Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-07-2017, 12:11 PM,
RE: चूतो का समुंदर
सहर मे कामिनी के घर....आज सुबह....

सुबह-सुबह कामिनी की नौकरानी चाइ लेकर कामिनी के रूम तक आई...

नौकरानी ने 2-3 बार कामिनी को आवाज़ दे कर नॉक किया ..बट कोई रेस्पोन्स नही मिला...

थोड़ी देर बाद नौकरानी को टेन्षन होने लगी तो उसने गेट खोल कर अंदर जाने का तय किया....

(कामिनी के आक्सिडेंट के बाद से ही कामिनी रूम को लॉक नही करती थी.)

नौकरानी ने अंदर आ कर कामिनी को देखा तो चाइ उसके हाथ से गिर गई और मूह से जूरदार चीख निकल गई...

नौकरानी की आवाज़ सुनते ही घर के बाकी लोग भी वही आ गये....

सामने कामिनी बेड के नीचे बेहोश पड़ी हुई थी...हालाकी कोई चोट नही दिखाई दे रही थी...

सुषमा ने तुरंत नौकरों की मदद से कामिनी को बेड पर लिटाया और पानी डाल कर उसे होश मे ले आई...

होश मे आते ही कामिनी डरते हुए बोलने लगी...

कामिनी- नही...मेरी बेटी को कुछ मत करना...प्लीज़ ..

काजल(कामिनी की बेटी)- मोम...क्या हुआ...प्लीज़ शांत हो जाइए...

कामिनी(काजल का हाथ पकड़ कर)- बेटी...तू ..तू ठीक है ना..हाँ...बोल ना..

काजल- येस मोम..मैं बिल्कुल ठीक हूँ...आप डरी हुई क्यो है...प्लीज़ आप शांत हो जाइए...

कामिनी - बेटा..तू यही रहना...मेरे पास...हाँ बेटा...

काजल- मैं यही हूँ मोम...आप बस शांत हो जाओ...मैं यही हूँ...

काजल ने कामिनी को पानी पिला कर लिटा दिया...

कामिनी के लेट ते ही काजल ने बाकी सब को वहाँ से जाने को बोला और सिर्फ़ सुषमा और काजल ही रूम मे बैठी रही....

थोड़ी देर तक कामिनी आँख बंद किए लेटी रही और फिर उसने आँख खोली तो वो थोड़ा रिलॅक्स लग रही थी....

सुषमा- कामिनी...अब ठीक हो ...तुम नीचे कैसे ..

काजल(बीच मे)- अभी नही आंटी...अभी मोम को रेस्ट करने दीजिए...

कामिनी- कोई बात नही बेटा ..मैं अब ठीक हूँ...तू टेन्षन मत ले...

काजल- पर मोम..

कामिनी- तू जा कर फ्रेश हो जा...मैं ठीक हूँ...सुषमा है ना यहाँ...

काजल- ओके मोम..मैं अभी आती हूँ...आप रेस्ट करो ..

कामिनी , काजल को समझा कर भेज देती है...काजल के जाते ही सुषमा कामिनी से सवाल करने वाली ही थी..

तो कामिनी ने उसे रोक दिया और रजनी, रिचा और मनु को बुलाने को कहा....

करीब 1 घंटे के बाद कामिनी के रूम मे कामिनी , सुषमा , रजनी , रिचा और मनु बैठे थे.....


सब के सब पिछले 10 मिनट से चुपचाप एक-दूसरे को देखते हुए बैठे थे...सिर्फ़ कामिनी अपनी नज़रे नीचे किए हुए किसी सोच मे डूबी हुई थी....

रजनी- कामिनी...

कामिनी- हूँ..हाँ...क्या कहा...??

रजनी- कहा कुछ नही...तुम किस सोच मे डूबी हो ..और इतनी परेसानि किस बात की है....??

कामिनी- परेसानि ...

रिचा- हाँ ..क्या हुआ जो हमे इतना अर्जेंट बुला लिया...??

रजनी- हां....और तू बेहोश क्यो हो गई थी...हुआ क्या था...

कामिनी- वो ..मुझे कल ...कल एक फ़ोन आया था ....

रजनी- फ़ोन...किसका...??

कामिनी- वो...दीपा का...

दीपा का नाम आते ही सबके माथे पर परेसानि छा गई....

रजनी- दीपा का फ़ोन...नही...ये नही हो सकता...

रिचा- तू पागल हो गई क्या...कोई मरने के बाद कॉल करता है क्या...

कामिनी- पर मैं सच...

रिचा- ओह्ह.. प्लीज़ ...अपनी बकवास को सच मत बोल...

रजनी- एक मिनट रिचा...उसकी पूरी बात तो सुन ले...कामिनी तू बता...क्या हुआ था...

फिर कामिनी रात की पूरी बात बताने लगी...

उसने बताया कि दीपा ने उससे कहा कि वो उसकी बेटी को मार देगी...और तभी पीछे से कुछ आवाज़ आई तो मैं चीख उठी...और फिर सुबह ही होश आया....

रिचा- तुझे कैसे पता कि वो दीपा का कॉल है...??

कामिनी(ज़ोर से)- क्योकि मैं उसको अच्छे से जानती हूँ...और उसकी आवाज़ भी..

रिचा- हां ...पर हो सकता है कोई मज़ाक कर रहा हो...

कामिनी- मज़ाक....नही...आक्सिडेंट के टाइम मैने उसे देखा था और अब ये कॉल...ये कोई इत्तेफ़ाक़ नही हो सकता...

रजनी- तो तू कहना चाहती है कि दीपा ज़िंदा है...

कामिनी- नही. .मुझे लगता है कि ये दीपा का भूत..

रिचा(बीच मे)- व्हट नॉनसेन्स यार...भूत-बूत कुछ नही होता ...समझी...

कामिनी- जब भगवान है तो भूत भी है..समझी..

रिचा- तू अंधविश्वासी है और कुछ नही ...

रजनी- प्लीज़ रिचा...ये लड़ने का टाइम नही...कामिनी ..तू बता ...दीपा ने कुछ और कहा था...

कामिनी- हाँ...उसने कहा था कि वो फिर आयगी...छोड़ेगी नही...

रजनी- ह्म्म..तू एक काम कर...थोड़ा इंतज़ार कर के देख...पता चल जायगा कि वो भूत है या इंसान..

कामिनी- पर वो आई तो...

तभी उन्हे कुछ आवाज़ सुनाई दी...

रिचा- ओह हो..अब ये किस चीज़ की आवाज़ है...

कामिनी- अरे...ये तो लाइट की फिटिंग चेक करने आए है...कल कुछ स्पारकिंग हो रही थी बाहर तो चेक करने बुलाया था...हाँ मैं कह रही थी कि दीपा फिर से आई तो...???

रिचा- तो दोनो मज़े कर लेना...हहहे...

रजनी- रिचा प्लीज़ यार....कामिनी तू बस वेट कर...आगे कुछ होगा तब देखेगे...ओके...हो सकता है कि ये किसी की सरारत हो...ह्म्म..

कामिनी- ओके रजनी...यही करती हूँ...वैसे मनु...तू क्यो चुप है...??

मनु- हाँ...कुछ नही यार...बस दिमाग़ चकरा गया. .

कामिनी- ह्म्म..तो स्ट्रॉंग कॉफी पीते है ...सबके दिमाग़ ठीक हो जाएगे...

फिर सबने कॉफी पी और अपने-2 घर निकल गई...

उनके जाने के बाद घर की नौकरानी आई जो अपने साथ अपनी बेहन को भी ले कर आई थी ..
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06-07-2017, 12:11 PM,
RE: चूतो का समुंदर
जब कामिनी ने पूछा तो उसने बताया कि उसकी बेहन कामिनी की सेवा के लिए है..कुछ दिनो तक...असल मे कामिनी ने ही एक एक्सट्रा नौकरानी के लिए बोला था...

पूरे दिन कामिनी के घर मे हर तरफ लाइट की फिटिंग चेक होती रही..और सब सेट कर के वो लोग भी चले गये....

साम को कामिनी की पहचान वाले के घर कोई फंक्षन था...जिसमे कामिनी ने सुषमा और काजल को पहुचा दिया...

काजल तो मना कर रही थी..पर कामिनी ने उसे मना कर भेज दिया...

रात को कामिनी के घर कामिनी और कुछ नौकर-नौकरानी ही थे....

डिन्नर के बाद कामिनी सो गई और घर मे सन्नाटा छा गया....
कामिनी के घर से निकलने के बाद कामिनी की फरन्डस(रजनी, रिचा और मनु) भी दीपा की बात से परेसान थी....

देखते है इनकी क्या हालत थी ...

रजनी के घर.....

कामिनी के घर से निकल कर रजनी अपने घर पहुचि...और पहुचते ही विनोद को कॉल कर के घर बुला गया....

विनोद(रूम मे आते ही)- क्या हो जाता है तुम्हे...जब देखो जब...अर्जेंट मे बुलाती हो...

रजनी- बात ही ऐसी है...मैं क्या करूँ..

विनोद- अच्छा....अब कौन सा आसमान टूट पड़ा...

रजनी- अरे...तुम्हे पता भी है कि दीपा...

विनोद(बीच मे)- दीपा...उसका क्या...वो तो गई...

रजनी- नही...वो यही है..हमारे आस-पास...

विनोद- क्या बक रही हो...

रजनी- पहले सुनो...

फिर रजनी ने विनोद को सारी बात बता दी...

विनोद- क्या...सच मे ऐसा हुआ..

रजनी- हाँ...तभी तो मुझे टेन्षन है...

विनोद- टेन्षन कैसी...वो जिंदा हो या मरी हो...हमारा क्या बिगाड़ लेगी...

रजनी- बहुत कुछ...भूलो मत हमारा एक राज़ वो भी जानती है...अगर वो जिंदा है तो..

विनोद- तो क्या...जैसे पहले चुप रखा था ..फिर से कर देगे..डोंट वरी...

रजनी- ह्म्म...अब कुछ टेन्षन कम हुई...तुम जा सकते हो...

विनोद- अब ऐसे ही नही जाने वाला..आया हूँ तो कीमत वसूल कर के जाउन्गा..और अब तो अक भी बहुत दूर है....

इससे पहले की रजनी कुछ बोलती...विनोद ने उसे बाहों मे कस लिया और चूमना सुरू कर दिया....

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मनु के घर....

मनु भी कामिनी के घर से लौटने के बाद परेसान थी...पर उसकी परेसानि की वजह सिर्फ़ दीपा की न्यूज़ नही थी...

मनु बेड पर बैठी हुई किसी को बार-2 कॉल कर रही थी...पर शायद कॉल लग नही रहा था...

मनु(मन मे)- ये दीपा की बात ने एक ने टेन्षन दे दी...पहले ही क्या कम टेन्षन थी....

एक तो ये कॉल नही उठा रहा ....पता नही कहाँ है ....और अब ये दीपा....

एक बात तो पक्की है कि ये भूत नही हो सकता...या तो कोई नाटक कर रहा है...या फिर ये दीपा ही है...

अगर ये दीपा ही है..तो साली जिंदा कैसे बच गई....और बची भी तो अब ये गेम क्यो खेल रही है....

अगर कॉल उठा ले तो कुछ दीपा के बारे मे भी पता चल सकता है...

और ये कहते हुए मनु फिर से कॉल लगाने मे बिज़ी हो गई.....

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06-07-2017, 12:11 PM,
RE: चूतो का समुंदर
रिचा के घर......

रिचा , कामिनी के घर तो शेर बन रही थी...पर असल मे उसकी भी फट रही थी...

रूचा भी भूतो पर यकीन रखती थी...

रिचा ने घर आते ही बॉस को कॉल किया ..

(कॉल पर)

बॉस- मैने बोला था ना कि मुझे कॉल मत करना...

रिचा- वाह..ना ही ..ना हेलो...

बॉस- अभी मेरे पास फालतू टाइम नही है...तुमने कॉल क्यो किया...

रिचा- मुझे कोई शौक नही...कुछ ज़रूरी बात थी इसलिए...

बॉस- तो जल्दी से बोलो...

रिचा- ये दीपा के बारे मे है...

बॉस- दीपा ...वो तो मर चुकी है...फिर क्या टेन्षन...

रिचा- पता है...पर पूरी बात सुनो...समझ जाओगे...

बॉस- बोलो...

फिर रिचा ने कामिनी के साथ हुई सारी बातें बॉस को बता दी...

बॉस- हम्म...तो तुम्हे क्या लगता है...वो भूत है या फिर दीपा ही जिंदा बच गई....

रिचा- यही तो पता लगाना है...

बॉस- तो तुम पता करो...और अब कॉल मत करना मुझे ...

और रिचा कुछ बोल पाती उसके पहले ही कॉल कट हो गई....

रिचा(अपने आप से)- अब मैं क्या करूँ...कैसे पता करूँ...अगर वो सच मे भूत हुआ तो...मुऊम्म्मी...

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सहर मे कामिनी के घर

आधी रात के सन्नाटे के बीच धुआ उठने लगा और बढ़ते-2 धुआ कामिनी के घर की तरफ बढ़ने लगा. ..

गेट पर धुआ छाते देख चौकीदार अपने कॅबिन से बाहर आया...इससे पहले कि वो कुछ देख पता वो गिर कर बेहोश हो गया....

धुआ अपनी गति से बढ़ता हुआ कामिनी के घर के अंदर पहुच गया....

अचानक कामिनी के रूम मे धीरे-2 से कोई कामिनी का नाम पुकारने लगा...पर कामिनी को कोई फ़र्क नही पड़ा ...वो आराम से सोती रही....

धीरे-2 आवाज़ तेज होने लगी...

कामिनी....जागो कामिनी...जागो...

देखो कामिनी...मैं आ गई ...जागो..

आँखे खोलो मेरी जान...देखो मैं आ गई...हहहे...

आवाज़ तेज होते ही कामिनी की नीद टूट गई...

जब कामिनी ने आँखे खोली तो रूम मे हल्का-हल्का धुआ छाया हुआ था...और लाइट ऑफ थी...

कामिनी ने आवाज़ सुनते ही बेड के बाजू मे रखे टेबल लॅंप को ऑन करने की कोशिस की ..पर वो ऑन नही हुआ...

कामिनी आवाज़ सुनकर डरने लगी...पर आज उसने हिम्मत बाँधे रखी....

कामिनी- क्क्क..कौन है.. सामने आओ...कौन है..

कामिनी ने ज़ोर-2 से चिल्ला कर कई बार पूछा पर कोई जवाब नही मिला...आवाज़ बंद हो गई...

कामिनी को लगा कि ये उसका वहम होगा...पर फिर से आवाज़ आई...

कामिनी ....उठो कामिनी...मैं आ गई ..

अब कामिनी का सब्र टूटने लगा और उसने ज़ोर से नौकरों को आवाज़ दी...पर कोई भी नही आया ...

कामिनी...कोई नही आयगा...आज सिर्फ़ तुम और मैं...हहहे...

कामिनी(डरते हुए)- त्त..तुम झूट बोल रही हो ...तुम दीपा नही हो सकती ...व्व..वो मर गई है...

अच्छा ...तो खुद देख लो...

और फिर तेज हवा के चलने की आवाज़ आने लगी और पूरे रूम मे धुआ बढ़ने लगा....

कामिनी आँखे टिकाए सब जगह देख रही थी...

कि अचानक बिजली के कडकने की आवाज़ आई और एक साया धुआ के बीच से सामने आ गया....

जिसे देख कर दीपा की चीख निकल गई.......

चुप...चिल्लाने से कुछ नही होगा...चुप रहने ने ही भलाई है ..वरना...

कामिनी- हहूहहुउऊ...त्त्त..तुम..क्यो आई यहाँ....

क्यो आई...भूल गई..तेरी वजह से मैं मरी हूँ....वो भी बिना वजह के...

कामिनी- तो मैं क्या करूँ...मैने मारा क्या ...

हाँ...तेरे मक़सद के लिए मैं बलि चढ़ गई...समझी(चिल्ला कर)

कामिनी- एयाया ...मुझे छोड़ दो...प्लीज़ ..

छोड़ दुगी.. तू बस ये बता कि तू अंकित के पीछे क्यो पड़ी है....

कामिनी- क्या...क्यो...मैं नही बताउन्गी...

नही बताएगी...तो मैं नही जाउन्गी...तुझे भी मार दूगी ....

कामिनी- क्क्क ..क्या कर लोगि...त्त्त..तुम कुछ न्नाही कर सकती...

कुछ नही कर सकती...तो देख फिर....आज से तेरी उल्टी गिनती चालू....हहेहहे...

और फिर रूम मे ज़ोर से बिजली गिरने की आवाज़ आई और दीपा का चेहरा लाल पड़ता गया...और एक धमाके की आवाज़ के साथ दीपा धुएँ मे गायब हो गई...

अचानक हुए धमाके से डरी हुई कामिनी कुछ ज़्यादा ही डर गई...और बेहोश हो गई....

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06-07-2017, 12:11 PM,
RE: चूतो का समुंदर
महल के हादसे के बाद.........

जब बुड्ढे को पता चला कि उसने ग़लत इंसान को पहचान लिया था तो वो घबरा गया...

और वहाँ से भाग कर सीधा सम्राट सिंग के पास पहुच गया...

बुड्ढ़ा- मालिक..मालिक...आप कहाँ हो....

सम्राट- ओये बुड्ढे...क्यो चिल्ला रहा है...

बुड्ढ़ा- मालिक..मालिक वो बच्चा...

सम्राट- अरे साँस तो ले ले...फिर बता...

बुड्ढ़ा- मालिक ..वो बच्चा मर गया...

सम्राट- क्या...मर गया..पर मैने तो मना कर दिया था ना...

बुड्ढ़ा- हाँ मालिक...पर थोड़ी देर हो गई...

सम्राट- ये तेरी ही ग़लती है...तूने ही कहा था कि वो आकाश है...

बुड्ढ़ा- ग़लती हो गई मालिक...

सम्राट- तो अब यहाँ क्यो आ गया...

बुड्ढ़ा- मुझे बचा लो मालिक...वो लोग मुझे नही छोड़ेगे...

सम्राट- ठीक है...तू बैठ ...मैं देखता हूँ...

फिर सम्राट ने महल कॉल करके पूछा और कॉल रख कर बोला...

सम्राट- बुड्ढे...तू बच गया...हाहाहा...

बुड्ढ़ा(शॉक्ड हो कर)- मालिक...

सम्राट- अबे...वो बच्चा बच गया...अब निसचिंत हो जा...वो ठीक है...

बुड्ढ़ा(सम्राट के पैर पकड़ कर)- धन्याबाद मालिक...धन्याबाद....

सम्राट- ह्म्म..बैठ और दारू पी...

दारू पीने के बाद सम्राट ने एक फोटो आल्बम उठाया और एक पिक्चर को देख कर बोला....

सम्राट- तू कहाँ छुपा है साले....एक बार तेरी खबर लग जाए फिर देखना.....

दारू के नशे मे वो फोटो आल्बम नीचे गिर गया...और उसमे लगी एक फोटो देख कर बुड्ढ़ा चौंक गया...और बोला...

बुड्ढ़ा- मालिक..ये...ये कौन है...???

सम्राट- ईए....ये उस साँप का सपोला है...आज़ाद का बारिश...आकाश का बेटा..

बुड्ढ़ा- मालिक...यही तो था...

सम्राट- क्या ..कौन था ...

बुड्ढ़ा- अरे मालिक..वो बच्चा यही तो था...

सम्राट- तुझे चढ़ गई क्या...फिर से ग़लत पहचान कर रहा है...

बुड्ढ़ा- नही मालिक...यही था...ग़लत निकलु तो गर्दन काट देना ...


बुड्ढे का कॉन्फिडेंट देख कर सम्राट भी सोच मे पड़ गया और उसने कॉल किया...

सम्राट(कॉल पा)- उस लड़के का एक फोटो ले कर आओ...डॉक्टर को मेरा बोल देना...

थोड़ी देर बाद एक आदमी अंकित की फोटो लेकर आ गया...जिसे देख कर सम्राट खुश हो गया...

सम्राट- आख़िरकार ..पता चल ही जायगा कि आकाश कहाँ है...अब मेरे बदला सुरू होगा...

सम्राट ने फिर से एक कॉल लगाया जो एक औरत ने उठाया....

(कॉल पर)

सम्राट- बेटी...एक खुशख़बरी है...

औरत- क्या पापा...

सम्राट- आकाश का पता चल गया बेटी...

औरत- वाह पापा...अब मज़ा आयगा...आगे क्या करना है...

सम्राट- कुछ दिन रुक...आकाश से निपट लूँ फिर आगे का काम तुझे ही करना है...तब तक तू अपना जादू आज़ाद के घर चलाती रह...

औरत- जी पापा...इसी दिन के लिए तो मैं यहाँ आई थी..आप जल्दी करो...आज़ाद की तबाही देखनी है मुझे...

सम्राट- हाँ बेटी...तबाही जल्दी ही होगी...अभी चुपचाप काम कर..ठीक है..

औरत- ठीक है पापा...

सम्राट ने पूरी बात लाउडस्पिकर ऑन कर के की थी..जिसे बुड्ढे ने भी सुन लिया था ...

बुड्ढ़ा- मालिक...ये कौन थी...आपकी बेटी..

सम्राट- ओह..तू यहीं था ..ओह हो...हाँ ये मेरी बेटी थी...

बुड्ढ़ा- पर आपकी बेटी है कहा...और आज़ाद के घर कैसे ..

सम्राट(बीच मे)- स्शह...ये बात कोई नही जानता..आज़ाद भी नही..पर तुझे बताता हूँ ..ह्म्म

बुड्ढ़ा- मालिक..

सम्राट उठा और घूमते हुए दीवाल के पास खड़ा हो कर बोला ..

सम्राट- मेरी बेटी कौन है..यही जानना चाहता है ना...

बुड्ढ़ा- जी मालिक..

सम्राट- मेरी बेटी..मेरे दुश्मन आज़ाद की बहू है..हाहाहा..

बुड्ढ़ा(आँखे बड़ी कर के)- क्या..मालिक..

इससे पहले की बुड्ढ़ा कुछ और कहता...सम्राट ने मूड कर तलवार से बुड्ढे की गर्दन काट दी...बुड्ढ़ा वही ढेर हो गया...

सम्राट- ओह हो...मर गया...क्या करूँ...ये राज जानने वाला तू अकेला ही था...तुझे कैसे छोड़ देता...साला बुड्ढ़ा...

सम्राट(पेग लगा कर)- आकाश ...अब तू मेरी पहुच से दूर नही...तेरे बेटे के ज़रिए मैं तेरे पास पहुचुगा...और फिर...
मल्होत्रा खानदान का सर्वनाश.....हाहहाहा...

और सम्राट की हसी पूरे घर मे गूंजने लगी......
फिर दारू पीते-पीते सम्राट सिंग दारू के नशे मे लूड़क गया.......और उसकी खामोशी, रात की खामोशी मे खो गई....
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06-07-2017, 12:12 PM,
RE: चूतो का समुंदर
फार्महाउस पर...

रात के सन्नाटे को चीरती हुई पन्छियो के चाहचाने की आवाज़ से मेरे दिन की शुरुआत हुई....

आवाज़ सुनकर मैने आँख खोली तो याद आया कि कल खिड़की बंद करना ही भूल गया था...

सूरज की हल्की-हल्की किरणें मेरे रूम मे आ कर मुझे गुड मॉर्निंग कह रही थी...

तंभी मेरा ध्यान मेरे हाथ पर गया...तो पाया कि मेरा हाथ जूही अपने हाथ मे थाम कर लेटी हुई है...

जूही मेरा हाथ ऐसे ही पकड़ कर सोती रही...जैसे कि एक बच्चा अपना पसंदीदा खिलोना पकड़ के सो जाता है...

जूही की इस हरकत के बारे मे सोच कर मेरे चेहरे पर मुस्कान फैल गई....

मैने चेहरा घुमा कर जूही को देखा..जो मेरे सीने पर सिर रख कर सो रही थी..

उसके बाल उसके आधे चेहरे को छुपाए हुए थे..और आधे चेहरे से मासूमियत छलक रही थी...

सूरज की किर्ने उस के गालो पर पड़ कर उसकी खूबसूरती बढ़ा रही थी...उसके गाल सूरज की रोशनी मे दमकने लगे थे...

थोड़ी देर तक मैं जूही के मासूम चेहरे को देख कर खुश होता रहा...

पर मुझे याद आया कि इस टाइम कोई भी आ सकता है...क्योकि मैं चोटिल जो था...

इसलिए मैने जूही को उठाया...पर वो कसमसा कर मेरे सीने पर ही लेटी रही...उपेर से मेरे हाथ को अपने हाथ मे ज़ोर से दबा लिया...

मैने अपना दूसरा हाथ उसके गाल पर फिराया तो थोड़ी देर मे ही जूही ने आँखे खोल दी..

जूही के जागते ही वो अपने आप को मेरे सीने पर पाकर शरमा गई...

मैं- गुड मॉर्निंग डियर..

जूही(शरमाते हुए)- गुड'मॉर्निंग...

मैं- अब उठने का इरादा है या सबके आने के बाद उठोगी ...

मेरी बात सुनते ही जूही झट से उठ गई और बेड के नीचे खड़ी हो गई...

यहाँ जूही खड़ी हुई और सामने से गेट खोलते हुए अकरम आ गया...

अकरम-गुड'मर्न्निग......आहह..जूही..तुम यहाँ...सुबह-सुबह...

जूही- भाई..वो मैं...बस जगाने ही आई थी...सोचा कि देख लू कि चोट कैसी है..

मैं- ह्म्म..अब देख लिया हो तो एक कॉफी भी पिला दो..

अकरम- हां...एक मुझे भी...

जूही- ओके...अभी लाई..

आज मेरी किस्मत अच्छी रही...जूही टाइम पर उठ गई वरना अकरम को क्या बोलता...

जूही ने भी दिमाग़ का इस्तेमाल किया..बाल-बाल बचे....

अकरम- अब लेटा ही रहेगा क्या..उठ भी जा...

मैं- हाँ..हाँ..उठ ही रहा हूँ..वैसे तू इतनी सुबह...

अकरम- तू सुबह की बात कर रहा है..मैं तो रात को ही आ जाता...पर तेरी वजह से रुका रहा....

मैं- क्या...क्यो...और मेरी वजह से...

अकरम(बीच मे)- भूल गया...हमे महल चलना है...और आज तू कुछ मत बोलना...समझा...

मैं- ओके बाबा...मैं नही बोलुगा..तू जो कहे...पर रेडी होने देगा...

अकरम- ह्म्म...कॉफी पी ले फिर जाना...तब तक वो आलसी भी आ जायगा...

तभी रूम मे संजू की एंट्री हुई...

संजू- साले ..आलसी तू होगा..मैं नही..

अकरम- ओह..आ गया..रेडी..??

संजू- मैं तो रेडी हूँ...पर इन जनाब को देखो...

मैं- ओये ...होता हूँ रेडी...कॉफी तो आ जाय...

थोड़ी देर बाद जूही कॉफी ले कर रूम मे आ गई...

फिर कॉफी ख़त्म कर के मैं रेडी होने वॉशरूम मे चला गया....

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06-07-2017, 12:12 PM,
RE: चूतो का समुंदर
यहाँ सहर मे कामिनी के घर...


रात के हादसे के बाद कामिनी बेहोश हो गई थी...

जब उसे सुबह होश आया तो वो रात का मंज़र याद कर के फिर से डर गई...

कामिनी ने नौकरानी को आवाज़ दी...और उसकी हेल्प से रेडी होने के बाद फिर से अपनी सारी फ्रेंड्स को अर्जेंट मीटिंग के लिए बुला लिया....

थोड़ी देर बाद कामिनी की सारी फ्रेंड्स उसके रूम मे बैठी हुई थी...

काजल और सुषमा अभी भी नही आई थी. ...वो सुषमा के घर रुकी हुई थी...

कामिनी ने रात की पूरी बात सब फ्रेंड्स को बता दी...जिसे सुन कर फिर से सब परेसान हो गई...

रजनी- कामिनी...ये सब क्या हो रहा है...और बार-2 ...चलो पोलीस को बताते है...

कामिनी- पोलीस...पर वो क्या करेगे...ये इंसान थोड़े ही ना...

रिचा(बीच मे)- बस यार...ये बकवास बंद भी कर...भूत जैसी कोई चीज़ नही होती...ये किसी इंसान का ही काम है ..

कामिनी- नही रिचा...कोई इंसान ऐसे कैसे कर सकता है...

रिचा- तो तेरा मतलब है कि तुझे भूत परेसान कर रहा है..हाँ...??

कामिनी(ज़ोर से)- हाँ...वो भूत ही है...

रिचा- मुझे तो विश्वास नही होता...तू आज के जमाने मे भी ऐसा सोचती है...

रजनी- हो सकता है..कामिनी सही हो...

रिचा- रजनी तू भी ..

रजनी- देख रिचा...हमारी बहस से कोई फ़ायदा नही होने वाला...हमे सच पता करना ही होगा...

कामिनी- हाँ...रजनी सही बोल रही है ...पता लगाना ही होगा कि वो दीपा है या उसका भूत...कुछ सोचो यार...

थोड़ी देर तक सब शांत रहे..फिर कुछ सोच कर रिचा बोली...

रिचा- मेरे पास एक आइडिया है...सच पता करने का...

कामिनी- क्या..??

रिचा- अगली बार वो दिखाई दे तो तू फाइयर कर देना ..

रजनी- फाइयर...??

रिचा- हाँ....गन से गोली चलाना यार...

रजनी-वो मैं जानती हूँ...उससे क्या होगा..

रिचा- क्या होगा...उससे पता चल जायगा कि वो भूत है..या भूत की शकल मे इंसान...

कामिनी- सही कहा रिचा...एक गोली लगेगी तो सब सामने आ जायगा...वाह..क्या आइडिया है...ले चाइ पी...

कामिनी की नौकरानी चाइ ले कर आ गई थी...

चाइ पीते हुए ही काजल भी घर आ गई..पर कामिनी ने उसे कुछ नही बताया...

थोड़ी देर बाद सब फ्रेंड्स कामिनी को प्लान समझा कर अपने घर निकल गई...

और कामिनी की नौकरानी ने कामिनी को दबा खिला कर आराम करने लिटा दिया...


यहाँ सम्राट सिंग के महल पर...


मैं, अकरम और संजू के कहने पर उनके साथ महल पहुच गया था...

हमारे पहुचते ही वहाँ काम करने वाले हमे पहचान गये और आने की वजह जानने के लिए सब इकट्ठे हो गये...

नौकर- सर..आप लोग..अब क्या हुआ...

अकरम- देख भाई..तुम सब जानते हो कि यहाँ क्या हुआ था..मेरे दोस्त को मारने की कोशिस की गई थी ..याद है ना..

नौकर- जी सर...हम कैसे भूल सकते है...पहली बार इस महल मे आने वाले के साथ इस तरह का हादसा हुआ है..

अकरम(चिल्ला कर)- ये कोई हादसा नही था...किसी की साज़िश थी...और हम वही पता करने आए है...

नौकर- पर यहाँ तो कोई भी ऐसा नही है सर...वो बाहर वाला ही था...

अकरम- हो सकता है वो तुम मे से किसी के साथ मिला हो...और तुम लोग उसे छिपा रहे हो..

नौकर- सर...आप ये क्या कह रहे है...हम भला ऐसा क्यो करेगे...

अकरम- क्या पता...शायद पैसो के लिए...

नौकर- नही सर..हम इतने लालची नही है..जो ग़लत काम करे..

अकरम- वो तो हम पता ही कर लेगे...हम खुद महल की तलाशी लेगे..

नौकर- पर सर...हम मालिक की पर्मिशन के बिना ये नही कर सकते..

अकरम- तो कॉल करो..और पूछो..

नौकर- जी..अभी पूछता हूँ...

नौकर कॉल करने लगा और अकरम बाकी के नौकरों से कल की बारदात के बारे मे पूछता रहा...तभी वो नौकर वापिस आ गया ...

नौकर- सर..वो मालिक का फ़ोन नही लग रहा है...

अकरम- तो मैं क्या करूँ...हम तो तलाशी ले कर जायगे...

नौकर- पर सर..

मैं(बीच मे)- ओये..या तो हमारा साथ दो..या फिर मैं पोलीस बुला कर इस जगह को सील करवाऊ...

नौकर- नही सर..पोलीस बुलाने से अच्छा है..आप तलासी ले लो..

मैं- गुड...अब चलो...पूरा महल दिखाओ...

और हम महल की तलासी लेने निकल गये.....

तलासी लेते हुए हम सबसे पहले उस सीक्रेट रास्ते से हो कर उस जगह पहुचे ..जहाँ पर हमला हुआ था...

पर उस जगह हमे कुछ भी नही मिला...यहाँ तक कि मेरे खून के निसान भी मिटा दिए गये थे...

एक-एक कर के हमने पूरे महल की तलासी ले ली...

पर हमे ना ही वो हमलाबर मिला और ना ही ऐसा कोई सबूत जिसके आधार पर हम कह सके कि वो हमलाबर महल का ही है...

अब सिर्फ़ महल का एक कमरा बचा था...पर वहाँ पर ताला लगा हुआ था...


हमे उम्मीद थी कि इस कमरे मे ज़रूर कुछ ना कुछ मिलेगा...

अकरम(नौकर से)- ये कमरा क्यो बंद है...??

नौकर- सर..ये तो मालिक का कमरा है...

अकरम- किसी का भी हो...खोलो इसे ...

नौकर- सर..हम मालिक की आग्या के बिना नही खोल सकते ..

अकरम- आग्या हो या ना हो...हम इस कमरे मे जा कर ही रहेगे...

नौकर- पर सिर..वो मालिक...

अकरम- सोच लो...या तो खुद ताला खोल दे या हम तोड़कर अंदर जाते है...

नौकर- नही सर..तोड़ना नही...मैं चाबी(की) ले कर आता हूँ...

नौकर चाबी लेने चला गया...

अकरम- अंकित...तुझे कुछ और याद है...ऐसा जो तूने देखा हो...या कुछ सुना हो...

मैं- नही यार...मुझे जो याद था वो बता चुका..मुझे नही लगता कि वो हमलाबर यहाँ का था...शायद किसी ने भेजा हो उसे...

अकरम- ह्म्म..हो सकता है...पर तेरी किसी से क्या दुश्मनी...हाँ...

अकरम की बात का मैने कोई जवाब नही दिया...बस उसे देख कर चुप रहा...पर शायद अकरम ने मेरी आँखो मे कुछ देख लिया था...

अकरम कुछ बोलने वाला था पर तभी नौकर की ले कर आ गया...
Reply
06-07-2017, 12:12 PM,
RE: चूतो का समुंदर
कमरे को खोल कर हम अंदर आए तो देखा कि वो एक आलिसान कमरा था...

सब आराम का सामान और अयाशी का भी सामान मौजूद था कमरे मे...

एक तरफ शराब की बॉटले रखी हुई थी..जो देखते ही पता चलती थी कि काफ़ी महगी बॉटल है...

नौकर ने हमे बताया कि यहाँ उनका मलिक कभी-2 आता है और अयाशी करता है..

हमे उसकी अयाशी से कोई लेना देना नही था...हम तो बस कमरा चेक करने लगे ...

अचानक मेरी नज़र कमरे की दीवाल पर लगी कुछ फोटोस पर पड़ी...

वो फोटोस इस महल के मालिक ...उसकी फॅमिली और दोस्तो की थी...(ऐसा नौकर ने बताया..)

उन फोटोस को देखते हुए एक फोटो पर मेरी नज़र अटक गई...

मैं उस फोटो को गौर से देख कर कन्फर्म करने लगा कि जो मैं सोच रहा हूँ क्या ये वही है...तभी..

अकरम- चल भाई...यहाँ भी कुछ नही मिला...

अकरम की आवाज़ जैसे मैने सुनी ही नही...मैं और करीब से उस फोटो को चेक करने लगा...

मैं(मन मे)- ये फोटो यहाँ कैसे...क्या इस महल का मालिक इन्हे जानता है...या फिर मैं ही ग़लत देख रहा हूँ...क्या ये फोटो उन्ही की है...

अकरम मुझे देखता रहा और फिर चिल्ला कर बोला..

अकरम- अंकित...

मैं(हड़बड़ा कर)- हाँ..क्या हुआ...कुछ मिला क्या...??

अकरम- नही..कुछ नही मिला...पर तू कहाँ खो गया...

मैं(आँखे चुराते हुए)- मैं..कहीं नही ..बस फोटोस देख रहा था...

अकरम(सवालिया नज़रों से)- इनमे से किसी को जानता है क्या..कोई मर्द या औरत...??

मैं- नही..नही...मैं कैसे जानुगा...नही जानता ...

अकरम- अच्छा...तो चल फिर..

मैं , अकरम और संजू कमरे से बाहर आ गये ..पर मेरा दिमाग़ अभी भी कमरे की उस फोटो के बारे मे सोच रहा था...और शायद मेरे दोस्त मेरी खामोशी को समझ रहे थे...

पर इस समय दोनो ने कुछ नही पूछा...बस महल से बाहर आकर अपनी कार से वापिस फार्महाउस की तरफ निकल आए.....



वहाँ किसी गाओं मे...

यहाँ सोनू(सुषमा का बेटा) स्निपर हाथ मे लिए एक सुनसान जगह पर खड़ा हुआ था...

सोनू के साथ उसके बॉस का एक आदमी भी खड़ा हुआ था ..जो सोनू की देख-भाल कर रहा था ....

उसके चारों तरफ दूर-2 तक कोई नही था...सिर्फ़ जंगल ही जंगल था...

उसके सामने एक पेड़ पर टारगेट बोर्ड लगा हुआ था...जिससे सोनू निशाना लगाने की कोशिस कर रहा था....

फाइयर...सोनू ने फाइयर किया जो ट्रॅगार के बीच मे ना लग कर थोड़ा साइड मे लगा...

सोनू(अपने आप से)- शिट...साला एक भी बार सही नही लगा...

आदमी- क्या हुआ भाई..तुम तो चॅंपियन हो...लगता है नाम के चॅंपियन हो...हाहाहा...

सोनू(गुस्से मे)- बकवास बंद करो...तुम तो इतना भी नही कर सकते...थोड़ा ही साइड मे लगा...समझा...

आदमी- ओह हीरो...हमे साइड मे नही चाहिए...सीधा बीचो-बीच मारना है...समझे...

सोनू- जानता हूँ...पर ये इतना आसान नही..थोड़ा आजू-बाजू हो गया तो चल सकता है...

आदमी- नही छोरे...एक इंच भी मिस किया तो वो मर जायगा..

सोनू- क्या मतलब तुम्हारा...??

आदमी- मतलब ये कि तुझे दिल के बाजू मे गोलू मारनी है...

सोनू(शोक्ड हो कर)- पर मुझसे तो कहा था कि सिर्फ़ गोली चलानी है...ये दिल के पास क्यो..??

आदमी- वो मुझे नही पता..बॉस ने बोला है कि गोली दिल के बाजू मे लगनी चाहिए...अब सुरू हो जाओ...निशाना ठीक करो..

सोनू(गन को पटक कर)- क्या बकवास है है...मैं नही करने वाला...

आदमी- सोच ले छोरे..

सोनू- तू सोच और तेरे बॉस से बोल..वो मार सकता है...

आदमी- तू उसकी चिंता छोड़...और अपने बाप की चिंता कर...

अपने डॅड की बात सुनकर सोनू बुरी तरह डर गया...और अपनी मजबूरी पर रोने लगा...

सोनू- हे भगवान...ये क्यो कर रहे हो मेरे साथ...प्लीज़...मुझे बचा लो...

सोनू घुटनो के बल बैठकर फुट-फुट के रोने लगा....

तभी सोनू का फ़ोन बजने लगा...ये रश्मि का कॉल था...

(कॉल पर)

सोनू- ह..हेलो..

रश्मि- क्या हुआ चॅंपियन ..रो रहा है क्या ..

सोनू(आसू पोछ कर)- तू काम की बात कर ..मेरी चिंता करने का नाटक छोड़...

रश्मि- ओह...इतनी गुससा..चल तेरी गुस्सा दूर करती हूँ...एक गुड न्यूज़ है...

सोनू- गुड न्यूज़...क्या...??

रश्मि- यही कि अब तुझे गोली नही मारनी...घर आजा...

सोनू तो रश्मि की बात सुनकर बहुत खुश हो गया पर अगले ही पल किसी सोच मे पड़ गया....

रश्मि- क्या हुआ...खुश नही है...

सोनू- खुश...तुम्हे कब से फ़िक्र होने लगी मेरी खुशी की...

रश्मि- अरे...फ़िक्र तो हमेशा से है..पर पहले अपनी खुशी ...अब ज़्यादा मत सोच...पॅकिंग कर और घर आजा...

सोनू- पर क्यो...और मेरे डॅड...

रश्मि- तुम्हारे डॅड जल्दी आ जायगे...और क्यो का जवाब अभी नही मेरे पास...जल्दी ही बताउन्गी..अभी आजा...चल बाइ...

रश्मि ने अपनी बात बोल कर कॉल कट कर दी...

सोनू आगे कुछ सोचता उसके पहले ही वहाँ खड़े आदमी के पास भी मेसेज आ गया और उसने सोनू को वापिस जाने को बोल दिया....

कुछ टाइम बाद सोनू अपनी कार से वापिस अपने घर की तरफ निकल गया...अपने दिमाग़ मे कई सवाल ले कर....

------------------------------------------------------
Reply
06-07-2017, 12:12 PM,
RE: चूतो का समुंदर
यहाँ फार्महाउस वापिस आने के बाद..


मैं, अकरम और संजू महल पर चेकिंग करने के बाद फार्महाउस आ गये...

पूरे रास्ते हमने ज़्यादा बात नही की...खास कर कि मैं ज़्यादा ही चुप रहा...

मेरे दिमाग़ मे कुछ सवाल आ गये थे...जिनकी वजह थी महल के कमरे मे लगी एक फोटो...

मैं अपनी सोच मे ही पता करने की कोशिस मे लगा हुआ था कि आख़िर ये फोटो वहाँ होने की वजह क्या है...क्या रिश्ता है सम्राट सिंग का उस सक्श से..जिसे मैने उस फोटो मे देखा था....

मेरे सारे सवालो का जवाब मेरा आदमी ही पता कर सकता था...इसलिए मैं बस फार्महाउस पहुचने का वेट कर रहा था. .

जहाँ मैं अपनी ही सोच मे खोया हुआ था...वही अकरम भी किसी सोच मे डूबा हुआ था...

मुझे नही पता कि अकरम के मन मे क्या चल रहा है...

जबकि संजू हम दोनो से अलग गाने गुनगुनाते हुए ड्राइव कर रहा था....

फार्महाउस पहुच कर मैं रेस्ट करने का बोल कर अपने रूम मे आ गया...

अकरम भी चुपचाप अपने रूम मे चला गया..बट मुझे घूरता भी गया...

रूम मे आ कर मैने जल्दी से अपने आदमी को कॉल किया...

(कॉल पर)

मैं- हेलो...

स- हाँ अंकित...मैं तुम्हे ही कॉल करने वाला था...

मैं- अच्छा...ऐसा क्या काम था...

स- अरे वो थोड़ा कामिनी के बारे मे बात थी...

मैं- हाँ बोलो..

स- आज कुछ एक्सट्रा प्लॅनिंग करनी पड़ेगी..

मैं- मतलब...??

स- हमने सोचा था कि कामिनी जल्दी ही मूह खोल देगी बट ऐसा नही हुआ...अब हमे कुछ और करना होगा...

मैं- ह्म्म..तो आप करो ना...पूछ क्यो रहे हो...मुझे तो बस रिज़ल्ट चाहिए..

स- हाँ..पर आज के प्लान मे हमे कुछ नये बंदे लाने होगे और खर्च भी बहुत होगा...

मैं- आप खर्च की टेन्षन ना लो..बस काम होना चाहिए...

आ- ह्म्म..हो जायगा...आज दोपहर को सब सेट कर दिया है..रात को कामिनी सब बक देगी...

मैं - ओके..आप जैसा चाहे करो..खर्च मैं देख लुगा..ओके..

स- ओके..अब मुझे जाना होगा...थोड़ा सेटप देख लूँ..वैसे तुम्हे कुछ काम था क्या...कॉल क्यो किया था..??

मैं- अरे वो...

इससे पहले की मैं कुछ बोलता..मेरे रूम मे रूही की एंट्री हो गई..

मैं- चलो बाद मे बात करता हूँ ..बाइ...

मैने कॉल कट कर दी..पर मैं अपने दिल की बात ना कर पाया...

मैने सोचा कि एक बार कामिनी निपट जाए फिर दूसरा काम देखते है..और फिर रूही भी आ गई थी....

मैं(कॉल कट कर के)- हाई रूही...तुम यहाँ..

रूही- मैने डिस्टर्ब किया क्या...???

मैं- नही तो...आओ..मैं फ्री ही हूँ..

रूही- तब तो सही टाइम पर आई...

और रूही ने जल्दी से गेट लॉक कर दिया और मेरे पास आ गई....

मैं- ये क्या कर रही हो...गेट क्यो बंद किया...

रूही(मुस्कुराती हुई)- ताकि हमे कोई डिस्टर्ब ना करे...

मैं- क्या मतलब..??

रूही मेरे पास आ गई और अपना हाथ मेरे सीने पर घुमाती हुई बोली...

रूही- अभी भी नही समझे..हां..

मैं(रूही का हाथ पकड़ कर)- तुम पागल हो गई हो क्या...अभी सब यही मौजूद है...और उपेर से मैं घायल हूँ..

रूही- सब जानती हूँ..इसलिए तो तुम्हारा मूड बनाने आ गई..

मैं- मेरा या तुम्हारा...

रूही(मुस्कुरा कर)- ह्म्म..दोनो का...

मैं- चुप करो और गेट खोलो...

रूही- क्यो...तुम्हारा मन नही करता थोड़ा मस्ती करने का...ह्म्म

रूही का हाथ मेरे हाथ से छूट कर मेरे लंड पर पहुच गया...

मैं- रुक जा...मत कर...वरना मूड बन जायगा...


रूही- तब तो मैं मूड बना कर ही रहूगी..

मैं(रूही का हाथ हटा कर)- नही...अभी नही..

रूही- अब मैं पीछे नही हटने वाली...

और रूही ने पीछे हट कर अपनी टी-शर्ट निकाल दी...उसके तने हुए बूब्स ब्रा को फाड़ने को बेताब दिख रहे थे...

मैं- मत कर यार..गड़बड़ हो जायगी...

रूही ने जैसे मेरी बात सुनी ही नही और जल्दी से अपना लोवर निकालने लगी..

मैं- रुक यार..क्या कर...ओह्ह्ह..

रूही- अब मूड कैसा है...

रूही ब्रा-पैंटी मे मेरे सामने खड़ी हो गई और इतराते हुए मुझसे गरम करने लगी...

मैं- तू मेरे दोस्त की गर्लफ्रेंड है...नही तो..

रूही(अपने बूब्स को अपने हाथ से दवा कर)- तो क्या करते...

मैं- कुछ नही...अब कपड़े पहनो...सच मे कोई आ जायगा तो प्राब्लम हो जायगी...

रूही- अच्छा...और अब क्या होगा..ह्म्म..

और रूही ने अपनी ब्रा को निकाल कर बूब्स को आज़ाद कर दिया और मेरे लंड मे जान आनी सुरू हो गई ...

रूही- आओ ना..देखो..कैसे उछल रहे हो...हम्म...

मैं- तू मान जा...वरना..

रूही- वरना क्या...इसे चोट पहुचाओगे...ह्म्म

रूही अपने हाथ से अपनी पेंटी के उपर से चूत सहलाते हुए बोली..

मैं- अब बस कर यार...वरना मैं छोड़ुगा नही...

रूही- तो चाहता भी कौन है कि चोद दो..आओ ना..देखो तो..ये कितनी प्यासी है ..

रूही धीरे से अपनी पेंटी को नीचे करने लगी...और मेरा लंड फॉर्म मे आने लगा...

कि तभी गेट पर हाथ थपथपाने की आवाज़ के साथ अकरम की आवाज़ आई...

अकरम- अंकित..अंकित गेट खोल...
Reply
06-07-2017, 12:12 PM,
RE: चूतो का समुंदर
अकरम की आवाज़ सुनकर मेरा चेहरा सुर्ख पड़ने लगा और रूही की तो जैसे गान्ड ही फट गई...

अकरम- खोल ना...मुझे तुझसे अभी बात करनी है...खोल..

अकरम की आवाज़ मे गुस्सा छलक रहा था...मुझे लगा कि कही अकरम ने रूही को अंदर आते हुए तो नही देख लिया...

अकरम आवाज़ दे रहा था और रूही मुझे देख रही थी...

मुझे समझ नही आ रहा था कि क्या करे...

अकरम- अबे...सो गया क्या ...खोल ना..

मैने जल्दी से रूही को उसके कपड़े उठाने का इशारा किया और उसे बाथरूम मे पहुचा दिया...


फिर मैने अपने चेहरे को ठीक कर के गेट खोल दिया...सामने अकरम गुस्से मे खड़ा था...

मैं- क्या हुआ...तू गुस्से मे क्यों है..

अकरम- ये तुमने सही नही किया...

मैं- क्या..क्या सही नही किया...

अकरम- तू जानता है..बन मत..

मैं- मैं..मैं क्या जानता हूँ...तू बोल ना...

अकरम- मुझे तुझसे ऐसी उम्मीद नही थी...अपना खास दोस्त कहता है और फिर भी...

मैं(मन मे)- लगता है इसे सब पता चल गया....अब क्या होगा ..इसी बात का डर था मुझे....पर साली रूही है कि समझी ही नही...

अकरम- अब बोल...कोई अपने खास दोस्त के साथ ऐसा करता है...

मैं- वो ..अकरम...वो सब...पता नही कैसे...

अकरम- पता नही क्या...तुझे सब पता है...फिर भी मुझसे छिपा रहा है...

मैं- ऐसा नही है...मैं तुझसे बात करने वाला था पर कैसे करता ...तू ही बता...

अकरम- इसमे बताना क्या...जो तेरे दिल मे है वो बोल...

मैं(शोकेड)- क्या बोलू...

अकरम- यही कि तूने महल की फोटोस मे किसकी फोटो देखी जो तू खामिश रह गया और तब से उसी के बारे मे सोच रहा है...

मैं(मन मे)- ओह्ह..तो ये बात है...मतलब मैं फालतू मे डर रहा था...इसे रूही के बारे मे कुछ पता नही ...ये तो फोटो की बात कर रहा है....

अकरम- अब भी चुप...मुझ पर भरोशा नही तो बोल दे..मैं कुछ नही पूछुगा...

अकरम गुस्सा हो कर वापिस जाने को मुड़ा...तो मैने उसका हाथ पकड़ लिया...

मैं- रुक..तुझ पर पूरा भरोशा है...बोल क्या जानना चाहता है...

अकरम- तूने उस फोटो मे किसे देखा...जिसे देख कर तेरा माइंड घूम गया...और तू सोच मे डूबा है...

मैं- पर तू क्यो जानना चाहता है ये सब...

अकरम- क्योकि मुझे लगता है कि तेरे उपेर जो अटॅक हुआ है...उसका इस फोटो से कुछ लेना-देना ज़रूर है...

मैं- नही...ऐसा कुछ नही...वो सब एक हादसा है...

अकरम- झूट मत बोल...नही बताना तो रहने दे...मैं चलता हूँ..और हाँ...भरोसा नही तो दोस्त भी मत बोलना...

एक बार फिर से अकरम जाने को हुआ और मैने चिल्ला कर कहा ...

वो मेरे दादाजी की फोटो थी.......
अकरम मेरी बात सुनकर शॉक्ड हो गया...और बोला...

अकरम- तेरे दादाजी की पिक...वो भी उस महल मे...कुछ समझ नही आया...

मैं- ये समझने के लिए तुझे बहुत कुछ जानना होगा...

अकरम- तो बता ना...देख..मुझे दोस्त समझता है तो बोल...यकीन मान...तेरे लिए अपनी जान भी दे दूँगा...बोल ना ..

मैं-जानता हूँ यार..... तू मेरे साथ गार्डन मे चल...वही बात करते है...

अकरम - चल..

मैं- 1 मिनट..बाथरूम जा कर आता हूँ...

फिर मैं बाथरूम मे गया और वहाँ छिपी रूही को सब समझा कर अकरम के साथ गार्डन मे निकल गया.....

फिर मैं अकरम के साथ गार्डन मे चला गया...

कुछ देर बात करने के बाद अकरम का चेहरा परेशानियों से भर गया...

अकरम(शोक्ड हो कर)- इतनी बड़ी प्राब्लम ....और तूने मुझे कुछ भी नही बताया...

मैं- यार...मैं भी श्योर नही हूँ...तो तुझे क्या बता देता....

अकरम- पर अब तो श्योर है ना...तेरे दादाजी और उस सम्राट सिंग को ज़रूर कुछ लेना -देना है...शायद खानदानी दुश्मनी...

मैं- मुझे भी यही लगता है...पर समझ नही आता कि पता कैसे करूँ...

अकरम- क्या मतलब पता कैसे करूँ...अपने दादाजी से मिल और बात कर....

मैं- ये नही हो सकता...

अकरम- ओह...तो..तो अपने डॅड से बात कर...उन्हे ज़रूर कुछ पता होगा....

मैं- नही यार...मैं डॅड को टेन्षन नही देना चाहता....

अकरम(गुस्से से)- तो साले तू चाहता क्या है...तू कोई हीरो है जो सबकुछ अकेला संभाल लेगा....

मैं- नही..मैं कोई हीरो नही...लेकिन मैं इस मेटर को बिना डॅड को बताए सॉल्व करना चाहता हूँ...

अकरम- क्या...तू अकेला सॉल्व करेगा...हाहाहा...देख अपने आपको...मरते-2 बचा है...और..

मैं(चिल्ला कर)- तो और क्या...मर ही जाता ना....पर मैं अपने डॅड को टेन्षन नही दे सकता....बिल्कुल नही...
Reply
06-07-2017, 12:12 PM,
RE: चूतो का समुंदर
अकरम- पर क्यो...वो तेरी हेल्प ही करेगे...

मैं- नही...वो टूट जायगे...बड़ी मुस्किल से संभाला है उन्होने अपने आप को...और अब मैं उन्हे उस सब मे वापिस नही ला सकता जिस से बाहर आने मे उन्होने बहुत कुछ खो दिया...

( मैं जल्दी मे वो बोल गया जो शायद नही बोलना चाहिए था....मेरे डॅड का पास्ट बहुत भयानक था..और मैं उन्हे वापिस उस महॉल मे नही ले जाना चाहता था)

अकरम(सोचते हुए)- तू किस बारे मे बात कर रहा है...क्या हुआ था तेरे डॅड को...

मैं- वो सब छोड़...अभी टाइम नही...

अकरम- तुझे मुझ पर सच मे भरोसा नही क्या...??

मैं- प्लीज़ यार...सही टाइम आने दे ..तुझे वो भी बता दूँगा...अभी जो सामने है उसे देखना है..

अकरम ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रखा...

अकरम- ह्म्म..ठीक है...तो हम दोनो मिलकर सब देख लेगे...सामने जो भी ही...मैं तेरे साथ हूँ...ह्म्म

मैं- इसका तो मुझे पूरा यकीन है...

और मैने अकरम को गले लगा लिया...

मैं- अब चल...कल इस सम्राट की कुंडली देखनी है...

अकरम- ह्म्म..कल इसके गाओं मे राउंड मार कर आते है...

मैं- ह्म्म..पर याद से..ये बात...

अकरम(बीच मे)- जान भी चली जायगी तब भी किसी को नही बोलुगा...चल..

हम दोनो अंदर आए और फिर डिन्नर कर के अपने -2 रूम मे चले गये ...


रूम मे आते ही मैने अपने आदमी को कॉल किया ...उसके 3 कॉल आ चुके थे इसलिए...

(कॉल पर)

मैं- हाँ..अब बोलिए...

स- सब सेट हो गया..हम आगे बढ़ रहे है...

मैं- कोई प्राब्लम तो नही होगी ना...उसकी बेटी ..

स(बीच मे)- डोंट वरी...हमने आज दिन मे सब सोच लिया था ....सब अपनी जगह सेट है ...बस कामिनी के सोने का इंतज़ार है...

मैं- ह्म्म..तो फिर मैं गुड न्यूज़ का इंतज़ार करता हूँ ....

स- ह्म्म..रात को गुड न्यूज़ मिल जयगी...अब चलता हूँ..काम पर ...

मैं- ओके...बेस्ट ऑफ लक...

स- ह्म्म..बाइ..

बात हो गई..कॉल कट गया...अब बस गुड न्यूज़ का इंतज़ार है....तब तक क्या करे...???

चलो जब तक सारे रूम्स को चेक कर लेता हूँ ...कौन क्या कर रहा है...

अपने आप से बात करने के बाद मैने लॅपटॉप ऑन किया...और गुडनूज़ का इंतज़ार करते हुए लॅपटॉप से सबके रूम्स का जायज़ा लेने लगा ......

------------------------------------------------------

यहाँ सहर मे.....

मेरा आदमी अपने साथियों को इनट्रेक्षन दे रहा था....

स- देखो...आज हमे ये काम पूरा करना ही है...चाहे जो भी हो...

फिर उसने 2 बन्दो को देख कर कहा...

स- तुम दोनो जाओ और कामिनी के घर पर नज़र रखो...

तुम दोनो का एक ही काम है...गार्ड को हॅंडल करना और हाँ...कोई भी घर मे आए या जाए...ये भी देखना है...समझे ....अब जाओ...

फिर वो अपनी नज़रे दूसरे सक्श पर करता है....

स- तुम्हे तो समझाने की ज़रूरत नही है...और ना ही पूछने की....रेडी...???

सामने वाले ने सिर हिलाते हुए थम्प्सुप करके बता दिया कि रेडी है....

स- तो अपनी उंगलियों का जादू दिखाने को तैयार हो जाओ...अपनी जगह पर पहुचो...

फिर उसने वहाँ खड़े तीसरे सक्श की तरफ नज़रे घमाई....

स- अब सब तुम पर डिपेंड करता है...आज कामयाबी मिली तो हमारा काम पूरा हो जायगा..जाओ..और काम पूरा कर के ही आना.....

सबको काम समझा कर पहुचने के बाद वो भी निकल गया....

------------------------------------------------------
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