज़े सुनाई देने लगी...जो शवर के सेक्षन मे खड़ा हुआ था....

आकाश- उम्म..एस्स..आहह...कितने दिन हो गये...

आकाश अपनी मस्ती मे लंड को हाथ मे लिए बड़बड़ा रहा था...

आकाश- उउंम..कितने माल है यहाँ...और मैं बिना चुदाई के...ओह्ह..

दिल तो करता है कि पकड़ के फाड़ दूं...पर...आहह...

आकाश मूठ मारने मे इतना बिज़ी था जी उसे पता ही नही चला कि कब उसकी मकान मालकिन बाथरूम मे आ गई...

डेना एक खुले बिचारों वाली औरत थी और उसे भी रहीसो वाले शौक थे(मॉस्टाली रहीसो को जो शौक होते है...समझ गये ना)

आकाश की आवाज़े सुन कर डेना का मन मचलने लगा....आख़िर वो थी ही एक चुड़दकड़ औरत...

आकाश अपनी मूठ मारने मे बिज़ी था और डेना कुछ सोच कर उसके पीछे पहुच गई...

आकाश किसी आंटी के नाम की मूठ मार रहा था....

डेना को लगा कि आकाश उसके नाम की मूठ मार रहा है...क्योकि आकाश डेना को भी आंटी ही कहता था...

यही सोच कर डेना गरम होने लगी...और उसने चुपके से आकाश का लंड देखने को सिर आगे किया...

डेना(मन मे)- ओह माइ गॉड...ये तो मस्त है...अब तो मज़ा आएगा...

आकाश- ओह..आंटी..और तेजज..गले मे भर के चूसो...ओह्ह..एस्स...आंटी..एस...तेजज और तेजज...आअहह..

डेना, आकाश की आवाज़े सुनकर गरम हो ही गई थी और जैसे ही उसने आकाश का तना हुआ लंड देखा तो वो इतनी गरम हो गई कि उसने अपना स्कर्ट उपेर करके अपने हाथ से अपनी चूत रगड़ना शुरू कर दी.......

आकाश- ओह..यस..आंटी...टांगे खोलो...आहह..ये गया...पूरा गया...आंटी...अब देखो..ये लो..और लो..अशह..

थोड़ी देर तक डेना अपनी चूत रगड़ती रही और फिर धीरे- धीरे अपने कपड़े निकालने लगी...

पहले उसने स्कर्ट निकाला फिर टॉप और ब्रा- पैंटी मे आ गई....

डेना- बस ...रुक जाओ...

डेना की आवाज़ सुनकर आकाश पलट गया और भोचक्का रह गया...

आकाश के सामने उसकी मकान मालकिन ब्रा पैंटी मे थी...
Reply
06-06-2017, 11:25 AM,
RE: चूतो का समुंदर
फ्रेंड्स ये पोस्ट मुझे दुबारा पोस्ट करनी पड़ रही है 

आकाश अपने लंड को हाथ मे पकड़े दूबिधा मे खड़ा था...और तभी डेना ने अपनी ब्रा निकाल दी..
डेना के बूब्स देख कर आकाश के लंड ने झटका मार दिया...

फिर डेना ने अपनी पैंटी भी निकाल दी और आकाश के सामने नंगी खड़ी हो गई....

डेना- इतने मस्त हथियार को ऐसे वेस्ट मत करो....मैं हूँ ना...

आकाश के मूह से एक शब्द नही निकल रहा था...वो बस अपना खड़ा लंड हाथ मे ले कर शान्ती से खड़ा हुआ था...

डेना आकाश के पास गई और घुटनो पर बैठ गई...

फिर उसने आकाश के हाथ से लंड निकाल के अपने हाथ मे ले लिया और बिना देर किए मूह मे भर लिया...

दयना- उउंम..सस्स्ररुउउप्प..आहह...टेस्टी है...उउंम..

डेना प्यार से आकाश का लंड चूसने लगी...




आकाश अभी भी सकते मे था कि ये क्या हो गया...पर डेना के मूह की गर्मी ने उसे झकझोर दिया...और वो भी मस्ती मे सिसकने लगा...

आकाश- उउंम..आहह...ऐसे ही...आअहह...

डेना- सस्ररुउपप...सस्रररुउउप्प्प...सस्स्ररुउपप...उउंम..उम्म..उम्म..

आकाश- ओह..यस...आहह..आहह...ज़ोर से..यस...

डेना पूरी मस्ती मे लंड चूस रही थी...कभी गले मे भर के चूस्ति तो कभी सुपाडे को ..तो कभी बॉल्स को हाथो से सहलाते हुए...

कुछ देर बाद आकाश को लगा कि वो झड़ने वाला है तो वो लंड को आगे-पीछे करने लगा..

डेना भी खेली हुई खिलाड़ी थी...तो उसने जल्दी से लंड को मूह से बाहर निकाल दिया...


डेना- आहह...ऐसे नही...रूम मे चलो...

और डेना आकाश को पकड़ कर रूम मे ले गई...

डेना आगे गान्ड मटकाती हुई जा रही थी...

जिससे आकाश का सब्र का बाँध टूटने लगा और उसने डेना को पकड़ के बेड पर कुतिया बनाया...और लंड सेट कर लिया...

डेना- आहह..आराम से डालना...

आकाश- ह्म्म..

और आकाश ने एक धक्का मारा और सुपाडा चूत के अंदर.....




डेना- ओह्ह गॉड...आराम से...ये मोटा है...

आकाश- ह्म्म्मड..

और आकाश से 3 धक्को मे लंड को चूत मे उतार दिया....

डेना- ओह माइ...आहह..चला गया..कि बाकी है...

आकाश- चला गया...

डेना- ह्म्म्मड...तो सुरू कर दो...

डेना के कहते ही आकाश ने तेज धक्के मारते हुए चुदाई सुरू कर दी....

डेना- उफ़फ्फ़...एस्स..आहह..आ...ज़ोर से...मस्त...

आकाश- यस आंटी....एस..एस्स..एसस्स..

डेना- मज़ा एयेए..गया...ओह...तेजज..और तेज..

आकाश- यह...यह..यह..यह..आहह...

आकाश तो कई दिनो से भूखा था तो वो पूरी स्पीड मे डेना की चुदाई करने लगा...

आकाश के जोरदार धक्को से डेना का सिर बेड पर झुक गया...और वो जोरो से सिसकने लगी.....




डेना- क्या लंड है...आहह...मज़ा आ गया...ज़ोर से मार...आहह...आहह..

आकाश- ये लो आंटी...और तेजज..एस्स..एस्स...

करीब 10 मिनिट की चुदाई के बाद डेना झड़ने लगी...

डेना- ओह्ह...कोँम्मिंग...एस्स...कोँम्मिंग...आहह..आहह..आहह...

आकाश भी डेना के साथ ही झड़ने लगा.....
Reply
06-06-2017, 11:25 AM,
RE: चूतो का समुंदर
आकाश- मैं भी....ओह..एस्स..यह..यीह...यीह...

डेना- ओह्ह...फिल इट...एसस्स...डीपर...ओह्ह माइ...ओह माइ...आअहह..

आकाश- यीह....ये लो फिर....यीहह...यीहह...

दमदार चुदाई के बाद आकाश ने लंड बाहर निकाला और बेड पर लेट गया....

डेना भी मस्त हो कर लेट गई...और दोनो रेस्ट करने लगे......

थोड़ी देर बाद जब दोनो नॉर्मल हुए तो आकाश उठ कर जाने लगा....पर डेना ने उसका हाथ पकड़ लिया....

आकाश- क्या हुआ आंटी ...??

डेना- कहाँ जा रहे हो...

आकाश- बाहर...अब जो होना था वो तो हो गया ना...

डेना- अभी नही....अभी तो शुरुआत हुई है....ऐसा हथियार हो तो दिन-रात मज़े करूगी...

आकाश- पर आंटी...कोई आ गया तो...

डेना- कोई नही आयगा...चलो एक बार और करते है...

आकाश- पर..आंटी...

डेना- पर-बार कुछ नही...यहाँ आओ...

डेना ने खींच कर आकाश को बेड पर लिटा दिया और उसका लंड चाटने लगी...



आकाश का भी चुदाई के लिए मन था पर वो डर रहा था कि कहीं उसे पहले जैसी आदत ना पड़ जाए...

पर जैसे ही डेना के गरम होंठ आकाश के लंड को लगे तो वो भी गरम होना सुरू हो गया...और सोचने लगा कि अब जो रहा है...होने दो...

डेना प्यार से आकाश के लंड को चाट रही थी...बॉल्स से लेकर सुपाडे तक जीभ फिराते हुए उसने आकाश का लंड खड़ा कर दिया...

थोड़ी देर चाटने के बाद डेना ने लंड का सुपाडा मूह मे भर लिया और ज़ोर से चूसने लगी...

आकाश- ओह्ह..आंटी...पूरा भर लो....आहह..

डेना ने लंड को आधा मूह मे भरा और चूसना सुरू कर दिया....और आकाश मस्ती मे आहें भरने लगा....

आकाश- कम ऑन आंटी...ज़ूर से चूसो...आप तो एक्सपर्ट हो...ओह...एस..

डेना- उउंम..उउंम..उउंम..आहह..सस्ररुउपप..सस्ररुउपप...

डेना ने चूस-चाट के आकाश का लंड रेडी कर दिया और खुद अपने पैर खोल कर आकाश के लंड पर बैठ गई...

डेना ने अपने हाथ से लंड को चूत मे सेट किया और बैठ गई...पूरा लंड चूत के अंदर....

फिर उसने गान्ड उछाल-उछाल चुदना सुरू कर दिया....


डेना- ओह..यस...क्या लौडा है ..आहह...मस्त...एस...एस्स...एसस्स..

आकाश- आप भी मस्त हो आंटी...जोर्र से...एस्स...एस्स...

डेना- यस..एस्स..फक..फक..फक...ऊहह..ओह माइ गोस्स्स..फक..फक...

आकाश- जोऱ से आंटी...यस...वाह...आपकी गान्ड भी...मस्त...जोर्र से...

आकाश हाथो से डेना की गान्ड मसल्ने लगा और डेना पूरी स्पीड मे उछलने लगी....

करीब 5-6 मिनिट की चुदाई के बाद डेना झड़ने लगी...

डेना- ओह माइ...कमिंग..एस..ओह..ओह...एस..आहह..आहह...

डेना चीखते हुए झड गई और आकाश के उपेर लेट गई...

दोनो किस करने लगे और साथ मे आकाश नीचे से धीरे-धीरे धक्के मारने लगा....

आकाश - अब आप पलट जाओ...आपकी गान्ड मेरी तरफ करके...

डेना- ह्म्म..पर क्यो...गान्ड मारनी है क्या...

आकाश- मारूगा...पर अभी नही...आप पलट जाओ बस...

डेना उठी और पलट के बैठ गई और लंड को चूत मे डाल दिया....

आकाश ने डेना को जाघो से पकड़ा और उसे अपने लंड पर उछालने लगा.....

डेना- ओह माइ...यू आर टू गुड...आहह...फक बेबी फक...ओह्ह्ह..

आकाश- यह...ये लो..ये लो..ये लो...यीहह...यीहह...

डेना- एस्स..एस्स..एस..आअहह..ओह माइ..ओह माइ...फक..फक...फास्ट बेबी फास्ट...

आकाश- यह..टेक इट..टेक इट...एस्स..एस्स..एस्स..

आकाश पूरी स्पीड से डेना को उछाल-उछाल के चोद रहा था....और डेना भी मज़े से चुदवा रही थी...

करीब 10 मिनिट की जोरदार चुदाई के बाद दयना फिर से झड़ने लगी...

डेना- ओह..ओह बेबी...आइ एम कोँमिंग..येस ...एस्स..एसड..आआहह..आहह

डेना के झाड़ते ही उसका चूत रस आकाश की जाघो पर आने लगा...आकाश भी झड़ने के करीब आ गया था...

आकाश- आंटी मैं भी आया...यह...यह...

डेना- यहाँ नही.. मुझे पिलाओ...कम ऑन..
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06-06-2017, 11:25 AM,
RE: चूतो का समुंदर
आकाश ने डेना को साइड मे लिटाया और उसके सामने खड़े होकर लंड रस की पिचकारी मार दी...

कुछ रस डेना के मूह मे गया और बाकी उसके बूब्स और पेट पर...




डेना ने हाथ से लंड रस को चाटना सुरू कर दिया...

डेना- उम्म..सो गुड...उम्म...

फिर दोनो थोड़ा रेस्ट करने के बाद फ्रेश हुए और कपड़े पहन कर बाहर आ गये ....

पर उन्हे नही पता था कि कोई उनकी पूरी चुदाई को देख कर गया है...और उसने अपने फ़ायदे के लिए अपने मन मे 1 प्लान भी बना लिया है...

देखते है..कौन है ये और क्या प्लान किया है इसने....??????????


थोड़ी देर बाद डेना और आकाश हॉल मे कॉफी पी रहे थे...

डेना ने देखा कि आकाश किसी सोच मे डूबा हुआ है....

डेना- क्या हुआ आकाश...क्या सोच रहे हो...??

आकाश- हूंम्म..सीसी...कुछ नही आंटी..

डेना- देखो...मुझसे झूठ मत बोलो...जहा तक मैं समझ रही हूँ..तुम अपने बीच हुई घटना के बारे मे सोच रहे हो...राइट..??

आकाश(डेना को देख कर)- आपको...हाँ...वही सोच रहा हूँ...

डेना- ह्म्म..पर सोच क्या रहे हो...आइ मीन अच्छा या बुरा..??

आकाश- आंटी..वो मैं...यही सोच रहा हूँ कि मैने ग़लत किया कि......

डेना(बीच मे)- तुमने कुछ ग़लत नही किया....सब सही हुआ...

आकाश- पर आंटी...मुझे कुछ अच्छा नही लग रहा....

डेना काफ़ी खेली हुई औरत थी...इसलिए वो समझ गई कि आकाश के मन मे क्या है...उसने आकाश को रिलॅक्स करने का सोच लिया....

डेना- ह्म्म..तुम ये बताओ कि तुम्हे किस बात का बुरा लग रहा है...सच बोलना...

आकाश- देखो आंटी...अंकल(डेना के पति) और मेरे पापा दोस्त जैसे है...तो आप मेरी फॅमिली मेंबर के जैसे हुई...और इस तरह आपके साथ ये सब...सही नही है...

डेना- ह्म्म..अच्छा ये बताओ कि तुमने मेरे साथ कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती की है...???

आकाश- नही तो...

डेना- मैने खुद अपनी मर्ज़ी से तुम्हारे साथ ये सब किया है..??

आकाश- ह्म्म..

डेना- तो तुम कहाँ से ग़लत हो गये...

आकाश - ओके..तो मैं सही हूँ ना..???

डेना- बिल्कुल सही...तुमने कोई ग़लती नही की...उल्टा मुझे खुशी दी है....और अब मैं इस ख़ुसी को बार-बार फील करना चाहती हूँ...

डेना की बात सुन कर आकाश का मन हल्का तो हुआ पर उसके मन मे एक सवाल और आ गया...

आकाश- आंटी...एक सवाल पुछू...

डेना- हाँ पूछो...

आकाश- मान लो आंटी...मैं आपके साथ ये सब करता रहूं और 1-2 साल बाद मैं इस सब के लिए मना कर दूं तो आपको कैसा लगेगा और आप क्या सोचेगी...

डेना- ह्म्म..बुरा लगेगा...गुस्सा भी आयगा...

आकाश- तो क्या आप मुझसे बदला लेगी...??

डेना- हहहे...नही बेटा...उसमे बदला लेने की क्या बात है...मैने खुद ये रास्ता चुना...तुमने मुझे फोर्स नही किया...ऐसे मे अगर तुम मुझे छोड़ दोगे तो इसमे गुस्सा आ सकती है...पर बदला लेना ...ये तो कोई बात ही नही ..

आकाश- फिर भी..गुस्से मे आपने ऐसा सोच लिया तो...

डेना- हो सकता है कि मैं गुस्से मे बोल दूं...पर गुस्सा शांत होने पर मैं समझ जाउन्गी कि तुम्हारी ग़लती नही है...और मैं इस बात को भूल जाउन्गी...बस...और फिर किसी दूसरे को ढूँढ लूगी.....

आकाश- ह्म्म..थॅंक्स आंटी..

डेना- ऑल्वेज़ वेलकम...पर ये क्यो पूछ रहे हो..अभी तो शुरुआत हुई है ..और हाँ बॅक साइड बाकी है ...हहहे..

आकाश(मुस्कुरा कर)- ह्म्म...उसे भी देख लूँगा...

डेना- ओके..अब मैं चलती हूँ...रात को मिलुगी...ओके...

आकाश- ओके...

डेना निकल गई और आकाश सोचने लगा कि सरिता ने भी गुस्से मे उससे बोला होगा..पर अब उसे समझ आ गया होगा...चलो ठीक है...वो मुझसे गुस्सा नही होगी...और हो सकता है उसने किसी को ढूँढ भी लिया हो...

आकाश, सरिता की तरफ से बेफिकर हो गया...इस बात से अंजान कि दूर कहीं सरिता उसे फसाने के लिए उसके ही खास दोस्त का इस्तेमाल कर रही है.....
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06-06-2017, 11:25 AM,
RE: चूतो का समुंदर
वहाँ धमेश के घर पर धर्मेश अपनी मौसी और सरिता की चुदाई कर रहा था ...

उसका लंड सरिता की चूत मे था और वो सरिता को पीछे से चोद रहा था....

धमेश की मौसी झड़ने के बाद अपनी चूत खोल कर सरिता के सामने लेटी थी और सरिता उसका चूत रस चाट रही थी....



थोड़ी देर बाद सरिता और धर्मेश भी झड गये औड तीनो बेड पर लेट गये...थोड़ी देर बाद...

धर्मेश- मज़ा आ गया ..है ना...

सरिता- हाँ..अब काम की बात करे...

धर्मेश- अरे बोल तो दिया कि तुम्हारे पास आकाश को लाउन्गा वो भी बिना उसे बताए...

सरिता- हाँ वो तो हो गया...मैं तुम्हारी माँ और दीदी की बात कर रही थी...उनका क्या सोचा...??

धर्मेश - अभी तक तो कुछ नही...तुम बताओ...तुमने कुछ सोचा...

सरिता- हाँ..सोच लिया...एक काम हो सकता है...

धर्मेश- पर आकाश तो है नही...

सरिता- मुझे 2 दिन दो...मैं आकाश को बुलाने का इंतज़ाम कर दूगी और तुम अपनी दीदी और माँ को भी बुला लो...

धर्मेश- और फिर...

सरिता- फिर...तो सुनो मेरा प्लान....$$$$$$$$$$$$$$$$$$$%%....

धर्मेश- ह्म्म..ये हो सकता है...पर फिर वही सवाल...आकाश कहाँ है...वो यहाँ आयगा ऐसे...

सरिता- आयगा...जब उसके पापा बुलाएगे तो ज़रूर आयगा...

धर्मेश- पर अंकल क्यो बुलाने लगे....??

सरिता- बोला ना ..2 दिन दो...मैं इंतज़ाम कर दूगी....ओके

धर्मेश- ओके...

सरिता- अब मैं चलती हूँ बाइ...

धर्मेश- बाइ...

इसके बाद सरिता अपने घर आ गई और आते ही अपने पति को कॉल किया और कुछ बात की....उसके पति को भी उसकी बात सुनकर खुशी हुई और उसने बोल दिया कि वो अभी बात करता है और 2 दिन बाद उनके साथ ही आयगा....

सरिता ने कॉल कट की और उसके चेहरे पर एक कमीनी मुस्कान फैल गई...जैसे उसकी जीत हो गई हो....

आख़िर सरिता ने अपने पति से क्या बात की जो इतनी खुश थी...क्या ये आकाश के बुरे वक़्त की शुरुआत थी...या फिर ये चाल सरिता पर ही भारी पड़ेगी....??????

-------------------------------------------------------------------------


( देखते है आज़ाद ने क्या किया आज.....)

आज़ाद नाश्ता करके अपनी फॅक्टरी मे पहुच गया और कॅबिन मे बैठे हुए उस दिन हुई बातों के बारे मे सोचने लगा कि कैसे उसे कमला मिली...

( उस दिन दामोदर के जाने के कुछ देर बाद ही कमला आ गई थी...और बातों- बातों मे कमला ने कहा...

कमला- आज़ाद जी...अब आप चाहे तो आपका फ़ायदा हो सकता है....

आज़ाद- वो कैसे....???

कमला- वो ऐसे कि आप मेरे पति को अपने **** गाओं वाले प्रॉजेक्ट मे लगा दीजिए ...जिससे उन्हे पैसा चुकाने का टाइम मिल जायगा...

आज़ाद- ह्म्म..पर मेरा फ़ायदा क्या है इसमे....???

कमला- फ़ायदा ये है..कि मेरे पति इतनी दूर काम मे बिज़ी रहेगे और मैं अपने बेडरूम मे अकेली....समझ गये ना...

आज़ाद(मुस्कुरा कर)- ह्म्म..तो मैं कब आ जाउ...

कमला(मुस्कुरा कर)- आप मेरे पति को भेज दो...बस...मेरा कॉल आ जायगा...

आज़ाद- ओके...समझो हो गया...

कमला- तो मैं चलती हूँ...बाइ...

आज़ाद- इंतज़ार रहेगा आपके कॉल का...बाइ...

कमला ने मूड कर स्माइल की और निकल गई....)

आज़ाद कमला के बारे मे सोच- सोच कर अपना लंड मसले जा रहा था.. 

अचानक किसी ने गेट पर नॉक किया तो आज़ाद होश मे आया और फिर बाहर निकल कर फॅक्टरी का काम चेक करने लगा....

थोड़ी देर काम देखने के बाद आज़ाद अपने कॅबिन मे वापिस आया और फाइल्स देखने लगा और फिर सारे काम निपटा कर यहाँ-वहाँ घूमने लगा....

वो किसी बात से परेसान था या फिर उसे किसी बात का इंतज़ार था....

थक कर वो चेयर पर बैठ गया..और आँखे बंद करके फिर से कमला के बारे मे सोचने लगा....

अचानक उसका फ़ोन बजने लगा...और जैसे ही आज़ाद ने फ़ोन रिसीव किया तो वो खुश हो गया....

आज़ाद- ह्म्म..बड़ा इंतज़ार करवाया....अभी आता हूँ.....

और आज़ाद फॅक्टरी से निकल गया.....

आज़ाद फॅक्टरी से घर आया और रुक्मणी से अपना बॅग लगाने को कहा...आज़ाद रुक्मणी को बोल गया कि वो काम से पास के गाओं जा रहा है और कल शाम तक आयगा....

घर से निकल कर आज़ाद मेन रोड पर आ गया...और कार की पिछली शीट पर बैठा हुआ...आगे की सोचकर मन ही मन खुश होने लगा.....

करीब 2 घंटे के सफ़र के बाद आज़ाद एक गाओं मे बनी शानदार हवेली के सामने पहुच गया....

आज़ाद कार से उतरा और हवेली देख कर मुस्कुराने लगा....

आज़ाद(मन मे)- वाह...कारीगरी का शानदार नमूना है ये हवेली....कब्से नज़र थी इस पर....अब जा कर ख्वाहिश पूरी हुई है....

आज़ाद अपनी सोच मे खुश हो रहा था और तभी उसे आवाज़ आई.....

(ये आवाज़ कमला की थी)

कमला- यही खड़े मुस्कुराते रहेगे या अंदर भी चलेगे...

आज़ाद(कमला को देख कर)- क्यो नही..अंदर ही आने के लिए आए है...अभी तो बहुत कुछ देखना है...

आज़ाद ने बड़ी ही कामुकता भरी मुस्कान के साथ अपनी बात ख़त्म की और उसकी मुस्कान देख कर कमला शरमा गई...

कमला( शरमाते हुए)- आप भी...आइए ना...अंदर तो चलिए...

आज़ाद कमला के साथ अंदर हॉल मे आ गया...

कमला ने आज़ाद को चाइ- नाश्ता करवाया और फिर बैठ कर बातें करने लगी....

कमला- तो बताइए...क्या सेवा कर सकती हूँ आपकी...

आज़ाद- अब आपको ये भी बताना पड़ेगा क्या...

कमला(मुस्कुरा कर)- बताइए ना...क्या चाहिए आपको...

आज़ाद- जो भी आप प्यार से देगी...हम ले लेगे....

आज़ाद ने ये बात आहें भरते हुए बोली...जिसे देख कर कमला शरमा गई...

आज़ाद- तो बताइए...क्या देगी...

कमला- चलिए अंदर चलते है....

आज़ाद- ह्म्म..चलिए...

आज़ाद , कमला के साथ उपेर उसके बेडरूम मे आ गया....

( कमला का बेडरूम बहुत सुंदर था...रॉयल बेड...बड़ा सा सोफा...एक तरफ डाइनिंग टेबल और आत्तेच बाथरूम....)

कमला- आप बैठिए...मैं अभी आई...

ये कह कर कमला बाथरूम मे चली गई और आज़ाद सोफे पर बैठ कर रेस्ट करने लगा...

आज़ाद अपनी सोच मे डूबा हुआ था कि तभी बाथरूम का गेट खुला और आज़ाद की नज़र सीधे बाथरूम के गेट पर पड़ी....

सामने कमला एक नाइटी मे खड़ी हुई शरमा रही थी....

आज़ाद ने कमला को ऐसे देखा तो वो पागल सा हो गया... 

उसने जल्दी से उठ कर कमला को बाहों मे कस लिया और उसे चूमने लगा....

कमला भी आज़ाद का पूरा साथ दे रही थी...
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